hotaks444
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मैं बुझे हुए मन से और बिना कुछ खाये पिये ही अपने ऑफिस में बैठा हुआ था ,गहरे सोच में डूबा हुआ था,ऐसे भी मैं कई दिनों के बाद यंहा आया था और मेरा काम भी आजकल कुछ खास होता नही था,शाबनम ने पूरी जिम्मेदारी ही ले ली थी ,वैसे भी उसे मुझसे दुगुना पेमेंट मिलता था साथ ही साथ अगल से और भी पैसे कमा रही थी ,मैं तो बस नाम का ही मैनेजर रह गया था,
घर परिवार ,प्यार और प्रोफेसन सब में मैं पिछड़ रहा था ,गहरे सोच में डूबे हुए मुझे सब कुछ छोड़कर भागने का मन करने लगा ….
“तुम ऐसा करोगे मैंने सोचा भी नही था “मैं चौका सामने शाबनम थी उसका चहरा उतरा हुआ दिख रहा था ..
मुझे काजल के ऊपर बहुत ही गुस्सा आया जो भी हुआ वो हमारे बीच की बात थी बाहर उसे फैलाने का क्या मतलब था ..मैं बस शाबनम को देखता ही रहा ..
“अरे इतने दिनों के बाद आये हो और फिर बस यू ही कमरे में घुस गए …”
मैंने राहत की सांस ली ,वो मेरे पास आकर बैठ गई क्या हुआ लगता है कुछ परेशान हो ..
“हाँ बस काजल के बारे में “
“अरे यार तुम उसकी फिक्र मत करो वो जो भी कर रही होगी वो कुछ सोच समझ कर ही कर रही होगी ,तुम बस चील मारो और चलो मेरे साथ एक कुछ दिखाना है ...रश्मि से मिले क्या तूम “
“नही तो “
“परफेक्ट चलो फिर जल्दी उससे पहले की वो तुम्हे देख ले “
मैं मन में सोच रहा था की अब इसे क्या हो गया है ..
वो मुझे उसी पुराने कमरे में ले गई जंहा हम अक्सर मिलते थे..
“ये सब क्या है “
उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा कर मेरे सामने अपने स्तनों को तान दिया था …
“क्यो आज पीने का मन नही कर रहा है क्या “
“यार तुम भी मैं इतने टेंसन में हु और तुम ये सब “
मैं उठकर जाने को हुआ उसने मुझे खिंचकर अपने सीने से लगा लिया ..
“देव यार प्लीज् कई दिन हो गए है..मेरी भी तो थोड़ी फिक्र करो “
उसकी तड़फ देखकर मैं आज पहली बार मुस्कुराया
“तुम भी ना “
मैंने उसे जोरो से जकड़ लिया ,वो थोड़ी कसमसाई …
“क्या हुआ अब क्यो कसमसा रही हो “
उसके चहरे में मुस्कान फैल गई
“यार तूम काजल की टेंशन मत लो मैं हु ना तुम्हारा टेंसन निकालने के लिए “
वो खिलखिलाई ,मैं भी मुस्कुरा दिया लेकिन ये मुस्कान फीकी थी
“क्या हुआ मेरी जान ,आज सच में तुम प्रॉब्लम में हो ,,कोई तो बात होगी वरना तुम्हे ऐसे तो मैंने कभी नही देखा था “
उसका चहरा भी थोड़ा संजीदा हो गया था ,क्या मुझे उसे बतलाना चाहिए ??
मेरे दिमाग में ये बात घूम रही थी ,मैं क्या करू ये मुझे समझ नही आ रहा था लेकिन मुझे किसी की जरूरत जरूर थी जिससे मैं कुछ एडवाइस ले सकू ..
“मुझसे एक गलती हो गई है शाबनम जो नही होनी चाहिए थी “
मैंने उसके कमर से अपना कसाव कम किया और उससे अलग होकर बिस्तर में बैठ गया ..
वो मेरे पास आकर बैठ गई थी
“आखिर हुआ क्या है कुछ तो बोलो “
मैं उसे बतलाते गया उसका चहरा गंभीर होने लगा था ,अंत में वो बौखलाई नजर आयी
“ये तुमने क्या कर दिया देव जंहा तक मैं पूर्वी को जानती हु वो तुमसे बेहद प्यार करती है और तुमने …”
मैं सर झुका कर बैठा रहा
“जानते हो तुमने इससे भी ज्यादा गलती क्या की है ?”
