hotaks444
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सर ने केला एक प्लेट पर रख दिया था और दीदी को सामने फ़र्श पर बिठाकर उसके मुंह में लंड पेल रहे थे. आधा तो दीदी ने ले भी लिया था. सर प्यार से दीदी के बाल सहला रहे थे "देख गया ना गले के नीचे? बस हो गया, अब पूरा ले ले" दीदी ने सिर नीचे किया और सर की झांटें उसके होंठों पर आ टिकीं. दीदी के गाल ऐसे फ़ूल गये थे जैसे बड़ा सेब मुंह में ले लिया हो.
"ये तो कमाल हो गया लीना रानी. अब मजा ले लकर चूस. मुंह में अंदर बाहर कर ... और सुन .. जीभ से लंड के नीचे रगड़, प्यार से ... आह ऽ आह ? बहुत अच्छी बच्ची है लीना तू .... बहुत प्यारी है ... बस ऐसे ही कर ... आराम से ... मजा ले ... कोई जल्दी नहीं है" और उन्होंने दीदी का सर पकड़ लिया और कमर हिला हिला कर लंड हौले हौले दीदी के मुंह में पेलने लगे.
दीदी अब बार बार सर का लंड पूरा मुंह से निकालती और फ़िर निगल लेती. उसे मजा आ रहा था जैसे बच्चों को आता है कोई नया काम सीख कर. मैं झड़ने को आ गया. मैडम को पता चल गया इसलिये मेरे लंड को मुंह से निकाल कर से फ़िर बैठ गयीं. "क्या बात है अनिल, मस्ती में है तू? अच्छा, दीदी के कारनामे देख रहा है. सोच रहा है कि तेरी दुबली पतली नाजुक गले वाली दीदी ने कैसे इतना बड़ा लंड निगल लिया? पर मुझे कोई अचरज नहीं हुआ, मैं तो तुम दोनों को देखते ही समझ गयी थी कि क्या मस्तीखोर हो तुम दोनों और खास कर तेरी दीदी. वो असली गरम लड़की है, जैसी मैं थी बचपन में! अब जरा तेरे इस लंड को थोड़ा ठंडा कर, मुझे चोदना है"
मैं बोला "हां मैडम" और उठने लगा तो वे बोलीं "अरे तू लेटा रह, मैं चोदूंगी, तेरा कोई भरोसा नहीं, झड़ जायेगा. तू लेट और वो सिनेमा देख, मैं करती हूं जो करना है"
मुझे लिटा कर मैडम मेरे ऊपर चढ़ गयीं और मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर मेरे पेट पर बैठ गयीं. फ़िर चोदने लगीं. चुदाई का आनंद लेते हुए मैंने दूसरे कमरे में देखा तो सर दीदी से लंड चुसवाते हुए वो वाला केला खा रहे थे, जो दीदी के मुंह में अंदर बाहर हुआ था. मेरे चेहरे के भाव देखकर मैडम हंसने लगीं "अरे अचरज क्यों करता है, तेरी दीदी का चुम्मा इतना मीठा है, सर उसके मुंह का स्वाद ले रहे हैं"
"तेरे मुंह के स्वाद का जवाब नहीं लीना, अमरित है अमरित, अब जब किस करूं तो मेरे को ढेर सी चासनी पिलाना अपने मुंह की. ठीक है ना!" सर केला खतम करके बोले. दीदी ने पलक झपकाकर कहा कि समझ गयी.
सर अब आराम से पीछे टिक कर बैठ गये और लीना दीदी का सिर पकड़कर उसके बालों में उंगलियां चलाते हुए दीदी के सिर को आगे पीछे गाइड करने लगे. "हां लीना ... बस ऐसे ही ... हां ... हां मेरी रानी .... मेरी लाड़ली बच्ची ... चूस रानी चूस .... अपने सर का लौड़ा चूस ... उनका प्रसाद पा ले .... चल चूस"
थोड़ी ही देर में सर ने दीदी के सर को कस कर अपने पेट पर भींच लिया और झड़ गये "ओह .... हां .... लीना .... तू तो कमाल करती है री ... आह .... मजा आ गया"
तीन चार सांसों के बाद सर ने लंड करीब करीब पूरा दीदी के मुंह के बाहर खींचा और सिर्फ़ सुपाड़ा उसके मुंह में दे कर बोले "लीना, अब जीभ पर ले और चख ... मजे ले लेकर खा ... ये है सच्ची मलाई ... इतनी मेहनत की है तो अब उसका इनाम ले" उनका वीर्य उबल उबल कर दीदी की जीभ पर इकठ्ठा हो रहा था. जब लंड शांत हुआ तो दीदी ने मुंह बंद किया और आंखें बंद करके उसका स्वाद लेने लगी.
