Antarvasnasex Aunty ke Sath Mastiya - Page 2 - SexBaba
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Antarvasnasex Aunty ke Sath Mastiya

‘आंटी आप जानती हैं.. मैं तो सिर्फ़ इसका दीवाना हूँ, ये ही दे दीजिए।’ मैं आंटी की चूत पर हाथ रखता हुआ बोला।

‘अरे वो तो तेरी ही है… जब मर्ज़ी आए ले लेना, आज तू जो कहेगा वही करूँगी।’

‘सच आंटी.. आप कितनी अच्छी हो।’ यह कह कर मैंने आंटी को अपनी बांहों में भर लिया और अपने होंठ आंटी के रसीले होंठों पर रख दिए।

मैं दोनों हाथों से आंटी के मोटे-मोटे चूतड़ सहलाने लगा और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनके होठों का रस पीने लगा।

ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत को इस तरह चूमा था।

आंटी की साँसें तेज़ हो गईं।

अब मैंने धीरे से आंटी की सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार सरक कर नीचे गिर गई।

‘राज, तू इतना उतावला क्यों हो रहा है ? मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही। पहले खाना तो खा ले, फिर जो चाहे कर लेना। चल अब छोड़ मुझे।’

यह कह कर आंटी ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की।

मैंने उनके कुर्ते के नीचे से हाथ डाल कर आंटी के चूतड़ों को उनकी सॉटिन की कच्छी के ऊपर से दबाते हुए कहा- ठीक है आंटी जान, छोड़ देता हूँ.. मगर एक शर्त आपको माननी पड़ेगी।’

‘बोल क्या शर्त है ?’

‘शर्त यह है कि आप अपने सारे कपड़े उतार दीजिए, फिर हम खाना खा लेंगे।’ मैं आंटी के होंठ चूमता हुआ बोला।

‘क्यों तू किसी ज़माने में कौरव था.. जो अपनी आंटी को द्रौपदी की तरह नंगी करना चाहता है?’ आंटी मुस्कुराते हुए बोलीं।

मैं आंटी की कच्छी में हाथ डाल कर उनके चूतड़ों को मसलते हुए बोला- नहीं आंटी.. आप तो द्रौपदी से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हैं और मैंने अपनी प्यारी आंटी को आज तक जी भर के नंगी नहीं देखा।’

‘झूट बोलना तो कोई तुझसे सीखे, कल तूने क्या किया था मेरे साथ? बाप रे.. साण्ड की तरह… भूल गया?’

‘कैसे भूल सकता हूँ मेरी जान… अब उतार भी दो ना।’ यह कहते हुए मैंने आंटी का कुर्ता भी ऊपर करके उठा दिया। अब वो सिर्फ़ ब्रा और छोटी सी कच्छी में थीं।

‘अच्छा तेरी शर्त मान लेती हूँ, लेकिन तुझे भी अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे।’

और आंटी ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर उतार दिया।

इसके बाद उन्होंने मेरी पैन्ट भी नीचे खींच दी।

मेरा लौड़ा अंडरवियर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था। आंटी मेरे लौड़े को अंडरवियर के ऊपर से सहलाते हुए कहा- राज, ये महाशय क्यों नाराज़ हो रहे हैं?

‘आंटी नाराज़ नहीं हो रहे, बल्कि आपको इज़्ज़त देने के लिए खड़े हो रहे हैं।’

‘सच.. बहुत समझदार है।’ यह कहते हुए आंटी ने मेरा अंडरवियर भी नीचे खींच दिया।

मेरा लौड़ा फनफना कर खड़ा हो गया। आंटी के मुँह से सिसकारी निकल गई और वो बड़े प्यार से लौड़े को सहलाने लगीं।

मैंने भी आंटी की ब्रा का हुक खोल कर आंटी की चूचियों को आज़ाद कर दिया।

फिर मैंने दोनों चूचकों को बारी-बारी से चूसा और आंटी की कच्छी को नीचे सरका दिया।

गोरी-गोरी जांघों के बीच में झांटों से भरी आंटी की चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी।

