Bhai Behen Chudai मैं ,दीदी और दोस्त - Page 2 - SexBaba
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Bhai Behen Chudai मैं ,दीदी और दोस्त

मैं घने जंगलो में भटक रहा था की मेरे पीछे संपो का झुण्ड पड़ जाता है उसे कुछ समझ नहीं आता की आखिर हो क्या रहा है मैं बस दौड़ता हु अपनी रफ़्तार बदता हु पर वो संपो का झुण्ड उसका पीछा नहीं छोड़ रहा था,मैं दौड़ता हु हफता हु और आखिर एक झील दिखाई देती है जो बेहद गहरी है मेरे के पास आख़िरकार दो ही रस्ते बचते है या तो सापो से लडे या झील में कूद जाये इसी असमंजस में होता हु की मेरा पैर फिसल जाता है और झील की गहरे में गिरता जाता हु, शारीर भर शून्य हो जाता है और अचानक आंखे खुलती है पसीने से भीगा हुआ हाफ रहा होता हु..
'हे भगवान कितना डरावना सपना था,'मैंने अपने को सम्हालते हुए सोचा देखा तो मैं पूरा ही पसीने से भीगा हुआ था,सांसे अब भी तेज चल रही थी धड़कने अनियमित थी,मैं पूरा बदहवास सा इशार उधर देख रहा था,मैंने a.c. की तरफ देखा वो भी अपने में मस्त सा चल रहा था,तो पसीना क्यों वो भी इतना मैंने मन में सोचा,मैंने बाजु देखा तो दीदी सोयी हुई थी,मैंने अपनी सांसो को सम्हाला दीदी शायद मेरे सोने के बाद मेरे रूम में आई थी,मैंने अपने सपनो पर गौर किया पर कुछ समझ नहीं आया,मैंने दीदी को फिर से देखा मैंने पाया की दीदी एक झीनी सी टी शर्ट और निकर पहने है हो की उनके घुटनों के बहुत ऊपर है और मुस्किल से ही उनके कमर को छुपाये हुए है,उनकी जांघे केले के पेड़ के तने जैसे दिखाई दे रहे थे,और उनकी कमर में उभरे हुए उनके नितंभ किसी धनुष के आकर के थे मैं उनकी इस गोलाई को देखता रह गया मैं इस सोच में ही था की दीदी ने करवट ली और उनके उन्नत वक्ष मेरे सामने आ गया मुझे उस दिन की याद आ गयी की दीदी ने कोई अन्तःवस्त्र नहीं पहने है,मैं उनको निहार ही रहा था की ना जाने कब मैं दीदी के प्यार भरे चहरे से उनके कामुक अंगो पे केन्द्रित हो गया,और प्यार ने वासना का रूप लेना सुरु किया,मैं अब भी इसे वासना मानने को तैयार ना था,मैंने बिना हिचक उनके वक्षो को छुआ उनकी रेसम सी मुलायम त्वचा का अहसास मेरे रोंगटे खड़े कर दिया,मैं वासना के गर्त में जा रहा था की मैंने दबाव बड़ा दिया और दीदी की नींद टूट गयी,दीदी ने कसमसाते हुए मुझे देखा जैसे पूछ रही हो की क्या कर रहा है,मैंने दीदी के दाये वक्ष को सहला दिया पर दीदी ने कोई प्रतिक्रिया देने के बजाय एक मुस्कान से मेरा स्वागत किया और झूठा गुस्सा दिखा मेरे सर पर एक चपात मारी,
'तेरा नाटक फिर चालू हो गया,सिर्फ रात को ही बहन के लिए प्यार जगता है क्या ,'दीदी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा,इस अप्रत्यासित उत्तर से मैं स्तब्ध सा उनके चहरे को देखता रहा,
'ऐसे क्या देख रहा है,'दीदी ने उसी मुस्कान के साथ पूछा,
'मुझे लगा आप गुस्सा हो जाओगे,'मैंने भी एक मुस्कान अपने चहरे पे लाई 
'क्यों मेरा भाई मुझे प्यार करे तो मैं गुस्सा क्यों होने लगी,'
'क्योकि ये गलत है ना,आप मेरी बहन हो तो बहन के साथ ये सब नहीं होता ना,'
'अच्छा बेटा प्यार तो प्यार होता है इसमें कुछ भी सही गलत नहीं होता जो चीज मेरे भाई को खुसी दे वही मुझे भी खुसी देगी और जिसमे हम दोनों खुश है वो गलत कैसे हो सकता है,'दीदी ने मुझे खीचकर अपने ऊपर ले लिया और बड़े ही प्यार से मेरे गालो को चूसने लगी कभी कभी वो उन्हें दांतों से काट भी लेती थी बदले में मैंने कमान सम्हाली और मैंने भी उनके गालो को चुसना शुरू कर दिया दीदी का इतने प्यार का असर मेरे ताने लिंग पर पड़ा जो दीदी के निकर में रगड़ खा रहा था,दीदी के मुह से निकली हलकी सिसकिया मुझे सुनाई दे रही थी,और अपने लिंग से मैं उनकी योनी के गीलेपन को भी महसूस कर पा रहा था,वप सुखद अहसास मुझे बेहद विचलित कर रहा था मेरा विचलित होना शायद दीदी भाप गयी क्योकि मैंने बहुत ही जोर से लिंग को उनके टांगो के बीच दबा दिया दीदी की तो आह ही निकल गयी ये तो अच्छा था की दीदी और मैंने कपडे पहने हुए थे ,मुझे विचलित देख दीदी ने कमान सम्हाली,मैं इस वार से थोडा नर्वस हो गया की कही दीदी को दर्द तो नहीं हुआ,दीदी मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगी,आँखों से लेकर मेरे बालो तक को उन्होंने नहीं छोड़ा इतना प्यार देख कर मेरी आँखे भरने लगी और प्यार के झोके ने वासना के तूफान को भी शांत कर दिया,मेरा लिंग मुरझाने लगा पर हमारा प्यार जारी रहा,दीदी आज बड़ी शिद्दत से मुझे प्यार कर रही थी उन्होंने मेरे आंसू तक पी लिए,ये भी ना पूछा की ये आंसू क्यों शायद उन्हें पता था की क्यों...भावनाए आंसू बनकर बड़े शिद्दत से निकल रही थी मेरा दिल भर आया था मुझे महसूस होने लगा था की मेरे अंदर कोई ताकत है जो मुझसे ये सब करा रही है की मैं वासना के गर्त में जा गिरता हु फिर प्यार की उचाईयो में पहुच जाता हु मुझे क्या हो रहा था मुझे नहीं पता पर इतना जरूर पता था की मैं दीदी को छोड़ नहीं सकता उनको अपने अलग नहीं कर सकता मैं अपने ही हाथो मजबूर था मैं मजबूर था अपने भावना के हाथो उन उठती लहरों के हाथो जो तुफानो सी आती थी और मेरे जेहन को झकझोड़ देती थी,,,,
मैंने जो नहीं सोचा था की कभी मैं ऐसा भी करूँगा वो मैं कर रहा था,मैंने अपने आंसुओ को रोकना चाहा पर ये नहीं रुके मैंने अपने भावनाओ को दबाना चाहा पर इस तूफान में मेरी शक्ति ही छीन ली थी मैं खुद को मजबूर पा रहा था की दीदी ने मेरे आँखों को चूमना शुरू किया ,
'आकाश कुछ मत सोचो मत रोको अपने आप को होने दो जो होता है ,अपनी भावनाओ को रोकने से तुम ही दुखी होगे तुम्हे ही तकलीफ होगी बह जाने दे भाई सब को निढल छोड़ दे हो जाने दे जो हो रहा है ,अपने को छोड़ रिलेक्स हो जा मेरे भाई,तेरी दीदी तेरे साथ है,'उनकी बातो में मानो कोई जादुई नशा सा था मैं अपने को रिलैक्स करने लगा वो मुझे सम्मोहित कर रही थी (इसे मनोविज्ञान की भाषा में इनफार्मेशन देना कहा जाता है ,जिसका प्रयोग सम्मोहन में और दूसरी थेरपी में किया जाता है,)मैंने खुद को छोड़ने लगा पर मेरे खुद को ढीला छोड़ते ही मैं फिर वासना से भर जाता था मैं अजीब उलझन में पड़ने लगा पर दीदी की बात मानकर मैंने आख़िरकार अपने को उनके हवाले और वक्त के हवाले छोड़ दिया,,दीदी अपना सब कुछ मुझे सौपने को तैयार थी और मैं भी अपना सब कुछ उनपर लुटाने को तैयार था,
दीदी की सिसिकिया बदने लगी मैंने उन्हें अपने निचे लिटाया और बहुत ही शिद्दत से किस करना शुरू किया उनके गालो को उनके बालो को उनके लबो को उनकी चमड़ी के हर उस हिस्से हो जहा तक मेरी पहुच थी,मैंने अपने होठो को उनके होठो पर रखा और एक ही धक्के में मेरी जीभ उनके मुह में चली गयी मैंने किसी को पहली बार इस तरह किस किया था,मैं उनके मुह की गहराई नापने लगा दीदी ने भी मेरा साथ देते हुए अपने जीभ से मेरे जीभ को सहलाया और हम दोनों एक दुसरे के होठो को चूसने लगे ,मैंने इतना आनद कभी महसूस नहीं किया था,मेरे दिल में दीदी के लिए बहुत प्यार था,और मैंने पूरी ताकत इस एक चुम्मन में लगा दि ,मैंने उनके सर को अपने हाथो से पकड़ के थोडा तिरछा किया हुआ था,और मुझे वहा से हटने का मन ही नहीं हो रहा था,दीदी के आँखों से खुसी के आंसू आ रहे थे उन्होंने मेरे सर हो जोर से पकड़ा था और अपनी ओर ऐसे खीच रही थी जैसे वो मुझमे समां जाना चाहती हो,ना जाने कितने समय तक हम ऐसे ही रहे,समय रुक सा गया था,बिना वासना के बिना लिंग में तनाव के भी इतने देर तक किस किया जा सकता है ये ना तो मैंने सोचा होगा ना ही दीदी ने ,,,,जब हमारा ये चुम्मन टुटा तो मैंने देखा की दीदी के होठो पर से खून बह रहा है,मैंने उसपर अपने होठ रखे और उसे पिने लगा दीदी ने दर्द से आह ली,मुझे भी अपने होठो पर दर्द महसूस हुआ लगा की उससे भी खून आ रहा है शायद हम प्यार में इतने डूब गए थे की हमें ये अहसास भी नहीं हुआ की हमने एक दुसरे के होठो को काट लिया है,
'आई लव यु भाई,'दीदी के चहरे पर मुस्कान थी,उनके होठ अभी भी सूजे हुए लग रहे थे,मैंने उसे अपने हाथो से छुआ और मेरी चिंता देख कर दीदी मुस्का दि,
'फिकर मत कर तेरे भी होठ सूजे हुए है,'और दीदी के खिलखिलाने की आवाज पुरे कमरे में फ़ैल गयी...उनका यु खिलखिलाना मुझपे फिर से प्यार का रंग चढ़ा दिया और मैं फिर दीदी के ऊपर टूट पड़ा....
ना जाने कितने देर और कितने बार तक हम एक दूजे के होठो का रसपान किया और अपने होठो को युही मिलाये हम नींद के आगोश में चले गए ....

ना जाने कितने देर और कितने बार तक हम एक दूजे के होठो का रसपान किया और अपने होठो को युही मिलाये हम नींद के आगोश में चले गए ....(अध्याय 12 से )
उसी रात
राहुल अपने कमरे में बैचैन सा घूम रहा था उसे समझ नहीं आ रहा था की कैसे वो उन विडिओ को देख पायेगा,कही उसके दिल में नेहा दीदी के लिए बुरे विचार ना भर जाए,पर उसे देखना तो था ही,वो लेपी ऑन करता है,और वो फोल्डर खोलता है,उसने जो विडिओ अधूरी छोड़ दि थी वो वही से सुरु करता है,नेहा दीदी रूम से निकलती है और परमिंदर फिर उसे अपने पास खीचने की कोशिश करता है पर वो उसे धक्का से देती है और
'अब आज का कोटा पूरा हो गया है ,कभी और मिलूंगी लेकिन ऐसी हरकत दोबारा की तो सोच लेना,मैं आपको प्यार करती हु आपको मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोई जरुरत नहीं है लेकिन शादी के बाद,'परमिंदर चाह कर भी कुछ नहीं कर पता दीदी कपडे पहनती है और परमिंदर को किस करती है,और वह से निकल जाती है,
राहुल चैन की सांसे लेता है,लेकिन अभी तो शुरुआत थी,अभी तो बहुत कुछ जानना बाकी था,राहुल सोचता है की क्यों ना दुसरे फोल्डर भी चेक किये जाए,वो फोल्डर के नाम पड़ने लगता है ,जिसमे एक फोल्डर आयशा का भी था,उसे खोलने पर उसे कुछ खास नहीं मिलता बस एक दो विडिओ और कुछ फोटोज थी शायद ये परमिंदर के लिए नयी चिड़िया थी,परमिंदर ने उसके साथ कुछ किया भी नहीं था ना ही कोई नूड फोटोज थे बस कुछ सेमी नूड फोटोज थे राहुल समझ गया की अपनी इज्जत बचने के लिए उसने ऐसा किया होगा,लेकिन एक और नाम पर राहुल की नजर रुक गयी वो नाम था प्रीति ,
'इसकी माँ का ,मादरचोद हो क्या रहा है कॉलेज में,सारी स्कूल की लडकियों को यही फसा के रखे है,'राहुल बड़ा ही गंभीर था फिर भी उसके चहरे पर एक स्माइल आ गयी,क्योकि वो प्रीति को जानता था, प्रीति कोई शरीफ लड़की नहीं थी वो तो राहुल जनता था पर वो भी परमिंदर के चुंगुल में होगी ये उसे उम्मीद नहीं थी असल में प्रीति राहुल और आकाश की ही क्लास में थी,और उनके साथ जिम भी जाती थी लडको को अपने अंग दिखाना उसे खासा पसंद था,उसके पीछे तो सारा स्कूल दीवाना था सिर्फ दो लोगो को छोड़ कर एक आकाश और दूसरा राहुल...राहुल था तो लौंडी बाज पर उसे टाइट माल ही पसंद आते थे और वो जानता था की प्रीति फैली हुई है,लेकिन वो उससे बहुत छेड़खानी करता था और वो उसकी बहुत अच्छी दोस्त भी थी,प्रीति राहुल के घर के पास ही रहती थी और उसके घर वाले राहुल पर बहुत भरोसा भी करते थे,दोनों साथ ही बड़े हुए थे..समझ लीजिये की फ्रेंड्स विथ बेनिफिट वाला मामला था बस राहुल जादा बेनिफिट नहीं उठता था,और सबसे बड़ी बात ये थी की प्रीति को एक ही लड़का दिलो जान से पसंद था जो उसे घास भी नहीं डालता था,जी हा सही समझे वो था मैं यानि आकाश,..
राहुल ने जल्दी से वो फोल्डर खोला देखा की यहाँ तो लगता है कोई पोर्न की साईट ही खोल दि हो राहुल देख के दंग रह गया की इतने विडिओ उसने सलेक्ट आल किया तो पता चला साला 135 विडिओ है उसके फोटो एक भी नहीं थे उसने पहला विडिओ ओपन किया लेकिन उम्मीद से बाहर उसे जो दिखा वो देख के दंग रह गया प्रीति पहले ही विडिओ में दो लोगो के साथ हवस का खेल खेल रही थी ,पहला था विक्की जो विडिओ चालू होने पर पहले सोया हुआ दिखाई दिया और प्रीति उसके ऊपर पुरे जोश में उछल रही थी और दूसरा बन्दे का चहरा तो नहीं दिखाई दे रहा था क्योकि वो विडिओ शूटिंग कर रहा था ऐसे राहुल समझ गया की दूसरा नानू ही होगा ,
 
