hotaks444
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"क्या बात है, आज बड़े चिंतित लग रहे हो...क्या बात है, चुदाई भी नहीं की ठीक से तो आज तुमने.." स्नेहा ने अपना एक हाथ चूत पे रखते हुए कहा
"कुछ नहीं.. बस ऐसे ही.." राजवीर ने स्नेहा को देखा तक नहीं और अपना जाम पीते पीते जवाब दिया
"ओह हो.. कहीं मेरे ससुर का जी तो नहीं भर गया मेरे जिस्म से ह्म्म्मऔ..." स्नेहा ने भी अपना जाम पीते हुए कहा
"नहीं ऐसी कोई बात नहीं.. बस..."
"बस क्या, बता भी दीजिए मेरे चोदु ससुर जी, आपकी यह रंडी बहू जिस्म के अलावा दिमाग़ भी चलती है, शायद मैं कुछ मदद कर सकूँ.." स्नेहा ने फिर अपने सीने को तान के जवाब दिया
"स्नेहा.. रिकी , बहुत जल्दी ही बेट्टिंग सीख रहा है.." राजवीर ने स्नेहा को अपने मन की बोली
"मतलब.." स्नेहा को कुछ समझ नहीं आया
"मतलब यह स्नेहा, आज तक जो चीज़े विक्रम ने या मैने कभी नहीं सोची थी , कभी नहीं की थी.. वो रिकी बिना बताए, बिना सिखाए करता है.. हाला की उससे फ़ायदा ही है लेकिन फिर भी, कोई लड़का चार महीने में बेट्टिंग के बारे में इतना जल्दी सब सीख जाए, यह विश्वास नहीं होता मुझे.."
"ऐसा क्या कर दिया उसने जो इतने शॉक में हो"
"आज तक हम ने कभी किसी खिलाड़ी से मिलके बात तक नहीं की, आज रिकी ने वो कर दिया.. उसके बात करने के तरीके से मुझे कहीं नहीं लगा कि वो इस काम में नया है, वो ऐसे बात कर रहा था जैसे वो सामने वाले के सब सवालों को जानता था..." विक्रम ने स्नेहा को देख के कहा.. जब स्नेहा कुछ नहीं समझी तब राजवीर ने उसे सब बता दिया, शुरू से लेके.. कैसे रिकी ने एक मामूली चीज़ को बड़ा किया, कैसे खुद ही अपने पैसे लगाने लगा, कैसे खिलाड़ियों से मिलना भी शुरू कर दिया..
"ओह हो... फिर तो तुम्हारी चिंता ठीक है, मैने कभी विक्रम से भी नहीं सुना कि उसने ऐसा कुछ किया हो..." स्नेहा ने पूरी बात समझ के कहा
"चिंता का निवारण तुम करोगी.." राजवीर के दिमाग़ में एक बात आ गयी अचानक से
"वो कैसे.."
"तुम रिकी के कॉलेज या हॉस्टिल फोन करो.. लंडन, पता करो कोई उसका दोस्त कोई ऐसा था जिसके साथ वो बेट्टिंग करता था वहाँ..लंडन में यह सब लीगल है, तो शायद वहाँ कुछ करता हो, तभी यहाँ आके यह सब कर रहा है.."
"यह तो तुम भी कर सकते हो..मैं क्यूँ"
"इतने सालों में चाचा ने कभी फोन नहीं किया, भाभी करेगी तो अजीब नहीं लगेगा.."
"पर वो खुद यहाँ है, तो फिर कैसे.."
"अब सब मैं समझाऊ.. खुद तो अपना दिमाग़ इस्तेमाल करो थोड़ा..." राजवीर ने झल्ला के कहा
"हां ठीक है, करती हूँ कुछ मेरे चोदु ससुर जी.. पहले मेरी प्यास तो बुझा दीजिए.."
"कुछ नहीं.. बस ऐसे ही.." राजवीर ने स्नेहा को देखा तक नहीं और अपना जाम पीते पीते जवाब दिया
"ओह हो.. कहीं मेरे ससुर का जी तो नहीं भर गया मेरे जिस्म से ह्म्म्मऔ..." स्नेहा ने भी अपना जाम पीते हुए कहा
"नहीं ऐसी कोई बात नहीं.. बस..."
"बस क्या, बता भी दीजिए मेरे चोदु ससुर जी, आपकी यह रंडी बहू जिस्म के अलावा दिमाग़ भी चलती है, शायद मैं कुछ मदद कर सकूँ.." स्नेहा ने फिर अपने सीने को तान के जवाब दिया
"स्नेहा.. रिकी , बहुत जल्दी ही बेट्टिंग सीख रहा है.." राजवीर ने स्नेहा को अपने मन की बोली
"मतलब.." स्नेहा को कुछ समझ नहीं आया
"मतलब यह स्नेहा, आज तक जो चीज़े विक्रम ने या मैने कभी नहीं सोची थी , कभी नहीं की थी.. वो रिकी बिना बताए, बिना सिखाए करता है.. हाला की उससे फ़ायदा ही है लेकिन फिर भी, कोई लड़का चार महीने में बेट्टिंग के बारे में इतना जल्दी सब सीख जाए, यह विश्वास नहीं होता मुझे.."
"ऐसा क्या कर दिया उसने जो इतने शॉक में हो"
"आज तक हम ने कभी किसी खिलाड़ी से मिलके बात तक नहीं की, आज रिकी ने वो कर दिया.. उसके बात करने के तरीके से मुझे कहीं नहीं लगा कि वो इस काम में नया है, वो ऐसे बात कर रहा था जैसे वो सामने वाले के सब सवालों को जानता था..." विक्रम ने स्नेहा को देख के कहा.. जब स्नेहा कुछ नहीं समझी तब राजवीर ने उसे सब बता दिया, शुरू से लेके.. कैसे रिकी ने एक मामूली चीज़ को बड़ा किया, कैसे खुद ही अपने पैसे लगाने लगा, कैसे खिलाड़ियों से मिलना भी शुरू कर दिया..
"ओह हो... फिर तो तुम्हारी चिंता ठीक है, मैने कभी विक्रम से भी नहीं सुना कि उसने ऐसा कुछ किया हो..." स्नेहा ने पूरी बात समझ के कहा
"चिंता का निवारण तुम करोगी.." राजवीर के दिमाग़ में एक बात आ गयी अचानक से
"वो कैसे.."
"तुम रिकी के कॉलेज या हॉस्टिल फोन करो.. लंडन, पता करो कोई उसका दोस्त कोई ऐसा था जिसके साथ वो बेट्टिंग करता था वहाँ..लंडन में यह सब लीगल है, तो शायद वहाँ कुछ करता हो, तभी यहाँ आके यह सब कर रहा है.."
"यह तो तुम भी कर सकते हो..मैं क्यूँ"
"इतने सालों में चाचा ने कभी फोन नहीं किया, भाभी करेगी तो अजीब नहीं लगेगा.."
"पर वो खुद यहाँ है, तो फिर कैसे.."
"अब सब मैं समझाऊ.. खुद तो अपना दिमाग़ इस्तेमाल करो थोड़ा..." राजवीर ने झल्ला के कहा
"हां ठीक है, करती हूँ कुछ मेरे चोदु ससुर जी.. पहले मेरी प्यास तो बुझा दीजिए.."