hotaks444
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एरपोर्ट पे फ्लाइट लंड होते ही, एक बंदा बड़े आराम से किसी से मोबाइल पे बात करते हुए लगेज बेल्ट के पास पहुँचा और अपने बॅग का वेट करने लगा, अभी भी किसी से फोन पे बात कर रहा था और बेसबर था अपने बॅग के लिए.. कुछ देर में जैसे ही उसका बॅग आते दिखा, उसने जल्दी से उसे उठाया और एग्ज़िट की तरफ बढ़ गया
"ह्म्म्म, कहाँ हो तुम.." बंदे ने अपने बॅग को अड्जस्ट करके कहा और फिर अपनी नज़रें इधर उधर घुमाने लगा
"नही दिख रही यार, " कहके बंदे ने फिर अपने आस पास देखा लेकिन वो जिसे ढूँढ रहा था उसे कहीं नहीं मिला वो इंसान
"एक्सक्यूस मी... आर यू लुकिंग फॉर मी.." यह सुन बंदे ने अपना फोन बंद किया और अपने चेहरे पे मुस्कान लाके, धीरे से पीछे मुड़ा और सामने खड़े शक्स को देख उसके चेहरे की मुस्कान बढ़ती चली गयी..
"आइ मस्ट से यूआर लुकिंग हॉट हाँ, बट व्हाई दिस नर्ड चीक लुक.."
सामने खड़ी लड़की लग ही ऐसी रही थी, किसी स्कूल की सेक्सी टीचर के जैसा लुक, डेनिम ब्राउन ब्लेज़र, टाइट वाइट कलर की शर्ट के उपर का बटन ओपन जिससे उसका चुचे भरे भरे बाहर दिख रहे थे, और चेहरे पे एक कातिलाना लुक
"लीव ऑल दिस... चलो गाड़ी में बैठो, " कहके उस बंदी ने गाड़ी स्टार्ट की और दोनो अपनी मंज़िल की ओर निकल गये
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"वैसे टेल मी, आपने पापा से क्या कहा यहाँ आने के लिए" शीना ने अपने ध्यान आगे रखते हुए ही रिकी से सवाल पूछा
"ज्योति, दट ईज़ ऑल ओके.. आइ मीन तुम्हारा प्रॉजेक्ट ईज़ नेसेसरी, बट प्लीज़ इसको पोस्टपोन करो ना हो सके तो,आइ एम शुवर तुम्हारे कॉलेज से एक्सटेन्षन मिल जाएगा" रिकी और ज्योति दोनो इस वक़्त अमर के सामने खड़े हुए थे, अमर को यह सब बातों में पड़ना पसंद नहीं था, लेकिन ज्योति को ले जाने की ज़िम्मेदारी उसी ने रिकी को दी थी, इसलिए अब उसे इस बात का समाधान निकालना था, वहीं बैठे बैठे वो उन दोनो को सुन रहा था
"भैया, नहीं हो सकता.. लेकिन फिर भी गिम्मी आ सेकेंड..." कहके ज्योति ने अपने मोबाइल से कॉल किए और कुछ बातें की जिसका नतीजा कुछ नहीं निकला
"सॉरी भैया, बट नही अलाउ करेंगे.." ज्योति ने सॅड सा फेस बना के कहा
"कोई बात नहीं रिकी, फिर कभी चले जाना, इसमे क्या बड़ी बात है" अमर की यह बात सुन रिकी ने अपना पत्ता फेंका जिसने ज्योति के अरमानो पे फिर पानी या सूनामी जो भी हो, सब फेर दिया
"ठीक है पापा, आइ वाज़ लीस्ट इंट्रेस्टेड इन आ वाकेशन.. लेकिन बलि हॅज़ सम ऑफ दा वर्ल्ड'स बेस्ट रिज़ॉर्ट्स, आइलॅंड पे बने होते हुए यह रिज़ॉर्ट्स दुनिया की बेस्ट कारीगरी के मिसाल हैं... जिस दिन हम वहाँ जा रहे थे, मैने वहाँ के कुछ लोगों के साथ अपायंट्मेंट्स फिक्स किए हैं, टू हाइयर दोज़ आर्किटेक्ट्स फॉर और रिज़ॉर्ट.. अब भले ही ज्योति ना आए, लेकिन मुझे अपनी ज़बान की कीमत रखनी है, और इसलिए मैं वहाँ जाकर रहूँगा.." रिकी ने बड़े ही धीरे लेकिन बहुत ही मुकम्मल इरादा दिखाते हुए अपनी बात कही.. इससे पहले अमर कुछ बोलता, रिकी ने फिर कहा
"आइ होप दिस ईज़ ओके पापा, आपने ही सिखाया है ना हमे, कि इंसान को अपनी ज़बान की वॅल्यू खुद रखनी ही चाहिए नहीं तो बाहरी लोग इसी बात का मज़ाक बना देंगे और हमारी कही हुई हर बात को मज़ाक समझा जाएगा" रिकी ने अमर की आँखों में देखते हुए कहा.. रिकी की यह बात अमर के भेजे में किसी गोली जैसे उतरी, बिना कुछ आगे की बात सुने अमर ने कहा
"बिल्कुल सही कह रहे हो, मुझे गर्व है कि तुम्हे मेरी दी हुई हर बात का ज्ञान अब तक याद है... यू कॅरी ऑन बेटे, वो रिज़ॉर्ट तुम्हारा सपना है तो उसके लिए जो चाहिए वो करो, मैं नहीं रोकुंगा.. और हां एक बात, पहले मैने तुम्हे कहा था के तुम बॅंक से लोन लोगे, लेकिन तुम्हारी मेहनत और लगन देख के मैं इसमे फाइनान्स लगाउन्गा, लोन की ज़रूरत नहीं है.." अमर ने अपनी कुर्सी से खड़े होते हुए कहा
"लेकिन पापा..." रिकी ने बीच में टोका ही था के अमर फिर बोल पड़ा
"बस रिकी, मेरा आखरी फ़ैसला है... तुम तैयारी करो, और साथ घुमके भी आओ... तुम्हारी वजह से ज्योति यह अकेला जा रहा है, इसके साथ शीना को ही भेज देता ताकि दोनो काम निपटा देते..." अमर ने ज्योति की तरफ देख कर उसे हिदायत देते हुए कहा
"सॉरी ताऊ जी, आगे से ध्यान रखूँगी" ज्योति ने अपनी नज़रें नीची करते हुए कहा
"बेहतर है, सब बाद में, पहले टाइम मॅनेज्मेंट सीखो तुम.." अमर ने जैसे ज्योति के मूह पे शब्दों से तमाचा मारा और बिना कुछ कहे वहाँ से निकल गया.. उमेर की आखरी लाइन सुन ज्योति के दिल पे जैसे किसी ने खंजर से वार कर दिया.. वहीं खड़ी रहके ज्योति अभी भी नज़रें झुकाए हुई थी और शायद वो रोना चाहती थी लेकिन बिना कुछ कहे वहाँ से निकल गयी..
