desiaks
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ऋतू दीदी भी आकर निरु के पास बैठ गयी। नीरज जीजाजी अभी भी पानी को निरु की तरफ उछाल रहे था और मुझे भी बोले की मैं ऐसा ही करू। वो मेरी बिवी पर पानी उछल रहा था तो मैंने उनकी बिवी यानी ऋतू दीदी पर पानी उछालना शुरू किया। नीरु तो आराम से आँख बंद किये पानी की बौछार झेल रही थी पर ऋतू दीदी ने दोनों हाथ आगे किये पानी रोकने की असफ़ल कोशिश की। जल्दी ही उनका टैंक टॉप भीग गया और उनके मम्मो से चिपक गया। उनहोने अंदर कुछ नहीं पहना था। वो तो उनके लिए अच्छा था की टैंक टॉप वाइट कलर का नहीं था वार्ना अब तक तो उनके निप्पल का घेरा टैंक टॉप से चिपक हमें दीख चूका होता। भले ही वो ब्लैक टैंक टॉप था पर वो अब अच्छे से भीग कर ऋतू दीदी के मम्मो से चिपक उनके मम्मो की साइज बता रहा था। हालाँकि ट्रेन में मैंने उनके क्लीवेज की झलक देखि थी पर अब मैं उनके पुरे मम्मो की साइज को महसूस कर पा रहा था। ऋतू दीदी के मम्मे निरु के मम्मो से काम से काम १ इंच तो बड़े होंगे ही। साथ ही उनके निप्पल भी काफी बड़े थे। निरु के निप्पल थोड़े छोटे थे। मैं और भी जोश के साथ ऋतू दीदी के बूब्स को निशाना बना कर पानी डालने लगा। टैंक टॉप अब ऋतू दीदी के बूब्स पर चमड़ी की तरह चिपक गया था। अगर वो टैंक टॉप स्किन कलर का होता तो ऋतू दीदी नंगी ही नजर आती। हमने अब पानी डालना बंद किया।
ऋतू दीदी का ध्यान अब उनकी छाती पर गया और वो शर्मा गयी और मेरी तरफ देखने लगी। उनके सर उठाते ही मैं दूसरी तरफ निरु को देखने लगा। मैं ऋतू दीदी को शरमिंदा नहीं करना चाहता था। मैने फिर ऋतू दीदी की तरफ देखा वो अपनी छाती को देख कर अपना टैंक टॉप आगे खिंच कर अपने मम्मो से दूर कर रही थी ताकि कपडा मम्मो से ना चिपके। मै सोचने लगा की जीजाजी बेवजह ही निरु के पीछे पड़े है, ऋतू दीदी का खुद का फिगर इतना अच्छा है। शायद जीजाजी को भी ऋतू दीदी के बूब्स पसंद हैं तभी तो सुबह ट्रेन में ऋतू दीदी जीजाजी की डिमांड पर अपना क्लीवेज दिखा रही थी। पानी में मस्ती के दौरन जीजाजी बार बार निरु से चिपकाने की कोशिश कर रहे थे। मैं खुद जब निरु से चिपका तो मेरे तन बदन में भी आग लग गयी थी। नीरु के मम्मो को उसका कॉस्ट्यूम पूरा ढक नहीं पा रहा था और उसका क्लीवेज साफ़ दीख रहा था। एक बार तो मन किया की मैं निरु के बूब्स दबा ही दू पर आस पास जीजाजी और दीदी थे तो अपने आप पर काबू पाया।
