Antarvasna kahani वक्त का तमाशा - Page 15 - SexBaba
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Antarvasna kahani वक्त का तमाशा

"कुछ नहीं होगा यार, उसका पासपोर्ट ही नहीं है उसके पास तो कैसे जाएगी.."




"शिट... उसका पासपोर्ट मैने लौटा दिया था, जब वो विक्रम के साथ कहीं गयी थी.. " अचानक फोन वाले को याद आया




"ले लो लवडे आके... तू हर बार कुछ ऐसा रख देता है कि साला जीना हराम होने लगता है.."




"पर इसमे ग़लती तेरी ही है...मैने कहा था मॅच फिक्सिंग या सट्टे में मत उलझना,पर नहीं..आप तो भैनचोद क्रिकेट देखते हो तो बस, अंदर का सटोरिया ऐसे बाहर आता है जैसे साला आज तक खेला ही ना हो.. अगर तू नहीं खेलता तो राजवीर यह सब सोचता ही नही ना.." सामने वाले ने उतेज्ना में आके जवाब दिया




"मैं कुछ करता हूँ.."




"घंटा...पकड़ मेरा, अब मैं करूँगा, तू रहने दे, जा तेरी बहेन इंतेज़ार कर रही होगी..चूतिया"




"हां, मैं जा रहा हूँ, साथ में तेरी बहेन भी है..हाहहा.." रिकी ने बात करके फोन कट कर दिया और अंदर चला गया






"तुम्हारे पूरे खानदान की बर्बादी होगी...कोई नहीं बचेगा..कोई नहीं..देख लेना, इंसाफ़ होगा.. तुम सब मारे जाओगे.. तुम सब मरोगे, बदला ज़रूर लिया जाएगा, इंसाफ़ होगा.. इंसाफ़ होगा.. तुम सब....." अचानक एक के बाद एक गोलियाँ चली और गूँज रही चीखें खामोश हो गयी..




चीखों के खामोश होने से अमर भी अपनी नींद से घबरा के उठ गया और अपने चेहरे पे आए पसीने को पोछने लगा..




"अब वक़्त आ गया है, लगता है मुझे बच्चो से सब कुछ सच बताना पड़ेगा.." अमर ने घड़ी देख खुद से कहा



"दिस गेम ईज़ ऑफ अटमोस्ट इंपॉर्टेन्स टू डूक्स...इफ़ दे विन, दे आर थ्रू दा फाइनल्स.. इफ़ दे लूज़, दे विल नीड टू प्ले दा एलिमिनेटर..ऑल आइज़ ऑन वन मॅन दिस टाइम राउंड, देयर हाइयेस्ट गोल स्कोरर आंड लीग'स थर्ड हाइयेस्ट स्कोरर सो फर.." कॉमेंटेटर्स एक दूसरे से बातें कर रहे थे मॅच के कुछ ही क्षण पहले...




"इट'स बिन आ लोंग टाइम ड्यूड, सिन्स वी हॅव रीच्ड फाइनल्स.. हेल एग्ज़ाइटेड.." स्टॅंड्स में बैठे डूक के स्टूडेंट्स भी आज की शाम का बेसब्री से स्वागत करने में व्यस्त थे और नज़रें जमाए बैठे थे अपनी टीम पे...




"सो वी आर रेडी टू किक ऑफ दा गेम #20.. डूक्स अगेन्स्ट किंग्स.. ऑलमोस्ट 7000 स्टूडेंट्स फ्रॉम बोथ कॉलेजस आर हियर टू अटेंड दा मॅच... तीस शोस दा टर्नराउंड दट डूक हॅज़ गॉन थ्रू दिस सीज़न... हाउ-एवर लेट'स नोट फर्गेट, दा ओन्ली मॅन रेस्पॉन्सिबल फॉर दिस टर्न अराउंड.. एंटाइयर टीम हॅज़ बिन अराउंड हिम, स्टोरी हॅज़ चेंज्ड फॉर दिस गुड फॉर डूक्स..." कॉलेज के प्रोफेस्सर्स और कोचस आपस में बातें करने में लगे हुए थे...




"भाई, आज तो रहा नहीं जाता, बस एक बार हम यह मॅच जीत जायें ना.. कसम से, आज की रात सोना भूल जाएगा पूरा कॉलेज. ईईई" एक बंदा दूसरे बंदे से कह रहा था जब एक स्टूडेंट ग्रूप स्टॅंड्स की तरफ बढ़ रहा था...




"बस 2 गोल्स, फिर तौरना हाइयेस्ट स्कोरर आंड अपनी फाइनल... फाड़ देंगे गोरों की इस बार तो...साले हम इंडियन्स को अनडरएस्टीमेट करते हैं..." दूसरे लड़के ने सेम जोश में आके कहा...




"चिल मारो तुम दोनो.. आज हम हारेंगे, देख लेना.." तीसरे लड़के की बात सुन वो पूरा ग्रूप जैसे शॉक में आ गया, उन्हे यकीन नहीं हुआ के उन्होने क्या सुना...




"ऐसे मूह खुले के खुले रखोगे..तो सब लोग क्या सोचेंगे, बैठ जाओ चलो, " उस बंदे ने फिर कहा और 5 लोगों का ग्रूप, जिसमे तीन लड़के और दो लड़कियाँ थी, स्टॅंड्स में अपनी सीट पे बैठ गये....




"ऐसा क्यूँ.." एक लड़की ने बड़े ही कन्फ्यूज़्ड तरीके से पूछा




"यू विल गेट टू नो..आज साले की डेट भी सेम टाइम पे है..और वो भूल गया है.. हाहहहाअ" उस लड़के ने हँस के जवाब दिया जिसे सुन वहाँ बैठे बाकी लोग निराश हो गये...




"रेडी टू प्ले....गूऊऊ..." रेफरी ने सीटी मारी और फुटबॉल फील्ड का शोर दुगना हो गया... डूक्स और किंग्स के खिलाड़ियों के बीच खेल शुरू हुआ जिसका इंतेज़ार कब्से था कॉलेज के स्टूडेंट्स को...डूक्स और किंग्स की दुश्मनी काफ़ी मशहूर थी, डूक्स ने आज तक किंग्स को नहीं हराया था फुटबॉल गेम में....




"पास. ड्रिब्ब्ल... आंड आ गूआलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल...." कॉमेंटेटर्स चीखने लगे... "डूक्स ऑलरेडी अंडर प्रेशर, किंग्स हिट देयर फर्स्ट गोल इन फर्स्ट 5 मिनिट्स.."




"पहले 5 मिनिट में गोल..." स्टॅंड्स में एक बंदा बोला जिसके साथ पसीना उसके चेहरे पे सॉफ दिखने लगा.... मॅच तेज़ी से आगे बढ़ता रहा, हर बढ़ते मिनिट के साथ डूक्स पे दबाव बढ़ता जाता... हाफ टाइम और स्कोर डूक्स 0 और किंग्स 1... दूसरी सीटी और खेल फिर शुरू...




लंडन के इंटर कॉलेज कॉंपिटेशन में डूक्स हर चीज़ में टॉप 3 में आते थे, चाहे वो क्रिकेट हो या फिर डॅन्स.. लेकिन युरोप में अगर आप फुटबॉल नहीं जानते तो जनाब आप वहाँ के सबसे बड़े मुजरिम हैं, और यही हालत थी डूक्स की ..पिछले 10 साल में कभी भी फुटबॉल प्रतियोगिता नहीं जीत पाए थे, लेकिन इस बार यह सबसे सुनेहरा मौका था डूक्स के पास यह खिताब भी जीतने का.....




"हियर'स दट पास अगेन... बेंजामिन अट इट, ही ईज़ मूविंग फॉर्वर्ड.. इफ़ ही हिट्स डूक्स आर आउट ऑफ दा गेम... आंड इट्स आ गोालल्ल्ल्ल्ल......" कॉमेंटेटर्स की चीख इस बार इतनी ज़्यादा थी कि डूक्स के फँस की चीखें भी खामोशी में बदल गयी... शाम के 5 बजे लंडन में मौसम काफ़ी सुहाना था, करीब 8 डिग्री का तापमान, इतनी ठंड में भी डूक्स के पसीने छूटने लगे थे...




"नो, डूक्स आर आउट.. काउंट देम आउट नाउ... स्कोर रीड्स 2-0 नाउ.... हियर'स देयर मॅन हू कॅन टर्न थिंग्स अराउंड नाउ.... देयर'स दा पास... जस्ट ड्रिब्बलिंग अराउंड... ही ईज़ गेटिंग क्लोज़र नाउ... वन मोर पास, बीट्स मिड फील्ड, गेट्स क्लोज़र टॉट हट गोल पोस्ट... यू गॉटा स्कोर नाउ बॉय... येस, इफ़ ही हिट्स नाउ डूक्स विल गेट दट लाइफ लाइन नीडेड.. ही हिट्स, आंड इट्स आ गूआलल्ल्ल्ल्ल्ल......" इस गोल के साथ डूक्स के स्टूडेंट्स की खोई हुई आवाज़ लौट आई, किंग्स जानते थे कि इस गोल के बाद डूक्स को रोकना नामुमकिन होगा...




"डी.यू.क.ए.स...... ड्यूअवूवुउकीयेयेस्स्स......" चियर लीडर्स अपने पिम पॉम्स लेके फील्ड के किनारे पे खड़ी नाचने लगी, जिन्हे देख स्टूडेंट्स भी मज़े लेने लगे...




"69थ मिनिट.. और हम 2-1... वी स्टिल हॅव 21 मिनिट्स... हम जीत सकते हैं....येस्स्स........" फिर से वोही स्टूडेंट चिल्लाने लगा.. खेल शुरू हुआ, ड्रिब्ब्ल्स, पासस और हिट्स आंड मिसस... खेल इतना रोचक बन चुका था, के स्टूडेंट्स एक दूसरे को अपने स्टॅंड्स में कीच के पीटने लगे थे, इतने सर्द मौसम में भी सब के चेहरे से बहता पसीना सॉफ बयान कर रहा था के वहाँ का माहॉल कैसा था..




"वी आर जस्ट 1 मिनिट अवे नाउ... आंड डूक्स आर स्टिल ट्रेलिंग... देयर'स दट हिट... आंड इट'स आ फाउल.... डूक्स गेट दट मच मच नीडेड पेनाल्टी शॉट , दिस इस देयर गोलडेन चान्स टू स्कोर आंड टेक दा गेम टू पेनाल्टी शूट आउट ... किंग्स आर नोट प्लीज़्ड वित्त दा डिसिशन आंड गेट इंटो आर्ग्युमेंट वित दा रेफरी..."




