hotaks444
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राजवीर राइचंद, राजस्थान में रह रह के आधा रजवाड़ा स्टाइल अपना लिया था, तभी तो अपनी आलीशान कोठी को महल कहना उसे ज़्यादा पसंद था, विंटेज गाड़ियाँ हो या घर के नौकर.. हर चीज़ में लोकल तौर तरीके अपना दिए थे, राजवीर किसी राजा से पीछे नहीं था लाइफस्टाइल में, वहाँ के रहीस दोस्तों से मिलके घूमना फिरना और अयाशी करना, उसे सब कुछ भाता था.. काम के नाम पे वो भी अमर जैसा ही था, मुंबई में बुक्की चलाने वाला अमर, तो जयपुर के नेटवर्क को बनाया राजवीर ने.... अमर ने वक़्त रहते सब कुछ अपनी मुट्ठी में कर लिया था, अगर वो नहीं करता तो आज बीसीसीआइ के साथ डीलिंग्स राजवीर कर रहा होता.. इसके अलावा अपने शहेर में कोई भी दिक्कत होती तो राजवीर के पास लोग सबसे पहले आते मदद के लिए.. दिमाग़ से गरम राजवीर, ज्योति से बहुत प्यार करता, हमेशा उसे महारानी की तरह ट्रीट करता.. राजवीर के शहर में एक किस्सा बड़ा फेमस है कि ज्योति ने एक मूवी में कोई गाड़ी देख ली और राजवीर से ज़िद्द करने लगी कि वो उसी गाड़ी में स्कूल जाएगी.. बिना वक़्त गवाए राजवीर ने वो गाड़ी मँगवाई और ज्योति को उसमे स्कूल भेजा..
"राजवीर, आओ आओ..." कहके अमर ने अपने छोटे भाई को गले लगाया और दोनो आपस में बातें करने लगे.. जहाँ बातें रोज़ मरहा की ज़िंदगी से शुरू हुई, वहीं क्रिकेट की बात आते ही सुहासनी और ज्योति वहाँ से उठ के अंदर चले गये
"ताई जी, मैं शीना और रिकी भैया से भी मिल लेती हूँ.." कहके ज्योति शीना के कमरे में पहुँच गयी, लेकिन उसे वहाँ ना पाकर ज्योति फिर रिकी के कमरे में चली गयी
"आहें आहेम... " ज्योति ने रिकी को सामने देख उसे अपनी मौजूदगी का आभास दिया जो अपने लॅपटॉप में कुछ ग्रॅफिक डेसिंग्स कर रहा था
"अरे वाह, व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़.." कहके रिकी अपनी जगह से उठा और ज्योति से गले लगा
"कैसी हो ज्योति, और यूँ अचानक.."
"क्या भैया, ऐसे ही नहीं आ सकती क्या.." ज्योति ने बनावटी गुस्सा दिखा के कहा
"अरे बिल्कुल यार, और सूनाओ, क्या चल रहा है... वैसे आइ हॅव सम्तिंग फॉर यू" कहके रिकी ने अपने ड्रॉयर से एक पॅकेट निकाल के ज्योति के हाथ में रखा
उधर स्नेहा के कमरे से शीना निकल ही रही थी कि उसने पीछे मूड के स्नेहा से फिर कहा.. "भाभी, आइ होप कल रात वाली बात हमारे बीच ही रहेगी, गुड बाइ"
शीना अपने कमरे में घुसने ही वाली थी कि तभी रिकी के कमरे से उसे कुछ आवाज़ें सुनाई दी और उपर से लड़की की आवाज़, उसने जल्दी से अपने कपड़े बदले और रिकी के कमरे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी, जैसे ही उसने रिकी के कमरे का दरवाज़ा खोला, सामने ज्योति को देख के उसकी जान में जान आई
"ज्योत्ीईईई.." खुशी से चिल्ला के शीना उसके पास आई और दोनो बहने गले मिली
"और यह क्या छुपा रही है, " कहके जैसे ही उसने ज्योति के हाथ में देखा उसकी हँसी छूट गयी
"सिगरेट के पॅकेट को भला क्यूँ छुपा रही है, रिकी भाई ने दी ना.." शीना ने सिगरेट का पॅकेट लेके रिकी को देखा
"भाई, बस बहनों को बिगाड़ने के काम कर रहे हो आप... हिहिहीः.." कहके तीनो लोग हँसने लगे
.............................
