Adult kahani पाप पुण्य - Page 18 - SexBaba
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Adult kahani पाप पुण्य

उधर रात भर मोनू और रिशू ने मोनिका और रश्मि को चोद चोद कर दोनों की हालत ख़राब कर दी थी और सुबह उठ कर दोनों एक साथ मोनिका पर चढ़ गए. रिशू ने मोनिका की गांड में तो मोनू ने उसकी भुर में अपना लंड पेल दिया और उसे जोर जोर से चोदने लगे. रश्मि भी मोनिका की सिसकियो से जाग गई और हँसते हुए मोनिका की चुदाई देखने लगी.

तभी दरवाजे की घंटी बजी. ये घंटी मनीष ने बजाई थी जो अपनी बहन मोनिका को वापस लेने आया था. रश्मि ने जल्दी से एक गाउन पहना और जाकर दरवाजा खोला. मनीष ने रश्मि को किस करते हुए पुछा...

कहाँ है मोनिका? बहुत मिस किया ये ३ दिन मैंने उसे.

रश्मि ने उसे इशारे से अन्दर कमरे में जाने के लिए कहा और खुद बाथरूम की तरफ चली गयी. अन्दर का नज़ारा देख कर मनीष का लंड एक झटका खाकर ऐठ गया. उसने देखा की उसकी प्यारी बहन को मोनू और एक अनजान लड़का बेरहमी से चोद रहे है. मोनिका के मुह से रह रह कर सिसकिया निकल रही थी. मनीष ने जल्दी से अपने कपडे उतारे और जाकर अपना मोटा लंड मोनिका के मुह में ठूस दिया.

अब मोनिका का मुह पूरी तरह से बंद हो गया. मनीष ने मोनू से पुछा

मनीष: ये कौन है जो मेरी बहन की गांड मार रहा है.

मोनू: ये मेरा बेस्ट फ्रेंड है रिशू.

मनीष: हाय रिशू. जोर से मारो मेरी बहन की गांड.

रिशू: जरूर मनीष.ये लो

ये कह कर रिशू ने अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर एक ही झटके में वापस मोनिका की गांड में पेल दिया. मोनिका को लगा जैसे उसकी गांड किसी ने गर्म चाकू से चीर दी हो. वो जोर से चीखना चाहती थी पर मुह में भाई का लंड होने की वजह से सिर्फ गू गू कर के रह गयी.


 
मोनू को पता था की मनीष मोनिका को आज वापस ले जायेगा तो वो इस चुदाई को यादगार बनाना चाहता था. उसने पोजीशन बदलते हुए मोनिका की एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली जिससे उसकी चूत थोड़ी और खुल गयी और एक जोर का झटका मार कर अपना लंड फिर से मोनिका की चूत में डाल दिया. उधर रिशू अब आगे आकर मोनिका के मुह में अपनी जीभ डाल कर किस करने लगा और मनीष के लंड ने रिशू के लंड की जगह ले ली और मोनिका की गांड में हलचल मचाने लगा.

करीब आधे घंटे बाद जब रश्मि वापस कमरे में आई तब तक उस तीनो ने मोनिका का कचूमर निकाल दिया था. बेड पर मोनिका बेसुध पड़ी थी और उसका बदन तीनो के वीर्य से लथपथ था और वो तीनो भी बेड पर पड़े हाफ रहे थे. रश्मि ने मोनिका को सहारा देकर उठाया और बाथरूम में ले जाकर शावर के नीचे खड़ा कर दिया. शावर का ठंडा पानी पड़ने से मोनिका की जान में जान आई.

वो रश्मि से बोली: सुबह सुबह तीनो ने मिलकर जान ही निकाल दी पर सच मजा भी बहुत आया. ये चुदाई तो जिंदगी भर नहीं भूलेगी. रश्मि बोली ठीक है तुम फ्रेश हो लो तब तक मैं नाश्ता बनाती हूँ. बहुत भूख लगी है.