जीजाजी ने सुझाव दिया की हम समुन्दर की लहरो से टकराये। ऋतू दीदी ने मना कर दिया तो वो निरु का हाथ पकड़ कर थोड़ा आगे ले गए। जीजाजी ने निरु की कमर के पीछे हाथ रख पकडा और निरु ने जीजाजी की पीठ पर हाथ रख पकडा। सामने से एक लहर आयी और दोनों ने खड़े होकर उसका सामना किया। एक के बाद एक लहरे आती गयी और वो दोनों मजे लेते रहे और उछालते रहे। जीजाजी बार बार मौका देख निरु की नंगी पीठ और कमर या पेट पर हाथ रख फील ले ही लेते। मैने भी सोचा वो मेरी बिवी का मजा ले रहे हैं तो मैं उनकी बीवी का मजा लुंगा। मैंने ऋतू दीदी को साथ चलने को कहा की हम लहरो का सामने करेंगे। वो मुझे कभी टालती नहीं है। वो लहरो का सामने करने में थोड़ी दरी क्यों की उनको स्वीमिंग नहीं आती है। मगर मेरे कहने पर वो तैयार हो गयी। मैं उन्हें लेकर थोड़ा आगे गया जहाँ लहरो का करेंट ज्यादा था। मै उनकी कमर पर हाथ रखे खड़ा अगली लहर का इन्तेजार करने लगा। जैसे ही एक बड़ी लहर पास आयी ऋतू दीदी घबरा कर पलट गयी और लहर के फ़ोर्स से गिरने लगी। मैने अपन हाथ आगे कर उनको गिरने से रोका। अचानक यह सब हुआ जिसके कारण मेरा हाथ सीधा जाकर उनके मम्मो के ठीक नीचे जाकर लगा और उनके मम्मो का उभार हलका सा मेरी ऊँगली को छु गया।
मैने ऋतू दीदी को फिर सीधा खड़ा किया और अगली लहर का इन्तेजार किया। इस बार लहर ज्यादा उठी और ऋतू दीदी फिर घबरा कर पलटि और फिर अनबेलेन्स होकर गिरने लगी।
मुझे एक बार फिर उन्हें थामना पड़ा पर इस बार मेरा हाथ उनकी बगल से नीचे गया और उनका एक मम्मा मेरे हाथ से दब गया। एकदम मक्खन सा मुलायम उनका मम्मा था, और उसको छूते ही मुझे करेंट सा लगा। नीरु के मम्मे ऋतू दीदी के मुकाबले थोड़े टाइट थे तो मुझे ऋतू दीदी के मम्मे दबाने में ज्यादा मजा आया। मैंने उनके सम्भलते ही अपना हाथ उनके मम्मे से हटा लिया। ऋतू दीदी शर्म के मारे स्माइल करने लगी।
ऋतू दीदी ने मुझसे कहा की वो अब जाना चाहती हैं नहीं तो वो पानी के फ़ोर्स से नीचे गिर जाएगी। मगर मैंने उनको भरोसा दिलाया की मैं उनके पीछे खड़ा रहुगा और गिरने नहीं दूंगा। ऋतू दीदी अब लहरो की तरफ फेस कर खड़ी थी और मैं उनके पीछे खड़ा हुआ। मैंने दोनों हाथो से उनकी कमर को पक़ड़ा। उनकी कमर सच में पतली ही थी और निरु की कमर से २ इंच से ज्यादा फर्क महसूस नहीं हुआ। इस बार ऋतू दीदी ने लहर का सामने कर लिया। एक दो बार प्रैक्टिस के बाद मैं उनके साथ खड़ा हो गया।
ऋतू दीदी का ध्यान अब उनकी छाती पर गया और वो शर्मा गयी और मेरी तरफ देखने लगी। उनके सर उठाते ही मैं दूसरी तरफ निरु को देखने लगा। मैं ऋतू दीदी को शरमिंदा नहीं करना चाहता था। मैने फिर ऋतू दीदी की तरफ देखा वो अपनी छाती को देख कर अपना टैंक टॉप आगे खिंच कर अपने मम्मो से दूर कर रही थी ताकि कपडा मम्मो से ना चिपके। मै सोचने लगा की जीजाजी बेवजह ही निरु के पीछे पड़े है, ऋतू दीदी का खुद का फिगर इतना अच्छा है। शायद जीजाजी को भी ऋतू दीदी के बूब्स पसंद हैं तभी तो सुबह ट्रेन में ऋतू दीदी जीजाजी की डिमांड पर अपना क्लीवेज दिखा रही थी। पानी में मस्ती के दौरन जीजाजी बार बार निरु से चिपकाने की कोशिश कर रहे थे। मैं खुद जब निरु से चिपका तो मेरे तन बदन में भी आग लग गयी थी। नीरु के मम्मो को उसका कॉस्ट्यूम पूरा ढक नहीं पा रहा था और उसका क्लीवेज साफ़ दीख रहा था। एक बार तो मन किया की मैं निरु के बूब्स दबा ही दू पर आस पास जीजाजी और दीदी थे तो अपने आप पर काबू पाया।
