bahan sex kahani कमसिन बहन - Page 2 - SexBaba
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bahan sex kahani कमसिन बहन

मंजू भी हैरान थी की ऐसे कौन भला अपनी बहन को नंगा देखता है,
पर फिर उसने सोचा की इसमे बुराई ही क्या है, कुछ साल पहले तक तो वो तीनों ही कई बार एक दूसरे के सामने नंगे होकर नहाया करते थे....
इसलिए उसने वो विचार त्याग दिया..

इधर विक्की की हालत खराब थी, वो मन ही मन अपनी हिम्मत की तारीफ कर रहा था जिसने ऐसा काम कर डाला था..
अपनी बहन के नंगे मुम्मे ठीक उसकी नज़रों के सामने थे...
उसने काँपते हाथो से उसे टी शर्ट दी जो उसने झट्ट से पहन ली और फिर शॉर्ट्स भी.

पानी से मुँह धोकर वो अपनी फोटो खिचवाने के लिए तैयार हो गयी....
उसका उत्साह देखते ही बनता था...
और इस उत्साह में वो ये भी भूल गयी थी की उस टाइट टी शर्ट में से उसके मोटे निप्पल अलग ही छाप छोड़ रहे है.

खैर, विक्की ने अलग-2 पोज़ में उसकी फोटो लेनी शुरू कर दी,
वो काला चश्मा भी उसे दिया ताकि उसकी फोटो भी अच्छी आए,
कल के मुक़ाबले आज वो ज़्यादा कॉन्फिडेंस में थी,
और वो अपने नन्हे से शरीर को काफ़ी उभार -2 कर फोटो खिंचवा रही थी..

विक्की का फोकस उसकी छातियो पर ही था...
जिनपर लगे नन्हे-2 निप्पल्स दूर से ही चमक रहे थे....
मन तो उसका कर रहा था की उन्हे मुँह में लेकर चूस ले,
और यही प्लान था उसका की किसी भी तरह से नेहा के मुम्मे आज वो चूस्कर ही रहेगा,
पर मंजू के आ जाने के बाद वो प्लान गड़बड़ हो चुका था...
पर फिर भी उसने हिम्मत करके उसे अपनी बातों में लेकर मंजू के सामने ही सही, उसकी नंगी चुचियों के दर्शन तो कर ही लिए थे.

करीब 10 मिनट बाद वो एक साथ बैठकर उन फोटोस को देखने लगे...
फोटो वाकई में अच्छी आई थी बस हर फोटो मे उसके निप्पल्स के दर्शन आसानी से हो रहे थे...
नेहा और मंजू ने ये बात नोट भी की थी पर बेचारी शर्म के मारे कुछ बोल नही पाई..

विक्की उनकी उलझन देखकर बोला : "अरे , ये तो बस हमारे लिए है, मैं इन फोटोस को कौन सा किसी और को दिखाने जा रहा हूँ , ये तो बस इसलिए दिखा रहा हू ताकि नेहा को पता चल सके की वो वाकई में अच्छी मॉडल या हिरोइन बन सकती है...''

मंजू ने चहकते हुए पूछा : "और मैं ....क्या मैं भी बन सकती हूँ अच्छी मॉडेल...''

विक्की ने उसके चेहरे को अच्छे से देखा और फिर उसे थोड़ा दूर खड़ा करके उसे उपर से नीचे तक अपनी नज़रों से नापा, घुमा-2 कर उसने उसके हर अंग का जायजा भी लिया और बोला : "बन तो तुम भी सकती हो....पर थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी बस...''

मंजू : "मैं तैयार हूँ ....''

नेहा : "अर्रे, ये बड़ी डिफिकल्ट लाइन है, इसमे सारी शर्म - हया त्यागनी पड़ती है...है ना भैय्या ...''

वो शायद अपने भाई की कही हुई कल की बात दोहराना चाह रही थी....

विक्की : "हाँ , ये तो है... मैने भी कल रात नेहा को यही समझाया था...इसलिए, तुमने देखा ना अभी, उसने कैसे बिना झिझक के अपने कपड़े मेरे सामने ही उतार दिए...ये सब करना है तो शर्म त्यागनी होगी...''

मंजू : "मैं तैयार हूँ ....''

इतना कहने के साथ ही उसने अपनी शर्ट के बटन खोले और उसे निकालकर ज़मीन पर फेंक दिया...
अब वो टॉपलेस होकर उन भाई बहन के सामने खड़ी थी.

विक्की ने तो सोचा भी नही था की आज के दिन उपर वाला उसपर इतना मेहरबान होने वाला है....

अब तो वो इस पल को एक अच्छे दिन में बदलने के बारे में सोचने लगा..
************
 
दिन तो विक्की का अच्छा हो ही चुका था....
नेहा के बाद अब मंजू के बूब्स को नंगा देख पाना उसके लिए किसी सपने से कम नही था...

मंजू जिस अंदाज से विक्की के सामने अर्धनग्न खड़ी थी उसे देखकर एक बात तो सॉफ थी की वो सिर्फ़ एक फोटो के लिए नही बल्कि विक्की के लिए ये सब कर रही है...
उसकी आँखो में एक अजीब सी चाहत थी, जो वो चाहती थी की विक्की नोट करे...
पर विक्की की नज़रें तो उसकी दोनो आँखों से ज़्यादा उसके नन्हे और तंदुरुस्त मुम्मों पर थी...

एकदम मस्त आकार था उनका...
नेहा से थोड़े बड़े थे उसके बूब्स इसलिए ज़्यादा ही मनमोहक लग रहे थे...
जैसे नारियल के दो टुकड़े करके चिपका दिए हो उसकी छाती से...
एकदम कठोर,
तने हुए...
और उनपर लगे नन्हे लाल रंग के निप्पल्स....
उफफफ्फ़....
मन तो उसका कर रहा था की आगे बढ़कर उन्हे दबोच ले अपने मुँह में और देखे की उनमें से से कितना रस निकलता है बाहर....
ऐसे नारियल पानी को पीकर उसकी आत्मा अंदर तक तृप्त हो जानी थी.

और उधर नेहा भी हैरान परेशान सी अपनी सहेली के इस अवतार को देख रही थी की कितनी बेशर्मी से उसने अपने कपड़े उतार दिए थे उसके भाई के सामने...
आज तक उसके सामने भी कपड़े बदलते हुए वो घूम जाया करती थी, पर आज देखो तो कैसे उसी के भाई के सामने छाती उभार-2 कर दिखा रही है...
माना की उसके मुम्मे थोड़े बड़े है उसके मुक़ाबले पर इसका मतलब ये नही की वो उसके भाई पर डोरे डालेगी...
उसपर तो पहला हक उसका ही बनता है ना...

पता नही क्या-2 सोचने लग गयी वो...
और इसी बीच उसे विक्की की आवाज़ सुनाई दी...

