hotaks444
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जहाँ ज्योति इस बात से खुश थी कि उसको जो चाहिए उसकी तरफ बढ़ता उसका पहला कदम कामयाब रहा है, वहीं शीना और रिकी परेशान थे, शीना और रिकी एक दूसरे के साथ वक़्त बिताना चाहते थे, लेकिन वो हो नहीं पा रहा था, और अब शीना यह भी नहीं कह सकती थी के वो भी उन दोनो को जाय्न करे, क्यूँ कि ऐसे कहने से अमर को दिख जाता कि शीना जान बुझ के ज्योति के प्लान में टाँग अड़ा रही है.. इसलिए अब उन्हे कुछ और सोचना होगा.. लेकिन वो जानते थे इसका कोई रास्ता नहीं है शायद, इसलिए दोनो चुपचाप नाश्ता कर रहे थे और एक दूसरे को देख रहे थे
मानो कि दोनो के दिल में एक ही बात चल रही हो... धीरे धीरे सब लोग नाश्ता करके अपने अपने काम में लग गये, अमर और राजवीर फाइनली महाबालेश्वर के लिए निकल गये ज़मीन देखने..
स्नेहा अभी भी शॉक में थी, लेकिन उसने अपने एक्सप्रेशन्स पे कंट्रोल रखा हुआ था और चुप चाप अपने कमरे के लिए निकल गयी.. ज्योति भी थोड़ी देर में उठ गयी
"भैया, मैं तब तक वेन्यू देखती हूँ कि हम कहाँ जाएँगे.. आंड हे शीना, तुम भी चलो ना साथ, मज़ा आएगा.." ज्योति ने दोनो के पास खड़े रहके कहा
"अरे नो नो, थ्ट्स ओके, यू गाइस कॅरी ऑन.. आइ डोंट वॉंट टू बी आ पार्टी पूपर.. आंड भाई और मैं तो घूमते रहते हैं, तुम लोग जाओ, आइ विल स्टे बॅक आंड रिज़ॉर्ट के लिए कुछ कर लूँगी, आफ्टर ऑल दिस ईज़ माइ लाइफ टाइम ऑपर्चुनिटी.." शीना ने कुछ सोच के जवाब दिया, वो जानती थी कि भले ज्योति ने यह पूछा लेकिन वो भी नहीं चाहती थी कि शीना उन्हे जाय्न करे, अगर शीना उन्हे जाय्न करती तो ज्योति इतनी चालाक है के किसी तरह वो शीना से ही कुछ देर में ना बुलवा देती.. इसलिए शीना ने उसे ना करके अच्छा ही किया, और ज्योति को रिज़ॉर्ट वाली बात बोलके फिर उसने ज्योति को यह एहसास दिलाया कि उसने क्या खोया है... शीना का जवाब सुन ज्योति हल्के से मुस्कुराइ, और वहाँ से बिना कुछ बोले निकल गयी
"आप जानते हो, मैने सोचा था हम बहामास जाएँगे और मज़े करेंगे, पर यह देखो.. बीच में आई कूद के , आइ म जस्ट हेटिंग हर नाउ.." शीना ने रिकी से फुसफुसाके उसके कान में कहा
"ना ना, डोंट डू तट.., तुम अपनी नफ़रत या तो ख़तम कर दो या तो उसे बाहर नहीं निकलना... अगर बाहर निकलोगि तो उसमे भी तुम ही दोषी निकलोगी, आइ मीन तुमने देखा ना उसने अपनी बात कैसे मनवा ली पापा से, अब अगर वो ऐसा कर सकती है, तो सोचो तुम्हे ग़लत साबित करने में उसको कितना टाइम लगेगा..." रिकी ने शांति से शीना को कहा और उसे अपने हाथ से पानी पिलाने लगा..
