hotaks444
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"अहहहहौमम्म्म भाई...... येस्स्स्स फाटसेर प्लस्ससस्स हहुउऊउफफफफफ्फ़....." शीना की आवाज़ तेज़ होने लगी....
"अहहहाः फास्टर्र्ररर भाइईइ अहहः हान्न्न हान्ं हान्ं एसस्स...आइ एम कमिंग भाई अहहह... डॉन'ट लीव नाउ..." शीना तेज़ी से चिल्लाने लगी और अपने हाथ और शरीर को आगे ले जाके रिकी के चेहरे को अपनी चूत में घुसाने लगी...
"ओह्ह्ह्ह नूऊ.... भैईई फफफफ्फ़..........फ़्फुूक्ककककककककककककक.." शीना की एक तेज़ चीख निकली जिसके साथ उसकी चूत ने अपना पानी छ्चोड़ दिया और रिकी भी जैसे बरसो का प्यासा उसकी चूत रस की आखरी बूँद तक निचोड़ डाली.... जब अपना चेहरा शीना की चूत से उपर उठाया तो शीना बिस्तर पे निढाल पड़ी थी.... रिकी थोडा उपर हुआ और उसकी नाभि को चूमने लगा....
"उम्म्म... नूऊ.प्लस्स...." शीना ने आँखें बंद रखे ही कहा और रिकी को अपने उपर खींचने लगी...
"इट'स पेनिंग आ लॉट... आंकल के साथ अब थाइस में भी पेन हुआ थोड़ा..और सब आपकी वजह से..." शीना ने रिकी की नंगी छाती पे मुक्का मारते हुए कहा और अपना चेहरा छाती पे चिपका लिया
"ह्म्म्मी... सही कहा..." रिकी ने बस इतना ही कहा और शीना के बालों की महक लेके उसके सर को चूम लिया
"मेरे ही तो होंठ सुख रहे थे इतनी सुबह सुबह.. इतनी सुबह सुबह मैने तुमको फोन करके बुलाया था..." रिकी ने मज़ाक में कहा जिसके जवाब में शीना बस उसके सीने से लिपटी रही और मुस्कुराने लगी... तन्हाई में अगर खुद से बातें करनी हो, अगर अपने दिल की आवाज़ सुननी हो तो उस शक्स के लिए रात के 2 से 5 का समय अनुकूल होता है.. चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ, काला अंधेरा.. इसके अलावा आदमी को अपने दिल की सुनने के लिए और क्या चाहिए... सुबह के 5 से थोड़ा ज़्यादा वक़्त और दो प्रेमी एक दूसरे के आलिंगन में खोए हुए थे..दोनो एक दूसरे की दिल की धड़कनो को सुनने में व्यस्त थे और बस बाहों में बाहें डाले इस खामोशी का मज़ा ले रहे थे.. जब दो दिल जुड़े होते हैं, तो आदमी शब्दों को नही, दिल की धड़कन को समझने लगता है..यह दोनो भी ठीक इस मुकाम पे पहुँच गये थे, जहाँ इन्हे शब्दों की नही, दिल की भाषा समझ आने लगी थी
"भाई......."
"उम्म्म्मममम"
"प्लीज़ नेवेर लीव मी अलोन.."
शीना की इस बात का रिकी ने कोई जवाब नही दिया बस उसे अपनी बाहों में और दबा लिया और मज़बूती से पकड़ लिया...
"भाई.. देयर'स सम्तिंग आइ वॉंट टू अस्क यू..." शीना ने रिकी के सीने से अलग होते हुए उसकी आँखों में देख के कहा
"पूछो" रिकी ने बस हल्के से यही कहा
"जब जब मैने आपसे कहा है कि आप मुझे अकेला नही छोड़ना कभी, तो आप बस उम्म्म्म करते हो... बट आज तक यह नहीं बताया के कैसे करोगे यह सब..." शीना ने सीरीयस होके पूछा, एक सीधा सवाल , उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, कोई हँसी नहीं थी.. बस आँखों से मिलती आँखें और लफ़्ज़ों से निकलता यह सवाल..
"आइ विल थिंक सम्तिंग..." रिकी ने प्यार से शीना के चेहरे को अपने दोनो हाथों में थाम के कहा
"भाई... कॅन आइ से वन मोर थिंग.." शीना ने हिचकिचके कहा
"शीना...तुम कुछ कहो, उससे पहले मैं तुम्हे बताता हूँ तुम क्या कहना चाहती हो.." इस बार रिकी ने थोड़ा सीरीयस होके कहा
"क्या..." शीना ने थोड़ा शॉक होके पूछा
"शीना राइचंद... यस.. आइ विल मॅरी यू..." रिकी ने नम आँखों से ऐसी बात कही जिसे सुन शीना की आँखें भी नम होने लगी और रिकी से चिपक के रोने लगी... रिकी और शीना दोनो जानते थे कि जो वो सोच रहे थे, जो वो कह रहे थे या जो वो करना चाहते थे, वो मुमकिन नहीं है... दोनो की आँखें तो नम थी पर आवाज़ संभली हुई थी, शायद कोई सुन ना ले इस वजह से काफ़ी दबी हुई आवाज़ में अपना दुख व्यक्त कर रहे थे..
