bahan sex kahani ऋतू दीदी - Page 3 - SexBaba
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bahan sex kahani ऋतू दीदी

पर निरु के मम्मे झुकने पर भी अपनी गोल शेप कायम रखते हैं, पर ऋतू दीदी के मम्मे लटकने के बाद गोल की बजाय लंबे हो गए। ऋतू दीदी ने मुझे उनके मम्मे चुसने को बोला और एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह मैंने उनके निप्पल रूपी काले अंगूर को अपने होंठों में दबा लिया।

उन अंगूर का स्वाद उतना ही मजेदार था जितना मुझे निरु के किशमिश जैसे निप्पल चुसने में आता है। ऋतू दीदी ने मुझे अच्छे से चुसने को बोला और मैंने उनके लटकते मम्मो को अपने मुँह में भर लिया और चुसने लगा। जब मेरा मन भर गया तो मैंने उनके मम्मो को चुसना छोड़ा और ऋतू दीदी सीधा बैठ गयी। फिर उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी चूत के छेद पर रगड़ा। मेरी तो जान सुख कर हलक में आ गयी की यह क्या हो रहा है।

मैं अब ऋतू दीदी को चोदने वाला था, या ऋतू दीदी खुद मुझसे चुद रही थी। मेरा लण्ड अब ऋतू दीदी की चूत की गर्मी का अहसास कर रहा था और आधा उनकी चूत में उतार चुका था। ऋतू दीदी ने भी एक ठंडी आह भरी और मेरा लण्ड पूरा अपनी चूत में उतार ही दिया।

ऋतू दीदी ने अब ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत में अन्दर बाहर रगड़ खाने लगा। ऋतू दीदी की जानी पहचानी सी सिसकिया चालु हो गयी जो मैंने वॉशरूम के बाहर से सुनि थी। चुदाई से मैं भी मजे में सरोबार हो आनंद ले रहा था। कभी सपने में भी ऋतू दीदी को चोदने के बारे में नहीं सोचा था। हालाँकि कल रात ऋतू दीदी को चोदते हुए देख मैंने निरु को जरूर चोदा था।

अब ३-४ मिनट हो चुके थे और मेरा लण्ड ऋतू दीदी की चूत को चोदे जा रहा था। प्रेगनेंसी के डर से निरु ने मुझे कभी भी १०-१५ सेकण्ड्स से ज्यादा अपनी चूत को बिना प्रोटेक्शन के चोदने नहीं दी थी। मगर आज मुझे कोई ठोकने वाला नहीं था। ऋतू दीदी को प्रेगनेंसी का कोई डर नहीं था और वो मुझे खुलकर बिना प्रोटेक्शन के चोद रही थी। इस से पहले सिर्फ कल रात जब मैं जबरदस्ती निरु को बिना प्रोटेक्शन के चोद रहा था तब इतना मजा आया था। मगर अभी तो झड़ने के टाइम लण्ड बाहर निकालने का भी झंझट नहीं था।

ऋतू दीदी के चूत के जूस की चिकनाई मैं अपने लण्ड पर महसूस कर सकता था। मेरे आनंद की आज कोई सीमा नहीं थी। मैंने जो नहीं माँगा था वो भी मिल रहा था। नीरु ने वादा किया था की वो मुझे आज रात चोदेगी पर उसके पहले ही उसकी बहन ने मुझे चोद दिया था। यह दोनों पति पत्नी चुदाई के मामले में बहुत ओपन है।
 
ऋतू दीदी के चूत के जूस की चिकनाई मैं अपने लण्ड पर महसूस कर सकता था। मेरे आनंद की आज कोई सीमा नहीं थी। मैंने जो नहीं माँगा था वो भी मिल रहा था। नीरु ने वादा किया था की वो मुझे आज रात चोदेगी पर उसके पहले ही उसकी बहन ने मुझे चोद दिया था। यह दोनों पति पत्नी चुदाई के मामले में बहुत ओपन है।

बिना कपड़ो के मुझे चोदते हुए ऋतू दीदी लगभग निरु जैसी ही लग रही थी। निरु भी मुझे इसी तरह ऊपर आकार चोदती है। क्यों की यह मेरा फेवरेट पोजीशन है। शायद निरु ने कभी ऋतू दीदी से जिक्र किया होगा इसलिए ऋतू दीदी मुझे मेरी फेवरेट पोजीशन में चोद रही थी।

निरु मुझे इस पोजीशन में मेरे कहने पर ही चोदती हैं वार्ना निरु का फेवरेट पोजीशन तो डॉगी स्टाइल में चढ़ने का है। फिलहाल चुदते हुए मेरा जूस मेरी गोटियो से निकल कर मेरे लण्ड की नलि में चढ़ने लगा था और बाहर आने को उतारू था। ऋतू दीदी की भी हालत अब ख़राब हो चुकी थी और अब वो मेरे सीने पर अपनी छाती रख लेट कर चोदने लगी। ऋतू दीदी के नर्म मुलायम मम्मे मेरी छाती पर चिपके हुए रगड़ रहे थे।

अब ऋतू दीदी अचानक बोलना शुरू हो गयी “प्रशांत, चोद दो मुझे। प्लीज, मुझे चोद डालो जितना जोर से चोदना हैं।”
मैने नीचे लेटे लेटे एक दो धक्के लण्ड के उनकी चूत में मारे और तब दो बार उनकी सिसकिया एकदम तेज हुयी। मैने उनको उनकी कमर और पीठ से कस कर पकड़ लिया और फिर अपना हाथ उनके नंगे बदन पर घुमाने लगा।

वो लगातार मुझे धक्के मार कर अभी भी चोद रही थी। मैने अब अपने दोनों हाथ ऋतू दीदी की नंगी गांड पर रख दिए। उनकी गांड बड़ी तेजी से आगे पीछे हील रही थी, जिस से मेरे हाथ भी आगे पीछे हो हील रहे थे। नीरु जब मुझे चोदती हैं तो मुझे उसकी गांड पर कभी हाथ नहीं रखने देती पर ऋतू दीदी ने मुझे रखने दिया।

मैं अपनी उंगलिया उनकी गांड की दरार से होते हुए नीचे ले जाने लगा। मेरी ऊँगली मेरे लंड के नीचे छु गयी, जो की चिकना हो चुका था। मेरा लण्ड चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और मेरी ऊँगली वो सब महसूस कर रही थी। मैने अपने शरीर को टाइट करते हुए अपने लण्ड के पानी को बाहर आने से रोके रखा। मगर जिस गति से ऋतू दीदी मुझे चोद कर खुद आहें भर रही थी और मेरा नाम लिए मुझे चोदने को बोल रही थी, मुझसे रुका नहीं गया। मै अब रिलीज़ होना चाहता था। मैंने ऋतू दीदी की चूत में झटका मारा और ऋतू दीदी ने एक तेज आह भरते हुए कहा
“ओह प्रशांत, और मारो”

