Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास - Page 12 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास

रमेश का मोबाइल बजने लगता है, और दोनो को अलग होना पड़ता है. कामया पूछ रही थी, कितना टाइम और लगेगा, तो रमेश जवाब देता है, तुम होटेल चली जाना, टाइम लगेगा, क्यूंकी तुम्हारी बेटी को फोटो सेशन से ही फ़ुर्सत नही है.
अब इससे पहले रमेश फिर से सोनी को पकड़ता वो नीचे उतरना शुरू कर देती है और मजबूरन रमेश को भी पीछे पीछे चलना ही पड़ता है.

उतरते हुए रमेश सोच रहा था कि अभी जो हुआ वो क्या था, क्या वो सोनी के साथ आगे बढ़ सकता है. ये सोच ही उसके लंड में तुफ्फान मचा देती है.

और सोनी सोच रही थी, कि रमेश को कामया से अलग करने के लिए से रमेश को अपने साथ रखना पड़ेगा, तभी विमल को मोका मिलेगा कामया को चोदने के लिए.

सोनी तो पहले ही तय कर चुकी थी,कि पहले विमल और फिर रमेश, और जब उसने देखा कि विमल कामया के लिए तड़पने लगा है, उसका इरादा और भी पक्का हो गया रमेश को अपनी ज़ुल्फो के जाल में लपेटने का और आजउसकी शुरुआत हो गई.

एक चुंबन ने वो रास्ता खोल दिया था जिसपे चल के रमेश उसकी तरफ बढ़ता चला आएगा.

रमेश से मोबाइल पे बात करने के बाद कामया घोड़े वाले को आगे बढ़ने के लिए बोल देती है.
करीब एक घंटा पैदल चलने के बाद सोनी और रमेश उस जगह पहुँचते हैं जहाँ उनका घोड़ा इंतेज़ार कर रहा था.
दोनो घोड़े पे बैठ जाते हैं और वो धीमी गति से नीचे उतरने लगते है.

सोनी जैसे ही घोड़े पे बैठती है उसे रमेश का खड़ा लंड अपनी गान्ड पे महसूस होता है और वो मन ही मन मुस्कुराने लगती है.
घोड़े की चाल ही रमेश के लंड को सोनी की गान्ड पे घिसने लगती है और रमेश बढ़ी मुश्किल से खुद पे काबू रखता है, कहीं झाड़ ना जाए,सोनी अपनी गान्ड पे रमेश के लंड की घिसाई का मज़ा लेती रहती है और बीच बीच में जान भुज कर अपनी गान्ड का दबाव उसके लंड पे डालती रहती है.

**********
 
उधर होटेल के कमरे में विमल और सुनीता एक दम नंगे एक दूसरे से चिपके हुए थे और चुंबनो का आदान प्रदान चल रहा था.
सुनीता पूरी तरहा से विमल को अपने अंदर समेट लेना चाहती थी, पता नही फिर कब मोका मिले, वैसे विमल के मोटे लंबे लंड ने उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ा के रख दी थी. आज उसे चुदाई का असली मज़ा मिला था.

सुनीता विमल के होंठों को चूसने के बाद उसके बदन के हर हिसे को चूमती है और उसके लंड तक आ जाती है, और पहले तो उसके ढीले लंड को अच्छी तरहा चाट के सॉफ करती है और फिर धीरे धीरे चूसने लगती है.

सुनीता के होंठों की गर्मी पा कर विमल का लंड अपनी औकात में आने लगता है और सुनीता के मुँह में फूलने लगता है. विमल के खड़े लंड को पूरा मुँह में भरना सुनीता के लिए मुश्किल हो जाता है.

फिर भी ना जाने कौन सी ताक़त से मजबूर करती है और वो अपने मुँह को पूरा खोल कर उसके लंड को अपने गले तक ले जाने लगती है, विमल को ऐसा लगता है जैसे किसी टाइट चूत में उसका लंड घुस गया हो और वो अपनी कमर चला कर सुनीता का मुँह चोदने लगता है.

सुनीता को साँस लेने में तकलीफ़ होने लगती है पर वो विमल के लंड को मुँह से बाहर नही निकालती और धीरे धीरे वो एक लय बना लेती है कि वो साँस भी लेती रहे और उसके लंड को अपने गले तक भी ले जाती रहे.

