hotaks444
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उसके बाद मेने रामा को तैयार होने के लिए कहा….जब उसने पूछा कि कहाँ जाना है तो, मेने उसे बताया कि तुम्हारे लिए नये कपड़े खरीदने है..जेठ जी मुझे 50000 रुपये देकर गये थे….मेरी बात सुन कर सोनिया भी ज़िद्द करने लगी साथ जाने के लिए……
फिर हम चारो ऑटो पकड़ कर मार्केट पहुच गये….वहाँ पर ढेर सारी शॉपिंग की, आज रामा और सोनिया के चेहरे पर ख़ुसी देखते ही बनती थी. मेने कई बार गौर क्या कि, अमित दोनो की बहुत मदद कर रहा था…..और वो इतने कम समय में ही दोनो से बहुत घुल मिल गया था…..कॉन सी ड्रेस अच्छी है…कॉन सा सूट रामा पर जचे गा….वागेहरा-2 यहा तक कि कपड़ो का भाव तोल भी अमित ने किया……..में उसे बार-2 देख रही थी…..और मन में यही सोच रही थी कि, काश मेरा भी अमित जैसा बेटा होता….
तो वो अपनी बहनो की इसी तरह मदद करता….सुख दुख में उनका साथ देता…हमने रामा की शॉपिंग के साथ-2 सोनिया के लिए भी कुछ ड्रेस खरीद ली. उसके बाद हम चारो ने बाहर होटेल में ही खाना खाया…..रात के 8 बज चुके थे……और और फिर हम घर वापिस आ गये…..
भले ही में रामा की शादी में कोई ताम झाम नही कर रही थी. पर फिर भी शादी के कुछ रीतिरिवाज करने के लिए अमित मदद को हर समय तैयार रहता. आख़िर वो दिन भी आ गया…..जिसका मुझे बेसबरी इंतजार था….जिसका हर माँ बाप को होता है, कि उनकी बेटी-2 शादी करके खुशी-2 अपनी ससुराल जाए….हम तैयार होकर सीधा मंदिर में पहुच गये….वहाँ पर मेरे जेठ जेठानी और उनके बच्चे और उनके जीजा और बेहन, और उनका बेटा जिससे रामा की शादी होनी थी….वो सब पहले से माजूद थे………और उनके साथ कुछ और लोग भी थे….
मंदिर के पीछे एक हाल था.बहुत ज़्यादा बड़ा तो नही….पर ठीक ठाक था. अमित ने हम सबसे वहाँ चलने के लिए कहा…..जैसे ही हम वहाँ पहुचे तो, मुझे यकीन ही नही हुआ….सामने मेरे बेटी का मंडप सज़ा हुआ था. एक तरफ टेबल पर खाने पीछे का समान था……..मेने अमित की तरफ हैरान होते देखा. तो उसने मुस्कुराते हुए सर हिला दिया…..रामा को और उसके होने वाले पति को मंडप में बैठा दिया गया……पंडित ने अपने मंतर पढ़ने शुरू कर दिए…. कुछ वेटर भी थे…जो सब को खाने वाली डिशस परोस रहे थे…..
में जब थोड़ा फ्री हुई तो, में अमित के पास गयी…..और अपनी नम आँखों से उससे पूछा………”:ये सब तुमने कब किया अमित” उस पर अमित ने मुस्करा कर कहा…
अमित: आंटी जी आप तो जानती ही हो…मेरा इस दुनिया में कोई नही है……और में ऐसा मोका कैसे छोड़ देता…अब मेरा कोई है तो नही जिसकी शादी में कोई मदद करता….सो बस दिल किया और मेने अपनी तरफ से ये छोटी से कॉसिश करदी.
मेने अमित के बारे में जैसे सोचा था, सब उसके उलट हो रहा था…..अब में उस पर और भरोसा करने लगी थी..उसने सब अरेंज्मेंट बहुत अच्छे से किया था……शादी हो चुकी थी……..बेटी को भरे दिल से विदा करने के बाद हम लोग घर वापिस आ गये…..
पर आज घर में कुछ कमी लग रही थी…रामा के घर में ना होने से पूरा घर सुना-2 लग रहा था. अमित अपने रूम में चला गया. हम वहाँ से खाना साथ लेकर आए थे…इसीलिए खाना बनाने की ज़रूरत नही थी..मेने खाना लगाया और प्लेट में खाना लेकर अमित के रूम की तरफ जाने लगी. पर अभी उसके रूम की तरफ बढ़ ही रही थी कि, में रुक गयी. और फिर से वापिस आकर सोनिया और रामा के रूम में चली गयी..जिसमे अब सिर्फ़ सोनिया को ही रहना था. मेने वहाँ खाने की प्लेट रखी, और फिर अमित के रूम की तरफ चली गयी.
