Hindi Antarvasna - एक कायर भाई - Page 13 - SexBaba
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Hindi Antarvasna - एक कायर भाई

मेरी दीदी ने जुनैद को अपनी बाहों में भर लिया था..
मैं जुनैद की मर्दानगी का लोहा मान चुका था...
बिना एक इंच भी लंड बाहर निकाले जुनैद ने अपना पोज चेंज किया और मेरी प्रियंका दीदी को कुत्तिया बना दिया मेरे पैरों के पास... मेरी प्रियंका दीदी ने अपनी गर्दन को घुमा के पीछे जुनैद को देखा कि तभी......तूफान आ गया ,बाहर भी अंदर भी।
खूब तेज बारिश अचानक फिर शुरू हो गयी , आसमान बिजली की चमक ,बादलों की गडगडगाहट से भर गया।
जुनैद ने अब शुरुआत ही फुल स्पीड से की , हर धक्के में लंड सुपाड़े तक बाहर निकालते और फिर पूरी ताकत से लंड जड़ तक मेरी प्रियंका दीदी की गांड के अंदर...
साथ ही साथ मेरी दीदी की दोनों चूंचियां उनके मजबूत हाथों में , बस लग रहां था की निचोड़ के दम लेंगे।
एक बार फिर मेरी बहन की चीख पुकार से कमरा गूँज उठा..
मुझे अच्छी तरह पता था कि मर्द अगर एक बार झड़ने के बाद दुबारा चोदता है तो दुगना टाइम लेता है और अगर वो मर्द जुनेद जैसा फिर तो . चिथड़े चिथड़े कर के ही छोड़ेगा।
जैसे कोई धुनिया रुई धुनें उस तरह ,
लेकिन कुछ ही देर में दर्द मजे में बदल गया मेरी प्रियंका दीदी...
चीखों की जगह सिसिकिया , ... जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी चुनमुनिया को थोड़ा सहलाया मसला , फिर पूरी ताकत से अपनी एक ऊँगली , ज्यादा नहीं बस दो पोर ,लेकिन फिर जिस तरह से जुनैद का लौड़ा मेरी दीदी गांड में अंदर बाहर ,अंदर बाहर होता उसी तरह उसकी उंगली भी मेरी बहन की चूत में...
जुनेद मेरी प्रियंका दीदी की हचक हचक के गांड मार रहे थे ,साथ में उनकी एक ऊँगली चूत में कभी गोल गोल तो कभी अंदर बाहर ...
देर तक मेरी दीदी को इसी पोजीशन में गांड मारने के बाद जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी को अपनी गोद में उठा लिया जैसे फूल को उठाते हैं... पर मेरी दीदी गोद में बैठी नहीं, उन्हें अच्छी तरह समझ आ गया था आगे का खेल.
जुनैद ने ने दोनों अंगूठों को पिछवाड़े के छेद में फंसा कर पूरी ताकत से मेरी प्रियंका दीदी की गांड के छेद को चियार दीया..
और फिर जुनैद ने अपना तन्नाया ,बौराया मोटा, कड़ा खूंटा सीधे मेरी बहना की गांड के छेद पर सेट कर दिया...
उसके साथ ही उसने मेरी दीदी की पतली कटीली कमरिया में हाथ डाल के अपने मोटे गुस्सैल सुपाड़े पे दबाना शुरू कर दिया..
और थोड़ी ही देर में ,सुपाड़ा मेरी बहन की गांड के छेद में फंस गया.
जुनेद के दोनों हाथ अब मेरी प्रियंका दीदी की कमर पर थे..., और नीचे की ओर वो पूरी ताकत से अपने मोटे लंड पे पुल कर रहे थे..
मेरी संस्कारी बहना को दर्द हो रहा था , एकदम फटा जा रहा था , छरछरा रहा था। लेकिन दाँतो से अपने होंठों को कस कस के काट के किसी तरह मेरी दीदी चीख रोक रही थी , दर्द को घोंट रही थी।
गप्पाक
घचाक से मोटा सुपाड़ा मेरी दीदी की गांड में समा गया. मेरी प्रियंका दीदी की गांड ने जुनेद का सुपाड़ा भींच लिया , जैसे वो अब कभी नहीं छोड़ेगी उसे..
जुनैद का एक हाथ मेरी दीदी की पतली कमर पे छल्ले की तरह कस के चिपका हुआ था और उनका प्रेशर ज़रा भी कम नहीं हुआ। लेकिन दूसरा हाथ सीधे वहीँ जिसके लिए वो तब से ललचाये थे जब से उन्होंने पहली बार मेरी प्रियंका दीदी को देखा था.. मेरी बहना के रसीले नए नए आये किशोर जोबन , जवानी के फूल ...
जुनैद के हाथ मेरी दीदी के आम को कभी सहलाता ,कभी दबाता तो कभी निपल पकड़ के हलके से पुल कर लेता।
दूसरा उभार भी अब उन्ही के कब्जे में था ,उनके होंठों के। कभी वह चूमते ,कभी चूसते और कभी काटते...
साथ में ही जुनैद की गालियां.. मेरी तरफ देखते हुए...
" साल्ली, हरामजादी ,रंडी की जनी, छिनार अब लाख गांड पटक , सुपाड़ा तेरी गांड में अंडस गया है। अब बिना तेरी गांड मारे बाहर निकलने वाला नहीं , चाहे भोंसड़ी के तू खुशी ख़ुशी गांड मरवाये या रो रो के , भाईचोद अब तो तेरी गांड के चिथड़े उड़ने वाले हैं। तेरे सारे खानदान की गांड मारूं , मरवा ले अब गांड अपने सैया जी से...
 
मेरी प्रियंका दीदी पल भर के लिए गांड में अंडसे मोटे सुपाड़े को भूल गयी और अपनी दोनों टांगे लता की तरह जुनैद की कमर में कस के लपेट ली थी... उनकी बांह जुनैद की पीठ पर कसी हुई थी..
मेरी प्रियंका दीदी अपने मस्त उभार जुनैद के सीने पर जोर जोर से रगड़ रही थी , मेरी बहना के गुलाबी रसीले होंठ उनके होंठों को चूम ,चूस रहे थे और मेरे कान जुनैद की मस्त गालियों का मजा ले रहे थे।
" हरामन की जनी , भंडुओं की रखैल , रंडी की औलाद तू तो पैदायशी खानदानी छिनार है। तेरा सारा खानदान गांडू है , क्यों इतना नखड़ा दिखा रही है गांड मरवाने में , भाईचोद। "
अचानक बहुत तेज दर्द हुआ मेरी प्रियंका दीदी की गांड के छल्ले में..जैसे किसी ने तेजी से छूरा ,बल्कि तेज तलवार पूरी की पूरी एक बार में घुसा दी हो...हुआ यह था कि मेरी दीदी तो पूरी तरह मस्ती में डूबी हुई थी पर जुनैद ने अपना मोटा लंबा ..पूरी ताकत और तेजी से ,... कमर उचका के , उन्होंने दोनों हाथों से चूचियों को कस के दबोच रखा था और नीचे से अपना मोटा खूंटा पूरी ताकत से पुश किया...