‘अहह माआआआसस्स्स्स्स्स्स्सिईईईईईईईईईईई’

विमल सिसकने लगता है और ज़ोर ज़ोर से अपना लंड सुनीता के मुँह में घुसाने लगता है.
सुनीता को इस तरहा तकलीफ़ होने लगती है, पर वो पीछे नही हट ती और विमल के लंड को चुस्ती रहती है .

ऊऊओह मेरा निकल नेवाला है’

चिल्लाता हुआ विमल अपना लंड सुनीता के मुँह से निकालने लगा पर सुनीता से वहीं जाकड़ लेती है और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगती है.
विमल अपनी चरम सीमा पे पहुँच चुका था, उसका लावा फूट पड़ता है और सुनीता के गले में उसकी पिचकारियाँ छूटने लगती है.

सुनीता उसकी एक एक बूँद गटक जाती है और उसकी बगल में लेट कर हाँफने लगती है.
विमल भी अपने आनंद को महसूस करता हुआ अपनी आँखें बंद कर लेता है.
कामया को घोड़ेवाला उस पॉइंट पे ड्रॉप कर देता है जहाँ से पिक अप किया था.
 
सोनी को मन ही मन गालियाँ देते हुए वो होटेल की तरफ बढ़ती है और 15 मिनट चलने के बाद वो होटेल पहुँच जाती है. अपने कमरे में जाने की जगह वो पहले विमल का हाल पता करना चाहती थी. जैसे ही वो विमल के कमरे के पास पहुँचती है, तो दरवाजे को अंदर से बंद पाती है.

तभी उसके कानो में कमरे से आती हुई सिसकियाँ गूंजने लगती हैं और उसे ये समझने में देर नही लगती कि अंदर क्या हो रहा होगा.
कामया के पैर वहीं जम जाते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, एक डर उसके दिलोदिमाग में गूंजने लगता है.

भारी मन से वो अपने कमरे में जाती है और रमेश की वाइन बॉटल निकाल कर अपने लिए ग्लास बना कर कुर्सी पे बैठ जाती है और सोचों में खो जाती है.
धीरे धीरे वाइन सीप करती रहती है और सोचती रहती है. सुनीता ने रमेश को हाथ भी नही लगाने दिया पर विमल के साथ तो चुदवा रही है.

कहीं सुनीता, विमल को उससे छीन ना तो नही चाहती, कामया की आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं, इतने सालों से उसने विमल को अपने बड़े बेटे की तरहा पाला और प्यार दिया, अब वो उसके बिना एक दिन भी नही रह सकती थी.

कामया को वो पल याद आने लगते हैं जब विमल उसके करीब आने की कोशिश कर रहा था और उसने मना कर दिया था.
अगर पता होता कि सुनीता एक माँ हो कर अपने बेटे से चुदवा सकती है तो कामया तो बहुत पहले चुद लेती, क्यूंकी असल में तो वो विमल की मासी है, दुनिया को दिखाने के लिए ही वो उसकी माँ है.

कामया फ़ैसला कर लेती है कि वो विमल को अपने से दूर नही जाने देगी, अगर उसे अपने पास रोकने का रास्ता उसकी चूत है तो वो भी उसे मंजूर है. और विमल की इच्छा भी पूरी हो जाएगी से चोदने की. अब वो विमल को अपने वो जलवाए दिखाएगी कि वो सिर्फ़ उसके आगे पीछे ही घूमेगा.

अपने दिल में ये फ़ैसला कर वो रात को विमल के पास रुकने का मन बना लेती है.
उसे क्या पता था कि उसके इस फ़ैसले से रमेश और सोनी कितना खुश होंगे – उन्हें भी रात साथ में बिताने का मोका मिलजाएगा.

असल में जब कामया होटेल पहुँची थी, उस वक़्त विमल और सुनीता का तीसरा दौर चल रहा था और विमल ने सुनीता के सारे कस बल ढीले कर दिए थे. अब तो वो घोड़े बीच कर सोएगी, क्यूंकी अब एक बार भी चुदना उसके बस में नही रहा था. जैसे ही इनका तीसरा दौर ख़तम होता है, वो विमल को कपड़े पहनने में मदद करती है और अपने कपड़े पहन कर सीधा उस कमरे में जाती है जो उसके और सोनी के लिए था और बिना खुद को सॉफ करे बिस्तर पे ढेर हो जाती है. विमल ने उसे इतना सुख दिया था जितना से कभी नही मिला था. कोई भी सुनीता को उस वक़्त देख लेता तो समझ जाता कि अच्छी तरहा चुदि है.