रश्मि ने जब तक नाश्ता बनाया तब तक हम सब तैयार हो गए. फिर हम सबने साथ में नाश्ता किया और रिशू वापस अपने घर चल दिया. रश्मि ने उससे जाने से पहले वादा लिया की वो रिक्की को मौका मिलने पर भी अकेले नहीं चोदेगा. रिशू के जाने के बाद मनीष ने रश्मि को फिर से एक बार चोदा और थोड़ी देर आराम करके दोपहर के वो भी मोनिका को ले कर वापस चला गया.

इन दो तीन दिनों ने मुझे और दीदी को भी काफी थका दिया था तो हम लोग भी जाकर सो गए. रात को रिशू फिर से मेरे घर आ गया और बोला

रिशू: मम्मी ने बोला है की इसी सन्डे को हमें रिक्की को चोदना है. सुबह तुम मेरे घर आ जाना.

मैं ये सुन कर बहुत खुश हुआ और फिर हम दोनों ने मिल कर दीदी की चूत और गांड फिर से मारी. अगले दिन शाम को मम्मी पापा वापस आ गए और मैं और दीदी वापस अपने रूटीन पर आ गए. यानि दिन भर दीदी और रात में बीवी.


 
दो दिन बाद जब हम लोग डिनर कर रहे थे तो पापा ने मेरे सर पर एक बम फोड़ दिया. वो दीदी से बोले

पापा: रश्मि बेटा, शादी में हमें एक बहुत अच्छा लड़का मिला था. वो दिल्ली में नौकरी करता है पर वो लोग इसी शहर के रहने वाले है और हमें बहुत पसंद आये. अब मुझे और तुम्हारी मम्मी को लगता है की तुम्हारी शादी हो जानी चाहिए. बेटा अगर तुम्हारी नज़र में कोई लड़का हो तो हमें अभी बता दो वरना हम दोनों सन्डे को उनसे तुम्हारे रिश्ते की बात करने जायेंगे. 

मुझे लगा की ये क्या हुआ. दीदी की शादी वो भी दिल्ली में. अभी तो लाइफ में मज़ा आना शुरू हुआ था अगर दीदी दिल्ली चली गयी तो मैं अपनी प्यारी दीदी की चूत कैसे मारूंगा. पर तभी मुझ पर दूसरा बम दीदी ने फोड़ दिया.

दीदी शरमाते हुए पापा से बोली: जी पापा वो आप मयंक को तो जानते ही है वो मेरी फ्रेंड टीना का बड़ा भाई.

पापा: हाँ हाँ. एक दो बार मिला हूँ उससे.

दीदी: जी वो मुझे बहुत पसंद करते है.

पापा: अच्छा और तुम बेटा.

दीदी: जी मैं भी उन्हें पसंद करती हूँ.

पापा: क्या कर रहा है मयंक आज कल. उसने तो शायद बी टेक किया था न.

दीदी: जी, उसके बाद उन्होंने mba भी किया है और आज कल बंगलोर में नौकरी कर रहे है.

पापा: ठीक है बेटा. जैसी तुम्हारी इच्छा. मयंक के पापा से मैं बात करूंगा.

मुझे लगा की दीदी ने मुझे इतना बड़ा धोखा दिया. दीदी का बोयफ्रेंड था और उन्होंने मुझे बताया भी नहीं. कहाँ तो मैं सोच रहा था की दीदी दिल्ली चली गयी तो मेरा क्या होगा पर वो तो बंगलौर जाने का प्लान बना कर बैठी थी. दिल्ली तो फिर भी पास था, साल में तीन चार बार तो हम मिल ही सकते थे पर बंगलौर जाने के लिए तो मेरे शहर से सीधी ट्रेन भी नहीं थी.

