bahan sex kahani ऋतू दीदी - Page 10 - SexBaba
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bahan sex kahani ऋतू दीदी

मैने जीजाजी को धक्का दिया और फिर पूरा झकज़ोर दिया था. तभी दरवाजे पर नॉक हुआ और ऋतु दीदी की आवाज़ आई. शायद चिल्लाहट सुनकर वो आ गयी थी. मैने जीजाजी को छोड़ा और दरवाजा खोलकर ऋतु दीदी को अंदर लिया.

ऋतु दीदी ने अपने पति की नंगी हालत देखी. कड़क लंड चिकना था. दूसरी तरफ नीरू बिस्तर पर औंधे मूह नंगी दहाड़ें मारते हुए सूबक रही थी. ऋतु दीदी को पूरा मामला समझ में आ चुका था.

ऋतु दीदी नीरू के पास गये और उसकी पीठ को सहलाते हुए उसको चुप किया. नीरू फिर उठ कर बैठ गयी और ऋतु दीदी के गले लग कर रोने लगी.

उसको कुच्छ सेकेंड लगे अपने आप को शांत करने में. मैं जीजाजी को बीच बीच मे नफ़रत भरी नज़रो से देख रहा था. जो इतना सब कुच्छ होने के बाद अभी भी नंगे खड़े थे.

नीरू अभी भी नंगी थी और साइड से उसके बड़े बूब्स और गठीली जांघे और गान्ड दिख रही थी. शायद इसी का प्रभाव था की जीजाजी का लंड अभी भी कड़क होकर फुदक रहा था.

प्रशांत: “अब तो शर्म कर लो, और अपने कपड़े पहनो. क्या घूर रहे हो नीरू को. ग़लत काम करते शर्म नही आई!”

जीजाजी कभी तरसती निगाहो से नीरू के नंगे बदन को देखते की उनकी चुदाई अधूरी छूट गयी और काश नीरू फिर से चुदवाने को हा बोल दे. फिर जीजाजी मेरे गुस्से भरे चेहरे को देखते और सहम जाते.

नीरू अब तक थोड़ा शांत हो चुकी थी और अपने आँसू पोंछते हुए ऋतु दीदी के सीने से अलग हुई और जीजाजी की तरफ देख कर बोली.

नीरू: “आपने मेरा भरोसा तोड़ दिया जीजाजी. मुझे आपसे यह उम्मीद नही थी”

जीजाजी: “हमको तो यह बहुत पहले ही कर लेना चाहिए था नीरू, हमको तो देर हो गयी हैं”

प्रशांत: “देखो इस बेशर्म इंसान को! अभी भी अपनी ग़लती मानने को तैयार नही हैं”

ऋतु दीदी: “नीरज, यह क्या कह रहे हो. थोड़ी तो शर्म करो. मेरी छोटी बहन के साथ ऐसी हरकत करते शर्म आनी चाहिए”

जीजाजी: “अच्छा, मुझे शर्म आनी चाहिए. और तुम्हे और इस प्रशांत को शर्म नही आनी चाहिए जब तुम दोनो ने आपस में मूह काला किया था!”

मैं और ऋतु दीदी अब सहम से गये थे. कही जीजाजी नीरू को वो राज ना बता दे की कैसे मैने और ऋतु दीदी ने चुदाई की थी. नीरू आश्चर्य से कभी जीजाजी को तो कभी मुझे और ऋतु दीदी को देख रही थी.

नीरू: “कैसी हरकत?”

जीजाजी: “मैं बताता हूँ, यह दोनो क्या बताएँगे. पिच्छली बार जब हम घूमने आए थे और तुम्हारे पैर मे मोच आई थी. तब दूसरे कमरे मे यह ऋतु और प्रशांत आपस मे चुदाई कर रहे थे”

नीरू अब शक भरी नज़रो से मुझे और फिर ऋतु दीदी को देखने लगी. ऋतु दीदी ने अपनी नज़रे झुका ली थी.

नीरू: “ऋतु दीदी! क्या यह सच हैं?”

ऋतु दीदी ने नज़रे झुकाए रखी और फिर अचानक से फफक फफक कर रोने लगी.

जीजाजी: “अब किस मूह से बोलेगी यह, जब इन दोनो ने आपस मे मूह काला किया था तब इनको शर्म नही आई! आज मुझे लेक्चर दे रहे हैं. क्या ग़लत किया मैने जो नीरू को चोदा. यह दोनो भी तो वोही ग़लती कर चुके हैं”

नीरू उसी नंगी हालत मे उठ कर मेरे पास आई. वो थोड़े आश्चर्य तो थोड़े गुस्से मे भरी थी. चलते वक़्त उसके मम्मे मदमस्त तरीके से उच्छल कर हिल रहे थे.