रात के खाने की परवाह ना करते हुए सुनीता अपने आनंद की अनुभूति को अपने अंदर समेटे हुए नींद के आगोश में चली जाती है.
 
इधर विमल भी उसे 3 बार चोद कर कुछ थक चुका था , वो भी सो जाता है.

सोनिया और रमेश जब होटेल पहुँचते हैं तो रमेश सोनी से कहता है कि वो बार में जा रहा है, सोनी ज़िद करती है कि वो भी साथ में चलेगी. रमेश को और क्या चाहिए था, वो मान जाता है

बार में कोने की टेबल खाली मिलती है और दोनो वहाँ बैठ जाते हैं. सोनी रमेश के साथ ही अंदर की तरफ बैठ ती है और बिल्कुल दीवार के साथ कोने में होती है, ताकि अगर रमेश उसके साथ कोई हारकर करे तो किसी को नज़र ना आए.
रमेश अपने लिए डबल लार्ज स्कॉच मँगवाता है और सोनी अपने लिए बियर मँगवाती है.

दोनो चियर्स करते हैं और हल्के हल्के सीप लेते हैं. रमेश अपने खाली हाथ से सोनी की जाँघ को टेबल के नीचे सहलाने लगता है.

सोनी : क्या इरादा है, ये क्या हो रहा है? ( बहुत धीरे से फुसफुसाती है)

रमेश : जब साथ में कोई इतनी खबसूरत लड़की बैठी हो तो हाथ भटकने लगता है.

सोनी : अच्छा तो आज में खूबसूरत हो गई? अब तक खूबसूरत नही लगती थी क्या?

रमेश : लगती तो थी, पर कभी ध्यान नही दिया

सोनी : तो आज ऐसा क्या हो गया जो इस लड़की पे आपका ध्यान जा रहा है – वैसे आप भूल रहे हो – ये लड़की आपकी बेटी है

रमेश दो पल के लिए चुप रह जाता है, उसे समझ में नही आता कि क्या जवाब दे और अपना हाथ उसकी जाँघ से हटा कर एक ही घूँट में अपना पेग खाली कर लेता है और दूसरा मंगवा लेता है.

रमेश की हालत देख कर सोनी उसका हाथ फिर से अपनी जाँघ पे रख लेती है और रमेश उसे देखता रह जाता है. सोनी के चेहरे पे एक कुटिल कामुक मुस्कुराहट फैली हुई थी.

सोनी : हाथ क्यूँ हटा लिया? अच्छा लग रहा था.

रमेश से रहा नही जाता वो कस के सोनी की जाँघ को दबा देता है.

अहह सोनी सिसक पड़ती है

सोनी : आप बहुत गंदे हो

रमेश : क्यूँ?

सोनी : इतनी ज़ोर से भी कोई दबाता है, निशान पड़ गया होगा.

अब रमेश,पीछे से उसकी कमर में बाँह डाल कर अपने से चिपका लेता है.

सोनी : उम्म्म्ममम मत करो ना, कुछ होता है?

सोनी अपनी बातों से रमेश को भड़काती ही जा रही थी.
 
तभी रमेश देखता है कि सामने वाली टेबल पे एक अंग्रेज जोड़ा खुले आम किस करने में लगा हुआ था.
रमेश ये देख कर खुलने लगता है और वो भी, सोनी को अपनी तरफ खींच कर उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है.

सोनी उम्म्म्म करती रह जाती है, उसने सपने में भी नही सोचा था कि रमेश खुले आम शुरू हो जाएगा. डर के मारे वो पसीने से तरबतर हो जाती है, कि कहीं कोई आ कर देख ना ले.उसे डर था तो सिर्फ़ कामया से, कि कहीं वो बार में आ कर ना देख ले.
रमेश उसके होंठों को खोलने की कोशिश करता है, पर सोनी डर के मारे नही खोलती.

फिर रमेश का एक हाथ सोनी के उरोज़ पे चला जाता है और वो उसे ज़ोर से मसल देता है.
सोनी चीखने के लिए होंठ खोलती है और रमेश की ज़ुबान अंदर घुस जाती है.

अब रमेश उसके उरोज़ को मसल्ते हुए उसके होंठ चूसने लगता है. सोनी भी गरम हो जाती है और रमेश का साथ देने लगती है. उसकी पैंटी गीली होनी शुरू हो जाती है.

