bahan sex kahani ऋतू दीदी - Page 4 - SexBaba
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bahan sex kahani ऋतू दीदी

प्रशांत: “सच में दीदि, मैं इन सब चीजो से दूर हूँ। मैं आपकी कोई बात नहीं टालता वार्ना कल भी हमारे बीच नहीं होता। अभी मैं निरु के पास जाऊं?”
ऋतू दीदी: “ठीक हैं”

मै वहाँ से सर पर पैर रख कर भागा और अपने रूम के दरवाजे पर पहुंच। मुझे ४५ मिनट हो चुके थे। अगर जीजाजी का स्टैमिना अच्छा हुआ तो वो अभी तक निरु को चोद ही रहे होंगे।

मैने देखा दरवाजा अभी भी थोड़ा खुला ही था, जितना मैं खुला छोड़ कर गया था। शायद जीजाजी निरु को चोदने के बाद दरवाजा खुला ही छोड़ कर चले गए होंगे। मैने रूम के अन्दर गया और दरवाजा बंद किया। निरु अभी भी डॉगी स्टाइल में बैठि हुयी थी और बीच बीच में थोड़ा दाए बाए हील रही थी। उसकी चूत की दरार दिख रही थी पर चढ़ने के कोई निशान नहीं थे। शायद जीजा ने चोद कर निरु की चूत की सफाई कर दी होगी। मेरी आहट सुनकर निरु बोल पडी।

नीरु: “प्रशांत, तुम आ गए!!”
प्रशांत: “हां”
नीरु: “तुम कितनी देर से आये हो? मुझे खोल, मुझे कितना दर्द हो रहा है। तुमने मुझे कॉल किया था क्या? मुझे किसी का कॉल आया था, पर आँख पर पट्टी से कुछ दिखा नहीं रहा और हाथ बँधे हैं तो फ़ोन कैसे उठती”
नीरु इतनी देर इस तरह बैठे मेरा इन्तेजार करते थोड़ी परेशान दीख रही थी।

मुझे समझ नहीं आ रहा था की जीजाजी ने आकर निरु को चोदा होगा या नहीं। मैने निरु की आँखों की पट्टी और हाथ खोल दिए और उसको उसका फ़ोन पकड़ा दिया। मैं निरु के पैर भी खोलने लगा। निरु ने अपने फ़ोन में कुछ देखा और फिर मेरी तरफ मुड़ी।
नीरु: “तुमने मेरा फ़ोन यूज किया था?”
प्रशांत: “नहीं तो!”
नीरु ने फिर कुछ टाइप किया। तब तक मैंने उसके पाँव खोल दिए। वो मुझ पर भड़क रही थी।

नीरु: “सारा मूड ख़राब कर दिया। मैं यहाँ पागलो की तरह तुम्हारा इन्तेजार कर रही थी और तुम इतनी देर से आए, कहाँ रह गए थे?”
तभी निरु के फ़ोन पर मेसैज आया और वो पढने लगी। फिर मेरी तरफ गुस्से से पलटि।
नीरु: “यह क्या हरकत हैं प्रशांत। तुमने मेरे कलीग को मेरे फ़ोन से क्या मैसेज सेंड किया ‘ जीजाजी के फस्ट, आई ऍम वेटिंग फॉर यू’। क्या मतलब हैं इसका?”
प्रशांत: “मैंने तुम्हारे कलीग को कोई मैसेज नहीं सेंड किया!”
नीरु ने अब फ़ोन मेरी तरफ कर मुझे मेरे भेजे गए मैसेज का स्क्रीनशॉट दिखाया जो अभी अभी उसको मिला था।

नीरु: “यह मैसेज तुमने नहीं भेजा तो किसने भेजा? यह उस टाइम पर सेंड किया गया हैं जब हम दोनों इस कमरे में थे और मैं यहाँ बंधी हुयी थी। क्या चल रहा हैं प्रशांत?”
प्रशांत: “यह तो मैंने जीजाजी को भेजा था”
नीरु: “यह जीजाजी को नहीं, तुमने मेरे ऑफिस में काम करने वाले नीरज को भेजा है। और एक बात बताओ तुम यह मैसेज जीजाजी को क्यों भेज रहे थे? हमारा तो चुदाई का प्रोग्राम था। कल भी मैं नंगी हालत में थी और तुमने जीजाजी को फ़ोन कर बुला लिया था। यह सब क्या हैं? सच सच बतओ, तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा हैं?”

नीरु अब गुस्से में लाल थी और उसने अपने कपडे पहनने शुरू कर दिए थे और मुझसे जवाब तलब करती जा रही थी। मैं मूर्ति बने खड़ा था। मुह से कोई जवाब सुझ नहीं रहा था। मैने अच्छा ख़ासा प्लान बनाया था पर निरु की फ़ोन बुक में नीरज नाम का उसका कलीग निकला न की जिजाजी। उसके कलीग ने भी उलटा निरु को फ़ोन कर दिया, वो तो फ़ोन उठा नहीं सकी तो उसने मैसेज कर बता दिया की निरु ने गलती से उसको मैसेज कर दिया हैं। नीरु ने अब अपने कपडे पहन लिये थे और वो मेरी तरफ बढि।

नीरु: “प्रशांत, आखिरी बार पुछ रही हूँ, यह सब क्या चल रहा हैं?”
उसकी आँखें गुस्से में लाल थी। मैं उसकी आँखों में नहीं झाँक पा रहा था। दूसरी तरफ देखते हुए मैंने कहा।
प्रशांत: “मुझे तुम्हारे और जीजाजी के रिलेशन पर शक़ था, इसलिए लॉयल्टी टेस्ट कर रहा था”
 
नीरु: “व्हाट !!! तुम्हे मुझ पर शक़ था इसलिए तुम मुझे यहाँ नँगा छोड़कर गए और जीजाजी को यहाँ बुलाना चाहते थे? तुम्हे शक़ जीजाजी पर हैं या मुझ पर, या फिर हम दोनों पर?”

प्रशांत: “मुझे जीजाजी पर शक़ हैं”

नीरु: “तुम्हे मुझ पर शक़ होता तो फिर भी बात समझ में आती। तुम भी जब कभी मीटिंग का बोल कर लेट आते हो तो मुझे भी शक़ होता है। मैं भी तुम्हारे कपडे चेक करती हूँ और कभी कभार फ़ोन भी चेक करती हूँ। पर तुमने तो मुझे नँगा कर जीजाजी के सामने परोस ही दिया था”

मै अब नजरे निचे किये उसकी डांट सुन रहा था। मेरा पासा पूरा उलटा पड़ चुका था।
नीरु: “वो तो मेरी किस्मत अच्छी थी की तुमने जीजाजी की जगह किसी और नीरज को मैसेज कर दिया, वार्ना मैं तो जीजाजी के सामने इस तरह पूरी शर्मिंदा हो जाती”
प्रशांत: “मेरा तरीका गलत हैं, पर मैं क्या करता ? मैंने तुम्हे जीजाजी की नीयत के बारे में बताया था पर तुम तो उनके खिलाफ कुछ सुन ने को तैयार ही नहीं थी”
नीरु: “तुम बात ही ऐसी कर रहे थे, कैसे विश्वास करती? मैं तुम्हे एक साल से जानती हूँ पर जीजाजी को ७ साल से जानती हूँ। मैं सिर्फ १४ साल की थी जब उनकी शादी दीदी से हुयी थी। वो मुझे अपनी छोटी बहन मानते आये हैं”

प्रशांत: “तब तुम बच्ची थी निरु, अब तुम जवान हो, तुम्हारा शरीर भर चुका है। तुम्हे देख किसी की भी नीयत ख़राब हो सकती हैं, फिर जीजाजी की नीयत क्यों नहीं बदल सकती”
नीरु: “दीदी की शादी के बाद, मेरी कभी चुनरी भी खिसक जाती थी तो जीजाजी उसको ठीक कर देते थे। मैं मानने को तैयार नहीं की जीजाजी गलत है। मेरा जीजाजी पर विश्वास तुमसे भी ज्यादा है। और तुम भी यह सब फ़ालतू के विचार निकाल दो।”
प्रशांत: “अगर वो मैसेज सच में जीजाजी को मिल गया होता न तो उनकी पोल अब तक खुल चुकी होती”
नीरु: “ऐसा कुछ नहीं होता। जीजाजी मुझे इस हालत में देखते तो पहले मुझे कपडे से ढकते और फिर तुम्हे बुला कर तुम्हारी क्लास लगा देते”

प्रशांत: “अब मैं तुम्हे कैसे विश्वास दिलाऊं? मैं १००% श्योर हूँ की जीजाजी कल वॉशरूम में दीदी को चोदते वक़्त तुम्हारा ही नाम ले रहे थे”
नीरु: “तुम जब भी १००% श्योर होते हो तो सही साबित होते हो, पर इस मामले में मैं मानने को तैयार नहीं। बहुत से लोग अपनी पार्टनर को उनके नाम से नहीं बुला कर बच्चो के नाम से बुलाते है। अब उनके कोई बच्चा तो है नहीं, वो तो मुझे ही उनका बच्चा मानते है। हो सकता हैं वो दीदी को मेरे नाम से बुलाते हो!”
प्रशांत: “मैंने तो कभी सुना नहीं की वो ऋतू दीदी को निरु नाम से बुलाते हो। तुमने सुना कभी?”