"हाहहाहा, बिच... उसे क्या लगा, वो अपना दिमाग़ लगाएगी और हमारी ट्रिप कॅन्सल करेगी..." शीना ने रिकी को देख के कहा और फिर मस्ती में गाड़ी चलाने लगी..
"शीना, एक बात पूछूँ.." रिकी ने थोड़ा सीरीयस होते हुए कहा
"हां जी, पूछिए ना..आप को मना करूँगी क्या.." शीना ने सेम उत्साह में जवाब दिया
"शीना, मुझे एक बात भी नहीं दिख रही उससे नफ़रत करने की, मेरे लिए तुम दोनो ईक्वल हो.. आइ मीन वी हॅव सेम रीलेशन, तो तुम उससे नफ़रत क्यूँ कर रही हो, वो भी अचानक, आइ मीन कुछ दिन पहले तक वी वर बेस्ट ऑफ बडीस, लेकिन अब सब अलग क्यूँ हो रहे हैं..' रिकी ने शीना की तरफ देखते हुए ही कहा और अपने ग्लासस भी निकाल दिए
"आइ डॉन'ट हेट हर.. लेकिन जब वो यहाँ रुकी थी, उसका मेन रीज़न वाज़ हर स्टडीस, बट वो छोड़ के वो सब कुछ कर रही है जो उसे नहीं करना चाहिए, हम पे जासूसी, और आप जानते हो जब हम गोल्फ कोर्स चले थे, उस दिन मेरे कमरे की तलाशी ले रही थी.. अब मैं इसे क्या समझू..." शीना ने गाड़ी की स्पीड कम करके कहा और रिकी की तरफ देखती हुई बोली
"आंड एक्सक्यूस मी.. हम दोनो आपके लिए ईक्वल हैं.." शीना ने सवालिया नज़रों से रिकी की तरफ देखते हुए कहा
"हां, आंड मैं ऐसा क्यूँ कह रहा हूँ वो मैं तुमको इतमीनान से कहूँगा, ऑन दा राइट टाइम.." रिकी ने फिर अपने ग्लासस पहने और सामने की तरफ देखने लगा... बलि एरपोर्ट से लेके उनके रिज़ॉर्ट तक का सफ़र काफ़ी सुहाना था, क्यूँ कि बलि एक आइलॅंड है, इसलिए मौसम मिक्स्ड था, जहाँ तेज़ हवा चल रही थी, वहीं कड़ी धूप और ह्यूमिडिटी भी थी.. पूरा रास्ता एक लॅंडस्केप जैसा था , रोड के इर्द गिर्द लंबे लंबे हरे पेड़ थे और दरिया किनारा , ऐसे मौसम में काफ़ी रोमॅंटिक मूड बन जाता है इंसान का, फिर भला रिकी कैसे पीछे रहता, वो धीरे से शीना के चेहरे को देख के गुनगुनाने लगा
"यूही तुम मुझसे बात करती हो.... या कोई प्यार का इरादा है.." रिकी शीना को देख मुस्कुराया,
"अदायें दिल की जानता ही नहीं.... मेरा हमदम भी कितना सादा हाईईइ" जवाब में शीना भी मुस्कुराइ और रिकी को देखती हुई उसकी लाइन कंप्लीट की
"अच्छा, टेल मी, जब हम गोल्फ कोर्स चल रहे थे, तभी वो तुम्हारे कमरे की तलाशी ले रही थी, जहाँ तक मुझे याद है, उस दिन हम साथ में नीचे ही थे काफ़ी टाइम से, देन हाउ डिड यू नो के वो तुम्हारे रूम को चेक कर रही है.. आंड क्या चेक करना चाहती थी वो.." रिकी को जैसे अचानक शीना की आखरी कही हुई बात याद आई और हल्की सी हैरानी से शीना को देखने लगा
"हाहाहा, अभी क्लिक हुआ, इस बात का जवाब भी मैं इतमीनान से दूँगी, ऑन दा राइट टाइम बेबी.." शीना ने अपने दाँत रिकी को दिखाए और आगे बढ़ते चले गये... रिकी फिर उस दिन पे चला गया जब उसकी बात ज्योति और अमर के साथ हुई थी, जब अमर ने ज्योति को मॅनेज्मेंट की बात कही थी... ज्योति वहीं खड़ी खड़ी अपनी नज़रें ज़मीन पे गढ़ाए हुए थी, शायद वो रोना चाहती थी, लेकिन रिकी के सामने वो कमज़ोर नहीं दिखना चाहती थी, इसलिए वो वहाँ से बिना रिकी को देखे अपने कमरे की ओर चली गयी.. रिकी को इस बात की काफ़ी ठेस लगी, शीना और ज्योति उसके लिए वाकई में सेम हैं, उसने कभी नहीं सोचा था कि एक तरफ जब वो शीना के करीब जाएगा, दूसरी तरफ वो ज्योति से इतना दूर होगा.. जब उसे एहसास हुआ कि ज्योति शायद रो रही होगी, रिकी धीरे धीरे उसके कमरे की तरफ बढ़ने लगा...
