Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर - Page 2 - SexBaba
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Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर

थोड़ी देर की तकलीफ़ के बाद मोनिका खुद ही उछल

उछल कर विजय से अपनी गान्ड मरवाती है और करीब 15 मिनिट की चुदाई के बाद विजय का पानी मोनिका की गंद में निकल जाता है. और साथ साथ मोनिका भी झाड़ जाती है.और इसी बीच जब विजय का पानी निकलता है तो विजय भी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगता है और उसके मूह से अचानक निकल पड़ता है ओह ...........राधिका..............................??????

मोनिका भी हैरत से विजय को देखने लगती है और फिर ना चाहते हुए भी उसका शक बढ़ता जाता है.

उधेर विजय भी चुप चाप अपने कपड़े पहन लेता है और मोनिका से नज़रें नही मिला पाता.

मोनिका- ये राधिका कौन है विजय. मोनिका ये

सवाल उससे पूछेगी विजय ने कभी सोचा भी नही था और वो एक दम से हड़बड़ा जाता है .

मोनिका भी उसकी ओर हैरत से देखती है लगता है

जैसे विजय उससे कुछ छुपा रहा है या क्या कोई राज़ है . अगर इसमें कोई राज़ है तो क्या है वो राज़................

मोनिका को शक भारी नज़रो से देख कर एक बार

तो विजय भी मन में घबरा जाता है .तभी जल्दी से आपने आप को संभालते हुए कहता है

विजय- कौन राधिका ???? मैं किसी राधिका को नही

जानता.

मोनिका- तुम मुझे बुद्धू समझते हो क्या . क्या

मतलब है नही जानते . अगर नही जानते तो फिर राधिका शब्द तुम्हारी ज़ुबान पर कैसे आया. मोनिका थोड़ी गुस्से से विजय को देखकर बोली.

विजय- कसम से जान मैं किसी राधिका को नही

जानता. अगर ऐसी कोई बात होती तो मैं तुमसे आख़िर

क्यों छुपाता. विजय ने भी अपनी बात को ज़ोर देते हुए

कहा.

मोनिका- तुम मुझसे कुछ छुपा रहे हो सच सच बता दो वरना अच्छा नही होगा.

विजय- नही मोनिका सच कह रहा हूँ मैं किसी

राधिका को नही जानता. वो तो बस मैं आज सुबह

राहुल के पास गया था तो मुझे राहुल के साथ

राधिका नाम की लड़की मिली थी बस तभी से ..........

मोनिका- अगर ये बात सच है तो फिर ठीक है . अगर

ये बात झूठी निकली तो समझ लेना मैं सीधा

राहुल के पास जाकर तुम्हारी पूरी करतूत उसको बक

दूँगी. उसके बाद तुम समझ लेना राहुल तुम्हारे

साथ क्या करेगा.

विजय- हे जान आर यू सीरीयस. जैसे तुम समझ

रही हो ऐसा कुछ भी नही है. इतना कहकर विजय झट से अपने रूम से बाहर निकल जाता है और मोनिका को हज़ारों सवाल सोचने पर मज़बूर कर देता है.

मोनिका - हो ना हो दाल में कुछ काला ज़रूर है.

मैं जानती हूँ विजय किस हद तक कमीना है. वो

कुछ भी कर सकता है उसका कोई भरोसा नही है

पर इसके पीछे वजह क्या हो सकती है . मोनिका

बहुत देर तक सोचती है पर उसे कुछ नही समझ आता है और वो भी रूम से बाहर अपने घर की ओर चली जाती है.

++++++++++++++........................+++++++++++++

दूसरे दिन

राधिका अपने घर से तैयार होकर बाहर निकलती

है कॉलेज के लिए तभी निशा का फोन आता है.

वो फोन रिसेव करती है

निशा- अरे मेडम कहाँ पर हो तुम मैं कब से

फोन लगा रही हूँ और तुम रिसेव क्यों नही

कर रही हो.

राधिका- यार तेरा कब कॉल आया था.

निशा- अरे 1/2 घंटा पहले ही तो ट्राइ कर रही थी.

तूने एक भी बार फोन रिसेव नही किया.

तभी उसको याद आता है कि वो उस वक़्त बाथरूम

में थी.

राधिका- ओह सॉरी जान मैं नहा रही थी. बता

कैसे फोन किया.

निशा- तू इस वक़्त कहाँ पर है. मुझे तुझसे एक

ज़रूरी बात करनी है.

राधिका- मैं अभी घर से ही निकली हूँ एक

काम कर मेरे चॉक पर आ जा.

निशा- ठीक है मैं थोड़ी देर में आती हूँ.

राधिका भी जल्दी से उसी जगह जाने के लिए मुड़ती है

तभी वो कुछ ऐसा देखती है की उसके बदते कदम वही पर रुक जाते हैं.

सामने एक अँधा भिकारी बड़े गौर से राधिका को देख रहा था. जब राधिका की नज़र उस पर पड़ती है तो वो अँधा भिकारी इधेर उधेर देखने लगता है. बस फिर क्या था राधिका उसके पास पहुँचती है .

भिकारी- अंधे को कुछ पैसे दे दे बेटी.

राधिका- बेटी!!!! राधिका मन में सोचती है इसको कैसे पता कि मैं लड़की हूँ अभी तो मैने इससे कुछ भी बात तक नही की. इसका मतलब साला आँधा बनने का नाटक कर रहा है. अभी मज़ा चखाती हूँ.

भिकारी- बेटी कुछ पैसे दे दे दो दिन से भूका

हूँ.

राधिका- बाबा तुम्हें कैसे पता चला कि मैं

लड़की हूँ और मैने तो तुमसे कोई बात भी नही की

है फिर कैसे................

भिकारी- इतना सुनते ही एक वो एकदम से घबरा जाता है और अपने आप को सम्हालते हुए कहता है वो बेटी बस मन की आँखों से देख लिया...

राधिका- ऐसा !!! तो आपका मन की आँखे तो

बहुत स्ट्रॉंग है. तो आप सब कुछ देख सकते हैं

तो फिर भीक क्यों माँगते हो.

बाबा- नही बेटा हर चीज़ मैं मन की आँखों

से नही देख सकता. बस एहसास कर लेता हूँ.

राधिका- कमीना कहीं का अभी देखती हूँ तेरी

मन की आँखें कितनी तेज़ है. राधिका मॅन में

सोचते हुए बोली.

राधिका थोड़े उसके करीब आती है और अपना

दुपट्टा अपने सीने से हटा देती है और अपने हाथ में रख लेती है. फिर उसके सामने अपनी कुरती का एक बटन धीरे से खोल देती है. और राधिका के बूब्स का क्लीवेज सॉफ दिखाई देने लगता है.

राधिका गौर से भिकारी के चेहरे के एक्सप्रेशन

को पढ़ने की कोशिश करती है. अक्टोबर का महीने

में कोई ख़ास ना सर्दी पड़ती ना ज़्यादा गर्मी फिर भी उस भिकारी के चेहरे पर पसीने की कुछ बूंदे दिखाई देती हैं. अब उसको पूरी बात क्लियर हो जाती है कि वो अँधा नही है. राधिका तो अभी पूरे कपड़ों में कितनो पर बिजली गिरा सकती है . और उपर से उसने अपने हल्के बूब्स के दर्शन करा दिए तो उस भिकारी पर क्या गुज़रे गी भला.

राधिका- बाबा आप कब से अंधे हैं.

भिकारी- एक दम से घबरा जाता है और तोतला कर

बेटा है वो..........मैं.. मैं.... बच.....पा...न से......

राधिका को इस तरह से उस भिकारी के पास बैठा

देख कर आस पास के लोग भी अब राधिका को गौर से देखने लगते हैं और कुछ आदमी तो वही पर

खड़े होकर दूर से तमाशा देखते हैं.

तभी राधिका आसमान की ओर देखकर ज़ोर से बोलती

है -- अरे ये क्या है आसमान में लगता है कोई

बाहरी ग्रह के एलीयेन्स हमारी धरती पर उतर रहे

हैं.