नीरु: “कभी ध्यान नहीं दिया, हो सकता हैं जब वो दोनों अकेले होते हैं तब निरु नाम से दीदी को बुलाते होंगे”
प्रशांत: “यह तो मन को बहलाने की बात हुयी। निरु टाइम बदल चुका है। न तो तुम १४ साल की बच्ची हो और ना ही जीजाजी की नीयत पहले जैसी रही है। तुम्हे यह समझना पड़ेगा”
नीरु: “मैं तुम्हारी बात समझ रही हूँ, पर विश्वास नहीं कर पा रही हूँ। इन सब चक्कर में तुमने मेरे साथ जो किया वो ठीक नहीं किया”

प्रशांत: "आई ऍम सोर्री, मैं तुम्हे ऐसी सिचुएशन में नहीं डालना चाह रहा था। पर मुझे पूरा यक़ीन था की तुम्हे नंगी हालत में देख जीजाजी का असली करैक्टर सामने आ ही जायेगा”
नीरु: “अपने शक़ की वजह से तुमने इतना बड़ा रिस्क लेकर मेरी इज्जत ही दांव पर लगा दी ! या तो तुम शक़ के कारण पागल हो चुके हो या फिर तुम्हे पूरा यक़ीन हो गया है। मगर ऐसा नहीं हो सकता प्रशांत। तुम जीजाजी को गलत समझ रहे हो। ”
प्रशांत: “तुम मुझे एक मौका दो, मैं तुम्हे प्रूव कर दूंगा”
नीरु: “क्या करना हैं बोलो?”

प्रशांत: “वोही जो मैंने ट्राई किया था अभी”
नीरु: “पागल हो क्या! मैं जीजाजी के सामने नंगी कैसे हो पाउंगी ? वो मेरे बारे में क्या सोचेंगे?”
 
प्रशांत: “वोही जो मैंने ट्राई किया था अभी”
नीरु: “पागल हो क्या! मैं जीजाजी के सामने नंगी कैसे हो पाउंगी ? वो मेरे बारे में क्या सोचेंगे?”
प्रशांत: “तुम्हे नँगा देख, वो तो उलटा बहुत खुश होंगे। देखा नहीं कैसे तुम्हे बिकिनी पहनने के लिए बोला था। मेरी गॅरंटी हैं, तुम्हे नँगा देख वो तुम पर टूट पड़ेंगे”
नीरु: “और अगर ऐसा नहीं हुआ तो मेरी क्या इज्जत रह जाएगी? मैं तो फिर कभी जीजाजी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहुंगी। और तुम कैसे अपनी बीवी को किसी और के सामने नँगा होने दोगे?”

प्रशांत: “कोई और होता तो नहीं करता, पर वो तुम्हारे जीजाजी है। उनकी शराफत का मुखौटा तो उतारना ही पडेगा। तुम्हारे पास कोई दूसरा उपाय हो तो बताओ”
नीरु: “मुझे नहीं पता, मगर मैं जिजाज के सामने कपडे नहीं उतारूंगी”
प्रशांत: “ठीक हैं, आज दिन भर तुम उनको नोटिस करना। वो कैसे तुम्हे छूते हैं या देखते हैं”

तभी निरु का फ़ोन बजा, उसने मुझे अपने मोबाइल की स्क्रीन बतायी, जहाँ “जीजाजी” लिखा आ रहा था। काश मैंने मैसेज करते वक़्त नीरज की बजाय जीजाजी सर्च किया होता तो अब तक जीजाजी पकडे जाते। जीजजी ने यही पूछने के लिए फ़ोन किया की हम लोग चेक-आउट कर घूमने के लिए निकले या नहीं। निरु ने हां बोल दिया और अब हम लोग अपने बैग लेकर निकल पडे।

मेरे मन में अभी भी निरु के लिए डाउट था। हो सकता हैं वो जीजाजी से मिली हुयी हो। अब वो जीजाजी को अलर्ट भी कर सकती है। मैंने सोच लिया की पूरे दिन में निरु के साथ ही रहूँगा और उसकी जीजाजी से होती हर बात को सुनूंगा। हमने होटल से चेकआउट कर बैग्स लाकर में रखवाये और घूमने के लिए कार से निकले।

मैं निरु को लगातार इशारा कर याद दिला रहा था की वो जीजाजी के बर्ताव पर नजर रखे। वो भी एक नजर मुझे घूर कर देखती और फिर नार्मल तरीके से अपनी मस्ती में लग जाती। मैंने उसके मन में शक़ का बीज बोने की कोशिश की थी पर वो एकदम नार्मल थी। हम लोग अब अपने बैग्स पैक करके स्टेशन पर ट्रैन पकडने आ गए थे। इस बार हमने एक चेयर कार ली थी क्यों की दोपहर और शाम का सफर था तो बैठे बैठे जाना था।

हम लोग रात होते घर पहुचने वाले थे। मै और निरु ट्रैन में पास पास ही बैठे थे और जीजाजी और ऋतू दीदी दूसरी तरफ सीट्स पर थे। मैं और निरु दोनों लगातार फ़ोन पर मैसेज के जरिये बात कर रहे थे। मैं उसको पूछ रहा था की उसको जीजाजी के बर्ताव में कोई फ़र्क़ महसूस हुआ की नहीं और वो मन करती रही।
मैने उसको याद दिलाया की कैसे जीजाजी ने उसके कन्धो और कमर को पकड़ा था, पर उसने कहा की यह सब नार्मल है। मैने उसको याद दिलाया की जीजाजी ने कैसे बिना कारण के ही उसको अपनी गोद में उठा लिया था। पर उसको यह सब हलकी फुलकी मस्ती लगी।

फिर मैंने उसको याद दिलाया की जीजाजी ने निरु को गोद में उठाये रखा था तब उनका हाथ निरु के मम्मो के कितना करीब था और मम्मो के उभार को जीजाजी की ऊँगली छु रही थी। यह पढ़कर निरु का मुँह खुला का खुला रह गया और मेरी तरफ देख शर्म से हँसती रही और फिर मुझे मैसेज किया की उसको पता हैं की जीजाजी की ऊँगली उसके मम्मो को दबा रही थी पर वो सब एक्सीडेंटली हुआ था और जीजाजी ने जल्दी ही अपनी ऊँगली उसके मम्मो से दूर कर दी थी। मैने निरु को पूछा की उसको अज़ीब नहीं लगा जब बीच पर जीजाजी लगातार उसकी छाती पर पानी डाल कर उसके स्वीम टॉप को खिसकाने की कोशिश कर रहे थे या निप्पल देखने की कोशिश कर रहे थे।

नीरु फिर से अपने जीजा के बचाव में तैयार थी। उसके अनुसार उसके शरीर का सिर्फ वोहि हिस्सा पानी के बाहर था। अगर जीजाजी उसके मुँह पर पानी ड़ालते तो निरु को साँस लेने में दिक्कत होति, इसलिए जीजाजी ने ठीक ही किया जो उसकी छाती पर पानी डाला। मैने निरु को यह राज भी बताया की जब जीजाजी ने निरु की गांड को अपने लण्ड से चिपकाये उसको घुमाया था तो उसके बाद जीजाजी का लण्ड उनके शॉर्ट्स में खड़ा हो गया था।
 
यह पढ़कर निरु ने रिप्लाई करने की बजाय मेरे हाथ पर एक हल्का सा चांटा मार दिया और बड़ी आखें दिखाने लगी। फिर उसने रिप्लाई भी किया कि, यह होना तो नेचुरल प्रोसेस है। मैने उस से मैसेजस के थ्रू ही बहस कि, नीयत ख़राब हो तभी लण्ड खड़ा होता है। उसने भी लास्ट में यह मान लिया पर लिखा की मुझे ग़लतफ़हमी हुयी होगी की जीजाजी का लण्ड खड़ा हुआ था। वो तो अच्छा था की हमारे फ़ोन साइलेंट पर थे, वर्ना आस पास के लोग लगातार मैसेज के आने से बजती रिंग टोन सुनकर पागल ही हो जाते।

