Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ - SexBaba
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Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ

desiaks

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Aug 28, 2015
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मैं दिवाना बहनों का

मैं राजाबाबू एक बार फिर। मैं अब 22 साल का हो गया हूँ.. पहले से थोड़ा और हैण्डसम भी हो गया हूँ। मेरे घर में माँ-पापा के अलावा मैं और मेरी दो बहनें हैं.. डॉली और कांता। डॉली मुझ से 3 साल बड़ी है।
वो बीटेक पूरी करके एक सॉफ़्टवेयर कंपनी में जॉब कर रही है। दूसरी है कांता.. जो 19 साल की है.. वो पूनमढिल्लो जैसी हो गई है। लेकिन पहले सिर्फ़ चेहरे से ही पूनमढिल्लो जैसी लगती थी.. पर जिस्म से भी वैसी ही हो गई है। कांता बीटेक के पहले साल में है।
बात शुरू यहाँ से हुई कि एक दिन मेरे निम्बज आईडी (एक चैट पोर्टल) में एक रिक्वेस्ट ‘हॉट & सेक्सी गर्ल’ के नाम से आई.. तो मैंने उसको अपनी फ्रेंड लिस्ट में ज़ोड़ लिया और उसको ‘हाई’ लिख कर भेजा.. तो उधर से भी ‘हाई’ लिख कर आया।
मैंने उसका नाम पूछा.. तो वो बोली- नाम में क्या रखा है?
तो मैं बोला- तो मैं आपको किस नाम से बुलाऊँ?
‘सेक्सी गर्ल बोल सकते हो..’
मैंने उससे कुछ देर तक यूँ ही फॉर्मल बात की.. फिर मैंने उससे सेक्स चैट करना चाहा.. और पूछा।
मैं- आपकी उम्र?
सेक्सी गर्ल- 24 और तुम्हारी?
मैं- सेक्सी एज.. 22..
सेक्सी गर्ल- थैंक यू.. तुम तो मुझसे छोटे हो..
मैं- छोटा हूँ तो क्या हुआ.. मेरा दिल बड़ा है।
सेक्सी गर्ल- ऊऊऊऊऊओह..
मैं- आपका ब्वॉयफ्रेण्ड है?
सेक्सी गर्ल- नहीं..
मैं- क्यों?
सेक्सी गर्ल- कोई अच्छा लड़का मिला नहीं.. तुम्हारी गर्लफ्रेंड है?
मैं- नहीं..
सेक्सी गर्ल- क्यों?
मैं- कोई हॉट & सेक्सी गर्ल मिली नहीं या ये बोलूँ कि बस आप से जो मिलना था इसलिए कोई मिली ही नहीं..।
सेक्सी गर्ल- हा हा हा हा..
वो हँसने लगी।
मैं- आप रियली हॉट & सेक्सी हो..
सेक्सी गर्ल- हाँ वो तो मैं हूँ..
मैं- पर तुम कितनी सेक्सी हो.. ज़रा हमें भी बताओ अपना फिगर..
सेक्सी गर्ल- 36बी-28-32..
मैं- वाउ.. मस्त है.. मम्मे इतने बड़े कैसे हुए.. और पतली कमर?
सेक्सी गर्ल- जब चैट करती हूँ.. तो मैं खुद अपने दबाती रहती हूँ।
मैं- खुद से.. कभी किसी लड़के ने नहीं दबाए?
सेक्सी गर्ल- हाँ..
मैं- किसने?
सेक्सी गर्ल- एक ब्वॉयफ्रेण्ड था.. उसने दबाए थे..
मैं- था.. मतलब अब नहीं है.. चलो मेरी लाइन तो क्लियर है..
सेक्सी गर्ल- हा हा अह आहा हाहा.. नो.. मैंने खुद ही उसे छोड़ दिया..
मैं- क्यों?
सेक्सी गर्ल- पसंद नहीं था..
मैं- ऊओह.. तो ब्वॉयफ्रेण्ड ने सिर्फ़ चुचों को ही दबाया या कुछ किया भी?
सेक्सी गर्ल- हाँ.. किया था..
मैं- क्या.. क्या.. बताओ भी?
सेक्सी गर्ल- किस किया.. चुचों को दबाया..
मैं- बस.. और कुछ नहीं.. मतलब उसने तुम्हें चोदा नहीं?
सेक्सी गर्ल- नहीं..
मैं- तो तुम्हारी बुर ने अभी तक लंड नहीं चखा है..?
सेक्सी गर्ल- नहीं..
मैं- वाउ.. पूरे 24 साल की हो गई हो.. और बुर कुँवारी है?
सेक्सी गर्ल- नहीं.. मैंने उसमें उंगली की है।
मैं- ऊऊओह..
सेक्सी गर्ल- हाँ.. तुमने कभी सेक्स किया है?
मैं- हाँ..
सेक्सी गर्ल- किसके साथ?
मैं- एक स्कूल फ्रेंड.. एक पड़ोसी.. एक दोस्त की बहन.. एक भाभी और पापा के एक दोस्त की बीवी और बेटी और उसकी बेटी की एक दोस्त.. गर्ल-फ्रेंड.. कईयों के साथ चुदाई की है..
सेक्सी गर्ल- वाउ.. यार इतने लोगों को चोदा.. मतलब तुमको चोदना अच्छा लगता है?
मैं- हाँ.. ये मेरा पसंदीदा खेल है.. क्यों तुमको चुदना अच्छा नहीं लगता है क्या?
सेक्सी गर्ल- हाँ यार.. मेरा मन तो बहुत करता है..
मैं- तो तुमको चुदने का मौका नहीं मिला क्या?
सेक्सी गर्ल- हाँ मेरा मन तो बहुत होता है.. लेकिन मैं किसी से भी नहीं चुद सकती.. सामने कोई अच्छा लड़का भी तो मिलना चाहिए ना..
मैं- हाँ.. वो तो है.. मतलब आप मेरे बारे में बोल रही हो?
सेक्सी गर्ल- नोओ.. तुम्हारे लंड का साइज़ कितना है?
मैं- 8.5″ लंबा और 3.5″ मोटा..
सेक्सी गर्ल- वाउ.. सो सेक्सी लंड.. क्या तुम अपने लंड की एक पिक्चर सेंड कर सकते हो?
मैं- हाँ.. क्यों नहीं.. आप बोलें तो पूरा लंड लेकर ही आपके पास आ जाऊँ..
वो हँसने लगी- पहले दिखाओ तो..
मैंने एक पिक्चर सेंड कर दी।
सेक्सी गर्ल- वाउ यार.. इतना सेक्सी लंड है..
मैं- थैंक्स.. अब तुम भी अपने चुचों या बुर की पिक्चर सेंड करो ना..
उस दिन तो पट्ठी ने टाल दिया.. लेकिन अगले दिन एक फोटो बिना चेहरे की भेज दी जिसमें मम्मे और बुर दिख रहे थे।
मैं- सच में यार तेरे मम्मे तो उम्मीद से ज्यादा सेक्सी हैं।
सेक्सी गर्ल- थैंक्स..
मैं- वीडियो चैट करो न.. बिना फेस के..
सेक्सी गर्ल- अभी नहीं..
मैं- डर रही हो क्या..? खैर.. कोई बात नहीं.. जब भरोसा हो जाए.. तब ही करना..
सेक्सी गर्ल- ओके..
कुछ दिन वैसे ही बात करने के बाद.. फिर एक दिन रात में मैंने पूछा- वीडियो चैट करोगी?
तो वो मान गई और उसने अपना कैमरा ऑन कर दिया.. लेकिन कैमरे में सिर्फ़ गर्दन के नीचे का जिस्म दिख रहा था। उसने गुलाबी रंग की एक स्लीबलैस नाइट ड्रेस पहनी हुई थी.. जो उसकी आधी चूचियों और पेट को ढके हुई थी।
बाकी उसकी गर्दन.. दोनों हाथ और चुचों के ऊपर का गोरा बदन दिख रहा था। उसने हाथ हिलाया तो मैंने भी हाथ हिला कर ‘हाय’ बोला..
मैं- सो सेक्सी बॉडी..
सेक्सी गर्ल- थैंक्स..
मैं- अपने चुचों को सहलाओ ना..
तो उसने अपने चुचों को कैमरा के और पास ला कर उन्हें हल्का सा हिला दिया और हाथ से सहला दिया। फिर उसने कैमरा को नीचे किया.. नीचे उसने सिर्फ़ एक काली और लाल मिक्स रंग की पैंटी पहनी हुई थी और नीचे से पूरी नंगी थी। उसकी टाँगें भी बहुत चिकनी और सेक्सी लग रही थीं।
मैं- तुम्हारे पैर भी बहुत सेक्सी हैं.. थोड़ा और दिखाओ न..
सेक्सी गर्ल- ओके..
उसने थोड़ा पीछे हो कर कैमरे को एड्जस्ट किया और गर्दन के नीचे के अपने पूरे बदन को दिखाया.. उसने ब्रा और पैंटी के ऊपर कुछ पारदर्शी ड्रेस पहनी थी। फिर वो पीछे मुड़ गई.. उफ्फ.. क्या मस्त गान्ड थी उसकी यार..
कपड़ों के ऊपर से ही मन कर रहा था कि कैमरे में हाथ डाल कर दबा दूँ.. लेकिन मैं देखने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता था।
फिर वो गान्ड मटकाते हुए आगे को बढ़ी.. जब वो चल रही थी तो उसके बुरड़ और भी सेक्सी लग रहे थे।
फिर उसने गान्ड के पास से अपने झीने से टॉप को उठाया तो सिर्फ़ पैंटी में उसके बुरड़ों की गोरी चमड़ी और उस पर एक काला तिल तो और भी हॉट लग रहा था। जैसे किसी ने बुरी नजर से बचाने के लिए काला टीका लगा दिया हो।
मैं- वाउ.. यार क्या मस्त गान्ड है.. इसको देख कर मेरा तो लंड खड़ा हो गया है.. और इस पर वो तिल तो.. और भी क़यामत लग रही हो।
सेक्सी गर्ल- ऊऊऊहह.. सच में.. तुम भी तो दिखाओ अपना लंड..
मैं- लो देखो..
मैं अपना लंड कैमरे के सामने ले गया तो लंड को देख कर बोली- सच में.. बहुत अच्छा लंड है.. बड़ा और मोटा भी है.. छूने का मन हो रहा है..
मैं- हाहहहहह.. तो छू लो.. रोका किसने है..
सेक्सी गर्ल- हाहहहहहहाहा..
मैं- अब कुछ और दिखाओ.. अपने कपड़े उतारो न..
उसने अपनी गुलाबी पारदर्शी ड्रेस को खोल दिया.. तो मुझे उसके गुलाबी ब्रा और काली पैंटी दिखने लगी और अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में सामने थी।
मैं- अपनी चूचियों को कैसे दबाती हो..?
वो अपनी रसीली सी चूचियों को मसलने लगी।
मैं- ज़रा अपनी ब्रा हटा कर अपने नंगी चूचियों का दीदार तो करवाओ यार..
उसने अपनी ब्रा को हटा दिया.. ब्रा के हटते ही उसकी दोनों चूचियों बाहर उछल कर आ गईं, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों पर लाल निप्पल और भी क़यामत लग रहे थे।
मैं- तुम्हारी चूचियाँ तो और भी हॉट हैं.. इसको देख कर मेरे लौड़े को कंट्रोल ही नहीं हो रहा है.. अगर तुम पास होतीं.. तो मैं इनको चूसता ही रहता।
सेक्सी गर्ल ने अपने बुब्बू दबाते हुए एक आह सी निकाली- ऊऊऊओह..
मैं- हाँ.. लेकिन क्या करूँ.. इन्हें देख कर ही संतुष्ट हो जाता हूँ.. मेरे बदले तुम ही उनको मसलो न.. और हिलाओ भी..
सेक्सी गर्ल- ठीक है..
अब वो अपनी चूचियों को मसलने लगी हिला-हिला कर मुझे दिखा रही थी। फिर अपने निप्पल को दो उंगली के बीच में फंसा कर चूचियों को हिलाने लगी।
मैं- सिर्फ़ एक कपड़ा अच्छा नहीं लग रहा है तुम्हारे ऊपर.. उसको भी उतार दो..
तो वो पीछे मुड़ गई और अपने बुरड़ों को दबाते हुए उसने अपनी पैन्टी भी उतार दी।
उसके बाद उसके नंगे बदन को देख कर मजा आ गया। वो अपने गोल बुरड़ों को कैमरे के सामने लाई और हिलाने लगी।
मैं- ज़रा अपनी गुलाबी बुर तो दिखाओ?
तो वो आगे को घूम गई और कैमरा को अपनी बुर के सामने ले गई.. क्या हॉट और चिकनी चमेली बुर थी.. उसकी बुर को देख कर ही लग रहा था कि ये अब तक सच में ही कुँवारी है.. मानो मेरे लंड को बुला रही है.. कि आओ और मेरे अन्दर समा जाओ।
कुछ देर तक ये सब चलता रहा.. फिर वो एक बॉडी लोशन ले आई और उसको अपने पूरे बदन में लगा लिया। एक तो वो इतनी गोरी.. ऊपर से बदन पर बॉडी लोशन.. अब वो और क़यामत लग रही थी।
मैं- अब ज़रा अपनी बुर में उंगली करो न..
सेक्सी गर्ल- ठीक है.. लेकिन तुम भी अपना लंड हिलाओ न..
मैं अपना लंड हिलाने लगा और वो बुर में उंगली करने लगी। कुछ देर ऐसा करने के बाद हम दोनों झड़ गए और फिर आज के खेल का अंत हो गया.. इसके बाद हम दोनों लगभग रोज वीडियो चैट करने लगे थे।
कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा, फिर एक दिन।
मैं- हम दोनों बहुत दिन से चैट कर रहे हैं.. क्यों ना एक बार रियल में मिला जाए..।
सेक्सी गर्ल- आइडिया बुरा नहीं है.. लेकिन किधर मिलोगे?
मैं- तुम जहाँ बोलो..
सेक्सी गर्ल- मैं पटना से हूँ.. लेकिन कोलकाता में रहती हूँ।
मैं- मैं भी पटना से ही हूँ.. लेकिन दिल्ली में रहता हूँ।
सेक्सी गर्ल- तो कहाँ मिलें?
मैं- पटना में।
सेक्सी गर्ल- मैं अभी पटना नहीं जाऊँगी!
मैं- ओके.. तो मैं कोलकाता आ जाता हूँ। लेकिन कोलकाता में कहा पर मिलोगी?
सेक्सी गर्ल- हाँ ये सही रहेगा.. यहाँ मैं एक होटल में 2 कमरे बुक करती हूँ.. वहीं मिलूँगी।
मैं- ठीक है..’क्या अब भी अपना चेहरा नहीं दिखाओगी?’
सेक्सी गर्ल- अब चेहरा क्या चीज है तुम मुझे सीधे होटल में पूरा खोल कर ही देख लेना..
मैं हँस दिया और बात खत्म हो गई।
दूसरे दिन..
सेक्सी गर्ल- मैंने एक होटल बुक किया है दो कमरे हैं.. 212 & 213 तुम रविवार को कोलकाता आ जाओ।
मैं- मैं रविवार क्या.. मैं तो शुक्रवार को ही पहुँच जाऊँगा..
सेक्सी गर्ल- तुम जब भी आओ.. लेकिन मैं मिलूँगी रविवार को ही..