नीरू: “प्रशांत, तुमने ऋतु दीदी को चोदा था! ग़लती तुमने की और आज तक सिर्फ़ मुझ पर शक करते हुए गंदे इल्ज़ाम लगाते रहे”

प्रशांत: “मैं बताता हूँ की क्या हुआ था, मेरी इसमे कोई ग़लती नही हैं नीरू…”

नीरू: “तुम्हारे और ऋतु दीदी के बीच चुदाई हुई थी या नही?”

प्रशांत: “हा हुई थी मगर …”

नीरू: “बस, और बोलने की ज़रूरत नही हैं. तुम ग़लत नही होते तो तुम खुद मुझे आकर बताते, इस तरह छूपाते नही”

नीरू पलटी और जीजाजी के पास पहुचि.

नीरू: “अब तो मेरा पति और बहन भी मेरे नही रहे, किसके साथ वफ़ा करू! जीजाजी क्या करना हैं आपको मेरे साथ, कर लो अब जो भी करना हैं. वफ़ादारी की कोई कीमत नही रही अब मेरे लिए”

जीजाजी ने नीरू के कंधे पर हाथ रख कर उसको नीचे बैठा दिया और उसके मूह में अपना चिकना लंड डाल दिया और धक्का मारते हुए मूह चोदने लगे.

नीरू चुपचाप बैठी रही. जीजाजी खुश होकर मूह खोले आहें भरने लगे. मैं और ऋतु दीदी आश्चर्य मे उन दोनो को देख रहे थे.

नेक्स्ट एपिसोड मे पढ़िए क्या ऋतु और प्रशांत मिलकर जीजाजी और नीरू को ग़लत काम करने से रोक पाएँगे.
 
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अब तक आपने पढ़ा की जीजाजी ने नीरू को डॉगी स्टाइल मे चोदना शुरू किया मगर प्रशांत ने आकर रोका और ऋतु दीदी भी आ गये.

सबने मिलकर जीजाजी को कॉर्नर करना शुरू किया मगर जीजाजी ने अपने बचाव मे ऋतु और प्रशांत की चुदाई का राज नीरू को बता दिया और टूटे दिल से नीरू ने निराश होकर जीजाजी के सामने हथियार डाल दिए. जीजाजी ने अपने लंड से नीरू के मूह को चोदना शुरू कर दिया.

अब आगे की कहानी प्रशांत की ज़ुबानी जारी हैं…

नीरू का गुस्सा जायज़ था पर इसके लिए उसको जीजाजी का लंड चूसने की क्या ज़रूरत थी! शायद उसको अपना गुस्सा और बदला निकालने का यही तरीका सही लगा.

ऋतु दीदी भी शॉक्ड थे. वो बिस्तर से उठकर रोते हुए कमरे से बाहर चले गये. मैने नीरू को रोकने की कोशिश की.

प्रशांत: “नीरू, ई आम सॉरी. पर मैने कुच्छ नही किया था. वो ऋतु दीदी ने ही ज़बरदस्ती मेरे साथ किया था”

नीरू ने जीजाजी का लंड अपने मूह से निकाल दिया और मेरी तरफ देखा.

नीरू: “तुम कोई छोटे बच्चे थे जो ऋतु दीदी ने तुम्हे चोद दिया और तुम कुच्छ नही कर पाए, तुम उनको रोक भी सकते थे ना!”

प्रशांत: “मैं वो सब नही करना चाहता था, पर ऋतु दीदी को रोक नही पाया. मैं उनकी रेस्पेक्ट करता हूँ”

नीरू: “सच क्यू नही कहते की तुम्हे भी ऋतु दीदी को चोदने के मज़े लेने थे. रेस्पेक्ट की बात कर रहे हो! रेस्पेक्ट तो मैं भी जीजाजी की करती हूँ तो अब मैं भी उनको चोद देती हूँ”

प्रशांत: “नही, प्लीज़ नीरू, ऐसा मत करो”

नीरू उठ गयी और जीजाजी का हाथ पकड़ कर बिस्तर के पास लाई. जीजाजी पीछे मुड़कर मुझे देख रहे थे और स्माइल कर रह थे की उनको फसाने के चक्कर मे मैं खुद फँस चुका था.

जीजाजी बिस्तर पर लेट गये. जीजाजी का लंड कड़क होकर और भी ज़्यादा टन कर खड़ा हो चुका था. नीरू बिस्तर के पास खड़ी मुड़कर मुझे प्यासी निगाहो से देखने लगी. तभी जीजाजी ने नीरू की कलाई पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और नीरू आकर जीजाजी के लंड पर बैठ गयी.

