hotaks444
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दोस्तों, ये कहानी मैंने काफी समय पहले कही पढ़ी थी और मुझे बहुत पसंद आई थी. कहानी का लेखक कोई और है मैं सिर्फ इसे हिंदी में देने की कोशिश कर रहा हूँ.
बात १९९९ की है जब मैं १२वी में पढता था. हम एक छोटे से शहर में रहते थे और हमारा एक छोटा सा परिवार था. मुझे मिला कर घर में कुल 4 लोग थे. पहले घर के बड़े मेरे मम्मी (४८ साल) और पापा (५५ साल), फिर मेरी एकलौती बेहन रश्मि (१९ साल) और सबसे छोटा मैं मोनू(१६ साल).
मेरी बहन रश्मि बहुत ही खूबसूरत है. दीदी की हाईट ५'५", स्लिम, दूधिया रंग और जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है उनके रेशमी लम्बे काले बाल जो उनके कमर के नीचे तक आते है. कुल मिला कर रश्मि दीदी किसी फिल्म एक्ट्रेस से कम नहीं लगती थी. दीदी बीकॉम कर रही थी और उनकी मैथ बहुत अच्छी थी और मुझे वही मैथ पढ़ाती थी. १०वी के बाद मेरा स्कूल बदल गया था और इस नए स्कूल में ज्यादा दोस्त नहीं है बस दो तीन गिने चुने दोस्त है. उन्ही में से एक दोस्त है रिशू. जब मै नया नया इस स्कूल में आया था तो कुछ लडको ने मेरी रैगिंग करने की कोशिश की थी तब रिशू ने मुझे बचा लिया था. तब वो १२वी में था और 2 साल से फेल हो रहा था. अब वो तीसरी बार फेल हो कर मेरा क्लास फेलो हो गया है.
दरअसल रिशू की माँ और मेरी मम्मी पुराने दोस्त है, मैं कामिनी आंटी (रिशू की मम्मी) को तो अच्छे से जानता हूँ क्योंकि वो अक्सर मेरे घर आती है और मम्मी और दीदी के साथ घंटो बातें करती रहती है. पर रिशू कभी मेरे घर नहीं आया पर उसने मुझे किसी फंक्शन में मेरी मम्मी के साथ देखा था तो वो मुझे जानता था इसीलिए उसने मुझे रैगिंग से बचा लिया था. क्योंकि वो ५-६ साल से इसी स्कूल में था और वो गुंडागर्दी ज्यादा करता था पढाई कम इसीलिए सब उससे डरते थे. तभी से मैंने उससे दोस्ती करली ताकि मुझे स्कूल में कोई परेशान न करे.
मेरा स्कूल एक सरकारी स्कूल था जिसमे सिर्फ लड़के पड़ते थे. एक दिन लंच टाइम में रिशू मेरे पास आया और बोला "अबे अकेले अकेले क्या खा रहा है." मैंने बोला भाई "आप भी खा लो" तो वो हसने लगा और बोला जल्दी से खा ले तुझे एक चीज दिखानी है. मैंने जल्दी जल्दी खाना खाया और रिशू से बोला हां भाई क्या चीज दिखानी थी. रिशू मुझे क्लास के पीछे मैदान में ले गया जहा कोई और नहीं था और अपनी शर्ट के अन्दर से एक किताब निकल कर मुझे दिखाई. उस किताब में नंगी लडकियों की फ़ोटो बनी थी. रिशू का चेहरा चमक रहा था और पहली बार नंगी लड़की का फ़ोटो देख कर मेरा चेहरा उत्तेजना और शर्म से लाल हो गया था.
मेरा चेहरा देख कर रिशू बोला अबे चूतिये क्या हुआ? तेरी गांड क्यों फट रही है. मैंने कहा रिशू भाई कोई देख लेगा. अगर किसी ने पकड़ लिया तो बहुत पिटाई होगी.
