bahan sex kahani ऋतू दीदी - Page 2 - SexBaba
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bahan sex kahani ऋतू दीदी

ऋतू दीदी भी आकर निरु के पास बैठ गयी। नीरज जीजाजी अभी भी पानी को निरु की तरफ उछाल रहे था और मुझे भी बोले की मैं ऐसा ही करू। वो मेरी बिवी पर पानी उछल रहा था तो मैंने उनकी बिवी यानी ऋतू दीदी पर पानी उछालना शुरू किया। नीरु तो आराम से आँख बंद किये पानी की बौछार झेल रही थी पर ऋतू दीदी ने दोनों हाथ आगे किये पानी रोकने की असफ़ल कोशिश की। जल्दी ही उनका टैंक टॉप भीग गया और उनके मम्मो से चिपक गया। उनहोने अंदर कुछ नहीं पहना था। वो तो उनके लिए अच्छा था की टैंक टॉप वाइट कलर का नहीं था वार्ना अब तक तो उनके निप्पल का घेरा टैंक टॉप से चिपक हमें दीख चूका होता। भले ही वो ब्लैक टैंक टॉप था पर वो अब अच्छे से भीग कर ऋतू दीदी के मम्मो से चिपक उनके मम्मो की साइज बता रहा था। हालाँकि ट्रेन में मैंने उनके क्लीवेज की झलक देखि थी पर अब मैं उनके पुरे मम्मो की साइज को महसूस कर पा रहा था। ऋतू दीदी के मम्मे निरु के मम्मो से काम से काम १ इंच तो बड़े होंगे ही। साथ ही उनके निप्पल भी काफी बड़े थे। निरु के निप्पल थोड़े छोटे थे। मैं और भी जोश के साथ ऋतू दीदी के बूब्स को निशाना बना कर पानी डालने लगा। टैंक टॉप अब ऋतू दीदी के बूब्स पर चमड़ी की तरह चिपक गया था। अगर वो टैंक टॉप स्किन कलर का होता तो ऋतू दीदी नंगी ही नजर आती। हमने अब पानी डालना बंद किया।

ऋतू दीदी का ध्यान अब उनकी छाती पर गया और वो शर्मा गयी और मेरी तरफ देखने लगी। उनके सर उठाते ही मैं दूसरी तरफ निरु को देखने लगा। मैं ऋतू दीदी को शरमिंदा नहीं करना चाहता था। मैने फिर ऋतू दीदी की तरफ देखा वो अपनी छाती को देख कर अपना टैंक टॉप आगे खिंच कर अपने मम्मो से दूर कर रही थी ताकि कपडा मम्मो से ना चिपके। मै सोचने लगा की जीजाजी बेवजह ही निरु के पीछे पड़े है, ऋतू दीदी का खुद का फिगर इतना अच्छा है। शायद जीजाजी को भी ऋतू दीदी के बूब्स पसंद हैं तभी तो सुबह ट्रेन में ऋतू दीदी जीजाजी की डिमांड पर अपना क्लीवेज दिखा रही थी। पानी में मस्ती के दौरन जीजाजी बार बार निरु से चिपकाने की कोशिश कर रहे थे। मैं खुद जब निरु से चिपका तो मेरे तन बदन में भी आग लग गयी थी। नीरु के मम्मो को उसका कॉस्ट्यूम पूरा ढक नहीं पा रहा था और उसका क्लीवेज साफ़ दीख रहा था। एक बार तो मन किया की मैं निरु के बूब्स दबा ही दू पर आस पास जीजाजी और दीदी थे तो अपने आप पर काबू पाया।

जीजाजी ने सुझाव दिया की हम समुन्दर की लहरो से टकराये। ऋतू दीदी ने मना कर दिया तो वो निरु का हाथ पकड़ कर थोड़ा आगे ले गए। जीजाजी ने निरु की कमर के पीछे हाथ रख पकडा और निरु ने जीजाजी की पीठ पर हाथ रख पकडा। सामने से एक लहर आयी और दोनों ने खड़े होकर उसका सामना किया। एक के बाद एक लहरे आती गयी और वो दोनों मजे लेते रहे और उछालते रहे। जीजाजी बार बार मौका देख निरु की नंगी पीठ और कमर या पेट पर हाथ रख फील ले ही लेते। मैने भी सोचा वो मेरी बिवी का मजा ले रहे हैं तो मैं उनकी बीवी का मजा लुंगा। मैंने ऋतू दीदी को साथ चलने को कहा की हम लहरो का सामने करेंगे। वो मुझे कभी टालती नहीं है। वो लहरो का सामने करने में थोड़ी दरी क्यों की उनको स्वीमिंग नहीं आती है। मगर मेरे कहने पर वो तैयार हो गयी। मैं उन्हें लेकर थोड़ा आगे गया जहाँ लहरो का करेंट ज्यादा था। मै उनकी कमर पर हाथ रखे खड़ा अगली लहर का इन्तेजार करने लगा। जैसे ही एक बड़ी लहर पास आयी ऋतू दीदी घबरा कर पलट गयी और लहर के फ़ोर्स से गिरने लगी। मैने अपन हाथ आगे कर उनको गिरने से रोका। अचानक यह सब हुआ जिसके कारण मेरा हाथ सीधा जाकर उनके मम्मो के ठीक नीचे जाकर लगा और उनके मम्मो का उभार हलका सा मेरी ऊँगली को छु गया।

मैने ऋतू दीदी को फिर सीधा खड़ा किया और अगली लहर का इन्तेजार किया। इस बार लहर ज्यादा उठी और ऋतू दीदी फिर घबरा कर पलटि और फिर अनबेलेन्स होकर गिरने लगी।

मुझे एक बार फिर उन्हें थामना पड़ा पर इस बार मेरा हाथ उनकी बगल से नीचे गया और उनका एक मम्मा मेरे हाथ से दब गया। एकदम मक्खन सा मुलायम उनका मम्मा था, और उसको छूते ही मुझे करेंट सा लगा। नीरु के मम्मे ऋतू दीदी के मुकाबले थोड़े टाइट थे तो मुझे ऋतू दीदी के मम्मे दबाने में ज्यादा मजा आया। मैंने उनके सम्भलते ही अपना हाथ उनके मम्मे से हटा लिया। ऋतू दीदी शर्म के मारे स्माइल करने लगी।

ऋतू दीदी ने मुझसे कहा की वो अब जाना चाहती हैं नहीं तो वो पानी के फ़ोर्स से नीचे गिर जाएगी। मगर मैंने उनको भरोसा दिलाया की मैं उनके पीछे खड़ा रहुगा और गिरने नहीं दूंगा। ऋतू दीदी अब लहरो की तरफ फेस कर खड़ी थी और मैं उनके पीछे खड़ा हुआ। मैंने दोनों हाथो से उनकी कमर को पक़ड़ा। उनकी कमर सच में पतली ही थी और निरु की कमर से २ इंच से ज्यादा फर्क महसूस नहीं हुआ। इस बार ऋतू दीदी ने लहर का सामने कर लिया। एक दो बार प्रैक्टिस के बाद मैं उनके साथ खड़ा हो गया।
 
