Adult kahani पाप पुण्य - Page 11 - SexBaba
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Adult kahani पाप पुण्य

मनीष मुझे आश्चर्यचकित करते हुए पूरी तरह से स्थिति को काबू में कर, बहुत मंझे हुए खिलाड़ी की तरह अपनी मौसेरी बहन की नर्म-गुलाबी चूत को चोदे जा रहा था. उसका ६ इंच लम्बा किसी कलाई जैसा मोटा लंड मस्ती के साथ रश्मि दीदी की चिपचिपी हो चुकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था.

दीदी आनन्द में डूबकर छटपटा रही थी और किसी जानवर जैसी आवाजें निकाल रही थी और मनीष के साथ चुम्बन में व्यस्त थी- आआ.. जरा और जोर से चोदो मुझे.. हाय कितना मजा आ रहा है. थोड़ा रगड़ कर चोदो जरा.. फाड़ दो मेरी चूत को... ..ओए मस्त.. मस्त. हाय कितना मोटा लंड है तुम्हारा. बिलकुल गधे के लंड जैसा.. हाय कितना चिपचिपा हो गया है अन्दर तो.. लेकिन कितना मस्त..’ वासना में दीदी डूब उतरा रही थी.

कुछ मिनटों बाद अचानक मनीष ने अपना लंड दीदी की चूत से बाहर निकाल लिया और दोनों अलग हो गए. चुदासी दीदी ने अब मेरे लंड की तरफ देखा. उन्होंने अपनी नर्म-गुलाबी जीभ से मेरे लंड को चुभलाना शुरू कर दिया और मैं जन्नत में पहुच गया...

उधर मनीष जो अपना मूसल लंड दीदी की गोरी गांड के छेद से भिड़ाने में लगा हुआ था उसने अचानक एक झटका मार कर लंड का सुपाडा दीदी की गांड के अन्दर सरका दिया.

‘आआआह… आआ.. ओए. हाय कितना दर्द हो गया. निकाल ले.. उई माँ. बेहनचोद तूने तो मेरी गांड भी फाड़ डाली..’ रश्मि दीदी अचानक मनीष का सुपाडा गांड में जाने से हुए दर्द से चिल्लाने लगी- ऊऊऊ.. निकाल ले बाहर. मैं कह रही हूँ कुत्ते.
 
लेकिन इस बार मनीष ने लंड पूरा बाहर न निकाल कर सुपाड़ा अन्दर रखा और उसे अन्दर बाहर करता रहा.

थोड़ी देर में रश्मि दीदी नार्मल हो गई और धक्कों में मनीष का साथ देते हुए कहने लगी- आ.. हे भगवान कितना दर्द हुआ था.. बोलना तो चाहिए पहले... तूने तो जैसे जलती हुई रॉड ही मेरी गांड में घुसेड़ दी. भयानक दर्द हुआ ..उफ्फ कितना डरावना लंड है तुम्हारा. मुझे तो ऐसा लगा मानो मेरी गांड ही चीर दी हो... जा मोनू जरा तेल या क्रीम ले आ जल्दी से.

मैं जल्दी से तेल आ गया. दीदी ने डिब्बे से थोडा तेल निकाल कर मनीष के लंड को तर कर दिया और थोडा तेल उसने अपनी गांड पर मल दिया और बोली हां भैया अब लगाओ धक्का..

इस बार जब मनीष के गांड पर हल्का सा दबाव लगाते ही उसका मूसल लंड फिसलता हुआ रश्मि दीदी कि गांड में सरक गया और आसानी के साथ अन्दर बाहर होने लगा. अब रश्मि दीदी के चेहरे कि मुस्कराहट भी लौट चुकी थी,

वो बोली- तुमने तो मेरी जान ही ले ली थी.. लेकिन अब ठीक है.. मजा आ रहा है.. हाँ ऐसे ही चोदो मेरी गांड. हाय.. आऊ.. हाँ ऐसे. थोडा धीमे प्लीज.. हाँ ऐसे. हाँ हाँ.. चलो चोदते रहो अपनी बहन की गांड.. कितना मस्ती आती है जब तुम धीमे-2 मेरी गांड में घुसाते हो और तेजी से बाहर निकालते हो.. हाय मेरे मोनू तू भी आजा.. मैं चाहती हूँ कि तू मेरी चूत चोदे और मनीष मेरी गांड मारे.
 