"उम्म्म, क्या बात है, अपने हाथ से पिला रहे हो पानी..ज्योति की वजह से कुछ तो फ़ायदा हुआ मुझे.." शीना ने रिकी के हाथ को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन रिकी ने उससे हाथ छुड़वा के उसको इशारा किया जगह का और दोनो फिर नाश्ता करने लगे
"लेकिन भाई, अब क्या करें, उसको मना कैसे करोगे.." शीना ने फिर रिकी से कहा
"उम्म्म... सोचना पड़ेगा, बट आइ डोंट थिंक यह आसान होगा, मतलब मैं फिलहाल तो फ्री ही हूँ, तो ऐसा कोई बहाना नहीं कर सकता, और तुम जानती हो कि रिज़ॉर्ट में वो इन्वॉल्व्ड नहीं है जब कि पापा वोही चाहते थे, इसलिए उसे इस बात का दुख है, और अगर अब मैं मना करूँगा तो फिर उसे और बुरा लगेगा.." रिकी ने इतना ही कहा के फिर शीना बोल पड़ी
"आइ नो, इस बार राजवीर चाचू भी शायद हर्ट हो, आइ मीन उन्हे ऐसा एहसास होगा ना के वो हमारे बीच नहीं रहते इसलिए हम उनके साथ ऐसा बिहेव करते हैं.." शीना ने अपनी प्लेट खाली करके कहा
"एग्ज़ॅक्ट्ली, बट लेट मी थिंक सम्तिंग एल्स.. तुझे बताता हूँ कुछ देर में.."
"नहीं भाई, इट'स ओके... आप लोग जाओ, बट स्टे अवे फ्रॉम हर ओके.." शीना ने अपने हाथ में चाकू उठा के उसको दिखाते हुए कहा
"हहा, जेलस सिस... डॉन'ट वरी, शीना की जगह कोई नहीं ले पाएगा.... " कहते हुए रिकी ने उसके हाथ को हल्के से चूमा और दोनो हँस के वहाँ से बाहर निकल गये गार्डेन की तरफ
ज्योति कुछ देर अपने कमरे में ही थी, लेकिन जब उसने देखा कि कोई नहीं आ रहा, वो धीरे से शीना के कमरे की ओर बढ़ी.. उसके कमरे के पास जाके उसने दरवाज़े को हल्का धक्का लगाया
तो वो खुल गया.. ज्योति जल्दी से अंदर गयी और दरवाज़ा लॉक करके कमरे की दीवार के हर कोने को देखने लगी लेकिन उसे कॅमरा नहीं मिला, वॉर्डरोब के नीचे, उपर या कहीं और.. वो हर जगह देखने लगी लेकिन उसे कहीं नहीं मिला कॅमरा.. थक हार के वो बेड पे बैठी और अपनी नज़रें छत की तरफ की, जहाँ उसने देखा कि कुछ वाइर्स लटक रहे हैं, वो जल्दी से उठ खड़ी हुई
और एक लंबा स्टूल लेके चढ़ गयी, वाइर्स देख के वो समझ गयी कि कॅमरा पहले यहाँ था, अब नहीं है, इसका मतलब शीना ने ही निकाल फेंका है.. ज्योति नीचे उतरी और सब कुछ ठीक करने लगी, इतने में उसके मोबाइल पे एसएमएस आया
"तुम मेरे कमरे में हो, अपने कमरे का रास्ता भूल गयी हो या मेरे कमरे में कुछ चीज़ छुपी है जिसे इतनी देर से ढूँढ रही हो..." शीना ने ज्योति को भेजा
एसएमएस पढ़ के ज्योति की तो मानो हालत खराब हुई थी, उसका चेहरा पसीना पसीना हो चुका था, उसने अपनी नज़रें फिर एक बार चारो तरफ घुमाई, अगर शीना का यह एसएमएस है मतलब कॅमरा कहीं है, लेकिन कहाँ.. ज्योति ये सोचते सोचते फिर इधर उधर देख ही रही थी कि फिर एसएमएस आया
"कोई पॉइंट नहीं है, तुम्हे कॅमरा नहीं मिलेगा... बेहतर है तुम अपने कमरे में जाओ या बाहर गार्डेन में आओ, भाई और मैं गोल्फ कोर्स जा रहे हैं, तुम आ सकती हो हमारे साथ.. ब्लडी पार्टी पूपर.."