रमेश पागलों की तरहा सोनी के होंठ चूसने लग जाता है और सोनी का दम घुटने लगता है, वो कांप जाती है, अभी ये हाल है तो चुदाई कैसी होगी, मुश्किल से खुद को रमेश से छुड़ाती है और हाँफने लगती है.

सोनी : मैं माँ को विमल के पास भेज रही हूँ और…

बस इतना इशारा दे कर सोनी वहाँ से चली जाती है.

जब सोनी अपने कमरे में पहुँचती है तो जिस तरहा से सुनीता सोई पड़ी थी, उसे समझने में देर नही लगती, कि भाई ने अपना कमाल दिखा दिया है.

सोनी बाथरूम में जा कर फ्रेश होती है, एक बाट छोटी लिंगेरी पहन कर उसके उपर एक गाउन पहन लेती है और रमेश के कमरे में जाती है.

वहाँ पहुँच कर देखती है कि कामया पूरी वाइन की बॉटल ख़तम कर चुकी थी और अपने ख्यालों में गुम थी.
सोनी पीछे से कामया के गले में अपनी बाहों का हार डालती है और बातें छेड़ती है.

सोनी : क्या हुआ मोम, पूरी बॉटल चढ़ा ली?
कामया होश में आती है

कामया : कब आए तुम लोग, इतनी देर लगती है क्या?

सोनी : डॅड तो बार में चले गये और मैं अपने रूम में, मासी तो गहरी नींद में सो रही है. आज आप भाई के रूम में सो जाओ ना, मैं बहुत थक गई हूँ, कल मैं भाई को देख लूँगी.
कामया को और क्या चाहिए था, झट से तयार हो जाती है.
 
कामया : ठीक है मैं उसके रूम में जा रही हूँ, देखूं तो सही उसकी क्या हालत है , कुछ खाया भी है या नही? तू जा कर अपने रूम में सो जा, और जो खाना हो मंगवा लियो.

इतना कह कर कामया विमल के रूम में चली जाती है और सोनी थोड़ा इंतेज़ार कर दरवाजा बंद कर देती है और अपना गाउन उतार कर रमेश / कामया के बिस्तर में लेट जाती है.
कामया जब विमल के कमरे में जाती है तो सारा कमरा चुदाई की महक से भरा हुआ था, जिसकी वजह से कामया और भी उत्तेजित हो जाती है. उसकी चूत तो ये सोच सोच कर रिस रही थी, कि आज वो विमल का लंड लेगी.
विमल सोया पड़ा था.
कामया उसके साथ लेट जाती है और प्यार से उसके सर पे हाथ फेरने लगती है.
विमल की नींद टूट जाती है.
‘अरे माँ तुम कब आई’
‘बस अभी थोड़ी देर पहले- तेरा दर्द कैसा है अब’
‘ठीक हूँ माँ – मर्द को दर्द नही होता’
‘बढ़ा आया मर्द – देखती हूँ कितनी मर्दानगी है तेरे में’
विमल चोंक जाता है, कि कामया ने अभी क्या बोला, कुछ कह नही पाता और चुप ही रहता है.
‘तूने खाना खा लिया?’
‘अभी नही – नींद आ गई थी तो….’
‘एक तो चोट लगा बैठा ….. उपर से खाना भी नही खाया………अभी मँगवाती हूँ………पहले खाना खा’
विमल सोचने लगता है ---- पहले खाना खा और बाद में?
खैर कामया रूम सर्विस से अपने और उसके लिए नोन वेग खाने के साथ एक वाइन की बॉटल भी मंगवा लेती है.
विमल जब वाइन की बॉटल का ऑर्डर देते हुए सुनता है तो और भी हैरान हो जाता है.
खाना थोड़ी देर में आ जाता है