"ज्योति, प्लीज़ ओपन दा डोर.." रिकी ने दरवाज़े पे नॉक करते हुए कहा
"इट्स ओपन भैया, प्लीज़ आ जाओ.." ज्योति ने जवाब तो दिया, लेकिन रिकी उसकी आवाज़ से समझ गया कि वो रो रही थी.. रिकी अंदर गया तो देखा ज्योति बेड के कोने पे बैठी थी और रिकी को दिखाने के लिए मॅगज़ीन पढ़ रही थी
"आइए भैया, " ज्योति ने एक नज़र मॅगज़ीन से उठा के रिकी को देखा और फिर अपनी आँखें मॅगज़ीन में छुपा दी
"ह्म्म्म, नाइस, लेटेस्ट आउटलुक हाँ.." रिकी ने बेड पे बैठते हुए कहा
"यस, बहुत इंट्रेस्टिंग है.." ज्योति ने बिना देखे रिकी को जवाब दिया
"अब इंट्रेस्टिंग तो होगी ही, उल्टा करके जो पढ़ रही हो तुम.." रिकी ने अपना हाथ मॅगज़ीन पे रखा और उसके हाथ से एक ही झटके में मॅगज़ीन छीन ली..
"ह्म, सो व्हाट ईज़ इट... क्या मैं इतना बुरा हो गया हूँ कि अब अपनी प्रॉब्लम्स भी नहीं बताओगी मुझे..." रिकी ने ज्योति की आँखों में देख के कहा, रिकी की यह बात सुन ज्योति से कंट्रोल नहीं हुआ और वो उससे लिपट के रोने लगी.. ज्योति को ऐसा देख रिकी काफ़ी परेशान हुआ, वो बस उसके बालों को सहला रहा था और उसे चुप करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन ज्योति बस रोए जा रही थी,
"क्या हुआ डियर... बस करो, " रिकी ने फिर इतना ही कहा और ज्योति के चेहरे को अपने हाथों में थाम के उसकी आँखों में देखने लगा, रोना तो कम हुआ लेकिन अभी भी ज्योति सूबक रही थी..
"अच्छा यह लो, पानी पियो और प्लीज़ चुप हो जाओ, अगर नहीं चुप हुई तो मैं समझूंगा के आइ मीन नतिंग टू यू.." रिकी ने पानी की बॉटल देके कहा, ज्योति भी अब धीरे धीरे खामोश हुई और पानी पीने लगी
"ह्म्म्म, अब बताओ.. क्या हुआ.. पापा की डाँट की वजह से बुरा नहीं लगा, यह आइ नो.. इसके अलावा क्या हर्ट कर रहा है तुम्हे.." रिकी ने ज्योति का हाथ थाम के कहा
"कुछ नहीं भैया, बस ऐसे ही.. घर की याद आ गयी, दोस्तों की याद आ गयी" ज्योति ने अपनी आँखें नीचे करके कहा
"यह भी तो घर है, और रही बात दोस्तों की, तो कल जाओगी ना कॉलेज प्रॉजेक्ट सब्मिट करने, तो मिल लेना सब से.." रिकी ने बस इतना ही कहा के ज्योति का डोर फिर नॉक हुआ
"ज्योति, क्या मैं अंदर आउ.." स्नेहा ने बाहर से आवाज़ दी
"हां भाभी आइए ना" ज्योति ने रिकी को देख के कहा, जैसे पूछ रही हो कि यह क्यूँ आई
"उः ज्योति एक मिनिट.." स्नेहा ने अंदर आते हुए कहा, लेकिन रिकी को देख खामोश हो गयी
"ओह सॉरी, नहीं जानती थी तुम भी इधर हो रिकी, कोई नहीं, मैं फिर आ जाउन्गी.." कहके स्नेहा पलटी ही कि उसे रिकी ने रोक दिया
"नहीं भाभी, आप बात कीजिए, मैं बाद में कर लूँगा बात.. बाइ.." रिकी ने ज्योति को देख के कहा और उसके कमरे से निकल गया
"हेलो... कहाँ खो गये, मेरे साथ रहके भी आपका दिमाग़ इधर उधर भाग रहा है क्या मिस्टर राइचंद.." शीना ने गाड़ी रोक के रिकी के आगे चुटकी बजाते हुए कहा
"अरे, नतिंग , बस ऐसे ही... तुमने गाड़ी क्यूँ रोकी.. चलो" कहके रिकी अपना मोबाइल चेक करने लगा
"व्हाट... आप ने ड्रग्स ली है, आर यू ऑन डोप.." शीना ने अपने हाथों से रिकी के कंधों को हिलाते हुए पूछा
"हम पहुँच चुके हैं, मिस्टर राइचंद, अपनी आँखों को तकलीफ़ दीजिए, आगे देखिए, आपका रिज़ॉर्ट आपके सामने है" शीना ने इशारा करके दिखाया
"ओह, यस ओके... चलो.." रिकी ने अपने दिमाग़ को काबू में रख के कहा और दोनो गाड़ी से निकल के रिज़ॉर्ट की तरफ बढ़ने लगे... एंट्रेन्स करते ही रिकी की आँखें जैसे बाहर आने को हो गयी, इससे खूबसूरत रिज़ॉर्ट उसने आज तक नहीं देखा था..
"वॉवववववव..... दिस इस दा मोस्ट ब्यूटिफुल थिंग ऑन अर्थ आइ हॅव सीन टिल डेट शीना.." रिकी ने ग्लासस निकाल के कहा और रिज़ॉर्ट को देखने लगा
"ना ना, दुनिया में इससे ज़्यादा खूबसूरत चीज़े भी हैं.. यू नो आज की तारीख में कोई भी गधा पैसे कमाना जानता है, लेकिन सिर्फ़ एक चतुर इंसान ही जानता है, पैसे को कब, कहाँ और कैसे खर्च करना है.. आंड गेस व्हाट, यूआर विद दा वाइज़ेस्ट वुमन इन दिस रीगार्ड्स.." शीना ने रिकी को आँख मारते हुए कहा
"हाहः, आइ नो.. बट दिस ईज़.. प्राइसलेस मॅन.. कितनी खूबसूरती, कितना सुकून है... " रिकी ने आगे बढ़ते हुए कहा
"अभी तो आप देखते जाओ, आइए चलते हैं रूम्स में.." शीना ने रिसेप्षन से अपना आक्सेस कार्ड लिया और दोनो उसके रूम की तरफ बढ़ गये
"हे वेट, आपको भूख नहीं लगी.."