"आइ नो भाई.. मैने प्रॉमिस किया था की ऐसी कोई कमिटमेनट नहीं लूँगी आपसे.. मैने दिल को काफ़ी समझाने की कोशिश भी की, लेकिन मैं ना कामयाब रही" शीना ने अपने आँसू पोछ के कहा
"आइ विल मॅरी यू शीना..." रिकी ने बस इतना ही कहा और नम आँखों से शीना को देखने लगा
"भाई..ईज़ इट पासिबल..." शीना को जैसे एक उम्मीद सी दिखी रिकी की आँखों में लेकिन आवाज़ अभी भी रुआंसी सी थी
"यस..मैं देख लूँगा वो... प्लीज़ रोना नही अब इस बात के लिए..." रिकी ने शीना की आँखों से आँसू हटाते हुए कहा और वहाँ से उठ के जाने लगा, के तभी पीछे से फिर शीना ने आवाज़ दी..
"भाई..." शीना की आवाज़ सुन रिकी रुक गया और पीछे मूड के उसे सुनने लगा
"भाई...जो भी हो, जो भी करोगे, जो भी सोच रहे हो...हर एक कदम में मैं आपका साथ दूँगी..." शीना ने इतना कहके अपना चेहरा शरम से नीचे कर दिया, जिसके जवाब में रिकी ने कुछ नहीं कहा और वहाँ से अपने कमरे में चला गया.. रिकी अपने कमरे में आके अपने आप से लड़ने लगा कि कैसे वो शीना से किया हुआ वादा पूरा करेगा... जब वो जानता था के शीना नहीं बच सकती तो कैसे उसने वादा किया शीना से.... कुछ देर कमरे में यहाँ से वहाँ टहलता और सोचता रहता के आख़िर वो क्या करे...ना चाहते हुए भी, उसने सोच समझ के एक फोन किया
"हेल्लू...." रिकी ने फोन लगा के कहा
"ह्म्म्मच.. बोल ना, इतनी सुबह सुबह, तेरी आदत अब तक नही बदली, रात भर जागता रहता है...क्या हुआ, कौनसा उड़ता तीर पकड़ लिया तूने जो मुझे तंग कर रहा है.." सामने वाले ने वक़्त देखते हुए कहा और आलस में अंगड़ाई लेते हुए बात करने लगा
"मैं मज़ाक के मूड में बिल्कुल नहीं हूँ अभी.." रिकी की आवाज़ में गुस्सा सॉफ झलक रहा था..
"अहहहाः फास्टर्र्ररर भाइईइ अहहः हान्न्न हान्ं हान्ं एसस्स...आइ एम कमिंग भाई अहहह... डॉन'ट लीव नाउ..." शीना तेज़ी से चिल्लाने लगी और अपने हाथ और शरीर को आगे ले जाके रिकी के चेहरे को अपनी चूत में घुसाने लगी...
"ओह्ह्ह्ह नूऊ.... भैईई फफफफ्फ़..........फ़्फुूक्ककककककककककककक.." शीना की एक तेज़ चीख निकली जिसके साथ उसकी चूत ने अपना पानी छ्चोड़ दिया और रिकी भी जैसे बरसो का प्यासा उसकी चूत रस की आखरी बूँद तक निचोड़ डाली.... जब अपना चेहरा शीना की चूत से उपर उठाया तो शीना बिस्तर पे निढाल पड़ी थी.... रिकी थोडा उपर हुआ और उसकी नाभि को चूमने लगा....
"उम्म्म... नूऊ.प्लस्स...." शीना ने आँखें बंद रखे ही कहा और रिकी को अपने उपर खींचने लगी...
"इट'स पेनिंग आ लॉट... आंकल के साथ अब थाइस में भी पेन हुआ थोड़ा..और सब आपकी वजह से..." शीना ने रिकी की नंगी छाती पे मुक्का मारते हुए कहा और अपना चेहरा छाती पे चिपका लिया
"ह्म्म्मी... सही कहा..." रिकी ने बस इतना ही कहा और शीना के बालों की महक लेके उसके सर को चूम लिया
"मेरे ही तो होंठ सुख रहे थे इतनी सुबह सुबह.. इतनी सुबह सुबह मैने तुमको फोन करके बुलाया था..." रिकी ने मज़ाक में कहा जिसके जवाब में शीना बस उसके सीने से लिपटी रही और मुस्कुराने लगी... तन्हाई में अगर खुद से बातें करनी हो, अगर अपने दिल की आवाज़ सुननी हो तो उस शक्स के लिए रात के 2 से 5 का समय अनुकूल होता है.. चारो तरफ सन्नाटा पसरा हुआ, काला अंधेरा.. इसके अलावा आदमी को अपने दिल की सुनने के लिए और क्या चाहिए... सुबह के 5 से थोड़ा ज़्यादा वक़्त और दो प्रेमी एक दूसरे के आलिंगन में खोए हुए थे..दोनो एक दूसरे की दिल की धड़कनो को सुनने में व्यस्त थे और बस बाहों में बाहें डाले इस खामोशी का मज़ा ले रहे थे.. जब दो दिल जुड़े होते हैं, तो आदमी शब्दों को नही, दिल की धड़कन को समझने लगता है..यह दोनो भी ठीक इस मुकाम पे पहुँच गये थे, जहाँ इन्हे शब्दों की नही, दिल की भाषा समझ आने लगी थी
"भाई......."
