Adult kahani पाप पुण्य - Page 21 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Adult kahani पाप पुण्य

इतना बोल कर मैंने रिक्की को इशारा किया कि वो अपनी माँ की गाँड एक दम कस कर पकड़ ले. रिक्की ने भी मेरा कहना माना और मैंने अपने दोनों हाथों से कामिनी आंटी की कमर पकड़ ली और ज़ोरदार झटका मारा जिससे चिकनाहट होने के कारण मेरा लंड सरकते हुए पूरा कामिनी आंटी की गाँड में समा गया. कामिनी आंटी को तो जैसे बिजली का शॉक लग गया हो. अगर रिक्की ने उनके चूत्तड़ और मैंने उनकी कमर कस कर नहीं पकड़ी होती तो शायद कामिनी आंटी मेरा लंड निकाल देतीं पर बेचारी मजबूर थी… सिवाये कसमसाने के और गालियाँ देने के अलावा वो कुछ भी नहीं कर सकती थीं.

मैंने भी बिना कुछ परवाह किये बिना अपना पूर लंड कामिनी आंटी की गाँड में उतार कर ही दम लिया और हल्के-हल्के शॉट देने लगा. कामिनी आंटी तो दर्द के मारे पागल हो गयी थी और बोले जा रही थीं, “अरे मादरचोद, भोसड़ी वाले मार डाला रे. तेरी माँ का भोंसड़ा मादरचोद. बहनचोद मैं ज़िंदगी भर तुझे जैसे कहेगा वैसे ही चुदवाऊँगी और चूसूँगी. तू जिसको बोलेगा मैं उसको चुदवा दूँगी तेरे से. मुझे छोड़ दे माँ के लौड़े. हाय मेरी माँ. फट गयी मेरी गाँड. मादरचोद सत्यानाश कर दिया तूने आज मेरी गाँड का. आज तेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा है.”

कामिनी आंटी बोलती रहीं पर अब मैं जोश में आ चुका था और हुमच-हुमच कर अपना लंड गाँड में पेल रहा था. कामिनी आंटी को भी अब अच्छा लगने लगा था क्योंकि अब वो कह रही थीं, “मार ले मोनू, मार ले अपनी आंटी की गाँड. हाय हाय! शूरू-शूरू में तो बहुत दर्द हुआ पर बाद में बहुत मज़ा आता है. रिक्की तू भी मोनू से अपनी गाँड जरूर मरवाना.”

करीब बीस पच्चीस मिनट तक कामिनी आंटी की गाँड मारने के बाद मैंने अपना रस कामिनी आंटी की गाँड में ही निकाल दिया.
अब मैं भी काफी थक गया था और हम तीनो नंगे एक दुसरे से लिपट कर सो गए.

सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैं अकेला ही सो रहा था. मैं कपडे पहन कर बाहर आया तो देखा कामिनी, रिशू और रिक्की नाश्ता कर रहे थे.
रिशू बोला बहुत देर तक सोता रहा तू. मेरे कुछ कहने से पहले ही रिक्की बोली रात भर मेहनत भी तो बहूत की है मोनू भैया ने. आंटी ने कहा फ्रेश होकर नाश्ता कर ले मोनू. मैंने कहा नहीं आंटी अब घर जाकर ही फ्रेश होउंगा. और मैं घर से बाहर आ गया तभी रिशू ने पीछे से मुझे आवाज़ दी और बोला यार मैं सोच रहा था की रश्मि, रिक्की, मैं और तुम जब मिल कर फौर्सम करें तो कितना मज़ा आयेगा. मैंने कहा हा मज़ा तो आयेगा. बना प्लान. रिशू बोला प्लान क्या बनाना रश्मि को लेकर आजा घर पर. मैंने कहा ठीक है.


 
मैं घर पंहुचा और नहा धोकर जब पापा के पास गया तो पापा बोले.

पापा: तेरी बहन की शादी तय हो गयी है. अगले महीने की २० तारीख को बरात आयेगी. बहुत काम करने है. सिर्फ २५ दिन बचे है. तो अब तुम फालतू घूमना बंद करो और तैयारी में मेरा हाथ बटाओ.

उस दिन के बाद कभी गेस्ट हाउस की बुकिंग, कभी कार्ड छपवाने का चक्कर, कभी बाटने का चक्कर, कभी शादी की शॉपिंग कुल मिला कर टाइम निकलता ही गया और मेरा और रिशू के रश्मि दीदी और रिक्की को एक ही बिस्तर पर चोदने का प्लान कामयाब नहीं हो पाया. घर में काफी सारे मेहमान भी आ गए थे. शादी से ३ दिन पहले मनीष भी मोनिका को ले कर आ गया. मौसा मौसी शादी वाले दिन ही सुबह आने वाले थे. मोनिका भी चुद चुद कर काफी गदरा गयी थी. उसे देख कर मुह में पानी आ गया. पर इतने सारे लोगों के घर में रहते कुछ करना नामुमकिन था. सोचा की शादी के बाद मोनिका और मनीष को कुछ दिन रोक लूँगा तभी कुछ होगा.

रात को मनीष और मैं छत पर बैठे थे तो मनीष बोला यार दो दिन बाद रश्मि शादी करके बेंगलोर चली जाएगी फिर पता नहीं कब मिलना हो. यार कम से कम एक बार उसकी चूत तो दिला दे.

मैंने कहा भैया मैंने खुद एक महीने से दीदी की चूत की शकल नहीं देखी. दीदी की क्या २५ दिन से किसी की चूत नहीं देखी पर क्या करू. कुछ होना संभव नहीं है क्योंकि रश्मि दीदी अब किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती. रिशू भी तो मरा जा रहा है. उसने दीदी को फ़ोन करके अपने घर बुलाया था पर दीदी ने साफ़ मना कर दिया. कल मैं रिशू के घर कार्ड देने जाऊँगा तब बात करूंगा. हो सकता है कुछ हो जाये.

अगले दिन मैं कार्ड देने कामिनी आंटी के घर गया. आंटी ने शिकायत करते हुए कहा की सबसे आखिरी में मुझे कार्ड देना था क्या. मैंने कहा क्या आंटी आपको तो सबसे पहले खबर दी थी पर क्या करूं मुझे ही सारे कार्ड बाटने है. अभी भी करीब १० कार्ड बचे है जो आज बाटूंगा. रिक्की और रिशू कहा है.

कामिनी: रिशू रिक्की को दिल्ली छोड़ने गया है. कल वापस आ जायेगा. रिक्की का एक पेपर है वहां २२ तारीख को. पेपर दे कर २३ को वो अपने पापा के साथ वापस आ जाएगी.