भिकारी तो कुछ पल के लिए ये भी भूल जाता है वो

अँधा है और वो भी आसमान की तरफ देखने लगता है. पर उसको तो कुछ दिखाई नही देता. हो गा तब तो कुछ दिखेगा ना.

वो ग़लती करने के बाद भिकारी के मूह से अचानक निकल पड़ता है- कहाँ है वो एलीयेन्स वाला जहाज़. बस फिर क्या आस पास के लोग भी समझ जाते हैं और जो पिटाई उस भिकारी की होती है बेचारा उल्टे पाँव भाग खड़ा होता है.

राधिका- छी..... ना जाने कैसे कैसे लोग है इस

धरती पर. और राधिका गुस्से से मूड कर अपने

रास्ते चल देती है.

निशा- अरे महारानी अब क्या हुआ क्यों तुम्हारा

मूड अपसेट है. और यहाँ पर इतनी भीड़ क्यों जमा है. कोई आक्सिडेंट तो नही हो गया ना किसी का ...

राधिका उसे पूरा बात बता देती है

निशा- हा..हा. हहा ..हहा .हः... ओह माइ गॉड ......हा

हा प्लीज़ राधिका मेरी तो हँसी नही रुक रही. हा

हाहाहा ....

राधिका- तुझे हँसी आ रही है और मेरा खून

खोल रहा है. साला मेरे हाथों से बच गया. अगर हाथ आया होता तो साले की सचमुच आँखें निकाल लेती.

निशा- यार तू हर वक़्त पंगा क्यों लेती रहती है .क्या तूने समाज सुधारने का ठेका ले रखा है

क्या .इतना कहकर निशा फिर से हँसने लगती है.

राधिका- चल ना यार सब लोग हमे ही देख रहे हैं.

निशा- अरे ऐसे ऐसे काम करेगी तो सब लोग

तुझे ही तो देखेंगे ना. इतना कहकर निशा राधिका

को लेकर चली जाती है.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--7

अब आगे........................................

राधिका- निशा हम जा कहाँ रहे हैं.

निशा- तुझसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी है. इस लिए चल किसी गार्डेन या ऐसी जगह चलते हैं जहाँ

भीड़ कम हो. और निशा राधिका को एक गार्डेन

में ले कर जाती है.

राधिका- अब बता ना निशा क्या बात है जिसकी वजह

से तू इतनी सुबह मेरे पास फोन की थी. क्या कोई

सीरीयस मॅटर है क्या.??

निशा- यार बात तो कुछ ऐसी ही है पर मुझे

समझ में नही आ रहा कि कहाँ से शुरू

करू.निशा थोड़ी परेशान होते हुए बोली.

राधिका- यार बता ना ऐसी कौन सी बात है जो तू इतनी परेशान हो रही है.

निशा- यार जो मैं बात तुझसे कहने वाली हूँ

प्लीज़ मेरे बात का बुरा मत मानना.

राधिका- बुरा क्यों मानूँगी अरे इस दुनिया में एक तू ही तो है जिसे में अपने दिल की सारी बात बताती

हूँ. अब बोल ना.

निशा- यार कल जब मैं 3 बजे के करीब मार्केट जा रही थी तब मैने कृष्णा भैया को देखा.

राधिका- हः हा हा !! तू भी ना अरे मेरे भैया को देख लिया तो हैरानी की क्या बात है.

निशा- दर-असल मैने कृष्णा भैया को एक लड़की के साथ देखा था. और तुम्हारे भैया नशे में फुल थे. और वो औरत उसे सहारा दिए कहीं पर ले जा रही थी.

इतना सुनते ही राधिका के चेहरे का रंग उड़ जाता है और वो भी किसी सोच में डूब जाती है.

निशा- राधिका मेरी बात का तुम्हें बुरा तो नही

लगा ना. पर आइ आम 100% शुवर वो कृष्णा भैया ही

थे.

अब राधिका उसे वो बात बताने का फ़ैसला कर

चुकी थी जिसको वो सब से छुपाती थी. अपनी ज़िंदगी

का काला पन्ना अब वो निशा को बताना चाहती थी और उसे यकीन था कि सारी बातें , एक एक अल्फ़ाज़ किसी बम के धमाके जितनी बड़ी होगी.

राधिका- निशा मेरी बात ध्यान से सुनो. ये काला

पन्ना मैने आज तक किसी के सामने कभी नही

खोला है. पर मैं तुमसे उमीद करूँगी कि तुम ये बात किसी को भी ना बताओ. फिर राधिका कहना सुरू करती हैं....................

मैं जब 12 साल की थी तभी मेरी मा की डेत हो गयी थी. ये बात तुम भी जानती हो मगर कैसे?? ये तुम्हें नही पता.जब मैं छोटी थी तब मेरा बाप शुरू से ही कोई काम धंधा नही करता था. उसको बस मुफ़्त की रोटी चाहिए था. उसका रोज़ का काम था सुबह घर से निकलता और दिन भर आवारा आदमियों के साथ ताश, सिग्रेट, पान, और शराब पीता रहता था. और शाम को नशे की हालत में घर आता तो मा को मारता पीटता था. मा भी एक लिमिट तक उसके ज़ुल्म सहती रही फिर

आख़िर उसे कहना ही पड़ा. शरम करो दिन रात

इधेर उधेर घूमते रहते हो कोई काम धंधा तो

करते नही और जो मैं सिलाई बिनाई करके कुछ पैसे

जमा करती हूँ वो भी तुम दारू और जुवे में

उड़ा देते हो. इतना सुनते ही मेरे बाप ने मेरी मा को बहुत पिटा.और अब तो उसका रोज़ का रुटीन बन गया था. दिन ऐसे ही बीतते गये कृष्णा भैया का भी स्कूल से नाम कट गया. क्यों कि उसकी फीस 6 मंत्स से जमा नही हुई थी. मा को सबसे ज़्यादा मेरी परेशानी थी. उसे मालूम था कि इस शराबी का क्या भरोसा कहीं शराब की खातिर अपनी बेटी को बाज़ार में ना बेच दे.और शायद कुछ ऐसा ही होता अगर मा गाओं जाकर वहाँ की पूरी प्रॉपर्टी करीब 25 लाख की ज़मीन को बेचकर मेरा नाम से कयि सारी पॉलिसी और कुछ मेरे लिए इन्षुरेन्स और फंड्स जमा करा दिया जो कि मैं बड़ी होकर मेरी पढ़ाई पूरी हो सके और मेरी शादी में भी कोई रुकावट ना आए. बस जब मैं 12 साल की हुई तो एक दिन मेरे बाप को

ये बात मालूम चल गयी . फिर क्या था वो उसे हर

दिन सताता और रोज़ दबाव डालता कि वो पैसे उसके

नाम कर दे. और मेरी मा को अब बर्दास्त के

बाहर हो गया और वो खुद कुसि कर ली. कृष्णा भी उस समय पूरा जवान था करीब 18 का . वो भी धीरे धीरे बाप के दिखाए रास्ते

पर चल पड़ा. वो भी शराब सिगरेट, पान सब

नशा करने लगा. मैने उसको कई बार समझाया

पर वो मेरी बात नही माना. हाँ इतना तो है कि मेरे बाप ने मेरी मा के साथ बहुत ग़लत किया. पर जब से मा मरी तब से आज तक मेरे बाप ने मुझसे उँची आवाज़ में मुझसे बात नही की. कभी मेरे सामने कोई नशा नही किया ना ही मेरा भाई. पता नही क्यों वो मेरे सामने ये सब

नही करते हैं. अगर मैं घर पर भी होती हूँ तब भी नही. भाई जैसे जैसे बड़ा होता गया उसके कई आवारा लड़कों से दोस्ती हो गयी. कोई ऐसा ग़लत काम नही है जो भैया से बचा ना हो. हा एक रंडी पन ही शायद बच गया था वो भी आज.......................... इतना बोलकर राधिका चुप हो गयी और उसके आँख से आँसू आ गये.
 