मैने फिर एक के बाद एक झटके मारते हुए मेरे लण्ड का जूस तेजी से छोडना शुरू कर दिया। मेरे लण्ड का जूस आज कुछ ज्यादा ही स्पीड से बाहर छूट रहा था और मेरी चीखे निकल रही थी। ऋतू दीदी भी लगभग चीख रही थी “आईए प्रासाहनत्तत्त …हहह …चूऊद दो मुझे … प्रासाहंत … मेरी चूत … चोद दो प्लीज”
मैने अपने लण्ड का सारा पानी ऋतू दीदी की चूत में खाली कर दिया। यह ज़िन्दगी में पहली बार था जब मैंने अपने लण्ड का सारा माल चूत में उतारा था।

मेरे जीवन की यह अब तक की बेस्ट चुदाई थी। ऋतू दीदी इसके कुछ सेकण्ड्स तक और मुझे चोदने को बोलति रही इसलिए मैं अपने झटके उनकी चूत में मारता रहा। ऐसा मेरे साथ पहले भी हुआ था की मैं झड़ गया पर निरु नहीं झड़ी थी, वो भी मुझे इसी तरह चोदते रहने को बोलति हैं, पर एक बार झड़ने के बाद मैं ज्यादा देर उसको चोद नहीं पाता और वो मुझसे नाराज हो खुद ही मुझे चोद कर अपना पूरा करती है।

पर आज मेरे साथ ऋतू दीदी थी, जिनकी मैंने आज तक कोई बात नहीं ताली थी तो मैं झड़ने के बाद भी उनको चोदे जा रहा था। वो खुद भी आगे पीछे हो मुझे चोद रही थी और मैं तभी रुका जब उन्होंने भी धक्के मारना बंद कर दिया था।

ऋतू दीदी भी झड़ चुकी थी और उहोने मेरे होठो को अपने नाराम होंठो में भर कर चूमना शुरू किया। उनके होंठ निरु की तरह बहुत सॉफ्ट थे और मुझे अच्छा लगा। चुदाई के मजे तो ले लिए पर अब वो ख़ुमार उतरने के बाद मैं सोचने लगा की यह मैंने क्या कर दिया। मैंने निरु को धोखा देकर ठीक नहीं किया हैं। मै अब तक जीजाजी को निरु के साथ सम्बन्ध पर शक़ कर रहा था और अब मैंने खुद अपनी बीवी की बड़ी बहन यानी बड़ी साली को चोद दिया था।
 
ऋतू दीदी भी झड़ चुकी थी और उहोने मेरे होठो को अपने नाराम होंठो में भर कर चूमना शुरू किया। उनके होंठ निरु की तरह बहुत सॉफ्ट थे और मुझे अच्छा लगा। चुदाई के मजे तो ले लिए पर अब वो ख़ुमार उतरने के बाद मैं सोचने लगा की यह मैंने क्या कर दिया। मैंने निरु को धोखा देकर ठीक नहीं किया हैं। मै अब तक जीजाजी को निरु के साथ सम्बन्ध पर शक़ कर रहा था और अब मैंने खुद अपनी बीवी की बड़ी बहन यानी बड़ी साली को चोद दिया था।

मुझे किश करने के बाद ऋतू दीदी ने मुझे थैंक यू बोला और मुझ पर से उठि। उन्होंने मुझे पहले वॉशरूम में जाने दिया। मैं वॉशरूम में कपडे लेकर आया और सफाई के बाद कपडे पहनने लगा। फिर मेरे मन में एक विचार आया। कही ऋतू दीदी और नीरज जीजाजी आपस में मिले हुए तो नहीं है। हो सकता हैं की यह सब उनका प्लान हो की ऋतू दीदी मुझे फँसा कर चोदेगी और दूसरी तरफ जीजाजी मेरी बीवी निरु को फँसा कर चोदेगे। कहीं जीजाजी दूसरे रूम में निरु को चोद तो नहीं रहे।

मैंने अपनी पॉकेट चेक की वहाँ मेरे रूम की चाबी नहीं थी। मै वॉशरूम से एक टेंशन लिए बाहर आया। ऋतू दीदी अभी भी नंगी खड़ी थी और फिर वो अन्दर वॉशरूम में गयी। मैने टेबल पर देखा तो मुझे दोनों रूम की चाबिया पड़ी दीखि और मैंने चैन की साँस ली। ऋतू दीदी वॉशरूम के बाहर आये उसके पहले ही मैंने अपने रूम की चाबी ली और बाहर आ गया। मै सोचने लगा की अपने रूम में जाऊं या निरु के पास जाऊं। अपने रूम में गया तो बाद में निरु आकर पुछेगी की मैंने ऋतू दीदी को उस रूम में अकेला क्यों छोड़ दिया था।

अब आगे की कहानी प्रशांत की ज़ुबानी जारी हैं…

मै फिर नीचे पेंटिंग गैलरी ढूँढ़ने गया। मुझे कहीं कोई बोर्ड नहीं दिख। मैंने होटल के रिसेप्शन पर एक स्टाफ से पूछा की “यहाँ आर्ट गैलरी कहाँ हैं?” उसने जवाब दिया की ऐसी कोई गैलरी नहीं है। मेरा माथा ठनका। कुछ तो गड़बड़ है। मैं और निरु किसी जाल में फ़ांस गए हैं। मै तो दीदी से चुद ही चुका हूँ, कहीं निरु भी जीजाजी से चुद ना जाए, मुझे उसको बचाना होगा।

फिर मुझे याद आया की होटल वालों के पास तो रूम की डुप्लीकेट चाबी होती है। कहीं जीजाजी ने उस चाबी से मेरा रूम तो नहीं खोल लिया। मैने रिसेप्शन पर झूठ बोला की मेरे रूम की चाबी मेरे रूम में रह गयी हैं और मुझे डुप्लीकेट चाबी से रूम खुलवाना है। उन्होंने बताया की थोड़ी देर पहले ही बुकिंग करने वाले Mr. नीरज की रिक्वेस्ट पर वो रूम उन्होंने डुप्लीकेट चाबी से खोला हैं।

मै वहाँ से भागा और वो स्टाफ वाला देखते रह। मैं अपने रूम के बाहर पहुंचा। घबराहट में मुझसे चाबी भी ढंग से नहीं लग रही थी। मेरी बीवी की इज्जत खतरे में थी और मुझे उसको बचाना था। मैंने दरवाजा खोला और दरवाजे के पास जीजाजी मुस्कुराते हुए खड़े थे।
जीजजी: “तुम आ गए ? निरु का ध्यान रखो”
इसके बाद मुझे गूडनाईट बोलते हुए वो दरवाजा बंद कर बाहर निकल गए।

ऐसा लगा जैसे वो मुझे चिढा रहे हो की मैंने आने में देर कर दी और उन्होंने निरु को चोदने का काम पहले ही कर दिया हैं। मै रूम में आगे बढा तो देखा की निरु बेड पर डॉगी स्टाइल में बैठि है। हालाँकि उसने कपडे पहने हुए थे पर फिर भी मन में एक डर था। मै उसके पीछे था तो उसने मुझे अभी तक देखा नहीं था। इस पोजीशन में उसकी घुटनों तक की ड्रेस ऊपर चढ़ चुकी थी और उसकी गोरी जाँघे दिख रही थी।