अगली लहर आते ही ऋतू दीदी लहर के साथ पीछे चली गयी और मुह के बल बीच की तरफ थोड़ा आगे बह गयी। पानी की लहरो की वजह से उनका टैंक टॉप ऊपर उठ गया और उनकी गोरी कमर और पीठ मुझे पहली बार दिखि। उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहन रखा था। अगर वो सीधा लेटी होती तो उनके मम्मो के दर्शन मुझे हो जाता। उन्होंने नीचे उलटा लेटे लेटे ही अपना टॉप नीचे किया और मेरी तरफ मुडी। मुझे उनकी नंगी कमर दिखाई दि। अब क्लियर था की निरु के मुकाबले उनकी कमर सिर्फ एक या डेढ़ इंच ही ज्यादा होगी। ऋतू दीदी अब बीच के किनारे जाने लगी और मेरे रोकने पर भी नहीं रुकी। वो और ज्यादा शरमिंदा नहीं होना चाहती थी। मैंने जीजाजी से एक छोटा सा बदला ले लिया था।

नीरु की तरफ ध्यान लगाया तो देखा जीजाजी ने उसको अपनी दोनों बाँहों में उठा रखा था। एक हाथ निरु की पीठ पर था और दूसरा निरु की जाँघिय के नीचे और निरु आराम से जीजाजी की बाँहों में हाथ पैर फैलाये लेटी हुयी थी। मै अब उनके करीब सामने की तरफ पहुंच। जीजा जी का हाथ जो निरु के पीठ से पकडे था उसकी हथेली निरु के बगल के नीचे थी और उंगलिया लगभग निरु के मम्मो को छु रही थी। मेरे आने के बाद जीजा जी ने निरु को नीचे उतारा। मगर निरु जीजाजी के पीछे गयी और कूद कर उनकी पीठ पर पिग्गी बैक की तरह लटक गयी।

मैं साइड से देख सकता था की निरु के मम्मे जीजाजी की पीठ से चिपक गए थे और मम्मे का थोड़ा सा उभार बिकिनी ब्रा के साइड से थोड़ा बाहर निकल गए था। जीजजी ने भी अपने हाथ पीछे ले जाकर निरु की जाँघो के नीचे से पकड़ कर उसको उठाये रखा। मैंने निरु की नंगी कमर और पीठ पर हाथ फेर कर उसको अहसास दिलाया की मैं भी वह खड़ा हूं। वो कुछ सेकण्ड्स में जीजाजी की पीठ से उतरि और मेरे गले लग गयी। उसके मम्मे मेरे सीने से चिपक गए। वो बीच पर आकर बहुत खुश थी और यह दीख रहा था। थोड़ी देर और पानी में मस्ती करने के बाद हम लोग बाहर आये और बीच चेयर पर लेट गए।

निरु जाकर उलटा लेटी थी। उसकी पीठ पर सिर्फ उसके बिकिनी ब्रा को बाँधे डोरी का एक नॉट लगा था। जीजाजी आकर उसके पास बैठ गए और निरु की नंगी पीठ पर हाथ फेरने लगे। पता चला वो सनस्क्रीन लोशन लगा रहे थे। मुझे बुरा लगा तो मैंने उनसे कहा की मैं लगा देता हूँ, और वो ऋतू दीदी को लोशन लगा दे। पर उन्होंने बताया की ऋतू ने पहले ही लोशन लगा लिया हैं और खुद निरु के बदन को छूते हुए लोशन लगाते रहे। मैंने सनस्क्रीन लोशन खुद रख लिया। निरु अब सीधा लेटी।

जीजाजी लोशन की बोतल ढूँढ़ने लगे। मैंने खुद लोशन उंगलियो में लिया और निरु के पेट और सीने पर लोशन लगाने लगा। जीजाजी मुझसे लोशन मांग रहे थे पर मैंने उनको तकलिफ ना लेने को कहा और उनको लोशन नहीं दिया। जीजजी फिर दूसरी बीच चेयर पर चले गए क्यों की अब उनकी दाल नहीं गलने वाली थी।

मैं जब निरु के क्लेवगे पर लोशन लगा रहा था तो निरु मुझे प्यार से देख रही थी। मै जब निरु के बदन को मल रहा था तो वो उत्तेजित हो रही थी, जो की उसकी नशीली आँखों में दीख रहा था। वो भी मेरे हाथों और जाँघो को मल रही थी। तभी ऋतू दीदी ने याद दिलाया की अब हमें लंच के लिए जाना चहिये।

हम लोगो ने वहाँ लगे चेंज बूथ में जाकर कपडे चेंज किये और फिर लंच के लिए निकल गए। लंच के बाद थोड़ी लोकल शॉप पर शॉपिंग की और सामान कार में रख दिए। फिर हम वाटर स्पोर्ट्स के लिए वापिस बीच पर आए। जीजाजी बार बार निरु के पास जाकर चिपकने के लिए कोशिश कर रहे थे।

शाम को हम डिनर के बाद ही होटल पहुंचे और बहुत ही थके हुए थे। ख़ास तौर से निरु बहुत ही थकी हुयी थी। रूम एक ही था तो सबसे पहले निरु वाशरूम में चेंज करने गयी और रात को पहनने के लिए घुटनो तक का नाईट गाउन पहन लिया। फिर ऋतू दीदी चेंज करने गयी और टीशर्ट और पजामा पहन लिया। उसके बाद जीजाजी चेंज कर आये और लास्ट में मैं चेंज कर आया।
 
मै जब चेंज करके आया तो देखा ऋतू दीदी एक बेड पर पीठ टिकाये बैठी थी और दूसरे बेड पर निरु थकान के मारे चादर ओढ कर लेटी हुयी थी। जीजाजी निरु के दूसरी तरफ उसके सिरहाने बैठे थे और उसकी तबियत पुछ रहे थे। मै उन दोनों बेड के बीच में आया तब तक जीजाजी भी निरु की चादर के अंदर घुस गए। मैं ऋतू दीदी के बेड के किनारे पर बैठ गया ताकि सामने से निरु को देख सकूँ। निरु छत की तरफ देखते हुए सीधा लेटी थी पर जीजाजी निरु की तरफ करवट लेकर लेटे थे।

चादर के ऊपर से मैं निरु के बूब्स का उभार देख पा रहा था। साथ ही जीजाजी का हाथ चादर के अंदर निरु के पेट पर रखा हुआ था। समझ नहीं आ रहा था की कैसे रियेक्ट करूँ, वो जीजाजी मेरी बिवी के साथ एक ही चादर में थे और ऋतू दीदी ने भी कुछ नहीं बोला। हालाँकि जीजाजी सिर्फ निरु का हाल चाल पुछ रहे थे। बातों बातों में जीजाजी का हाथ पेट से खिसक कर ऊपर आ रहा था और जल्दी ही निरु के बूब्स के २ इंच नीचे की तरफ था। जीजाजी कभी भी मेरी निरु के मम्मो को दबा सकते थे और मैं सिर्फ देख रहा था। इसके पहले की जीजाजी कोई गलत हरकत करते, ऋतू दीदी लेट गयी और जीजाजी को भी आवाज लगायी की वो निरु और मुझे सोने दे क्यों की हम सब थक गए है।

मैने ऋतू दीदी की तरफ देखकर स्माइल किया और मन ही मन उन्हें थैंक यू बोला। मगर जीजाजी तो हिले भी नहीं। उनका हाथ जरूर एक इंच और ऊपर खिसक कर निरु के बूब्स के ठीक नीचे तक पहुँच गया। मै अब अपनी जगह उठ खड़ा हुआ। ठीक उसी वक़्त ऋतू दीदी ने जीजाजी को फिर आवाज लगायी और जीजाजी ने अपना हाथ निरु के बदन से हटाया और चादर से बाहर निकल गए। अब जीजजी ऋतू दीदी के बिस्तर पर आ गए और मैं जाकर निरु के पास लेट गया जहाँ थोड़ी देर पहले जीजाजी लेटे थे। लाइट बंद कर अँधेरा कर दिया गया और मैं निरु से चिपक कर सो गया। थकान के मारे मुझे नींद आ गयी।