मैंने बड़े बेमन से खाना खाया और अपने कमरे में आ गया. थोड़ी देर बाद दीदी भी कमरे में आ गयी और दरवाजा बंद करके मेरे बगल में आकर लेट गयी पर मैंने गुस्से से करवट बदल ली.

रश्मि: अरे अब तुझे क्या हुआ.

मोनू: तुमसे क्या मतलब. तुम तो शादी करके बंगलौर जाओ.


 
रश्मि: अच्छा तो ये बात है. पर शादी तो मुझे करनी ही एक न एक दिन तो इसमें नाराज़ होने वाली क्या बात है. 

दीदी ने मेरा लंड सहलाते हुए कहा. लंड पर दीदी का हाथ लगते ही मैं पिघल गया.

मोनू: अरे मैं इसलिए थोड़ी ही नाराज़ हूँ. मैं तो इसलिए गुस्सा हूँ क्योंकि तुमने मुझे बताया नहीं की तुम्हारा कोई बोयफ्रेंड भी है.

रश्मि: तुमने कभी पुछा ही नहीं.

मोनू: तुम बंगलोर चली जाओगी दीदी तो मेरा क्या होगा. तुम इसी शहर में शादी करो न.

रश्मि: पागल है क्या. इस शहर में किस से शादी कर लूं. तेरे उस कंजर दोस्त रिशू से ताकि तुम दोनों मुझे चोद सको. अपना फ्यूचर न देखूं.

मोनू: पर तुम तो रिशू के लंड की दीवानी हो.

रश्मि: हाँ हूँ. तो क्या हुआ. सेक्स अपनी जगह और प्यार अपनी जगह. अरे पता है मयंक की महीने की जितनी इनकम है न उतना लोग साल भर में नहीं कमाते और रही लंड की बात तो उसका लंड रिशू से इक्कीस ही है उन्नीस नहीं. समझा.

मोनू: तो क्या तुम उससे भी चुदवा चुकी हो.

रश्मि: अरे नहीं यार, उसको किस के आगे नहीं बढ़ने दिया कभी. वो चाहता तो बहुत था पर मैंने उससे साफ़ कह दिया की ये सब शादी के बाद. उसे मेरी शराफत पर पूरा भरोसा है. वैसे भी जहाँ शादी करनी हो वहां शरीफ बने रहना चाहिए. टीना ने एक बार बताया था उसका साइज़. 

कहते हुए दीदी ने मेरा लंड बाहर निकाल कर मुह में ले लिया.

मोनू: आःह्ह दीदी. ऐसे ही चूसो. तो क्या टीना भी अपने भाई से चुद्वाती है जो उसे मयंक का साइज़ पता है. 

रश्मि: ओफ्फो. अरे उसने एक बार उसे नहाते हुए देख लिया था. मूड ख़राब कर दिया तूने तो क्या तो क्या. अरे चोदना है तो बोल वरना मैं जा रही हूँ अपने बेड पर.


 
मैंने रश्मि दीदी को अपनी बाँहों में भर लिया और उनकी चूंची दबाते हुए बोला, कहा जा रही हो दीदी. जब तक तुम्हारी शादी नहीं हो जाती रोज चोदुंगा पर जब तुम चली जाओगी तब पता नहीं मैं क्या करूंगा.

दीदी ने हँसते हुए मेरा लंड पकड़ लिया और बोली, अरे तब के लिए रिक्की है न. अभी ५-६ साल उसकी शादी नहीं होने वाली. तू उससे काम चला लेना. अब जल्दी स मुझे चोद फिर सन्डे जाकर रिक्की की चूत फाड़ देना. समझा. और दीदी अपने कपडे उतारने लगी. मैंने भी अपने कपडे उतारे और दीदी के ऊपर टूट पड़ा

मैं बिस्तर पर आकर घुटनों के बल बैठ गया और दीदी के बालों को पकड़ते हुए अपना लण्ड उनके मुंह में दे दिया..

दीदी ने भी लण्ड को हाथ से रगड़ते हुए चूसना शुरू कर दिया..