अगले कुच्छ सेकेंड मे नीरू ने जीजाजी के लंड को पकड़े अपनी चूत पर रग़ाद कर अंदर डालने की कॉसिश की. मैं लगातार नीरू को प्लीज़ बोलते हुए गुहार करता रहा की वो ऐसा ना करे. मगर नीरू जितना तड़प रही थी उतना मुझे भी तड़पाना चाहती थी.

मेरी “प्लीज़ प्लीज़” की गुहार तब रुक गयी जब नीरू और जीजाजी की एक साथ अया निकली. नीरू ने जीजाजी का लंड अपनी चूत मे डाल दिया था. मैं निराशा मे अपने मूह पर हाथ फेरता रह गया.

मेरी एक बेवफ़ाई की ग़लती की सज़ा नीरू खुद को दे रही थी. जितना मुझे दुख हो रहा था उतना ही दुख नीरू को भी हो रहा होगा यह मुझे यकीन था और वो उसकी गीली हो चुकी आँखो में दिख रहा था.

नीरू धीमे धीमे उपर नीचे होते हुए चुदाई कर रही थी. मगर हर बार उपर नीचे होने पर जीजाजी एक “आ आ” की आवाज़ निकाल रहे थे.

चुदाई की स्पीड भले ही धीमी थी पर नीरू के बड़े से मम्मे हल्के से उच्छल कर हिल रहे थे जो उस दृश्या को मादक बना रहे थे.

मैने खुद ने काफ़ी समय से चुदाई नही की थी और मेरे सामने एक ऐसी चुदाई चल रही थी जिसको मैं एंजाय भी नही कर सकता था.

मैं बस मूर्ति बने हुए काफ़ी समय बाद नीरू के पुर नंगे बदन को चूड़ते हुए देखने का सुख ले रहा था. मैं यह भूल जाना चाहता था की नीरू उस वक़्त जिजज़ि को चोद रही थी.

जीजाजी ने नीरू की गान्ड को दोनो हाथो से पकड़ लिया था और जैसे नीरू को उपर नीचे तेज उच्छालाने की कॉसिश कर रहे थे. नीरू तेज़ी से नही चोदना चाहती थी.

जीजाजी ने नीरू की कमर को पकड़े उपर नीचे करने की कोशिश की जिस से नीरू को कमर मे खिकाव महसूस हुआ और दर्द भी. उस दर्द से बचने के लिए नीरू ने फिर अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.

जीजाजी की आहों की आवाज़ और बढ़ गयी थी. नीरू अब अच्च्चे से उच्छल उच्छल कर चुदाई कर रही थी. नीरू के बड़े मम्मे अब काफ़ी तेज़ी से उपर नीचे उच्छल कर नाच रहे थे.

मैने नीरू के मम्मों को इतना उच्छलते हुए कभी नही देखा था. जीजाजी भी अपनी नज़रे नीरू के मम्मों पर गढ़ाए हुए थे.

जीजाजी ने बीच बीच मे अपने हाथ से नीरू के उन दोनो नाचते हुए मम्मों को थोड़ा थोड़ा दबा कर रोका भी. मगर फिर जीजाजी को भी लगा की नाचते हुए मम्मे ज़्यादा आकर्षक हैं तो उन्हे छोड़ दिया.

कुच्छ सेकेंड्स के बाद नीरू की चूत से पूछक्क पूछक की आवाज़े आने लगी थी. उन दोनो मे से किसी एक का या फिर दोनो का पानी च्छुतना शुरू हो गया था जिस से ऐसी आवाज़ आ रही थी.

अब तक नीरू की आँखो में भरा पानी गालो पर बहने लगा था. नीरू अब रुक चुकी थी.

जीजाजी: “हा नीरू … चोदती रह … मज़ा आ रहा हैं नीरू .. और ज़ोर से चोद … ऋतु और प्रशांत ने भी मज़े लेकर छोड़ा था”
 
नीरू नही हिली तो जीजाजी ने ही अपने लंड से ज़ोर के झटके नीरू की चूत में मारा.

नीरू: “आआहह …उम्म्म्म .. जीजाजी … आईई … ऊऊईए माआ … अया अया”

जीजाजी जोश में अपने झटके मारते रहे.

नीरू: “अया जीजाजी … नाअ .. ओह्ह्ह .. ओईए मा … अया आ आ ,. जीजा जी”

जीजाजी: “मज़ा आ रहा हैं ना नीरू … बोल नीरू .. मुझसे चुदवा कर मज़ा आ रहा हैं ना!”