दीदी की इच्छा सुन कर मैं सातवे आसमान पर पहुच गया और एक आज्ञाकारी भाई की तरह दीदी के नीचे लेट गया और रिशू के लंड से भोसड़ा बन चुकी दीदी की प्यारी चूत को चोदने लगा और मनीष मेरी प्यारी सी दीदी की गुलाबी गांड का कचूमर निकालने लगा.

‘आआह.. गज़ब.. मजा मजा मजा...’ दीदी सुध-बुध खोकर चिल्ला रही थी, जबकि मैं स्वयं भी ऐसा शानदार नजारा देख कर उत्तेजना से फटा जा रहा था.

आज मेरा दूसरा सपना भी पूरा हो रहा था.. पहला दीदी को चोदना और दूसरा 2इन1.. मैं हमेशा से रश्मि दीदी के साथ डबल पेनेट्रेशन करना चाहता था, और आज मेरी इच्छा पूरी ही रही थी.

पहले तो मनीष धीरे-2 धक्के लगाता हुआ मेरी दीदी की गांड को रवां करता रहा और थोड़ी देर बाद उसने अपने धक्कों में तेजी लाते हुए धुआंधार रफ़्तार से मेरी कमसिन बहन की गांड कुटाई चालू कर दी.

इस समय मेरे लंड को रश्मि दीदी की चूत के अन्दर भी मनीष के लंड का साफ़ एहसास हो रहा था और उसके लंड के भरपूर धक्कों की चोट मेरे लंड को भी खूब महसूस हो रही थी..

फिर मनीष लगातार अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ता जा रहा था और रश्मि दीदी की चूत में स्थित मेरे लंड को उसकी गांड में होने वाली कुटाई साफ़ महसूस हो रही थी.. वास्तव में तो मनीष का लंड रश्मि दीदी की गांड मार रहा था लेकिन चूत में घुसे मेरे लंड को भी उसके भयानक घिस्से महसूस हो रहे थे.

रश्मि दीदी तो मस्ती में सातवें असमान पर थी.. मुझे तो यकीं ही नहीं हो रहा था.. मनीष का मोटा लंड बिना किसी परेशानी के मेरी प्यारी बहन की कमसिन गांड में अन्दर-बाहर हो रहा था...

‘आआआआ.. ओईईईईई.. और और और और तेज..आ ऊऊ.. जोर से धक्के मारो.. आआआआ.. आईई.. ऐसे.. ऊऊऊऊऊ.. आआआ. रगड़ के मारो मनीष.. आआईईई.. आह कैसी मस्ती आ गई.. जैसे मर्जी चोदो मुझे मनीष, और तुम भी मोनू..’

रश्मि दीदी आंख मार कर मुस्कुराते हुए बोली- ..आज से तुम दोनों मेरे भाई नहीं पति हो... दोनों इकट्ठे घुसेड़ो.. मेरी चूत और गांड एक झटके में ही भरा करो अपने धक्कों से.. हाआआआन.. ये तो असली जन्नत है.. गजब. जरा रुकना मेरे प्यारे पतियों.. काफी देर से मैंने आपके लंडों का स्वाद नहीं चखा.. इस बार मैं दोनों को इकट्ठे ही अपने मुंह में लेना चाहती हूँ..
 
हम दोनों भाइयों ने अपने औजार रश्मि दीदी की भट्टियों से बाहर निकाले और हमारी रानी बेहना ने बिना देर किये उन्हें अपने दोनों हाथों की मुट्ठी में पकड़ कर सहलाते हुए अपनी जीभ से उनकी मसाज करने लगी.

हमारे लंड पूरे तनाव के साथ खड़े हुए थे और उत्तेजना में झटके मार रहे थे.

हमारी बहन ने पहले बारी-2 से दोनों लंडों को चूसना आरंभ किया, और फिर इकट्ठे ही मुंह में डालने की कोशिश करने लगी और वो इसमें कामयाब भी होने लगी थी.

