Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास - Page 3 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Bahan Sex Story प्यारी बहना की चुदास

तो मेरा हाथ ज्योति की फ्रॉक में घुस चुका था, और अब पेंटी पर घूमने लग गया। दोनों बियर का आनंद लेते हुए एक दूसरे से मजे ले रहे थे। अब दोनों ग्लास को टेबल पर रखकर एक दूसरे की आंखों में झांकने लग गये।
तो मै ज्योति की बुर को पेंटी पर से ही कुरेद रहा था और वो मेरे बरमूडा को उतारने लग गयी। मैने अपनी बनियान उतार दी, तो ज्योति मेरे सामने खड़ी होकर अपने एक पैर को सोफ़ा पर रख कर खड़ी हो गयी.
मै उसके फ्रॉक को कमर तक करके उसकी जांघों के बीच अपना चेहरा करने लग गया, और पेंटी पर अपना नाक रगड़ने लग गया। अब वो सिसकने लग गई और वो पेंटी खुद ही खोलकर बुर को नग्न करने लग गयी।
मै उसके छेद पर नाक रगड़ने लग गया और वो मेरे बाल को कसकर पकड़ रही थी। अब ज्योति की बुर को मैं चूमने लग गया, तो उसने अपनी फ्रॉक बदन से निकाल दिया। और मै उसकी बुर को उंगली की मदद से फैला कर जीभ से बुर चाटने लग गया।
ज्योति का जिस्म ब्रा के सिवाय पूरा नंगा था, और मै उसकी बुर को चाटता हुआ उसके चूतड़ को सहला रहा था। ज्योति की बुर के अंदर जीभ घूसाकर मैं उसकी बुर का स्वाद ले रहा था, तो मेरा लंड अब खंबे की तरह खड़ा हो गया था।
उसकी बुर की गहराई तक मैं अपनी जीभ को पेल पेल कर मस्त हो रहा था, तो ज्योति बोली।
ज्योति – हाई मै मर गई कुत्ते बुर को कितनी देर तक जीभ से चोदेगा।
तो मै थोड़ा रुका और ज्योति दीदी की बुर को मुंह में भरकर चुभलाने लग गया, अब उसकी दोनो टांगे कांप रही थी, कुछ देर के बाद ज्योति मेरे बाल को पकड़े मेरे चेहरे को पीछे की ओर धकेलने लग गयी।
फिर मै वाशरूम भागा, मूतने के बाद लंड धोकर वापस आया तो ज्योति सोफ़ा पर बैठी हुई थी। अब मै उसके बगल में बैठकर उसकी चूची को दबाने लग गया, तो ज्योति मेरे ओंठ और गाल को चूमकर कर बोली।
ज्योति – आज देर रात तक हम दोनों सिर्फ एक दूसरे के साथ मुखमैथुन का आनंद लेंगे।
फिर मै ज्योति दीदी की चूची पर मुंह लगा कर स्तनपान करता हुआ दूसरा स्तन मसलने लग गया, और ज्योति मेरे लंड को हिलाने लग गई। हम दो जिस्म एक दूसरे के पूरक हो चुके थे, और मै चूची चूसता हुआ उसकी पीठ को सहला रहा था।
ज्योति – उह आह हाई बे मादरचोद चूस साले अपनी बहन की चूची चूस, साले तुम्हे दूध भी पिलाऊंगी ओह बुर में कितनी खुजली है।
ये सुनता ही मै दूसरी चूची मुंह में लेकर चूसने लग गया, और ज्योति की बुर में उंगली पेलकर बुर कुरेदने लग गया। ज्योति की बुर बहुत गरम थी और मुझे अब उसके पानी का इंतजार था, तभी मै जोर जोर से उंगली अंदर बाहर करता हुआ चूची चूसने लग गया।
ज्योति – उह आह अब नहीं सतीश मेरी बुर का रस फेंकने वाली है, अब अपना मुंह लगा मेरी बुर पर।
दोस्तों, ज्योति की चूची चूसकर मै उसकी बुर को कुरेद रहा था, कि तभी ज्योति फिर से बुर चाटने की मांग कर बैठी। और सतीश अब ज्योति की पैरों के सामने जमीन कर बैठा गया, और ज्योति का चेहरा लाल हो चुका था।
उसकी दोनों चूची चुस्वाकर मानो स्ट्रीट की भेपर लाईट हो चुकी थी, तभी उसने ज्योति दीदी की चूतड़ को सोफ़ा के किनारे किया, और उसके दोनों पैर को सोफ़ा पर रख दिया।
