hotaks444
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मैंने सोनल की तरफ देखा। सोनल ने मुझे सांत्वना दी। लगभग 15-20 मिनट बाद अंकल वापिस आये, साथ में आंटी भी थी।
सोनल खड़ी हो गई। मुझे तो कोई होश ही नहीं था, अगर सोनल मेरा हाथ पकड़कर नहीं उठाती तो।
बैठो, बैठो, बेटा, कहते हुए आंटी और अंकल हमारे सामने वाले सोफे पर बैठ गये।
अंकल आपको शायद पता ही होगा कि अपूर्वा की शादी की बात समीर से हुई थी, नवरीत ने शायद आपको बताया होगा, सोनल ने कहा।
हां बेटा, खुद भाईसाहब ने ही बताया था हमें,,, आंटी ने कहा।
तो फिर शायद बाद में क्या हुआ, वो भी बताया होगा, हम अभी उनके घर पर ही गये थे, पर वहां पर लॉक था, सोनल ने कहा।
बेटा, हमारी भी समझ में नहीं आ रहा उन्होंने ऐसा क्यों किया, मैंने उन्हें समझाने की कोशिश भी की थी, परन्तु वो मानने को तैयार ही नहीं हो रहे थे, अंकल ने कहा।
उन्होंने कुछ तो बताया होगा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं, सोनल ने कहा।
बेटा, मैंने बहुत पूछा था उनसे, पर उन्होंने कुछ बताया नहीं, अंकल ने कहा।
अब वो कहां पर हैं, आपको तो पता होगा, सोनल ने पूछा।
वो सभी इंडिया से बाहर गये हुए हैं, अभी भाईसाहब एक दिन के लिए आये थे, कुछ जरूरी काम था, इधर, फिर वापिस चले गए हैं, आंटी ने कहा।
उनका वहां का कॉन्टैक्ट नम्बर तो होगा ही आपके पास, सोनल ने कहा।
बेटा, मेरी उनके साथ थोड़ी कहासुनी हो गई थी इस बारे में, तो अभी तो उनका कोई कॉन्टैक्ट मेरे पास नहीं है, अंकल ने कहा।
अंकल आपके चेहरे के हाव-भाव से मुझे ऐसा लग रहा है कि आप कुछ छुपा रहे हैं, सोनल ने खड़े होते हुए कहा।
ऐसा कुछ नहीं है बेटा,,, अंकल और आंटी भी खड़े हो गए।
तभी नवरीत चाय लेकर आ गई। नवरीत ने मेरी तरफ देखा। मेरी तरफ देखते ही वो कुछ विचलित सी हो गई।
बेटा चाय पीकर जाना आराम से,,, कहते हुए अंकल बाहर चले गए।
नवरीत ने हमें चाय दी, वो हमारे दोनों के लिए ही चाय बनाकर लाई थी।
मेरी नजरें उस पर ही टिकी थी, इस आस में कि क्या पता यहीं से कुछ पता चल जाए।
ओके बेटा मैं नाश्ते की तैयारी कर लेती हूं, तेरे अंकल को जाना है, आप चाय पीओ,, कहते हुए आंटी बाहर चली गई।
आंटी के जाते ही नवरीत मेरे पास आई और घुटनों के बल नीचे बैठ कर मेरे चेहरे को हाथों में समेट कर मेरे चेहरे को देखने लगी।
क्या तुम मुझे कुछ बता सकती हो अपूर्वा के बारे में, वो कहां पर है, और मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है,,, कहते हुए मेरी आंखों में आंसु आ गए।
आई एम सॉरी, पर मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया ये सब क्यों हो रहा है, नवरीत ने मेरे आंसु पौंछते हुए कहा।
तुम तो उनके साथ गई हुई थी ना विदेश में, मैंने कहा।
हां, मैं उनके साथ ही गई हुई थी, अभी अंकल आए तब उनके साथ आ गई थी,, नवरीत के चेहरे पर मायूस साफ दिख रही थी।
वो कहां गये हुए हैं, मैं वहीं जाकर अपूर्वा से मिल लूंगा, मैंने नवरीत से विनती करते हुए कहा।
मैं नहंी बता सकती,,, कहते हुए नवरीत की आंखें नम हो गई।
नवरीत बेटा,, बाहर से अंकल की आवाज आई।