आअहह अहह अहह अहह अहह और ज़ोर से दीदी. आ आ आ आ आ पूरा अंदर लो.. . उफ़फ्फ़.. कहते हुए मैं दीदी के मुंह मे अपना लण्ड आगे पीछे करने लगा और बीच बीच में अपना हाथ पीछे करते हुए दीदी की पीठ सहलाने लगा.

फिर थोड़ी देर बाद मैंने अपना लण्ड बाहर कर दिया.. लण्ड पर दीदी का पूरा थूक लगा हुआ था और चमक रहा था.. मैंने दीदी को घुटनों के बल बैठा दिया और दीदी के पीछे खुद घुटनों के बल बैठ गये और दीदी की चूत में लण्ड रगड़ने लगे..

दीदी आ आ आहह आह आह आ ह ह आ ह ह ह आअ ह ह आ आ आ आ आ आ आ की आवाजे करने लगीं..

मैंने एकदम से दीदी की कमर पकड़ते हुए एक ज़ोर का धक्का दिया..

दीदी के मुह से सिस्कारिया निकलने लगी आ आ ह ह आ ह आह आअ माह ह ह ह ह ह.. . मर र र र र र गई स स स स स स स स.. . नही ई ई ई ई ई ई ई ई ई ई.. . आइया आ ह आहह आह आ.. .

मेरा पूरा लण्ड एक ही बार में मेरी दीदी की चूत के अंदर चला गया था.. मैंने लण्ड को बाहर निकाला और फिर से धक्का मारा.. फिर मैं धीरे धीरे लण्ड अंदर बाहर करने लगे और अपने लण्ड को मेरी दीदी की चूत में पेलने लगा..

दीदी: आ अहह आ अहह अ ह अहह औह मोनू आह ह ओई ई ईई ई ई ह माआ अ ए या या माआ आ औहह ओफफ फफ फफ्फ़ ओफ फफ फफ्फ़ मा आआ..

मैंने धक्का मारते हुए दीदी से पुछा: क्यों दीदी मज़ा आ रहा है ना.. .

दीदी ने कहा: हाँ स स स स.. . बहुत मज़ाआआ आ रहा है स स स... आ ह हह आ आ.. और जोर से कर न

मैंने कहा: दीदी तुम इतना चुद चुकी हो फिर भी तुम्हारी चूत बहुत टाइट है... मज़ा आ जाता है जब भी तुम्हारी लेता हूँ. मेरी जान अब जब तक तेरी शादी नहीं होती तेरी हर रात को मैं तेरी सुहागरात बना दूंगा...

फिर मैं रफ़्तार बड़ा कर दीदी को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा. बीच बीच में मैं एक दो थप्पड़ मेरी दीदी के चूतड़ पर मारता जा रहा था.. उनके चूतड़ पर मेरे हाथ का निशान छप गया था.. दीदी की गाण्ड एक दम लाल हो चुकी थी..

मेरे हर धक्के से दीदी की चून्चिया आगे पीछे हो रही थी...


 
मैंने लगभग १५ मिनट तक दीदी को ऐसे ही चोदा और उसके बाद दीदी के चूत से अपना लण्ड बाहर निकाल लिया फिर मैं दीदी की गाण्ड के पास आ गया और उनके छेद को फैला दिया और अपना लण्ड दीदी की गाण्ड के छेद पर रख दिया..

दीदी एक काम करो. हाथ पीछे करके अपने चूतड़ को फैला लो. मैंने दीदी को बोला

दीदी ने अपने दोनों हाथ पीछे कर दिए और चूतड़ को फैला लिया..

उनकी गाण्ड का छेद पूरा खुल गया..

अब मैंने बोला: छेद को ढीला छोड़ दो दीदी

फिर मैं ने दीदी के गाण्ड के छेद पर लण्ड सेट करके, हल्का झटका दिया और उनका टोपा दीदी की गाण्ड के छेद में “भच” से चला गया..