"पेनाल्टी स्ट्रोक.. अब हम ज़रूर जीतेंगे भाई...." फिर से उस स्टूडेंट ने कहा और सारे स्टूडेंट्स डूक की खुशी में झूमने लगे




वहाँ बैठे सब स्टूडेंट्स की धड़कने रुक सी गयी थी.. जहाँ किंग्स के स्टूडेंट्स एक दूसरे के हाथ थामे हुए थे, वहीं डूक्स के स्टूडेंट्स की निगाहें उनके फॉर्वर्ड पे जो अभी पेनाल्टी स्ट्रोक लेने के लिए तैयारी कर रहा था...




"इट'स ऑल अपॉन यू नाउ... गो आंड गेट दा बॅस्टर्ड्स...." डूक्स के कॅप्टन ने अपने फॉर्वर्ड को सलाह दी और अपनी पोज़िशन पे चला गया... 90 मिनिट के खेल के बाद, इस खिलाड़ी का सर पसीने से भीग चुका था, कपड़े मेले, हाथ छिले हुए, घुटनों पे हल्की हल्की चोट, लेकिन आँखों में अभी भी वोही चमक जो हमेशा रहती थी... दिल में कुछ चाह थी तो वो बस एक गोल की, आँखों के आगे कुछ था तो वो गोल पोस्ट...कोई स्टूडेंट नहीं, कोई रेफरी नहीं, कोई खिलाड़ी नहीं.. आँखों के सामने गोल पोस्ट, सिर्फ़ गोल पोस्ट.. बस यह उसका निशान था...




"वी आर पास्ट हाफ मिनिट... आंड ही ईज़ रेडी विद दिस पोज़िशन.." कॉमेंटेटर ने यह शब्द कहे और स्ट्रोक का वेट करने लगे... रेफरी की सीटी बजते ही.. फॉर्वर्ड ने अपने कदम धीरे धीरे आगे बढ़ाना शुरू किए, उसके और बॉल के बीच में करीब 10-12 फुट का फासला था, और बॉल और गोल पोस्ट के बीच करीब 25-30 फुट का...




" ही ईज़ टेकिंग हिज़ स्टेप्स.. ही इस चरगिं टुवर्ड्स दा बॉल, यस ही ईज़ देयर, विल ही स्कोर... वेट, व्हाट ईज़ ही डूयिंग....." कॉमेंटेटर ने यह शब्द फील्ड पे नज़रें डाल के कहे, जहाँ अभी जो हो रहा था उसे देख सब लोग हैरान थे...




अभी कुछ 5-6 कदम ही उठाए थे डूक्स के सबसे फेवोवरिट फॉर्वर्ड ने, कि गोल पोस्ट के पीछे भाई साब की नज़रें पड़ी , जहाँ एक बहुत ही सुंदर चेहरा दिखा उसे...




"लिंडा...." दौड़ते दौड़ते वो चिल्लाया, नज़रें बॉल से हटी और किक जब पड़ी तो बॉल कहाँ पहुँचा वो खुद नहीं जानता था, लेकिन दौड़ते दौड़ते वो गोल पोस्ट के पास पहुँचा....




"व्हाट ईज़ ही डूयिंग... माइ गॉड व्हाट हॅज़ ही डन...." कॉमेंटेटर्स निराश हुए




"अबे बेन्चोद्द्द्द...... यह क्या किया तूने....... अबे भोसड़ी कीए......" फिर वोही लड़का खड़ा हुआ और गालियाँ बकने लगा..




"ओह नो.... नोट अगेन.... यू आस...." इस बार उनका कॅप्टन चिल्लाया और एक नज़र स्कोर कार्ड पे मारी तो उसका दिल ही मर गया..




"किंग्स.. विन बाइ 2-1..."




"हाहहहाआ.. मैने कहा था उसकी डेट का टाइम है यह, साले को अभी याद आया.." दूसरा लड़का खड़ा हुआ और बाहर जाने लगा..




"हे, व्हाट हॅव यू डन..." गोल कीपर ने उससे कहा जो अभी वहीं खड़ा लड़की के साथ बात कर रहा था..




"हुह.. यस, कोंग्रथस... प्ल्स डॉन'ट डिस्टर्ब नाउ ओके.." उसने जवाब दिया और फिर लड़की से बात करने लगा
 
"लिंडा, आइ आम सो सॉरी, आइ ऑलमोस्ट फर्गॉट दट वी आर मीटिंग टुडे.." लड़की के पीछे चलता चलता मिन्नतें करने लगा जिसे देख वहाँ मौजूद सब लोग हँसने लगे, ख़ास कर किंग्स के स्टूडेंट्स, जो डूक्स की खिचाई कर रहे थे और वो बेचारे कुछ जवाब नहीं दे पा रहे थे..




"सन्नी, यू डॉन'ट केर फॉर मी नाउ.." आगे चलती हुई लड़की बोलती रही और पीछे सन्नी माफी मागता माँगता चलता रहा...




"नो, यू डॉन'ट लोवे मे अनीमोर.. ऑल यू लव ईज़ दिस शीत बॉल आंड गर्ल्स ऑफ युवर कॉलेज... वी आर ऑफ नाउ... डॉन'ट एवर टॉक टू मी ओके"




"लिंडा...लिंडा बेबी, प्लीज़ स्टॉप... अरे यार, यह क्या कर दिया मैने..." सन्नी बीच मैदान पे खड़ा लिंडा को जाते देख रहा था




"यह क्या कर दिया तूने भाई...यह क्या कर दिया.." एक लड़का उसके पास आके बोला जिसके साथ कुछ और लोग भी थे..




"हां यार, देख ना, आज रात का डिन्नर भी गया मेरा.." सन्नी ने मूह लटकाते हुए कहा




"अबे बेन्चोद..मैं गेम के बारे में बोल रहा हूँ और तू है कि लड़की से बाहर नहीं आ रहा.." फिर उस लड़के ने झल्ला के कहा




"अबे हां भोसड़ी के... शादी गेम से करूँगा या फुटबॉल से.. मुश्किल से हेअथ्रोव पे खड़े रहके 5 घंटे तक फीलडिंग भरी तब जाके पटी थी यह, और यह भी गयी... लिंडा बेबी... वी आर मीटिंग ना..." सन्नी ने फिर जाती हुई लिंडा को देख कहा




"सन्नी.. कोच ईज़ कॉलिंग यू..." वहाँ खड़े एक लड़के ने उसे इशारे से कहा




"जा बेटा, अब तेरी झंड.. घंटा भी तू कुछ कर पाएगा अब.." दूसरे लड़के ने हँस के कहा और वहाँ से अपने ग्रूप के साथ निकल गया..




"यस कोच..." सन्नी ने मूह लटका के कहा




"डू यू ईवन रीयलाइज़, व्हाट डिड यू जस्ट डू..."




"डॉन'ट वरी कोच.. वी विल गेट दा एलिमिनेटर आंड फाइनल्स... आइ प्रॉमिस यू..." सन्नी ने खुश होके कहा




"रियली... ओह वाउ... आंड हाउ डू यू से दट.. ब्लॅक मॅजिक... " कोच ने गुस्से में लाल होके कहा




"उः..." सन्नी कुछ सोचने लगा




"टेल मी युवर गेम प्लान इन 2 सेकेंड्स ओर यू आर आउट फॉर दा गेम"




"कोच... वी हॅव एलिमिनेटर इन 3 डेज़.. आंड आइ विल जस्ट फोकस ऑन गेम.. नो गर्ल्स दट डे. सो वी विल विन.." सन्नी ने इतरा के कहा




"यू गिव मे प्रॉपर रीज़न ऐज टू वाइ डू वी प्ले यू ओर यू आर आउट... गुड बाइ..." कोच ने सारी टीम के आगे सन्नी को झाड़ा और वहाँ से सब एक एक कर निकल गये..




"अरे यार, यह क्या कर दिया आज मैने.. शिट यार..." सन्नी निराश होके वहीं बेंच पे बैठ गया और सर पकड़ के कुछ सोचने लगा..




"तो, आपकी गेम कैसी थी सर.." एक लड़का उसके पास आते हुए बोला




"अरे गेम गई भाड़ में यार, वो लिंडा नाराज़ हो गयी.. और तुझे गेम की पड़ी है.." सन्नी ने पास आते हुए लड़के के हाथ को पकड़ा और उसके भरोसे खड़ा हो गया




"वैसे बंदी सही थी यार.."




"एक तू ही भाई है मेरा जो यह सब समझता है.. स्वीडिश थी भाई, कसम से बोलता हूँ.. जब होंठ से होंठ लगा के चुस्ती है ना, ऐसा लगता है एक नंबर की डायन है और मेरे शरीर का सारा खून निकालना चाहती है..." सन्नी ने उस लड़के को जवाब दिया और आगे बढ़ने लगे




"हां, वो तो मैं जानता हूँ, तू ऐसी वैसी को सेलेक्ट नहीं करेगा.. बट यह मिली कहाँ.."




"अरे वो मेरा रूम मेट नही है, एरिक.. उसकी फरन्ड है, स्वीडन की है, लेकिन यहाँ एरिक से मिलने आई थी.. एरिक कुछ बिज़ी था तो मुझे कहा रिसीव करने के लिए.. बस, तब से लेके अब तक एरिक से बात नहीं करी इसने"




"हाहहा... तू साले, दोस्त की ही.."




"फीस भाई, फीस.. पिक अप फीस, रशियन और अरबिक के बाद अपना कोई टारगेट है ना इस बार, तो वो स्वीडिश है भाई.. कसम से बोलता हूँ.. एक नंबर की.."




"माल..."




"नहीं नहीं... माल तो अपनी यूएस की भी होती है, वैसे..." इतना कहते कहते सन्नी रुक गया




"क्या हुआ भाई.. क्यूँ रुक गया.."




"यूएस... यूएस यार... फक... तेरी गाड़ी दे प्लीज़ जल्दी..." सन्नी बीच में कूदने लगा




"यह ले.. पर जल्दी आना..."




"हां भाई.. आज मूड नहीं है, सिर्फ़ चाट के आउन्गा... बयईए.." सन्नी चिल्लाते हुआ निकला किसी से मिलने के लिए




"यू नो बेबी.. यू आर थे ओन्ली गर्ल टिल डेट हू हॅज़ लव्ड मी सो मच.."




