hotaks444
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तनु और सूरज नहा कर चट्टान पर बैठ गए । तनु चट्टान पर खड़े होकर आसपास देखती है लगभग सब लोग नहा कर चले गए थे । एक दो प्रेमी प्रेमिका काफी दूर पर नहाते हुए दिखाई दिए । तनु और सूरज मुख्य केन्द्र से काफी दूर थे और एक सुनसान जगह पर थे ।
तनु-" सूरज अब कपडे कैसे सुखाऊं?" तनु भीगे कपडे दिखाते हुए बोली
सूरज-" दीदी उतार कर सुखा लो"
तनु-" फिर में क्या पहन कर बैठू, कपडे सूखने में 2 घंटे लगेंगे"
सूरज-" आप चट्टान के पीछे बैठ जाओ,कपडे उतार कर दो, में सूखने डाल दूंगा"
तनु-" में दो घंटे तक बिना कपड़ो के कैसे बैठूंगी चट्टान के पीछे?
सूरज-" दीदी में गाडी ले आता हूँ उसमे बैठ जाना आप"
तनु-" हाँ ये ठीक रहेगा"
सूरज अपने कपडे लेकर चट्टान के पीछे जाता है और अपना कच्छा उतार कर पेंट और शर्ट पहन लेता है । कच्छे को चट्टान पर रखकर गाडी लेने चला जाता है ।
तनु की नज़र सूरज के कच्छे पर पड़ती है जिसपर सफ़ेद द्रव्य लगा हुआ था ।
तनु समझ जाती है की सूरज कच्छे में स्खलन हो गया है ।
तनु सोचती है की में अकेली 2 घंटे तक सूरज के सामने कैसे नंगी रहूंगी, सोच सोच कर उसकी चूत रस छोड़ रही थी ।
सूरज के साथ नए मित्रता वाले सम्बन्ध स्थापित करके उसे बड़ा अच्छा भी लग रहा था ।
सूरज गाडी लेकर आता है । चट्टान के सामने खड़ी कर देता है ।
सूरज तनु के पास आकर कहता है ।
सूरज-' दीदी जाओ जल्दी से कपडे उतार दो"
तनु गाडी में जाती है जींस और टॉप उतार कर गाडी के सीसे से बहार फेंक देती है ।
सूरज तनु के कपडे उठाकर पानी में धोकर चट्टान पर डाल देता है ।
सूरज गाडी से थोड़ी ही दूर पर था । तनु गाडी के पिछली सीट पर अपने जिस्म को छुपा कर बैठ गई ।तभी उसे ब्रा और पेंटी के गीलेपन का खयल आता है । अपनी पेंटी को देखती है जिस पर बहुत सारा चूतरस लगा हुआ था, तनु पेंटी के इस गीलेपन और चिपचिपेपन से बैचैनी होती है वह पेंटी और पानी से भीगी ब्रा को उतार देती है ।तनु बिलकुल नग्न हो जाती है गाडी में उसके बूब्स हवा में झूलने लगते है ऐसा महसूस हो रहा था जैसे अब तक किसी के कैद में थे।
तनु अपनी चूचियों को देखती है। जिनके निप्पल खड़े थे तभी चूत पर नज़र जाती है झांटो के बालो पर चूत रस लगा हुआ था तनु अपनी पेंटी से चूत को रगड़ कर साफ़ करती है उसके शारीर में उत्तेजना का संचार होता है वह चूत के अंदर लगे पानी को पेंटी से साफ़ करने लगती है ।चूत साफ़ करने के उपरान्त गन्दी पेंटी और ब्रा को साफ़ कैसे करे उसे धोने के बारे में सोचती है परंतु बहार सूरज था उसके सामने नंगी तो जा नहीं सकती थी ।
तनु ब्रा और पेंटी को उतार कर चट्टान की तरफ फेंकने का प्रयास करती है ।लेकिन वह जमीन पर गिर जाते हैं । सूरज देख लेता है ।
सूरज-" दीदी रुको में धोकर डाल देता हूँ" तनु यह सुनकर चोंक जाती है क्योंकि उसकी पेंटी चूतरस से भीगी हुई थी ।
तनु गाडी से बहार निकल भी नहीं सकती थी ब्रा और पेंटी को खुद धोकर डाल दे ।
सूरज जैसे ही गाडी के पास आता है तनु की ब्रा और पेंटी को उठाकर देखने लगता है ।फैशनेवल ब्रा और पेंटी को बड़ी गौर से देखता है । तनु को ब्रा 32 साइज़ की थी जो बड़ी सॉफ्ट थी । सूरज ब्रा को हाँथ से मसलता हुआ महसूस करता है ।
जैसे ही पेंटी को मसलता है तनु की चूत का कामरस सूरज की उंगलियो पर लग जाता है जो किसी फेविकोल की तरह उंगलियों पर चिपचिपा रहा था ।तनु गाडी के सीसे से देखती है और सूरज को आवाज़ लगाती है ।
तनु-" सूरज ये कपडे ऐसे ही सूखने डाल दे, धोना नहीं तू"
सूरज-" दीदी आपकी पेंटी बहुत गन्दी है इसे धोकर साफ़ कर देता हूँ" सूरज पेंटी पर लगे चूतरस को दिखाते हुए बोलता है, तनु सूरज की इस हरकत से बहुत सिहर जाती है । सूरज भी तनु दीदी की चूत के रस को उंगलियो में लगने की बजह से बहुत एक्सीटेड हो जाता है लंड फड़फड़ाने लगता है उसका मन करता है की पेंटी पर लगे चूतरस को चाट ले ।
तनु-" (शीशे में गर्दन निकाल कर सूरज से मना करती है) सूरज पेंटी बहुत गन्दी उसे हाथ मत लगा, ऐसे ही सूखने डाल दे"
सूरज-" दीदी उस दिन शैली के घर पर आपने भी तो मेरा गंदा कच्छा धोकर डाला था, तो में आपकी पेंटी क्यूँ नहीं साफ़ कर सकता हूँ" सूरज पेंटी पर लगे पानी को दिखाते हुए बोलता है तनु बेचारी शर्म की बजह से गाडी से तो निकल नहीं सकती वह गाडी के शीशे से सूरज को देखने लगती है ।