कामया वाइन की बॉटल खोलती है और दो ग्लास में डालती है. विमल फटी आँखों से उसकी तरफ देखता रहता है.
कामया एक ग्लास उसकी तरफ बढ़ाती है, विमल तो बस देखता ही रहता है, उसे यकीन नही हो रहा था कि कामया उसके साथ ड्रिंक करना चाहती है.
‘ऐसे क्या देख रहा है, पकड़ ना, मुझे पता है तू पीता है, आज मेरे साथ पीले’
विमल उसके हाथ से ग्लास पकड़ लेता है, दोनो चियर्स करते हैं और विमल जब तक कामया एक सीप लेती, अपना ग्लास खाली कर देता है. कामया तो पहले ही से एक बॉटल पी चुकी थी, वो आराम आराम से सीप लेती है और विमल का ग्लास फिर भर देती है.
‘आराम से यंग मॅन, इतनी जल्दी भी ठीक नही’
विमल भी अब हल्की हल्की चुस्कियाँ लेता है. दोनो एक दूसरे को देखते हुए वाइन का ग्लास ख़तम करते हैं.
कामया की आँखें लाल सुर्ख हो चुकी थी, वाइन उसपे अपना असर दिखा रही थी.
दोनो फिर खाना ख़तम करते हैं. और खाना ख़तम होने के बाद कामया उठ के खड़ी होती है और अपना नाइट गाउन उतार देती है. अंदर उसने छोटी लिंगेरी पहनी हुई थी. पारदर्शी लिंगेरी से उसके उन्नत उरोज़ सॉफ सॉफ झलक रहे थे और लिंगेरी मुश्किल से उसकी पैंटी तक ही आ रही थी.
कामया के इस रूप को देख विमल का लंड छलांगे मारने लगता है और आँखें उसके सौंदर्या का रस पान करने में व्यस्त हो जाती हैं.
अब कामया उसके साथ उसकी बगल में आ कर बैठ जाती है और वाइन का एक ग्लास बना कर उसके होंठों से लगाती है. विमल के हाथ अपने आप उसकी जाँघो को सहलाने लगते हैं. उसके स्पर्श से कामया अंदर तक हिल जाती है.

कामया एक घूँट उसको पिलाती और एक घूँट खुद पीती. जब तक वाइन का ग्लास ख़तम होता दोनो एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं और वाइन का मज़ा लेते रहते हैं. इस पूरे समय में विमल उसकी जाँघ सहलाता रहता है.

कामया ने उसे बिल्कुल नही रोका और विमल की हिम्मत बढ़ती रही, पहले विमल बस उपर से उसकी जांघे सहला रहा था अब उसने जांघों के अन्द्रुनी हिस्से को भी सहलाना शुरू कर दिया. कामया ने अपनी टाँगें थोड़ी और खोल ली ताकि विमल को आसानी हो उसकी जांघे सहलाने में, विमल उसे सहलाता रहा और कामया की पैंटी गीली होती रही.
 
कामया ने अब सीधा बॉटल उठाई और एक घूँट मुँह में भर लिया. विमल उसे देखता रहा कि वो क्या कर रही है. अपने मुँह में वाइन भर के कामया ने अपनी नशीली आँखों से से देखा और अपने होंठ उसके होंठों के करीब ले गई.

विमल से और बर्दाश्त नही हुआ उसने कामया के चेहरे को अपने हाथ में थाम लिया और अपने होंठ उसके होंठ के साथ चिपका दिए.

विमल ने जैसे ही अपने होंठ खोले कामया ने उसके मुँह में वाइन उडेल दी जो उसने अपने मुँह में भर रखी थी, विमल ने वाइन को अपने मुँह में घुमाया और फिर कामया के मुँह में उडेल दी, दोनो इसी तरहा अपने होंठ चिपकाए हुए ये खेल खेलते रहे और फिर दोनो ने ही थोड़ी थोड़ी वाइन पी ली और फिर शुरू हुआ दोनो का एक दूसरे के होंठों को चूसना एक दूसरे की ज़ुबान को चूसना.

समय जैसे इन दोनो के लिए रुक गया था. दोनो की साँसे एक दूसरे में घुल रही थी. विमल को अपनी माँ को चूमने में मज़ा आ रहा था और कामया को अपने बेटे को चूमने में.

रिश्ते की दीवार ढह जाती है, और जिस्म एक दूसरे से मिलने के लिए तड़पने लगते हैं.
दोनो को जो मज़ा मिल रहा था एक दूसरे के होंठों का रस पीने में वो ब्यान नही किया जा सकता.
दोनो एक दूसरे में खोए रहते हैं जब तक दोनो की साँसे उखाड़ने नही लगती जब मजबूरन दोनो को अपने होंठ एक दूसरे से अलग करने पड़ते हैं और दोनो ही हान्फते हुए अपनी साँसे संभालने लगते हैं.

