hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मेरे दिल का चोर गुस्ताखी करने को मचलने लगा डीटीसी की बस में भीड़ के दवाब के साथ भाभी के जिस्म की वो रगड़ाई,बस में उनके पसीने की वो मादक गन्ध मुझ पर अपना जादू चला रही थी ऊपर से होचकोले खाती बस मेरा तना हुआ हथियार भाभी के नितंबो पर लगातार दवाब डाल रहा था ।
बस जब जब मोड़ लेती मैं अपना हाथ कमर पर रख देता और भाभी के कांपते जिस्म को एहसास करवाता की मैं सुलग रहा हु,जब भी भाभी थोड़ी सी कसमसाती मेरे लण्ड को असीम सुख मिलता हलकी सर्दी के मौसम में भी भाभी के चेहरे पर पसीना छलक आया था
जब मैंने उनके गले के पिछले हिस्से पर रिसती पसीने की बूंदों को भरी भीड़ में चाट लिया तो भाभी सिहर ही गयी पर किस्मत, हमारा स्टॉप भी अभी आना था तो हम उतर गए न वो कुछ बोली न मैं
पर जैसे ही कमरे में आये भाभी ने मुझे खींच कर दिवार के सहारे लगा दिया और अपने सुर्ख होंटो को मेरे होंटो से जोड़ दिया भाभी के दांत बेदर्दी से मेरे होंठो को काटने लगे यहाँ तक की खून निकल आया
मैं- आह, काट लिया ना
भाभी- क्यों क्या हुआ बस में तो बड़ी आशिकी हो रही तो
मैं- हालात पे काबू नहीं रख पाया मैं
भाभी- तो अब मैं काबू नहीं रख पा रही हु
भाभी ने एक बार फिर से किस करना शुरू किया और साथ ही मेरे लण्ड से खेलने लगी कब उनकी उंगलियो ने उसे बाहर निकाल लिया पता ही नहीं, भाभी की मुठ्ठी मेरे लण्ड पर कसी हुई थी और जीभ मेरी जीभ से रगड़ खा रही थी
उत्तेजना से मेरा पूरा जिस्म कांप रहा था उनकी तनी हुई छातियों के निप्पल मेरे सीने में जैसे सुराख़ कर देना चाहते थे ,भाभी बड़ी तल्लीनता से मुझे चूमे जा रही थी पर कुछ देर बाद भाभी भाभी ने किस तोड़ दी और मुझ से अलग हो गयी
भाभी हाँफते हुए- आगे से ऐसी कोई हरकत मत करना
मैंने बस गर्दन हिला दी
भाभी- नहाने जा रही हु
भाभी ने बैग से अपने कपडे निकाले और बाथरूम में घुस गयी पर उन्होंने दरवाजे की सिटकनी नहीं लगायी कुछ मिनट बाद शावर की आवाज आने लगी ,अभी अभी जो भाभी ने किया वो मेरे दिमाग को भन्ना गया था मेरा लण्ड दोनों टांगो के बीच झूल रहा था
कुछ सोच कर मैंने अपने कपडे उतारे और नँगा ही बाथरूम की और चल दिया मैंने दरवाजे को हल्का सा धकियाया और जो नजारा देखा उसके बाद लगा की जन्नत कही है तो यही है भाभी शावर के नीचे पूर्ण नग्न अवस्था में मेरी तरफ पीठ किये खड़ी थी
इतना कातिलाना नजारा देख कर मेरे लण्ड की ऐंठन और बढ़ गयी धड़कने दिल को चीर ही देना चाहती थी गले से थूक सूख गया मैं भाभी के पास गया और पीछे से उनको पकड़ लिया भाभी ने नजर घुमा कर मेरी ओर देखा और फिर खुद को ढीला छोड़ दिया मेरी बाहों में
मेरे हाथ भाभी के उन्नत उभारो पर पहुच गए थे और लण्ड उनकी गांड की दरार पर अपनी दस्तक दे रहा था ,ऊपर से गिरती पानी की बूंदों ने उत्तेजना को शिखर पर पंहुचा दिया था
"आई" भाभी की आह फुट पड़ी जब मैंने उनके निप्पल्स को अपनी उंगलियों में फंसा लिया गहरे काले रंग के निप्पल्स जैसे अंगूर के दाने हो ,भाभी की गर्दन को चूमते हुए मैं धीरे धीरे अपने हाथों का दवाब भाभी की गदराई छातियों पर डालने लगा था
तभी भाभी ने अपने पैर खोलते हुए अपनी गांड का पूरा भार मेरे लण्ड पर डाल दिया जिससे वो फिसलता हुआ भाभी की बिना बालो वाली चूत जे मुहाने पर आ टिका उफ्फ्फ मैं भाभी की इस हरकत से पागल ही हो गया था उत्तेजना वश मैंने भाभी की गर्दन पर काट लिया तो भाभी सिसक उठी