दरेरते रगड़ते छीलते घिसटते गांड का छल्ला पार हो गया था मेरी प्रियंका दीदी का... जुनैद का खूंटा..
मेरी दीदी बड़ी जोर से चीखी और जुनैद ने उनकी चीख रोकने की कोशिश भी नहीं की..
असलम जो मेरी रूपाली दीदी की गांड में लौड़ा डालकर दारू पी रहा था बोला:
" अरे चीखने दो साल्ली को , बिना चीख पुकार के गांड मरौवल का मजा क्या। रोने दो , चोदो हचक हचक के..चोदो गांड इस छिनार की हचक के , फाड़ दो ..
वह खुद भी मेरी रुपाली दीदी की गांड में हचक हचक के झटके मार रहा था..
असलम की बातों का असर जुनैद पर भी हुआ और उसने मेरी प्रियंका दीदी की गांड फाड़ के रख दी..
वो पूरे जोश में आगये , हचक हचक के पूरी ताकत से ,..
दरेरते ,रगड़ते, फाड़ते घुस रहा था।
मेरी प्रियंका दीदी की दर्द के मारे जान निकल रही थी वह अपनी गांड पटक रही थी..चीख रही थी , आंसू गाल पे गिर रहे थे , लेकिन असलम और जुनैद की गालियां...
" काहें छिनरो मजा आ रहा है मोटा लौंडा घोंटने में , अबहिन तो बहुत मोट मोट लौंडा घोंटोगी , मेरी रंडी की जनी। घोंटो घोंटो बहुत चुदवासी हो न तेरी गांड का भोंसड़ा ...कुत्ता चोदी। "
अनवरत ,नान स्टाप।
आधे से ज्यादा खूंटा मेरी प्रियंका दीदी घोंट चुकी थी। जुनेद तो अब मेरी दीदी की गांड में बजाय धक्का मारने के बस ठूंसे जा रहे थे , गजब की ताकत थी उनमे।
लेकिन जुनैद ने मेरी दीदी को पकड़ के ऊपर उठाया जोर से, आलमोस्ट लंड बाहर हो गया सुपाड़ा भी काफी कुछ बाहर , लेकिन तभी जुनैद ने नीचे से मेरी दीदी को पेलना शुरू किया और एक बार फिर , मेरी दीदी की गांड के छल्ले को चीरता फाड़ता वो मोटा सुपाड़ा , अंदर समा गया..
जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी के निपल की घुन्डियाँ मरोड़ दीं , और मेरी दीदी को बोलने को कहा:
" बोल छिनार बोल , बोल की मैं छिनार हूँ , भाईचोदी हूँ , चुदवासी हूँ।
मेरी फूलों से भी नाजुक प्रियंका दीदी बोलने भी लगी पर बोलने के बाद भी उनकी जान नहीं छूट पाई..
" जोर से बोल , और जोर से बोल। ..अरे पूरी ताकत से बोल , दस दस बार , वरना गांड में तेरे कुछ भी दरद नहीं हो रहा है , छिनार की जनी ,
मैं रंडी की जनी हूँ , मैं गाँव में चुदवाने ,गांड मरवाने आई हूँ , पूरे गाँव की रखैल हूँ , मैं पूरे गाँव से गांड मरवाउंगी। मैं नंबरी छिनार हूँ ..
जुनेद जो कुछ भी बोलने के लिए कह रहा था मेरी प्रियंका दीदी रंडियों की तरफ बोल रही थी...
मैं रंडी की जनी हूँ , मैं गाँव में चुदवाने ,गांड मरवाने आई हूँ , पूरे गाँव की रखैल हूँ , मैं पूरे गाँव से गांड मरवाउंगी। मैं नंबरी छिनार हूँ। ...
" नीचे देख ज़रा बहन के लोड़े रंडी के भाई ... जुनैद ने अपने लोड़े की तरफ इशारा करते हुए मुझसे कहा.. मैंने जब उसे देखा तो दंग रह गया... मेरी प्रियंका दीदी ने आलमोस्ट पूरा , मुश्किल से दो ढाई इंच बचा होगा , छ सात इंच घोंट लिया था अपनी गांड के छेद के अंदर..
जुनेद अब मेरी प्रियंका दीदी कि दोनों चूचियां पकड़ के कस कस के , हुमच हुमच के अपना मोटा लंड उचका उचका के कसी कुँवारी गांड में ठेल रहे थे...
 
जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी को अपने विशालकाय लंड पर चढ़ा रखा था, उसका खंबा मेरी दीदी की गांड के छेद में पूरा समाया हुआ था..
हाय रे मेरी छम्मक छल्लो मेरी दुल्हनिया,तेरा नंबर है , घोंट चूतड़ उठा के ,दिखा दे कैसी नंबरी चुदक्कड़ है तू , अपनी रूपाली दीदी का नाम मत डूबा.... बोलते हुए जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की एक चूची को अपने मुंह में भर लिया...
उसकी बातें सुनकर मेरी दीदी शर्म के मारे लाल हो गई... पर मेरी बहन वासना की आग में धधक रही थी... उनकी आंखों में हवस के लाल डोर तैर रहे थे...
मेरी दीदी ने हलके हलके शुरू किया , लेकिन जुनेद पूरा साथ दे रहे थे, जब मेरी दीदी ऊपर की ओर खींचती , तो वो मेरी प्रियंका दीदी की पतली कमरिया पकड़ के ऊपर की ओर धकेलते ,और जब मेरी दीदी नीचे की ओर लंड घोटने के लिए पुश करती तो जुनैद दुगनी ताकत से मेरी बहन की कमर पकड़ के ऊपर की ओर झटका देता ... मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के मस्ती के खंभे पर ऊपर नीचे होने लगी थी..
मेरी प्रियंका दीदी की चूचियां भी बहुत जोर जोर हिल रही थी..
जुनैद एक हाथ से कभी लेफ्ट और कभी राइट चूची को दबा रहा था… दीदी भी आहे भर रही थी….
"हाय .. कितनी गरम गरम है तू .. मेरी किस्मत में तेरे जैसी चिकनी लौंडिया होगी .... मैंने तो कभी सपने में भी सोचा नहीं था .. जुनेद बढ़बढ़ाते हुए बोला..
देख साले कैसे तेरी दीदी मेरे लोड़े पर उछल रही है... जुनेद मेरी तरफ देखकर बोला और उसकी कुटिल मुस्कान देखकर मैं बेहद शर्मिंदा हो गया..
मेरी प्रियंका दीदी को तो जैसे मेरे वहां होने की कोई परवाह ही नहीं थी, अपने जिस्म की आग में जलती हुई उसे बुझाने का प्रयास करती हुई मेरी दीदी भूल गई थी उनका भाई सामने खड़ा देख रहा है सब कुछ..