कुछ खट पट की आवाजो के साथ मेरी नींद खुली और अँधेरे में ही मैं पास के बिस्तर पर हलचल महसूस करने लगा। मुझे समझते देर नहीं लगी की वह चुदाई हो रही है। एक के ऊपर एक चढ़ कोई चुदाई कर रहा था। जीजाजी की इतनी हिम्मत की यहाँ दो लोग और सोये हुए हैं और वो इस तरह का काम कर रहे है। सुबह ही तो वाशरूम में जीजाजी ने ऋतू दीदी को चोदा था और रात को फिर शुरू हो गए। जीजाजी से ज्यादा कण्ट्रोल तो मेरे पास था जो मैं ३ दिन से बिना चुदाई के रह रहा था जब की मेरी बिवी ज्यादा सेक्सी थी। धीरे धीरे मुझे अँधेरे में और अच्छे से दिखने लगा था। मैने महसूस किया की जो ऊपर चढ़ कर चोद रहा हैं वो मर्द नहीं कोई औरत है।

ऋतू दीदी तो ऐसा काम कभी नहीं कर सकती है। मुझे शक हुआ कही जीजाजी को ऊपर चढ़ कर चोदने वाली मेरी बिवी निरु तो नहीं। मेरी तो धड़कने २ सेकण्ड्स के लिए रुक गयी। मैंने अपने पास चादर के अंदर सोयी लड़की पर हाथ फेरा। पेट पर हाथ रख मम्मो के ऊपर तक लाय और कपडे महसूस कर लगा की निरु तो मेरे पास ही लेटी हुयी है, और मैंने चैन की सांस ली। जीजाजी पर चढ़ कर चोदने वाली लड़की अब सीने से उठकर लण्ड पर बैठे बैठे ही चोद रही थी। उसके खुले बाल उसके उछलने के साथ ही हील रहे थे।

मेरी आँखें अब और भी अच्छे से देखने लगी थी। वो ऋतू दीदी ही थी। मुझे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था। ऋतू दीदी जैसी सीधी और शान्त औरत ऊपर चढ़ कर चोद भी सकती है? फिर मैंने अपने आप को समझया की ऋतू दीदी का वो रूप तो दूसरो के लिए है। बैडरूम में तो हर औरत का एक अलग खुला हुआ रूप होता है। बैठे बैठे उछलने से ऋतू दीदी के बड़े बूब्स उनके टीशर्ट के अंदर ही ऊपर नीचे हिल रहे थे। वो बहुत मादक लग रही थी। नीचे उन्होंने कुछ नहीं पहना था क्यों की मैं उनके गांड का कर्व हिलता हुआ देख सकता था।

ऋतू दीदी को इस तरह चोदते देख मेरे दिल के तार बज गए थे। मेरे पास लेटी निरु दूसरे बिस्तर की तरफ ही मुह करके करवट ले नींद में सोयी थी। मैं निरु के पीछे से चिपक गया और उसके मम्मो को दबोच कर दबा दिया।

फिर मैंने निरु के गाउन को घुटनो से ऊपर उठाया और कमर के ऊपर तक चढा लिया। फिर जल्दी से अपना हाथ उस गाउन के अंदर डाल कर निरु के ब्रा सहित उसका बूब्स दबाने लगा। कुछ ही सेकण्ड्स में निरु की नींद उड़ गयी और मेरा हाथ हटाया। नींद उड़ने से उसका ध्यान भी अब शायद पास के बिस्तर पर होती चुदाई पर गया, क्यों की मैंने फिर से अपना हाथ निरु के बूब्स पर रखा और इस बार उसने मेरा हाथ पकडा पर हटाया नहीं।

नीरु खुद शॉक में थी की पास के बिस्तर पर चुदाई चल रही थी। निरु को भी अब तक पता चल गया की ऊपर चढ़ कर चोदने वाली उसकी बहन ऋतू ही है। ऋतू दीदी एक बार फिर आगे झुक कर जीजाजी के सीने पर अपनी छाती रख लेट गयी और धक्के मारते हुए चोदती रही। मै ऋतू दीदी की धक्के मरती और हिलती गांड को देख कर होश खो बैठा था। मेरी खुद की चोदने की इच्छा हो चुकी थी। मैंने अपना हाथ निरु के मम्मो से हटाया और उसकी पेंटी को नीचे खिंच कर निकालने लगा।
 
नमिता नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरी चूत पर अपने मुंह को लगा लिया। चूंकि उसे चूत चाटने का तो कोई अनुभव नहीं था, फिर भी वो चूत चाट रही थी। मैं नमिता के साथ काफी देर से खेल रही थी तो मेरे अन्दर का माल भी बाहर आने को तैयार था, अगर नमिता मेरी चूत न चाटती तो मैं नहा कर कमरे में जाकर उंगली करके अपने माल को बाहर निकालती। नमिता मेरी चूत चाटे जा रही थी और एक क्षण ऐसा भी आया कि नमिता के मुंह में मैं खलास हो गई। जैसे ही मेरा नमकीन पानी नमिता के मुंह में गया,

वो मुंह बनाते हुए बोली- ये क्या भाभी, ये क्या किया आपने?

मैं - 'मैंने क्या किया?'

नमिता - 'मेरे मुंह में आपने पेशाब कर दिया!'

मैं - 'नहीं, यह पेशाब नहीं है, इसको रज बोलते हैं। मेरे मुंह में भी तुमने यही किया था।'

फिर हम दोनों नंगी नहाने लगी और थोड़ी देर बाद मैं ऑफिस के लिये तैयार होकर आ गई।

जैसे ही हम लोग नाश्ते के लिये बैठे वैसे ही अमित आ गया, अमित को देखकर नमिता अमित के लिये भी नाश्ता लेने चली गई। नमिता के जाते ही अमित घुटने के बल नीचे बैठ गया और

मुझसे बोला- भाभी, मैं आपके खुले हुस्न का दीदार करना चाहता हूँ, एक बार अपने हुस्न के दीदार करा दो, फिर ये अमित आपका गुलाम हो जायेगा।

तभी नमिता नाश्ता लाते हुए दिखाई पड़ी तो मैंने अमित को सीधे बैठने के लिये कहा। नाश्ता करने के बाद मैं ऑफिस जाने लगी तो नमिता अमित से मुझको ऑफिस ड्रॉप करने के लिये बोली, अमित की तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई, वो सहर्ष तैयार हो गया। फिर मेरा भी मना करने का सवाल ही नहीं उठता था, मैं अमित के साथ चल पड़ी। रास्ते में एक रेस्टोरेन्ट पर अमित ने अपनी गाड़ी रोकी और मुझसे दस मिनट उसके साथ रहने के लिये रिक्वेस्ट करने लगा।

मेरे पास ऑफिस पहुँचने का भरपूर टाईम था तो मैं उसके साथ रेस्टोरेन्ट चली गई।

वहां पर अमित एक बार फिर रिक्वेस्ट करने लगा तो

मैंने कहा- ठीक है, आज रात मेरा दरवाजा तुम्हारे लिये खुला रहेगा, लेकिन एक शर्त है कि तुम मेरी कोई बात काटोगे नहीं।

अमित - 'नहीं भाभी... बिल्कुल नही!' निःसंकोच अमित ने मेरा हाथ चूमा और बोला- भाभी, आज से आपका यह जीजा आपका गुलाम ही रहेगा।