मैने उसके पास जाते ही उसकी गांड पर हाथ रख फील किया की उसने अन्दर पैंटी पहनी हैं या नहीं। तभी निरु मेरी तरफ गर्दन घुमाते हुए बोली।
नीरु: “जीजाजी फिर से नहीं, दर्द हो रहा हैं…।”
फिर मुझे वहाँ देख कर बोलते बोलते रुक गयी। मुझे तो हार्ट अटैक आ जाना चाहिए था पर मैं इस सिचुएशन के लिए मेंटली तैयार था। नीरु के चेहरे पर दर्द भरे एक्सप्रेशन थे। जरुर जीजाजी ने निरु को डॉगी स्टाइल में बड़ी बेरहमी से चोदा होगा और निरु दर्द से बेहाल हैं की चुदने के बाद भी डॉगी स्टाइल में बैठि हैं।

प्रशांत: “क्या हो रहा था यहाँ?”
नीरु: “तुम सो जाओ, कुछ नहीं हुआ”
प्रशांत: “मैंने तुम्हारी गांड पर हाथ रखा तो तुमने यह क्यों कहा की जीजा जी दर्द होगा”
नीरु: “तुम गुस्सा तो नहीं होगी न?”
प्रशांत: “क्या कर दिया तुमने!”
मेरे शब्द तो लगभग जुबान में अटक कर बड़ी मुश्किल से निकल रहे थे।
 
निरु शायद क़बूलने वाली थी की उसने भी मेरी तरह गलती कर दी हैं। जीस तरह ऋतू दीदी ने मुझे मेरी फेवरेट पोजीशन में चोदा था, शायद उसी तरह जीजाजी ने भी निरु को उसकी फेवरेट डॉगी स्टाइल में चोदा होगा। मै इमेजिन करने लगा की जीजाजी ने क्या किया होगा। मैंने निरु की ड्रेस को नीचे से ऊपर चढा कर कमर के ऊपर ले आया और उसकी पैंटी बाहर आ दीखने लगी।

नीरु: “क्या कर रहे हो प्रशांत!”
जब जीजाजी ने निरु की ड्रेस ऊपर उठायी होगी तो ठीक इसी तरह निरु ने बोला होगा की “क्या कर रहे हो जीजाजी”
नीरु की सेक्सी जाँघो को देख मैं उन पर हाथ फेरने लगा। वो गुदगुदाहट से दर्द में भी खिलखिलाने लगी।
नीरु: “छोडो, मुझे गुदगुदी हो रही हैं”
मगर मैं अपनी बीवी के जिस्म को छूते हुए उसको सहलाता रहा। उसने जो जीजाजी से चुदवाते हुए दर्द झेला होगा, मैं उस दर्द को कम करना चाहता था।

नीरु: “आज मैं तुम्हारे साथ नहीं चुदवा सकती, मेरे पैर में दर्द है। प्लीज हाथ हटाओ”
मैने अब निरु की पैंटी के ऊपर ही अपना हाथ फेरने लगा और उसकी गांड को सहलाने लगा। निरु लगातार थोड़ा हील रही थी जैसे उसको गुदगुदी हो रही हो।

मैने सोचा मैं निरु की चूत को चेक कर लेता हूँ की उसकी क्या हालत है। मैंने निरु की पैंटी को पकड़ा और उसकी गांड से निकाल कर नीचे कर दिया। नीरु मुझे लगातार कपडे ना खोलने को बोल रही थी। शायद इसी तरह उसने जीजाजी को अपने कपडे ना खोलने की गुहार की होगी, पर उस हैवान जीजा ने अपनी साली की एक नहीं सुनि होगी और नँगा करके चोद ही दिया होगा।

नीरु की चिकनी गोरी गोल गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड पर हाथ फेर सहलाने लगा। निरु अब खिलखिलाते हुए मुझे मना कर रही थी। शायद जीजाजी ने निरु की इसी हंसी का गलत मतलब निकाल उसको चोद दिया होगा। मैंने अपनी ऊँगली निरु की गांड की दरार में फिराते हुए चेक करना चाहा की निरु को दर्द होता हैं की नहीं।

मेरी ऊँगली निरु की गांड की दरार में फिरते हुए उसकी गांड के छेद तक आई और मुझे सब कुछ ठीक ठाक लगा। शायद जीजा जी ने निरु की गांड नहीं मारि थी। मै अपनी ऊँगली और नीचे ले गया और मेरी ऊँगली निरु की चूत के छेद के ऊपर के बालो को लगी और थोड़ा गीला हो गयी। मैने अपना हाथ पीछे खींच लिया। जीजाजी ने निरु की चूत चोदी थी।

मुझे पहले पता होता तो मैं ऋतू दीदी के साथ चुदाई नहीं करता। मै अब निरु के पिछवाड़े पर डॉगी स्टाइल में चोदने के अन्दाज में आया और उसकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ लिया। जीजाजी ने इसी तरह निरु की गांड को पकड़ कर धक्के मार कर चोदा होगा।
नीरु: “क्या कर रहे हो? हटो, कपडे पहनाओ मुझे”

मै अब निरु के पीछे से हटा और उसकी पैंटी उसको फिर से पहना दी और उसकी ड्रेस फिर नीचे कर दि।
प्रशांत: “अब बतओ, क्या हुआ?”
नीरु: “तुमने ठीक ही कहा था”
मैने निरु को सुबह ही वार्न कर दिया था की जीजाजी की नीयत ठीक नहीं हैं और वो ऋतू दीदी को “निरु” नाम से चोद रहे थे। तब उसने मेरी बात नहीं मानी थी पर अब उसको पता चल गया था की मैं सच था।
 
प्रशांत: “देख, मैंने तुम्हे पहले ही कहा था की जीजाजी ठीक इंसान नहीं हैं”
नीरु: “इसमें जीजाजी बीच में कहाँ से आ गए! मैं हाई हील सैंडल की बात कर रही हूँ। खरीदते वक़्त जिसके लिए तुमने कहा था की मुझे मोच आ सकती है। आज सच में हो गया”

फिर निरु ने पूरी घटना बतायी की जब वो जीजाजी के साथ पेंटिंग गैलरी देखने गयी थी, तब पता चला की वो गैलरी सीजनल है। अभी वो बंद हो गयी हैं। वो लोग फिर होटल के बाहर आइसक्रीम खाने चले गए थे।

वापिस आते वक़्त होटल के अन्दर निरु के हाई हील सैंडल की वजह से उसका पैर मुड गया। उसके पैर में दर्द था तो होटल स्टाफ की मदद से उसको व्हीलचेयर पर इस रूम में लाया गया। रूम की चाबी तो उनके पास थी नहीं इसलिए होटल स्टाफ की मदद से रूम का डोर खुलवाया और अन्दर आए।

नीरु ने ही जीजाजी को मुझे फ़ोन नहीं करने को बोला था क्यों की उस वक़्त उसको बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था और मैं निरु को इतने दर्द में नहीं देख सकता हूं। होटल में मौजूद एक डॉक्टर ने निरु को चेक कर बताय था की मोच नहीं हैं और थोड़े रेस्ट के बाद दर्द कम हो जाएगा।

मैने नोट किया की निरु के एंकल पर पेन रिलीफ स्प्रे किया हुआ था, जिसकी बदबु मुझे काफी टाइम से आ रही थी पर पहले शक़ की बू ज्यादा थी तो समझ नहीं पाया था। वो सब बता रही थी पर फिर भी शक़ दिल से जा नहीं रहा था। कहीं निरु यह सब स्टोरी बना कर मुझसे कुछ छिपा तो नहीं रही थी?