मेरी प्रियंका दीदी के लंड पे ऊपर नीचे होने की स्पीड बढ़ गयी। साथ में जब आलमोस्ट पूरा लंड गांड में घुस जाता तो बजाय ऊपर नीचे करने के मेरी दीदी कभी आगे पीछे करती , गोलगोल घूमती , जिससे पूरे लंड का मजा गांड को मिल सके। और साथ में जुनैद के के सीने पे अपनी गोल गोल चूंचियां रगड़ती , उनकी पीठ पे मस्ती से अपने नाख़ून से नोचती ...

पांच छ मिनट बाद एक मिनट के लिए मेरी प्रियंका दीदी रुकी और नीचे देखी तो बहुत जोर से शर्मा गई..
जुनेद के हाथ दोनों , पलंग पर थे। वो कब का मेरी दीदी को ऊपर नीचे करना बंद कर चुके थे... इसका मतलब मेरी प्रियंका दीदी सिर्फ अपनी ताकत से लंड के ऊपर नीचे हो रही थी.
जुनैद का लंबा मोटा लंड एकदम जड़ तक गांड में घुसा हुआ था मेरी कमसिन नाजुक दीदी की...
खुली खिड़की से आ रही ठंडी हवा के बावजूद मेरी प्रियंका दीदी की देह पसीने पसीने थी..
वह .. क्या चीज बनायीं है तू राम ने ... तेरी चूचियां तो बड़ी मस्त हैं .. सेब के जैसी ... दिल कर रहा है खा जाऊं इन्हें ..." जुनैद ने कहा और मेरी प्रियंका दीदी की छाती पर जड़े मोती जैसे गुलाबी दाने को किसी बच्चे की तरह चूसने लगा.... मेरी दीदी की छाती के गुलाबी दाने भी अकड़ के तन गए थे.
मेरी प्रियंका दीदी भी अपनी प्रशंसा सुनकर बाग़ बाग़ हो गयी .. थोडा इतराते हुए उन्होंने अपनी आंखें खोली और जुनैद की तरफ देखकर सिसक उठी...
उतावलेपन और उत्तेजना में मेरी बहन ने जुनैद का सिर पकड़ लिया और अपनी गरम गरम सांसें छोड़ने लगी..
मेरी प्रियंका दीदी- आ आ आहह.. ! अहह.. ! आ आ अहह.. ! इस्स.. ! मम्मी... सिसकारियां लेने लगी..
जुनेद पागलों की तरह मेरी प्रियंका दीदी की चूचियों को खा रहा था.
अब पहली बार मेरी प्रियंका दीदी ने कहा- उनमह.. ! अब बस कीजिए.. ! आ अहह.. ! प्लीज़.. ! इसस्स.. ! हाय मम्मी...
हाय रे मेरी छम्मक छल्लो.. प्रियंका जी.. मेरी दुल्हनिया...इतने दिन के बाद आप मिली हैं, आज मुझे.. ! इतनी जल्दी, कैसे छोड दूँ.. ! आज रात को आप यही रहेंगी, मेरे साथ.. ! आज तो आपके जिस्म को निचोड़ निचोड़ के पियूँगा.. ! और कहते कहते, मेरी दीदी के चूची चूसने लगा..
मेरी संस्कारी प्रियंका दीदी फिर तो जैसे बच्चे मस्ती से ट्रैम्पोलिन पे उछलते हैं बस उसी तरह से , बार बार आलमोस्ट लंड के ऊपर तक से लेकर पूरे जड़ तक... उछल उछल कर गांड में लंड घोंट रही थी।
मेरी प्रियंका दीदी की पायल और चूड़ियों की छन छन और खन खन की आवाज कमरे में गूंज रही थी..
थोड़ी देर में कूद कूद के मेरी दीदी थक गई.. जब जुनैद को मेरी प्रियंका दीदी की थकान का एहसास हुआ तो उसने मेरी दीदी को पलट के घोड़ी बना दिया...
जुनेद की मर्दानगी और उसकी ताकत देखकर मैं भी दंग रह गया था हालांकि मेरी सगी बहन ही उसका शिकार हो रही थी...
 