जीजाजी ने सुझाव दिया की हम समुन्दर की लहरो से टकराये। ऋतू दीदी ने मना कर दिया तो वो निरु का हाथ पकड़ कर थोड़ा आगे ले गए। जीजाजी ने निरु की कमर के पीछे हाथ रख पकडा और निरु ने जीजाजी की पीठ पर हाथ रख पकडा। सामने से एक लहर आयी और दोनों ने खड़े होकर उसका सामना किया। एक के बाद एक लहरे आती गयी और वो दोनों मजे लेते रहे और उछालते रहे। जीजाजी बार बार मौका देख निरु की नंगी पीठ और कमर या पेट पर हाथ रख फील ले ही लेते। मैने भी सोचा वो मेरी बिवी का मजा ले रहे हैं तो मैं उनकी बीवी का मजा लुंगा। मैंने ऋतू दीदी को साथ चलने को कहा की हम लहरो का सामने करेंगे। वो मुझे कभी टालती नहीं है। वो लहरो का सामने करने में थोड़ी दरी क्यों की उनको स्वीमिंग नहीं आती है। मगर मेरे कहने पर वो तैयार हो गयी। मैं उन्हें लेकर थोड़ा आगे गया जहाँ लहरो का करेंट ज्यादा था। मै उनकी कमर पर हाथ रखे खड़ा अगली लहर का इन्तेजार करने लगा। जैसे ही एक बड़ी लहर पास आयी ऋतू दीदी घबरा कर पलट गयी और लहर के फ़ोर्स से गिरने लगी। मैने अपन हाथ आगे कर उनको गिरने से रोका। अचानक यह सब हुआ जिसके कारण मेरा हाथ सीधा जाकर उनके मम्मो के ठीक नीचे जाकर लगा और उनके मम्मो का उभार हलका सा मेरी ऊँगली को छु गया।
मैने ऋतू दीदी को फिर सीधा खड़ा किया और अगली लहर का इन्तेजार किया। इस बार लहर ज्यादा उठी और ऋतू दीदी फिर घबरा कर पलटि और फिर अनबेलेन्स होकर गिरने लगी।
मुझे एक बार फिर उन्हें थामना पड़ा पर इस बार मेरा हाथ उनकी बगल से नीचे गया और उनका एक मम्मा मेरे हाथ से दब गया। एकदम मक्खन सा मुलायम उनका मम्मा था, और उसको छूते ही मुझे करेंट सा लगा। नीरु के मम्मे ऋतू दीदी के मुकाबले थोड़े टाइट थे तो मुझे ऋतू दीदी के मम्मे दबाने में ज्यादा मजा आया। मैंने उनके सम्भलते ही अपना हाथ उनके मम्मे से हटा लिया। ऋतू दीदी शर्म के मारे स्माइल करने लगी।
ऋतू दीदी ने मुझसे कहा की वो अब जाना चाहती हैं नहीं तो वो पानी के फ़ोर्स से नीचे गिर जाएगी। मगर मैंने उनको भरोसा दिलाया की मैं उनके पीछे खड़ा रहुगा और गिरने नहीं दूंगा। ऋतू दीदी अब लहरो की तरफ फेस कर खड़ी थी और मैं उनके पीछे खड़ा हुआ। मैंने दोनों हाथो से उनकी कमर को पक़ड़ा। उनकी कमर सच में पतली ही थी और निरु की कमर से २ इंच से ज्यादा फर्क महसूस नहीं हुआ। इस बार ऋतू दीदी ने लहर का सामने कर लिया। एक दो बार प्रैक्टिस के बाद मैं उनके साथ खड़ा हो गया।