मैं- ठीक है..
मैं घर पर बोला कि मेरा एक एग्जाम है.., मैं कोलकाता जा रहा हूँ। वैसे कोलकाता मे मेरी बड़ी दीदी रहती हैं.. सो वहीं रुक जाऊँगा और मैं कोलकाता पहुँच गया।
वहाँ मेरी दीदी मुझे लेने आईं.. मैं दीदी से 2 साल के बाद मिल रहा था.. क्योंकि जब वो आती थीं.. तो मैं नहीं होता था.. और जब मैं आता था.. तो वो नहीं होती थीं।
दो साल में दीदी बहुत बदल गई थीं.. पहले से सुंदर हो गई थीं। मैं दीदी के साथ उनके कमरे पर गया ये फ्लैट दीदी और उसकी एक दोस्त को कंपनी ने ही दिया था.. लेकिन अभी उसकी दोस्त अपने घर गई हुई थी। वो रविवार को आने वाली थी।
फिर कुछ देर दीदी के साथ बात करता रहा.. फिर मैं फ्रेश हो गया और दोनों ने खाना खा लिया। दीदी ऑफिस चली गईं.. तब मैं अकेला था.. तो मैंने सेक्सी गर्ल को मैसेज किया।
मैं- मैं कोलकाता पहुँच गया हूँ।
सेक्सी गर्ल- अभी मैं ऑफिस में हूँ.. रात में बात करती हूँ।
मैं घूमते हुए दीदी के कमरे में गया.. तो मुझे कमरा कुछ जाना-पहचाना सा लग रहा था.. लेकिन मैं तो पहली बार कोलकाता आया हूँ.. तो ये कमरा मैंने कैसे देखा??
तभी अचानक से कैमरे में देखा हुआ कमरा याद आया और एकदम से मेरे मन में आया कि कहीं दीदी ही तो सेक्सी गर्ल नहीं हैं।
मैं दीदी की ड्रेस वगैरह ढूँढने लगा.. तो मुझे वो कपड़े भी दिख गए.. जिसको पहन कर सेक्सी गर्ल चैट करती थी। अब तो मुझे भरोसा हो गया कि दीदी ही सेक्सी गर्ल हैं। तो मुझे अपने आप में बहुत बुरा लग रहा था कि मैं अपनी ही बहन को नंगी देख चुका हूँ और उसी के साथ सेक्स करने दिल्ली से कोलकाता आ गया हूँ। फिर मैंने सोचा कि सिर्फ़ मैं ही तो नहीं हूँ.. जो अपनी बहन को चोदूँगा..
कुछ देर तक मैं अपने आपसे जूझता रहा फिर मैं भाई-बहन वाली कहानियाँ पढ़ने लगा।
करीब 10-15 कहानियाँ पढ़ने के बाद मैंने सोचा- नहीं यार.. अगर कोई कुँवारी बुर मिल रही है तो उसे छोड़ना नहीं चाहिए और मैं दीदी को चोदने के लिए तैयार हो गया।



शाम को जब दीदी आईं.. तो उसको देखने का मेरा नज़रिया ही बदल चुका था। अब मुझे वो दीदी नहीं.. सेक्सी गर्ल नज़र आ रही थी।
फिर सारा दिन भी उसी तरह बीत गया..
रात को हम दोनों फिर से ऑनलाइन आए..
कुछ देर बात करने के बाद पूछा- तुम कितने भाई-बहन हो?
सेक्सी गर्ल- 3… एक भाई और 2 बहन और तुम?
मैं- एक भाई और 2 बहन.. तुमको तुम्हारा भाई कैसा लगता है?
सेक्सी गर्ल- अच्छा है..
मैं- अगर मौका मिला तो तुम उसके साथ सेक्स करोगी?
सेक्सी गर्ल - नहीं ऐसा कुछ नहीं सोचा है..
मैं - और अगर वो तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहे तो करोगी?
सेक्सी गर्ल- पता नहीं.. तब की तब देखी जाएगी।
मैं - तो आओ वीडियो चैट पर आज अपना चेहरा तो दिखाओगी ना?
सेक्सी गर्ल- ठीक है..
वो वीडियो चैट पर आई.. तब मैं न्यूड था और वो भी सिर्फ़ तौलिया लपेटी हुई थी। जैसे ही मैं उसको अपना चेहरा दिखाया..
वो चौंकते हुए बोली- तुम?
उसने तत्काल चैट ऑफ कर दी। तो मैं नंगा ही उठा और उसके कमरे में चला गया और लाइट जला दी।
वो बोली- तुम जाओ यहाँ से.. ये सब ग़लत है..
मैं- दीदी प्लीज़.. सिर्फ आज.. फिर कभी नहीं..
दीदी- पागल हो गया क्या तू.. हट दूर..
मैं- नहीं दीदी..
दीदी- यह ग़लत है.. और मैं तेरी बहन हूँ।
मैं- नहीं.. आज हम दोनों भाई-बहन नहीं.. एक लड़का और लड़की हैं और हम दोनों को अभी एक-दूसरे की ज़रूरत है.. हम दोनों ने एक-दूसरे का सब कुछ देख लिया है और अगर मैं तुम्हारा भाई नहीं होता.. तो क्या तुम वो सब नहीं करतीं?
यह बोल कर मैं दीदी को चूमने लग गया, मैं उसके चुचों को दबाने लग गया।
अब दीदी का विरोध कम हो गया। मैंने अपनी एक उंगली उसकी बुर पर लगाई.. दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली।
दीदी- नहीं.. मेरे को अजीब लग रहा है..
मैं समझ गया था कि दीदी वर्जिन है और अपनी ही सग़ी बहन की सील तोड़ने में बहुत मज़ा आएगा। दीदी अब गरम हो चुकी थी.. मेरा लंड भी अब बुर को सलाम कर रहा था.. लेकिन फिर दीदी ने मुझे अलग कर दिया।
मैंने उसे समझाया और कहा- प्लीज़ मान जाओ.. हम दोनों को सेक्स की जरूरत है..
जब मैं समझा रहा था.. तो वो मेरे लंड को ही देख रही और तभी मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और अपनी तरफ खींचा और उसने गाल पर किस किया।
वो बोली- यह पाप है.. हम दोनों भाई-बहन हैं और किसी को पता चल गया तो बदनामी हो जाएगी। तब मैंने उसे समझाया कि किसी को पता नहीं चलेगी.. ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी। अब मैंने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया, वो छूटने की कोशिश करने लगी, मैंने ढील नहीं छोड़ी.. कुछ देर में वो भी गरम होने लगी और उसने छूटने की जद्दोजहद भी खत्म कर दी। तभी मैंने उसके मम्मे पर अपना हाथ रखा और उसे सहलाना चालू कर दिया। करीब 15 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा.. फिर वो भी मेरा साथ देने लगी।
अब वो भी मान गई थी और मुझसे गले लग गई.. तो मैं उसके सिर पर हाथ फेरने लगा और उसके कंधे पर किस करने लगा। उसको भी अच्छा लग रहा था.. अब मेरा लंड उसकी बुर के पास स्पर्श हो रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरा लवड़ा उसके कपड़े को फाड़ कर बुर में चला जाएगा।
फिर मैं हाथ नीचे ले जाकर उसके बुरड़ों को दबाने लगा और चूचियों के ऊपर किस करने लगा। मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके चुचों को दबाने लगा।
वो सिसकरियाँ लेने लगी ‘आआअह.. अहहह..’
मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसकी तौलिया को हटा दिया.. वो मेरे सामने ब्रा-पैंटी में थी।
आह.., क्या माल लग रही थी.. मैं बता नहीं सकता..
उसके गोरे बदन पर काली ब्रा और पैन्टी.. आह्ह.. पूछो मत कि क्या दिख रही थी। वो जैसे कोई जन्नत की हूर अप्सरा लग रही थी।
फिर मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध दबाने आरम्भ किए.. वो सिसकारियाँ भरने लगी और ‘आआआहह.. आआहह..’ करने लगी।
धीरे-धीरे मैंने उसके पेट पर हाथ फिराते हुए उसकी जाँघों पर हाथों को ले गया और सहलाने लगा। उसने मेरा हाथ अपनी जाँघों में दबा लिया और अकड़ गई।
अब मैं अपने हाथ को पीठ पर ले जाकर सहलाने लगा और गर्दन और चूचियों के ऊपरी भाग पर किस कर रहा था। मैंने हाथ को पीछे ब्रा के हुक में फंसा दिया और उसको खोल दिया। अब ब्रा सिर्फ़ उसकी चूचियों पर टिकी हुई थी.. तो मैंने अपने मुँह से ही ब्रा को हटा दिया। जैसे ही मैंने ब्रा हटाई.. उसकी दोनों चूचियों मेरे सामने आ गई थीं.. जिसको देख कर मेरे मुँह में पानी आने लगा।
अब तक इसको कपड़े के अन्दर या नंगा देखा था.. तो बस लैपटॉप पर ही देखा था.. आज ये सच में मेरे सामने थीं.. वो भी पूरी नंगी।
मैं तो कुछ देर देखता ही रह गया.. नज़दीक से तो ये और भी सेक्सी लग रही थी और इसके गुलाबी निप्पल तो और कयामत ढा रहे थे.. जैसे दो मलाई के ढेर हों.. और उनके ऊपर एक-एक छोटा गुलाबजामुन रखा हुआ हो।
मैं देर ना करते हुए नंगी चूचियों पर झपट्टा मारा और पूरी चूचियों को एक बार में ही अपने मुँह में लेना चाहा। लेकिन उसके मम्मे बड़े थे.. सो नहीं जा पाए.. लेकिन जितना भी गए.. उतने को ही पीने लगा और एक हाथ से दूसरे चूचे के निप्पल को दबाने लगा.. वो तड़प उठी और बोली- भाई रहने दो ना प्लीज़.. अब और नहीं मैं मर जाऊँगी..
वो वासना से ‘आआअहह.. आआहह..’ करने लगी। फिर भी मैं रुका नहीं.. उल्टे मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर पर हाथ रखा और सहलाने लगा। उसने मेरा लंड पकड़ लिया और अचानक छोड़ दिया।
मैं बोला- क्या हुआ?
तो बोली- यह तो बहुत मोटा और बड़ा है.. मेरे अन्दर नहीं जाएगा..
मैं अपना खड़ा हुआ लंड उसके सामने कर दिया और कहा- इस किस करो..
वो बोली- नहीं मुँह से नहीं होगा..
तो मैं बोला- कोई बात नहीं.. एक काम करो.. इसको थोड़ा पकड़े हुए ही रहो।
थोड़ा ना-नुकर के बाद उसने लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी, फिर हल्का सा चूमा भी.. मेरे लण्ड के मुँह में पानी आने लगा।
अब हम दोनों बिस्तर पर नंगे ही 69 अवस्था में आ गए थे और एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। मैंने उसकी बुर पर हाथ रखा और एक उंगली अन्दर डाल दी.. वो तड़प उठी और मेरे लंड को ज़ोर से दबा कर पकड़ लिया। ऊऊओह गॉड.. क्या सीन था..
मैंने अपना लंड उसके होंठों के पास रखा और मुँह में देने लगा.. कुछ देर मना करने के बाद वो मजे से चूसने लगी और मैं उसकी बुर को चूसता रहा और बुर के अन्दर जीभ घुमाता रहा।
इस काम को करते हुए हमें 45 मिनट हो गए थे और वो भी झड़ भी चुकी थी। फिर मैंने मुँह से लंड निकाल लिया, मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा.. तो वो डरते हुए घोड़ी बन गई..
मैं अपने लंड का सुपारा उसकी बुर पर रगड़ने लगा और वो तड़फ रही थी, उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी। उसकी सिसकारी सुन कर मुझे इतना मजा आ रहा था.. जैसे वो बोल रही हो प्लीज़ जान डाल दो अन्दर.. प्लीज़ भाई चोद दो अपनी बहन को..
मैंने लंड उसकी बुर पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो लंड अन्दर नहीं गया.. क्योंकि उसकी बुर बहुत टाइट थी। वो दर्द से कराह कर आगे को हो गई तो मैंने उसकी चूची को कस कर पकड़ा और थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया.. तो अबकी बार लंड का टोपा बुर में अन्दर फंस गया।
वो दर्द से चिल्ला उठी.. बोली- प्लीज़ निकाल लो.. वरना मर जाऊँगी.. प्लीज़..
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे.. तभी मैंने एक और धक्का लगाया, लंड आधा अन्दर घुस गया और उसके मुँह से ज़ोरदार चीख निकली- उउउइईई.. ममाआ.. आआह… आआअ मर गई.. आआआहह.. वो रो रही थी.. मैंने उसका मुँह नहीं पकड़ा हुआ था.. क्योंकि हमारा घर बंद था और मकान से बाहर आवाज़ नहीं जाती थी।
मैं ऐसे ही रुका रहा.. उसकी बुर से खून निकल रहा था.. वो आगे की तरफ़ झुकी ताकि छूट सके… लेकिन उसकी इस हरकत से लंड और टाइट हो गया क्योंकि अब उसका मुँह नीचे बिस्तर पर टिका था और घुटने उठे हुए थे।
‘उओ आआहह.. आअहह..’ चिल्ला रही थी और मुझसे लौड़े को बाहर निकालने के लिए कह रही थी लेकिन मैं उसे नहीं छोड़ा.. वरना वो फिर से अन्दर नहीं डलवाती..
कुछ देर मैं ऐसे ही रुका रहा और उसके दूध दबाता रहा। वो कुछ देर बाद नॉर्मल हो गई और मैंने धक्के लगाने शुरु कर दिए, धीरे-धीरे पूरा लंड अन्दर पेल दिया..
वो अभी भी दर्द से कराह रही थी लेकिन कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई और गान्ड उठा कर मेरा साथ देने लगी.. उसके मुँह से ‘आआहह.. उउऊहह उउउइ.. आअहह..’ की कामुक आवाजें निकलने लगी थीं और ‘छप.. छा..’ की आवाजों से पूरा कमरा गूँज रहा था।
अब मैं झड़ने ही वाला था और तेज-तेज धक्के लगा रहा था, हर धक्के पर उसके मुँह से ‘आअहह..’ निकलती।
करीब 30 मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैं उसकी बुर से बाहर निकल कर झड़ गया। इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी.. झड़ने के बाद मैं उसके ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा। मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
तो बोली- पहले बहुत दर्द हुआ.. लेकिन बाद में बहुत मजा आया..