प्रशांत: “मोच पाँव में हैं तो तुम ऐसे डॉगी स्टाइल में क्यों बैठि हो?”
नीरु: “डॉगी स्टाइल क्यों बोल रहे हो? अभी ऐसी गन्दी बातें करना जरुरी हैं क्या! यह भी तो बोल सख्त हो की घुटनों के बल क्यों बैठी हो”
प्रशांत: “तुम ऐसे क्यों बैठि हो?”
नीरु: “गिरने से कमर में भी थोड़ा खिचाव आया था। कमर को स्ट्रेच करने के लिए इस तरह बैठी हूँ। मुझे यह पोजीशन ठीक लगी। तुम्हे तो पता ही हैं मेरा यह फेवरेट पोजीशन हैं”

यह कहते हुए निरु शर्माने लगी। मगर मेरे कुछ सवाल अभी भी बाकी थे।
प्रशांत: “मैंने जब तुम्हारी गांड पर हाथ रखा तो तुमने यह क्यों बोला की ‘जीजाजी फिर नहीं, दर्द होगा”
नीरु: “वो जीजाजी मुझे लेकर परेशान थे। एक बार मेरे पाँव को टच कर चेक कर चुके थे की दर्द कम हो रहा हैं या नहीं, वार्ना हॉस्पिटल में दिखाए। जब की मैं उनको बोल चुकी थी की अब दर्द कम हैं और वो जाकर सो जाए ”

मै निरु की बात पर यक़ीन करना चाहता था पर कर नहीं पा रहा था। जीजाजी सुबह निरु का नाम लेकर ऋतू दीदी को चोद रहे थे, वो ऐसा हाथ आया मौका कैसे हाथ से जाने देते? जरुर जीजा साली के बीच कुछ हुआ हैं और निरु ने अपने काण्ड को छुपाने के लिए यह कहानी पहले ही प्लान कर ली होगी।

मैने अपने कपडे चेंज कर लिए पर निरु इस हालत में नहीं थी की अपने कपडे चेंज कर पाए। उसने मुझे उसकी ड्रेस निकालने को बोली, वो आज ब्रा पैंटी में ही सोने को रेडी थी। मैने उसकी पीठ से ड्रेस की ज़िप खोल दी और ड्रेस को उसकी जाँघो से उठा कर गांड से हटा दिया। और फिर खींचते हुए उसकी कमर और पीठ से होते हुए सर के बाहर निकाल दिया।

अब वो ऐसे ही ब्रा और पैंटी में डॉगी स्टाइल में बैठि थी। थोड़ी देर बाद वो सीधा बैठि और बताया की उसका कमर का दर्द कम हैं पर पाँव में अभी थोड़ा दर्द हैं। नीरु अब लेट गयी और मुझे लाइट बंद कर सोने को कहा। उसने एक बार फिर मुझे सॉरी बोला की वो मुझे आज रात भी चोदने नहीं देगी। मगर मुआवज़े के तौर पर उसने अपना ब्रा निकाल दिया की कम से कम मैं उसके मम्मे पर हाथ रख सो सकता हूं।

मै लाइट बंद कर उसके मम्मो पर हाथ रख सो गया पर उस पर यक़ीन नहीं कर पा रहा था। नींद तो मेरी उड़ चुकी थी। मन में यह भी विचार आ रहे थे की जब मैं ऋतू दीदी के साथ चुदवा सकता हूँ तो फिर निरु अपने जीजाजी के साथ क्यों नहीं चुदवा सकती ?

मेरे पास इस बात का सबूत तो था की जीजाजी की नीयत निरु के लिए ठीक नहीं है। पर क्या निरु की भी जीजाजी जैसी सोच हैं, और वो भी अपने जीजाजी से चुदवाना चाहती हैं या चुदा चुकी हैं, यह मुझे अभी तक कन्फर्म नहीं था।

ऋतू दीदी जैसी सुलझी हुयी औरत जब अपने पति को धोखा देकर मुझे चोद सकती हैं तो फिर निरु तो अपनी बहन से भी चंचल हैं, वो तो और भी बड़ी गलती कर ही सकती हैं। नीरु सो चुकी थी और मुझे उसकी कहानी की सच्चाई टेस्ट करनी थी। मैं उठा और उसके मोच वाले पाँव पर हाथ रख हलके से दबाया। नीरु एकदम से चीखते हुए उठ बैठि और रोते हुए मुझ पर एक हाथ घुमाया जो मेरी बाजू पर लगा। मैंने लाइट लगायी तो देखा उसकी आँखें दर्द से भर आयी। मै बुरी तरह डर गया और सॉरी सॉरी बोलते रह गया और वो रोते रोते ही फिर लेट गयी और थोड़ी देर तडपती रही।

मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया। मै उसके नंगे बदन पर हाथ फेर सहलाना चाहा ताकी उसको दर्द कम हो पर उसने मेरा हाथ झटक दिया। थोड़ी देर कराहने के बाद उसका दर्द कम हुआ तो वो नार्मल हुयी और उसने मुझे अपने बदन पर हाथ सहलाने दिया। वो सिर्फ पैंटी में सो रही थी तो मैं कभी उसके नंगे पेट तो कभी सीने तो कभी उसके मम्मे पर हाथ रख फिराता रहा।
 
ऋतू दीदी जैसी सुलझी हुयी औरत जब अपने पति को धोखा देकर मुझे चोद सकती हैं तो फिर निरु तो अपनी बहन से भी चंचल हैं, वो तो और भी बड़ी गलती कर ही सकती हैं। नीरु सो चुकी थी और मुझे उसकी कहानी की सच्चाई टेस्ट करनी थी। मैं उठा और उसके मोच वाले पाँव पर हाथ रख हलके से दबाया। नीरु एकदम से चीखते हुए उठ बैठि और रोते हुए मुझ पर एक हाथ घुमाया जो मेरी बाजू पर लगा। मैंने लाइट लगायी तो देखा उसकी आँखें दर्द से भर आयी। मै बुरी तरह डर गया और सॉरी सॉरी बोलते रह गया और वो रोते रोते ही फिर लेट गयी और थोड़ी देर तडपती रही।