वीर्य निगलने के बाद दीदी ने फ़िर से लंड को मुंह में लेकर साफ़ किया और उठ कर खड़ी हो गयी. थोड़ा शरमा रही थी पर बड़े गर्व के साथ सर की ओर देख रही थी. सर ने उसे खींच कर वहां के सोफ़े पर लिटाया और उसका बदन जगह जगह चूमने लगे. "बहुत प्यारी है तू लीना, अब जरा आराम कर, मुझे अपने इस खूबसूरत बदन का स्वाद लेने दे"
वे दीदी को हर जगह चूम रहे थे, छाती, पेट, पीठ, कंधे, जांघें, पैर ... थोड़ी देर फ़िर से उन्होंने दीदी की बुर चूसी और दीदी जब गरमा कर सी सी करने लगी तो उसे पलट कर सोफ़े पर पेट के बल लिटा दिया और उसके चूतड़ों में मुंह गाड़ दिया. दीदी शरमा कर "सर ... सर ... वहां क्यों चूस रहे हैं सर? .... ओह ... ओह ...उई ऽ.. छी सर ... वहां गंदा है ...मत डालिये ना जीभ .... ओह ... आह" करने लगी पर सर ने उसके चूतड़ों को नहीं छोड़ा.
मैडम अब कस के मुझे चोद रही थीं. अपने मम्मे खुद दबा रही थीं. हांफ़ते हुए बोलीं "अरे यह लीना ... नहीं .... जानती कि वहां .... पीछे .... तेरे सर का खास ..... इंटरेस्ट है ... समझ जायेगी जल्दी ... ओह ऽ ओह ऽ अनिल ...." कहकर वे झड़ गयीं और मेरे पेट पर उनका पानी बह आया. मैं उठने लगा तो बोलीं "अरे ... रुक... एक बार और ... अभी मन नहीं भरा मेरा .... सर अब लीना को लेकर आते ही होंगे .... तब तक .... और देख ... झड़ना नहीं"
मैडम ने मुझे दस मिनिट और चोदा. उधर सर दीदी के बदन को प्यार करते रहे, वे बार बार दीदी की बुर या गांड से मुंह लगा देते थे. बीच में उन्होंने मैडम की ओर देखा और आंखों आंखों में पूछा कि हो गया क्या तो मैडम ने सिर हिलाकर ना बोल दिया. सर फिर से दीदी की गांड चूसने में जुट गये.
दूसरी बार जब मैडम झड़ीं तो उन्होंने सर की ओर देखा और मुस्करा दीं. सर ने लीना को उठाया और बोले "चल मेरी रानी, अब एक साथ लेसन लेंगे तुम दोनों का" दीदी एकदम मस्त थी, सर की गर्दन में बाहें डालकर बार बार उनको चूम रही थी.
हमारे कमरे का दरवाजा खुला और सर दीदी को उठाये अंदर आये. "वा अनिल, मैडम अच्छा लेसन दे रही है तुझे, तेरी इस दीदी ने तो आज बहुत कुछ सीखा, है ना लीना?"
लीना ने शरमा कर उनके सीने में मुंह छुपा लिया. सर ने उसे नीचे पलंग पर रखा और मैडम से पूछा "क्यों सुप्रिया मैडम, आप को कोई राहत मिली या नहीं?"
"हां, बहुत. ये लड़का कमाल का है, बहुत कंट्रोल है इसे. मैंने दो बार चोदा, यह आराम से सह गया" मैडम मुझपर से उतरती हुई बोलीं.
"चलिये ये अच्छा हुआ मैडम, अब आपकी चूत रानी कभी प्यासी नहीं रहेगी" सर बोले. मैडम देख कर मुस्करा दीं. मुझे ठीक से समझ में नहीं आया कि मेरे लंड की इतनी तारीफ़ क्यों हो रही है, सर के मतवाले मूसल के आगे तो ये कुछ भी नहीं है, और सर के लंड पर तो मैडम का ही हक है, चाहे जैसे चुदवायें.
लीना के बाजू में लेट कर मैडमने लीना दीदी की चूत में उंगली डाली और उसका मुंह चूमने लगीं. "ये लड़की तो एकदम गरमा गयी है सर. लगता है आप ने खूब अगन दी है इसकी टांगों के बीच, इसको ठंडा नहीं किया ठीक से"
"अभी कहां मैडम, इसकी अगन तो अभी बुझाना है, बहुत काम करना पड़ेगा, इसकी जो भट्टी है वो ऐसे वैसे नहीं ठंडी होने वाली"
"हां तो बच्चो, चूसने और चाटने में तो तुम दोनों एकदम होशियार हो. अब असल काम की शुरुवात करते हैं" चौधरी सर बोले. फ़िर मेरे लंड को पकड़कर पूछा "तकलीफ़ हो रही है अनिल? या मजा आ रहा है? मैडम ने बहुत खींच कर रखा है तुझे. अब चोदोगे किसी को?"