मैं उसे देखता रहा
‘तुम्हे उससे बात करनी चाहिए थी ,तुम्हे माफी मांगना चाहिए था लेकिन तुम तो कायरों की तरह हालत से दूर भाग रहे हो ,ऐसा मत करो देव गलती हो जाया करती है ,मैं भी मानती हु की इस गलती को माफ नही किया जा सकता लेकिन फिर भी तुम्हे कोशिस तो करनी ही चाहिए “
उसके चहरे में एक सांत्वना के भाव आये ,कल से मैं मेरे लिए किसी के मन में ये भाव की तलाश में था मैं टूट गया ,मैंने शाबनम को अपने गले से लगा लिया और जोरो से रोने लगा
“मुझसे बड़ी गलती हो गई है शबनम ये क्या हो गया “
वो मेरे बालो पर अपने हाथ फेरने लगी और मुझे सांत्वना देने लगी,मैंने अपने जीवन में शबनम से अच्छी दोस्त नही देखी थी वो मेरे हर बात को समझती थी और मुझे सही सलाह देती थी मैं उसका कृतज्ञ हुए जा रहा था,जबकि सभी ने मेरा साथ छोड़ दिया था वो अब भी मेरे साथ थी …
बहुत देर तक मैं ऐसे ही रहा ,जब मैं उठा तो जैसे मैं कोई संकल्प कर चुका था..
********
मैं वँहा से सीधे घर को निकल गया ,घर में आज निशा और पूर्वी दोनो ही थे ,किसी ने मुझसे के भी शब्द नही कहा ,
“पूर्वी तुमसे कुछ बात करनी है “
निशा जैसे आग बबूला हो गई लेकिन वो कुछ भी नही बोली और वँहा से चली गई वो अपने कमरे में चली गई थी ..
पूर्वी जो की अभी तक चुप ही बैठी थी कुछ और सिकुड़ गई और उसकी आंखों ने फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया था ..
मैं उसके पास गया,वो सोफे में बैठी थी मैं उसके पाव के पास जमीन में जा बैठा…
“मेरी बहन जो हुआ वो नही होना चाहिए था ,मैं इसे बदल तो नही सकता ,और जानता हु की ये माफ करने लायक नही है लेकिन फिर भी मुझे माफ कर दे ,मैं तुझे ऐसे नही देख सकता मुझे मेरी पुरानी पूर्वी चाहिए “
मैं इतना बोला ही था की पूर्वी ने झुककर मुझे पकड़ लिया और जोरो से रोने लगी ,जिसे सुनकर निशा भी बाहर आ गई ,हम दोनो ही एक दूसरे को पकड़ कर रो रहे थे …
“भइया मैंने रात भर सोचा लेकिन मुझे आपकी गलती से ज्यादा अपनी गलती ही दिखाई दी ,मैं भी ऐसे रियेक्ट कर रही थी की आप नही रुक पाए ,मुझे तो आपको पहले ही रोक लेना था लेकिन मैं भी मजे लेने लगी थी,मुझे नही पता था की आप इतने आगे बढ़ जाएंगे लेकिन मैंने भी तो आपको उकसाया था ,मुझे वँहा से हट जाना था आपको उसे देखने से रोकना था…
लेकिन मैं ही मजे लेने लगी ,आप तो नशे में थे लेकिन मैं तो होशं में थी ,जब मैं ही बहक सकती हु तो आपको क्यो दोष दु ...मुझे माफ कर दो भइया की मेरे कारण आपको इतनी तकलीफ सहनी पड़ी ,आपको इतने ग्लानि से गुजरना पड़ा सॉरी भइया सॉरी “
मैंने उसे और भी जोरो से जकड़ लिया मैं रो सोच भी नही सकता था की वो ऐसा सोच रही होगी ,मैं तो अपनी गलती को माफी मांगने आया था और वो मुझे ही माफी मांग रही थी ...सच में वो कितनी भोली थी और मैं कितना बड़ा पापी …….
निशा आश्चर्य से हमे देख रही थी ,और हमारी बात सुन रही थी ..