दीदी: इश्ह्ह स स स स स स स स स स.. . इयाः ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह.. . आ आ आआ आहह.. . प्लीज़ नही स स स स स स स स स..

और मैंने फिर से एक और धक्का मारा..

दीदी के मुँह से निकला: अआह बहन आह्ह चोद स स स आराम से इश्श स स स स स स स.. .

मैं हंस पड़ा और बोला: दीदी चुदती हुई औरत के मुँह से गालियाँ खाने में भी कितना मज़ा आता है.

मैंने कस के एक और धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड दीदी की गाण्ड में चला गया..

मैंने अब दीदी से कहा: आह दीदी...अभी भी एक दम फ्रेश माल हो तुम अआह साला लग ही नहीं रहा की इतने लंड ले चुकी हो आह्ह्ह

दीदी: अहह माँह ह ह ह ह ह ह ह ह ह मार डाला तूने... हरामी...आराम से कर अब आअक आःह्ह

ठप ठप ठप ठप ठप.. . पट पट पट पट पट पट.. . से पूरा कमरा गूँज रहा था..

मैं ज़ोर ज़ोर से बड़ी बेरहमी से दीदी की गाण्ड मार रहा था.

कुछ आधे घंटे के बाद मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और आ आ आ आ आ आ आ अहह... करते हुए दीदी की गाण्ड के अंदर ही अपना सारा माल निकाल दिया..


 
फिर मैं और रश्मि दीदी नंगे ही एक दुसरे से चिपक के सो गए. अगले दिन सुबह जब मेरी नींद खुली तो दीदी कमरे में नहीं थी. मैंने कपडे पहने और नीचे चला गया. दीदी नाश्ता कर रही थी और पापा फ़ोन पर किसी से बात कर रहे थे. पापा ने फ़ोन रख कर मम्मी को किचेन में आवाज़ दी और बोला

पापा: मयंक के पापा ने परसों हम दोनों को अपने घर पर बुलाया है. अरे मोनू तू बहुत देर सोता रहा आज. जा जल्दी से नहा कर तैयार हो जा.

दीदी के चेहरे पर पापा की बात सुन कर मुस्कान आ गयी. मैंने मन में सोचा वाकई दीदी शादी के लिए तो मरी जा रही है. मैंने तय कर लिया की सन्डे को दीदी की विदाई की बात पक्की हो न हो पर रिक्की की चुदाई पक्का होगी और मैं बिना कुछ बोले बाथरूम में नहाने चला गया. 
आखिर सन्डे आ ही गया. मम्मी और पापा दीदी की शादी की बात करने मयंक के घर चले गए और मैं रिशू के घर की तरफ निकल पड़ा. हमने तय कर लिया था की कामिनी और रिशू कुछ देर के लिए रिक्की को घर पर अकेला छोड़ देंगे.

उधर रिशू के घर रिशू और रिक्की टीवी देख रहे थे तभी कामिनी आंटी बाहर आ गयी और रिशू से बोली 

कामिनी: जल्दी से कपडे बदल लो रिशू. मुझे जरा मेरी फ्रेंड के घर छोड़ दो.

रिक्की: कहा जा रही हो मम्मी? मुझे भी अपनी फ्रेंड की घर जाना था.

कामिनी: मुझे कुछ जरूरी काम है. रिशू मुझे छोड़ कर १ घंटे में लौट आयेगा तब ये तुम्हे तुम्हारी फ्रेंड के घर छोड़ आयेगा.

रिक्की: मम्मी आप घर की चाभी ले जाना. मैं अपने आप चली जाऊंगी.

कामिनी: जैसे तुम चाहो.

रिशू और कामिनी तैयार हो कर जैसे ही बाहर निकले उसी वक्त मैं वहां पहुच गया. 

