hotaks444
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पांच मिनिट सर मेरी गांड में उंगली करते रहे और मैं मस्त होकर आखिर उनके सिर को अपने पेट पर दबा कर उनका मुंह चोदने की कोशिश करने लगा.
सर मेरे बाजू में लेट गये, उनकी उंगली बराबर मेरी गांड में चल रही थी. मेरे बाल चूम कर बोले "अब बता अनिल बेटे, जब औरत को प्यार करना हो तो उसकी चूत में लंड डालते हैं या उसे चूसते हैं. है ना? अब ये बता कि अगर एक पुरुष को दूसरे पुरुष से प्यार करना हो तो क्या करते हैं?"
"सर ... लंड चूसकर प्यार करते हैं?" मैंने कहा.
"और अगर और कस कर प्यार करना हो तो? याने चोदने वाला प्यार?" सर ने मेरे कान को दांत से पकड़कर पूछा. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.
"सर, गांड में उंगली डालते हैं, जैसा मैंने किया था और आप कर रहे हैं"
"अरे वो आधा प्यार हुआ, करवाने वाले को मजा आता है. पर लंड में होती गुदगुदी को कैसे शांत करेंगे?"
मैं समझ गया. हिचकता हुआ बोला "सर ... गांड में .... लंड डाल कर सर?"
"बहुत अच्छे मेरी जान. तू समझदार है. अब देख, तू मुझे इतना प्यारा लगता है कि मैं तुझे चोदना चाहता हूं. तू भी मुझे चोदने को लंड मुठिया रहा है. अब अपने पास चूत तो है नहीं, पर ये जो गांड है वो चूत से ज्यादा सुख देती है. और चोदने वाले को भी जो आनद आता है वो .... बयान करना मुश्किल है बेटे. अब बोल, अगला लेसन क्या है? तेरे सर अपने प्यारे स्टूडेंट को कैसे प्यार करेंगे?"
"सर ... मेरी गांड में अपना लंड डाल कर .... ओह सर ..." मेरा लंड मस्ती में उछला क्योंकि सर ने अपनी उंगली सहसा मेरी गांड में गहराई तक उतार दी.
"सर दर्द होगा सर .... प्लीज़ सर " मैं मिन्नत करते हुए बोला. मेरी आंखों में देख कर सर मेरे मन की बात समझ गये "तुझे करवाना भी है ऐसा प्यार और डर भी लगता है, है ना?"
"हां सर, आपका बहुत बड़ा है" मैंने झिझकते हुए कहा.
"अरे उसकी फ़िकर मत कर, ये तेल किस लिये है, आधी शीशी डाल दूंगा अंदर, फ़िर देखना ऐसे जायेगा जैसे मख्खन में छुरी. और तुझे मालूम नहीं है, ये गांड लचीली होती है, आराम से ले लेती है. और देख, मैंने पहले एक बार अपना झड़ा लिया था, नहीं तो और सख्त और बड़ा होता. अभी तो बस प्यार से खड़ा है, है ना? और चाहे तो तू भी पहले मेरी मार सकता है."
मेरा मन ललचा गया. सर हंस कर बोले "मारना है मेरी? वैसे मैं तो इसलिये पहले तेरी मारने की कह रहा था कि तेरा लंड इतना मस्त खड़ा है, इस समय तुझे असली मजा आयेगा इस लेसन का. गांड को प्यार करना हो तो अपने साथी को मस्त करना जरूरी होता है, वैसे ही जैसे चूत चोदने के पहले चूत को मस्त करते हैं. मैंने और मैडम ने तेरी बहन को कैसे मस्त किया था, समझा ना? लंड खड़ा है तेरा तो मरवाने में बड़ा मजा आयेगा तेरे को"
"हां सर." सर मुझे इतने प्यार से देख रहे थि कि मेरा मन डोलने लगा " सर ... आप ... डाल दीजिये सर अंदर, मैं संभाल लूंगा"
"अभी ले मेरे राजा. वैसे तुम्हें कायदे से कहना चाहिये कि सर, मार लीजिये मेरी गांड!"