रिशू बोला अबे साले फट्टू. इतनी मुश्किल से तो ये किताब का जुगाड़ किया है मैंने. पता है दिल्ली से मंगवाई है. यहाँ नहीं मिलती. और वो किताब के पन्ने पलटने लगा. दुसरे पन्नो में लडकियों के साथ नंगे लडको की भी तस्वीरे थी और कुछ तो चुदाई की भी थी. जिंदगी में पहली बार मैंने ये सब देखा था. मुझे डर भी लग रहा था और देखने की इच्छा भी हो रही थी. तभी बेल बजी और हम दोनों वापस क्लास में आ गये और मास्टर भी क्लास में आ गए थे पर मेरा मन अब भी बाकि की तस्वीरों को देखने का हो रहा था.
उस दिन जब मै घर गया तो घर पर सिर्फ मम्मी ही थी पापा शाम को ७ बजे तक ऑफिस से आते थे और दीदी 4 बजे कॉलेज से आती थी. खैर मैं खाना खा कर अपने कमरे में आराम करने चला गया. मैं आपको ये बता दूं की मेरा और दीदी का कमरा एक ही है बस बेड अलग अलग हैं. मार्च का महीना था ज्यादा गर्मी नहीं थी तो मुझे जल्दी ही नींद आ गयी. मुझे सपने में भी वोही नंगी लड़कियां उनके बूब्स नज़र आ रहे थे. तभी अचानक मेरी आँख किसी शोर से खुल गयी. सामने बेड पर दीदी की किताबे पड़ी थी यानि वो कॉलेज से लौट आई थी. सपनो की वजह से मेरे पैजामे में टेंट बना हुआ था. वो तो मैं उल्टा सो रहा था वरना दीदी को भी दिख जाता. मैं अपना लंड पैजामे में एडजस्ट कर ही रहा था की रश्मि दीदी रूम में आ गयी. उन्होंने पिंक कुरता और ब्लैक चूरीदार पहना हुआ था.
और mr. जाग गए, कितना सोते हो. दीदी ने अपना दुपट्टा स्टडी टेबल पर रखते हुए कहा. अभी भी मैं थोडा खुमारी में था. दुपट्टा हटने से रश्मि दीदी के बूब्स उभर कर आ गए और मेरी नज़र उनसे चिपक गयी. पहले भी मैं दीदी को कई बार बिना दुप्पटे के देख चूका हूँ पर पता नहीं क्यों उस दिन उनके दुपट्टा हटाते ही मुझे वो नंगी तस्वीरो की याद आ गयी और मैं उन लडकियों के बूब्स की तुलना दीदी के बूब्स से करने लगा . तभी दीदी अपने बेड पर बैठ गयी और अपने जुड़े को खोल दिया और उनके सेक्सी बाल उनके कंधो पर लहरा गए और मेरे लंड ने एक झटका लिया. क्या हुआ ऐसे क्या देख रहा है दीदी ने मुझसे कहा. मझे ऐसे लगा की मेरी चोरी पकड़ी गयी है. घबरा कर मैं बोला वो वो कुछ नहीं... आपके बाल ... मेरा गला सूख रहा था तभी दीदी हँसते हुए मेरे बगल में आ कर बैठ गयी.
मुझे उनके बदन से deo की भीनी भीनी खुसबू आ रही थी और साथ ही डर भी लग रहा था की कही दीदी मेरे पैजामे की तरफ न देख ले पर दीदी ने मेरे गाल पर एक प्यार भरी चपत लगाई और बाहर जाने लगी. उनके लम्बे बाल उनके कंधो पर बड़ी ही सेक्सी तरीके ले लहरा कर मुझे मुह चिढ़ा रहे थे.
अगले दिन रिशू मुझे क्लास में छेड़ते हुए बोला अबे वो किताब कैसी लगी तुझे मज़ा आया था. हम क्लास में पिछले डेस्क में बैठे थे.