यह बात तो जुनैद की माननी पड़ेगी,, नंबरी चुदक्क्ड़ थे और गांड मारने में तो एकदम एक्सपर्ट , ... इंच क्या एक सूत भी लंड टस से मस नहीं हुआ मेरी प्रियंका दीदी की गांड में से..
पूरा का पूरा लंड गांड में और मेरी प्रियंका दीदी को निहुरा के उसने अब जो मेरी दीदी की री गांड मराई शुरू हुयी बस लग रहा था , अब तक जो था वो सिर्फ ट्रेलर था।
हाय मम्मी हाय दैया हाय मर गई रे.... हा ... धीरे ...अह्ह्ह्हह्हह ई मां... मेरी प्रियंका दीदी चीखने लगी..
पर जुनैद के ऊपर कोई असर नहीं... वह अपनी पूरी ताकत से लगे पड़े थे... मेरी दीदी का बुरा हाल हो गया था...
हाय राम धीरे-धीरे चोदिए ना...उईईईईई माँ कितना मोटा लंड है .. मेरी ... अह्ह्ह्हह्हह उह्ह्हह्ह... मेरी दीदी बिलबिला रही थी..
हां तेरे सैयां जी का लोड़ा है बहन चोद रंडी... अब मैं नहीं रुकने वाला.... देख बहन के लोड़े देख साले .... तेरी दीदी की गांड पेल रहा हूं.... जुनेद मेरी तरफ भी देख रहा था... मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो चुकी थी देखकर फिर भी मेरा लौड़ा तना हुआ था... अपनी सगी बहन को ही देखकर....
खूब दर्द , खूब मजा... मेरी प्रियंका दीदी की गांड में..
मेरी नाजुक प्रियंका दीदी की आधी देह बिस्तर पे थी , पेट के बल. गोल गोल ,पथराई चूचियाँ बिस्तर से रगड़ती, चूतड़ हवा उठा हुआ ,
और जुनैद मेरी बहन की दोनों चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में संभाले हुए पागलों की तरह ... दीदी के पैर मुश्किल से जमीन पर छू रहे थे..
धकाधक सटासट पेलम पेल मचा दी थी मेरी बहन की गांड में उस गुंडे ने जो मुझे अपना जीजा समझ रहा था...
असलम ने मेरी रूपाली दीदी की गांड मराई बंद कर दी थी... वह दोनों भी चुपचाप इस दृश्य को देख रहे थे...
एक बात और , रात में तो चारो और सन्नाटा था ,घुप्प अँधेरा था ,कमरे में मुश्किल से लालटेन को रौशनी में कुछ झिलमिल झिलमिल सा दिखता था,लेकिन इस समय तो दिन चढ़ आया था। सुनहली धूप खिड़की से हो के पूरे कमरे में पसरी थी , बाहर टटकी धुली अमराई , गन्ने और धान के खेत दिख रहे थे , धान के खेतों से रोपनी वालियों के गाने की मीठी मीठी आवाजें सुनाई दे रही थी।
लेकिन मेरी प्रियंका दीदी को न कुछ सुनाई दे रहा था ,न दिखाई दे रहा था न महसूस हो रहा था , सिवाय कसी कच्ची गांड में जड़ तक घुसा हुआ , गांड फाडू , जुनैद का मोटा लंबा लण्ड। मेरी प्यारी दीदी दीदी की गांड भी जोर से से परपरा रही थी , फटी पड़ रही थी , की बस ,...
और जुनैद को भी मेरी प्रियंका दीदी की 24 साल की कच्ची कुंवारी गांड के म झटका मारने के अलावा कुछ दिखाई नहीं दे रहा था.
हाय रे जालिम... फट गई मेरी... थोड़ा धीरे धीरे कीजिए ना... सैंया जी.... मां मर गई रे...आईईईई उउउउउउउ... मेरी दीदी तो लगभग रोने लगी थी... पर फिर भी अपनी गांड उठा उठा कर दे रही थी..
मेरी बहन की छोटी सी प्यारी मासूम गांड जो अब तक कुंवारी थी जुनैद के रहमों करम पर थी..
जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की गांड को जोर से पकड़ लिया और तेजी से पेलने लगा…
उसने मेरी दीदी को डॉगी पोज में सेट किया...डॉगी पोज में भी पूरा रगड़ते दरेरते अंदर तक जाता है।
एक बार डॉगी पोज सेट करने के बाद ,उसने मेरी बहन को लगाने शुरू किये और अब मेरी प्रियंका दीदी की गांड को भी उनके लण्ड की आदत पड़ती जा रही थी। उनके हर धक्के का जवाब मेरी कमसिन दीदी कभी धक्के से तो कभी गांड को सिकोड के कभी निचोड़ के , उनके लण्ड को दबोच के देती थी।
पर अचानक जुनैद को क्या हुआ.. उसने मेरी दीदी के चूतडों को हवा में जोर से उठाया , पूरे ऊपर तक , लण्ड को आलमोस्ट सुपाड़ा तक बाहर निकाला और फिर एक धक्के में ही,... पूरा जड़ तक ,

मेरी प्रियंका दीदी की बस जान नहीं निकली। हाँ चीख निकल गयी, बहुत जोर से , ...
 
उई माँ , ओह्ह्ह आह्ह ,उईईईईई , उई माँ ,'...
इधर मेरी प्रियंका दीदी की दर्द के मारे जान निकल रही थी, दूसरी तरफ असलम " जो मेरी रुपाली दीदी को कुत्तिया बनाकर उनकी गांड में धीरे-धीरे लोड़ा अंदर बाहर कर रहा था और मेरी रूपाली दीदी की पीठ के ऊपर दारू का बोतल रखा हुआ था जिसे वह पी रहा था" मेरी तरह मुस्कुरा कर बोला..
साले तेरी बहना तो अपनी मम्मी को याद कर रही है..उन्हु क गांड मरवाने का मन है , ले आना अगली बार , उन्हु के ओखली में धान कुट देंगे हम दोनों...
हम तीनों ही शर्मिंदा हो गए असलम की बात सुनकर..
जुनैद ने एक बार फिर अपना मोटा मूसल ऑलमोस्ट एकदम बाहर निकाला धीमे धीमे, मेरी कोमल रंगीली छम्मक छल्लो प्रियंका दीदी की गांड के छल्ले के बाहर और मेरी तरफ कुटिल मुस्कान के साथ बोला....
" एकदम , अरे जिस भोसडे से ये मस्त सोने की गुड़िया , मक्खन की पुड़िया निकली है ,वो भोसड़ा कितना मस्त होगा। उसको तो एक बार चोदना ही होगा...
और ये कह के उन्होंने पहली बार से भी करारा धक्का मारा। दर्द से मेरी प्रियंका दीदी की जोर से चीख निकल गई...
हाय मां मर गई रे.... बड़ा दुखता है ...
जवाब असलम ने दिया..., " अरे बिचारी कह रही है , तो सिर्फ एक बार क्यों , उस छिनार की जिसकी बुर से ये जनी है एक लण्ड से और एक बार से काम नहीं चलता। फिर सिर्फ भोसड़े से काम थोड़े ही चलेगा , हचक हचक के उसकी गांड भी कूटनी होगी। "
जुनैद के धक्कों की रफ़्तार अब बढ़ गयी थी , और साथ में वो बोल भी रहे थे , ...
" एकदम सही बोल रही है , और जब इस नयी कच्ची बछेड़ी के साथ इतना मजा मिल रहा है तो घाट घाट का पानी पी , न जाने कितने लौंडे घोंटी , उस के भोसड़े में कितना रस होगा। एक बार क्यों बार बार , ...और गांड भी ,... एक बार आएँगी न, तो बस अपने सारे पुराने यारों को भूल जाएंगी। "
दोनों गुंडे मेरी मम्मी के बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे थे... मुझे बड़ा ही अजीब लग रहा था... पर मेरा लौड़ा बैठने का नाम नहीं ले रहा था.
जुनैद के इन झटकों के कारण मेरी प्रियंका दीदी की दर्द के मारे जान निकल जा रही थी.
लेकिन एक अलग ढंग की मजे की लहर मेरी बहन की देह में दौड़ रही थी , मेरी प्रियंका दीदी की चूत बार बार सिकुड़ रही थी ,अपने आप। अच्छी तरह पनिया गयी थी। बस जैसे झड़ते समय होता है ,वैसे ही , मुझे लग रहा था मेरी दीदी अब गयी तब गयी ..
मेरी बहना की गांड में जुनैद के न धक्के कम हुए न उनका जोर। दर्द ,छरछराहट भी वैसी ही थी , लेकिन मुझे बड़ा मजा आ रहा था मन ही मन.. बड़ी शर्मिंदगी की बात है दोस्तों पर मुझे आपको बताना ही पड़ेगा.... उनका सगा भाई होने के बावजूद भी मैं इस दृश्य को देखना चाहता था और देख भी रहा था... बड़ा ही अजीबोगरीब अनुभव रहा है यह मेरे लिए..
, मन कर रहा था और जोर से , और जोर से ,... मेरे प्रियंका दीदी की गांड मारे जुनैद.. कितनी अजीब बात है... मैं खुद ही मन ही मन सोच रहा था कि मेरी बहन की गांड एक गुंडा जोर जोर से मारे... और वह मार भी रहा था मेरी उम्मीदों से काफी बढ़ कर...
जुनेद ने लण्ड बाहर निकाला , लेकिन अबकी अंदर नहीं घुसेड़ा ,रुक गए।
मेरी प्रियंका दीदी ने पीछे मुड़कर देखा अपनी आंखों में हवस लिए हुए.... जैसे पूछ रही हो "क्यों रुक गए".