ज्योति दोनों पैर ज्योति फैलाकर बैठी हुई थी, तो मै जमीन पर बैठकर उसके मोटे जांघों के बीच अपना चेहरा लगा कर उसकी बुर को चूमने लग गया। फिर ज्योति ने बुर का द्वार खोल दिया, अब ज्योति दीदी की चूत को मैं लपा लप कुत्ते की तरह चाटने लग गया।
ज्योति का हाल खराब था, उसकी चूत गरम और सुखी हुई थी। तो मै बुर के मानसल हिस्से को मुंह में लेकर चूसने लग गया, वो भी कुछ देर के बाद अपने चूतड़ को ऊपर की ओर करने लगी।
 
ज्योति का हाल खराब था, उसकी चूत गरम और सुखी हुई थी। तो मै बुर के मानसल हिस्से को मुंह में लेकर चूसने लग गया, वो भी कुछ देर के बाद अपने चूतड़ को ऊपर की ओर करने लगी।
फिर ज्योति दीदी कि चूत ने रस फेंक दिया, मै रस का स्वाद लेकर बुर को छोड़ा और फिर जीभ घुसा कार रस को चाटने लग गया। फिर अंत में एक उंगली उसकी बुर में डालकर रस से उंगली को गीला किया, फिर मैं उस उंगली को ज्योति दीदी के मुंह में डालकर बोला।
मैं – चख साली अपनी चूत के रस का स्वाद।
मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा था, लेकिन आज का दिन और रात सिर्फ मुख से प्यार करने का तय हुआ था। चुदाई रहित काम वासना आज होने वाली थी, और वो हि हो रहा था।
तभी ज्योति मेरे पैर के पास बैठी और उसने मेरे लंड को थाम लिया। लंड का चमड़ा टाईट होने की वजह से वो खुद नीचे आ चुका था, और ज्योति मेरे लंड पर होंठ सटाकर चुम्बन देने लगी।
तो मै अपना हाथ ज्योति दीदी के गोलाई पर लगाकर चूची दबाने लग गया, और वो लंड का सुपाड़ा अपने चेहरे पर घुमाने लग गयी। तो मेरा हाल खराब होने लग गया, फिर वो मेरे लंड को मुंह में भरकर चूसने लग गयी।
फिलहाल स्थिर मुख से लंड को चूसा जा रहा था और मै सिसक ले कर बोल रहा था।
मैं – अबे साली अपने सर का झटका दे ना आह।
मेरा लंड उसके मुंह में लंबा और कड़ा होने लग गया। तो ज्योति कुछ देर के बाद मेरे लंड को सर का झटका देते हुए मेरे झांट में उंगली घुमा रही थी। और उसके मुखमैथुन की क्रिया से मेरा लंड अब गरम हो चुका था। ज्योति तेजी से मुख का झटका लंड पर दे रही थी। तो मै भी उसकी चूची को दबा कर मजा ले रहा था, पल भर बाद ज्योति लंड को मुंह से बाहर निकल कर उसे अपनी लम्बी जीभ से चाटने लग गयी।
मेरा जी कर रहा था कि अभी इस साली चूद्दक्कर को चोद डालूं, लेकिन ये संभव नहीं था। तो ज्योति मेरे लंड को छोड़कर वाशरूम चली गई और मै ग्लास में बियर भरने लग गया।
उस वक़्त १२:४० दोपहर का हो रहा था और तभी ज्योति नग्न अवस्था में कमर बलखाते हुए मेरे पास आई, और वो मेरे जांघ पर अपना चूतड़ रख कर मेरे गले में बाहों का हार पहनाने लग गयी।
ज्योति के मांस्ल चूतड़ का एहसास मेरी जांघों को मिल रहा था, तो ज्योति दीदी कि बाईं चूची मेरे सीने से चिपकी हुई थी। तभी ज्योति मेरे होंठो पर अपना होंठ रखकर चूमने लग गयी।
मै उसकी पीठ को सहला रहा था, ज्योति की तेज सांसें मेरी सांसों से टकरा कर हम दोनों कि कामुकता को बढ़ा रही थी। अब ज्योति मेरे होंठो को अपनी जीभ से चाटने लग गयी।
तो मेरा मुंह खुलने लगा और उसकी लम्बी सी जीभ मेरे मुह में आ गयी, मैं उसकी जीभ को चूसते हुए ज्योति के पीठ से लेकर उसके चूतड़ को सहला रहा था।
मेरा लंड गरम हो चूका था, पल भर बाद ज्योति जीभ निकाल कर होंठ को चूमने लग गयी और वो बोली।
ज्योति – अब मैं तेरे लंड का वीर्य पियूंगी।
सतीश – निकलेगा तब तो पियोगी साली।
ज्योति – जरूर, एक बात पूछूं?