"प्रेम, आज कैसे भी मिलना पड़ेगा... नहीं, आज ही, शीना ने कल रात को जो बातें मुझसे कही, उससे हमारा सारा खेल बिगड़ सकता है , जल्दी मिलो मुझे" कहके स्नेहा ने फोन कट किया और प्रेम से मिलने के लिए तैयार होने लगी
"राजवीर, आओ आओ..." कहके अमर ने अपने छोटे भाई को गले लगाया और दोनो आपस में बातें करने लगे.. जहाँ बातें रोज़ मरहा की ज़िंदगी से शुरू हुई, वहीं क्रिकेट की बात आते ही सुहासनी और ज्योति वहाँ से उठ के अंदर चले गये
"ताई जी, मैं शीना और रिकी भैया से भी मिल लेती हूँ.." कहके ज्योति शीना के कमरे में पहुँच गयी, लेकिन उसे वहाँ ना पाकर ज्योति फिर रिकी के कमरे में चली गयी
"आहें आहेम... " ज्योति ने रिकी को सामने देख उसे अपनी मौजूदगी का आभास दिया जो अपने लॅपटॉप में कुछ ग्रॅफिक डेसिंग्स कर रहा था
"अरे वाह, व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़.." कहके रिकी अपनी जगह से उठा और ज्योति से गले लगा
"कैसी हो ज्योति, और यूँ अचानक.."
"क्या भैया, ऐसे ही नहीं आ सकती क्या.." ज्योति ने बनावटी गुस्सा दिखा के कहा
"अरे बिल्कुल यार, और सूनाओ, क्या चल रहा है... वैसे आइ हॅव सम्तिंग फॉर यू" कहके रिकी ने अपने ड्रॉयर से एक पॅकेट निकाल के ज्योति के हाथ में रखा
उधर स्नेहा के कमरे से शीना निकल ही रही थी कि उसने पीछे मूड के स्नेहा से फिर कहा.. "भाभी, आइ होप कल रात वाली बात हमारे बीच ही रहेगी, गुड बाइ"
शीना अपने कमरे में घुसने ही वाली थी कि तभी रिकी के कमरे से उसे कुछ आवाज़ें सुनाई दी और उपर से लड़की की आवाज़, उसने जल्दी से अपने कपड़े बदले और रिकी के कमरे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी, जैसे ही उसने रिकी के कमरे का दरवाज़ा खोला, सामने ज्योति को देख के उसकी जान में जान आई
"ज्योत्ीईईई.." खुशी से चिल्ला के शीना उसके पास आई और दोनो बहने गले मिली
"और यह क्या छुपा रही है, " कहके जैसे ही उसने ज्योति के हाथ में देखा उसकी हँसी छूट गयी
"सिगरेट के पॅकेट को भला क्यूँ छुपा रही है, रिकी भाई ने दी ना.." शीना ने सिगरेट का पॅकेट लेके रिकी को देखा
"भाई, बस बहनों को बिगाड़ने के काम कर रहे हो आप... हिहिहीः.." कहके तीनो लोग हँसने लगे
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"प्रेम, आज कैसे भी मिलना पड़ेगा... नहीं, आज ही, शीना ने कल रात को जो बातें मुझसे कही, उससे हमारा सारा खेल बिगड़ सकता है , जल्दी मिलो मुझे" कहके स्नेहा ने फोन कट किया और प्रेम से मिलने के लिए तैयार होने लगी