निशा तो जैसे ये सुनकर एक दम खामोश हो गयी

और राधिका को बड़े प्यार से देखने लगी. निशा- राधिका इतनी बड़ी बात तुमने मुझसे छुपा

कर रखी थी. बता ना क्यों किया तूने ऐसा. क्या मैं तेरी बस फ्रेंड हूँ इससे ज़्यादा और कुछ भी नही.

राधिका- कल जो तूने औरत देखी होगी वो कोई रंडी ही होगी. एक बात और बताऊ मुझे सच में खुद नही पता पर अक्सर डर लगता है कि मेरी इज़्ज़त अपने ही घर में बचेगी कि नही. राधिका ये अल्फ़ाज़ तो बोल गयी पर उसका असर निशा पर दिखा.

निशा क्या!!!!! ये तू क्या बक रही है. तुझे पता भी

है ना ......... तुझे क्या लगता है कि तेरा भाई ही तेरा

रेप करेगा.

राधिका- काश ये बात झूट हो निशा. पर मैं

जानती हूँ कि मेरे भाई की गंदी नियत मुझपर

बहुत पहले से है. वो तो किसी बहाने मेरे बदन

को छूने की ताक में रहता है. मैं बता नही सकती तुझे ................इतना बोलकर राधिका फिर से चुप हो जाती है.

निशा- बता ना राधिका तुझे ऐसा क्यों लगता है कि

तेरा ही भाई तेरी इज़्ज़त...............

राधिका- मैने उसकी कई बात देखी है. जब मैं घर पर होती हूँ और अक्सर नहाने के लिए बाथरूम जाती हूँ तब वो पीछे खिड़की से हमेशा झाँकता रहता है. मैने तो उसको अपनी पैंटी को हाथ में लेकर अपने पेनिस से रगड़ते हुए भी देखा है. वो तो हमेशा मेरे सामने ही अपनी पेनिस को हाथ में लेकर मसलता है. अब तू ही बता कि मैं कितनी सेफ हूँ.

निशा- यार ये बात तू अपने बाप से क्यों नही कहती.

राधिका- उससे क्या बोलूं वो तो दिन रात खुद नशे में रहता है और अगर मैं भैया के खिलाफ गयी तो वो मुझपर ही बरस पड़ता हैं. तू ही बता मैं क्या करू.

निशा इतना सुनकेर कुछ देर तक गहरी सोच में डूब जाती है पर उसे भी कुछ समझ नही आता.

निशा- यार तेरी प्राब्लम तो बहुत टिपिकल है. उपर

पहाड़ तो नीचे खाई. अगर तू बाहर के लोगों से

अपनी इज़्ज़त बचाती है तो तेरे घर वाले उसे

लूटने को तैयार बैठे हैं.

राधिका- इस लिए मुझे हमेशा लोगों पर गुस्सा

आता है. सब मर्द एक जैसे ही होते हैं. जहाँ बोटी

मिलती है वही टूट पड़ते हैं उसे नौचने के लिए.

मुझे तो ऐसा लगता है कि किसी दिन मेरा रेप हो

जाएगा अगर इसी तरह से सब कुछ चलता रहा तो.....

चाहे घर हो या बाहर. राधिका की आँखो में आँसू नही रुक रहे थे.

निशा राधिका के आँसू को पौछ्ती है और उसे

अपने गले लगा लेती है.

निशा- चिंता मत कर राधिका मेरे रहते तुझे कुछ नही होगा. मैं तेरा साथ मरते दम तक नही छोड़ूँगी.

निशा- यार एक बात बता राहुल के बारे में तेरा क्या ख्याल है. कहे तो कुछ तेरी प्राब्लम उससे शेर करूँ कोई ना कोई रास्ता ज़रूर निकल आएगा.

राधिका- नही निशा प्लीज़ उसे कुछ मत बताना

वो पता नही मेरे बारे में क्या सोचेगा.

निशा- ओ. हो तो जनाब राहुल के बारे में ऐसा भी

सोचती हैं क्या. इतना कहकर निशा राधिका को अपनी

बाहों में फिर से पकड़ लेती है और दोनो

मुस्कुरा देते हैं.........................................

टू बी कंटिन्यूड.............................................
 
वक़्त के हाथों मजबूर--8

दूसरे दिन सुबह करीब 10 बजे जब राधिका घर में अकेली थी और सनडे का दिन था. उसका भाई और बाप रोज की तरह अपने शराब पीने के लिए बाहर गये हुए थे की तभी उसके घर की डोर बेल बजी.

राधिका- इस वक़्त कौन आ गया और वो दरवाजा खोलने चली जाती है.

जैसे ही दरवाजा खोलती है सामने राहुल खड़ा था. जैसे ही राधिका की नज़र राहुल पर पड़ती है वो एक दम चोंक जाती है उसने कभी भी सपने में भी नही सोचा था कि राहुल उसके घर पर आएगा.

राधिका- अरे राहुल जी आप!!!!! कैसे !!!! कब!!!! आपको मेरे घर का अड्रेस कैसे मालूम चला!!!!! ऐसे ही ढेर सारे सवाल एक साथ राधिका ने एक ही साँस में पूछ डाले.

राहुल- ठहरो तो सही मेडम एक एक कर आपके सारे सवालो का जवाब देता हूँ. मुझे अंदर आने को नही कहोगी क्या.

राधिका- एक दम से हाँ.. जी अंदर आइये.

राहुल जैसे ही अंदर आता है वो घर की दशा को देखकर उसने कभी ऐसा सोचा भी नही था कि राधिका ऐसे घर में रहती होगी. मकान बहुत पुराना था. जगह जगह प्लास्टर फूटा हुआ था. और कही कही पर तो पैंट भी नही था. उपेर छत आरसीसी का था. कुल मिलाकर दोनो कमरे बड़े थे लगता था जैसे दो हॉल है. एक किचन और उससे अटॅच बाथरूम.

राहुल को ऐसे देखकर राधिका को अपने अंदर गिल्टी फील होने लगती है.और झट से कहती है आप यहा सोफा पर बैठिए मैं अबी आती हूँ.

राहुल कुछ देर तक घर का पूरा मुआईना करता है. घर में ज़्यादा समान भी नही था. ज़रूरत भर का समान जैसे टी.वी, एक पुराना रेडियो , और दो पलंग थे. एक सोफा सेट और पहनने के लिए कपड़े . बस इससे ज़्यादा कुछ नही.

राधिका- अंदर से आती है और राहुल को ऐसे देखकर पूछती है

राधिका- क्या देख रहे हो राहुल. मैं किसी करोड़पति की बेटी नही हूँ. बस यही मेरी दुनिया है. जीवन में जो चाहिए रोटी, कपड़ा और मकान तीनो चीज़ें हैं मेरे पास. हां बस आलीशान नही है.

राहुल- कोई बात नही राधिका जी लेकिन आपको देखने से तो ऐसा नही लगता पर खैर कोई बात नही.

राधिका- आप बैठिए मैं आपके लिए चाइ नाश्ता लेकर आती हूँ.

राहुल- आरे आप क्यों तकलीफ़ कर रही हैं. रहने दीजिए इसकी कोई ज़रूरत नही.

राधिका- देखिए राहुल जी आप आज पहली बार आए हैं मेरे घर तो मेरा फ़र्ज़ बनता है. इतना कहकर राधिका किचन में चली जाती है और कुछ देर में स्नॅक्स ,चाइ वगेरह एक ट्रे में लेकर आती है.

राधिका- कहिए कैसे आना हुआ आपको मेरा घर का अड्रेस कैसे पता चला.

राहुल- उस दिन हम कॅंटीन में नाश्ता कर रहे थे तो आपका ये आइ-कार्ड वही फर्श पर गिरा हुआ मुझे मिला.बस इसमें तुम्हारा नाम, पता सब कुछ इस आइ कार्ड से ही मिल गया.और मैं यहाँ ...........

राधिका- ओह ये तो मुझे बिल्कुल ध्यान ही नही रहा .धन्यवाद राहुल जी नही तो ये गुम हो जाता तो मुझे प्राब्लम हो जाती.