‘वाह जानेमन. तुम तो गजब ढा रही हो.. दोनों ले लिए अपने छोटे से मुंह में?’ मैंने अपनी बहन की प्रशंसा की तो वो शर्मा कर अपनी आँखें छुपाने लगी..

‘मुझे लगता है कि हमारी प्यारी दीदी हमारे लौडों को एक साथ अपने सबसे छोटे छेद में भी ले सकती है...’

मेरे इतना कहते ही एक पल को तो सन्नाटा छा गया, लेकिन अगले ही पल मेरी बहन ने इस चैलेंज को स्वीकार करते हुए मुस्कराहट के साथ अपना सर हिला कर सहमति जताई.
 
पहले मैंने रश्मि दीदी के नीचे से निकल कर मनीष के लिए ज्यादा स्पेस बनाया, जिससे की वो ज्यादा आजाद होकर अपने लंड को दीदी के चूतड़ों में पेल सके.

मेरा सोचना बिल्कुल सही था और मेरे हटते ही मनीष ने शहंशाही अंदाज में अपने रुस्तम लंड को मेरी दीदी के चूतड़ों में पेल दिया. सिसकारियाँ भरते हुए रश्मि दीदी ने अपने चूतड़ स्थिर रखते हुए मूसल लंड के पूरा अन्दर घुस जाने का इंतजार किया और फिर जब मनीष ने हल्के-2 धक्कों से धीरे-2 चोदना शुरू कर दिया तो मैंने भी अपनी दीदी के चूतड़ों के पीछे जाकर अपने लंड से दीदी की गांड को कुरेदना शुरू किया जो पहले से ही मनीष के लंड से पूरी तरह भरी थी.

काफी मशक्कत के बाद आखिर मैंने भी अपने झटके मारते हुए लंड को मनीष के लंड के समान्तर रश्मि दीदी की गांड में घुसेड़ दिया तो उनके मुह से एक गगनभेदी चीख निकल गयी... दर्द तो मुझे भी हुआ पर यह वाकयी गजब का अनुभव था..

मैं रश्मि दीदी की चुदती हुई गांड के अन्दर पहुँच चुका था जहाँ पहले से ही मनीष के लंड ने ग़दर मचाते हुए तबाही ला रखी थी..

और अब दो लंडों के मिल जाने से दुगनी रफ़्तार से चुदाई जरूरी थी और हम दोनों भाइयों ने हमारी बहन की गांड के परखच्चे उड़ाते हुए चुदाई शुरू कर दी.
 
हम दोनों इस समय पूरे आवेश में आकर चोद रहे थे और दीदी की चीखें पूरे घर में गूंजने लगी थी. अब ये मालूम नहीं की दर्द से या मस्ती से..

२५ मिनट बुरी तरह से दीदी की गांड मारने के बाद हमने पोजीशन बदल दी और अब मनीष ने कमर के बल लेटते हुए दीदी की चूत को अपने लंड पर पहना दिया और अपनी हथेलियों को उसके नितम्बों के नीचे रख कर उसे ऊपर-नीचे झुलाने लगा.

तूफान मेल की रफ़्तार धक्के खाने पर मेरी बहन की चूत से पानी के छीटें छूट रहे थे और मैं अपने लंड को हाथ में पकड़े हुए रश्मि दीदी की चूत के सामने जगह बनाने लगा. कुछ कोशिश के बाद मैं भी अपने लंड को दीदी की चूत में फिट करने में कामयाब हो गया.

और फिर जो चुदाई हमने शुरू की.. रश्मि दीदी ने अपना बायाँ पैर खम्भे की तरह आसमान में उठा दिया, और हम दोनों भाई जैसे 200 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार से अपने लंडों को दीदी की चूत में पेलते गए...

आखिर रश्मि दीदी फट पड़ी - बहनचोदो तुम अआह लोगो ने आज मेरी फाड़ डाली है..आःह्ह्ह ...सालो एक साथ मेरी भुर आःह्ह में दो लंड इसीईई अआः ह्ह्ह्ह भोसड़ा बनाआ आअआः ....कुत्तो मैं झड़ रही हूँ... ऊऊऊ.. मैं झड़ .. अह्ह्ह मेरी चूत ... हाँईईए तुम दोनों आःह इकट्ठे ही मेरी चूत में झड़ो.. खुशकिस्मत तुम्म्म्महारीईईए बहन आःह दो दो भाई इकट्ठे ही ऐसे, ऐसे, ऐसे, ऐसे, ऐसे..