रिशू: अरे मोनू आओ आओ. मैं जरा मम्मी को तुम्हारे घर छोड़ के आता हूँ. तुम १० मिनट रुक कर अन्दर चले जाना. तुम्हारा घर भी तो खाली होगा न. 

ये कह कर रिशू ने मुझे आँख मारी और कामिनी आंटी के साथ बाहर निकल गया.


 
उधर रिक्की ने मन में सोचा था मम्मी के जाने के बाद वो अंकुर या जय को घर पे ही बुला लेगी पर उसे लगा की रिशू कहीं वापस न आ जाये तो उसने सोचा की वो खुद ही अंकुर के पास चली जाये और वो कपडे बदलने चली गयी. 

उसने नीली स्कर्ट और लाल टी-शर्ट पहनी. टी-शर्ट के नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी ताकि लोग ललचायी आँखों से उसकी चूचियाँ और निप्पलों का उभार देख के आहें भरे. स्कर्ट के नीचे उसने लाल रंग की पैंटी पहनी जो उसके गोरे बदन पे खूब खिलती थी. बाल उसने खुले ही रखे और हाई हील के सैंडल पहन कर वो बाहर जाने के लिए तैयार हो गयी.

तभी मैंने घंटी बजा दी. रिक्की ने खीझते हुए दरवाज़ा खोला तो सामने मुझे देख कर बोली 

रिक्की: ओह मोनू भैया, रिशू तो अभी अभी कही बाहर चले गए.

मोनू: हाँ वो मुझे मिला था. उसने बोला की वो आंटी को चोद कर जल्दी वापस आ जायेगा और मैं यही उसका वेट करू.

रिक्की ने मन मार कर मुझे अंदर बुला कर दरवाजा बँद किया और मुझे बैठने के लिए कहा.

मोनू: कहीं बाहर जा रही थी क्या?

रिक्की: हाँ भैय्या. वो एक दोस्त के पास जाना था. कोई नहीं रिशू के आने के बाद चली जाऊंगी. 

और उसने अपनी निगाहे टीवी पर गडा दी. टीवी पर ममता कुलकर्णी की कोई फिल्म आ रही थी. मैंने उसके शरीर पे अपनी हवस भरी नज़रें गड़ाते हुए बोला “बहुत सेक्सी लग रही है”

रिक्की को यह सुन कर झटका सा लगा और वो बोली “क्या बोला भैया आपने”

"अरे मैंने कहा ममता कुलकर्णी इस गाने में बहुत सेक्सी लग रही है, तुम्हे नहीं पसंद क्या ममता कुलकर्णी" मैंने रिक्की के बदन पे नज़रें गड़ाये हुए बोला. 

रिक्की समझ गयी मेरी निगाहे कही पर है और निशाना कही पर. 

रिक्की: मुझे तो ये बिलकुल नहीं पसंद

मोनू: किसी ने सही कहा है की एक खुबसूरत लड़की दूसरी खूबसूरत लड़की की तारीफ नहीं कर सकती

रिक्की के साथ कभी मोनू ने ऐसी बात नहीं की थी. उसे थोडा मज़ा आने लगा.

रिक्की: अच्छा तो मैं आपको सुन्दर लगती हूँ. 

मोनू: सुन्दर. अरे तुम अगर फिल्मो में होती तो ये ममता वमता तुम्हारे सामने पानी भरती. तुमसे ज्यादा सेक्सी तो कोई हिरोइन नहीं होती रिक्की.

रिक्की: अब आप ज्यादा ही मजाक कर रहे है.

रिक्की की सैक्सी टाँगों को देखते हुए मैं बोला, “मजाक नहीं कर रहा तुम्हारी कसम” और मैंने अपना हाथ रिक्की की जांघ पर रख दिया. मेरी इस हरकत से रिक्की को एक पल के लिए झटका सा लगा तो मैंने अपना हाथ वापस हटा लिया.


 
रिक्की चुपचाप टीवी देखने लगी. मैंने अब अगला स्टेप लिया.