मैं - 'वो तो ठीक है लेकिन आज रात के बाद फिर कभी नहीं कहोगे और न ही मुझे ब्लैक मेल करोगे।'

अमित - 'बिल्कुल नहीं भाभी... ये बन्दा आज से आपका गुलाम है, जब आप चाहोगी तब ये गुलाम सदा आपकी सेवा में रहेगा।'

इसके बाद अमित ने मुझे मेरे ऑफिस ड्रॉप कर दिया।

ऑफिस पहुँचे एक घण्टा भी नहीं हुआ था कि नमिता का फोन आ गया, फोन पर ही वो बोलने लगी- भाभी, आज मेरा मन लग नहीं रहा है, मुझे आपसे बहुत सी बातें करनी है।

मैं समझ चुकी थी कि वो मुझसे किस टॉपिक पर बात करना चाहती है तो मैंने बॉस से परमिशन ले ली। मेरा बॉस जो एक 40 वर्षीय था उसने मुझे इस शर्त पर परमिशन दे दी कि अगर उसे कोई ऑफिस का काम पड़ेगा तो उसे फिर ओवर टाईम करना पड़ेगा, मैंने भी एक मुस्कुराहट के साथ हाँ मैं अपने सर को हिला दिया। मैं घर आ गई।
 
नीरु भी मेरी चुदाई से अब तक आत्मसमर्पण कर चुकी थी। मैं अब आराम से उसके मम्मे दबाये उसको चोद रहा था। निरु ने ज्यादा मजा लेने के लिए अपनी टांगो और गांड को टाइट कर लिया था और मैंने अपने लण्ड को निरु की चूत में जकड़ा हुआ पाया। नीरु अब खुद अपनी गांड को आगे पीछे कर चुदने का मजा लेने लगी थी। अगले कुछ मिनट्स तक और चोदने के बाद मुझे लग गया की अब मैं झड़ने वाला हूँ। मगर निरु के उत्साह को देखते हुए मैंने उसका साथ दिया और उसको चोदते रह।

फिर मुझे लगा की अब कंट्रोल करना मुश्किल हैं और मेरे लण्ड का जूस निकलने वाला है। मैने अपना लण्ड निरु की चूत से निकलना चाहा पर उसके पहले ही २ बून्द निरु की चूत में ही छूट गयी। मैंने अपना लण्ड बाहर खिंचा पर उसको तो निरु ने दबा रखा था। मैने जल्दी से अपना हाथ निरु के मम्मो से हटाया और उसके कूल्हों को पकड़ जोर लगया। मेरे लण्ड से दो बूँद और जूस की निकली और निरु की चूत में चली गयी। मेरे जोर लगाने से मेरा लण्ड निरु की चूत से बाहर आया और आते वक़्त अपना जूस छोड़ता हुआ आया। मेरा सारा जूस अब निरु की चूत और गांड के बीच गिर गया और उसको गन्दा कर दिया।

झड़ने के बाद मैं बड़ा रिलीफ महसूस कर रहा था की तभी मेरी जांघ पर एक जोर का मुक्का लगा और मेरी बस चीख नहीं निकली। निरु ने अपना गुस्सा मुझ पर निकाला था। मुझे भी अब अपनी गलती का अहसास हुआ। जोश जोश में मैंने लगभग निरु को पूरा चोद ही दिया था। ऊपर से मैंने अपना चिकना जूस उस पर ड़ाल गन्दा कर दिया था।

थोड़ी देर पहले ही ऋतू दीदी और जीजाजी ने अपनी चुदाई ख़त्म की थी तो निरु अपनी साफ़ सफाई के लिए उठ कर वाशरूम भी नहीं जा सकती थी। मैं यह सोच ही रहा था की मुझे एक के बाद एक दो मुक्के मेरी जांघ पर पढ़े और मैं अपनी जांघ को रगड़ता हुआ पीछे हट कर निरु से दूर हुआ। अभी निरु बहुत गुस्से में थी तो उस से दूर होना ही ठीक था। निरु के पास अभी सफाई करने के लिए उसका गाउन था या उसकी पैंटी। मैंने अपना अंडरवियर ऊपर कर पहन लीया।

नीरु ने भी कुछ हरकत की थी और उसने भी अपनी पैंटी ऊपर चढ़ा कर अपनी चूत पर जमा मेरे लण्ड के जूस को साफ़ किया था। मेरे गीले लण्ड से मेरी अंडरवियर भी थोड़ी गीली हो गयी थी और मुझे गीला लग रहा था। मै सोचने लगा, बेचारी निरु को कितना गीला लग रहा होगा, मैंने उस पर इतना जूस डाला हैं की उसकी पैंटी और भी ज्यादा गीली होगी।

तक़रीबन १५-२० मिनट्स के बाद जब उसको लगा की जीजाजी - दीदी सो चुके हैं तब वो अँधेरे में ही उठी और वॉशरूम में चली गयी। थोड़ी देर बाद वो वापिस आई और मेरी तरफ पीठ कर फिर से चादर के अन्दर सो गयी।

मैंने चेक करने के लिए निरु के गाउन के ऊपर से ही उसकी गांड पर हाथ लगाया और फील किया की उसने पैंटी नहीं पहने थी, वो वॉशरूम में जाकर अपनी गीली हो चुकी पैंटी खोल आई थी। तभी मेरे हाथ पर एक जोर का चांटा पड़ा और मैंने अपना हाथ पीछे खींच लिया। निरु अभी भी तेज गुस्से में थी और मैंने फिर उसको हाथ नहीं लगाया। मैं फिर सो गया और सुबह ही उठा।

सूबह उठने पर देखा की निरु पहले ही उठ चुकी हैं और ऋतू दीदी भी। दोनों अपने काम में लगे थे। मैं निरु का चेहरा पढ़ सकता था। वो जब गुस्से में होती हैं तो ऐसे ही होती है। मुझे लग गया आज तो मेरी शामत है। जीजाजी भी उठ चुके थे और हमने ब्रश किया और फ्रेश हो गया। कल की तरह एक बार फिर डिसाइड हुआ की दो-दो करके लोग ब्रेकफास्ट को जाएंगे और बाकी दो यही रुकेंगे नहा कर तैयार होने के लिये। मुझे नाराज हो चुकी निरु को मनाना था।

मुझे पता था की वो बिना नहाए ब्रेकफास्ट करने नहीं जाएगी। मैंने बोल दिया की मैं नहाने के लिए यही रूकूंगा। जीजजी अपनी बीवी ऋतू दीदी को लेकर ब्रेकफास्ट के लिए जाने लगे पर निरु ने उनको रोका और कहा की वो उनके साथ ब्रेकफास्ट को जाएगी। मुझे पता था की निरु ने ऐसा क्यों किया, वो मुझसे नाराज थी और मेरे साथ अकेले नहीं रहना चाहती थी।
 
जीजा साली दोनों ब्रेकफास्ट के लिए चले गए। ऋतू दीदी ने मुझे पहले नहाने को बोल दिया। ऋतू दीदी को देख मैं रात की घटना इमेजिन कर रहा था की वो कैसे ऊपर चढ़ कर जीजाजी को चोद रही थी। मुझे लगा की रात की चुदाई के बाद उनको नहाने की ज्यादा जरुरत है। इसलिए मैंने उनको पहले जाने को बोल दिया। वो कुछ मिनट्स में ही नहा कर बाहर आ गयी, क्यों की उनको बाल नहीं धोने थे। ऋतू दीदी के बाहर आते ही मैं जल्दी से वॉशरूम में अन्दर गया। वाशरूम में उनके बदन की सौंधी महक आ रही थी। कपडे रखने की जगह पर ऋतू दीदी का ब्रा और पैंटी पड़ी थी जो उन्होंने शायद कल रात पहनी थी।