"हां सर, बहुत मस्ती लग रही है, रहा नहीं जा रहा है"
"ये तो कमाल हो गया लीना रानी. अब मजा ले लकर चूस. मुंह में अंदर बाहर कर ... और सुन .. जीभ से लंड के नीचे रगड़, प्यार से ... आह ऽ आह ? बहुत अच्छी बच्ची है लीना तू .... बहुत प्यारी है ... बस ऐसे ही कर ... आराम से ... मजा ले ... कोई जल्दी नहीं है" और उन्होंने दीदी का सर पकड़ लिया और कमर हिला हिला कर लंड हौले हौले दीदी के मुंह में पेलने लगे.
दीदी अब बार बार सर का लंड पूरा मुंह से निकालती और फ़िर निगल लेती. उसे मजा आ रहा था जैसे बच्चों को आता है कोई नया काम सीख कर. मैं झड़ने को आ गया. मैडम को पता चल गया इसलिये मेरे लंड को मुंह से निकाल कर से फ़िर बैठ गयीं. "क्या बात है अनिल, मस्ती में है तू? अच्छा, दीदी के कारनामे देख रहा है. सोच रहा है कि तेरी दुबली पतली नाजुक गले वाली दीदी ने कैसे इतना बड़ा लंड निगल लिया? पर मुझे कोई अचरज नहीं हुआ, मैं तो तुम दोनों को देखते ही समझ गयी थी कि क्या मस्तीखोर हो तुम दोनों और खास कर तेरी दीदी. वो असली गरम लड़की है, जैसी मैं थी बचपन में! अब जरा तेरे इस लंड को थोड़ा ठंडा कर, मुझे चोदना है"
मैं बोला "हां मैडम" और उठने लगा तो वे बोलीं "अरे तू लेटा रह, मैं चोदूंगी, तेरा कोई भरोसा नहीं, झड़ जायेगा. तू लेट और वो सिनेमा देख, मैं करती हूं जो करना है"
मुझे लिटा कर मैडम मेरे ऊपर चढ़ गयीं और मेरे लंड को अपनी चूत में लेकर मेरे पेट पर बैठ गयीं. फ़िर चोदने लगीं. चुदाई का आनंद लेते हुए मैंने दूसरे कमरे में देखा तो सर दीदी से लंड चुसवाते हुए वो वाला केला खा रहे थे, जो दीदी के मुंह में अंदर बाहर हुआ था. मेरे चेहरे के भाव देखकर मैडम हंसने लगीं "अरे अचरज क्यों करता है, तेरी दीदी का चुम्मा इतना मीठा है, सर उसके मुंह का स्वाद ले रहे हैं"
"तेरे मुंह के स्वाद का जवाब नहीं लीना, अमरित है अमरित, अब जब किस करूं तो मेरे को ढेर सी चासनी पिलाना अपने मुंह की. ठीक है ना!" सर केला खतम करके बोले. दीदी ने पलक झपकाकर कहा कि समझ गयी.
सर अब आराम से पीछे टिक कर बैठ गये और लीना दीदी का सिर पकड़कर उसके बालों में उंगलियां चलाते हुए दीदी के सिर को आगे पीछे गाइड करने लगे. "हां लीना ... बस ऐसे ही ... हां ... हां मेरी रानी .... मेरी लाड़ली बच्ची ... चूस रानी चूस .... अपने सर का लौड़ा चूस ... उनका प्रसाद पा ले .... चल चूस"
थोड़ी ही देर में सर ने दीदी के सर को कस कर अपने पेट पर भींच लिया और झड़ गये "ओह .... हां .... लीना .... तू तो कमाल करती है री ... आह .... मजा आ गया"
तीन चार सांसों के बाद सर ने लंड करीब करीब पूरा दीदी के मुंह के बाहर खींचा और सिर्फ़ सुपाड़ा उसके मुंह में दे कर बोले "लीना, अब जीभ पर ले और चख ... मजे ले लेकर खा ... ये है सच्ची मलाई ... इतनी मेहनत की है तो अब उसका इनाम ले" उनका वीर्य उबल उबल कर दीदी की जीभ पर इकठ्ठा हो रहा था. जब लंड शांत हुआ तो दीदी ने मुंह बंद किया और आंखें बंद करके उसका स्वाद लेने लगी.
