Bhai Bahan XXX भाई की जवानी - Page 4 - SexBaba
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Bhai Bahan XXX भाई की जवानी

आरोही- वाउ.. यू अरे ग्रेट। एकदम सही जवाब। मैं तो तुम्हारी फैन हो गई।

राज- अच्छा जी... जरा हमें भी तो बताइए की हमारा पसंदीदा फल कौन सा है?

आरोही सोचती हैं राज की पसंद विशाल में कितनी मिलती है। ब्लू कलर विशाल को भी पसंद है, और राज को भी। यही सोचते हुए आरोही विशाल की पसंद का फल "आम" कह देती है।

राज- ओह माई गोड... ये भी एकदम सही जवाब है।

आरोही- राज एक बात कहूँ?

राज- हाँ हाँ कहो।

आरोही- ऐसा लगता है मुझे तुमसे प्यार हो गया है।

राज- क्या?

आरोही- हाँ मैं सही कह रही हैं। आई लव यू राज।

विशाल को ये सुनकर बड़ा तगड़ा झटका लगता है। विशाल ने ऐसा कुछ तो सोचा भी नहीं था की ऐसा कुछ भी हो सकता है। आरोही का आज राज से प्यार हो चुका था।

राज- ये तुम क्या कह रही हो आरोही?

आरोही- हाँ रा, मैं ठीक कह रही हैं, मुझे तुमसे प्यार हो गया है।

राज- बिना देखे?

आरोही- हाँ बिना देखे।

राज- मगर आरोही ये सब नहीं हो सकता।

आरोही- क्यों नहीं हो सकता? राज मुझे तुमसे मिलना है क्या तुम मुझसे मिलने आ सकते हो?

विशाल सोचता है इस राज का अध्याय खतम करना पड़ेगा। विशाल का एक आईडिया आता है, इस राज के चैप्टर को समाप्त करने का।

राज. ठीक है में कल तुम्हारी सिटी पहुँचता हूँ। तुम मुझे दो बजे मेट्रो माल में मिलना। है

आरोही- मैं तुम्हें पहचानूंगी कैसे? मुझे अपनी एक पिक तो भेजा।

विशाल नेट से एक फेक पिक डाउनलोड करके आरोही को भेज देता है- "कैसी लगी मेरी पिक....

आरोही- "बड़े ही हैंडसम लग रहे हो राज... और फिर आरोही भी अपनी कई पिक राज को भेज देती है।

राज- आरोही, तुम्हें मुझ पर इतना भरोशा कैसे हो गया? अगर मैंने तुम्हारा फायदा उठा लिया तो?
 
आरोही- मेरा दिल कहता है तुम बहुत अच्छे इसान हो। इसी लिए तुमपे अपना दिल आया है।

रात के 9:00 बज चुके थे। विशाल सोफे से उठकर ऊपर आरोही की तरफ चल दिया।

आरोही को सीदियों पर किसी की आहट आती है। वो जल्दी से अपना मोबाइल लोग आउट कर देती है।

विशाल- आरोही सो गईं क्या?

आरोही- नहीं भैया जाग रही हैं।

विशाल- क्या कर रही थी?

आरोही- कैंडी गेम खेल रही थी।

विशाल भी आरोही के बराबर में लेट जाता है।

आरोही- क्या बात है भैया कुछ परेशाज से लग रहे हो?

विशाल- नहीं तो बस ोड़ा सफर की वजह से थकान हो रही है।

आरोही- "ता भैया आप सो जाइए, आपको थोड़ा आराम मिल जायगा.." और दोनों सो जाते हैं।
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सुबह राजेश सुमन को स्कूल छोड़ता हुआ कंपनी चला जाता है, और आरोही विशाल के साथ स्कूल पहुँचती है। आराही सोचती है मेट्रो माल कैसे जाये? स्कूल में एक बजे छुट्टी होती हैं, और विशाल भी साथ में है।

विशाल छुट्टी के बाद आरोही की क्लास में पहुँचता हैं मगर आरोही कहीं दिखाई नहीं देती। विशाल मोबाइल निकालकर आरोही को फोन मिलता है- “हेलो आरोही, कहां हो तुम?"