सन्नी कंट्री साइड में बैठा बैठा किसी की बाहों में खेल रहा था... यूके की यह बात बहुत अच्छी है कि वहाँ खाली ज़मीन बहुत है, और हरियाली चारो जगह.. वीकेंड्स पे लोग फॅमिली के साथ पिक्निक मनाने कंट्री साइड के लिए निकल जाते हैं.. छोटे से झील के किनारे एक टेंट लगा के वहाँ फिशिंग कीजिए, मज़े मारिए, और घर निकल जाइए. वीकेंड्स पे यहाँ थोड़ी भीड़ बढ़ जाती है, लेकिन आज रेग्युलर डे था.. कंट्री साइड पूरा सन्नाटे में पसरा हुआ था, शाम के 6 बजे अंधेरा काफ़ी था लेकिन स्ट्रीट लाइट्स रोशनी काफ़ी कर रही थी.. झील के किनारे एक ब्लू कलर की लॅमबर्गीनी में दो प्रेमी एक दूसरे की गोद में बैठे सुहाने मौसम का मज़ा ले रहे थे..




"सो यू से दिस टू ऑल दा गर्ल्स यू मीट..."




"यूआर दा ओन्ली गर्ल इन माइ लाइफ.. आइ आम बेसिकली आ वेरी शाइ पर्सन, आइ हार्ड्ली टॉक टू मी कॉलेज गर्ल्स..." सन्नी ने फिर मासूम आवाज़ में कहा




"सो व्हाई डू यू सी मी.. यू हॅव गर्ल्स ऑफ युवर कॉलेज वित यू, राइट.." लड़की ने नाराज़ होते हुए कहा




"यू नो मरीया.. दा लव्ली थिंग अबाउट यू इस यू हॅव दा प्यूरेस्ट ऑफ दा हार्ट्स.. आइ नो आइ डॉन'ट डिज़र्व टू बी विद सच आ प्यूर सौल लाइक यू, बट दट यू आर हियर वित मी नाउ.. आइ प्रॉमिस यू आइ विल नोट लेट यू डाउन.. फर्स्ट टाइम आइ सॉ यू अट दा घर्किन, आइ जस्ट फेल फॉर युवर ग्रीन आइज़ आंड ब्राउन हेर.. वित युवर एवेरी स्टेप यू किल्ड मी स्लोली आंड स्टेडिली.. यू मे फाइंड दिस फ्लर्टेशस, बट ट्रस्ट मी, यूआर सो प्रेटी तट आइ कन्नोट से एनितिंग एल्स.."




मरीया धीरे धीरे शीशे में उतर रही थी, सन्नी भी उधर यह देख के सोचने लगा कि आख़िर ऐसा क्या कहे जिससे फाइनल बात बन जाए.. सन्नी और मरीया एक दूसरे की आँखों में देखने लगे और खामोशी को महसूस करने लगे... जहाँ मरीया सन्नी की आँखों में खोई हुई थी, वहीं सन्नी उसकी आँखों में झाँक के यह सोच रहा था कि आख़िर क्या बोले वो जिससे मरीया उसकी हो जाए.. कुछ वक़्त के लिए




"आइ..." दोनो ने एक साथ कुछ कहना चाहा, और सिर्फ़ "आइ' सुनके ही दोनो की हसी छूट गयी




"हाहहहहा... दट वाज़ पर्फेक्ट... उम्म्म्म.. सो सन्नी.. यू फील दा सेम वे आइ डू..." मरीया ने एक सेडक्टिव वाय्स में सन्नी से पूछा




"मरीया.. लेट मी हार्ट स्पीक फॉर मी नाउ...सस्शह..." सन्नी ने धीरे से कहा और मरीया के चेहरे को अपने पास खींचता लाया... जैसे जैसे मरीया का चेहरा सन्नी के पास आता, वैसे वैसे उसकी आँखें बंद होती और होंठ धीरे धीरे खुलने लगते...




"यस... अर्जेंटीना डाउन ..." सन्नी ने खुद से मन में कहा और अपने होंठ मरीया के होंठों पे हल्के से रख के अपनी जीभ को गोल गोल उसके होंठों पे घुमाने लगा....




"उम्म्म्म..... कम ओवर मी.. आंड रिलॅक्स स्वीटहार्ट... जस्ट फील माइ लव फॉर यू..." सन्नी ने मरीया को अपने उपर खींचा और गोद में बिठा के उसके होंठों को चूसने लगा...




"उम्म्म्मम हाआहह ईएस...... लेट मी शो यू सम्तिंग.. उफफफफूम्म्म्ममम..." मरीया ने होंठ अलग करते हुए कहा और अपना हाथ पीछे ले जाके अपना ब्लाउस खोल दिया



 
"आर यू श्योर मरीया... लेट अस टेक सम टाइम इन आ रिलेशन्षिप... गो स्लो स्वीटहार्ट.." सन्नी ने फिर उसके होंठों को जकड के कहा




"उम्म्म्म..... अहहहाहा ईएससस्स उम्म्म्म... फक मी बाबयययी आआहहाअ.... " मरीया उतेज़ित होने लगी जिसे देख सन्नी को अपना प्लान कामयाब होता हुआ दिखा




"इफ़ यू इन्सिस्ट बेबी... उम्म्म..." कहके सन्नी जैसे ही अपने हाथ पीछे ला जाके उसकी ब्रा खोलने लगा...




"शिट.... फक...." सन्नी झल्ला उठा, अपने फोन को बजते देख...




"ओह्ह्ह... युवर फोन्स... फक इट... लेट'स नोट स्टॉप नाउ.." मरीया ने उसके फोन को साइड में रखते हुए कहा




"नो नो.. इट'स अर्जेंट... गिव मी आ सेक.." सन्नी ने फोन उठाया और गाड़ी से बाहर चला गया..




"सन्नी.. कहाँ पे है"




"समर... मेरे भाई, मेरे दोस्त, मेरे दुश्मन साले कामीने... अभी फोन करना ज़रूरी था..." सन्नी ने फोन पे कहा और चिल्लाने लगा..




"तो आज कौन थी..." समर ने आगे बढ़ते हुए पूछा और सन्नी से कदम से कदम मिलाने लगा..




"मरीया..." सन्नी ने बस इतना ही कहा और टेबल पे जाके बैठ गया




"थ्री बियर्स फॉर मी... आंड गिव मिल्क टू माइ फ्रेंड हियर.." सन्नी ने गुस्से में समर की ओर देखते हुए कहा




"बियर फॉर मी ऐज वेल प्लीज़.. और गुस्सा क्यूँ कर रहा है..मुझे नहीं पता था "




"बता के तो गया था भाई तुझे, उस पे रुक गया था याद है.." सन्नी ने फिर आवाज़ उँची कर कहा




"तो मरीया यूएस की है..." समर ने आँखें बड़ी कर कहा




"नहीं नहीं, अर्जेंटीना की.. पर भाई बहुत जोरदार है, सिर्फ़ दो डायलॉग्स और 6 घंटे की फीलडिंग.. और मज़े की बात यह है.." कहते कहते सन्नी फिर रुक गया




"हां आगे बता, क्या है मज़े की बात" समर ने हाथ दिखा के कहा




"तू रहन दे.. सारा मज़ा खराब कर दिया तूने.." सन्नी ने अपनी बियर को मूह लगाते हुए कहा और समर से बातें करने में लग गया..




"वैसे, यह कंट्री वाइज़ लड़की का क्या चक्कर है" समर ने अपनी बियर ख़तम करके पूछा




"देख भाई, हम ऐसे देश में हैं जो युरोप का होके भी युरोप का नहीं है.. ठीक है, यहाँ के रूल्स रेग्युलेशन्स काफ़ी सही हैं, तो ऐसी जगह पे आके कोई भी पागल हो जाता है.. जिस दिन यहाँ के कॉलेज में अड्मिशन ली, उस दिन कसम खाई के हर एक लड़की जो पटाउंगा, वो अलग देश की होगी.. इससे हर कंट्री का स्वाद भी चख लूँगा और मल्टी नॅशनल भी हो जाउन्गा मैं.." सन्नी ने अपनी तीन बियर्स ख़तम कर के दूसरी दो ऑर्डर की




"और इसमे इंडिया है की नहीं.." समर ने एक और बियर का इशारा कर के कहा




"इंडिया तो शादी के लिए है ना.. वहाँ पे सेट्टिंग क्यूँ जमाऊ.. वो मोम डॅड का काम है.."




"अच्छा, इंडिया से एक काम याद आया.. करेगा प्लीज़.."




"तुझे प्लीज़ कहने की ज़रूरत कब्से पड़ने लगी..आप सिर्फ़ हुकुम करो मेरे आका.. " सन्नी ने मस्ती में कहा और समर की बात सुनने लगा
 
"तुम्हे लंडन जाने की इतनी क्यूँ पड़ी है.."




"मैने कब कहा ऐसा.." स्नेहा ने फोन पे शॉक होके जवाब दिया




"तुम नहीं जानती मैं बड़ी कमिनि चीज़ हूँ, तुम्हारी सब बातें सुन सकता हूँ मैं.. राजवीर के साथ जबसे टच में गयी हो तबसे पर निकल आए हैं तुम्हारे हाँ.."




"शांत रहो, सुनो मैं..."




"मैं सब जानता हूँ, अब तुम सुनो... अगर तुमने लंडन जाके कुछ भी पता करने की कोशिश की तो याद रखना मैं क्या कर सकता हूँ..." स्नेहा की बात को काटते हुए सामने से कहा




"अरे जाओ, मेरे पास राजवीर है अभी.. मैं यह सब पैसों के लिए कर रही थी, जो मुझे राजवीर से काफ़ी मिल चुका है.. अब मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकती.."




"तुम्हारा भाई कहाँ है आख़िर.. कुछ सोचा है उसके बारे में.." स्नेहा अपनी बात कहके फोन कट ही कर रही थी कि सामने से यह जवाब सुन उसके होश उड़ गये




"क्या मतलब है तुम्हारा...तुम.."




"आवाज़ नीचे... मुझे उँची आवाज़ वाली लड़कियाँ बिल्कुल पसंद नहीं है..." सामने से एक ठंडी सी आवाज़ में स्नेहा को जवाब मिला




"देखो, मेरी बात सुनो, मेरा मतलब वो नहीं था..मैं कह रही थी कि...." स्नेहा शब्दों को खोज रही थी कि वो क्या जवाब दे




"मैं नहीं सुनना चाहता कि तुम क्या कह रही थी.. अब मैं कह रहा हूँ और तुम वो सुनो... शांति से यहाँ रहो, राजवीर के पैसे में मुझे कोई इंटेरेस्ट नहीं है, तुम राजवीर के साथ मज़े करो, लेकिन लंडन भूल जाओ... वक़्त आने पे मैं तुम्हे लंडन भेज दूँगा, फिर घूमती रहना.." आवाज़ का टोन अभी भी उतना ही ठंडा था जितनी बरफ होती है..