विक्की : "नेहा...ओ नेहा....कहां खो गयी.....अपनी टी शर्ट उतारो, मंजू नंगी ही खड़ी है, उसे पहननी है ताकि वो फोटो खिंचवा सके....उतारो जल्दी से...''

विक्की की बात सुनकर पता नही कैसा ताव सा आया नेहा को की उसने एक ही झटके में अपनी टी शर्ट उतार दी और विक्की की तरफ मुँह करके खड़ी हो गयी....
बाद में उसने अपनी छाती को ढकने की या अपनी स्कूल की शर्ट पहनने की भी जहमत नही उठाई..

अब माहौल ऐसा था की नेहा और मंजू, दोनो उसके सामने टॉपलेस होकर खड़ी थी...
दोनो ही अपनी-2 नन्ही छातियों को ज़्यादा से ज़्यादा उभार कर विक्की के सामने अपने आप को साबित करने की कोशिश कर रही थी की कौन ज़्यादा सैक्सी दिख रही है ...

विक्की की हालत खराब थी....
उसने सिर घुमा कर इधर उधर देखा की कोई उस तरफ तो नही आ रहा...
दिन का समय था इसलिए दूर -2 तक कोई नही था...
विक्की तो उन दोनो की हिम्मत देखकर दंग था...
की कैसे वो दोनो अपना नंगा बदन उसे परोस कर दिखा रही थी..

अचानक उसके मन में कुछ आया और उसने तुरंत अपने कैमरे से उनकी पिक ले ली...
एक ही पल मे उनका नंगा यौवन उसके कैमरे में क़ैद हो गया..

उन दोनो ने चोंककर उसे देखा तो विक्की हंसते हुए बोला : "अरे , घबराओ मत...डिलीट कर दूँगा...वैसे भी ये सब पिक्स तो हमारे देखने के लिए ही है, किसी और के लिए नही...''

उसकी बात सुनकर दोनो के चेहरे के भाव बदले, शायद उन्हे अब अपने नंगेपन का एहसास हो चुका था...
नेहा ने अपनी स्कूल की शर्ट उठा कर पहन ली और मंजू ने उसकी उतारी हुई टी शर्ट पहन ली.

उसके बाद मंजू ने अलग-2 पोज़ में कई फोटो खिंचवाए...
विक्की को अंदर से पता था की उसकी बहन के मुक़ाबले मंजू का बदन ज़्यादा नशीला था और फोटो भी उसी के ज़्यादा अच्छे आ रहे थे...खासकर उसके खड़े हुए निप्पल्स बहुत ही सैक्सी लग रहे थे , जो टी शर्ट को फाड़कर बाहर आने को आतुर थे

 
वो मंजू की और उसके बूब्स की तारीफ करना चाहता था पर ये बात वो इस वक़्त बोलकर अपनी बहन का मूड खराब नही करना चाहता था.

उसके बाद विक्की ने कैमरा नेहा को दिया और मंजू के साथ एक जोड़े की तरह उसने फोटो खिंचवाई...
इस बार ये उसने जान बूझकर किया था क्योंकि कुछ देर पहले नेहा का जो रूप उसने देखा था उससे ये बात सॉफ जाहिर थी की वो अपने भाई को अपनी सहेली के साथ बाँटने मे इंट्रेस्टेड नही है, इसलिए वो नही चाहती की उसका भाई मंजू की तरफ देखे भी वो भी उस वक़्त जब वो नंगी हो..

नेहा ने जब फोटो खींचने शुरू किए तो मंजू जान बूझकर विक्की से लिपटकर , उसके इर्द गिर्द बाहे फंसा कर फोटो खिंचवाने लगी जैसे कोई फिल्म की शूटिंग चल रही हो...
विक्की तो उसकी बिना ब्रा की नारंगियो को महसूस करके काफ़ी उत्तेजित हो रहा था, नेहा सामने ना होती तो वो उन्हे पकड़कर निचोड़ ही डालता और उसे पक्का विश्वास था की मंजू भी उसे मना नही करती...

पर ये काम उसने एक ना एक दिन तो करना ही था...
और वो दिन भी जल्द ही आने वाला था.

पर अभी के लिए जब भी उसका हाथ उसके मुम्मो के करीब आता तो उन्हे वो हाथ उपर करके छू ज़रूर लेता...
हाथो के पिछले हिस्से पर उसके बूब्स बीच-2 मे टकरा रहे थे और ऐसा लग रहा था जैसे पानी से भरे गुब्बारे टच कर रहा है उसका हाथ.

एक बार तो उसके हाथ उसके कड़क निप्पल्स से भी टकराए...
ऐसा लगा जैसे समय ही ठहर गया...
ऐसा लग रहा था विक्की को जैसे उसकी साँसे ही रुक जाएँगी उस मखमली एहसास से...

और कुछ ऐसा ही हाल मंजू का भी हो रहा था...

आज लाइफ में पहली बार उसने खुद को इतना एक्साईटिड फील किया था...
चूत से भी पानी लगातार बह रहा था...

नन्हे स्तनों में भी ऐसी झनझनाहट उसे आज तक फील नही हुई थी...

उपर से विक्की की वो मर्दाना खुश्बू उसे पागल सा कर रही थी...

वो जब भी उसके करीब आता तो वो जान बूझकर अपने बदन को उसके शरीर से रगड़ डालती, ऐसा करके एक तरह से वो खुद की खुजली ही मिटा रही थी...

विक्की के सीने के बाल उसे बड़े ही आकर्षक लग रहे थे...

उसका मन कर रहा था की अपने होंठो से उसके सीने पर ढेर सारी क़िस्सिया कर डाले पर नेहा के होते हुए वो कुछ भी करने से घबरा रही थी.

मंजू जान तो गयी थी की विक्की को भी उसके छूने से कोई परहेज नही है, पर नेहा के चेहरे के भाव देखकर उसे भी सॉफ पता चल रहा था की उसे अपने भाई के साथ उसका इतना खुला बर्ताव पसंद नही आ रहा है...

पर मंजू के लिए तो विक्की के साथ ऐसा करना एक तरह से एडवान्टेज ही था क्योंकि नेहा का तो अपने भाई से किसी भी तरहा का रोमॅंटिक एंगल से कुछ करना सही नही था ...

हालाँकि वो अपने भाई के सामने अपने कपड़े उतार कर उसे अपने बूब्स दिखा चुकी थी, पर इसका मतलब ये नही था की उसके बाद का भी सारा कुछ करने का उसे हक़ है..
 
मंजू जान तो गयी थी की विक्की को भी उसके छूने से कोई परहेज नही है, पर नेहा के चेहरे के भाव देखकर उसे भी सॉफ पता चल रहा था की उसे अपने भाई के साथ उसका इतना खुला बर्ताव पसंद नही आ रहा है...
पर मंजू के लिए तो विक्की के साथ ऐसा करना एक तरह से एडवान्टेज ही था क्योंकि नेहा का तो अपने भाई से किसी भी तरहा का रोमॅंटिक एंगल से कुछ करना सही नही था ...
हालाँकि वो अपने भाई के सामने अपने कपड़े उतार कर उसे अपने बूब्स दिखा चुकी थी, पर इसका मतलब ये नही था की उसके बाद का भी सारा कुछ करने का उसे हक़ है..