राहुल- वैसे आप इस वक़्त घर पर अकेली हैं क्या. राहुल से ऐसे सवाल सुनकर राधिका घूर के राहुल को देखने लगती हैं.

राधिका- हाँ हूँ तो. क्यों कुछ ऐसा वैसा करने का इरादा है क्या. कही तुम मेरा रेप तो नही करना चाहते हो ना.

राहुल- हँसते हुए, आरे आप भी कमाल करती हो मैं और रेप,, मुझमें इतनी हिम्मत नही है कि मैं किसी लड़की का रेप कर सकूँ.

राधिका- क्यों इसमें हिम्मत की क्या बात है. सब जैसे करते है वैसे तुम भी... इतना बोलकर राधिका चुप हो जाती है.

राहुल- राधिका सब इंसान एक जैसे नही होते. यकीन मानो मैं ऐसा कुछ नही सोच रहा हूँ. वैसे तुम्हारा भाई और पिताजी कहाँ है इस वक़्त.??

राधिका- गये होंगे उस बिहारी के पास उसकी गुलामी करने. और तो कोई काम नही है ना सारा दिन उसके आगे पीछे घूमते रहते हैं और मुफ़्त में वो रोज़ उनको शराब देता है पीने के लिए.

राहुल- अगर तुम बुरा ना मानो तो मैं उनसे इस बारे में बात करू. हो सकता है वो सुधर जाए.

राधिका- आपने कभी कुत्ते का दुम को सीधा होते देखा है क्या !! नही ना ऐसे ही है वो दोनो. हमेशा टेढ़े ही रहेंगे.

राहुल- यार तुम कोई भी बात डाइरेक्ट्ली क्यों बोल देती हो. वही बात थोड़े प्यार से भी तो कह सकती थी. फिर राधिका उसको ऐसे नज़रो से देखती है कि वो उसे कच्चा चबा जाएगी.

राधिका- मैं ऐसी ही हूँ. और कोई काम है क्या आपको.

राहुल- नही !! आज थोड़ा फ्री हूँ. मेरे आने से तुम्हें कोई प्राब्लम है क्या.

राधिका- नही राहुल मेरा ये मतलब नही था.

राहुल- एक बात कहूँ. जब से मैने तुमको देखा है पता नही क्यों मैं दिन रात बेचैन सा रहता हूँ. हर पल तुम्हारा ही ख़याल आता रहता है. मेरे साथ पता नही ऐसा पहली बार हो रहा है क्या तुम्हें भी.......................

राधिका- मुझे कोई बेचैनी और किसी का ख्याल नही आता. जा कर डॉक्टर से अपना इलाज़ करवाईए. अगर नही तो बोल दो मैं इलाज़ कर देती हूँ.
 
राहुल- अरे नही राधिका जी आप मेरी बीमारी में ना ही पड़े तो अच्छा है. पता नही जो उन लोगों के साथ हुआ कही मेरे साथ भी हो गया तो .इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है. और राधिका भी मुस्कुरा देती है. ऐसे ही कुछ देर तक इधेर उधेर की बातें करने के बाद राहुल का मोबाइल पर कॉल आता है.

राहुल- फोन विजय का था. बोल विजय क्या हाल चाल है.

विजय- यार मैं ठीक हूँ कहाँ है तू इस वक़्त मुझे तूने फोन करने को बोला था पर किया नही. बहुत बिज़ी रहता है आज कल तू .

राहुल- नही यार मैं इस वक़्त राधिका के यहाँ आया हूँ और अभी थोड़े देर के बाद तुझे फोन करता हूँ. इतना कहकर राहुल फोन काट देता है.

राधिका- एक बात कहु राहुल मुझे ये विजय ज़रा भी अच्छा नही लगता. तुम इसका संगत क्यों नही छोड़ देते. मुझे इसकी नियत ज़रा भी अच्छी नही लगती.

राहुल- नही विजय मेरा बचपन का दोस्त है वो कैसा भी हो मगर दिल का सॉफ है.

राधिका भी इस बारे में राहुल से ज़्यादा बहस नही करती है और राहुल भी अब जाने को कहता है. थोड़ी देर के बाद दोनो मैन डोर तक आ जाते हैं.

वैसे आज राहुल ग्रीन कलर का टी-शर्ट और जीन्स में था. थोड़ी देर वही बाहर खड़े रहने के बाद राहुल राधिका को बाइ बोलकर निकलता है तभी एक गोली उसके बाजू को छूती हुई निकल जाती है और वो लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ता है.

वो झट से उठता है और सामने दो नकाब पॉश अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकल जाते हैं. राहुल कुछ दूर तक उनके पीछे जाता है मगर वो निकल चुके थे. ये सब नज़ारा देखकर राधिका एक दम घबरा जाती है और झट से राहुल के पास दौड़ती हुई चली जाती है और उसके खून को अपना दुपट्टे से जल्दी से बंद कर अपने दोनो हाथों से कसकर दबाती है.

राहुल भी अब राधिका के साथ घर में अंदर आता है और सोफे पर बैठ जाता है. राधिका उसके बगल में एक दम सटे हुए अपने हाथ उसके बाजू पर रखी रहती है.

राहुल- ये आपने क्या किया आपका तो पूरा दुपट्टा मेरे खून से खराब हो गया.

राधिका- अजीब आदमी हो जान चली जाती उसका कोई गम नही था और इस दुपट्टे क्या गंदा हो गया इसकी बहुत फिकर है.

राहुल- तुम्हें तो मेरी बहुत फिकर हो रही है .मैं जियुं या मरूं मेरी चिंता करने वाला इस दुनिए में हैं कौन.

राधिका- क्यों मैं नही करती क्या तुम्हारी चिंता...................................... राधिका के मूह से पता नही ये शब्द कैसे निकल गया . वही बात हुई कमान से निकला तीर एक बार छूट जाता है तो वापस नही आता. अब राधिका भी समझ चुकी थी कि राहुल को सब पता चल गया है कि वो उसके बारे में क्या सोचती हैं.

राधिका- ये तुम पर हमले करने वाले कौन लोग थे.

राहुल- अगर बुरा ना मानो तो हम एक अच्छे फ्रेंड बन सकते हैं. आइ वॉंट यू टू फ्रेंडशिप वित यू. विल यू आक्सेप्ट???

राधिका इशारे में हां कहकर अपनी गर्देन झुका लेती है.

राहुल- मुझे बहुत ख़ुसी है तुम जैसा एक अच्छा दोस्त को पाकर. अब मैं इस दुनिया में तन्हा नही हूँ. इतना कहकर राहुल मुस्कुरा देता है और राधिका भी .

राहुल- पता नही कौन मेरे पीछे पड़ा हुआ है. ये अब तक मेरे पीछे तीसरा हमला है. पिछले 6 मंत्स में ये तीन बार मुझपर जान लेवा हमले हो चुके हैं. अब तक हमलावरों का कोई सुराग नही और ना ही कोई वजह पता लगी है.

राधिका- तुम यही बैठो मैं दवाई लगा देती हूँ. और कुछ देर बाद राधिका राहुल को दवाई और पट्टी बाँध देती है जिससे राहुल को काफ़ी आराम हो जाता है. फिर राहुल की नज़रें राधिका पर पड़ती है और दोनो एक तक एक दूसरे की आँखों में खो जाते हैं......................

राधिका और राहुल काफ़ी देर तक एक दूसरे की आँखों में देखते रहते हैं. तभी राधिका तुरंत अपनी नज़रें नीची झुका लेती है और शर्म से उसका चेहरा लाल हो जाता है. राहुल भी इधेर उधेर देखने लगता है.

राधिका- आप यही बैठिए मैं आपके लिए खाना बनाती हूँ.

राहुल- अरे राधिका इसकी कोई ज़रूरत नही मैं अब चलता हूँ.

