hotaks444
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"तब तुम मुझे लेजर दोगे ?"
"हां । वादा ।"
"लेजर से मुझे क्या हासिल होगा ?"
"उससे तुम्हें मालूम होगा कि एलैग्जैण्डर के दो नंबर के पैसे का हिसाब क्या है। यह सबूत मिलेगा कि वह शैली भटनागर को और चावला उसे ब्लैकमेल कर रहा था।"
"यह शैली भटनागर कौन हुआ ?
" मैं बताया, सविस्तार बताया।
"इस लिहाज से तो वह भी गुनहगार हो सकता है।"
"कमला चावला का पीछा छोड़ो तो कोई भी गुनहगार हो सकता है।"
"हो सकता होगा। लेकिन फिलहाल तो मेरा पसंदीदा कैंडीडेट वही है ।"
"यह बात तुम्हें अजीब नहीं लगती कि कमला चावला जैसी नाजुक औरत चौधरी जैसे गोरिल्ले पर चाकू का घातक वार कर पाई ?"
"अजीब लगती है लेकिन नामुमकिन नहीं लगती । वह चाकू बड़ा अनोखा है। चाकू की जगह उसे खंजर कहा जाए तो ज्यादा मुनासिब होगा । ये लंबा तो फल था उसका और धार ऐसी पैनी कि कागज से पतली ।"
"आहे से थोड़ा मुड़ा हुआ ?" - मैं बौखलाकर बोला - "दस्ते के पास सितारा बना हुआ ?"
"हां ।"
"दस्ता ऐसा जैसे उस पर किसी जानवर की खाल मढ़ी हुई हो ?"
"हां ।
तुमने कब देख लिया वो चाकू ?"
"वो चाकू है कहां ?"
"मेरे पास है।"
"दिखाओ !
" उसने मेज की दराज से चाकू निकालकर मेरे सामने रख दिया। मेरा रहा-सहा शक भी दूर हो गया।' वह चाकू आपके खादिम का था। "इस पर किसी की उंगलियों के निशान मिले ?" - कई क्षण की खामोशी के बाद मैंने सवाल किया ।
"नहीं ।"
"यह चाकू मेरा है।"
"वो तो चाकू का जिक्र सुनकर तुम्हारे बौखलाने से ही मुझे महसूस हो रहा था ।"
राद पून "और इसमें एक ऐसी जिनेशन है जिसकी वजह से हत्यारे को पकड़ा जाना लाजिमी है।"
"ऐसी क्या खास बात है इराओं ?" - एकदम चौकन्ना हो उठा।
"यह चाकू बरतर के एक दिनासी कबीले में इस्तेमाल होता है। खास बात इसके हत्थे में है । इस चाकू पर एक ऐसे जानवर की खाल में हुई है जिस पर कि कील जैसे सख्त और सुई जैसे बारीक कांटे उगते हैं। वे कांटे इतने सूक्ष्म होते है कि न तो आंखों को दिखाई देते हैं और न स्पर्श से महसूस होते हैं यानि कि आमतौर पर सहज भाव से अगर चाकू को हैंडल रो पड़। ७||ए ॥ ते कांटे हथेली को नहीं चुभते लेकिन किसी पर वार करने की नीयत से चाकू का हैंडल हथेली में जकड़वार थाना होता है और उसे जोर लगाकर शत्रु के जिस्म में धकेलना होता है । इसलिए ऐसा । करने पर वे वांटे खड़े हो जाते हैं और वार करने वाले की हथेली में धंस जाते हैं । कहने का मतलब यह है कि जिस किसी ने भी इस चाकू का पाक वार चौधरी पर किया था, उसका हाथ जरूर लहूलुहान हो गया होगा और अब इस कस के संदिग्ध व्यक्तियों के हाथों का मुआयना करके ही यह जाना जा सकता है कि हत्यारा कौन है !"
"ऐसा अजीब चाकू है या !" - यादव मंत्रमुग्ध स्वर में बोला। "हां । किसे कबीले की यह ईजाद है, वे किसी के कत्ल की बड़ा गंभीर और जिम्मेदारी का मामला समझते हैं । वे कहते हैं कि मारने वाले को भी अपने कुकृत्य का एहसास होना चाहिए और इसीलिए यह चाकू बनाया गया है कि जब हत्प्राण का खून बहे तो हत्यारे का भी खून बहे ।”
"कमाल है !