फिर कुछ देर बाद हमने एक-दूसरे को चूमना चाटना शुरु किया और हम फिर से तैयार हो गए। वो मना कर रही थी लेकिन गरम होकर मान गई।
उस रात हमने 4 बार चुदाई की.. सुबह वो चल भी नहीं पा रही थी और उसकी बुर सूज गई थी.. तो मैं बर्फ का टुकड़ा ले कर उसकी बुर की सिकाई करने लगा, तब जा कर कहीं उसकी बुर की सूजन ठीक हुई।
उसके बाद जब वो ठीक हुई तो फिर मैंने उसको चोदा.. मैं वहाँ 5 दिन रहा और इन 5 दिनों में मैंने घर के हर कोने में उसको चोदा और शायद जितने पोज़ मैं जानता था.. हर उस पोज़ में उसको चोदा।

उसके बाद तो मैं अक्सर कोलकाता आने-जाने लगा और जब भी आता.. मन भर के चोद कर आता था। जब वो घर भी आती थी तो भी मैं आ जाता था और हम दोनों खूब मजे करते थे।
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मैं अपनी ही बहन डॉली को चोद कर बहनचोद बन गया। लेकिन यह कहानी है मेरी दूसरी बहन कांता के बारे में.. कांता मेरी छोटी बहन। उसकी उमर 19 साल है जो भोपाल से बी-टेक कर रही है। अभी वो पहले साल में है। तब उसका फिगर 28बी-24-26 था।
मुझे हर रोज बुर चोदने की आदत हो गई है। दिल्ली में मेरे प्यारी काजल डार्लिंग थी और कोलकाता या घर पर चोदने के लिए डॉली हो गई थी। मैं जब भी घर आता था तो डॉली घर आ जाती थी.. उसके बाद तो आप समझ ही गए होंगे। एक बार मैं घर आया लेकिन किसी कारण से डॉली नहीं आ पाई.. तो मैं अकेला.. अपने हाथ से काम चला रहा था और अपने लौड़े के लिए बुर को ढूँढ रहा था। तभी पता चला कि कांता घर आ रही है और उसको लाने मैं स्टेशन गया।
मैं खुश हो गया और सोचा कि चलो बुर का जुगाड़ हो गया.. बस अब कांता को पटाना बाकी है और अपने हथियार के लिए बुर का जुगाड़ हो जाएगा।
मैं तैयार होकर कांता को लाने निकल गया और ट्रेन आने से पहले ही स्टेशन पहुँच कर उसका इन्तजार करने लगा।
जैसे ही वो ट्रेन से उतरी.. मैं उसको देखता ही रह गया।
अब मेरी नज़र एक भाई की नहीं थी.. बुर के शिकारी की थी.. जिसको अपना शिकार दिख रहा था। तब उसने सफ़ेद टॉप और गुलाबी स्किन टाइट जींस पहन रखी थी। जैसे-जैसे वो मेरे पास आ रही थी.. मेरा लंड खड़ा होता जा रहा था।
वो आते ही मेरे गले से लग गई।
मैं भी तो यही चाहता था.. मेरे सीने पर उसकी चूचियों का अनुभव होने लगा, मैंने उसको अपने जिस्म से चिपका लिया और अपने हाथ से उसकी बुरड़ों को सहला दिया।
उसे खुद से अलग करने का मेरा मन तो नहीं हो रहा था.. लेकिन वो कुछ बोलती उससे पहले उसको अलग कर के बाइक पर बिठा दिया।
वो दोनों पैर एक तरफ़ कर के बैठ रही थी.. लेकिन मेरे बोलने पर दोनों पैर अलग करके बाइक पर लड़कों के जैसे बैठ गई और मैंने जानबूझ कर सामान पीछे बाँध दिया जिससे वो और आगे को होकर मुझसे चिपक कर बैठ गई। अब मेरी पीठ को उसके चूचियों का अनुभव होने लगा और पूरे रास्ते उसकी चूचियों की रगड़ ने मेरे लौड़े का हाल बुरा कर दिया था।
किसी तरह हम घर पहुँच गए और मैंने जल्दी से अकेले में जाकर अपने हाथ से काम चलाया। अब मैं कभी भी उसको छूने का मौका जाने नहीं देता था।
एक दिन मैं उसके कमरे में गया तो वो पेट के बल लेट कर लैपटॉप में कुछ कर रही थी, मैं अन्दर गया तो मेरी नज़र उसके बुरड़ों पर से हट ही नहीं रही थी।
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसकी बुरड़ों पर एक चपत लगा दिया और पूछा- लेट कर कर रही हो?
वो कॉलेज फंक्शन की फोटो देख रही थी। मैं भी उसी के बगल में लेट कर देखने लगा.. तो उसमें उसका फोटो नहीं था।
मैंने पूछा.. तो वो बोली- मैंने इस फंक्शन के प्रोग्राम में भाग नहीं लिया था।
मैंने कारण पूछा तो बोली- मुझे कोई डान्स सिखाने वाला ही नहीं था।
तो मैं बोला- अरे मुझसे कहती.. मैं सिखा देता।
तो बोली- अभी सिखा दो.. एनुअल फंक्शन में कर लूँगी।
मैं बोला- ठीक है.. मैं सिखा दूँगा.. बदले में मुझे क्या मिलेगा?
तो वो बोली- क्या लोगे?
मैं बोला- जब लेना होगा.. तब वो मैं बाद में बता दूँगा.. बस उस समय पीछे मत हटना..
वो मान गई.. तो मैं बोला- आ जाओ.. मैं अभी ही डान्स सिखाना चालू कर देता हूँ।
वो मेरे साथ आ गई.. और मैंने कुछ स्टेप्स उसको बताए। लेकिन वो जींस पहने हुई थी.. सो नहीं कर पा रही थी। तो मैंने बोला- इन कपड़ों में कुछ नहीं होगा.. मैं कल डान्स के लायक कपड़े ला दूँगा।
अगले दिन मैं घर आया तो घर में कोई नहीं था। पूछने पर पता चला मम्मी-पापा ऑफिस चले गए हैं।
मैं बोला- आओ.. डान्स सिखाऊँ।
वो आ गई.. मैंने उसको कुछ ड्रेस दिए और बोला- जाओ पहले इसे पहन के- आ जाओ।
पहले तो थोड़ी मना करने के बाद रेडी हो गई और कपड़े लेकर चली गई।
जब वो उन कपड़ों को पहन के- आई.. तो मैं देखता ही रह गया। ख़ास करके उसकी नाभि पर से मेरी नज़र ही नहीं हट रही थी।
वो आई और बोली- इतने गौर से क्या देख रहे हो?
मैं बोला- कुछ ख़ास नहीं.. यू आर लुकिंग हॉट एंड सेक्सी!
तो वो शर्मा गई और बोली- चलो डान्स करते हैं।
मैं भी बोला- हाँ आओ..
पहले मैंने उसको कल वाले सारे स्टेप्स करवाए.. फिर मैं उसको नया स्टेप बताने लगा.. उसको करने में कुछ परेशानी हो रही थी.. तो मैं उसकी मदद करने लगा।
मदद तो उसको छूने का और उसके अंगों का मजा लेने का बहाना था।
उसको सिखाते-सिखाते मैंने उसके पेट पर हाथ फेर दिया और वो सिहर गई। तभी मैंने एक उंगली उसकी गर्दन पर फेर दी और तब तक मेरा लंड खड़ा हो कर तंबू बन गया था जो की उसको साफ़-साफ़ दिख रहा था।
तभी एक और स्टेप उससे नहीं हो रहा था तो मैंने उसको बताने के क्रम में उसको पीछे से पकड़ा जिससे मेरा लंड उसके दोनों बुरड़ों के बीच लग गया.. जिसे वो आसानी से महसूस कर सकती थी। साथ ही मैं अपने हाथों से उसके चुचों को छूने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन मुझे हाथ और पेट से ही काम चलाना पड़ रहा था।
उसके मुलायम और मखमली बदन को छूने के बाद मुझे अजीब सा अहसास हो रहा था और यह अहसास इतना अच्छा था कि मैं कुछ ज्यादा ही एग्ज़ाइटेड हो गया था और मैं अपनी इस उत्तेजना में उसकी गर्दन पर किस कर बैठा।
दोस्तो, ऐसे माहौल में किसी लड़की को अगर गर्दन पर किस करो तो वो सिहर जाती है.. मैंने देखा कि लोहा गरम है इस पर हथौड़ा मार देना चाहिए।
अब मैंने एक उंगली से उसकी बुर को कपड़ों के ऊपर से ही सहला दिया। वो इतनी गर्म हो चुकी थी कि मुझसे चिपक गई। मैं इतना अच्छा मौका कैसे जाने दे सकता था.. मैंने अपने होंठों को उसके होंठ पर रख दिए और उसने कोई विरोध नहीं किया।
बस.. अब तो मैं चालू हो गया था.. मेरा हाथ कब से उसके आगे-पीछे के उभारों को दबाने के लिए मचल रहा था। इस खेल में मैं कौन सा पीछे रहने वाला था। मैं सीधे उसकी चूचियों पर पहुँच गया और कपड़ों के ऊपर से ही उसके चुचों को सहलाने लगा।
कुछ पलों तक ऐसा ही चलता रहा.. फिर जैसे ही मैंने उसके टॉप को खोलने की कोशिश की.. तो उसने मुझे पीछे धकेल दिया और मुझसे अलग हो गई और बोली- ये सब ग़लत है.. तुम मेरे भाई हो.. और भाई-बहन के बीच ये सब ठीक नहीं है।
मैंने उसको बहुत समझाया.. लेकिन वो नहीं मानी और अपने कमरे में चली गई।
मैंने मन ही मन में सोचा- हो गया ना बेटा खड़े लंड पर धोखा.. और उसको पटाने का दूसरा तरीका सोचने लगा।
सो मैं उसको कुछ डान्स वीडियो एक पेन ड्राइव में देने गया और उसी में कुछ पॉर्न वीडियो और एक फोल्डर में भाई-बहन की चुदाई वाली कहानी डाल कर दे दिया और बोला- मैं एक दोस्त के घर जा रहा हूँ.. तुम अन्दर से दरवाजा लगा लो।
उसके सामने तो मैं निकल गया.. लेकिन पीछे के दरवाजे से अन्दर आ गया और देखने लगा वो क्या कर रही है। वो डान्स वीडियो देख रही थी कि बीच मे पॉर्न वीडियो आ गया.. तो वो चौंक गई पर फिर से देखने लगी कि पेन ड्राइव में और क्या क्या है?
तो उसको स्टोरी वाला फोल्डर दिख गया और वो स्टोरी पढ़ने लगी। कुछ ही मिनट बाद मैंने देखा कि वो अपने हाथों से अपनी चूचियों दबाने लगी। फिर कुछ देर पढ़ते-पढ़ते उसने अपनी चूचियों को बाहर निकाल लिया और खुल कर दबाने लगी। धीरे-धीरे वो अपने कपड़े उतारने लगी और पूरी नंगी होकर कहानी पढ़ने लगी। उसके नंगे बदन को देख कर मैं भी अपने आपको काबू नहीं कर पाया और उधर वो भी गर्म हो ही गई थी। मैंने भी अपने कपड़े उतारे और उसके कमरे में चला गया।
वो मुझे देखते ही उठ कर मुस्कुराते हुए मेरे गले लग गई और हम एक-दूसरे को किस करने लगे। अब वो भी साथ दे रही थी और हम दोनों के हाथ भी शान्त नहीं थे, मेरे हाथ उसकी बुरड़ों को मसल रहे थे और उसके हाथ मेरे लंड को हिला रहे थे।
कुछ देर ऐसा चला.. फिर मैं उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके चुचों पर पहुँच गया और क्या रसीले मम्मे थे.. बता नहीं सकता।
मैं उसके पूरे चुचों को अपने मुँह में लेने का कोशिश करने लगा.. लेकिन ज़ा नहीं पा रहे थे। कुछ देर यूँ ही उसके मस्त चुचों को चूसने के बाद मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा और उसके चिकने पेट पर किस करते हुए उसकी बुर के पास पहुँच गया।
उसकी बुर एकदम गुलाबी थी.. देख के पता चल गया कि कांता ने इसमें अब तक कोई लंड नहीं खाया है.. मतलब एक और कुँवारी बुर..
सो मैंने अपनी उंगली उसकी बुर पर लगा दी। कुछ देर बाद बुर के नजदीक मुँह को ले गया और उसकी कटीली बुर को किस कर लिया.. इस किस से वो सिहर गई।
 
अब मैं अपना जीभ उसकी बुर पर घुमाने लगा और हल्का सा अन्दर करने लगा।
जैसे ही मेरी जीभ उसकी बुर में अन्दर सुरसुराती.. तो वो बार-बार पीछे को हट जाती थी तो मैंने उसको गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और हम दोनों ही 69 की अवस्था में आ गए।
मैंने उसको लंड चूसने को बोला.. तो थोड़ी नानुकर के बाद मान गई और लंड को चूसने लगी, मैं भी मजे से उसकी बुर को चूसने लगा। मैं अपनी पूरी जीभ उसकी बुर के अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद अचानक वो अपने पैर से मेरे सिर को ज़ोर से दबाने लगी और उसका जिस्म अकड़ने लगा।
कुछ ही पलों के बाद उसकी बुर से एक जोरदार फुहारा निकाला और मेरे मुँह पर पर निकल गया और मेरा चेहरा पूरा भीग गया।
फिर हम दोनों अलग हुए और उसको सीधा करके चुदाई की स्थिति में लाकर उसकी अनछुई बुर पर अपना फौलादी लंड रगड़ने लगा।
उसका पानी निकलने के बाद बुर और भी मुलायम हो गई थी। मैं लंड पेलने ही वाला था कि तभी डोरबेल बज़ी.. मम्मी-पापा आ गए होंगे..
मैं किसी तरह कपड़े पहन के- दरवाजा खोलने चला गया और वो कपड़े लेकर बाथरूम में घुस गई। मैंने सोचा साला फिर खड़े लंड पर धोखा.. खैर..
पापा कुछ स्पेशल खाने को लाए थे.. हम लोग नाश्ता कर रहे थे.. कांता मेरे बगल में बैठी थी तो पापा बोले - बेटा हम दोनों (मम्मी-पापा) को किसी काम से 2 दिन के लिए पतबा से बाहर जाना होगा.. तुम दोनों दो दिन अकेले रह तो लोगे ना.?
हम दोनों मन ही मन खुश हो गए थे और बोले- हाँ रह लेंगे.. कोई बात नहीं आप आराम से जाओ..
तो पापा बोले- ठीक है हम दोनों सामान पैक करते हैं तुम दोनों अपना ख्याल रखना।
फिर कांता बर्तन उठा के रसोई में ले गई.. मैं भी उसके पीछे-पीछे चला गया और रसोई में उसके चुचों को दबाते हुए बोला- आज रात तुझे कौन बचाएगा..
तो वो बोली- बचना भी कौन चाहता है.. बस कन्डोम लेते आना।
मैं उसको किस करके बाहर आ गया और मम्मी-पापा को समय पर स्टेशन छोड़ आया.. ट्रेन लेट थी सो उधर कुछ अधिक टाइम लग गया। लौटते समय मैंने 12 कन्डोम के पैकेट ले लिए.. सब अलग-अलग फ्लेवर के थे।
घर पहुँचा तो कांता कहने लगी- बड़ी देर लगा दी.. आओ पहले खाना खा लो।
उस वक्त वो सलवार-कुरती में थी। हम दोनों ने चुहलबाजी करते हुए खाना खाया। फिर वो अपने कमरे में जाने लगी तो मैंने उसे किस करने के लिए अपनी तरफ मोड़ा और वो भी मुँह आगे करके तैयार हो गई।
फिर हम जोरदार फ्रेंच किस करने लगे उसके गुलाब की पंखुरियों जैसे होठों को चूसते हुए मुझे मजा आ रहा था। ऐसे ही किस करते हुए मैं उसे अपनी गोद में उठा कर अपने बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर लिटा उसकी गर्दन पर किस करते-करते उसके सूट को ऊपर उठाने लगा। तो वो फिर से बोली- यार ये ग़लत तो नहीं है ना..
