hotaks444
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सबकी आँखों में इस वक़्त आँसू थे...थोड़ी देर बाद ख़ान राहुल के पास जाता हैं और उसे राधिका से दूर ले जाता है...राहुल पागलों की तरह रो रहा था....उसकी आँखें इस वक़्त भी लाल थी...तभी वो ख़ान को पीछे धकेल देता हैं और तुरंत अपने जेब से रेवोल्वेर निकालता हैं और बिना देर किए उसे अपनी कनपटी पर लगा देता हैं....कुछ सेकेंड्स की अगर देर हो जाती तो इस वक़्त राहुल की भी लाश वहीं फर्श पर पड़ी होती... मगर ऐन मौके पर ख़ान उसके हाथों को दूसरी ओर कर देता हैं और गोली दूसरी तरफ निकल जाती हैं....पूरे वातावरण में गोली की आवाज़ गूँज जाती हैं....
ख़ान- होश में आइए सर....इस तरह से जान देने से कुछ नहीं होगा... मरना तो उन कमिनो को हैं जिन्होने भाभी के साथ ये सब किया हैं....भाभी के हर आँसू का बदला उन कुत्तों से लेना हैं... तभी राहुल फिर से फुट फुट कर रो पड़ता हैं....ख़ान फिर राहुल के पास आता हैं और उसको अपने गले लगा लेता हैं... ना जाने कितनी देर तक राहुल ऐसे ही रोता रहता हैं....
दूसरे दिन........
आज तारीख 21-जून ......आज के दिन राहुल की शादी होने वाली थी राधिका के साथ.... मगर आज यहाँ पर दो दो चितायें एक साथ जल रही थी.... एक राधिका की और दूसरी ......बिरजू की....इस वक़्त राहुल चुप चाप वहीं खामोश खड़ा था मगर कृष्णा की आँखो में आँसू थे... और निशा का रो रो कर बुरा हाल था. वो तो एक बार सदमे से बेहोश भी हो चुकी थी.....थोड़ी देर बाद कृष्णा को फिर से जैल भेज दिया जाता हैं... अब वो भी पूरी तरह से टूट चुका था....आज उन सब के बीच राधिका नहीं थी....
दो दिन बाद..................................
राहुल अपने कमरे में खामोश बैठा हुआ था..ना ही वो कुछ खा रहा था और ना ही किसी से बात कर रहा था.... बस ना जाने दिन रात खामोश रहता.और बस राधिका के बारे में सोचा करता..... तभी उसके दरवाज़े पर एक कार आकर रुकती हैं..... और उस कार में से निशा और उसके मम्मी पापा बाहर आते हैं....
मिस्टर अग्रवाल- कैसे हो राहुल.....
राहुल- नमस्ते अंकल....कैसा हो सकता हूँ मैं ...अगर जिस्म से जान निकाल ली जाए तो उस शरीर का कोई अस्तिस्त्व नहीं रह जाता...आज वैसी ही हालत मेरी हैं राधिका के बगैर....
अग्रवाल- नहीं बेटा यादों के सहारे तो ज़िंदगी नहीं बिताई जा सकती... मैं मानता हूँ कि राधिका का इस तरह से हमारे बीच ना रहना कितना हम सब को उसकी कमी महसूस हो रही है मगर जो सत्य हैं उससे तो मूह नहीं फेरा जा सकता....कब तक ऐसा चलेगा बेटा....
राहुल- मैं तो यही सोच रहा हूँ कि मैं ज़िंदा भी हूँ तो किस वजह से....इससे अच्छा होता कि मैं राधिका के साथ मर गया होता....
निशा उसके पास आती हैं और राहुल का हाथ थाम लेती हैं- नहीं राहुल... तुम्हें क्या लगता हैं कि मुझे राधिका का दुख नहीं हैं.... उसके मारना का मुझे भी दुख हैं....लेकिन वक़्त के साथ बड़े से बड़ा ज़ख़्म भी भर जाता हैं.... कब तक अपने आप को सज़ा दोगे राहुल.....
तभी रामू काका आते हैं और उसे बताते हैं कि कोई शंकर नाम का आदमी आया हैं और वो आपसे मिलना चाहता हैं..... राहुल तुरंत उन्हें अंदर आने को बोलता हैं....
शंकर काका अंदर आते हैं...उनके हाथो में डायरी थी....वो तुरंत राहुल के पास आते हैं और और वो दोनो डायरी उन्हें थमा देते हैं...और साथ ही साथ वो हीरे की अंगूठी भी उसे दे देते हैं....
शंकर- ये लीजिए साहेब.... राधिका ने मरते वक़्त मुझसे कहा था कि ये उसकी अमानत हैं और मैं इसी आप तक पहुँचा दूं...इस डायरी में उसके साथ जो कुछ भी हुआ उसने हर एक चीज़ का ज़िकरा किया हैं...और मैने भी अब बिहारी के यहाँ काम करना छोड़ दिया हैं...
राहुल- ठीक हैं काका...मैं इस डायरी को ज़रूर पढ़ुंगा....आपका और कौन हैं इस दुनिया में.....
शंकर- नहीं मेरा इस दुनिया में और कोई नहीं... राधिका को मैने अपनी बेटी माना था अब तो वो भी मुझसे रूठ कर दूर चली गयी... कमिनो ने उसके साथ बहुत ज़ियादती की हैं... हर रात मैने उसकी चीखें सुनी है....हर रात वो पल पल मरती रही... रात रात भर वो दरिंदे उसके साथ......