"हां बट पहले रूम्स में सेट्ल हो जाते हैं, फिर चलते हैं खाने.." रिकी ने घड़ी देखते हुए कहा
"नहीं, अभी जाना है, जहाँ हम जाएँगे, वो जगह एक्सक्लूसिव लोगों के लिए है.. ओपन्स फॉर 2 अवर्स ओन्ली, अभी चलो, मैने बुकिंग कर रखी है.." शीना ने रिकी का हाथ पकड़ा और उसे लंच के लिए ले गयी.. रेस्टोरेंट में जाके रिकी ने देखा तो भीड़ काफ़ी कम थी, शायद यह मंत ऐसा ही रहता है..
"इसमे ख़ास और एक्सक्लूसिव क्या है, " रिकी ने नज़रें घुमा के शीना से पूछा
"रूको तो.." शीना ने उससे कहा और वहाँ के मॅनेजर से कुछ कहा फिर दोनो उसको पीछे निकल गये.. कुछ देर चलने पर उन्हे एक दरवाज़ा दिखा
"दिस वे मॅम.. सिर.." मॅनेजर ने दोनो से कहा और दरवाज़ा खोल दिया..
"युवर लाउंज ईज़ रेडी ऐज यू वांटेड इट मॅम... हॅव आ वंडरफुल लंच.. " कहके मॅनेजर निकल गया, लेकिन शीना अभी भी रिकी के चेहरे को देख रही थी, जो सामने का नज़ारा देख एक दम चौंक गया था.. सामने एक छोटे से प्राइवेट पूल के पास, काफ़ी उँची हाइट पे जहाँ से समंदर का नज़ारा देखा जा सकता था, उसके कॉर्नर में शीना ने एक सेट अप जिसको प्राइवेट हट कहते हैं वहाँ , वो बुक करवाया था.. रिकी को विश्वास नहीं हो रहा था कि इससे बढ़िया जगह कोई और भी हो सकती है भला
"अब लंच नहीं करना तो वापस चलें.." शीना ने रिकी के हाथ को थाम के कहा जिससे रिकी होश में आया और बस मुस्कुरा के दोनो लंच करने गये
"मैं कह रही हूँ ज्योति, कब तक आख़िर शीना के हाथों ऐसे मात खाती रहोगी, मेरा साथ दो, काम थोड़ा मुश्किल है लेकिन तुम ऐसे अकेली बिल्कुल नहीं रहोगी, और ना ही ऐसे रोना पड़ेगा." स्नेहा ज्योति के कमरे में बैठी उसके साथ बातें कर रही थी.. स्नेहा ने जो काम के लिए सोचा शीना को इस्तेमाल करेगी अभी उसके लिए वो ज्योति को उकसा रही थी, लेकिन ज्योति बस सुन रही थी, और कुछ रिएक्ट नहीं कर रही थी.. स्नेहा ने फिर कुछ कहना चाहा लेकिन इससे पहले उसका फोन बज उठा
"हेलो." स्नेहा ने रूम के बाहर आके कहा
"टाइम वेस्ट कर रही हो स्नेहा, ज्योति को मनाने का कोई फ़ायदा नहीं है, वो नहीं मानेगी.. " सामने से किसी ने उसे कहा और साथ ही सिगरेट के धुएँ का छल्ला बना के हवा में उड़ाया
स्नेहा यह सुन के सोच ही रही थी कुछ, कि फिर उस आवाज़ ने उसे होश में लाया
"ज़्यादा सोचने की नो नीड लेडी, तुम्हे काम पे रखा है तो तुमसे ज़्यादा दिमाग़ और चालाकी चाहिए, रूम के बाहर आके बात करोगी तो ज्योति कुछ भी सोच सकती है, बेहतर है अंदर जाओ, उसे ज़्यादा फोर्स नही करो, अगर नहीं मानती है तो भी ठीक है, मुझे पसंद है ज्योति.." एक मुस्कान के साथ उस शक्स ने फिर स्नेहा से कहा
"पसंद है मतलब.." स्नेहा बस इतना ही कह पाई
"पसंद है मतलब पसंद है, दिल में ख़याल आ रहा है कि राइचंद'स को बर्बाद करके ज्योति को अपने पास ही रख लूँ, उस बेचारी का इसमे कोई दोष नहीं है.. वो तो बेचारी राजवीर की असली बेटी भी नहीं है.." यह बात सुन स्नेहा को एक झटका फिर लगा.
"लेकिन तुम्हे कैसे पता कि वो.." स्नेहा ने फिर इतना ही कहा के उस शक्स ने फिर उसे टोक दिया
"मैने कहा ना, तुम जैसी औरत के साथ मुझे यह करना ही पड़ेगा.. अब जो कहा है वो करो, ज्योति को इससे बाहर रखो, या इन्वॉल्व करो.. फाइनल प्लान में क्योति को कुछ नहीं होना चाहिए.." कहके उस शक़्स ने फोन कट कर दिया
स्नेहा बाहर खड़ी खड़ी कुछ सोच रही थी कि तभी ज्योति बाहर आ गयी
"भाभी.. किसका फोन था, आप बाहर क्यूँ आ गयी..." ज्योति की इस आवाज़ से स्नेहा डर गयी , लेकिन फिर भी उसने काबू रखा खुद पे और अपने माथे का पसीना पोछने लगी
"कुछ नहीं ज्योति.. मैं कह रही थी कि.." स्नेहा ने इतना ही कहा के ज्योति ने उसे रोक दिया
"ठीक है भाभी, मैं आप के साथ हूँ.. मुझे क्या करना है आप बताइए, मैं रिकी को पाने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ" ज्योति ने स्नेहा से दो कदम आगे बढ़ के कहा.. इसकी बात सुन स्नेहा कुछ रिएक्ट करती, कि तभी उसके मोबाइल पे एसएमएस आ गया
"हाहहः, तुम बहुत जल्दी कर देती हो.. इसके बिना हमारा काम रुकता ही नहीं, वो चतुर स्नेहा कहाँ गायब हो रही है, दिमाग़ की धार को तेज़ करो अब.. ऐसे नहीं चलेगा, और अब इसने हां बोल दिया है तो इसका ख़याल भी तुम्हे रखना है, समझ गयी ना तुम
"ह्म्म्म, कहाँ हो तुम.." बंदे ने अपने बॅग को अड्जस्ट करके कहा और फिर अपनी नज़रें इधर उधर घुमाने लगा
"नही दिख रही यार, " कहके बंदे ने फिर अपने आस पास देखा लेकिन वो जिसे ढूँढ रहा था उसे कहीं नहीं मिला वो इंसान
"एक्सक्यूस मी... आर यू लुकिंग फॉर मी.." यह सुन बंदे ने अपना फोन बंद किया और अपने चेहरे पे मुस्कान लाके, धीरे से पीछे मुड़ा और सामने खड़े शक्स को देख उसके चेहरे की मुस्कान बढ़ती चली गयी..