‘अब तो मैंने तेरी शर्त मान ली, अब मुझे खाना बनाने दे।’ ये कह कर वो रसोई की ओर चल पड़ीं।

ऊफ़.. क्या नज़ारा था.. गोरा बदन, चूतड़ों तक लटकते घने बाल, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए भारी नितंब, सुडौल जांघें और उन मांसल जांघों के बीच घनी लम्बी झांटों से भरी फूली हुई चूत।

चलते वक़्त मटकते हुए चूतड़ और झूलती हुई चूचियाँ बिल्कुल जान लेवा हो रही थीं।

आंटी रसोई में खाना बनाने लगीं।

मैं भी रसोई में जा कर आंटी के चूतड़ों से चिपक कर खड़ा हो गया।

मेरा लौड़ा आंटी के चूतड़ों की दरार में फँसने की कोशिश करने लगा।

मैं आंटी की चूचियों को पीछे से हाथ डाल कर मसलने लगा।

‘छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे।’ आंटी झूटमूट का गुस्सा करते हुए बोलीं और साथ ही में अपने चूतड़ों को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया कि मेरा लौड़ा उनके चूतड़ों की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छूने लगा।

आंटी की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लौड़े के आगे का भाग भी आंटी की चूत के रस में सन गया।

इतने में आंटी कुछ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गए।

आंटी के भारी चूतड़ों के बीच से आंटी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी।

मैंने झट से अपने मोटे लौड़े का सुपारा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया, मेरा लौड़ा चूत को चीरता हुआ 3 इंच अन्दर घुस गया।

‘आआ…….ह… क्या कर रहा है राज? तुझे तो बिल्कुल भी सबर नहीं… निकाल ले ना…।’

लेकिन आंटी ने उठने की कोई कोशिश नहीं की।
 
मैंने आंटी की कमर पकड़ कर थोड़ा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया। इस बार तो करीब 8 इंच लौड़ा आंटी की चूत में समा गया।

‘आ…आ..आ…आ. .आ ..वी मा..आआ.. मर गई, छोड़ ना मुझे, पहले खाना तो खा ले।’ आंटी सीधी हुई पर लौड़ा अब भी चूत में धंसा हुआ था। मैंने पीछे से हाथ डाल कर आंटी की चूचियां पकड़ लीं।

‘आंटी, आप खाना बनाइए ना आपको किसने रोका है?’

उसके बाद आंटी उसी मुद्रा में खाना बनाती रहीं और मैं भी आंटी की चूत में पीछे से लौड़ा फँसा कर आंटी की पीठ और चूतड़ों को सहलाता रहा।

‘चल राज खाना तैयार है, निकाल अपने मूसल को।’ आंटी अपने चूतड़ पीछे की ओर उचकाते हुए बोलीं।

मैंने आंटी के चूतड़ पकड़ कर दो-तीन धक्के और लगाए और लौड़े को बाहर निकाल लिया। मेरा पूरा लंड आंटी की चूत के रस से सना हुआ था।

आंटी ने टेबल पर खाना रखा और मैं कुर्सी खींच कर बैठ गया।

‘आओ आंटी, आज आप मेरी गोद में बैठ कर खाना खा लो।’

‘हाय राम तेरी गोद में जगह कहाँ है? एक लम्बी सी तलवार निकली हुई है।’ आंटी मेरे खड़े हुए लंड को देखती हुई मुस्कुरा कर बोलीं।

‘आंटी आपके पास म्यान है ना.. इस तलवार के लिए।’ यह कहते हुए मैंने आंटी को अपनी गोद में खींच लिया।

आंटी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौड़ा भी चूत के रस में सना हुआ था।

जैसे ही आंटी मेरी गोद में बैठीं मेरा खड़ा लौड़ा आंटी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया।

‘अईया…आआहह. .ऊऊहह …अया .. कितना जंगली है रे तू… 10 इंच लम्बा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या?’

