hotaks444
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लग्भग १५ मीनट तक दोनों इसी तरह से पलंग पर पड़े रहते है दोनो ही इस लंबी चुदाई के बाद बूरी तरह से थक चुके थे। नेहा की ऐसी धमाकेदार चुदाई पहली बार हुई थी इससे पहले उसके साथ संजय ने जो भी किया था वो तो चुदाई के नाम पर उसके अंगो से खिलवाड़ भर था, और वो बेचारी इसे ही संभॊग समझती रही। किसी मर्द के कड़क लंड़ की ताकत का उसे पहली बार अहसास हुआ था और शायद आज की इस चुदाई के बाद उसे "मर्द"शब्द का अर्थ भी समझ में आ चुका था।
हांलाकि नेहा को इस बात का थोड़ा दु:ख और क्रोध जरूर था कि जो कुछ भी सनी ने उसके साथ किया उसमें उसकी मर्जी नहीं थी , लेकिन सनी ने इस बुरी तरह से अपने लंड़ से उसकी चूत में प्रहार किये कि कई महिनों से वासना की आग में भीतर ही भीतर जलते रहने के कारण स्खलन का जो पानी उसकी चूत से बाहर आने के लिये उबाल मार रहा था वो सनी के लंड़ के प्रहार से ही बाहर आया था और . एक स्त्री तभी स्खलित होती है जब वो संतुष्ठ होती है। स्खलन के इस पानी ने नेहा के न केवल दुख को समाप्त किया बल्कि उसने नेहा के हल्के से ही लेकिन क्रोध पर भी पानी फ़ेर दिया और वो परम संतुष्त के भाव से सनी की तरफ़ देखने लगी।
पति चाहे लाख कामाये या अपनी पत्नी को उपर से नीचे तक गहनों से लाद कर रखे लेकिन यदि वो बिस्तर पर अपनी पत्नी को संतुष्त नहीं कर सकता तो ऐसी धन दौलत और गहनों को पा कर भी वो कभी संतुष्त नहीं रह सकती और मर्द की यही कमजोरी या लापरवाही एक दिन उसकी पत्नी को पतिता बनने के लिये मजबूर कर देती है।ऐसा पति और उसका दौलतखाना किसी पत्नी के लिये "सोने" की जेल से कम नहीं होता।
संजय ने नेहा को सब कुछ दिया लेकिन वो उसकी शारीरिक जरुरतों के प्रति जागरुक नहीं रहा और अपनी पत्नी के शरीर में लगी अगन को समझ नहीं पाया और उसके प्रति उपेक्षित रवैया अपनाते रहा। वो सोचता रहा कि नेहा तो एक भारतीय स्त्री है जब पति के साथ रहेगी तभी वो ये सब काम करेगी। और वैसे भी नेहा का शर्मिला स्वभाव और कम बोलने की उसकी आदत के कारण संजय तो क्या कोई भी ये सोच भी नहीं सकता था कि उसके जैसी स्त्री भी अपनी सारी मर्यादायें ताक में रख कर किसी पुरुष से
संभोग करने जैसा काम कर सकती है। लेकिन दुनिया का इतिहास गवाह है कि रावण की लंका भी उसके अपने सगे भाई ने ही ढहाई थी और भी दुनिया में जितनी भी बड़ी सत्ताओं का पतन हुआ है उन सबमें आस्तिन के सापों का पूरा योगदान रहा है , दुनिया का इतिहास जयचंदो से भरा पड़ा है।
सनी ने भी यदि अपने बड़े भाई के घर में सेंध मारी थी और उसके साथ विश्वासघात किया था तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी . इसमें सबसे बड़ा दोष तो स्वयं "संजय" और उससे भी ज्यादा उसेके परिवार का था जिन्होंने एक जवान शरीर की जरुरतों को नजरांदाज किया और केवल शादी करवा कर अपने कर्तव्य की समाप्ति समझ ली।