"आइ मस्ट से यूआर लुकिंग हॉट हाँ, बट व्हाई दिस नर्ड चीक लुक.."
सामने खड़ी लड़की लग ही ऐसी रही थी, किसी स्कूल की सेक्सी टीचर के जैसा लुक, डेनिम ब्राउन ब्लेज़र, टाइट वाइट कलर की शर्ट के उपर का बटन ओपन जिससे उसका चुचे भरे भरे बाहर दिख रहे थे, और चेहरे पे एक कातिलाना लुक
"लीव ऑल दिस... चलो गाड़ी में बैठो, " कहके उस बंदी ने गाड़ी स्टार्ट की और दोनो अपनी मंज़िल की ओर निकल गये
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"वैसे टेल मी, आपने पापा से क्या कहा यहाँ आने के लिए" शीना ने अपने ध्यान आगे रखते हुए ही रिकी से सवाल पूछा
"ज्योति, दट ईज़ ऑल ओके.. आइ मीन तुम्हारा प्रॉजेक्ट ईज़ नेसेसरी, बट प्लीज़ इसको पोस्टपोन करो ना हो सके तो,आइ एम शुवर तुम्हारे कॉलेज से एक्सटेन्षन मिल जाएगा" रिकी और ज्योति दोनो इस वक़्त अमर के सामने खड़े हुए थे, अमर को यह सब बातों में पड़ना पसंद नहीं था, लेकिन ज्योति को ले जाने की ज़िम्मेदारी उसी ने रिकी को दी थी, इसलिए अब उसे इस बात का समाधान निकालना था, वहीं बैठे बैठे वो उन दोनो को सुन रहा था
"भैया, नहीं हो सकता.. लेकिन फिर भी गिम्मी आ सेकेंड..." कहके ज्योति ने अपने मोबाइल से कॉल किए और कुछ बातें की जिसका नतीजा कुछ नहीं निकला
"सॉरी भैया, बट नही अलाउ करेंगे.." ज्योति ने सॅड सा फेस बना के कहा
"कोई बात नहीं रिकी, फिर कभी चले जाना, इसमे क्या बड़ी बात है" अमर की यह बात सुन रिकी ने अपना पत्ता फेंका जिसने ज्योति के अरमानो पे फिर पानी या सूनामी जो भी हो, सब फेर दिया
"ठीक है पापा, आइ वाज़ लीस्ट इंट्रेस्टेड इन आ वाकेशन.. लेकिन बलि हॅज़ सम ऑफ दा वर्ल्ड'स बेस्ट रिज़ॉर्ट्स, आइलॅंड पे बने होते हुए यह रिज़ॉर्ट्स दुनिया की बेस्ट कारीगरी के मिसाल हैं... जिस दिन हम वहाँ जा रहे थे, मैने वहाँ के कुछ लोगों के साथ अपायंट्मेंट्स फिक्स किए हैं, टू हाइयर दोज़ आर्किटेक्ट्स फॉर और रिज़ॉर्ट.. अब भले ही ज्योति ना आए, लेकिन मुझे अपनी ज़बान की कीमत रखनी है, और इसलिए मैं वहाँ जाकर रहूँगा.." रिकी ने बड़े ही धीरे लेकिन बहुत ही मुकम्मल इरादा दिखाते हुए अपनी बात कही.. इससे पहले अमर कुछ बोलता, रिकी ने फिर कहा
"आइ होप दिस ईज़ ओके पापा, आपने ही सिखाया है ना हमे, कि इंसान को अपनी ज़बान की वॅल्यू खुद रखनी ही चाहिए नहीं तो बाहरी लोग इसी बात का मज़ाक बना देंगे और हमारी कही हुई हर बात को मज़ाक समझा जाएगा" रिकी ने अमर की आँखों में देखते हुए कहा.. रिकी की यह बात अमर के भेजे में किसी गोली जैसे उतरी, बिना कुछ आगे की बात सुने अमर ने कहा
"बिल्कुल सही कह रहे हो, मुझे गर्व है कि तुम्हे मेरी दी हुई हर बात का ज्ञान अब तक याद है... यू कॅरी ऑन बेटे, वो रिज़ॉर्ट तुम्हारा सपना है तो उसके लिए जो चाहिए वो करो, मैं नहीं रोकुंगा.. और हां एक बात, पहले मैने तुम्हे कहा था के तुम बॅंक से लोन लोगे, लेकिन तुम्हारी मेहनत और लगन देख के मैं इसमे फाइनान्स लगाउन्गा, लोन की ज़रूरत नहीं है.." अमर ने अपनी कुर्सी से खड़े होते हुए कहा
"लेकिन पापा..." रिकी ने बीच में टोका ही था के अमर फिर बोल पड़ा
"बस रिकी, मेरा आखरी फ़ैसला है... तुम तैयारी करो, और साथ घुमके भी आओ... तुम्हारी वजह से ज्योति यह अकेला जा रहा है, इसके साथ शीना को ही भेज देता ताकि दोनो काम निपटा देते..." अमर ने ज्योति की तरफ देख कर उसे हिदायत देते हुए कहा
"सॉरी ताऊ जी, आगे से ध्यान रखूँगी" ज्योति ने अपनी नज़रें नीची करते हुए कहा
"बेहतर है, सब बाद में, पहले टाइम मॅनेज्मेंट सीखो तुम.." अमर ने जैसे ज्योति के मूह पे शब्दों से तमाचा मारा और बिना कुछ कहे वहाँ से निकल गया.. उमेर की आखरी लाइन सुन ज्योति के दिल पे जैसे किसी ने खंजर से वार कर दिया.. वहीं खड़ी रहके ज्योति अभी भी नज़रें झुकाए हुई थी और शायद वो रोना चाहती थी लेकिन बिना कुछ कहे वहाँ से निकल गयी..
