hotaks444
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मैंने तुरन्त अपने-आपको फर्श पर गिरा दिया। एक गोली सनसनाती हुई मेरे ऊपर से गुजरी और स्पेसशिप में कहीं टकराई। फिर एकाएक वहां कोहराम मच गया।
लोगों के शोर और गोलियों की आवाज से सारा स्टूडियो गूंज उठा। शूटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली ऊंची छत के साथ लटकी हजार-हजार वाट की रोशनियां आनन-फानन एक-एक करके जलने लगीं और स्टूडियो यूं जगमगा गया जैसे वहां भरी दोपहर का सूरज चमक गया हो ।
फिर मुझे यादव की आवाज सुनाई दी - "अगर अपनी खैरियत चाहते हो तो रिवॉल्वर फेंक दो और हाथ सिर से ऊपर
उठाये बाहर निकल आओ।" कोई कुछ नहीं बोला।
एकाएक वहां मुकम्मल सन्नाटा छा गया।
मैं फर्श पर लेटा-लेटा ही उस दिशा में सरकने लगा जिधर यादव का रुख था।
यह तुम्हारे लिए आखिरी वार्निंग है।" - वह दहाड़ा - "बाहर निकल आओ वर्ना कुत्ते की मौत मारे जाओगे।"
फिर सन्नाटा । मैं स्पेसशिप की ओर सरक आया तो उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया। तभी पीछे से किसी ने मुझ पर छलांग लगा दी। मैं अपने आक्रमणकारी को लिए लिए भरभराकर फिर फर्श पर ढेर हो गया।
"हरामजादे !" - मेरा आक्रमणकारी गुर्राया - "तूने जाल फैलाया था यहां मेरे लिए । तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा मैं ।"
उस घड़ी अपनी जान पर आ बनी पाकर मेरे में विलक्षण शक्ति पैदा हो गई। मैंने अपने दोनों हाथ और घुटने फर्श के साथ जोड़कर अपने शरीर को जोर से पीछे को हूला । मेरा आक्रमणकारी मेरी पीठ पर से छिटका और परे जाकर गिरा ।।
दोबारा वह मुझ पर आक्रमण न कर सका।
,,, ऐसा कर पाने से पहले ही वह कई हाथों की गिरफ्त में छटपटा रहा था। रिवॉल्वर अभी भी उसके हाथ में जि कि एक पुलिसिये ने जबरन उससे छीन लिया। मैं उठकर अपने पैरों पर खड़ा हुआ । सब-इंस्पेक्टर यादव और शैली भटनागर करीब पहुंचे। मेरे आक्रमणकारी को दबोचे चार पुलिसियों में से एक ने उसके बाल पकड़े और उसका उसकी छाती र टुक्रा हुआ चेहरा जबरन ऊंचा उठा दिया ।
"बलराज सोनी !" - भटनागर के मुंह से हैरानीभरी सिसकारी के साथ निकला।
***
,,, जय-जयकार यादव की हुई । उसने एक ट्रिपल मर्डर के अपराधी को एक निहायत शानदार जाल फैलाकर तब रंगे हाथों पकड़ा था जबकि वह चौथा मर्डर करने जा रहा था । यादव उस रोल का हीरो था और क्या प्रेस और क्या । पुलिस, हर किसी की निगाहों का मरकज था। कितना होनहार पुलिसिया था वो ! अफीम और चरस की स्मगलिंग करने वाले एक विशाल गिरोह का पर्दाफाश करके वह हटा नही था कि उसने इस ट्रिपल मर्डर केस को हल कर दिखाया था । वाह ! वाह ! ।
आपके खादिम की वहां कोई पूछ नहीं थी। बाद में वाहवाही बटोरने से उसे फुरसत मिली तो वह मेरे पास आया ।
उस वक्त आधी रात हो चुकी थी और मैं भटनागर के निजी ऑफिस में बैठा उसके साथ विस्की पी रहा था।
भटनागर ने उसके लिए भी पैग बनाया।
जिन्दगी में पहली बार शायद यादव मेरे से ऐसी मुहब्बत से पेश आया जैसे मैं कई बरसों पहले मेले में बिछुडा उसका