विक्की भी दोनो के हाव भाव देखकर ये बात अच्छे से समझ चुका था की दोनो के बदन में आग तो लग ही चुकी है...
पर उन दोनो को ही ये पता नही था की इस आग का करना क्या है...
अब ये काम तो विक्की को ही सिखाना पड़ेगा उन दोनो कमसिन जवानियो को..
ख़ासकर अपनी बहन नेहा को ताकि आने वाली ठंडी रातो का अच्छे से इंतज़ाम हो सके.

कुछ देर तक और फोटो खिंचवाने के बाद वो तीनो वापिस घर की तरफ चल दिए...

आज वो जिस तरफ निकल कर आए थे, वहां से वापिस जाते हुए पहले विक्की का ही घर आता था, इसलिए नेहा को घर पर छोड़कर वो मंजू को उसके घर छोड़ने के लिए निकल पड़ा..

और आज उसके घर पर उसके माँ बाप तो थे नही, इसलिए इस गोल्डन पल को वो अपने हाथो से जाने नही दे सकता था...
आज के दिन मंजू ने जो उसके लंड का बुरा हाल किया था, उसे शांत करना तो बनता ही था.

*************

नेहा के बाइक से उतरते ही मंजू ने विक्की को अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपना सिर उसके कंधे पर रखकर सामने देखने लगी...

दोनो के गाल आपस में रगड़ खा रहे थे..

बात करते हुए विक्की जान बूझकर उसकी तरफ घूम रहा था ताकि उसके नर्म गालों पर अपने होंठ लगा सके..
मंजू भी मंद-2 मुस्कुरा कर उसका साथ दे रही थी...

एक दो बार तो उसने भी उसके चेहरे की तरफ देखते हुए कुछ बोला और अपने होंठो से उसके गालो को छू लिया...
विक्की का लंड किसी दोनाली बंदूक की तरह उसकी पेंट में खड़ा था, कोई सामने से देख ले तो सॉफ पता चल जाए की तमंचा पूरी तरह से लोडेड था उसका..

कुछ देर आगे जाने के बाद विक्की ने कुछ पूछा मंजू से.....
और जैसे ही उसने विक्की की तरफ मुँह करके कुछ बोलते हुए उसके गालों से अपने होंठ लगाए, विक्की ने भी अपना सिर घुमा कर उसकी तरफ कर लिया....

बिजली सी कड़क गयी जब विक्की के होंठो से मंजू के नर्म होंठ छुए तो...

विक्की ने भी अपनी हरामीपंति दिखाते हुए उसके होंठो को धीरे से चूस लिया, मंजू की आँखों में शर्म के भाव तैर गये और उसने नज़रें झुका ली...पर उसने अपनी किस्स नहीं तोड़ी

बाइक चल रही थी इसलिए उसपर ज़्यादा देर तक ये चुम्मेबाजी वाला करतब हो नही सकता था, वरना विक्की उस नन्ही सी किस्स को एक लंबे स्मूच में बदलने में कोई कसर ना छोड़ता...

कुछ देर में ही उसका घर आ गया...
मंजू नज़रें झुका कर उसकी बाइक से उतरी और अपने बेग से चाबी निकाल कर ताला खोलने लगी...
अंदर जाकर वो धीरे से पलटी और बोली : "अंदर आ जाओ ना विक्की भैय्या ...चाय पीकर चले जाना...''

विक्की तो इसी पल की प्रतीक्षा कर रहा था...
उसने तुरंत बाइक को साइड में खड़ा किया और लगभग उछलता हुआ सा उसके घर के अंदर आ गया, मंजू ने पीछे से दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और अपनी नशीली आँखो से मुस्कुराते हुए वो अंदर की तरफ आ गयी.

विक्की सोफे पर जाकर बैठ गया और मंजू उसके लिए किचन से पानी लेकर आई, जैसे ही वो जाने लगी तो विक्की ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया और वो लड़खड़ा कर उसकी गोद में आ गिरी.
विक्की का लंड तो पहले से ही खड़ा था, उसके खड़े लंड पर उसके नर्म कूल्हे जब टकराए तो उसके मुँह से मज़े के साथ-2 एक दर्द भरी आह भी निकल गयी, पीछे से जवानी थोड़ी भारी थी उसकी..

मंजू : "ओह्ह्ह ....सॉरी विक्की भैय्या ....आपको लगी तो नही ना...''

विक्की ने बड़ी मुश्किल से अपने लंड से निकल रही दर्द की लहर पर काबू पाया और बोला : "इतना भार जब एक ही झटके से मेरे उपर गिरेगा तो दर्द तो होगा ही ना...''

मंजू ने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा : "ओोहो ...तो अब मैं मोटी हो गयी हूँ ...अभी कुछ देर पहले तो मुझे बोल रहे थे की अच्छी मॉडेल बन सकती हूँ ...और अब एकदम से मोटी बोल दिया....जाओ मैं आपसे बात नही करती...''

वो झूठमूठ का मुँह फूला कर दूसरी तरफ सिर घुमा कर बैठ गयी...
पर उसकी गोद से उतरने की जहमत नही उठाई उसने.

विक्की ने उसकी कमर को पकड़ कर उसके चूतड़ों को अपने लंड के चारों तरफ एडजुस्ट किया, अब उसका खड़ा हुआ लंड उसके चूतड़ों की दरार में फंसकर आगे की तरफ मुँह निकाल कर मंजू की चूत को टच कर रहा था..

विक्की ने उसकी कमर मे हाथ डालकर उसकी पीठ को अपनी छाती से सटा लिया और उसके गुदाज और नर्म पेट को सहलाते हुए बोला : "अर्रे...मैं तुझे उस तरह से मोटी थोड़े ही बोल रहा हूँ , वो तो बस कुछ-2 जगह ऐसी होती है ना लड़कियों के शरीर की, जहाँ चर्बी थोड़ी ज़्यादा होती है, वो हिस्सा जब हमारे अंग पर तरबूज की तरह से गिरे तो दर्द तो होगा ही ना....''
 
विक्की की सफाई सुनकर मंजू अपनी हँसी ना रोक पाई और ज़ोर-2 से हँसने लगी...
हंसते हुए उसकी नर्म गांड विक्की के लंड पर किसी वाईब्रेटर की तरह घिसाई कर रही थी जिसकी वजह से उसका लंड और भी ज़्यादा कड़क होने लगा..

पर उस बुद्धू मंजू को शायद अभी तक उस चीज़ का एहसास नही हो पाया था.