‘सॉरी आंटी.. चलो अब खाना खा लेते हैं।’

हमने इसी मुद्रा में खाना खाया। खाना खाने के बाद जब आंटी झूठे बर्तन रखने के लिए उठीं तो मेरा लंड ‘फ़च्च’ की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया।

बर्तन समेटने के बाद आंटी आईं और बोलीं- हाँ तो भतीजे जी अब क्या इरादा है?

‘अपना इरादा तो अपनी प्यारी आंटी को जी भर के चोदने का है।’ मैंने कहा।

‘तो अभी तक क्या हो रहा था?’

‘अभी तक तो सिर्फ़ ट्रेलर था, असली पिक्चर तो अब चालू होगी।’ कहते हुए मैंने नंगी आंटी को अपनी बांहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया।

मैं खड़ा हुआ था, मेरा विशाल लंड तना हुआ था और आंटी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थीं।

आंटी की चूत मेरे पेट से चिपकी हुई थी और मेरा पेट आंटी की चूत के रस से गीला हो गया था।

मैंने खड़े-खड़े ही आंटी को थोड़ा नीचे की ओर सरकाया जिससे मेरा तना हुआ लंड आंटी की चूत में प्रविष्ट हो गया।

इसी प्रकार मैं आंटी को उठा कर उनके कमरे में ले गया और बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया।

आंटी की टाँगों के बीच में बैठ कर मैंने उनकी टाँगों को चौड़ा किया और अपने लंड का सुपारा उनकी चूत के मुँह पर टिका दिया।

अब आंटी से ना रहा गया- राज, तंग मत कर… अब और नहीं सहा जाता… जल्दी से पेल… जी भर के चोद मेरे राजा… फाड़ दे मेरी चूत को…!’

मैंने एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधा लंड आंटी की चूत में पेल दिया।

‘आआआअ… आईययइ…ह…अह… मार गई मेरी माँ… आह.. फट जाएगी मेरी चूत… आ.. इश्स… इससस्स..उई… आआआः… खूब जम के चोद मेरे राजा.. कितना मोटा है रे तेरा लंड… इतना मज़ा तो ज़िंदगी भर नहीं आया… आ…आआहह।’ आंटी इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गई थीं कि अब बिल्कुल रंडी की तरह बातें कर रही थीं।

मैंने थोड़ा सा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा जड़ तक आंटी की चूत में पेल दिया।

मेरे अमरूद आंटी के चूतड़ों से टकराने लगे। मैं आंटी की सुन्दर चूचियों को मसलने और चूसने लगा और उनके रसीले होठों को भी चूसने लगा।

आंटी चूतड़ उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का जबाब दे रही थीं।

पाँच मिनट की भयंकर चुदाई के बाद आंटी पसीने से तर हो गई थीं और उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी।

‘फ़च… फ़च.. फ़च…’ की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था।

आंटी की चूत में से इतना रस निकला कि मेरे अमरूद तक गीले हो गए।

मैंने आंटी के होंठ चूमते हुए कहा- आंटी मज़ा आ रहा है ना ? नहीं आ रहा तो निकाल लूँ।

‘चुप बदमाश.. खबरदार जो निकाला… अब तो मैं इसको हमेशा अपनी चूत में ही रखूँगी…!’

‘आंटी आपने कभी अंकल का लंड चूसा है?’

‘नहीं रे, कहा ना तेरे अंकल को तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर चोदना आता है, काम-कला तो उन्होंने सीखी ही नहीं।’

‘आपका दिल तो करता होगा मर्द का लौड़ा चूसने का?’