कितनी बार मुठ मारा तूने बोल बोल भाई से क्या शर्म. वो फिर बोला
मैंने ऐसा कुछ नहीं किया मैंने चिढ़ते हुए कहा
अबे चूतिये सिर्फ फ़ोटो देख के तेरा ये हाल है अगर तुझे फिल्म दिखा दी तो क्या होगा. बोल देखेगा नंगी लडकियों की फिल्म
ये सुन कर मेरे लंड में हरकत होने लगी और न चाहते हुए भी मेरे मुह से निकला क..क..कहा देखेंगे
वो मुझ पर छोड़ दे बस छुट्टी के बाद मेरे साथ चलना.
छुट्टी के बाद वो मुझे स्कूल के पास वाले साइबर कैफे में ले गया. कैफे वाला रिशू को पहचानता था उसने हमें कोने का एक केबिन दे दिया. कंप्यूटर रिशू ऑपरेट कर रहा था. देख कर लग रहा था की वो काफी एक्सपर्ट है. तभी उसने एक साईट ओपन कर के एक लिंक पर क्लिक किया और कुछ सेकेंड बाद एक क्लिप चलने लगी जिसमे एक आदमी एक लड़की के ऊपर चढ़ा था लड़की झुकी हुई थी और वो आदमी जोर जोर से धक्के लगा रहा था. ये देख कर मेरा लंड एक दम तन कर खड़ा हो गया
इसको चुदाई कहते है मेरे लाल. देख कैसे चोद रहा है लड़की की चूत को. रिशू बोला
मै कुछ बोल नहीं रहा था बस कंप्यूटर स्क्रीन को घूरे जा रहा था. गला सूख रहा था और दिल जोर से धड़क रहा था. डर भी लग रहा था की खाई कोई पकड़ न ले.
अचानक मेरी ऑंखें नीचे गयी तो मैंने देखा की रिशू की पेंट का टेंट मेरे टेंट से काफी बड़ा था. मैंने फिर से कंप्यूटर की तरफ देखा अब एक दूसरी क्लिप चल रही थी जिसमे दो काले आदमी एक गोरी लड़की को बड़ी बेरहमी से चोद रहे थे. ये देख कर मेरा लंड और अकड़ गया. क्लिप छोटी छोटी ही थी पर उनसे मेरे अन्दर बड़ी बड़ी उमंगें जग गयी थी. हम १ घंटे के बाद अपने अपने घर चले आये.
बात १९९९ की है जब मैं १२वी में पढता था. हम एक छोटे से शहर में रहते थे और हमारा एक छोटा सा परिवार था. मुझे मिला कर घर में कुल 4 लोग थे. पहले घर के बड़े मेरे मम्मी (४८ साल) और पापा (५५ साल), फिर मेरी एकलौती बेहन रश्मि (१९ साल) और सबसे छोटा मैं मोनू(१६ साल).
मेरी बहन रश्मि बहुत ही खूबसूरत है. दीदी की हाईट ५'५", स्लिम, दूधिया रंग और जो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है उनके रेशमी लम्बे काले बाल जो उनके कमर के नीचे तक आते है. कुल मिला कर रश्मि दीदी किसी फिल्म एक्ट्रेस से कम नहीं लगती थी. दीदी बीकॉम कर रही थी और उनकी मैथ बहुत अच्छी थी और मुझे वही मैथ पढ़ाती थी. १०वी के बाद मेरा स्कूल बदल गया था और इस नए स्कूल में ज्यादा दोस्त नहीं है बस दो तीन गिने चुने दोस्त है. उन्ही में से एक दोस्त है रिशू. जब मै नया नया इस स्कूल में आया था तो कुछ लडको ने मेरी रैगिंग करने की कोशिश की थी तब रिशू ने मुझे बचा लिया था. तब वो १२वी में था और 2 साल से फेल हो रहा था. अब वो तीसरी बार फेल हो कर मेरा क्लास फेलो हो गया है.