नवरीत मायूस नजरों से मेरी तरफ देखते हुए बाहर चली गई। उसकी आंखे नम थी। नवरीत के चेहरे के भावों से मेरा दिल बैठा जा रहा था। जो कुछ भी सोनल के आने से थोड़ा बहुत सुकून मिला था वो एक पल में ही गायब हो चुका था। मुझे किसी अनहोनी की आंशका ने घेर लिया था। अब तो मैं अपूर्वा से मिलने के लिए पहले से भी ज्यादा व्याकुल हो उठा था। परन्तु कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। मेरी आंखों से झर झर आंसु बह रहे थे।
मुझे लग रहा है कि ये कुछ छुपा रहे हैं, सोनल ने खड़े होते हुए कहा।
मैं भी खड़ा होकर बाहर की तरफ चल दिया। हम बाहर आये तो सामने से आंटी हमारी तरफ ही आ रही थी। मेरी आंखों से बहते आंसुओं को देखकर वो मेरे पास आई और मुझे अपने सीने से लगा लिया।
सब कुछ ठीक हो जायेगा बेटा, आंटी के मुंह से इतना ही निकला।
आंटी आप बता दीजिए ना, वो कहां पर गये हैं, मैं वहीं पर चला जाउंगा,,, मेरी आवाज दब रही थी, ऐसा लग रहा था कि कुछ आवाज को बाहर निकलने से रोक रहा है।
आंटी ने मुझे अपने से अलग किया और मेरे सिर में हाथ फेरते हुए कहा, ‘बेटा अब मैं क्या बताउं, तुम्हारे अंकल को ही नहीं पता’।
ऐसा कैसे हो सकता है आंटी, वो आपको कुछ भी बताये बिना कैसे जा सकते हैं, और फिर नवरीत तो उनके साथ भी गई थी, तो कैसे आपको नहीं पता,, मैंने कहा।
अब कुछ भी समझ लो बेटा, कहकर आंटी अंदर चली गई। उनकी आंखों में आंसु थे।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्यों रो रहे हैं, ये क्यों इतने दुखी हैं, जबकि ये सब कुछ जानते हैं।
मैं वहीं पर खड़ा हुआ अंदर की तरफ देखता रहा।
चलो, मुझे कहीं और से कुछ पता करना पड़ेगा,,, सोनल ने मुझे बाहर लाते हुए कहा।
मैं अभी भी अंदर ही देखे जा रहा था, इस उम्मीद में कि शायद कोई कुछ बता ही दे।
घर आकर हम उपर आ गये।उपर आते ही सोनल ने मुझे अपने गले लगा लिया।
सब कुछ ठीक हो जायेगा बेबी,,, मैं आ गई हूं ना अब,,, कहते हुए सोनल मुझे बाहों में भरे हुए अंदर आ गई।
सोनल खड़ी हो गई। मुझे तो कोई होश ही नहीं था, अगर सोनल मेरा हाथ पकड़कर नहीं उठाती तो।
बैठो, बैठो, बेटा, कहते हुए आंटी और अंकल हमारे सामने वाले सोफे पर बैठ गये।
अंकल आपको शायद पता ही होगा कि अपूर्वा की शादी की बात समीर से हुई थी, नवरीत ने शायद आपको बताया होगा, सोनल ने कहा।
हां बेटा, खुद भाईसाहब ने ही बताया था हमें,,, आंटी ने कहा।
तो फिर शायद बाद में क्या हुआ, वो भी बताया होगा, हम अभी उनके घर पर ही गये थे, पर वहां पर लॉक था, सोनल ने कहा।
बेटा, हमारी भी समझ में नहीं आ रहा उन्होंने ऐसा क्यों किया, मैंने उन्हें समझाने की कोशिश भी की थी, परन्तु वो मानने को तैयार ही नहीं हो रहे थे, अंकल ने कहा।
उन्होंने कुछ तो बताया होगा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं, सोनल ने कहा।
बेटा, मैंने बहुत पूछा था उनसे, पर उन्होंने कुछ बताया नहीं, अंकल ने कहा।
अब वो कहां पर हैं, आपको तो पता होगा, सोनल ने पूछा।
वो सभी इंडिया से बाहर गये हुए हैं, अभी भाईसाहब एक दिन के लिए आये थे, कुछ जरूरी काम था, इधर, फिर वापिस चले गए हैं, आंटी ने कहा।
उनका वहां का कॉन्टैक्ट नम्बर तो होगा ही आपके पास, सोनल ने कहा।
बेटा, मेरी उनके साथ थोड़ी कहासुनी हो गई थी इस बारे में, तो अभी तो उनका कोई कॉन्टैक्ट मेरे पास नहीं है, अंकल ने कहा।
अंकल आपके चेहरे के हाव-भाव से मुझे ऐसा लग रहा है कि आप कुछ छुपा रहे हैं, सोनल ने खड़े होते हुए कहा।
ऐसा कुछ नहीं है बेटा,,, अंकल और आंटी भी खड़े हो गए।