उसके चहरे का गुस्सा अभी भी कम नही हो रहा था ,लेकिन कुछ देर बाद ही हमारे पास आ गई
“एक बार हो गया इसका मतलब ये नही की आपलोग ये रोज करोगे ,भइया पर मेरा अधिकार है समझी “
निशा ने जो कहा उससे पूर्वी तो हँस पड़ी लेकिन मैं शॉक में ही रह गया ,आखिर निशा के दिमाग में ये क्या चल रहा था ,उसे अभी भी अधिकार की पड़ी थी ...वो इतना ही बोलकर हल्के से मुस्कुराते हुए किचन में चली गई ,लेकिन मुझसे उसने कोई भी बात नही की ……………..
मैं थका हुआ अपने कमरे में ही लेटा हुआ था ,बहुत ही शुकुन इस बात का था की मेरी बहने मेरे साथ ही थी..
मैं अभी अभी होटल से आया था ,तभी कमरे का दरवाजा खुला और निशा ने पूर्वी को अपने साथ अंदर लाया ,मैं उन्हें ध्यान से देख रहा था,निशा पूर्वी का हाथ पकड़े हुए अंदर ला रही थी,वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी,आखिर इन लड़कियो का इरादा क्या था ..??
वो दोनो पहले की तरह ही मेरे आजू बाजू आकर लेट गई और मुझे अपने बांहो में घेर लिया ...इतना सुखद अहसास होता है जब आपको प्यार करने वाले आपके पास हो…
मैं भी अपने दोनो हाथो से उनके बालो को सहला रहा था,निशा ने पहला कदम उठाया और मेरे शर्ट को निकाल फेका,मुझे इससे गुदगुदी का अहसास हुआ और मैं खिलखिला उठा,
वो दोनो ही अपने झीनी नाइटी में थे,मैं ऊपर से कपड़ो से विहीन था और मेरे शरीर पर उसके गुद्देदार वक्षो की चुभन को महसूस कर रहा था,
मैं उनके प्यार से भरा जा रहा था,निशा एक्टिव थी लेकिन पूर्वी थोड़ी शर्मा रही थी ,वही पूर्वी जो कभी मुझसे नही शर्माती थी वो आज शर्मा रही थी उसे देखकर मुझे उसके ऊपर बहुत प्यार आ रहा था लेकिन मैं कोई भी जल्दबाजी नही करना चाहता था क्योकि मुझे निशा का भी तो डर था ना जाने वो क्या मीनिंग निकाल लेगी ,
इधर निशा की सांसे तेज होने लगी थी मुझे पता था की उसे क्या चाहिए लेकिन मैं भी पूर्वी के होने के अहसास से भरा हुआ थोड़ा सकुचा रहा था जिसे निशा ने भांप लिया था…
वो प्यार से मेरे गालो को अपने होठो में भरे हुए उन्हें चूसने लगी ,
“अब भी क्यो दीवार हमारे बीच आ रही है क्या भइया,अब तो पूर्वी भी हमारे खेल में शामिल हो सकती है “
निशा ने हम दोनो को ही ऐसे झेड़ा था की हम दोनो ही शर्मा गए और पूर्वी वँहा से भागने को हुई लेकिन निशा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया
“तू ही तो कह रही थी ना की भाभी को देखकर कुछ कुछ हो रहा था तो रुक जा ना आज अच्छे से उसे कर लेते है “
पूर्वी और भी बुरी तरह से शर्मा गई ,उसका गोरा चहरा लाल हो चुका था,उसके फुले हुए गालो से जैसे खून गिर रहा हो,उसके होठ फड़कने लगे थे ,नजर नीची थी लेकिन होठो पर एक मुस्कान थी …
आज मैंने पहली बार अपनी बहन को ऐसे देखा था जैसे वो अपने प्रेमी के पास खड़ी हो .