सतीश – जरूर जानेमन।
ज्योति – कोई गेर तेरी बहन को चोदेगा तो तुझे कैसा लगेगा?
सतीश – जानू कल तेरी शादी होगी, तो तू अपने पति से ही चुदेगी, तो मुझे उससे क्या दिक्कत होगी भला?
ज्योति – अरे सीधे ये बता, अगर मेरे साथ तेरे अलावा एक और लड़का होगा और।
सतीश – तू पागल हो गई है क्या, किसी लड़के के साथ मजे लेना है तूने तो तेरी मर्जी, लेकिन मै भी रहूं तो वो लड़का क्या सोचेगा?
ज्योति – ये तो है?
 
मै सोफ़ा पर बैठा हुआ था तभी ज्योति मेरे सामने बैठी और मेरे लंड को पकड़कर अपने मुंह में भरने लग गयी। फिर सर का तेज झटके देते हुए वो मुखमैथुन करने लग गयी।
तो मै ज्योति की पीठ को सहलाने लग गया, उसकी एक चूची को मसलता हुआ मैं मस्त था और मुझे पता था कि जल्द ही मेरे लंड का रस उसकी मुंह में झड़ेगा।
और ज्योति उसको पीयेगी, इसलिए सतीश उसके बाल को कसकर पकड़ कर उसे नीचे से जोर जोर से लंड का झटका उसके मुंह में देने लग गया। ज्योति दीदी की मुख चुदाई का आनन्द लेता हुआ सब कुछ भुला चुका था।
ज्योति के मुंह से कुछ ऐसे स्वर निकल रहे थे – उह ऊं आह।
और मेरे लंड से थोड़ा सा वीर्य निकल गया तो मैने अब ज्योति दीदी की मुख चुदाई बंद कर दी, और ज्योति अब लंड को मुंह में लेकर तेजी से मुखमैथुन करने लग गयी।
तो मै सिसक लेते हुए बोला – आह उह और तेज बे रण्डी चूस ना आज तेरी मुंह में मूतुंगा।
और फिर कुछ देर के बाद मेरे लंड ने उसके मुंह में अपना दम तोड़ दिया, ज्योति लंड से निकले वीर्य को पीकर मस्त हो गई। और वो फिर लंड के सुपाड़ा को चाटने लग गयी।
मै थक चुका था और ज्योति दीदी मेरे लंड पर लगे वीर्य को चाट कर ही मुझे छोड़ कर लेट गयी। फिर दोनों थककर लेट गए

सतीश अपनी बड़ी बहन ज्योति के नग्न बदन से सात दिन तक खेलता रहा, और सच में अब उसे उबन सी होनी लगी थी तो सतीश अपनी बहन से बोला।
सतीश – अब अगले १५ दिन तक हम दोनों एक दूसरे की ओर देखेंगे तक नहीं।
ज्योति – सही है, लेकिन मुझे पता है, कि तुम हि मेरे बदन पर हाथ लगाकर मुझे गरम करोगे।
सतीश – ठीक है तो लगी शर्त, कौन किसको पहले छूता है?