शीना का यह एसएमएस पढ़ ज्योति कुछ और किए बिना ही वहाँ से निकल गयी, लेकिन अपने कमरे में जाने के बदले वो सीधा शीना और रिकी के पास चली गयी.. अगर उसकी जगह स्नेहा होती तो वो शीना से आँख भी नहीं मिलाती, लेकिन ज्योति की बात अलग थी.. भले ही ग़लती उसकी क्यूँ ना हो, लेकिन जंग मतलब जंग, उसे पूरा करना ही पड़ता है... इसलिए ज्योति ने खुद को फ्रेश किया और कपड़े बदल के शीना और रिकी के पास चल दी...
"चलें भैया..." ज्योति ने गार्डेन में आते हुए कहा
ज्योति की आवाज़ सुन, रिकी चौंक उठा, लेकिन ताज्जुब उसे इस बात का था कि ज्योति कहाँ चलने की बात कर रही है...
"हमारे साथ चलेगी भाई, मैने ही इन्वाइट किया ज्योति को... घर पे अकेले बैठे बैठे इंसान का दिमाग़ कुछ ज़्यादा ही काम करता है जिससे प्रेशर बढ़ सकता है, बेहतर है हमारे साथ रहेगी
तो शांत रहेगी.." शीना ने अपना हाथ ज्योति के पास बढ़ाया और ज्योति ने भी उसका हाथ थाम लिया
"तुम और तुम्हारी बातें, रूको मैं गाड़ी निकलता हूँ..." कहके रिकी ड्राइवर के पास चला गया
"वैसे, मेरे कमरे में क्या ढूँढ रही थी ज्योति.." शीना ने बिना झिझक या गुस्से के ज्योती से सवाल किया और दोनो आगे देख रहे थे
"कुछ ख़ास नहीं, यू सी, तुम्हारे कमरे का इंटीरियर बहुत खूबसूरत है, इसलिए मैं देख रही थी कि इसे और खूबसूरत कैसे बनाया जाए" ज्योति और शीना दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़ के धीरे धीरे आगे बढ़ रहे थे, दोनो के आँखों पे चढ़े एवियेटर ग्लासस, दोनो ने गोल्फ पॅंट्स पहने थे और पोलो टी-शर्ट.. दोनो इस वक़्त ऐसे बात कर रही थी जैसे मँझे हुए खिलाड़ी एक
दूसरे से करते हैं किसी बड़ी मॅच के पहले
"जानती हो ज्योति, जिस चीज़ की तारीफ़ करो, उसे बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, नहीं तो वो तारीफ़ के काबिल नहीं रहती. और रही बात मेरे कमरे की, तुम जो ढूँढ रही थी वो मेरे कमरे में कहीं नहीं मिलेगा.. और वैसे भी, कॅमरा से तुम्हारा क्या काम.. तुम यहाँ रहो, पढ़ो, मज़े करो, तुम यह सब क्यूँ कर रही हो, मुझे अब तक समझ नहीं आया कि इतनी दिलचस्पी क्यूँ दिखा रही हो तुम यह पता करने में कि इस घर में क्या चल रहा है... यह घर ना तुम्हारा कभी था, और ना ही इस घर की प्रॉब्लम्स या खुशियाँ तुम्हारी थी.. लेकिन अब तुम यहाँ रहने वाली हो तो जिस खुशी से हम ने तुम्हे आक्सेप्ट किया है, मुझे उम्मीद है के तुम हमे निराश नहीं करोगी और अपनी पढ़ाई में टॉप करोगी.." इस बार शीना ने ज्योति को एक नज़र देखा और अपने ग्लासस निकाल के फिर कहा
"भाई के साथ जहाँ जाना चाहती हो जाओ, लेकिन जो चीज़ तुम सुनना चाहती हो वो सुनो... मैं रिकी भाई से बहुत प्यार करती हूँ, और शायद यह प्यार भाई बहेन के प्यार से भी बढ़कर है.. मैं जानती हूँ तुम कितने दिनो से हमें अब्ज़र्व कर रही हो, लेकिन जैसे मैने कहा, तुम आराम से रहो, इस घर में क्या हो रहा है क्या नहीं... यह सब में दिलचस्पी नहीं लो, और हां.. अभी कुछ देर में रिकी भाई तुमसे पूछेंगे के कहाँ जाना चाहती हो.. तुम प्लीज़ गोआ का नाम मत लेना.. तुम्हे लग रहा होगा कि वहाँ बीचस पे अपनी बॉडी से भाई को सिड्यूस करके तुम उनके पास जाओगी, तो आइ आम सॉरी टू डिसपायंट यू, ऐसा कुछ नहीं होगा... यू बेटर थिंक सम्तिंग एल्स.." शीना ने जैसे ही यह बात कही, उन दोनो को रिकी की आवाज़ सुनाई दी
मानो कि दोनो के दिल में एक ही बात चल रही हो... धीरे धीरे सब लोग नाश्ता करके अपने अपने काम में लग गये, अमर और राजवीर फाइनली महाबालेश्वर के लिए निकल गये ज़मीन देखने..