मै तो वैसे ही ऋतू दीदी के नए रूप का दीवाना हो चुका था तो उनकी पैंटी और ब्रा उठा कर मैंने सूँघ ली और जैसे नशा सा चढ़ गया। मैंने अपना शॉर्ट्स नीचे किया और ऋतू दीदी की पैंटी को अपने लण्ड पर रगड़ कर अपनी थोड़ी इच्छा शांत की। इसके बाद मैं नहाने चला गया। बाहर आया तो ऋतू दीदी ने बोला की
“तुम अन्दर चले गए, मेरे कुछ कपडे अन्दर ही रह गए थे”।

मैंने अनजान बनने का नाटक किया जैसे मैंने उनके कपडे देखे ही नहीं था। हम तैयार हो ही रहे थे की जीजाजी और निरु ब्रेकफास्ट करके आ गए थे। निरु के चेहरे पर हंसी थी पर मुझे देखते ही वो उदासी में बदल गयी। ऋतू दीदी ऑलमोस्ट तैयार थे ब्रेकफास्ट पर जाने के लिए तो मैंने रूम की चाबी जेब में रख ली।

कल सुबह मेरे और निरु के ब्रेकफास्ट पर जाने के बाद जिस तरह जीजाजी वॉशरूम में ऋतू दीदी को चोद रहे थे, मुझे डर लगा की अभी मेरे और ऋतू दीदी के जाने के बाद वो अकेले में निरु को वॉशरूम में न चोद दे। ऋतू दीदी अब ब्रेक फ़ास्ट पर जाने को रेडी थी और निरु बैग से कपडे निकाल नहाने के लिए रेडी थी। मैंने ऋतू दीदी को कुछ बहाना बना कर आगे चलने को कहा की मैं थोड़ी देर में आता हूँ। नीरु अब वॉशरूम में नहाने चली गयी और मैं अपने मोबाइल पर कुछ चेक करने के बहाने बैठा रहा।

जीजाजी कमरे में इधर उधर टहल रहे थे। मुझे पता था जीजाजी कितने बेचैन हो रहे होंगे की मैं वहाँ से जाउ और वो वॉशरूम में घुस कर निरु के साथ कुछ गन्दी हरकत कर सके। उन्होंने मुझसे एक बार ब्रेकफास्ट के लिए जाने का भी याद दिलाया पर मैं भी २मिनट बोल कर बिजी होने की एक्टिंग करता रहा। कुछ मिनट के बाद निरु नहा कर बाहर आ गयी थी। नहाने के बाद मेरी निरु और भी खिल उठी थी, पर वो मुझसे नाराज थी।

जीजाजी अब वॉशरूम में चले गए। कहि निरु ने अपने ब्रा और पैंटी बाथरूम में तो नहीं छोड़ दिए, वार्ना जीजाजी भी मेरी तरह ब्रा पैंटी सूँघने के मजे लेंगे। मैंने निरु से पूछा उसके ब्रा पैंटी बाथरूम में तो नहीं छूट गए। उसने मुझे कोई जवाब नहीं दिया।

मुझे लगा अब निरु सेफ है। मैं रूम से बाहर निकल कर ब्रेकफास्ट के लिए गया। वह पंहुचा तो ऋतू दीदी अपना ब्रेकफास्ट ख़त्म कर चुकी थी। मेरे लिए अच्छा था की ऋतू दीदी रूम में जाएंगे तो जीजाजी की हिम्मत नहीं होगी निरु को हाथ लगाने की। ऋतू दीदी रूम की तरफ चले गए और मैं अब आराम से ब्रेकफास्ट करने लाग। आज तो मुझे खाने से रोकने के लिए निरु भी नहीं थी। पर सच पूछो तो मुझे बुरा भी लग रहा था, निरु की वो टोका टाकी मैं मिस कर रहा था।

मैने आराम से ब्रेकफास्ट फिनिश कर फिर रूम की तरफ बढ़। जेब में हाथ डाला तो रूम की चाबी मेरे पास ही रह गयी थी। मैं सीधा रूम का दरवाजा खोल अन्दर गया। वाशरूम से एक बार फ्री सिसकियों की आवाज आ रही थी। अन्दर कल की तरह फिर चुदाई चल रही थी। आज तो मुझे रोकने के लिए निरु भी वह नहीं थी। मैं रूम का दरवाजा बंद कर वॉशरूम की तरफ बढ़। अन्दर से लड़की की चुदाई से निकलती सिसकियों के साथ जीजाजी की क्लियर आवाज आ रही थी जिसे सुन मेरा माथा फट गया

“ओह्ह्ह निरु, ई विल फ़क यू। तुम्हारा क्या फिगर हैं निरु, ओह तुम्हारे बूब्स, मजा आ गया, ओह्ह्ह निरु तुम्हे चोदने का क्या मजा हैं, आअह्ह्ह आअह्ह्, ओह निरु डार्लिंग, तुम्हारी चूत क्या गरम हैं, ले लो मेरा लण्ड, निरु अपनी चूत चुदवा … ायी, ओह निरु…”
मेरा दिमाग उस वक़्त शून्य सा हो गया। जोर से चीखने की इच्छा हो रही थी पर आवाज नहीं निकल रही थी। अन्दर ही अन्दर मैं रो रहा था। ऊपर से निरु की आती वो सिसकिया बता रही थी की वो खुद कितना अपने जीजा से चुदाई को एन्जॉय कर रही थी।
 
मैने इधर उधर देखा कोई चीज मिल जाए जिसे मैं उठा कर वॉशरूम के दरवाजे पर पटक कर दरवाजा तोड़ द, पर एक कुर्सी तक नहीं थी उस रूम मे। मैं वंही सर पकड़ कर जमीं पर बैठ गया और लगभग रो पड़ा था। मुझे यक़ीन नहीं हो रहा था की निरु ऐसा कर सकती है। क्या वो मुझसे इतना नाराज हो गयी की बदला लेने को अपने जीजाजी से ही चुदवा रही थी। जरुर इमोशनली वीक देख कर जीजाजी ने निरु का फायदा उठाया होगा।

मेरी ही गलती हैं जो मैंने निरु को नाराज किया। मगर ऋतू दीदी कहा हैं? वो तो ब्रेकफास्ट करके रूम की तरफ ही निकले थे। कहि उन्होंने भी तो यह सुन नहीं लिया और प्रेशर में आकर वो कही कुछ गलत कदम ना उठा ले। मैं रूम बंद कर अपनी आँखों में जमा आंसू पोंछ कर बाहर की तरफ भागा।

पैंट्री में पंहुचा वह ऋतू दीदी नहीं थे। फिर स्वीमिंग पूल और उसके पास बने लॉन में देख। वह भी ऋतू दीदी नहीं थे। लॉन के एन्ड में एक बेंच पड़ी थी जिस पर खुले बालों में एक लड़की बैठि थी। पीछे से सिर्फ उसका सर दिख रहा था। वो ऋतू दीदी लग नहीं रही थी पर ऋतू दीदी के इतने रंग देख लिए थे तो मैं चेक करने उसी तरफ बढ़। बेंच के आगे आकर चुपके से देख। मेरा कलेजा मुँह को आ गया, वहाँ पर घुटनों तक की ब्लू और वाइट ड्रेस में निरु बैठि थी।

हम दोनों की नजरे मिली और उसने दूसरी तरफ देखना शुरू कर दिया। मैं उस वक़्त बता नहीं सकता मुझे कितनी ख़ुशी मिली थी। इतनि ख़ुशी तो मुझे निरु के साथ अपनी सुहागरात मनाने पर भी नहीं मिली थी। फिर सोचा की अगर निरु यहाँ हैं तो जीजाजी किस लड़की को चोद रहे हैं और वो भी निरु का नाम लेकर। भले ही वो निरु ना हो पर जीजाजी के मन में तो निरु को चोदने की इच्छा हैं, यह बात साफ़ हो चुकी थी।

मै निरु के पास बैठ गया और उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया। निरु ने अपना हाथ झटक लिया और मेरी तरफ गुस्से में देख चीखने ही वाली थी की रुक गयी।

नीरु: “क्या हुआ! तुम रो रहे हो?”