‘किस औरत का नहीं करेगा? औरत तो ये भी चाहती है कि मर्द भी उसकी चूत चाटे।’

‘आंटी मेरी तो आपकी चूत चूसने की बहुत तमन्ना है।’ मैंने अपना लंड आंटी की चूत में से निकाल लिया और मैं पीठ के बल लेट गया।

‘आंटी आप मेरे ऊपर आ जाओ और अपनी प्यारी चूत का स्वाद चखने दो।’ मैंने आंटी को अपने ऊपर खींच लिया।
 
आंटी का सिर मेरी टाँगों की तरफ था।

आंटी की टाँगें मेरे सिर के दोनों तरफ थीं और उनकी चूत ठीक मेरे मुँह के ऊपर थी। मैंने आंटी के चूतड़ों को पकड़ कर उनकी चूत को अपने मुँह की ओर खींच लिया।

मैंने कुत्ते की तरह आंटी की झांटों से भारी चूत को चाटना शुरू कर दिया।

आंटी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।

आंटी की चूत की सुगंध मुझे पागल बना रही थी। चूत इतना पानी छोड़ रही थी कि मेरा मुँह आंटी की चूत के रस से सन गया।

इस मुद्रा में आंटी की आँखों के सामने मेरा विशाल लंड था। आंटी ने भी मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया।

मेरा लंड तो आंटी के ही रस से सना हुआ था, आंटी को मेरे वीर्य के साथ अपनी चूत के रस के मिश्रण को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था।

अब आंटी ने मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया। इतना मोटा लंड बड़ी मुश्किल से उनके मुँह में जा रहा था।

जी भर के लंड चूसने के बाद आंटी उठीं और मेरे मुँह की तरफ मुँह करके मेरे लंड के ऊपर बैठ गई।

चूत इतनी गीली थी कि बिना किसी रुकावट के पूरा लौड़ा आंटी की चूत में जड़ तक घुस गया।

आंटी ने मुझे चूमना शुरू कर दिया और ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करके लौड़ा अपनी चूत में पेलने लगीं।

मैं आंटी की चूचियों को चूसने लगा, पाँच मिनट के बाद वो थक कर मेरे ऊपर लेट गईं और बोलीं- राज, तू आदमी है कि जानवर… इतनी देर से चोद रहा है लेकिन अभी तक झड़ा नहीं… मैं अब तक तीन बार झड़ चुकी हूँ।

‘मेरी प्यारी आंटी मेरे लंड को आपकी चूत इतनी अच्छी लगती है कि जब तक इसकी प्यास नहीं बुझ जाती, यह नहीं झड़ेगा। आपने मुझे जानवर कहा ही है तो अब मैं आपको जानवर की तरह ही चोदूँगा।’

‘हे भगवान.. कल ही तो तूने साण्ड की तरह चोदा था… अब और कैसे चोदेगा?’

‘कल आपको साण्ड की तरह चोदा था आज आपको कुतिया की तरह चोदूँगा।’

‘चोद मेरे राजा जैसे चाहता है वैसे चोद… अपनी आंटी को कुतिया बना के चोद… लेकिन ज़रा मुझे एक बार गुसलखाने जाने दे।’

इतनी देर चुदाई के बाद आंटी को पेशाब आ गया था।

वो उठ कर गुसलखाने में गईं लेकिन दरवाज़ा खुला ही छोड़ दिया। इतना चुदवाने के बाद आंटी की शर्म बिल्कुल खत्म हो गई थी।

गुसलखाने से ‘प्सस्सस्सस्स…’ की आवाज़ आने लगी। मैं समझ गया आंटी ने मूतना शुरू कर दिया है।

आंटी के मूतने की आवाज़ सुन कर मैं आंटी को चोदने की लिए तड़प उठा।

आंटी वापस आई और मुस्कुराते हुए कुतिया बन कर बोलीं- आ मेरे राजा.. तेरी कुतिया चुदवाने के लिए हाज़िर है।

आंटी ने अपने चूतड़ ऊपर उठा रखे थे और उनका सीना बिस्तर पर टिका हुआ था।

उनके विशाल चूतड़ों के बीच से झांकती हुई चूत को देख कर मेरा लौड़ा फनफनाने लगा, मैं आंटी के पीछे बैठ कर आंटी की चूत को कुत्ते की तरह सूंघने और चाटने लगा।

‘अया…. ऊऊओ .. क्या कर रहा है? तू तो सचमुच कुत्ता बन गया है।’