मैं भी तो उसका प्रेमी ही था लेकिन रिश्ते अलग थे,मैं उसके प्रेम था लेकिन प्रेम का एक्सप्रेशन ही अलग था…
जो आज बदलने वाला था ,या यू कहे की कुछ दिनों से बदल रहा था…
पूर्वी ना गई ना ही फिर से लेटी ,लेकिन निशा ने उसका हाथ पकड़े हुए ही मेरे कानो में कुछ कहा
“आज इसे भी जन्नत दिखा दो भइया,आप आगे नही बढ़ोगे तो ये कभी आगे नही बढ़ेगी “वो बोल कर मुस्कुराई ,जो लड़की कभी मुझे बांटना नही चाहती थी आज वो मुझे बांट रही थी ‘
मेरी प्रश्न से भरी हुई निगाहों को उसने पहचान लिया था ,
“मैं आपको नही बांट रही हूं ,असल में मुझे ये समझ आ गया है की प्यार को बंटा ही नही जा सकता “
उसने मुस्कुराते हुए मुझे देखा
अब मुझे ही शुरुवात करना था दीवार तो पहले ही गिर चुकी थी और मर्यादाओं से हम कब के बाहर आ चुके थे ..
मैंने पूर्वी का हाथ थमा और उसे अपने ओर जोरो से खिंच लिया ,वो मेरे सीने से आ लगी …
उसका कोमल लेकिन भारी सीना मेरे चौड़ी बालो से भरी हुई छाती में आ धसे थे ,उसके होठ मेरे होठो के पास ही थे ,दोनो ही होठ फड़फड़ा रहे थे,मेरा हाथ उसके कमर को कस रहा था ,वो शर्मा रही थी जैसे नई नई दुल्हन सुहागरात को शर्माती हो ,सच में आज मैंने अहसास किया था की पूर्वी का जिस्म और रूप ऐसा था जिसे कोई भी मर्द पाना चाहे,मासूम से चहरे और मासूम से मन में प्यार और समर्पण की कलियां खिलने लगी थी ,और वो बेसुध सी हो रही थी ,मैं इस अहसास को समझ सकता था लेकिन जैसा समर्पण पूर्वी का मेरे लिए था वो तो भाग्यवानों को ही नसीब होता है और मैं उन्ही भाग्य के धनी लोगो में था ..
वो शरमाई हुई कमसिन सी कली थी उसकी सुर्ख होठो में आखिर मैंने अपने होठो को रख ही दिया ,वो जैसे तड़फ ही गई ,वो कसमसाई और अपने होठो को खोलकर मुझे पूरा आमंत्रित करने लगी ,जैसे जैसे मैं उसके होठो को चूसे जा रहा था उसकी और मेरी जीभ दोनो ही गुथमगुत्थि किये जा रहे थे ,वो दोनो ही मिलकर एक नया अहसास हमारे मन में भरे जा रहे थे जो की हवस तो बिल्कुल भी नही था,
पूर्वी के आंखों से आंसू की कुछ बूंदे निकल गई ये उस समर्पण की बूंदे थी जो एक लड़की अपने प्यार के लिए करती है ,
निशा हमे देखकर बस आंसू ही बहा रही थी,और मुस्कुरा रही थी,
ये सुखद था और साथ ही मन को सुकून देने वाला भी था,निशा ने अपने हाथो को आगे बड़ा कर अपने नाइटी को पूरा खोल दिया ,कोई आश्चर्य नही था की वो अंदर से पूर्ण नग्न ही थी ,उसका शरीर कमरे के माध्यम प्रकाश में जगमगाने लगा था,लेकिन हम दोनो का ही ध्यान उसकी ओर नही था ,वो मेरे और पूर्वी के शरीर से बाकी वस्त्रों को निकालने में व्यस्त हो गई थी,जबकि पूर्वी और मैं बस एक दूजे के होठो के जरिये एक दूजे के दिल में उतर रहे थे..
कुछ ही देर में एक बिस्तर में तीन नग्न शरीर लेटे हुए थे ,मैं सीधे लेटा हुआ था जबकि पूर्वी और निशा मेरे ऊपर थी ,दो जवान कलियों के बीच होने का अहसास क्या होता है जो आपसे इतना प्यार करती है ….??जैसे जन्नत में आ गए हो..
मेरा लिंग अब भी मुरझाया हुआ ही था ,मैं अब भी पूर्वी के होठो से मद का पान कर रहा था वही कभी कभी उसके आंखों से बहते हुए आंसुओ को भी अपने होठो से पी रहा था ,वो भी मेरे आंखों में गालो पर अपने होठो को यदाकदा रख दिया करती थी ,
लेकिन निशा ने मुझे ऐसे रहने नही दिया वो मेरे लिंग को अपने होठो से सहलाने लगी ..
“आह……..”
मेरे मुह से अनायास ही निकल गया ..