मोनू: ओह, उसने मुझे बताया नहीं.

कामिनी: कुछ काम था क्या?

आंटी को मैंने सारी बात बता दी की हम लोग रश्मि दीदी को शादी से पहले एक बार और चोदना चाहते है पर दीदी नहीं मान रही. इसीलिए रिशू से बात करनी थी. आंटी ने कहा देखो अब रश्मि की शादी में दो दिन बचे है. वो अपनी जगह सही है. अगर कुछ गड़बड़ हो गया तो. अब तुम लोगो को भी सब्र करना चाहिए.

पर आंटी दीदी 2 दिन के बाद हनीमून के लिए सिंगापुर जा रही है और वहां से लौट कर बेंगलोर. अब पता नहीं कब उनसे मुलाकात होगी. क्या पता शादी के बाद वो हमें भाव ही न दे. इसीलिए आखिरी याद के तौर पर हम उनको चोदना चाहते है. 

कामिनी: अच्छा रिशू तो कल रात तक वापस आयेगा. एक तरीका है की तुम्हारा काम भी हो जायेगा और रश्मि भी मान जाएगी. सुनो तुम्हारा गेस्ट हाउस तो यही है मेरे घर के पीछे. परसों जब रश्मि ब्यूटी पार्लर जाये तो तुम उसके साथ चले जाना और उसको तैयार करवा कर मेरे घर ले आना. पार्लर वाली मेरी दोस्त है मैं उससे कह दूँगी वो तुम्हे ७.३० की जगह ६.३० पर एक घंटे पहले छोड़ देगी. यहाँ तुम और रिशू १ घंटे में उसकी चूत मार लेना. अगर थोडा बहुत मेकअप बिगड़ा तो मैं ठीक कर दूँगी और ८.०० बजे जयमाल तक हम गेस्ट हाउस पहुच जायेंगे.

मोनू: वह आंटी. मजा आ जायेगा दीदी को दुल्हन बना कर चोदने में. पर एक बात है मनीष मेरी मौसी का लड़का भी दीदी की लेना चाहता है. उसको भी यही ले आऊं.

कामिनी: अरे तू पूरी फौज ले आ बेहनचोद. सुन जिसको लाना है ला पर एक घंटे में सब कुछ कर लेना. ताकि हम ८ बजे तक जयमाल में पहुच जाये. समझा.


 
मैं खुश होकर बाकि के कार्ड बाटने निकल गया और शाम को घर पहुच कर मनीष को सारा प्लान बताया. मनीष भी खुश हो गया. शादी वाले दिन करीब ३ बजे मैंने दीदी से कहा की चलो तुम्हे पार्लर ले चलू. तो दीदी ने कहा इतनी जल्दी क्या है 4 बजे तक चलेंगे. तो मैंने कहा की पार्लर वाली का फ़ोन आया था उसने ३ बजे आने को कहा है. मम्मी भी बोली जा रश्मि चली जा. वहां टाइम लगेगा. दीदी ने अपने कपडे लिए और मेरे और मनीष के साथ पार्लर के लिए चल दी. मोनिका भी साथ आना चाहती थी पर हमने उसे टाल दिया. पार्लर में दीदी अन्दर चली गयी और हम दोनों बाहर बैठ गए. करीब ६ बजे रिशू भी वही आ गया और बोला सब ठीक है न. मम्मी ने कहा की एक बार पूछ लू की तुम लोग रश्मि को लेकर आ रहे हो न.

मनीष ने रिशू से कहा जाओ अपने लौड़े पर तेल लगा के रखो हम दुल्हन को लेकर आ रहे है. रिशू वापस चला गया. ६.३० बज गए पर अभी तक दीदी तैयार नहीं हुई थी. हमें लगा की प्लान चौपट हो गया. मैंने जा कर पुछा तो पार्लर वाली बोली ब्राइडल मेकअप में टाइम लगता है. फुल बॉडी हेयर रिमूवल, वैक्सिंग, ब्लीचिंग, फाउंडेशन इसी में कितना टाइम लगता है. हेयर स्टाइल सेट हो रहा है बस फिर कपडे ठीक करके भेज देंगे. १५-२० मिनट और लगेगा. खैर ७ बजे दीदी तैयार हो कर बाहर आई. मेरी और मनीष की तो सांस ही रुक गयी. हरे रंग के लहंगे में दीदी क़यामत लग रही थी. खैर हम जल्दी से दीदी को लेकर वहा से निकले और गाडी में बैठ गए. मैंने मनीष से जल्दी गाडी चलाने को कहा तो दीदी बोली जल्दी किस बात की अभी बहुत टाइम है. 

मोनू: हमे पहले कामिनी आंटी के घर जाना है. 

रश्मि: क्यों? 

मोनू: तुम्हारी शादी से पहले आखिरी बार तुम्हे चोदने. 

रश्मि: अरे अब टाइम कहाँ है पागल हुए हो क्या. गेस्ट हाउस भी बगल में है किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी. 

मोनू: अरे पहले वहां पहुचे तो फिर देखेंगे.

करीब १५ मिनट में हम वहां पहुच गए. कार हमने घर के अन्दर ही कर दी ताकि कोई देखे न. रिशू ने जल्दी से दरवाजा खोल दिया और हम तीनो घर के अन्दर घुस गए. रश्मि दीदी काफी घबरा रही थी.

कामिनी: काफी देर कर दी तुम लोगो ने. अब आधे घंटे में जो करना है कर लो. फिर हम सब चलते है. रश्मि तू घबरा मत. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा. जा जल्दी से बेड रूम में. रिशू ने गुलाबो से बेड सजाया है तेरे लिए. सुनो अब कोई भी रश्मि के कपडे मत उतारना. रश्मि को घोड़ी बना देना और लहगा उठा के पैंटी उतार कर चोद लेना. चलो जल्दी करो तब तक मैं भी कपडे बदल लेती हूँ.

कामिनी आंटी की बातों से दीदी की घबराहट दूर हुई और वो कमरे में चली गयी पीछे पीछे हम तीनो भी अन्दर घुस गए. दीदी ने हमसे कहा देखो जल्दी जल्दी करलो पर देखना मेकअप और कपडे न ख़राब हो. समझे.