तभी नवरीत चाय लेकर आ गई। नवरीत ने मेरी तरफ देखा। मेरी तरफ देखते ही वो कुछ विचलित सी हो गई।
बेटा चाय पीकर जाना आराम से,,, कहते हुए अंकल बाहर चले गए।
नवरीत ने हमें चाय दी, वो हमारे दोनों के लिए ही चाय बनाकर लाई थी।
मेरी नजरें उस पर ही टिकी थी, इस आस में कि क्या पता यहीं से कुछ पता चल जाए।
ओके बेटा मैं नाश्ते की तैयारी कर लेती हूं, तेरे अंकल को जाना है, आप चाय पीओ,, कहते हुए आंटी बाहर चली गई।
आंटी के जाते ही नवरीत मेरे पास आई और घुटनों के बल नीचे बैठ कर मेरे चेहरे को हाथों में समेट कर मेरे चेहरे को देखने लगी।
क्या तुम मुझे कुछ बता सकती हो अपूर्वा के बारे में, वो कहां पर है, और मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है,,, कहते हुए मेरी आंखों में आंसु आ गए।
आई एम सॉरी, पर मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया ये सब क्यों हो रहा है, नवरीत ने मेरे आंसु पौंछते हुए कहा।
तुम तो उनके साथ गई हुई थी ना विदेश में, मैंने कहा।
हां, मैं उनके साथ ही गई हुई थी, अभी अंकल आए तब उनके साथ आ गई थी,, नवरीत के चेहरे पर मायूस साफ दिख रही थी।
वो कहां गये हुए हैं, मैं वहीं जाकर अपूर्वा से मिल लूंगा, मैंने नवरीत से विनती करते हुए कहा।
मैं नहंी बता सकती,,, कहते हुए नवरीत की आंखें नम हो गई।
नवरीत बेटा,, बाहर से अंकल की आवाज आई।
नवरीत मायूस नजरों से मेरी तरफ देखते हुए बाहर चली गई। उसकी आंखे नम थी। नवरीत के चेहरे के भावों से मेरा दिल बैठा जा रहा था। जो कुछ भी सोनल के आने से थोड़ा बहुत सुकून मिला था वो एक पल में ही गायब हो चुका था। मुझे किसी अनहोनी की आंशका ने घेर लिया था। अब तो मैं अपूर्वा से मिलने के लिए पहले से भी ज्यादा व्याकुल हो उठा था। परन्तु कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था। मेरी आंखों से झर झर आंसु बह रहे थे।
मुझे लग रहा है कि ये कुछ छुपा रहे हैं, सोनल ने खड़े होते हुए कहा।
मैं भी खड़ा होकर बाहर की तरफ चल दिया। हम बाहर आये तो सामने से आंटी हमारी तरफ ही आ रही थी। मेरी आंखों से बहते आंसुओं को देखकर वो मेरे पास आई और मुझे अपने सीने से लगा लिया।
सब कुछ ठीक हो जायेगा बेटा, आंटी के मुंह से इतना ही निकला।
आंटी आप बता दीजिए ना, वो कहां पर गये हैं, मैं वहीं पर चला जाउंगा,,, मेरी आवाज दब रही थी, ऐसा लग रहा था कि कुछ आवाज को बाहर निकलने से रोक रहा है।
आंटी ने मुझे अपने से अलग किया और मेरे सिर में हाथ फेरते हुए कहा, ‘बेटा अब मैं क्या बताउं, तुम्हारे अंकल को ही नहीं पता’।
ऐसा कैसे हो सकता है आंटी, वो आपको कुछ भी बताये बिना कैसे जा सकते हैं, और फिर नवरीत तो उनके साथ भी गई थी, तो कैसे आपको नहीं पता,, मैंने कहा।
अब कुछ भी समझ लो बेटा, कहकर आंटी अंदर चली गई। उनकी आंखों में आंसु थे।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्यों रो रहे हैं, ये क्यों इतने दुखी हैं, जबकि ये सब कुछ जानते हैं।
मैं वहीं पर खड़ा हुआ अंदर की तरफ देखता रहा।
चलो, मुझे कहीं और से कुछ पता करना पड़ेगा,,, सोनल ने मुझे बाहर लाते हुए कहा।
मैं अभी भी अंदर ही देखे जा रहा था, इस उम्मीद में कि शायद कोई कुछ बता ही दे।
घर आकर हम उपर आ गये।उपर आते ही सोनल ने मुझे अपने गले लगा लिया।
सब कुछ ठीक हो जायेगा बेबी,,, मैं आ गई हूं ना अब,,, कहते हुए सोनल मुझे बाहों में भरे हुए अंदर आ गई।