भाई था जो कि एकाएक उसे मिल गया था।
___
लोगों के शोर और गोलियों की आवाज से सारा स्टूडियो गूंज उठा। शूटिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली ऊंची छत के साथ लटकी हजार-हजार वाट की रोशनियां आनन-फानन एक-एक करके जलने लगीं और स्टूडियो यूं जगमगा गया जैसे वहां भरी दोपहर का सूरज चमक गया हो ।
फिर मुझे यादव की आवाज सुनाई दी - "अगर अपनी खैरियत चाहते हो तो रिवॉल्वर फेंक दो और हाथ सिर से ऊपर
उठाये बाहर निकल आओ।" कोई कुछ नहीं बोला।
एकाएक वहां मुकम्मल सन्नाटा छा गया।
मैं फर्श पर लेटा-लेटा ही उस दिशा में सरकने लगा जिधर यादव का रुख था।
यह तुम्हारे लिए आखिरी वार्निंग है।" - वह दहाड़ा - "बाहर निकल आओ वर्ना कुत्ते की मौत मारे जाओगे।"
फिर सन्नाटा । मैं स्पेसशिप की ओर सरक आया तो उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो गया। तभी पीछे से किसी ने मुझ पर छलांग लगा दी। मैं अपने आक्रमणकारी को लिए लिए भरभराकर फिर फर्श पर ढेर हो गया।
"हरामजादे !" - मेरा आक्रमणकारी गुर्राया - "तूने जाल फैलाया था यहां मेरे लिए । तुझे जिन्दा नहीं छोडूंगा मैं ।"
उस घड़ी अपनी जान पर आ बनी पाकर मेरे में विलक्षण शक्ति पैदा हो गई। मैंने अपने दोनों हाथ और घुटने फर्श के साथ जोड़कर अपने शरीर को जोर से पीछे को हूला । मेरा आक्रमणकारी मेरी पीठ पर से छिटका और परे जाकर गिरा ।।
दोबारा वह मुझ पर आक्रमण न कर सका।
,,, ऐसा कर पाने से पहले ही वह कई हाथों की गिरफ्त में छटपटा रहा था। रिवॉल्वर अभी भी उसके हाथ में जि कि एक पुलिसिये ने जबरन उससे छीन लिया। मैं उठकर अपने पैरों पर खड़ा हुआ । सब-इंस्पेक्टर यादव और शैली भटनागर करीब पहुंचे। मेरे आक्रमणकारी को दबोचे चार पुलिसियों में से एक ने उसके बाल पकड़े और उसका उसकी छाती र टुक्रा हुआ चेहरा जबरन ऊंचा उठा दिया ।
"बलराज सोनी !" - भटनागर के मुंह से हैरानीभरी सिसकारी के साथ निकला।
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,,, जय-जयकार यादव की हुई । उसने एक ट्रिपल मर्डर के अपराधी को एक निहायत शानदार जाल फैलाकर तब रंगे हाथों पकड़ा था जबकि वह चौथा मर्डर करने जा रहा था । यादव उस रोल का हीरो था और क्या प्रेस और क्या । पुलिस, हर किसी की निगाहों का मरकज था। कितना होनहार पुलिसिया था वो ! अफीम और चरस की स्मगलिंग करने वाले एक विशाल गिरोह का पर्दाफाश करके वह हटा नही था कि उसने इस ट्रिपल मर्डर केस को हल कर दिखाया था । वाह ! वाह ! ।
आपके खादिम की वहां कोई पूछ नहीं थी। बाद में वाहवाही बटोरने से उसे फुरसत मिली तो वह मेरे पास आया ।
उस वक्त आधी रात हो चुकी थी और मैं भटनागर के निजी ऑफिस में बैठा उसके साथ विस्की पी रहा था।
भटनागर ने उसके लिए भी पैग बनाया।
जिन्दगी में पहली बार शायद यादव मेरे से ऐसी मुहब्बत से पेश आया जैसे मैं कई बरसों पहले मेले में बिछुडा उसका
भाई था जो कि एकाएक उसे मिल गया था।
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