"हां सर .... मेरी गांड मारिये सर .... मुझे .... मुझे चोदिये सर जैसे आपने दीदी को चोदा था."
सर मुस्कराये "अब हुई ना बात. चल पलट जा, पहले तेल डाल दूं अंदर. तुझे मालूम है ना कि कार के एंजिन में तेल से पिस्टन सटासट चलता है? बस वैसे ही तेरे सिलिंडर में मेरा पिस्टन ठीक से चले इसलिये तेल जरूरी है. अच्छा पलटने के पहले मेरे पिस्टन में तो तेल लगा"
मैंने हथेली में नारियल का तेल लिया और चौधरी सर के लंड को चुपड़ने लगा. उनका खड़ा लंड मेरे हाथ में नाग जैसा मचल रहा था. तेल चुपड़ कर मैं पलट कर सो गया. डर भी लग रहा था. तेल लगाते समय मुझे अंदाजा हो गया था कि सर का लंड फ़िर से कितना बड़ा हो गया है. सर ने भले ही दिलासा देने को यह कहा था कि एक बार झड़कर उनका जरा नरम खड़ा रहेगा पर असल में वो लोहे की सलाख जैसा ही टनटना गया था.
सर ने तेल में उंगली डुबो के मेरे गुदा को चिकना किया और एक उंगली अंदर बाहर की. फ़िर एक हाथ से मेरे चूतड फ़ैलाये और कुप्पी उठाकर उसकी नली धीरे से मेरी गांड में अंदर डाल दी. मैं सर की ओर देखने लगा.
वे मुस्कराकर बोले "बेटे, अंदर तक तेल जाना जरूरी है. मैं तो भर देता हूं आधी शीशी अंदर जिससे तुझे कम से कम तकलीफ़ हो." वे शीशी से तेल कुप्पी के अंदर डालने लगे.
मुझे गांड में तेल उतरता हुआ महसूस हुआ. बड़ा अजीब सा पर मजेदार अनुभव था. सर ने मेरी कमर पकड़कर मेरे बदन को हिलाया "बड़ी टाइट गांड है रे तेरी, तेल धीरे धीरे अंदर जा रहा है"
सर मेरे बाजू में लेट गये, उनकी उंगली बराबर मेरी गांड में चल रही थी. मेरे बाल चूम कर बोले "अब बता अनिल बेटे, जब औरत को प्यार करना हो तो उसकी चूत में लंड डालते हैं या उसे चूसते हैं. है ना? अब ये बता कि अगर एक पुरुष को दूसरे पुरुष से प्यार करना हो तो क्या करते हैं?"
"सर ... लंड चूसकर प्यार करते हैं?" मैंने कहा.
"और अगर और कस कर प्यार करना हो तो? याने चोदने वाला प्यार?" सर ने मेरे कान को दांत से पकड़कर पूछा. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.
"सर, गांड में उंगली डालते हैं, जैसा मैंने किया था और आप कर रहे हैं"
"अरे वो आधा प्यार हुआ, करवाने वाले को मजा आता है. पर लंड में होती गुदगुदी को कैसे शांत करेंगे?"
मैं समझ गया. हिचकता हुआ बोला "सर ... गांड में .... लंड डाल कर सर?"
"बहुत अच्छे मेरी जान. तू समझदार है. अब देख, तू मुझे इतना प्यारा लगता है कि मैं तुझे चोदना चाहता हूं. तू भी मुझे चोदने को लंड मुठिया रहा है. अब अपने पास चूत तो है नहीं, पर ये जो गांड है वो चूत से ज्यादा सुख देती है. और चोदने वाले को भी जो आनद आता है वो .... बयान करना मुश्किल है बेटे. अब बोल, अगला लेसन क्या है? तेरे सर अपने प्यारे स्टूडेंट को कैसे प्यार करेंगे?"
"सर ... मेरी गांड में अपना लंड डाल कर .... ओह सर ..." मेरा लंड मस्ती में उछला क्योंकि सर ने अपनी उंगली सहसा मेरी गांड में गहराई तक उतार दी.