और दोनों फिर सामान्य जीवन जीने लगे, मम्मी पापा के वापस आने पर घर का माहौल बदल गया था। और एक सप्ताह तक सही में हम दोनों एक दूसरे के करीब भी नहीं आए। एक रविवार मै ज्योति दीदी के कमरे में घुसा तो ज्योति अपने कमरे में नहीं थी।
लेकिन मेरी नजर उसकी ब्रा और पैन्टी पर टिक सी गई, बेड पर रखा पीले रंग का जालीदार ब्रेसियर और पैन्टी देख मेरा लन्ड तमतमा उठा। निश्चित रूप से ज्योति वाशरूम में थी और उसकी ब्रा और पेंटी शायद स्नान करने के बाद उसके गुप्तांगों पर सुशोभित होती है।
तभी मै ज्योति के दोनों कपड़े को उठाकर अपने बरमूडा के पॉकेट में रखे, और मैं अपने कमरे में दाखिल हो गया। अब उसकी ब्रा और पैंटी को मैने अपने वार्डरोब में रख दिया और मैं एक किताब लेकर बेड पर लेट गया।
फिर किताब पढ़ते हुए मैं इस इंतजार में था, कि कब ज्योति मेरे पास आकर अपने ब्रा और पेंटी की खबर मुझसे लेगी। लगभग एक घंटे के बाद ज्योति मेरे कमरे में आई, उसने घुटने तक की स्कर्ट और टॉप्स पहन रखी थी।
मै उसे देखकर मुस्कुराया और मैं बोला – आओ ज्योति दीदी, बैठो।
ज्योति – अबे ज्योति दीदी के बच्चे, मेरे कमरे से तूने जो चोरी की है, वो किधर है?
मै – तुम्हारा कमरा मै गया तक नहीं और क्या चोरी हुआ है जरा बताना?
ज्योति एक बेशर्म लड़की की तरह अपनी स्कर्ट को कमर तक उपर करके बोली -सारे कपड़ा सूख रहे है, और जो पहनने के लिए रखी थी वो तुम उठा लाए हो।
 
उसकी बुर की लालिमा देख मुंह में पानी आ गया और मैं बोला – ज्योति दीदी घर में इस पर कपड़ा डालने की क्या जरूरत है, इसे भी ताजी हवा लगने दो।
ज्योति दीदी स्कर्ट नीचे कर चुकी थी, और इधर मेरा देखते ही टाईट हो गया था।
सतीश – बिल्कुल नहीं बेबी।
फिर ज्योति मेरी कमर के पास बैठकर मुझे देख रही थी, तो वो अचानक से उसने अपना हाथ बढ़ाकर मेरे लंड के उभार को पकड़ लिया और जोर से दबा दिया।
मैं – आऊच ये क्या कर रही हो?
और उसने दुबारा मेरे लंड को पकड लिया, पर अब उसने आराम से बरमूडा के किनारे से बाहर निकाल दिया। अब नग्न लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए मस्त हो रही थी तो मै बोला।
मैं – शर्त तो हार गई बेबी।
ज्योति – तुम अगर मेरी ब्रा और पैंटी इधर नहीं लेकर आते तो फिर मै नार्मल ही रहती। लेकिन हार तुम्हारी हुई है।
मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था और ज्योति उसको कसकर थामे हिला रही थी। तभी मै आवेश में आकर उठा और सीधे वाशरूम में मूतने चला गया। मूतने के बाद लंड को धोकर एक तौलिए से साफ किया और मैं अपने कमरे में आया, तो ज्योति बेड के किनारे बैठे मुस्कुरा रही थी।
मैं बोला – मेरे वार्डरोब में तुम्हारा गायब किया हुआ सामान रखा हुआ है निकलो।
ज्योति – अरे तुम गुस्से में क्यों हो।
और ये कहते ही वो मेरे सामने खड़ी हुई, मै कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसने मेरा बरमूडा जोर से नीचे की ओर खींच दिया। मेरा टाईट लंड उसके हाथ में था, लेकिन उसकी मंशा तब मुझे समझ में आई।
जब वो बेड पर बैठे मेरे लंड को पकड़ कर सीधा मुंह खोल कर पूरा लन्ड मुंह में भरने लग गयी। ज्योति अब मुखमैथुन की कला में दक्ष हो चुकी थी, अपने सर का झटका देते हुए जोर जोर से मेरा लंड चूसने लग गयी तो मै सिसक रहा था।
मैं – ओ अबे साली रण्डी, घर में मम्मी पापा है। अगर उन्होंने देख लिए तो तेरी गान्ड फाड़ देंगे।
लेकिन ज्योति लंड चूसने लाने में लीन थी और मेरा लंड उसकी मुंह में लोहे की सलाख की भांति गरम और कड़ा हो चुका था। कुछ पल बाद ज्योति ने अपने मुंह से मेरा गीला लंड बाहर निकाल दिया।
और अब वो उसको थामे जीभ से चाटने लग गयी, तो मेरे पैर में कम्पन होने लग गये। ज्योति लंड को चाटकर सीधे वाशरूम भागी। मै सोच रहा था कि ज्योति को अभी पटक कर चोद डालूं या फिर बुर चाटकर लंड का रस उस रण्डी को पिला दुं।
इतने में ज्योति वापस कमरे में आई और मेरे बेड पर लेट कर बोली – सतीश, मम्मी कुछ काम से बाहर गई है। लेकिन वक़्त कम और काम ज्यादा है।
सतीश – शर्त तो हार गई, अब क्या लेना है बोल?