"हाहहाहा, बिच... उसे क्या लगा, वो अपना दिमाग़ लगाएगी और हमारी ट्रिप कॅन्सल करेगी..." शीना ने रिकी को देख के कहा और फिर मस्ती में गाड़ी चलाने लगी..
"शीना, एक बात पूछूँ.." रिकी ने थोड़ा सीरीयस होते हुए कहा
"हां जी, पूछिए ना..आप को मना करूँगी क्या.." शीना ने सेम उत्साह में जवाब दिया
"शीना, मुझे एक बात भी नहीं दिख रही उससे नफ़रत करने की, मेरे लिए तुम दोनो ईक्वल हो.. आइ मीन वी हॅव सेम रीलेशन, तो तुम उससे नफ़रत क्यूँ कर रही हो, वो भी अचानक, आइ मीन कुछ दिन पहले तक वी वर बेस्ट ऑफ बडीस, लेकिन अब सब अलग क्यूँ हो रहे हैं..' रिकी ने शीना की तरफ देखते हुए ही कहा और अपने ग्लासस भी निकाल दिए
"आइ डॉन'ट हेट हर.. लेकिन जब वो यहाँ रुकी थी, उसका मेन रीज़न वाज़ हर स्टडीस, बट वो छोड़ के वो सब कुछ कर रही है जो उसे नहीं करना चाहिए, हम पे जासूसी, और आप जानते हो जब हम गोल्फ कोर्स चले थे, उस दिन मेरे कमरे की तलाशी ले रही थी.. अब मैं इसे क्या समझू..." शीना ने गाड़ी की स्पीड कम करके कहा और रिकी की तरफ देखती हुई बोली
"आंड एक्सक्यूस मी.. हम दोनो आपके लिए ईक्वल हैं.." शीना ने सवालिया नज़रों से रिकी की तरफ देखते हुए कहा
"हां, आंड मैं ऐसा क्यूँ कह रहा हूँ वो मैं तुमको इतमीनान से कहूँगा, ऑन दा राइट टाइम.." रिकी ने फिर अपने ग्लासस पहने और सामने की तरफ देखने लगा... बलि एरपोर्ट से लेके उनके रिज़ॉर्ट तक का सफ़र काफ़ी सुहाना था, क्यूँ कि बलि एक आइलॅंड है, इसलिए मौसम मिक्स्ड था, जहाँ तेज़ हवा चल रही थी, वहीं कड़ी धूप और ह्यूमिडिटी भी थी.. पूरा रास्ता एक लॅंडस्केप जैसा था , रोड के इर्द गिर्द लंबे लंबे हरे पेड़ थे और दरिया किनारा , ऐसे मौसम में काफ़ी रोमॅंटिक मूड बन जाता है इंसान का, फिर भला रिकी कैसे पीछे रहता, वो धीरे से शीना के चेहरे को देख के गुनगुनाने लगा
"यूही तुम मुझसे बात करती हो.... या कोई प्यार का इरादा है.." रिकी शीना को देख मुस्कुराया,
"अदायें दिल की जानता ही नहीं.... मेरा हमदम भी कितना सादा हाईईइ" जवाब में शीना भी मुस्कुराइ और रिकी को देखती हुई उसकी लाइन कंप्लीट की
"अच्छा, टेल मी, जब हम गोल्फ कोर्स चल रहे थे, तभी वो तुम्हारे कमरे की तलाशी ले रही थी, जहाँ तक मुझे याद है, उस दिन हम साथ में नीचे ही थे काफ़ी टाइम से, देन हाउ डिड यू नो के वो तुम्हारे रूम को चेक कर रही है.. आंड क्या चेक करना चाहती थी वो.." रिकी को जैसे अचानक शीना की आखरी कही हुई बात याद आई और हल्की सी हैरानी से शीना को देखने लगा
"हाहाहा, अभी क्लिक हुआ, इस बात का जवाब भी मैं इतमीनान से दूँगी, ऑन दा राइट टाइम बेबी.." शीना ने अपने दाँत रिकी को दिखाए और आगे बढ़ते चले गये... रिकी फिर उस दिन पे चला गया जब उसकी बात ज्योति और अमर के साथ हुई थी, जब अमर ने ज्योति को मॅनेज्मेंट की बात कही थी... ज्योति वहीं खड़ी खड़ी अपनी नज़रें ज़मीन पे गढ़ाए हुए थी, शायद वो रोना चाहती थी, लेकिन रिकी के सामने वो कमज़ोर नहीं दिखना चाहती थी, इसलिए वो वहाँ से बिना रिकी को देखे अपने कमरे की ओर चली गयी.. रिकी को इस बात की काफ़ी ठेस लगी, शीना और ज्योति उसके लिए वाकई में सेम हैं, उसने कभी नहीं सोचा था कि एक तरफ जब वो शीना के करीब जाएगा, दूसरी तरफ वो ज्योति से इतना दूर होगा.. जब उसे एहसास हुआ कि ज्योति शायद रो रही होगी, रिकी धीरे धीरे उसके कमरे की तरफ बढ़ने लगा...