राधिका- ऐसे कैसे आप यू ही चले जाएँगे पहली बार मेरे घर आए हैं तो आज तो मेरे हाथों का खाना खा कर ही जाना होगा. राधिका की बात को शायद राहुल मना नही कर पाता और वो वही पर रुक जाता है.

करीब एक घंटे के बाद राधिका खाना ले कर राहुल के पास आती है. राहुल भी झट से हाथ मूह धो कर खाना खाने बैठ जाता है. दोनो एक साथ खाना खाते हैं.

राहुल- अरे वाह कितना बढ़िया खाना बना है. ये तो मेरा पासिंदिदा खाना है. कितने दिनो के बाद आज घर का खाना खाने को मिला है. खाने में पुलाव और पनीर बना था और भी कई आइटम्स थे.

खाना खाने के बाद राधिका बाहर मेन डोर तक आती है और राहुल ने जाते वक़्त राधिका की आँखों में एक अजीब सी कशिश देखी थी जो राहुल को बार बार उसकी ओर उसका ध्यान खींच रही थी.और रास्ते भर उसको राधिका का ही ख्याल आता रहा और वो मन ही मन मुस्कुरा देता है.
 
दूसरे दिन उधेर विजय भी बार बार राधिका के लिए बेचैन था. और हर रोज़ शाम को सोने के पहले और सुबह उठने के बाद राधिका की नाम की मूठ मारता रहता था.

विजय- ये तूने क्या कर दिया है राधिका क्यों मेरा लंड तेरे लिए इतना बेचैन हैं. जब तक तेरे नाम का मैं मूठ नही मार लेता मेरे लंड को चैन ही नही मिलता. अब चाहे कुछ भी हो जाए मैं तुझे किसी भी तरह हासिल करूँगा चाहे उसके लिए मुझे कोई भी कीमत,चाहे मुझे किसी की भी बलि क्यों ना देनी पड़े. तुझे मुझसे कोई नही छीन सकता राहुल भी नही इतना सोचकर विजय के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है.

विजय फिर मोनिका के पास फोन करता है

विजय- कैसी है मेरी रांड़!!!

मोनिका- ठीक हूँ बोलो कैसे याद किया मुझे.

विजय- तू तो जानती है ना कि जब मेरा लंड खड़ा होता है तो तेरी याद आती है. चल मेरे घर पर आ जा मैं बहुत बेचैन हूँ.

मोनिका- नही मुझे तुम्हारे साथ सेक्स नही करना. तुम आज कल बहुत वाइल्ड होते जा रहे हो. मुझे तो डर लगता है अब तुमसे.

विजय- आरे आ जा ना मेरी जान क्यों नखरे करती है . चल वादा करता हूँ कि अब तुझे मैं अपने चंगुल से आज़ाद कर दूँगा. अब तो तू खुस है ना चल जल्दी से आ जा .

मोनिका- ठीक है ठीक है अभी आती हूँ और मोनिका फोन रख देती है.

थोड़ी देर के बाद मोनिका राहुल के घर पर पहुँच जाती है.

विजय- आ गयी मेरी रांड़ देख ना मेरा लंड तेरी याद में खड़ा ही रहता है. चल अपने पूरे कपड़े उतार कर एक दम नंगी हो जा.

मोनिका- विजय आज भी तुमने ड्रग्स लिया है ना. मैं इसी वक़्त यहाँ से जा रही हूँ.

विजय- अरे मेरी जान तेरे नशे के आगे तो ये ड्रग्स भी क्या चीज़ है. लत लग गयी है मुझे क्या करू छूट ती ही नही .

मोनिका- मुझे तुमसे बहुत डर लगता है. पता नही कब क्या करदोगे मेरे साथ.

विजय- अरे गैरों से डरना चाहिए अपनो से नही. चल अब फटाफट नंगी हो जा.

मोनिका अपनी साड़ी पेटिकोट, ब्लाउस, ब्रा और पैंटी सब कुछ उतार कर एक दम नंगी होकर वही विजय के सामने खड़ी हो जाती है.

विजय- अब वही खड़ी भी रहेगी क्या,, देख ना मेरे जूते कितने गंदे हो गये हैं. चल आ कर सॉफ कर दे ना. विजय अपने जूते को मोनिका की ओर दिखाता हुआ बोला.

मोनिका जब उसके बात का मतलब समझती है तो उसके होश उड़ जाते हैं. मगर वो चुप चाप आकर विजय के बाजू में बैठ जाती है.

विजय- यहाँ नही जानेमन नीचे मेरे जूते के पास बैठ ना. मोनिका भी धीरे से उसके जूते के पास बैठ जाती है.

विजय- अब देख क्या रही है चल मेरे जूते सॉफ कर ना. तुझे तो हर बात बतानी पड़ती है क्या. देख एक बात बोल देता हूँ जितना मैं बोलता हूँ उतना ही कर उसी में तेरी भलाई है. वरना अंजाम बहुत बुरा होगा.

विजय की बात सुनकर मोनिका का डर और बढ़ जाता है और वो चुप चाप अपना सिर नीचे झुका लेती है.

विजय- चल ना अब सॉफ भी कर ना अपने इन प्यारे होंठो से.

मोनिका भी धीरे से झुक कर उसके जूते को अपने जीभ से साफ करना सुरू कर देती है. और तब तक करती है जब तक विजय उसको मना नही कर देता.

मोनिका को इतनी शर्मिंदगी लगती है उसका दिल करता है कि अभी यहा से फ़ौरन निकल का भाग जाए.

विजय- चल अच्छे से चाट और एक भी धूल का कण नही रहना चाहिए. कुछ देर तक मोनिका उसके जूते अपने मूह से सॉफ करती है और फिर विजय अपना दूसरा जूता आगे बढ़ा देता है. और वो फिर उसे भी सॉफ करने लगती है.

विजय- साबाश मेरी रांड़ तूने तो मेरे जूते चमका दिए. अब से मैं तुझसे ही अपने जूते सॉफ कराउन्गा. मोनिका उसको घूर कर देखती है मगर कुछ नही बोलती.

विजय- चल अब मेरा लंड चूस और हाँ पूरा अंदर लेना नही तो आज तेरी गान्ड फाड़ दूँगा.

मोनिका झट से उसके पॅंट को खोल देती है और फिर अंडरवेर, और उसका मूसल उसकी नज़रों के सामने आ जाता है.

मोनिका भी चुप चाप उसे मूह में लेकर चूसने लगती है. थोड़े देर की चुसाइ के बाद विजय का लंड एकदम अकड़ जाता है.

विजय- चल तू पूरा मूह खोल मैं अब तेरे मूह में अपना पूरा लंड डालूँगा. इतना कहकर विजय खड़ा हो जाता है और मोनिका को सोफे पर पीठ के बेल लेटा देता है और वो सामने से आकर अपना लंड मोनिका के मूह में डाल देता है. अब मोनिका भी धीरे धीरे विजय का लंड पूरा अपने मूह में लेने लगती है.
 
कुछ देर में विजय का पूरा लंड मोनिका के हलक तक पहुच जाता है और वो तड़पने लगती है. विजय अपने लंड पर दबाव बनाए रखता है और मोनिका की आँखो से आँसू निकलने लगते हैं. मोनिका के मूह से लगातार गूऊ...... गूऊ की आवाज़ें बाहर आती है और उसकी साँसें तेज़ हो जाती है. विजय उसी तरह पूरा अपने लंड पर प्रेशर बनाए रखता है. जैसे ही वो अपना लंड बाहर निकालता है मोनिका ज़ोर ज़ोर से साँसें लेती है.

मोनिका- तुम तो मुझे मार ही डालोगे. भला कोई ऐसे भी पूरा मूह में डालता है क्या.??

विजय- जानता हूँ तू मेरी पक्की छिनाल है. अरे इससे भी बड़ा मेरा लंड होता तो तू वो भी पूरा निगल जाती. अब नखरे मत कर और मेरा माल जल्दी से निकाल दे.