ज्योति – छुपकर नहीं खुलकर चुद्वाती हूं।
और मैं ज्योति के कमर के पास बैठकर उसकी स्कर्ट को ऊपर करने लग गया। वो बेशर्म लड़की की तरह अपनी दोनों टांगों को फैला कर लेट गयी। तो मैने एक तकिया ज्योति के नितम्ब के नीचे डाल दिया, और अब अपना चेहरा ज्योति दीदी कि दोनों मस्त जांघों के बीच करके बुर का दीदार करने लग गया।
 
सही में जब से ज्योति चूत चुदाई करवाने लगी, तो उसकी बुर की खूबसूरती देखने लायक थी। मैं उसको चूमता हुआ उसकी बुर के छेद में एक उंगली पेल कर उसे रगड़ने लग गया।
मैं बुर के दोनों फांक को चूमकर मस्त हो रहा था, तो वो सिसकने लगी और बोली – अरे कुते, लंड में जंग लगा है क्या, उंगली पेल रहा है?
लेकिन मै ज्योति की बुर को चूम चूम कर मस्त हो रहा था और अब बुर की आग असहनीय थी। तो मैंने उंगली निकालकर अब बुर की फांकों को फैलाया, और मैं अपनी जीभ ज्योति की बुर को चाटने लग गया।
तो ज्योति अपने चूतड़ को उच्काने लगी, वो सिसक लेते हुए बोली – उई मां, इतनी खुजली ही रही है चोद ना सतीश।
लेकिन मै बुर के अंदर जीभ लपालप करता हुआ उसके पानी पीने को तरस रहा था। ज्योति दीदी की चूत की पानी का स्वाद नमकीन था, तो अब मेरा लंड पूरी तरह से गुफा में जाने को तरस रहा था।
तभी मै ज्योति की चिकनी और गद्देदार चूत को मुंह में भर कर चूसने लग गया, और वो तड़पते हुए बोली – अब अब नहीं, प्लीज़ छोड़ दो आह बुर का पानी।
फिर मैं बुर का रस को पीकर मस्त हो उठा। घर में सिर्फ हाम दोनो हि थे और ज्योति को मैने एक हफ्ते से नहीं चोदा था। और साथ ही एक शर्त भी मैं जीत चुका था।
अब ज्योति वाशरूम चली गई तो मै उसका इंतजार करने लग गया। ज्योति के गोल गोल स्तन, पतली कमर और गोल गुंबदाकार गान्ड किसी को सम्मोहित करने के लिए काफी थी।
वो बेड पर आकर लेटी तो मैने उसको कोहनी और घुटने के बल कर दिया। अब स्कर्ट कमर पर था तो उसकी गान्ड देख मुंह में पानी आ गया, । खैर अब तक उसकी गान्ड को चोदने का मुझे मौका नहीं मिला था।
तो मै अब घुटने के बल होकर लंड को बुर में घुसाने लग गया। सुपाड़ा सहित १/२ लंड आराम से बुर में चला गया और मै उसकी कमर को कसकर पकड़े एक जोर का धक्के से लुंड को उसकी बुर में डालने लग गया।
ज्योति – बाप रे, बुर का भर्ता बना देगा क्या?