हमारे बीच ऐसे ही गंदे और शरारती मैसेज चल रहे थे और मैंने नोटिस किया की निरु के शर्ट के ऊपर से उसके मम्मो का क्लीवेज दीखने लगा था। निरु के मम्मे इस तरह की बातें पढ़कर फूल चुके थे और उसका मूड बन रहा था। मैने आँखों के ईशारे से उसका ध्यान उसके क्लीवेज पर दिलाया।

उसने भी देखा और अपने होंठ भिंच कर अपनी हंसी दबायी और फिर अपने शर्ट को ऊपर से पकड़ बंद किया और क्लीवेज छुपाया। मै उसको मैसेज कर पूछा की क्या उसकी चुदने की इच्छा हो रही है। उसने रिप्लाई किया की उसकी बहुत इच्छा हो रही हैं, ४-५ दिन से जो उसको चुदाई नहीं मिली है।

मैने उसको पुछ ही लिया की मैं इतनी देर से आया था, तब तक कहीं सच में जीजाजी आकर उसको चोद तो नहीं गए, जो वो मुझसे छुपा रही है। उसने एक मुक्का मेरी जांघ पर मार दिया और मेरी तरफ गुस्से में देखा। फिर हँसते हुए मैसेज टाइप करने लगी। उसने मैसेज सेंड किया की “हॉ, मैंने जीजाजी से चुदवा लिया था। तुम ५ मिनट पहले आते तो पकड़ सकते थे” यह पढ़कर मेरा तो गला सुख गया। वो मेरी तरफ शरारती मुस्कान से देख रही थी। मुझे डर लग रहा था की कही वो मजाक मजाक में सच तो नहीं बोल रही।

मेरा चेहरा गम्भीर हो गया। नीरु ने अब अगला मैसेज भेजा: “वैसे जीजाजी तुमसे बेटर चोदते हैं”। मैं मैसेज पढ़ कर सीरियस हो फिर उसकी तरफ देखने लगा। वो अगला मैसेज लिखने में बिजी थी। अब उसके एक के बाद एक मैसेजस आने लगे और मुझे पता नहीं चल रहा था की वो मेरे मजे ले मुझे जाला रही हैं या सच बता रही है।

“जीजाजी मेरे फिगर की बहुत तारीफ़ कर रहे थे, तुम तो कभी करते नहीं तारीफ़”
“वैसे अपनी तारीफ़ सुनते हुए मुझे चुदने में ज्यादा मजा आ रहा था”
“मैं तुम्हे हमेशा कहति थी की जीजा जी से तारीफ़ करना सिख लो, अब कहति हूँ की चुदाई कैसे करते हैं यह सिख लेना जीजाजी से”
“काश बड़ी बहन मैं होती तो मेरी शादी जीजाजी से होती और रोज उनसे चुदने को मिलता”

उसको लग रहा था की वो मजाक कर रही हैं और वो मेरा खून जलाने के साथ ही मेरा शक़ उस पर और गहरा करती जा रही थी। वो जो कुछ भी लिख रही हैं, क्या वो सब सच हैं? मेरे चेहरे पर तो बारह बजे हुए थे। उसने भी मेरी शकल पढ़ ली थी। उसने मेरे मजे लेना जारी रखा और गंदे मैसेजस करती रही।
“मेरी तरह जीजाजी का फेवरेट सेक्स पोजीशन भी डॉगी स्टाइल ही हैं”
“पूछो मत कितना जबरदस्त चोदते हैं वो इस पोजीशन में, मेरी तो जान ही निकाल दी थी”
“वो मेरे बूब्स चुसते हैं तो मुझे दर्द बिलकुल नहीं होता, उलटा मजा आता है। वो मेरे बूब्स मसलते हैं फिर भी मुहे मजा आता हैं”

मै अब परेशान हो गया। मैंने तो उसको जीजाजी की नीयत बता कर खुद ही आफत मोल ले ली थी। ग़ुस्से में मैंने भी उसको मैसेज कर दिया की जीजाजी इतने अच्छे मम्मे दबाते हैं तो उंनके पास जाकर दबवा ले। मेरा मैसेज पढ़कर वो अपनी मुँह पर हाथ रखे जोर जोर से खिलखिलाने लगी। मेरे दिल पर तो चाक़ू चल रहे थे। खिलखिला कर हंसने से उसके फूल चुके क्लीवेज भी लचक खाकर हील रहे थे।

फिर एक स्माइल के साथ ही उसने अगला मैसेज सेंड किया “दीदी नहीं बैठे होते तो अभी जाकर अपने बूब्स दबवा लेती”। फिर वो मेरी तरफ शरारती मुस्कान से देखती रही। तभी ऋतू दीदी अपनी जगह से उठ कर टॉयलेट की तरफ गए। निरु ने मेरी तरफ आँख से इशारा किया की वो जीजाजी के पास जाए क्या। मैंने उसकी जांघ पर एक चिकोटी काटि और उसको जाने का इशारा किया।

वो बैठि रही और मुझ पर हँसती रही। मैंने उसकी बाह को धक्का देकर उसको हंसी रोकने को कहा। मगर वो मुँह पर हाथ रख हँसती रही और फिर मुझे रुकने का इशारा कर वो उठ गयी और ऋतू दीदी की खाली पड़ी सीट पर जाकर बैठ गयी। वहाँ जाकर उसने जीजाजी के कंधे पर सर रखा और बैठि रही। फिर एक स्माइल के साथ उसने पलट कर मेरी तरफ देखा और जिजाज की एक हथेली पकड़ कर अपनी कमर पर रख दी और फिर उनके कंधे पर सर रख बैठि रही।
 
मै निरु को एक साल से जानता हूँ, और उसकी आदत अच्छे से पता थी। ऐसे कई मौके आये जब उसने मुझे जला कर मजे लेने का कोई मौका नहीं छोड़ा था। उसने इस नाजुक मौके पर भी अपनी आदत नहीं छोड़ी। थोड़ी देर में ऋतू दीदी लौट आए। निरु ने उनकी जगह खाली की और फिर अपनी जगह आकर बैठ गयी। फिर मेरी तरफ देख अपनी पलके ऊपर नीचे कर पूछने लगी की मुझे कैसा लगा।

मैने उसको मैसेज किया की “यहाँ क्यों आयी, वहीं बैठे रहती अपने प्यारे जीजाजी के पास” नीरु ने रिप्लाई किया: “फिर से जाऊं ?”
मैंने हां में इशारा किया
उसने ऋतू दीदी को पुकारा। मैंने उसकी कलाई टाइट पकड़ कर उसको रोका। उसका कोई भरोसा नहीं था, मजाक में वो सच में वापिस जीजाजी के पास चली जाती।

मगर उसने ऋतू दीदी को पूछा “आप सो गयी क्या” ऋतू दीदी अभी जस्ट टॉयलेट से आई ही थी तो सबको पता था की इतनी जल्दी तो सोयी नहीं होगी। ऋतू दीदी को भी निरु की मजाक की आदत अच्छे से पता थी तो एक स्माइल देकर बैठि रही। नीरु ने मेरी तरफ देखा और फिर मुझे मैसेज करने लगी।
“अगली बार जाने को बोला तो सच में जीजाजी की गोदी में जाकर बैठ जाउंगी”
मैने अपने दोनों हाथ जोड लिए की माफ़ करो, अब नहीं बोलूँगा जाने के लिये।

मैंने निरु को फिर मैसेज किया: “तुम तो बूब्स दबवाने गयी थी जीजाजी से, दबवाये नहीं?”
नीरु ने रिप्लाई किया: “मेरी पीठ तुम्हारी तरफ थी, तुम्हे क्या पता? जीजाजी ने मेरे शर्ट में हाथ डाल कर मेरे मम्मी दबाये थे”
मैने मैसेज किया: “बूब्स के साथ साथ अपनी चूत भी छूने देति, तुमको आराम मिलता”
नीरु का रिप्लाई: “अगली बार दीदी टॉयलेट जायेगी तो अपनी चूत भी जीजाजी से रगड़वा लुंगी”
मेरा रिप्लाई: “अपनी दीदी की चिन्ता छोडो, उनकी चूत मैं रगड़ दूंगा”
यह पढ़कर निरु को इतना गुस्सा आया की उसने मेरी कलाई पर एक जोर की चिकोटी काटी। मुझे इतना दर्द हुआ की अपना हाथ पीछे खींचना पड़ा और वहाँ की स्किन लाल हो गयी। मैं अपनी कलाई रगडने लगा।