‘थॅंक यू मोम, आज आपने मुझे सबसे बढ़ी ख़ुसी दे दी’

‘थॅंक यू किस बात का, ये तो तेरा हक़ है’

‘तो फिर आपने मुझे पहले क्यूँ रोका था’

‘वो मेरी ग़लती थी, मुझे माफ़ नही करेगा क्या?’

कामया के आँसू छलक जाते हैं. उसके आँसू देख विमल तड़प जाता है और कामया को अपनी बाहों में भर उसके आँसू चाटने लगता है.

‘नही माँ, अब कभी मत रोना, जब तक मैं हूँ, तुम्हें कभी रोने नही दूँगा------ तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूँगा’

विमल की बाँहों में कामया को अंजाना सकुन मिलता है और वो तड़प कर उसके सीने से चिपक जाती है.

विमल के हाथ कामया की पीठ पे घूमने लगते हैं और कामया की सिसकियाँ निकलने लगती हैं. वो भी अपनी बाँहें विमल की पीठ पे ले जा कर उसे कस के अपने से चिपकाती है, उसके उरोज़ विमल की छाती में धसने लगते हैं.
‘आइ लव यू मोम’ कह कर विमल फिर कामया के होंठ चूमने लगता है.

उूुुुउउम्म्म्ममममममम

कामया की सिसकियाँ अब विमल के मुँह में दबी रह जाती हैं.
अचानक विमल के मन में कुछ आता है वो, कामया से अलग होता है और वाइन की बॉटल थम कर कामया का हाथ पकड़ उसे अपनी तरफ खींचता है, कामया खींचती चली जाती है, विमल अपने कमरे की लॉबी का दरवाजा खोलता है और कामया को ले कर बाहर खुले में आ जाता है.
 
दूर सामने नैनी लेक दिख रही थी, आसमान बिल्कुल सॉफ था और तारे टिमटिमा रहे थे, पहाड़ों की ठंडी ठंडी हवा चल रही थी.
कामया सिहर उठती है कि कहीं कोई दूसरे कमरे का शक़्स देख ना ले, कहीं रमेश अपने कमरे की लॉबी में ना आ जाए. डर के मारे उसे पसीना आने लगता है, वो इल्तिजा भरी नज़रों से विमल को देखती है.

विमल उसे अपने और करीब लाता है और उसके कान में फुसफुसाता है.

‘मुझ पे भरोसा रखो, डरो मत, इस समाँ का लुत्फ़ उठाओ’

चाहे कामया उसके साथ चुदवाने का मन बना के आई थी, फिर भी नारी लज्जा हमेशा आड़े आती ही रहती है और शर्म से उसका चेहरा नीचे झुक जाता है.

अब विमल वो खेल शुरू करता है जो पहले कामया ने किया था.
वो अपने मुँह में वाइन भर लेता है और बॉटल लोब्बली में पड़ी टेबल पे रख कर कामया को अपनी बाँहों में ले कर उसके लबों पे अपने लब रख देता है.

कामया का जिस्म रोमांच से भर उठता है,खुले आसमान के नीचे यूँ इस तरह किसी की बाँहों में चूमे जाना वो पहली बार महसूस कर रही थी. और चूमने वाला कोई और नही उसका बेटा था ये सच्चाई और भी उसके जिस्म की संवेदना को बढ़ा रही थी.

जैसे ही विमल के होंठ उसके होंठों को छूते हैं उसके होंठ खुल जाते हैं और फिर शुरू होता है लंबा किस जिसमे वो एक दूसरे के मुँह में वाइन उडेलते रहते हैं और फिर पी जाते हैं.

विमल के साथ इतना रोमांच आएगा, कामया ने कभी कल्पना ही नही करी थी, और आज वो पछता रही थी, कि क्यूँ उसने ये सुख पहले नही उठाया.

कामया को यूँ महसूस हो रहा था जैसे विमल उसकी भावनाओं को एक बंद गुलाब की तरहा धीरे धीरे खोल रहा हो, उसके जिस्म का रोया रोया विमल से प्यार करने लगा था. कहीं कोई उत्तावलापन नही था, बिल्कुल एक ठहरे हुए इंसान की तरहा विमल कामया के जिस्म में तरंगों की बरसात कर रहा था, जिसकी वजह से कामया की चूत ने मचलना शुरू कर दिया था.
एक घंटे तक दोनो का यही खेल चलता रहता है और वाइन की बॉटल ख़तम हो जाती है.