 
रश्मि दीदी ने मरी हुई सी आवाज में अपनी हार्दिक इच्छा का खुलासा कर दिया और मनीष संग हम दोनों ने उनको कस कर जकड़ लिया और ताबड़तोड़ धक्के लगाने चालू कर दिए.
हम दोनों ने उनकी गुलाबी चूत को अपने भयंकर धक्कों से सुर्ख लाल कर दिया था.

और अचानक मनीष चीखने लगा और तेज़ी से शॉट्स लगाता हुआ रश्मि दीदी की चूत में अन्दर गहरे उतरते हुए उससे चिपक गया. अपने लंड पर मनीष का गर्म वीर्य महसूस होते ही उत्तेजना के चरम पर पहुँचते हुए मैंने भी फव्वारा छोड़ दिया और खूब माल निकालते हुए रश्मि दीदी की दो लंडों से भरी हुई चूत से चिपक गया..

हम करीब 5 मिनट तक लंडों को रश्मि दीदी की चूत में डाले हुए बूंद-2 झड़ते रहे.. मेरे ख्याल से किसी भी हालत में आधा कप तो हम दोनों ने निकाला ही होगा रश्मि दीदी की चूत में..
यह तो गजब हो गया..

हम दोनों ने न सिर्फ दीदी की चूत मारी, गांड भी छेदी, फिर दो-2 लंडों को पहले गांड में घुसेड़ा, फिर भी मन नहीं भरा तो चूत में भी दो-2 लौड़ों को ठूंस कर चुदाई की...

आज तो रश्मि दीदी रिशू की चुदाई को भी भूल गयी होगी. मैंने खुद नहीं सोचा था की दीदी और हम इतना आगे बढ़ जायेंगे. ऐसा तो मैंने ब्लू फिल्म में भी नहीं देखा था.

 
आधे घंटे हम वैसे ही पड़े रहे पर मनीष का अभी मन नहीं भरा था. वो उठा और जाकर किचेन से शहद ले आया और रश्मि दीदी की चूत में भर दिया और गांड पर भी लगा दिया और चाटने लगा. दीदी पहले तो कुछ बोली नहीं पर १० मिनट बाद वो भी अब अपनी मस्ती में आ गई थी मेरे लौड़े पर जीभ फेरने लगी. उनकी चूत फिर से लंड मांगने लगी थी.

आह.. दीदी उफ़.. तुम्हारे ये मखमली होंठ आह.. मेरे लौड़े को पागल बना रहे हैं.. और तुम्हारी जवानी मुझे पागल बना रही है आह.. मेरे मुह से बेसाख्ता निकल गया.

दीदी: बेहेन्चोद अपनी बेहेन को चोद डाला और दीदी दीदी करता है. खबरदार अगर चुदाई के वक़्त मुझे दीदी कहा तो.

दीदी के मुह से गाली सुनकर न जाने क्यों मुझे बहुत अच्छा लगा. मैंने कहा वाह दीदी मज़ा आ गया तुम्हारे मुह से ऐसी बात सुनके

रश्मि: मोनू .. मुझे पता चल चुका है की जो मज़ा नंगेपन में है.. वो शराफ़ात में नहीं.. उफ़.. तेरा ये गर्म लौड़ा मुझे चूसने में बहुत मज़ा आ रहा है. तुम्हारी ये बहन अब पूरी तरह तुम दोनों की है.. आ जाओ नोंच डालो मेरे जिस्म को.. कर दो मुझे अपने इस लौड़े से ठंडी.. आह.. अब मेरा जिस्म जलने लगा है.

दीदी सीधी होकर बाँहें फैलाए बिस्तर पर लेट गई. मनीष दीदी के पास लेट गया और उनके एक निप्पल को दबाने लगा.. उसके होंठों को चूसने लगा. मैंने दीदी के पैर मोड़े और टाँगों के बीच लेट गया और उनकी पाव रोटी जैसी फूली हुई चूत पर धीरे से अपनी जीभ रख दी और मैं अपनी जीभ से उसकी चूत की मालिश करने लगा. अब हम तीनो एक-दूसरे को चूमने और चाटने में बिज़ी हो गए थे.

