desiaks
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मैने जीजाजी को धक्का दिया और फिर पूरा झकज़ोर दिया था. तभी दरवाजे पर नॉक हुआ और ऋतु दीदी की आवाज़ आई. शायद चिल्लाहट सुनकर वो आ गयी थी. मैने जीजाजी को छोड़ा और दरवाजा खोलकर ऋतु दीदी को अंदर लिया.
ऋतु दीदी ने अपने पति की नंगी हालत देखी. कड़क लंड चिकना था. दूसरी तरफ नीरू बिस्तर पर औंधे मूह नंगी दहाड़ें मारते हुए सूबक रही थी. ऋतु दीदी को पूरा मामला समझ में आ चुका था.
ऋतु दीदी नीरू के पास गये और उसकी पीठ को सहलाते हुए उसको चुप किया. नीरू फिर उठ कर बैठ गयी और ऋतु दीदी के गले लग कर रोने लगी.
उसको कुच्छ सेकेंड लगे अपने आप को शांत करने में. मैं जीजाजी को बीच बीच मे नफ़रत भरी नज़रो से देख रहा था. जो इतना सब कुच्छ होने के बाद अभी भी नंगे खड़े थे.
नीरू अभी भी नंगी थी और साइड से उसके बड़े बूब्स और गठीली जांघे और गान्ड दिख रही थी. शायद इसी का प्रभाव था की जीजाजी का लंड अभी भी कड़क होकर फुदक रहा था.
प्रशांत: “अब तो शर्म कर लो, और अपने कपड़े पहनो. क्या घूर रहे हो नीरू को. ग़लत काम करते शर्म नही आई!”
जीजाजी कभी तरसती निगाहो से नीरू के नंगे बदन को देखते की उनकी चुदाई अधूरी छूट गयी और काश नीरू फिर से चुदवाने को हा बोल दे. फिर जीजाजी मेरे गुस्से भरे चेहरे को देखते और सहम जाते.
नीरू अब तक थोड़ा शांत हो चुकी थी और अपने आँसू पोंछते हुए ऋतु दीदी के सीने से अलग हुई और जीजाजी की तरफ देख कर बोली.
नीरू: “आपने मेरा भरोसा तोड़ दिया जीजाजी. मुझे आपसे यह उम्मीद नही थी”
जीजाजी: “हमको तो यह बहुत पहले ही कर लेना चाहिए था नीरू, हमको तो देर हो गयी हैं”
प्रशांत: “देखो इस बेशर्म इंसान को! अभी भी अपनी ग़लती मानने को तैयार नही हैं”
ऋतु दीदी: “नीरज, यह क्या कह रहे हो. थोड़ी तो शर्म करो. मेरी छोटी बहन के साथ ऐसी हरकत करते शर्म आनी चाहिए”
जीजाजी: “अच्छा, मुझे शर्म आनी चाहिए. और तुम्हे और इस प्रशांत को शर्म नही आनी चाहिए जब तुम दोनो ने आपस में मूह काला किया था!”
मैं और ऋतु दीदी अब सहम से गये थे. कही जीजाजी नीरू को वो राज ना बता दे की कैसे मैने और ऋतु दीदी ने चुदाई की थी. नीरू आश्चर्य से कभी जीजाजी को तो कभी मुझे और ऋतु दीदी को देख रही थी.
नीरू: “कैसी हरकत?”
जीजाजी: “मैं बताता हूँ, यह दोनो क्या बताएँगे. पिच्छली बार जब हम घूमने आए थे और तुम्हारे पैर मे मोच आई थी. तब दूसरे कमरे मे यह ऋतु और प्रशांत आपस मे चुदाई कर रहे थे”
नीरू अब शक भरी नज़रो से मुझे और फिर ऋतु दीदी को देखने लगी. ऋतु दीदी ने अपनी नज़रे झुका ली थी.
नीरू: “ऋतु दीदी! क्या यह सच हैं?”
ऋतु दीदी ने नज़रे झुकाए रखी और फिर अचानक से फफक फफक कर रोने लगी.