प्रीति बिलकुल कसी हुई और लम्बी थी,प्रीति को ऐसा देख कर राहुल का लिंग तो तन ही गया पर उसका दिमाग भी दौड़ने लगा,उसे ये तो समझ आ गया था की विक्की और नानू भी इस खेल का अहम् हिस्सा थे ,और नेहा दीदी को भी परमिंदर से सेटिंग करने में उनका ही हाथ है,और सबसे बड़ी बात ये की वो दोस्ती के नाम पर उसे चुतिया बना रहे थे,वो जिम में तो प्रीति को देखकर आहे भरते थे और साले एक डेढ़ साल से उसे चोद रहे थे...राहुल के चहरे में मुस्कान गहरा गयी जैसे उसे समझ आ गया हो की क्या करना है,वो समझ गया था की आगे की प्लानिंग में वो प्रीति को साथ ले सकता है और उसे उम्मीद थी की दीदी भी उसे प्रीति का उपयोग उसके द्वारा करेगी क्योकि वो जानती थी की वो उसका बहुत अच्छा दोस्त है,रहुल ने अब हिलाना ही सही समझा और वो विडिओ पर धयान लगाना सुरु किया ,
प्रीति बिक्लुल एक्सपर्ट की तरह विक्की के ऊपर कूद रही थी,राहुल जनता था की प्रीति ने अपना कौमार्य बहुत पहले ही भंग कर लिया था,पर बहुत ही मेन्टेन थी वो आहे भरे जा रही थी और विक्की बिलकुल शिथिल सा पड़ा था,वही नानू जैसे राहुल को लग रहा था ने अपनी क्रिएटिविटी दिखानी सुरु कर दि वो फोकस प्रीति के चहरे पर लाया ,वो बिखरे हुए बाल,माथे पर एक छोटी सी बिंदी मासूम सा चहरा राहुल ने कभी प्रीति को इतनी प्यारी नहीं पाया था,कैमरा के पास आने पर प्रीति मुस्कुराने लगी और अपनी जीभ दिखा के नानू को चिढाने लगी,ये करते हुए वो बहुत मासूम लग रही थी ,वो अब धीरे धीरे उछल रही थी उसकी आँखे वासना से बंद हो रही थी ,फिर भी वो देखने के लिए आँखों को खोलने की कोसिस कर रही थी,उसके सांसे और आहे एक ही ताल में थे,राहुल ने अपने लिंग को आजाद किया और धीरे धीरे मसलने लगा,वही अब फोकास प्रीति के कमर में था,विक्की का लिंग किसी प्रिस्टन की तरह लग रहा था और उसकी योनी में पूरा समता था गीलापन इतना था की साफ साफ दिखाई दे जाय,प्रीति कर कमर पीछे की ओर ज़ूम करके केमरा ने उसके बने टेटू पर फोकस किया जिसे राहुल कई बार देख चूका था,वो लाल कलर का टेटू था जिसमे दिल का निशान था और एक तीर दिल के आर पार थी ,राहुल के चहरे पर मुस्कान आ गयी क्योकि ये टेटू प्रीति ने उसके साथ ही जाकर एक माल में बनवाया था,प्रीति ने कहा था की जब आकाश मेरी पिछवाड़े से लेगा और जब मैं उसके लिए कुतिया बनूँगी तब वो इसे देखकर मचल जायेगा,आकाश के लिए बना वो टेटू ना जाने कितने लोगो को आकर्षित किया हो और ना जाने कितनो ने उसे कुतिया बनाया होगा,राहुल प्रीति की बातो से छिड़ गया था पर क्या करता...और आज ..केमरा फिर प्रीति के फेस पर फोकस होता है और नानू की आवाज सुनाई देती है ,
'बोल रे रंडी मजा आ रहा है ना ,'नानू खिलखिला कर हसता है 
'हा बहुत,'प्रीति के आवाज में नशिलापन है,और आवाज भारी थी,
'तो बता किससे चुदा रही है अभी तू,'प्रीति ने अपने होठो पर एक उंगली घुसा दि और अंदर बहार करने लगी ,उसके आँखे बोझिल थी उसका चहरा वासना की आग में जल रहा था वो उस आपर मजे के आगोश में थी जो उसे मिल रहा था ,वो हूमम्म हम्म्म करते अपने उंगलियों को चूस रही थी,उसके आँखों का काजल फ़ैल चूका था और चहरे पर पसीने की कुछ बुँदे साफ दिखाई दे रही थी ,वो धीरे धीरे बड़ी मुस्किल से अपने को हिला रही थी वो मजे में डूबी थी जैसे नानू की बातो को सुन ही ना पा रही हो ,नानू ने फिर से अपना प्रश्न दोहराया...
'बता ना कौन है तेरा यार ' नानू ने उसके चहरे को अपने हाथो से पकड़ा और उंगलि को निकल कर अपने होठो को अपने हाथो से निचोड़ दिया,फिर अपने होठो को उसके होठो में ले जाकर चूसने लगा,,दृश्य इतना उत्तेजक था की राहुल ने अपने हाथो की स्पीड बड़ा दि ,
'मेरा यार आकाश ,मेरी जान करो ना मुझे,हा हा और आअह्ह्ह्ह आह्हह्हह्हह्हह ,'आकाश का नाम लेते ही प्रीति जोश में भर गयी और फिर से पूरी ताकत से उछलने लगी और विक्की और नानू के हँसाने की आवाज आई ,,..
'इंजेक्शन का आसार है बड़े साली तो पहले से रांड ही थी पर अब तो इसे ठंडा करना हमारे बस का भी नहीं रह गया है लगता है धंधा ही करवाना पड़ेगा हां हा हा हा ,'नानू गन्दी हसी में हसने लगा वही विक्की की हालत कुछ ठीक नहीं थी प्रीति इतने जोरो से उछल रही थी की विक्की के मुह से सिस्कारियो के जगह दर्द की आहे निकलने लगी,
'बस कर साली मारेगी क्या,हे भगवन आह आह ,हे भगवन आह आह ,रुक जा साली आह मदेरचोद रुक जा मैं गिरने वाला हु ',विक्की ऐसा चिल्ला रहा था जैसे कोई उसका बलात्कार कर रहा हो ,वही नानू की हसी उसकी हालत देख और बढ़ गयी थी ....
'आह आह आकाश मेरी जान और तेज और तेज जान और और और आह आह आह आह आह ,ह्म्म्मम्म्म्म 'प्रीति की सांसो की तेजी अब राहुल को भी सुनाई देने लगी की विक्की ख़तम हो गया ,जब प्रीति को आभास हुआ तो उसने एक खीच के झापड़ विक्की को दे मारा विक्की की चीख ही निकल पड़ी, खड़े होकर नानू को खीच ली और उसके ऊपर बैठ गयी, केमरा बुरी तरह हिला और नानू के चिल्लाने की आवाज आई जैसे किसी ने उसे जोर लगा के बिस्तर पर पटका हो ,वही विक्की ने केमरा सम्हाला और पहले दो तीन झापड़ प्रीति को दे मारा पर प्रीति को इसका असर ही नहीं हो रहा था,प्रीति के इस रूप को देखकर तो राहुल भी डर गया पर उसे अभी अपना पानी निकालना था,प्रीति पुरे जोश में उसपर उछल रही थी अब तो नानू की हालत भी गंभीर हो गयी थी वही प्रीति के मुह से सिर्फ आकाश का नाम आ रहा था,
'मेरी जान तुम कितने अच्छे हो आह आह प्लीज् प्लीज् जान जान आह आह आह और जोर से ओऊ जोर से ,'नानू जैसा गबरू मर्द भी घबराया लग रहा था,वो इतने जोर से ऊपर निचे हो रही थी ,उसके ताने और कठोर वक्षो को नानू बड़े बेरहमी से मसल रहा था ,पूरा स्तन लाल हो चूका था जैसे किसी ने बड़े देर से उससे मसला हो ,जब केमरा निचे आया तो नानू के लिंग और प्रीति की योनी का मिलन दिखा काम रस की अधिकता से चप चप की आवाजे आ रही थी विक्की का वीर्य भी अभी तक वही पड़ा था और इसलिए नानू को आसानी हो रही थी अब यो रिलेक्स हो गया ल्र्किन शायद प्रीति को इसमें मजा नहीं आ रहा था,उसने पास पड़े कपडे से अपने योनी के पास का सारा गीलापन पौछ लिया और फिर से लिंग पर बैठ गयी ,नानू के चहरे पर डर का भाव आ गया वही विक्की की हसी गूंज गयी नानू ने विक्की को इशारा किया और विक्की ने प्रीति के गालो को जोर जोर से थप्पड़ो से मरने लगा पर सब बे असर था,प्रीति अब भी उतने ही जोश में थी थोडा गीलापन आने पर नानू की हालत ठीक हुई वो मुर्दों सा वह पड़ा था और प्रीति की आँखों से आसू के धार बहने लगे वो जितना जितना रोती उतने जोरो से धक्के मरती थी ,'आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् आकाश आकाश आई लव यू जाआआन जान जान '
प्रीति भी अब शांत होने लगी नानू ने भी अपना पानी छोड़ा और राहुल की धार सीधे उसके लेपी तक पहुच गयी ....
थोड़ी देर बाद सब जगह शांति रही ,राहुल कुछ नहीं सोच पा रहा था उसने कभी किसी लड़की को इतना जंगलीपन दिखाते नहीं देखा था,उसने अपनी सांसो को सम्हाला वही विडिओ में भी सभी अपने सांसो को सम्हालने में लगे थे .....
'साली जोरदार दवाई है ,क्या दिए हो मुझे सालो पागल ही बना दिए हो ..'प्रीति थोड़ी सम्हालने के बाद कहा,'इतनी ताकत आ गयी थी मुझमे सेक्स की इतनी तलब और इतना जोश तो कभी नहीं था मुझमे ..'विक्की नानू को देखकर मुस्कुराने लगा,
'ये सब छोड़ और बता मजा आया की नहीं ,'विक्की ने नेहा के निताम्भो को सहलाते हुए पूछा,
'इतना मजा तो कभी नहीं आया ,साला लग रहा था की 10 लोग और आ जाए तो भी कम पड़ेंगे,'प्रीति ने नानू को अपनी तरफ खीचते हुए कहा ...'अबे लवडे 100mg की दवाई खायी थी फिर भी इस साली ने निचोड़ दिया हमें,मुझे तो ये इंजेक्शन सही नहीं लग रहा पता नहीं परमिंदर ने ये क्या ला के दे दिया है,'नानू ने चुन्तित स्वर में कहा..
'अबे फिकर मत कर ये साली पहले से चुदैल है इसलिए बेकाबू हो गयी सही लड़की पर इसका असर धीरे धीरे होगा ,और जितना वो करते जायेगी हवास उतनी बढेगी ,पर उससे भी मजा बहुत आएगा इसलिए ये काम का है,'
'चलो यार मैं चलती हु ,और अब तो रिकॉर्डिंग बंद कर हो क्या इसे नेट पर दिखाओगे क्या ,'प्रीति थोडी चिंतित थी 
'नहीं यार ये तो हमारा पर्सनल कलेक्शन है ,'नानू के आवाज के साथ ही वो विडिओ ख़तम हो गया,राहुल के पास कुछ सवाल खड़े हो गए क्या है ये इंजेक्शन और क्या दीदी को भी दिया गया है और प्रीति आकाश को इतना कब से चाहने लगी की सिर्फ उसका ही नाम ले रही थी,...
तभी राहुल के मोबाईल पर काल आता है नाम देख उसके चहरे पर मुस्कान तो थी पर थोडा आश्चर्य भी हुआ ...नाम था डॉ चुतिया....
'हल्लो राहुल कैसे हो ,'चुतिया की आवाज आई 
'बढ़िया हु डॉ आप कैसे है और इतने रात काल सव ठीक तो है ना,'
'ठीक तो कुछ भी नहीं है दोस्त और ये तो तुम्हे भी पता है ,मैं तुमसे सीधे ही बात करता हु ,मुझे ये बताओ की तुमने परमिंदर के लेपी और मोबाईल से जो विडिओ निकले है वो तुम्हारे पास है ना या तुमने उसे डिलीट कर दिया है,'डॉ की बात सुनकर राहुल के होश उड़ जाते है ,
'डॉ कौन सा विडिओ वो तो दीदी के पास है,'
'मेरा नाम चुतिया है पर मैं नहीं,मैं तुम्हे बचपन से जनता हु,की तुम क्या चीज हो और मुझे ये भी पता है की अब तक तुम्हे ये भी पता चल गया होगा की नेहा भी इस दलदल में फासी हुई है ,और प्रीति भी तो सच सच बताओ क्योकि बहुत मासूम लोगो की जिन्गगी का सवाल है ,'डॉ ने गंभीर होते हुए कहा ,
'आप दीदी से ही क्यों नहीं ले लेते विडिओ,'
'क्योकि वो सानी (चालक ) और तुम डेड साने हो तुम जानते हो नेहा के लिए अपनी और बाकि लडकियों की इज्जर का बहुत महत्व है ,और वो कभी उन विडिओ को किसी को नहीं देगी पर मैं जनता हु की तुम्हारे पास भी एक कॉपी है ,और ये भी की तुम मेरी मदद करोगे क्योकी तुम नहीं चाहोगे की तुम्हारी दीदी पर कोई आफत आये ये लड़ाई इतनी आसान नहीं है राहुल की परमिंदर को अन्दर करा कर काम हो गया इसे ना तुम अकेले लड़ सकते हो ना ही नेहा हां ये अलग बात है की नेहा को लगता होगा की वो अकेले ही सब कर लेगी पर ये उसकी गलत फहमी है ,और मेरे ख्याल से तुम्हे मेरी बात समझ आ रही होगी तो कल सुबह पुरे विडिओ ले कर मेरे पास आ जाओ ताकि मैं उनमे कुछ चेक कर सकू और इतने तो तुम समझदार हो की नेहा को इसको भनक नहीं लगने दोगे ,ओके'डॉ की बात तो राहुल के भेजे में घुस गयी 
'ओके डॉ पर मुझे आप पर पुरा भरोसा है,मैं कल आपको मिलाता हु,'
दुसरे दिन...
मैं अपने बिस्तर पर पड़ा दीदी को निहार रहा था दीदी की आँखे भी खुली और उन्होंने सीधे मेरे होठो पर अपने होठ रख दिए हमारे दिन की शुरुवात मीठे चुम्मन से हुई,
'भाई,तेरा बहुत बड़ा लगता है,'सुबह सुबह लिंग में तनाव स्वाभाविक था पर दीदी ने ये मह्दूस कर लिया और मैं झेप गया रात का खुमार उतरने के बार मैं अपने प्राकृतिक स्वभाव में आ गया था शर्मीला लड़का,
'क्या दीदी आप भी ,वो सुबह बड़ा हो जाता है ना,और इतना बड़ा से क्या मतलब है जितना सबका होता होगा उतना ही तो होगा ना,और आप किसका देख लिए जो तुलना कर रहे हो ,अब झेपने की बरी दीदी की थी 
'चुप कर गंदे मैं किसका देखूंगी पर मेरी फ्रेड्स जो बताई थी उस हिसाब से तो बहुत बड़ा है तेरा,चल अब जल्दी से फ्रेश हो जा जिम जाना है ना तुझे प्यार करने के चक्कर में कही तू हेल्थ से ना खिलवाड़ करना शुरू कर दे,'दीदी हस्ते हुए उठी और अपने रूम की तरफ बाद गयी,मैं भी जल्दी तैयार होक जिम पहुचा आज मैं बहुत खुश था,पता नहीं इतना हल्का महसूस हो रहा था और दिल बेहद खुस था ,पर आज पहली बार मैंने लडकियों के कर्व पर ध्यान देने लगा तभी विक्की और नानू को आते देखा हम हाथ मिलाये और वो दोनों एरोबिक में चले गए मैं भी स्टारेच करने लगा तभी मैंने जो देखा वो देख कर मैं चौक गया साला राहुल आज मुझसे भी पहले पहुचा हुआ है,मैंने देखा वो प्रीति से बात कर रहा है जिसके बारे वो बोलता था की साली पकाती बहुत है,मुझे देखकर राहुल ने आ कर गला मिला और प्रीति ने मुझे हाय कहा ,
'क्या भाई आज तो कमल हो गया साले ,तू मुझसे पहले आ गया है ,और इससे हसके बात कर रहा है माजरा क्या है,'मेरी बात सुन दोनों के चहरे पर मुस्कान आ गयी 
'हा भाई कमल तो हो ही रहा है आज ,आज पहली बार तुझे किसी लड़की को निहारते देखा है,'मैं झेप गया साले ने मुझे देख लिया था ,आखिर मैं उसके दिल का टुकड़ा था मेरी भावनाए उससे कहा छुपाने वाली थी ,
'हां भाई पता नहीं क्यों आज दिमाग वह चला गया ऐसे अब हम लोंग जवान हो गए है यार नजर चली गयी तो क्या गलत हो गया ,'
'अरे वह आज मेरा भाई जवान हो गया वो भी अचानक से क्या बता है ,'हम हसने लगे 
'अब मेरा राजा जवान हो ही गया है तो मेरी जवानी को भी भोग ले ,मेरे कर्व भी देख ले ,ये देख तेरे लिए ही टेटू करा के बैठी हु कब से सब देखते है तेरे सिवा,'प्प्रीति ने घूमकर अपने टेटू देखाए मैं उसकी बातो से हैरान रह गया की इसे क्या हो गया,मैं जनता था की वो मुझे पसंद करती है और मेरे लिए टेटू भी बनवाया है पर मैंने कभी उसे इतना भाव नहीं दिया था,उसकी बात सुनकर राहुल तो हसने लगा और अपने हाथ से उसका सर सहलाने लगा जैसे वो कोई बच्ची हो ,मुझे ये अजीब लगा पर जब मैं बदल रहा था तो हो सकता है राहुल भी बदल रहा हो ,
हसने वालो में एक और जुड़ गया मेरे पीछे ही दीदी भी खड़ी हस रही थी,
'अच्छा तो मेरे भाई को फसा रही है तू,,'दीदी की आवाज सुनते ही प्रीति सजग हो जाती है और मैं और राहुल उन्हें देखकर खुस हो जाते है,
'क्या दीदी मैं क्या फसौंगी इसे,ये मुझे फसा कर रखा है,और आपके दोनों भाई तो घास भी नहीं डालते सब आपका ही असर है,'प्रीति की बात सुनकर दीदी के चहरे पर स्माइल आ गयी और उन्होंने मेरे और राहुल के सर पर हाथ फेर दिया ,और बड़े प्यार से हमें देखने लगी ,
'हां मेरे भाई है ना,'दीदी ने धीरे से कहा और उनकी आँखों में थोडा गीलापन उतर आया,राहुल ने आगे बढकर उनके आँखों को चूम लिया और उनकी आँखों में आया पानी उसके मुह में चला गया ,
'दीदी आप बहुत जल्दी सेंटी हो जाती हो ये क्या है ,'राहुल ने बड़े प्यार से कहा,मैं दि को देख रहा था उनके चहरे पर हमारे लिए अद्भुत प्यार होता था,
'मुझे अपने भाइयो पर नाज है,मेरे भाई ही मेरी जिंदगी है,और लड़की हु मैं मुझे रोने का पूरा हक़ है समझे,'दीदी ने राहुल को प्यारी सी चपत लगा डी,
हम सब अपने कामो में बिजी हो गए सबसे जादा एक्सरसाइज मुझे करनी होती थी ,आज प्रीति भी मेरे साथ साथ ही चिपकी रही जिसपर मुझे हसी आ रही थी पर मैं अपना काम पुरे ईमानदारी से करता हु खासकर एक्सरसाइज,प्रीति को जब से राहुल ने कहा था की मैं लडकियों के कर्व में धयान दे रहा हु वो मुझे अपने कर्व दिखने में लगी थी,ऐसे उसका शारीर बहुत अच्छा था वो रेगुलर एक्सरसाइज करती थी और साथ थी और कार्डियो और डांस का उसे हमेशा से शौक था,उसके वक्षो पूरी गोलाई से ताने हुए थे और कमर पूरी तरह से सपाट थी उसके एब्स भी अच्छी तरह से दिखाते थे ,बड़े बूब्स सपाट कमर किसे पसंद नहीं आती पर उसका सबसे आकर्षक पहलू था वो था उसका नितंभ,,,जो बहुत ही कसा हुआ था और उसके उभार लोगो को पागल बना देता था,
प्रीति ने मेरे पास आकर मुझे अंगो को एक एक कर कई तरीके से दिखा रही थी आज पहली बार मैं भी उसको निहार रहा था जिससे वो बहुत खुश भी दिख रही थी ..वही दीदी और राहुल कुछ बाते कर रहे थे और थोड़े सीरियस लग रहे थे मेरे लिए ये कोई नयी बात नहीं थी वो दोनों मिलकर कुछ ना कुछ करते ही रहते है और मैं अधिकतर उनके कामो से दूर ही रहता हु,
 
राहुल मैंने विडिओ देखे और जानते हो उसमे प्रीति के भी विडिओ है,'राहुल नकली आश्चर्य प्रगट किया ,'और अब तुन्हें मेरा एक काम करना होगा,तुम प्रीति को बचपन से जानते हो तुम उससे दोस्ती बढाकर अपने भरोसे में ले लो ,'
'अरे दीदी वो तो अभी भी मेरे भरोसे में है,'राहुल ने मुस्कुरा के कहा,
'नहीं भाई अभी वो और किसी के भरोसे में है तुम नहीं जानते उसे कैसी लत लगी हुई है ,मैं तो तुम्हारे सामने बोल भी नहीं पाऊँगी ,उसे इन सबसे दूर करना होगा भाई,'
'दीदी क्या परमिंदर के अलावा भी कोई था जो उसके साथ था ,'मुझे लगा दीदी विक्की और नानू का नाम लेगी लेकिन,'नहीं भाई परमिंदर ही था और अब हमें बस उस दवाई का तोड़ ढूँढना है जो परमिंदर ने लडकियों को दिया था,उसके लिए मुझे थोड़ी प्रीति की मदत चाहिए पर वो मेरे बातो को सीरियस नहीं लेगी तुम्हे उसे अपने भरोसे में लेकर मेरे पास लाना होगा जिससे मैं उससे बात कर सकू,'
दीदी क्यों विक्की और नानू को बचा रही थी ये राहुल के समझ में नहीं आया,
लेकिन दीदी मन में सोचती है,'क्या करू भाई मैं तुझे हर चीज नहीं बता सकती,मैं नहीं चाहती मेरे भाइयो पर किसी का साया भी पड़े मुझे ये सब खुद ही निपटाना होगा,'
 
इधर प्रीति के लटके झटके बढ़ रहे थे और मुझे परेशानी होने लगी 'अरे यार तू किसी और को अपने दिखा ना ये सब अब मुझे चैन से एक्सरसाइज तो करने दे ,प्रीति मुह बनाते हुए बहा से जाने को हुई तभी नानू आ करके अरे वह प्रीति बड़ी सेक्सी लग रही हो उनके आँख मिले और दोनों मुस्कुरा दिए जिसे मैंने टोटल इग्नोर कर दिया ,
'जिसे लगना चाहिए उसे तो मैं कभी भी सेक्सी नहीं लगती 'प्रीति ने मेरी ओर देखा और चली गयी,'भाई तू भी कभी किसी लड़की को घास डाल दिया कर ,'मैंने नानू को देखा आज उसकी बातो पर मैं गुस्सा नहीं हुआ और बेंच प्रेश करने लगा,,..

डॉ चुतिया का क्लिनिक राहुल की लेपी से डॉ बहुत देर से कुछ देख रहे थे,राहुल मेरी को घुर घुर के देख रहा था क्योकि उसने बहुत ही छोटा स्कर्ट पहना था और उसके गोल गोल मोटे जंघा साफ दिखाई दे रहे थे और राहुल को उत्तेजित कर रहे थे,जिसे मेरी भी समझ गयी थी और वो जानबूझ के अपने निताम्भो को मटकाकर उनका प्रदर्शन कर रही थी उनके कसाव स्कर्ट के छोटे होने के कारन साफ़ दिखाई दे रहे थे,राहुल अपने तने हुए लिंग को सम्हालने की कोसीसी में था जिसे देखकर मेरी के चहरे पर मुस्कान आ जाती है,इधर चुतिया बहुर ही गंभीर दिख रहे थे वो बारी बारी से सभी लडकियों के विडिओ देख रहे थे और उन्होंने हेडफोन लगाया हुआ था ताकि बाकि के दो जन आवाजे ना सुन सके ,वो सभी के मनोविज्ञानिक पक्षों को गंभीरता से देख और लिख रहे थे,राहुल बोर सा हो गया था और वो उठाकर टॉयलेट की तरफ बढ़ा जो की डॉ के केबिन के बहार था जैसे वो अंदर घुसा थोड़ी देर में ही मेरी भी अंदर आ गयी ,उसे देख कर राहुल चौक तो गया पर खुश भी हो गया की चलो टाइम पास तो हो जायेगा,
'क्या हेंडसम बहुत घुर रहे थे मुझे क्या पसंद आ गया मेरे अंदर,'
'आपके अंदर तो सभी कुछ अच्छा ही होगा मेडम ,एक बार दिखाइए तो क्या है आपके अंदर.'राहुल ने मेरी के वक्षो को देखते हुए कहा,मेरी के चहरे पर मुस्कान आ गयी ,
'सही कहते है डॉ तू डेड साना है,'कहते हुए मेरी ने उसका हाथ पकड़कर अपने वक्षो में रख दिया ,मेरी के इतने बड़े थे की राहुल ने दोनों हाथो से एक ही वक्ष को पकड़ पाया और उसे चुसना दबाना शुरू कर दिया,मेरी के आह निकलने लगे पर राहुल का असली इंटरेस्ट तो उसकी जंघा थी,उसने अपने हाथो से उसे छूना सुरु किया और उसकी कोमलता को महसूस करने लगा,
'वाह क्या चीज है ,मजा आ गया,'उसने अपने हाथो को ऊपर ले जाने लगा जहा से जंघा की शुरुवात होती है ,राहुल के मन में तब एक बड़ा लड्डू फूटा जब उसे अहसास हुआ की मेरी ने अंदर कुछ भी नहीं पहना है,धीरे धीरे किये इस वार से मेरी भी विचलित हो गयी और अपना हाथ बड़ा कर उसने राहुल के हाथो के ऊपर रख दिया 
'आह मेरे हेंडसम ,बस कर नहीं तो कुछ करने का मन हो जायेगा,'
राहुल का हाथ मेरे की योनी पर था जो पूरी तरह से गीली थी और राहुल उसमे उंगली डालना चाह रहा था पर मेरी अपने हाथो से उसका विरोध करने लगी ,और उसके हाथो को वह से हटाने लगी,
'अरे मन हो जायेगा तो होने दो ना ,खेल लेते है ये खेल भी,'राहुल उत्तेजित हो चूका था उसने अपनी जिप खोल के अपने लिंग को बहार निकला,लेकिन जैसे ही मेरी को ये अहसास हुआ वो राहुल के चहरे को पकड़ के ऊपर कर दि ,
'नहीं रे मेरे हेंडसम ये सब नहीं,मुझे भरने का आधिकार बार दो लोगो के पास है इतना मजा कर लिया ना बस इतने में खुश रह,'कहते हुए वो जाने लगी ,
'दो लोग कौन एक तो डॉ हो गए और दूसरा,'मेर पलटी 
'दूसरा मेरा पति 'मेरी मुकुराते हुए वापस आई राहुल के होठो में अपने होठो को भरकर किस किया और चली गयी,राहुल बेचारा ठगा सा देखता रहा लेकिन फिर अपनी उंगलियों को सुंघाकर ही खुश हो गया,
डॉ चुतिया ने लेपी बंद कर अपने सिट पर आँखे बंद कर बैठे थे,राहुल और मेरी उन्हें देखे जा रहे थे की वो कुछ कहेंगे,थोड़ी देर बाद उन्होंने आँखे खोली,
'हम्म्म मुझे तो कोई बड़ी गड़बड़ लग रही है इतनी पावरफूल इंजेक्शन परमिंदर या विक्की नानू के पास आया कहा से,लडकियों का विहेबियर देख के लगता है की सिंपल और अच्छी लडकियों को भी इससे बिगाड़ा जा सकता है,और जितना जादा उनके साथ सेक्स होता है वो उतनी ही उतावली हो जाती है,अगले बार के लिए और तुमने नेहा वाला फोल्डर देखा,?'
नेहा का नाम सुनकर राहुल का चहरा उतर जाता है,और वो नजरे नीची कर ना में जवाब देता है,
'यार जो हो गया उसे बदला तो नहीं जा सकता ना,तुम उसे अपनी दीदी मानते हो और एक सगी बहन से जादा और दुनिया में सब से जादा प्यार तुम आकाश और नेहा से करते हो ,तुम्हारे लिए ये देखना बहुत मुस्किल होगा मैं ये बात जनता हु,और तुम देखना चाहो या ना देखो ये तुम्हारा पर्सोनल बाते है तो मैं तुम्हे देखने के लिए या नहीं देखने के लिए फ़ोर्स नहीं करूँगा ,लेकिन नेहा वाला केस बाकियों से अलग है,आयशा की किस्मत अच्छी थी की उसे इंजेक्शन नहीं लगाया गया पर नेहा की किस्मत उतनी अच्छी नहीं थी,लेकिन नेहा ने हो काम किया है वो काबिले तारीफ है,वो अपने सेक्स को कण्ट्रोल कर पा रही है ये ही बहुत बड़ी उपलब्धि है,खैर उसे भी प्रोब्लम्स होती होंगी पर तुम भाई हो उसके ऐसी बाते तुम्हे तो नहीं बता सकती ना ,इस इंजेक्शन से लडकिया बहुत जल्दी वासना के आगोस में आ जाती है जो की किसी भी लड़की के लिए कभी सही होता क्योकि कई लड़के उन्हें छेड़ते रहते है,और यहाँ तो ऐसा हो रहा है की सिर्फ एक बार इंजेक्शन देने पर लडकिय सेक्स के लिए पागल सी हो जा रही है,और उसके बाद थोडा सा भी किसी लड़के के छूने पर भी उनकी वासना जाग जाती है जिसे सम्हालना बहुत मुस्किल है और एक बार सेक्स करने पर दूसरी बार और भी जल्दी वासना के गिरफ्त में आ जाती है,इसलिए शायद उन लडकियों के विडिओ कम है जो सीधी सधी थी पहले से लिकिन पिंकी जैसी लडकिय तो निम्फोमेनिक (सेक्स एडिक्ट) ही बन गयी,,पता नहीं बेचारियो का क्या हाल होता होगा मुझे तो सोच के भी दुःख होता है,की ये साले लड़के सिर्फ अपने थोड़े से मजे के लिए लडकियों को जिंदगी भर की सजा दे गए,'डॉ का चहरा दुःख से भर गया मेरी अपना हाथ उनके सर पर रखकर सहलाती है,राहुल कुछ सोच में पड़ा होता है,
 