आरोही- भैया मुझे कुछ किताबें लेनी थी। मैं मार्केट से सीधी घर पहुँच जाऊँगी। आप घर चले जाइए।

विशाल- "ठीक है आरोही..' और थोड़ी देर बाद विशाल भी मेट्रो माल पहुँच जाता है।

विशाल को आरोही माल के बाहर खड़ी किसी का इंतेजार करते दिख जाती है। विशाल बाइक आरोही के पास ले जाते हए- "अरे आरोही तुम यहां?"

आरोही विशाल को देखकर सकपका जाती हैं- "वो... भैया, मुझे कुछ शापिंग करनी थी इसलिए मैं यहां आ गई."

विशाल- अरे तो मुझसे बोल देती, मैं ले आता।

आरोही- भैया मुझे कुछ अपना परसानल सामान खरीदना था।

विशाल- "अच्छा चलो फिर बाहर क्यों खड़ी हो, अंदर चलते हैं.." और विशाल बाइक पार्क करके आरोही का हाथ पकड़कर माल में पहुँच जाता है। विशाल आज थोड़ा ज्यादा आरोही से चिपका रहता है।

आरोही की नजरें बार-बार किसी को दरही थी।

विशाल- क्या हुआ आरोही इतना परेशान क्यों हो?

आरोही- नहीं तो भैया।

विशाल- चला आइसक्रीम खाते हैं

माल में एक कपल डान्स कंपिटीशन चल रहा था।

विशाल- आरोही चलो हम भी डान्स करते हैं।

आरोही- भैया ये कपल डान्स है।

विशाल- "तो क्या हुआ, यहां हमें कौन जानता है?" और विशाल आरोही का हाथ पकड़कर स्टेज पर ले जाता है।

फिर दोनों भाई बहन एक दूजे का हाथ पकड़कर कपल्स की तरह डान्स करने लगते हैं। बार-बार आराही की नजरें राज को टूट रही थी। विशाल आरोही के साथ माल में लगभग एक घंटे गुजार देता है। मगर आरोही को राज कही नजर नहीं आता। और फिर विशाल आरोही को लेकर घर आ जाता है।

रात को आरोही राज के साथ आनलाइन चैट करती हैं।

राज- मुझे माल में बुलाकर किसके साथ रंगरलियां मना रही थी?

आरोही- नहीं राज वो मेरा भाई था। तुम माल में मुझे कहीं दिखाई नहीं दिए।

राज- झठ बोलती है। साली रंडी कालगर्ल कोई भाई के गले में झल कर भी डान्स करता है। आज के बाद कभी मुझसे चैटिंग करने की कोशिश मत करना.." और विशाल आफलाइन हो जाता है।
 
आरोही एकदम सुन्न रह जाती है की ये सब क्या हो गया? आरोही के दिल में राज के प्यार ने सपनों का महल बना लिया था। जो राज में एक ही झटके में चकनाचूर कर दिया। और आरोही की आँखों में आँस का सैलाब बह निकला।

थोड़ी देर बाद विशाल भी कपड़े चेंज करके ऊपर आरोही के रूम में आता है। आरोही राज के बारे में सोचते हए रोये जा रही थी। विशाल कब रूम में आ गया आरोही को इतना भी होश नहीं था।

विशाल आरोही को रोते हुए देखकर. "आरोही क्या हुआ तुझे?"

विशाल की आवाज़ सुन आरोही जैसे होश में आती है, और खड़े होते हुए खुद को नामल करने की कोशिश करती है- "भैया आप..."

विशाल- क्या बात है आरोही क्यों रो रही थी?

आरोही- नहीं तो भैया, में कहा रो रही है?

विशाल- देख आरोही हम भाई बहन के साथ-साथ एक अच्छे दोस्त भी हैं। मुझे नहीं बतायेंगी क्या बात है?