मैंने बोला - आजकल तो सब चलता है यार.. तुम एक लड़की हो और मैं एक लड़का.. हमारी अपनी-अपनी जरूरतें हैं और डरो नहीं.. मैं कन्डोम का इस्तेमाल करूँगा… तो तुम्हें प्रेग्नेंट होने का डर भी नहीं होगा.. और किसी को पता भी नहीं चलेगा।
तो वो बोली- आर यू श्योर ना?
मैंने कहा - हाँ जान.. आइ रियली केयर फॉर यू।
हम फिर से किस करने लगे.. मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली तो उसकी गरमी मुझे महसूस हो रही थी। फिर वो भी अपनी जीभ मेरे मुँह में घुमाने लगी।
करीब 15 मिनट तक ऐसे ही करते हुए मैं भी उसकी कमीज़ के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाने लगा तो वो बोली- ओह.. जान.. आराम से.. दर्द हो रहा है..
फिर मैंने उसकी कमीज़ ऊपर की और उसके पेट पर किस करने लगा। उसकी कमर बहुत पतली थी। वो भी तड़पने लगी.. फिर धीरे-धीरे मैंने उसकी सूट की चैन खोली और कमर पर किस करते हुए उसे उसके बदन से अलग कर दिया।
उसने नीचे लाइट ग्रीन कलर की सॉफ्ट ब्रा पहनी थी.. अब मैं उसके पूरे बदन पर किस करते हुए उसके चुचों को दबाने लगा। वो भी मस्ती में आने लगी और अपनी टाँगें मेरी कमर में डाल कर हाथ मेरे बालों में अपना हाथ लहराने लगी। फिर धीरे-धीरे मैंने उसकी पजामी का नाड़ा खोल दिया और उसे उतारने लगा।
वो बहुत टाइट थी.. तो उतारने में टाइम लगा.. लेकिन उतार दिया.. अब वो सिर्फ़ गुलाबी पैन्टी में थी और फिर उसकी हिरनी जैसी टाँगों को मैं चूमने चूसने लगा। ऐसा करते-करते मैंने उसकी पैन्टी में हाथ डाल दिया.. जो अब तक पूरी गीली हो चुकी थी।
उसकी बुर को मैं हाथ से सहलाने लगा तो उसके मुँह से ‘ससईईईई सीईईई उउफ्फ़ आहह उउम्म’ की सिसकारियाँ आने लगीं। फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी और बुर को चाटने लगा.. जैसे ही मैंने उसकी बुर में अपनी जीभ लगाई.. वो बोली- अओउ.. माआअ.. उसके शरीर में करंट सा दौड़ गया।
करीब 5 मिनट तक चाटने के बाद बुर में से जूस आने लगा.. जिसे चाटता हुआ मेरा लंड और भी टाइट हो गया। उसके रस से मेरा पूरा मुँह भर गया। उसका रस अब तक के रसों में बहुत ही टेस्टी और सेंटेड माल था।
फिर मैंने उसकी ब्रा उतारी तो उसके दो गोल चूचे.. बहुत ही अच्छे लग रहे थे। उन गोल चूचों पर सजे हुए गुलाबी निपल्स को मैं बेताबी से चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरे चूचे को दबाने लगा। इसके साथ ही मैंने उसकी बुर मैं. अपनी छोटी उंगली डाल दी.. वो ज़ोर से चिल्लाई- उउइईई.. म्म्मारआआ आआ.. माआअर गइईई.. आहह.. सुश्ह्ह्ह्ह.. क्या कर रहे हो.. बहुत दर्द हो रहा है.. आअहह..
तब मैंने कहा- कोई बात नहीं डार्लिंग.. थोड़ी देर और सह लो.. फिर तो बहुत मज़ा आएगा।
थोड़ी देर तक मैं यूँ ही चूचे चूसते रहा और उसकी बुर में उंगली डालता-निकालता रहा.. तो वो बोली- आह्ह.. तुमने मेरे ही कपड़े उतारे.. अपने तो ऐसे ही पहने हुए हैं।
मैंने कहा- तो उतार दो जान..
ये सुनते ही उसने खींच कर मेरी टी-शर्ट उतार दी और जीन्स का बतन खोल दिया।
वो मेरा अंडरवियर के ऊपर से हाथ लगाते हुए बोली- ये तो निकालो..
तो मैंने कहा- जान.. खुद ही निकाल लो न..
फिर उसने मेरा जॉकी उतार दिया और मेरे 7.5 इंच के डंडे को देखते हुए बोली- ओ माय गॉड.. इतना बड़ा केला..!!
तो मैंने कहा- जान इस केले को अपने मुँह में डाल लो।
फिर उसने मेरे लंड को मुँह में डाला और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। यूँ ही मस्ती से चूसते-चूसते उसने मेरे 7 इंच के लंड को 5 मिनट में 10 इंच का कर दिया और फिर मुझे लिटा कर मेरे पूरे बदन को चूमने लगी। अब मैंने देर नहीं करते हुए उसे कन्डोम दिया और कहा- इसे मेरे लंड पर पहना दो।
उसने अपने कोमल हाथों से कन्डोम को मेरे लंड पर पहना दिया और मैंने फ्रेंच किस करते हुए उसको बिस्तर पर लिटा दिया। जैसे ही मैंने अपने लंड उसकी बुर की तरफ बढ़ाया..!
वो बोली- इसे तुम इतने छोटे छेद में डालोगे.. तो ये तो फट नहीं जाएगी.. मैं मर जाऊँगी।
तो मैंने कहा- नहीं जान.. इसके अन्दर जाने के बाद तुम्हें जन्नत का नज़ारा मिलेगा..
जैसे ही मैंने उसकी बुर पर लंड को लगाया.. वो उसके मुँह से सिसकी निकाली- आहह.. उउम्म्म.. ममा..
मैंने उसकी सिसकी सुन कर अपने लंड को हाथ से पकड़ कर उसकी बुर पर घुमाने लगा। फिर मैंने एक हल्के से धक्के के साथ लंड को थोड़ा अन्दर किया.. पर उसकी बुर इतनी टाइट थी कि लंड सिर्फ़ सिरे तक ही अन्दर गया और वो चीख पड़ी- आअहह.. नणनईईईई.. ब्बाहहाआरर.. निककालूओ.. ससुसस्स्स.. मैं मररर.. गईई.. आहह..
तो मैंने उसके मुँह को बंद कर दिया.. फिर थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा.. और जब चीखना बंद हो गया.. तो मैंने एक और धक्का लगा दिया।
अब मेरा दो तिहाई लण्ड उसकी बुर में घुस गया और 7 इंच का डंडा अन्दर जाने पर वो दर्द के मारे उछल पड़ी, वो चिल्लाई- आआअहह.. उफफ्फ़.. आआईयईई.. मम्मीई.. मररर गईईईई.. बसस्स्स्स.. नही..अई बाहआअररर निककाललो.. जाआ अन्नऊऊउउ आहह.. अहह उम्म्माआ आईईई…
फिर मैंने एक और जोरदार झटके से लंड को पूरा बुर की जड़ तक अन्दर डाल दिया। तो उसकी आँखों से आँसू आ गए और वो और जोर से चिल्लाने लगी- आईएईईईई.. आआईएईइ! फिर थोड़ी देर जब तक उसकी चीखें बंद नहीं हुईं तो मैं ऐसे ही पड़ा रहा।
मैंने बहुत अनुभव लिया हुआ था सो मुझे मालूम था कि साली कुछ देर में ही अपनी गान्ड हिलाने लगेगी। वही हुआ.. जब वो अपनी गान्ड हिलाने लगी.. तो मैं समझ गया कि अब उसे भी मज़ा आ रहा है।
तो मैंने लौड़े के टोपे को अन्दर छोड़कर पूरे लंड बाहर निकाला और फिर मैं उसे अन्दर-बाहर करने लगा.. तो वो मेरे बालों को पकड़ कर धीरे-धीरे सिसकारने लगी और बोली- कम ऑन.. जान फक मी.. फक मी हार्ड.. उउंम्मा.. आअहह.. आअहह.. आई लव यू सुशान्त.. आई लव यू…
अब मैं धीरे-धीरे तेज होने लगा.. तो वो भी ज़ोर-ज़ोर चिल्लाने लगी- आअहह ओह ज़ोर से.. और ज़ोर से.. कम ऑन जान.. आहह फक फक.. फक्क मी.. फक मी.. आआहह.. ओह सुशान्त यू आर माय लवर ब्वॉय.. आहह फक फक.. आह..
यह सुन कर मैं और तेज चोदने लगा तो उसकी मस्त कामुक चीखों से पूरे कमरे में मादक आवाजें गूंजने लगीं- आहह.. अहह.. आआहह.. आआहह.. उफफफ्फ़.. उउफफ्फ़.. ज़ोर से और ज़ोर से..
काफी देर तक ऐसे ही चोदने के बाद बाद वो ढीली हो गई और मेरा लौड़ा भी झड़ने वाला था।
वो बोली- बस.. अब बाद में जान.. कल कर लेना..
तो मैंने अपना लंड निकाला और कन्डोम उतार कर अपना माल निकालने लगा।
मैंने कहा- डियर कांता.. माय लव कम ऑन.. टेस्ट इट..
उसने अन्तर्वासना के वशीभूत होकर अपना मुँह खोल दिया और मैंने अपने जूस से उसका मुँह भर दिया। उसके पूरे मुँह और बदन पर मेरा माल पड़ा था और वो उसे चाट रही थी।
फिर हम बाथरूम में गए.. एक-दूसरे को साफ़ किया.. और बिना कपड़े ही सो गए।
सुबह जब मैं उठा तो कांता अभी भी वहीं सो रही थी और उसका नंगा बदन सुबह की किरणों के साथ सोने की तरह चमक रहा था। उसे देखते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, मैंने उसे बाँहों में भरा और एक ज़ोरदार किस करते हुए बोला- गुड मॉर्निंग डार्लिंग..!
वो भी आँखें बंद किए ही बोली- गुड मॉर्निंग डियर..
फिर उसने मुझे उठ कर फ्रेंच किस करते हुए बोला- लास्ट नाइट वाज़ मोस्ट वंडरफुल नाइट ऑफ माय लाइफ जानू…
तो मैंने कहा- कम ऑन.. गेट रेडी फॉर आ सेकेंड ट्रिप..
वो थोड़ा शरमाई और फिर बोली- ओह कम ऑन.. कम माय बेबी..
उसने मुझे हग किया और फिर किस करते हुए दराज में से एक कन्डोम निकाल अपने मुँह से मेरे लंड पर चढ़ाने लगी। फिर मैंने उसे कहा- जानू.. अब घोड़ी की तरह झुक हो जाओ।
उसने ऐसे ही किया और फिर मैंने उसकी बुर में पीछे से लंड डाल दिया और वो सिसकारने लगी।
फिर 10 मिनट तक मैंने ऐसे ही उसे चोदा और फिर मैंने कंडोम निकाल कर उसके मुँह से लंड साफ़ करवाया।
अब वो नहाने चली गई और बोली- तुम बाजार से दूध और ब्रेड ले आओ.. मैं तब तक चाय बनाती हूँ.. जाओ तुम सामान ले आओ… और मेरे लिए एक विस्पर भी ले आना.. वो ख़त्म हो गया है। मैं बाजार चला गया और जब थोड़ी देर बाद आया तो वो रसोई में थी। उसने अपने जिस्म पर सिर्फ़ एक तौलिया लपेटा हुआ था।
वो चाय लाई.. फिर हमने पी और वो नाश्ता तैयार करने लगी और मैं नहाने चला गया।
वो और मैं भी घर में सिर्फ़ जॉकी डाल घूमने लगे। हमने साथ में नाश्ता किया और फिर वो घर का काम करने लगी और मैं कमरे में चला गया।
वो तीन घंटे बाद मेरे कमरे में आई वो अभी भी सिर्फ़ तौलिये में ही थी, वो आकर बोली- और जानू.. अब क्या ख्याल है?
यह बोलते हुए उसने अपना तौलिया उतार दिया… अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी, वो मेरी तरफ बढ़ने लगी, उसने मुझे पकड़ा और कहा- अब मेरी बारी है.. तुम्हें चोदने की.. उसने मुझे पकड़ा और अपनी जीभ पूरी मेरे मुँह में डाल दी। फिर मेरे होंठों को चूसने लगी। वो धीरे-धीरे मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी चुम्मियां लेने लगी और साथ ही उसने मेरा जॉकी उतार दिया।
अब वो मेरे लंड को बुरी तरह चूसने लगी। मैं पूरी तरह मदहोश हो गया था और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही थीं- आह.. आह आह…
वो उन्हें सुन कर और तेज होती गई। फिर लंड को हाथ में पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी और मेरे अन्डकोषों को चूसने लगी। थोड़ी देर बाद मेरे लंड से माल बाहर आ गया और वो उसे चाटने लगी।
लेकिन मेरा लंड अभी भी लोहे की रॉड की तरह मजबूत था। उसने मेरे लंड को पकड़ा और धीरे से उस पर अपने बुर का छेद रख कर ऊपर बैठते हुए उसे अन्दर करने लगी।
तो मैंने कहा- जान कन्डोम?
तो वो बोली- नहीं आज मुझे उसके बिना ही मजा लेना है.. रसगुल्ले को कपड़े में रख कर खाने का क्या फ़ायदा..
फिर पूरा लंड अन्दर करके धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होकर उसे अन्दर-बाहर करने लगी और जब वो अन्दर-बाहर कर रही थी.. तो उसकी चूचियों उछाल मार रही थीं। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ लिया और जोर से दबाया। फिर उसको खींच कर अपने मुँह के पास ले आया और उका चूचा चूसने लगा। दूसरे हाथ से उसके बुरड़ों को पकड़ कर बुर को लौड़े के ऊपर-नीचे करने में उसकी हेल्प करने लगा।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं उठा और उसको गोद में उठा कर चोदने लगा।
कुछ देर ऐसे ही चुदाई की.. फिर मैं लेट गया और वो मेरे लंड पर बैठ कर ऊपर से खुद करने लगी।
फिर मैं भी थोड़ा साथ देते हुए ऊपर-नीचे होने लगा। धीरे-धीरे वो तेज-तेज कूदने लगी और चीखने लगी- आअहह.. अह आआहह.. जान.. अया आहह..
फिर वो रुक गई और आगे को झुक गई तो मैं नीचे से ही उछाल मार कर उसे झटके देने लगा और वो भी सिसकियां भरने लगी।
थोड़ी देर बाद वो मुझ से लिपट गई और उसका बदन अकड़ने लगा, मैं समझ गया की लौंडिया झड़ने वाली है.. सो मैंने लंड बाहर निकाल लिया और वो झड़ गई.. साथ में मैं भी झड़ गया और अगल-बगल ही लेट गए।
उस दो दिन में मुझे जितने भी चुदाई के आसन आते थे.. उन हर अवस्था में मैंने उसको चोदा। मम्मी-पापा के आने तक हम लोग कहीं नहीं गए.. सिर्फ़ चुदाई ही करते रहे।
उन लोगों के आने के बाद भी मुझे जब भी मौका मिलता था.. मैं उसकी चूचियों को और गान्ड को दबा देता था और रात को उसे पूरी रात चोदता था। वो पूरे एक महीना घर पर रही। एक दिन दोपहर को मेरे पास आई और बोली- देखो तुमने क्या कर दिया है..?
मम्मी-पापा के आने तक हम लोग कहीं नहीं गए.. सिर्फ़ चुदाई ही करते रहे।
मैंने पूछा- क्या किया.. बताओ तो सही?