मै चोदता हुआ बोला – चूपकर साली कुती एक तो पेंटी और ब्रा के बहाने बुर दिखाने आ गई और शर्त हार कर भी बोलती है।
ज्योति – बुर में आग लगी हुई है जानू, वो तो एक बहाना था लेकिन तुम भी तो मेरा ब्रा और पैंटी लेकर आए थे।
अब उसकी गीली चूत में मेरा लंड पूरे गति से चुदाई कर रहा था, यकीन ही नहीं हो रहा था कि इस चूत को मैंने पहले भी चोदा है। और ज्योति अब पीछे की ओर देखते हुए अपने चूतड़ की हिलाने लगी। सही में दोनों काफी मजे ले रहे थे और वो बुर की गर्मी से राहत चाहती थी।
ज्योति – अब रहम करो बे चोदु।
मै- दम मार जल्दी ही माल झाड़ूगा।
बुर की आग में मेरा लंड तेज गति से चुदाई कर रहा था, फिर लंड का दम घुटने लगा तो मेरा लंड ज्योति की चूत में वीर्य झाडने लग गया। फिर दोनों अलग हुए और फ्रेश होकर कपड़ा पहन आराम करने लगे।
 
शनिवार के सुबह ही मेरी ज्योति दीदी ज्योति की चिकनी चूत खुजलाने लगी, तो मेरे दिल में भी उनको चोदने की इच्छा थी। बस मै शर्त हारना नहीं चाहता था, एक २२-२३ साल की कुंवारी लड़की अपने जिस्म की आग को कैसे शांत करती है।
वो तो मुझे नहीं पता लेकिन ज्योति की लंड के लिए तड़प हमेशा उसे मेरे करीब खींच लाती थी। रविवार के सुबह घर के सभी सदस्य साथ बैठकर चाय पी रहे थे, तो मेरी नजर कभी ज्योति के स्तन पर जाती तो कभी उसके जांघों की ओर जाती।
वो सलवार कमीज़ पहन कर बैठी हुई थी। उसका गोरा मुखड़ा, सुराही नुमा गर्दन, टेनिस बॉल समान चूची तो सपाट पेट लेकिन मेरी बहन के बदन का निचला भाग अधिक भारी और सेक्सी था।
उसकी गोल गुंबदाकार चूतड़ और मोटे चिकने जांघों के साथ उसके बीच में बुर, दोनों फांक गद्देदार और दरार काफी कसी हुई है। तो ज्योति बुर को काफी हद तक बाल रहित रखती थी।
चाय पीने के बाद, ज्योति वहां से उठकर चली गई तो मम्मी बोली -ज्योति को लेकर ब्यूटी पार्लर जाऊंगी, तुम स्नान करके नाश्ता कर लेना।
मैं – कोई खास बात।
मम्मी – हां, कल उसे देखने के लिए लड़के वाले आ रहे है।
तो अब मै क्या बोलत, खैर मै उठकर अपने कमरे में चला गया। फिर वाशरूम घुसा, स्नान करते वक़्त सिर्फ ज्योति को सोच रहा था। लेकिन उसकी शादी होने पर मुझे ही परेशानी थी, खैर स्नान करके डायनिंग हाल में घुसा और फिर नाश्ता लेने के लिए किचन चला गया।
नाशता कर ही रहा था कि ज्योति और मम्मी दोनों अपने अपने कमरे से बाहर निकले और फिर मम्मी बोली।
मम्मी – बेटा मै एक घंटे में आ जाऊंगी।
मै ज्योति को घूरता हुआ बोला – ठीक है।
वो काले रंग की स्कर्ट और टॉप पहने हुए थी, उनके जाने के बाद मेरा नाश्ता खत्म होते ही मैने घर का दरवाजा बंद कर दिया। पापा भी किसी दोस्त के घर गए हुए थे, तो अकेले में मैने अपना मोबाइल लिया और बेड पर लेटकर एक पोर्न वीडियो देखने लग गया।
ज्योति की शादी उसको कुछ खास परेशान नहीं करती, आखिर हर लड़की का ये एक सपना होता है। और २२-२३ साल की लड़की के लिए अपनी जवानी को संभालना काफी कठिन भी होता है और वो भी बिना किसी बॉयफ्रेंड के।
खैर मै पोर्न वीडियो देखने में मशगूल था। पोर्न वीडियो देख मेरा लन्ड टाईट हो गया और मै एक नग्न महिला को दो लड़कों के साथ मजे लेते देख अपने लंड को बरमूडा से बाहर निकाल कर उसे धीरे धीरे हिलाने लग गया। महिला एक लड़के के लंड को चूसते हुए दूसरे से चूद रही थी, वो बिस्तर पर घोड़ी बनकर गान्ड की ओर से लंड लिए दूसरा लंड मुंह में भर मुखमैथुन करने में मस्त थी।
तो उसके दोनों स्तन सीने से लटक रहे थे जिसे एक लड़का पकड़कर दबा रहा था। तभी मैने वाशरूम जाकर पिसाब किया और फिर बेड पर आकर लेट गया। अब आराम फरमाते हुए मैं लंड को ठंडा कर रहा था।
ज्योति के रहते मुठ मारकर लंड को ठंडा करना बेवकूफी था और फिर मेरी आंख लग गई। मेरी नींद मोबाइल की घंटी बजने से टूटी, तो मै मम्मी का नंबर देख कर थोड़ा हैरान रह गया। फिर मैंने मोबाइल पर कॉल रिसीव किया और मैं बोला. ।
मैं – हां मम्मी, बोलो?