नीरु ने फिर मुझे मैसेज किया: “ख़बरदार जो ऋतू दीदी को बीच में लाये”
मैने रिप्लाई किया: “तुम भी तो जीजा जी को बीच में ला रही हो”
नीरु का रिप्लाई: “जीजा जी को बीच में मैं नहीं लायी, तुम लाये थे”
मेरा रिप्लाई: “तुमने जीजाजी से डॉगी स्टाइल में चुदवाया तो ऋतू दीदी ने मुझे मेरी फेवरेट काऊबॉय पोजीशन में चोदा था। तुमसे भी बेटर तरीके से”
नीरु का रिप्लाई: “चुप करो, मेरी दीदी के बारे में इतनी गन्दी बातें मत करो”
मेरा रिप्लाई: “तुम भी तो जीजाजी के बारे में गन्दी बातें कर रही हो”
नीरु: “वो मेरे जीजाजी हैं मैं उनके लिए कुछ भी बोलु, तुम्हे क्या करना?”
मेरा रिप्लाई: “ऋतू दीदी मेरी भी साली है। मैं कुछ भी कह सकता हूँ। उनके मम्मे तुम्हारे मम्मो से भी बड़े हैं”

नीरु ने मेरी तरफ देखा और उसकी आँखें बड़ी बड़ी गोल हो गयी और मुँह पूरा फाड़ कर मुझे देखने लगी। फिर मुँह बंद कर एक नजर अपने मम्मो की तरफ देखा और फिर दूसरी नजर साइड में कर ऋतू दीदी के मम्मो की तरफ देखा। नीरु ने फिर मेरी तरफ देख मेरी कलाई पकड़ ली। अब हसने की बारी मेरी थी। उसने मुझे अब तक बहुत चिढा लिया था। अब मेरी बारी थी। मुझे उसकी कमजोर नस मिल चुकी थी। मैं एक हाथ से ही मैसेज करने लगा।
 
मेरा मैसेज: “तुम्हारे निप्पल तो किशमिश जैसे हैं, ऋतू दीदी के तो अंगूर की तरह बढे हैं”
नीरु ने मैसेज पढ़ अपने दांत पिस्ते हुए मेरी कलाई और जोर से दबा दि।
मैंने निरु को फिर मैसेज किया “तुम्हारी चूत पर बाल हैं, ऋतू दीदी की सफ़ाचट चूत हैं”
नीरु ने मेरी कलाई छोड़ कर मेरा मोबाइल ही मुझसे छीन लिया। दूसरी तरफ से ऋतू दीदी हम दोनों की नोक झोंक देख कर हंस रहे थे।
ऋतू दीदी को क्या पता की मैंने हम दोनों की सच्चाई निरु को बता दी थी और निरु इसको मेरा गन्दा मजाक समझ रही थी। नीरु ने हम दोनों के फ़ोन अपने पर्स में रख दिए और मेरे कंधे पर सर रख बैठ गयी।

उसके मम्मे मेरी बाँहों को छु कर दब गए थे। शायद थोड़ी देर पहले निरु जब जीजाजी के चिपक कर इसी तरह बैठि थी तो उसके मम्मे सच में दब गए होंगे। निरु की बातों में कुछ तो सच था। मैने उस से मेरा मोबाइल माँगा पर उसने ना बोल दिया। मैंने उस से रिक्वेस्ट की तो उसने मेरा मोबाइल मुझे दे दिया।

मैने उसको मैसेज किया: “तुमने जब मेरे कंधे पर सर रखा तो तुम्हारे मम्मे मुझे दबे हुए महसूस हो रहे थे”।

मैने उसको मैसेज पढने को बोला और उसने अपना फ़ोन निकाल कर मैसेज पढ़ा। उसने मेरी तरफ देखा जैसे उसको विश्वास नहीं हुआ हो। उसने एक बार फिर मेरे कंधे पर सर रखा और ध्यान देते हुए फील किया। वो फिर पीछे हुयी और हां में गर्दन हिलायी।
मैंने उसको मैसेज किया: “बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो तुम महसूस नहीं करती पर हो रही होती है। जीजाजी की नीयत भी तुम महसूस नहीं कर पायी हो”

नीरु अब सीरियस होकर गर्दन झुकाये बैठ गयी।
फिर उसने धीरे धीरे मैसेज कर भेजा “आर यू सीरियस ? तुमने सच में जीजाजी को मेरा नाम लेकर ऋतू दीदी को चोदते सुना था?”
मेरा रिप्लाई: “हॉ, मैंने तो निरु…निरु ही सुना था”
नीरु का रिप्लाई: ”वाशरूम तो बंद था, फिर आवाज गूंजती भी है, तुम्हे ग़लतफ़हमी भी हो सकती है। ऋतू ऋतू की जगह तुम निरु निरु भी सुन सकते हो!”
मेरा रिप्लाई: “मैंने तो निरु ही सुना था, तुम विश्वास करो या ना करो। तुम चाहे तो जीजाजी का करैक्टर टेस्ट ले लो”

नीरु का रिप्लाई: “मैं कपडे नहीं खोलूँगी”
मेरा रिप्लाई: “बीच पर तो छोटी सी बिकिनी कस्टूम में उनकी गोद में थी। वो कस्टूम भी तो ब्रा और पैंटी जितना ही था। ब्रा और पैंटी में जीजाजी के सामने आ सकती हो?”
नीरु: “बिकिनी भले ही ब्रा और पैंटी जैसी दिखती हो पर दोनों के उसे में फ़र्क़ है। स्वीमिंग कस्टूम में मैं जीजाजी के सामने आ सकती हूँ पर ब्रा और पैंटी में कैसे आउंगी?”

मेरा रिप्लाई: “नंगापन तो दोनों में एक जैसा ही होता है। सोच लो।”
नीरु का रिप्लाई: “पूरा नँगा होकर सामने आने से तो अच्छा हैं मैं ब्रा पैंटी पहने रखु”
मेरा रिप्लाई: “तो फिर तुम इस टेस्ट के लिए रेडी हो?”
नीरु का रिप्लाई: “यह सब करना जरुरी हैं क्या ? और कोई तरीका नहीं हैं? तुम उनसे डायरेक्ट पुछ भी तो सकते हो?”

मेरा रिप्लाई: “क्या पुछु, की क्या आप मेरी बीवी को चोदना चाहते हो। और क्या वो सच बता देंगे? सच जानना हैं तो ऐसा कुछ करना ही पड़ेगा”
नीरु का रिप्लाई: “ठीक है, मैं ब्रा और पैंटी में रहुंगी। पर कोई बहाना तो होना चाहिए ”
मेरा रिप्लाई: “वो मेरे ऊपर छोड़ दो। घर पहुचने तक मैं कुछ न कुछ सोच लूँगा”

मैने कभी सोचा नहीं था की निरु कभी जीजाजी के करैक्टर टेस्ट के लिए मानेंगी पर वो मान चुकी थी। अभी तक मैं जीजाजी को एक्सपोज करने का अकेला ट्राई कर रहा था, अब निरु मेरे साथ थी तो मेरा प्लान सक्सेस होना तो लग रहा था।
 
मुझे अच्छा सा प्लान बनाना था, ताकी अगर मैं झूठा भी साबित हुआ और जीजा जी के मन में निरु के लिए गन्दी भावना ना हो तो भी उन दोनों के रिश्ते पर फ़र्क़ ना पड़े और हम अच्छे से सिचुएशन को कवर कर सके। हलंकी मुझे पूरा भरोसा था की जीजाजी के मन में निरु के लिए क्या था। निरु ने भी मेरे मन में डाउट डाल दिया था की उस दिन वॉशरूम में मैंने “निरु” सुना था या “ऋतू”। मै अब तक अपने प्लान में फेल होता आया था और अब किसी गलती की गुंजाईश नहीं थी।

मैं अपने और निरु के फ़ोन में एक एप्प इनस्टॉल कर दिया। यह मेरे प्लान का हिस्सा था। नीरु बाकी के सफर के दौरान चिन्तित ही रही, शायद वो भी यही सोच रही होगी की वो यह सब कैसे करेगी और मेरा डाउट सच साबित हो न हो तो भी क्या होगा। हम लोगो ने डिनर ट्रैन में ही कर लिया था। मैंने निरु को मैसेज कर बता दिया था की हमें अपना प्लान घर जाते ही एक्सेक्यूट करना है। यह पढ़कर निरु घबरा गयी थी और मेरी तरफ बुझि आँखों से देखने लगी।