नीरु को वहाँ देख मेरी आँखें छलक आई थी। मैंने उसको एक स्माइल दी और उसका हाथ फिर से पकड़ लिया और इस बार उसने अपना हाथ पकडे रहने दिया।

प्रशांत: “निरु, मैं तुम्हे बता नहीं सकता की तुम्हे यहाँ देख कर मुझे कितनी ख़ुशी मिली हैं”

नीरु: “तुम मुझसे बात ही मत करो। कल रात तुमने क्या हरकत कि, पता हैं? ”

प्रशांत: "आ ऍम सोर्री, वो ऋतू दीदी को करता देख कर मुझे भी कंट्रोल नहीं हुआ”

नीरु: “तुम ऋतू दीदी को इस तरह देख रहे थे! तुम्हे शर्म नहीं आती। मैंने कल भी तुम्हे मन किया था, वो मेरी बहन हैं, उनके प्राइवेट मोमेंट्स देखते शर्म आनी चाहिए तुम्हे”

प्रशांत: “वो लोग हमारे सामने कर रहे थे, उनको शर्म नहीं आयी, और हमें शर्म करनी चाहिए!”

नीरु: “और अब मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो?”

प्रशांत: “अरे नहीं होगी, मैंने अपना जूस बाहर निकाला था”

नीरु: “सच बोलो, थोड़ा सा भी जूस मेरे अन्दर नहीं डाला?”

प्रशांत: “सच मे, सिर्फ शुरू के २-४ बूंदें गयी थी, मेरी पिचकारी बाहर आकर ही छूटी थी”

नीरु: “मैंने तुम्हे पहले भी बताया हैं की बच्चा होने के लिए एक बून्द ही काफी हैं, सारा जूस अन्दर जाना जरुरी नहीं हैं”

प्रशांत: “तुम बिलकुल चिन्ता मात करॉ, मैं बोल रहा हूँ कुछ नहीं होगा”

नीरु: “तुम्हारे बोलने से नहीं होगा? थोड़े दिन में पता चलेगा तुमने कुछ किया या नहीं”

प्रशांत: “तुम्हे एक जरुरी बात बतानी हैं, तुम्हारे जीजा के बारे में”

नीरु: “जीजा क्या होता हैं! जीजाजी बोलो, वो हमसे बड़े हैं”

प्रशांत: “उनके काण्ड सुनोगी तो पता चलेगा की वो कितने छोटे हैं”

नीरु: “ऐसा क्या हो गया?”

प्रशांत: “वो वॉशरूम में किसी लड़की को चोद रहे हैं और…”

नीरु: “चुप करो, धीरे बोलो। वो ऋतू दीदी के साथ है। मैंने ही तो दीदी के लिए रूम का दरवाजा खोला था। उसके बाद ही मैं इधर आई हूँ, थोड़ा तन्हाई के लिए”

प्रशांत: “मगर मैंने अपने कानों से सुना हैं की जीजाजी तुम्हारा नाम लेकर चोद रहे थे…”

नीरु ने मेरी जाँघो पर एक तेज मुक्का मारा और मैं दर्द के मारे चुप हो गया। अभी वो बैठि हुयी थी तो आज का मुक्का और भी भारी था। उसकी हड्डिया मेरी जांघ पर चुभ कर मुझे दर्द दे गयी।

नीरु: “मजाक करो तो कुछ सोच समझ कर किया करो, जीजाजी के बारे में कुछ भी उल झुलुल बोल रहे हो। माना की उन्होंने वॉशरूम में दीदी के साथ सेक्स किया पर वो उनकी बीवी हैं, इच्छा हो गयी होगी। उनको बदनाम करने के लिए मुझे बीच में खींच कर कुछ भी बोलोगे!”

प्रशांत: “मेरा यक़ीन करो, मैं सच बोल रहा हूँ। तुम मेरे साथ रूम पर चलो और अपने कानों से सुनो”

नीरु: “ताकि दीदी और जीजाजी हमें वह देख शर्मिंदा हो?”

प्रशांत: “अरे मेरा यक़ीन करो, वो तुम्हारा नाम लेकर ही चोद…”

नीरु: “अब चुप हो जा, और इस बारे में बात भी मत करना, सुनने में ही इतनी गिन्न आ रही है। तुम पहले तो ऐसी बातें नहीं करते थे। अगर तुम मेरा मूड बनाने के लिए ऐसी बातें कर रहे हो तो सुन लो, मेरा मूड और ख़राब हो रहा हैं”
 
प्रशांत: “मेरा यक़ीन करो, मैं सच बोल रहा हूँ। तुम मेरे साथ रूम पर चलो और अपने कानों से सुनो”
नीरु: “ताकि दीदी और जीजाजी हमें वह देख शर्मिंदा हो?”
प्रशांत: “अरे मेरा यक़ीन करो, वो तुम्हारा नाम लेकर ही चोद…”
नीरु: “अब चुप हो जा, और इस बारे में बात भी मत करना, सुनने में ही इतनी गिन्न आ रही है। तुम पहले तो ऐसी बातें नहीं करते थे। अगर तुम मेरा मूड बनाने के लिए ऐसी बातें कर रहे हो तो सुन लो, मेरा मूड और ख़राब हो रहा हैं”

नीरु मेरी बात का विश्वास करने को तैयार नहीं थी। काश उस वक़्त मैं ऑडियो रिकॉर्ड ही कर लेता। मगर उस वक़्त तो मेरा दिमाग ही सुन्न हो गया था। मुझे एक चीज की ख़ुशी थी की निरु अभी तक जीजाजी के जाल में नहीं फंसी थी। दूसरी तरफ मुझे जीजाजी का करैक्टर पता चल गया था की निरु के लिए उनकी नीयत कैसी है। सबसे बड़ा धक्का ऋतू दीदी के लिए लाग। जीजाजी जब निरु का नाम लेकर ऋतू दीदी को चोद रहे थे तो ऋतू दीदी ने उनको नहीं टक, उलटा वो खुद सिसकिया मार मजे ले रही थी।

नीरु ने मुझे १५ मिनट तक रोके रखा ताकी जीजाजी और ऋतू दीदी अपनी चुदाई को ख़त्म कर ले। उसके बाद मैं ही निरु को जबरदस्ती रूम की तरफ लाया। मेरे पास रूम की चाबी तो थी ही पर फिर निरु ने बोल दिया की हम नॉक करके ही अन्दर जाएंगे ताकी जीजाजी और दीदी को सँभालने का मौका मिल जाए, पता नहीं वो कैसी स्तिथि में होंगे। दरवाज ऋतू दीदी ने खोला था। मतलब वॉशरूम में जिस लड़की की चुदाई हो रही थी वो ऋतू दीदी ही थी। वो अपने पति का इलाज क्यों नहीं कर देती जो उनकी छोटी बहन पर ऐसी नजर रखता हैं। जीजजी की शकल देख मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था।