जीजाजी: “अब किस मूह से बोलेगी यह, जब इन दोनो ने आपस मे मूह काला किया था तब इनको शर्म नही आई! आज मुझे लेक्चर दे रहे हैं. क्या ग़लत किया मैने जो नीरू को चोदा. यह दोनो भी तो वोही ग़लती कर चुके हैं”
नीरू उसी नंगी हालत मे उठ कर मेरे पास आई. वो थोड़े आश्चर्य तो थोड़े गुस्से मे भरी थी. चलते वक़्त उसके मम्मे मदमस्त तरीके से उच्छल कर हिल रहे थे.
नीरू: “प्रशांत, तुमने ऋतु दीदी को चोदा था! ग़लती तुमने की और आज तक सिर्फ़ मुझ पर शक करते हुए गंदे इल्ज़ाम लगाते रहे”
प्रशांत: “मैं बताता हूँ की क्या हुआ था, मेरी इसमे कोई ग़लती नही हैं नीरू…”
नीरू: “तुम्हारे और ऋतु दीदी के बीच चुदाई हुई थी या नही?”
प्रशांत: “हा हुई थी मगर …”
नीरू: “बस, और बोलने की ज़रूरत नही हैं. तुम ग़लत नही होते तो तुम खुद मुझे आकर बताते, इस तरह छूपाते नही”
नीरू पलटी और जीजाजी के पास पहुचि.
नीरू: “अब तो मेरा पति और बहन भी मेरे नही रहे, किसके साथ वफ़ा करू! जीजाजी क्या करना हैं आपको मेरे साथ, कर लो अब जो भी करना हैं. वफ़ादारी की कोई कीमत नही रही अब मेरे लिए”
जीजाजी ने नीरू के कंधे पर हाथ रख कर उसको नीचे बैठा दिया और उसके मूह में अपना चिकना लंड डाल दिया और धक्का मारते हुए मूह चोदने लगे.
नीरू चुपचाप बैठी रही. जीजाजी खुश होकर मूह खोले आहें भरने लगे. मैं और ऋतु दीदी आश्चर्य मे उन दोनो को देख रहे थे.
नेक्स्ट एपिसोड मे पढ़िए क्या ऋतु और प्रशांत मिलकर जीजाजी और नीरू को ग़लत काम करने से रोक पाएँगे.
ऋतु दीदी ने अपने पति की नंगी हालत देखी. कड़क लंड चिकना था. दूसरी तरफ नीरू बिस्तर पर औंधे मूह नंगी दहाड़ें मारते हुए सूबक रही थी. ऋतु दीदी को पूरा मामला समझ में आ चुका था.
ऋतु दीदी नीरू के पास गये और उसकी पीठ को सहलाते हुए उसको चुप किया. नीरू फिर उठ कर बैठ गयी और ऋतु दीदी के गले लग कर रोने लगी.
उसको कुच्छ सेकेंड लगे अपने आप को शांत करने में. मैं जीजाजी को बीच बीच मे नफ़रत भरी नज़रो से देख रहा था. जो इतना सब कुच्छ होने के बाद अभी भी नंगे खड़े थे.
नीरू अभी भी नंगी थी और साइड से उसके बड़े बूब्स और गठीली जांघे और गान्ड दिख रही थी. शायद इसी का प्रभाव था की जीजाजी का लंड अभी भी कड़क होकर फुदक रहा था.
प्रशांत: “अब तो शर्म कर लो, और अपने कपड़े पहनो. क्या घूर रहे हो नीरू को. ग़लत काम करते शर्म नही आई!”
जीजाजी कभी तरसती निगाहो से नीरू के नंगे बदन को देखते की उनकी चुदाई अधूरी छूट गयी और काश नीरू फिर से चुदवाने को हा बोल दे. फिर जीजाजी मेरे गुस्से भरे चेहरे को देखते और सहम जाते.
नीरू अब तक थोड़ा शांत हो चुकी थी और अपने आँसू पोंछते हुए ऋतु दीदी के सीने से अलग हुई और जीजाजी की तरफ देख कर बोली.