सूरज नदी के पानी में पेंटी और ब्रा को धोने लगता है । सूरज की इस हरकत से उसकी चूत पर असर पड़ रहा था ।वह उंगलियो से अपनी कोमल चूत को रगड़ती है ।
उसकी नज़र सूरज पर टिकी थी । सूरज पेंटी पर लगे कामरस को ऊँगली से लेकर नाक से सूंघ कर देख रहा था तनु ने जैसे ही देखा उसे ऐसा महसूस हुआ की सूरज मेरी पेंटी को नहीं मेरी चूत को सूंघ कर देख रहा है । तनु की उंगलियां चूत में तेजी से चलने लगती है । तभी तनु को एक और झटका लगता है सूरज तनु की पेंटी पर लगे चूत के पानी को अपनी जीव्ह से चाटने लगता है ।
जिसे देखकर तनु बहुत तेजी से अपनी चूत मसलती है और तेज सिसकी के साथ झड़ जाती है, तनु की सिसकी इतनी तेज थी की उसकी चीखने की आवाज़ सूरज के कानो तक पहुँची, सूरज घबरा जाता है उसे लगा तनु कोई परेसानी है वो भागकर गाड़ी की तरफ जाता है और शीशे में जैसे ही देखता है तनु को तो हैरान रह जाता है उसका लंड झटके मारने लगता है तनु की चूत से बहता हुआ सफ़ेद पानी एक ऊँगली चूत के मुँह पर राखी हुई थी उसकी साँसे बहुत तेजी से चल रही थी जिसके कारण उसकी चूचियाँ ऊपर नीचे हो रही थी ।सुरज समझ गया था तनु दीदी ने ऊँगली से हस्तमैथुन किया है ।
सूरज जब तनु के पास पंहुचा ।
सूरज-' दीदी क्या बात है आप चिल्लाई क्यूँ?
ये शब्द जैसे ही तनु के कानो में पड़े तनु एक दम घबरा गई और सीट पर अपनी चूत और चूचियों को छुपाते हुए बोली
तनु-" सूरज कुछ नहीं हुआ तू यहाँ से जा,में नंगी बैठी हूँ" तनु जब तक ये बोलती तब तक सूरज उसके नंग्न जिस्म का मुयायना कर चूका था ।
तनु का जिस्म देखने के बाद सूरज के जिस्म में गर्मी पैदा हो जाती है । उसका लंड पेंट के अंदर बगावत सुरु कर देता है ।
सूरज खुद की ही बड़ी बहन तनु की झान्टो से भरी हुई चूत को देख कर अपने लंड को शांत करने में बिफलता महसूस कर रहा था । बहन भाई का रिश्ता उसके जिस्म और लंड के बीच बना हुआ था । सूरज का मन
तनु की चूचियों को दबाने की कल्पना करता है तो कभी तनु की चूत से निकले कामरस को चाटने के हसीन कामुक कल्पना करता है । इधर तनु भी शर्म से मरी जा रही थी आखिर वो भी क्या करती इस उम्र में चूत की आग को शांत करने के लिए उसे हर दिन उँगलियों से ही मदद करनी पड़ती है ।
आज सूरज के साथ बिताए हुए पल और सूरज के साथ कामुकता से भरी बातें सुनकर उसकी चूत गर्म भट्टी की तरह उबल रही थी यदि उसको शांत नहीं करती तो बैचैनी के कारण उसे सुकून नहीं मिलता।
ये जिश्म की आग ऐसे ही होती है ।एक बार भड़क जाए तो बड़ी मुश्किल से सांत होती है। तनु को इस बात की फ़िक्र हो रही थी आज उसके सगे छोटे भाई ने उसे ऐसे हालात में देख लिया, मेरे बारे में क्या सोचेगा,
सूरज-" ओह्ह्हो दीदी माफ़ करना, मुझे लगा आपको कोई परेसानी है इस लिए आप चिल्लाई हो" सूरज गाडी के विपरीत मुह करके बोलता है ।
तनु-" कोई बात नहीं सूरज, मुझे माफ़ करना"
सूरज-" इसमें माफ़ी की क्या बात है दीदी, इस उम्र हर किसी के जिस्म में सेक्स की क्रिया होती है, और सभी लोग इसको शांत करते हैं । आप टेंसन मत लो दीदी, आप फिर से अपना अधूरा काम सुरु कर सकती हो, में थोड़ी देर के लिए कही ओर चला जाता हूँ"
तनु-" नहीं सूरज मेरा काम हो गया, तू कहीं मत जाना मुझे अकेले डर लगेगा"
सूरज-"ठीक है दीदी कहीं नहीं जा रहा हूँ,
तभी सूरज तनु की पेंटी उठा कर लाता है और तनु को देता है ।
सूरज-" दीदी इससे आप निचे की सफाई कर लो, फिर में इसे धोकर डाल दूंगा" जैसे ही सूरज ये बोलता है तनु को फिर से झटका लगता है लेकिन तनु को सूरज की इस समझदारी पर अच्छा भी लग था क्योंकि उसकी चूत से बहुत सारा पानी निकला था जिसे साफ़ करने के लिए उसके पास कोई कपडा नहीं था । तनु गाडी की खिड़की से एक हाँथ निकाल कर पेंटी लेती है और अपनी चूत पर लगे कामरस को साफ़ करती है उसकी पेंटी कामरस से पूरी तरह से भीग चुकी थी अच्छी तरह से चूत साफ़ करने के बाद गन्दी पेंटी फिर से सूरज को पकड़ा देती है, इस बार तनु ने कुछ नहीं बोला सूरज से और आराम से पेंटी पकड़ा दी ।सूरज ने जैसे ही पेंटी के लिए मुड़ा उसकी नज़र तनु पर पड़ती है उसके एक बूब्स पर जिसे देखकर सूरज लंड झटका मारता है । सूरज पेंटी को लेकर देखने लगता है तनु की चूत का पानी उसके हाँथ में लग जाता है ।