"लेकिन प्रेम कहाँ है..अगर उसे कुछ हुआ..."




"तुम मुझे धमकाने की पोज़िशन में बिल्कुल नहीं हो.. फिलहाल जो कहा वो करो, अंत में तुम्हे प्रेम से मिलवा ही दूँगा..." सामने वाले ने बस इतना ही कहा और स्नेहा के जवाब सुने बिना फोन कट कर दिया




"हेलो....हेलो.. सुनो...... हेल्ल्लूऊऊ..." स्नेहा चीखने लगी लेकिन तब तक फोन कट हो चुका था




"ऐसे कैसे.... कहाँ है प्रेम....." स्नेहा का चेहरा पसीना पसीना होने लगा, प्रेम का नंबर डाइयल करते वक़्त उसके हाथ काँप रहे थे..स्नेहा की आँखों में बस आँसू आने की देर थी, करीब 3-4 बार नंबर ट्राइ किया लेकिन हर बार मोबाइल स्विच्ड ऑफ...


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"मानना पड़ेगा भाभी.. क्या दिमाग़ लगाया है आपने.." राजवीर ने सुहसनी और अपने लिए जाम बनाते हुए कहा..




"दिमाग़ मेरे पास है तो मैं वो चलाती हूँ.." सुहसनी ने आराम से अपने पेर फेला के कहा और सिगरेट का कश लेने लगी




"वैसे भाभी.. आपने स्नेहा को ही इस काम के लिए क्यूँ चुना..हम यह बाहर से भी करवा लेते, उसमे मुझे कम से कम किसी के साथ सोना तो नहीं पड़ता.." राजवीर ने सुहसनी को अपना ग्लास पकड़ाते हुए कहा और उसके पास बैठ गया




"जबसे तुम स्नेहा के साथ सोए हो, तबसे बस लंड से ही सोचते हो या दिमाग़ को बेच खाया है.." सुहसनी ने झल्ला के कहा




"स्नेहा अमर का खेल तमाम करेगी, तो क्या स्नेहा बच जाएगी.. साथ साथ वो भी हत्थे चढ़ जाएगी पोलीस के.. वैसे भी इतने दिन हो गये, न्यूज़ में पापी बहू जैसी कोई न्यूज़ नहीं देखी, स्नेहा को देख लेंगे लोग टीवी पे.. एक तीर से दो निशान, अमर और स्नेहा गॉन, शीना और ज्योति कब तक यहाँ रहेगी, उसकी शादी करवा देंगे, रहा रिकी.. वो रिज़ॉर्ट में बिज़ी रहेगा, बाकी हम दोनो अकेले... ऐश मारेंगे कोई रोक टोक नहीं.." सुहसनी ने अपना सुत्टा खींच के कहा




"वाह भाभी.. शकल से दिखती नहीं हो, लेकिन हो एक नंबर की हरामन..." राजवीर ने उसकी सिगरेट ली और कश लेने लगा




"दिखते तो तुम भी शातिर हो, लेकिन जबसे स्नेहा ने अपनी टाँगें क्या खोल दी, तुम्हारा तो दिमाग़ ही बंद पड़ गया" सुहसनी ने अपने ग्लास को होंठों से लगाते हुए कहा




"ऐसा मत बोलो भाभी.. प्यार तो मैं आपसे ही करता हूँ, आप ही के कहने पे तो आपकी रंडी बहू को सुलाया अपने नीचे..." राजवीर सुहसनी के जाँघ पे हाथ फेरते हुए बोलने लगा




"वो तो है ही रंडी खानदानी, पता नही विक्रम ने क्या देख लिया उसमे.. ना माँ बाप का ठिकाना है, ना भाई.. सड़क छाप कुतिया कहीं की.." सुहसनी ने दाँत पीसते हुए जवाब दिया और फिर एक ही घूँट में अपना ग्लास खाली करने लगी..


 
"अरे रे.. मेरी प्यारी भाभी, धीरे धीरे.. इतना गुस्सा नही करो, बस थोड़ा सा वक़्त.. फिर तो यह सड़क की कुतिया भी अपनी जगह पहुँच जाएगी.. आप और मैं अकेले फिर, दिन रात बस आपकी ही सेवा करूँगा.." राजवीर ने सुहसनी की ड्रेस को उसकी जांघों से हटा के कहा और हल्के हल्के उसपे हाथ फेरने लगा




"अब मुझ में क्या दिखेगा तुम्हे, मुझसे जवान बाला को चोद आए, वैसे कैसी थी वो बिस्तर पे.." सुहसनी भी हल्की हल्की गरम होने लगी




"एक दम गरम भाभी.. चुदवाते वक़्त जो गालियाँ बकती है, ऐसा लगता है कि रखैल या किसी रंडी को चोद रहा था, हर बार ज्योति या शीना के नाम से कड़क कर देती..

चाचिया ससुर, पापा, रंडी, डाला, ना जाने क्या क्या.. एक बात तो तय है, बहुत ही कम मर्द उसकी गर्मी के आगे टिक पाते होंगे.." राजवीर सुहसनी की जाँघ को अपने पंजे में लेके हल्के हल्के दबाने लगा




"उम्म्म्म.....रंडी कहीं की, अच्छा है मर जाएगी साली.. तुम रूको.. मैं अभी फ्रेश होके आती हूँ.. आज अमर नहीं है, बच्चे भी नहीं हैं, तो इतमीनान से करेंगे.. काफ़ी दिन हो गये तुम्हारा लौंडा खाए, तबीयत से निचोड़ूँगी आज तुम्हे भी.." सुहसनी ने अपने पेर हवा में उठा के अपनी नंगी जाँघो का दर्शन राजवीर को कराया और उठ के बाथरूम में चली गयी... सुहसनी के जाते ही राजवीर ने भी अपना ग्लास ख़तम किया एक घूँट में और कपड़े उतारने लगा...




"हाअ... यह ठीक है, काफ़ी दिनों बाद आज भाभी के गरम सीने को मसल्ने को मिलेगा..." राजवीर ने अपनी जीन्स उतारी और बॉक्सर्स में बैठ गया... सुहसनी का इंतेज़ार करते करते अपने लिए और सुहसनी के लिए दारू का पेग बनाने लग गया फिर...






"कैसी लगी यह बूढ़ी घोड़ी मेरे चोदु देवर जी को..." सुहसनी ने बाथरूम से निकल के पीछे से राजवीर को आवाज़ दी और उसका ध्यान अपनी तरफ खींचा... राजवीर जैसे ही पलटा, सुहसनी को यूँ देख उसका मूह खुला और लंड खड़ा का खड़ा रह गया...


"तुम कुछ बोलो उससे पहले तुम्हारे लंड ने ही गवाही दे दी.. लगता है, स्नेहा ने अभी अच्छे से गर्मी निकाली नहीं है तुम्हारे बदन की..." सुहसनी आगे बढ़ी और राजवीर से चिपक के अपने नाख़ून उसकी छाती में गाढ़ने लगी..




"हाए मेरी प्यारी भाभी, तेरा जिस्म ही ऐसा है कि गर्मी दिन ब दिन बढ़ती ही जाती है... फिर चाहे स्नेहा आए या कोई और, तेरे और तेरे जिस्म के आगे कोई नहीं टिक पाएगा.."

राजवीर ने सुहसनी की कमर में हाथ डाल के कहा और उसे अपने से सटा लिया..




"हुहह.. यह सब तो कहने की बातें हैं, स्नेहा के अलावा अगर ज्योति जैसी कोई आ गयी तो, फिर तो मुझे देखेगा भी नहीं तू.." सुहसनी अपने होंठ राजवीर के पास ले जाके उसे कहने लगी...




"बस भाभी.. अब उस के ख्वाब ना दिखाओ, उसकी कमी आज आप ही पूरी कर दो..देखो मेरे होंठों को, कैसे सुख गये हैं आपके जिस्म की गर्मी से... अब थोड़ा रहम करो मुझ पे.." राजवीर ने सुहसनी के चुचों पे हाथ रख के कहा



"तुझ पे.. या तेरे लंड पे.. मेरे हरामी देवर... ह्म्‍म्म्म.." सुहसनी ने आँखें बड़ी कर कहा और हल्के हल्के से उसके लंड को बॉक्सर्स के उपर से ही सहलाने लगी....




"आआहहहूंम्म्म... कभी कभी समझ नहीं आता भाभी, तेरे जिस्म में ज़्यादा नशा है या इस दारू में..." राजवीर ने अपना ग्लास फिर जल्दी ख़तम किया और सुहसनी को नीचे झुकाने लगा.. सुहसनी भी ज़्यादा ना नुकुर किया बिना नीचे झुकी और बॉक्सर्स के उपर से ही उसके लंड को सहलाने लगी





"आआहहा... यह तेरा साँप ही तो है.. उम्म्म आहम्‍म्म्ममम..." सुहसनी कुछ बोल नहीं पाई और बॉक्सर्स से ही उसके लंड को मूह में लेने लगी....




"आहहहहा उम्म्म्मम.....ऐसे ही मेरी रंडी भाभी... उफफफफ्फ़ अहहहहा...." राजवीर खड़े खड़े मज़े लेने लगा... सुहसनी ने ज़्यादा देर नहीं की और जल्दी से उसके लंड को बॉक्सर्स में से आज़ाद कर दिया....




"हाइआअहह... यह इतने दिनो बाद देखा, मेरी रंडी बहू को चोदने के बाद तो काफ़ी लंबा दिख रहा है हान्ं..." सुहसनी ने हल्के हल्के राजवीर के लंड को सहलाते हुए कहा

जिसका जवाब राजवीर ने कुछ नहीं दिया और बस अपने हाथ नीचे बढ़ा के सुहसनी की ब्रा को खोल दिया और उसका गाउन भी उतार फेंका...




"अब इसे मूह में भी ले ले मेरी रांड़ भाभी... जल्दी कर साली आहह..." राजवीर ने बस इतना ही कहा और सुहसनी ने पलक झपकते ही राजवीर के लंड को मूह में भर लिया




"आहहहः हां ऐसे ही भाभी अहहहा....उम्म्म्मममम...." राजवीर ने सुहसनी के मूह को अपने लंड में दबा के कहा




"उम्म्म्म अहहहहः स्लूर्रप्रप्प आहहह उम्म्म्म गुणन्ं गुणन्ञणन् आअहमम्म्मम....." सुहसनी लंड को अंदर बाहर करके चूसने लगी..