थोड़ी देर बाद जुनैद ने दुबारा लौड़ा घुसा दिया मगर इस बार बहुत धीरे-धीरे मेरी बहन की गांड में...
मेरी प्रियंका दीदी के पैरों को उन्होंने अपने पैरों के बीच डालकर जोर से सिकोड़ लिया और अब मेरी दीदी की गांड और भिंच गयी। और आधा लण्ड घुसेड़ के वो रुक गए ,
फिर एक हाथ से अपने खूंटे के बेस को पकड़ के गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया , पहले धीमे धीमे , फिर जोर जोर चार पांच बार क्लाक वाइज , फिर एंटी क्लाक वाइज ,...
उन्होंने फिर गोल गोल घुमाना रोक के मेरी प्रियंका दीदी की फिर से रगड़ रगड़ रगड़ के गांड मारना शुरू कर दिया। मेरी दीदी की देह बिस्तर से रगड़ रही थी ,मेरी दीदी एकदम झड़ने के करीब थी।
बीच बीच में वो रोक के जैसे कोई मथानी से माखन मथे ,उसी तरह से अपने हाथ से पकड़ के मेरी बहना की गांड में अपना लौड़ा घुमा रहे थे...
मेरी प्रियंका दीदी की हालत खराब थी, मेरी दीदी भी उनका लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी।
और कुछ देर में मेरी दीदी की चूत को बिना कुछ किये मेरी बहन झड़ने लगी, इतना तो मेरी दीदी चुदते समय भी नहीं झड़ थी।
मेरी नाजुक प्रियंका दीदी की देह काँप रही थी ,जोर जोर से बोल रही थी , हाँ सैंया जी हाँ मार लो मेरी चोद दो मेरी , मार लो गांड ,... हो हो उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् ाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्..
मेरी प्रियंका दीदी पलंग पर ढेर हो गई, साथ में मेरी दीदी की गांड भी अपने सैया जी का लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी और उसका असर उन पर भी पड़ा , दो चार धक्के पूरी ताकत से मा
 
मेरी प्रियंका दीदी पलंग पर ढेर हो गई, साथ में मेरी दीदी की गांड भी अपने सैया जी का लण्ड निचोड़ रही थी ,दबा रही थी और उसका असर उन पर भी पड़ा , दो चार धक्के पूरी ताकत से मार के , वो झड़ने लगे। खूंटा एकदम अंदर तक धंसा था।
देर तक दोनों साथ साथ झड़ रहे थे।
तकरीबन एक कटोरी मलाई जुनैद ने मेरी प्रियंका दीदी की गांड में डाल दिया था... मेरी बहना सिसक रही थी..

जुनेद मेरी प्रियंका दीदी के ऊपर लेटे रहे और मेरी दीदी पेट के बल बिस्तर के ऊपर..
मेरी प्रियंका दीदी कटे पेड़ की तरह बिस्तर पर पड़ गयी ..
संज्ञा शून्य , शिथिल , निश्चल , मेरी प्रियंका दीदी की पलकें मूंदी हुयी थीं ,साँसे लम्बी लम्बी धीमे धीमे चल रही थीं।
मेरी कमसिन कामपिपासु दीदी को पूरी देह में एक मीठे मीठे दर्द की चुभन दौड़ रही थी।
मेरी बहना को तो सिर्फ एक चीज का अहसास था , अभी भी पिछवाड़े धंसे ,अंदर तक गड़े ,मोटे खूंटे का।
कुछ देर में धीमे धीमे हलके से वो बाहर सरक गया , जैसे कोई मोटा कड़ियल सांप सरकते फिसलते हुए , बिल से निकल जाय।

और मेरी दीदी ने भी अपनी गांड की छेद भींच लिया , जोर से सिकोड़ के। साजन के जाने बाद जैसे कोई सजनी ,अपने घर की सांकल बंद कर ले।
एक तूफ़ान जो अभी अभी ऊपर से गुजर गया था , उसका अहसास बस समेट के सजो के बचा के मेरी प्रियंका दीदी अपनी बंद पलकों में रखी हुई थी...
पर जुनेद मेरी प्रियंका दीदी को राहत की सांस भी नहीं लेने दे रहा था... उसने मेरी दीदी को उल्टा कर दिया और मेरी दीदी की छाती के ऊपर सवार होकर मेरी बहन के मुंह में अपना लौड़ा घुसा दिया..
मेरी प्रियंका दीदी ने पट से चिरई की चोंच की तरह मुंह चियार दिया , और सट से जुनैद ने अपना लौड़ा मेरी बहन के मुंह में ठोक दिया... मेरी प्रियंका दीदी उसका लौड़ा पीने लगी.. चाटने लगी .. प्यार से चूमने लगी... अपने साजन का हथियार..,.
वही साइज , वही कड़ेपन के अहसास ,जिसके लिए मेरी दीदी बेहया हो गई थी... पर अचानक मेरी बहन को याद आया कि यही लोड़ा तों उनकी गांड के छेद में से निकल कम के मुंह में आया है..