सूरज-" दीदी आपका पानी तो बहुत निकला है इतना तो मेरा भी कभी नहीं निकला" तनु को उसकी गीली पेंटी दिखाते हुए बोला
तनु-" ओह्ह सूरज तू तो पक्का बेशरम होता जा रहा है, कुछ तो शर्म कर, तेरे साथ रह कर में भी तेरी तरह होती जा रही हूँ, तेरी ऐसी हरकतों की बजह से ही मुझे अपने आपको शांत करना पड़ा, तेरी ऐसी कामुक बातें सुनकर मेरे अंदर कुछ होने लगता है,
तू अगर मेरी पेंटी को चाटता नहीं तो मेरे अंदर कोई आग नहीं फैलती, और न ही ऊँगली करने की नोबत आती" तनु ने अपनी पीड़ा को उजाकर किया
सूरज-" दीदी आपका पानी बहुत स्वादिस्ट है इसलिए चाटने का मन हुआ, दीदी क्या में इस पानी को भी चाट लू" सूरज ने तुरंत तनु की पेंटी को मुह में लेकर चाटने लगा, जैसे ही तनु ने देखा उसका पूरा जिस्म में हवस का खून दौड़ने लगा ।
तनु-" नहीं सूरज ऐसा मत कर प्लीज़"
सूरज-" दीदी जबसे मैंने शैली के साथ सम्भोग किया है तबसे मेरा मन बार बार उसी काम को करने के लिए करता है, में अपने आपको कैसे शांत करु"
तनु-"तू भी अपने आपको शांत कर ले जैसे मैंने कर लिया है, अपने हाथ से तो तू करता ही होगा"
सूरज-" दीदी मन तो बहुत कर रहा है हिलाने का लेकिन शांत जगह पर हिलाने में अच्छा लगता है क्या में गाडी के अंदर आ जाऊ" तनु सूरज की हिलाने बाली बात से सिहर जाती है ऊपर से सूरज मेरे सामने गाडी में हिलाएगा, मेरे सामने । तनु सोचती है इतना सबकुछ तो हो ही गया है अब सूरज को मेरे सामने हिलाने में कोई आपत्ति नहीं है तो मुझे क्या प्रॉब्लम होगी, आखिर इसमें मुझे भी तो मजा आ रहा है ।
तनु-" सूरज तू अपना वो मेरे सामने हिलाएगा, तुझे शर्म नहीं आएगी"
सूरज-" वो क्या होता है दीदी ऊसे लंड बोलते है दीदी, शर्म किस बात की मैंने आपका जिस्म देखा है और आपने तो मेरी और शैलू की चुदाई भी देखी है तो अब आपसे पर्दा कैसे" सूरज पहली बार तनु से साफ़ और असली शब्द बोलता है तनु शर्मा जाती है
तनु-" ओह्ह्ह सूरज तू इतने गंदे शब्द भी बोलने लग गया मेरे सामने,
सूरज-" दीदी अब लंड को लंड न कहूँ तो क्या कहूँ, दीदी मेरे लंड की नसे फूलती जा रही हैं अगर थोड़ी देर और रुका तो मेरा पूरा कच्चा और पेंट गन्दी हो जाएगी, में गाडी में आकर हिला लेता हूँ" सूरज जल्दी से आगे ड्राइवर सीट पर आकर बैठ जाता है और अपनी पेंट और कच्छा उतार कर अपना मोटा लंड हिलाने लगता है ।
तनु पीछे सीट पर अपने आपको छुपाती हुई बैठ जाती है लेकिन जैसे ही फ्रंट सीसे पर तनु की नज़र जाती है उसकी चूत फिर से पानी छोड़ने लगती है सीसे में सूरज का लंड साफ़ दिखाई दे रहा था उसका 8 इंची लंड लाल गुलाबी सुपाड़ा देखकर तनु का मन चाटने और चूसने का करता है ।
भी तनु को सीसे में देख कर एक और झटका लगता है सूरज तनु की पेंटी को पहले चाटता है फिर लंड़ पर पेंटी रगड़ने लगता है । तनु की चूत से कामरस की कुछ बुँदे टपकने लगती है ।
सूरज-' दीदी आपकी पेंटी में भी जादू है, शैली की चूत से भी ज्यादा मजा आपकी पेंटी में है, आपका पानी तो शैली की चूत के पानी से भी स्वादिष्ट है"
तनु-" ऐसी बात मत कर सूरज में भी अपने आपको रोक नहीं पाउंगी,
सूरज-" आप भी अपनी चूत में उंगली कर लो मेरे साथ" सूरज अपनी सीट को लेटा देता है जिससे पिछली और ड्राइवर सीट एक हो जाती है ।
तनु एक दम घबरा जाती है सूरज तनु के सामने अपना लंड हिलाता है ।
तनु-" ये क्या किया सूरज,तू मेरे पास बैठकर हिलाएगा में नंगी बैठी हूँ,
सूरज-" दीदी आप भी मेरे साथ बैठ कर ऊँगली करो न प्लीज़,"
तनु-' नहीं सूरज मुझे शर्म आ रही है तू अपना जल्दी हिला कर जा यहां से, में बाद में करुँगी" तनु की चूत से भी पानी बह रहा था ।
सूरज-" एक बार मुझे अपनी चूत दिखा दो, मेरा जल्दी हो जाएगा प्लीज़"
तनु-" ओह्हो सूरज ये तू क्या कह रहा है,
तुझे शर्म नहीं आएगी मेरी चूत देख कर, ले देख ले" तनु अपनी चूत सूरज के सामने कर देती है सूरज अपना लंड को छोड़कर तनु की चूत को सहलाने लगता है, तनु पर रहा नहीं जाता वह सूरज के लिप्स किस्स करने लगती है ।15 मिनट तक सूरज और तनु एक दूसरे के होंठो को जंगली तरह से चूसते हैं ।
सूरज तनु की चूचियों को मुह में लेकर चूसता है बारी बारी । तनु के जिस्म में आग सी लग जाती है । तनु सूरज का लंड मुह में लेकर चूसने लगती है सूरज भी तनु की चूत में अपनी जिव्हा डालकर चाटने लगता है ।दस मिनट तक तनु की चूत चाटने के बाद तनु को सीधा करके अपना लंड तनु की चूत में घुसाने लगता है । तनु की चूत बहुत टाइट थी लंड आधा ही घुस पाता है ।तनु को दर्द होता है ।