नीरू: “आपने मेरा भरोसा तोड़ दिया जीजाजी. मुझे आपसे यह उम्मीद नही थी”
जीजाजी: “हमको तो यह बहुत पहले ही कर लेना चाहिए था नीरू, हमको तो देर हो गयी हैं”
प्रशांत: “देखो इस बेशर्म इंसान को! अभी भी अपनी ग़लती मानने को तैयार नही हैं”
ऋतु दीदी: “नीरज, यह क्या कह रहे हो. थोड़ी तो शर्म करो. मेरी छोटी बहन के साथ ऐसी हरकत करते शर्म आनी चाहिए”
जीजाजी: “अच्छा, मुझे शर्म आनी चाहिए. और तुम्हे और इस प्रशांत को शर्म नही आनी चाहिए जब तुम दोनो ने आपस में मूह काला किया था!”
मैं और ऋतु दीदी अब सहम से गये थे. कही जीजाजी नीरू को वो राज ना बता दे की कैसे मैने और ऋतु दीदी ने चुदाई की थी. नीरू आश्चर्य से कभी जीजाजी को तो कभी मुझे और ऋतु दीदी को देख रही थी.
नीरू: “कैसी हरकत?”
जीजाजी: “मैं बताता हूँ, यह दोनो क्या बताएँगे. पिच्छली बार जब हम घूमने आए थे और तुम्हारे पैर मे मोच आई थी. तब दूसरे कमरे मे यह ऋतु और प्रशांत आपस मे चुदाई कर रहे थे”
नीरू अब शक भरी नज़रो से मुझे और फिर ऋतु दीदी को देखने लगी. ऋतु दीदी ने अपनी नज़रे झुका ली थी.
नीरू: “ऋतु दीदी! क्या यह सच हैं?”
ऋतु दीदी ने नज़रे झुकाए रखी और फिर अचानक से फफक फफक कर रोने लगी.
जीजाजी: “अब किस मूह से बोलेगी यह, जब इन दोनो ने आपस मे मूह काला किया था तब इनको शर्म नही आई! आज मुझे लेक्चर दे रहे हैं. क्या ग़लत किया मैने जो नीरू को चोदा. यह दोनो भी तो वोही ग़लती कर चुके हैं”
नीरू उसी नंगी हालत मे उठ कर मेरे पास आई. वो थोड़े आश्चर्य तो थोड़े गुस्से मे भरी थी. चलते वक़्त उसके मम्मे मदमस्त तरीके से उच्छल कर हिल रहे थे.
नीरू: “प्रशांत, तुमने ऋतु दीदी को चोदा था! ग़लती तुमने की और आज तक सिर्फ़ मुझ पर शक करते हुए गंदे इल्ज़ाम लगाते रहे”
प्रशांत: “मैं बताता हूँ की क्या हुआ था, मेरी इसमे कोई ग़लती नही हैं नीरू…”
नीरू: “तुम्हारे और ऋतु दीदी के बीच चुदाई हुई थी या नही?”
प्रशांत: “हा हुई थी मगर …”
नीरू: “बस, और बोलने की ज़रूरत नही हैं. तुम ग़लत नही होते तो तुम खुद मुझे आकर बताते, इस तरह छूपाते नही”
नीरू पलटी और जीजाजी के पास पहुचि.
नीरू: “अब तो मेरा पति और बहन भी मेरे नही रहे, किसके साथ वफ़ा करू! जीजाजी क्या करना हैं आपको मेरे साथ, कर लो अब जो भी करना हैं. वफ़ादारी की कोई कीमत नही रही अब मेरे लिए”
जीजाजी ने नीरू के कंधे पर हाथ रख कर उसको नीचे बैठा दिया और उसके मूह में अपना चिकना लंड डाल दिया और धक्का मारते हुए मूह चोदने लगे.
नीरू चुपचाप बैठी रही. जीजाजी खुश होकर मूह खोले आहें भरने लगे. मैं और ऋतु दीदी आश्चर्य मे उन दोनो को देख रहे थे.
नेक्स्ट एपिसोड मे पढ़िए क्या ऋतु और प्रशांत मिलकर जीजाजी और नीरू को ग़लत काम करने से रोक पाएँगे.