उसका मुह मेरे लिंग को भर रहा था और उसके लार से मेरा लिंग और भी चिकना हो रहा था ,उसने ऊपर की त्वचा को नीचे किया और अपने थूक से उसे गीला करके अपने मुह से मुझे सुख की दरिया में डुबो दिया ..
घर परिवार ,प्यार और प्रोफेसन सब में मैं पिछड़ रहा था ,गहरे सोच में डूबे हुए मुझे सब कुछ छोड़कर भागने का मन करने लगा ….
“तुम ऐसा करोगे मैंने सोचा भी नही था “मैं चौका सामने शाबनम थी उसका चहरा उतरा हुआ दिख रहा था ..
मुझे काजल के ऊपर बहुत ही गुस्सा आया जो भी हुआ वो हमारे बीच की बात थी बाहर उसे फैलाने का क्या मतलब था ..मैं बस शाबनम को देखता ही रहा ..
“अरे इतने दिनों के बाद आये हो और फिर बस यू ही कमरे में घुस गए …”
मैंने राहत की सांस ली ,वो मेरे पास आकर बैठ गई क्या हुआ लगता है कुछ परेशान हो ..
“हाँ बस काजल के बारे में “
“अरे यार तुम उसकी फिक्र मत करो वो जो भी कर रही होगी वो कुछ सोच समझ कर ही कर रही होगी ,तुम बस चील मारो और चलो मेरे साथ एक कुछ दिखाना है ...रश्मि से मिले क्या तूम “
“नही तो “
“परफेक्ट चलो फिर जल्दी उससे पहले की वो तुम्हे देख ले “
मैं मन में सोच रहा था की अब इसे क्या हो गया है ..
वो मुझे उसी पुराने कमरे में ले गई जंहा हम अक्सर मिलते थे..
“ये सब क्या है “
उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा कर मेरे सामने अपने स्तनों को तान दिया था …
“क्यो आज पीने का मन नही कर रहा है क्या “
“यार तुम भी मैं इतने टेंसन में हु और तुम ये सब “
मैं उठकर जाने को हुआ उसने मुझे खिंचकर अपने सीने से लगा लिया ..
“देव यार प्लीज् कई दिन हो गए है..मेरी भी तो थोड़ी फिक्र करो “
उसकी तड़फ देखकर मैं आज पहली बार मुस्कुराया
“तुम भी ना “
मैंने उसे जोरो से जकड़ लिया ,वो थोड़ी कसमसाई …
“क्या हुआ अब क्यो कसमसा रही हो “
उसके चहरे में मुस्कान फैल गई
“यार तूम काजल की टेंशन मत लो मैं हु ना तुम्हारा टेंसन निकालने के लिए “
वो खिलखिलाई ,मैं भी मुस्कुरा दिया लेकिन ये मुस्कान फीकी थी
“क्या हुआ मेरी जान ,आज सच में तुम प्रॉब्लम में हो ,,कोई तो बात होगी वरना तुम्हे ऐसे तो मैंने कभी नही देखा था “
उसका चहरा भी थोड़ा संजीदा हो गया था ,क्या मुझे उसे बतलाना चाहिए ??
मेरे दिमाग में ये बात घूम रही थी ,मैं क्या करू ये मुझे समझ नही आ रहा था लेकिन मुझे किसी की जरूरत जरूर थी जिससे मैं कुछ एडवाइस ले सकू ..
“मुझसे एक गलती हो गई है शाबनम जो नही होनी चाहिए थी “
मैंने उसके कमर से अपना कसाव कम किया और उससे अलग होकर बिस्तर में बैठ गया ..
वो मेरे पास आकर बैठ गई थी
“आखिर हुआ क्या है कुछ तो बोलो “
मैं उसे बतलाते गया उसका चहरा गंभीर होने लगा था ,अंत में वो बौखलाई नजर आयी
“ये तुमने क्या कर दिया देव जंहा तक मैं पूर्वी को जानती हु वो तुमसे बेहद प्यार करती है और तुमने …”
मैं सर झुका कर बैठा रहा
“जानते हो तुमने इससे भी ज्यादा गलती क्या की है ?”