अजीब स्वाद खट्टा मीठा.....एकदम अलग। उबकाई आने लगी मेरी बहना को.. पर जुनेद.... वह तो एक खेला खाया हुआ मर्द था... उसने अपना जोर लगाए रखा और मेरी प्रियंका दीदी को अपना लौड़ा चाट चाट के साफ करने पर मजबूर कर दिया...
 
असलम का मोटा लंबा बंबू भी मेरी रुपाली दीदी की गांड के छेद में अपना मक्खन डालने के बाद शांत हो गया था... सोफे पर वह मेरी दीदी के बगल में लेटा हुआ था घायल शेर की तरह... मेरी रूपाली दीदी अभी भी सोफे के ऊपर घोड़ी बनी हुई थी... उनकी गांड की गुलाबी छेद में से सफेद सफेद मलाई टपक टपक के चू रहा था... मेरी प्रियंका दीदी बिस्तर पर पसरी हुई थी निढाल होकर.. उनकी गांड का छेद का भी कचूमर निकल गया था... अपनी दोनों सगी बहनों की गांड की दुर्गति देखने के बाद मेरी हालत पतली हो चुकी थी... हमसे उनकी हालत देखी नहीं जा रही थी... मैं बेबस लाचार होकर कमरे से बाहर निकल गया... और हॉल में जाकर सोफे पर लेट गया...

किसी ने भी मुझ पर ध्यान नहीं दिया... कमरे के अंदर से अभी भी पायल की रुनझुन और चूड़ियों की खन खन जो मेरी रूपाली दीदी और प्रियंका दीदी के साथ कांड की दास्तान बयां कर रहे थे... बीच-बीच में चीखने सिसकने की आवाजें भी आ रही थी... ना जाने मुझे कब नींद आ गई...

जब मेरी आंख खुली तब दिन चढ़ आया था... मेरे जीजू ने मुझे जगाया... मेरी दोनों बहने पहले ही गाड़ी में जाकर बैठ चुकी थी... जुनैद और असलम दोनों काफी थके हुए लग रहे थे... पर दोनों मुझे देख कर मुस्कुरा रहे थे.. जीजू और उन दोनों के बीच में क्या बात हो रही थी मैं सुन नहीं पा रहा था.. पर जाहिर है उन लोगों ने हमें वापस जाने की परमिशन तो दे दी थी.... मैं चुपचाप उठकर वहां से आया और गाड़ी के अंदर आगे की सीट पर बैठ गया... पीछे पलट कर मैंने एक निगाह अपनी दोनों बहनों पर डाली.. मेरी दोनों दीदियों के चेहरे पर थकान थी और आंखों में नींद...

चुदाई की रणभूमि में पटक पटक कर चोद दी गई मेरी दोनों बहनों के चेहरे पर सूख चुका उन दोनों गुंडों का वीर्य चिपका हुआ था... दोनों ही बुरी तरह पस्त हो चुकी है... जाहिर है उन कमीनों ने मेरी बहनों को रात भर सोने नहीं दिया था... थोड़ी देर बाद जीजू आ गय.. और हम लोग वहां से सरपट रवाना हो गए.. मेरी जीजू ड्राइविंग कर रहे थे मैं चुपचाप बैठा हुआ था.... प्रियंका दीदी तो रुपाली दीदी के कंधे पर सो गई थी... और मेरी रूपाली दीदी सुन मुद्रा में गाड़ी की छत की तरफ देख रही थी....
घर पहुंचते ही मेरी प्रियंका दीदी और रूपाली दीदी तो अपने कमरे में जाकर सो गई... मेरी मम्मी ने दरवाजा खोला था, उन्हें तो बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनकी दोनों बेटियों के साथ क्या कांड हुआ है आज... जीजू ने मेरी मम्मी को पहले ही बता रखा था कि हम लोग उनके दोस्त की इंगेजमेंट पार्टी में थे...
मेरे चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थी... मुझे बिल्कुल समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या होगा...
बेटा क्या हुआ तुझे तू इतना परेशान क्यों लग रहा है... मेरी मम्मी ने मुझसे पूछा..
मेरी और भी हालत पतली हो गई... मैं भला उनको और क्या जवाब देता...
कुछ नहीं मम्मी रात को सोया नहीं ना इसलिए... मैंने कहा..
जाकर तू भी थोड़ा आराम कर ले... रुपाली और प्रियंका भी रात भर नहीं सोई है लगता है.. खूब मस्ती की है तुम लोगों ने... जा सो जा... मम्मी ने मुझे कहा और किचन की तरफ चली गई..
मैं अपने बेडरूम की तरफ जाने लगा..
इधर आ मेरे पास... मुझे तुमसे एक बात करनी है... जीजू ने मुझे कहा..
जब मैं उनके पास गया तो मैंने देखा कि उनकी आंखों में आंसू थे. उन्होंने मुझसे कहा - सुनो जो कुछ भी हुआ उसे एक बुरा सपना समझकर भूल जाओ.. अगर इस बात का पता बाहर किसी को भी चला तो हमारे खानदान की इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी...
हां आप बिल्कुल सही कह रहे हो ... मैंने कहा..
मैं अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गया... नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी... कल रात की घटनाएं और उसके पहले की भी मेरी आंखों के सामने घूम रही थी...
दोस्तों मुझे आपको बताने में ही यहां पर बिल्कुल भी संकोच नहीं हो रहा है कि मुझे एहसास हो चुका था कि मेरी दोनों बहुत बड़ी छिनाल है... जिस प्रकार मेरी प्रियंका दीदी जुनैद के भारी-भरकम लोड़े को अपनी छोटी सी प्यारी मुनिया में लेकर उछल कूद मचा रही थी, वह भी पहली बार जब उनकी सील टूटी थी जुनैद के लोड़े से, मैं समझ चुका था कि मेरे प्रियंका दीदी बहुत ही कामुक लड़की है..
और मेरी रूपाली दीदी कि क्या ही कहने... पिछले 5 दिनों में 5 मर्दों ने रूपाली दीदी की चुदाई की थी मेरे जीजू के अलावा,, मेरी आंखों के सामने...
मेरा छोटा सा लण्ड पूरी तरह खड़ा हो चुका था.. अपने हाथों से मैंने अपने लण्ड को पकड़ा और जोर जोर से हिलाने लगा... मेरी कामुक कल्पना में मेरी ही अपनी दोनों सगी बहने थी... जुनैद और असलम के द्वारा मेरी बहनों की दर्दनाक चुदाई की फिल्म मेरी आंखों के सामने दौड़ रही थी.. और मैं मुट्ठ मार रहा था...
 