अब हम अपने शहर पहुच गए और टैक्सी से घर की तरफ जा रहे थे। जीजाजी निरु का उतरा उतरा चेहरा देख कर उसको खुश करने की कोशिश कर रहे थे और निरु उनकी तरफ देख एक सुखी स्माइल देती और फिर उदास हो जाती। मैंने ही जीजाजी को बोला की शायद निरु सफर की थकान की वजह से उदास हैं। हम लोग घर पहुचे। जीजाजी का प्रोग्राम पहले से तय था की रात को वो लोग हमारे घर रुकेंगे और अगली सुबह ही अपने घर के लिए निकलेँगे। जीजाजी और दीदी हमारे गेस्ट रूम में चेंज करने गए और मैं निरु के साथ अपने बेडरूम मे। निरु का मूड अभी भी ख़राब था और परेशान थी।

प्रशांत: “निरु तुम रेडी हो?”
नीरु ने उतरे हुए चेहरे के साथ बेमान से अपनी गर्दन हां में हिलायी।
प्रशांत: “तो फिर प्लान के मुताबिक अपने कपडे उतारो और सिर्फ ब्रा और पैंटी में आ जाओ”
नीरु ने अपना शर्ट निकला और ब्रा में आ गयी। फिर अपनी जीन्स निकाल दि। अब वो सिर्फ लके वाले ब्लू कलर्ड ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। निरु को देख मेरी भावनाये भड़क रही थी, जीजाजी का क्या हाल होने वाला था मुझे पता था।

प्रशांत: “तुम बेड पर डॉगी स्टाइल में बैठ जाओ और पीछे मुड़कर मत देखना। मैं जीजाजी और दीदी के कमरे में जाकर किसी बहाने से जीजाजी को तुम्हारे पास भेजूँगा”
नीरु: “अगर उन्होंने कुछ नहीं किया और पुछ लिया की मैं ऐसे क्यों बैठि हूँ तो?”
प्रशांत: “तो बोल देना, तुम मेरा वेट कर रही थी। उनको भी पता हैं की मियाँ बीवी में यह सब चलता हैं”
नीरु: “प्रशांत मुझे डर लग रहा है, अगर जीजाजी ने सच में मेरे साथ कुछ कर दिया तो!”
प्रशांत: “मैं बाहर ही तो हूँ, मैं अन्दर आ जाऊंगा। मेरे पास रूम की चाबी भी है। तुम चिन्ता मत करो। हमें सिर्फ जीजाजी को एक्सपोज करना है।

अच्छा बताओ अगर उन्होंने तुम्हारे साथ कुछ करने की कोशिश की तो तुम क्या करोगी?”
नीरु: “पता नहीं!”
प्रशांत: “क्या बोल रही हो, पता नहीं !!”
नीरु: “मैं उनको रोक दूंगी और चिल्लाऊंगी”
प्रशांत: “ठीक हैं, गूड, तुम जल्दी से बैठ जाओ, मैं जीजाजी को भेजता हूँ”
नीरु अब डरते हुए बेड पर डॉगी स्टाइल में जा बैठि। उसका पिछवाडा दरवाजे की तरफ था। मैं अब बाहर गया।

अब मेरे प्लान के शुरू होने की बारी थी। मुझे जीजाजी का टेस्ट लेने से पहले निरु का एक टेस्ट लेना था। आखिर निरु के मन में जीजाजी के लिए क्या चल रहा हैं वो देखना था। जीजजी और ऋतू दीदी का दरवाजा अभी भी बंद था। मैंने २-३ मिनट वेट किया। फिर मैं अपने बेडरूम का दरवाजा खोल अन्दर गया औए दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया। नीरु का शरीर दरवाजे की आवाज सुनकर पूरा हील गया, उसको लग रहा था की जीजाजी रूम में आ चुके है।

मैं चलते हुए बेड के करीब गया। मेरे कहे अनुसार निरु ने पीछे पलट कर नहीं देखा था। मै बेड पर चढ़ गया और घुटनों के बल निरु के पिछवाड़े आ गया। निरु के शरीर में हल्का सा कम्पन था। उसको बात इतनी आगे निकलने की उम्मीद नहीं थी। मैने उसकी पैंटी पकड़ी और उसकी गांड से नीचे खिसकाना शुरू कर दिया। उसके हाथ पैर अब बुरी तरह से थर्र थर्र काम्पने लगे थे। निरु की पैंटी मैंने अब जाँघो से नीचे कर घुटनों तक लाया।

मैने अपने नीचे के कपडे खिसकाएं और नीचे से नँगा हो गया। निरु ने मुझे अभी तक नहीं रोका था। हालाँकि वो डर से बुरी तरह काम्प रही थी। मैने डॉगी स्टाइल में चोदने की पोजीशन ली और उसकी नंगी गांड पर अपने दोनों हाथ रख दिए। उसकी थर्र थर्र काम्पती गांड पर रखे मेरे हाथ भी कम्पन करने लगे थे। नीरु की हालत देखकर मेरा लण्ड तो वैसे ही कड़क हो चुका था। मैंने अपना एक हाथ निरु की गांड से हटा कर अपने लण्ड को पकड़ा और निरु की चूत और गांड की दरार में रगड़ा। नीरु के मुँह से आह करती हुयी साँस निकली।

मैंने अपना लण्ड निरु की चूत के छेद पर अडा लिया। मुझे उम्मीद थी की निरु अब पलट कर मुझे रोक देगी या चिल्लायेगी पर ऐसा नहीं हुआ। मैने अपना लण्ड निरु की चूत में थोड़ा घुसाया और निरु के मुँह से एक तिखी आह निकली और फिर मैंने अपना लण्ड धीरे धीरे पूरा निरु की चूत में उतार कर उसकी गांड को दोनों हाथों से थाम लिया। नीरु गाय की तरह चुपचाप बैठि रही। मैंने अपना लण्ड एक बार थोड़ा बाहर खींच फिर तेजी से अन्दर घुसा दिया। निरु ने मुँह खोल कर एक लम्बी आह निकाली। निरु की गांड ऐसे कम्पन कर रही थी जैसे कोई हल्का सा भूकम्प आ गया हो।

मैने अब धक्के मारना शुरू किया और निरु तेज सांन्सें मारते हुए डरी हुयी सिसकियाँ भरने लगी और उसके मुँह से “जीजाजी” निकला और उसके २ सेकंड के बाद “ओह नो” निकला। जैसे जैसे मेरा लण्ड निरु की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मेरे दिल पर चाक़ू चल रहा था। मै समझ नहीं पा रहा था की निरु ने अब तक मुझे रोका क्यों नहीं।

वो मुँह से “जीजा जी ओह नो” बोल रही हैं पर उसका शरीर उसकी आवाज का साथ देकर कोई विरोध नहीं कर रहा था। अगर मैं यह एक्सपेरिमेंट नहीं करता तो शायद अभी जीजाजी निरु को चोद रहे होते और निरु उनको चोदने भी देती। निरु के लिए तो अभी यही सच्चाई थी की वो अपने जीजा से चुदवा रही थी और वो भी बिना विरोध के।

मुझे ही डर लग रहा था क्युकी मैं बिना प्रोटेक्शन के निरु को चोद रहा था। बाद में जब उसको पता चलेगा की मैं उसको बिना प्रोटेक्शन के चोद रहा था तो मुझे पर ही गुस्सा करेगी। मुझे निरु बिना प्रोटेक्शन के १५ सेकंड से जायदा चोदने नहीं देति, मगर फिलहाल वो मुझे जीजाजी समझ कर २-३ मिनट से बिना प्रोटेक्शन चोदने दे रही थी। नीरु का दिल रो रहा था या नहीं पर मेरा मेरा दिल रो रहा था। निरु ने मेरा दिल तोड़ दिया। उसको अपने जीजाजी से चुदवाते हुए जरा भी ऑब्जेक्शन नहीं था।

क्या निरु अपने जीजा से चुदवाने को मेंटली तयारी थी? शायद मेरी ही गलती है। मैंने उसके जीजाजी पर शक़ कर उसको मेंटली तैयार कर दिया था। ट्रेन में भी वो जिस तरह से जीजाजी को लेकर गंदे मजाक कर रही थी हो सकता हैं उसको मैंने इन सब कामो के लिए खुद ही तैयार कर दिया था। मेरा दिमाग ख़राब हो गया और मैंने जोर जोर के झटके मार निरु को चोदना शुरू कर दिया।
 
निरु की भी आहें अब तेज सिसकियों में बदल गयी और अब वो “जीजाजी… धीरे” बोले जा रही थी। मेरे दिल में और आग लग गयी। वो “जीजाजी मत करो” भी कह सकती थी। मगर उसने धीरे करने को कहा, मतलब वो चुदवाने को तैयार हैं अगर जीजाजी उसको धीरे धीरे प्यार से चोदे तो।

अपनी चूत में पड़ते झटके से निरु अब बेहाल हो गयी और मुँह खोलते हुए एक बड़ी आह भरी और
“ओह माय गॉड जीजाजी… आआह्ह्ह … ओह्ह्ह्हह जीजाजी … स्लो … उम्म्म्म … आईए … जीजाजी … आआह्ह … धीरे” बोलते हुए अपना सर ऊपर छत की तरफ उठा यह सब बोलति रही। इन सब तेज झटको और निरु की सिसकिया सुनकर मेरी गोटियो में जमा मेरा जूस अब लण्ड की नलि में इकट्ठा हो गया था। अब मेरा जूस मेरे लण्ड से बाहर आने को उतारू था।

मैने अपने शरीर को टाइट कर लिया और अपने जूस को छुट्ने से रोके रखा। मगर अब मेरे लिए यह मुश्किल था। मैंने अपना लण्ड निरु की चूत से निकाल दिया। नीरु की तेज तेज आती सिसकियों का संगीत अब एकदम बंद हो गया था। उसका सर जो छत की तरफ खड़ा था अब उसकी गर्दन झुक गयी और वो नीचे पड़े पिलो को देख रही थी। मुझे समझ नहीं आया की क्या करू?