तो उसने अपनी ब्रा मुझे दी और बोली- इसको पहनाओ..
मैंने पहनाया.. तो वो नहीं आ रही थी।
‘मेरी सारी ड्रेस टाइट होने लगी हैं..’
जब मैंने नापा तो उसका फिगर 34बी-26-32 हो चुका था, तो मैं बोला- कोई बात नहीं डार्लिंग.. नए कपड़े आ जायेंगे..
वो मेरे लौड़े पर हाथ लगा कर पूछने लगी- इसका दोष नहीं.. इतने कम दिनों में इसने मेरा नाप इतना बढ़ा दिया है।
तो मैं बोला- अगली बार जब साथ रहेंगे तो कुछ दिनों में ही 38 साइज़ के कर दूँगा।
तो वो हँसने लगी और मुझसे लिपट गई।
कुछ दिन बाद उसकी छुट्टियाँ ख़त्म हो गईं और वो भोपाल वापस चली गई।
 
उसके बाद जब कभी मौका मिलता.. तो मैं भोपाल या कोलकाता हो आता था और जम कर अपनी बहनों की बुर चुदाई के मजे लेता था। फिर एक दिन मैं भोपाल गया हुआ था और कांता मेरी बाँहों में लेटी थी, वो बोली- तुम इतना अच्छा से चोदते हो.. सीखा है कहीं से?
मैं- नो डार्लिंग.. ओनली एक्सपीरियेंस..
कांता - मतलब मुझसे पहले भी किसी को चोद चुके हो?
मैं- हाँ..
कांता- किसको..?
मैं- एक हो तब ना बताऊँ.. किसी का नाम..
कांता - तो कितनी हैं?
मैं- दस..
कांता - इतना ज्यादा मतलब मेरा नम्बर 11वां है?
मैं- हाँ।
कांता मेरे लंड को पकड़ते हुए बोली- तभी तो ये इतना मजबूत है।
मैं- हाहहह..
कांता- कौन-कौन थीं वो ख़ुशनसीब लड़कियाँ? ज़रा बताओ तो.. मैं भी तो जानूँ.. मैं कितनों को जानती हूँ?
मैं- लगभग सभी को जानती होगी शुरूआत हुई थी चेतना से.. याद है तुमको?
कांता - हाँ.. वो जो साथ स्कूल जाती थी।
मैं- हाँ वही..
कांता - कब.. स्कूल के टाइम में ही.. या बाद में?
मैं- स्कूल के टाइम में भी और अभी भी चोदता हूँ।
कांता - दूसरी??
मैं- इसको भी तुम जानती हो.. ऊपर वाले फ्लोर पर पूजा रहती थी.. याद है?
कांता - ओह्ह.. उसको भी?
मैं- हाँ..
कांता - तीसरी..
मैं- रीमा भाभी..
कांता- रीमा भाभी.. रोशन भैया की बीवी?
मैं- हाँ..
कांता- इनके साथ कब हुआ?
मैं- याद है.. एक गर्मी की छुटियों में मैं नानी के यहाँ एक महीना रहा था.. तभी..
कांता- अभी भी करते हो?
मैं- हाँ जब जाता हूँ.. तो मौका मिलने पर हो जाता है।
कांता- चौथी?
मैं- मेरा दोस्त मयंक याद है?
कांता - उसके साथ.. तुम ये भी?
मैं- अरे नहीं.. उसकी बहन अंकिता..
कांता - बड़ा कमीना है तू..
मैं- बचपन से ही हूँ.. हाहहहह..
कांता- उसके बाद?
मैं - इसको तुम नहीं जानती हो.. मेरी मकान मालकिन।
कांता- ओके उसके बाद?
मैं - मोनिका.. पापा के दोस्त की बेटी..
कांता- राउरकेला वाले?
मैं - हाँ..
कांता- और ये कब हुआ?
मैं - जब राउरकेला गया था ना ट्रेनिंग के लिए?
कांता- ट्रनिंग के लिए गए थे या ये सब करने गए थे?
मैं उसकी चूचियों को दबाते हुए बोला- दोनों काम करने गया था मेरी जान.. क्या करूँ.. ये मेरी कमज़ोरी है।
कांता - ऊहूऊऊ.. छोड़ो न.. उसके बाद?
मैं- उसके बाद का भी राउरकेला में ही मोनिका की दोस्त सोनी और उसकी मम्मी..
कांता - ओ तेरी.. उसकी मम्मी को भी.. ये कैसे हुआ?
मैंने फिर से उसकी चूची को दबा दिया- बस हो गया।
कांता- ऊऊऊऊऊहू ऊऊऊऊ.. इसी लिए.. जब वो आती है.. तो तुम भाग के मिलने जाते हो।
मैं- बहुत समझदार हो।
कांता- उसके बाद कौन है?
मैं- काजल.. मेरी गर्ल-फ्रेंड..
कांता - उसके बाद?
मैं - मत जानो.. ये?
कांता - कौन है.. बताओ तो सही..?
मैं- डॉली..
कांता एकदम चौंकते हुए बोली- क्या??
मैं- हाँ..
कांता - बहुत बड़ा कमीना है तू.. यार ये कैसे हुआ?
उसे अपनी सारी कहानी बता दी।
कांता - मतलब कोलकाता इसीलिए जाते हो?
मैं- हाँ..
कांता- दीदी को मेरे बारे में पता है?
मैं- नहीं..
कांता- गुड..
मैं- ओके..
कांता- ओके.. उसके बाद?
मैं- मेरी जान.. जो मेरी बाँहों में है।
कांता- अच्छा सबसे ज्यादा मजा किसके साथ आया?
मैं उसको किस करते हुए बोला- मेरी इस जान के साथ..
कांता- हहाहाहा..
मैं- मेरे बारे में तो सब जान गई.. तुम अपने बारे में भी कुछ बताओ।
कांता - मेरे बारे में क्या.. सब तो जानते ही हो.. क्या जानना बाकी है.. बताओ?
मैं- तुम्हारे ब्वॉय-फ्रेण्ड के बारे में?
कांता - ब्वॉय-फ्रेण्ड के बारे में… क्या?
मैं- अब तक कितने बने और कौन-कौन से खेला है?
कांता - अब तक तीन..
मैं- तीन.. कौन थे ये सब.. और सिर्फ़ घूमी-फिरी हो.. या किसी के साथ.. लेट भी चुकी हो?
कांता - ओके बताती हूँ.. पहला ब्वॉय-फ्रेण्ड राहुल.. याद है ना तुझे?
मैं- हाँ स्कूल वाला..
कांता - हाँ वही.. लेकिन सिर्फ लव लैटर ही देता रहा।
मैं- ओके.. दूसरा?
कांता- समीर..
मैं- कौन.. जो साथ में पढ़ने आता था.. हरामी साला?
कांता- हाँ वही.. ये सिर्फ़ किस ही कर पाया.. उससे आगे मौका ही नहीं दिया।
मैं- गुड तीसरा?
कांता- सूरज.. याद है तुमको?
मैं- कौन जो हमारे पड़ोस में रहता है?
कांता- हाँ इसके साथ दो बार..
मैं- इसके साथ चुदी हो?
कांता- हाँ..
मैं- कहाँ?
कांता- अपनी छत पर और एक बार उसके घर में..
मैं - पहले से ही उस कमीन पर मुझे शक था.. पर अब तो मैं उसकी बहन को भी चोदूंगा।
कांता- किसको सोनिया को?
मैं - हाँ और तुम मेरी हेल्प करना.. उसको पटाने में..
कांता- ओके.. लेकिन बदले में मुझे क्या मिलेगा?
मैं - क्या चाहिए बोलो?
कांता- जो माँगूगी.. दोगे..?
मैं - कोशिश करूँगा!
कांता - ओके बताती हूँ.. मुझे तुम्हारा एक दोस्त बहुत पसंद है।
मैं - कौन?
कांता - जय.. एक बार मुझे उससे मिला दो ना प्लीज़!
इतना कहते ही वो मेरे लंड पर बैठ गई और मेरा लंड उसकी बुर में घुसता चला गया।
मैंने नीचे से उसकी बुर में ठोकर मारते हुए कहा- ओके.. कोशिश करता हूँ।
बातों ही बातों में हमारी चुदाई हो गई जब चुदाई ख़त्म हुई तो।
कांता - राजा.. अपना प्रोमिस भूलना मत.. मैं तुमको शेफाली को पटाने में हेल्प करूँगी और तुम मुझे जय से मिलवा दोगे।
मैंने दबे मन से ही सही.. लेकिन ‘हाँ’ बोल दिया।
कांता - तो कब बुला रहे हो?
मैं- जब घर आओगी।
कांता - तो चलो आज ही चलते हैं घर!
मैं - बड़ी जल्दी है..
कांता - जय की बहन भी कम नहीं है.. तुम भी ट्राई कर सकते हो..
मैं - तुमको कैसे पता?
कांता - उसकी फ़ेसबुक में आडी है ना.. वहीं देखी थी।
मैं - उसका प्रोफाइल भी देख चुकी हो!
कांता - हाहाहहाहा जलने की बू आ रही है..
हम घर आ गए और पूरे रास्ते मजा लेते आए.. जैसे हम दोनों ब्वॉय-फ्रेण्ड गर्लफ्रेंड हों।
 
हमने घर पर बता दिया कि कॉलेज में छुट्टियाँ हैं।
मैं - घर तो आ गए.. अब आगे का क्या प्लान है?
कांता - तुम जय को घर बुलाओ.. बाकी का काम मैं कर दूँगी।
मैं - तुम कर दोगी.. लेकिन कैसे? मैं उसको सीधा तो नहीं बोल सकता ना.. कि मेरी बहन तुमसे चुदना चाहती है और मैं तुम्हारी बहन को चोदना चाहता हूँ।
कांता - अरे नहीं.. तुम उसको बुलाओ और मैं बदन दिखा करके उसको पटा लूँगी।
मैं- ओके..
मैंने जय को फोन किया और बोला- भाई पटना में हो?
जय - पटना में.. हाँ.. क्यों?
मैं - मैं भी पटना आया हूँ..
जय - कब?
मैं - आज ही.. तू आ ना मेरे घर.. बहुत दिन हो गए मिले हुए..
जय - ठीक है भाई.. कुछ देर में आता हूँ।
मैं - ओके.. आ जा..
कांता- क्या बोला वो?
मैं - आ रहा है।
कांता- सच?
मैं - हाँ..
उसने मुझे किस करते हुए कहा- थैंक्स भाई..
मैं - अब जा.. अच्छे कपड़े पहन ले..
कुछ देर बाद घर की बेल बज़ी.. तो मैं बोला- आ जा.. खुला हुआ है।
तो जय आ गया और मैं उससे गले मिला।
मैं - आ जा.. बैठ..
तो वो मेरे बगल में बैठ गया।
जय - तो.. और बता कैसा है?
मैं - मस्त.. तू अपना बता..
जय - मैं भी मस्त हूँ..
कुछ देर हमारी बातें चलती रहीं।
मैं - क्या पिएगा?
जय- जो तू पिला दे।
मैं - कांता दो कप चाय देना तो..
जय - अरे ये कांता कब आई?
मैं - आज ही.. मैं ही लाने गया था।
कांता चाय ले कर आई.. तब उसने बहुत खुले गले का टॉप पहना था.. जो पीछे से पारदर्शी था और नीचे कैपरी भी बहुत चुस्त वाली पहने हुई थी। इस कैपरी और टॉप के बीच कुछ जगह खाली थी.. जिससे उसकी नाभि आसानी से दिख रही थी।
मैंने तिरछी नज़र से जय को देखा तो वो अन्दर से हिल चुका था और सीधे तो नहीं.. लेकिन तिरछी नज़रों से कांता के मदमस्त जिस्म को देख रहा था। तब तक कांता मेरे पास आ गई.. मैंने एक कप लिया और बोला- जय को भी दो..
वो जय को देने के लिए झुकी उसकी चूचियाँ आधी बाहर आ गईं। जय उसको ही देखे जा रहा था लेकिन तिरछी नज़र से.. जब वो जाने लगी तो वो और अपने बुरड़ों को मटका कर जा रही थी। लंड तो मेरा भी खड़ा हो गया था.. जो हमेशा इसको नंगी देखता था.. तो सोचो जय का क्या हाल हुआ होगा।
मैं- क्या हुआ.. पानी लेगा क्या?
जय- हाँ..
मैं- जा रसोई से ले आ.. और ज़ोर से बोला- कांता इसको एक गिलास पानी दे देना।
मैंने सोचा.. यहाँ तो तिरछी नज़र से देखना पड़ रहा है.. वहाँ जाएगा तो कम से कम आराम से देख तो सकेगा।
मेरी बात सुन कर तो उसको तो मुँह माँगी मुराद मिल गई और जब तक वो वहाँ खड़ा रहा.. कांता ने अपने जिस्म की नुमाइश करके उसका भरपूर मनोरंजन किया। जब वो लौट रहा था तो उसकी फूली हुई पैंट इस बात का सबूत पेश कर रही थी कि उसे कितना मजा आया।
हम लोग चाय पीने लगे।
मैं- चल.. कोई मूवी देखते हैं।
मैं अपना लॅपटॉप ले आया और उसमें एक हॉट हॉलीवुड मूवी को चला दिया। जिसमें बहुत सारे हॉट सीन्स थे। वो मूवी देखने लगा और मैं कप रखने रसोई में चला गया।
कांता - कैसे लगा मेरा परफॉर्मेंस?
मैं - जबरदस्त.. लोहा गर्म है बस हथौड़ा मारने की देरी है.. लेकिन जब तक मैं यहाँ रहूँगा.. वो तुमको कुछ नहीं करेगा.. सो मैं कोई बहाना बना कर जाता हूँ.. तब तक तुम अपना काम कर लेना।
कांता- ओके.. मेरी जान.. तुम जल्दी जाओ..
मैं - क्या बात है बड़ी जल्दी है.. उससे चुदने की..
कांता - हाँ बचपन का प्यार है..
मैं- ओके गुडलक..
उसको एक लिप किस किया और बाहर आ गया और मूवी देखने लगा।
कांता - भैया.. मैं नहाने जा रही हूँ.. नहा कर खाना बना दूँगी.. तब तक तुम मेरा सामान ला दो।
मैं- ओके ठीक है.. जाओ ला देता हूँ..
मैं- क्या बाइक से आया है भाई?
जय- हाँ..।
मैं- ला चाभी ला.. बाइक की..
जय - कहाँ जाएगा.. चल मैं भी चलता हूँ।
मैं - मार्केट जाना है.. बस 10 मिनट में आ जाऊँगा.. तू यहीं मूवी देख.. मैं आता हूँ।
जय - ठीक है जा..
मैं बाइक थोड़ी दूर पर लगा कर पीछे के दरवाजे से अन्दर आ कर छिप गया और देखने लगा कि क्या हो रहा है।
कांता बाथरूम से चिल्लाई- भाई.. भाई?
जय - वो मार्केट गया है.. कुछ काम से क्या हुआ.. कुछ काम है क्या?
कांता- हाँ.. मैं कमरे में अपने कपड़े और फेसवाश भूल गई हूँ.. ला दोगे प्लीज़?
जय- कहाँ पर है?
कांता - मेरे बिस्तर पर रखा होगा।
जय- ओके देखता हूँ..