मुझे अपने आप पर बहुत गुस्सा आया। मै उसके नंगे बदन पर हाथ फेर सहलाना चाहा ताकी उसको दर्द कम हो पर उसने मेरा हाथ झटक दिया। थोड़ी देर कराहने के बाद उसका दर्द कम हुआ तो वो नार्मल हुयी और उसने मुझे अपने बदन पर हाथ सहलाने दिया। वो सिर्फ पैंटी में सो रही थी तो मैं कभी उसके नंगे पेट तो कभी सीने तो कभी उसके मम्मे पर हाथ रख फिराता रहा।

मै सुबह उठा पर निरु अभी भी सो रही थी। मेरे शक़ का कीड़ा मरने का नाम ही नहीं ले रहा था। हो सकता हैं की उसकी मोच असली हो पर कमरे में आने के बाद तो जीजाजी निरु को डॉगी स्टाइल मे चोद ही सकते हैं। मै उठ कर बैठा और निरु को देखने लगा। वो मासुमियत से सो रही थी। उसकी छाती पर नंगे मम्मे खिल रहे थे और सिर्फ पैंटी में सोये हुए वो मुझे बिना कहे जैसे चोदने का इनविटेशन दे रही थी।

अचानक से मेरे दिमाग में एक योजना आयी। अगर मेरा ईमान डोल सकता हैं तो जीजाजी जैसा इंसान तो क्या कर जाएगा। अगर निरु को इस हालत में देख जीजाजी ने कुछ करने की कोशिश की तो क्या निरु भी उनका साथ देगी? अगर निरु ने साथ दिया तो उसकी सच्चाई बाहर आ जाएगी और मैं उन्हें रंगे हाथों पकड़ लुंगा। अगर निरु सच्ची निकली तो कम से कम जीजाजी की पोल तो निरु के सामने खुल ही जाएगी।

फिर तो निरु को मेरी बात पर विश्वास करना ही पडेगा की जीजाजी की नीयत ख़राब हैं। मै उस वक़्त भूल ही गया की मैं क्या करने जा रहा हूँ। अगर निरु बेवफायी नहीं कर रही तो बेवजह वो अपने जीजाजी के सामने नंगी हो शर्मिंदा होगी। मगर उस वक़्त मेरे दिमाग पर शक़ चढा हुआ था। मै रूम के बाहर गया और मैंने जीजाजी को फ़ोन लगा कर कहा की निरु को आपकी जरुरत हैं और रूम पर आने को कहा।

अन्दर आकर मैंने रूम का दरवाज २-३ इंच खुला छोड़ दिया, फिर मैं वॉशरूम में आ गया। मैं फिर वॉशरूम में ही छुपा रहा और इन्तेजार करने लगा। १० मिनट्स हो गए पर बाहर से कोई चीखने की आवाज नहीं आयी। मैं एक्सपेक्ट कर रहा था की निरु जीजाजी की जबरदस्ती देख चिल्लायेगि, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। या तो जीजाजी ने कुछ किया ही नहीं होगा या फिर निरु चुदवाने को मान गयी होगी।

निरु को इस नंगी हालत में देख जिजाजी जैसे करप्ट इंसान का मन ना डोले यह हो ही नहीं सकता। इसका मतलब निरु जीजाजी से चुदवाने को तैयार हो गयी होगी। मैने अब बाहर जाकर दोनों को रंगे हाथों पकडने को तैयार था। मैंने एक झटके में वॉशरूम का दरवाजा खोला और बाहर आकर सामने बिस्तर पर देखा तो निरु पाँव से लेकर गले तक चादर ओढ़े लेटी थी। बेड के सामने जीजाजी खड़े उस से बात कर रहे थे।

मुझे वॉशरूम से निकलता देख निरु मेरी तरफ देखने लगी।

नीरु: “प्रशांत, मैंने तुम्हे जीजाजी को बुलाने को कब बोला था?”

अब मैं फ़ांस चुका था। जो सोचा था वो तो हुआ नहीं। मैं जीजाजी की आँखें पढने लगा। उन्होंने निरु को नँगा देख कैसा महसूस किया होगा? मगर उनकी नजरे भी मेरी तरफ देख सवाल पुछ रही थी। मै अब क्या जवाब देता, मैं तो इस सिचुएशन के लिए रेडी ही नहीं था। फिर भी कोई तो जवाब देना था।

प्रशांत: “वो तुम्हे चोट लगी थी तो मैंने सोचा जीजाजी को बुला कर तुम्हे हॉस्पिटल दिखा देते, इसलिए बुला लिया”

नीरु: “फ़ोन करने से पहले मुझसे एक बार पुछ तो लिया होता। मेरा पैर अब ठीक हैं, डॉक्टर की जरुरत नहीं हैं”

जीजजी: “कोई बात नहीं निरु, मुझे कोई तकलीफ नहीं हुयी। प्रशांत तुम्हारे लिए फिक्रमंद होगा। मैं अभी जाता हूँ, तुम लोग तैयार हो कर ब्रेकफास्ट के लिए पैंट्री में आ जाना”
 
प्रशांत: “वो तुम्हे चोट लगी थी तो मैंने सोचा जीजाजी को बुला कर तुम्हे हॉस्पिटल दिखा देते, इसलिए बुला लिया”
नीरु: “फ़ोन करने से पहले मुझसे एक बार पुछ तो लिया होता। मेरा पैर अब ठीक हैं, डॉक्टर की जरुरत नहीं हैं”
जीजजी: “कोई बात नहीं निरु, मुझे कोई तकलीफ नहीं हुयी। प्रशांत तुम्हारे लिए फिक्रमंद होगा। मैं अभी जाता हूँ, तुम लोग तैयार हो कर ब्रेकफास्ट के लिए पैंट्री में आ जाना”
जीजजी दरवाजा बंद कर चले गए। फिर मेरी बीवी शेरनी बन मुझ पर बरस पड़ी और चादर लपेटे बैठ गयी।

नीरु: “यह क्या हरकत थी? मैं यहाँ नंगी लेटी हुयी थी, फिर भी तुमने पहले तो जीजाजी को यहाँ बुलाया और ऊपर से दरवाजा भी खुला रख दिया!”
प्रशांत: “रात को तुम्हे इतना दर्द हो रहा था तो सोचा मैं डॉक्टर को बुला लु, इसलिए बाहर भी गया पर फिर सोचा जीजाजी की हेल्प ले लेता हूँ, तो उनको फ़ोन करते हुए अन्दर आया। दरवाजे को मैंने धक्का दिया था पर शायद वो पूरा बंद नहीं हुआ होगा। मैंने ध्यान नहीं दिया, सॉरी”

नीरु: “तुम्हारी इस लापरवाही के चक्कर में मैं कितनी शर्मिंदा होती यह सोचा तुमने? वो तो अच्छा हुआ की सुबह का टाइम था तो जीजाजी ने नॉक किया था और मैंने टाइम पर चादर ओढ़ लिया था, वार्ना क्या होता? वो तो भला हो की जीजाजी थे, कोई और अन्दर घुस आता तो क्या होता?”
प्रशांत: “सॉरी यार, तुम्हारा दर्द देखा नहीं गया रात को और इसी टेंशन में डोर खुला छोड़ने की यह गलती हो गयी”