घर की तीसरी मंजिल पर २३ साल की खूबसूरत जवान बहू का कमरा और ठीक उसके बगल में उसके २४ साल के जवान देवर का कमरा यानी आग और पेट्रोल साथ साथ। दुनिया के ९९.९% लोग अपने घर के लोगों को सच्चरित्र और शरीफ़ ही समझते हैं और वे तमाम बुराई अपने घर के बाहर ही देखते हैं।
हांलाकि नेहा को इस बात का थोड़ा दु:ख और क्रोध जरूर था कि जो कुछ भी सनी ने उसके साथ किया उसमें उसकी मर्जी नहीं थी , लेकिन सनी ने इस बुरी तरह से अपने लंड़ से उसकी चूत में प्रहार किये कि कई महिनों से वासना की आग में भीतर ही भीतर जलते रहने के कारण स्खलन का जो पानी उसकी चूत से बाहर आने के लिये उबाल मार रहा था वो सनी के लंड़ के प्रहार से ही बाहर आया था और . एक स्त्री तभी स्खलित होती है जब वो संतुष्ठ होती है। स्खलन के इस पानी ने नेहा के न केवल दुख को समाप्त किया बल्कि उसने नेहा के हल्के से ही लेकिन क्रोध पर भी पानी फ़ेर दिया और वो परम संतुष्त के भाव से सनी की तरफ़ देखने लगी।
पति चाहे लाख कामाये या अपनी पत्नी को उपर से नीचे तक गहनों से लाद कर रखे लेकिन यदि वो बिस्तर पर अपनी पत्नी को संतुष्त नहीं कर सकता तो ऐसी धन दौलत और गहनों को पा कर भी वो कभी संतुष्त नहीं रह सकती और मर्द की यही कमजोरी या लापरवाही एक दिन उसकी पत्नी को पतिता बनने के लिये मजबूर कर देती है।ऐसा पति और उसका दौलतखाना किसी पत्नी के लिये "सोने" की जेल से कम नहीं होता।
संजय ने नेहा को सब कुछ दिया लेकिन वो उसकी शारीरिक जरुरतों के प्रति जागरुक नहीं रहा और अपनी पत्नी के शरीर में लगी अगन को समझ नहीं पाया और उसके प्रति उपेक्षित रवैया अपनाते रहा। वो सोचता रहा कि नेहा तो एक भारतीय स्त्री है जब पति के साथ रहेगी तभी वो ये सब काम करेगी। और वैसे भी नेहा का शर्मिला स्वभाव और कम बोलने की उसकी आदत के कारण संजय तो क्या कोई भी ये सोच भी नहीं सकता था कि उसके जैसी स्त्री भी अपनी सारी मर्यादायें ताक में रख कर किसी पुरुष से
संभोग करने जैसा काम कर सकती है। लेकिन दुनिया का इतिहास गवाह है कि रावण की लंका भी उसके अपने सगे भाई ने ही ढहाई थी और भी दुनिया में जितनी भी बड़ी सत्ताओं का पतन हुआ है उन सबमें आस्तिन के सापों का पूरा योगदान रहा है , दुनिया का इतिहास जयचंदो से भरा पड़ा है।
सनी ने भी यदि अपने बड़े भाई के घर में सेंध मारी थी और उसके साथ विश्वासघात किया था तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं थी . इसमें सबसे बड़ा दोष तो स्वयं "संजय" और उससे भी ज्यादा उसेके परिवार का था जिन्होंने एक जवान शरीर की जरुरतों को नजरांदाज किया और केवल शादी करवा कर अपने कर्तव्य की समाप्ति समझ ली।
घर की तीसरी मंजिल पर २३ साल की खूबसूरत जवान बहू का कमरा और ठीक उसके बगल में उसके २४ साल के जवान देवर का कमरा यानी आग और पेट्रोल साथ साथ। दुनिया के ९९.९% लोग अपने घर के लोगों को सच्चरित्र और शरीफ़ ही समझते हैं और वे तमाम बुराई अपने घर के बाहर ही देखते हैं।