तनु-" ओह्ह्ह्ह्ह सूरज आराम से पहली बार इतना मोटा लंड मेरी चूत में घुसेगा, आराम से डाल"
सूरज-" बस दीदी थोडा दर्द बर्दास्त कर लो, सूरज लंड को निकालता है फिर से डालता है । दो तीन बार लंड चूत में डालता है और निकालता है । फिर एक बार तेज धक्के के साथ अपना पूरा लंड तनु की चूत में घुसेड़ देता है ।
तनु-" आआह्ह्ह्ह्ह्ह् सुराज्ज्ज् मार डाला तूने आह्ह्ह्ह,
सूरज तेज तेज धक्के मारने लगता है ।
सूरज-" दीदी बस थोड़ी देर में आपको भी मजा आएगा दीदी, आपकी चूत बहुत मस्त है दीदी, आपकी चूत स्वादिस्ट भी है दीदी, अह्ह्ह दीदी
तनु-" आह्ह सूरज अब मजा आता जा रहा है ऐसे ही करता रह, बहुत मजा आ रहा है उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् आह्ह्ह्ह फक सूरज
सूरज-" आप बहुत प्यारी हो दीदी, ऐसा लग रहा है स्वर्ग आपकी चूत में है"
तनु-' आह्ह्ह्ह्ह् उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ सूरज तेज तेज कर मेरा निकल रहा है ओफ्ग्गफग्ग्ग
सूरज-" आःह्ह्ह दीदी मेरा भी पानी निकल रहा है कहाँ निकालू पानी?"
तनु-" भर दे मेरी चूत अपने पानी से सूरज मेरे भाई"
दोनों बहन भाई एक साथ झड़ जाते हैं ।
दोनों की साँसे बहुत तेज चल रही थी ।
सूरज-" i love you didi
तनु-" love you 2 मेरे भाई
सूरज-" दीदी कैसा लगा
तनु-" बहुत अच्छा लगा मुझे नहीं पता था इतना मजा आता है अब तो तू ही मेरी चूत की प्यास बुझाया करना"
सूरज-" हाँ दीदी में ही बुझाऊँगा।
सूरज
का लंड तनु की चूत में था । जैसे लंड निकालता है चूत से बहुत सारा पानी बहने लगता है ।तनु अपने आपको साफ़ करती है । सूरज भी अपने आपको साफ करता है ।
तनु के कपडे भी सूख चुके थे ।
दोनों बहन भाई फ़ार्म हॉउस की ओर निकल जाते है ।
सूरज ने तनु को फ़ार्म हॉउस छोड़ा और अपने नए घर चला जाता है ।
घर पहुँच कर उसने देखा तान्या और संध्या माँ दोनों बैठकर खाना खा रही थी ।
संध्या-" अरे सूर्या तू आ गया"
सूरज-" माँ मुझे भी बहुत तेज भूक लगी है"
संध्या-" आजा बेटा जल्दी से में खाना लगाती हूँ" सूरज फ्रेस होकर आया और खाना खाने लगता है तभी उसने देखा की तान्या दीदी उदास सी बैठी हैं ।
दीदी ने मुझसे अभी तक ढंग से बात नहीं की है जबसे में इस घर में आया हूँ । गुस्सा उनकी नाक पर रखा रहता है ।में भी डर की बजह से उनसे ज्यादा बात नहीं करता हूँ ।
सूरज-" तान्या दीदी आपको क्या हुआ है" मैंने दीदी से पूछा
तान्या-" तुझे क्या फर्क पड़ता है मेरी उदासी से, तुझे तो कंपनी और फेक्ट्री की बिलकुल फ़िक्र ही नहीं है।
संध्या-" दिल्ली गई थी बिजनेस मीटिंग के लिए अभी लौटी है, बेटा तू अब तान्या के साथ अपनी कंपनी को संभालने में मदद कर, ये बेचारी अकेली ही पूरी कंपनी और फेक्ट्री संभालती है"
सूरज-" माँ में खुद चाहता हूँ की कंपनी की जिम्मेदारी सम्भालू, में कल से ही कंपनी जाया करूँगा, दो या तीन महीने में सब सीख जाऊंगा फिर आपको कोई तखलिफ् नहीं होगी, में बहुत मेहनत करूँगा माँ"
संध्या-" Thankes बेटा, तू कल से तान्या के साथ जाना ये तुझे सब समझा देगी"
हम तीनो खाना खा कर अपने अपने कमरो में सोने चले गए, कल खुद की कंपनी सम्भालूंगा इस बात से में बहुत उत्साहित था ।इस घर की जिम्मेदारी संभालना मेरे लिए ख़ुशी की बात थी ।
कम समय में मेरे साथ एक के बाद एक नई नई घटना घट रही थी । गाँव से शहर आना फिर इतने बड़े घर में सूर्या की जगह लेना, किसी चमत्कार से कम नह था मेरे लिए,
तनु दीदी की सहेली शैली के साथ मेरे जीवन का पहला सम्भोग उसके बाद तनु दीदी के साथ सम्भोग ये परिवर्तन मेरी जिंदगी में एक नए अनुभव की तरह था ।
शहर की चकाचौन्ध में खुद को ढालने का प्रयत्न मेरे लिए कड़े संघर्ष की तरह था जिसमे में स्वयं ही हर कदम पर परीक्षा का प्रतिभागी था ।
तनु-" सूरज अब कपडे कैसे सुखाऊं?" तनु भीगे कपडे दिखाते हुए बोली
सूरज-" दीदी उतार कर सुखा लो"
तनु-" फिर में क्या पहन कर बैठू, कपडे सूखने में 2 घंटे लगेंगे"
सूरज-" आप चट्टान के पीछे बैठ जाओ,कपडे उतार कर दो, में सूखने डाल दूंगा"
तनु-" में दो घंटे तक बिना कपड़ो के कैसे बैठूंगी चट्टान के पीछे?