'डॉ आप भी तो लडकियों के मामले में कमीने है पर आप ऐसा क्यों कह रहे है की बेचारी लडकिय क्या आप के पास ये दवाई होती तो आप उसका युस किसी ऐसी लड़की को फ़साने में नहीं करते जो आपको पसंद आ गयी हो और वो आपको भाव नहीं दे रही हो,'डॉ के चहरे पर मुस्कान आ गयी 
'राहुल लडकियों से फ्लर्ट करना और उनके साथ संबध बनाना तो प्राकृतिक चीजे है लड़के लडकियों को तरफ तो आकर्षित होंगे ही लडकिय भी होती है ,पर किसी को दर्द पहुचना ,किसी की भावनाओ से खेलना,किसी के साथ जबरदस्ती करना रुग्न मानसिकता का प्रतिक होता है,तुम एक लड़की को घुर सकते हो और वो तुम्हे स्माइल कर सकती है या गुस्सा दिखा सकती है उसकी मर्जी है पर अगर तुम ये चाहो की वो अपना गुस्सा ना दिखाए तो ये तो गलत है ना,लडकिय भी तो इन्सान ही है ना तो क्यों उनपर इतना जुल्म होता है,,कोई लड़का चलती गाड़ी में उन्हें छेड़ देता है,कोई उनके अंगो को मसल देता है ये सभी मानसिक रूप से बीमार लोग है ,हा अगर लड़की तुम्हे नजरो से ही आमंत्रित करती है अपने हाव भाव से बताती है की वो भी तुम्हे पसंद करती है, तुम्हारा विरोध नहीं कर रही और उसका गुस्सा झुटा है तब कोई प्रोब्लम नहीं है लेकिन तुम किसी के साथ जबरदस्ती कर रहे हो तो वो तो गलत है ना,'राहुल को बात कुछ कुछ समझ आ गयी थी ,
'लेकिन कैसे पता चलेगा की लड़की इंट्रेस्टेड है की नहीं ,'
'बहुत सिंपल है बस महसूस करो बाते समझ में आने लगती है,तुम उन्हें देख के समझ जाओगे जैसे वो समझ जाती है,लडकिय दिमाग से नहीं दिल से जीती है इसलिए उनमे कुछ खास शक्तिया होती है वो आसानी से लोगो के सिग्नल्स को भाप जाती है,पर पुरुष सोचता बहुत है इसलिए वासना से भर जाता है और उसका स्वभाव ही आक्रामक होता है,इसलिए जरुरी है की सोचना कम करो और चीजो को महसूस करो,'....
राहुल और मैं स्कूल से अपने घर आते है ,हमें जोर की भूख लगी थी तो हम किचन में चले जाते है,मेरी मम्मी कही दिखाई नहीं दे रही थी शायद वो पड़ोस वाली आंटी के घर गयी होंगी जैसा वो हमेसा जाती थी ,हम किचन में ही बैठकर रोटिय खाने लगे की हमें जोर से हँसाने की आवाजे आने लगी हमें देखा की ये तो दीदी की आवाज है,
''साला दीदी को क्या हो गया जो रावन जैसे हस रही है,'राहुल ने कहा,
'पता नहीं कुछ मूवी देख रही होगी और क्या,'तभी उनके साथ किसी और लड़की के हसने की भी आवाजे आने लगी ,हमें समझ आ गया की कोई सहेली आई होगी ,हम नाश्ता कर मेरे रूम की और जाने लगे ,की दीदी को आभास हो गया की हम लोग आ गए गई उन्होंने आवाज डी,
'राहुल ,आकास मेरे रूम में आओ,'हम दोनों थके से थे हम बेमन से उनके रूम में पहुचे वहा दीदी के साथ दो और लडकिय बैठी थी ,एक को मैं पहचानता था ये भावना थी जो हमें उस दिन केंटिन में मिली थी और दूसरी लड़की अनजान थी पर उसकी ख़ूबसूरती को मैं देखता रह गया और उसमे खो सा गया इतनी खूबसूरत इतनी प्यारी कोई कैसे हो सकती है,इतनी प्यारी तो सिर्फ मेरी दीदी ही है,मैं उसके गोर रंग और चहरे के तेज को देख रहा था,उसका चहरा इतना तेजस्वी था जैसे पूरी पवित्रता उसमे ही उतर आई हो ,हमरे आते ही दीदी ने हमारा इंटो कराया 
'इनसे मिलो ये है मेरे भाई ,मेरे जिगर के टुकडे राहुल और आकाश ,और ये है मेरी प्यारी सहेलिय,भावना इससे तो तुम मिल चुके हो ,और (मेरे दिल की धड़कन जैसे थम सी गयी उस हसीना का नाम सुनने के लिए )आयशा,"
आयशा अच्छा ये वही लड़की है जिसने इतनी बहादुरी दिखाई थी ,आकाश बेटा ये तो तेरे लिए परफेक्ट है इसमें दीदी के से गुण है, मैंने अपने आप से कहा,राहुल भावना को देखे जा रहा था ,और भावना राहुल को देखकर शर्मा रही थी जैसे वो उसकी कुछ हो ,वही आयशा ने मुझे सिर्फ हल्लो कहा और राहुल की तरफ मुड गयी ,
'मैं इन्हें कैसे भूल सकती हु यही तो है जिन्होंने मेरी इतनी मदद की है,और इनके कारन ही तो हमारी इज्जत आज बची हुई है वरना....'कहते कहते आयशा चुप हो गयी दीदी ने उसे गले लगाया,'छोड़ ना पुरानी बातो को 'साला राहुल तो हीरो बन गया था,भावना उसे देख कर मुस्का रही थी आयशा उसकी तरीफ कर रही थी और मैं ,मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं हु ही नहीं,
'आपने जो बहद्दुरी का काम किया वो तो तारीफ के काबिल है,'मैंने अपने को प्रस्तुत करने के उद्देश्य से कहा,
'हुम्म थैंक्स,और राहुल जी आप कैसे है,'इसकी माँ का ये क्या हुआ जहा मैं कभी लडकियों को भाव नहीं देता था ये लडकिय मुझे भाव नहीं दे रही थी,मैं थोडा मायूस हुआ,आयशा राहुल पर जादा इंट्रेस्टेड लग रही थी ,मुझे इस बात का कभी दुःख नहीं होता पर मैं उससे बात करने को बेचैन था ,आज तक पहली बार ऐसा था की मैं किसी लड़की से बात करने को बेचैन था,मैंने निराश होके दीदी की तरफ देखा शायद वो मुझे देख रही हो और अपने भाई के मन की बात जान ले ,पर मैं निराश हो गया वो भी उनलोगों के साथ बिजी थी और मैं पहली बार भीड़ में अकेला सा महसूस किया जबकि मेरे लिए ये हमेसा की बात थी की मैं दीदी के दोस्तों के बीच चुप ही रहता था,और राहुल ही बात करता था पर मैं आज अटेंशन चाहता था इसलिए दुखी था,मैं जा भी नहीं सकता था क्योकि मैं जाना भी नहीं चाहता था ,मैं थोडा बेचैन होने के बाद आयशा के चहरे को देखने लगा ,हरे कलर की सलवार में वो कमल की लग रही थी वो बड़ी ही मासूम सी दिख रही थी पर एक आत्मविश्वास और संकल्प का तेज उसके चहरे पर दिख रहा था,कानो में बलिया जब हवा से लहराती थी तो मेरा दिल भी उसके साथ लहराने लगता ,उसके होठो का गुलाबीपन क्या मादकता थी ,वो बोल रही थी और मैं उनके किसी साचे में ढले हुए से मोती से चमकीले दांतों को देख रहा था ,बात करने पर उसके गुलाब की पंखुडियो से होठ जब चलते तो मेरा दिल भी झूम उठता,उसकी आँखे हे भगवान बड़ी बड़ी हिरनी जैसी जीतनी चंचलता उसके आँखों में थी उतनी ही गहराई भी थी सफ़ेद आँखों पर काली पुतलियो का चलना .और उसका पलक झपकाना ,फिर होठो पर एक मुस्कान आई और मैं फिर दिवाना हो गया उसके गाल लगता था की छू लू तो गंदे हो जायेंगे ,बालो को अपने उंगलियों में घुमाती और लट बनती फिर नजरे झुकाती फिर उठाती,उसकी प्यारी बाते उसकी मीठी आवाज,उसके काले बाल जो उसके कमर तक थे,मैं बस खोया सा उसे देख रहा था जब तक की मुझे किसी ने झकझोरा नहीं,
'आकाश आकाश ,अबे तुझे क्या हुआ आकाश ,'राहुल मुझे झकझोर रहा था ,फिर पानी के छीटे मैं होश में आया 'हा हा हा क्या हुआ क्या हुआ 'कमरे में सभी हस रहे थे ,सिवाय एक शख्स के वो थी आयशा,..वो मुझे गुस्से से घुर रही थी,मैं बुरी तरह से झेप गया और नजर झुका ली ,मैंने नजर उठाके जब दीदी को देखा तो उन्होंने मुझे नजरो से इशारा कर दिया और मैं शर्माता हुआ वहा से भाग गया...जाते जाते मैंने फिर से मुड़कर देखा आयशा अब भी गुस्से से मुझे देख रही थी जैसे मुझे खा ही जाएगी, 
मैं अपने कमरे में आयशा की याद में खोया था की राहुल मेरे कमरे में आया .और मुझे गले से लगा लिया ,
'वाह वाह मेरे भाई को प्यार हो गया,'मैं थोडा शर्मा गया 'क्या पता भाई अभी तो कुछ नहीं बोल सकता ,आज ही तो देखा हु उसे,उसकी वो प्यारी बाते वो आँखे'मैं फिर खोने लगा की राहुल ने मुझे टोक दिया ,
'साले फिर से बेहोश मत हो जाना ,तू तो पहली बार में ही पगला गया है बे,आब आगे क्या करेगा,'मैंने बड़े अधीर हो के राहुल को देखा,
'भाई मुझे क्या पता ,' 'साले तू तो उसे ऐसे घुर रहा था की लड़की ही डर जाए,पहला इम्प्रेसन ही ख़राब कर दिया ,भाई इतना अधीर होने की क्या जरुरत है अभी अभी तो मिली है ,प्यार का मजा ले ,'राहुल ने मेरे माथे को चूमा और अपने घर की और निकल गया,,,,
 