"अहहहाहा ओमम्म्म भाभिईीईईई ईसस्स अहहाहा...." राजवीर सुहसनी के लंड चुसाइ का मज़ा ले ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा, और नंबर देख के उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी...




"भाभी.... रुक्कूऊ..." राजवीर ने सुहसनी से रुकने का इशारा किया और फोन की स्क्रीन सुहसनी को दिखाई....
 
"रूको भाभी...." राजवीर ने सुहसनी से कहा और अपना फोन सुहसनी को दिखाने लगा...




"तेरी रंडी बेटी बहुत तंग करने लगी है अभी हमे.." सुहसनी ने लंड को मूह से तो निकाला लेकिन हाथ रख के उसे सहलाना चालू था




"क्या करूँ भाभी, उठाऊ कि नहीं, पता नहीं क्यूँ फोन किया है अभी.." राजवीर ने हल्की सी सिसकारी से पूछा क्यूँ कि सुहसनी अपना एक पंजा लेके राजवीर के टट्टों को हल्के हल्के दबोचने लगी थी, जब तक वो कुछ बोलती तब तक फोन कट हो गया..




"कट हो गया चल, अब जल्दी से फोन स्विच ऑफ कर न्ही तो फिर फोन करेगी.." सुहसनी ने एक बार फिर राजवीर के लंड को मूह में भरा और डीप थ्रोट सक करने लगी....




"आहहाहह..मेरी भाभी, रंडी तो तू है...ज़रा उपर भी देख ले, देख तेरे देवर की आँखों में तू ही समाई है.." राजवीर ने सुहसनी के बाल खींच उसके चेहरे को उपर किया और दोनो की आँखें मिल गयी एक दूसरे के साथ...




"उम्म्म्मम उहमम्म्मममम......" सुहसनी बस इतना ही कह पाती राजवीर के लंड को मूह में भर के.... राजवीर ने हाथ पीछे ले जाके सुहसनी के बालों का झुंड बनाया और उन्हे पकड़ के उसके चेहरे को आगे पीछे करके उसके मूह को चोदने लगा...




"उम्म्म्मम उम्म्म्म अहहहहहहौमम्म्म गुणन्ञणन् उज्णणनननननणनगुणन्ञन्....." सुहसनी के मूह से बस यही आवाज़ें निकल रही थी...




"अहहहा भाभी....उफफफफफफ्फ़......." राजवीर मज़े से आँखें बंद कर के उसके चेहरे को छोड़, इस बार अपने लंड को आगे पीछे करने लगा और उसके मूह की चुदाई चालू रखी...




"उम्म्म्म उम्म्म उम्म्म्म उम्म्म्मम फफफफफूम्म्म्मम आहहहह उम्म्म्ममम उम्म्म्म गुणन्ञणणन् गुणन्ञणणन्... आअहहस्सिईईई..... त्तहूउऊउउ..." सुहसनी ने लंड को बाहर निकाला और उसपे थूक के फिर उसकी चुसाइ चालू कर दी...




"उम्म्म्म उम्म्म्म अहहह.... देवर जीए.. उम्म्म्मम उम्म्म्म आहह...." सुहसनी ने बीच में लंड बाहर निकाला और राजवीर को पुकारा फिर लंड को मूह में भरा, लेकिन इस बार सिर्फ़ लंड के टोपे को अंदर बाहर करती और एक हाथ से उसके लंड को हल्के हल्के सहलाने लगी..




"अहहहाआह भाभी...... आँखों से आँखें मिला के चूस रही है मेरी कुतिया आआहहहह....." राजवीर ने आँखें खोल सुहसनी को देख कहा और फिर दोनो एक दूसरे को देखते देखते चुसाइ का मज़ा लेने लगी....


"उम्म्म्ममम उमुऊम्म्म्मममम उम्म्म्ममम..... अहहहहौमम्म्ममम गुउन्न्ञणणन् उज्णणणणन् गुउन्न्ञणणन्...... तुऊऊुुुउउ.......यूम्मम्मममममम उम्म्म्मम.." सुहसनी आज बिल्कुल भी मूड में नहीं थी राजवीर के लंड को छोड़ने के..





"अहहहहहा भाभी.... उम्म्म्मम ज़ोर्स्सीई...... अहहह... भाभी माइन एयाया रहा हुन्न्ञणणन्...अहाहाहाहा हाां भाभीइ आआईससीई हीईीई अहहहहाआह फास्टरर आहाहााा और तेज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ज़ाहहहहह...... आआहहहहाओंम्म्मम ओह आहाहहाअ..." राजवीर झड़ने के नज़दीक पहुँचा तो सुहसनी के चेहरे को कस्के पकड़ा और अपना पूरा का पूरा लंड उसके अंदर उतारने लगा





"उम्म्म्म उम्म्म अहहहः गुणन्ञणन् गुणन्ञन् खून्णन्न् उन्न्ञणन् उनन्ं ख़्ूहहूओंन्नकननणणन् " सुहसनी का दम घुटने लगा लेकिन वो भी राजवीर के लंड को छोड़ना नहीं चाहती थी





"अहहाहाहौमम्म्मम ओह भाभिईिइ माईंन्न आयाय्ाआअ.आ......" राजवीर की इस चीख से उसका लंड झड़ने लगा और अपना सारा माल सुहसनी के गले के नीचे उतारने लगा...





"उहह उम्म्म आओआवह नूऊओ......आहाहाहहाअ....."





"उम्म्म उम्म्म्म उम्म्म्म उम्म्म्म आहहहहहा उम्म्म्मम उम्म्म्मम ...." सुहसनी बड़े आराम से राजवीर के लंड को चुस्ती रही और लंड जब पूरा निचोड़ डाला तब उसे अपने मूह से लंड को निकाला और अपने होंठों पे जीभ फेरने लगी... राजवीर के लंड का जितना माल सुहसनी अपने गले के नीचे उतार सकी उतना उतार दिया, आधा उसके मूह से लेके उसके होंठों से होते हुए उसके चुचों पे बहने लगा, चुचों पे राजवीर के माल के गिरते ही उसके चुचों की चमक भी बढ़ गयी जिसे देख राजवीर मस्त हुआ जा रहा था




"आहाहहाहा भाभी... टॉप की रंडी बन गयी हो तुम तोह्ह्ह्ह..." राजवीर ने सुहसनी को फिर उसके बालों से पकड़ा और अपने माल से सने हुए चेहरे को पकड़ सुहसनी के होंठों को चूसने लगा, सुहसनी के होंठों का रस और अपने माल की खुश्बू से राजवीर पागल बनता गया





"उम्म्म्म उम्म्म्म अहहहः उम्म्म्ममम...." सुहसनी होंठ चूस्ते हुए फिर पागल बनने लगी और अपने एक हाथ से राजवीर के टटटे को ज़ोर से मसल दिया




"अहहाहा..... भाडवी साली उफफफफफफ्फ़...धीरे कर आहह.." राजवीर हल्के से दर्द में करहा के बोला




"हिहिहिहीः.. मर्द कहीं का... मुझे कौन चाटेगा, तेरा बाप..." सुहसनी ने खड़े होते हुए कहा और पलंग पे लेट के अपनी टाँगों को फेलाया जिससे उसकी लाल और गीली चूत राजवीर की आँखों के सामने आ गयी.. चूत के गीलेपन को देख राजवीर की आँखों का नशा और बढ़ गया.. पलंग के पास जाके राजवीर ने सुहसनी की टाँगों को थोड़ा और चौड़ा किया और अपने कंधे पे टिका के अपनी नशे में डूब चुकी आँखों से चूत का दीदार करने लगा.. गीली लाल चूत, राजवीर देख देख के ही अपने शरीर में रोमांच महसूस करने लगा, ऐसा नहीं था कि सुहसनी की चुदाई वो पहली बार कर रहा था, लेकिन जब से स्नेहा राजवीर के नीचे आई थी तब से उसने सुहसनी को अच्छे से देखा भी नहीं था.. आज इस हालत में जब दोनो मिले, तो ऐसे टूट पड़े एक दूसरे के जिस्म पे जैसे नये प्रेमी पहली बार घरवालों से छुप के संभोग करते हैं.. सुहसनी आँखें बंद कर आने वाले एहसास के बारे में सोच के ही और भी ज़्यादा गीली होती जा रही थी....




"आआहहहहओउम्म्म्ममम..." सुहसनी ने एक हल्की सी सिसक भरी जब अपनी गीली हो रही चूत पे उसने राजवीर की ज़बान को महसूस किया....





"आहंंनणणन् आहन्न...उम्म्म्ममम हाआंन्न णणन् ........" सुहसनी का बदन खुद ब खुद हवा में उठ गया जब राजवीर ने अपनी जीभ से सुहसनी की चूत को होल होल कुरेदना शुरू किया





"स्स्सलुर्र्रर्रप्प्प्प्पाहह आहह स्लूऊर्रप्प्प्प्प्प्प्प उम्म्म्ममम.....आहहहहहहाआंम्म्म" राजवीर ने धीरे से अपनी गति बढ़ाई और चूत के चीरे को उपर से लेके नीचे तक चाटना जारी रखा.....





"अहहहहहहाआ बीएनहाहहह हाआँ ऐईयसीई हीईीई मेरे राअज्जजज्ज्ज्ज्जाअ....." सुहसनी अपने हाथों को उसके सर पे रख के उसे अंदर दबाने लगी..... राजवीर भी चूत चाटते चाटते अपना एक हाथ उपर ले गया और सुहसनी के पहाड़ों पे रख उसके निपल्स को हल्के हल्के दबाने लगा..





"आहाहहहाः हाआंन्न मसल डालो इन हीयरी मेरे राजजजाआाअ...." सुहसनी ने राजवीर के हाथ को अपने हाथ से दबाया और ज़ोर बढ़ाने लगी अपने निपल्स पे..




"उउफफफ्फ़....... अहहाहाहहा...... स्ल्सुर्र्रप्प्प्प्प्प अहहहहा.... बहुत्त्त्त गर्अ आमम्म्ममम अहहाहा हो रही है अहहहहा उम्म्म स्लूर्र्रप्प्प्प अहहहहहः मेरी भाभिईीई अहहहहा..." राजवीर चूत चूस्ते हुए बोलने लगा...