मैंने सोच लिया अब मैं उस जीजा को अपनी निरु के आस पास नहीं आने दूंगा। आज वैसे भी बीच पर नहीं जाना था, सिर्फ साइट सन करना था। आज और अगले दिन हम लोग दूसरे एरिया में घुमने वाले थे जो की यहाँ से २-३ घन्टे दुरी पर था। इसलिए जीजाजी ने उसी एरिया में एक दिन के लिए होटल बुक किया था और अभी हमें अपने इस होटल से चेकआउट करना था। हम लोग ने होटल से चेकआउट किया और दूसरी जगह पहुच कर नए होटल में चेक-इन किया।

वहाँ पर उन्होंने दो रूम बुक किये थे। यह सुन निरु बहुत खुश हुयी और मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया की आज रात वो अपना वादा निभा कर मुझे चोदने देगी। मै चुदाई से ज्यादा इस बात से खुश था की जीजाजी हमारे कमरे में नहीं होंगे। सामान रूम में रखते ही हम लोग कार में बैठ घुमने निकल गए। नीरु उस नी लेंथ ड्रेस में, हैट और गॉगल्स के साथ बहुत प्यारी लग रही थी, मैंने पुरे दिन उसका हाथ पकडे रखा और जीजाजी को उसके पास आने नहीं दिया।

जब भी जीजाजी निरु के पास आते मैं बीच में पहुच जाता। निरु को शायद थोड़ा अजीब भी लग रहा था मेरी हरकत देख कर पर वो खुश थी की हम घूमने आये थे और सुबह उसके उदास चेहरे के बाद अभी उसका खिलखिलाता चेहरा देख मुझे भी अच्छा लग रहा था। रात को डिनर के बाद हम होटल पहुचे। जीजाजी ने बोला की अभी सोने के लिए देर हैं तो हम लोग रूम में एक साथ थोड़ी देर टाइम पास करते है। मुझे पता था, जीजाजी निरु के साथ थोड़ा सा एक्स्ट्रा समय बिताने का कोई मौका नहीं छोडेंगे।

हम चारो जीजाजी -दीदी के रूम में गए। जैसे ही निरु बेड पर बैठि तो मैं उसके पास ही बैठ गया और ऋतू दीदी को निरु के दूसरी तरफ बैठा दिया, ताकी जीजाजी निरु से दूर रह। थोड़ी देर बातें करने के बाद जीजाजी ने अपना अगला तीर फ़ेंका।
जीजजी: “अरे निरु, मैं तुम्हे बताना ही भूल गया, यहाँ होटल में एक पेंटिंग गैलेरी भी हैं, तुम देखने चलोगी?”
नीरु: “हॉ, अभी चलो”

अब मैं आपको बता दु की निरु को शुरू से ही पेंटिंग का बहुत शौक है। शहर में जब भी कोई एक्जीबिशन लगता हैं तो वो मुझे जबरदस्ती पकड़ कर जरूर ले जाती हैं। मै उन पेंटिंग्स को देखकर बोर होता हूँ पर वो वह बहुत सारा टाइम लगा देती थी और मुझे पेंटिंग की बारीकियां समझती रहती थी। नीरु पेंटिंग गैलेरी देखने जाने के लिए खड़ी हो गयी। मुझे लग गया की यह जीजाजी की चाल हैं ताकी निरु को मुझसे दूर कर सके। मैं भी तुरन्त उठ खड़ा हुआ की निरु को जीजाजी के साथ अकेले नहीं जाने दूंगा।
 
प्रशांत: “मैं भी चलूँगा”
नीरु: “प्रशांत, तुम और पेंटिंग गैलेरी! तुम्हे कब से शौक लग गया? जब लेकर जाती हूँ तो तुम हर पेंटिंग में बेतुकी कमिया निकल कर बुराई करते हो। तुम यही रहो, मैं जीजाजी के साथ ही जाउँगी ताकी कोई तो पेंटिंग का जानकार हो साथ में”

नीरु मेरी बात समझ ही नहीं रही थी। सुबह वॉशरूम में जीजाजी ने जो हरकत की थी उसके बाद मैं निरु को जीजा के साथ नहीं भेज सकता था। निरु ने मुझको फिर बिस्तर पर बैठा दिया। जीजजी ने निरु का हाथ पकड़ लिया और जाने लगे। मेरा खून खोल गया और मैं फिर उठने लगा पर तभी ऋतू दीदी ने मेरी कलाई पकड़ कर मुझे बैठे रहने को कहा। मै और ऋतू दीदी आज तक एक दूसरे की हर बात मानते हैं तो मैं बैठा रहा और जीजाजी निरु का हाथ पकडे दरवाजे के बाहर चले गये।

मैने सोचा की वैसे भी वो पेंटिंग गैलेरी में जा रहे थे तो वह पब्लिक प्लेस में जीजाजी मेरी निरु का क्या कर लेंगे। इतना तो निरु संभाल ही लेगी।
ऋतू दीदी: “प्रशांत, मैं तुम्हे खा थोड़े ही जाउंगी जो मुझसे दूर भाग रहे हो!”
प्रशांत: “नहीं दीद, वो बात नहीं हैं”
ऋतू दीदी: “तो फिर क्या बात हैं? मैं निरु जितनी सुंदर नहीं हूँ, फिगर भी उसके जैसा अच्छा नहीं हैं…”

प्रशांत: “नहीं, वो बात नहीं हैं, आप बहुत अच्छी दिखती हो। आपको किसी ने गलत बोल दिया हैं, आपका फिगर तो बहुत अच्छा हैं”
ऋतू दीदी: “निरु से भी अच्छा फिगर हैं?”
अब मैं हिचकिचाने लगा की ऋतू दीदी को अचानक क्या हो गया। उन्होंने इस तरह की बातें तो मेरे साथ कभी नहीं की थी।
ऋतू दीदी: “मैं तुम्हे अच्छी लगती हूँ न?”
प्रशांत: “आप क्या बोल रही हैं, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं!”

ऋतू दीदी ने अपने दिल पर हाथ रख दिया और बोलना जारी रख।
ऋतू दीदी: “तुम ट्रैन में मेरे यहाँ छाती को देख रहे थे न?”
मै अब बुरी तरह झेप गया था। निरु ने मुझे बताया था की अगर कोई लड़कियों को बुरी नजर से देखते या घूरता हैं तो लड़कियों को पता चल जाता है। यह बात सच साबित हुयी थी।

ऋतू दीदी: “क्या देखना हैं तुम्हे, बताओ?”
प्रशांत: “नहीं दीदी कुछ नहीं। आपको कोई ग़लतफ़हमी हुयी होगी”
ऋतू दीदी: “वह बीच पर तुम जान बूझकर मेरी छाती पर पानी डाल गीला कर रहे थे और फिर मेरी छाती को दबा भी दिया था”
प्रशांत: “पानी तो जीजाजी भी डाल रहे थे। और वो हाथ तो एक्सीडेंटली लग गया था आपको संभालते वक़्त”

ऋतू दीदी: “दो बार सेम एक्सीडेंट हो गया था?”
प्रशांत: “हां सच मे, आपको फिर भी बुरा लगा हो तो सोर्री, मैं चलता हूँ”
ऋतू दीदी: “रुको, कुछ दिखती हूँ”

दीदी अपने बैग से कुछ निकाल लाए। मैंने देखा यह उनकी वोहि ब्रा और पैंटी थे जो सुबह वो वॉशरूम में भूल गए थे और मैंने सूँघा था और फिर उनकी पैंटी अपने लण्ड पर भी रगडी थी। उन्होंने वो पैंटी मुझे दिखायी।
ऋतू दीदी: “पहचाना?”
प्रशांत: “निरु की नहीं हैं यह”