"ज्योति, प्लीज़ ओपन दा डोर.." रिकी ने दरवाज़े पे नॉक करते हुए कहा
"इट्स ओपन भैया, प्लीज़ आ जाओ.." ज्योति ने जवाब तो दिया, लेकिन रिकी उसकी आवाज़ से समझ गया कि वो रो रही थी.. रिकी अंदर गया तो देखा ज्योति बेड के कोने पे बैठी थी और रिकी को दिखाने के लिए मॅगज़ीन पढ़ रही थी
"आइए भैया, " ज्योति ने एक नज़र मॅगज़ीन से उठा के रिकी को देखा और फिर अपनी आँखें मॅगज़ीन में छुपा दी
"ह्म्म्म, नाइस, लेटेस्ट आउटलुक हाँ.." रिकी ने बेड पे बैठते हुए कहा
"यस, बहुत इंट्रेस्टिंग है.." ज्योति ने बिना देखे रिकी को जवाब दिया
"अब इंट्रेस्टिंग तो होगी ही, उल्टा करके जो पढ़ रही हो तुम.." रिकी ने अपना हाथ मॅगज़ीन पे रखा और उसके हाथ से एक ही झटके में मॅगज़ीन छीन ली..
"ह्म, सो व्हाट ईज़ इट... क्या मैं इतना बुरा हो गया हूँ कि अब अपनी प्रॉब्लम्स भी नहीं बताओगी मुझे..." रिकी ने ज्योति की आँखों में देख के कहा, रिकी की यह बात सुन ज्योति से कंट्रोल नहीं हुआ और वो उससे लिपट के रोने लगी.. ज्योति को ऐसा देख रिकी काफ़ी परेशान हुआ, वो बस उसके बालों को सहला रहा था और उसे चुप करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन ज्योति बस रोए जा रही थी,
"क्या हुआ डियर... बस करो, " रिकी ने फिर इतना ही कहा और ज्योति के चेहरे को अपने हाथों में थाम के उसकी आँखों में देखने लगा, रोना तो कम हुआ लेकिन अभी भी ज्योति सूबक रही थी..
"अच्छा यह लो, पानी पियो और प्लीज़ चुप हो जाओ, अगर नहीं चुप हुई तो मैं समझूंगा के आइ मीन नतिंग टू यू.." रिकी ने पानी की बॉटल देके कहा, ज्योति भी अब धीरे धीरे खामोश हुई और पानी पीने लगी
"ह्म्म्म, अब बताओ.. क्या हुआ.. पापा की डाँट की वजह से बुरा नहीं लगा, यह आइ नो.. इसके अलावा क्या हर्ट कर रहा है तुम्हे.." रिकी ने ज्योति का हाथ थाम के कहा
"कुछ नहीं भैया, बस ऐसे ही.. घर की याद आ गयी, दोस्तों की याद आ गयी" ज्योति ने अपनी आँखें नीचे करके कहा
"यह भी तो घर है, और रही बात दोस्तों की, तो कल जाओगी ना कॉलेज प्रॉजेक्ट सब्मिट करने, तो मिल लेना सब से.." रिकी ने बस इतना ही कहा के ज्योति का डोर फिर नॉक हुआ
"ज्योति, क्या मैं अंदर आउ.." स्नेहा ने बाहर से आवाज़ दी
"हां भाभी आइए ना" ज्योति ने रिकी को देख के कहा, जैसे पूछ रही हो कि यह क्यूँ आई
"उः ज्योति एक मिनिट.." स्नेहा ने अंदर आते हुए कहा, लेकिन रिकी को देख खामोश हो गयी
"ओह सॉरी, नहीं जानती थी तुम भी इधर हो रिकी, कोई नहीं, मैं फिर आ जाउन्गी.." कहके स्नेहा पलटी ही कि उसे रिकी ने रोक दिया
"नहीं भाभी, आप बात कीजिए, मैं बाद में कर लूँगा बात.. बाइ.." रिकी ने ज्योति को देख के कहा और उसके कमरे से निकल गया
"हेलो... कहाँ खो गये, मेरे साथ रहके भी आपका दिमाग़ इधर उधर भाग रहा है क्या मिस्टर राइचंद.." शीना ने गाड़ी रोक के रिकी के आगे चुटकी बजाते हुए कहा
"अरे, नतिंग , बस ऐसे ही... तुमने गाड़ी क्यूँ रोकी.. चलो" कहके रिकी अपना मोबाइल चेक करने लगा
"व्हाट... आप ने ड्रग्स ली है, आर यू ऑन डोप.." शीना ने अपने हाथों से रिकी के कंधों को हिलाते हुए पूछा
"हम पहुँच चुके हैं, मिस्टर राइचंद, अपनी आँखों को तकलीफ़ दीजिए, आगे देखिए, आपका रिज़ॉर्ट आपके सामने है" शीना ने इशारा करके दिखाया
"ओह, यस ओके... चलो.." रिकी ने अपने दिमाग़ को काबू में रख के कहा और दोनो गाड़ी से निकल के रिज़ॉर्ट की तरफ बढ़ने लगे... एंट्रेन्स करते ही रिकी की आँखें जैसे बाहर आने को हो गयी, इससे खूबसूरत रिज़ॉर्ट उसने आज तक नहीं देखा था..
"वॉवववववव..... दिस इस दा मोस्ट ब्यूटिफुल थिंग ऑन अर्थ आइ हॅव सीन टिल डेट शीना.." रिकी ने ग्लासस निकाल के कहा और रिज़ॉर्ट को देखने लगा
"ना ना, दुनिया में इससे ज़्यादा खूबसूरत चीज़े भी हैं.. यू नो आज की तारीख में कोई भी गधा पैसे कमाना जानता है, लेकिन सिर्फ़ एक चतुर इंसान ही जानता है, पैसे को कब, कहाँ और कैसे खर्च करना है.. आंड गेस व्हाट, यूआर विद दा वाइज़ेस्ट वुमन इन दिस रीगार्ड्स.." शीना ने रिकी को आँख मारते हुए कहा
"हाहः, आइ नो.. बट दिस ईज़.. प्राइसलेस मॅन.. कितनी खूबसूरती, कितना सुकून है... " रिकी ने आगे बढ़ते हुए कहा
"अभी तो आप देखते जाओ, आइए चलते हैं रूम्स में.." शीना ने रिसेप्षन से अपना आक्सेस कार्ड लिया और दोनो उसके रूम की तरफ बढ़ गये
"हे वेट, आपको भूख नहीं लगी.."