आरोही एकदम टूट जाती है और आगे बढ़ कर विशाल के गले में लगकर फूट-फूटकर रो पड़ती है। विशाल भी आरोही के बालों में हाथ फेरते हुए आरोही को चुप कराने की कोशिश करता है। आरोही में शायद कमीज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी और विशाल ने भी काटन की हल्की सी शर्ट और लोवर पहनी हई थी, और आज विशाल ने लोवर के अंदर अंडरवेर भी नहीं पहना था।

आरोही की चूचियां विशाल को अपनी छाती में धंसती हुई महसूस होने लगी। चूचियों के निप्पल साफ-साफ विशाल को चुभ रहे थे। चूचियों की चुभन और आरोही का इस तरह लिपटना विशाल के लण्ड में झरझरी पैदा कर रहा था और लण्ड एक्दम से तनकर खड़ा हो गया। और इस वक़्त विशाल और आरोही की पोजीशन भी ऐसी थी की लण्ड एकदम चूत के सेंटर मेंथा।

विशाल खुद का बड़ा अनकंफर्टेबल महसूस करने लगा था। लण्ड था की बैठने की बजाय फूलता जा रहा था। विशाल को खुद पर बड़ा गुस्सा आता है की आज बिना अंडरवेर पहने क्यों आ गया? आरोही की हालत इस वक़्त ऐसी थी की विशाल चाहकर भी आगही को अपने से हटा नहीं सका। थोड़ी देर तक आरोही यही विशाल की बाँहों में सिसकती रही, और अब तक आरोही को भी अपनी चूत पर विशाल के लण्ड की चुभन महसूस होने लगी थी।
 
विशाल खुद का बड़ा अनकंफर्टेबल महसूस करने लगा था। लण्ड था की बैठने की बजाय फूलता जा रहा था। विशाल को खुद पर बड़ा गुस्सा आता है की आज बिना अंडरवेर पहने क्यों आ गया? आरोही की हालत इस वक़्त ऐसी थी की विशाल चाहकर भी आगही को अपने से हटा नहीं सका। थोड़ी देर तक आरोही यही विशाल की बाँहों में सिसकती रही, और अब तक आरोही को भी अपनी चूत पर विशाल के लण्ड की चुभन महसूस होने लगी थी।

थोड़ी देर बाद विशाल अपने हाथों में आरोही का चेहरा अपने सामने करता है। आरोही की आँखों में आँस की लकीर बन चुकी थी। विशाल अपने हाथों में आरोही के आँसू साफ करने लगता है। अफफ्फ... कितने साफ्ट गाल थे आरोही के। विशाल को गाल साफ करते हुए बड़ा अच्छा लगता है। काफी देर . ही विशाल आराही का चेहरा अपने हाथों से साफ करता रहा। फिर विशाल आरोही को अपनी बाँहों से अलग करके टेबल पर रखी पानी की बोतल से एक ग्लास पानी लेकर आरोही को देता है। अब तक आरोही खुद को नार्मल महसूस करने लगी थी।

विशाल- अच्छा अब कता क्या बात है?

फिर आरोही विशाल को राज के बारे में बताने लगी। कैसे दोनों आनलाइन चाग करते-करतें प्यार कर बैठे।

विशाल- क्या बिना देखें हो?

आरोही- जी भैया, मझें राज की बातों ने मुझे दीवाना बना दिया था। हर बात मेरे दिल में बस राज का हो खयाल आता था।

विशाल भी आरोही की बातें सुनकर हैरान था। उफफ्फ... इस लड़की का राज से इतना प्यार हो गया था।

विशाल- फिर क्या हआ?

आरोही- भैया आज राज ने मुझे मेट्रो माल मिलने को बुलाया था। में बाहर खड़ी राज का इंतजार ही कर रही थी की आप आ गये।

विशाल- ओह फिर?

आरोही- राज ने आपको मेरा हाथ पकड़े और फिर डान्स करते देख लिया होगा। अभी राज ने चैटिंग करते हुए मुझे बहुत बुरा भला कहा।

विशाल- तो तुमने राज से ये नहीं बोला की वो मेंग भाई था?