नीरू की आँखें छ्होटी हो गयी थी. मूह थोड़ा खुला था और माथे पर बाल पड़ चुके थे. नीरू ने कोई जवाब नही दिया.

जिस चुदाई का शक और डर मुझे हमेशा से था वो आज हक़ीकत मे मैं अपनी आँखों से देख रहा था और मुझे यकीन नही हो रहा था की यह सच हैं.

हर झटके के साथ ही नीरू चीख पड़ती और आहें भरने लगती.
नीरू: “हाः … हाआह .. आआईय मा … उहह ”

जीजाजी: “नीरू ज़ोर से चोद दे मुझे … तुज्झे मज़ा आ रहा हैं ना! .. मुझे भी आ रहा हैं”

नीरू: “आआहह … उम्म्म्म .. ”

जीजाजी: “मज़ा आ रहा हैं?”

नीरू: “अहह .. ”

जीजाजी: “कितना मज़ा आ रहा हैं?”

नीरू: “अया … ऊऊहह … ”

जीजाजी: “और ज़ोर से छोड़ो नीरू…. और मज़ा आएगा .. कम ओं नीरू चोद दे मुझे”

नीरू: “ऊवू मा . .. ”

जीजाजी: “श नीरू .. चोद दे मुझे … इट्न मज़ा कभी नही आया मुझे … श मेरी जान नीरू … चोद दे मुझे ज़ोर से …अयाया अया नीरू चोद मुझे .. ऊऊहह”

तभी ऋतु दीदी कमरे मे वापिस आ गये. जीजाजी और नीरू को टूट कर इतने अच्च्चे से चुदाई करते देख उनका भी दिमाग़ घूम गया.

ऋतु दीदी: “नीरू, तुझे नीरज ने यह नही बताया की उस वक़्त मैं हयपेर्सेक्श की बीमारी सी जूझ रही थी और मैने वो ग़लती कर दी. हमारे मन मे चोर होता तो हम और भी यह ग़लत काम करते मगर हमने नही किया. उल्टा मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और यह बात मैने खुद नीरज को बता दी थी. मगर तुम जो कर रही हो वो ग़लत हैं. मेरे और प्रशांत के बीच जो हुआ उसमे प्रशांत की कोई ग़लती नही हैं. मेरी तरह तू भी बाद मे पचहताएगी. रुक जा.”

नीरू ने रोटी हुई सूरत से ऋतु दीदी की तरफ देखा. जीजाजी ने इस बीच नीरू की चूत मे झटके मारे और नीरू उच्छल पड़ी.

जीजाजी: “नीरू, तू ऋतु की मत सुन और मुझे चोदती रह. देख हूमें कितना मज़ा आ रहा हैं ना! बोल नीरू … कम ओं चोद दे मुझे पूरा ..नीरू बोल ना ..”

जीजाजी ने एक के बाद एक झटके नीरू की चूत मे मारे पर नीरू ने जवाब नही दिया. नीरू अचानक जीजाजी के उपर से उठ कर साइड मे आ गयी. जीजाजी अपना लंड हवा मे उपर नीचे कर चोदते रह गये.

जीजाजी: “नीरू इनकी बातों मे मत आ. चल फिर से मेरे उपर आकर चोद मुझे. अपने जीजाजी को नही छोड़ेगी नीरू”
 
नीरू ने कुच्छ नही कहा और जीजाजी भी बिस्तर से उठ खड़े हुए और नीरू को पकड़ लिया.

जीजाजी: “तू तक गयी हैं तो मैं तुझे चोद देता हूँ. चल आ..”

जीजाजी ने नीरू को बिस्तर पर लेटाने की कोशिश की पर नीरू ने उनका हाथ हटा दिया और अपने कपड़े लेकर वॉशरूम मे चली गयी. जीजाजी वॉशरूम के दरवाजे पर हाथ मारते हुए पुकारते रह गये.

ऋतु दीदी अपने कमरे मे चले गये. मैं अपना सिर पकड़े खड़ा रहा. थोड़ी देर मे नीरू अपना चेहरा लटकाए वॉशरूम से कपड़े पहने बाहर आई.

जीजाजी अभी भी नंगे खड़े थे. उनका लंड थोड़ा लटक चुका था. जीजाजी ने नीरू को फिर से पकड़ा और उसको चुदाई की सिफारिश की.

जीजाजी: “कपड़े क्यू पहन लिए नीरू, चल मेरा काम अभी पूरा नही हुआ हैं. चल कपड़े खोल .. मेरा लंड चूस ले .. बहुत मज़ा आएगा”

नीरू ने जीजाजी की हाथ झटक दिया. जीजाजी ने गुस्से मे ताक़त लगा कर नीरू के बड़े से मम्मों को अपनी हथेली से दबा दिया और नीरू की एक ज़ोर की चीख निकली और अगले ही पल एक ज़ोर का छाँटा नीरू ने जीजाजी के चहरे पर मार दिया.