सूरज-" दीदी में गाडी ले आता हूँ उसमे बैठ जाना आप"
तनु-" हाँ ये ठीक रहेगा"
सूरज अपने कपडे लेकर चट्टान के पीछे जाता है और अपना कच्छा उतार कर पेंट और शर्ट पहन लेता है । कच्छे को चट्टान पर रखकर गाडी लेने चला जाता है ।
तनु की नज़र सूरज के कच्छे पर पड़ती है जिसपर सफ़ेद द्रव्य लगा हुआ था ।
तनु समझ जाती है की सूरज कच्छे में स्खलन हो गया है ।
तनु सोचती है की में अकेली 2 घंटे तक सूरज के सामने कैसे नंगी रहूंगी, सोच सोच कर उसकी चूत रस छोड़ रही थी ।
सूरज के साथ नए मित्रता वाले सम्बन्ध स्थापित करके उसे बड़ा अच्छा भी लग रहा था ।
सूरज गाडी लेकर आता है । चट्टान के सामने खड़ी कर देता है ।
सूरज तनु के पास आकर कहता है ।
सूरज-' दीदी जाओ जल्दी से कपडे उतार दो"
तनु गाडी में जाती है जींस और टॉप उतार कर गाडी के सीसे से बहार फेंक देती है ।
सूरज तनु के कपडे उठाकर पानी में धोकर चट्टान पर डाल देता है ।
सूरज गाडी से थोड़ी ही दूर पर था । तनु गाडी के पिछली सीट पर अपने जिस्म को छुपा कर बैठ गई ।तभी उसे ब्रा और पेंटी के गीलेपन का खयल आता है । अपनी पेंटी को देखती है जिस पर बहुत सारा चूतरस लगा हुआ था, तनु पेंटी के इस गीलेपन और चिपचिपेपन से बैचैनी होती है वह पेंटी और पानी से भीगी ब्रा को उतार देती है ।तनु बिलकुल नग्न हो जाती है गाडी में उसके बूब्स हवा में झूलने लगते है ऐसा महसूस हो रहा था जैसे अब तक किसी के कैद में थे।
तनु अपनी चूचियों को देखती है। जिनके निप्पल खड़े थे तभी चूत पर नज़र जाती है झांटो के बालो पर चूत रस लगा हुआ था तनु अपनी पेंटी से चूत को रगड़ कर साफ़ करती है उसके शारीर में उत्तेजना का संचार होता है वह चूत के अंदर लगे पानी को पेंटी से साफ़ करने लगती है ।चूत साफ़ करने के उपरान्त गन्दी पेंटी और ब्रा को साफ़ कैसे करे उसे धोने के बारे में सोचती है परंतु बहार सूरज था उसके सामने नंगी तो जा नहीं सकती थी ।
तनु ब्रा और पेंटी को उतार कर चट्टान की तरफ फेंकने का प्रयास करती है ।लेकिन वह जमीन पर गिर जाते हैं । सूरज देख लेता है ।
सूरज-" दीदी रुको में धोकर डाल देता हूँ" तनु यह सुनकर चोंक जाती है क्योंकि उसकी पेंटी चूतरस से भीगी हुई थी ।
तनु गाडी से बहार निकल भी नहीं सकती थी ब्रा और पेंटी को खुद धोकर डाल दे ।
सूरज जैसे ही गाडी के पास आता है तनु की ब्रा और पेंटी को उठाकर देखने लगता है ।फैशनेवल ब्रा और पेंटी को बड़ी गौर से देखता है । तनु को ब्रा 32 साइज़ की थी जो बड़ी सॉफ्ट थी । सूरज ब्रा को हाँथ से मसलता हुआ महसूस करता है ।
जैसे ही पेंटी को मसलता है तनु की चूत का कामरस सूरज की उंगलियो पर लग जाता है जो किसी फेविकोल की तरह उंगलियों पर चिपचिपा रहा था ।तनु गाडी के सीसे से देखती है और सूरज को आवाज़ लगाती है ।
तनु-" सूरज ये कपडे ऐसे ही सूखने डाल दे, धोना नहीं तू"
सूरज-" दीदी आपकी पेंटी बहुत गन्दी है इसे धोकर साफ़ कर देता हूँ" सूरज पेंटी पर लगे चूतरस को दिखाते हुए बोलता है, तनु सूरज की इस हरकत से बहुत सिहर जाती है । सूरज भी तनु दीदी की चूत के रस को उंगलियो में लगने की बजह से बहुत एक्सीटेड हो जाता है लंड फड़फड़ाने लगता है उसका मन करता है की पेंटी पर लगे चूतरस को चाट ले ।
तनु-" (शीशे में गर्दन निकाल कर सूरज से मना करती है) सूरज पेंटी बहुत गन्दी उसे हाथ मत लगा, ऐसे ही सूखने डाल दे"
सूरज-" दीदी उस दिन शैली के घर पर आपने भी तो मेरा गंदा कच्छा धोकर डाला था, तो में आपकी पेंटी क्यूँ नहीं साफ़ कर सकता हूँ" सूरज पेंटी पर लगे पानी को दिखाते हुए बोलता है तनु बेचारी शर्म की बजह से गाडी से तो निकल नहीं सकती वह गाडी के शीशे से सूरज को देखने लगती है ।
सूरज नदी के पानी में पेंटी और ब्रा को धोने लगता है । सूरज की इस हरकत से उसकी चूत पर असर पड़ रहा था ।वह उंगलियो से अपनी कोमल चूत को रगड़ती है ।