कुछ देर बाद जब उसकी मैराथॉन वाली हँसी रुकी तो वो बोली : "अच्छा ...तो आप मुझे बताओ, इस तरबूज के अलावा और कौन सी जगह पर एक्सट्रा चर्बी है मेरे....''

बेचारी भोलेपन में वो बात बोल गयी जिसका शायद विक्की भी इंतजार कर रहा था.

उसने तुरंत अपने हाथो में उसके मोटे मुम्मे थाम लिए और बोला : ''ये है ना...तुम्हारे बूब्स...''

एक ही पल में मंजू के चेहरे के एक्शप्रेशन चेंज हो गये....
हँसी गायब हो गयी और एक उत्तेजना का संचार उसके चेहरे पर होने लगा...
विक्की ने उसके वक्षस्थल को अपने हाथो से थाम रखा था पर वो उसे मना भी नही कर पा रही थी...
शायद अंदर से वो भी यही चाहती थी की वो उन्हें थामे...
क्योंकि ऐसा करवाके उसके अंदर कुछ-2 हो रहा था, जो आज से पहले कभी फील नही हुआ था उसे.
एक कमसिन लड़की के स्तनों पर किसी मर्द का पहला टच था, जो उसे बहुत भा रहा था.

विक्की ने उसके मुम्मों को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया, और उन्हे दबाते हुए अपनी तरफ खींच लिया..

''आअहह विक्की भय्या....धीरे...दर्द होता है....''

यानी वो विक्की को वैसा करने से मना नही कर रही थी, बस धीरे से करे यही गुज़ारिश थी उसकी..

पर विक्की तो एक नंबर का हरामी लौंडा था,
उसने नेट पर कहानियों में अच्छे से पड़ रखा था की जब ऐसा वक़्त अकेली लड़की के साथ मिले तो क्या-2 करना चाहिए...

इसलिए उसने तुरंत अपने दोनो हाथो की उंगलियो से उसके बूब्स को सहलाया और फिर बीचो बीच जाकर उसके उभर रहे निप्पल्स को अपनी उंगली और अंगूठे की गिरफ़्त में लेकर उन्हे होले से भींच डाला..

''आआआआआआआआआआआहह.....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....... उम्म्म्मममममममममम भेयययययाआआआआअ....''

इस वक़्त तो उसके मुँह से सिसकारी के साथ भैय्या शब्द बड़ा ही सैक्सी लग रहा था जैसे उसकी चूत की चाशनी में डुबोकर उसे निकाला हो....

विक्की ने अपने उंगली और अंगूठे से उसके निप्पल्स को उमेठना जारी रखा, मंजू किसी साँप काटी लड़की की तरह उसकी गोद में बैठी तड़प रही थी, और अपनी गद्देदार गांड से उसके नाग को कुचल भी रही थी..
शायद अब उसे नीचे भी कुछ-2 होने लगा था क्योंकि विक्की के लंबे लंड को वो अपनी चूत पर जोरों से रगड़ कर एक लय बना रही थी जैसे नाव में बैठने से हिचकोले आते है, ठीक वैसे ही वो अपनी गांड की नाव को विक्की के लंडसागर पर हिचकोले खिला रही थी और उपर तो विक्की ने उसके निप्पल्स को पतवार बना कर उसकी नाव को और तेज़ी से चलने पर विवश सा कर रखा था..

अचानक विक्की ने उसे अपनी तरफ पलटाया और उसके दहकते हुए होंठो पर अपने होंठ रख कर उन्हे चूसने लगा..

मंजू भी शायद इसी पल की प्रतीक्षा कर रही थी...
दोनो की लाइफ का ये पहला चुंबन था पर वो दोनो ही उसे ऐसे परफॉर्म कर रहे थे जैसे बरसों से करते आए हो...
दोनो ही बोर्न किस्सर थे...
एक दूसरे के होंठो और जीभ को मुँह में लेकर ऐसे चूस रहे थे जैसे सारी चाशनी आज ही ख़त्म कर देनी है एक दूसरे के मुँह की.

विक्की के हाथ अभी भी मंजू की ब्रेस्ट पर ही थे, जिन्हे वो धीरे-2 मसल रहा था, उन्हे दबाने में एक अजीब सा आनंद प्राप्त हो रहा था विक्की को, मन तो कर रहा था की उन गुब्बारों को उम्र भर हाथों में लेकर दबाता रहे...

पर मंजू शायद कुछ और चाहती थी,
उसने किस्स तोड़ी और विक्की के मुँह को पकड़ कर नीचे अपनी छाती की तरफ करने लगी...
विक्की समझ गया की वो क्या चाहती है..
वो उसकी नर्म गर्दन को चूमता हुआ नीचे की तरफ जाने लगा, और ठीक उसके बूब्स के उपर पहुँचकर उसने शर्ट के उपर से ही उसके मुम्मे को अपने मुँह में भरकर ज़ोर से काट लिया...

एक बार फिर से आनंद से भरी एक किलकारी मंजू के मुँह से निकल गयी

''आआआआआआआआआआआआआहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़...... काटो मत ना भैय्या .......बस प्यार करो इन्हे.......''

मंजू की प्यार भरी रिक्वेस्ट को उसने मान लिया और उन्हे चूसने लगा...
तब तक मंजू ने अपनी शर्ट के बटन खुद ही खोलने शुरू कर दिए....
और जैसे ही आख़िरी बटन खोलकर उसने अपनी शर्ट के कपाट खोले, अंदर से दूधिया प्रकाश में नहाए हुए 2 कलश विक्की के सामने प्रकट हो गये..

हालाँकि कुछ देर पहले भी उसने इन मुम्मो को देखा था, पर इस वक़्त वो उन्हे और करीब से और अपने हाथो और होंठो की पहुँच के अंदर देख पा रहा था,
विक्की ने उसकी शर्ट को निकाल फेंका और मंजू के नंगे बूब्स को जी भरकर देखने लगा..

 
पर देखते रहने से उसका पेट भरने वाला नही था, उसने उन दोनो मुम्मो को अपने हाथो में पकड़ा और अपना मुँह खोलकर उनपर टूट पड़ा...

उफफफफफफफफफफ्फ़ क्या स्वाद था उनका....
एकदम ककचे आम जैसी चिकनाहट और कठोरपन था उनमे पर साथ ही साथ पके हुए आम जैसी मिठास भी थी...

वो चपर -2 करके उन्हे चूसने लगा....
निप्पलों को मुँह में लेकर उसका दूध दोहने लगा, इतनी ज़ोर से सक करने लगा जैसे आज तो वो उसकी कच्ची छातियों से दूध निकाल कर ही रहेगा..