जीजाजी दो कदम दूर हट गये. अपने गाल पर हाथ रखे नीरू को आश्चर्य से देखने लगे.

जीजाजी: “नीरू! तूने अपने जीजाजी को छाँटा मारा!”

नीरू: “गेट आउट!”

जीजाजी 2-3 सेकेंड खड़े रहे और फिर अपने कपड़े उतहाए कमरे से बाहर चले गये. नीरू वही बिस्तर मे मूह छिपाए थोड़ी देर सूबकती रही.

जीजाजी और ऋतु दीदी हमारे घर से चले गये. मुझे समझ नही आ रहा था की कैसे रिक्ट करू. हमेशा नीरू पर शक किया की उसने जीजाजी से चुडवाया होगा और आज पहली बार उसने चदूवाया वो भी मेरी आँखों के सामने.

नीरू बाद मे उतही और नहा धो कर तायेयर हो गयी और अपना बाग पॅक करने लगी. मैं कमरे मे गया तो उसने एक नज़र मुझे देखा और फिर कपड़े जमाने लगी.

नीरू: “मैं जा रही हूँ, तुम्हे जो मेरे और जीजाजी के रिश्ते पर शक था वो अब जाकर सच हो चुका हैं. अब शायद तुम्हे मेरे जाने से कोई फ़र्क नही पड़ेगा”

मैं कुच्छ बोल ही नही पाया और नीरू के चेहरे को देखता ही रह गया.

नीरू मेरे घर से बाग लेकर जाने लगी और जाते जाते कहती गयी.

नीरू: “मेरे पेट मे जो बच्चा हैं वो तुम्हारा ही हैं, मैं उसको पैदा करूँगी. चिंता मत करो तुमपे इसका कोई बोझ नही आएगा. और अगर तुम्हे शक हैं की यह बच्चा भी तुम्हारा नही हैं तो कोई बात नही. अब कोई फ़र्क नही पड़ता मुझे”

मैं नीरू को रोकना चाहता था पर आवाज़ ही नही निकली और नीरू मुझे छोड़ कर चली गयी.

ऋतु दीदी और जीजाजी ने समझौता कर लिया क्यू की दोनो ने एक एक ग़लती की थी. वो अभी साथ में ही हैं.

मैने भी एक ग़लती की थी और ऋतु दीदी से चुदवा कर नीरू से बेवफ़ाई की थी. नीरू ने भी निराशा और गुस्से मे एक ग़लती की थी. मुझे लगा की मुझे नीरू को अपनाना चाहिए.

ऋतु दीदी का फोन आता हैं और पुचहते हैं की मैने नीरू को मनाया हैं या नही. उस घटना के बाद से नीरू ने जीजाजी और ऋतु दीदी से भी बात करना बंद कर दिया था.

मैं रोज नीरू के ऑफीस के बाहर शाम को फूओल लेकर पहुच जाता हूँ और उसको मनाने की कॉसिश करता हूँ की वो वापिस मेरे पास आ जाए. उम्मीद हैं की एक ना एक दिन तो वो ज़रूर पिघलेगी और मेरे पास वापिस आएगी.

एंड नोट: “विश्वास की डोर्र एक बार टूट जाए तो फिर जुड़ना मुश्किल होता हैं. प्रशांत ने शक करना नही छोड़ा और नीरू उसकी शिकार बन गयी. प्रशांत ने नीरू को एक बार फिर खो दिया. आशा हैं की अपनी ग़लतियो को पीछे छोड़कर वो दोनो फिर से मिल जाए”

एंड एंड एंड एंड एंड एंड एंड एंड एंड एंड एंड
 
Yaar..meri bhi ek cousin bahut hi sexy hai..hamesha apne duddu dikhati hai cleavage..usko kuch chahiye kya..?
 