नीरु: “मैं इस नंगी हालत में थी तो मुझे उठाना तो चाहिए था कपडे पहनने के लिए”
प्रशांत: “मुझे नहीं पता था की जीजाजी इतना जल्दी आ जाएंगे। मैंने सोचा वॉशरूम से आकर तुम्हे उठा दूंगा”
मैने रोनी सी सूरत बना ली और निरु पिघल गयी। वो मुझे देख स्माइल करने लगी और अपना चादर साइड में हटा कर अपनी बाहें फैला कर मुझे गले लगने को कहा।
नीरु: “तुम मेरे बारे में कितना सोचते हो, एक प्यारा सा हग करो”
नीरु को गले लगा उसके नंगे मम्मो से अपना सीना चिपकाये मुझे ठंडक मिली। मैंने शुक्र मनाया की मैं बच गया।

हमारा आज का प्रोग्राम यह था की हम ब्रेकफास्ट के बाद होटल से जल्दी चेकआउट करने के बाद अपने बैग्स होटल के लाकर में रख कर बाहर घूमने जाने वाले थे। दोपहर में घर वापसी के लिए हमें ट्रैन पकडनी थी।

मैन फिर नहाने के लिए वॉशरूम में गया। मैं यही सोच रहा था की मेरा प्लान कैसे फेल हो गया। जीजाजी बहुत शातिर खिलाडी है। जरुर उनको मेरे प्लान की भनक लग गयी होगी और उन्होंने मेरे प्लान को फेल कर दिया। जीजजी ऐसी पार्टी तो लगते नहीं की कमरे में नॉक करके आए। जरुर वो अन्दर घुस आये होंगे और निरु को इस रूप में देख टूट पड़े होंगे। मगर शायद निरु को भी मुझ पर शक़ हो गया होगा की यह एक ट्रैप हैं और दोनों ने मिलकर पूरा मामला ट्विस्ट कर दिया होगा।

जीजजी को इसी बात का शक़ हो गया होगा की अगर मैंने जीजाजी को फ़ोन कर यहाँ बुलाया था तो फिर मैं कहा गया ? जल्दबाजी में मेरा प्लान थोड़ा कच्चा बन गया था। मै अब एक नया फुलप्रूफ प्लान बनाने के बारे में सोचने लगा। नहाते वक़्त अलग अलग आइडियाज आ रहे थे और मुझे एक आईडिया मिल भी गया। मगर इसको पक्का बनाना था।

मै नहा कर बिना शर्ट पहने बाहर आया। निरु अभी भी टॉपलेस होकर नंगी लेटी हुयी थी। मेरे बाहर आते ही वो स्माइल करने लगी।
नीरु: “मेरा पैर अब ठीक हैं, अगर तुम्हे मेरे साथ कुछ करना हैं तो कर सकते हो, मगर एक क्विक वाला सेक्स, क्यों की तैयार होकर जाना भी हैं”
मै तो अपनी ही धुन में था और प्लान पर सोच रहा था तो सुन कर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

नीरु: “तुम्हे हो क्या गया हैं? कल सुबह बहकी बहकी बातें कर रहे थे और आज सुबह इतनी बड़ी लापरवाही कर दि। तुम्हारी तबियत तो ठीक हैं?”
नीरु ने पास आकर मेरे सर पर हाथ रख मेरा टेम्प्रेचर चेक किया। फिर मेरे सीने से चिपक गयी। उसके नंगे मम्मे मेरे नंगे सीने से चिपक मुझे उत्तेजित करने लगे। मगर मेरे पास अभी प्यार करने का टाइम नहीं था, मुझे तो प्लान बनाना था।

प्रशांत: “जीजाजी और दीदी ब्रेकफास्ट के लिए वेट करेंगे, तुम तैयार हो जाओ”
नीरु: “तुमने आज तक कभी मुझे सेक्स के लिए मना नहीं बोला, आज क्या हुआ! नाराज हो मुझ पर की मैंने तुम्हे डाट दिया?”
प्रशांत: “अरे नहीं, तुम ठीक ही थी। मैंने ही लापरवाही कर दी थी”
नीरु: “अच्छा ठीक हैं वो सब भूल जाओ। मेरी बात सुनो। तुम तो परसो रात झड़ भी गए थे पर मेरा तो ४-५ दिन से पूरा हुआ ही नहीं है। मेरा कब करोगे?”
 
प्रशांत: “अभी देर हो रही हैं पर पक्का वादा। अगले २४ घण्टो के अन्दर तुम्हारी ऐसी चुदाई होगी की तुम पूरी ज़िन्दगी याद रखोगी”

नीरु: “पक्का? ऐसा हैं तो मैं थोड़ा और वेट कर लुंगी”

नीरु अब नहाने चली गयी। मैं अब अपने प्लान को फुलप्रूफ बनाने में लग गया। मुझे निरु को जीजाजी से ऐसी चुदवाई करवानी थी की मैं उसे रंगे हाथों पकड़ो और उसको ज़िन्दगी भर वो चुदाई याद रहे। नीरु नहाने के बाद तैयार हो गायी।

मैंने पिछली वाली गलतियों से सबक ले इस बीच अपना प्लान को फुलप्रूफ कर लिया था। निरु ने जीन्स और शर्ट पहना था। निरु ब्रेकफास्ट के लिए जाने को तैयार थी।

प्रशांत: “निरु, मैं सोच रहा था की हम चेकआउट थोड़ा लेट करेंगे”

नीरु: “क्यों?”

प्रशांत: “ब्रेकफास्ट करने के बाद मेरा चुदाई का प्रोग्राम हैं”।

यह कह कर मैं स्माइल करने लगा। निरु भी एक दम खुश हो गयी। थोड़ी देर पहले वो ही खुद मुझे चोदने को उतारू थी।

नीरु: “सच्, मुझे पता नहीं था तुम्हारे २४ घंटो की मोहलत इतनी जल्दी आ जाएगी”
यह कह कर उसने मुझे फिर गले लगा लिया। उसके परफ्यूम की खुसबू से मैं मदहोष होने लगा। मगर अभी प्लान का टाइम था। मैंने उसको दूर किया।

प्रशांत: “मैं जीजाजी और ऋतू दीदी के सामने कोई काम का बहाना बना दूंगा और तुम मेरा साथ देना”

नीरु: “ओह्ह हो, नौटंकी, ठीक हैं, झूठ बोलकर सेक्स करने में बहुत मजा आयेगा, चलो”
हम लोग ब्रेकफास्ट के लिए पैंट्री में गए।

जीजाजी और ऋतू दीदी अभी वहाँ पहुचे नहीं थे और हम दोनों ने ब्रेकफास्ट शुरू किया। मुझे पता था की जीजाजी बैग पैक करके ही आयेंगे इसलिए थोड़ा लेट हो जाएंगे। मैने और निरु ने ब्रेकफास्ट ऑलमोस्ट ख़त्म कर लिया था क्यों की हमें इतना टाइम नहीं लगता जितना जीजाजी को लगता है।