उधर दूसरी तरफ मंजू का तो बुरा हाल था, जिस पल को सपना बनाकर वो पिछले 2 दिनों से देख रही थी वो उसके साथ सच में हो रहा था....
इसलिए उसका उत्साह देखते ही बनता था....
और सबसे बड़ी बात ये थी की उन दोनो की लाइफ का ये पहला सैक्सुअल एक्सपीरियेन्स था

विक्की ने उसकी शर्ट को पूरी तरह से निकाल कर फेंक दिया और फिर उसने खुद ही अपनी शर्ट भी उतार दी,
हालाँकि उसके दिमाग़ में अभी तक चुदाई करने की कोई बात नही आई थी पर वो उसकी नंगी छातियो को अपने नंगे सीने से लगा कर उस आनंद को प्राप्त करना चाहता था जिसके लिए वो बरसो से तरसता आया था...

और जब उन दोनो के आधे नंगे बदन एक दूसरे से लिपटे तो दोनो के मुँह से एक आह सी निकल गयी,
बड़ा ही सुखद सा एहसास था वो,
एकदम नर्म सा,
और साथ ही दोनो ने जब स्मूच करनी शुरू की तो सोने पर सुहागा सा हो गया...
वो दोनो ना जाने कितनी देर तक एक दूसरे के होंठो , गर्दन और छाती पर किस्स करते रहे उन्हे भी पता नही चला...

और अचानक मंजू का हाथ उसके खड़े हुए लंड से जा टकराया...
एक पल में ही उसके चेहरे पर हैरानी के भाव आ गये, जैसे उसे पता ही नही था की वो क्या है...

पर वो हैरानी शायद इस बात की थी की इतना बड़ा भी लंड होता है क्या...
शायद आज तक उसने गली के छोटे बच्चों की लुल्लिया ही देखी थी,
आज पहली बार वो ऐसा कुछ फील कर रही थी जो शायद उसकी समझ से परे था

और विक्की का ये फ़र्ज़ बनता था की वो उसे इस जादुई दुनिया के जिन्न से मिलवाए...
इसलिए उसने उसके हाथ पर हाथ रखकर अपने लंड पर दबाव और तेज कर दिया....
मंजू की साँसे तेज हो गयी, क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसने किसी साँप की गर्दन पर हाथ रखकर उसे दबोच रखा हो और वो छटपटा कर उसकी गिरफ़्त से निकलना चाहता हो..

साँप का मालिक, विक्की भी शायद यही चाहता था....
इसलिए उसने उसका हाथ हटा कर अपनी जीन्स के बटन खोने शुरू कर दिए....
और सब कुछ खोलने के बाद जब वो लहराता हुआ नाग मंजू की आँखो के सामने आया तो उसकी चीख निकलते हुए बची...
क्योंकि स्कूल में मेडम ने उसे किताबो में जिस शिश्न के बारे में पढ़ाया था ये तो उस से कही ज़्यादा बड़ा था....

उसकी आँखो का कोतूहूल देखते ही बनता था,
वो दम साधे विक्की के लंड को एकटक देखे जा रही थी,

पर एक डर भी था शायद उसके चेहरे पर जिसे विक्की ने समझा और बोला
विक्की : "डरो मत.....पास आओ और छूकर देखो इसको.....काटेगा नही ये...''

वो बिना पलके झपकाए उसके करीब आई और घुटनो के बल उसके सामने बैठ गयी...
विक्की ने उसके चेहरे पर आए बालो को पीछे किया और उसके चेहरे के बिल्कुल करीब अपने लंड को लाकर एक जोरदार तरीके से झटका दिया

आँखों में लाल डोरे चमक गए मंजू के, जब विक्की के लहराते हुए नाग ने उसके चेहरे पर दस्तक दी....
एक अजीब सा आकर्षण था विक्की के लंड में , जिसे वो नजरअंदाज नही कर पा रही थी...
धीरे-2 उसके हाथ उपर आए और उसने विक्की के लंड को अपने कोमल हाथो में जकड़ लिया....

विक्की के मुँह से एक तेज सिसकारी निकल गयी

''आआआआआआआआआआआआआअहह.......... मंजूऊुुुुुुुुुुउउ.... म्‍म्म्मममममममममम.......... चूसो इसको........... तो.......चाटो मेरी जाआंन ''

मंजू के चेहरे के भाव एकदम से बदल से गये...

चुसू इसको.....चाटू .....और वो भी इस सूसू करने वाली जगह को.....भला क्यूँ ....

वो अपने चेहरे पर आए इन सवालो के साथ विक्की को देख रही थी...
पर वो तो अपनी आँखे भींचे उस पल में डूबा सा हुआ था...

फिर मंजू को पिछले सारे दिनों की बाते एक झटके में याद आ गयी....

की कैसे उसका खुद का दिल विक्की के लिए धड़कता था...
कैसे उसे देखकर उसके निप्पल टाइट से हो जाते थे....
कैसे बाइक के पीछे बैठकर वो अपने मुम्मे उसकी पीठ से रगड़ती थी....
और उसके बारे में सोचकर अपनी चूत को रगड़ने में कितना मज़ा आता था....
और विक्की ने कितनी बार उसे चोकोबार खिलाई थी...

आज उन सभी कोकोबार्स का बदला उतारने का वक़्त आ गया था....
वैसे भी विक्की के लंड से निकल रही भीनी गंध उसे अपनी तरफ खींच रही थी...

उसने धीरे से अपना मुँह खोला और अपनी जीभ बाहर निकाल कर विक्की के लंड को नीचे से उपर तक चाट लिया और फिर उपर जाते ही उसके लंड को मुँह में लेकर अंदर निगल गयी.

आज शायद विक्की को भी नही पता था की उसके साथ क्या-2 होने वाला है.

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''आआआआआआआआआअहह मंजू..................... मेरी ज़ाआाआअनन्...चूस इसको......... चाट मेरे लंड को ........खा जा इसे....''

'मेरी जान' शब्द ने जैसे मंजू पर किसी जादू जैसा प्रभाव डाला...
उसके अंदर एक नयी सफूर्ती सी आ गयी....
वो दुगने जोश के साथ उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी...
अब तक उसे लंड का स्वाद भी अच्छा लगने लग गया था इसलिए उसे भी अपनी तरफ से एक्सट्रा प्रेशर देने में कोई तकलीफ़ नही थी...

और अचानक उसके लॅंड से ढेर सारा रस निकलकर मंजू के मुँह मे जाने लगा....
ये सब इतनी जल्दी हुआ की ना तो विक्की को उसे रोकने का मौका मिला और ना ही उसके सिर को हटाने का..
बल्कि उसके हाथ तो मंजू के सिर पर और तेज़ी से दबाव बनाने लगे ताकि उसके लंड की एक-2 बूँद सीधा उसके अंदर जाए...
मंजू भी हैरान थी की ये अचानक लंड से क्या निकलने लगा...कहीं वो मूत तो नही रहा उसके मुँह में..
पर फिर कुछ स्वाद से भरी गाड़ी मलाई जब उसे गले से नीचे जाती महसूस हुई तो उसे समझते देर नही लगी की ये क्या है...
स्वाद तो बुरा था नही उसकी मलाई का..
इसलिए वो भी गटागट उसे पीती चली गयी, कुछ अंदर गयी तो कुछ बाहर निकलकर गिर गयी
वो तब तक उसके लंड को चूसती रही जब तक विक्की के लंड का पाइप खाली नही हो गया...