स्नेहा अभी भी शॉक में थी, लेकिन उसने अपने एक्सप्रेशन्स पे कंट्रोल रखा हुआ था और चुप चाप अपने कमरे के लिए निकल गयी.. ज्योति भी थोड़ी देर में उठ गयी
"भैया, मैं तब तक वेन्यू देखती हूँ कि हम कहाँ जाएँगे.. आंड हे शीना, तुम भी चलो ना साथ, मज़ा आएगा.." ज्योति ने दोनो के पास खड़े रहके कहा
"अरे नो नो, थ्ट्स ओके, यू गाइस कॅरी ऑन.. आइ डोंट वॉंट टू बी आ पार्टी पूपर.. आंड भाई और मैं तो घूमते रहते हैं, तुम लोग जाओ, आइ विल स्टे बॅक आंड रिज़ॉर्ट के लिए कुछ कर लूँगी, आफ्टर ऑल दिस ईज़ माइ लाइफ टाइम ऑपर्चुनिटी.." शीना ने कुछ सोच के जवाब दिया, वो जानती थी कि भले ज्योति ने यह पूछा लेकिन वो भी नहीं चाहती थी कि शीना उन्हे जाय्न करे, अगर शीना उन्हे जाय्न करती तो ज्योति इतनी चालाक है के किसी तरह वो शीना से ही कुछ देर में ना बुलवा देती.. इसलिए शीना ने उसे ना करके अच्छा ही किया, और ज्योति को रिज़ॉर्ट वाली बात बोलके फिर उसने ज्योति को यह एहसास दिलाया कि उसने क्या खोया है... शीना का जवाब सुन ज्योति हल्के से मुस्कुराइ, और वहाँ से बिना कुछ बोले निकल गयी
"आप जानते हो, मैने सोचा था हम बहामास जाएँगे और मज़े करेंगे, पर यह देखो.. बीच में आई कूद के , आइ म जस्ट हेटिंग हर नाउ.." शीना ने रिकी से फुसफुसाके उसके कान में कहा
"ना ना, डोंट डू तट.., तुम अपनी नफ़रत या तो ख़तम कर दो या तो उसे बाहर नहीं निकलना... अगर बाहर निकलोगि तो उसमे भी तुम ही दोषी निकलोगी, आइ मीन तुमने देखा ना उसने अपनी बात कैसे मनवा ली पापा से, अब अगर वो ऐसा कर सकती है, तो सोचो तुम्हे ग़लत साबित करने में उसको कितना टाइम लगेगा..." रिकी ने शांति से शीना को कहा और उसे अपने हाथ से पानी पिलाने लगा..
"उम्म्म, क्या बात है, अपने हाथ से पिला रहे हो पानी..ज्योति की वजह से कुछ तो फ़ायदा हुआ मुझे.." शीना ने रिकी के हाथ को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन रिकी ने उससे हाथ छुड़वा के उसको इशारा किया जगह का और दोनो फिर नाश्ता करने लगे
"लेकिन भाई, अब क्या करें, उसको मना कैसे करोगे.." शीना ने फिर रिकी से कहा
"उम्म्म... सोचना पड़ेगा, बट आइ डोंट थिंक यह आसान होगा, मतलब मैं फिलहाल तो फ्री ही हूँ, तो ऐसा कोई बहाना नहीं कर सकता, और तुम जानती हो कि रिज़ॉर्ट में वो इन्वॉल्व्ड नहीं है जब कि पापा वोही चाहते थे, इसलिए उसे इस बात का दुख है, और अगर अब मैं मना करूँगा तो फिर उसे और बुरा लगेगा.." रिकी ने इतना ही कहा के फिर शीना बोल पड़ी
"आइ नो, इस बार राजवीर चाचू भी शायद हर्ट हो, आइ मीन उन्हे ऐसा एहसास होगा ना के वो हमारे बीच नहीं रहते इसलिए हम उनके साथ ऐसा बिहेव करते हैं.." शीना ने अपनी प्लेट खाली करके कहा
"एग्ज़ॅक्ट्ली, बट लेट मी थिंक सम्तिंग एल्स.. तुझे बताता हूँ कुछ देर में.."