 
दीदी- आह.. मनीष उफ़.. आराम से आह.. चूसो.. आह.. सारा रस पी जाओ.. आह.. मज़ा आ रहा है मोनू.. आह.. आह.. सस्सस्स आह.. मोनू.. दर्द हो रहा है आह.. प्यार से मालिश करना.. आह.. तेरी बहन हूँ आह.. उफफ्फ़.

दस मिनट तक हमारी मस्ती चलती रही. अब हम वासना की आग में जलने लगे थे. मनीष का लौड़ा टपकने लगा.

दीदी- आह.. उहह.. मोनू मज़ा आ रहा है.. इससस्स.. आह.. खूब चूसो.. आह.. और दबा के.. ससस्स चूसो.. आह.. मज़ा आ गया. अब मैं चूची पीने ऊपर गया और मनीष ने मेरी जगह ले ली. वो अब आइस्क्रीम की तरह चूत को चाट रहा था.. दीदी की चूत से रस टपकना शुरू हो गया था.. वो अब तड़पने लग गई थी.

दीदी- आह..ससस्स.. मोनू.. आह.. मेरी चूत की आग बहुत बढ़ गई है.. आह.. अब उफफफ्फ़.. सस्सस्स.. मोनू आह.. लौड़ा घुसा दो.. आह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह.. प्लीज़ मोनू.. आह.. फक मी आह.. फक मी.. सस्सस्स आह…

मनीष भी अब बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गया था. उसके लौड़े से भी रस की बूँदें टपकने लगी थीं.. मेरे बदले वो बैठ गया और लौड़े को दीदी की चूत पर टिका कर धीरे से दबाने लगा.

दीदी- आह.. चोदो मुझे आह.. उई घुसा दो आह.. पूरा डालो.. आह.. मेरी चूत को फाड़ दो आज.. आह.. आईई..

मनीष ने धीरे-धीरे अब कमर को हिलाना शुरू कर दिया था. हर झटके के साथ वो लौड़े को थोड़ा आगे बढ़ा देता और दीदी की आह.. निकल जाती. कुछ ही देर में उसने पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया और मैं दीदी के ऊपर लेटकर उनके निप्पल को चूसने लगा.

 
दीदी- आह.. अब चुदाई शुरू कर दो.. मुझे दर्द नहीं हो रहा है.. आह.. करो न.. आह.. चोद दो मुझे.. आह.. आज मेरी सारी गर्मी निकाल दो आह..

मनीष स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगा. दीदी भी गाण्ड उठा कर उसका साथ देने लगी. चुदाई जोरों से शुरू हो गई.. कमरे का तापमान बढ़ने लगा.

‘ठप.. ठप.. पूछ..फ्छ.. आह.. उहह.. इससस्स.. आह.. उहह.. उहह..’ की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं.

दीदी- आह हाँ भैया आह्ह्ह .. आह.. येस्स्स्सस्स्स्स .. आह.. जोर सीई .. आईईइ ओउ सस्स..

मनीष- ले रश्मि.. आह.. आज आह.. मेरा पॉवर देख.. आह.. तेरी चूत का आह चूरमा बना दूँगा मैं.. आह.. आज के बाद तू जब भी उहह.. चूत को देखेगी.. आह.. मेरी याद आएगी तुझे..

दस मिनट तक मनीष स्पीड से दीदी को चोदता रहा. साला मुझसे झूठ बोला था की सिर्फ एक बार लड़की चोदी है, मनीष तो पक्का चोदू था. पहले 2 बार झड़ चुका था इसलिए अबकी बार कहाँ वो जल्दी झड़ने वाला था. अब तो उसका टाइम और बढ़ गया. मगर दीदी दीदी की चूत लौड़े की चोट ज़्यादा देर सह ना पाई और उनके रस की धारा बहने को व्याकुल हो गई.

दीदी- आई आई.. आह.. जाल्दीईइ अआह . मईए झड अआह ईईईई .. आह.. गई.. आह.. ज़ोर से पेलो.. आहह.. उहह आह..

 
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