Very good story but incomplete 
Many questions still unanswered 
Writer should complete the story 
If administrators allow me I can complete the story
 
desiaks said:
मै जब चेंज करके आया तो देखा ऋतू दीदी एक बेड पर पीठ टिकाये बैठी थी और दूसरे बेड पर निरु थकान के मारे चादर ओढ कर लेटी हुयी थी। जीजाजी निरु के दूसरी तरफ उसके सिरहाने बैठे थे और उसकी तबियत पुछ रहे थे। मै उन दोनों बेड के बीच में आया तब तक जीजाजी भी निरु की चादर के अंदर घुस गए। मैं ऋतू दीदी के बेड के किनारे पर बैठ गया ताकि सामने से निरु को देख सकूँ। निरु छत की तरफ देखते हुए सीधा लेटी थी पर जीजाजी निरु की तरफ करवट लेकर लेटे थे।

चादर के ऊपर से मैं निरु के बूब्स का उभार देख पा रहा था। साथ ही जीजाजी का हाथ चादर के अंदर निरु के पेट पर रखा हुआ था। समझ नहीं आ रहा था की कैसे रियेक्ट करूँ, वो जीजाजी मेरी बिवी के साथ एक ही चादर में थे और ऋतू दीदी ने भी कुछ नहीं बोला। हालाँकि जीजाजी सिर्फ निरु का हाल चाल पुछ रहे थे। बातों बातों में जीजाजी का हाथ पेट से खिसक कर ऊपर आ रहा था और जल्दी ही निरु के बूब्स के २ इंच नीचे की तरफ था। जीजाजी कभी भी मेरी निरु के मम्मो को दबा सकते थे और मैं सिर्फ देख रहा था। इसके पहले की जीजाजी कोई गलत हरकत करते, ऋतू दीदी लेट गयी और जीजाजी को भी आवाज लगायी की वो निरु और मुझे सोने दे क्यों की हम सब थक गए है।

मैने ऋतू दीदी की तरफ देखकर स्माइल किया और मन ही मन उन्हें थैंक यू बोला। मगर जीजाजी तो हिले भी नहीं। उनका हाथ जरूर एक इंच और ऊपर खिसक कर निरु के बूब्स के ठीक नीचे तक पहुँच गया। मै अब अपनी जगह उठ खड़ा हुआ। ठीक उसी वक़्त ऋतू दीदी ने जीजाजी को फिर आवाज लगायी और जीजाजी ने अपना हाथ निरु के बदन से हटाया और चादर से बाहर निकल गए। अब जीजजी ऋतू दीदी के बिस्तर पर आ गए और मैं जाकर निरु के पास लेट गया जहाँ थोड़ी देर पहले जीजाजी लेटे थे। लाइट बंद कर अँधेरा कर दिया गया और मैं निरु से चिपक कर सो गया। थकान के मारे मुझे नींद आ गयी।

कुछ खट पट की आवाजो के साथ मेरी नींद खुली और अँधेरे में ही मैं पास के बिस्तर पर हलचल महसूस करने लगा। मुझे समझते देर नहीं लगी की वह चुदाई हो रही है। एक के ऊपर एक चढ़ कोई चुदाई कर रहा था। जीजाजी की इतनी हिम्मत की यहाँ दो लोग और सोये हुए हैं और वो इस तरह का काम कर रहे है। सुबह ही तो वाशरूम में जीजाजी ने ऋतू दीदी को चोदा था और रात को फिर शुरू हो गए। जीजाजी से ज्यादा कण्ट्रोल तो मेरे पास था जो मैं ३ दिन से बिना चुदाई के रह रहा था जब की मेरी बिवी ज्यादा सेक्सी थी। धीरे धीरे मुझे अँधेरे में और अच्छे से दिखने लगा था। मैने महसूस किया की जो ऊपर चढ़ कर चोद रहा हैं वो मर्द नहीं कोई औरत है।

ऋतू दीदी तो ऐसा काम कभी नहीं कर सकती है। मुझे शक हुआ कही जीजाजी को ऊपर चढ़ कर चोदने वाली मेरी बिवी निरु तो नहीं। मेरी तो धड़कने २ सेकण्ड्स के लिए रुक गयी। मैंने अपने पास चादर के अंदर सोयी लड़की पर हाथ फेरा। पेट पर हाथ रख मम्मो के ऊपर तक लाय और कपडे महसूस कर लगा की निरु तो मेरे पास ही लेटी हुयी है, और मैंने चैन की सांस ली। जीजाजी पर चढ़ कर चोदने वाली लड़की अब सीने से उठकर लण्ड पर बैठे बैठे ही चोद रही थी। उसके खुले बाल उसके उछलने के साथ ही हील रहे थे।

मेरी आँखें अब और भी अच्छे से देखने लगी थी। वो ऋतू दीदी ही थी। मुझे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। ऋतू दीदी जैसी सीधी और शान्त औरत ऊपर चढ़ कर चोद भी सकती है? फिर मैंने अपने आप को समझया की ऋतू दीदी का वो रूप तो दूसरो के लिए है। बैडरूम में तो हर औरत का एक अलग खुला हुआ रूप होता है। बैठे बैठे उछलने से ऋतू दीदी के बड़े बूब्स उनके टीशर्ट के अंदर ही ऊपर नीचे हिल रहे थे। वो बहुत मादक लग रही थी। नीचे उन्होंने कुछ नहीं पहना था क्यों की मैं उनके गांड का कर्व हिलता हुआ देख सकता था।