जय उसके कपड़ों को देख कर और उत्तेजित हो गया और उसको ले कर बाथरूम के पास आया - ये लो.. देखो तो यही हैं?
कांता- नहीं रहने दो.. एक और काम कर दोगे प्लीज़..
जय- क्या?
कांता- यार पानी ख़त्म हो गया है.. सो रसोई में 2 बाल्टी पानी रखा है.. एक बाल्टी ला दोगे प्लीज़?
जय- ओके..
जब तक जय रसोई गया तब तक कांता ने जितना हो सकता था अपने कपड़े और खोल दिए.. जिससे जय उसके सेक्सी जिस्म का दीदार अच्छी तरह से कर ले।
जब वो पानी ले कर आया.. तो उसने आवाज दी- पानी ले आया.. कैसे दूँ?
कांता- रूको.. मैं दरवाजा खोलती हूँ।
कांता ने दरवाजा खोला और जय उसके बदन को देखता ही रह गया और भीगी होने के कारण उसका हर ‘सामान’ दिख रहा था.. मम्मे और उस पर तने हुए निप्पल.. गान्ड के अन्दर फंसा हुआ कपड़ा.. किसी को भी उत्तेज़ित करने के लिए काफ़ी था और जय तो पहले ही गरम था..।
लेकिन मानना पड़ेगा जय के कंट्रोल करने की पावर को.. उसने कांता को सिर्फ़ देख कर ही मजे लिए.. छूने की कोशिश भी नहीं की.. और बाल्टी रख के बाहर आ गया।
तब उसकी शक्ल देखने लायक थी.. वो पूरा पसीने से लथपथ था जैसे शायद उसका गला सूखा जा रहा था। लंड अन्दर पानी छोड़ चुका होगा और ऊपर से हॉट मूवी आग में घी का काम कर रही थी।
जय मूवी देख कर और भी चुदासा होता जा रहा था.. अगर उसे मेरा ख्याल नहीं होता या कांता मेरी बहन नहीं होती तो अब तक चोद चुका होता। लेकिन शायद उसे मेरी दोस्ती रोक रही थी। तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और जय भी उधर आँखें फाड़-फाड़ कर देखने लगा।
मैंने भी देखा.. मैं सोच रहा था कि अब क्या करामात करने वाली है..
 
कांता का हाथ बाहर आया.. मैं मन में ही सोचने लगा कहीं नंगे ही तो बाहर नहीं आ रही है। तभी लाल तौलिया दिखा.. तो मन में सोचा शुक्र है.. कम से कम जिस्म पर तौलिया तो लपेट लिया है।
जब पूरी बाहर आई.. तो मैं सोचने लगा कि ये क्या.. एक छोटी सी लाल तौलिया में अपने आपको किसी तरह लपेट कर निकली.. जिसमें तौलिया ऊपर निप्पल के पास बँधा हुआ था।
मतलब आधी चूचियों साफ़ बाहर थीं और नीचे बुरड़ों के पास तक ही तौलिया था.. मतलब हल्की सी भी झुकती तो बुरड़ बाहर दिख जाते और साइड में जिधर तौलिया के दोनों सिरे थे.. उधर चलते वक्त जिस्म की एक झलक दिखाई दे रही थी।
ऊपर बँधे हुए बाल और बालों से चूचियों तक का खाली भाग.. आह्ह.. एक तो गोरा बदन था.. ऊपर से पानी की बूँदें और भी कयामत ढा रही थीं। नीचे देखा तो.. बुरड़ों के नीचे गोरी सेक्सी टाँगों का तो कोई जबाब ही नहीं था। सीधी बात कहूँ तो कोई अगर देखे तो उसका लंड क्या.. सब कुछ खड़ा हो जाएगा।
मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि कोई उसको देखने के बाद अपनी पलक भी नहीं झपका पाएगा और शायद यही हाल जय का भी था.. वो बिना पलक झपकाए उसे देखे जा रहा था।
कांता से उसकी नज़र मिलीं तो कांता हल्की सी मुस्कुरा दी.. मतलब उसका खुला आमंत्रण था और कांता अपने कमरे की तरफ़ बढ़ने लगी। तभी वो फिसल गई.. शायद वो जानबूझ कर फिसली थी।
कांता- आअहह..
जय- क्या हुआ?
जय दौड़ते हुए उसके पास गया।
कांता- मैं गिर गई.. उठने में मेरी मदद करो।
जय को तो मानो इसी मौके का इंतज़ार था.. उसको छूने का और उसने उसको हाथ पकड़ कर उठाने की कोशिश की लेकिन नहीं हो पाया।
‘मुझसे नहीं उठा जाएगा.. आह्ह.. मुझे गोद में उठा कर मेरे कमरे में ले चलो प्लीज़..’
जय- ओके..
जय ने उसको गोद में उठा लिया और कमरे ले जाने लगा और उसको बिस्तर पर लिटा दिया।
‘कहाँ चोट लगा है.. बताओ?’
कांता पैर की तरफ़ इशारा करते हुए बोली- देखो.. उधर सामने बाम रखी हुई है.. जरा लगा दो ना..
जय ने एक जगह छूते हुए पूछा- यहाँ?
कांता- नहीं.. ऊपर..
ये बोल कर वो पेट के बल लेट गई।
जय जाँघों के पास हाथ ले गया.. और पूछा- यहाँ?
कांता- नहीं.. और ऊपर..
जय ने बुरड़ों को छुआ और पूछा- जहाँ से ये स्टार्ट होते हैं?
कांता- हाँ यहीं..
जय उसके नंगे बुरड़ों पर बाम लगाने लगा।
जय- अच्छा लग रहा है?
कांता- हाँ अच्छा.. थोड़ा और ऊपर करो न.. कमर के पास भी लगा दो ना.. वहाँ भी दर्द है..
जय- ठीक है..
वो अपना हाथ तौलिया के अन्दर ले गया और लगाने लगा, तब तक कांता ने अपना तौलिया की गाँठ खोल दी। जब वो पूरी तरह से बाम लगा चुका.. तब तक उसका लंड भी तन कर तंबू हो गया था। पूरी मालिश करने के बाद उसने पूछा- दर्द कैसा है?
तो कांता उठी.. उसका तौलिया बिस्तर पर ही रह गया और नंगी ही जय के गले लग गई। जय देखता ही रह गया।
कांता- थैंक्स.. तुम्हारे हाथों में तो जादू है।
जय से भी कंट्रोल नहीं हो पाया.. एक सीमा होती है कंट्रोल करने की.. इतनी हॉट लड़की खड़ी हो सामने.. और वो भी पूरी नंगी.. तो किस चूतिया से कंट्रोल होगा।
वो भी उससे चिपक गया और उसके बुरड़ों को दबाने लगा, तब तक कांता ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। अब तक कांता उसके लंड पर भी हाथ रख चुकी थी और उसकी पैंट के ऊपर से ही उसके खड़े लौड़े को मसलने लगी। कुछ देर किस करने के बाद उसको अलग किया।
जय- ये ग़लत है.. तुम मेरे दोस्त की बहन हो.. ये सही नहीं है… सब राजा को पता चलेगा.. तो वो हम दोनों के बारे में क्या सोचेगा?
वो ये बोल कर नीचे चला गया और मुझे फोन किया- कितनी देर में आओगे?
मैं- भाई तेरी बाइक खराब हो गई है.. उसी को ठीक करवा रहा हूँ।
जय- ओह.. बोल.. मैं भी आता हूँ।
मैं- रहने दे.. तू मूवी देख.. मैं ठीक करवा कर तुरंत आता हूँ.. तेरा मन हो रहा है तो आ जा..
जय- नहीं.. वैसी कोई बात नहीं है।
तब तक कांता नंगी ही आकर उसकी गोद में बैठ गई।
मैं - कांता कहाँ है.. फोन दे तो उसको..
जय - ओके.. लो..
कांता - हाँ भैया बोलो?
मैं - उसको भूख लगी होगी.. खाना खिला देना उसको.. मैं कुछ देर में आऊँगा.. समझ गई न?
कांता- ओके भैया समझ गई..
जय - ओके भाई.. तू जल्दी आ जाना।
मैं - ओके भाई..
कांता - लो भैया अभी नहीं आएंगे.. तुमको भूख लगी है ना.. लो दूध पी लो..
उसने अपनी चूचियों को उसके मुँह के पास कर दिया।
जय - उसको पता चल गया तो?
कांता - जो होगा देखा जाएगा।
तो जय ने भी उसके चुचों को पकड़ लिया और दबाने लगा, तब तक कांता ने उसकी पैन्ट को खोल दिया, उसका लहराता हुआ लंड बाहर आ गया, उसका लंड भी कम नहीं था, मेरे बराबर ही था.. या छोटा भी होगा तो बहुत कम ही छोटा होगा।
कांता उसको बड़े प्यार से सहला रही थी और जय उसके चुचों को नोंच रहा था।
तभी जय ने उसकी चूचियों को मुँह में ले लिया। मेरी दया से चूचियों इतनी बड़ी हो गई थीं कि उसके मुँह में तो जा ही नहीं पा रही थीं.. तभी..
कांता- मैं इसको मुँह में ले लूँ?
जय- ले लो.. लेकिन मैं चूचियों को अभी नहीं छोड़ने वाला हूँ.. बहुत दिनों से इसको पाना चाह रहा हूँ।
कांता- बहुत दिनों से.. मतलब.. कब से?
जय- पिछली बार जब तुमको राजा के साथ स्टेशन पर देखा था.. तब से ही मैं इनके साथ खेलना चाहता था और आज सुबह से जब से आधी चूची को खुला देखा है.. तब से मैं इसको पाने के लिए मचल रहा हूँ।
कांता- और मैं तुमको पाने के सपने पिछले 3 साल से देख रही हूँ।
जय- सच.. तो बताया क्यों नहीं?
कांता- मैंने बहुत कोशिश की लेकिन तुमने कभी ध्यान ही नहीं दिया और अभी भी ज़बरदस्ती नहीं करती तो क्या तुम मानते?
जय- राजा मुझे भाई बोलता है ना.. उसे पता चलेगा तो बुरा सोचेगा.. ये सोच कर मैं चुप था.. लेकिन अब मैं तुमसे दूर नहीं रहने वाला हूँ..
कांता- अब तो लंड मुझे चूसने के लिए दे दो.. तीन साल से तड़फ रही हूँ.. इसकी याद करके..
जय- लो.. मैं भी तो देखूँ.. तुम्हारी बुर कैसी है!
वे दोनों 69 की अवस्था में आ गए, कांता लंड को बहुत अच्छे से चूस रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे खा जाएगी। उधर जय भी बुर को आसानी से नहीं छोड़ रहा था.. साला पूरा जीभ अन्दर डाल रहा था.. दोनों सिसकारियाँ ले रहे थे।
मैंने सोचा रंग में भंग डालने का यही सही टाइम है।
मैं सामने से घूम कर अन्दर आ गया.. अभी भी वो दोनों अपने चूसने के काम में लगे हुए थे।
मैं- हे.. ये क्या कर रहे हो तुम दोनों?
मुझे देखते ही दोनों अलग हुए और कांता भाग कर अपने कमरे में चली गई और जय अपने लंड को छिपाते हुए खड़ा हो गया।
मैं चिल्लाता हुआ बोला - कपड़े पहनो अपने.. पहले कपड़े पहनो..
जय - सॉरी भाई ग़लती हो गई..
मैं - मैं तुमको भाई बोलता था.. और तुम मेरी बहन के साथ ऐसा कैसे कर सकते हो यार?
जय- पता नहीं यार कैसे हो गया… मैं खुद ही दिल से बुरा महसूस कर रहा हूँ।
मैं - तुम्हारे महसूस करने से क्या सब ठीक हो जाएगा.. और भी ना जाने मैंने क्या-क्या बोल दिया और वो चुपचाप सुनता रहा।
जय- मैं इससे शादी करने को रेडी हूँ।
मैं- क्या.. तुम अब क्या ये बात मम्मी-पापा को भी बताना चाहते हो.. वो तुम दोनों को मार देंगे..
जय- तो क्या करूँ.. तुम ही बताओ?
मैं - मेरी बात ध्यान से सुनो.. तुम मेरे दोस्त हो.. सो मैंने तो माफ़ कर दे रहा हूँ लेकिन एक कहावत तो सुनी होगी.. आँख के बदले आँख.. कान के बदले कान.. तो बहन के बदले बहन..
जय- मतलब.. मैं कुछ समझा नहीं?
मैं - तुमने मेरी बहन के साथ ये सब किया.. बदले में तुम अपनी बहन को मेरे लिए रेडी करोगे।
जय - नहीं.. ये नहीं हो सकता..
मैं- क्यों नहीं हो सकता.. ओके ठीक है मैं पापा को फोन करके सब बता देता हूँ.. बाकी तू समझ लेना।
जय - ओके ओके.. मैं रेडी हूँ अपनी बहन को पटाने में मैं तुम्हारी मदद करूँगा लेकिन किस बहन को.. बड़ी को या छोटी को?
मैं - तुम्हारी दोनों में से कोई भी चलेगी..
जय - सोनिया नहीं.. तुम सुहाना पर ट्राई करना..
मैं - ओके जिस दिन मैं तुम्हारी दोनों बहनों में से किसी एक को चोदूँगा.. उस दिन मैं कांता को तेरे पास पहुँचा दूँगा.. अब जा..
जय- ओके..
मैं- लेकिन ज्यादा टाइम नहीं है तुम्हारे पास.. आज शाम को मैं तुम्हारे घर आ रहा हूँ..
जय - ओके आ जा भाई..
मैं जानता था.. कांता की बुर का रस पीकर वो उसे चोदे बिना नहीं रह सकता है। मेरा काम जल्दी ही हो जाएगा और मैं कांता के कमरे चला गया। वो नंगी ही बिस्तर पर बैठी थी।
कांता - क्या यार.. थोड़ी देर और नहीं रुक सकता था..
मैं- हाह.. हहहाहा.. चिंता मत करो.. तेरा वो अपनी बहन को मेरे से जल्द ही चुदवा देगा।
कांता - इतनी देर तुम कहाँ रह गए थे?
मैं - घर में और कहाँ?
मैंने उसको सारी बात बताई।
कांता- मतलब सब कुछ देख लिया..
मैं - हाँ सब कुछ..
कांता - कैसी लगी मेरी एक्टिंग?
मैं- जबरदस्त.. तुमको तो बॉलीवुड में होना चाहिए था.. यहाँ क्या कर रही हो।
वो मुझे मारने के लिए दौड़ी.. तो मैं उसको ले कर बिस्तर पर आ गया। मैं नीचे था और वो मेरे ऊपर.. मैं उसकी पीठ सहलाते हुए बोला।
मैं- जय तो चला गया.. अब हमारा एक राउंड हो जाए।
कांता - हाँ क्यों नहीं.. मैं तो रेडी ही हूँ.. कपड़े तुमने ही पहन रखे हो.. उतारो..
तो मैं कौन सा देर करने वाला था। सारे कपड़े उतार कर चोदने के लिए तैयार हो गया।
मैं- लो मैंने भी उतार दिए।
वो मुझसे लिपट गई.. तब हम दोनों ने 2 राउंड हचक कर चुदाई की.. फिर घड़ी देखी तो 5 बजने वाले थे।
 
हमने मिल कर पूरे घर को साफ़ किया और पढ़ने बैठ गए। मम्मी-पापा आ गए.. उनको कुछ भी पता नहीं चला।
शाम को हम छत पर बैठे हुए थे।
कांता- जय का फोन आया?