. अचानक मेरे लण्ड से एक जबरदस्त पिचकारी निकल कि मेरे मुंह के ऊपर आकर गिरी... खट्टा नमकीन स्वाद मेरे मुंह में भर गया.... मैं अपने लण्ड से निकला हुआ माल खुद ही चाट रहा था....... मुझे स्वाद कुछ ज्यादा बुरा नहीं लगा मैं अच्छे से पी गया अपना ही माल.... तभी मुझे एहसास हुआ कि मेरी बहनों ने तो रात भर असलम और जुनैद के लौंडे की मलाई पि होगी... और उन दोनों के लोड़े से तो मक्खन भी एक कटोरी निकलता है लगभग.. पेट भर गया होगा मेरी दोनों बहनों का...

इतनी अजीबोगरीब सोच वह भी अपनी सगी बहनों के बारे में... मैंने अपने सर को एक झटका दिया.. मेरा छोटा सा लौड़ा भी मुरझा चुका था.. और मेरे मुंह में अभी भी मेरे ही लोड़े के रस का स्वाद था. आज पहली बार मैंने लोड़े का वीर्य पिया था, वह भी खुद का... मैं बहुत देर तक सोता रहा.. पता नहीं कितनी देर में, जब आंख खुली थी तो अंधेरा हो चुका था... मैं उठकर हॉल में आया... मेरी चंदा भाभी किचन में खाना बना रही थी, रूपाली दीदी उनका साथ दे रही थी और मेरी मम्मी टीवी देख रही थी... मेरे जीजू और प्रियंका दीदी चुपचाप बैठे हुए अपने अपने मोबाइल में कुछ देख रहे थे सोफे के ऊपर.. मुन्नी पालने के अंदर सो रही थी गहरी नींद में... मेरे घर का माहौल बिल्कुल नॉर्मल सा लग रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं हो, एक बार तो मुझे झटका सा लगा कि कहीं मैंने कोई बुरा सा सपना तो नहीं देखा था.. लेकिन वह सपना नहीं था . वह एक ऐसी हकीकत थी जो शायद मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगा और मुझे और मेरे परिवार को उसकी कीमत बार-बार चुकानी पड़ेगी शायद... मैं मन ही मन बेहद व्यथित था..
जाग चुकी थी और रो रही थी... शायद उसे भूख लगी थी... मेरी रूपाली दीदी किचन के अंदर से निकल कर बाहर आई और मुन्नी को अपनी गोद में लेकर उसे चुप कराने की कोशिश करने लगी पर वह रोए जा रही थी... मेरी रूपाली दीदी मुन्नी को लेकर बेडरूम के अंदर चली गई अपना दूध पिलाने के लिए..
मैं चुपचाप शांति से बैठा हुआ तो था पर मेरे मन में तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे जिसका मेरे पास कोई भी जवाब नहीं था.. मुझे डर था कि कहीं मेरी मम्मी और चंदा भाभी को भी पता ना चल जाए उस घटना के बारे में... इसलिए वहां पर मेरे जीजू या फिर प्रियंका दीदी से उस घटना के बारे में पूछना मेरे लिए बिल्कुल भी मुनासिब नहीं था..

मैंने सोचा क्यों न रुपाली दीदी से बात की जाएगी इसके बारे में, अकेली होगी अपने बेडरूम में मेरी दीदी.. मैं वहां से उठ अपनी रुपाली दीदी के बेडरूम की तरफ गया... मैं बेडरूम के दरवाजे पर खड़ा था और मेरे सामने अद्भुत नजारा था.. मेरी रूपाली दीदी अपने पलंग पर बैठी हुई थी... उनकी साड़ी का पल्लू उनके सीने से हटकर पलंग के ऊपर पड़ा हुआ था... मेरी दीदी की चोली के ऊपर के दोनों बटन खुले हुए थे.. और उनकी एक चूची उनकी चोली के बाहर निकली हुई थी... जिसका निप्पल मुन्नी के मुंह में था.. मेरी रूपाली दीदी अपने एक हाथ से उस चूची को दबा दबा कर दूध पिला रही थी मुन्नी को... दोस्तों आप सब को मेरी रूपाली दीदी की बड़ी बड़ी गदर आई हुई मस्त दुधारू चुचियों के बारे में तो बता चुका हूं.. मोहल्ला क्या पूरा शहर मेरी बहन की दुधारू चुचियों का दीवाना था...
 