ऋतू दीदी को इस तरह चोदते देख मेरे दिल के तार बज गए थे। मेरे पास लेटी निरु दूसरे बिस्तर की तरफ ही मुह करके करवट ले नींद में सोयी थी। मैं निरु के पीछे से चिपक गया और उसके मम्मो को दबोच कर दबा दिया।

फिर मैंने निरु के गाउन को घुटनो से ऊपर उठाया और कमर के ऊपर तक चढा लिया। फिर जल्दी से अपना हाथ उस गाउन के अंदर डाल कर निरु के ब्रा सहित उसका बूब्स दबाने लगा। कुछ ही सेकण्ड्स में निरु की नींद उड़ गयी और मेरा हाथ हटाया। नींद उड़ने से उसका ध्यान भी अब शायद पास के बिस्तर पर होती चुदाई पर गया, क्यों की मैंने फिर से अपना हाथ निरु के बूब्स पर रखा और इस बार उसने मेरा हाथ पकडा पर हटाया नहीं।

नीरु खुद शॉक में थी की पास के बिस्तर पर चुदाई चल रही थी। निरु को भी अब तक पता चल गया की ऊपर चढ़ कर चोदने वाली उसकी बहन ऋतू ही है। ऋतू दीदी एक बार फिर आगे झुक कर जीजाजी के सीने पर अपनी छाती रख लेट गयी और धक्के मारते हुए चोदती रही। मै ऋतू दीदी की धक्के मरती और हिलती गांड को देख कर होश खो बैठा था। मेरी खुद की चोदने की इच्छा हो चुकी थी। मैंने अपना हाथ निरु के मम्मो से हटाया और उसकी पेंटी को नीचे खिंच कर निकालने लगा।
 
desiaks said:
मै जब चेंज करके आया तो देखा ऋतू दीदी एक बेड पर पीठ टिकाये बैठी थी और दूसरे बेड पर निरु थकान के मारे चादर ओढ कर लेटी हुयी थी। जीजाजी निरु के दूसरी तरफ उसके सिरहाने बैठे थे और उसकी तबियत पुछ रहे थे। मै उन दोनों बेड के बीच में आया तब तक जीजाजी भी निरु की चादर के अंदर घुस गए। मैं ऋतू दीदी के बेड के किनारे पर बैठ गया ताकि सामने से निरु को देख सकूँ। निरु छत की तरफ देखते हुए सीधा लेटी थी पर जीजाजी निरु की तरफ करवट लेकर लेटे थे।

चादर के ऊपर से मैं निरु के बूब्स का उभार देख पा रहा था। साथ ही जीजाजी का हाथ चादर के अंदर निरु के पेट पर रखा हुआ था। समझ नहीं आ रहा था की कैसे रियेक्ट करूँ, वो जीजाजी मेरी बिवी के साथ एक ही चादर में थे और ऋतू दीदी ने भी कुछ नहीं बोला। हालाँकि जीजाजी सिर्फ निरु का हाल चाल पुछ रहे थे। बातों बातों में जीजाजी का हाथ पेट से खिसक कर ऊपर आ रहा था और जल्दी ही निरु के बूब्स के २ इंच नीचे की तरफ था। जीजाजी कभी भी मेरी निरु के मम्मो को दबा सकते थे और मैं सिर्फ देख रहा था। इसके पहले की जीजाजी कोई गलत हरकत करते, ऋतू दीदी लेट गयी और जीजाजी को भी आवाज लगायी की वो निरु और मुझे सोने दे क्यों की हम सब थक गए है।

मैने ऋतू दीदी की तरफ देखकर स्माइल किया और मन ही मन उन्हें थैंक यू बोला। मगर जीजाजी तो हिले भी नहीं। उनका हाथ जरूर एक इंच और ऊपर खिसक कर निरु के बूब्स के ठीक नीचे तक पहुँच गया। मै अब अपनी जगह उठ खड़ा हुआ। ठीक उसी वक़्त ऋतू दीदी ने जीजाजी को फिर आवाज लगायी और जीजाजी ने अपना हाथ निरु के बदन से हटाया और चादर से बाहर निकल गए। अब जीजजी ऋतू दीदी के बिस्तर पर आ गए और मैं जाकर निरु के पास लेट गया जहाँ थोड़ी देर पहले जीजाजी लेटे थे। लाइट बंद कर अँधेरा कर दिया गया और मैं निरु से चिपक कर सो गया। थकान के मारे मुझे नींद आ गयी।