दरअसल रिशू की माँ और मेरी मम्मी पुराने दोस्त है, मैं कामिनी आंटी (रिशू की मम्मी) को तो अच्छे से जानता हूँ क्योंकि वो अक्सर मेरे घर आती है और मम्मी और दीदी के साथ घंटो बातें करती रहती है. पर रिशू कभी मेरे घर नहीं आया पर उसने मुझे किसी फंक्शन में मेरी मम्मी के साथ देखा था तो वो मुझे जानता था इसीलिए उसने मुझे रैगिंग से बचा लिया था. क्योंकि वो ५-६ साल से इसी स्कूल में था और वो गुंडागर्दी ज्यादा करता था पढाई कम इसीलिए सब उससे डरते थे. तभी से मैंने उससे दोस्ती करली ताकि मुझे स्कूल में कोई परेशान न करे.
मेरा स्कूल एक सरकारी स्कूल था जिसमे सिर्फ लड़के पड़ते थे. एक दिन लंच टाइम में रिशू मेरे पास आया और बोला "अबे अकेले अकेले क्या खा रहा है." मैंने बोला भाई "आप भी खा लो" तो वो हसने लगा और बोला जल्दी से खा ले तुझे एक चीज दिखानी है. मैंने जल्दी जल्दी खाना खाया और रिशू से बोला हां भाई क्या चीज दिखानी थी. रिशू मुझे क्लास के पीछे मैदान में ले गया जहा कोई और नहीं था और अपनी शर्ट के अन्दर से एक किताब निकल कर मुझे दिखाई. उस किताब में नंगी लडकियों की फ़ोटो बनी थी. रिशू का चेहरा चमक रहा था और पहली बार नंगी लड़की का फ़ोटो देख कर मेरा चेहरा उत्तेजना और शर्म से लाल हो गया था.
मेरा चेहरा देख कर रिशू बोला अबे चूतिये क्या हुआ? तेरी गांड क्यों फट रही है. मैंने कहा रिशू भाई कोई देख लेगा. अगर किसी ने पकड़ लिया तो बहुत पिटाई होगी.
रिशू बोला अबे साले फट्टू. इतनी मुश्किल से तो ये किताब का जुगाड़ किया है मैंने. पता है दिल्ली से मंगवाई है. यहाँ नहीं मिलती. और वो किताब के पन्ने पलटने लगा. दुसरे पन्नो में लडकियों के साथ नंगे लडको की भी तस्वीरे थी और कुछ तो चुदाई की भी थी. जिंदगी में पहली बार मैंने ये सब देखा था. मुझे डर भी लग रहा था और देखने की इच्छा भी हो रही थी. तभी बेल बजी और हम दोनों वापस क्लास में आ गये और मास्टर भी क्लास में आ गए थे पर मेरा मन अब भी बाकि की तस्वीरों को देखने का हो रहा था.
उस दिन जब मै घर गया तो घर पर सिर्फ मम्मी ही थी पापा शाम को ७ बजे तक ऑफिस से आते थे और दीदी 4 बजे कॉलेज से आती थी. खैर मैं खाना खा कर अपने कमरे में आराम करने चला गया. मैं आपको ये बता दूं की मेरा और दीदी का कमरा एक ही है बस बेड अलग अलग हैं. मार्च का महीना था ज्यादा गर्मी नहीं थी तो मुझे जल्दी ही नींद आ गयी. मुझे सपने में भी वोही नंगी लड़कियां उनके बूब्स नज़र आ रहे थे. तभी अचानक मेरी आँख किसी शोर से खुल गयी. सामने बेड पर दीदी की किताबे पड़ी थी यानि वो कॉलेज से लौट आई थी. सपनो की वजह से मेरे पैजामे में टेंट बना हुआ था. वो तो मैं उल्टा सो रहा था वरना दीदी को भी दिख जाता. मैं अपना लंड पैजामे में एडजस्ट कर ही रहा था की रश्मि दीदी रूम में आ गयी. उन्होंने पिंक कुरता और ब्लैक चूरीदार पहना हुआ था.