 
और दीदी के इतना कहते ही हम तीनो उन पर टूट पड़े मैं दीदी की चून्चिया उनकी चोली के ऊपर से दबा रहा था तो रिशू रश्मि दीदी का लहगा उठा कर उनकी चूत पर हाथ रग़ड रहा था और मनीष दीदी के चूतड़ दबा रहा था. रिशू ने दोनों हाथों से खींच कर दीदी की पैंटी उतार दी. दीदी के गोरे चुतड नंगे चमक रहे थे. लगता था की चुतड पर भी दीदी ने फाउंडेशन लगवाया था. दीदी के कपडे तो हम नहीं उतार सकते थे पर हम तीनो ने जल्दी जल्दी अपने कपडे उतार डाले और पूरे नंगे हो गए.

मैंने दीदी को घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड दीदी की पानी छोडती बुर में पेल दिया. दीदी के मुहे से एक हलकी सी आह निकल गयी. तभी रिशू ने दीदी के मुह में अपना लंड पेल दिया और दीदी उसे लालीपाप की तरह चूसने लगी. मनीष ने दीदी की चोली के बटन खोल दिए और ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचिया दबाने लगा. मैंने सामने शीशे में देखा की कैसे दीदी पूरी तरह से दुल्हन की तरह सजी हुई अपने भाई से चुदवा रही है. टाइम कम था तो मैंने ताबड़तोड़ धक्के मार मार कर दीदी की चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया. मेरे झड़ते ही रिशू ने दीदी की चूत में अपना लंड पेल दिया और मनीष ने दीदी के मुह में. मैं कपडे पहन कर फिर से तैयार हो गया तब तक कामिनी आंटी भी तैयार हो कर आ गयी. 

कामिनी आंटी अन्दर घुस कर रश्मि दीदी से बोली अरे शादी वाले दिन दुल्हन का व्रत होता है. वो कुछ नहीं खाती और तू यहाँ दो दो लंड आगे पीछे से खा रही है. क्यों हो गया तुम लोगो का... 

मोनू: मेरा हो गया. रिशू पेल रहा है फिर मनीष.

कामिनी: अरे इतना टाइम नहीं है ७.४५ हो गए है. घर से कोई पार्लर पूछने जाये इससे पहले हमने वहां पहुच जाना चाहिए. 

तब तक रिशू ने भी दीदी की चूत को अपने वीर्य से भर दिया. कामिनी आंटी बोली बस अब टाइम नहीं है पर मनीष बोला बस ५ मिनट आंटी और उसने अपना तन्नाया हुआ लंड दीदी की वीर्य से भरी चूत में पेल दिया. दीदी भी अब तक एक बार झड चुकी थी. 

कामिनी: चल जब तक तू इसको चोद मैं इसकी चोली वापस बाँध देती हूँ. रिशू तू भी कपडे पहन कर तैयार हो जा. 

फिर आंटी दीदी की चोली बांध कर उनकी लिपस्टिक ठीक करने लगी जो लंड मुह में लेने से थोड़ी फ़ैल गयी थी. मनीष के झड़ते झड़ते ८ बज गया. 

आंटी ने दीदी के कपडे ठीक किये पर दीदी की पैंटी नहीं मिल रही थी. आंटी ने दीदी को सीधा खड़ा किया और उन्हा लहगा नीचे कर दिया और बोली चल रश्मि जल्दी चल. बाद में दूसरी पैंटी पहन लेना अभी चल. दीदी चूत साफ़ करना चाहती थी पर आंटी ने कहा अब टाइम नहीं है हम सब जल्दी से कार जाकर बैठे और 2 मिनट में गेस्ट हाउस पहुच गए. सब लोग हमारा वेट कर रहे थे. हम सब जल्दी से अन्दर पहुचे और दीदी को सीधे स्टेज पर ले जाया गया. वहा मयंक दीदी का जयमाल के लिए इंतज़ार कर रहा था.थोड़ी देर तक दीदी और मयंक बैठे रहे फिर जब दीदी जयमाल के लिए खड़ी हुई तो उनके बदन में एक सिहरन सी दौड़ गयी क्योंकि जैसे ही मयंक ने उनके गले में वरमाला डाली उसी वक़्त उनकी चूत से मेरा, रिशू और मनीष का मिला जुला वीर्य बह कर उनकी जांघो को चिपचिपा बनाने लगा. 
किसी तरह दीदी ने कण्ट्रोल किया और जयमाल के बाद मौका मिलते ही एक कमरे में जाकर फेरो से पहले अपने कपडे बदले और अपनी चूत और पैरो को साफ़ किया. दो दिन बाद रश्मि दीदी मयंक के साथ चली गयी पर मेरे दिल में उनकी चुदाई की सुनहरी यादें हमेशा के लिए छोड़ गयी. 

समाप्त..


 
sexstories said:
रश्मि: अरे छोड़ो भी. तुम कुछ ज्यादा ही कर रहे हो.

रिशू: लो छोड़ दिए, अच्छा एक बात पूछूँ अगर तुम बुरा न मानो तो.

रश्मि: ऐसा क्या पूछना है.

रिशू: साइज़ क्या है तेरे कबूतरों का.

रश्मि: क्या... कबूतर क्या..

अब रिशू तू तेरे पर आ गया था पर शायद दीदी ने ध्यान नहीं दिया.

अरे तेरी चूचियों का साइज़. रिशू बोला. मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ की वो दीदी से ऐसे बोल रहा था.

पागल हो गए हो क्या... लिमिट में रहो... तुमने दोस्ती के लिए बोला था इसीलिए तुमसे इतनी देर से बात कर रही थी वरना..., दीदी गुस्से से चीखी.

अरे ज्यादा नाटक मत कर...मुझे पता है तेरा बदन चुदाई मांग रहा है. रिशू भी थोडा कड़क हुआ.

बकवास बंद करो दीदी चीखी तभी कुछ गुथम गुथ्थ हुई और दीदी की सिसकारी मेरे कानो में पड़ी ...आह इश छोड़ो मुझे...निकल जाओ मेरे घर से.

मेरी दीदी की चूची 34 है चुसना है?
 
sexstories said:
मैंने न में सर हिला दिया. दीदी को अब जोर से बोली तुम दोनों बहुत गंदे हो और तुमने मुझे भी गन्दा कर दिया. चलो मेरे हाथ खोलो.

ये कहकर वो उठने की कोशिश करने लगी तो मनीष बोला

आओ मेरी जान. हम तुम्हें बाथरूम तक ले चलते हैं. वहाँ हम अपने हाथों से तुम्हारी चूत को साफ करेंगे ओके..

फिर मनीष ने उनको गोद में ले लिया और दीदी उसके साथ बाथरूम में चली गई. मैं भी उसके पीछे गया.

मनीष ने उनको शावर के नीचे बिठा दिया था और उन पर पेशाब करने लगा.