विक्की तो निढाल सा हो गया एकदम से...
ऐसा लग रहा था उसे जैसे मंजू ने लंड के मध्यम से उसकी जान ही निकाल ली है..

मंजू ने अपने होंठो पर लगे रस को अपनी उंगलियो से इकट्ठा किया और उसे अंदर निगलकर चूस गयी...
ऐसा करते हुए वो किसी गुंडी से कम नही लग रही थी.

विक्की कुछ देर बाद खड़ा हुआ और बाथरूम के अंदर जाकर अपने चेहरे को पानी से धोने लगा...
तब जाकर उसकी गर्मी निकली...
कहाँ तो उसने कुछ देर पहले सोच लिया था की वो आज मंजू को पूरा नंगा करके उसे पूरी तरह से चाटेगा
उसके मखमली जिस्म के अच्छे से मज़े लेगा और शायद चुदाई का भी कोई सीन बन जाए...
और कहाँ उसके लंड ने झड़ने के बाद सारे समीकरण ही बदल डाले थे...
अब तो उसका मंजू को किस्स करने का भी मन नही कर रहा था...

बस किसी तरह यहां से निकल जाए यही सोचता हुआ वो बाहर आ गया...

मंजू तब तक उसी टॉपलेस हालत में बैठी थी....

वो उठी और विक्की के गले से लिपट गयी और फिर धीरे-2 विक्की के गले से लेकर उपर तक किस्स करने लगी..
पर विक्की का मूड अब बदल चुका था...

उसने मंजू को पीछे करते हुए कहा :" मंजू....अब मुझे चलना चाहिए....घर पर भी सब राह देख रहे होंगे...और तेरे मम्मी पापा भी तो आने ही वाले है...कल मिलते है...ओके ...''

इतना कहकर वो बिना उसके जवाब की प्रतीक्षा किए बाहर निकल गया और अपनी बाइक लेकर घर आ गया...
और पीछे बेचारी मंजू अपना खुला सा मुँह लिए उसके इस बर्ताव को देखती रह गयी.

घर आते ही जब उसकी नज़रें नेहा से मिली तो उसकी आँखों में छुपी हँसी देखकर उसे समझते देर नही लगी की वो उस से क्या पूछना चाहती है...

वो भी जानती थी की उसके घर वो आज ज़रूर कुछ ना कुछ करके ही आया होगा...
पर ऐसे सीधा कुछ उस से पूछने की हिम्मत नही हो रही थी उसकी.

 
रात को जब सभी ने खाना खा लिया तो विक्की चुपचाप अपने रूम में चला गया...
किचन का काम निपटा कर नेहा और उसकी माँ भी फ्री हो गये और अपने-2 बेड पर जाकर सो गये...

पर नेहा की आँखो में तो आज नींद थी ही नही....
जब से वो वापिस आई थी उसके सामने सुबह से शाम तक की सारी बाते घूम रही थी...
वो खुद भी हैरान थी की कैसे उसने अपने भाई के सामने इतनी बेशर्मी से अपने कपड़े उतार दिए और वो भी मंजू के सामने ...
और वो साली मंजू भी तो कैसे अपनी छातिया उसके भाई को दिखा रही थी...
उसकी नज़रो से सॉफ पता चल रहा था की वो विक्की को दिल ही दिल में चाहती है, पर ना जाने क्यों एक बहन होने के बावजूद उसे इस बात से जलन सी हो रही थी ...

शायद वो भी मन ही मन अपने भाई को चाहती है.....
ऐसा सोचते ही उसका चेहरा एकदम लाल हो गया और वो मंद-2 मुस्कुराने लगी..

उसने इधर-2 उधर नज़रें घुमाई और अपने मम्मी पापा के रूम को अच्छे से चेक किया, थके होने की वजह से उनके ख़र्राटों की आवाज़ें बाहर तक आ रही थी.

फिर वो दबे पाँव पलटी और किसी बिल्ली की तरह बिना आवाज़ के उछलते हुए अपने भाई के रूम की तरफ चल दी...

वहां पहुँचकर उसने देखा की विक्की अपने बेड पर औंधा लेटा हुआ है और अपने फोन पर कुछ चेक कर रहा है...

नेहा ने इस वक़्त एक लंबी सी स्कर्ट और टी शर्ट पहनी हुई थी और अंदर उसने कुछ भी नही पहना था.

वो दबे पाँव उसके बेड तक गयी और उछलकर उसकी पीठ पर बैठ गयी..

विक्की भी एकदम से चोंक गया...
पर ज़्यादा डरा नही,क्योंकि उसे पता था की नेहा उपर ज़रूर आएगी..
पर उपर आते ही उसके उपर ऐसे चढ़ जाएगी, इसका अंदाज़ा नही था उसे..

विक्की : "अरे मोटी...हट मेरे उपर से...कचुम्बर निकालेगी क्या मेरा...''

वो तो पहले से ही मस्ती के मूड में थी, वो विक्की की पीठ पर अपने मुम्मे बिछा कर उसपर लेट गयी, और उसके कानों के पास मुँह लाकर बोली : "इतने सालो बाद मुझे घोड़े की सवारी करने को मिली है, ऐसे कैसे जाने दूँ ...''

विक्की ये सुनकर मुस्कुरा दिया,
बचपन में उसका रोज का काम होता था घोड़ा बनकर अपनी बहन को पूरे घर में घुमाना ,
इस चक्कर में उसके सारे कपड़े गंदे हो जाते थे और उसके घुटने भी छिल जाते थे
उसे खुद इस काम में बड़ा मज़ा आता था...
शायद उसके नर्म कूल्हे उसे उस वक़्त भी उतना ही उत्तेजित करते थे जितना आजकल कर रहे हैं...

आजकल तो कुछ ज़्यादा ही कर रहे है....
क्योंकि इस वक़्त नेहा के कुल्हो के साथ-2 उसकी चूत भी उसकी गांड पर रगड़ खा रही थी...
लेटने के बाद तो वो उसकी चूत का ताप सॉफ महसूस कर पा रहा था...

और नेहा ने जब घोड़े वाली बात बोली तो वो लेटे -2 ही उसके उपर हिचकोले लेकर उसकी पीठ की सवारी का आनंद भी लेने लगी....
ऐसा करते हुए उसका एक-2 अंग विक्की के शरीर पर घिस्से मार रहा था....
उसके नन्हे स्तन भी और उनपर लगे निप्पल्स भी ...
साथ ही साथ उसकी उभरी हुई कमसिन चूत भी ...
 