निरु को सब सच्चाई बता दु या थोड़ा इन्तेजार करू की अब वो शायद पीछे मुड कर मुझे रोक दे। अपना लण्ड में फिर अन्दर डालना नहीं चाह रहा था क्यों की मैं झड़ जाता। नीरु कुछ सेकण्ड्स ऐसे गर्दन झुकाये डॉगी स्टाइल में बैठि रही। मैंने ही अब अपना एक हाथ उसकी गांड से हटाया और अपनी उंगलिया उसकी चूत और गांड के छेद के बाहर रगडना शुरू किया। जैसे ही मेरी उंगलियो ने निरु के छेद को रगडा तो निरु की झुकि हुयी गर्दन थोड़ी उठी और अब वो फिर सामने देखने लगी और एक हलकी आह निकली।

जैसे जैसे मैं निरु की चूत और गांड के छेद को रगड रहा था मैंने देखा उसकी गांड और जाँघे काम्प रही थी, जैसे बरफ के पानी में खड़ा कर दिया हो और उसकी ठण्ड से कम्पकपी छूट रही हो। मैने अब अपनी मिडिल फिंगर निरु की चूत में थोड़ी घुसेड दि। निरु की चूत का तापमान एकदम गरम था।

अपनी ऊँगली वही रखते हुए मैंने अब अपना थंब निरु की गांड में घुसेड दिया। नीरु के दोनों छेद जैसे ही मेरी उंगलियो से बंद हुए तो उसकी एक कराह निकली। मैंने अब अपनी दोनों उंगलिया उसके छेद में और अन्दर उतार दी और अन्दर बाहर करने लगा।

निरु के मुँह से एक बार फिर रह रह कर आह आह निकलने लगी। मेरा लण्ड की नलि में जमा पानी अब शांत हो चुका था पर निरु की सिसकियों से मेरा लण्ड अभी भी कड़क था। मुझे निरु पर गुस्सा भी आ रहा था। वो मेरी उंगलियो से चुद कर सिसकिया भर मजे ले रही थी। मैने अपनी उंगलिया उसके दोनों छेद से बाहर निकली और निरु की गर्दन एक बार फिर झुक गयी और आहें बंद हुयी। मैंने फिर पोजीशन लेकर अपना लण्ड उसके दोनों छेद पर रगडा।

नीरु मुँह बंद किये हम्म्म हम्म्म कर रही थी। मैंने अपना लण्ड एक बार फिर निरु के चूत में उतार कर धक्के मारना शुरू किया और निरु फिर सर उठाये सिसकिया भरने लगी "जीजा जी...ओह नो" कहना शुरू कर दिया।थोड़ी देर चोदने के बाद ही मुझे लगा की निरु अब झड़ने वाली है। उसकी सिसकिया अब बहुत घरी और लगातार आ रही थी। बीच बीच में वो

"जीजाजी.. ओह...नो"

जरूर बोल रही थी।

नीरु का शरीर अब एकदम कड़ा हो चुका था। निरु के मुँह से जानी पहचानी

"हूउउउन... हुउउउउन... ऊऊह्ह्ह ह्हुउउ उउउ... ीीेहठ"

की आवाज आ रही थी। इसी तरह आवाजें निकालते हुए निरु अब झड़ चुकी थी और थोड़ा शांत हो गयी थी। नीरु को झड़ता देख मेरे लण्ड का पानी बाहर निकलने को उफ़नने लगा था। मन में इतना गुस्सा भर गया की निरु मुझे अपने जीजाजी समझ मुझसे पूरा मजा लेकर झड़ चुकी थी। एक तरह से वो मन से अपने जीजाजी से चुदवा चुकी थी। मै झड़ने के करीब था और निरु की चूत में नहीं झड़ सकता था।

मैंने गुस्से में वो किया जो आज तक नहीं किया था। मैंने हमेशा सुना था की गांड मार भी सकते हैं और इच्छा भी थी। शादी के इन एक साल में मैंने दो-तीन बार निरु को बोला था की हम गांड मारते हैं पर निरु ने मना कर दिया की दर्द होता है। मेरे सामने निरु की गांड का छेद था और अब झड़ने के लिए उसकी गांड से बेहतर जगह नहीं हो सकती थी। मैने अपना लण्ड निरु की चूत से निकाला और उसकी गांड के छेद को खोल उसमे डाल दिया।

निरु के मुँह से चिल्लाते हुए

"ओह्ह्ह्ह जिजाजीई" निकला।

मैने निरु की गांड में हलके हलके धक्के मारने शुरू किया और हर धक्के के साथ लण्ड गांड में जाते ही निरु

"ओह्ह्ह्ह जीजा" कहति

मुझे गांड मारने से निरु ने हमेशा मना किया पर आज वो मुझे जीजा समझ गांड भी मारने दे रही थी। मेरा गुस्सा अब सातवे आसमान पर था। मैंने एक जोर का झटका निरु की गांड में मारा और निरु की चख निकली

"आईईए"

मैं दूसरा झटका मारने के लिए लण्ड पीछे खीचा और उसके पहले ही निरु उच्छल कर आगे खिसक गयी और मेरा लण्ड निरु की गांड के बाहर आ गया। पीछे मुडते हुए निरु के मुँह से निकला

"जीजाजी नहीं, दर्द हो..."

और मुझे देखते ही उसने अपना एक हाथ अपने मुँह पर रख लिया। उसने अपना मुँह फिर आगे किया और चेहरा तकिये में घुसा कर सुबकना शुरू कर दिया।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह रोना धोना किस कारण से था। जीजाजी से चुदने की शर्म की वजह से था या फिर राहत थी की उसने जीजाजी से नहीं चुदवाया बल्कि मुझसे चुदवाया था। मै घुटनों के बल चलते हुए उसके साइड में आया। उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको दिलासा दिया। मुझे आखिर अच्छा लगा की देर से ही सही पर निरु ने चुदाई को रोकने को कहा था। मगर काफी देर भी कर दी थी।

प्रशांत: "निरु, रोना बंद करो। कुछ नहीं हुआ है, मैं ही हूँ"

नीरु ने तकिये से मुँह निकला और मेरी तरफ देखा। उसकी आँखें आँसुओ से भरी थी। उसका रोता हुआ चेहरा देख मुझे अच्छा नहीं लगा। झूठा ही सही, मैंने उसका दिल तोड़ दिया था। नीरु अब घुटनों के बल खड़ी हो गयी। फिर मेरी तरफ पलती और मेरे सीने से लग फिर सुबकने लगी। मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसको शांत किया। थोड़ी देर बाद वो पीछे हति और सुबकते हुए बात करने लगी।

नीरु: "ऐसा क्यों किया तुमने? पता हैं मेरे दिल की धड़कन कितनी तेज हो गयी थी, मुझे हार्ट अटैक आ जाता तो? क्यों किया तुमने ऐसा?"