मैं- नहीं क्यों?
कांता- वैसे ही कहा.. कहाँ तक बात पहुँची जरा पूछो?
मैं- ओके.. मैं फोन करता हूँ..
कांता- ओके.. करो जल्दी..
मैं- क्या बात है बड़ी जल्दी है तुमको?
कांता- हा हा हा हा..
मैं- कैसा है भाई.. काम का कुछ हुआ कि नहीं?
जय - हाँ पता कर लिया.. दोनों में से किसी का कोई ब्वॉय-फ्रेंड नहीं है.. तुम ट्राइ कर सकते हो.. लेकिन अभी घर पर दीप्ति ही है.. पद्मा तो दिल्ली गई है।
मैं- दिल्ली क्यों बे?
जय - वो वहीं रहेगी अब.. आगे पढ़ने के लिए..
मैं - दीप्ति है ना अभी घर पर.. उसी से काम चला लूँगा।
जय - ठीक है।
मैं- तो बोल घर कब आऊँ?
जय - अभी आ जा.. मिल लो.. लेकिन दिन में आओगे तो मम्मी-पापा नहीं रहते हैं।
मैं - ओके कल ही आता हूँ।
कांता - क्या हुआ.. क्या बोला?
मैं - अपने घर बुलाया है कल दिन में।
कांता - अरे वॉऊ.. तब तो वो जल्द ही तुम्हारी बाँहों में होगी।
मैंने आँख मारते हुए कहा- कोशिश तो यही रहेगी.. अब तेरे लिए जय के लौड़े का इंतजाम भी तो करना ही है न..
कांता- हा हा हा.. अभी जाओ.. मिल आओ.. देख आओ.. कैसी है?
मैं - रहने दो.. कल ही जाऊँगा।
फिर पता नहीं क्या मन हुआ कि मैं जय के घर पहुँच गया। उसके मम्मी-पापा मुझे अच्छे से जानते थे.. सो उनको नमस्ते बोला और अन्दर गया.. तो सामने दीप्ति बैठी हुई थी, वो जय से 2 साल बड़ी थी, गजब की माल थी यार.. क्या बताऊँ.. उस समय उसने सफ़ेद सलवार कुरती पहन रखी थी।
मैंने उसको देखा तो पहले भी था लेकिन हवस की नज़र से आज पहली बार देख रहा था। उसकी पूरी बॉडी सन्नी लियोनि के जैसी थी। रेशमी बाल.. गुलाबी पतले होंठ.. भूरी आँखें.. उठी हुई नाक.. होंठ के ठीक नीचे एक काला तिल..
वो कयामत लग रही थी.. उसकी उभरी हुई चूचियों को देखा तो कम से कम 34बी साइज़ की तो ज़रूर होगीं। ऐसा लग रहा था… जैसे दो संतरों को बहुत कस कर बांधा गया हो। नीचे सपाट पेट.. मैं उसके रसीले हुस्न के आगोश में खोया हुआ ही था कि तभी दीप्ति बोली- हैलो हीरो.. कब आए?
मैं- आज ही..
दीप्ति- आज ही आए और आज ही यहाँ.. बात क्या है?
मैं - आपसे मिलने आ गया..
दीप्ति - हाहहहाहा हा हा इतना घूर के क्या देख रहे थे?
मैं - आपको देख कर मैं पहचान ही नहीं पाया।
दीप्ति- ऐसा क्यों?
मैं - अरे आप बहुत खूबसूरत जो हो गई हैं।
दीप्ति - मेरे घर में मुझसे ही फ्लर्टिंग?
मैं - क्या करूँ खूबसूरत लड़की को देख कर अन्दर से निकलने लगता है।
दीप्ति - जय को बताऊँ क्या?
मैं - बताना क्या है.. किसी अच्छी चीज़ को अच्छी कहना गुनाह तो नहीं है..
दीप्ति - मैं कोई चीज़ नहीं हूँ।
मैं - हाहहाहा हाहाहा..
दीप्ति - और सब बताओ.. क्या चल रहा है तुम्हारा?
मैं - बी.टेक और आपका?
दीप्ति- ग्रेजुयेशन ख़त्म हो गया है जॉब की तैयारी चल रही है।
मैं - ओके.. गुड तो कैसी चल रही है तैयारी?
दीप्ति- अच्छी और तुम्हारी पढ़ाई?
मैं- अच्छी।
कुछ देर यूँ ही फारमल बातचीत के बाद मैं वहाँ से चला गया और उसको पटाने का प्लान बनाता हुआ घर पहुँचा।
कांता- कैसी लगी भाई?
मैं - यार मैं तो घायल हो गया।
कांता - क्या हँसते हुए बोली थी ना.. सही है तुम्हारे लिए?
मैं - हाँ मजा आ जाएगा उसके साथ..
कांता- तो आगे क्या?
मैं - कुछ सोचता हूँ.. कल से उसके घर जाता हूँ।
अगले दिन मैं जय के घर पहुँचा तो दीप्ति जय को कहीं चलने को बोल रही थी।
मैं अन्दर आया।
मैं - कहाँ जाने की बात हो रही है?
जय - अच्छा हुआ भाई तू आ गया।
मैं - क्यों क्या हुआ..?
जय - दीदी को आज कुछ काम है मार्केट मे कुछ खरीदना भी है.. तू ले कर चला जा ना.. मुझे अभी कुछ काम है..
मैं - ओके चला जाता हूँ
जय - दीदी तुम राजा के साथ चली जाओ ना.. मुझे कुछ काम है..
दीप्ति - राजा को अगर कोई प्राब्लम नहीं है.. तो मैं जा सकती हूँ।
मैं - मुझे भला क्या प्राब्लम होगी.. आप जाओ.. रेडी हो कर आ जाओ जल्दी।
वो रेडी होने अपने कमरे में चली गई जय मेरे कान में सट कर बोला।
जय- ले जा बेटा.. दिन भर साथ घुमा.. अगर आज मौका खोया तो रोते रहना अपना पकड़ कर..
मैं - नहीं खोऊँगा. तू टेन्शन मत ले..
जय - ओके.. बेस्ट ऑफ लक..
दीप्ति तब तक रेडी हो कर आ गई थी उसने एक सफ़ेद रंग का टॉप और ब्लू डेनिम पहनी थी.. इस ड्रेस में वो एकदम आइटम लग रही थी।
दीप्ति- चलें?
मैं- हाँ ज़रूर..
हम लोग बाहर आ गए.. मेरी बाइक की सीट पीछे से उठी हुई थी.. जिसमें एक आदमी के बैठने के बाद दूसरा जो भी बैठेगा.. वो पहले के ऊपर भार देकर ही बैठेगा.. आप समझ ही गए होंगे कि मैं कहना क्या चाह रहा हूँ।
 
जब वो मुझसे सट कर बैठी… तो मैं अपनी फीलिंग नहीं बता सकता.. कि कितना अच्छा लग रहा था। उसकी दोनों चूचियों को मैं महसूस कर रहा था और बीच-बीच में ब्रेक मार-मार कर उसके आमों के दबने का मजा ले रहा था। लेकिन वो भी कुछ बोल नहीं रही थी। मैं समझ गया कि वो भी मज़े ले रही है। जब उसका कुछ काम था.. जो कि नहीं हुआ.. शायद उसे कोई फॉर्म भरना था जो वो नहीं भर पाई।
मैं - क्या हुआ?
दीप्ति - नहीं भर पा रहा है।
मैं- कोई बात नहीं.. मैं भर दूँगा रात में दिन में सरवर बिज़ी रहता है.. रात को भरने से हो जाएगा।
दीप्ति - ओके.. भर देना ना.. प्लीज़..
मैं - ओके और कुछ काम है या.. घर चलें..
दीप्ति- हाँ यार थोड़ी शॉपिंग करनी है.. चलोगे..?
मैं- चलो..
हम दोनों एक मॉल में गए और वो कपड़े पसंद करने लगी। मैं भी साथ था मैं हमेशा वैसे कपड़े उसको दिखा कर पूछ रहा था.. जो ज्यादा खुला हो या छोटा हो।
दीप्ति - तुम्हें ऐसे बेकार कपड़े ही पसंद आ रहे हैं.. ये सब भी पहनने की ड्रेस है.. जिसको पहनने के बाद भी नंगे होने का अहसास होता रहे।
मैं - अरे नहीं.. मेरा मतलब ये नहीं था.. बहुत सी लड़कियाँ इस तरह के कपड़े पहनती हैं और वो खूबसूरत लगती हैं। वैसे भी लड़कियाँ इतनी खूबसूरत होती हैं उन्हें थोड़ा हम लड़के भी देख लेंगे.. तो कौन सा उसका कुछ कम हो जाएगा.. लेकिन हम बेचारे लड़कों को थोड़ा तो मजा आ ही जाएगा।
दीप्ति - हाहाहा हा हा हा हा.. तुम लड़कों को और काम ही क्या है लड़कियों को देखने के अलावा।
मैं- और करना ही क्या है हम लोगों को?
कुछ देर बाद उसने कुछ कपड़े ले लिए तो मैंने भी एक कपड़ा जैसे कांता को लाकर दिए थे.. उससे बहुत छोटे-छोटे कपड़े थे.. जो थोड़े पारदर्शी भी थे.. उन्हें ले कर पैक करवा लिए और उसको देते हुए कहा - ये मेरी तरफ़ से.. एक खूबसूरत लड़की के लिए खूबसूरत सा ड्रेस!
दीप्ति - मैं नहीं पहनती ऐसे कपड़े..
मैं- तो मैं कौन सा अभी इसे पहनने को बोल रहा हूँ.. इसको रख लो.. जब तुम अकेली होओ.. तब इसको पहन कर देखना… बहुत ही खूबसूरत लगोगी, अगर नहीं लगी तो फेंक देना।
दीप्ति- नहीं यार.. मैं नहीं ले सकती इसको।
मैं - ओके नो प्राब्लम..
मैंने उसको पैकेट को डस्टबिन में फेंकने लगा।
दीप्ति- ओके बाबा.. लाओ.. रख लेती हूँ।
मैं - ओके मुझे बहुत ज़ोर से भूख लगी है कुछ खाएं?
दीप्ति - हाँ मुझे भी भूख लग रही है.. चलो किसी होटल में चलते हैं।
मैं- ओके..
हम दोनों एक होटल में गए और उसको ऑर्डर करने बोला।
दीप्ति - क्या खाओगे?
मैं - तुम जो खिला दो।
दीप्ति - तुम्हारे लिए भी मैं ही ऑर्डर कर दूँ?
मैं- हाँ.. तो उसने खाना ऑर्डर कर दिया।
दीप्ति- सो.. बताओ तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है?
मैं - क्यों दिल आ गया है क्या मुझ पर?
दीप्ति - अरे नहीं.. वैसे ही पूछ रही हूँ..
मैं - नो.. अभी तो नहीं है.. शायद जल्दी ही बन जाए।
दीप्ति - बन जाए मतलब.. किसी पर ट्राई कर रहे हो क्या?
मैं - हाँ तुम पर इतनी देर से..
वो हँसी.. हँसी मतलब फंसी।
दीप्ति - अरे नहीं..
मैं- तुम्हारा कोई ब्वॉय-फ्रेंड है क्या?
दीप्ति - नहीं..
मैं- तब तो मेरा लाइन क्लियर है।
दीप्ति - हा हा हा हा हा हा.. अच्छा बताओ.. तुमको कैसी लड़की पसंद है?
मैं- तुम्हारे जैसी..
दीप्ति - हा हा हाहहाहा सो फन्नी.. सच बताओ न..
मैं- खूबसूरत हो.. फेस और दिल दोनों से.. मुझसे प्यार करती हो और क्या..? और तुमको कैसा लड़का पसन्द है?
दीप्ति - तुम्हारे जैसा हाहहह हहाहा.
मैं- सच.. ऐसा मत बोलो यार.. मेरा दिल बाहर निकल कर आ जाएगा।
दीप्ति- अरे नहीं..
मैं - मतलब मैं पसंद नहीं हूँ.. बदसूरत हूँ घटिया.. बोरिंग हूँ?
दीप्ति - अरे नहीं बाबा.. ऐसा मैंने कब कहा?
मैं- तो क्या पसंद हूँ.. हाँ या नहीं में बोलो यार.. कन्फ्यूज़ मत करो..
दीप्ति - हाहहाहा हा हहा तुम पागल हो.. बिल्कुल पागल..
मैं - हा हा हा हा… ठीक है पागलखाने चला जाता हूँ।
दीप्ति- हा हा हा हा यू आर सो फन्नी
मैं- थैंक्स..
दीप्ति- तुम्हें लड़कियों को छोटे कपड़ों में देखना पसंद है क्या?
मैं - अरे नहीं.. मुझे तो लड़की सब से ज्यादा सेक्सी साड़ी में लगती है.. बॅकलैस ब्लाउज हो.. तब तो सोने पर सुहागा लगता है।
दीप्ति- बैकलैस ब्लाउज क्यों?
मैं - क्योंकि इसमें खूबसूरती और भी ज्यादा दिखती है।
दीप्ति- ओह्ह.. आई सी..
मैं - यॅप..
कुछ देर बात करने के बाद हम घर चल दिए और रास्ते भर मजा लेते रहे.. मैंने उसको घर ड्रॉप कर दिया।
दीप्ति- थैंक्स.. आज पूरा दिन तुम्हारे साथ बहुत मजा आया।
मैं- माय प्लेजर.. जब भी ज़रूरत पड़े मुझे याद कर लेना.. आपका ये ड्राइवर हाज़िर हो जाएगा।
दीप्ति- ओके.. सो.. आज शाम को क्या कर रहे हो?
मैं- कोई ख़ास प्लान नहीं है.. क्यों कोई बात है क्या?
दीप्ति- मेरी एक फ्रेंड की बर्थडे पार्टी है.. अगर तुम फ्री हो तो लेकर चलते.. तो पूछा।
मैं- नो प्राब्लम आ जाऊँगा हनी..
दीप्ति- घर में भी बोल देना.. रात को यहीं रुक जाओगे.. क्योंकि फॉर्म भी तो भरना है.. लास्ट डेट में सिर्फ़ 2 दिन बचे हैं।
मैं- ओके.. अब मैं जाऊँ?
दीप्ति- ओके बाइ.. जल्दी आ जाना।
मैं- ओके..
शाम को जब मैं पहुँचा तो उसके पापा और मम्मी कहीं जा रहे थे तो मैंने पूछा- क्या बात है.. बेटा आया तो आप लोग भाग रहे हैं?
‘अरे नहीं बेटा एक रिश्तेदार के यहाँ शादी है, 4-5 दिन के लिए जाना पड़ेगा..’
‘तो स्टेशन छोड़ दूँ क्या?’
‘हाँ छोड़ दो..’
मैं और जय दोनों मिल कर उनको स्टेशन छोड़ आए।
जय- कुछ हुआ?
मैं - जल्दी हो जाएगा।
जय - साले मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा है अब तुम मेरी बहन के साथ घूम रहे हो और मैं अपने लौड़े को हाथ से हिला रहा हूँ।
मैं - कोशिश कर रहा हूँ.. जल्दी ही पट जाएगी।
जय - ओके जल्दी कर.. नहीं तो मैं तेरे घर चला जाऊँगा।
मैं- तुम मेरे लिए इतना काम किए हो तो मैं भी तुम्हारे लिए कुछ करता हूँ।
जय - क्या भाई?