आज इतने सालो बाद एक बार फिर से विक्की को घोड़ा बनाकर उसकी सवारी करने में उसे सच में आनंद आ रहा था...
विक्की भी अपनी पीठ और कमर पर महसूस हो रही गर्मी का आनंद लेते हुए धीरे-2 मुस्करा रहा था...

नेहा के बाल विक्की के चेहरे पर दोनो तरफ से गिरकर उन दोनो को ढक चुके थे...
उसके होंठ विक्की के कान के इतने करीब थे की उसकी गहरी हो रही सांसो की आवाज़ उसे सॉफ सुनाई दे रही थी....
वो साँसे धीरे-2 हल्की सिसकारियों में बदलने लगी...
विक्की को ऐसा लग रहा था जैसे वो इयरफोन लगा कर कोई चुदाई का वीडियो देख या सुन रहा है,
ऐसी सैक्सी आवाज़ें निकल रही थी नेहा के मुँह से...

अचानक नेहा की जीभ बाहर आई और उसने विक्की के कान को चाट लिया...
ये स्पर्श ऐसा था मानो नागिन ने छू लिया हो उसके कानो को डसने से पहले...
विक्की लगभग उछल सा पड़ा पर नेहा के वजन से दबे होने की वजह से वो निकल नही पाया...

विक्की ने दबी हुई सी आवाज़ मे पूछा :" नेहा....ये..ये क्या हो रहा है तुम्हे....चलो उतरो नीचे....तुम्हारे वजन से मेरी जान निकल रही है...''

पर नेहा पर उसकी बात का कोई असर ही नही पड़ा...
उसने तो जैसे सुना ही नही...
अब वो उसके कान को चाटने लग गयी थी अपनी जीभ से...

और नेहा की जीभ विक्की के पूरे शरीर में एक बिजली की लहर की तरह काम कर रही थी....
और जब उससे सहा नही गया तो वो अपना पूरा ज़ोर लगा कर बेड पर सीधा हो गया...
नेहा एक झटके मे उसकी पीठ से फिसलकर नीचे बेड पर गिरी पर उतनी ही डुर्ती से वो वापिस उसके उपर भी आ गयी...
फ़र्क अब ये था की वो उसकी पीठ पर नही बल्कि उसके सीने पर लेटी थी...

विक्की का लंड इस वक़्त किसी मीनार की तरहा उपर खड़ा था, ये भी एक कारण था उसके सीधे होने का क्योंकि उल्टा लेटे होने की वजह से उसका खड़ा हुआ लंड उसे परेशान कर रहा था..

अब उसकी बहन के नन्हे स्तन उसके सीने पर थे और उसकी मखमली चूत का गर्म एहसास उसके खड़े हुए लंड पर...

नेहा भी विकी के खड़े लंड को अपनी चूत पर महसूस करके मचल रही थी...
कल जब विक्की ने उसके नन्हे बूब्स को चूसा था तो उनकी कसक अभी तक उसके अंदर थी...
एक अजीब सी खुजली हो रही थी उसके निप्पल्स पे जिन्हे अब सिर्फ़ और सिर्फ़ विक्की ही मिटा सकता था...

और विक्की के लिए भी अब सब्र करना मुश्किल हो रहा था....
उसने अपने होंठ जैसे ही आगे किए, नेहा उसपर किसी भूखी बिल्ली की तरहा टूट पड़ी और अपना शरीर उसपर रगड़ते हुए उसे बुरी तरह से स्मूच करने लगी...

एक के बाद अब दूसरी स्मूच सच में विक्की के कॉन्फिडेंस को बड़ा रही थी...
इन कमसिन जवानियों को अपनी बाहों में भरकर चूमने का आनंद वो सच में एंजाय कर रहा था..

ख़ासकर अब...
अपनी बहन के साथ...

शायद आज शर्म की एक और दीवार टूटने के कगार पर थी उन दोनो भाई बहनो के बीच..

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विक्की के होंठो को चूमते-2 वो उसकी गर्दन पर भी किस्स करने लगी, और धीरे-2 नीचे जाकर टी शर्ट नीचे खिसकाते हुए उसकी छातियों पर भी...

ये एहसास कुछ इस तरह का था की विक्की का शरीर उपर की तरफ उठ सा रहा था...
नेहा के गीले होंठ, जिनमें से लार निकलकर उसकी गर्दन और छाती को गीला कर रही थी, उसके शरीर को एक अलग ही तरह का एहसास दे रहे थे..

नेहा ने उसकी टी शर्ट को नीचे से उठाकर उपर किया और उसे निकाल फेंका...
अब वो खुल कर उसकी छाती पर चुम्मियों की बारिश कर पा रही थी..
अचानक नेहा ने विक्की के दाँये निप्पल को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया...
विक्की तो उछल ही पड़ा उसकी इस हरकत से...
उसे पीछे धकेलना चाहा पर वो हटी ही नही, किसी भूखी बिल्ली की तरह वो अपना मुँह उसकी छाती से लगाए पता नही क्या चूसने में लगी हुई थी....
विक्की को बड़ी जबरदस्त गुदगुदी सी हो रही थी और साथ ही उसके शरीर मे एक कसावट भी आ रही थी और एक तरंग सीधा उसके लंड तक जा कर उसे और भी कड़क बना रही थी...
शायद यही एहसास लड़कियों को भी होता होगा तभी उनके स्तनो को चूसने से उन्हें अपने आप पर काबू नही रहता.

पीछे तो वो हो नही रही थी, इसलिए उसने उसके रेशमी बालो में हाथ डाल कर उसे सहलाना शुरू कर दिया और उसे और जोर से दबा कर अपनी छाती में घुसा लिया...
उसकी लार से विक्की की छाती पूरी तरह से गीली हो चुकी थी....
फिर वो खिसक कर दूसरे निप्पल तक गयी और उसे भी चूसने लगी..
 
विक्की ये समझने की कोशिश कर रहा था की ये उसने सीखा कहा से, शायद जो एहसास उसे अपनी छातियो पर चाहिए था वो पहले विक्की को देना चाहती थी...
यानी वो भी चाहती थी की विक्की उसकी छातियो को चूसे , उन्हे चुभलाए, उन्हे मुँह में लेकर उसका दूध पी जाए..

इस बात का एहसास होते ही उसके हाथ धीरे से उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगे और उन्हे छूते ही उसने धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया...
नेहा को जब लगा की विक्की उसकी छातियो को दबा रहा है तो वो सीधा हुई और उसने खुद ही अपनी टी शर्ट को उतार फेंका, अब वो उसके खड़े लंड पर अपनी गद्देदार गांड लेकर टॉपलेस बैठी थी...
और बीच के अवरोध यानी टी शर्ट को हटाने के बाद उसने खुद ही उसके हाथ को अपनी छाती से लगाया ताकि वो खुल कर अब उसके नंगे बूब को मसल सके

फिर वो धीरे से नीचे झुकी और अपनी दाँयी चुचि को पकड़कर सीधा विक्की के मुँह में डाल दिया, जैसे एक माँ अपने बेटे को दूध पिलाते हुए करती है ठीक वैसे ही...