आरोही- जी भैया, कहा था। मगर राज में मानने को तैयार नहीं था। कहने लगा साली रंडी कालगर्ल काई अपने भाई के गले में बौहे डालकर भी डान्स करता है। और एकदम आफलाइन हो गया।
 
विशाल- क्या इतना सब कुछ कहा राज ने? आरोही देख अगर ऐसा है तो राज अच्छा लड़का नहीं हो सकता। जो mशादी से पहले जीवनसाथी पर भरोशा नहीं कर सकता, उसके साथ कैसे पूरी जिंदगी गुजारती त? अगर कल मैं तुझे माल में नहीं मिलता, त तो हमको छोड़कर राज के साथ भाग जाती। कम से कम मुझसे तो कह देती।

आरोही को भी अपनी गलती का अहसास होने लगा। शायद विशाल सही कह रहा है। आरोही नजरें झुका कर विशाल में अपनी गलती की माफी मांगती है- "मारी भैया मुझे माफ कर दो.."

विशाल- "देख रो-रोकर कैसे अपनी आँखें सजा ली तने? चल आराम से सो जा इस बारे में सुबह बात करेंगे..."

और विशाल पलटकर जैसे ही नीचे जाने के लिए दरवाजे तक पहुँचता है।

आरोही विशाल को रोकते हए बोल पड़ती है- "भैया आज यहीं सो जाओं मेरे पास."

मगर विशाल के लण्ड में अभी तक लोवर में तंबू बनाया हवा था। ऊपर में आज विशाल ने अंडरवेर भी नहीं पहना था। जिस कारण विशाल आरोही के पास नहीं सो सकता था। विशाल आरोही से बोलता है- "आरोही मुझे अभी प्रैक्टिकल फाइल कंप्लीट करनी है। तुम आराम से सो जाओं सुबह बात करेंगे। ओके..."

आरोही- जी भैया।

विशाल- "गुड नाइट..." और विशाल ये बोलकर नीचे चला जाता है।

आरोही बिस्तर पर लेटे सोने की कोशिश करती है। मगर आरोही को विशाल का खयाल आने लगता है। आरोही को अपनी चूत पर विशाल के लण्ड की चुभन महसूस हो रही थी।

ये सोचकर आरोही की आँखें बंद हो जाती है, और चूत में खारिश होनी शुरू हो जाती है। आरोही अब तक अपने होश खो चुकी थी और आरोही का हाथ कब अपनी चूत पर पहुँच कर चूत की फांकों को सहलाने लगा। इसका होश भी आरोही को नहीं था।
 
आरोही बिस्तर पर लेटे सोने की कोशिश करती है। मगर आरोही को विशाल का खयाल आने लगता है। आरोही को अपनी चूत पर विशाल के लण्ड की चुभन महसूस हो रही थी।

ये सोचकर आरोही की आँखें बंद हो जाती है, और चूत में खारिश होनी शुरू हो जाती है। आरोही अब तक अपने होश खो चुकी थी और आरोही का हाथ कब अपनी चूत पर पहुँच कर चूत की फांकों को सहलाने लगा। इसका होश भी आरोही को नहीं था।

आरोही ये सब इस वक़्त विशाल के लण्ड को सोचकर कर रही थी। थोड़ी देर तक आराही ही अपनी चूत को सहलाती जा रही थी। जब चूत से चिपचिपा रस निकालने लगा तो आरोही की उंगली अंदर घुसने लगी। जिससे एकदम से आरोही की दर्द भरी आह्ह... निकल गई। आरोही को एकदम होश आता है। अपनी ये हालत देखकर
आरोही खुद से शर्मा जाती है।

आरोही- "छीः छी... ये मैं क्या करने लगी और वो भी अपने भैया का सोचकर."

आरोही को अपने आप पर गुस्सा आने लगा। अपने भाई के लिए ऐसी फीलिंग कैसे आ सकती है? मगर थोड़ी देर बाद फिर आराही सोचती है क्या विशाल भैया को भी मेरे लिए ऐसी फीलिंग आती है? और आरोही को विशाल के साथ हर वो पल याद आने लगे, जब-जब विशाल के लण्ड की चुभन आरोही को अपने जिश्म पर
महसूस हई थी।

बस का वो सफर जिसमें विशाल के लण्ड ने आरोही की गाण्ड में काफी देर तक हलचल पैदा कर दी थी। जिससे आरोही की चूत तक चिपचिपा गई थी। और फिर माल में विशाल का इस तरह चिपटना और कपल की तरह डान्स करना। और आज ता विशाल के लण्ड में बिलकल चूत के सेंटर पर दस्तक दे दी थी।