"उम्म्म्म अहहहाहा मेरे रराज्ज्जज आहह.... वो तो उफफफफ्फ़ अहहहाआंणन्न् हाआन्न ऐसे ही...... गर्मी तो अहहहाहा आहार किसी अहहहहा में होती हाईयाीई.... आहहहहा ज़ोर से चाट आहाहहाा..." सुहसनी आँखें बंद कर अपने होंठों को अपनी जीब तले दबाते हुए कहने लगी





"स्लूर्र्रप्रप्प्प अहहहहा.... मेरी रानी आहहहहा भाभिईीई उफफफ्फ़..... उम्म्म्मम...." राजवीर चूत चाटते चाटते रुक गया और खुद पलंग पे लेट गया.. सुहसनी ने जब यह देखा तो राजवीर ने अपने लंड की ओर इशारा किया जिसे वो समझ गयी... सुहसनी जल्दी से 69 पोज़िशन में आ गयी और अपनी चौड़ी गान्ड फेला के राजवीर के शरीर पे कूद के बैठ गयी और जल्दी से उसके लंड को लपक ली...




"आअहहिईिइ... धीरे मार ना आअहह...." सुहसनी ने एक रंडी जैसी टोन में कहा जब राजवीर ने उसकी चमकदार गद्दे दार गान्ड को देखा और हल्का सा थप्पड़ जड़ा..




"हाअई भाभी....आज तो कसम से तेरी गान्ड भी मारूँगा... देख तो कितनी चौड़ी हो रही है दिन ब दिन... उम्म्म्मम उम्म्म्म ससलुर्र्रप्प्प्प आहह.." कहके राजवीर ने अपने हाथों से सुहसनी की गान्ड को हल्का सा खोला और उसकी चूत पे अपनी जीभ रख के धीरे धीरे उपर से लेके नीचे तक बड़े इतमीनान से चाटने लगा


"आआहहहहूंम्म्मममममममम....." मज़े में आके सुहसनी ने एक लंबी सी सिसकारी ली..





"स्लूर्र्ररप्प्प्प्प अहहहहा.... उम्म्म्मममममम उम्म्म्मममम मेरी नमकीन अहहहहूंम्म्मम भाभी ओअम्म्म्ममम....... उफफफ्फ़ आहहाआ..." राजवीर सुहसनी की चूत को कुत्ते की तरह चाटने लगा और बीच बीच में उसकी गान्ड के छेद में हल्के से अपनी उंगली घुसा देता...





"उम्म्म्म गुम्मम्म गुणन्ञन् गुणन्ञणन् गुणन्ञणन् अहहाहा एम्म्म गुउन्न्ञणणन्...." सुहसनी भी एक पागल थर्कि औरत की तरह राजवीर के लंड को चुस्ती ही जा रही थी और एक हाथ से उसके टट्टों को मसल्ति और सहलाती...





"अब उपर भी आ जाओ भाभी ससलुर्र्रप्प्प्प अहहाहा....." राजवीर ने सुहसनी को पलटने की कोशिश करते हुए कहा... सुहसनी जल्दी से पलटी और राजवीर के दोबारा खड़े हुए लंड पे अपनी चूत के छेद को सेट करने लगी...
 
"आअहमम्म्ममममम...जब जब अहहहः तेरा लंड अंदर लेती हूँ अहहहहाआ मेरे राजाहह.... उफफफफफफफ्फ़..... बड़ा ही सुकून अहहहहहा मिलता है अहहाहाहामम्म्मममम..." सुहसनी राजवीर के लड पे सेट हुई और आँखें बंद कर राजवीर के लंड को अपनी चूत के अंदर महसूस करके पिघलने लगी और धीरे धीरे नीच झुक के राजवीर के होंठों को अपने होंठों से मिला के उन्हे चूसने लगी...





"उम्म्म्ममम उम्म्म्ममममम अहहूंम्म्मममममममममम....." सुहसनी राजवीर के होंठ चूस्ते हुए हल्के हल्के अपनी चूत उसके लंड पे गोल गोल घुमाने लगी..




"अहहहा..यह ले ना मेरी रानी भाबभिईीई अहाहाआ...." राजवीर ने एक हल्का सा धक्का उसकी चूत में पेलते हुए कहा...





"हाहाआईए मेरे राजाआ जीए.ए.. धीरे कर ना भडवीई उफफफ्फ़.फ..... उम्म्म्ममममम" सुहसनी सीधी हुई और अपनी टाँगें चौड़ी कर राजवीर के लंड पे हल्के हल्के कूदने लगी जिससे उसके हवा में झूलते हुए चुचे भी एक अलग किस्म की आग पैदा कर रहे थे माहॉल में...




"आहहा भाभी... तेरे तो पहाड़ी चुचे अहहहहामम्म्ममम कितने मस्ती में उछल रहे हैं..... अहहहहाआ..." राजवीर ने यह कहके अपना एक हाथ आगे ले जाके उसके चुचे को जन्गलियो की तरह मसलना शुरू किया



"अहहहहा हाआनन्न मसल डाल इन्हे मेरे राज्ज्जज्ज अहहहह........ आज जाके शरीर कुछ अहहहहाअ हल्का हुआ...... हाऐईयईईईईईईई..." सुहसनी आँखें बंद कर अपनी चूत में जाते हुए राजवीर के साँप का मज़ा लेने लगी, और जो धक्के धीरे धीरे चल रहे थे, वो अब तेज़ी से लगने लगे....





"अहहहहा आहान्णन्न् चोद दे ना अपनी भाभी को मेरे देवर प्यारे एआःाहहा....." सुहसनी अब तेज़ी से राजवीर के लंड पे उछलने लगी और नीचे से राजवीर भी तेज़ी से धक्के मारने लगा..






"आहहहहहाअ आईस्स्स्सस्स हाआंन्णेणन् और तेज़ चोदो मेरे राज्ज्जज्ज जीई...... आहहहहहहह और तेज़ धक्के अहहहह हाआना आईससी हीईिइ आआहहाहा..." सुहसनी तेज़ी से धक्कों का मज़ा लेने लगी और आगे झुक के पलंग को पकड़ थोड़ी और खुल गयी जिससे लंड और अंदर जाके मज़ा देता..





"अहहाअ हाआँ मेरी रंडी भाभिईियाअहह.... उम्म्म्म और तेज़ कूद आहहहाहा तेरे चुचे अहहहौमम्म्मम ईआहहाा.." राजवीर कुछ बोलने के बदले सुहसनी के चुचे पकड़ उनको और तेज़ी से मसल्ने लगता....






"अहहहहहा.... हाआँ ऐसे ही कार्ररर अहहहहाअ मैं आ रहयीइ हुउऊन्न्ञन् हाआँ .." सुहसनी कूदते कूदते हाँफने लगी और झड़ने के करीब पहुँची... जैसे ही सुहसनी ने यह कहा, राजवीर ने उसे कंधे से पकड़ा और अपने लंड के उपर से हटा दिया....




"अब क्या हुआ मेरे राजाजज अहः......" सुहसनी उसके लंड से उठ के फिर उसके लंड को हाथ में थाम लिया और हिलाने लगी...




"अभी तो तेरी गान्ड मारूँगा मेरी कुतिया भाभी...." राजवीर ने सुहसनी को नीचे उतरने को कहा और नीचे उतर के सुहसनी कुतिया बनी, लेकिन अपनी गान्ड को हवा में टिका दिया जिसे देख राजवीर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा... सुहसनी की गान्ड का छेद काफ़ी सिकुड सा गया था, काफ़ी टाइम से गान्ड में लंड नहीं गया था तो.. राजवीर ने पहले उसकी गान्ड पे जम के थूका और उसकी गान्ड को गीला करने लगा.. जैसे जैसे वो थूकता वैसे वैसे उसकी गान्ड के छेद की लालिमा और बढ़ती.. काफ़ी देर तक थूकने के बाद, राजवीर ने अपनी एक उंगली को भी पूरा गीला किया खुद के मूह में डाल के और फिर उसी उंगली को सुहसनी की गान्ड के छेद पे घुमाने लगा...





"आआहहहहहा देवर जीए......उम्म्म्ममम" सुहसनी राजवीर की उंगली के स्पर्श से ही पागल हो रही थी





"हाआँ मेरी भाभिईीई.. बोल नाआ... आअहह" राजवीर उंगली को उपर से लेके नीचे तक घूमता और फिर बीच में आके छेद के अंदर डाल देता धीरे से..




"थोड़ा आहहा ज़्यादा गीला कारर्र नाअ आह... पास में कोई तेल आहाहाहा या वॅसलीन होग्गगीइ... उईईइ माअहह" सुहसनी छटपटाने लगी..





"आज तो तेरी चुदाई ऐसे ही करूँगा मेरी रनडीी अहहह... तब जाके लगेगा तुझे गान्ड में कुछ गया..." राजवीर ने फिर झुक के अपनी जीभ को बाहर निकाला और फिर से उसकी गान्ड के छेद पे घुमा घुमा के गीला करने में लग गया...





"आआओह.. चोदने से अच्छा अहहहाहा तो यह लग रहा हाइईईईई नाअ.... ऐसे ही चाट मेरे कुत्तीए उईईईई आहाहहाअ..." सुहसनी पागल होके अपना एक हाथ नीचे से अपनी चूत पे ले गयी और अपनी दो उंगली चूत के अंदर बाहर करने लगी..





"अरे रे मेरी रंडी... स्लूर्र्रप्प्प आहमम्म्मम... चुदाई में तो आआम्म्म्म म..... ससलुर्र्रप्प्प्प्प .... और भी मज़ा आएगा... देखती जाआ ससलुर्र्रप्प्प्प्प्प आहहाहह.." राजवीर ने काफ़ी देर तक सुहसनी की गान्ड के छेद पे जीभ घुमाई और गीली करके उंगली अंदर डालने लगा... एक के बाद एक दो उंगली अंदर डाल के हल्के से अंदर बाहर करने लगा..





"आहहहहा नाऐईयईईई.. निकालो बहार आहह नाइइ.." सुहसनी को दर्द काफ़ी हुआ, लेकिन राजवीर उंगलियाँ अंदर रख के ही उन्हे घुमाने लगा जैसे उंगली से कुछ घोल रहा हो.. धीरे धीरे जब सुहसनी की चीख कम हुई, तब राजवीर ने अपनी उंगली बाहर निकाली और लंड को गान्ड के छेद पे सेट करके हल्के हल्के से अंदर घुस्साने लगा...