विमल अब उसके होंठ छोड़ कर उसकी गर्दन को चाटने और चूमने लगता है और कामया उसके साथ चिपकती चली जाती है. विमल अपनी ज़ुबान उसके गले से फेरते हुए उसके उरोजो की घाटी में ले आता है.

ऊऊऊऊहह वीीईईईईईईईईइइम्म्म्ममममम्मूऊऊुउउ

कामया ज़ोर से सिसक पड़ती है, उसका सारा डर गायब हो चुका था, रह जाता है तो बस वो अहसास जो विमल की ज़ुबान उसके जिस्म को दे रही थी.

विमल उसके जिस्म की एक एक तार को छेड़ रहा था, कामया को ऐसा लग रहा था जैसे उसके जिस्म में संगीत बज रहा हो.

इतना आनंद , इतना सुख उसने अपने पूरे जीवन में महसूस नही किया था. वो रमेश और विमल के प्यार करने के बीच तुलना करने लगती है.
 
जहाँ रमेश के प्यार करने के तरीके में एक पागलपन था, वहीं विमल से कामशाश्त्र का प्रखंड पंडित लग रहा था. अब तक तो रमेश से चोद कर सो जाता, पर विमल तो इतनी देर से सिर्फ़ होंठों के रस को ही प्राथमिकता देता रहा था, अब भी उसके हाथ उसके उरोजो से दूर थे, और वो अंदर ही अंदर तड़प रही थी कि कब वो उसके उरोजो पे ध्यान देगा.

कहाँ वो विमल को अपने जिस्म का गुलाम बनाने आइी थी, कहाँ वो उसकी गुलाम बनती जेया रही थी.


ऊऊओह ववववववीीईईईईईईईइइम्म्म्ममममम्मूऊऊुुउउ
कहाँ था तू अब तक. लव मी सन, लव मी
उूउउम्म्म्ममममममममम आआआआअहह

कामया की सिसकियाँ ज़ोर पकड़ रही थी, वो अपने आप में नही थी, बस जल्द से जल्द विमल को अपने अंदर समेटना चाहती थी, पर विमल था कि धीरे धीरे उसके हर अहसास हर कामना और हर छुपी हुई इच्छा को बाहर निकाल रहा था.
दूर नैनी लेक में चाँद का प्रतिबिंब अपनी ही क्रीड़ा कर रहा था

किसी कवि ने कहा है


चारु चंद्र की चंचल किरणें,
खेल रहीं थीं जल थल में।
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई थी,
अवनि और अम्बर तल में।
पुलक प्रकट करती थी धरती,
हरित तृणों की नोकों से।
मानो झूम रहे हों तरु भी,
मन्द पवन के झोंकों से।

कुछ ऐसी ही दशा थी इस वक़्त कामया की.
बिना उसकी चूत को हाथ लगाए, बिना उसके उरोज़ को छुए, विमल उसे उन वादियों में ले जाता है, कि वो खुद को एक चंद्र किरण महसूस करने लगती है जो नैनी झील की सतह पे अठखेलियाँ कर रही हो.

कामया को पता ही नही चलता कब विमल उसकी लिंगेरी को उतार देता है, और वो मात्र पैंटी में उसकी बाहों में छुई मुई की तरहा लरजती जा रही थी.

जब विमल के होंठ उसके निपल को छूते हैं

आआआआआआअहह

यूँ लगता है जैसे घनघोर गर्जना हो रही हो और कामया की चूत अपने अंदर से एक उफ्फनति हुई नदी के बाँध को रास्ता दिखा देती है.

इतना भयंकर ओर्गसम वो भी बिना चुदे.

कामया लग भग बेहोश हो कर लहराने लगती है की विमल उसे अपनी बाहों में जाकड़ लेता है और उसे उस सैलाब से गुजरने देता है जिसकी रचना सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके दिल में बसे कामया के प्रेम ने की थी.

कामया धीरे धीरे होश में आती है, उसे लगभग आधा घंटा लग जाता है उस आनंद को महसूस करने में उसे अपने अंदर समेटने में जो विमल ने उसे दिया था, उसकी पैंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि पहन कर रखना असंभव हो गया था, उसकी चूत से इतना रस बहा था कि टाँगों से होता हुआ नीचे फर्श पे फैल गया था .