मैं - तुम कांता से फोन पर बात कर सकते हो।
जय - थैंक्स मेरे भाई।
मैं - अब घर चल तेरी बहन मेरा इंतज़ार कर रही होगी।
हम दोनों घर वापस आ गए और मैंने उससे बोला- देख, दीप्ति रेडी हो गई हो तो चलते हैं।
मेरी आवाज सुन कर तो वो बाहर आई तब उसने पारदर्शी गुलाबी साड़ी पहनी थी ब्लाउज भी खुले गले का और जिससे चूचियों की लाइन दिख रही थी.. नीचे नाभि से चार उंगली नीचे साड़ी को बाँध रखी थी। जिससे उसका पेट तो दिख ही रहा था.. साथ में नाभि तो और भी सेक्सी लग रही थी।
मेरे पास आई तो पीछे भी दिख गया.. मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गईं।
उसने सचमुच बैकलैस ब्लाउज पहना था.. पीछे सिर्फ़ दो डोरियाँ थीं जो ब्लाउज को बाँध रखे थीं.. नहीं तो पीछे का पूरा भाग गर्दन से बुरड़ों के उभार तक नंगी थी। उसे देख कर तो मेरा लंड खड़ा हो गया.. मेरा क्या जय का भी हो गया होगा। वो इतनी सेक्सी लग ही रही थी कि किसी का भी खड़ा हो जाए.. और मैं ये सोच कर मन ही मन खुश हो रहा था कि ये तो पट गई। अब क्योंकि मैं जिस ड्रेस के बारे में उसको दिन में बोला था वो वैसी ही ड्रेस पहने हुई थी.. मतलब अपना काम बन गया भाई।
दीप्ति मुस्कुराती हुई बोली- चलें?
मैं- हाँ चलो..
वो बाइक पर पीछे बैठ गई..
‘ठीक से बैठ गई ना?’
दीप्ति- हाँ..
मैंने गाड़ी आगे बढ़ा दी.. तो वो मुझसे एकदम चिपक कर बैठी थी।
मैं- थैंक्स..
दीप्ति- क्यों?
मैं- मेरे पसंद की ड्रेस पहने के लिए..
दीप्ति- तुम मेरे लिए इतना किए हो तो क्या मैं इतना भी नहीं कर सकती थी..
मैं- आज तुम बहुत ही सेक्सी लग रही हो।
दीप्ति- क्या?
मैं- एकदम हॉट और सेक्सी आइटम लग रही हो.. पार्टी में हर कोई तुमको ही देखेगा.. बेचारी बर्थडे गर्ल फीकी पड़ जाएगी।
दीप्ति- ऊऊओहू ऊओहो.. तारीफ कर रहे हो या फ्लर्टिंग?
मैं- तुम जो समझ लो।
कुछ दूर चलने के बाद बारिश शुरू हो गई.. तो मैंने जानबूझ कर जंगल वाला रास्ता चुना कि बारिश में फंसे तो जंगल में ही तो कुछ करने का ज्यादा चान्स मिलेगा और शायद मेरी किस्मत को भी यही मंजूर था। अभी हम लोग आधे जंगल ही पहुँचे होंगे कि बारिश तेज होने लगी। सो हम एक पेड़ के नीचे रुकने के लिए भागे.. लेकिन तब तक हम भीग चुके थे और भीगने के कारण कपड़े उसके बदन से चिपक गए थे.. जिससे वो और भी सेक्सी लग रही थी।
 
कुछ दूर चलने के बाद बारिश शुरू हो गई.. तो मैंने जानबूझ कर जंगल वाला रास्ता चुना कि बारिश में फंसे तो जंगल में ही तो कुछ करने का ज्यादा चान्स मिलेगा और शायद मेरी किस्मत को भी यही मंजूर था। अभी हम लोग आधे जंगल ही पहुँचे होंगे कि बारिश तेज होने लगी। सो हम एक पेड़ के नीचे रुकने के लिए भागे.. लेकिन तब तक हम भीग चुके थे और भीगने के कारण कपड़े उसके बदन से चिपक गए थे.. जिससे वो और भी सेक्सी लग रही थी।
आप लोगों ने भी किसी को भीगे कपड़ों में देखा होगा… सो अंदाज़ा तो लगा ही सकते हैं कि वो कितनी सेक्सी लग रही होगी। मेरा लंड तन कर पैन्ट फाड़ने को रेडी था कि तभी ज़ोर से बिजली कड़की और वो मेरे गले से लग गई।
मैंने भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए उसको अपने से चिपका लिया। पहली बार उसके पूरे बदन को मैं महसूस कर रहा था.. तो मैंने सोचा इतना अच्छा मौका है तो उसका फ़ायदा तो उठाना ही चाहिए। मैंने उसकी गर्दन कर हल्का सा किस कर दिया और किसी भी लड़की को अगर गर्दन पर किस किया जाए तो वो अन्दर से हिल जाती है.. सो वो भी सिहर उठी और मुझे और भी ज़ोर से पकड़ लिया।
मैं समझ गया कि ये गरम हो रही है.. सो मैं उसके नंगे बदन पर हल्के से हाथ फेरने लगा.. जिससे वो और एग्ज़ाइटेड हो रही थी। अभी आगे कुछ और होता उससे पहले मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और लिप किस करने लगा। तब तक मेरा हाथ कैसे शांत बैठा रहता.. सो मेरा हाथ भी उसके बुरड़ों तक पहुँच गया और उसको दबाने लगा।
उम्मीद से ज्यादा मुलायम बुरड़ थे.. उसके बुरड़ों को कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं नीचे बढ़ने लगा। उसकी गर्दन पर किस करते हुए चूचियों के पास पहुँचा और ऊपर से ही चूसने लगा। फिर और नीचे को बढ़ा.. पेट पर किस करने लगा.. तो वो चहकने लगी.. उसके मुँह से निकलने वाली सीत्कार मुझे बहुत ही मीठी लग रही थीं।
कुछ देर ऐसा करने के बाद मैं फिर ऊपर चूचियों की तरफ़ बढ़ने लगा और ब्लाउज के ऊपर से ही चूचियों को काटने-खाने लगा। फिर मैंने हाथ को पीछे किया और ब्लाउज की डोर को खोलने ही वाला था कि उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
दीप्ति- नहीं.. रूको.. ये सब ग़लत हो रहा है।
मैं- कुछ ग़लत नहीं हो रहा है मेरी जान.. मैं तुम से प्यार करता हूँ।
दीप्ति- और तुम ये सब कर रहे थे.. पता नहीं मुझे क्या हो गया था.. मैं तुमको नहीं रोका.. सॉरी..
मैं उसको खींच कर अपने से चिपका कर बोला- मेरी जान.. शायद तुम भी मुझसे प्यार करती हो.. तब तो इतना कुछ हुआ.. लेकिन नहीं रोका तो अब किस बात का डर है?
दीप्ति- हाँ मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ लेकिन तुम मुझसे छोटे हो और मेरे भाई के दोस्त हो.. जय को पता चलेगा तो उसको कितना बुरा लगेगा उसने भरोसा करके मुझे तुम्हारे साथ भेजा।
मैं- उसे पता चलेगा तब ना.. और जब ज़रूरत पड़ेगी तो मैं उसको बता दूँगा।
दीप्ति- मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है.. अब घर वापस चलो।
मैं - ओके लेकिन तुम पूरी भीग गई हो सो मैंने उसको बाइक की डिक्की में से रेनकोट निकाल कर दिया और बोला- लो इसको पहन लो.. तो उसको पहन लिया और हम घर आ गए।
जब मैं अन्दर गया तो देखा जय फोन पर बात कर रहा था, मैं समझ गया कि कांता से बात कर रहा होगा।
खैर.. दीप्ति अपने कमरे में कपड़े बदलने चली गई और मैंने भी जय के कपड़े लेकर पहन लिए और उसके कमरे में चला गया।
दीप्ति- तुम यहाँ क्या कर रहे हो.. भाई यहीं है।
मैं- नहीं है.. कुछ खाने का सामन लाने गया है।
दीप्ति- क्या हुआ बोलो?
मैं- सॉरी बोलने आया हूँ।
दीप्ति- किस बात का?
मैं- कुछ देर पहले जो हुआ उस बात के लिए.. मुझे लगा तुम भी मुझसे प्यार करती हो.. सो.. लेकिन शायद मुझे अभी भी लग रहा है कि तुम मुझसे प्यार करती हो। आज रात मैं यही रुक रहा हूँ तुमने कहा था ना.. तुम्हारा फॉर्म भरने के लिए। तुम मुझे रात को जगा देना.. 12-1 बजे के बाद.. तब मैं भर दूँगा और हाँ मुझे अभी भी लगता है कि तुम मुझसे प्यार करती हो। अगर तुम्हारे मन में मेरे लिए थोड़ी सी भी फीलिंग हो.. तो रात को मेरा दिया हुआ ड्रेस पहन कर आना.. अगर तुम वो ड्रेस पहन कर आओगी.. तो मैं ‘हाँ’ समझूँगा.. नहीं तो मैं फिर तुमको कभी भी परेशान नहीं करूँगा।
इतना बोल कर मैं वापस लौट आया और मन में सोचा कि लगता है अब इस तरह एमोशनल ब्लैकमेल करके काम बन जाएगा..
रात का खाना बन गया था.. सब खा रहे थे.. तभी।
मैं- मैं कहाँ सोऊँगा?
दीप्ति- जय के साथ..
जय- नहीं मैं बिस्तर शेयर नहीं करने वाला हूँ.. एक काम कर तू पापा के कमरे में सो जा.. वैसे भी तू रात को उसका फॉर्म भरने उठेगा। मुझे अपनी नींद नहीं खराब करनी है। पापा का कमरे दीदी के कमरे के पास ही है.. वो तुमको आसानी से उठा देगी।
मैं- ओके.. ठीक है वहीं सो जाऊँगा।
जय- ओके भाई.. गुड नाइट मैं चला सोने.. मुझे बहुत ज़ोर से नींद आ रही है।
फिर मेरे कान में सट कर बोला- बेटा आज मत चूकना.. मैं तेरी बहन का अब और इंतज़ार नहीं कर सकता।
मैं- टेन्शन मत ले.. कल तू चले जाना मेरे घर..
जय- ओके थैंक्स!
अब हम लोग अपने-अपने कमरे में जाकर सो गए। नींद तो मुझे आ नहीं रही थी.. लेकिन लेटा था इस इंतज़ार में.. कि जवाब ‘हाँ’ आए.. पता नहीं कब आँख लग गई.. तभी मेरे कान में प्यारी सी आवाज़ गूँजी। तब जाकर मेरी आँख खुली तो देखा दीप्ति थी।
 
अब हम लोग अपने-अपने कमरे में जाकर सो गए। नींद तो मुझे आ नहीं रही थी.. लेकिन लेटा था इस इंतज़ार में.. कि जवाब ‘हाँ’ आए.. पता नहीं कब आँख लग गई.. तभी मेरे कान में प्यारी सी आवाज़ गूँजी। तब जाकर मेरी आँख खुली तो देखा दीप्ति थी।
तभी मैंने सबसे पहले उसकी ड्रेस को देखा तो मेरी नींद टूट गई.. और सपना भी क्योंकि उसने गाउन पहन रखा था।
दीप्ति- एक बज गए हैं.. चलो फॉर्म भर दो।
मैं भन्नाता हुआ बोला- ओके.. मैं फ्रेश हो कर आता हूँ।
दीप्ति- मेरे कमरे में आ जाना।
मैं- ठीक है।
मैंने उसका फॉर्म भर दिया.. जब पूरा फॉर्म भर गया तो।
मैं- लो हो गया..
दीप्ति- ओके थैंक्स..
मैं- ओके.. अब गुड नाइट.. मैं सोने जा रहा हूँ.. बहुत ज़ोर से नींद आ रही है।
दीप्ति- रूको.. लाइट ऑफ करो और अपनी आँखें भी.. जब मैं बोलूँगी.. तो जलाना।
मैं- क्यों क्या बात है?
दीप्ति- करो तो सही..
मैं- ओके कर दिया..
दीप्ति- आँखें भी बंद हैं ना?
मैं- हाँ..
कुछ पलों बाद..
दीप्ति- अब लाइट जलाओ और आँखें भी खोलो।
मैंने आँख खोलीं.. तो मेरी आँखें खुली की खुली ही रह गईं.. उसने वही ड्रेस पहन रखा था.. जो आज मैंने उसको दिया था। मेरी तो नींद उड़ गई और दौड़ते हुए मैं उसके पास गया और उसके गले लगते हुए बोला।
मैं- थैंक्स आई लव यू.. मेरी जान..
कांता- आई लव यू टू.. मैं भी तुम से बहुत प्यार करती हूँ.. लेकिन भाई के दोस्त हो.. इसलिए डर रही थी… लेकिन अब नहीं.. अब जो होगा सो देखा जाएगा।
मैं- तो आ जाओ अपने प्यार की पहली रात मनाते हैं..
थोड़ी नानुकर के बाद मान गई लेकिन बोली- सिर्फ़ ऊपर से ही..
मैं बोला- ठीक है..
उसने खुद ही अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिए और मैं उसके होंठ चूसने लगा।
थोड़ी देर होंठ चूसने के बाद मैं सीधा चूचियों पर टूट पड़ा.. तब तो वो ब्लाउज में बंद थे.. जिसे मैं देख भी नहीं पाया था। लेकिन अभी तो इस ड्रेस में आधी चूचियों बाहर ही थीं। सो मैं उसी निकले हुए भाग को चूसने लगा। फिर कुछ देर बाद मैंने ड्रेस को थोड़ा नीचे खींचा और ऊपर से एक चूची को पकड़ कर उसको बाहर निकाल लिया।
क्या मस्त गुलाबी निप्पल थे। मैं उसको चूसने लगा और अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो पा रहा था.. सो मैंने हाथ पीछे ले जाकर ड्रेस की स्ट्रिप खोल दी और ड्रेस को नीचे खींच दिया.. जिससे उसकी दोनों चूचियाँ बाहर आ गईं।
वैसे तो वो गोरी बहुत थी.. लेकिन उसकी चूचियों का रंग उससे भी अधिक गोरा था। उस पर गुलाबी निप्पल का तो कोई जवाब ही नहीं था।
मैं उन पर टूट पड़ा और एक हाथ से एक चूचियों दबा रहा था और मुँह से दूसरी चूची को पी रहा था। मेरा दूसरा हाथ पीछे से उसकी गान्ड को सहला रहा था। तभी उसका हाथ मेरे पैंट के ऊपर घूमने लगा.. शायद वो लंड ढूँढ रही थी.. जो कि पहले से ही तना हुआ फुंफकार मार रहा था। उसको जींस के ऊपर से ही सहलाने लगी। जब उससे मन नहीं भरा तो उसने मेरी चड्डी की इलास्टिक को अन्दर हाथ डाल के नीचे कर दी और फनफनाता हुआ लंड बाहर आ गया।
वैसे तो लंड बहुत गर्म था और जब उस पर थोड़ी ठंडी हवा लगी तो अच्छा महसूस होने लगा। जब उसने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को छुआ तो मैं सिहर गया और जब वो सहलाने लगी तो मानो मैं जन्नत में पहुँच गया। कुछ ऐसा जादू था उसके हाथों में।
 
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