hotaks444
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"खाली है ।" - मैं उसे गोलियां दिखाता हुआ बोला । रिवॉल्वर उसने फिर भी उठाकर पतलून की बेल्ट में खोंस ली । फिर उसने अपनी जेबें टटोलनी आरम्भ कीं ।
पचास हजार रुपये मैंने तुम्हारी जेब से निकाल लिए हैं । इनमें से बाईस हजार रुपये तो मेरे ही हैं। बाकी के अट्ठाईस हजार रुपये मेरी रकम का ब्याज और उस मार का खामियाजा समझकर मैंने अपने पास रख लिए हैं जो कि मैंने तुम्हारे आदमियों से खाई है।"
"हरामजादे ।" - वह सांप की तरह फुफकारा ।
"वो तो मैं हूं ही । इसमें नई बात क्या बता रहे हो तुम मुझे ?"
वह उठकर खड़ा हुआ। "अब जाते-जाते यह तो कबूल कर जाओ कि तीनों कत्ल तुमने किये हैं।"
"अपुन कोई कत्ल नहीं करेला है ।" - इस बार वह अपेक्षाकृत शान्त स्वर में बोला।
"तो करवाये होंगे ?"
"नहीं । अपुन का किसी कत्ल से कोई वास्ता नहीं ।"
"जो मर्जी कहो । तुमसे सच कुबुलवाना मेरा काम नहीं ।"
"यही सच है।"
,,, उसके स्वर में संजीदगी का पुट था। मुझे अब कमला चावला की और ज्यादा फिक्र होने लगी। फिर वही मुझे हत्यारी लगने लगी।
"अब फूटो यहां से ।"
"लैजर किधर है ?"
"वो अब तुम्हारे किसी काम की नहीं । इसलिए लैजर लैजर भजना छोड़ दो अब, सिकन्दर दादा ।”
"लैजर की कॉपी तू पुलिस को दियेला है ?"
"हां ।"
"क्यों ?"
"क्योंकि मुझे पता था कि तुम मुझे डबलक्रॉस करोगे । इसलिए मैंने तुम्हें डबलक्रॉस किया ।"
"तेरी खैर नहीं ।"
"अब तो अपनी खैर मना ले, सिकन्दर महान !"
वह फिर न बोला । नफरत से धधकती उसकी आंखें वैसे ही बहुत कुछ कह रही थीं। ग्यारह बजे मेरी यादव से मुलाकात हुई। मैंने उसे लैजर बुक सौंप दी ।
"अब एलैग्जैण्डर को गिरफ्तार समझें ?" - मैं बोला।
"वो किसलिए ?" - यादव बोला।
"वो किसलिए !" - मैं हैरानी से बोला - "भाई, यह लैजर बुक उसके खिलाफ सबूत है।"
"किस बात का ?"
"कत्ल का और किस बात का ? चावला इस लैजर बुक की बिना पर एलैग्जैण्डर को ब्लैकमेल कर रहा था।"
"नहीं कर रहा था।"
"कौन कहता है।"
"एलैग्जैण्डर कहता है।"
"और तुम्हें उसकी बात का विश्वास है,?"
"हां । इसलिये विश्वास है क्योंकि यह बात निर्विवाद रूप से साबित हो चुकी है कि तीनों में से कोई भी कत्ल उसने नहीं किया है।"
"कैसे साबित हो चुकी है ?"
पचास हजार रुपये मैंने तुम्हारी जेब से निकाल लिए हैं । इनमें से बाईस हजार रुपये तो मेरे ही हैं। बाकी के अट्ठाईस हजार रुपये मेरी रकम का ब्याज और उस मार का खामियाजा समझकर मैंने अपने पास रख लिए हैं जो कि मैंने तुम्हारे आदमियों से खाई है।"
"हरामजादे ।" - वह सांप की तरह फुफकारा ।
"वो तो मैं हूं ही । इसमें नई बात क्या बता रहे हो तुम मुझे ?"
वह उठकर खड़ा हुआ। "अब जाते-जाते यह तो कबूल कर जाओ कि तीनों कत्ल तुमने किये हैं।"
"अपुन कोई कत्ल नहीं करेला है ।" - इस बार वह अपेक्षाकृत शान्त स्वर में बोला।
"तो करवाये होंगे ?"
"नहीं । अपुन का किसी कत्ल से कोई वास्ता नहीं ।"
"जो मर्जी कहो । तुमसे सच कुबुलवाना मेरा काम नहीं ।"
"यही सच है।"
,,, उसके स्वर में संजीदगी का पुट था। मुझे अब कमला चावला की और ज्यादा फिक्र होने लगी। फिर वही मुझे हत्यारी लगने लगी।
"अब फूटो यहां से ।"
"लैजर किधर है ?"
"वो अब तुम्हारे किसी काम की नहीं । इसलिए लैजर लैजर भजना छोड़ दो अब, सिकन्दर दादा ।”
"लैजर की कॉपी तू पुलिस को दियेला है ?"
"हां ।"
"क्यों ?"
"क्योंकि मुझे पता था कि तुम मुझे डबलक्रॉस करोगे । इसलिए मैंने तुम्हें डबलक्रॉस किया ।"
"तेरी खैर नहीं ।"
"अब तो अपनी खैर मना ले, सिकन्दर महान !"
वह फिर न बोला । नफरत से धधकती उसकी आंखें वैसे ही बहुत कुछ कह रही थीं। ग्यारह बजे मेरी यादव से मुलाकात हुई। मैंने उसे लैजर बुक सौंप दी ।
"अब एलैग्जैण्डर को गिरफ्तार समझें ?" - मैं बोला।
"वो किसलिए ?" - यादव बोला।
"वो किसलिए !" - मैं हैरानी से बोला - "भाई, यह लैजर बुक उसके खिलाफ सबूत है।"
"किस बात का ?"
"कत्ल का और किस बात का ? चावला इस लैजर बुक की बिना पर एलैग्जैण्डर को ब्लैकमेल कर रहा था।"
"नहीं कर रहा था।"
"कौन कहता है।"
"एलैग्जैण्डर कहता है।"
"और तुम्हें उसकी बात का विश्वास है,?"
"हां । इसलिये विश्वास है क्योंकि यह बात निर्विवाद रूप से साबित हो चुकी है कि तीनों में से कोई भी कत्ल उसने नहीं किया है।"
"कैसे साबित हो चुकी है ?"