hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
सर ने लीना के चूतड़ खोले और उसके जरा से छेद में अपना सेब जैसा सुपाड़ा फ़ंसा दिया. फ़िर पेलने लगे. दीदी का बदन कपकपाने लगा.
"आज आपका सुपाड़ा नहीं फ़िसला सर? पिछली बार उस लड़की ... क्या नाम था उसका .... वो बड़ी सेक्सी बदमाश लड़की थी बॉब कट वाली? ... हां .... रीता ... आपका बार बार फ़िसल जाता था, आधा घंटा लग गया था उसकी लेने में." मैडम बोलीं.
"अरे उसे बांधा नहीं था ना, आप ने सिर्फ़ मुंह पकड़ा था. आज इंतजाम अच्छा है. जल्दी पेल दूंगा" सर दीदी की गांड में अपना लंड पेलते हुए बोले.
"उसकी तो फ़ाड़ भी दी थी आप ने. डाक्टर के यहां ले जाना पड़ा था. अच्छा हुआ कि होस्टल की लड़की थी और डॉक्टर भी पहचान का था. और वो रीता भी मेरे ऊपर फिदा थी इसलिये मैंने किसी तरह मना लिया था, नहीं तो जरूर बड़ा लफ़ड़ा होता था सर" मैडम की बात सुनकर मैं अपनी कमर उचकाने लगा, लंड और तन गया. मैडम देखकर हंस कर बोलीं "ये अनिल देखो कैसा बदमाश है, दीदी की गांड फ़टने की बात सुनकर ही मजा आ गया इसको"
"अरे मैडम, ये मरवा चुका है ना, इसे मालूम है इसका मजा. वैसे आज ऐसा नहीं होगा. फ़ाड़ूंगा नहीं, आखिर इतनी प्यारी बच्ची है, आखिर साल भर मारनी है इसकी. हां मजे ले लेकर सारे दिन मारूंगा आज" कहकर सर ने और लंड पेला और सुपाड़ा आधा दीदी के गुदा में धंस गया. दीदी छटपटाने लगी. शायद चिल्लाने की कोशिश कर रही थी पर मुंह से बस हल्का सा ’गों’ गों’ निकल रहा था.
सर रुक गये. थोड़ा सा सुपाड़ा बाहर खींचा और फ़िर थोड़ा अंदर किया. "क्या सर छोकरी को तड़पा रहे हैं आप. मैंने वो टी वी पे देखा था, एक शेर हिरन के बच्चे का ऐसा ही शिकार कर रहा था" मैडम सर को चूम कर बोलीं.
"हां मैडम, इसीमें तो आधा मजा है. इतना टाइट पकड़ा है इस छोकरी की गांड ने मुझे कि लगता है मखमली शिकंजा है. धीरे धीरे इसका छेद चौड़ा करूंगा और फ़िर अंदर डालूंगा" सर बोले और दीदी के चूतड़ मसलने लगे. कई बार उन्होंने आधा सुपाड़ा दीदी की गांड में फ़ंसाया और फ़िर अंदर बाहर करके फ़िर निकाल लिया. दीदी बस धीरे धीरे सिसक रही थी.
थोड़ी देर खेलने के बाद सर ने फ़िर जोर लगाया और पक्क से अपना सुपाड़ा दीदी की गांड के अंदर कर दिया. दीदी जोर से तड़पी और उठने की कोशिश करने लगी. मैडम ने उसे दबोचे रखा. सर मस्ती में आकर मैडम को जोर से चूमने लगे "ओह मैडम ... ओह ... आपकी यह स्टुडेंट तो ..... गुड़िया है .... रबड़ की गुड़िया .... मजा आ गया मैडम"
मैडम सर के चूतड़ दबा कर बोलीं "अब पूरा डाल दीजिये सर, जड़ तक, मैं देखना चाहती हूं कि क्या होता है, वैसे ये लड़की ले नहीं पायेगी आपका लंबा डंडा, इसके मुंह से निकल आयेगा देखियेगा"
सर ने जोर लगाया और लंड दीदी की गांड में घुसने लगा. इस बार सर नहीं रुके और पेलते रहे. अचानक कच्च से उनका आधा लंड दीदी के चूतड़ों को चौड़ा करता हुआ अंदर घुस गया. दीदी अब बुरी तरह से तड़प रही थी और उसके बदन में झटके पड़ रहे थे.