मोनिका फिर तेज़ी से विजय का लंड अपने मूह में पूरा लेती है और धीरे धीरे अपने हलक में उतारने लगती है. विजय का कुछ देर में शरीर अकड़ने लगता है और वो उसका कम कुछ मोनिका के हलक में और कुछ बाहर उसके मूह के साइड से होता हुआ फर्श पर गिर जाता है और कुछ बूँदें सोफा पर.

विजय- वाह मेरी रांड़ तूने तो मेरा लंड का माल निकाल दिया. चल अब जल्दी से नीचे गिरे मेरे अमृत को अपने जीभ से चाट कर सॉफ कर.

मोनिका भी झुक कर पहले सोफे पर गिरे उसका कम को चाट कर सॉफ करती है फिर नीचे फर्श पर झुक कर विजय का कम अपनी जीभ से चाट का सॉफ करती है पर कुछ बूँदें वही रह जाती है.

विजय- मोनिका तूने तो ज़मीन पर गिरे मेरे कम को अच्छे से सॉफ नही किया हरामी साली आज तुझे तेरी औकात बताता हूँ. इतना कहकर विजय उसके बाल ज़ोर से अपनी मुट्ठी में भीच लेता है और मोनिका दर्द से कराह उठी है.

विजय उसके मूह के एकदम पास जाता है और फिर से उसके बालों को ज़ोर से झटक देता है. जैसे ही मोनिका फिर चिल्लाति है विजय ढेर सारा थूक उसके मूह में थूक देता है. और मज़बूरन मोनिका को अपने हलक के नीचे उतारना पड़ता है.

विजय- जानती है जूते को हमेशा पैरों में ही पहनना चाहिए.उसकी शोभा पैरों में हैं सिर पर नही .उसी तरह औरत को हमेशा अपनी पाँव की जूती में ही बैठानी चाहिए. ये है तेरी औकात. और इतना कहकर विजय एक बार मोनिका के चेहरे पर थूक देता है.

मोनिका- रोते हुए आख़िर मेरा कसूर क्या है तुम मुझसे चाहते क्या हो. जैसा तुम कहते हो मैं तो वैसे ही करती हूँ ना फिर???

विजय- तेरी औकात एक नाचने वाली कोई बाज़ारु रंडी के जैसी है. लास्ट बार तुझे मैं वॉर्निंग देता हूँ अगर मेरे कहे पर नही चलेगी तो इस बार तुझे काजीरी के पास ज़रूर भेज दूँगा. जानती हैं ना फिर तेरा क्या हाल होगा. वैसे भी काजीरी को सिर्फ़ पैसों से प्यार है. अगर एक साथ 15, 20 कस्टमर आ जाए और तुझे पसंद कर लिया तो जानती है ना तेरे साथ क्या होगा. सारे के सारे तेरी चूत और गान्ड को ऐसे फाड़ेंगे की साली जिंदगी भर चलना फिरना तो दूर रंडी का भी धंधा ठीक से नही कर पाएगी.

मोनिका- देखो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ इस वक़्त तुम ड्रग्स के नशे में हो प्लीज़ मैं वही तो कर रही हूँ जो तुम कह रहे हो. बस एक दो बूँद ही तो छूट गया था उसके लिए इतनी नाराज़गी.

विजय- ठीक है अगर अगली बार मैं तुझसे खुस नही हुआ तो तू समझ लेना...............इतना बोलकर विजय चुप हो जाता है.
 
वक़्त के हाथों मजबूर--9

मोनिका भी कुछ नही बोलती है और बस विजय के हुकुम का इंतेज़ार करती है.

विजय- चल सबसे पहले ये अपने आँसू सॉफ कर. अगर मुझे खुस रखेगी तो तू भी खुस रहेगी समझी.

मोनिका भी चुप चाप हां में गर्देन हिला देती है.

विजय- चल अब तू पेट के बल सो जा आज मैं तेरी सिर्फ़ गांद मारूँगा. इतना कहकर विजय अपना शर्ट और बनियान निकाल देता है.

मोनिका भी पेट के बल लेट जाती है और विजय के लंड को अपनी गान्ड में लेने का इंतेज़ार करती हैं.

थोड़ी देर के बाद विजय का लंबा लंड मोनिका के गान्ड के द्वार पर रखता है और मोनिका के दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है. वो धीरे धीरे अपने लंड पर प्रेशर बढ़ाना शुरू कर देता है और मोनिका के मूह से चीख धीरे धीरे तेज़ होनी शुरू हो जाती है.

मोनिका- प्लीज़ ज़रा धीरे करना बहुत दर्द होता है. तुम एक ही बार में अपना पूरा लंड डाल देते हो. थोड़ा धीरे धीरे करना.

विजय- क्या करू मेरी जान तेरी गान्ड ही ऐसी है और तू तो जानती है कि मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी औरत की गान्ड ही है. कोई बात नही तू मेरे लिया इतनी तो तकलीफ़ सह ही सकती है. इतना कहकर विजय एक ही झटके में अपना लंड मोनिका की गंद में घुसाने की कोशिश करता है मगर लंड करीब 4 इंच तक मुश्किल से जा पाता है और मोनिका की ज़ोर से चीख निकल जाती है.

मोनिका- प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है ज़रा धीरे डालो ना मैं मर जाउन्गि.

विजय- रिलॅक्स बेबी लगता है तेरी गंद अभी पूरी खुली नही है चिंता मत कर मेरी शरण में तू आई है ना तो तेरी गंद का इतना बड़ा होल करूँगा कि चूत भी उसके आगे फीकी लगेगी.

फिर विजय एक झटके से अपना लंड बाहर निकाल लेता है और फिर कुछ सेकेंड में दुबारा उसी रफ़्तार से मोनिका की गंद में डाल देता है. अब की बार लंड करीब 8 इंच तक चला जाता है. और मोनिका बहुत ज़ोर से चिल्ला पड़ती है.

विजय- क्या हुआ मेरी बुलबुल आज तेरी गंद इतनी टाइट क्यो लग रही है. अरे मैने तो बस अपनी लाइफ में सिर्फ़ 2 बार ही तेरी मारी है. और इतना बोलकर विजय हंसता है.

मोनिका- तुम्हें हँसी आ रही है और मेरी जान जा रही है प्लीज़ विजय निकाल लो ना बहुत दर्द हो रहा है.

विजय- चिंता मत कर थोड़ी देर में तुझे भी मज़ा आएगा इतना कहकर फिर विजय पूरा लंड निकाल कर एक बार फिर पूरी गति से अंदर डाल देता है और मोनिका की हालत खराब होने लगती है. कुछ देर तक वो कुछ नही करता फिर आगे पीछे अपना लंड मोनिका की गंद में करता है.

मोनिका भी सिसकारी लेती है उसे तकलीफ़ और मज़ा दोनो का एहसास एक साथ होता है. कुछ देर में विजय अपने लंड की रफ़्तार को तेज़ कर देता है और मोनिका की आहें तेज़ हो जाती है.

विजय- कसम से क्या गंद है तेरी जी करता है ज़िंदगी भर अपना लंड इसी में डाले रखूं.

करीब 20 मिनिट तक विजय मोनिका की गंद को चोद्ता है और फिर उसका शरीर अकड़ने लगता है और उसका वीर्य मोनिका की गंद में ही झाड़ जाता है. और शांत हो कर मोनिका के उपर ही पसर जाता है.

करीब 5 मिनट तक दोनो की साँसें बहुत तेज़ चलती है और दोनो एक दूसरे को देखते है.

मोनिका- अब मन भर गया ना तुम्हारा अब मैं चलती हूँ. और हां मुझे अब तुम आज़ाद कर दो अब मुझे ये सब अच्छा नही लगता.

विजय- वाहह .... मेरी सती सावित्री क्या बात है आज प्यास भुज गयी तो आज़ादी की दुआ माँग रही है. याद कर मैं तेरे पास नही गया था बल्कि तू खुद चुदवाने मेरे पास आई थी , तू ये बात कैसे भूल सकती है ...आज मैं तेरे जिस्म की आग को ठंडा करता हूँ तो तू अब कह रही है मुझे आज़ाद कर दो. तू इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है....