'मैं आज रात बड़ा बेचैन था दीदी भी मेरे कमरे में नही आ रही थी,मैंने ही उनके कमरे में जाने की सोची...दीदी अपना लेपी लेकर बिस्तर में बैठी थी,दीदी ने मुझे देखा और मुस्कुराई और फिर अपने काम में लग गयी ,दीदी के इस स्वभाव से मुझे थोड़ी बेचैनी हुई,क्योकि आज जो हुआ था उसके बाद से मैं दीदी से अभी मिल रहा था और वो मुझे इग्नोर कर रही थी,...मैं उदास हो कर जाने लगा,
'इधर आके बैठ जा ,'मैं चुपचाप उनके पास आकर बैठ गया,दीदी फिर अपना काम करने लगी थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना लेपी बंद किया,
'तो मेरे भाई जी बताइए ,आप जैसा डिसेंट लड़का ऐसी हरकत क्यों कर रहा है,'मैं थोडा डर गया
'क्या हुआ दीदी ,मैंने क्या किया 'दीदी ने मुझे झूठे गुस्से से देखा,
'क्या किया तूने मेरी फ्रेंड्स के सामने मुझे इतना शर्मिंदा फील कराया उसका क्या और कोई किसी लड़की को ऐसे घुर के देखता है क्या ,,पता नहीं मेरी दोस्त मेरे बारे में क्या सोचेंगी,'मैं नज़ारे झुकाए बैठा था और दीदी हलके हलके मुस्कुरा रही थी ,
'पता नहीं दीदी मुझे क्या हो गया था मैं सच में नहीं चाहता था की ऐसा कुछ हो ,सॉरी दीदी मुझे माफ़ कर देना,अगर मेरी वजह से आपको दुःख पंहुचा हो तो ,,....'मेरी आँखों में एक दो बूंद आ ही गए और मेरी आवाज भी भारी हो गई...
दीदी ने हस्ते हुए मेरे सर पर अपना हाथ रखा और सहलाने लगी
'अरे पागल तुझे नहीं पता आज मैं कितनी खुश हु आख़िरकार वो दिन आ ही गया जब मेरे भाई को प्यार हो गया ,,और आयशा अच्छी लड़की है लेकिन अभी अभी उसका दिल टूटा है इसलिए वो थोडा अपसेट रहती है बस और कुछ नहीं ,आजा मेरे प्यारे भाई,'दीदी ने मुझे खीच कर अपने सीने से लगा लिया आज मैं भी बहुत खुस था,
'ऐसे भाई उसमे क्या पसंद आ गया तुझे ,कभी तो तुझे कोई पसंद नहीं आई थी,'
'उसमे मुझे आप दिखाई दिए दीदी ,वो आपके जैसे ही है बहुत सुंदर,बहुत मासूम और बहुत बहाद्दुर 'कहते हुए मैं फिर दीदी के सीने से जा लगा,दीदी के आँखों में आंसू थे उन्हें डॉ की बाते याद आ रही थी की जिस लड़की में उसे तेरा चहरा दिखेगा वो उससे ही प्यार कर पायेगा मेरा भाई मुझे इतना प्यार करता है ,मैं इसके प्यार को कभी हारने नहीं दूंगी ,,दीदी मेरे सर को किस करने लगी ,इतना उनकी आँखों से आंसू बह रहे थे जो मैं नहीं देख पा रहा था ,और वो मुझे चूमे जा रही थी ,उन्होंने मेरा सर उठाया तो मैंने उनकी भीगी हुई आँखे देखि,मैंने उनकी आँखों के अपने होठो में समां लिया,एक आंसू ढूलता हुआ दीदी के दोढी तक आ पहुच मैंने झट से उसे अपने में समां लिया ,अब दीदी के चहरे में एक मुस्कान फैली मेरे चहरे में भी मुस्कान फ़ैल गयी,,
दीदी ने मेरा सर अपने हाथो में लेकर मेरे होठो में अपने होठो को मिला दिया,अब दीदी को किस करना आम सी बात हो गयी थी मैंने भी अपने जीभ को उनके होठो में घुसा दिया जिसे वो चूसने लगी,दीदी थोडा हटकर उठी और अपने टेबल से एक चोकलेट उठाया और मुझे दिया ,
'हैप्पी वाला पहला प्यार भाई,भगवान तुम दोनों को मिलाये और तुम दोनों हमेशा खुस रहो,'दीदी फिर मेरे सीने में सर रख कर सोने लगी,
'दीदी चलो ना साथ ही खाते है,'दीदी ने अपना सर उठाया और मैंने चोकलेट का एक टुकड़ा तोड़ कर उनके मुह में डाल दिया ,दीदी ने एक स्माइल की और मेरा सर पकड़ कर मुझे किस करने लगी वो चोकलेट का टुकड़ा दीदी के मुह से मेरे मुह में आ गया ,मैंने उसे थोडा चूसा फिर दीदी के मुह में भेज दिया हमने पूरी चोकलेट ऐसे ही ख़तम की,और फिर दीदी ने एक बोतल उठाई और अपने मुह में पानी भरा ,पर उसे निगला नहीं और मुझे देखने लगी ,,,मेरे चहरे पर एक स्माइल आ गयी मैंने आगे बढकर उनके होठो को चूसने लगा और आधा पानी मेरे मुह में आ गया ,इन सब हरकतों को हम कर तो प्यार के कारन रहे थे पर मेरे और दीदी के शारीर को शायद ये बात नहीं पता थी वो उत्तेजित होने लगा था मेरा लिंग खड़ा हो चूका था और दीदी के निकर भी योनी के ऊपर गिला था,जैसे ही दीदी को मेरे ताने होने का आभास हुआ तो वो मुझसे हटती हुई मेरे लिंग को सहला दि और खिलखिला के हसने लगी,मैंने भी जब उनका गीलापन देखा तो मैंने उन्हें इशारे से बताया और मैं भी हसने लगा हम दोनों ही हस रहे थे की अचानक दीदी हस्ते हस्ते मेरे ऊपर आ गयी आज मैंने भी अंदर कुछ पहना नहीं था मेरे ऊपर आने से मेरा तनाव उनकी गीलेपन पर रगड़ खा गयी ,मैं भी अपनी उत्तेजना में थोडा दबाव दे दिया ,और स्माइल कर दिया पर इससे दीदी की आह निकल आई ,
'आह भाई ,'और उन्होंने मुझे देख एक स्माइल दि,
'अब तो तेरा मोटा हथियार आयशा के काम आएगा सम्हाल के रखना,कही दीदी के प्यार में इसे लुटा ना देना ,'दीदी कह कर खिलखिला गयी,उनका प्यारा चहरा देख मैंने उन्हें निचे कर दिया और बिना कुछ बोले ही उन्हें चूमने लगा ,उनके होठो को चुमते हुए मैने फिर ऊपर से अपना लिंग रगड़ना चालू किया अब मैं तेज हो रहा था और बड़े बेरहमी से वार कर रहा था ,मैं पागलो जैसे हो रहा था मेरे अंदर वासना का एक सैलाब सा आ रहा था और रगड़ने के बजाये उसे मरने लगा था ,मेरे ऐसे करने से दीदी की योनी पर सीधे चोट पड़ रही थी,और दीदी को शायद बड़ा दर्द हो रहा था,वो आह आह कहे जा रही थी पर मुझे रोक नहीं रह थोड़ी देर बाद दीदी ने मुझे रुकने कहा
'भाई भाई सुन ना ,(मैंने उन्हें देखा)मेरी आँखों में देख ,'मैं उनकी आँखों में देखने लगा कुछ बुँदे वहा उनके आँखों की शोभा बड़ा रही थी ,दीदी के चहरे पर कोई गुस्सा और दुःख नहीं था ,वो मुस्कुरा ही रही थी पर उन्होंने मेरी आँखों की गहराई में झाकते हुए मुझे प्यार की एक सौगात दि ,और मेरे होठो को भर लिया ,थोड़ी देर के रसपान के बाद मैं फिर उग्र होने को था दीदी ने मुझे फिर ऊपर उठाया मेरी आँखों में देखा
'भाई इतना उतावला क्यों हो रहा है ,'दीदी ने मेरे बालो को सहलाते हुए कहा,
'पता नहीं दीदी कुछ कण्ट्रोल में नहीं रहता ,'दीदी मुस्कुराने लगी ,
'खोल दू क्या अपने कपडे ,अंदर घुसयेगा क्या,'दीदी ने मनो व्यंग किया हो और हसने लगी ,तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की मैं क्या कर रहा था,
'दीदी सॉरी ,' 'भाई कोई सॉरी बोलने की जरुरत नहीं है मैं तेरी ही हु ,तू मेरे से सेक्स करना चाहे तो भी मैं मना नहीं करुँगी ,'दीदी बड़े प्यार से मुझे सहलाये जा रही थी,
'क्या दीदी आप भी कही मैं आपसे सेक्स कर सकता हु क्या मैं तो आपका भाई हु ना,मैं ऐसा क्यों चाहूँगा,'मेरी आवाज में गंभीरता थी....'दीदी ने मुझे फिर अपने ऊपर ले लिया ,
'मेरे प्यारे भाई ,तेरे पास जो इतनी ताकत है ना ये उसका ही उछाल है,तो फिकर मत करना तेरी दीदी तेरे लिए सब कर सकती है समझा ,'मैंने हां में सर हिलाया और दीदी ने फिर मुझे चूमना शुरू कर दिया,थोड़ी देर में ही दोनों थककर सो जाते है ,थोड़े देर बाद नेहा उठकर किसी का इंतजार कर रही है तभी उसका मोबाईल बजता है ,उसके चहरे पर खुसी आ जाती है,काल राहुल का था ,
'दीदी वो तैयार है,कल आपसे मिलाने ला रहा हु,'
'ओके भाई ,तो कल मिलते है गुड नाईट,'
मैं थोडा बेचैन था मुझे आयशा से मिलाने का उससे बात करने का मन हो रहा था ,मैं चाहता था की दीदी के साथ ही कॉलेज चला जाऊ पर क्या करे दीदी भी आज कॉलेज नहीं जाने वाली थी और राहुल भी आज प्रीति के साथ घर आ रहा था ,दीदी से मिलाने तो मेरे लिए उसके साथ जाना भी मुस्किल था मैं इसी सोच में था की क्या करू ,मैंने अकेले कॉलेज जाकर आयशा से मिलाने का फैसला किया ,और अगर मिल ना पाऊ तो कम से कम देख ही लूँगा ,मैंने दीदी को ये सब बता दिया दीदी हँसाने लगी और कहा ठीक है चले जा,
'दीदी राहुल को बोलो ना साथ चले मैं अकेले कैसे आज तक कुछ भी तो नहीं किया हु मैं आपके और राहुल के बिना,,,'
'अरे मेरे भाई प्यार की लड़ाई तो तुझे ही लड़नी है और जीतनी भी है,वो भी अकेले ,समझा लड़की के दिल को जितना कोई खेल नहीं है ,और वो भी आयशा जैसी चोट खाई लड़की के..मैं जानती हु मेरा बाई बहुत बहाद्दुर है और बहुत समझदार है तू कर लेगा,,'
'पर दीदी कैसे '
'क्या कैसे बस कुछ मत करना तू दिल से उसे प्यार करता है ना तो दिल की सुनना जो दिल कहे करना दिमाग मत लगाना,बस दिल के साथ रहना तेरा दिल बहुत मासूम और प्यारा है मेरे भाई आयशा को भी इससे प्यार हो जायेगा,,'दीदी ने मुझे एक प्यारी सी पप्पी दि ,...इससे दीदी ने चैन की साँस भी ली क्योकि शायद मेरे रहते वो प्रीति से अच्छे से बात नहीं कर पाती,मैं भी अपने पहले प्यार की उमंग में था मैंने दीदी का मोबाईल निकला दीदी के साथ एक सेल्फी ली और अपने रूम चला गया , थोड़ी देर में वह राहुल प्रीति को लेकर पहुचता है,मैं कॉलेज जाने को तैयार होकर निचे आया था,कि वाह ये कौन है,मैंने जब उस लड़की का चहरा देखा तो मुझे यकींन नहीं आया की ये प्रीति है,प्रीति ने आज काले कलर की सलवार कमीज पहिनी हुई थी ,मैंने उसे इतने सिंपल कपडे में कभी नहीं देखा था ,मेकअप भी बहुत ही हल्का था,एक छोटी से बिंदी उसके चहरे को और भी मासूम बना रही थी मैं उसके चहरे को ही देखता रहा जिससे वो शरमाने लगी मुझे और आश्चर्य हुआ की ये शर्मा रही है,उसके गुलाबी होठो को वो अपने मोती जैसे दंन्तो से दबाना ,अपने लटो को उंगली से घुमाना और मुझे चोर निगाहों से देखना वह कितनी कमाल की लग रही थी वो ,उसे इस तरह घूरता देख कर राहुल मेरे पास आ कर मुझे हिलाया,
'साले फिर से बेहोश हो जायेगा क्या ,'मैंने हसकर उसे धक्का मारा और प्रीति के पास जाकर उसे अपने सीने से लगा लिया और वो भी मुझसे चिपक के रोने लगी,
'we miss you sewty welcome home,'प्रीति भी मुझसे अलग हुई मैंने उसके गालो को अपने हाथो में लेकर उसके आंसू पोछें ,
'तुझे फिर से ऐसा देखकर अच्छा लगा ,क्यों अलग हो गयी थी हमसे ,तुझे उस गंदगी में देखकर बहुत तकलीफ होती थी ,'राहुल ने मुझे आँखों से नहीं का इशारा किया ,और मैं भी चुप हो गया ,और उसे फिर एक बार गले लगा लिया ,..तभी दीदी वहा पहुची और अपने बाजुओ को
खोल कर उसका स्वागत किया..प्रीति उनके गले लग गयी और रोने लगी दीदी ने उसे सहलाया कुछ बुँदे तो दीदी के आँखों में थे वो ऐसे प्रीति से बहुत प्यार किया करती थी पर उसका यु आवारा लडको के संग घुमाना और ऐयासिया करना उन्हें बिलकुल पसंद ना आता अब दीदी को शायद उसके हालत का सही सही अनुमान लगा था...मैंने राहुल को बताया की मैं आयशा से मिलाने जा रहा हु उसने मुझे बेस्ट ऑफ़ लक कहा और मैंने सबको बाय कहकर वह से निकल गया,
दीदी प्रीति को अपने कमरे में ले गयी और राहुल को वही बैठने को कहा राहुल तो जानता था की क्यों ..
प्रीति जैसे ही दीदी के बिस्तर में बैठी उसे कुछ गड़ता है,
'अरे दीदी ये मोबाईल,'
'अरे छोड़ उसे ये आकाश भी ना अभी सेल्फी लेने के बाद यही छोड़ गया होगा,रख दे बाजू में'फिर दीदी थोड़ी सीरियस होकर बोलना शुरू करती है.
' प्रीति मुझे पता है की तुम किस मुसीबत में हो ,'द्दीदी अपना लेपी ऑन कर उसे उसका विडिओ देखने लगी,प्रीति का चहरा पर शर्म से झुक गया ,दीदी ने उसे अपने सीने से लगा लिया ,
'देख प्रीति बात ऐसी है की तूने जो भी किया वो अपने मजे के लिए किया और तुझे पता भी नहीं चला की तू कब उनके कब्जे में हो गयी पर मेरी बहन तू नहीं जानती की कितनी भोली भली लडकियों की जिंदगी इन लोगो ने बर्बाद कर दि है,इस इंजेक्शन का असर क्या है ये अनुमान ही नहीं लग पा रहा है ,तुझपर इसका अलग असर है और बाकियों पर अलग हमें सबकी जिंदगी बिगड़ने से बचानी है और तू ही है जो मुझे सच बता सकती है जो सच इस विडिओ में भी नहीं है ,की इसमें और कौन कौन सामिल है ,मुझे लगता है की परमिंदर,नानू और विक्की तो बस मोहरे है असल में ये बड़ा रेकेट फ़ैलाने की कोसिस है शायद कोई सीधी साधी लडकियों को फसा कर उनसे धंधा करने की कोसिस ,क्या तेरे साथ कुछ ऐसा हुआ था,,'दीदी का चहरा पुरा सीरियस था वही प्रीति उन्हें ठगी सी देख रही थी,
'दीदी मेरा सौदा हुआ था,एक बार नहीं कई बार लेकिन मैंने ये बस मजे के लिए ही किया था जब की ये लोग मेरी प्यास नहीं बुझा पाए तो इन्होने कहा की तूझे इसी और से करवाते है पैसे भी मिल जायेंगे और तुझे भी अलग अलग लडको का मजा आएगा,मैं तो तुरंत मान गयी थी, मैंने कभी नही सोचा था की ये लोग इतने कनेक्शन वाले होंगे मुझे तब अटपटा लगने लगा जब वो इतने अलग अलग ग्राहक ढून्ढ के लाने लगे मैंने तो खूब पैसे कमाए और बहुत मजे भी लिए पर आज मुझे समझ आ रहा है की उन्होंने मुझे प्रोफेसनल रांड ही बना दिया था..कभी कभी तो विदेशी लोग भी आते थे ,और हर टाइप के लोग ...'कहते हुए प्रीति आकाश में खोयी सी देखने लगी जैसे अभी अभी उसे कुछ समझ आया हो वो अपने नशे में इतनी खोयी थी की दुनिया की सच्चाई उसे समझ नहीं आ रही थी ,अभी अभी वो जागी सी लगी,जैसे अचानक ही कोई शीशा टुटा हो,
'हम्म मेरा शक सही था ये लोग बस मजे के लिए ऐसा नहीं कर रहे थे ,इनके पीछे कोई बड़ी ताकत का हाथ है जो लडकियों को इस धंधे में धकेलने के फ़िराक में है,तेरे साथ कुछ और भी लडकिय आती थी क्या,'
'हा दीदी पर मैं किसी को पहचानती नहीं ,पहचान का मौका ही नहीं मिलता था ,मुझे तो पता भी नही होता था की मुझे कहा ले जा रहे है ,कभी कभी होटल तो कभी किसी के फार्महाउस,वगेरह ,'दीदी ने प्रीति को देखा उसे इस बात का जरा भी अफ़सोस नहीं लग रहा था की उसके साथ ये सब हुआ था,शायद उसे इससे कोई परेशानी नहीं थी परेशानी तो उनको होती जिनकी मर्जी के खिलाफ उन्हें इस धंधे में धकेला जाता....दीदी ने राहुल को भी ऊपर बुला लिया और अपने ढंग से ये बता दिया की इन सबमे पूरा गेंग ही शामिल है पर वो कौन है ये पता लगाना एक चुनौती है ,उन्होंने राहुल को ये भी बता दिया की विक्की और नानू बभी इसमें शामिल है और उन्हे अभी कुछ नहीं करना है जब तक की दीदी कुछ ना कहे और कैसे भी करके उन्हें फ़साना है जाल में .
'दीदी वो मेरे कांटेक्ट में है मैं कुछ करू शायद मुझे कुछ बता दे,'प्रीति ने कहा
'नहीं प्रीति वो वो तुम्हे बस इस्तमाल करते है तुमसे प्यार नहीं की तुम्हे कुछ बताये और ऐसे भी उन्हें कितना पता है इसका भी कुछ भरोसा नहीं है क्योकि वो दोनों भी परमिंदर के इशारे में ही काम करते थे ,मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा है की आगे क्या करना है ,शायद समय ही कुछ बतायेगा ,और राहुल प्लीज् आकाश को इन सबसे दूर रखना उसे ये पता चल गया तो कुछ भी कर सकता है शायद नानू और विक्की को ही मार डाले ,मैं अपने भाई को खोना नहीं चाहती तू तो समझदार है पर वो अपने दिल की ही सुनता है,'राहुल तो सब समझ रहा था उसने भरोसा दिलाया और सब वक्त के हाथो में छोड़ दिया,...
पर वक्त को क्या मंजूर था वो तो किसी को नहीं पता ना...मैं अपने घर से निकला और थोड़ी दूर गया ही था,की मुझे एक डर ने घेर लिया मैंने कभी ये नहीं किया था मैंने तो किसी लड़की को घुर तक नहीं था,मैं इस डर के कारन पीछे तो नहीं हट सकता था,मैंने हिम्मत बढाने के लिए दीदी को काल लगाया,मैं खामोश ही था की एक रिंग भी नहीं जा पायी थी और दीदी ने फोन उठाया मैं कुछ बोलने वाला ही की प्रीति की आवाज सुनाई दि...
'अरे दीदी ये मोबाईल,'मैंने आगे की बनते सुनने लगा और चुप ही रहा मेरे आँखों में लहू आये ,चहरा कपने लगा और जब आखिर में दीदी ने राहुल से मुझे कुछ ना बताने की बात कही तो मैंने अपना फोन रख दिया ...मेरी आँखों में लहू उतर आया था मैं गुस्से से थर्रा रहा था,पर दीदी की वो आखरी बात मुझे याद आ रही थी की वो दिल से सोचता है कुछ गलत ना कर दे ...मुझे क्या करना था मुझे नहीं पता पर मैं ये भी जानता था की मुझे दीदी ने ही आज कहा था,की जो करना दिल से करना दिमाग की अपेक्षा दिल की बात सुनना उन्होंने तो कहा था प्यार के लिए पर अब मैंने इसे इस जंग में भी अपनाने की सोची प्यार हो या जंग दिल लगा देना चाहिए ,हा ये मेरे लिए जंग ही थी क्योकी परमिंदर ने मेरी जान से भी जादा कीमती बहन को धंधे वाली बनाना चाहा,और मेरे प्यार(आयशा) को भी धोखा दिया और मेरी बचपन के दोस्त को तो धंधे वाली ही बना दिया,इनमे से एक वजह ही काफी थी मुझे इसे एक जंग मानने के लिए मेरे पास तीन थी,......

मैंने अपनी आँखे बंद की मुझे ऐसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या करना है पर मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और अजनबी राहो में बस चलने लगा बिना किसी मंजिल के तलाश के ,बस चल ही रहा था जहा दिल ले जाए ....अचानक एक बोर्ड देख कर मेरी आँखे चमकने लगी लिखा था
"डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदावाले " डॉ चुतिया को तो मैं बचपन से जनता था ,और ये भी ये हर समस्या का हल बता सकते है मैं,अंदर गया डॉ साहब धयान में बैठे थे जमीन पर और डॉ की खुर्सी पर उनकी असिस्टेंट मेरी बैठी थी,मुझे देखकर उसने चुप रहने का इशारा किया मैं सामने रखी चेयर पर बैठ गया ,मेरी उठाकर मेरे पास आई और अपना मुह मेरे चहरे के करीब कर दिया मुझे अब उसके सांसो की खूसबू महसूस हो रही थी ,उसने अपने तने उरोजो को मेरे पास ला दिया और मुझे देखकर मुस्कुराने लगी ,उसकी उस हरकत से मेरे लिंग में हलचल होने लगी और मैंने उसे घुर कर देखा मेरे गुस्से से लाल आँखों को देखकर मेरी तुरंत पीछे हट गयी,मैंने अपने पास ना आने का इशारा किया मेरी सांसे थोड़ी तेज हो चली थी मैं उसे सम्हालने में लगा था ,लगभग आधे घंटे के बाद डॉ उठे और मुझे देखकर मुस्कुराये,वो अपनी चेयर पर बैठे की मेरी ने कहा ,
'सर ये तो हायपर अग्ग्रेसन का केस लगता है,'डॉ मेरी को देख कर मुस्कुरा दिए,
'आज कैसे रास्ता भूल गए आकाश और घर में सब ठीक है ,'
'डॉ सब ठीक होता तो आपके पास आने की जरुरत ही नहीं पड़ती ,मुझे सब पता चल गया है ,अब आप बताइए की मैं क्या करू,'डॉ के चहरे पर अब भी मुस्कान थी
'क्या पता चल गया है,'
'डॉ आप जानते है,और मैं भी जनता हु की नेहा दीदी ,मेरे पापा और राहुल आपसे पूछे बिना कुछ नहीं करते मैं ये नहीं मान सकता ही शहर में इतनी बड़ी घटना हो गयी जिससे दीदी भी जुडी है और आपको कुछ नहीं पता होगा,अब आप बताइए डॉ की मैं क्या करू,'डॉ अब भी मुस्कुरा रहे थे,
'तुम्हे कैसे पता चला,'मैंने सब कुछ बताया की कैसे मैंने फोन किया और कैसे मुझे ये सब पता चला ,'डॉ इतना तो समझ गए की मुझे पूरी डिटेल तो नहीं पता है पर जो पता चला है वो काफी है,
'मैं भी इसी दिन का इंतजार कर रहा था की कब तुम्हे ये पता चलेगा क्योकि नेहा और राहुल दोनों ही दिमाग से सोचते है पर तुम अलग हो तुम दिल से करोगे और उनके हाथ कुछ आयेगा ये कहा नहीं जा सकता पर तुम्हारे हाथ जरूर कुछ आ जायेगा,अब सुनो तुम्हे पहला काम ये करना है की तुम्हे नार्मल रहना है वरना नेहा तुम्हे कुछ नहीं करने देगी,और नेहा और राहुल को कुछ नहीं पता चलना चाहिए ...'
'मैं नार्मल कैसे रह सकता हु डॉ इतना कुछ हो गया मेरी खुद की बहन और मेरे भाई जैसे दोस्त ने ये सब छुपाया ,मेरे जेहन में तो आता है की मैं किसी का क़त्ल कर दू और शुरुवात करू उन विक्की और नानू से,'उसके तेवर देख डॉ के चहरे की मुस्कान गहरा गयी वही मेरी ने डॉ के कानो में कहा 'मैंने कहा था ना,'डॉ ने उसे चुप रहने को कहा,
'मैं जो अभी कर रहा था इसे ध्यान कहते है ,कोई जादा कठिन चीज नहीं है बस अपनी आती जाती सांसो को देखना है तुम्हे और बाकि चीजो को कुछ देर के लिए भूल जाओ जब तक तुम ध्यान कर रहे हो क्योकि हमारा दिमाग इतना ज्यादा सोचता है बेमतलब की बातो को की हम कही भी एकाग्र नहीं हो पाते,ध्यान तुम्हे अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देगा ,तुम उन चीजो को समझ पाओगे जो तुम इस मन से नहीं समझ पाते ,थोड़ी देर को बैठो अकेले में और आंखे बंद करके देखो को तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है फिर अपने आप को शिथिल करो और सब कुछ शिथिल हो जाने दो और देखो बस देखो अपनी सांसो को देखो,और तुम पाओगे की तुम्हारे विचार शांत हो रहे है और तुम एक अलग ही ताजगी से भर रहे हो ,ये तुम्हारे इमोशन पर काबू करने के काम आएगा ,तुम्हारी ताकत का सही उपयोग करने के काम आएगा,तुम इसे साधो ये तुम्हे सिद्ध बना देगा,' उनकी बातो में ही नशा था की मेरे संताप कम हो गए मैं अपने को जादा शांत महसूस करने लगा,
'पर डॉ मैं शुरुवात कहा से करू,'
'रस्ता दिख ही जायेगा ,तू चलना तो शुरू कर,अब अपने आप को खोल दे तेरे आसपास ही बहुत कुछ हो रहा है जिससे तुझे पता चलेगा की क्या करना है,अपने दिल की सुनना क्योकि तेरा दिल बहुत ही विकसित है वो तुझे गलत मार्गदर्शन नहीं करेगा,बाकि कुछ पता चले तो मुझे बताना,मैं भी इसी मामले में लगा हुआ हु,और कई लोगो पर निगाह रखे हुआ हु..
मैंने डॉ से आज्ञा मांगी और घर के तरफ चल पड़ा मुझे आयशा की याद आई पर मैंने सबसे पहले दीदी के मोबाईल से काल हिस्ट्री को मिटाना उचित समझा... 
 
'एक अँधेरा कमरा जहा एक खुर्सी पर एक शख्स बैठा सिगरेट पि रहा था ,हलकी हलकी रोशनी कमरे में दरवाजे के बीच से आ रही थी ,सामने एक लड़के को उल्टा टांगा गया था उसके मुह में कपडा भरा था और एक पोलिश वाला उसे मार रहा था ,उसके जख्मो से खून बहने लगा था,वो पसीने से लथपथ था और कुछ बोलना चाहता था,पोलिश वाले ने उसका मुह खोला ,
'सच कह रहा हु सर मुझे नहीं पता की वो विडिओ कहा गया मैंने तो उसे सम्हाल के रखा था,,'आदमी ने फिर इशारा किया और पोलिश वाले ने उसे फिर मरना शुरू कर दिया,इस बार उसकी चीख कमरे से बहार तक गयी ,
'साले सालो की मेहनत को तूने ऐसे ही जाने दिया,कितना पैसा खर्च किया उन लडकियों पर ,तेरी ऐसयाशियो पर,तेरे कारन उन्हें धंधे में नहीं बैठाया की तू मुझे पूरी तैयार माल देगा और तू मदेरचोद ,और अब तूने एक ही सहारे को भी खो दिया ,मार साले को,..'पोलिश उसे फिर से मारने लगा और वो आदमी कमरे से बहार चला गया,..थोड़ी देर में पोलिश वाला भी बहार आया
'सर मुझे नहीं लगता की इसे कुछ भी पता है साला ये तो ऐयाश था ,कुछ प्लान करके नहीं किया होगा,पर अब तक आप इससे भी छिपे हुए थे अब इसको आप का भी पता चल गया है क्या करना है इसका ,'
'मैंने कभी नहीं सोचा था की ऐसा करना पड़ेगा साला सोचा था की इसे जाने दो विडिओ के सहारे किसी और से ये काम करूँगा पर सब पानी फिर गया फिर इसके केस के बाद से सब बहुत सजग हो गए है ,साल काम करना मुस्किल हो जायेगा,भरोसेमंद लड़के मिलना भी मुस्किल है ,साला इतने दिनों की मेहनत कोई लूट के ले गया,अब इसका क्या करना है,किसी और से मिलेगा तो मेरा नाम बोल देगा,इसे यही ख़तम कर जादा से जादा तू सुस्पेंद हो जायेगा ,इसे कुछ दिन नजरो में बहला फुसला के रख और जब इसके घाव भर जाए तो इसे फंसी में टांग देना और आत्महत्या बता देना ...अभी तक कौन कौन इससे मिलाने आये है ,'
'सर वही दोनों इसके साथी ,नानू और विक्की कल ही आये थे ,उसके बाद से तो कोई नहीं आया है,'
'ह्म्म्म इसे अब किसी से मिलाने ना देना बोल देना की तबियत ख़राब है या कुछ भी करके फिरर काम तमाम ,'...
परसेंट डे इन कहानी
मैं डॉ के क्लिनिक से निकल कर सीधे घर पहुचता हु,राहुल की बाइक अभी भी बहार खड़ी है,मुझे डॉ की बाते याद आई मैंने अपने को नार्मल रहने का सजेसन दिया ,कुछ गहरी सांसे ली और अंदर गया दीदी की रूम से अभी भी हसने की आवाजे आ रही थी वही मम्मी किचन में नाश्ता बना रही थी,मैं किचन में गया .
'क्या बना रही हो माम ,'
'कुछ नहीं बेटा राहुल ने पराठे खाने की जिद की थी तो सबके लिए पराठे बना रही हु,तू क्या खायेगा,और आज अकेले कहा निकल गया तू,कभी तो अकेले कही नहीं जाता,'मैंने मुस्कुराके माँ को देखा ,खुदा की दूसरी मूरत मेरी माँ ,
'कही नहीं बस काम से गया था,अच्छा मेरे लिए भी बना दो मैं दि के कमरे में हु ,'
मैं दीदी के कमरे में गया और जाकर सीधे दीदी के गोद में जा पड़ा,
'अरे क्या हुआ इतनी जल्दी कैसे आ गया ,गया था की नहीं कॉलेज,'दीदी में मेरे सर में हाथ फेरते हुए पूछा,मैं दीदी के चहरे को देखकर मुस्कुराने लगा और थोडा ऊपर होकर मैंने उनके गालो में किस किया और फिर उनकी कमर को पकड़कर अपना मुह उनके कमर में छिपा लिया,
'साला ऐसे शर्मा रहा है लगता है बात बन गयी इसकी,'राहुल की आवाज आई जिसमे खुसी की एक झलक भी थी,मैंने मन में सोचा भाई बात तो बन गयी मेरी लेकिन तुझे कैसे बताऊ,
'बोल ना भाई क्या हुआ ,'दीदी फिर मेरे सर पर अपना हाथ फेर रही थी,उनके प्यार का अहसास मेरे बालो से सीधे मेरे दिल तक पहुच रहा था और मेरी आँखे सकून से बंद हो गयी,लेकिन मेरी इस हरकत से उनमे चिंता बढ़ गयी और मैं भी अपने खवाबो से बहार आ गया,
'कुछ नहीं दीदी नहीं जा पाया पता नहीं क्यों मन ही नहीं ,किया '
'साले मन नहीं किया की फट गयी,'राहुल ने थोड़े गुस्से में कहा पर मैंने बड़े आराम से उसकी बातो को सुना ,
'अब मैंने डरना बंद कर दिया भाई,क्योकि मेरी दीदी ने कहा की दिल की सुनना ,अब मैं अपने दिल की सुनुगा,'ये कहकर मैं फिर दीदी के गालो में एक किस किया और दीदी के मोबाईल को पकड़कर एक सेल्फी ली और बड़े आराम से काल हिस्ट्री को डिलीट कर दिया,दीदी मेरी बात सुनकर थोड़ी इमोशनल हो गयी वही प्रीति ने अभी तक अपनी जुबान नहीं खोली थी उसने भी अपने मुख का द्वार खोल दिया,
'मेरे बारे में तेरा दिल क्या कहता है,'बोल कर प्रीति बड़ी प्यारी निगाहों से मुझे देख रही थी,
'तेरे बारे में तू मेरी सबसे प्यारी दोस्त है,'बोलते हुए मैं प्रीति के पास आया जो अभी भी दीदी से थोड़ी दूर बिस्तर में बैठी थी और पीछे से आकर उसे अपने से लपेट लिया ,मेरे ऐसा करने से राहुल और दीदी ने मुझे हैरानी से देखा वही प्रीति तो शर्म से लाल हो गयी ,क्योकि मैं दीदी के सिवा किसी लड़की के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करता था दीदी और राहुल के मुह खुल गए थे,
'दीदी आपने सच में इसे ना जाने कौन सा गुरु मंत्र दे दिया ,मेरा भाई तो एक ही दिन में बदल गया है,'मैं अब भी प्रीति को ऐसे पकडे हुए था ,
'मेरा भाई अब दिल की सुनने लगा है ना ,नजर ना लग जाए इसे ,ना जाने क्या क्या हमेशा से अपने उसूलो के कारण अपने दिल में दबा के रख लेता था ,अब मेरा भाई भी खुल के जिए इससे जादा मुझे क्या चाहिए ,'दीदी के आँखों में हलके आंसू की बूंद आ गयी थी जिसे मैंने आगे बढकर अपने होठो से चूम लिया दीदी ने मुझे एक हलकी चपत मरी और बड़े प्यार से मेरी और देखा,
'भाई प्रीति तक तो ठीक है पर आयशा को ऐसे मत पकड़ लेना नहीं तो दीदी का मंत्र फेल हो जायेगा ,'राहुल की एक हसी गूंजी वही बाकि लोग मुस्कुरा दिए,
'भाई दीदी का मंत्र कभी फेल नहीं होगा ,क्योकि अगर मुझे लगेगा की किसी को मेरे व्यवहार से कोई परेशानी है तो मैं उसे करूँगा ही नहीं ना,वो मेरा दिल मुझे बताएगा की क्या सही है और क्या गलत,'मेरी बातो से राहुल तो चुप हो गया और उठाकर मेरे करीब आकर मुझे गले से लगा लिया ,मैंने फिर प्रीति को देखा वो अभी भी शर्मा रही थी मैंने एक स्माइल उसे दि ,तभी मम्मी पराठे लेकर कमरे में आ जाती है,