देखने में तो हैंडल में कोई खासियत दिखाई नहीं देती ।”
"लेकिन है ।"
"तुम मुझे कोई कहानी तो नहीं सुना रहे हो ?"
"यह कहानी नहीं, हकीकत है और तुम्हारे केस का हल है । जिस किसी ने भी चौधरी के सीने में खंजर उतारा है, उसकी हथेली तुम्हें घायल मिलेगी।" यादव का ध्यान मेरी बात की तरफ नहीं था । वह बड़ी बारीकी से चाकू के हैंडल का मुआयना कर रहा था और मेरी बात से कतई आश्वस्त नहीं लग रहा था।
एकाएक उसने चाकू को हैंडल से थमा और उसका एक भीषण प्रहार लकड़ी की मेज पर किया । चाकू का फल लकड़ी में धंस गया । उसने तुरंत दस्ते पर से अपना हाथ हटा लिया । चाकू झनझनाता हुआ कुछ क्षण आगे-पीछे झूलता रहा और फिर स्थिर हो गया। यादव हक्का-बक्का सा अपनी हथेली को देख रहा था, जिस पर से उस वक्त खून के बड़े सूक्ष्म फव्वारे छूट रहे थे।
“मुझे दर्द तो नहीं हो रहा ।" - वह बोला ।
"इसलिए क्योंकि पंक्चर बूंड (जख्म) सुई से भी बारीक है । लेकिन बाद में होगा ।
ऐसा अनोखा चाकू तुम्हारे पास कहां से आया ?"
"उस कबीले की एक लड़की ने मुझे यह भेंटस्वरूप दिया था।"
"मैं अभी कमला चावला को यहां तलब करता हूं। अगर उसकी हथेली घायल हुई तो खेल आज ही खत्म हो जाएगा
"उसे ही क्यों तलब करते हो ? कस से संबन्धित सारे व्यक्तियों को एक जगह इकट्ठा क्यों नहीं करते हो ? इस तरह तुम अलग-अलग एक-एक के पीछे भागने से बच जाओगे।"
“मुझे मिसेज चावला से आगे नहीं भागना पड़ेगा।"
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"हां । वादा ।"
"लेजर से मुझे क्या हासिल होगा ?"
"उससे तुम्हें मालूम होगा कि एलैग्जैण्डर के दो नंबर के पैसे का हिसाब क्या है। यह सबूत मिलेगा कि वह शैली भटनागर को और चावला उसे ब्लैकमेल कर रहा था।"
"यह शैली भटनागर कौन हुआ ?
" मैं बताया, सविस्तार बताया।
"इस लिहाज से तो वह भी गुनहगार हो सकता है।"
"कमला चावला का पीछा छोड़ो तो कोई भी गुनहगार हो सकता है।"
"हो सकता होगा। लेकिन फिलहाल तो मेरा पसंदीदा कैंडीडेट वही है ।"
"यह बात तुम्हें अजीब नहीं लगती कि कमला चावला जैसी नाजुक औरत चौधरी जैसे गोरिल्ले पर चाकू का घातक वार कर पाई ?"
"अजीब लगती है लेकिन नामुमकिन नहीं लगती । वह चाकू बड़ा अनोखा है। चाकू की जगह उसे खंजर कहा जाए तो ज्यादा मुनासिब होगा । ये लंबा तो फल था उसका और धार ऐसी पैनी कि कागज से पतली ।"
"आहे से थोड़ा मुड़ा हुआ ?" - मैं बौखलाकर बोला - "दस्ते के पास सितारा बना हुआ ?"
"हां ।"
"दस्ता ऐसा जैसे उस पर किसी जानवर की खाल मढ़ी हुई हो ?"
"हां ।
तुमने कब देख लिया वो चाकू ?"
"वो चाकू है कहां ?"
"मेरे पास है।"
"दिखाओ !