"उम्म्म्मममम"
"प्लीज़ नेवेर लीव मी अलोन.."
शीना की इस बात का रिकी ने कोई जवाब नही दिया बस उसे अपनी बाहों में और दबा लिया और मज़बूती से पकड़ लिया...
"भाई.. देयर'स सम्तिंग आइ वॉंट टू अस्क यू..." शीना ने रिकी के सीने से अलग होते हुए उसकी आँखों में देख के कहा
"पूछो" रिकी ने बस हल्के से यही कहा
"जब जब मैने आपसे कहा है कि आप मुझे अकेला नही छोड़ना कभी, तो आप बस उम्म्म्म करते हो... बट आज तक यह नहीं बताया के कैसे करोगे यह सब..." शीना ने सीरीयस होके पूछा, एक सीधा सवाल , उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, कोई हँसी नहीं थी.. बस आँखों से मिलती आँखें और लफ़्ज़ों से निकलता यह सवाल..
"आइ विल थिंक सम्तिंग..." रिकी ने प्यार से शीना के चेहरे को अपने दोनो हाथों में थाम के कहा
"भाई... कॅन आइ से वन मोर थिंग.." शीना ने हिचकिचके कहा
"शीना...तुम कुछ कहो, उससे पहले मैं तुम्हे बताता हूँ तुम क्या कहना चाहती हो.." इस बार रिकी ने थोड़ा सीरीयस होके कहा
"क्या..." शीना ने थोड़ा शॉक होके पूछा
"शीना राइचंद... यस.. आइ विल मॅरी यू..." रिकी ने नम आँखों से ऐसी बात कही जिसे सुन शीना की आँखें भी नम होने लगी और रिकी से चिपक के रोने लगी... रिकी और शीना दोनो जानते थे कि जो वो सोच रहे थे, जो वो कह रहे थे या जो वो करना चाहते थे, वो मुमकिन नहीं है... दोनो की आँखें तो नम थी पर आवाज़ संभली हुई थी, शायद कोई सुन ना ले इस वजह से काफ़ी दबी हुई आवाज़ में अपना दुख व्यक्त कर रहे थे..
"आइ नो भाई.. मैने प्रॉमिस किया था की ऐसी कोई कमिटमेनट नहीं लूँगी आपसे.. मैने दिल को काफ़ी समझाने की कोशिश भी की, लेकिन मैं ना कामयाब रही" शीना ने अपने आँसू पोछ के कहा
"आइ विल मॅरी यू शीना..." रिकी ने बस इतना ही कहा और नम आँखों से शीना को देखने लगा
"भाई..ईज़ इट पासिबल..." शीना को जैसे एक उम्मीद सी दिखी रिकी की आँखों में लेकिन आवाज़ अभी भी रुआंसी सी थी
"यस..मैं देख लूँगा वो... प्लीज़ रोना नही अब इस बात के लिए..." रिकी ने शीना की आँखों से आँसू हटाते हुए कहा और वहाँ से उठ के जाने लगा, के तभी पीछे से फिर शीना ने आवाज़ दी..
"भाई..." शीना की आवाज़ सुन रिकी रुक गया और पीछे मूड के उसे सुनने लगा
"भाई...जो भी हो, जो भी करोगे, जो भी सोच रहे हो...हर एक कदम में मैं आपका साथ दूँगी..." शीना ने इतना कहके अपना चेहरा शरम से नीचे कर दिया, जिसके जवाब में रिकी ने कुछ नहीं कहा और वहाँ से अपने कमरे में चला गया.. रिकी अपने कमरे में आके अपने आप से लड़ने लगा कि कैसे वो शीना से किया हुआ वादा पूरा करेगा... जब वो जानता था के शीना नहीं बच सकती तो कैसे उसने वादा किया शीना से.... कुछ देर कमरे में यहाँ से वहाँ टहलता और सोचता रहता के आख़िर वो क्या करे...ना चाहते हुए भी, उसने सोच समझ के एक फोन किया
"हेल्लू...." रिकी ने फोन लगा के कहा
"ह्म्म्मच.. बोल ना, इतनी सुबह सुबह, तेरी आदत अब तक नही बदली, रात भर जागता रहता है...क्या हुआ, कौनसा उड़ता तीर पकड़ लिया तूने जो मुझे तंग कर रहा है.." सामने वाले ने वक़्त देखते हुए कहा और आलस में अंगड़ाई लेते हुए बात करने लगा
"मैं मज़ाक के मूड में बिल्कुल नहीं हूँ अभी.." रिकी की आवाज़ में गुस्सा सॉफ झलक रहा था..