"हां बट पहले रूम्स में सेट्ल हो जाते हैं, फिर चलते हैं खाने.." रिकी ने घड़ी देखते हुए कहा
"नहीं, अभी जाना है, जहाँ हम जाएँगे, वो जगह एक्सक्लूसिव लोगों के लिए है.. ओपन्स फॉर 2 अवर्स ओन्ली, अभी चलो, मैने बुकिंग कर रखी है.." शीना ने रिकी का हाथ पकड़ा और उसे लंच के लिए ले गयी.. रेस्टोरेंट में जाके रिकी ने देखा तो भीड़ काफ़ी कम थी, शायद यह मंत ऐसा ही रहता है..
"इसमे ख़ास और एक्सक्लूसिव क्या है, " रिकी ने नज़रें घुमा के शीना से पूछा
"रूको तो.." शीना ने उससे कहा और वहाँ के मॅनेजर से कुछ कहा फिर दोनो उसको पीछे निकल गये.. कुछ देर चलने पर उन्हे एक दरवाज़ा दिखा
"दिस वे मॅम.. सिर.." मॅनेजर ने दोनो से कहा और दरवाज़ा खोल दिया..
"युवर लाउंज ईज़ रेडी ऐज यू वांटेड इट मॅम... हॅव आ वंडरफुल लंच.. " कहके मॅनेजर निकल गया, लेकिन शीना अभी भी रिकी के चेहरे को देख रही थी, जो सामने का नज़ारा देख एक दम चौंक गया था.. सामने एक छोटे से प्राइवेट पूल के पास, काफ़ी उँची हाइट पे जहाँ से समंदर का नज़ारा देखा जा सकता था, उसके कॉर्नर में शीना ने एक सेट अप जिसको प्राइवेट हट कहते हैं वहाँ , वो बुक करवाया था.. रिकी को विश्वास नहीं हो रहा था कि इससे बढ़िया जगह कोई और भी हो सकती है भला
"अब लंच नहीं करना तो वापस चलें.." शीना ने रिकी के हाथ को थाम के कहा जिससे रिकी होश में आया और बस मुस्कुरा के दोनो लंच करने गये
"मैं कह रही हूँ ज्योति, कब तक आख़िर शीना के हाथों ऐसे मात खाती रहोगी, मेरा साथ दो, काम थोड़ा मुश्किल है लेकिन तुम ऐसे अकेली बिल्कुल नहीं रहोगी, और ना ही ऐसे रोना पड़ेगा." स्नेहा ज्योति के कमरे में बैठी उसके साथ बातें कर रही थी.. स्नेहा ने जो काम के लिए सोचा शीना को इस्तेमाल करेगी अभी उसके लिए वो ज्योति को उकसा रही थी, लेकिन ज्योति बस सुन रही थी, और कुछ रिएक्ट नहीं कर रही थी.. स्नेहा ने फिर कुछ कहना चाहा लेकिन इससे पहले उसका फोन बज उठा
"हेलो." स्नेहा ने रूम के बाहर आके कहा
"टाइम वेस्ट कर रही हो स्नेहा, ज्योति को मनाने का कोई फ़ायदा नहीं है, वो नहीं मानेगी.. " सामने से किसी ने उसे कहा और साथ ही सिगरेट के धुएँ का छल्ला बना के हवा में उड़ाया
स्नेहा यह सुन के सोच ही रही थी कुछ, कि फिर उस आवाज़ ने उसे होश में लाया
"ज़्यादा सोचने की नो नीड लेडी, तुम्हे काम पे रखा है तो तुमसे ज़्यादा दिमाग़ और चालाकी चाहिए, रूम के बाहर आके बात करोगी तो ज्योति कुछ भी सोच सकती है, बेहतर है अंदर जाओ, उसे ज़्यादा फोर्स नही करो, अगर नहीं मानती है तो भी ठीक है, मुझे पसंद है ज्योति.." एक मुस्कान के साथ उस शक्स ने फिर स्नेहा से कहा
"पसंद है मतलब.." स्नेहा बस इतना ही कह पाई
"पसंद है मतलब पसंद है, दिल में ख़याल आ रहा है कि राइचंद'स को बर्बाद करके ज्योति को अपने पास ही रख लूँ, उस बेचारी का इसमे कोई दोष नहीं है.. वो तो बेचारी राजवीर की असली बेटी भी नहीं है.." यह बात सुन स्नेहा को एक झटका फिर लगा.
"लेकिन तुम्हे कैसे पता कि वो.." स्नेहा ने फिर इतना ही कहा के उस शक्स ने फिर उसे टोक दिया
"मैने कहा ना, तुम जैसी औरत के साथ मुझे यह करना ही पड़ेगा.. अब जो कहा है वो करो, ज्योति को इससे बाहर रखो, या इन्वॉल्व करो.. फाइनल प्लान में क्योति को कुछ नहीं होना चाहिए.." कहके उस शक़्स ने फोन कट कर दिया
स्नेहा बाहर खड़ी खड़ी कुछ सोच रही थी कि तभी ज्योति बाहर आ गयी
"भाभी.. किसका फोन था, आप बाहर क्यूँ आ गयी..." ज्योति की इस आवाज़ से स्नेहा डर गयी , लेकिन फिर भी उसने काबू रखा खुद पे और अपने माथे का पसीना पोछने लगी
"कुछ नहीं ज्योति.. मैं कह रही थी कि.." स्नेहा ने इतना ही कहा के ज्योति ने उसे रोक दिया
"ठीक है भाभी, मैं आप के साथ हूँ.. मुझे क्या करना है आप बताइए, मैं रिकी को पाने के लिए कुछ भी कर सकती हूँ" ज्योति ने स्नेहा से दो कदम आगे बढ़ के कहा.. इसकी बात सुन स्नेहा कुछ रिएक्ट करती, कि तभी उसके मोबाइल पे एसएमएस आ गया
"हाहहः, तुम बहुत जल्दी कर देती हो.. इसके बिना हमारा काम रुकता ही नहीं, वो चतुर स्नेहा कहाँ गायब हो रही है, दिमाग़ की धार को तेज़ करो अब.. ऐसे नहीं चलेगा, और अब इसने हां बोल दिया है तो इसका ख़याल भी तुम्हे रखना है, समझ गयी ना तुम