उसकी नज़र सूरज पर टिकी थी । सूरज पेंटी पर लगे कामरस को ऊँगली से लेकर नाक से सूंघ कर देख रहा था तनु ने जैसे ही देखा उसे ऐसा महसूस हुआ की सूरज मेरी पेंटी को नहीं मेरी चूत को सूंघ कर देख रहा है । तनु की उंगलियां चूत में तेजी से चलने लगती है । तभी तनु को एक और झटका लगता है सूरज तनु की पेंटी पर लगे चूत के पानी को अपनी जीव्ह से चाटने लगता है ।
जिसे देखकर तनु बहुत तेजी से अपनी चूत मसलती है और तेज सिसकी के साथ झड़ जाती है, तनु की सिसकी इतनी तेज थी की उसकी चीखने की आवाज़ सूरज के कानो तक पहुँची, सूरज घबरा जाता है उसे लगा तनु कोई परेसानी है वो भागकर गाड़ी की तरफ जाता है और शीशे में जैसे ही देखता है तनु को तो हैरान रह जाता है उसका लंड झटके मारने लगता है तनु की चूत से बहता हुआ सफ़ेद पानी एक ऊँगली चूत के मुँह पर राखी हुई थी उसकी साँसे बहुत तेजी से चल रही थी जिसके कारण उसकी चूचियाँ ऊपर नीचे हो रही थी ।सुरज समझ गया था तनु दीदी ने ऊँगली से हस्तमैथुन किया है ।
सूरज जब तनु के पास पंहुचा ।
सूरज-' दीदी क्या बात है आप चिल्लाई क्यूँ?
ये शब्द जैसे ही तनु के कानो में पड़े तनु एक दम घबरा गई और सीट पर अपनी चूत और चूचियों को छुपाते हुए बोली
तनु-" सूरज कुछ नहीं हुआ तू यहाँ से जा,में नंगी बैठी हूँ" तनु जब तक ये बोलती तब तक सूरज उसके नंग्न जिस्म का मुयायना कर चूका था ।
तनु का जिस्म देखने के बाद सूरज के जिस्म में गर्मी पैदा हो जाती है । उसका लंड पेंट के अंदर बगावत सुरु कर देता है ।
सूरज खुद की ही बड़ी बहन तनु की झान्टो से भरी हुई चूत को देख कर अपने लंड को शांत करने में बिफलता महसूस कर रहा था । बहन भाई का रिश्ता उसके जिस्म और लंड के बीच बना हुआ था । सूरज का मन
तनु की चूचियों को दबाने की कल्पना करता है तो कभी तनु की चूत से निकले कामरस को चाटने के हसीन कामुक कल्पना करता है । इधर तनु भी शर्म से मरी जा रही थी आखिर वो भी क्या करती इस उम्र में चूत की आग को शांत करने के लिए उसे हर दिन उँगलियों से ही मदद करनी पड़ती है ।
आज सूरज के साथ बिताए हुए पल और सूरज के साथ कामुकता से भरी बातें सुनकर उसकी चूत गर्म भट्टी की तरह उबल रही थी यदि उसको शांत नहीं करती तो बैचैनी के कारण उसे सुकून नहीं मिलता।
ये जिश्म की आग ऐसे ही होती है ।एक बार भड़क जाए तो बड़ी मुश्किल से सांत होती है। तनु को इस बात की फ़िक्र हो रही थी आज उसके सगे छोटे भाई ने उसे ऐसे हालात में देख लिया, मेरे बारे में क्या सोचेगा,
सूरज-" ओह्ह्हो दीदी माफ़ करना, मुझे लगा आपको कोई परेसानी है इस लिए आप चिल्लाई हो" सूरज गाडी के विपरीत मुह करके बोलता है ।
तनु-" कोई बात नहीं सूरज, मुझे माफ़ करना"
सूरज-" इसमें माफ़ी की क्या बात है दीदी, इस उम्र हर किसी के जिस्म में सेक्स की क्रिया होती है, और सभी लोग इसको शांत करते हैं । आप टेंसन मत लो दीदी, आप फिर से अपना अधूरा काम सुरु कर सकती हो, में थोड़ी देर के लिए कही ओर चला जाता हूँ"
तनु-" नहीं सूरज मेरा काम हो गया, तू कहीं मत जाना मुझे अकेले डर लगेगा"
सूरज-"ठीक है दीदी कहीं नहीं जा रहा हूँ,
तभी सूरज तनु की पेंटी उठा कर लाता है और तनु को देता है ।
सूरज-" दीदी इससे आप निचे की सफाई कर लो, फिर में इसे धोकर डाल दूंगा" जैसे ही सूरज ये बोलता है तनु को फिर से झटका लगता है लेकिन तनु को सूरज की इस समझदारी पर अच्छा भी लग था क्योंकि उसकी चूत से बहुत सारा पानी निकला था जिसे साफ़ करने के लिए उसके पास कोई कपडा नहीं था । तनु गाडी की खिड़की से एक हाँथ निकाल कर पेंटी लेती है और अपनी चूत पर लगे कामरस को साफ़ करती है उसकी पेंटी कामरस से पूरी तरह से भीग चुकी थी अच्छी तरह से चूत साफ़ करने के बाद गन्दी पेंटी फिर से सूरज को पकड़ा देती है, इस बार तनु ने कुछ नहीं बोला सूरज से और आराम से पेंटी पकड़ा दी ।सूरज ने जैसे ही पेंटी के लिए मुड़ा उसकी नज़र तनु पर पड़ती है उसके एक बूब्स पर जिसे देखकर सूरज लंड झटका मारता है । सूरज पेंटी को लेकर देखने लगता है तनु की चूत का पानी उसके हाँथ में लग जाता है ।
सूरज-" दीदी आपका पानी तो बहुत निकला है इतना तो मेरा भी कभी नहीं निकला" तनु को उसकी गीली पेंटी दिखाते हुए बोला