ऋतू दीदी: “फिर भी तुमने इसको अपने कहा लगाया? यह देखो इस पर कैसे छोटे बाल लगे हैं”
मैने उनकी पैंटी को अपने लण्ड पर रगड़ा था और उसमे मेरे लण्ड के घुंगराले छोटे बाल लग गए थे।
प्रशांत: “मैंने कुछ नहीं किया, यह मेरे नहीं हैं, यह आपके…”

मैं तो यह भी कहना चाहता था की पैंटी पर लगे यह बाल दीदी की चूत के भी हो सकते हैं पर यह बात कैसे कहता!
ऋतू दीदी: “मेरे बाद तुम ही तो वॉशरूम में गए थे, और यह मेरे बाल नहीं हो सकते”

यह कह कर ऋतू दीदी ने एक झटके में अपनी केप्री और पैंटी नीचे खिसका दि। उनकी चूत मेरे सामने थी जो एक दम चिकनी साफ़ थी। यहाँ तक की निरु की चूत पर भी अधिकतर छोटे छोटे बाल होते ही हैं पर दीदी ने चिकनी चूत मेन्टेन की थी। एक तरफ मेरी बदमाशी पकड़ी गयी थी और मैं बुरी तरह फंस चुका था और दूसरी तरफ दीदी ने अपनी चूत दिखा कर मुझे हैरान कर दिया था।
 
यह कह कर ऋतू दीदी ने एक झटके में अपनी केप्री और पैंटी नीचे खिसका दि। उनकी चूत मेरे सामने थी जो एक दम चिकनी साफ़ थी। यहाँ तक की निरु की चूत पर भी अधिकतर छोटे छोटे बाल होते ही हैं पर दीदी ने चिकनी चूत मेन्टेन की थी। एक तरफ मेरी बदमाशी पकड़ी गयी थी और मैं बुरी तरह फंस चुका था और दूसरी तरफ दीदी ने अपनी चूत दिखा कर मुझे हैरान कर दिया था।

हमेशा शांत, समझदार, शर्मो हया का ध्यान रखने वाली दीदी ने अपने कपडे कितनी आसानी से खोल कर अपने शरीर का सबसे संवेदनशील अंग दिखा दिया था। मुझे लगा वो अपने कपडे फिर पहन लेगी पर उन्होंने अपनी केप्री और पैंटी पूरी उतार नीचे से नंगी हो गयी। मेरी हालत ऐसी थी की काटो तो खून नहीं। मैं दीदी का कैसा अवतार देख रहा था।

फिर दीदी ने अपना टॉप निकाला और सिर्फ ब्रा में खड़ी थी। उनके ब्रा से उनके मम्मो का उभार बाहर निकल रहा था। इसका कुछ नजारा मैं ट्रैन में देख ही चुका था पर अब पूरा अच्छे से दिख रहा था। उन्होंने अब अपने ब्रा का हुक खोलने हाथ पीठ पर किये। मैं भी उस नज़ारे को देखने को आतुर था। कल बीच पर गीले टॉप में उनके मम्मो का साइज तो मैं नाप ही चुका था पर अब मुझे बिना कपड़ो के उनके मम्मो के असली दर्शन होने वाले थे।

ऋतू दीदी अब मेरे सामने पूरे नंगे खड़े थे और मैं उनके मम्मो पहली बार नंगे देख खुश हुआ। ट्रेन में उनके क्लीवेज देख जो तड़प जागी थी वो आखिर शांत हुयी। अभी मैं ना बोल पा रहा था, न हील पा रहा था और न वहाँ से जा पा रहा था। कुछ समझ नहीं आया की क्या करू ? सामने एक खूबसूरत औरत नंगी खड़ी हो मुझे इन्वाइट कर रही थी। ऋतू दीदी के मम्मो के निप्पल एक काले अंगूर की तरह मुझे चुसने को बुला रहे थे। मैंने तो आज तक निरु के निप्पल ही चखे थे जो एक किसमिस की तरह थे, यह अंगूर कैसे टेस्ट करेंगे ये जानना था।

ऋतू दीदी: “अब अच्छे से देख लो। छु कर भी देख लो, कल शायद टॉप के ऊपर से छूने का मजा नहीं आया होगा तुम्हे”
मै अब बुरी तरह शर्मा गया। ऋतू दीदी ने कपडे तो खुद के उतारे थे पर इज्जत मेरी उतार रही थी की मैंने अपनी ही बीवी की बड़ी बहन के कपड़ो में जानने की कोशिश की थी और छुआ था।

मैने डरते हुए सिर्फ “सॉरी” बोला और वहाँ से जाने लगा। ऋतू दीदी आगे आकर मेरे और रूम के दरवाजे के बीच खड़ी हो गयी।
ऋतू दीदी: “क्या हुआ, देख कर मजा नहीं आया? कल रात को तो मुझे नीरज के साथ चोदता देख इतने मजे ले रहे थे की निरु को भी जबरदस्ती चोद दिया था”

यह सुन मुझे और भी झटका लगा। ऋतू दीदी को सब कुछ पता था। फिर तो उनको यह भी पता होगा की उनके पति अपनी साली के साथ क्या कर रहे है। उन्होंने अपने पति से चुदते वक़्त उनको निरु का नाम लेने से क्यों नहीं रोका ? अगर मैं गलत हूँ तो उनके पति और वो खुद भी तो गलत ही है। सवाल कई थे मगर पुछ नहीं पा रहा था क्यों की मैं ऋतू दीदी को इस तरह देख अवाक रह गया था। ऋतू दीदी ने आगे बढ़ाकर मेरा टीशर्ट जबरदस्ती निकाल दिया और अपनी उंगलिया मेरे सीने पर फिराते हुए मेरे फिगर की तारीफ़ करने लगी।

फिर वो मुझे धकेलते हुए बिस्तर तक ले आई और बिस्तर पर गिरा दिया। मुझे कही न कही अच्छा लग रहा था पर ऋतू दीदी से यह उम्मीद नहीं थी। उन्होंने अब मेरे शॉर्ट्स के बटन और चेन खोल कर मुझे नीचे से नँगा कर दिया। इतना सब कुछ देखने के बाद मेरा लण्ड तो वैसे ही कड़क होकर सर उठाये खड़ा था। ऋतू दीदी की नाजुक उंगलियो ने मेरे लण्ड को अपने में लपेट लिया। फिर वो मेरे लण्ड को रगडने लगी। मै मुँह खोल कर तेज साँसें ले रहा था। ऋतू दीदी की उंगलियो में वैसा ही जादू था जैसा निरु की उंगलियो में था।

मैंने आँखें बंद कर ली और अगले ही पल मेरे लण्ड को मुँह की गर्मी लगी। मैने आँखें खोली तो ऋतू दीदी मेरा लण्ड अपने मुँह में ले चुस रही थी। मैंने सोचा नहीं था की २ दिन के अन्दर हम दोनों के रिश्ते इतने बदल कर यहाँ तक पहुच जाएंगे। ऋतू दीदी अब मेरे लण्ड पर बैठ गयी थी और उनकी चूत की नर्माहट मेरे कड़क लण्ड को ठंडक दे रही थी। ऋतू दीदी अब मेरे ऊपर झुक गए और उनके मम्मे मेरे ऊपर लटक गए। नीरु और ऋतू दीदि, दोनों के मम्मे बड़े है।
 
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