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आरोही सोचती है- "विशाल भैया को भी जरूर मेरे लिए ऐसी ही फीलिंग आती होगी। मुझे इस बात को पूरी तरह कनफर्म करना पड़ेगा मगर कैसे?" और आरोही में ही सोचते-सोचतें नींद की आगोश में चली जाती है।

सुबह के 7:00 बजे चुके थे। आरोही अभी तक सो रही थी। विशाल फ्रेश हो चुका था और आरोही को उठाने ऊपर पहुँचता है।

विशाल आरोही को झंझोड़ते हुमे- "आरोही उठो 7:00 बज चुके हैं। क्या आज स्कूल नहीं जाना?"

आरोही आँखें मलते हए. "गुड मानिंग भैया.."

विशाल- गुड मानिंग आरोही। चल जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आ जा।
 
थोड़ी देर बाद आरोही नीचे आती है और सब मिलकर नाश्ता करते हैं। आरोही विशाल के साथ बाइक पर बैठ स्कूल के लिए निकल जाती है। रास्ते में आरोही को एक लड़का लड़की बाइक पर एक दूसरे से चिपकते हए नजर आते हैं। उफफ्फ... ये सीन देखकर आरोही भी थोड़ा सा विशाल की तरफ खिसक जाती है। जिससे आरोही की चूचियां विशाल की कमर में च भने लगती हैं। विशाल को आरोही की चूचियों के निप्पल की चुभन अपनी कमर पर महसूस होने लगी, और इस अहसास ने विशाल के लण्ड का फूलने पर मजबूर कर दिया।

विशाल फिर से अपने आपको अनकंफर्टेबल महसूस करने लगा, और तभी आगे एक बेकर आ जाता है। विशाल का सारा ध्यान आरोही की चूचियों पर था। जैसे ही बाइक ब्रेकर पर चढ़ती है विशाल का बैलेंस डगमगा जाता है।

आरोही चिल्ला पड़ती है- "भा स्याः संभालकर.. और आरोही भी खुद को संभालने में हड़बड़ी में विशाल को जार से पकड़ लेती है। मगर आरोही को ये भी मालूम नहीं था की उसका हाथ में इस वक़्त विशाल का लण्ड आ गया था।

विशाल एकदम बेक लगाकर बाइक संभाल लेता है। आराही की पकड़ लण्ड पर बहुत टाइट थी, जिससे विशाल की दर्द भरी सिसकी निकल रही थी। आरोही को भी अब तक ये अहसास हो चुका था की उसके हाथ में क्या पकड़ रखा था, और आरोही एकदम से अपना हाथ पीछे खींच लेती है।

विशाल- "सारी सारी आरोही, वो म-म-मैं बैकर देख नहीं पाया.." हकलाते हुए आरोही से बोलता है।

आरोही- कोई बात नहीं भैया, अब चलो।

विशाल बाइक लेकर स्कूल की तरफ चल दिया।

आरोही पीछे बैठी विशाल के लण्ड का सोच रही थी- "उफफ्फ... कितना बड़ा और मोटा है? आरोही को फा कन्फर्म हो चुका था की विशाल को भी मेरे बारे में ऐसी ही फीलिंग आती है। तभी तो बार-बार खड़ा हो जाता है... और में सोचते हए स्कूल आ जाता है। और दोनों अपनी-अपनी क्लास में चले जाते हैं।

आरोही अब विशाल की तरफ खिंचती जा रही थी, और विशाल के साथ नई-नई शरारते करनी शुरू कर चुकी थी। आज स्कूल से आने के बाद ऊपर अपने गम में बैठी आरोही को एक और शरारत सूझती है।