तनु-" ओह्ह सूरज तू तो पक्का बेशरम होता जा रहा है, कुछ तो शर्म कर, तेरे साथ रह कर में भी तेरी तरह होती जा रही हूँ, तेरी ऐसी हरकतों की बजह से ही मुझे अपने आपको शांत करना पड़ा, तेरी ऐसी कामुक बातें सुनकर मेरे अंदर कुछ होने लगता है,
तू अगर मेरी पेंटी को चाटता नहीं तो मेरे अंदर कोई आग नहीं फैलती, और न ही ऊँगली करने की नोबत आती" तनु ने अपनी पीड़ा को उजाकर किया
सूरज-" दीदी आपका पानी बहुत स्वादिस्ट है इसलिए चाटने का मन हुआ, दीदी क्या में इस पानी को भी चाट लू" सूरज ने तुरंत तनु की पेंटी को मुह में लेकर चाटने लगा, जैसे ही तनु ने देखा उसका पूरा जिस्म में हवस का खून दौड़ने लगा ।
तनु-" नहीं सूरज ऐसा मत कर प्लीज़"
सूरज-" दीदी जबसे मैंने शैली के साथ सम्भोग किया है तबसे मेरा मन बार बार उसी काम को करने के लिए करता है, में अपने आपको कैसे शांत करु"
तनु-"तू भी अपने आपको शांत कर ले जैसे मैंने कर लिया है, अपने हाथ से तो तू करता ही होगा"
सूरज-" दीदी मन तो बहुत कर रहा है हिलाने का लेकिन शांत जगह पर हिलाने में अच्छा लगता है क्या में गाडी के अंदर आ जाऊ" तनु सूरज की हिलाने बाली बात से सिहर जाती है ऊपर से सूरज मेरे सामने गाडी में हिलाएगा, मेरे सामने । तनु सोचती है इतना सबकुछ तो हो ही गया है अब सूरज को मेरे सामने हिलाने में कोई आपत्ति नहीं है तो मुझे क्या प्रॉब्लम होगी, आखिर इसमें मुझे भी तो मजा आ रहा है ।
तनु-" सूरज तू अपना वो मेरे सामने हिलाएगा, तुझे शर्म नहीं आएगी"
सूरज-" वो क्या होता है दीदी ऊसे लंड बोलते है दीदी, शर्म किस बात की मैंने आपका जिस्म देखा है और आपने तो मेरी और शैलू की चुदाई भी देखी है तो अब आपसे पर्दा कैसे" सूरज पहली बार तनु से साफ़ और असली शब्द बोलता है तनु शर्मा जाती है
तनु-" ओह्ह्ह सूरज तू इतने गंदे शब्द भी बोलने लग गया मेरे सामने,
सूरज-" दीदी अब लंड को लंड न कहूँ तो क्या कहूँ, दीदी मेरे लंड की नसे फूलती जा रही हैं अगर थोड़ी देर और रुका तो मेरा पूरा कच्चा और पेंट गन्दी हो जाएगी, में गाडी में आकर हिला लेता हूँ" सूरज जल्दी से आगे ड्राइवर सीट पर आकर बैठ जाता है और अपनी पेंट और कच्छा उतार कर अपना मोटा लंड हिलाने लगता है ।
तनु पीछे सीट पर अपने आपको छुपाती हुई बैठ जाती है लेकिन जैसे ही फ्रंट सीसे पर तनु की नज़र जाती है उसकी चूत फिर से पानी छोड़ने लगती है सीसे में सूरज का लंड साफ़ दिखाई दे रहा था उसका 8 इंची लंड लाल गुलाबी सुपाड़ा देखकर तनु का मन चाटने और चूसने का करता है ।
भी तनु को सीसे में देख कर एक और झटका लगता है सूरज तनु की पेंटी को पहले चाटता है फिर लंड़ पर पेंटी रगड़ने लगता है । तनु की चूत से कामरस की कुछ बुँदे टपकने लगती है ।
सूरज-' दीदी आपकी पेंटी में भी जादू है, शैली की चूत से भी ज्यादा मजा आपकी पेंटी में है, आपका पानी तो शैली की चूत के पानी से भी स्वादिष्ट है"
तनु-" ऐसी बात मत कर सूरज में भी अपने आपको रोक नहीं पाउंगी,
सूरज-" आप भी अपनी चूत में उंगली कर लो मेरे साथ" सूरज अपनी सीट को लेटा देता है जिससे पिछली और ड्राइवर सीट एक हो जाती है ।
तनु एक दम घबरा जाती है सूरज तनु के सामने अपना लंड हिलाता है ।
तनु-" ये क्या किया सूरज,तू मेरे पास बैठकर हिलाएगा में नंगी बैठी हूँ,
सूरज-" दीदी आप भी मेरे साथ बैठ कर ऊँगली करो न प्लीज़,"
तनु-' नहीं सूरज मुझे शर्म आ रही है तू अपना जल्दी हिला कर जा यहां से, में बाद में करुँगी" तनु की चूत से भी पानी बह रहा था ।
सूरज-" एक बार मुझे अपनी चूत दिखा दो, मेरा जल्दी हो जाएगा प्लीज़"
तनु-" ओह्हो सूरज ये तू क्या कह रहा है,
तुझे शर्म नहीं आएगी मेरी चूत देख कर, ले देख ले" तनु अपनी चूत सूरज के सामने कर देती है सूरज अपना लंड को छोड़कर तनु की चूत को सहलाने लगता है, तनु पर रहा नहीं जाता वह सूरज के लिप्स किस्स करने लगती है ।15 मिनट तक सूरज और तनु एक दूसरे के होंठो को जंगली तरह से चूसते हैं ।