मैं उसे देखता रहा
‘तुम्हे उससे बात करनी चाहिए थी ,तुम्हे माफी मांगना चाहिए था लेकिन तुम तो कायरों की तरह हालत से दूर भाग रहे हो ,ऐसा मत करो देव गलती हो जाया करती है ,मैं भी मानती हु की इस गलती को माफ नही किया जा सकता लेकिन फिर भी तुम्हे कोशिस तो करनी ही चाहिए “
उसके चहरे में एक सांत्वना के भाव आये ,कल से मैं मेरे लिए किसी के मन में ये भाव की तलाश में था मैं टूट गया ,मैंने शाबनम को अपने गले से लगा लिया और जोरो से रोने लगा
“मुझसे बड़ी गलती हो गई है शबनम ये क्या हो गया “
वो मेरे बालो पर अपने हाथ फेरने लगी और मुझे सांत्वना देने लगी,मैंने अपने जीवन में शबनम से अच्छी दोस्त नही देखी थी वो मेरे हर बात को समझती थी और मुझे सही सलाह देती थी मैं उसका कृतज्ञ हुए जा रहा था,जबकि सभी ने मेरा साथ छोड़ दिया था वो अब भी मेरे साथ थी …
बहुत देर तक मैं ऐसे ही रहा ,जब मैं उठा तो जैसे मैं कोई संकल्प कर चुका था..
********
मैं वँहा से सीधे घर को निकल गया ,घर में आज निशा और पूर्वी दोनो ही थे ,किसी ने मुझसे के भी शब्द नही कहा ,
“पूर्वी तुमसे कुछ बात करनी है “
निशा जैसे आग बबूला हो गई लेकिन वो कुछ भी नही बोली और वँहा से चली गई वो अपने कमरे में चली गई थी ..
पूर्वी जो की अभी तक चुप ही बैठी थी कुछ और सिकुड़ गई और उसकी आंखों ने फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया था ..
मैं उसके पास गया,वो सोफे में बैठी थी मैं उसके पाव के पास जमीन में जा बैठा…
“मेरी बहन जो हुआ वो नही होना चाहिए था ,मैं इसे बदल तो नही सकता ,और जानता हु की ये माफ करने लायक नही है लेकिन फिर भी मुझे माफ कर दे ,मैं तुझे ऐसे नही देख सकता मुझे मेरी पुरानी पूर्वी चाहिए “
मैं इतना बोला ही था की पूर्वी ने झुककर मुझे पकड़ लिया और जोरो से रोने लगी ,जिसे सुनकर निशा भी बाहर आ गई ,हम दोनो ही एक दूसरे को पकड़ कर रो रहे थे …
“भइया मैंने रात भर सोचा लेकिन मुझे आपकी गलती से ज्यादा अपनी गलती ही दिखाई दी ,मैं भी ऐसे रियेक्ट कर रही थी की आप नही रुक पाए ,मुझे तो आपको पहले ही रोक लेना था लेकिन मैं भी मजे लेने लगी थी,मुझे नही पता था की आप इतने आगे बढ़ जाएंगे लेकिन मैंने भी तो आपको उकसाया था ,मुझे वँहा से हट जाना था आपको उसे देखने से रोकना था…
लेकिन मैं ही मजे लेने लगी ,आप तो नशे में थे लेकिन मैं तो होशं में थी ,जब मैं ही बहक सकती हु तो आपको क्यो दोष दु ...मुझे माफ कर दो भइया की मेरे कारण आपको इतनी तकलीफ सहनी पड़ी ,आपको इतने ग्लानि से गुजरना पड़ा सॉरी भइया सॉरी “
मैंने उसे और भी जोरो से जकड़ लिया मैं रो सोच भी नही सकता था की वो ऐसा सोच रही होगी ,मैं तो अपनी गलती को माफी मांगने आया था और वो मुझे ही माफी मांग रही थी ...सच में वो कितनी भोली थी और मैं कितना बड़ा पापी …….
निशा आश्चर्य से हमे देख रही थी ,और हमारी बात सुन रही थी ..
उसके चहरे का गुस्सा अभी भी कम नही हो रहा था ,लेकिन कुछ देर बाद ही हमारे पास आ गई
“एक बार हो गया इसका मतलब ये नही की आपलोग ये रोज करोगे ,भइया पर मेरा अधिकार है समझी “
निशा ने जो कहा उससे पूर्वी तो हँस पड़ी लेकिन मैं शॉक में ही रह गया ,आखिर निशा के दिमाग में ये क्या चल रहा था ,उसे अभी भी अधिकार की पड़ी थी ...वो इतना ही बोलकर हल्के से मुस्कुराते हुए किचन में चली गई ,लेकिन मुझसे उसने कोई भी बात नही की ……………..