फिर हम चारो ऑटो पकड़ कर मार्केट पहुच गये….वहाँ पर ढेर सारी शॉपिंग की, आज रामा और सोनिया के चेहरे पर ख़ुसी देखते ही बनती थी. मेने कई बार गौर क्या कि, अमित दोनो की बहुत मदद कर रहा था…..और वो इतने कम समय में ही दोनो से बहुत घुल मिल गया था…..कॉन सी ड्रेस अच्छी है…कॉन सा सूट रामा पर जचे गा….वागेहरा-2 यहा तक कि कपड़ो का भाव तोल भी अमित ने किया……..में उसे बार-2 देख रही थी…..और मन में यही सोच रही थी कि, काश मेरा भी अमित जैसा बेटा होता….
तो वो अपनी बहनो की इसी तरह मदद करता….सुख दुख में उनका साथ देता…हमने रामा की शॉपिंग के साथ-2 सोनिया के लिए भी कुछ ड्रेस खरीद ली. उसके बाद हम चारो ने बाहर होटेल में ही खाना खाया…..रात के 8 बज चुके थे……और और फिर हम घर वापिस आ गये…..
भले ही में रामा की शादी में कोई ताम झाम नही कर रही थी. पर फिर भी शादी के कुछ रीतिरिवाज करने के लिए अमित मदद को हर समय तैयार रहता. आख़िर वो दिन भी आ गया…..जिसका मुझे बेसबरी इंतजार था….जिसका हर माँ बाप को होता है, कि उनकी बेटी-2 शादी करके खुशी-2 अपनी ससुराल जाए….हम तैयार होकर सीधा मंदिर में पहुच गये….वहाँ पर मेरे जेठ जेठानी और उनके बच्चे और उनके जीजा और बेहन, और उनका बेटा जिससे रामा की शादी होनी थी….वो सब पहले से माजूद थे………और उनके साथ कुछ और लोग भी थे….
मंदिर के पीछे एक हाल था.बहुत ज़्यादा बड़ा तो नही….पर ठीक ठाक था. अमित ने हम सबसे वहाँ चलने के लिए कहा…..जैसे ही हम वहाँ पहुचे तो, मुझे यकीन ही नही हुआ….सामने मेरे बेटी का मंडप सज़ा हुआ था. एक तरफ टेबल पर खाने पीछे का समान था……..मेने अमित की तरफ हैरान होते देखा. तो उसने मुस्कुराते हुए सर हिला दिया…..रामा को और उसके होने वाले पति को मंडप में बैठा दिया गया……पंडित ने अपने मंतर पढ़ने शुरू कर दिए…. कुछ वेटर भी थे…जो सब को खाने वाली डिशस परोस रहे थे…..
में जब थोड़ा फ्री हुई तो, में अमित के पास गयी…..और अपनी नम आँखों से उससे पूछा………”:ये सब तुमने कब किया अमित” उस पर अमित ने मुस्करा कर कहा…
अमित: आंटी जी आप तो जानती ही हो…मेरा इस दुनिया में कोई नही है……और में ऐसा मोका कैसे छोड़ देता…अब मेरा कोई है तो नही जिसकी शादी में कोई मदद करता….सो बस दिल किया और मेने अपनी तरफ से ये छोटी से कॉसिश करदी.
मेने अमित के बारे में जैसे सोचा था, सब उसके उलट हो रहा था…..अब में उस पर और भरोसा करने लगी थी..उसने सब अरेंज्मेंट बहुत अच्छे से किया था……शादी हो चुकी थी……..बेटी को भरे दिल से विदा करने के बाद हम लोग घर वापिस आ गये…..
पर आज घर में कुछ कमी लग रही थी…रामा के घर में ना होने से पूरा घर सुना-2 लग रहा था. अमित अपने रूम में चला गया. हम वहाँ से खाना साथ लेकर आए थे…इसीलिए खाना बनाने की ज़रूरत नही थी..मेने खाना लगाया और प्लेट में खाना लेकर अमित के रूम की तरफ जाने लगी. पर अभी उसके रूम की तरफ बढ़ ही रही थी कि, में रुक गयी. और फिर से वापिस आकर सोनिया और रामा के रूम में चली गयी..जिसमे अब सिर्फ़ सोनिया को ही रहना था. मेने वहाँ खाने की प्लेट रखी, और फिर अमित के रूम की तरफ चली गयी.