मैंने अब भाभी को पलट दिया और उनकी चूची को अपने मुंह में भर लिया भाभी का बदन हलके हल्के कांप रहां था जैसे ही मेरी उंगलिया भाभी की योनि पर पहुची भाभी ने अपनी जांघो को भीच लिया तभी मैंने चिकोटी काट ली जिससे उनके पैर खुल गए और तभी मेरी ऊँगली योनि में सरक गयी
भाभी की चूत अंदर से तप रही थी उनके उभारो को चूसते हुए मैं चूत में ऊँगली अंदर बाहर कर रहा था धीरे धीरे भाभी पस्त होने लगी थी और फिर मैं नीचे भाभी के पैरों के बीच बैठ गया और उनके पैरों को चौड़ा करते हुए गुलाबी चूत को अपने मुंह में भर लिया
जैसे ही मेरी खुरदरी जीभ का अहसास चूत की फांको को हुआ उन्होंने अपना रस छोड़ना चालू कर दिया भाभी की चूत में मेरी जीभ जैसे करंट लगा रही थी उनको पुरे बाथरूम को सुलगा दिया था भाभीकी आहो ने
टप टप शावर से गिरती पानी की बूंदों के बीच भाभी का तपता बदन मेरे इशारो का मोहताज था भाभी की चूत का नमकीन रस मेरी जीभ से लिपटा हुआ था भाभी के कूल्हे मटकने लगे थे पैर कांप रहे थे और तभी भाभी को पता नहीं क्या सुझा उन्होंने मुझे धक्का देकर अपने से अलग कर दिया और बाथरूम से बाहर निकाल दिया दरवाजा बंद कर लिया और मैं खड़ा रह गया बाहर ,मैं समझ गया था की शायद वो आगे नहीं बढ़ना चाहती पर फिर क्यों यहाँ तक भी नहीं रोका था
हार कर मैंने अपने कपडे पहने और बिस्तर पर लेट गया और पूजा फिर से मेरे ख्यालो पर कब्ज़ा करने लगी मैंने सोच लिया था की यहाँ से जाते ही कुछ तीखे सवाल उससे करूँगा जिनको चाह कर भी वो टाल नहीं पायेगी.
साथ ही भाभी से भी कुछ और बाते पता कर लूंगा साथ ही मैंने सोचा की क्या ये सही समय है राणाजी से खुल के बात करने का ,तमाम सवाल एक बार फिर से मेरे दिमाग में हलचल मचाने लगे थे
और जवाब एक भी नहीं था बल्कि हर जवाब देने वाला खुद सामने सवाल बनकर खड़ा था मामला बहुत जटिल था ऊपर से खारी बावड़ी में मैंने पद्मिनी को देखा था पर भाभी ने उसकी मौजूदगी को सिरे से निकाल दिया
बस जब जब मोड़ लेती मैं अपना हाथ कमर पर रख देता और भाभी के कांपते जिस्म को एहसास करवाता की मैं सुलग रहा हु,जब भी भाभी थोड़ी सी कसमसाती मेरे लण्ड को असीम सुख मिलता हलकी सर्दी के मौसम में भी भाभी के चेहरे पर पसीना छलक आया था
जब मैंने उनके गले के पिछले हिस्से पर रिसती पसीने की बूंदों को भरी भीड़ में चाट लिया तो भाभी सिहर ही गयी पर किस्मत, हमारा स्टॉप भी अभी आना था तो हम उतर गए न वो कुछ बोली न मैं
पर जैसे ही कमरे में आये भाभी ने मुझे खींच कर दिवार के सहारे लगा दिया और अपने सुर्ख होंटो को मेरे होंटो से जोड़ दिया भाभी के दांत बेदर्दी से मेरे होंठो को काटने लगे यहाँ तक की खून निकल आया
मैं- आह, काट लिया ना
भाभी- क्यों क्या हुआ बस में तो बड़ी आशिकी हो रही तो
मैं- हालात पे काबू नहीं रख पाया मैं
भाभी- तो अब मैं काबू नहीं रख पा रही हु
भाभी ने एक बार फिर से किस करना शुरू किया और साथ ही मेरे लण्ड से खेलने लगी कब उनकी उंगलियो ने उसे बाहर निकाल लिया पता ही नहीं, भाभी की मुठ्ठी मेरे लण्ड पर कसी हुई थी और जीभ मेरी जीभ से रगड़ खा रही थी
उत्तेजना से मेरा पूरा जिस्म कांप रहा था उनकी तनी हुई छातियों के निप्पल मेरे सीने में जैसे सुराख़ कर देना चाहते थे ,भाभी बड़ी तल्लीनता से मुझे चूमे जा रही थी पर कुछ देर बाद भाभी भाभी ने किस तोड़ दी और मुझ से अलग हो गयी
भाभी हाँफते हुए- आगे से ऐसी कोई हरकत मत करना
मैंने बस गर्दन हिला दी
भाभी- नहाने जा रही हु