सूरज तनु की चूचियों को मुह में लेकर चूसता है बारी बारी । तनु के जिस्म में आग सी लग जाती है । तनु सूरज का लंड मुह में लेकर चूसने लगती है सूरज भी तनु की चूत में अपनी जिव्हा डालकर चाटने लगता है ।दस मिनट तक तनु की चूत चाटने के बाद तनु को सीधा करके अपना लंड तनु की चूत में घुसाने लगता है । तनु की चूत बहुत टाइट थी लंड आधा ही घुस पाता है ।तनु को दर्द होता है ।
तनु-" ओह्ह्ह्ह्ह सूरज आराम से पहली बार इतना मोटा लंड मेरी चूत में घुसेगा, आराम से डाल"
सूरज-" बस दीदी थोडा दर्द बर्दास्त कर लो, सूरज लंड को निकालता है फिर से डालता है । दो तीन बार लंड चूत में डालता है और निकालता है । फिर एक बार तेज धक्के के साथ अपना पूरा लंड तनु की चूत में घुसेड़ देता है ।
तनु-" आआह्ह्ह्ह्ह्ह् सुराज्ज्ज् मार डाला तूने आह्ह्ह्ह,
सूरज तेज तेज धक्के मारने लगता है ।
सूरज-" दीदी बस थोड़ी देर में आपको भी मजा आएगा दीदी, आपकी चूत बहुत मस्त है दीदी, आपकी चूत स्वादिस्ट भी है दीदी, अह्ह्ह दीदी
तनु-" आह्ह सूरज अब मजा आता जा रहा है ऐसे ही करता रह, बहुत मजा आ रहा है उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़् आह्ह्ह्ह फक सूरज
सूरज-" आप बहुत प्यारी हो दीदी, ऐसा लग रहा है स्वर्ग आपकी चूत में है"
तनु-' आह्ह्ह्ह्ह् उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ सूरज तेज तेज कर मेरा निकल रहा है ओफ्ग्गफग्ग्ग
सूरज-" आःह्ह्ह दीदी मेरा भी पानी निकल रहा है कहाँ निकालू पानी?"
तनु-" भर दे मेरी चूत अपने पानी से सूरज मेरे भाई"
दोनों बहन भाई एक साथ झड़ जाते हैं ।
दोनों की साँसे बहुत तेज चल रही थी ।
सूरज-" i love you didi
तनु-" love you 2 मेरे भाई
सूरज-" दीदी कैसा लगा
तनु-" बहुत अच्छा लगा मुझे नहीं पता था इतना मजा आता है अब तो तू ही मेरी चूत की प्यास बुझाया करना"
सूरज-" हाँ दीदी में ही बुझाऊँगा।
सूरज
का लंड तनु की चूत में था । जैसे लंड निकालता है चूत से बहुत सारा पानी बहने लगता है ।तनु अपने आपको साफ़ करती है । सूरज भी अपने आपको साफ करता है ।
तनु के कपडे भी सूख चुके थे ।
दोनों बहन भाई फ़ार्म हॉउस की ओर निकल जाते है ।
सूरज ने तनु को फ़ार्म हॉउस छोड़ा और अपने नए घर चला जाता है ।
घर पहुँच कर उसने देखा तान्या और संध्या माँ दोनों बैठकर खाना खा रही थी ।
संध्या-" अरे सूर्या तू आ गया"
सूरज-" माँ मुझे भी बहुत तेज भूक लगी है"
संध्या-" आजा बेटा जल्दी से में खाना लगाती हूँ" सूरज फ्रेस होकर आया और खाना खाने लगता है तभी उसने देखा की तान्या दीदी उदास सी बैठी हैं ।
दीदी ने मुझसे अभी तक ढंग से बात नहीं की है जबसे में इस घर में आया हूँ । गुस्सा उनकी नाक पर रखा रहता है ।में भी डर की बजह से उनसे ज्यादा बात नहीं करता हूँ ।
सूरज-" तान्या दीदी आपको क्या हुआ है" मैंने दीदी से पूछा
तान्या-" तुझे क्या फर्क पड़ता है मेरी उदासी से, तुझे तो कंपनी और फेक्ट्री की बिलकुल फ़िक्र ही नहीं है।
संध्या-" दिल्ली गई थी बिजनेस मीटिंग के लिए अभी लौटी है, बेटा तू अब तान्या के साथ अपनी कंपनी को संभालने में मदद कर, ये बेचारी अकेली ही पूरी कंपनी और फेक्ट्री संभालती है"
सूरज-" माँ में खुद चाहता हूँ की कंपनी की जिम्मेदारी सम्भालू, में कल से ही कंपनी जाया करूँगा, दो या तीन महीने में सब सीख जाऊंगा फिर आपको कोई तखलिफ् नहीं होगी, में बहुत मेहनत करूँगा माँ"
संध्या-" Thankes बेटा, तू कल से तान्या के साथ जाना ये तुझे सब समझा देगी"
हम तीनो खाना खा कर अपने अपने कमरो में सोने चले गए, कल खुद की कंपनी सम्भालूंगा इस बात से में बहुत उत्साहित था ।इस घर की जिम्मेदारी संभालना मेरे लिए ख़ुशी की बात थी ।
कम समय में मेरे साथ एक के बाद एक नई नई घटना घट रही थी । गाँव से शहर आना फिर इतने बड़े घर में सूर्या की जगह लेना, किसी चमत्कार से कम नह था मेरे लिए,
तनु दीदी की सहेली शैली के साथ मेरे जीवन का पहला सम्भोग उसके बाद तनु दीदी के साथ सम्भोग ये परिवर्तन मेरी जिंदगी में एक नए अनुभव की तरह था ।
शहर की चकाचौन्ध में खुद को ढालने का प्रयत्न मेरे लिए कड़े संघर्ष की तरह था जिसमे में स्वयं ही हर कदम पर परीक्षा का प्रतिभागी था ।