"ये हुई ना बात, ओह सर ... ले लिया इस जवान कन्या ने, मुझे नहीं लेगा था कि ले पायेगी" मैडम अपनी बुर को घिसते हुए बोलीं.
"हां मैडम .... ओह मैडम .... मैडम .... मैं झड़ने वाला हूं ..." कहकर सर ने मस्ती में आंखें बंद कर लीं. मैडम ने उनके लंड का बेस को जोर से दबाया और झड़ने से रोक दिया. "अरे सर ... क्या कर रहे हैं आप, इतनी मुश्किल से ये तमन्ना आप की पूरी हुई है, अब ठीक से चोदिये आपकी शिष्या को"
सर एक मिनिट वैसे ही बैठे रहे, फ़िर बोले "धन्यवाद मैडम, आप ने बचा लिया नहीं तो हमेशा मैं आप को कोसता. मैं भी कैसा हूं, अब तक इतने लोगों को चोद चुका हूं फ़िर भी मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ, आप का कैसे शुक्रिया अदा करूं?" और झुक कर मैडम की चूंची चूसने लगे.
मैडम उनके सिर को छाती से चिपटा कर बोलीं "कोई बात नहीं सर, ये माल ही ऐसा है, अब तक की सबसे प्यारी गुड़िया है ये. मुझे तो इसकी चूत के स्वाद से ही मालूम था, पर आप को तो चूत से ज्यादा इसकी गांड में रस था ना! अब मुझे शुक्रिया देना है तो आज बिना झड़े, मन लगाकर, हचक हचक कर, पेल पेल कर, मसल मसल कर इस कन्या के बदन को भोगिये, मुझे सब मिल जायेगा आप की खुशी देखकर"
सर ने एक गहरी सांसे ली और दीदी की गांड में लंड पेलने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे कोई मुलायम तरबूज में बड़ी छुरी घुस रही हो. दीदी अब चुपचाप पड़ी थी, शायद बेहोश हो गयी थी. मैडम ने शायद ये भांप लिया. सर को रोक कर बोलीं "रुकिये सर, ये बेचारी तो काम से गयी, इसे क्या मजा आयेगा. आप को और मुझे कोसेगी कि सोते सोते ही पूरा काम कर दिया. जरा होश आने दीजिये, फ़िर डालिये पूरा"
सर का आधा लंड बाहर था. वो बोले "हां मैडम, वैसे भी अब ये अंदर नहीं जा रहा है, जोर लगाना पड़ेगा. बड़ी टाइट म्यान है लीना बेटी की"
"बस यही तो मजे लेने की बात है सर. मैं इसे जगाती हूं, फ़िर इसे भी मजा दीजिये अपने लंड का. टाइट भले हो पर इन चुदैल जवान बदनों के छेद अच्छे गहरे होते हैं, आराम से ले लेते हैं आपका पूरा मूसल, आपने खुद तो देखा है इतनी बार" कहकर मैडम दीदी को चूम चूम कर उसे जगाने लगीं. उसके मुंह पर रुमाल से थोड़ा ठंडा पानी भी लगाया. सर की चप्पल दीदी के चिल्लाने की कोशिश करने की वजह से उसके मुंह से निकल आयी थी.
सर बोले "निकाल दीजिये अब मैडम"
"अरे नहीं, अपने सर की चरण पूजा का ऐसा मौका कहां मिलता है सब स्टूडेंट को. आप पूरा डाल कर मारना शुरू कर दीजिये, तब तक इसे स्वाद लेने दीजिये, देखिये मेरा स्टूडेंट कैसे चबा रहा है मेरी चप्पल! लगता है कि खा ही जायेगा" मैडम मेरी ओर देखकर लाड़ से बोलीं.
"आप की चप्पलें तो हैं ही खूबसूरत मैडम" सर ने कहा.
"आप की भी लीना को अच्छी लग रही होंगी. वैसे ये अच्छा नुस्खा है सर. याद है पहले आप किसी नये स्टूडेंट की मारते थे तो मुंह में कपड़ा ठूंस देते थे. चप्पल ज्यादा मजा देती होगी इनको"
क्रमशः। ...........................