मोनू: वैसे मैं रिशू से तुम्हारे बारे में ही बात करने आया था.

रिक्की: मेरे बारे में?

मोनू: हाँ तुम्हारे और तुम्हारे दोस्तों अंकुर और जय के बारे में.

रिक्की मेरी तरफ देखते हुए बोली “सॉरी भैया पर मैं इन दोनों लडको को सिर्फ जानती हूँ, ये मेरे दोस्त नहीं है.”

रिक्की की चूचियों को ललचाई नज़रों से देखते हुए मैं बोला, “तूम झूठ बोल रही हो रिक्की... मुझे तुम्हारे बारे में सब पता है इसलिए मैं रिशू से आज सब बात बता कर ही जाऊँगा.”

रिक्की को मुझ पर बहुत गुस्सा आया और रिक्की ने देखा कि मेरी आँखें उसकी चूचियों पे टिकी थीं.

रिक्की मोनू की और देखते हुए बोली, “क्या... क्या पता है भैया? मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है.”

मोनू रिक्की को वासना भरी नज़रों से देखते हुए बोला, “रिक्की तेरा चाल-चलन दिन-ब-दिन खराब हो रहा है, तू अवारा लड़कों के साथ घूमती है... तेरी कम्पनी भी अच्छे लड़के लड़कियों से नहीं है... इसलिए मुझे ये सब बाते रिशू और कामिनी आंटी को बतानी होंगी.”
रिक्की चौंक के मुझे देखते हुए सोचने लगी मोनू भैया को यह सब कैसे पता चला? 

वो डरते हुए मोनू से बोली, “माना मैं लेक्चर बँक करती हूँ पर मेरा चाल-चलन क्या खराब है? सहेलियों के साथ कैन्टीन में होती हूँ मैं... कहीं घूमने नहीं जाती. प्लीज़ भैया... इतनी छोटी सी बात के लिए रिशू को क्यों बोल रहे हो?”

मोनू ने अब ज़रा गुस्से से रिक्की को देखा और रिक्की का हाथ पकड़के उसे खींचते हुए अपने पास बिठाते हुआ बोला, “इधर बैठ मेरे पास... रिक्की मैं तेरे बारे में सब जानता हूँ, मेरे मुँह से सुनेगी अपनी कहानी?”

अचानक खिसकने से रिक्की का स्कर्ट उठ गया. उसने जल्दी से अपना स्कर्ट ठीक किया पर तब तक मुझे रिक्की की गोरी जाँघों का दर्शन हो गया.

रिक्की ने अब घबराते हुए उठने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उसे उठने नहीं दिया.

रिक्की अब ज़रा ऊँची आवाज़ में बोली, “वो अंकुर और जय की बात कर रहे हैं आप? यह अंकुर और जय की बहनें मेरी सहेलियाँ हैं... इसलिए कई बार उनसे मुलाकात होती है, बाकी जैसा आप सोच रहे हैं वैसा कुछ नहीं है.

मोनू रिक्की की कमर सहलाते हुए बोला, “अच्छा तो उन दोनों लड़कों की बहनें तेरी दोस्त हैं? अगर उनकी बहनें तेरी दोस्त हैं तो तू उन लड़कों के साथ कॉलेज कैन्टीन के पीछे हर दिन अकेली क्यों बैठी रहती है? तेरी सहेलियाँ क्यों नहीं होती तेरे साथ? क्योंकि अंकुर या जय की बहनें है ही नहीं. तू तो अंकुर और जय के साथ जाकर अपनी जवानी लुटाती है. क्यों रिक्की मैं सच कह रहा हूँ ना?


 
रिक्की समझ गयी कि उसकी पोल खुल चुकी है. उसका सिर शरम से झुक गया.

रिक्की को चुप देख कर मैंने अपना हाथ उसकी टी शर्ट के अंदर डाल के उसके पेट को सहलाते हुए बोला, “रिक्की तू बोल क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ. 

