desiaks
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पर निरु के मम्मे झुकने पर भी अपनी गोल शेप कायम रखते हैं, पर ऋतू दीदी के मम्मे लटकने के बाद गोल की बजाय लंबे हो गए। ऋतू दीदी ने मुझे उनके मम्मे चुसने को बोला और एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह मैंने उनके निप्पल रूपी काले अंगूर को अपने होंठों में दबा लिया।
उन अंगूर का स्वाद उतना ही मजेदार था जितना मुझे निरु के किशमिश जैसे निप्पल चुसने में आता है। ऋतू दीदी ने मुझे अच्छे से चुसने को बोला और मैंने उनके लटकते मम्मो को अपने मुँह में भर लिया और चुसने लगा। जब मेरा मन भर गया तो मैंने उनके मम्मो को चुसना छोड़ा और ऋतू दीदी सीधा बैठ गयी। फिर उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी चूत के छेद पर रगड़ा। मेरी तो जान सुख कर हलक में आ गयी की यह क्या हो रहा है।
मैं अब ऋतू दीदी को चोदने वाला था, या ऋतू दीदी खुद मुझसे चुद रही थी। मेरा लण्ड अब ऋतू दीदी की चूत की गर्मी का अहसास कर रहा था और आधा उनकी चूत में उतार चुका था। ऋतू दीदी ने भी एक ठंडी आह भरी और मेरा लण्ड पूरा अपनी चूत में उतार ही दिया।
ऋतू दीदी ने अब ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत में अन्दर बाहर रगड़ खाने लगा। ऋतू दीदी की जानी पहचानी सी सिसकिया चालु हो गयी जो मैंने वॉशरूम के बाहर से सुनि थी। चुदाई से मैं भी मजे में सरोबार हो आनंद ले रहा था। कभी सपने में भी ऋतू दीदी को चोदने के बारे में नहीं सोचा था। हालाँकि कल रात ऋतू दीदी को चोदते हुए देख मैंने निरु को जरूर चोदा था।
अब ३-४ मिनट हो चुके थे और मेरा लण्ड ऋतू दीदी की चूत को चोदे जा रहा था। प्रेगनेंसी के डर से निरु ने मुझे कभी भी १०-१५ सेकण्ड्स से ज्यादा अपनी चूत को बिना प्रोटेक्शन के चोदने नहीं दी थी। मगर आज मुझे कोई ठोकने वाला नहीं था। ऋतू दीदी को प्रेगनेंसी का कोई डर नहीं था और वो मुझे खुलकर बिना प्रोटेक्शन के चोद रही थी। इस से पहले सिर्फ कल रात जब मैं जबरदस्ती निरु को बिना प्रोटेक्शन के चोद रहा था तब इतना मजा आया था। मगर अभी तो झड़ने के टाइम लण्ड बाहर निकालने का भी झंझट नहीं था।
ऋतू दीदी के चूत के जूस की चिकनाई मैं अपने लण्ड पर महसूस कर सकता था। मेरे आनंद की आज कोई सीमा नहीं थी। मैंने जो नहीं माँगा था वो भी मिल रहा था। नीरु ने वादा किया था की वो मुझे आज रात चोदेगी पर उसके पहले ही उसकी बहन ने मुझे चोद दिया था। यह दोनों पति पत्नी चुदाई के मामले में बहुत ओपन है।
उन अंगूर का स्वाद उतना ही मजेदार था जितना मुझे निरु के किशमिश जैसे निप्पल चुसने में आता है। ऋतू दीदी ने मुझे अच्छे से चुसने को बोला और मैंने उनके लटकते मम्मो को अपने मुँह में भर लिया और चुसने लगा। जब मेरा मन भर गया तो मैंने उनके मम्मो को चुसना छोड़ा और ऋतू दीदी सीधा बैठ गयी। फिर उन्होंने मेरे लण्ड को अपनी चूत के छेद पर रगड़ा। मेरी तो जान सुख कर हलक में आ गयी की यह क्या हो रहा है।
मैं अब ऋतू दीदी को चोदने वाला था, या ऋतू दीदी खुद मुझसे चुद रही थी। मेरा लण्ड अब ऋतू दीदी की चूत की गर्मी का अहसास कर रहा था और आधा उनकी चूत में उतार चुका था। ऋतू दीदी ने भी एक ठंडी आह भरी और मेरा लण्ड पूरा अपनी चूत में उतार ही दिया।
ऋतू दीदी ने अब ऊपर नीचे होना शुरू कर दिया और मेरा लण्ड उनकी चूत में अन्दर बाहर रगड़ खाने लगा। ऋतू दीदी की जानी पहचानी सी सिसकिया चालु हो गयी जो मैंने वॉशरूम के बाहर से सुनि थी। चुदाई से मैं भी मजे में सरोबार हो आनंद ले रहा था। कभी सपने में भी ऋतू दीदी को चोदने के बारे में नहीं सोचा था। हालाँकि कल रात ऋतू दीदी को चोदते हुए देख मैंने निरु को जरूर चोदा था।
अब ३-४ मिनट हो चुके थे और मेरा लण्ड ऋतू दीदी की चूत को चोदे जा रहा था। प्रेगनेंसी के डर से निरु ने मुझे कभी भी १०-१५ सेकण्ड्स से ज्यादा अपनी चूत को बिना प्रोटेक्शन के चोदने नहीं दी थी। मगर आज मुझे कोई ठोकने वाला नहीं था। ऋतू दीदी को प्रेगनेंसी का कोई डर नहीं था और वो मुझे खुलकर बिना प्रोटेक्शन के चोद रही थी। इस से पहले सिर्फ कल रात जब मैं जबरदस्ती निरु को बिना प्रोटेक्शन के चोद रहा था तब इतना मजा आया था। मगर अभी तो झड़ने के टाइम लण्ड बाहर निकालने का भी झंझट नहीं था।
ऋतू दीदी के चूत के जूस की चिकनाई मैं अपने लण्ड पर महसूस कर सकता था। मेरे आनंद की आज कोई सीमा नहीं थी। मैंने जो नहीं माँगा था वो भी मिल रहा था। नीरु ने वादा किया था की वो मुझे आज रात चोदेगी पर उसके पहले ही उसकी बहन ने मुझे चोद दिया था। यह दोनों पति पत्नी चुदाई के मामले में बहुत ओपन है।