"आज आपका सुपाड़ा नहीं फ़िसला सर? पिछली बार उस लड़की ... क्या नाम था उसका .... वो बड़ी सेक्सी बदमाश लड़की थी बॉब कट वाली? ... हां .... रीता ... आपका बार बार फ़िसल जाता था, आधा घंटा लग गया था उसकी लेने में." मैडम बोलीं.
"अरे उसे बांधा नहीं था ना, आप ने सिर्फ़ मुंह पकड़ा था. आज इंतजाम अच्छा है. जल्दी पेल दूंगा" सर दीदी की गांड में अपना लंड पेलते हुए बोले.
"उसकी तो फ़ाड़ भी दी थी आप ने. डाक्टर के यहां ले जाना पड़ा था. अच्छा हुआ कि होस्टल की लड़की थी और डॉक्टर भी पहचान का था. और वो रीता भी मेरे ऊपर फिदा थी इसलिये मैंने किसी तरह मना लिया था, नहीं तो जरूर बड़ा लफ़ड़ा होता था सर" मैडम की बात सुनकर मैं अपनी कमर उचकाने लगा, लंड और तन गया. मैडम देखकर हंस कर बोलीं "ये अनिल देखो कैसा बदमाश है, दीदी की गांड फ़टने की बात सुनकर ही मजा आ गया इसको"
"अरे मैडम, ये मरवा चुका है ना, इसे मालूम है इसका मजा. वैसे आज ऐसा नहीं होगा. फ़ाड़ूंगा नहीं, आखिर इतनी प्यारी बच्ची है, आखिर साल भर मारनी है इसकी. हां मजे ले लेकर सारे दिन मारूंगा आज" कहकर सर ने और लंड पेला और सुपाड़ा आधा दीदी के गुदा में धंस गया. दीदी छटपटाने लगी. शायद चिल्लाने की कोशिश कर रही थी पर मुंह से बस हल्का सा ’गों’ गों’ निकल रहा था.
सर रुक गये. थोड़ा सा सुपाड़ा बाहर खींचा और फ़िर थोड़ा अंदर किया. "क्या सर छोकरी को तड़पा रहे हैं आप. मैंने वो टी वी पे देखा था, एक शेर हिरन के बच्चे का ऐसा ही शिकार कर रहा था" मैडम सर को चूम कर बोलीं.
"हां मैडम, इसीमें तो आधा मजा है. इतना टाइट पकड़ा है इस छोकरी की गांड ने मुझे कि लगता है मखमली शिकंजा है. धीरे धीरे इसका छेद चौड़ा करूंगा और फ़िर अंदर डालूंगा" सर बोले और दीदी के चूतड़ मसलने लगे. कई बार उन्होंने आधा सुपाड़ा दीदी की गांड में फ़ंसाया और फ़िर अंदर बाहर करके फ़िर निकाल लिया. दीदी बस धीरे धीरे सिसक रही थी.
थोड़ी देर खेलने के बाद सर ने फ़िर जोर लगाया और पक्क से अपना सुपाड़ा दीदी की गांड के अंदर कर दिया. दीदी जोर से तड़पी और उठने की कोशिश करने लगी. मैडम ने उसे दबोचे रखा. सर मस्ती में आकर मैडम को जोर से चूमने लगे "ओह मैडम ... ओह ... आपकी यह स्टुडेंट तो ..... गुड़िया है .... रबड़ की गुड़िया .... मजा आ गया मैडम"
मैडम सर के चूतड़ दबा कर बोलीं "अब पूरा डाल दीजिये सर, जड़ तक, मैं देखना चाहती हूं कि क्या होता है, वैसे ये लड़की ले नहीं पायेगी आपका लंबा डंडा, इसके मुंह से निकल आयेगा देखियेगा"
सर ने जोर लगाया और लंड दीदी की गांड में घुसने लगा. इस बार सर नहीं रुके और पेलते रहे. अचानक कच्च से उनका आधा लंड दीदी के चूतड़ों को चौड़ा करता हुआ अंदर घुस गया. दीदी अब बुरी तरह से तड़प रही थी और उसके बदन में झटके पड़ रहे थे.