"सर दर्द होगा सर .... प्लीज़ सर " मैं मिन्नत करते हुए बोला. मेरी आंखों में देख कर सर मेरे मन की बात समझ गये "तुझे करवाना भी है ऐसा प्यार और डर भी लगता है, है ना?"
"हां सर, आपका बहुत बड़ा है" मैंने झिझकते हुए कहा.
"अरे उसकी फ़िकर मत कर, ये तेल किस लिये है, आधी शीशी डाल दूंगा अंदर, फ़िर देखना ऐसे जायेगा जैसे मख्खन में छुरी. और तुझे मालूम नहीं है, ये गांड लचीली होती है, आराम से ले लेती है. और देख, मैंने पहले एक बार अपना झड़ा लिया था, नहीं तो और सख्त और बड़ा होता. अभी तो बस प्यार से खड़ा है, है ना? और चाहे तो तू भी पहले मेरी मार सकता है."
मेरा मन ललचा गया. सर हंस कर बोले "मारना है मेरी? वैसे मैं तो इसलिये पहले तेरी मारने की कह रहा था कि तेरा लंड इतना मस्त खड़ा है, इस समय तुझे असली मजा आयेगा इस लेसन का. गांड को प्यार करना हो तो अपने साथी को मस्त करना जरूरी होता है, वैसे ही जैसे चूत चोदने के पहले चूत को मस्त करते हैं. मैंने और मैडम ने तेरी बहन को कैसे मस्त किया था, समझा ना? लंड खड़ा है तेरा तो मरवाने में बड़ा मजा आयेगा तेरे को"
"हां सर." सर मुझे इतने प्यार से देख रहे थि कि मेरा मन डोलने लगा " सर ... आप ... डाल दीजिये सर अंदर, मैं संभाल लूंगा"
"अभी ले मेरे राजा. वैसे तुम्हें कायदे से कहना चाहिये कि सर, मार लीजिये मेरी गांड!"
"हां सर .... मेरी गांड मारिये सर .... मुझे .... मुझे चोदिये सर जैसे आपने दीदी को चोदा था."
सर मुस्कराये "अब हुई ना बात. चल पलट जा, पहले तेल डाल दूं अंदर. तुझे मालूम है ना कि कार के एंजिन में तेल से पिस्टन सटासट चलता है? बस वैसे ही तेरे सिलिंडर में मेरा पिस्टन ठीक से चले इसलिये तेल जरूरी है. अच्छा पलटने के पहले मेरे पिस्टन में तो तेल लगा"
मैंने हथेली में नारियल का तेल लिया और चौधरी सर के लंड को चुपड़ने लगा. उनका खड़ा लंड मेरे हाथ में नाग जैसा मचल रहा था. तेल चुपड़ कर मैं पलट कर सो गया. डर भी लग रहा था. तेल लगाते समय मुझे अंदाजा हो गया था कि सर का लंड फ़िर से कितना बड़ा हो गया है. सर ने भले ही दिलासा देने को यह कहा था कि एक बार झड़कर उनका जरा नरम खड़ा रहेगा पर असल में वो लोहे की सलाख जैसा ही टनटना गया था.
सर ने तेल में उंगली डुबो के मेरे गुदा को चिकना किया और एक उंगली अंदर बाहर की. फ़िर एक हाथ से मेरे चूतड फ़ैलाये और कुप्पी उठाकर उसकी नली धीरे से मेरी गांड में अंदर डाल दी. मैं सर की ओर देखने लगा.
वे मुस्कराकर बोले "बेटे, अंदर तक तेल जाना जरूरी है. मैं तो भर देता हूं आधी शीशी अंदर जिससे तुझे कम से कम तकलीफ़ हो." वे शीशी से तेल कुप्पी के अंदर डालने लगे.
मुझे गांड में तेल उतरता हुआ महसूस हुआ. बड़ा अजीब सा पर मजेदार अनुभव था. सर ने मेरी कमर पकड़कर मेरे बदन को हिलाया "बड़ी टाइट गांड है रे तेरी, तेल धीरे धीरे अंदर जा रहा है"