मैं अपने रूम में ध्यान में बैठा था आज पहली बार मैं ध्यान करने बैठा था जैसा की डॉ ने मुझे बताया था,मुझे पहले पहल बड़ी बेचैनी का अहसास हुआ वही थोड़ी देर बाद मैंने पाया की मेरे विचार मेरे सामने चल रहे है जैसा की कोई टीवी की स्क्रीन है ,मैंने एक घंटे का अलार्म दे रखा था इसलिए निश्चिंत हो मैं बैठा था,मेरा शारीर धीरे धीरे शांत होने लगा,लगातार विचारो का ये प्रवाह मेरे मन को कभी बेचैन करने लगा था पर मुझे डॉ की बाते याद आ गयी की बैठे रहो देखो की क्या हो रहा है,देखो अपने विचारो को ,मैं बैठा ही रहा की मेरे सामने एक घना जंगल आया वह कई लोगो की भीड़ थी ,जंगल में लोगो की भीड़ बात कुछ समझ नहीं आती वो भी बिलकुल शहर के से लोग,पर विचार अगर सब्कोन्सिअस(अवचेतन ) से आये तो उसमे लोगिक नहीं होता,किन्तु सत्य की परछाई होती है,मैंने देखा बड़ी दौड़ भाग चल रही है ,कई नेता भाषण दे रहे है ,कई अजीब चहरो को हस्ते पाया...मैं देखता रहा कुछ देर में सभी लगभग खली हो गए फिर मैंने एक कमरे को देखा देखा की एक कमरा है वह एक आदमी को मारा जबरदस्ती फांसी में चढ़ाया जा रहा है ,मैंने उसका छटपटाना देखा ,थोडी देर में ही वो विचार भी ख़तम हो गया ,मैंने फिर एक विचारो की भीड़ का सामना किया और एक भोर से धुंधले कमरे में एक स्त्री को नग्न होते देखा देखा की वो मचलती हुई एक लड़के के पास जा रही है और वो लड़का बड़े ही इत्मीनान से उसका मटकना देख रहा है,लड़की धीरे धीरे उसके पास जाती है उस लड़के के साथ सो जाती है और अचानक दोनों मुझे देखते है और जोरो से हस्ते है वो चहरे मेरे जेहन हो कापा का रखा देते है ,वो चहरे थे दीदी और राहुल के ,मैं डर से कापने लगा और बहुत ही जल्दी अपनी आँखे खोली मैं उस समय हाफ रहा था ,सामने दीदी बैठी मुस्कुरा रही थी पर मेरे डरने से वो भी डर गयी और हडबडाते हुए मेरे पास आई,दीदी को देखते ही मेरी रूह तक काप गयी मैं सपने और हकीकत में फर्क नहीं कर पा रहा था,की दीदी ने मुझे झकझोर दिया ,
'भाई भाई क्या हुआ क्या हुआ,'मैं भी अपने को सम्हाला मुझे समझ आया की ये महज विचार ही थे ,मैंने दीदी को सम्हालते हुए उन्हें अपने ठीक होने का दिलासा दिलाया ,थोड़ी देर में हम दोनों नार्मल हो गए ,
'अरे ये क्या कर रहा था तू और क्या हुआ था तुझे ,'अब मैं दीदी के गोद में सोया हुआ था और वो मेरे बालो को सहला रही थी ,
'कुछ नहीं दीदी ध्यान कर रहा था,'
'अरे ध्यान में लोग शांत होते है और तू डर रहा था ,और तुझे क्या जरुरत है इन सबकी ,किसने कहा है ये सब करने के लिए ,'मैंने थोड़ी देर सोच पर मैंने कुछ सच और कुछ झूट का कोम्बिनेसन परोसना ही सही समझा,
'दीदी वो मैं आज डॉ चुतिया के पास गया था,वो क्या है ना की मुझे बहुत डर लग रहा था आयशा के पास जाने में और वापस आता तो राहुल मजाक उडाता इसलिए मैं घुमाता डॉ के पास चला गया उन्होंने कहा की तू मैडिटेशन कर तुझे शांति मिलेगी,तो मैंने आज try किया पर कुछ आजिबो गरीब चीजे दिखने लगी और मैं डर गया और आँखे खोल दि डॉ ने कहा था की एक घंटे बैठना और मैं (मैंने अपना मोबाईल देखा )हम्म्म 45 मिनट तक बैठ गया ,पता ही नहीं लगा,'दीदी को डॉ की उर्जा और योगियों वाली बाते याद आई ,उनके चहरे में एक मुस्कान आ गयी ,
'कोई बात नहीं भाई डॉ ने कहा है तो किया कर और तुझे कुछ प्रोब्लम होगा तो उनसे बात भी कर लेना 'दीदी मेरे बालो को सहलाती रही और मेरे आँखों में वो मंजर बार बार घुमने लगा मैंने कुछ गहरी सांसे ली और ना जाने कब मेरी आँखे बंद हो गयी मेरी नाक में एक अजीब सी पसीने की बदबू या खुसबू आई मैंने आँखे खोली तो मैं दीदी की कमर को पकडे सोया था और ये खुसबू उनके योनी की थी मेरा नाक अभी दीदी के योनी के ऊपर ही था और दीदी अब भी मेरे बालो को सहला रही थी ,उनकी झीनी सी निकर से मुझे उनके योनी की खूसबू साफ साफ आने लगी ,मैंने आगे बढ़ कर अपनी नाक दीदी की योनी में रगड़ दि मुझे कुछ घुंघराले बालो का आभास हुआ जिसपर नाक को रगड़ना बहुत ही सुखद प्रतीति थी,लेकिन इससे दीदी ने मेरे सर को पकड़ लिया और हसने लगी ,
'भाई मत ना रे क्या कर रहा है,गुदगुदी होती है ,'मैं जानता था की दीदी ने अंदर कुछ भी नहीं पहना है इसलिए मैंने जान बुझ के फिर से नाक को रगडा इस बार थोड़े जोर से दीदी खिलखिला के हसने लगी और नहीं नहीं बोलने लगी ,वो उठाने को हुई पर मैंने अपना हाथ नहीं हटाया और उन्हें फिर से बिठा लिया ,मैं उन्हें देखने लगा उनका गोरा मुखड़ा प्यारी बड़ी बड़ी आँखे छोटी सी बिंदिया जो चहरे की शोभा बड़ा रही थी ,उन्हें चमकीले दांत और गुलाबी होठ जिसे देखते ही मैंने दीदी के सर को पकड़ कर निचे कर दिया और अपने पर झुका के उनके होठो को चूमने लगा दीदी ने भी अपने भाई पर प्यार की बारिश कर दि ,दीदी और मैं प्यार की गहराई में डूबकिया लगाने लगे और मैं उन्हें लिटा कर उनके ऊपर लेट गया और दीदी के चहरे को प्यार भरी निगाहों से देखने लगा ,की मुझे फिर से वो दृश्य दिखाई दीया जिसमे दीदी और राहुल को देखा था मेरे पुरे शारीर में एक झुनझुनी भर गयी और मैं मचलता हुआ बिस्तर पर बैठ गया मेरे शारीर पर पसीना था जो बंद ही नहीं हो रहा था ,मेरी इस स्तिथि को देख कर दीदी फिर डर गयी और मुझे फिर से अपनी बांहों में ले लिया...
'क्या हुआ भाई बता ना क्या हुआ ,क्या देख रहा है तू की तू इतना डर रहा है या तू बेचैन हो रहा है ,'मुझे चुप देख दीदी ने मेरा हाथ अपने सर पर रख दिया
'तुझे मेरी कसम है भाई बता...'मैं दीदी की कसम तो नहीं तोड़ सकता था पर बता भी तो नहीं सकता था ,मेरा दोस्त जिसे मैं और जो मुझे अपनी जान से जादा चाहता था और मेरी दीदी जिसे वो अपनी दीदी मानता है ,जिसके लिए वो कुछ भी कर सकता है ,....वो तो मैं भी दीदी से प्यार करता हु पर मैं भी तो ,नहीं मैं दीदी के साथ ऐसा नहीं कर सकता मैं तो बस इन्हें प्यार करता हु ,,,पर क्या प्यार में लिंग ऐसा खड़ा होता है क्या तू अपनी बहन के चुद को नहीं रगड़ रहा था तो अगर राहुल दीदी के साथ वो कर ले अगर वो दीदी की चूत में ....नहीं नहीं मैं ये क्या सोच रहा हु ,दीदी की चूत छि मैं इतना गन्दा कैसे सोच सकता हु ,,,लेकिन दीदी की चूत ...मेरा मन बहुत ही जादा बेचैन होने लगा पर दीदी की चूत सोचते ही मेरा लिंग अकड़ने लगा मुझे क्या हो रहा था इसका मुझे कोई इल्म नहीं था ये तो महज एक शब्द था चुद लेकिन इसका प्रभाव मेरे शारीर के अंगो पर पड़ रहा था और मेरे जेहन में एक की शब्द गूंजने लगा दीदी की चुद ,दीदी की चुद ,दीदी की चुद ....मेरी आँखों से आंसू आने लगे लगे मेरा लिंग इस दुखद घडी में भी पूरा तन गया था,मेरे अन्तः वस्त्र ना पहने होने की वजह से दीदी को इसका पूरा भान हो गया की ये किसी बहुत बड़े दुविधा में है ,उन्होंने अपनी पूरी ताकत से मुझे अपने सीने से लगा लिया उनकी उन्नत वक्ष मेरे सर से टकरा गए और मेरे मन की आवाजे बदल गयी ''ये रही दीदी की बोबस दीदी के बोबस बड़े बड़े बोबस दबा ले इसे चूस ले इसे अब चुतड को भी चाट ले हहहाहा '' जैसे कोई और मुझे चिढ़ा रहा हो मैं जोर जोर से रोने लगा दीदी के दिल की धड़कन मुझे जोर जोर से सुनाई देने लगी थी वो डर से काप रही थी मेरी दशा का ख्याल उनके जेहन को भेद रहा था,,दीदी मुझसे पूछ रही थी क्या हुआ क्या हुआ ...अचानक दीदी को डॉ की बाते याद आ गयी की तुम्हारा प्यार ही इसे बचा सकता है ,और आकाश अपनी उर्जा को दबा रहा है ,दीदी को समझ आ चूका था मैं बहुत बड़े अंतर्दव्न्द में फसा था जहा एक तरफ प्यार था तो दूसरी तरफ वासना,,दीदी ने मेरा हाथ अपने वक्षो पर रख दिए और मेरे होठो को चूमने लगी मेरे हाथ रुके हुए थे वो मुझे ग्लानी का आभास करा रहे थे ,राहुल के सपने ने मुझे अपनी दीदी के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया की अगर राहुल ये कर के गलत है तो मैं भी तो ये करके गलत हुआ ना ....लेकिन दीदी के लगातार मेरे होठो को चूमने पर मैं थोडा शांत हुआ और दीदी से सीधे बात करने की ठान ली ,मैं दीदी से अलग हुआ ..
'क्या हुआ भाई तुझे ,मेरे जिगर के टुकडे 'दीदी की आँखे भरी हुई थी ,मेरे लिए प्यार देख मेरा मन अब थोडा शांत हुआ पर मन के किसी कोने में अब भी (दीदी की चूत )कोई कह रहा था ...
'दीदी की चूत 'मैंने दीदी को कह कर मुस्कुरा दिया फिर अपनी गलती का आभास होने पर अपनी नजरे झुका ली ..दीदी ने अपने हाथो से मेरा सर उठाया उनके चहरे पर एक मुस्कराहट आ गयी थी ..
'क्या कहा तूने '
'सॉरी दीदी वो ...'
'बोल दे अब समझा तेरे मेरे बीच कुछ भी गलत नहीं है ,बोला था मैंने कभी सॉरी मत कहना ,तेरी दीदी तो तेरी है रे पागल 'दीदी ने एक हलकी चपत मेरे गालो में मार दि ,'अब बोल '
'दीदी वो मेरे दिमाग में एक गलत चीज चल रही थी ,मैंने उसे दबाने की कोशिस की तो वो और भी बढ़ गयी ,'
'क्या चीज '
'दीदी रहने दो ना मैं नहीं बोल सकता,'दीदी ने फिर मेरी ओर देखा और मेरा सर ऊपर किया
'दिमाग में कुछ भी चले वो गलत और सही नहीं होता ,उसे दबाना नहीं चाहिए निकल देना चाहिए या धयन कर ले देख ले अब बोल ,कुछ सही गलत नहीं ...अब बोलेगा की लगाऊ झापड़ 'दीदी के चहरे में हल्का गुस्सा आ गया था मैं अपनी दीदी को अपने लिए ना जाने कितने दिन बाद यु गुस्से में देखा था ,
'दीदी मेरे दिमाग में चल रहा था की दीदी की चुद ,बस यही बात बार बार अभी भी वही चल रही है ,हलके हलके ,सॉरी दी दी 'मैंने सॉरी कहा ही था की दीदी ने मेरे होठो पर अपने हाथ रख दिया
'बोला ना कोई सॉरी नहीं ,और चल रहा था तो उसे हटाने की क्या जरुरत है ,तेरी दीदी एक लड़की है और हर लड़की की चूत होती है ,तो इसमें क्या है चल बोल दीदी की चुद ,मेरे साथ बोल 'दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने योनी में रख दिया मैं घबरा ही रहा था ...
'मेरी प्यारी दीदी की चूत ,ये है ,चल बोल 'दीदी ने ये कहकर मेरे हाथो को अपनी योनी में रगड़ दिया जिससे मेरे लिंग ने एक भरपूर झटका मारा और दीदी ने मुझे अपने पास खीच कर मेरे लिंग को अपने हाथो में भर लिया और मेरे कानो के पास अपना मुह कर कहा
'और ये है मेरे प्यारे भाई का बड़ा सा लवड़ा "दीदी हसने लगी पर मेरी हालत ख़राब हो चुकी थी ,दीदी ने फिर से मुझे बोलने कहा मैंने हिम्मत करके कहा
'ये है ,मेरे प्यारी दीदी की चूत ,'मेरे हाथ अभी स्थिर ही थे ,
'मसलेगा कौन ,मसल के बोल 'और दीदी ने मेरा हाथ मसल दिया और मेरे गालो को काट लिया ,उनकी स्वछन्द हसी ने मेरे रूह तक को शांत कर दिया अब मैं होसले से भर गया था मैंने अपने हाथ को पूरी ताकत से रगडा ,
'ये है मेरी प्यारी दीदी की चुद ,और इसकी खुसबू मस्त है ,'दूसरा लाइन मेरे मुह से अनायास ही निकल गया ,दीदी ने पहले तो अपनी आँखे बड़ी की पर फिर खिलखिलाकर हसने लगी ...
'अब भी आ रहा है दिमाग में ,'
'नहीं दीदी अब तो बस मजा आ रहा है,खासकर आपके ये बाल बड़े अच्छे लग रहे है ,'दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी निकर के अंदर ले जाने को खीचा पर मैंने अपने हाथ पीछे कर लिए ...
'नहीं दीदी आज बस इतना ही आज मैंने आपकी चुद को चुद कह पाया मेरे लिए काफी है ,'दीदी के चहरे पर प्यार के भाव उभार गए उन्होंने मेरे माथे पर किस किया और मुझे प्यार से अपनी गोदी में सुलाकर तब तक थपकती रही जब तक की मुझे नींद ना आ गयी
उसी रात
राहुल आज भी प्रीति के घर में था ,प्रीति राहुल के गोद में अपना सर रखे सोयी हुई थी ,राहुल बिस्तर से सटे दिवार से अपने को टिकाये हुए फ़ैला था और प्रीति के बालो को सहला रहा था,
'राहुल जानते हो आज तुमने मुझे जन्नत दे दि,मुझे आज पता चला की मुझे प्यार करने वाले इतने लोग है ,तुम हो दीदी है ,आकाश है,.आकाश है ये उसने बड़े धीरे से कहा और शर्मा गयी जिसे राहुल ने भांप लिया ,उसने उसके प्यारे चहरे को देखा ,और निचे झुक कर एक प्यारी सी पप्पी उसके गालो में रशीद कर दि,..
'तू जानती है ना की आकाश कभी तेरा नहीं हो सकता,वो तुझे दोस्त मानता है और उसके लिए दोस्त का मतलब दोस्त ही होता है,तू उससे जादा आशा मत कर बैठना मैं नहीं चाहता की तेरा दिल टूट जाए,'
'मैं जानती हु यार पर आज जब उसने मुझे इतने प्यार से पकड़ा तो मैं उसकी और भी दीवानी हो गयी,कितना प्यारा है ना आकाश,'प्रीति ने अपना चहरा उठा कर राहुल के होठो को चूम लिया,
'हा अब आकाश ही तो तुझे प्यारा लगेगा,मेरा पत्ता तो अब कट 'राहुल के चहरे पर एक मुस्कान फ़ैल गयी और उसने प्रीति के गालो को हलके से दबा दिया ,
'चल अब रात हो रही है मैं चलता हु ,'राहुल प्रीति को हटा के जाने लगा ,प्रीति ने उसका हाथ पकड़ लिया ,वो अभी भी उसी सलवार में थी ,
'तू तो मेरी जान है पागल ,और जा ना आज मेरे साथ,घर में बोल देना की आकाश ने रोक लिया,'प्रीति के वक्ष उसके कुर्ती में बड़े आकर्षक लग रहे थे जिसपर राहुल की निगाह चले जाती है और वो उसे वह से हटाने में असमर्थ हो जाता है ,प्रीति को भी इसका आभास हो गया और उसने अपने होठो पर एक स्माइल ला कर अपना दुपट्टा निकल कर फेक दिया ,अब उसके आकर पूरी तरह से राहुल के सामने थे ,उसका गोरापन हलके बहार निकले हुए भागो से पता चल रहा था,और उसका विसाल आकार बीच की खाई से मापा जा सकता था ,अपनी सबसे प्यारी दोस्त को इस हाल में देख राहुल थोडा सकुचा गया ,अभी अभी तो इसे इस दलदल से निकालने की सोच रहे थे की ये अपने यौवन का जादू मुझपर ही चलाने लगी ,राहुल ने गहरी साँसे ली,
'रुक कर क्या करूँगा,'उसने बड़ी मुस्किल से दिल को सम्हाल कर नजरे हटाते हुए कहा,प्रीति बिस्तर से उठती है और राहुल के पास आ जाती है ,उसके होठ राहुल के होठो से बस छूने वाले ही थे और उसकी सांसे राहुल की सांसो को बेकाबू कर रही थी,
'जो तुम चाहो मैंने कभी तुम्हे मन किया है क्या,'राहुल के चहरे पर एक हसी आ गयी ,
'अभी तो तू सुधरने वाली थी ,आकाश को अपना सबकुछ मानने वाली थी और अभी तू मुझे ये कह रही है ,'प्रीति के चहरे पर एक कातिलाना मुस्कान थी ,
'आकाश तो मैं अपना सबकुछ मानती ही हु ,और मेरे जिस्म हो किसी ने भी भोगा हो ,मैंने मन में हमेशा आकाश का ही चहरा रखा है (ये बात तो राहुल भी जानता था,)और सुधरने की बात है तो इतनी पुरानी आदत है इतनी जल्दी कैसे छुट जायेगी ,और तुम क्या चाहते हो मैं किसी और के पास चली जाऊ,अब तो मैं अपना जिस्म सिर्फ 3 लोगो को दूंगी ,'राहुल को उसकी बात सही लगी पर 3 लोग का नाम सुन उसने अपनी आँखे चढ़ा दि ,
'तुम्हे ,आकाश को अगर वो लेना चाहे तो और अपने पति को इडियट क्या हमेशा बिन बियाही रहूंगी ,'प्रीति की शरारत से राहुल का पसोपेज जाता रहा उसने अपनी निगाहे अब बिना किसी रोक टोक के उसके स्तनों पर टिका दि और धीरे से उसके होठो को अपने होठो में समां लिया ,
'ऊह्ह ऊह्ह ,'राहुल ने अपने हाथो को आगे बढाकर उसके स्तनों पर जमाया और हलके से उसे मसलना शुरू किया
'हम्म्म उह्ह राहुल रुको ना मैं कपडे बदलकर आती हु,'प्रीति ने थोडा कश्मसाते हुए एक अंगड़ाई राहुल के बांहों में ली,
'तू इतनी सुन्दर मुझे आज तक कभी नहीं लगी ,तुम अब सलवार ही पहना करो और ऐसे ही प्यारी सी बिंदी लगाया कर,'
'अआह्ह्ह राहुल राहुल 'प्रीति राहुल से अपने को सटा लेती है राहुल ने उसके नितम्भो को दबाया था,और इससे वो विचलित हो गयी थी ,राहुल ने उसे अपनी बांहों में भरकर उसे बिस्तर में पटक दिया और खुद उसके ऊपर आ गया ,प्रीति के चहरे पर एक मादक मुस्कान थी ,
'आई लव यू राहुल ,'प्रीति राहुल के गालो को अपने हाथो से सहलाया ,
'चल झूटी,'
'सच में यू आर बेस्ट '
'अच्छा और आकाश '
'वो तो ...एक सपना सा है ना अच्छा ना बुरा बस मेरा एक सपना जिसे मैं सभी में जीना चाहती हु,'प्रीति की बातो में एक दर्द उतर आया जो राहुल को बिलकुल पसंद नहीं आया ,
'चल तो फिर आज उस सपने को फिर जी ले,आँखे बंद कर (राहुल ने अपने हाथो से उसकी आंखे बंद की )और अपने सच्चे प्यार से प्यार कर 'प्रीति ने अपने आँखों में आकाश की तस्वीर ला ली,राहुल ने अपने हाथो का कमाल दिखाना शुरू किया उसके बिखरे बालो को उसके कंधे से हटाया और अपने हाथो से उसके स्तनों हो हलके से सहलाकर उसके कपडे में से बहार झाकते भाग को अपने होठो से चाटना शुरू कर दिया ,उसने हलके से वह दांतों को गडाया ,
'आअह्ह्ह्ह मेरी जान 'प्रीति ने अपने हाथो से राहुल के सर को जकड लिए ,'मेरी जान ऊह्ह आह्ह आह्ह '
राहुल अब उसे चूसने लगा और थोडा जोर लगा के उसकी कुर्ती से बाहर निकलने की कोशिस की ,
'रुको मैं जीप खोल देती हु,'प्रीति ने अपने को उठाने की कोशिस की मगर राहुल ने उसे फिर से पटक दिया
'कहा ना आँखे बंद जो करना है वो मैं कर लूँगा ,'प्रीति के चहरे पर एक संतोष और मादकता की मुस्कान थी ,उसने फिर से अपनी आँखे बंद की ,और अपने हाथो को राहुल के सर पर लगा दिया ,राहुल उसके कानो के पास जाकर फुसफुसाया,
'प्रीति मेरी जान मैं आकाश हु ,तुम्हारा सिर्फ तुम्हारा आकाश मुझे प्यार करो ,करोगी ना 'प्रीति मानो सम्मोहन ने चली गयी थी ,उसने अपने हाथो को बहुत दबाव से राहुल के सर पर जकड़ा ,राहुल ने उसके गालो को चुसना शुरू कर दिया ,
'हां मेरी जान मैं तुम्हे सब कुछ दूंगी ,सब कुछ ,आपका ही है ना ,प्लीज् ले लो ना जान ,'प्रीति के आँखों में आंसुओ की कुछ धारे थी जिसे राहुल ने अपनी जीभ से चाट लिए .
'मैं आज तुम्हे अपना बना लूँगा ,आज तुम्हे अपने प्यार से भिगोऊंगा ,तुम्हे इतना प्यार दूंगा की तुम दुनिया को भूल जाओगी,'राहुल ने अपने होठो को उसके होठो में लाकर टिका दिया वो बेचैन मछली सी तडफाने लगी और उसके होठो को भरपूर ताकत से चूसने लगी ,दोनों के जीभ आपस में टकराते और उनकी थूक एक दुसरे में मिलाने लगी राहुल की आँखे भी बंद हो गयी और उसे जो चहरा दिखा उससे उसका दिल जोरो से धड़कने लगा ,पर उसने अपनी किस तोड़ी नहीं उसके सामने नेहा का चहरा था उसे लग रहा था की यो उसे किस कर रहा है ,किस टूटने पर उसने अपनी आँखे खोली उसके सामने प्यारी सी एक लड़की अपना सब कुछ बिछाए पड़ी थी उसकी माथे की प्यारी सी छोटी सी बिंदिया उसे नेहा की याद दिलाने लगी और उसका सलवार से आती स्त्रियत्व की गंध उसे किसी दुसरे ही जहाँ में ले जाने लगी उसने अपनी आँखे फिर बंद की पर उसे अब भी नेहा का मुस्काता चहरा दिखा उसे परमिंदर और नेहा के बीच के सभी दृश्य याद आ गए और उसका लिंग अपनी पूरी जोर पर फुंकर मरने लगा उसने उसे शांति देने के लिए प्रीति के टांगो को खोला और कपडे के ऊपर से ही जोर से रगड़ दिया ,उसका तनाव इतना था की दोनों ही काप गए ...
'आह्ह्ह आकाश ,'....'आह्ह्ह दीदी ...'दोनों के स्वर एक साथ ही निकले प्रीति ने फिर कुछ समझ कर अपनी आँखे खोली और राहुल को अपने गलती का अहसास हुआ ,वो उसे प्रश्नवाचक दृष्टी से देख रही थी ,पर राहुल के चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,
'तू अपने सपने में जी और मुझे अपने सपने में जीने दे,,,,'राहुल की बात से प्रीति का चहरा भी खिल गया वो एक बड़ी मुस्कान के साथ फिर से अपनी आँखे बंद कर ली और राहुल को अपने पास खीचते हुए उसके कानो में बोली ..
'आजा भाई मुझे अपना बना ले मैं तेरी ही हु,'राहुल अपनी वासना में अब अँधा हो चूका था उसके कानो में ये बात जाते ही वो पागलो जैसे प्रीति को चूमना शुरू कर दिया,उसने अपने हाथो से उसके भरपुर निताम्भो को मसलना शुरू कर दिया ,
'अआह्ह्ह राहुल आअह्ह्ह्ह,'
'आआह्ह्ह ऊउम्म मेरी प्यारी दीदी ऊउम्म्माअ ऊउम्म्मा 'राहुल ने उसके कंधे पर पड़े कपडे को फाड़ने जैसा खीचा जिससे प्रीति के कंधे का भाग नग्न हो गया ,राहुल ने अपनी थूक उसपर गिरा दि और उसे चाटने लगा ,प्रीति आनद के समुन्दर में तैर रही थी ,वो अपने सपनो के शहजादे को अपनी इज्जत सौपने के मजे में खोयी थी ,राहुल ने अपने हाथ पीछे पीछे कर कुर्ती की चैन खोल दि और बड़े उतावले होकर उसे निकल फेका प्रीति अब भी अपने ब्रा में थी जो राहुल को बिल्किल भी रास नहीं आ रहा था ,उसने तुरंत उसे निकल कर फेक दिया और उसके स्तनों को अपने हाथो और मुह में भर मसलने और चूसने लगा ,
'आअह्ह्ह्ह हा हा आकाश मेरी जान ,मेरे प्यार ,मेरी जाआआआन आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह 'प्रीति की सिस्कारिया पुरे रूम में गूज गयी थी ,राहुल उनपर थूक रहा था फिर उसे चांट रहा था,उसके निप्पलो से जन्मो के प्यासे जैसा पि रहा था जैसे अभी उसमे से अमृत की धार निकल पड़ेगी ,
'आह्ह्ह दीदी वाह ,कितने प्यारे है ऊम्म्म्म ,'
'हां बही तेरे ही है ,तेरे लिए ही इनमे दूध भरा है चूस ले इसे ,'प्रीति का मादक स्वर राहुल के लिंग के नाशो को बर्दास्त नहीं हो पा रहा था,वो इतने तने हुए थे की जैसे अभी ही फट जायेंगे,जब भी प्रीति उसे भाई बोलती वो खुद को और जादा तना हुआ पाता था,
उसने अपने होठो को निचे लाते हुए उसकी गोरी गहरी नाभि पर अपने थूक छोड़ दिए उसके चूसने से पूरा पेट गिला हो चला था ,प्रीति अपने हाथो से उसका सर दबाये जा रही थी और और वो 'दीदी दीदी मेरी प्यारी दीदी मुझे प्यार दे दो दीदी प्लीज दीदी ,'
वही प्रीति 'आकाश मेरा सबकुछ तुम्हारा है ,आआह्ह प्लीज् प्लीज् आआह्ह्ह्ह ले लूऊऊऊओ इस्ससे 'राहुल को जब अपने तनाव बर्दास्त नहीं हुआ तो उसने फिर प्रीति के होठो को अपने होठो में भर लिया और अपना लिंग उसकी योनी में पुरे ताकत से दबाने लगा उसे इतना भी होश ना रहा की अभी निचे के वस्त्र निकलने को बाकि है,दोनों अपनी आँखे मूंदे अपने सपनो में खोये हुए थे जब भी दोनों को उनके सपनो का चहरा स्पष्ट दिखाई पड़ता वो वासना और प्यार के मिलेजुले आग में जल उठाते थे ,प्रीति की योनी का गिलापन उसके अंतःवस्त्र तथा सलवार को पार करता बहार तक आ चूका था ,तभी राहुल को उस गिलेपन का आभास हुआ और उसने अपने सभी कपडे एक ही झटके में निकल दिए और उसके ऊपर पसर गया अब उसे ये गीलापन अपने लिंग पर अहसास हुआ उसने एक जोर का झटका मारा की प्रीति चुहक पड़ी
 