विक्की के मुँह में जैसे ही उसके बेर जैसे कड़क निप्पल्स आए वो उन्हे जोरों से चूसने लगा,
पहले एक को और फिर दूसरे को...
फिर तो उसने दोनो हाथो से उसकी नन्ही बूबियों को पकड़ा और बारी-2 से उन्हे चूसने लगा...
नीचे से उसका लंड नेहा की चूत पर सिर मारकर उसे और भी ज़्यादा गीला कर रहा था...
और वो भी अपनी चूत को खड़े लंड पर ऐसे घिस रही थी जैसे कपड़े समेत ही उसे अंदर ले जाएगी..

विक्की ने हाथ नीचे करके उसकी स्कर्ट को उपर करना शुरू कर दिया...
आज शायद वो हर हद को पार कर लेना चाहता था..
नेहा ने भी धड़कते दिल से अपनी गांड उठा कर उसे ऐसा करने में मदद की, कुछ ही देर मे उसकी नंगी गांड विक्की के कड़क लंड के उपर रगड़ खा रही थी...
अब सिर्फ़ विक्की के पायजामे का कपड़ा ही था उनके बीच की दीवार, वरना दोनो के मिलन में एक मिनट भी नही लगना था क्योंकि जितना कड़क विक्की का लंड इस वक़्त था उसे नेहा की गीली चूत में उतरने में कोई भी परेशानी नही होने वाली थी.

विक्की ने दोनो हाथो से उसकी मोटी गांड को मसलना शुरू कर दिया, नीचे से वो उन्हे मसल रहा था और उपर से उसके होंठो को चूस रहा था...

घाघरे की खिड़की खुल जाने से उसकी चूत की गहरी सुगंध अब खुलकर बाहर आ पा रही थी...
और जैसे वो खुश्बू विक्की के नथुनों में पहुँची वो पागल सा हो गया...
ऐसा लगा जैसे हवा में तैरता कोई नशा सूंघ लिया हो उसने,
ऐसी शराब जैसी गंध थी की उसे सूंघते ही वो मदहोश सा हो गया और उसने अपनी पूरी ताक़त लगाकर उसकी गांड पर धक्का देकर उसे अपने चेहरे के उपर लाकर बिठा दिया...
नेहा भी समझ गयी की विक्की क्या करना चाहता है, वो तो बदहवास सी हो गयी इस एहसास से की आज उसका भाई उसकी चूत चूसेगा..

वो बेड पर खड़ी हुई और उसने अपने घाघरे को उपर उठाया और सिर से निकालकर बाहर फेंक डाला..
अब वो पूरी तरहा से नंगी थी...

इस वक़्त नेहा रति की मूरत लग रही थी विक्की को, उसका अंग-२ जवानी की देहलीज पर था, जवान जिस्म की सिसकारियां हर अंग से फूटने को बेताब थी

फिर वो वापिस विक्की के चेहरे के ऊपर आकर खड़ी हो गयी, अब जहाँ से विक्की देख पा रहा था इसे नेहा की मांसल टांगो के बीच उसकी रसीली चूत दिख रही थी, जहाँ से उसकी चूत का पानी टपक कर उसकी जांघो को भिगो रहा था, उसके ऊपर उसका सपाट पेट और उसके ऊपर उसकी नन्ही और सुडोल छातियां थी, और सबसे ऊपर उसकी हवस से भरी निगाहें जो सीधा विक्की के होंठो को देख रही थी, क्योंकि उन्ही होंठो पर कुछ ही देर में उसकी चूत का विमान उतरने वाला था

वो धीरे - 2 नीचे आयी और उसने अपनी चूत विक्की के मुँह में फँसाई और खुद ही जाल में फंसी चिड़िया की तरह छटपटाने लगी...
ये एहसास ही ऐसा था ...

एक तो उसके जिस्म का सबसे सेंसेटिव पार्ट और वो भी उसके खुद के भाई के मुँह में फँसा हुआ...
विक्की तो उसकी चूत के होंठो को अपने मुँह में दबा कर ऐसे उन्हें ऐसे स्मूच कर रहा था जैसे वो चेहरे के होंठ हो...
उसकी चूत के कसे हुए लिप्स को एक ही बार में पूरा मुँह में भर कर जब उसने निचोड़ा तो नेहा की चूत का सारा रस नीचूड़ कर उसके मुँह में भरता चला गया...
जैसे कोई रसीला फल मुँह में लेकर दबा दिया हो उसने.

''आआआआआआआआआआआआअहह म्‍म्म्ममममममममममममम भाईईईईईईईईईईईईईईईई...... मज़ाआआआअ आआआआआआआ गयाआआआआअ''

अपनी सैक्सी बहन के मुँह से इस वक़्त भाई शब्द उतना ही सैक्सी लग रहा था उसे जितना उसका नशीला बदन..

विक्की की जीभ ने उसकी चूत की परतों में जगह बनाते हुए जब अंदर प्रवेश किया तो नेहा का पूरा शरीर काँपने लगा, जैसे कोई बिजली की नंगी तार से उसकी छूट को झटका दे रहा हो...
और उसी कंपकपाहट में उसने तेज़ी से झड़ना शुरू कर दिया..

''उहह ..म्‍म्म्ममममममममममममम............मैं तो गयी भाई........मैं तो गयी..............''

और फिर उसका शरीर किसी बेजान पत्ते की तरह लहरा कर पीछे गिरने लगा...

विक्की ने अपने घुटने उपर करके उसके शरीर को पीछे की तरफ से सहारा दिया वरना उसका सिर सीधा जाकर विक्की के खड़े लंड से टकरा जाता..

नेहा की गर्म चूत अभी भी विक्की के होंठो से सटी हुई थी,
जिसमें से बूँद-2 करके मीठा पानी बाहर निकल रहा था...
उसके नन्हे बूब्स हर गहरी साँस के साथ-2 उपर नीचे हो रहे थे और अपनी बंद आँखे किए वो अपने ऑर्गॅज़म से उभरने की कोशिश कर रही थी..

वो जिस पोज़ में उसके चेहरे पर अपनी चूत लगाए बैठी थी, विक्की का खड़ा लंड इस वक़्त उसकी कमर पर दस्तक दे रहा था...
विक्की के हाथ उपर जाकर उसके बूब्स को मसल रहे थे और बीच-2 में वो अपनी जीभ से उसकी चूत से निकल रहे पानी को भी सॉफ किए जा रहा था..

इशारा सॉफ था उसका,अब विक्की की बारी थी अपने लंड को शांत करने की...

और ये नेहा भी जानती थी की विक्की को खुश करना कितना ज़रूरी है उसके लिए...
और आज तो वो किसी भी हद तक जाने को तैयार थी अपने भाई के लंड को शांत करने के लिए..

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