कामया के जिस्म में अभी भी थरथराहट थी. वो प्यार भरी नज़रों से विमल को देखती ही जा रही थी और विमल अपनी आँखें बंद किए बस उसे सीने से लिपटाये खड़ा था. जब कामया के जिस्म में हरकत शुरू ही तो विमल ने अपनी आँखें खोल कर उसकी तरफ देखा कामया की नज़रों में बस प्यार ही प्यार भरा हुआ था.

विमल उसके चेहरे पे झुक कर उसकी आँखों को चूमता है और नीचे झुक कर उसकी गीली पैंटी उसके जिस्म से अलग कर देता है. अब कामया पूरी तरहा से नग्न उसकी बाँहों में थी. कामया की सफाचाट चूत कुलबुलाती हुई उसे अपनी ओर खींच रही थी, पर उसके मन में अभी कुछ और था.
 
कामया अब विमल के जिस्म के स्पर्श को महसूस करना चाहती थी, वो विमल के कपड़े उसके जिस्म से अलग करना शुरू कर देती है, बस रह जाता है तो उसका अंडरवेर जिसमे बना तंबू, कामया को बता रहा था कि अंदर छुपा लंड उसकी धज्जियाँ उड़ा देगा, क्यूंकी वो रमेश के लंड से भी बड़ा और मोटा महसूस हो रहा था.

कामया से रहा नही जाता , वो उपर से उसके लंड को महसूस करती है, और अंदर ही अंदर हिल जाती है, ये सोच कर कि कैसे सोनी की कुँवारी चूत ने ये लंड लिया होगा.

एक तड़प उसके जिस्म में भर जाती है और वो फट से विमल का अंडरवेर नीचे खींच देती है, जिसे विमल खुद अपनी टाँगों से अलग कर देता है. अपने काँपते हाथों से वो विमल के लंड को पकड़ लेती है और उसकी लंबाई और मोटाई, उसकी रंगत में खो के रह जाती है.

कामया के होंठ उसके लंड की तरफ बढ़ने लगे, पर विमल उसे खींच कर खड़ा कर देता है और अपने जिस्म से छिपा लेता,है, कामया को अच्छा नही लगता कि विमल ने उसे वो नही करने दिया जो वो चाहती थी, उसके लंड को चूमना, चाट्ना, चूसना.

अपना गुस्सा दिखाने के लिए वो विमल के लंड को सख्ती से पकड़ कर दबाती है और विमल अहह भर उठता है.

विमल कामया को वहीं बाल्कनी में, खुले आसमान के नीचे अपनी गोद में बिठा लेता है इस तरहा की कामया की आँखें सामने झील को देखती हैं और उसकी पीठ विमल की तरफ होती है. और विमल का लंबा लंड कामया की जांघों के बीच उसकी चूत से सटा होता है. कामया अपनी जांघे भीच लेती है और उसके लंड को अपनी चूत से रगड़ने लगती है.

पूरे खिले चाँद की चांदनी में कामया का जिस्म दमक रहा था, विमल अपने होंठ कामया की गर्दन पे रख उसे धीरे धीरे चूमने लगता है और अपने दोनो हाथ आगे ले जा कर कामया के दोनो उरोज़ थाम लेता है. और धीरे धीरे उनपे हाथ फेरने लगता है. वो कामया को एक नाज़ुक फूल की तरहा की तरहा प्यार कर रहा था और कामया के जिस्म में अनगिनत तरंगे लहरा रही थी. उसके प्यार करने का तरीका कामया के रोम रोम को सुलगा रहा था. कमाया को समझ नही आ रहा था कैसे एक नौजवान लड़का इतना धैर्य रख सकता है. और विमल का धैर्य कामया को नई उँचाइयों की तरफ ले जा रहा था. उसका एक एक चुंबन जो वो अपनी गर्दन और पीठ पे महसूस कर रही थी उसे हर बार सिसकने पे मजबूर कर रहा था.

उत्तेजना के मारे कामया पागल सी हो रही थी, अपनी जांघों में फँसे उसके लन्ड़ को रगड़ रही थी. हर पल उसका दिल चाह रहा थी कि विमल कस के उसके उरोजो को मसलना शुरू कर दे,पर वो बस धीरे धीरे हाथ ही फेर रहा था, जब उसकी उंगलियाँ कामया के तने हुए निपल्स को छू कर नीचे उतरती तो कामया तड़प कर रह जाती.

जब कामया से और ना सहा गया तो खुद उसके अपने हाथ विमल के हाथों पे आ गये और कस के अपने उरोजो को दबा दिया .
 
Back
Top