विजय की बात का मोनिका के पास कोई जवाब नही था. इसलिए वो कुछ नही बोलती और अपनी गर्देन नीचे झुका लेती है.

विजय- तुझे मेरे साथ एक डील करनी होगी. अगर तू मेरा डील मानेगी तो मैं वादा करता हू कि मैं तुझे हमेशा के लिए आज़ाद कर दूँगा.

मोनिका- क.....कैसी डील??????

विजय- घबरा मत तुझे मेरा एक छोटा सा काम करना होगा . अगर तू मेरा वो काम करेगी तो समझ ले तू आज़ाद हो गयी नही तो काजीरी है ना दूसरा ऑप्षन तेरे लिए.

मोनिका- मुझे करना क्या होगा.

विजय- तू सवाल बहुत पूछती है . वक़्त आने दे तुझे सब बता दूँगा.इतना कहकर विजय घर से बाहर निकल जाता है.

मोनिका- हे भगवान !!! ये मेरी कैसी ज़िंदगी बन गयी है .कितनी खुस थी मैं जब मेरी शादी तय हुई थी. मेरा भी हंसता खेलता परिवार था. सब की में लाडली थी.

मोनिका के साथ ऐसा क्या हुआ था वो अपने आतीत में खो जाती है.............................................,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

घर पर सब खुस थे. मेरा बी.ए फाइनल एअर था. मेरा भी सपना था कि मैं पढ़ लिख कर खुद अपनी ज़िम्मेदारी निभाऊ, अपने परिवार और अपने होने वाले पति को सारी ख़ुसीया दूँ. मगर ख़ुसीयों को ग्रहण लगते देर नही लगती. मेरी जिंदगी का सूरज भी ऐसा डूबा कि आज भी मेरे जीवन में अंधकार के सिवा कुछ नही है.

आज मेरे घर पर मम्मी पापा, और मेरा एक छोटा भाई के साथ मैं बहुत खुस थी. आज मैने अपनी ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर ली. और मेरे को देखने लड़के वाले आ रहे थे. कुछ देर में वो लोग आए और मुझे देखकर पसंद भी कर लिया. मैं भी बहुत खूबसूरत थी. गोरा बदन उम्र करीब 25 .

कुछ दिन में मेरी शादी हो गयी और मैं अपने ससुराल चली गयी. घर से बहुत दूर. मैं वहाँ बहुत खुश थी. गोपाल मेरे पति करीब 28 साल के थे. वो ट्रक ड्राइवर थे.मेरे सास ससुर गाओं में रहते थे. हम सहर में आ कर रहने लगे क्यों कि गाओं का महॉल कुछ ठीक नही था. इस लिए गोपाल भी यही चाहता था कि मैं भी सहर में ही रहू. हमारी शादी हुए अभी 2 साल ही हुए थे कि एक दिन रोड आक्सिडेंट में उनकी मौत हो गयी. मेरे सर पर मानो पहाड़ टूट पड़ा. मैने भी सोचा कि अब सहर में क्या रखा है सोचा अपने सास ससुर के पास जाकर उनकी सेवा करू.
 
लेकिन गाओं की कुछ औरतों ने मुझे ये कहकर मेरे सास ससुर की नजरो में गिरा दिया कि तुम्हारी बहू के कदम ठीक नही हैं. आते ही घर की औलाद को खा गयी. मैने उन्हे बहुत समझाने की कोशिश की पर वे लोग नही माने. फिर हारकर मैने अपने मा बाप के पास जाने का फ़ैसला किया तो उन्होने भी अपने हाथ खीच लिए. ये कह दिया कि जो भी है तेरा ससुराल है अब ये तेरा घर नही है. उस वक़्त तो मुझे आत्महत्या करने के सिवा कुछ नही सूझा. और मैं वो कर भी देती.

मगर मेरी नसीब में और रोना लिखा था. मेरी विजय से मुलाकात हो गई. मैने भावुक होकर उसे वो सारी बात बताई जो मेरे साथ बीती थी. तो उसने मुझे झट से शादी करने के लिए हां कर दी. मैं बहुत खुस हुई. मगर मुझे क्या पता था कि वो इंसान की खाल में छुपा हुआ भेड़िया है. उसकी नियत शुरू से ही मेरे जिस्म पर थी. इसी बहाने मुझे अपनी क्लिनिक में काम दिलवाकर एक दिन उसने धोके से मुझे ड्रग्स के नशे में सिड्यूस किया.

मैं इस लिए उसे कुछ नही बोल पाई क्यों कि अब मेरा इस दुनिया में कोई नही था जो मेरा अपना हो. कहते हैं ना इंसान की असली परख बुरे दिन में ही होती है. जब मेरा बुरा समय आया तब सब ने अपने हाथ खीच लिए. तब मैने भी ये सोच लिया की मर जाउन्गि मगर उनके दरवाज़े पर पाँव नही रखूँगी.

विजय इसी तरह से मुझे अपनी क्लिनिक में रोज़ ले जाता और वही मेरे साथ चुदाई का खेल खेलता. कैसे मना करती मैं. वो ही तो था जो मुझे पैसे और किसी चीज़ की कमी नही होने देता था. तो मैने भी सब कुछ भूल कर अपने आप को उसके हाथों में सौप दिया...........

मोनिका की आँख से आँसू लगातार बह रहे थे. वो चाह कर भी अपने अतीत को नही भूल पा रही थी. और उसको विजय का कहा भी बार बार उसके दिमाग़ में बंब की तरह फट रहा था. डील..........आख़िर विजय मुझसे कैसे डील चाहता है. क्या है उसका मकसद.

मोनिका ये बात अच्छे से जानती थी कि विजय एक नंबर का अयाश आदमी है. वो किसी भी हद्द तक गिर सकता है. आख़िर वो किस डील की बात कर रहा है. मोनिका अपने दिमाग़ पर ज़ोर देते हुए लगातार अपने सवालों का जवाब बार बार अपने आप से पूछ रही थी. आख़िर देर तक सोचने के बाद उसका ध्यान एक बार राधिका की ओर चला जाता है.

कहीं राधिका का इस डील से कोई कनेक्षन तो नही है. हे भगवान ये विजय क्या चाहता है. कहीं अब वो मेरे बदले राधिका के साथ तो नही..... नही ये नही हो सकता. हो ना हो मुझे जल्दी से जल्दी पता करना होगा कि ये राधिका कौन है और इस विजय से इसका क्या रीलेशन है.

मोनिका के सामने हज़ारों सवाल खड़े होते जा रहे थे मगर उसके पास एक सवाल का भी जवाब नही था. लेकिन काफ़ी हद्द तक वो विजय का मकसद भाप गयी थी. और फिर अपने कपड़े पहन कर वो विजय के घर से निकल जाती है.

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जहाँ वक़्त बीत रहा था. एक तरफ तो राहुल और राधिका एक दूसरे के करीब और करीब आते जा रहे थे. हर रोज़ राधिका उसको फोन करके गुड मॉर्निंग विश करके उठाती तो वही राहुल भी कोई ना कोई बहाने से राधिका के करीब रहता. राधिका को तो मानो उसे जन्नत मिल गयी थी. जिस प्यार के लिए वो बचपन से तरषी थी वो आज उसे मिल गया था. वो भी जानती थी कि राहुल भी उसे अपनी जान से ज़्यादा प्यार करता है. एक तरफ राहुल और राधिका का प्यार किसी दीवानगी , जुनून की तरह बढ़ता जा रहा था वही दूसरी तरफ निशा भी अपने दिल में राहुल को चाहने लगी थी . वो भी मन ही मन राहुल से बे- इंतेहः प्यार करने लगी थी.

राहुल को निशा के दिल का हाल नही मालूम था वो तो बस राधिका के ख्यालों में खोया रहता था. वही राधिका को निशा के दिल की बात का कुछ अंदाज़ा हो गया था मगर उसे ये नही पता था कि निशा भी राहुल से ही प्यार करती है. वो तो बस ये ही समझ रही थी कि निशा को कोई और मिल गया है.