राहुल- बस करो काका मैं ये सब सुन नहीं पाउन्गा.....और रही बात उन कमिनो की तो उन्हें तो मैने सोच लिया हैं कि उन्हें मैं कैसी मौत मारूँगा....
सीता- बेटा हमे कुछ काम हैं इसलिए हमे जाना होगा.. मगर इस वक़्त निशा तुम्हारे पास रहेगी...
ख़ान- होश में आइए सर....इस तरह से जान देने से कुछ नहीं होगा... मरना तो उन कमिनो को हैं जिन्होने भाभी के साथ ये सब किया हैं....भाभी के हर आँसू का बदला उन कुत्तों से लेना हैं... तभी राहुल फिर से फुट फुट कर रो पड़ता हैं....ख़ान फिर राहुल के पास आता हैं और उसको अपने गले लगा लेता हैं... ना जाने कितनी देर तक राहुल ऐसे ही रोता रहता हैं....
दूसरे दिन........
आज तारीख 21-जून ......आज के दिन राहुल की शादी होने वाली थी राधिका के साथ.... मगर आज यहाँ पर दो दो चितायें एक साथ जल रही थी.... एक राधिका की और दूसरी ......बिरजू की....इस वक़्त राहुल चुप चाप वहीं खामोश खड़ा था मगर कृष्णा की आँखो में आँसू थे... और निशा का रो रो कर बुरा हाल था. वो तो एक बार सदमे से बेहोश भी हो चुकी थी.....थोड़ी देर बाद कृष्णा को फिर से जैल भेज दिया जाता हैं... अब वो भी पूरी तरह से टूट चुका था....आज उन सब के बीच राधिका नहीं थी....
दो दिन बाद..................................
राहुल अपने कमरे में खामोश बैठा हुआ था..ना ही वो कुछ खा रहा था और ना ही किसी से बात कर रहा था.... बस ना जाने दिन रात खामोश रहता.और बस राधिका के बारे में सोचा करता..... तभी उसके दरवाज़े पर एक कार आकर रुकती हैं..... और उस कार में से निशा और उसके मम्मी पापा बाहर आते हैं....
मिस्टर अग्रवाल- कैसे हो राहुल.....
राहुल- नमस्ते अंकल....कैसा हो सकता हूँ मैं ...अगर जिस्म से जान निकाल ली जाए तो उस शरीर का कोई अस्तिस्त्व नहीं रह जाता...आज वैसी ही हालत मेरी हैं राधिका के बगैर....
अग्रवाल- नहीं बेटा यादों के सहारे तो ज़िंदगी नहीं बिताई जा सकती... मैं मानता हूँ कि राधिका का इस तरह से हमारे बीच ना रहना कितना हम सब को उसकी कमी महसूस हो रही है मगर जो सत्य हैं उससे तो मूह नहीं फेरा जा सकता....कब तक ऐसा चलेगा बेटा....
राहुल- मैं तो यही सोच रहा हूँ कि मैं ज़िंदा भी हूँ तो किस वजह से....इससे अच्छा होता कि मैं राधिका के साथ मर गया होता....
निशा उसके पास आती हैं और राहुल का हाथ थाम लेती हैं- नहीं राहुल... तुम्हें क्या लगता हैं कि मुझे राधिका का दुख नहीं हैं.... उसके मारना का मुझे भी दुख हैं....लेकिन वक़्त के साथ बड़े से बड़ा ज़ख़्म भी भर जाता हैं.... कब तक अपने आप को सज़ा दोगे राहुल.....
तभी रामू काका आते हैं और उसे बताते हैं कि कोई शंकर नाम का आदमी आया हैं और वो आपसे मिलना चाहता हैं..... राहुल तुरंत उन्हें अंदर आने को बोलता हैं....
शंकर काका अंदर आते हैं...उनके हाथो में डायरी थी....वो तुरंत राहुल के पास आते हैं और और वो दोनो डायरी उन्हें थमा देते हैं...और साथ ही साथ वो हीरे की अंगूठी भी उसे दे देते हैं....
शंकर- ये लीजिए साहेब.... राधिका ने मरते वक़्त मुझसे कहा था कि ये उसकी अमानत हैं और मैं इसी आप तक पहुँचा दूं...इस डायरी में उसके साथ जो कुछ भी हुआ उसने हर एक चीज़ का ज़िकरा किया हैं...और मैने भी अब बिहारी के यहाँ काम करना छोड़ दिया हैं...
राहुल- ठीक हैं काका...मैं इस डायरी को ज़रूर पढ़ुंगा....आपका और कौन हैं इस दुनिया में.....
शंकर- नहीं मेरा इस दुनिया में और कोई नहीं... राधिका को मैने अपनी बेटी माना था अब तो वो भी मुझसे रूठ कर दूर चली गयी... कमिनो ने उसके साथ बहुत ज़ियादती की हैं... हर रात मैने उसकी चीखें सुनी है....हर रात वो पल पल मरती रही... रात रात भर वो दरिंदे उसके साथ......
राहुल- बस करो काका मैं ये सब सुन नहीं पाउन्गा.....और रही बात उन कमिनो की तो उन्हें तो मैने सोच लिया हैं कि उन्हें मैं कैसी मौत मारूँगा....
सीता- बेटा हमे कुछ काम हैं इसलिए हमे जाना होगा.. मगर इस वक़्त निशा तुम्हारे पास रहेगी...