आरोही जल्दी-जल्दी अपने सारे कपड़े उतार देती है, और बा पैंटी भी निकल देती है। जैसे ही आरोही को शीदियों पर विशाल के आने की आहट होती है, आरोही फौरन बाथरूम में घुस जाती है, और शावर खोलकर ठंडे-ठंडे पानी में नहाने लगती है।
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थोड़ी देर बाद विशाल जैसे ही गम में एंटर होता है, आरोही को आहट से पता चल जाता है। आरोही दरवाजे की झिरी से विशाल को देखने लगती है। विशाल अंदर रूम में जैसे ही बेड के पास आता है, उसकी नजर सीधे-सीधे बिस्तर पर पड़े आरोही के कपड़ों पर पहचती है। विशाल को ये समझते देर नहीं लगी की आरोही बाथरूम में
नहा रही है। तभी विशाल की नजर आरोही के कपड़ों के साथ पिंक कलर की ब्रा पर पड़ती है।

आज तक औरतों के अंडरगार्मेंट्स का पता नहीं था। जाने विशाल के मन क्या आया, और विशाल ने आरोही की ब्रा को हाथ में ले लिया, और ब्रा को हाथ में लेकर उसका मआइना सा करने लगा। विशाल ने आज पहली बार कोई ब्रा हाथ में ली थी।
 
आज तक औरतों के अंडरगार्मेंट्स का पता नहीं था। जाने विशाल के मन क्या आया, और विशाल ने आरोही की ब्रा को हाथ में ले लिया, और ब्रा को हाथ में लेकर उसका मआइना सा करने लगा। विशाल ने आज पहली बार कोई ब्रा हाथ में ली थी।

आरोही ये सब कुछ बाथरूम के दरवाजे की झिरी से देख रही थी। आरोही के चेहरे पर बड़ी शरारती मुश्कान आ रही थी की कैसे उसके भैया उसकी ब्रा का मुआइना कर रहे हैं।

आरोही सोचती है- "क्या भैया ब्रा को देखकर मेरी चूचियों का साइज नाप रहे हैं?" और में सोचकर खुद-ब-खुद मुश्कुराती जा रही थी। आरोही कुछ सोचते हुए विशाल की पैंट की तरफ देखती है। जो इस वक़्त काफी उभरा हुआ लग रहा था।

फिर आरोही को एक और शरारत सूझती है। वो हाथ में तौलिया पकड़कर धड़ाम से ऐसे दरवाजा खोलती है जैसे उसे पता नहीं था की विशाल रूम में है।

विशाल भी इस आवाज से एकदम हड़बड़ा कर बाथरूम की तरफ देखता है।

उफफ्फ... क्या सीन था दोनों भाई बहन का?

विशाल के हाथ में इस बढ़त आरोही की ब्रा थी। और आरोही एकदम पूरी तरह नंगी विशाल के सामने खड़ी थी। दो पल के लिए दोनों चकित होकर एक दूजे को देख रहे थे। जैसे ही दोनों को होश आता है, विशाल अपने हाथ में पकड़ी ब्रा वापस बेड पर रख देता है, और आराही भी अपने हाथ में पकड़ी तालिया से खुद को कवर करने की नाकाम कोशिश करती है, और जल्दी से बाथरूम का दरवाजा बंद कर लेती है।

विशाल भी खुद से शर्मिंदा होकर नीचे चला जाता है।

बाथरूम के अंदर मारें खुशी के आरोही का बुरा हाल था, की कैसे अपने भाई को आरोही में अपना नंगा जिश्म दिखाया था।

थोड़ी देर बाद आरोही भी फ्रेश होकर नीचे आती हैं। विशाल साफ पर बैठा अपनी पढ़ाई में लगा हआ था। विशाल की आरोही से नजरें मिलाने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी। थोड़ी देर , ही दोनों खामोश रहते हैं।

विशाल- आरोही, आई आम सारी... मुझे मालूम नहीं था की तुम नहा रही हो।

आरोही- "भैया, इसमें आपकी नहीं मेरी गलती है। मुझे रूम का दरवाजा बंद करना चाहिए था... फिर दोनों खामोश हो जाते हैं।

विशाल- आरोही में देखो हमारी एग्जाम लिस्ट आ चुकी है। अब तुम भी अपना सारा ध्यान पढ़ाई में लगा लो।

आरोही- भैया तुम मेरी फिकर मत करो। इस बार मेरे मार्क आपसे ज्यादा ही आयेंगे।

विशाल- अपने आप पर बड़ा कान्फिडेंस है तुझे?