''प्लीज् अंदर कर सो ना ,'राहुल कपडे उतरने में लगे वक्त से थोडा सम्हाल चूका था ,उसे ग्लानी के भाव घेरने ही वाले थे की प्रीति ने अपनी आँखे खोली और हाथ बढाकर उसकी आँखे बंद कर अपने पास खीचा और उसके कानो में कहा ...
'प्लीज् भाई अंदर करो ना अपनी दीदी की चूत में डालो जल्दी ..'प्रीति के इस हथियार ने राहुल को फिर से बेकाबू कर दिया वो अपनी आंखे बंद कर अपने हाथ निचे ले आया और उसके नाड़े को खोलकर सलवार को उसकी पेंटी सहित उतर फेका अभी भी दोनों की आँखे बंद थी और राहुल का हाथ उसकी योनी को सहला रहे थे दोनों के शारीर की तपन एक दूजे में मिल जा रही थी और सांसे आपस में ही घुल जा रही थी ,योनी इतनी भीग चुकी थी की राहुल का हाथ गिला हो गया उसने देर ना करते हुए अपने लिंग को आराम देने की सोची जो फूलकर फटने वाला था,उसने अपने होठो को प्रीति के होठो के पास लाया ,दीदी मेरा प्यार लो ,
'हां मेरी जान मेरे भाई ,मेरे आकाश मेरी जान ....'वो बोलते ही रही थी की राहुल ने उसकी छेद में अपना लिंग धीरे से सरका दिया ,उस अपार आनद में राहुल को सिर्फ और सिर्फ नेहा का मादकता से खिला चहरा ही दिखाई दे रहा था वही प्रीति ने एक लम्बी आह बरी जब तक की लिंग को उसने अपने में पूरा नहीं समां लिया ,,,दोनों दुनिया को भूल चुके थे ये भी की वो क्या कर रहे थे पूरी तरह हुए इस मिलन में बस मिलन ही बचा रह गया था ,मिलने वाले खो चुके थे ..ना जाने कब तक वो एक दूसरे के बहो में कसे हुए अपने आप को सामने की कोशिस करते रहे और राहुल ने अपनी कमर हलके हलके हिलानी सुरु कर दि,
'आअह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह आआअ काआआ शाआआ आअह्ह्ह्ह 'प्रीति हर धक्के में आकाश का नाम जप रही थी उसकी आवाज इतनी भरी हो चुकी थी उसके मुह से बहार भी मुस्किल से आ रही थी दोनों खोये थे कुछ पता ही नहीं था जो था वो बस उन्माद था ख़ुशी थी ,प्यार और वासना की उचाईया थी ,आनद था ...
'दीदी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् दीदी आअह्ह्ह्ह ह्हूउम्म्म्म हूमम्म 'राहुल की सांसे भी भरी थी और आंखे बंद जब लिंग योनी की दीवारों में घुसता तो उससे उठाने वाला अपरिमित आनद दोनों को डूबा चूका था ,योनी का गीलापन लिंग को भिगोये हुए उसमे सामने की कोसिस में था वही योनी की दीवारे अपने को फैलाती सिकोड़ती हुई राहुल को अपने अन्दर और जादा तेजी से घुसाने का आमंत्रण दे रही थी ,लिंग और भी फूलने लगा था,और धक्के जोर पकड़ने हो थे
'आआअ कक्क श 'प्रीति ने भरी चीख मारी और अपने नाखूनों को राहुल के छाती पर पूरी तरह से गडा दिए ...राहुल अब और भी जोर से धक्के मारने लगा था ,दोनों के कामरस के मिलन से एक लयबद्ध ध्वनी पुरे कमरे में फ़ैल रही थी और चप चप चप की आवाजो के बीच प्रीति की सिसकी गुमने लगी वो फिर पूरी तरह से तैयार थी अपने महबूब को अपने शारीर का एक एक कतरा देना चाहती थी ,पूरी तरह से उसकी होना चाहती थी ,
'दीदी दीदी दीदी दीदी आअह्ह्ह्ह नहीं नहीं दीदी दीदी 'राहुल ने अपनी पूरी ताकत हर धक्को में लगा दि ,लेकिन उसका लिंग अपने वीर्य को छोड़ने को तैयार ही नहीं था जिससे वो पागल सा हो गया था वो प्रीति को काटने लगा उसने उसके सतनो जो अपने दांतों से दबाया और पुरे ताकत से उन्हें गडा दिया ,उसके मास की मादकता से राहुल के दांतों को इतना सकून मिला की वो उसके कंधे पर अपने दांतों को गडा दिए और जोर जोर से धक्के मरने लगा ,प्रीति को मानो दर्द का आभास ही नहीं हो रहा था वो अपने नाखूनों से राहुल के पीठ पर कई निशान बना चुकी थी और उसकी प्यास जब चरम में थी तो उसने राहुल के स्तनों को काट लिया नाखूनों से पूरा पीठ ही छिल चुकी थी जिससे खून भी बहने लगी थी वही हाल प्रीति के जिस्म का भी था राहुल इतनी मजबूती से दांत गडाए था की खून का रिसाव शुरू हूँ गया पर परवाह किसे थी ,राहुल पागलो जैसे धक्के लगा रहा था और दीदी दीदी चिल्ला रहा था वही प्रीति आकाश की माला जप रही थी...
आख़िरकार वो क्षण आया जब दोनों प्यार की मंजिल पर पहुचे ऐसे तो प्रीति ने वो मंजिल दो बार देख ली थी पर ये अंतिम और निर्णायक था ...
'दीदी दि दि दि दि ईईईईईईईईईईइ 'राहुल के चिल्लाने से पूरा कमरा गूंज गया और उसने अपने निर्णायक धक्को से अपना पूरा वीर्य प्रीति के अंदर छोड़ दिया वही प्रीति उस वीर्य के गर्म अहसास से एक बार फिर अपने शिखर पर पहुच गयी और दबे और बेबस सी आवाज में आकाश कहती हुई अपने नाखुनो को राहुल की कमर में गडा दिया और कामरस की फुहारे छोड़ने लगी....
जैसे एक तूफान आया और शांत हो गया ...सब कुछ शांत हो चूका था ,,,योनी में लिंग फसा हुआ अपने ही वीर्य और योनी के कामरस से भीगा मुरझा रहा था,सांसे अब भी उखड़ी हुई थी पर किसी को फ़िक्र नहीं थी की उसे सम्हाले ,,,दोनों ही निढल हो चुके थे और किसी को उठाने की हिम्मत भी नहीं थी ......