रश्मि दीदी बोली क्या कर रहे हो मनीष. तो उसने कहा तुम्हे नहला रहा हूँ.

मैंने कहा यार क्या कर रहे हो. जल्दी से दीदी को साफ़ करो. अभी तो कायदे से चोदना है दीदी को. दिल नहीं भरा.

तब मनीष ने शावर खोला और दीदी को आराम से नीचे बैठा कर गर्म पानी से चूत साफ करने लगा.

दीदी: आह.. आराम से.. दुखता है.. तुम लोगो के डंडे छोटे सही पर मोटे तो है. कितनी बेदर्दी से मेरी छोटी सी चूत में घुसा दिए तुम दोनों ने. सूखी ले ली मेरी.

मनीष: अरे रश्मि.. तेरी चूत तो ऐसी थी कि उंगली जाने से भी दर्द करती. अब लौड़ा गया है.. तो थोड़ा तो दु:खेगा ही.. पर तुझे अबकी बार ज़्यादा मज़ा आएगा.. देख लेना..

अब उसको क्या पता की दीदी पता नहीं कितना चुदवा चुकी है और वो भी रिशू के हलब्बी लंड से और उसके अलावा किसी और से भी चुदवाया हो तो मुझे पता नहीं.
वाह मज़ा आ जायेगा जब मेरा भी को भाई साथ मील के दीदी के तिनो छेद मे डालेंगे। ऐसा मामाँ ही अकेले अकेले दोस्तो के साथ खा रहे है कोई गोद मे बिथा लेता है गजब चुदवाती है दीदी भाई पे कोई ध्यान नही देती ।
 
sexstories said:
रश्मि दीदी को इतना मजा आने लगा कि वो मस्ती में कराहती हुई और जोरों से मेरा लंड चूसने लगी. अचानक उन्होंने उत्तेजनावश मेरा लंड छोड़ दिया और मनीष का लंड चूसने लगी. मनीष का लंड दीदी के गुलाबी होठो के बीच किसी मोटे बैगन सा नजर आ रहा था.

जैसे मनीष की जीभ दीदी की चूत में गहरी होने लगी वैसे ही रश्मि दीदी ने हम दोनों के लंड इकट्ठे मुह के अन्दर लेने की कोशिश करने लगी लेकिन दोनो भाइयों के लंड दीदी के छोटे से मुंह में नहीं समा पा रहे थे. आखिर थक कर रश्मि दीदी ने इशारे से बताया कि अब उन्हें चूत में लंड डलवाना है और मनीष बिस्तर से उतर कर लंड पकड़ कर नीचे खड़ा हो गया और हम दोनों ने मिलकर अपनी बहन को कमर के बल लेटा दिया.

अब मनीष उनकी दिलकश चूत को सहलाने लगा और मैं शानदार चूचियाँ. रश्मि दीदी से सहन नहीं हुआ और वह मनीष का तना हुआ लंड पकड़ कर अपनी चूत से रगड़ने लगी. मनीष आनन्द के अतिरेक से फटा जा रहा था और उसने लंड को दीदी की गुलाबी चूत के मुंह पर रख कर निशाना लगा लिया.

मुझे ये देखते हुए इस समय अलौकिक आनन्द की अनुभूति हो रही थी. सच अपनी बहन को चुदते देखने का सुख खुद चोदने से कम नहीं है जिन्होंने देखा है वो लोग जानते ही है...
इसबार जरा धीरे-2 अन्दर घुसाना.. तेरा लंड बड़ा मोटा है. अपनी बहन का थोडा ख्याल रखना भैया. दीदी ने मुस्कुरा कर मनीष से कहा.

मनीष ने मुस्कराहट के साथ अपने लंड के सुपारे को रश्मि दीदी की चूत के मुंह से भिड़ा कर अन्दर डालना शुरू किया. रश्मि दीदी खुद भी पागल हुई जा रही थी और मोटे सुपारे को अपनी भट्टी जैसी चूत के अन्दर पाकर दीदी ने मनीष को कसकर पकड़ लिया और उसके होंठ चूसने लगी.

यंहा दीदी भाई का लंड ले रही है और मेरी दीदी र्सीफ मामा और उनके दोस्तो का लंड बुर गांड मे ले रही है। जबरदस्त खा रहे है सब चुची बरा हो गया है।
 
sexstories said:
बस उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ. बस हम दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई और धीरे धीरे एक हफ्ता बीत गया. मैं रिशू के साथ एक दो बार साइबर कैफ़े भी हो आया और रिशू के साथ अब मैं खुल कर सेक्स के बारे में बात करने लगा. उसकी सेक्स की नॉलेज सिर्फ बुक और फिल्म तक ही नहीं थी बल्कि उसकी बातो से लगता था की उसने कई बार प्रक्टिकल भी किया था पर किसके साथ ये उसने मुझे नहीं बताया.

कुछ दिनों बाद पापा दीदी के लिए घर में ही कंप्यूटर ले आये थे और मैं अक्सर उसपर गेम खेलता रहता था. मेरे पेपर हो गए थे और हम रिजल्ट का वेट कर रहे थे. गर्मी की छुट्टिया शुरू हो गयी थी. उस दिन भी मैं गेम खेल रहा था. फ्राइडे का दिन था. दीदी मेरे पास आकर बोली चलो कंप्यूटर बंद करो और मेरे साथ बैंक चलो.

क्यों दीदी क्या हुआ.

अरे मुझे एक फॉर्म के साथ ड्राफ्ट भी लगाना है जल्दी से तैयार हो जा.

जब मैं तैयार हो कर नीचे पहुंचा तो दीदी ने भी ड्रेस चेंज करके एक ग्रीन कलर का कुरता और ब्लैक चूडीदार पहन लिया था और अपने रेशमी बालों की एक लम्बी पोनी बनी हुई थी.
जल्दी कर मोनू बैंक बंद होने वाला होगा. आज मेरे को ड्राफ्ट बनवाना ही है. कल फॉर्म भरने की लास्ट डेट है बोलते बोलते दीदी सैंडल पहनने के लिए झुकी तो उनके कुरते के अन्दर कैद वो गोरे गोरे उभार मुझे नज़र आ गए. मेरा दिल फिर से डोल गया और हम बैंक की तरफ चल पड़े.