उसके बाद जीजाजी और ऋतू दीदी वहाँ पहुचे। कल रात मैंने और ऋतू दीदी ने जो चुदाई का पाप किया था, मैं उनसे नजरे नहीं मिला रहा था। एक दो बार एक्सीडेंटली हमारी नजरे मिली और हम फिर शर्म के मारे दूसरी तरफ देखने लगतें।

वो भी जब आई तो उन्होंने मुझसे नजरे नहीं मिलायी थी। मुझसे ज्यादा बड़ा गुनाह तो उनका था, उन्होंने ही चुदाई की पहल की थी। वो ब्रेकफास्ट करना शुरू करते उसके पहले ही मैंने अपने प्लान की शुरुआत की। निरु अनजाने में ही सही मेरे प्लान में भागीदार बनी थी।

प्रशांत: “जीजाजी हम लोग अभी चेकआउट नहीं करेंगे, एक घन्टे बाद करेंगे। मुझे ऑफिस की एक इम्पोर्टेन्ट मीटिंग अटेंड करने के लिए कॉल करना हैं”

मैने एक नजर जीजाजी को देखा और दूसरी नजर निरु को। निरु शरमाते हुए स्माइल कर रही थी।

जीजजी: “घुमने आये हो तब तो ऑफिस का काम छोड़ दो प्रशांत। मना कर दो ऑफिस वालों को”

नीरु: “जीजाजी कोई जरुरी मीटिंग हैं प्रशांत की तो उसको अटेंड करने दो… एक घन्टे में काम ख़त्म हो जायेगा न प्रशांत या और ज्यादा टाइम लगेगा?”
 
प्रशांत: “जीजाजी हम लोग अभी चेकआउट नहीं करेंगे, एक घन्टे बाद करेंगे। मुझे ऑफिस की एक इम्पोर्टेन्ट मीटिंग अटेंड करने के लिए कॉल करना हैं”
मैने एक नजर जीजाजी को देखा और दूसरी नजर निरु को। निरु शरमाते हुए स्माइल कर रही थी।
जीजजी: “घुमने आये हो तब तो ऑफिस का काम छोड़ दो प्रशांत। मना कर दो ऑफिस वालों को”
नीरु: “जीजाजी कोई जरुरी मीटिंग हैं प्रशांत की तो उसको अटेंड करने दो… एक घन्टे में काम ख़त्म हो जायेगा न प्रशांत या और ज्यादा टाइम लगेगा?”

नीरु अब और भी शरारती मूड में आ चुकी थी। मुझे लग रहा था की उसकी भी चुदाई की बहुत इच्छा हो रही होगी। वो मुझे प्यासी निगाहों से देख रही थी। मेरे इस झूठ पर निरु अब मंद मंद मुस्कुरा कर शर्मा भी रही थी। मगर निरु को क्या पता था की उसकी प्यास मैं नहीं उसके जीजाजी बुझाने वाले है। और वो प्यास पूरी बुझने से पहले ही मैं उनको रंगे हाथों पकड़ने वाला हूँ। मैने जीजाजी को ख़ास तौर से जोर देकर सुनाते हुए बताया।

प्रशांत: “हॉ, एक घंटा ही लगेगा और मैं बाहर गार्डन में जाकर कॉल अटेंड करुँगा, रूम में नेटवर्क अच्छा नहीं आता। निरु तुम चल रही हो, तुम्हे रूम तक छोड़ दूंगा?”
नीरु: “हॉ, चलो”
नीरज जीजाजी: “अरे निरु, तुम कहाँ जा रही हो? तुम रुको यहि, तुम अकेले रूम पर क्या करोगी? प्रशांत तो कॉल के लिए बाहर जाएगा”

नीरु: “मुझे अपना बैग भी पैक करना बाकी है। पैर दर्द से रात को देर से नींद आई थी तो मैं प्रशांत के आने तक थोड़ा सो लुंगी”
ऋतू दीदी: “जाने दो उसे रेस्ट करने दो। चलो हम भी ब्रेकफास्ट स्टार्ट करते हैं”

मै अब निरु के साथ फिर अपने रूम में आ गया। प्लान का एक पार्ट हो चुका था और दूसरे पार्ट की बारी थी। रूम में आते ही निरु मुझसे चिपक गयी की मैंने क्या प्लान बनाया है। निरु को क्या पता मेरा असली प्लान क्या था ?
मैने निरु से उसके डुपट्टे, स्कार्फ, चुनरी जो भी थी वो मांगा। वो बहुत एक्साइटेड़ थी की मैं उसकी कौन सी स्पेशल चुदाई करने वाला था की उसको ज़िन्दगी भर याद रहेगी।

उसने सब लाकर दे दिया। मैने अब उसके एक एक कपडे खोल कर उसको नँगा करना शुरू कर दिया था। कपडे खुलने के बाद वो पूरी नंगी मेरे सामने खड़ी थी और मुझे उसकी चुदाई की इच्छा थी पर मैंने अपने आप को रोका। मैने निरु को बेड पर डॉगी स्टाइल में बैठा दिया। निरु की तो वैसे ही यह फेवरेट चुदाई पोजीशन थी तो वो ख़ुशी ख़ुशी बैठ गयी।

मै उसकी आँखों पर स्कार्फ़ से पट्टी बांध दिया। निरु अब खिलखिलाते हुए हंस रही थी। इस तरह आँखों पर पट्टी बांध मैंने कभी उसकी चुदाई नहीं की थी। वो ख़ुशी से फुली नहीं समां रही थी। उसके बाद मैंने उसके दोनों हाथ बाँधे और बेड के हेडरेस्ट पर रख कर हाथ बाँध दिए। फिर उसके दोनों पैरो में एक एक चुनरी बांध कर बेड के लेग्स पर बाँध दिया।

नीरु के पाँव थोड़े चौड़े कर देख लिया की पीछे से दोनों पावो के बीच उसकी चूत की दरार दिखती रहे। चुनरी को थोड़ा और खींच टाइट किया ताकी पैर चौड़े ही रहे। नीरु को इस तरह देख मेरी खुद की कपडे खोल एक आखिरी बार उसकी चोदने की इच्छा हुयी। क्यों की इसके बाद वो रंगे हाथों पकड़ी जायेगी और मेरा उसके साथ रिश्ता भी टूट जाएगा।

पिछ्ली बार अपने फ़ोन से जीजाजी को कॉल किया था, इस बार वो गलती नहीं करनी थी। मैंने निरु का फ़ोन ले लिया और नीरज जीजा जी को मैसेज टाइप किया की “जीजाजी कम फस्ट, आई ऍम वेटिंग फॉर यू” इस बीच निरु लगातार मुझे आवाज दे बुला रही थी, क्यों की वो आँखों पर बंधी पट्टी से देख तो पा नहीं रही थी। फिर मैं निरु के पास गया।

प्रशांत: “बेबी, वो मैं कंडोम लाना भूल गया हूँ”
नीरु: “मैंने तुम्हे २ बार याद दिलाया था की कंडोम याद से रख लेना और तुमने कहा भी था की रख लिया। फिर कैसे छूट गया!”