मम्मी – दरवाजे के बाहर खड़ी हूं।
फिर मैंने जाकर दरवाजा खोला, मुझे देख कर मम्मी गुस्से में थी और वो बोली – इतनी देर से दरवाजा खटखटाया और तुम कहाँ थे?
मैं – मेरी आंखें लग गई थी।
फिर मम्मी अपने कमरे में चली गई और ज्योति अपने कमरे की ओर चली गयी। मै कुछ देर रुककर ज्योति के कमरे में घुसा तो उसको देख दिमाग सन्न रह गया। वो अपने स्कर्ट और टॉप्स को उतारकर सिर्फ पेंटी और ब्रा में खड़ी थी।
लेकिन उसका चेहरा दीवार की ओर था तो मै हल्के कदम से उसके करीब पहुंचा और पीछे से दबोच लिया। ज्योति मेरे छुअन से डर गई, पीछे देखते हुए बोली।
ज्योति – पता है ना, कल मुझे लड़के वाला देखने आयेगें।
मै ज्योति की गोलाई को दबाने लग गया और मैं बोला – तो क्या हुआ बेबी, उसको जों देखना है वो तो ऊपर से ही दिख जाएगा।
ज्योति – क्यों शादी के बाद क्या वो अंदर का हिस्सा नहीं देखेंगे?
मै ज्योति के गर्दन को चूमने लग गया और बोला – वो तो तुम्हारे पति देखेंगे, नाकि उनके मम्मी और पापा।
ज्योति मुझे पीछे की ओर धकेलने का प्रयास कर रही थी और बोली – चुपकर साले कुत्ते, जब देखो मुझे देख मुंह से लार टपकाने लगता है।
सतीश अपनी ज्योति दीदी की चूची को जोर जोर से मसलता हुआ अपने लंड को उसके चूतड़ पर गड़ा रहा था। तभी कमरे से बाहर पैर की आहट सुनाई दी, तो मै डर सा गया। मैंने तभी ज्योति को छोड़ा और वो अपना नाइटी लिए वाशरूम घुस गई।
मैं ज्योति दीदी के बेड पर लेटकर एक किताब उठा कर और उसे पढ़ने लग गया। पल भर बाद मै ज्योति दीदी के कमरे से बाहर गया, तो मम्मी किचन में थी। फिर मैं सीधे अपने कमरे में घुसा और बेड पर लेटकर सोचने लग गया कि किस तरह से ज्योति को अपने खड़े लंड से जल्दी चोदा जाये।
खैर वक़्त दोपहर के १२:३० हो रहे थे, तो मुझे पता था कि मम्मी खाना बनाकर मार्केट निकलेगी और शायद वो कुछ देर आराम करे। फिर हम सब ने एक साथ खाना खाया। तभी मै डायनिंग रूम गया, तो मम्मी किचन में ही थी और मै एक ग्लास पानी लेने के लिए रेफ्रिजरेटर के पास गया।
तो मम्मी पीछे देखते हुए बोली – मै अब आराम करने जा रही हूं, अगर नींद लग जाय तो एक घंटे बाद उठा देना।
फिर मम्मी अपने रूम चली गई और में मौका पाते ही ज्योति के कमरे में चला गया। वो बेड पर लेटकर एक किताब पढ़ रही थी, मुझे देख का वो उठकर बैठ गई और मै उसके सामने बैठकर बोला।
मैं – एक तो तुम शर्त मुझसे हार चुकी हो, उस पर से इतना नखरा।
ज्योति मुस्कुराने लगी और बोली – चल बोल जल्दी से, अभी यहां तेरा क्या काम है।
तो मै झट से उसके गर्दन के पीछे हाथ लगा कर उसके होंठो को चूमने लग गया। चूमते चूमते मैं उसके रसीले होठो को अपने मुंह में भरकर चूसने लग गया।
ज्योति नाइटी में मस्त माल लग रही थी, और वो धीरे से मेरे गोद में बैठकर अपने दोनों पैर को मेरे कमर से लपेटने लग गयी। उसकी गद्देदार गान्ड को जांघों पर रख मै काम की दुनिया में खो गया।
 