मैंने मेह्सूस किया की लगभग हर उम्र का आदमी दीदी को हवस भरी नज़रो से घूर रहा था. पर दीदी उनपर ध्यान न देते हुए चलती जा रही थी. मुझे अपने ऊपर बड़ा फक्र हुआ की मैं इतनी खूबसूरत लड़की के साथ चल रहा था भले ही वो मेरी बहन ही.हम १५ मिनट में बैंक पहुँच गए पर उस दिन बैंक में बहुत भीड़ थी. ड्राफ्ट वाली लाइन एक दम कोने में थी और उसके आस पास कोई और लाइन नहीं थी. शुक्र था की वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी.

मोनू तू यहाँ बैठ जा और ये पेपर पकड़ ले मैं लाइन में लगती हूँ दीदी बैग से कुछ पेपर निकलते हुए बोली.

मैं वही साइड पर रखी बेंच पर बैठ गया और दीदी कोने में जाकर लाइन में लग गयी. मैं बैठा देख रहा था की बैंक की ईमारत की हालत खस्ता थी. एक बड़ा हाल जिसमे हम लोग बैठे थे. और बाकि तीन तरफ कुछ कमरे बने थे. कुछ खुले थे कुछ में ताला लगा था. जिस जगह मैं बैठा था उसके पीछे के कमरे में तो सिर्फ टूटा फर्निचर ही भरा था.

खैर ये तो उस समय के हर सरकारी बैंक का हाल था. जहाँ दीदी खड़ी थी उस जगह तो tubelight भी नहीं जल रही थी, अँधेरा सा था. दीदी मेरी तरफ देख रहीं थी और मुझसे नज़र मिलने पर उन्होंने एक हलकी सी तिरछी स्माइल दी जैसे कह रही हो ये कहा फंस गए हम.

तभी दीदी के पीछे एक आदमी और लाइन में लग गया जिसकी उम्र करीब ३५ साल होगी. वो गुटका खा रहा था. उसने एक दम पुराने घिसे हुए से कपडे पहने थे. एक दम काले तवे जैसा उसका रंग था. गर्मी भी काफी हो रही थी.

कितनी भीड़ है बहेंनचोद... उसने गुटका थूकते हुए कहा.

तभी उसका फ़ोन बजा मैं तो अचम्भे में पड़ गया की ऐसे आदमी के पास मोबाइल फ़ोन कैसे आ गया. उस वक़्त मोबाइल रखना एक बहुत बड़ी बात थी वो भी हमारे छोटे से शहर में.
फ़ोन उठाते ही वो सामने वाले को गलिया देने लगा. बहन के लौड़े तेरी माँ चोद दूंगा वगेरह. दीदी भी ये सब सुन रही थी पर क्या कर सकती थी. उस आदमी को भी कोई शर्म नहीं थी की सामने लड़की है वो और भी गलिया दिए जा रहा था. मुझे गुस्सा आ रहा था पर तभी उसने फ़ोन काट दिया.

५ मिनट के बाद मैंने देखा तो मुझे लगा की जैसे वो आदमी दीदी से चिपक के खड़ा है. उसका और दीदी का कद बराबर था और उसने अपनी पेंट का उभरा हुआ हिस्सा ठीक दीदी के चूतरों पर लगा रखा था. मेरी तो दिल की धड़कन ही रुकने लगी. वो आदमी दीदी की शकल को घूर रहा था और दीदी के कुरते से उनकी पीठ कुछ ज्यादा ही नज़र आ रही थी. मुझे लगा वो अपनी सांसे दीदी की खुली पीठ पर छोड़ रहा था.

दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मैं दूसरी तरफ देखने लगा जिससे दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा और दीदी थोडा आगे हुई तो मैंने देखा उस आदमी के पेंट में टेंट बना हुआ था उसने अपने हाथ से अपना लंड एडजस्ट किया, इधर उधर देखा और फिर से आगे बढकर दीदी से चिपक गया. अब उसकी पेंट का विशाल उभार उनके उभरे हुए चूतड़ो के बीच में कहीं खो गया. दीदी का चेहरा लाल हो गया था जिससे पता चल रहा था की दीदी के साथ जो वो आदमी कर रहा था उसको वो अच्छे से महसूस कर रही थी. एक बार को मेरा मन हुआ की जाकर उस आदमी को चांटा मार दूं पर पता नहीं क्यों मैं वही बैठा रहा और चुपचाप देखता रहा.

दीदी की तरफ से कोई विरोध न होते देख कर उस आदमी का हौसला बढ़ रहा था और वो दीदी से और ज्यादा चिपक गया और उनके बालों में अपनी नाक लगा कर सूंघने लगा. अब दीदी काफी परेशान सी दिख रही थी. दीदी की चोटी उस आदमी के बदन से रगड़ खा रही थी. मेरी बेहद खूबसूरत बहन के साथ उस गंदे आदमी को चिपके हुए देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. तभी उस आदमी ने अपना निचला हिस्सा हिलाना शुरू कर दिया और उसका लंड पेंट के अन्दर से दीदी के उभरे हुए चूतरों पर रगड़ खाने लगा. ये हरकतें करते हुए वो आदमी दीदी के चेहरे के बदलते हुए हाव भाव देखने लगा.

उस जगह अँधेरा होने का वो आदमी अब पूरा फायदा उठा रहा था वैसे भी इतनी सुन्दर जवानी से भरपूर लड़की उसकी किस्मत में कहाँ थी. दीदी न जाने क्यों उसे रोक नहीं रही थी और बीच बीच में मुझे भी देख रही थी की कहीं मैं तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने एक अख़बार उठा लिया था और उसको पढने के बहाने कनखियों से दीदी को देख रहा था. जब दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा तो वो थोड़ी रिलैक्स लगने लगी.

वो आदमी लगभग १० मिनट से दीदी के कपड़ो के ऊपर से ही खड़े खड़े अपना लंड अन्दर बहार कर रहा था. तभी मुझे लगा उस आदमी ने दीदी के कान में कुछ बोला जिसका दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया. फिर उस आदमी ने अपना दीवार की तरफ वाला हाथ उठा कर शायद दीदी की चूंची को साइड दबा दिया और दीदी की ऑंखें ५ सेकंड के लिए बंद हो गयी और उनके दान्त उनके रसीले होंठो को काटने लगे.