मैं थका हुआ अपने कमरे में ही लेटा हुआ था ,बहुत ही शुकुन इस बात का था की मेरी बहने मेरे साथ ही थी..
मैं अभी अभी होटल से आया था ,तभी कमरे का दरवाजा खुला और निशा ने पूर्वी को अपने साथ अंदर लाया ,मैं उन्हें ध्यान से देख रहा था,निशा पूर्वी का हाथ पकड़े हुए अंदर ला रही थी,वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी,आखिर इन लड़कियो का इरादा क्या था ..??
वो दोनो पहले की तरह ही मेरे आजू बाजू आकर लेट गई और मुझे अपने बांहो में घेर लिया ...इतना सुखद अहसास होता है जब आपको प्यार करने वाले आपके पास हो…
मैं भी अपने दोनो हाथो से उनके बालो को सहला रहा था,निशा ने पहला कदम उठाया और मेरे शर्ट को निकाल फेका,मुझे इससे गुदगुदी का अहसास हुआ और मैं खिलखिला उठा,
वो दोनो ही अपने झीनी नाइटी में थे,मैं ऊपर से कपड़ो से विहीन था और मेरे शरीर पर उसके गुद्देदार वक्षो की चुभन को महसूस कर रहा था,
मैं उनके प्यार से भरा जा रहा था,निशा एक्टिव थी लेकिन पूर्वी थोड़ी शर्मा रही थी ,वही पूर्वी जो कभी मुझसे नही शर्माती थी वो आज शर्मा रही थी उसे देखकर मुझे उसके ऊपर बहुत प्यार आ रहा था लेकिन मैं कोई भी जल्दबाजी नही करना चाहता था क्योकि मुझे निशा का भी तो डर था ना जाने वो क्या मीनिंग निकाल लेगी ,
इधर निशा की सांसे तेज होने लगी थी मुझे पता था की उसे क्या चाहिए लेकिन मैं भी पूर्वी के होने के अहसास से भरा हुआ थोड़ा सकुचा रहा था जिसे निशा ने भांप लिया था…
वो प्यार से मेरे गालो को अपने होठो में भरे हुए उन्हें चूसने लगी ,
“अब भी क्यो दीवार हमारे बीच आ रही है क्या भइया,अब तो पूर्वी भी हमारे खेल में शामिल हो सकती है “
निशा ने हम दोनो को ही ऐसे झेड़ा था की हम दोनो ही शर्मा गए और पूर्वी वँहा से भागने को हुई लेकिन निशा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया
“तू ही तो कह रही थी ना की भाभी को देखकर कुछ कुछ हो रहा था तो रुक जा ना आज अच्छे से उसे कर लेते है “
पूर्वी और भी बुरी तरह से शर्मा गई ,उसका गोरा चहरा लाल हो चुका था,उसके फुले हुए गालो से जैसे खून गिर रहा हो,उसके होठ फड़कने लगे थे ,नजर नीची थी लेकिन होठो पर एक मुस्कान थी …
आज मैंने पहली बार अपनी बहन को ऐसे देखा था जैसे वो अपने प्रेमी के पास खड़ी हो .
मैं भी तो उसका प्रेमी ही था लेकिन रिश्ते अलग थे,मैं उसके प्रेम था लेकिन प्रेम का एक्सप्रेशन ही अलग था…
जो आज बदलने वाला था ,या यू कहे की कुछ दिनों से बदल रहा था…
पूर्वी ना गई ना ही फिर से लेटी ,लेकिन निशा ने उसका हाथ पकड़े हुए ही मेरे कानो में कुछ कहा
“आज इसे भी जन्नत दिखा दो भइया,आप आगे नही बढ़ोगे तो ये कभी आगे नही बढ़ेगी “वो बोल कर मुस्कुराई ,जो लड़की कभी मुझे बांटना नही चाहती थी आज वो मुझे बांट रही थी ‘
मेरी प्रश्न से भरी हुई निगाहों को उसने पहचान लिया था ,
“मैं आपको नही बांट रही हूं ,असल में मुझे ये समझ आ गया है की प्यार को बंटा ही नही जा सकता “
उसने मुस्कुराते हुए मुझे देखा
अब मुझे ही शुरुवात करना था दीवार तो पहले ही गिर चुकी थी और मर्यादाओं से हम कब के बाहर आ चुके थे ..