अब उसका स्तन मेरे छाती से चिपक रहे थे, जैसे हि मैंने उसके होंठो को चुसना बंद किया, तभी उसने अपनी लम्बी जीभ बहार निकल कर मेरे मुंह में डाल दी। अब ज्योति को मै अपने आगोश में कर चुका था और दोनों के लिए एक घंटे का वक़्त काफी था।
ज्योति की जीभ को चूसते हुए मै उसके चूतड़ को सहला रहा था, तो वो कामुकता की आग में जल रही थी। मैंने ज्योति की नाइटी को कमर तक कर उपर कर दी, अब तो उसका नग्न चूतड़ मेरे जांघों को सुखद अहसास दे रहे थे।
मैं उसको सहलाता हुआ, ज्योति दीदी की जीभ को चूस रहा था। लेकिन वो ३-४ मिनट में ही मेरा चेहरा पीछे की ओर करके अपना जीभ मुंह से निकालने लग गयी। दी। मेरा हाथ उसकी पीठ को सहला रहा था, तो ज्योति मेरे गर्दन और चेहरा को चूमने में लीन थी।
फिर ज्योति मुझे बेड पर धकेलने लग गयी, अब मै लेटा हुआ था तो बरमूडा के ऊपर से ही मेरे टाईट लंड का उभार स्पस्ट था। ज्योति उसको थामकर बरमूडा को नीचे करने लगी और मेरे नग्न लंड को पकड़ अपना चेहरा उस पर लगाने लग गयी।
मेरा लन्ड काफी गरम हो चुका था, जो पोर्न वीडियो देख पहले से ही खड़ा हो चुका था। शायद उसकी मुखमैथुन की कला ही उसके वीर्य को निकाल देती बांकी ज्योति उसके चमड़े को नीचे करके सुपाड़ा को अपने होठों पर रगड़ने लगी। अब ज्योति मेरा लन्ड मुंह में भरकर चुभलाने लगी तो मै सिसक रहा था ।
मैं – उई आह जरा सर का तो झटका दे साली।
और ज्योति अब अपने सर का झटका देते हुए मेरा लन्ड का हाल खराब कर रही थी, तभी मै बोला – बेबी जरा रुकना।
ज्योति – क्या हुआ साले, सुबह से ही मेरे गान्ड के पीछे घूम रहे हो और इतने में हालत खस्ता हो गयी?
मैं – जरा ६९ आसन में हो जाओ।
फिर सतीश लेटा हुआ था और ज्योति को अपने बदन पर लेटने को बोला। ज्योति दीदी मेरे मुंह के ऊपर अपने चूतड़ को कर दी तो उसकी दोनों टांगें दो दिशा में थी, और उसका चेहरा मेरे लंड के पास था।
अब ज्योति के नाइटी को कमर तक करके उसकी पेंटी को खोल फेंका तो बुर देवी का दर्शन हुआ। ज्योति मेरे लंड को मुंह में लेकर मुखमैथुन करने लगी, तो मै उसके बुर की फांक को अलग करके जीभ से चाटने लग गया।
उसकी कसी हुई चूत में जीभ घुसाकर कुत्ते की भांति चाटने लग गया, और मेरा लंड तो आग का गोला बन चुका था। ज्योति मेरा लन्ड मुंह से निकालकर उसको चाटने लग गयी, और मै अब बुर में उंगली घुसाकर कुरेदने लग गया।
तो ज्योति मेरे लंड को फिर से मुंह में भरकर चूसने लगी और उसका स्थिर मुंह मेरे लंड का हाल खराब कर रहा था। तभी ज्योति की बुर से पानी निकलने लग गया, मै उंगली निकाल अब जीभ से बुर चाटता हुआ मस्त हो रहा था।
तो ज्योति अब तेजी से सर का झटका देते हुए मेरे गरम लंड का रस निकालने में लीन थी। तभी मुझे रस निकलने का एहसास हुआ और मैने नीचे से कमर उठा पूरा लंड उसके मुंह में घुसा दिया। मेरा सुपाड़ा उसके गले में अटक गया, और लंड पिचकारी की भांति उसके मुंह में वीर्यपात करा दिया। फिर दोनों अलग होकर फ्रेश हुए और मै अपना कमरा चला गया।

end
 
Back
Top