रिक्की मुझे विनती करने लगी, “नहीं भैया पर प्लीज़ रिशू को मत बोलना. वो मम्मी पापा को बता देगा. आज के बाद मैं उन दोनों से कभी नहीं मिलूँगी”

मोनू: "तू ऐसी क्या गारंटी देती है कि तुझ पे मुझे भरोसा हो कि तू फिर से उन लड़कों पे अपनी जवानी नहीं लुटायेगी?”

रिक्की: “जो शर्त आप कहें, मैं आपका कोई भी कहना मानने को तैयार हूँ लेकिन रिशू और मम्मी को मत बोलना प्लीज."
मैंने रिक्की का चेहरा हल्के से सहलाते हुए उसे खड़ा किया और बोला, “ रिक्की साली बेवकूफ़ तू जितना अंकुर और जय के लिए करती है उतना तू मेरे लिए करेगी तो किसी से कुछ नहीं कहूँगा." 

रिक्की सब समझती थी लेकिन उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. वो इतनी कनफ्यूज़ हो गयी कि उसने मेरा हाथ भी अपनी चूचियों से नहीं हटाया.
मैंने दोनों हाथों से रिक्की का स्कर्ट उठा के पैंटी पे हाथ घुमाते हुए कहा “एक मौका देता हूँ तुझे रिक्की... अगर तू अपना यह हुस्न हमें देगी तो जबान से एक शब्द भी नहीं निकालुँगा. अब तू बता तेरा क्या इरादा है? बोल साली?”

रिक्की को मोनू की भाषा सुन कर हैरानी हुई पर वो मोनू का मक्सद समझ गयी. वो थोड़ी पीछे हटी और बोली, “यह आप क्या कर रहे हो मेरे साथ? मुझे शरम आ रही है आपकी बातों से. आप जैसा बोल रहे हो वैसा कुछ नहीं होता अंकुर और जय के साथ मेरा. प्लीज़ मैं आपकी छोटी बहन की तरह हूँ?”

मैं रिक्की के पास आ के उसकी गर्दन पकड़ के उसे अपनी तरफ खींच के उसके गाल चूम लिए. फिर रिक्की के बदन को अपने से सटाता हुआ बोला, “साली तुझे मेरे मुँह से सुनना है ना कि वो दोनों तेरे साथ क्या-क्या करते हैं? चल अब बताता हूँ तुझे सब बात.”
रिक्की ने कुछ जवाब नहीं दिया और ना ही उसने मुझसे दूर हटने की कोशिश की. मैने उसकी चूचियों पे हाथ रखते हुए बोला, “ज़रा स्कर्ट उतार.”

रिक्की चौंकते हुए बोली, “नहीं भैया प्लीज़, यह क्या कह रहे हैं आप? मेरी स्कर्ट क्यों उतारने को बोल रहे हैं आप?”

मैंने रिक्की की चूचियों को मसलना ज़ारी रखा और बोला, “साली चुप-चाप खड़ी रह. नाटक मत कर और अपनी स्कर्ट उतार.”

रिक्की बिना कुछ जवाब दिए चुप-चाप खड़ी रही. मैंने उसका टी-शर्ट ऊपर किया और रिक्की के नंगे मम्मे देख के बहुत उत्तेजित हो गया. रिक्की के कच्चे आम जैसे कड़क मम्मे और ब्राउनिश गुलाबी निप्पल मुझे भा गए. फिर मोनू ने ही स्कर्ट के हुक खोले तो रिक्की का स्कर्ट पैरों में गिर गया. रिक्की आँखें बँद करके खड़ी थी और मोनू ने भी रिक्की के बदन से उसका टी- शर्ट हटा दिया. अब रिक्की सिर्फ़ एक लाल पैंटी और काले हाई हील के सैंडल पहने शरमाते हुए खड़ी थी.


 
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