हलाँकि मैं भी निरु का करैक्टर टेस्ट ले रहा था पर सच सुनकर उसको बुरा लगता। इसलिए मैंने झूठ बोल दिया।

प्रशांत: "मैं बस चेक कर रहा था की तुम प्लान को ढंग से फॉलो करोगी या नहीं। तुम कुछ गड़बड़ कर दोगी तो प्लान फेल हो जाएगा। तुमने मना बोलने में बहुत देर कर दी"

नीरु: "मैं इन्तेजार कर रही थी की तुम अन्दर कब आओगे। मैं रोकना चाह रही थी पर जीजाजी को फेस करने की हिम्मत नहीं हो रही थी। जब तुम इतनी देर नहीं आये तो फिर मुझको ही रोकना पड़ा"

प्रशांत: "अब रोना बंद करो, कुछ भी नहीं हुआ है। तुम अब असली टेस्ट के लिए रेडी हो? मैं अब सच में जीजाजी को बुलाने वाला हूँ"

नीरु: "मुझसे नहीं होगा प्रशांत अब यह सब। मुझे नहीं करना"

प्रशांत: "अरे तुमने बहुत अच्छा किया है। सोचो अगर जीजाजी ने आकर कुछ नहीं किया तो! सब ठीक हो जायेगा न"

नीरु: "अभी जो हुआ उसके बाद मुझे डर लग रहा है। अगर सच में जीजाजी ने मुझे चोद दिया तो?"

प्रशांत: "तो फिर मैं अन्दर आ जाऊँगा"

नीरु: "तुम टाइम पर नहीं आये और तब तक जीजाजी ने मुझे चोदना शुरू कर दिया तो? मुझे यह रिस्क नहीं लेना। मैं यह सब बुरी फीलिंग फिर से नहीं लेना चाहती"

प्रशांत: "अभी तो मैं अन्दर ही था तो कैसे आता? मैं एकदम टाइम पर आ जाऊंगा। मैंने तुम्हारे और मेरे फ़ोन में एक एप्प डाउनलोड की है। एक फ़ोन यहाँ रखकर वीडियो बनाएगा और दूसरा बाहर मेरे पास रहेगा। जैसे ही जीजाजी कुछ गड़बड़ करेंगे, मैं अन्दर आ जाउँगा"

नीरु: "मुझे इस पर भरोसा नहीं है। तुम यहीं कमरे में रहो"

प्रशांत: "मैं यहाँ रहूँगा तो जीजाजी कुछ करेंगे ही नहीं। उनका टेस्ट कैसे होगा?"

नीरु: "तुम यहीं कहीं छूप जाओ। बेड के नीचे या अलमारी में"

प्रशांत: "उनको क्या लगेगा की हमने उनको जान बूझकर ट्रैप किया है। मुझे बाहर ही रहना होगा। जीजाजी जैसे ही तुम्हारे साथ कुछ करने लगेगे, तुम चिल्ला कर मुझे बुला लेना"

नीरु: "नहीं, जीजाजी ने कुछ किया तो मैं उन्हें मना नहीं बोल पाउँगी। अभी भी मैं मना नहीं बोल पायी थी"

प्रशांत: "हो जायेगा निरु"

नीरु: "ऋतू दीदी का क्या होगा? उनका तो जीजाजी से भरोसा उठ जाएगा। मुझे किसी को इस हालात में नहीं डालना है। जीजाजी पकडे गए तो हंगामा होगा और हम चारो के रिश्ते के लिए ठीक नहीं हैं"

प्रशांत: "तो फिर तुम्हे जीजाजी की सच्चाई कभी पता नहीं चलेगी"

नीरु: "मुझे फ़र्क़ नहीं पडता, मुझे नहीं जानना की उनकी सच्चाई क्या हैं"
 
मैने कभी सोचा नहीं था की निरु कभी जीजाजी के करैक्टर टेस्ट के लिए मानेंगी पर वो मान चुकी थी। अभी तक मैं जीजाजी को एक्सपोज करने का अकेला ट्राई कर रहा था, अब निरु मेरे साथ थी तो मेरा प्लान सक्सेस होना तो लग रहा था।

मुझे अच्छा सा प्लान बनाना था, ताकी अगर मैं झूठा भी साबित हुआ और जीजा जी के मन में निरु के लिए गन्दी भावना ना हो तो भी उन दोनों के रिश्ते पर फ़र्क़ ना पड़े और हम अच्छे से सिचुएशन को कवर कर सके। हलंकी मुझे पूरा भरोसा था की जीजाजी के मन में निरु के लिए क्या था। निरु ने भी मेरे मन में डाउट डाल दिया था की उस दिन वॉशरूम में मैंने “निरु” सुना था या “ऋतू”। मै अब तक अपने प्लान में फेल होता आया था और अब किसी गलती की गुंजाईश नहीं थी।

मैं अपने और निरु के फ़ोन में एक एप्प इनस्टॉल कर दिया। यह मेरे प्लान का हिस्सा था। नीरु बाकी के सफर के दौरान चिन्तित ही रही, शायद वो भी यही सोच रही होगी की वो यह सब कैसे करेगी और मेरा डाउट सच साबित हो न हो तो भी क्या होगा। हम लोगो ने डिनर ट्रैन में ही कर लिया था। मैंने निरु को मैसेज कर बता दिया था की हमें अपना प्लान घर जाते ही एक्सेक्यूट करना है। यह पढ़कर निरु घबरा गयी थी और मेरी तरफ बुझि आँखों से देखने लगी।

अब हम अपने शहर पहुच गए और टैक्सी से घर की तरफ जा रहे थे। जीजाजी निरु का उतरा उतरा चेहरा देख कर उसको खुश करने की कोशिश कर रहे थे और निरु उनकी तरफ देख एक सुखी स्माइल देती और फिर उदास हो जाती। मैंने ही जीजाजी को बोला की शायद निरु सफर की थकान की वजह से उदास हैं। हम लोग घर पहुचे। जीजाजी का प्रोग्राम पहले से तय था की रात को वो लोग हमारे घर रुकेंगे और अगली सुबह ही अपने घर के लिए निकलेँगे। जीजाजी और दीदी हमारे गेस्ट रूम में चेंज करने गए और मैं निरु के साथ अपने बेडरूम मे। निरु का मूड अभी भी ख़राब था और परेशान थी।

प्रशांत: “निरु तुम रेडी हो?”
नीरु ने उतरे हुए चेहरे के साथ बेमान से अपनी गर्दन हां में हिलायी।
प्रशांत: “तो फिर प्लान के मुताबिक अपने कपडे उतारो और सिर्फ ब्रा और पैंटी में आ जाओ”
नीरु ने अपना शर्ट निकला और ब्रा में आ गयी। फिर अपनी जीन्स निकाल दि। अब वो सिर्फ लके वाले ब्लू कलर्ड ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। निरु को देख मेरी भावनाये भड़क रही थी, जीजाजी का क्या हाल होने वाला था मुझे पता था।

प्रशांत: “तुम बेड पर डॉगी स्टाइल में बैठ जाओ और पीछे मुड़कर मत देखना। मैं जीजाजी और दीदी के कमरे में जाकर किसी बहाने से जीजाजी को तुम्हारे पास भेजूँगा”
नीरु: “अगर उन्होंने कुछ नहीं किया और पुछ लिया की मैं ऐसे क्यों बैठि हूँ तो?”
प्रशांत: “तो बोल देना, तुम मेरा वेट कर रही थी। उनको भी पता हैं की मियाँ बीवी में यह सब चलता हैं”
नीरु: “प्रशांत मुझे डर लग रहा है, अगर जीजाजी ने सच में मेरे साथ कुछ कर दिया तो!”
प्रशांत: “मैं बाहर ही तो हूँ, मैं अन्दर आ जाऊंगा। मेरे पास रूम की चाबी भी है। तुम चिन्ता मत करो। हमें सिर्फ जीजाजी को एक्सपोज करना है।

अच्छा बताओ अगर उन्होंने तुम्हारे साथ कुछ करने की कोशिश की तो तुम क्या करोगी?”
नीरु: “पता नहीं!”
प्रशांत: “क्या बोल रही हो, पता नहीं !!”
नीरु: “मैं उनको रोक दूंगी और चिल्लाऊंगी”
प्रशांत: “ठीक हैं, गूड, तुम जल्दी से बैठ जाओ, मैं जीजाजी को भेजता हूँ”
नीरु अब डरते हुए बेड पर डॉगी स्टाइल में जा बैठि। उसका पिछवाडा दरवाजे की तरफ था। मैं अब बाहर गया।

अब मेरे प्लान के शुरू होने की बारी थी। मुझे जीजाजी का टेस्ट लेने से पहले निरु का एक टेस्ट लेना था। आखिर निरु के मन में जीजाजी के लिए क्या चल रहा हैं वो देखना था। जीजजी और ऋतू दीदी का दरवाजा अभी भी बंद था। मैंने २-३ मिनट वेट किया। फिर मैं अपने बेडरूम का दरवाजा खोल अन्दर गया औए दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया। नीरु का शरीर दरवाजे की आवाज सुनकर पूरा हील गया, उसको लग रहा था की जीजाजी रूम में आ चुके है।