"नहीं भाई, इट'स ओके... आप लोग जाओ, बट स्टे अवे फ्रॉम हर ओके.." शीना ने अपने हाथ में चाकू उठा के उसको दिखाते हुए कहा
"हहा, जेलस सिस... डॉन'ट वरी, शीना की जगह कोई नहीं ले पाएगा.... " कहते हुए रिकी ने उसके हाथ को हल्के से चूमा और दोनो हँस के वहाँ से बाहर निकल गये गार्डेन की तरफ
ज्योति कुछ देर अपने कमरे में ही थी, लेकिन जब उसने देखा कि कोई नहीं आ रहा, वो धीरे से शीना के कमरे की ओर बढ़ी.. उसके कमरे के पास जाके उसने दरवाज़े को हल्का धक्का लगाया
तो वो खुल गया.. ज्योति जल्दी से अंदर गयी और दरवाज़ा लॉक करके कमरे की दीवार के हर कोने को देखने लगी लेकिन उसे कॅमरा नहीं मिला, वॉर्डरोब के नीचे, उपर या कहीं और.. वो हर जगह देखने लगी लेकिन उसे कहीं नहीं मिला कॅमरा.. थक हार के वो बेड पे बैठी और अपनी नज़रें छत की तरफ की, जहाँ उसने देखा कि कुछ वाइर्स लटक रहे हैं, वो जल्दी से उठ खड़ी हुई
और एक लंबा स्टूल लेके चढ़ गयी, वाइर्स देख के वो समझ गयी कि कॅमरा पहले यहाँ था, अब नहीं है, इसका मतलब शीना ने ही निकाल फेंका है.. ज्योति नीचे उतरी और सब कुछ ठीक करने लगी, इतने में उसके मोबाइल पे एसएमएस आया
"तुम मेरे कमरे में हो, अपने कमरे का रास्ता भूल गयी हो या मेरे कमरे में कुछ चीज़ छुपी है जिसे इतनी देर से ढूँढ रही हो..." शीना ने ज्योति को भेजा
एसएमएस पढ़ के ज्योति की तो मानो हालत खराब हुई थी, उसका चेहरा पसीना पसीना हो चुका था, उसने अपनी नज़रें फिर एक बार चारो तरफ घुमाई, अगर शीना का यह एसएमएस है मतलब कॅमरा कहीं है, लेकिन कहाँ.. ज्योति ये सोचते सोचते फिर इधर उधर देख ही रही थी कि फिर एसएमएस आया
"कोई पॉइंट नहीं है, तुम्हे कॅमरा नहीं मिलेगा... बेहतर है तुम अपने कमरे में जाओ या बाहर गार्डेन में आओ, भाई और मैं गोल्फ कोर्स जा रहे हैं, तुम आ सकती हो हमारे साथ.. ब्लडी पार्टी पूपर.."
शीना का यह एसएमएस पढ़ ज्योति कुछ और किए बिना ही वहाँ से निकल गयी, लेकिन अपने कमरे में जाने के बदले वो सीधा शीना और रिकी के पास चली गयी.. अगर उसकी जगह स्नेहा होती तो वो शीना से आँख भी नहीं मिलाती, लेकिन ज्योति की बात अलग थी.. भले ही ग़लती उसकी क्यूँ ना हो, लेकिन जंग मतलब जंग, उसे पूरा करना ही पड़ता है... इसलिए ज्योति ने खुद को फ्रेश किया और कपड़े बदल के शीना और रिकी के पास चल दी...