वीर्य निगलने के बाद दीदी ने फ़िर से लंड को मुंह में लेकर साफ़ किया और उठ कर खड़ी हो गयी. थोड़ा शरमा रही थी पर बड़े गर्व के साथ सर की ओर देख रही थी. सर ने उसे खींच कर वहां के सोफ़े पर लिटाया और उसका बदन जगह जगह चूमने लगे. "बहुत प्यारी है तू लीना, अब जरा आराम कर, मुझे अपने इस खूबसूरत बदन का स्वाद लेने दे"
वे दीदी को हर जगह चूम रहे थे, छाती, पेट, पीठ, कंधे, जांघें, पैर ... थोड़ी देर फ़िर से उन्होंने दीदी की बुर चूसी और दीदी जब गरमा कर सी सी करने लगी तो उसे पलट कर सोफ़े पर पेट के बल लिटा दिया और उसके चूतड़ों में मुंह गाड़ दिया. दीदी शरमा कर "सर ... सर ... वहां क्यों चूस रहे हैं सर? .... ओह ... ओह ...उई ऽ.. छी सर ... वहां गंदा है ...मत डालिये ना जीभ .... ओह ... आह" करने लगी पर सर ने उसके चूतड़ों को नहीं छोड़ा.
मैडम अब कस के मुझे चोद रही थीं. अपने मम्मे खुद दबा रही थीं. हांफ़ते हुए बोलीं "अरे यह लीना ... नहीं .... जानती कि वहां .... पीछे .... तेरे सर का खास ..... इंटरेस्ट है ... समझ जायेगी जल्दी ... ओह ऽ ओह ऽ अनिल ...." कहकर वे झड़ गयीं और मेरे पेट पर उनका पानी बह आया. मैं उठने लगा तो बोलीं "अरे ... रुक... एक बार और ... अभी मन नहीं भरा मेरा .... सर अब लीना को लेकर आते ही होंगे .... तब तक .... और देख ... झड़ना नहीं"
मैडम ने मुझे दस मिनिट और चोदा. उधर सर दीदी के बदन को प्यार करते रहे, वे बार बार दीदी की बुर या गांड से मुंह लगा देते थे. बीच में उन्होंने मैडम की ओर देखा और आंखों आंखों में पूछा कि हो गया क्या तो मैडम ने सिर हिलाकर ना बोल दिया. सर फिर से दीदी की गांड चूसने में जुट गये.
दूसरी बार जब मैडम झड़ीं तो उन्होंने सर की ओर देखा और मुस्करा दीं. सर ने लीना को उठाया और बोले "चल मेरी रानी, अब एक साथ लेसन लेंगे तुम दोनों का" दीदी एकदम मस्त थी, सर की गर्दन में बाहें डालकर बार बार उनको चूम रही थी.
हमारे कमरे का दरवाजा खुला और सर दीदी को उठाये अंदर आये. "वा अनिल, मैडम अच्छा लेसन दे रही है तुझे, तेरी इस दीदी ने तो आज बहुत कुछ सीखा, है ना लीना?"
लीना ने शरमा कर उनके सीने में मुंह छुपा लिया. सर ने उसे नीचे पलंग पर रखा और मैडम से पूछा "क्यों सुप्रिया मैडम, आप को कोई राहत मिली या नहीं?"
"हां, बहुत. ये लड़का कमाल का है, बहुत कंट्रोल है इसे. मैंने दो बार चोदा, यह आराम से सह गया" मैडम मुझपर से उतरती हुई बोलीं.
"चलिये ये अच्छा हुआ मैडम, अब आपकी चूत रानी कभी प्यासी नहीं रहेगी" सर बोले. मैडम देख कर मुस्करा दीं. मुझे ठीक से समझ में नहीं आया कि मेरे लंड की इतनी तारीफ़ क्यों हो रही है, सर के मतवाले मूसल के आगे तो ये कुछ भी नहीं है, और सर के लंड पर तो मैडम का ही हक है, चाहे जैसे चुदवायें.
लीना के बाजू में लेट कर मैडमने लीना दीदी की चूत में उंगली डाली और उसका मुंह चूमने लगीं. "ये लड़की तो एकदम गरमा गयी है सर. लगता है आप ने खूब अगन दी है इसकी टांगों के बीच, इसको ठंडा नहीं किया ठीक से"
"अभी कहां मैडम, इसकी अगन तो अभी बुझाना है, बहुत काम करना पड़ेगा, इसकी जो भट्टी है वो ऐसे वैसे नहीं ठंडी होने वाली"
"हां तो बच्चो, चूसने और चाटने में तो तुम दोनों एकदम होशियार हो. अब असल काम की शुरुवात करते हैं" चौधरी सर बोले. फ़िर मेरे लंड को पकड़कर पूछा "तकलीफ़ हो रही है अनिल? या मजा आ रहा है? मैडम ने बहुत खींच कर रखा है तुझे. अब चोदोगे किसी को?"
"हां सर, बहुत मस्ती लग रही है, रहा नहीं जा रहा है"