‘आंटी अगर आप कुतिया हैं, तो मैं तो कुत्ता हुआ ना… कुतिया को तो कुत्ता ही चोद सकता है।’

मैं पीछे से आंटी की चूत चाटने लगा।

मेरे मुँह में नमकीन स्वाद आ रहा था, क्योंकि आंटी अभी मूत कर आई थीं।

इस मुद्रा में चूत चाटने से मेरी नाक आंटी की गाण्ड में लग रही थी।

अब मैंने आंटी के दोनों चूतड़ फैला दिए, आंटी की गाण्ड का गुलाबी छेद बहुत ही सुन्दर लग रहा था। मैंने अपनी जीभ से उस गुलाबी छेद को भी चाटना शुरू कर दिया और एक-दो बार जीभ गाण्ड के छेद में भी डाल दी।

‘अईया…ह …अईया ऊऊहह राज बहुत अच्छा लग रहा है।’ काफ़ी देर तक मैंने आंटी की चूत और गाण्ड चाटी।

मैं आंटी को कुतिया की तरह चोदने के लिए तैयार था।

अब मैंने उठ कर अपने लौड़े का सुपारा आंटी की चूत के मुँह पर रखा और उनकी कमर पकड़ कर ज़ोरदार धक्का लगाया।

चूत बहुत ही गीली थी और इतनी देर से हो रही चुदाई के कारण चौड़ी हो गई थी। एक ही धक्के में पूरा 10 इंच लौड़ा आंटी की चूत में समा गया।

अब मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए।

‘फ़च..फ़च..’ का मधुर संगीत कमरे में गूंज़ने लगा।

‘आंटी मज़ा आ रहा है मेरी जान?’

‘ऊहह…उई बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राजा… उई…. फाड़ डालो मेरी चूत को आज… मार डालो मुझे… माँ….. मैं मर जाऊँगी।’

‘आंटी मेरा इनाम कब दोगी?’

‘अया….. उई…. जब मर्ज़ी लेले… उई बोल …अया … क्या चाहिए?’

‘आंटी मैं आपकी गाण्ड में अपना लंड डालना चाहता हूँ।’

‘नहीं रे… तेरा मूसल तो मेरी गाण्ड फाड़ देगा… ना बाबा ना… कुछ और माँग ले।’

‘आंटी मेरी जान जब से आप इस घर में आई हो आपकी मोटी गाण्ड देख कर ही मेरा लंड फनफना जाता है। एक बार तो इस लौड़े को अपनी गाण्ड का स्वाद लेने दो।’

‘तू तो बहुत ही ज़िद्दी है, ठीक है अगर तुझे मेरी गाण्ड इतनी पसंद है तो लेले। लेकिन मेरे राजा बहुत धीरे से डालना, तेरा लंड बहुत ही मोटा है।’

‘हाँ आंटी बिल्कुल धीरे से डालूँगा।’

मैं जल्दी से वैसलीन ले आया, आंटी के पीछे बैठ कर उनके चूतड़ दोनों हाथों से फैला दिए और उस गुलाबी छेद को कुत्ते की तरह चाटने लगा।

जीभ को भी गाण्ड के अन्दर घुसेड़ दिया। मैंने ढेर सारी वैसलीन अपने लौड़े पर लगाई और फिर ढेर सारी अपनी ऊँगली पर लेकर आंटी की गाण्ड में लगाई।

अब मैंने अपने लंड का सुपारा आंटी की गाण्ड के छेद पर रखा और धीरे से दबाव डाल कर सुपारे को आंटी की गाण्ड में सरका दिया।

आंटी की गाण्ड का छेद मेरे मोटे लंड के घुसने से बुरी तरह फैल गया।

‘आआआआईयईईई ईईई… आआआहहा… मैं माआआआ… मर गई, बस कर राज आआहह… ओइई माआआअ… ओह निकाल ले बहुत दर्द हो रहा है।’