मुझे ठीक से समझ नहीं आया पर शायद वो आदमी हवस के नशे में दीदी की चूंची को ज्यादा ही जोर से दबा गया था.
मुझे भी मज़ा आ जाता है जब बस मे दीदी के पीछे कोई लंड सता देता है। कल मेरे घर एक बढई मिस्तरीआया था जो घर के बगल।मे ही रहता है दीदी को घुरता भी है मुझे तो लगा दीदी को चोदने ही आया है मैभी ध्यान दे रहा था कुछ देखने मील जाए पर दीदी लगता है समझ गयी सीर्फ चुची दबावाई रुम से बाहर नीकलने पर चेहरा लाल हो गया था दीदी का।
 
Ranu said:
sexstories said:
बस उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ. बस हम दोनों के बीच ज्यादा बात नहीं हुई और धीरे धीरे एक हफ्ता बीत गया. मैं रिशू के साथ एक दो बार साइबर कैफ़े भी हो आया और रिशू के साथ अब मैं खुल कर सेक्स के बारे में बात करने लगा. उसकी सेक्स की नॉलेज सिर्फ बुक और फिल्म तक ही नहीं थी बल्कि उसकी बातो से लगता था की उसने कई बार प्रक्टिकल भी किया था पर किसके साथ ये उसने मुझे नहीं बताया.

कुछ दिनों बाद पापा दीदी के लिए घर में ही कंप्यूटर ले आये थे और मैं अक्सर उसपर गेम खेलता रहता था. मेरे पेपर हो गए थे और हम रिजल्ट का वेट कर रहे थे. गर्मी की छुट्टिया शुरू हो गयी थी. उस दिन भी मैं गेम खेल रहा था. फ्राइडे का दिन था. दीदी मेरे पास आकर बोली चलो कंप्यूटर बंद करो और मेरे साथ बैंक चलो.

क्यों दीदी क्या हुआ.

अरे मुझे एक फॉर्म के साथ ड्राफ्ट भी लगाना है जल्दी से तैयार हो जा.

जब मैं तैयार हो कर नीचे पहुंचा तो दीदी ने भी ड्रेस चेंज करके एक ग्रीन कलर का कुरता और ब्लैक चूडीदार पहन लिया था और अपने रेशमी बालों की एक लम्बी पोनी बनी हुई थी.
जल्दी कर मोनू बैंक बंद होने वाला होगा. आज मेरे को ड्राफ्ट बनवाना ही है. कल फॉर्म भरने की लास्ट डेट है बोलते बोलते दीदी सैंडल पहनने के लिए झुकी तो उनके कुरते के अन्दर कैद वो गोरे गोरे उभार मुझे नज़र आ गए. मेरा दिल फिर से डोल गया और हम बैंक की तरफ चल पड़े.

मैंने मेह्सूस किया की लगभग हर उम्र का आदमी दीदी को हवस भरी नज़रो से घूर रहा था. पर दीदी उनपर ध्यान न देते हुए चलती जा रही थी. मुझे अपने ऊपर बड़ा फक्र हुआ की मैं इतनी खूबसूरत लड़की के साथ चल रहा था भले ही वो मेरी बहन ही.हम १५ मिनट में बैंक पहुँच गए पर उस दिन बैंक में बहुत भीड़ थी. ड्राफ्ट वाली लाइन एक दम कोने में थी और उसके आस पास कोई और लाइन नहीं थी. शुक्र था की वहां ज्यादा भीड़ नहीं थी.

मोनू तू यहाँ बैठ जा और ये पेपर पकड़ ले मैं लाइन में लगती हूँ दीदी बैग से कुछ पेपर निकलते हुए बोली.

मैं वही साइड पर रखी बेंच पर बैठ गया और दीदी कोने में जाकर लाइन में लग गयी. मैं बैठा देख रहा था की बैंक की ईमारत की हालत खस्ता थी. एक बड़ा हाल जिसमे हम लोग बैठे थे. और बाकि तीन तरफ कुछ कमरे बने थे. कुछ खुले थे कुछ में ताला लगा था. जिस जगह मैं बैठा था उसके पीछे के कमरे में तो सिर्फ टूटा फर्निचर ही भरा था.

खैर ये तो उस समय के हर सरकारी बैंक का हाल था. जहाँ दीदी खड़ी थी उस जगह तो tubelight भी नहीं जल रही थी, अँधेरा सा था. दीदी मेरी तरफ देख रहीं थी और मुझसे नज़र मिलने पर उन्होंने एक हलकी सी तिरछी स्माइल दी जैसे कह रही हो ये कहा फंस गए हम.

तभी दीदी के पीछे एक आदमी और लाइन में लग गया जिसकी उम्र करीब ३५ साल होगी. वो गुटका खा रहा था. उसने एक दम पुराने घिसे हुए से कपडे पहने थे. एक दम काले तवे जैसा उसका रंग था. गर्मी भी काफी हो रही थी.

कितनी भीड़ है बहेंनचोद... उसने गुटका थूकते हुए कहा.

तभी उसका फ़ोन बजा मैं तो अचम्भे में पड़ गया की ऐसे आदमी के पास मोबाइल फ़ोन कैसे आ गया. उस वक़्त मोबाइल रखना एक बहुत बड़ी बात थी वो भी हमारे छोटे से शहर में.
फ़ोन उठाते ही वो सामने वाले को गलिया देने लगा. बहन के लौड़े तेरी माँ चोद दूंगा वगेरह. दीदी भी ये सब सुन रही थी पर क्या कर सकती थी. उस आदमी को भी कोई शर्म नहीं थी की सामने लड़की है वो और भी गलिया दिए जा रहा था. मुझे गुस्सा आ रहा था पर तभी उसने फ़ोन काट दिया.

५ मिनट के बाद मैंने देखा तो मुझे लगा की जैसे वो आदमी दीदी से चिपक के खड़ा है. उसका और दीदी का कद बराबर था और उसने अपनी पेंट का उभरा हुआ हिस्सा ठीक दीदी के चूतरों पर लगा रखा था. मेरी तो दिल की धड़कन ही रुकने लगी. वो आदमी दीदी की शकल को घूर रहा था और दीदी के कुरते से उनकी पीठ कुछ ज्यादा ही नज़र आ रही थी. मुझे लगा वो अपनी सांसे दीदी की खुली पीठ पर छोड़ रहा था.

दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मैं दूसरी तरफ देखने लगा जिससे दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा और दीदी थोडा आगे हुई तो मैंने देखा उस आदमी के पेंट में टेंट बना हुआ था उसने अपने हाथ से अपना लंड एडजस्ट किया, इधर उधर देखा और फिर से आगे बढकर दीदी से चिपक गया. अब उसकी पेंट का विशाल उभार उनके उभरे हुए चूतड़ो के बीच में कहीं खो गया. दीदी का चेहरा लाल हो गया था जिससे पता चल रहा था की दीदी के साथ जो वो आदमी कर रहा था उसको वो अच्छे से महसूस कर रही थी. एक बार को मेरा मन हुआ की जाकर उस आदमी को चांटा मार दूं पर पता नहीं क्यों मैं वही बैठा रहा और चुपचाप देखता रहा.