और mr. जाग गए, कितना सोते हो. दीदी ने अपना दुपट्टा स्टडी टेबल पर रखते हुए कहा. अभी भी मैं थोडा खुमारी में था. दुपट्टा हटने से रश्मि दीदी के बूब्स उभर कर आ गए और मेरी नज़र उनसे चिपक गयी. पहले भी मैं दीदी को कई बार बिना दुप्पटे के देख चूका हूँ पर पता नहीं क्यों उस दिन उनके दुपट्टा हटाते ही मुझे वो नंगी तस्वीरो की याद आ गयी और मैं उन लडकियों के बूब्स की तुलना दीदी के बूब्स से करने लगा . तभी दीदी अपने बेड पर बैठ गयी और अपने जुड़े को खोल दिया और उनके सेक्सी बाल उनके कंधो पर लहरा गए और मेरे लंड ने एक झटका लिया. क्या हुआ ऐसे क्या देख रहा है दीदी ने मुझसे कहा. मझे ऐसे लगा की मेरी चोरी पकड़ी गयी है. घबरा कर मैं बोला वो वो कुछ नहीं... आपके बाल ... मेरा गला सूख रहा था तभी दीदी हँसते हुए मेरे बगल में आ कर बैठ गयी.
मुझे उनके बदन से deo की भीनी भीनी खुसबू आ रही थी और साथ ही डर भी लग रहा था की कही दीदी मेरे पैजामे की तरफ न देख ले पर दीदी ने मेरे गाल पर एक प्यार भरी चपत लगाई और बाहर जाने लगी. उनके लम्बे बाल उनके कंधो पर बड़ी ही सेक्सी तरीके ले लहरा कर मुझे मुह चिढ़ा रहे थे.
अगले दिन रिशू मुझे क्लास में छेड़ते हुए बोला अबे वो किताब कैसी लगी तुझे मज़ा आया था. हम क्लास में पिछले डेस्क में बैठे थे.
कितनी बार मुठ मारा तूने बोल बोल भाई से क्या शर्म. वो फिर बोला
मैंने ऐसा कुछ नहीं किया मैंने चिढ़ते हुए कहा
अबे चूतिये सिर्फ फ़ोटो देख के तेरा ये हाल है अगर तुझे फिल्म दिखा दी तो क्या होगा. बोल देखेगा नंगी लडकियों की फिल्म
ये सुन कर मेरे लंड में हरकत होने लगी और न चाहते हुए भी मेरे मुह से निकला क..क..कहा देखेंगे
वो मुझ पर छोड़ दे बस छुट्टी के बाद मेरे साथ चलना.
छुट्टी के बाद वो मुझे स्कूल के पास वाले साइबर कैफे में ले गया. कैफे वाला रिशू को पहचानता था उसने हमें कोने का एक केबिन दे दिया. कंप्यूटर रिशू ऑपरेट कर रहा था. देख कर लग रहा था की वो काफी एक्सपर्ट है. तभी उसने एक साईट ओपन कर के एक लिंक पर क्लिक किया और कुछ सेकेंड बाद एक क्लिप चलने लगी जिसमे एक आदमी एक लड़की के ऊपर चढ़ा था लड़की झुकी हुई थी और वो आदमी जोर जोर से धक्के लगा रहा था. ये देख कर मेरा लंड एक दम तन कर खड़ा हो गया
इसको चुदाई कहते है मेरे लाल. देख कैसे चोद रहा है लड़की की चूत को. रिशू बोला
मै कुछ बोल नहीं रहा था बस कंप्यूटर स्क्रीन को घूरे जा रहा था. गला सूख रहा था और दिल जोर से धड़क रहा था. डर भी लग रहा था की खाई कोई पकड़ न ले.
अचानक मेरी ऑंखें नीचे गयी तो मैंने देखा की रिशू की पेंट का टेंट मेरे टेंट से काफी बड़ा था. मैंने फिर से कंप्यूटर की तरफ देखा अब एक दूसरी क्लिप चल रही थी जिसमे दो काले आदमी एक गोरी लड़की को बड़ी बेरहमी से चोद रहे थे. ये देख कर मेरा लंड और अकड़ गया. क्लिप छोटी छोटी ही थी पर उनसे मेरे अन्दर बड़ी बड़ी उमंगें जग गयी थी. हम १ घंटे के बाद अपने अपने घर चले आये.