आंटी बहुत ज़ोर से चीखीं।

थोड़ी देर में जब आंटी का दर्द कम हुआ तो मैंने थोड़ा और दबाव डाल कर करीब तीन इंच लंड आंटी की गाण्ड में पेल दिया।

आंटी को पसीने छूट गए थे।
 
मैंने और थोड़ा इंतज़ार किया और आंटी की चूचियाँ और चूतड़ों को सहलाता रहा।

फिर मैंने आंटी की कमर पकड़ कर एक हल्का सा धक्का लगाया और 5 इंच लंड आंटी की गाण्ड में पेल दिया।

‘आआआः… ऊऊ…आआआः….इसस्सस्स और कितना बाकी है राज? फट जाएगी मेरी गाण्ड…!’

‘बस मेरी जान थोड़ा सा और।’ ये कहते हुए मैंने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया। अब तो करीब-करीब 7 इंच लंड आंटी की गाण्ड में समा गया।

‘आआअ.. आआआआ… ओईईईई… माआआ ..छोड़ दे मुझे ज़ालिम कहीं का… आआअ हह आ.. मुझे नहीं मरवानी गाण्ड.. प्लीज़ राज मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ.. निकाल ले… मैं नहीं सहन कर सकती माआ… आआहह उम्म्म्ममम।’

मैं थोड़ी देर तक बिना हिले लंड गाण्ड में डाले हुए पड़ा रहा।

जब आंटी का दर्द कम हुआ तो मैंने बहुत ही धीरे-धीरे अपना लंड आंटी की गाण्ड में अन्दर-बाहर करना शुरू किया।

आंटी का दर्द अब काफ़ी कम हो गया था।

मैंने अब पूरा लंड बाहर निकाल कर जड़ तक पेलना शुरू किया।

मैंने देखा कि आंटी भी अब अपने चूतड़ पीछे उचका कर मेरा लंड अपनी गाण्ड में ले रही थीं।

‘आंटी बोल कैसा लग रहा है?’ मैंने आंटी की चूचियाँ दबाते हुए पूछा।

‘आअहह… अब अच्छा लग रहा है.. मेरे राजा… उम्म्म्म थोड़ा और ज़ोर से चोद।’ अब तो मैं आंटी के चूतड़ पकड़ कर अपने लौड़े को आंटी की गाण्ड में जड़ तक पेलने लगा।

धीरे-धीरे मेरे धक्के तेज़ होते गए।

‘अया… उई अई…ह… ऊऊऊओ …आऐईयईईई, बहुत मज़ा आ रहा है… फाड़ दे अपने लौड़े से मेरी गाण्ड.. अया… पीछे से तो.. अब मैं तेरी बीवी हो गई हूँ… अईया… अईया… सुहागरात को तेरे अंकल ने मेरी कुँवारी चूत चोदी थी और आज तू मेरी कुँवारी गाण्ड मार रहा है। चोद मेरे राजा चोद मुझे… जी भर के चोद उम्म उफ़फ्फ़ हाय्यी उम्म्म अहह।’

मेरे धक्के और भी भयंकर होते जा रहे थे।

आंटी की जिस गाण्ड ने मेरी नींद उड़ा दी थी, आज उसी गाण्ड में मेरा लौड़ा जड़ तक घुसा हुआ था।

आंटी को चोदते हुए अब करीब दस मिनट हो चले थे, मैं भी अब झड़ने वाला था, 15-20 धक्कों के बाद मैंने ढेर सारा वीर्य आंटी की गाण्ड में उड़ेल दिया।

मेरा वीर्य आंटी की गाण्ड में से निकल कर चूत की ओर बहने लगा।

मैंने अपना लंड आंटी की गाण्ड में से बाहर निकाल लिया। आंटी ने उठ कर बड़े प्यार से लंड को अपने मुँह में ले कर चाटना और चूसना शुरू कर दिया।

आंटी ने पूरे लंड और मेरे अमरूदों को चाट कर ऐसे साफ़ कर दिया मानो मेरे लंड ने कभी चुदाई ही ना की हो।

‘आंटी दर्द तो नहीं हो रहा?’