आज सुबह जब मैं उठा तो मेरा सर दीदी के गोद में था और वो भी वही लेटी हुई थी,मैं उठाकर उनको एक प्यार भरी किस दिया और फ्रेश होकर निचे आ गया मैं सोफे पर बैठा हुआ टीवी देख रहा था की दीदी भी काफी पकड़ कर आ गयी मुझे मेरी कॉफ़ी देकर वो मेरे बाजु में बैठ अख़बार खोला ,दीदी ने नेशनल और मैंने रीजनल न्यूज़ पड़ने शुरू किये पहली ही न्यूज़ हमारे शहर की थी जिसे देख मैं चौक गया ,
'अरे ये कैसे ,'दीदी ने झट से मुझे देखा और न्यूज़ पड़ने लगी ,
'ओ माय गॉड ,'न्यूज़ परमिंदर के जेल में फांसी लगाने की थी ,दीदी के चहरे पर चिंता के भाव आ गए थे ,
'क्या हुआ दी साला तो था ही कमीना बढ़िया हुआ की खुद ही मर गया .'
'नहीं भाई वो इतना कमीना था की उसे अपने किये पर कभी आत्मग्लानी नहीं हो सकती वो आत्महत्या कर ले मैं नहीं मान सकती ,जरूर कोई बड़ी साजिस है ,'दीदी ने थोडा धीरे से कहा.मेरा भी माथा खनका मैंने पूरी न्यूज़ पड़ी इंचार्ज को ससपेंड कर दिया गया था,जाँच के आदेश थे पर मैं भी जनता था की इससे कुछ नहीं होने वाला ,खैर दीदी के चहरे पर अब भी चिंता के भाव थे जो मुझे कभी भी अच्छे नहीं लगते थे ..
मैंने दूसरा पजे खोला वह अविनाश तिवारी की बड़ी सी फोटो छपी थी ,बहुत से लोगो ने विज्ञापन दे कर उसे जन्मदिन की बधाई दि थी ,दीदी ने जैसे ही वो पेज देखा उनका चहरा खिल गया जो की मुझसे नहीं छिप पाया मैंने दीदी को चुटकी कटते हुए कहा ,
'क्यों दीदी अविनाश को देखकर बड़ी खिल गयी आप ,क्या बात है लगता है मनीष का पत्ता कट ,'दीदी मेरी बात से थोडा शर्मा गयी
'कहा यार ये कहा और मैं कहा ,इसके तो हम सिर्फ सपने देख सकते है ,'दीदी की बातो से मेरी आंखे बड़ी हो गयी ,दीदी ने कभी भी इसका जीकर नहीं किया की वो अविनाश को पसंद करती है,पर मुझे लगा की यार दीदी ने मेरे लिए इतना किया है क्या मैं उनके लिया कुछ नहीं कर सकता ,
'अरे दीदी आप try तो करो और देखना मेरी दीदी तो कभी नहीं हारती ,'
'नहीं आकाश इनके लाइफ का मकसद ही अलग है ,ये मुझे तो क्या किसी भी लड़की को पसंद नहीं करते ,इनको लाइफ से कुछ और चाहिए ,छोडो मेरी बातो को ..'दीदी के चहरे पर एक मायूसी सी देखि
'अरे दीदी try तो करते रहना चाहिए चाहे कुछ मिले या नहीं ,गीता में भी कहा गया है ना कर्म करो फल की चिंता मत करो ,'दीदी ने मुझे मुस्का के देखा और मेरे गालो पर अपने हाथ रख दिए ,
'तो आप उसे अभी काल कर रही हो जन्मदिन की बधाई देने के लिए ,'दीदी ने मुस्का के मुझे देखा और हां में सर हिला दिया ,
अपने रूम में जाने के बाद मैंने डॉ चुतिया को काल किया और कल वाली पूरी बात बताई ये नहीं बताया की दीदी के साथ क्या किया पर डॉ ने वो अपने से ही समझ लिया ना जाने कैसे ...
'तुम्हे फिकर करने की कोई बात नहीं है ,तुमने जो देखा उसमे कितनी सच्चाई है इसका पता तो आज की ही न्यूज़ से पता चल गया ,देखो परमिंदर ने फ़ासी लगा ली और जो तुमने नेहा और राहुल के बारे में देखा उसकी फीकर मत करो ये तुम्हारे मन को एक प्रोजेक्शन हो सकता है ,मन बहुत तरह हे सपने दिखता है कुछ अच्छे कुछ बुरे पर जब तुम ध्यान में प्रवेश करते हो तो तुम्हारे फालतू विचार कम हो जाते है और तुम्हे कई चीजे दिखने लगती है ,तुम ये ना समझना की ये कोई शक्ति है नहीं मन तो हमें हमेशा ही सब दिखता रहता है ,हमें समझ नहीं आती क्योकि मन में बहुत से विचार चलते रहते है ,
तुमने पहले ही दिन में पूर्वाभास का अनुभव किया है ,ये कुछ लोगो में हमेशा से होता है ,तो कुछ हो ध्यान में जाने से सपनो में या बिचारो के रूप में होता है ,यह असल में बहुत ही छोटी ताकत है जो किसी भी ध्यान करने वाले को कुछ ही दिनों में आ जाती है ,और भी आगे जाने से तुम्हे एस्ट्रल ट्रेवलिंग,टेलीपेथी जैसी चीजो का भी आभास हो सकता है ,और जिन चीजो से तुम डर रहे हो उनसे डरो नहीं वो सब कॉमन है ,मन ऐसी चीजे भी प्रोजेक्ट करेगा जो तुम्हारे अंतस में बहुत ही गहराईयों में छुपी है कभी कभी तुम डर सकते हो पर इसे देखो देखो और सिर्फ देखो ,,,,'
डॉ की बातो से मुझे कुछ कुछ रहत मिली और मैंने कहा
'डॉ अब आगे मुझे क्या करना है ,'
'वो करो जो तुम कर सकते हो ,इतना ही काफी है की तुम उतना प्रयास करते हो जितना तुम कर सकते हो ,बाकि चीजे तो हो ही जाती है ,हर प्रयास तुम्हारी ताकत और क्षमता को बढाता है ,समझे ...'
'ज्यादा तो नहीं पर कुछ कुछ जरूर समझा ,'डॉ हसने लगे और मुझे बाय कहकर फोन काट दिया मुझे कुछ याद आया और मैंने उन्हें फिर से काल किया ,
'डॉ मुझे कुछ दिनों पहले सांपो के सपने आये थे ,इसका क्या मतलब है ,'डॉ हसने लगे
'हर सपनो का मतलब जानना चाहते हो क्या ,'डॉ की हसी जारी थी थी ,
'डॉ प्लीज बड़ा ही भयानक था वो सपना '
'अच्छा वो कुछ नहीं सापो का सपना देखने का मतलब है ,दबी हुई सेक्स की वासना ,जिसे तुम दबा देते हो उसे तुम्हारा मन सपनो से पूरा कर लेता है ,फिकर मत करो अब तुम्हे ये सपने नहीं आयेंगे क्योकि तुम्हारे साथ नेहा है ,'डॉ ने एक रहस्यमयी हसी हसी और फोन रख दिया...
मैं फिर से ध्यान में बैठ गया इसबार मेरा मन शांत हुआ लगभग एक घंटे बाद ही मैं उठा देखा की हर चीज बड़ी ही शांत और प्रसन्न लग रही थी ,मुझे बड़ा ही हल्का सा लग रहा था,
कुछ देर में मैं दीदी के रूम में गया वहा मुझे दीदी के कीसी से बात करने की आवाजे सुनाई दि,मैं थोड़ी देर ठहरा
'हां ओके ,हां मैं आउंगी ना ,जी हां थैंक्स ,अरे आप भी ओके ओके सर ,नहीं मैं सर ही बोलना पसंद करुँगी ओक ,सी यु एंड अगेन हैप्पी बिर्थ डे,(एक हंसी )हा हा हा ,ओके सर बाय ,'मैंने देखा दीदी अपने होठो को दातो से दबाई हुई थी और थोड़े देर के लिए फोन के स्क्रीन को देख कर मन ही मन खुश हो रही थी उनकी खुसी मुझसे ना छुप सकी और मैं समझ गया की ये अविनाश से ही बात कर रही थी ,मैं अंदर आया दीदी ने मुझे देखा और मैंने उन्हें प्रश्नवाचक नजरो से देखा ,दीदी बिलकुल बच्चो की तरह उछल के खड़ी हो गयी और मुझे अपने बाहों में भर के नाचने लगी ,
'भाई मैंने अविनाश को काल किया था और उसने मुझे अपनी पार्टी में इनवाइट किया है ,और आयशा को भी साथ लाने को कहा है ,'मैं आयशा का नाम सुनकर खुस हो गया मैंने दीदी को किस ले लिया ,
'दीदी मैं भी चलूँगा ,'दीदी ने एक झूठे गुस्स्से वाला फेस बनाकर मुझे देखा ,
'अच्छा बच्चू दीदी अकेले जाती तो कहता बोरिंग पार्टी में मैं क्या करूँगा और अब ,(दीदी खिलखिला दि ) ओके और अविनाश ने तुम्हे और राहुल को भी बुलाया है,'
'वो हमें जानता है ,'मैंने थोड़े आश्चर्य से पूछा,'
'अरे यार वो नेता है ,और नेता लोग सबको जानते है और तुम लोग तो मेरे स्कूल प्रसीडेंट के चुनाव के टाइम कितने एक्टिव थे ,और कितनी बार तो उससे मिल चुके हो ना ,'
'हां वो तो है ,पर मुझे लगा नहीं था की वो हमें याद रखेगा ,अब हो मैं राहुल को भी काल कर देता हु और प्रीती को भी पकड़ लेंगे ,'
'ओके ,लेकिन पार्टी शाम को है और तो अभी स्कूल जाने को तैयार हो जाओ राहुल भी आता ही होगा,और वही उसे बता देना ,मैं भी कॉलेज जाती हु,'दीदी ने मुझे एक किस दिया और मैं वहा से अपने रूम में आ गया... 
 
अविनाश की पार्टी
दिखने में अविनाश जितना सिंपल दिखता था उसकी पार्टी उतनी ही बड़ी और रंगीन लग रही थी ,बड़े बड़े लोग आये हुए थे ,मुझे यकीं ही नहीं आया की एक कॉलेज के प्रेसिडेंट के बर्थडे पार्टी में राज्य के सभी बड़े नेता दिख रहे है ,और सभी पार्टी के लोग आये हुए थे ,कुछ नामी बिजिनेसमेन और अधिकारी भी वह दिख रहे थे ,लेकिन अधिकतर लोग स्टूडेंट्स ही थे कुछ गुंडे टाइप के लडको का समूह भी था पर वो सभी से बड़ी तमीज से बात कर रहे थे और नौकरों जैसे काम भी कर रहे थे ,दीदी और राहुल के लिए ऐसी पार्टी कोई नयी बात नहीं थी ,पर मैं ऐसा कभी नहीं देखा था ,मैं हमेशा बोर होने की बात कर नहीं आता था पर आज तो आयशा आई थी,तो आना ही था सोचा आज कुछ मामला सेट कर लू,
दीदी आयशा साथ आये और मैं राहुल और प्रीति के साथ आया जब हम आये तो अविनाश दीदी और आयशा से बात कर रहा था ,हम पास गए उसे विश किया और दीदी ने हमारा एक इंट्रो कराया ..
'अरे मैं इन लोगो को जनता हु ,अच्छा आप लोग पार्टी इंजॉय करे ,'तभी आयशा ने कहा ,आयशा आज तो जन्नत की पारी लग रही थी मैं उसे देखता ही रहा ऐसे भी मैं जब से आया था नजर बचा बचा कर उसे ही देख रहा था ,
'भईया थैंक्स फॉर एव्री थिंग अब तो परमिंदर भी नहीं रहा केस तो colse हो जायेगा ना ,'
'हा बिलकुल अब तुम्हे भी झंझट में पड़ने की जरुरत नहीं है ,मैं सब देख लूँगा,और शायद अदालत उसे वो सजा नहीं दे पाती जो कुदरत ने उसे दे दिया ,'तभी पीछे से एक आवाज आती है
'हैप्पी बिर्थ डे हमारे युवा नेता जी ,'हम सब पीछे मुड़ते है ,डॉ चुतिया खड़े थे और मुस्कुरा रहे थे वही आज मेरी ने नीले रंग की साड़ी पहनी थी जिसमे वो बहुत ही कमल की लग रही थी ,उसका मांसल देह भरपूर निखार में था ,और उसने आज सिन्दूर भी लगाया था ,जो मुझे समझ नहीं आया ,मैंने देखा की राहुल उसे घुर रहा है और वो भी उसे देख कर इशारे कर रही थी ,मेरे चहरे में एक मुस्कान आ गयी वही जब मेरी ने मुझे देखा तो थोड़ी डर गयी जिसे देखकर मैं हलके से हस पड़ा ,
'ओह थैंक्स डॉ साहब फॉर कमिंग ,'दोनों थोडा बात किये फिर वो हमसे विदा ले लिया दीदी उसे जाते देखती रही और एक गहरी सांसे छोड़ी जिसे देख मैं और आयशा हस पड़े दीदी ने अपने को थोडा सम्हाला और डॉ से बात करने लगी दीदी से बात कर डॉ ने मेरी को वही छोड़ मुझे अपने साथ चलने को कहा ,जिससे राहुल को थोडा आश्चर्य हुआ ,
'क्या बात है दीदी आज डॉ हमें छोड़ आकाश में बहुत दिलचस्पी ले रहे है ,'
'हा आजकल वो डॉ से ध्यान सिख रहा है ,वो मेरी तुम तो बहुत हॉट लग रही हो आज ,'दीदी मेरी की ओर मुखातिब हुई और वो सभी बाते करने लगे ....
मैं और डॉ कुछ लोगो से मिलाने के बाद थोड़ी दूर खड़े थे ,
'डॉ अविनाश की भी क्या पहुच है ना ,देखो ना है तो वो एक यूनिवर्सिटी का प्रेसिडेंट पर इतने बड़े लोगो से उसके पहचान है ,और सब उसके बर्थडे पार्टी में भी आ गए ,'
डॉ अभी एक सिगरेट पि रहे थे और उनके हाथ में एक विस्की का पेग था,
'पहुच छोडो ठाठ देखो ,इतनी बड़ी पार्टी ,कबाब और शराब ,वो भी इतने लोगो के लिए ,इतने में तो सिंपल लोग शादी में खर्च करते है ,और वो भी एक इमानदार मने जाने वाले नेता जो की बस एक यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट है ,सामान्य घर का लवंडा,वो भी गाव का ,'डॉ ने मुझे देख एक रहस्यमयी मुस्कान दि ,उनके तर्क से मैं भी थोडा चकित हुआ और सोच में पड़ गया
'हा वो तो है पर नेता लोगो को पैसे की क्या कमी और ये भी तो कुछ उपरी कमाई करता होगा ना ,'
'हा पर इतनी क्या उपरी कमाई करता होगा की सिर्फ बर्थडे की पार्टी में 3-4-लाख खर्च कर दे 'रकम सुन मैं थोडा चौका
'तुम अभी बच्चे हो जब तुम कुछ कार्यक्रम कराओगे तब तुम्हे समझ आएगा की इतना करने में कितना खर्च आता है ,'
'तो आपको क्या लगता है की ये भी कुछ खपला करता होगा ,'
'करते तो सब है ,पर पॉइंट है की क्या घपला करता है ,'डॉ ने मुझे देखा और एक स्माइल दि,
'वो देख रहे हो वो इंस्पेक्टर माथुर है ,'मैंने देखा एक अधेड़ टाइप का आदमी जो सर से गंजा था और खूब दारू पि रहा था ,डॉ उसे हाय करते है और इशारे से अपने पास बुलाता है ,वो भी एक स्माइल लिए डॉ को देखता है और हलके हलके लड़खड़ाते हुए डॉ के पास पहुचता है ,
'हल्लो डॉ साहब ,'
'क्या माथुर ससपेंड होने के दुःख ने पि रहे हो ,'
'क्या करू डॉ ये मदेरचोद सालो को मरने के लिए मेरा ही जेल मिला था ,खुद तो मर गए और मुझे फासा दिया ,अब चलेगी इंक्वायरी तब तक बैठो घर में ,मादरचोद 'मैंने उसे बड़े धयान से देखा ,
'अरे कोई बात नहीं ,लेकिन एक बात समझ नहीं आई उसने ये क्यों किया .'
'अरे मुझे क्या पता डॉ क्यों किया ,'
'ह्म्म्म ये भी सही है ,कोई मिलाने आया था उससे ,'
'हा उसके दोस्त आये थे ,दो लवंडे थे और तो कोई नहीं साले के घर वाले भी नहीं आये थे ,अच्छा डॉ चलता हु आज तो धूत होकर नाचूँगा ,अविनाश भाई का बर्थडे है वही मुझे बचा सकते है ,'उसने डॉ को आँख मारी और चला गया ,हम दोनों को समझ आ गया था की नानू और विक्की ही है जो उससे मिले थे ,
'हूमम्म कुछ समझे ,'डॉ ने मुझे देखा
'क्या'
'की ये शख्स झूट बोल रहा था ,'मैंने उन्हें फिर से प्रश्न भरी निगाहों से देखा
'कैसा झूट '
'की उससे मिलाने सर दो लड़के आये थे और कोई नहीं ,मैं साइकोलॉजीस्ट हु इतना तो समझ गया ,यानि डाल में कुछ काला तो है ,तुम पूछते थे ना की क्या करू तुम्हारा टाइम अब शुरू होता है ,'मैं अब भी प्रश्न वाचक निगाहों से उन्हें देखा
'इसपर नजर रखो और मौका मिलते ही इसे उठा लो और मैं तुम्हे एक पता देता हु वह लेजाकर इसकी खूब धुलाई करो और इससे वो राज उगलवाओ की वो कोन था जो परमिंदर से मिलने आया था ,और ये भी की क्या उसके कहने पर ही उसे मार दिया गया '
मैं डॉ की बात सुनकर पूरी तरह डर गया,
'डॉ ये आप क्या कह रहे है ,मैं ये सब कैसे ,मतलब मैंने तो कभी किसी को मारा तक नहीं है और किडनेप ...डॉ ये और दीदी लोग को क्या कहूँगा की कहा था,'
'मारा नहीं है तो मारो ये बॉडी क्या घास छिलने के लिए बनाये हो और नेहा की फिकर मत करो मैं सब सम्हाल लूँगा तुम्हे बस ये सोचना है की तुम्हे ये करना है की नहीं ,तुम उस दिन जब मेरे क्लिनिक में आये थे तो मुझे लगा था तुममे एक गरम खून है और तुम अपनी दीदी के लिया कुछ भी कर सकते हो ,मुझे नहीं पता था की तुम डरपोक हो .'डॉ के इतने कहने पर में ही मेरे आँखों में खून आ गया और डॉ के चहरे पर एक मुस्कान डॉ ने मुझे वो एड्रेस दिया और बेस्ट ऑफ़ लक कहकर दीदी लोगो के पास चले गए ,मुझे आयशा से फिर बात ना कर पाने का मलाल तो था पर मेरे लिए ये करना जादा जरुरी था ,मैं माथुर के पीछे हो लिया और एक गलास उठा कर थोड़ी दूर में खडा था ,माथुर पहले कुछ अनजान लोगो के पास जाता है ,बहुत ही मस्ती से अपनी ड्रिंक करता है,मैं थोडा दूर होने की वजह से दीदी लोगो को नहीं दिख पा रहा था ,मैं बहुत धयान से उन्हें देखा ,दीदी और प्रीति बेचैन थे और इधर उधर देख रहे थे वही मेरी और आयशा राहुल से बिजी थे ,,,पर डॉ के वह पहुचने पर दोनों शांत हो गए और मेरी होठो पर एक मुस्कान आ गयी ,
इधर माथुर मेरी नजरो से ओजल हो गया मैंने उसे ओझल होते देखा और उसकी तरफ दौड़ पड़ा,मैं उस बिल्डिंग के पास पंहुचा लिफ्ट 5 फ्लोर दिखा रहा था,जब कुछ ना सुझा मैं पूरी ताकत लगा के सीडिया चड़ने का फैसला किया और जजब मैं हफता 5th फ्लोर में पंहुचा मुझे समझ नहीं आया की आखिर वो किस रूम में गया है ,मैंने उस होटल के लगभग सभी रूमों को चेक किया पहले तीन रूम लॉक था चौथे में एक बुजुर्ग दंपत्ति ठहरे थे जो बड़े परेसान दिख रहे थे कारन था ये पार्टी और पाचवा रूम,मैंने जब उस रूम का पूछा तो बोले की दिन रात आवाजे आती है होटल वाले बोलते है हनीमून वाला रूम है ,मैंने जब खटखटाया तो एक भरी भरकम आदमी पुरे नशे में बहार निकला मैंने अन्दर झाका तो एक कमसिन कन्या को चादर लपेटे लेटे पाया ,
'क्या हुआ क्या है ,'
'माथुर है क्या ,'
'कौन माथुर 'उसकी आँखे लाल थी और वो बड़े ही गुस्से में लग रहा था ,
'कुछ नहीं आप जारी रहिये ,'उसने ऐसे मुह बनाया जैसे मुझे मार डालना चाहता हो पर कुछ नहीं कर पा रहा ,
मैंने सोच में था की आखीर वो गया कहा मैं ऐसे ही उदास सा सीढियों के पास पहुच तो मुझे वह ऊपर जाती सीढियों में पैरो के ताजे निशान दिखे मैं तुरंत ऊपर की और बड़ा ऊपर मुझे छत जाने का रास्ता दिखाई दिया ,मैं धीरे से ऊपर पंहुचा देखा बड़ा सा छत और पूरा सन्नाटा ,मैं फिर आगे बड़ा एक कहार ने मेरा ध्यान खीचा और मेरे मुह से जोरो की चीख निकली....
माथुर की लाश पूरी तरह से खून से लथपथ जैसे किसी ने बहुत बे रहमी से मारा हो ,मेरी चीख से निचे से कुछ वेटर भाग के आये मुझे शांत करा के ..
'सर आप निकल जाए अगर किसी को पता चला की आप छत में आये थे तो ना जाने कितने सवाल खड़े होंगे ,अभी आपकी चीख शोरगुल के कारण किसी ने नहीं सुनी होगी ,आप निकल जाए और जब तक ये बात खुले नहीं किसी को नहीं बताये ,'
'पर मैंने ,,,,,मैंने तो कुछ भी ...,,नहीं किया '
'हम जानते है आप तो हमारे सामने अभी ऊपर आये पर पोलिश को समझाना तो मुस्किल है ना,'मेरी आँखों में अँधेरा था ,मैंने पहली बार कोई लाश को ऐसे देखा था ,,मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और वह से भागता निचे चला आया ....और डॉ को काल लगाया सारी बात बताई डॉ तुरत मेरे पास पहुचे ,
'तू वह से भगा क्यों ,'
'तो क्या करता मैं डर गया था,'डॉ मुझे गुस्से से देख रहे थे,
'चल मेरे साथ 'हम फिर वह गए पर अब वह लाश नहीं थी देखकर मेरा तो दिमाग ही चकरा गया ,
'ये देखा ऐसे ही डरेगा तो कर लिया मुकाबला,'मेरे माथे पर पसीने की धार तैर गयी
'नाम तो मेरा चुतिया है पर असली चुतिया तो तू है,जब जब तू चिल्लाया तो डीजे के इतने शोर में निचे के फ्लोर से इतने वेटर कहा से आ सकते है ,पहले तो कोई नहीं था ना,'मेरा दिमाग फिर से चकरा गया,
'मैं ,मैं उन्हें पहचान लूँगा एक दो को तो हा हा पहचान लूँगा 'डॉ ने मुझे घुर के देखा
'हा जैसे वो तेरे लिए बैठे होंगे की तू आएगा और उन्हें पहचान लेगा ,चल अब एक मौका तो गया दूसरा ढूँढना पड़ेगा ,और याद रखना तेरे साथ जो शख्स खड़ा है वो सिर्फ एक डॉ नहीं है,कुछ भी हो जाय डरना नहीं और भागना नहीं समझे ,'मैंने अपना सर हिलाया
मैं अपने रूम में बहुत ही टेन्स होकर लेटा था ,और पार्टी में हुए हादसे के बारे में सोच रहा था,की मेरे मोबाईल पर एक मैसेज आया
'हाय 'मैंने unkonwn नंबर देख थोडा ठिठका
'हाय आप कौन '
'हह्म्म्म मुझे तो लगा की जिसे देखकर आप बेहोश हो गए उसका नंबर तो अभी तक निकल ही लिया होगा ,पर आप तो लगता है बहुत सुस्त आदमी है,मिलकर भी बात नहीं किये कोसिस भी नहीं की ,ओके अगर आपको कोई इंटरेस्ट नहीं है तो सॉरी ,'आयशा ओ माय #$@$% आयशा ने मुझे मेसेज किया मेरी तो पूरी चिंता फिकर तन्हाई ,जुदाई ,हवाई सब ही उड़ गयी ,
'नहीं वो मैं ,आपको नंबर किसने दिया 'मैं गलत जा रहा था या सही ?????
'राहुल ने कहा था की आपसे बात कर लू ,आप बात करना चाहते है ,कहिये क्या कहना था आपको ,उस दिन के लिए सॉरी बोलना चाहते हो तो कोई बात नहीं इट्स ओके 'अब इससे क्या बात करू ,साला किसी तो try कर ही लेना था काश ......
लेकिन बात याद आई दिल से करो ,मैंने दो तीन गहरी सांसे ली और
'कुछ नहीं आपको देखा तो मैं खो ही गया आप बहुत सुन्दर हो ,'
'अच्छा हर लड़की सुन्दर होती है ,कोई नयी बात ,'
'आप मेरे लिए बहुत मायने रखती हो जीतनी कोई और नहीं रखती ,'थोडा देर का सन्नाटा
'क्यों मैं आपकी कोण हु ..'मेरी सांसे रुक गयी मैं सोचने लगा वो मेरी कौन है और एक मेसेज मेरे हाथो से लिखता चला गया ..
''कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….
मेरे लिये तुम कौन हो……
कैसे बताऊँ !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम धड्कनॊं का गीत हो,
जीवन का संगीत हो!
तुम जिन्दगी, तुम बन्दगी !
तुम रोशनी, तुम ताजगी!
तुम हर खुशी, तुम प्यार हो !
तुम प्रीत हो, मनमीत हो !
आँखों में तुम, यादों में तुम !
साँसों में तुम, आहों में तुम !
नींदों में तुम, ख्वाबों में तुम !
तुम हो मेरी हर बात में…
तुम हो मेरे दिन रात में !
तुम सुबह में तुम शाम में !
तुम सोच में तुम काम में !
मेरे लिये पाना भी तुम !
मेरे लिये खोना भी तुम !
मेरे लिये हँसना भी तुम !
मेरे लिये रोना भी तुम !……… और जागना सोना भी तुम !!!
जाऊँ कहीं देखूँ कहीं…
तुम हो वहाँ…तुम हो वहीं !
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें…….. तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
ये जो तुम्हारा रूप है…ये जिन्दगी की धूप है !
चन्दन से तरसा है ये बदन …बहती है ईसमें एक अगन !
ये शोखियाँ ये मस्तियाँ …. तुमको हवाओं से मिली !
जुल्फ़ें घटाओं से मिली !
होठों में कलियाँ खिल गयीं….. आखों को झीलें मिल गयीं !
चेहरे में सिमटी चाँदनी….. आवाज में है रागिनी !
शीशे के जैसा अंग है…फ़ूलों के जैसा रंग है !
नदियों के जैसी चाल है… क्या हुस्न है ..क्या हाल है !!!
ये जिस्म की रंगीनियाँ…… जैसे हजारों तितलियाँ !
बाहों की ये गोलाईयाँ…. आँचल में ये परछाईयाँ !!!
ये नगरियाँ हैं ख्वाब की…..कैसे बताऊँ मैं तुम्हें..हालत दिल – ऎ – बेताब की !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
कैसे बताऊँ….कैसे बताऊँ….
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम धरम हो !!!
मेरे लिये ईमान हो !
तुम ही ईबादत हो मेरी…… तुम ही तो चाहत हो मेरी !
तुम ही अरमान हो मेरा !
तकता हूँ मैं हर पल जिसे.. वही तो तस्वीर हो तुम.
तुम ही मेरी तकदीर हो.
तुम ही सितारा हो मेरा…. तुम ही नजारा हो मेरा.
यूँ ध्यान में मेरे हो तुम..जैसे मुझे घेरे हो तुम.
पूरब में तुम, पश्चिम में तुम!!!….उत्तर में तुम, दक्षिण में तुम !!!
सारे मेरे जीवन में तुम.
हर पल में तुम…हर छिन में तुम !!!
मेरे लिये रस्ता भी तुम…. मेरे लिये मन्जिल भी तुम.
मेरे लिये सागर भी तुम..मेरे लिये साहिल भी तुम.
मैं देखता बस तुमको हूँ….मैं सोचता बस तुमको हूँ.
मैं जानता बस तुमको हूँ… मैं मानता बस तुमको हूँ.
तुम ही मेरी पहचान हो…!!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें…. देवी हो तुम मेरे लिये.
मेरे लिये भगवान हो !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
कैसे……….. ????'' (नोट ==> ये ओरिजनल जावेद अख्तर साहब की लिखी रचना है )
मैंने मेसेज सेंड किया ,और फिर थोड़ी देर तक एक खामोशी मुझे अपने दिल की बात कहने का सुख मिल गया था ,पर ना जाने आयश की हालत क्या थी ,लेकिन थोड़ी देर में ही ,
'हम्म्म ओके सब लड़के ऐसे ही होते है ,मैं सो रही हु बाय गुड नाईट 'मेरे चहरे पर उसके atitude को देख एक मुस्कान आ गयी ,
'ओके बाय गुड नाईट ,और बाकियों का नहीं परा मैं तो तुम्हारे लिए यही सोचता हु ,'मेरा दिल हल्का हो गया था ,और मुझे सच में कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की वो क्या सोच रही होगी , 
 