मैं चलते हुए बेड के करीब गया। मेरे कहे अनुसार निरु ने पीछे पलट कर नहीं देखा था। मै बेड पर चढ़ गया और घुटनों के बल निरु के पिछवाड़े आ गया। निरु के शरीर में हल्का सा कम्पन था। उसको बात इतनी आगे निकलने की उम्मीद नहीं थी। मैने उसकी पैंटी पकड़ी और उसकी गांड से नीचे खिसकाना शुरू कर दिया। उसके हाथ पैर अब बुरी तरह से थर्र थर्र काम्पने लगे थे। निरु की पैंटी मैंने अब जाँघो से नीचे कर घुटनों तक लाया।

मैने अपने नीचे के कपडे खिसकाएं और नीचे से नँगा हो गया। निरु ने मुझे अभी तक नहीं रोका था। हालाँकि वो डर से बुरी तरह काम्प रही थी। मैने डॉगी स्टाइल में चोदने की पोजीशन ली और उसकी नंगी गांड पर अपने दोनों हाथ रख दिए। उसकी थर्र थर्र काम्पती गांड पर रखे मेरे हाथ भी कम्पन करने लगे थे। नीरु की हालत देखकर मेरा लण्ड तो वैसे ही कड़क हो चुका था। मैंने अपना एक हाथ निरु की गांड से हटा कर अपने लण्ड को पकड़ा और निरु की चूत और गांड की दरार में रगड़ा। नीरु के मुँह से आह करती हुयी साँस निकली।
 
मैंने अपना लण्ड निरु की चूत के छेद पर अडा लिया। मुझे उम्मीद थी की निरु अब पलट कर मुझे रोक देगी या चिल्लायेगी पर ऐसा नहीं हुआ। मैने अपना लण्ड निरु की चूत में थोड़ा घुसाया और निरु के मुँह से एक तिखी आह निकली और फिर मैंने अपना लण्ड धीरे धीरे पूरा निरु की चूत में उतार कर उसकी गांड को दोनों हाथों से थाम लिया। नीरु गाय की तरह चुपचाप बैठि रही। मैंने अपना लण्ड एक बार थोड़ा बाहर खींच फिर तेजी से अन्दर घुसा दिया। निरु ने मुँह खोल कर एक लम्बी आह निकाली। निरु की गांड ऐसे कम्पन कर रही थी जैसे कोई हल्का सा भूकम्प आ गया हो।

मैने अब धक्के मारना शुरू किया और निरु तेज सांन्सें मारते हुए डरी हुयी सिसकियाँ भरने लगी और उसके मुँह से “जीजाजी” निकला और उसके २ सेकंड के बाद “ओह नो” निकला। जैसे जैसे मेरा लण्ड निरु की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था मेरे दिल पर चाक़ू चल रहा था। मै समझ नहीं पा रहा था की निरु ने अब तक मुझे रोका क्यों नहीं।

वो मुँह से “जीजा जी ओह नो” बोल रही हैं पर उसका शरीर उसकी आवाज का साथ देकर कोई विरोध नहीं कर रहा था। अगर मैं यह एक्सपेरिमेंट नहीं करता तो शायद अभी जीजाजी निरु को चोद रहे होते और निरु उनको चोदने भी देती। निरु के लिए तो अभी यही सच्चाई थी की वो अपने जीजा से चुदवा रही थी और वो भी बिना विरोध के।

मुझे ही डर लग रहा था क्युकी मैं बिना प्रोटेक्शन के निरु को चोद रहा था। बाद में जब उसको पता चलेगा की मैं उसको बिना प्रोटेक्शन के चोद रहा था तो मुझे पर ही गुस्सा करेगी। मुझे निरु बिना प्रोटेक्शन के १५ सेकंड से जायदा चोदने नहीं देति, मगर फिलहाल वो मुझे जीजाजी समझ कर २-३ मिनट से बिना प्रोटेक्शन चोदने दे रही थी। नीरु का दिल रो रहा था या नहीं पर मेरा मेरा दिल रो रहा था। निरु ने मेरा दिल तोड़ दिया। उसको अपने जीजाजी से चुदवाते हुए जरा भी ऑब्जेक्शन नहीं था।

क्या निरु अपने जीजा से चुदवाने को मेंटली तयारी थी? शायद मेरी ही गलती है। मैंने उसके जीजाजी पर शक़ कर उसको मेंटली तैयार कर दिया था। ट्रेन में भी वो जिस तरह से जीजाजी को लेकर गंदे मजाक कर रही थी हो सकता हैं उसको मैंने इन सब कामो के लिए खुद ही तैयार कर दिया था। मेरा दिमाग ख़राब हो गया और मैंने जोर जोर के झटके मार निरु को चोदना शुरू कर दिया।

निरु की भी आहें अब तेज सिसकियों में बदल गयी और अब वो “जीजाजी… धीरे” बोले जा रही थी। मेरे दिल में और आग लग गयी। वो “जीजाजी मत करो” भी कह सकती थी। मगर उसने धीरे करने को कहा, मतलब वो चुदवाने को तैयार हैं अगर जीजाजी उसको धीरे धीरे प्यार से चोदे तो।

अपनी चूत में पड़ते झटके से निरु अब बेहाल हो गयी और मुँह खोलते हुए एक बड़ी आह भरी और
“ओह माय गॉड जीजाजी… आआह्ह्ह … ओह्ह्ह्हह जीजाजी … स्लो … उम्म्म्म … आईए … जीजाजी … आआह्ह … धीरे” बोलते हुए अपना सर ऊपर छत की तरफ उठा यह सब बोलति रही। इन सब तेज झटको और निरु की सिसकिया सुनकर मेरी गोटियो में जमा मेरा जूस अब लण्ड की नलि में इकट्ठा हो गया था। अब मेरा जूस मेरे लण्ड से बाहर आने को उतारू था।

मैने अपने शरीर को टाइट कर लिया और अपने जूस को छुट्ने से रोके रखा। मगर अब मेरे लिए यह मुश्किल था। मैंने अपना लण्ड निरु की चूत से निकाल दिया। नीरु की तेज तेज आती सिसकियों का संगीत अब एकदम बंद हो गया था। उसका सर जो छत की तरफ खड़ा था अब उसकी गर्दन झुक गयी और वो नीचे पड़े पिलो को देख रही थी। मुझे समझ नहीं आया की क्या करू?

निरु को सब सच्चाई बता दु या थोड़ा इन्तेजार करू की अब वो शायद पीछे मुड कर मुझे रोक दे। अपना लण्ड में फिर अन्दर डालना नहीं चाह रहा था क्यों की मैं झड़ जाता। नीरु कुछ सेकण्ड्स ऐसे गर्दन झुकाये डॉगी स्टाइल में बैठि रही। मैंने ही अब अपना एक हाथ उसकी गांड से हटाया और अपनी उंगलिया उसकी चूत और गांड के छेद के बाहर रगडना शुरू किया। जैसे ही मेरी उंगलियो ने निरु के छेद को रगडा तो निरु की झुकि हुयी गर्दन थोड़ी उठी और अब वो फिर सामने देखने लगी और एक हलकी आह निकली।

जैसे जैसे मैं निरु की चूत और गांड के छेद को रगड रहा था मैंने देखा उसकी गांड और जाँघे काम्प रही थी, जैसे बरफ के पानी में खड़ा कर दिया हो और उसकी ठण्ड से कम्पकपी छूट रही हो। मैने अब अपनी मिडिल फिंगर निरु की चूत में थोड़ी घुसेड दि। निरु की चूत का तापमान एकदम गरम था।

अपनी ऊँगली वही रखते हुए मैंने अब अपना थंब निरु की गांड में घुसेड दिया। नीरु के दोनों छेद जैसे ही मेरी उंगलियो से बंद हुए तो उसकी एक कराह निकली। मैंने अब अपनी दोनों उंगलिया उसके छेद में और अन्दर उतार दी और अन्दर बाहर करने लगा।

निरु के मुँह से एक बार फिर रह रह कर आह आह निकलने लगी। मेरा लण्ड की नलि में जमा पानी अब शांत हो चुका था पर निरु की सिसकियों से मेरा लण्ड अभी भी कड़क था। मुझे निरु पर गुस्सा भी आ रहा था। वो मेरी उंगलियो से चुद कर सिसकिया भर मजे ले रही थी। मैने अपनी उंगलिया उसके दोनों छेद से बाहर निकली और निरु की गर्दन एक बार फिर झुक गयी और आहें बंद हुयी। मैंने फिर पोजीशन लेकर अपना लण्ड उसके दोनों छेद पर रगडा।
 
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