‘अपना 10 इंच का मूसल मेरी गाण्ड में डालने के बाद पूछ रहा है दर्द तो नहीं हो रहा। लगता है एक महीने तक ठीक से चल भी नहीं पाऊँगी।’

‘तो फिर आपको मज़ा नहीं आया?’

‘कैसी बातें कर रहा है? इससे चुदवाने के बाद किस औरत को मज़ा नहीं आएगा? लेकिन तेरे दिल की तमन्ना पूरी हुई की नहीं?’ आंटी मेरे लौड़े को प्यार से सहलाते हुए बोलीं।

‘हाँ मेरी प्यारी आंटी… आपके भारी नितम्बों को मटकते देख कर मेरे दिल पर छुरियाँ चल जाती थीं, मेरा लंड फनफना उठता था और आपके चूतड़ों के बीच में घुसने को बेकरार हो जाता था। आज तो मैं निहाल हो गया।’

‘सच.. मुझे नहीं पता था कि मेरे चूतड़ तुझे इतना तड़पाते हैं, मैं बहुत खुश हूँ कि तेरे दिल की तमन्ना पूरी हुई। अब तो तू एक बार मेरी गाण्ड मार ही चुका है। जब भी तेरा दिल करेगा तुझे कभी मना नहीं करूँगी… तेरी ही चीज़ है।’

‘आप कितनी अच्छी हो आंटी… देखना अब आपके कूल्हों में कितना निखार आएगा… राह चलते लोगों का लंड आपके चूतड़ों को देख कर खड़ा हो जाएगा।’

‘मुझे किसी का लंड नहीं खड़ा करना, तेरा खड़ा होता रहे उतना ही काफ़ी है। अभी तो मेरी गाण्ड का छेद फटा सा जा रहा है।’

‘एक बात पूछूँ आंटी? अंकल आपको कौन कौन सी मुद्राओं में चोदते हैं?’

‘अरे.. तेरे अंकल तो अनाड़ी हैं, उन्हें तो सिर्फ़ मेरी टाँगों के बीच बैठ कर ही चोदना आता है। अक्सर तो पूरी तरह नंगी भी नहीं करते, साड़ी उठाई और पेल दिया… और 10-12 मिनट में ही काम खत्म…!’

‘आपको नंगी हो कर चुदवाने में मज़ा आता है?’

‘हाँ मेरे राजा… किस औरत को नहीं आएगा? और फिर मर्द को भी तो औरत को पूरी तरह नंगी करके चोदने में मज़ा आता है। तू बता तुझे किस मुद्रा में चोदना अच्छा लगता है?’

‘आंटी आपके जैसी खूबसूरत औरत को तो किसी भी मुद्रा में चोदने में मज़ा आता है, लेकिन सबसे ज़्यादा मज़ा तो आपको घोड़ी बना कर, आपके मोटे-मोटे चूतड़ फैला कर घोड़े की तरह चोदने में आता है। इस मुद्रा में आपकी फूली हुई रस भरी चूत और गुलाबी गाण्ड, दोनों के दर्शन हो जाते हैं और दोनों को ही आसानी से चोदा जा सकता है।’

‘अच्छा तो तू अब काफ़ी माहिर हो गया है।’

अब तो मैं और आंटी घर में हमेशा नंगे ही रहते थे और मैं दिन में तीन-चार बार आंटी को चोदता था और गाण्ड भी मारता था।

एक दिन अंकल वापस आ गए।

वापस आने के बाद तीन-चार दिन तो अंकल ने आंटी को जम कर चोदा, लेकिन उसके बाद फिर वही पुराना सिलसिला शुरू हो गया।

आंटी की चूत की प्यास को मिटाने की ज़िम्मेदारी फिर मेरे 10 इंच के लौड़े पर आ पड़ी। अब तो आंटी को गाण्ड मरवाने का इतना शौक हो गया कि हफ्ते में दो-तीन बार मुझे उनकी गाण्ड भी मारनी पड़ती थी।
 
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