कुछ खट पट की आवाजो के साथ मेरी नींद खुली और अँधेरे में ही मैं पास के बिस्तर पर हलचल महसूस करने लगा। मुझे समझते देर नहीं लगी की वह चुदाई हो रही है। एक के ऊपर एक चढ़ कोई चुदाई कर रहा था। जीजाजी की इतनी हिम्मत की यहाँ दो लोग और सोये हुए हैं और वो इस तरह का काम कर रहे है। सुबह ही तो वाशरूम में जीजाजी ने ऋतू दीदी को चोदा था और रात को फिर शुरू हो गए। जीजाजी से ज्यादा कण्ट्रोल तो मेरे पास था जो मैं ३ दिन से बिना चुदाई के रह रहा था जब की मेरी बिवी ज्यादा सेक्सी थी। धीरे धीरे मुझे अँधेरे में और अच्छे से दिखने लगा था। मैने महसूस किया की जो ऊपर चढ़ कर चोद रहा हैं वो मर्द नहीं कोई औरत है।

ऋतू दीदी तो ऐसा काम कभी नहीं कर सकती है। मुझे शक हुआ कही जीजाजी को ऊपर चढ़ कर चोदने वाली मेरी बिवी निरु तो नहीं। मेरी तो धड़कने २ सेकण्ड्स के लिए रुक गयी। मैंने अपने पास चादर के अंदर सोयी लड़की पर हाथ फेरा। पेट पर हाथ रख मम्मो के ऊपर तक लाय और कपडे महसूस कर लगा की निरु तो मेरे पास ही लेटी हुयी है, और मैंने चैन की सांस ली। जीजाजी पर चढ़ कर चोदने वाली लड़की अब सीने से उठकर लण्ड पर बैठे बैठे ही चोद रही थी। उसके खुले बाल उसके उछलने के साथ ही हील रहे थे।

मेरी आँखें अब और भी अच्छे से देखने लगी थी। वो ऋतू दीदी ही थी। मुझे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। ऋतू दीदी जैसी सीधी और शान्त औरत ऊपर चढ़ कर चोद भी सकती है? फिर मैंने अपने आप को समझया की ऋतू दीदी का वो रूप तो दूसरो के लिए है। बैडरूम में तो हर औरत का एक अलग खुला हुआ रूप होता है। बैठे बैठे उछलने से ऋतू दीदी के बड़े बूब्स उनके टीशर्ट के अंदर ही ऊपर नीचे हिल रहे थे। वो बहुत मादक लग रही थी। नीचे उन्होंने कुछ नहीं पहना था क्यों की मैं उनके गांड का कर्व हिलता हुआ देख सकता था।

ऋतू दीदी को इस तरह चोदते देख मेरे दिल के तार बज गए थे। मेरे पास लेटी निरु दूसरे बिस्तर की तरफ ही मुह करके करवट ले नींद में सोयी थी। मैं निरु के पीछे से चिपक गया और उसके मम्मो को दबोच कर दबा दिया।

फिर मैंने निरु के गाउन को घुटनो से ऊपर उठाया और कमर के ऊपर तक चढा लिया। फिर जल्दी से अपना हाथ उस गाउन के अंदर डाल कर निरु के ब्रा सहित उसका बूब्स दबाने लगा। कुछ ही सेकण्ड्स में निरु की नींद उड़ गयी और मेरा हाथ हटाया। नींद उड़ने से उसका ध्यान भी अब शायद पास के बिस्तर पर होती चुदाई पर गया, क्यों की मैंने फिर से अपना हाथ निरु के बूब्स पर रखा और इस बार उसने मेरा हाथ पकडा पर हटाया नहीं।

नीरु खुद शॉक में थी की पास के बिस्तर पर चुदाई चल रही थी। निरु को भी अब तक पता चल गया की ऊपर चढ़ कर चोदने वाली उसकी बहन ऋतू ही है। ऋतू दीदी एक बार फिर आगे झुक कर जीजाजी के सीने पर अपनी छाती रख लेट गयी और धक्के मारते हुए चोदती रही। मै ऋतू दीदी की धक्के मरती और हिलती गांड को देख कर होश खो बैठा था। मेरी खुद की चोदने की इच्छा हो चुकी थी। मैंने अपना हाथ निरु के मम्मो से हटाया और उसकी पेंटी को नीचे खिंच कर निकालने लगा।
 
lovebird20153 said:
Very good story but incomplete 
Many questions still unanswered 
Writer should complete the story 
If administrators allow me I can complete the story

please go ahead
 
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