"ये हुई ना बात, ओह सर ... ले लिया इस जवान कन्या ने, मुझे नहीं लेगा था कि ले पायेगी" मैडम अपनी बुर को घिसते हुए बोलीं.
"हां मैडम .... ओह मैडम .... मैडम .... मैं झड़ने वाला हूं ..." कहकर सर ने मस्ती में आंखें बंद कर लीं. मैडम ने उनके लंड का बेस को जोर से दबाया और झड़ने से रोक दिया. "अरे सर ... क्या कर रहे हैं आप, इतनी मुश्किल से ये तमन्ना आप की पूरी हुई है, अब ठीक से चोदिये आपकी शिष्या को"
सर एक मिनिट वैसे ही बैठे रहे, फ़िर बोले "धन्यवाद मैडम, आप ने बचा लिया नहीं तो हमेशा मैं आप को कोसता. मैं भी कैसा हूं, अब तक इतने लोगों को चोद चुका हूं फ़िर भी मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ, आप का कैसे शुक्रिया अदा करूं?" और झुक कर मैडम की चूंची चूसने लगे.
मैडम उनके सिर को छाती से चिपटा कर बोलीं "कोई बात नहीं सर, ये माल ही ऐसा है, अब तक की सबसे प्यारी गुड़िया है ये. मुझे तो इसकी चूत के स्वाद से ही मालूम था, पर आप को तो चूत से ज्यादा इसकी गांड में रस था ना! अब मुझे शुक्रिया देना है तो आज बिना झड़े, मन लगाकर, हचक हचक कर, पेल पेल कर, मसल मसल कर इस कन्या के बदन को भोगिये, मुझे सब मिल जायेगा आप की खुशी देखकर"
सर ने एक गहरी सांसे ली और दीदी की गांड में लंड पेलने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे कोई मुलायम तरबूज में बड़ी छुरी घुस रही हो. दीदी अब चुपचाप पड़ी थी, शायद बेहोश हो गयी थी. मैडम ने शायद ये भांप लिया. सर को रोक कर बोलीं "रुकिये सर, ये बेचारी तो काम से गयी, इसे क्या मजा आयेगा. आप को और मुझे कोसेगी कि सोते सोते ही पूरा काम कर दिया. जरा होश आने दीजिये, फ़िर डालिये पूरा"
सर का आधा लंड बाहर था. वो बोले "हां मैडम, वैसे भी अब ये अंदर नहीं जा रहा है, जोर लगाना पड़ेगा. बड़ी टाइट म्यान है लीना बेटी की"
"बस यही तो मजे लेने की बात है सर. मैं इसे जगाती हूं, फ़िर इसे भी मजा दीजिये अपने लंड का. टाइट भले हो पर इन चुदैल जवान बदनों के छेद अच्छे गहरे होते हैं, आराम से ले लेते हैं आपका पूरा मूसल, आपने खुद तो देखा है इतनी बार" कहकर मैडम दीदी को चूम चूम कर उसे जगाने लगीं. उसके मुंह पर रुमाल से थोड़ा ठंडा पानी भी लगाया. सर की चप्पल दीदी के चिल्लाने की कोशिश करने की वजह से उसके मुंह से निकल आयी थी.
सर बोले "निकाल दीजिये अब मैडम"
"अरे नहीं, अपने सर की चरण पूजा का ऐसा मौका कहां मिलता है सब स्टूडेंट को. आप पूरा डाल कर मारना शुरू कर दीजिये, तब तक इसे स्वाद लेने दीजिये, देखिये मेरा स्टूडेंट कैसे चबा रहा है मेरी चप्पल! लगता है कि खा ही जायेगा" मैडम मेरी ओर देखकर लाड़ से बोलीं.
"आप की चप्पलें तो हैं ही खूबसूरत मैडम" सर ने कहा.
"आप की भी लीना को अच्छी लग रही होंगी. वैसे ये अच्छा नुस्खा है सर. याद है पहले आप किसी नये स्टूडेंट की मारते थे तो मुंह में कपड़ा ठूंस देते थे. चप्पल ज्यादा मजा देती होगी इनको"
क्रमशः। ...........................