"अहहहाा..... नूऊऊ फफफफफफफफुकककककककककक... नाऐईयईईई....... ओह अहहह... नाईयाीई निकाल्लूऊओ आहह" सुहसनी की जैसे जान ही निकल गयी थी, लेकिन राजवीर बिना कुछ सुने अपने साँप को सुहसनी के बिल में धीरे धीरे उतारने लगा.. जब पूरा लंड अंदर घुस गया, तब राजवीर शांत खड़ा रहा और अपनी जीभ से सुहसनी के चुतड़ों को चाटने लगा, उधर सुहसनी की आँखें बाहर निकल आई थी राजवीर के लंड को अपनी गान्ड में लेके... आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे, और गर्दन ज़मीन पे मूडी हुई उसके दर्द को और बढ़ा रही थी..




"आहाहाआ अब चोद भी दे भडवी आहह.... दर्द दे दे एक साथ पूरा मदर चूद्द्द कहीं कीए.... आहाहहा..." सुहसनी दर्द में तड़पने लगी थी... उसको ज़्यादा दर्द ना देते हुए राजवीर हल्के हल्के से अपने लंड को बाहर निकालने लगा.. जैसे ही लंड पूरा निकालने को आता, राजवीर उसे फिर से हल्के हल्के अंदर घुस्सा देता..





"आहाहहः धीरे धीरे कर भडवी अहहहा...हाां ऐसे ही उफफफ्फ़......." सुहसनी दर्द में अब भी थी, लेकिन अब मज़ा भी आने लगा था...





"आ हाँ यह ले ना भभाई अहाहाआ.... मस्त गान्ड है तेरी भाडवी साअलीी आहह....उम्म्म्मम ईससस्स अहहह" राजवीर अब अपने धक्के थोड़े से तेज़ करने लगा लेकिन इतने तेज़ नहीं, बस थोड़ा मोशन बढ़ा दिया जिससे सुहसनी को दर्द भी ना हो और उसका मज़ा भी बना रहे...




"ओह्ह्ह हाआंन्णरणन् मज़ा दे दिया तूने आअज रंडी की अऔलाद्दड़.... आअहहूंम्म्मम..." सुहसनी भी अब आँखें बंद किए हुए राजवीर के लंड पे बैठ हवा में सेर कर रही थी..





"अओर ले ले ना मेरी भाडवी भाभाइईइ आहह... तुम भी तो खानदानी रंडी हो बेन्चोद्द आहाहहा....उफफफफ्फ़ कितनी गरम आअहह " राजवीर की गति धीरे धीरे बढ़ती लेकिन वो फिर धीरे कर देता





"हां तो चोद ना आहहहा... तुम तो बहन भी नहीं छोड़ते अगर होती तो उफफफ्फ़ आहह....हां ऐसे ही पेल ना आहहह..."




"आहहाहा भाभिइ आहह और बोल ना कुतिया कहीं की अहहहा...उफ़फ्फ़..... बेटी भी चोदनी है , भतीजी भी चोदनी है आहह..."





"आहन तो चोद डाल ना मेरे राअज्जज आहह... शीना ज्योति सब अहाआह उदफफफफ्फ़ तेरे लोड्‍े के लिए तो मरी जाएगी एक बार आहहाआह चख लिया तो. आआहहह"





सुहसनी और ज्योति का नाम सुन राजवीर के लोड्‍े से रहा नहीं गया और झटके मारने को उतावला हो गया..




"यह क्या बोल दिया भाभिइिया अहहहहा.. मैं आ रहा हूँ यह लीई....." कहके राजवीर ने सुहसनी को सीधा किया और उसके चेहरे पे अपने लंड की मलाई निचोड़ने लगा




"आहहहहहाहा ओह श्सित्त्त्त........" राजवीर अपने लंड मलने लगा और सुहसनी भी उसकी मलाई को अपने मूह में लेके किसी रस की तरह पीने लगी...
 
"आहहाहम्म्म्म भाभीइ.... आज तो मज़ा आहहहा आ गायाअ..." राजवीर हान्फ्ते हुए बोला और सुहसनी के पास गिर पड़ा....





"मज़ा तो तूने भी मुझे दिया मेरे कुत्ते देवर..." सुहसनी ने राजवीर की मलाई उंगली पे ली और अपनी चूत रस में भिगो के राजवीर को चखने के लिए दी...




"उम्म्म्म आहह एम्म्म... तेरा रस तो मीठा ही है मेरी जानं.." राजवीर ने हँस के कहा और सुहसनी को गले लगा लिया..



लंडन :-

वाइट सिटी स्टेडियम जिसे ग्रेट सिटी स्टेडियम भी कहा जाता है, आज वहाँ काफ़ी भीड़ थी ... इसका एक कारण यह था आज से अफीशियल ग्रेहाउंड रेसिंग, मतलब कुत्तों की रेस स्टार्ट होने वाली थी.. वाइट सिटी स्टेडियम सेंट्रल लंडन से थोड़ा दूरी पे था, इसलिए चारों तरफ सिर्फ़ हरियाली ही हरियाली थी, कोई ट्रॅफिक नहीं, कोई भीड़ नहीं.... कुत्तों की रेस, लंडन में बहुत बड़ी इंडस्ट्री है.. तकरीबन 30 लाइसेन्स्ड ट्रॅक्स बने हुए है इस चीज़ के लिए जिसे देखने करीब 40 से 50 लाख लोग आते हैं.. रेस देखने आइए, लीगल बेट्टिंग करिए, खाइए, पीजिए, मज़े कीजिए और चल दीजिए. यह एक तरीका है लंडन में वीकेंड बिताने का.. तकरीबन 5000 लोगों की भीड़ जमा हुई थी आज यह रेस देखने के लिए, सीज़न की सबसे पहली रेस जो थी.. बेट्टिंग विंडो पे खचाखच भीड़ जमा हुई थी..




"नंबर 2.... नंबर 3... नंबर 10.... हे व्हेयर'स माइ टिकेट..." ऐसी आवाज़ें गूँज रही थी हर विंडो पे.. जैसे जैसे रेस का टाइम करीब आता वैसे वैसे विंडो खाली होती और सीट्स भरने लगती.. इतने में तीन लोग बड़ी जल्दी ही स्टेडियम की तरफ बढ़ रहे थे और आपस में बातें कर रहे थे..




"आज तो बड़ी देर हुई यार...."




"कोई बात नहीं, रेस में अभी टाइम है, 2 मिनिट में हम अंदर हैं.."




"पर आज किसपे लगाना है, मैं तो अब तक यह सोच रहा हूँ"




"नंबर 7.."




"ओह, यू मीन लकी 7 हान्ं.."




"सब लकी ही होता है.. सिक्स्त सेन्स चलनी चाहिए बस.."




"चलो आ गये.. एक्सक्यूस मी..." तीनो में से एक ने विंडो पे पहुँच के कहा




"1000 पाउंड्स ऑन नंबर 7.." फिर से उसने नोट्स आगे बढ़ाते हुए कहा




"यू मस्ट बी किडिंग चाइल्ड... नंबर 7 हॅज़ हाइयेस्ट रेट.. डॉन'ट लूस, टेक माइ टिप.. बेट ऑन 4, यू विल ईनर बिग.." विंडो वाले ने पैसे लेते हुए कहा




"नंबर 7 प्लीज़..." जैसे ही उसने ज़ोर से यह कहा, विंडो वाले ने तो अपना काम किया, लेकिन विंडो से दूर खड़ा एक शक्स उसकी यह बातें सुन उन्हे बड़े गोर से चुपके चुपके देखने लगा..




"देयर यू गो किड... रिलॅक्स, आंड एंजाय दा गेम.." विंडो वाले ने टिकेट दी और तीनो वहाँ से अपनी अपनी सीट के लिए निकल गये.. तीनो के पीछे वो चौथा शक्स भी निकला और उनकी सीट के ठीक पीछे जाके बैठ गया




"फिर्रीई........" जैसे ही ग्राउंड स्टाफ ने गोली चलाई, गेट्स खुले और एक एक कर सब कुत्ते भागने लगे फिनिश लाइन की तरफ




"कम ऑन.. कम ऑन ईसस्स.... " भीड़ में बैठे काफ़ी लोग चिल्लाने लगे...




"नंबर 2 ईज़ लीडिंग ऑल दा वे... नंबर 3 ट्रेलिंग... आंड आ सर्प्राइज़.. नंबर 7 ईज़ वेरी क्लोज़ टुडे.. दिस हॅज़ टू बी आ मिराकल... ओह माइ गॉड.... इट्स नंबर 7 टुडे हू विन्स दिस...." 500 मीटर की रेस 5 मिनिट भी नहीं चली..





"फेववव.... कैसे कर लेता है यह सब तू... 10000 पाउंड्स बॉस... ईससस्स.. ववूहूऊओ.." उन तीनो में से एक ने चिल्ला के कहा और तीनो विंडो की तरफ अपने पैसे लेने निकल गये.. उनके पीछे बैठा शक्स भी धीरे धीरे उनके पीछे चलने लगा..




"यूआर लकी माइ फ्रेंड.. हियर ईज़ युवर 10 ग्रॅंड्स... हॅव आ नाइस वीकेंड.." विंडो वाले ने पैसे देके कहा




तीनो लोगों ने अपने पैसे गिने और स्टेडियम के बाहर चलने लगे.. रात के 11 बजे, इतना घना अंधेरा छाया हुआ था कि कोई एक दूसरे को देख भी नहीं पाता.. बस कुछ 10 कदम की दूरी और फिर स्ट्रीट लाइट्स का आगमन..





"वीकेंड सेट हो गया है.. अब क्या करें वो बताओ..." एक ने पैसे गिन के कहा




"तू कुछ बोल क्यूँ नहीं रहा..." दूसरे ने तीसरे से कहा जो शांति से आगे बढ़ रहा था..




"शांति से खामोशी से आगे बढ़ो.. कोई हमारा पीछा कर रहा है... और चोंकना नहीं..बस सीधे चलते रहो.." तीसरे बंदे की यह बात सुन दोनो खामोश हो गये और पैसे जेब में रख धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे..





"टक टक टक टक...थुप थुप थुप थुप..." तीनो के जूते एक दूसरे से ताल मिला रहे थे जैसे, इतनी खामोशी में तीन लोगों के पीछे कोई साए की तरह लगा हुआ था, दो लोगों के चेहरे तो पसीने से भीग चुके थे डर के मारे, लेकिन तीसरे वाला काफ़ी रिलॅक्स्ड था और बस आगे ही बढ़ता जा रहा था..