आरोही- जी भैया वो तो हैं। चाय पीओगे भैया?

विशाल- बना ले।

आरोही- "भैया तब तक आप कुरकुरे ले आओ..."

आरोही किचेन में चाय बनाने पहुँचती है, और विशाल बाहर शाप से कुरकुरे ले आता है। दोनों चाय पीते हुए कुरकुरे का आनंद ले रहे थे। आरोही अंदर ही अंदर विशाल को देखकर मुश्कुराये जा रही थी।

आरोही की शरारतें य ही अब विशाल को भी अच्छी लगने लगी थी।

आज सनई का दिन था जाश्ता करते हुए राजेश सुमन से बोलता है- "सुमन मुझं आज कंपनी के काम से देल्ही जाना है मेरा बैग तैयार कर दो.."

सुमन- फिर कब तक आओगे आप?

गजेश- रात में देर हो सकती है। शायद रात को वहीं रुकना पड़ेगा?

सुमन- "मैं भी चलं आपके साथ? मुझे किरण के यहां छोड़ देना..."
 
आज सनडे का दिन था जाश्ता करते हुए राजेश सुमन से बोलता है- "सुमन मुझं आज कंपनी के काम से देल्ही जाना है मेरा बैग तैयार कर दो.."

सुमन- फिर कब तक आओगे आप?

गजेश- रात में देर हो सकती है। शायद रात को वहीं रुकना पड़ेगा?

सुमन- "मैं भी चलं आपके साथ? मुझे किरण के यहां छोड़ देना..."

किरण सुमन की छोटी बहन है, जो देल्ही में अपने पति और दो बर.चों के साथ रहती है। राजेश भी यही चाहता था की रात में अपनी साली के यहां रूक जाय, और फिर राजेश सुमन को भी साथ चलने को बोल देता है। आरोही बैग पैकिंग करवाने में मम्मी की हेल्प करती हैं।

सुमन- बेटा आराही ठीक से पढ़ाई कर लेना और खाना होटल से मैंगा लेना।

आरोही- मम्मी आप चिंता मत करो, मैं बना लेंगी।

सुमन- "चल ठीक है, अपना ध्यान रखना हम चलते हैं... और राजेश और सुमन दोनों देल्ही के लिए निकल जाते हैं।

11:00 बज चुके थे। विशाल हाल में बैठा अपनी पढ़ाई में लगा हुआ था।

आरोही सोचती हैं इतने में घर की सफाई ही कर लू? और फिर आरोही मम्मी के रूम में पहुँच कर रूम की सफाई में लग जाती है। आरोही बेड की चादर चेंज करने के लिए जैसे ही चादर हटाती है। चादर । एक पैकेट नजर आता है। आरोही के चेहरे पर कंडोम का पैकेट देखकर मुश्कराहट दौड़ जाती है, और आरोही कंडोम का पैकेट उठा लेती है। और फिर आरोही पैकेट पकड़ें विशाल के पास पहुँचती है।

आरोही- भैया, देखना ये पैकेट किस चीज का है? मम्मी के रूम की सफाई करते हुए मिला है।

जैसे ही विशाल की नजर उस पैकेट पर पड़ती है, विशाल एकदम सकपका जाता है। और आगही कडोम का पैकेट विशाल के हाथों में पकड़ाकर वहीं सोफे पर विशाल के बिल्कुल बराबर में बैठ जाती है।

आरोही- भैया बताइए ना ये पैकट किस चीज का है?

विशाल- आरोही ये... पे मैं तुझे नहीं बता सकता।

आराही- भला क्या? ऐसा इस पैकेट में क्या है जो आप मुझे नहीं बता सकते?

विशाल- देख आरोही प्लीज... इसके लिए जिद ना कर। मेरी बात को समझने की कोशिश कर।

आरोही- क्या भैया आप मुझे गोल-गोल घुमा रहें हो। मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा की तुम कहना क्या चाह रहे हो?

विशाल- आरोही इस पैकेट में जो भी है उसके बारे में मैं तुझसे बात नहीं कर सकता।

आरोही- क्यों भला?

विशाल- ये एक पर्सनल चीज है और इस मामले पर भाई बहन बात नहीं करते।
 
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