उनकी दूध की तरह सफेद चूची पर दांत और नाखूनों के निशान देखकर मुझे कल रात की घटना याद आने लगी, किस प्रकार से असलम और जुनेद दोनों ने ही मेरे रूपाली दीदी का दूध निचोड़ निचोड़ के चूसा था... और मेरी दीदी भी तो उनका खूब साथ दे रही थी...
मेरी रूपाली दीदी ने जब मुझे दरवाजे पर खड़ा हुआ पाया तो एक क्षण के लिए चौक उठी... वह पहले से ही अपने ख्यालों में खोई हुई थी...
क्या हुआ अंशुल क्या बात है... आओ मेरे पास... दीदी ने बड़े प्यार से मुझे अपने पास बुलाया..
तुम बड़े परेशान लग रहे हो क्या बात है मुझे बताओ... दीदी ने पूछा..
मुझे अब बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी बहन से क्या बात करूं.. मेरे मन में तरह-तरह के सवाल थे उनसे कैसे पूछूं.
ऊपर से मेरी रूपाली दीदी ने अपने बदन को ढकने का बिल्कुल भी प्रयास नहीं किया था मेरे वहां मौजूद होने के बावजूद भी... बार-बार चोर नजर से मैं अपनी दीदी के तने हुए हिमालय की चोटियों जैसे दोनों पर्वतों को देख रहा था... मेरी रूपाली दीदी को भी इस बात का एहसास था पर शायद उनके मन में था कि अब तक मैंने जो कुछ भी देखा है उसके आगे या तो कुछ भी नहीं...
अब क्या होगा दीदी.... मेरी लड़खड़ाते हुए अपनी दीदी से पूछा.. मेरा छोटा सा लंड भी अपना सर उठा रहा था...
अब कुछ नहीं होगा अंशुल... अब सब कुछ ठीक हो जाएगा... तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो.. हां इस बात का बिल्कुल ख्याल रखना कि यह बात किसी और को ना पता चले वरना हमारे परिवार की बहुत बदनामी होगी....... दीदी ने कहा...
पर दीदी... अगर उन लोगों ने फिर आपके साथ कुछ करने की कोशिश की तो हम लोग क्या करेंगे.. मेरी जुबान लड़खड़ा रही थी बोलते बोलते...
कुछ नहीं होगा अंशुल, तुम बेकार में चिंता कर रहे हो... असलम ने वादा किया है कि अब वह दोबारा ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे... और अगर उन लोगों ने कुछ प्रयास किया भी तो मैं अपने यहां के विधायक मिश्रा जी से शिकायत कर दूंगी.. वह दोनों को गिरफ्तार करवा देंगे..
मेरी रूपाली दीदी ने बड़ी सहायता से कहा..
मिश्रा जी रवि के पिताजी है.. हां दोस्तों रवि जिसने दिनेश के साथ मिलकर मेरी रूपाली दीदी की छत पर बैंड बजाइ थी...
पर दीदी... उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग का क्या... वह तो अभी भी उन लोगों के पास होगी... मैंने पूछा...

वह रिकॉर्डिंग अभी मेरे पास है... जब जुनैद और असलम सो गए थे थक कर तब मैंने वह रिकॉर्डिंग निकाल कर अपने पर्स में रख ली थी उस दिन जंगल में भी उन लोगों ने अपने मोबाइल में जो रिकॉर्डिंग की थी उसे भी मैंने डिलीट कर दिया.. वह लोग हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकते हैं... तुम्हारे जीजू के साथ मिलकर ही हमने यह प्लान बनाया था... बस बेकार में प्रियंका को भी.... बोलते बोलते मेरी रूपाली दीदी रुक गई..
 
अपनी बहन की चतुराई पर मुझे बेहद गर्व हुआ... मेरे सर से एक बोझ तो हल्का हुआ था... पर अभी भी बहुत सारी चिंताएं थी..
दीदी.. पर जुनैद के फार्म हाउस पर जो मजदूर काम कर रहे थे उन लोगों ने भी हमें अच्छे से पहचान लिया था... रामू चाचा याद है ना आपको.. जो आपकी शादी में 10 दिनों तक हमारे घर पर ही काम करता रहा था, वह भी मौजूद था वहां फार्म हाउस पर और उसने आपको और मुझे भी अच्छी तरह से पहचान लिया था... मैंने कहा...

हां अंशुल... तुम बिल्कुल सही कह रहे हो.. वहां पर वह बुड्ढा रामू चाचा भी था... और भी कई मजदूर थे जो हमें अच्छी तरह पहचानते हैं... पर तुम अपनी दीदी पर भरोसा रखो.. मैं कुछ ना कुछ ऐसा उपाय करूंगी कि वह लोग हमारा बाल भी बांका नहीं कर सकेंगे... मेरी रूपाली दीदी ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा और मुन्नी को बेड पर सुला दिया... वह फिर से सो चुकी थी... मेरी दीदी के बुलेट जैसे नुकीले निपल्स देखकर मेरा लंड अपने तेवर दिखा रहा था...
मेरी दीदी का आत्मविश्वास देखकर मुझे उन पर भरोसा होने लगा था पर फिर भी एक बात थी जो मैंने अभी तक अपनी बहन को नहीं बताई थी...
दीदी एक बात और कहना चाहता हूं मैं आपसे.. मैंने कहा..
मेरी रूपाली दीदी अपनी चूची को अपनी चोली के अंदर घुसाने का प्रयास कर रही थी...
बोलो अंशुल... और क्या बात करना चाहते हो... बोलते हुए मेरे दीदी ने अपनी चुचियों को अपने चोली में एडजस्ट कर दिया.. और अपनी चोली के बटन बंद करने लगी...
दीदी... आप जुनेद के फार्म हाउस पर मेरे साथ गई थी इस बात का पता मेरे अलावा मेरे दोस्त राजू को भी है... मैंने डरते हुए कहा..
राजू को? पर तुमने राजू को यह बात क्यों बताई,.. राजू तो एक नंबर का.... है... उसने तो यह बात पूरे गांव में फैला दी होगी...
मेरी दीदी के माथे पर चिंता की लकीरें उभरने लगी थी..

दीदी.... मैंने राजू को यह बात नहीं बताई.. बल्कि उसे खुद ही पता चला .... मैंने कहा..
पर कैसे.... दीदी ने पूछा...
उस दिन छत पर जब आप रवि और दिनेश के साथ............
उस दिन मैं और राजू वही अंदर वाले कमरे में लूडो खेल रहे थे... मैंने शरमाते हुए बोल ही दिया..
मेरी रूपाली दीदी का चेहरा तो शर्म के मारे लाल हो गया मेरी बात सुनकर... अपनी सगी बहन से इस तरह की बातें करते हुए मेरा लौड़ा भी हिचकोले खा रहा था...
उस दिन फोन पर जब आप जुनैद के साथ बात कर रही थी लाउड स्पीकर ऑन करके तब .......तब राजू में भी सुन ली थी पूरी बात...
मैंने बोल दिया..
मेरी रुपाली दीदी चिंतित होकर कुछ सोचने लगी.... कुछ देर सोचने के बाद दीदी ने कहा...
देख अंशुल... अब हमारे परिवार की इज्जत तुम्हारे हाथ में है.. तुम्हें राजू को समझाना ही होगा... वरना गांव में यह राज किसी को भी पता चला तो हम सबको डूब मरने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा... राजू तो तेरा सबसे अच्छा दोस्त है ना... दीदी ने कहा...
हां दीदी... मेरे मुंह से बस इतना ही निकला..
 
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