"चलें भैया..." ज्योति ने गार्डेन में आते हुए कहा
ज्योति की आवाज़ सुन, रिकी चौंक उठा, लेकिन ताज्जुब उसे इस बात का था कि ज्योति कहाँ चलने की बात कर रही है...
"हमारे साथ चलेगी भाई, मैने ही इन्वाइट किया ज्योति को... घर पे अकेले बैठे बैठे इंसान का दिमाग़ कुछ ज़्यादा ही काम करता है जिससे प्रेशर बढ़ सकता है, बेहतर है हमारे साथ रहेगी
तो शांत रहेगी.." शीना ने अपना हाथ ज्योति के पास बढ़ाया और ज्योति ने भी उसका हाथ थाम लिया
"तुम और तुम्हारी बातें, रूको मैं गाड़ी निकलता हूँ..." कहके रिकी ड्राइवर के पास चला गया
"वैसे, मेरे कमरे में क्या ढूँढ रही थी ज्योति.." शीना ने बिना झिझक या गुस्से के ज्योती से सवाल किया और दोनो आगे देख रहे थे
"कुछ ख़ास नहीं, यू सी, तुम्हारे कमरे का इंटीरियर बहुत खूबसूरत है, इसलिए मैं देख रही थी कि इसे और खूबसूरत कैसे बनाया जाए" ज्योति और शीना दोनो एक दूसरे का हाथ पकड़ के धीरे धीरे आगे बढ़ रहे थे, दोनो के आँखों पे चढ़े एवियेटर ग्लासस, दोनो ने गोल्फ पॅंट्स पहने थे और पोलो टी-शर्ट.. दोनो इस वक़्त ऐसे बात कर रही थी जैसे मँझे हुए खिलाड़ी एक
दूसरे से करते हैं किसी बड़ी मॅच के पहले
"जानती हो ज्योति, जिस चीज़ की तारीफ़ करो, उसे बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, नहीं तो वो तारीफ़ के काबिल नहीं रहती. और रही बात मेरे कमरे की, तुम जो ढूँढ रही थी वो मेरे कमरे में कहीं नहीं मिलेगा.. और वैसे भी, कॅमरा से तुम्हारा क्या काम.. तुम यहाँ रहो, पढ़ो, मज़े करो, तुम यह सब क्यूँ कर रही हो, मुझे अब तक समझ नहीं आया कि इतनी दिलचस्पी क्यूँ दिखा रही हो तुम यह पता करने में कि इस घर में क्या चल रहा है... यह घर ना तुम्हारा कभी था, और ना ही इस घर की प्रॉब्लम्स या खुशियाँ तुम्हारी थी.. लेकिन अब तुम यहाँ रहने वाली हो तो जिस खुशी से हम ने तुम्हे आक्सेप्ट किया है, मुझे उम्मीद है के तुम हमे निराश नहीं करोगी और अपनी पढ़ाई में टॉप करोगी.." इस बार शीना ने ज्योति को एक नज़र देखा और अपने ग्लासस निकाल के फिर कहा
"भाई के साथ जहाँ जाना चाहती हो जाओ, लेकिन जो चीज़ तुम सुनना चाहती हो वो सुनो... मैं रिकी भाई से बहुत प्यार करती हूँ, और शायद यह प्यार भाई बहेन के प्यार से भी बढ़कर है.. मैं जानती हूँ तुम कितने दिनो से हमें अब्ज़र्व कर रही हो, लेकिन जैसे मैने कहा, तुम आराम से रहो, इस घर में क्या हो रहा है क्या नहीं... यह सब में दिलचस्पी नहीं लो, और हां.. अभी कुछ देर में रिकी भाई तुमसे पूछेंगे के कहाँ जाना चाहती हो.. तुम प्लीज़ गोआ का नाम मत लेना.. तुम्हे लग रहा होगा कि वहाँ बीचस पे अपनी बॉडी से भाई को सिड्यूस करके तुम उनके पास जाओगी, तो आइ आम सॉरी टू डिसपायंट यू, ऐसा कुछ नहीं होगा... यू बेटर थिंक सम्तिंग एल्स.." शीना ने जैसे ही यह बात कही, उन दोनो को रिकी की आवाज़ सुनाई दी