"रूको.." उसने धीरे से कहा और जूतों की आवाज़ बंद... लंबी खामोशी, कोई आवाज़ नहीं, बस एक स्ट्रीट लाइट के नीचे तीनो खड़े थे और आगे की सड़क की तरफ देख रहे थे.. ठंड इतनी थी कि दो लोग तो अपने हाथ घिसने में लगे हुए थे, लेकिन उनके सर से बहता पसीना कुछ अलग ही दास्तान बयान कर रहा था..




"क्यूँ रोका यार.. भागते हैं.." एक ने खामोशी को तोड़ते हुए कहा




"ष्ह्ह्ह्ह्ह..." तीसरे बंदे ने इशारा किया और फिर से खामोशी....





"लिसन... हूयेवर यू आर... स्टॉप चेसिंग अस आंड कम हियर, आइ विल गिव यू ऑल दा मनी.." तीसरे बंदे ने चिल्ला के कहा, लेकिन उसकी नज़रें अभी भी आगे ही टिकी हुई थी.. उसकी यह आवाज़ सुन, जो चौथा आदमी दीवार के पीछे छिप गया था, वो बाहर निकला और चलके उनके पास आने लगा..
 

"टक टक.. टक टक तक तक.." उसके जूतों की आवाज़ जैसे जैसे उन तीनो के नज़दीक जाती वैसे वैसे दो लोगों के चेहरे का पसीना और दिल की धड़कनें बढ़ती जाती..




"रिलॅक्स... आप पीछे घूम जाओ.. मैं भी एशियन ही हूँ.." उस चौथे बंदे ने उन्हे कहा और अपनी जेब से सिगार निकाल के जलाने लगा..





"फ्यू....." एक बंदे ने लंबी साँस ली और तीनो एक साथ पलते..




"आइ आम सॉरी.. तीनो को परेशानी हुई तो.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था.." उसने फिर धुआँ हवा में छोड़ते हुए कहा




"अगर ऐसा इरादा नहीं था तो स्टेडियम से लेके अब तक क्यूँ पीछा कर रहे हैं.." फाइनली तीसरे बंदे ने उससे पूछा




"आइ सेड.. रिलॅक्स.. क्या मैं तुमसे अकेले में बात कर सकता हूँ.." उस बंदे ने आगे बढ़ते हुए कहा




"जो भी है इनके सामने करो.." उसने फिर जवाब दिया




"ओह... हां आइ गॉट यू.. यह लो, अगर मैं कुछ ख़तरा दूं तो तुम मेरी ही बंदूक की गोली से मुझे मार देना ओके.." उस बंदे ने तीसरे को गन देते हुए कहा




"अब तो विश्वास कर लो..सिर्फ़ 15 मिनिट..बस.." फिर उसने ज़ोर दिया अपनी बात पे..




"तुम दोनो चलो, मैं पहुँचता हूँ.."




"लेकिन तू.."




"चलो.. मैं आता हूँ, चिंता मत करो.." उस बंदे ने कहा जिसे सुन उसके दोनो दोस्त वहाँ से गये और उन दोनो को अकेला छोड़ दिया..




"थॅंक यू.. आओ आगे चलें.."




"आप का नाम.."




"ओह.. सॉरी, मैं नाम तो बताना भूल गया.. वैसे ना चीज़ को मज़हर माजिद कहते हैं.." उस बंदे ने हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा
 
"ओके बन्नी.. मैं कुछ देर में वहाँ पहुँचुँगी अभी.. काम ख़तम है या कुछ बाकी है.." ज्योति ने फोन आन्सर करते हुए कहा.. बन्नी वोही लड़का है जिसको ज्योति ने कुछ महीने पहले एक काम सौंपा था, जगह.. अभी तक पता नहीं...




"ओके मॅम.. वी आर ऑलमोस्ट डन, बस एक बार आप आके देख लो, अगर कुछ चेंज करने हैं तो अभी वी विल डू इट, इसके बाद कुछ चेंज नहीं कर पाएँगे.." बन्नी ने पेपर पे कुछ डिज़ाइन बनाते हुए कहा




"ओके, मैं एक- दो घंटे में पहुँचती हूँ.. तब तक तुम निकल जाओ, मैं कॉल करूँगी तब आ जाना उधर..ओके.. ?"




"ओके मॅम.. सी यू.." बन्नी ने कहके फोन कट किया और चुपके से वहाँ से निकल गया जहाँ वो अभी अपना बताया हुआ काम कर रहा था




"ज्योति... रिकी और शीना को बुला लाओ, और तुम भी आओ खाना खाने.. और वो स्नेहा से भी पूछ लो, खाएगी के नहीं.." सुहसनी ने ज्योति को सीडीयों से आवाज़ लगाई और किचन में चली गयी..




"ओके ताई जी..." ज्योति ने जवाब दिया और सबसे पहले स्नेहा के कमरे की ओर बढ़ गयी




"भाभी... खाना....." ज्योति ने दरवाज़ा खोल के जैसे ही स्नेहा को आवाज़ दी, वो थोड़ी सी हैरान हो गयी..




"भाभी.. क्या हुआ..." ज्योति ने आगे बढ़ के स्नेहा से पूछा जो बेड पे बैठी बैठी आँसू बहा रही थी.. ज्योति के यूँ अचानक आने से स्नेहा ने अपने चेहरे को घुमा लिया ताकि वो देख ना सके उसे रोते हुए, लेकिन तब तक ज्योति ने स्नेहा के चेहरे पे उसके टपकते आँसू देख लिए थे..




"भाभी.. प्लीज़ टेल मी.. क्या हुआ, आप रो क्यूँ रही हैं.." ज्योति स्नेहा के पास जाके बैठ गयी और उसके चेहरे को अपनी ओर घुमा लिया




"नतिंग... क्क्क... क्या हुआअ..." स्नेहा ने सूबक के जवाब दिया




"भाभी, डिन्नर के लिए बोलनी आई हूँ, बट उससे पहले प्लीज़ बताइए ना क्या हुआ.." ज्योति को भी चिंता होने लगी थी स्नेहा को यूँ अचानक रोता देखा




"नतिंग...तुम चलो.. मैं आती हूँ..." स्नेहा ने फिर रुआंदी सी आवाज़ में जवाब दिया




"बट भाभी...आप..." ज्योति आगे कुछ कहती उससे पहले स्नेहा बाथरूम में चली गयी और ज्योति के मन में सवाल छोड़ गयी..




"क्या हुआ भाभी को... अचानक, ऐसे तो कभी उन्हे नहीं देखा.." ज्योति ने खुद से कहा और बे मन वहाँ से उठ के रिकी और शीना को बुलाने गयी..




"यूआर स्टिल 90% फिट समझी... सो धीरे धीरे चलो, और कूदने का तो सवाल ही नहीं है.." रिकी ने शीना से कहा जो अपने ठीक होने पे काफ़ी खुश थी.. 6 महीने के बेड रेस्ट की सलाह थी, पर शीना ने एक महीना जल्दी रिकवर कर लिया..




"आइ आम 90%... सेज़ हू मिस्टर राइचंद..." शीना ने अपनी बड़ी सी स्माइल के साथ रिकी से पूछा




"सेज़ यू आर डॉक स्वीटहार्ट... हॅम्स्ट्रिंग में अभी भी मोच है हल्की.." रिकी ने फिर उसे जवाब दिया और उसे पकड़ने के लिए खड़ा हुआ..




"उफफफ्फ़... यह आपका डॉक्टर, यह आपकी दवाइयाँ... कहाँ थी मैं और आज कहाँ हूँ हाईन्न... आज मैं चल सकती हूँ, भाग सकती हूँ, नाच सकती हूँ.. और आप क्या कर सकते है... हाईंन्न्न्.." शीना आज बड़े ही सुहाने मूड में थी जिसकी वजह से तरह तरह की आक्टिंग करके खुश हो रही थी..




"तुम नाच सकती हो.. किसने कहा ऐसा.." रिकी भी शीना को ऐसे देख काफ़ी खुश था लेकिन उसे तंग करने के लिए यह सब कर रहा था..




"ओफफ्फ़.... अब आओ.. मैं दिखाऊ.. गिव मी युवर हॅंड प्लीज़.." शीना ने अपना हाथ आगे बढ़ाने को कहा जिससे रिकी ने वोही किया..




"ऐसे नहीं.. उपर ले जाओ.. हां ऐसे, नाउ . मी..." शीना ने उसके हाथों को पकड़ा और हल्की सी गोल घूम के, बॉल डॅन्स के स्टेप में गोल घूम के उसकी बाहों से चिपक गयी




"सी...." शीना ने चमकती आँखों से रिकी के जिस्म से चिपकते हुए कहा... शीना को अपने इतना करीब पाकर रिकी काफ़ी खुश था, उसकी इस मासूमियत की वजह से ही रिकी उसे चाहता था, स्थिति चाहे जो भी हो, शीना किसी गुड़िया की तरह हमेशा चमकती रहती और मुस्कुराती रहती..




"देखा.. कहो भी.." शीना ने फिर रिकी से कहा जो उसकी आँखों में देखते जा रहा था..




"यूआर ब्यूटिफुल...." रिकी ने अपना हाथ शीना के बालों में ले जाके कहा और उसके मासूम चेहरे को देखने लगा




"आइ नो.. बट..."




"हे गाइस... आप लोगों का खााना.." ज्योति शीना की बात पूरी होने से पहले ही कमरे के अंदर बिना नॉक किया आ गयी और दोनो को ऐसे देख आँखें चुरा ली..




"ओह.. आइ आम सॉरी.. बट वो डिन्नर..." ज्योति ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा के कहा और बाहर जाने लगी..




"ओईए... बहेन मेरी... वापस आ..." शीना ने रिकी से अलग होते हुए उसे पुकारा और उसकी तरफ बढ़ने लगी..




"क्या हुआ.. वापस क्यूँ जा रही है.." शीना ज्योति के पास गयी और उसका हाथ पकड़ के अंदर ला दी




"सॉरी.. मुझे नॉक करना था.. अगेन सॉरी.." ज्योति ने जवाब में कहा




"अब तू सब जानती है, सब क्लियर है, अपने बीच नो पर्सनल गरज.. फिर भी ऐसी फॉरमॅलिटी..यार, भाई, आप ही देखो इसे.." शीना ने बेड पे बेत कहा, लेकिन ज्योति अभी भी कुछ सोच रही थी, जो रिकी ने उसके चेहरे को देख भाँप लिया..




"ज्योति... प्लीज़ बैठ जा..." रिकी ने धीरे से उसके कंधे पकड़ते हुए कहा
 
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