दीदी की तरफ से कोई विरोध न होते देख कर उस आदमी का हौसला बढ़ रहा था और वो दीदी से और ज्यादा चिपक गया और उनके बालों में अपनी नाक लगा कर सूंघने लगा. अब दीदी काफी परेशान सी दिख रही थी. दीदी की चोटी उस आदमी के बदन से रगड़ खा रही थी. मेरी बेहद खूबसूरत बहन के साथ उस गंदे आदमी को चिपके हुए देख कर मेरा लंड खड़ा होने लगा. तभी उस आदमी ने अपना निचला हिस्सा हिलाना शुरू कर दिया और उसका लंड पेंट के अन्दर से दीदी के उभरे हुए चूतरों पर रगड़ खाने लगा. ये हरकतें करते हुए वो आदमी दीदी के चेहरे के बदलते हुए हाव भाव देखने लगा.

उस जगह अँधेरा होने का वो आदमी अब पूरा फायदा उठा रहा था वैसे भी इतनी सुन्दर जवानी से भरपूर लड़की उसकी किस्मत में कहाँ थी. दीदी न जाने क्यों उसे रोक नहीं रही थी और बीच बीच में मुझे भी देख रही थी की कहीं मैं तो नहीं देख रहा हूँ. मैंने एक अख़बार उठा लिया था और उसको पढने के बहाने कनखियों से दीदी को देख रहा था. जब दीदी को लगा मैंने कुछ नहीं देखा तो वो थोड़ी रिलैक्स लगने लगी.

वो आदमी लगभग १० मिनट से दीदी के कपड़ो के ऊपर से ही खड़े खड़े अपना लंड अन्दर बहार कर रहा था. तभी मुझे लगा उस आदमी ने दीदी के कान में कुछ बोला जिसका दीदी ने कुछ जवाब नहीं दिया. फिर उस आदमी ने अपना दीवार की तरफ वाला हाथ उठा कर शायद दीदी की चूंची को साइड दबा दिया और दीदी की ऑंखें ५ सेकंड के लिए बंद हो गयी और उनके दान्त उनके रसीले होंठो को काटने लगे.