प्रशांत: “वो लास्ट मिनट कपडे अन्दर बाहर कर रहा था तो बाहर ही छूट गया होगा। मैं अभी टैक्सी लेकर जाता हूँ और आधे घन्टे में मार्किट से लेकर आया”

नीरु: “तो फिर मुझे खोल दो, मैं तब तक ऐसे बैठे क्या करुँगी?”
प्रशांत: “मैं अभी खोलूँगा और वापिस आकर तुम्हे फिर बांधूंगा तो टाइम ख़राब होगा। तुम मूड ख़राब मत करो, तुम ऐसे ही रहना। तुम्हे तो वैसे भी इस पोज़ में रहने की आदत भी हैं”
नीरु: “मैं और कर भी क्या सकती हूँ! पूरा बाँध रखा है। हमारे पास फिर आधा घण्टा ही बचेगा चुदाई का, तुम जल्दी जाकर आओ”

मैने वो मोबाइल पर ड्राफ्ट किया मैसेज सेंड किया और सेंड होते ही वो मैसेज निरु के फ़ोन से डिलीट कर दिया और फ़ोन वहीं रख दिया। मैं अब दरवाजे से बाहर निकला और निकलते वक़्त एक बार फिर दरवाजा लॉक ना कर हल्का सा खुला रख दिया। मै अपने रूम के बाहर आया और छूप कर वेट करने लगा की जीजाजी अब आयेंगे। पर १० मिनट्स के बाद भी वो नहीं आए।

हालाँकि मैंने उनको जोर देकर कहा था की मैं रूम से बाहर गार्डन में जाकर कॉल लुँगा तो उनको आ जाना चाहिए था। शायद उन्होंने मैसेज नहीं पढ़ा होगा। मैं फिर सीधा पैंट्री की तरफ गया। कान में ईरफ़ोन लगाए मैं कॉल में होने का नाटक कर रहा था। वहाँ सिर्फ ऋतू दीदी थी।
 
जीजजी वहाँ से निकल चुके थे, मगर मेरे रूम तक तो पहुचे ही नहीं। मैंने उनको गार्डन का बोला था, शायद वो मेरे गार्डन में आने का वेट कर रहे होंगे ताकी मेरे वहाँ आते ही वो निरु के रूम में जा सके। लगता हैं उन्होंने मेरा मैसेज नहीं पढ़ा होगा।

जीजजी को तो मैसेज भेजने की भी जरुरत नहीं थी। निरु कमरे में अकेली हैं, उनके लिए तो यह इशारा ही काफी था। ऋतू दीदी ने मुझे वहाँ पैंट्री में देख लिया था। मै वहाँ से निकल कर सीधा गार्डन में जाकर बैठ कर कॉल में होने का नाटक करता रहा। इधर उधर नजरे फेर देख रहा था की कहीं से जीजाजी मुझे देख रहे होंगे।

जीजजी शायद अब तक निरु तक पहुच गए होंगे और निरु को चोदना शुरू कर दिया होगा। मुझे उन्हें रंगे हाथों पकड़ना था। काफी टाइम हो गया था तो मैंने ईरफ़ोन निकाल फ़ोन जेब में रखा और अब वहाँ से उठ कर अपने रूम की तरफ जाने लगा तभी ऋतू दीदी गार्डन में आ गयी। ऋतू दीदी ने मुझे बैठे रहने का इशारा किया।

मुझे जल्दी से जाना था पर ऋतू दीदी का आर्डर मना नहीं कर सकता था। हम दोनों अब एक बेंच पर बैठ गए। ऋतू दीदी अब बहुत गम्भीर मुद्रा में मुझसे बात कर रही थी। उनके चेहरे पर एक चिन्ता थी।
प्रशांत: “जीजाजी कहाँ हैं?”
ऋतू दीदी: “चिंता मत करो, नीरज यहाँ नहीं आयेंगे। मुझे तुमसे जरुरी बात करनी हैं, फिर शायद टाइम ना मिले”
प्रशांत: “बोलिये दीदी”
ऋतू दीदी: “कल हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ, क्या तुमने निरु को बताया?”

प्रशांत: “नहीं। कैसे बताता!”
ऋतू दीदी: “तुम्हे मेरे साथ करके कैसा लगा?”
प्रशांत: “अच्छा था…अच्छा लगा दीदी”
ऋतू दीदी: “तुमने पहले भी कभी किसी के साथ किया हैं?”
प्रशांत: “नहीं, निरु के अलावा कल पहली बार आपके साथ ही…।”
ऋतू दीदी: “हमने बहुत बड़ी गलती कर दी है। हमें वो सब नहीं करना चाहिए था। मुझे निरु और नीरज के लिए बहुत बुरा लग रहा हैं”

प्रशांत: “हम आगे से ध्यान रखेंगे। मुझे अभी निरु के पास जाना है। एक जरुरी काम हैं”
ऋतू दीदी: “नहीं, तुम बैठो। निरु सो रही होगी, उसको सोने दो। मेरी बात ज्यादा जरुरी हैं”
मुझे जल्दी से जाकर निरु और जीजाजी को चुदते हुए रंगे हाथों पकड़ना था पर फिलहाल ऋतू दीदी से पीछा छुड़ाना था।
प्रशांत: “हां दीदि, जल्दी बोलिये”

ऋतू दीदी: “प्रशांत तुम बतओ, हमें क्या करना चाहिए? मुझे बहुत बुरा लग रहा हैं नीरज और निरु से चीटिंग करके। मैं उनसे नजरे नहीं मिला पा रही हूँ”
प्रशांत: “आप चिन्ता मत करो, उनको पता नहीं चलेगा”
ऋतू दीदी: “मैं नीरज और निरु को सब बताने का सोच रही हूँ और फिर माफ़ी मांग लुंगी”
प्रशांत: “नीरज जीजाजी ने भी कभी कुछ किया होगा, आपको उन्होंने कभी बताया क्या!”

ऋतू दीदी: “नीरज ऐसा कभी नहीं कर सकता”
प्रशांत: “आप प्लीज अभी मत बताना, कम से कम एक दिन और रुक जाये, घर पहुच कर देखते हैं”
ऋतू दीदी: “पक्का तुम निरु को धोखा तो नहीं दे रहे न?”
प्रशांत: “सच में दीदि, मैं इन सब चीजो से दूर हूँ। मैं आपकी कोई बात नहीं टालता वार्ना कल भी हमारे बीच नहीं होता। अभी मैं निरु के पास जाऊं?”
ऋतू दीदी: “ठीक हैं”

मै वहाँ से सर पर पैर रख कर भागा और अपने रूम के दरवाजे पर पहुंच। मुझे ४५ मिनट हो चुके थे। अगर जीजाजी का स्टैमिना अच्छा हुआ तो वो अभी तक निरु को चोद ही रहे होंगे।
 
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