भाभी ने बैग से अपने कपडे निकाले और बाथरूम में घुस गयी पर उन्होंने दरवाजे की सिटकनी नहीं लगायी कुछ मिनट बाद शावर की आवाज आने लगी ,अभी अभी जो भाभी ने किया वो मेरे दिमाग को भन्ना गया था मेरा लण्ड दोनों टांगो के बीच झूल रहा था
कुछ सोच कर मैंने अपने कपडे उतारे और नँगा ही बाथरूम की और चल दिया मैंने दरवाजे को हल्का सा धकियाया और जो नजारा देखा उसके बाद लगा की जन्नत कही है तो यही है भाभी शावर के नीचे पूर्ण नग्न अवस्था में मेरी तरफ पीठ किये खड़ी थी
इतना कातिलाना नजारा देख कर मेरे लण्ड की ऐंठन और बढ़ गयी धड़कने दिल को चीर ही देना चाहती थी गले से थूक सूख गया मैं भाभी के पास गया और पीछे से उनको पकड़ लिया भाभी ने नजर घुमा कर मेरी ओर देखा और फिर खुद को ढीला छोड़ दिया मेरी बाहों में
मेरे हाथ भाभी के उन्नत उभारो पर पहुच गए थे और लण्ड उनकी गांड की दरार पर अपनी दस्तक दे रहा था ,ऊपर से गिरती पानी की बूंदों ने उत्तेजना को शिखर पर पंहुचा दिया था
"आई" भाभी की आह फुट पड़ी जब मैंने उनके निप्पल्स को अपनी उंगलियों में फंसा लिया गहरे काले रंग के निप्पल्स जैसे अंगूर के दाने हो ,भाभी की गर्दन को चूमते हुए मैं धीरे धीरे अपने हाथों का दवाब भाभी की गदराई छातियों पर डालने लगा था
तभी भाभी ने अपने पैर खोलते हुए अपनी गांड का पूरा भार मेरे लण्ड पर डाल दिया जिससे वो फिसलता हुआ भाभी की बिना बालो वाली चूत जे मुहाने पर आ टिका उफ्फ्फ मैं भाभी की इस हरकत से पागल ही हो गया था उत्तेजना वश मैंने भाभी की गर्दन पर काट लिया तो भाभी सिसक उठी
मैंने अब भाभी को पलट दिया और उनकी चूची को अपने मुंह में भर लिया भाभी का बदन हलके हल्के कांप रहां था जैसे ही मेरी उंगलिया भाभी की योनि पर पहुची भाभी ने अपनी जांघो को भीच लिया तभी मैंने चिकोटी काट ली जिससे उनके पैर खुल गए और तभी मेरी ऊँगली योनि में सरक गयी
भाभी की चूत अंदर से तप रही थी उनके उभारो को चूसते हुए मैं चूत में ऊँगली अंदर बाहर कर रहा था धीरे धीरे भाभी पस्त होने लगी थी और फिर मैं नीचे भाभी के पैरों के बीच बैठ गया और उनके पैरों को चौड़ा करते हुए गुलाबी चूत को अपने मुंह में भर लिया
जैसे ही मेरी खुरदरी जीभ का अहसास चूत की फांको को हुआ उन्होंने अपना रस छोड़ना चालू कर दिया भाभी की चूत में मेरी जीभ जैसे करंट लगा रही थी उनको पुरे बाथरूम को सुलगा दिया था भाभीकी आहो ने
टप टप शावर से गिरती पानी की बूंदों के बीच भाभी का तपता बदन मेरे इशारो का मोहताज था भाभी की चूत का नमकीन रस मेरी जीभ से लिपटा हुआ था भाभी के कूल्हे मटकने लगे थे पैर कांप रहे थे और तभी भाभी को पता नहीं क्या सुझा उन्होंने मुझे धक्का देकर अपने से अलग कर दिया और बाथरूम से बाहर निकाल दिया दरवाजा बंद कर लिया और मैं खड़ा रह गया बाहर ,मैं समझ गया था की शायद वो आगे नहीं बढ़ना चाहती पर फिर क्यों यहाँ तक भी नहीं रोका था
हार कर मैंने अपने कपडे पहने और बिस्तर पर लेट गया और पूजा फिर से मेरे ख्यालो पर कब्ज़ा करने लगी मैंने सोच लिया था की यहाँ से जाते ही कुछ तीखे सवाल उससे करूँगा जिनको चाह कर भी वो टाल नहीं पायेगी.
साथ ही भाभी से भी कुछ और बाते पता कर लूंगा साथ ही मैंने सोचा की क्या ये सही समय है राणाजी से खुल के बात करने का ,तमाम सवाल एक बार फिर से मेरे दिमाग में हलचल मचाने लगे थे
और जवाब एक भी नहीं था बल्कि हर जवाब देने वाला खुद सामने सवाल बनकर खड़ा था मामला बहुत जटिल था ऊपर से खारी बावड़ी में मैंने पद्मिनी को देखा था पर भाभी ने उसकी मौजूदगी को सिरे से निकाल दिया