मुझे ठीक से समझ नहीं आया पर शायद वो आदमी हवस के नशे में दीदी की चूंची को ज्यादा ही जोर से दबा गया था.
मुझे भी मज़ा आ जाता है जब बस मे दीदी के पीछे कोई लंड सता देता है। कल मेरे घर एक बढई मिस्तरीआया था जो घर के बगल।मे ही रहता है दीदी को घुरता भी है मुझे तो लगा दीदी को चोदने ही आया है मैभी ध्यान दे रहा था कुछ देखने मील जाए पर दीदी लगता है समझ गयी सीर्फ चुची दबावाई रुम से बाहर नीकलने पर चेहरा लाल हो गया था दीदी का।
अब आज जो बढई मिस्तिरी ने दीदी के दरवाजे को ठीक कर दीदी की चुची दबाई थी वह दीदी को चोदने के चक्कर मे लगा थाउसका नाम डब्बु है उसने मुझे अपने दुकान बुलाया और पुछा दरवाजा सही काम कर रहा है तो मैने कहाँ नही तो उसने कहा चलो देख लू फिर मे सीधा दीदी के रूम के पास ले आया और दीदी को आवाज लगायि तो दीदी बाहर आयि और पुछा क्या है तो मैने कहा डब्बु जी दरवाजा चेक करने आए है तो दीदी ने कहा दरवाजा तो ठीक है इसपर डब्बु ने मेरी ओर देखा और बोला उस दिन गेट मे पेच जल्दी मे सही से कस नही पाया था और दीदी की चुचीयों को घुरने लगा दीदी भी शायद चुदना चाहती थी। और मुझे दीदी को चोदने मे शायद डब्बु मदद करे। डब्बु जो शायद समझ गया की मे दीदी कि सेटीगं मे उसकी मदद कर रहाँ हुं।मुझे खुसी से आंख मारते हुऐ कहा भाई जरा मेरे दुकान से औजार ले आओ तो मे तुम्हारी दीदी के दरवाजे सही कर देता हुं। उसकी दुअर्थी बाते सुन दीदी और मे दोनो खुस हो गये। मैने कहा कंहा रखा है तो उसने फिर आंख मारी और कहा दुकान मे मिल जायेगा। फिर मे जल्दी से घर से नीकला। अब डब्बु दीदी के सा थ अकेले था मे भी थोरी देर बाद घर मे गया और दीदी के रूम के पास जो छेद मैने कीया है जीससे मैने दीदी को मामा और उनके दोस्तो का लंड अपने बुर मे लेते देखता था। उंहा से देखने लगा अंदर दीदी सिर्फ पैंट उतार कर चुदा रही थी। सुबह सुबह दीदी की चुदाई देख मुड़ बन गया। मुठ मारने लगा जब माल झरा तब होस आया।फिर जल्दी से अपना माल पोछ के दीदी का गेट खटखटाया तो डब्बु अपना पैट ठीक करते बाहर नीकला और कहाँ आज तुमहारी दीदी की गेट टाईट कर दी है मैने तब दीदी पीछे से आयि  मैने देखा उनका पैट मे बुर के पास गीला हुआ है 
और बोली हां डब्बु जी ने बहुत मेहनत कीया दरवाजा बनाने मे। फिर डब्बु ने कहा रानु मेरे दुकान पर औजार नही मिला क्या आंख मारकर मैने कहा कोई लेक गये थे मैने वेट कीया फिर वे नही आये तो मे चला आया।पर आप तो दीदी के गेट को टाईट अच्छे से कर दीये बीना औजार के तो उसने कहा तुमहारी दीदी के पास बहुत टाईट औजार है अब तो मै तुमहारी दीदी से ही ले लुंगा।और दीदी की ओर देखक मुस्कराया ईसपर दीदी भी हसी और कहा रानु डब्बु जी बहुत अच्छे गेट टाईट कर दीये।मे अब डब्बु जी से ही काम करवाउंगी। इसपे डब्बु ने कहा मेरे दोस्त भी तुमहारी गेट के बारे मे बारे मे बोलते है कि इसका गेट बहुत टाइट होगा तुमने तो सुना होगा ही ( डब्बु और इसके दोस्त सब दीदी की गाड़ पर बहुत कामेंट करते है दीदी ने भी सुना है) इसप र दीदी ने आपने तो टाईट कीया है सबको बता दीजीये की गेट टाईट है।ईधर दीदी की बाते सुन कर मेरा लं ड टाईट हो रहा था। फि मैने कहा अब जब गेट ठीक हो गया है तो चला जाये इसपर डब्बू जी ने कहा पर गेट जादा टाईट रहेगा तो पेंच उखर सकता है तो दीदी ने कहाँ तो ढीला कर दीजीऐ(दोनो भी चुदाई करना चाह रहे थे) तब मैने कहाँ बारबार खुलेगा तो ढीला हो जायेगा। तो फिर डब्बु ने कहा ठीक है पर मेरे दोस्त सब मिलकर एकदीन मे गेट ढीला कर सकते है तो दीदी ने जो कहाँ चौका देने वाली बात थी।उसने कहा की हां मैने देखा है आपके दोस्तो को उन सब के साथ गेट ढीला करवादे सब साथ करे तो ठीक है मे दीदी की बाते सुन हैरान हो गया क्युकी दीदी तो सब सेअपना बुर चोदना चाह रही है और डब्बु के एक दोस्त राजु को मैने देखा है वह दीदी की चुची गाड़ को देख कर बहु गंदी बाते करता है खुद छह फीट का है और दीदी पर चढ़ेगा तो दीदी कुतिया की तरह कीकीया जाऐगी फीर भी दीदी कैसे यह कह रही है समझ मे नहीँ  रहा था।तभी डब्बु बोला कहो तो राजु को ढी करने बोलु मे तो दीदी ने कहा हां वो भी ठीक रहेगा।अब मेरा दीमाग खराब होनेलगा कंहाँ डब्बू से दीदी की सेटीं ग कराके डब्बू स दोस्ती करके मे दीदी को खाता या जैसे मामा अपने दोस्तो के सा थ दीदी को खाते है वैसा ही हमलोग भी करते।पर यंहा तो डब्बु जी अपने दोस्त के साथ दीदी को खाना चाह रहे है।
तभी मे डब्बू जी को आंख मारा और कहा अब चला जाये। तो डब्बु ने कहा हाँ अब चलते है और दीदी से मोबाईल नं मांगा मैने कहा मे देदेता हुं आप चलीऐ।वह कंहा हां चलो फिर हम जैसे ही उघर से बाहर नीकले डब्बु ने धीरे से कहा बहुत गर्म बुर था और मुझे पकङ कर थैकंस कहा मैने कहा ये कंयु तो उसने कहा भाई तुझे सब पता है आज की रात मेरे तरफ से पार्टी जीसमें बस मे और तू रंहेगे। बहु मज़ा आ भाई तेरी दीदी  की लेके बहुत गर्म है तेरी दीदीदी। मै झुठ का चौकते हुऐ क्या मैं समझा नही तब उसने कहा की जब मै तेरे घर गया तो गेट तो सही काम कर रहाँ था और तेरी दीदी ने भी वही कहाँ पर तु मेरे आंख मारने पर दुकान गया और लेट से आया जबकी दुकान बंद थी। तब मे समझ गया की तू अपनी दीदी को चोदवाना चाहता था पर अब ये बताओ की तेरी दीदी की ये चक्कर था या तेरा।
तब मैने हकलाते हुए कहा नही दीदी को कुछ पता नहीँ था ईसके बारे में वो मै ही दीदी को देखना चाहता था । उस दिन जब आप दरवाजा ठीक कर दीदी की चुची दबा रहे थे तो मैने देखलीया था। पर मेरे होने के वजह से आप कुछ कर ही नहीँ रहे थे। और जब आज आपने बुलाया तो मेरे घर मे कोई था भी नहीँ और मैने सोचा दीदी क्या करती है ये भी पता चल जायगा फीर मै सही नीकला दीदी ने आपसे भी चुदा लीया।
पर आप ये बात प्लीज कीसी को मत कहीयेगा प्लीज। डब्बू ने कहा हां यार मै कंयो कंहुगा पर तेरी दीदी तो बहुत गर्म है मेरे दोस्तो से खुद पेलवानाचाहती है और ये बात दीदी आपसे भी चुद गयी क्या मतलब तूने भी चोदा है अपनी दीदी को? मैने कहा कंहाऐसी मेरी किस्मत मै दीदी के बुर में अपना लंड डाल सकु। मै तो आपको ईसलीए लेक गया था की आप जब चोद लेंगे तब आप से दोस्ती बढा कर मे अपनी बात करता।
डब्बु ने हँस कर कहा ये कैसे होगा तु कैसे अपनी दीदी की बुर लेगा तुझे शर्म नही आती ऐसी बाते करते 
तब मैने कहाँ जब दीदी के साथ जब मे ईधर से गुजरता तब आप लोग जब दीदी की गांड चुची को देख कर दीदी को कहते थे ये तो पुरा लंड खा जायगी लगता है भाई के साथ सोती है भाई ही चोदता होगा बहुत गर्म जवानी है तब तो कुछ नहीँ दीदी कहती थी।अब आपसे दोस्ती कर लेता हुं और दीदी ने तो कहा भी है आपके दोस्तो के साथ गेट ढीला करवाने को कंयो सही कहा ना ।हाहाहा
चोद के कैसा लगा दीदी का बुर ये बताईऐ मजेदार था? मैने ही आपका काम बनाया।
डब्बु ने कहा मान गया भाई तुझे तू सच मे अपनी बहन को खा लेगा पर ये बता तेरी दीदी पहले किस से चुदा रही थी 
अब सब बात रात की पार्टी में।अब दीदी की चुची नाप लू बढा या नही। बाय 
घर मे घुसा तो दीदी दफा 302 नाम की किताब जीसमे उतेजक कहानी रहटी है वह पढ रही थी बीस्तर पर लेट कर।मुझे देख कर कहा था अबतक तब मैने कहाँ डब्बु जी के साथ था
दीदी ने कहा कोई काम था क्या तो मैने कहा नहीँ वह तुमहारी बहुत तारीफ कर रहे थे बोले की तुमहारीदीदी का दील बहुत बरा है बहुत अच्छे से औजार रखी हैएकदाम साफ चिकना है
मेरा मन खुस हो गया तुमहारी दीदी के गेट टाईट करके इतने अच्छे से मेरा औजार पकरे थी की क्या कहु। मेरे दोस्त सब भी तुमहारी दीदी का गेट ढीला करेंगे अब।
दीदी भी ख़ुश होते हुए कहने लगी हां भाई ठंड मे मेरे दरवाजे से बहु हवा आती थी आज डब्बु जी ने ज्यादा ही टाईट कर दीया है अब अपने दोस्तो को साथ मेरा गेट ढीला करदे बस।
 
Back
Top