मैंने पूर्वी का हाथ थमा और उसे अपने ओर जोरो से खिंच लिया ,वो मेरे सीने से आ लगी …
उसका कोमल लेकिन भारी सीना मेरे चौड़ी बालो से भरी हुई छाती में आ धसे थे ,उसके होठ मेरे होठो के पास ही थे ,दोनो ही होठ फड़फड़ा रहे थे,मेरा हाथ उसके कमर को कस रहा था ,वो शर्मा रही थी जैसे नई नई दुल्हन सुहागरात को शर्माती हो ,सच में आज मैंने अहसास किया था की पूर्वी का जिस्म और रूप ऐसा था जिसे कोई भी मर्द पाना चाहे,मासूम से चहरे और मासूम से मन में प्यार और समर्पण की कलियां खिलने लगी थी ,और वो बेसुध सी हो रही थी ,मैं इस अहसास को समझ सकता था लेकिन जैसा समर्पण पूर्वी का मेरे लिए था वो तो भाग्यवानों को ही नसीब होता है और मैं उन्ही भाग्य के धनी लोगो में था ..
वो शरमाई हुई कमसिन सी कली थी उसकी सुर्ख होठो में आखिर मैंने अपने होठो को रख ही दिया ,वो जैसे तड़फ ही गई ,वो कसमसाई और अपने होठो को खोलकर मुझे पूरा आमंत्रित करने लगी ,जैसे जैसे मैं उसके होठो को चूसे जा रहा था उसकी और मेरी जीभ दोनो ही गुथमगुत्थि किये जा रहे थे ,वो दोनो ही मिलकर एक नया अहसास हमारे मन में भरे जा रहे थे जो की हवस तो बिल्कुल भी नही था,
पूर्वी के आंखों से आंसू की कुछ बूंदे निकल गई ये उस समर्पण की बूंदे थी जो एक लड़की अपने प्यार के लिए करती है ,
निशा हमे देखकर बस आंसू ही बहा रही थी,और मुस्कुरा रही थी,
ये सुखद था और साथ ही मन को सुकून देने वाला भी था,निशा ने अपने हाथो को आगे बड़ा कर अपने नाइटी को पूरा खोल दिया ,कोई आश्चर्य नही था की वो अंदर से पूर्ण नग्न ही थी ,उसका शरीर कमरे के माध्यम प्रकाश में जगमगाने लगा था,लेकिन हम दोनो का ही ध्यान उसकी ओर नही था ,वो मेरे और पूर्वी के शरीर से बाकी वस्त्रों को निकालने में व्यस्त हो गई थी,जबकि पूर्वी और मैं बस एक दूजे के होठो के जरिये एक दूजे के दिल में उतर रहे थे..
कुछ ही देर में एक बिस्तर में तीन नग्न शरीर लेटे हुए थे ,मैं सीधे लेटा हुआ था जबकि पूर्वी और निशा मेरे ऊपर थी ,दो जवान कलियों के बीच होने का अहसास क्या होता है जो आपसे इतना प्यार करती है ….??जैसे जन्नत में आ गए हो..
मेरा लिंग अब भी मुरझाया हुआ ही था ,मैं अब भी पूर्वी के होठो से मद का पान कर रहा था वही कभी कभी उसके आंखों से बहते हुए आंसुओ को भी अपने होठो से पी रहा था ,वो भी मेरे आंखों में गालो पर अपने होठो को यदाकदा रख दिया करती थी ,
लेकिन निशा ने मुझे ऐसे रहने नही दिया वो मेरे लिंग को अपने होठो से सहलाने लगी ..
“आह……..”
मेरे मुह से अनायास ही निकल गया ..
उसका मुह मेरे लिंग को भर रहा था और उसके लार से मेरा लिंग और भी चिकना हो रहा था ,उसने ऊपर की त्वचा को नीचे किया और अपने थूक से उसे गीला करके अपने मुह से मुझे सुख की दरिया में डुबो दिया ..