हो ना हो राहुल , राधिका और निशा की ज़िंदगी में आने वाले एक बहुत बड़े तूफान का इशारा था. क्यों कि राधिका इस हद्द तक राहुल को प्यार करती कि वो राहुल को किसी भी हाल में खोना नही चाहती थी. वही दूसरी तरफ अपनी जान से बढ़कर उसकी सहेली निशा वो उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर सकती थी. ये बात निशा भी जानती थी कि राहुल और राधिका एक दूसरे को पसंद करते हैं मगर वो इस हद्द तक एक दूसरे को चाहने लगे हैं उसे ज़रा भी अंदाज़ा नही था. वरना वो भी इन दोनों के बीच में कभी नही आती. मगर क्या करे प्यार किया नही जाता हो जाता है. और निशा अपने दिल के हाथों मज़बूर थी.

वही दूसरी तरफ मोनिका के दिन बुरे और बुरे होते जा रहे थे. विजय उसको जानवरो जैसे उसके साथ सुलूख करता और बहुत रफ सेक्स करता था. वो किसी भी हालत में बाहर निकलना चाहती थी उसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार थी. उसके बदले अगर किसी की कुर्बानी भी देनी पड़े तो भी.............

जहाँ एक तरफ़ राहुल और राधिका में प्यार जनम ले रहा था वही दिन -ब-दिन मोनिका के दिल में नफ़रत. ना ही सिर्फ़ विजय से बल्कि इस पूरे समाज़ से पूरी दुनिया उसे अपनी दुश्मन नज़र आ रही थी. वो भी चाहती थी कि वो भी अब सुकून की जिंदगी बसर करे. और वो इस शहर को छोड़ कर हमेशा के लिए कही और जाना चाहती थी. मगर होनी को कौन रोक सकता है.

इधेर राधिका के मिलने से राहुल का भी नसीब खुल चुका था. उसकी भी दिन-ब-दिन तरक्की हो रही थी. जल्द ही वो एसीपी बनने वाला था. और उसका मान ना था कि इस सफलता के पीछे राधिका का प्यार है. लेकिन वक़्त से पहले किसी को कुछ नही मिलता.

वक़्त के आगे किसी की नही चलती. आने वाला एक तूफान जो कि राहुल, मोनिका, निशा, और मोनिका की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदलने वाली थी. पता नही वक़्त को क्या मंज़ूर था........................
 
आज राहुल और राधिका के प्यार को, करीब 5 महीना हो चुके थे मगर अब भी राहुल ने एक भी बार राधिका को प्रपोज़ नही किया था.और आज राहुल कुछ राधिका के लिए स्पेशल करना चाहता था. आज वो राधिका को अपने घर ले जाना चाहता था. भला राहुल की बात को राधिका कैसे मना कर देती. वो झट से तैयार हो जाती है .

राहुल- राधिका आज में तुम्हें अपने घर ले जाना चाहता हूँ. चलोगि ना मेरे घर. विश्वास है ना मुझ पर.

राधिका- ये भी कोई पूछने वाली बात है. अपने आप से ज़्यादा तुम पर विश्वास करती हूँ.

और दोनो मुस्कुरा कर राहुल की गाड़ी में बैठ जाते हैं. कुछ देर में ही वो एक बंगले के पास पहुँचते हैं. राधिका को राहुल का बंगला देखकर उसे विश्वास नही होता कि ये राहुल का है.

राहुल- जानती हो राधिका जब से तुम मिली हो मेरी तो चाँदी हो गयी है. मैं बहुत जल्दी ही एसीपी बनने वाला हूँ. घर के अंदर चलो मुझे कितने सारे मेडल्स मिले हैं. चलो चलकर दिखाउन्गा.

राधिका- तो जनाब आज मुझे पार्टी देना चाहते हैं अपनी प्रमोशन होने की खुशी में.

राहुल- नही राधिका पार्टी तो गैरों को देते हैं तुम तो मेरी बेस्ट फ्रेंड से भी बढ़कर हो जानती हो तुम कितनी लकी हो जब से तुम मिली हो लगता है मेरी दुनिया ही बदल गयी हैं.

राधिका- चलो चलो ज़्यादा मस्का मत लगाओ... और इतना केकर दोनो गाड़ी से उतरकर बंगले में जाते हैं.

राधिका बंगला देखकर बोलती है - बहुत खूबसूरत बंगला है आपका. इतने बड़े घर में अकेले रहते हैं क्या.

राहुल - हाँ और कौन है मेरा . हां रामू काका मेरे साथ इस तन्हाई में मेरा साथ देते हैं. वो ही इस घर की देखभाल करते हैं.

और राहुल रामू काका को आवाज़ देकर बुलाता है. रामू दौड़ कर राहुल के पास आता है.

रामू- बोलिए मालिक क्या सेवा करू.

राहुल- ये राधिका है. ज़रा इनके लिए नाश्ता वगेरह बना दीजिए. और रामू किचन में चला जाता है.

राधिका- गुस्से से घूर कर देखते हुए...... राहुल मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ. मैं भी अब शादी करना चाहती हूँ. मेरी ज़िंदगी में भी कोई है जिसे मैं बहुत प्यार करती हूँ.

इतना सुनते ही राहुल के होश उड़ जाते है और वो एक दम लड़खड़ाते हुए बोलता है- क्यी.....आ राद....धिका. ये...तुम..........क्या बोल्ल्ल्ल्ल्ल.............रही हो..............

राधिका- हाँ भाई .........तुम तो मुझे प्रपोज़ करने से रहे तो मैने सोचा अगर कोई मुझे प्रपोज़ कर रहा है तो मैं मना क्यों करू.

राहुल- कौन है वो ........साले को जैल में सड़ा दूँगा.........ऐसा केस बनाउन्गा की साला 10 साल के बाद ही छूटेगा.

राधिका- तुम्हें उससे क्या. आज पूरे 5 महीने हो गये तुमसे मिले. तो मैने सोचा कि बस तुम मेरे साथ टाइम पास कर रहे हो तो मैने भी झट से उसे हां बोल दिया.

राहुल- क्या...............मेरा प्यार को तुम टाइम पास बोल रही हो. बस यही तुम्हारा प्यार है. इसका मतलब बस मैं ही तुमसे प्यार करता था. तुम मुझसे नही .............

राधिका- हाँ मैने सोचा तुम तो कभी प्रपोज़ करोगे नही तो कही और मज़ा किया जाए.

राहुल- नही राधिका तुम झूट बोल रही हो तुम सिर्फ़ मुझसे ही प्यार करती हो ना.

राधिका- अरे कह तो रही हूँ कि ................

राहुल- जल्दी से बताओ उसका नाम और पता साले को इस दुनिया से उठा दूँगा. राहुल एक दम गुस्से से बोला.

राधिका- सच में मेरी खातिर उसको जान से मार दोगे क्या...... .

राहुल- तुम्हारे और मेरे बीच में अगर कोई आ जाए तो देख लेना वो इस दुनिया में ज़िंदा नही रहेगा. अगर किसी ने तुमको मुझसे छीन लिया तो इस प्युरे दुनिया को आग लगा दूँगा. किसी को नही छोड़ूँगा मैं.

राधिका- तो जनाब इतना ही प्यार करते हो तो इतना वक़्त क्यों लगाया. पहले नही बोल सकते थे क्या मुझसे ये बात.

राहुल- क्या.................. तो इसका मतलब तुम मुझसे ............. और राहुल खुशी से चीख पड़ता है और राधिका को अपनी गोद में उठा लेता है.

राहुल- आज मैं तुमसे अपने दिल की सारी बातें कहना चाहता हूँ राधिका.

राधिका- आइ लव यू राहुल....................लव यू टू मच राहुल और राधिका राहुल को अपने सीने से लगा लेती है.

राधिका- बहुत देर कर दी तुमने लेकिन देर आए दुरुस्त आए. इतना कहकर राधिका ज़ोर से हँसने लगती हैं.................
 
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