" उसने मेज की दराज से चाकू निकालकर मेरे सामने रख दिया। मेरा रहा-सहा शक भी दूर हो गया।' वह चाकू आपके खादिम का था। "इस पर किसी की उंगलियों के निशान मिले ?" - कई क्षण की खामोशी के बाद मैंने सवाल किया ।
"नहीं ।"
"यह चाकू मेरा है।"
"वो तो चाकू का जिक्र सुनकर तुम्हारे बौखलाने से ही मुझे महसूस हो रहा था ।"
राद पून "और इसमें एक ऐसी जिनेशन है जिसकी वजह से हत्यारे को पकड़ा जाना लाजिमी है।"
"ऐसी क्या खास बात है इराओं ?" - एकदम चौकन्ना हो उठा।
"यह चाकू बरतर के एक दिनासी कबीले में इस्तेमाल होता है। खास बात इसके हत्थे में है । इस चाकू पर एक ऐसे जानवर की खाल में हुई है जिस पर कि कील जैसे सख्त और सुई जैसे बारीक कांटे उगते हैं। वे कांटे इतने सूक्ष्म होते है कि न तो आंखों को दिखाई देते हैं और न स्पर्श से महसूस होते हैं यानि कि आमतौर पर सहज भाव से अगर चाकू को हैंडल रो पड़। ७||ए ॥ ते कांटे हथेली को नहीं चुभते लेकिन किसी पर वार करने की नीयत से चाकू का हैंडल हथेली में जकड़वार थाना होता है और उसे जोर लगाकर शत्रु के जिस्म में धकेलना होता है । इसलिए ऐसा । करने पर वे वांटे खड़े हो जाते हैं और वार करने वाले की हथेली में धंस जाते हैं । कहने का मतलब यह है कि जिस किसी ने भी इस चाकू का पाक वार चौधरी पर किया था, उसका हाथ जरूर लहूलुहान हो गया होगा और अब इस कस के संदिग्ध व्यक्तियों के हाथों का मुआयना करके ही यह जाना जा सकता है कि हत्यारा कौन है !"
"ऐसा अजीब चाकू है या !" - यादव मंत्रमुग्ध स्वर में बोला। "हां । किसे कबीले की यह ईजाद है, वे किसी के कत्ल की बड़ा गंभीर और जिम्मेदारी का मामला समझते हैं । वे कहते हैं कि मारने वाले को भी अपने कुकृत्य का एहसास होना चाहिए और इसीलिए यह चाकू बनाया गया है कि जब हत्प्राण का खून बहे तो हत्यारे का भी खून बहे ।”
"कमाल है !
देखने में तो हैंडल में कोई खासियत दिखाई नहीं देती ।”
"लेकिन है ।"
"तुम मुझे कोई कहानी तो नहीं सुना रहे हो ?"
"यह कहानी नहीं, हकीकत है और तुम्हारे केस का हल है । जिस किसी ने भी चौधरी के सीने में खंजर उतारा है, उसकी हथेली तुम्हें घायल मिलेगी।" यादव का ध्यान मेरी बात की तरफ नहीं था । वह बड़ी बारीकी से चाकू के हैंडल का मुआयना कर रहा था और मेरी बात से कतई आश्वस्त नहीं लग रहा था।
एकाएक उसने चाकू को हैंडल से थमा और उसका एक भीषण प्रहार लकड़ी की मेज पर किया । चाकू का फल लकड़ी में धंस गया । उसने तुरंत दस्ते पर से अपना हाथ हटा लिया । चाकू झनझनाता हुआ कुछ क्षण आगे-पीछे झूलता रहा और फिर स्थिर हो गया। यादव हक्का-बक्का सा अपनी हथेली को देख रहा था, जिस पर से उस वक्त खून के बड़े सूक्ष्म फव्वारे छूट रहे थे।
“मुझे दर्द तो नहीं हो रहा ।" - वह बोला ।
"इसलिए क्योंकि पंक्चर बूंड (जख्म) सुई से भी बारीक है । लेकिन बाद में होगा ।
ऐसा अनोखा चाकू तुम्हारे पास कहां से आया ?"
"उस कबीले की एक लड़की ने मुझे यह भेंटस्वरूप दिया था।"
"मैं अभी कमला चावला को यहां तलब करता हूं। अगर उसकी हथेली घायल हुई तो खेल आज ही खत्म हो जाएगा
"उसे ही क्यों तलब करते हो ? कस से संबन्धित सारे व्यक्तियों को एक जगह इकट्ठा क्यों नहीं करते हो ? इस तरह तुम अलग-अलग एक-एक के पीछे भागने से बच जाओगे।"
“मुझे मिसेज चावला से आगे नहीं भागना पड़ेगा।"
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