राहुल अपने लेपटोप में बैठा नेहा के फोल्डर को खोला देख रहा था ,सभी विडिओ लगभग एक से थे और किसी में भी परमिंदर नेहा के साथ सेक्स नहीं कर पाता ,पर हां ये सभी विडिओ नेहा के प्रति राहुल के विचारो को बदलने के लिए काफी थे ,नेहा के बूब्स और उसकी योनी तक का दर्शन राहुल को हो गया था ,कभी एक दो उंगली भी अन्दर कर डी गयी थी ,पर सेक्स के लिए नेहा कभी राजी नहीं हुई ,राहुल को अब ये देख गुस्सा तो आता पर ना जाने कौन सी ताकत उसे अपना हाथ अपने लिंग पर ले जाकर उसे मरोड़ने पर मजबूर कर देती थी,पर अभी भी एक आखरी विडिओ बाकि था ...राहुल ने फिर धडकते दिल से उस विडिओ को ओपन किया ....विडिओ लगभग रात 8 बजे की थी और तारीख आयशा के केस से कुछ महीने पहले का ,विडिओ की लम्बाई देख राहुल भी दंग था विडिओ 8 घंटे की थी यानि शाम 8 बजे से सुबह के 4 बजे तक
कुछ देर तक एक खाली रूम दिखता है ,रहूल ने रूम पहचान लिया ये विक्की नानू का रूम था ,फिर परमिंदर और नेहा अंदर आते है ,नेहा को देखकर राहुल की सांसे रुक जाती है ,नेहा ने आज एक लाल रंग की साड़ी पहने हुई थी ,मांग में सिन्दूर था और गले में मंगलसूत्र,कमर पर एक पतला करधन झूल रहा था और हाथ लाल रंग की चूडियो से भरे हुए थे ,वही पर परमिंदर भी शेरवानी पहने था ,राहुल के मुह खुला का खुला रह गया ,
'मदेरचोद ये क्या बकरचोदी है ,ये दोनों शादी भी कर लिए ,शायद ये दीदी को शादी का झासा देकर चोदेगा ,'चोदेगा शब्द जेहन में आते ही राहुल का नाग फुंकारने लगा
दोनों बहुत खुस थे और आते ही दोनों एक दुसरे के गले से लिपट गए ,परमिंदर दीदी के कमर पर अपना हाथ फेर रहा था और दीदी भी एक प्यारी स्माइल के साथ उसके गले में अपनी बान्हे डाली थी तभी रूम के डोर पर एक दस्तक होती है ,नानू और विक्की वहा आते है और नेहा बिस्तर पर बैठ जाती है ,सब कुछ बिलकुल नार्मल लग रहा था ,नानू के हाथो में एक सेम्पियान
की बोतल थी ,
'आज मेरे दो दोस्त एक हो गए इस ख़ुशी में जाम हो जाए ,'नानू ने बोतल दिखाते हुए कहा
'यार आज लेट हो गया है ,प्लीज कल करते है ना ,पता नहीं घर में क्या बहाना बनाना पड़ेगा ,'
'अरे लेट हो गया ,आज हमारी शादी हुई है और तुम घर कैसे जा सकती हो ,आज कुछ बहाना बना कर रात यही रुको और हमारी सुहागरात का क्या होगा ,'परमिंदर ने नेहा को अपने बाजुओ से पकड़ते हुए कहा ,नेहा के चहरे पर एक स्माइल आ गयी
'बच्चू सुहागरात तो असली शादी के बाद ही होगी ये मंदिर वाली शादी के बाद नहीं ,जब हम दोनों अपने परिवार के आशीर्वाद से शादी करेंगे ,'नेहा ने अपना सर परमिंदर के कंधे पर रख दिया ,पर ये सुनकर नानू का चहरा उतर गया ,लेकिन विक्की ने आगे होते हुए कहा ,,
'तुम्हारे घर वाले मान जायेंगे ,तुम हिन्दू हो और ये सिख्ख '
'यार कोई मानता थोड़ी है मनाना पड़ता है ,और नहीं माने तो आज के फोटोग्राफ कब काम आयेंगे 'नेहा ने फिर एक प्यारी सी मुस्कान दि,
'ओके ठीक है पर ये तो तुम्हे पीना ही पड़ेगा ,हमारे दोस्तों की शादी हुई है यार ऐसे कैसे छोड़ देंगे ,'विक्की ने फिर जोर दिया
'जान प्लीज् ऐसा मौका फिर थोड़ी आएगा ,'परमिंदर भी नेहा के गालो पर एक पप्पी लेता हुआ बोला ,
'ओके बाबु,मैं फ्रेश होक आ जाऊ ,'
'हा but ये दुल्हन का लिबास मत उतरना बहुत मस्त लग रही हो इसमें 'परमिंदर ने आँख मार दि और नेहा बाथरूम चले गयी ,
'मदेरचोद बहुत हुआ आज तो साली का काम कर ही देते है ,साला कितना तद्फाएगी बे 'नानू बड़े नाराज ढंग से कहा ,
'हां परमिंदर आज इसका काम कर देते है ,कम से कम इंजेक्शन लगा के एक बार इसे स्वाद तो चखाना ही पड़ेगा वरना सारी मेहनत में पानी फिर जाएगा,'
'हम्म ओके दारू में नशे की गोली डाल दे ,आज प्यार से या मार से काम तो इसका करके रहेंगे' नानू के चहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गयी थी ,विक्की ने जल्दी से ड्रिंक बनाया और एक में गोली डाल सब अपना अपना ड्रिंक पकड़ लिए पर नानू ने एक और गोली डाल दि ,
'मदेरचोद ये क्या कर रहा है पूरी बेहोश हो गयी तो मजा क्या आएगा ,'
'अबे साली ब्लैक बेल्ट है अगर हमपे टूट पड़ी ना तो माँ चोद देगी ,'परमिन्दर के होठो में मुस्कान आ गयी ,इधर नेहा अपने रूम से निकल कर आती है और परमिंदर के बाजु में बैठकर अपना ड्रिंक उठाती है ,सभी चेयर्स कर एक ही साँस में ड्रिंक पि जाते है ,पहला ही ड्रिंक नेहा के लिए आफत बन जाता है ,इतने मात्रा में नशे की गोली जाने के कारण उसका सर घूमने लगता है और वो परमिंदर के सहारे अपने को छोड़ देती है ,
'ये मुझे क्या हो रहा है ,बहुत नींद आ रही है ,'
'कुछ नहीं हुआ जान बस थकावट होगी और दारू का नशा ,'नेहा परमिंदर को फिर उन दोनों को देखती है और उसके आँखों से आंसू आ जाते है ,
'तुम लोग ...मेरे साथ दारू का नशा ऐसा नहीं होता ,'तीनो हसने लगते है नेहा उनकी हसी को जैसे पहचान जाती है और अपने शारीर को पूरी ताकत से ऊपर उठती है उसकी सांसे भारी हो रहे थे आँख बंद होने को थे ,पैर लडखडा रहे थे पर वो उठ कड़ी हुई और परमिंदर को देख कर ,
'मैं तुमसे प्यार करती थी ,इतना जितना शायद किसी से नहीं किया और तुम ,'उसकी आवाज भी अब भरी हो चली थी उसकी हालत देखकर सभी की मुस्कान अब शैतानी हसी में बदल गयी थी ,पर नेहा तो नेहा थी उसने पास रखा बोतल उठा लिया और सीधे परमिंदर के सर में दे मारा ,
'मदर चोद ,तुझे तो आज रंडी बनायेंगे साली आज तुझपर कोई रहम नहीं करेगा ,'पर्मिन्दीर उठकर अपने सर को देखता है जिससे खून बह रहा था और वो गुस्से से लाल हो जाता है ,वो नेहा के हाथ को पकड़ बोतल को फेक देता है जो आधी टूट चुकी थी ,और फिर तीनो मिलकर उसे बिस्तर में फेक देते है ,
'नानू जल्दी से दवाई बना दे ,आज इसका मजा ऐसे लेंगे की इसे भी मजा आये ,एक बार इसे खून चखा देते है फिर खुद दौड़ी हमारे पास आएगी ,नेहा के हाथो को विक्की और पैरो को परमिन्द्र,नेहा उनकी बात सुन तो पा रही थी पर कुछ कर नहीं पा रही थी ,उसकी आँखों से अब भी आंसू आ रहे थे शारीर इतना निढाल हो चूका था की वो जिन्दा लाश सी लग रही थी ,दोनों ने उसे छोड़ दिया क्योकि अब वो कुछ करने की हालत में नहीं थी ,तभी नानू इंजेक्शन ले आता है और लगाने ही वाला होता है की ,
'अबे रूक साले चुतिया है क्या ,पता नहीं इंजेक्शन लगते ही उसका नशा कम हो जायेगा ,और ताकत भी आ जाएगी साली हम लोगो को मार डालेगी ,पहले इसके हाथ को बिस्तर से अच्छे से बांध जब तक इसे मजा ना आना शुरू हो जाय और पैर छोड़ देना थोडा छटपटाएगी तो मजा आएगा ,'नानू ने तुरंत इंजेक्शन पास रखा और नेहा के हाथो को बांध दिया और नेहा को इंजेक्शन लगा दिया गया नेहा कुछ देर तक तो ऐसे ही पड़ी रही पर थोड़ी देर में ही उसने अपनी आँखे खोली,उसकी आँखे अब भी लाल थी और आंसुओ से भरी थी ,
'क्या हुआ मेरी चिड़िया अब नहीं छटपटा रही तू अब तो ताकत आ गयी है ना ,'नेहा परमिंदर को देखने लगी ,
'ऐसा क्यों किया तुमने मैं तुमसे प्यार करती थी ,'सभी हसने लगे और अपने कपडे उतरने लगे नेहा जिन्दा लाश सी सोयी हुई थी ,सभी नंगे होकर उसके पास आय ,नेहा ने सभी को क़तर दृष्टी से देखा लेकिन अपने को बचने के लिए पहली बार अपने हाथ पैरो को हिलाना चलू की पर कोई भी फर्क नहीं पड़ा ,
परमिंदर उसके पास आ कर उसके साड़ी को ऊपर करना शुरू किया विक्की और नानू उसके दोनों और उसे खा जाने वाली नजर से देख रहे थे ,
'प्लीज परमिंदर प्लीज ऐसा मत करो मैं,प्लीज 'नेहा अपने पैरो को छुड़ाने की कोसिस करने लगी और जोर जोर से रोने लगी ,वही ये देख सभी जोर से हसने लगे और नानू ने अपना हाथ से उसका पल्लू हटाया और उसकी गोलियों को देख कर एक आह भरी ...
'मदरचोद कब से इसे देखना चाहता था आज तो पूरा खाने को मिलेगा ,'और अपने हाथो से उसके ब्लाउज के ऊपर से ही उसे मसलने लगा ,नेहा बस रो रही थी और अपने को छुड़ाने की पूरी कोसिस कर रही थी ,
'नहीं नहीं प्लीज् ,'परमिन्द्र ने उसकी साड़ी जन्घो से ऊपर कर दि और उसके जन्घो को चूसने लगा ,नेहा की छटपटाहट उसके मजबूत और भारी शारीर के आगे दब कर रह गया ,वो उसके जन्घो के बीच पहुचा तब तक नानू और विक्की उसके ब्लाउस के बटन खोल चुके थे और ब्रा निकल उसकी बड़ी बड़ी दूधिया स्तनों पर अपने होठो को लगाकर चूसने लगे थे ,नेहा बस मत करो कह कह रोये जा रही थी ,इधर परमिंदर ने जब अपने दांत उसके जन्घो में गढ़ा दिए नेहा एक जोर की चीख मरी पर विक्की ने उसका मुह दबा दिया ,परमिंदर उसी योनी को सूंघने लगा और जैसे ही उसने अपनी जीभ वहा लगायी वो खुश हो गया ,
'भाइयो दवाई असर कर गयी साली की चूत पानी छोड़ रही है वो भी किसी ऐसे रंडी जैसे जिसे लवड़ा लेने का भूख चड़ा हो ...'सभी हसने लगे वही नेहा नहीं नहीं कहते हुए अपने को ढीला छोड़ दि सभी समझ चुके थे की वो अब हार मान चुकी है ,और परमिंदर ने उसकी पेंटी निकल कर नानू की और फेक दि ,नानू उसे अपने नाक से लगा कर सूंघने लगा ,
'वाह साली में बात तो कुछ खास है,ले साली अभी अपने चुद का पानी सूंघी है ,'नेहा अपने सर को घुमाने लगी पर नहीं जबर्दारती उसके नाक ने पेंटी को रगड़ दिया ,
'भाई अब इसे नंगी कर ही देते है ,'नानू उतावला हो रहा था ,
'साले पहले साली की चूत तो चाटने दे फिर देखना साली कूद कूद कर चुद्ववायेगी ,'नेहा असहाय सी बस उसे देख रही थी उसकी सिसकिया अब भी जारी थी पर शारीर इतना उत्तेजित महसूस कर रहा था की वो खुद चाहने लगी थी की कोई उसकी योनी को सह्लाय ..
परमिंदर ने जैसे ही अपनी जीभ नेहा की योनी पर लगाया नेहा की पहली ख़ुशी की आह निकल गयी जिसे देख सभी खुस हो गए ..
नेहा के आँखों से अब भी आंसू बह रहे थे और दिल दुःख रहा था पर वो अपने जिस्म के हाथो मजबूर महसूस कर रही थी ,परमिंदर जोर जोर से नेहा की योनी को चूस रहा था और नेहा की सिस्कारिया लम्बी हो रही थी ,
'आअह्ह्ह्ह अआह्ह्ह नहीं नहीं आआअह्ह चुऊऊउसोओओओओओओ मत प्लीज्आआआअ 'इधर नानू और विक्की भी अपनी सभी मनोकामना पूरी कर रहे थे नेहा का कोई ऐसा अंग नहीं बचा जहा ये दोनों ने अपने होठो से चूसा ना हो नानू नेहा के प्यारे चहरे को अपने थूक से गिला चूका था वो अपने होठो को उसके होठो के पास लता पर नेहा अपना चहरा हटा लेती है ,इतने में परमिंदर अपने लिंग को नेहा की योनी में रगड़ता है ,नेहा आँखे खोलकर उसे देखती है पर कोई विरोध नहीं करती ,तभी नानू ने कहा
'भाई पहले दवाई खा लेते है,रात भर मजे करेंगे हम भी ,100mg की ला दू '
'साले लवड़ा सूज जायेगा और तीन लोग है ये ले पाएगी ,'विक्की ने चिंता जाहिर की
'अरे आज तो ये सब ले लेगी 'परमिंदर ने स्माइल किया और तीनो ने दवाई खा ली
परमिंदर फिर रगड़ने लगा और नेहा मचलने लगी ...
'बोल प्लीज डालो ,अबे वो केमरा इधर ला इसके मुह के पास ,नेहा के आंसू अब सुख चुके थे उसे अब किसी से कुछ भी मतलब नहीं था ,केमरा नेहा के चहरे पर फोकस होता है ,
'प्लीज डाआआअ लोओओओ 'नेहा ने ये कहकर आंखे बंद कर ली और परमिंदर ने धीरे से अपना लिंग अंडर कर दिया ..
'आअह्ह्ह्ह माँ ह ह ह अआह्ह्ह 'नेहा सिस्कारिया लेने लगी पर उसे दर्द नहीं मजा आ रहा था वो अपनी आंखे बंद किये हुए थी और परमिंदर धीरे धीरे अंदर बहार कर रहा था ,कैमरे का फोकस अब उनकी योनी और लिंग ले मिलन को दिखा रहा था फिर वो अपनी जगह में चला गया परमिन्द्र की स्पीड बदने लगी की नेहा की आवाज में जान आने लगा ,
'आह्ह्ह आह्ह्ह अह्ह्ह्हा अह्ह्ह हां हां हां माँ माँ आहाह्ह्ह आह्ह्ह आह्ह 'नेहा की आहे ,परमिंदर का धक्का और योनी में लिंग के मिलन से उठी कामरस के चिप चिप की आवाज एक ले में थी ,बाकि दोनों जाने अपनी मनमानी कर रहे थे कुछ देर बाद विक्की जाकर सिगरेट जला लाया और खड़ा होकर कस मरने लगा ,तभी नेहा का मोबाईल बज उठा ,विकी ने देखा की आकाश का फ़ोन है ,उसने परमिंदर को रोका और नेहा को कहा
'सुन बोलना दोस्त के यहाँ हु ,कल आउंगी ,'नेहा ने बड़ी मुस्किल से आँखे खोली ,परमिंदर धीरे धीरे धक्के दे ही रहा था जिसके वजह से नेहा की आँखे मजे से खुल ही नहीं रही थी ,विक्की ने उसे रोक दिया और गुस्से से देखकर उसे नहीं का इशारा किया ,
'हां भाई ,मैं एक फ्रेंड के घर में हु ,कल आउंगी प्लीज् मम्मी को बता देना और मना भी लेना ,'नेहा बड़ी भरी आवाज में कहा ,उसके आँखों से आंसुओ की धार भी बहने लगी तो परमिंदर ने फिर धीरे से एक धक्का लगाया ,नेहा का मुह खुल गया और वो उसे याचना के भाव से देखने लगी और नहीं करो करके सर हिलाया ,
'दीदी ये आपकी आवाज को क्या हो गया है ,ऐसे क्यों बात कर रही हो .'
'भाई सॉरी मैंने थोड़ी ड्रिंक की है और सो रही हु ,प्लीज् बाबु सॉरी' बोलते ही नेहा फफक कर रो पड़ी विक्की के चहरे की हवाइया उड़ गयी पर जब उसे समझ आया की आकाश सोचेगा की शराब पिने के कारन रो रही है तो उसे तसल्ली हुई ,पर परमिंदर का हरामी दिमाग ऊस रोने का फायदा उठाने के लिए धीरे धीरे फिर से अन्दर बहार करने लगा ,
'प्लीज ,'नेहा ने परमिंदर को देख कर कहा ,और जैसे ही उसने एक जोर से झटका दिया नेहा आह को दबाने के लिया जोर से सॉरी बोल पड़ी ,परमिंदर को इसमें मजा आया और वो थोड़ी तेजी से अन्दर बहार करने लगा ,नेहा का दिल अपने इस हाल पर रो पड़ा और वो जोर से रोने लगी ,
'प्लीज भाई भाई सॉरी भाई सॉरी भाई ,,प्लीज मुझे माफ़ कर दो भाई मैं अब ये सब नहीं करुँगी बस आज भाई बस आज भाई ,प्लीज 'नेहा परमिंदर के धक्को के धून में बोल रही थी और रो रही थी ,लेकिन इधर आकाश की हालत उसे देख ख़राब हो गयी ..;.
'दीदी दीदी कुछ नहीं हुआ मत रोवो प्लीज मैं हु ना ,मैं सब ठीक कर दूंगा प्लीज दीदी ,,'लेकिन नेहा यही बोले जा रही थी ,नेहा सॉरी कहे जा रही थी और इधर परमिंदर की स्पीड बढ रही थी आकाश की धड़कन भी तेज होने लगी वो दीदी दीदी बोले जा रहा था ,आकाश से अब सहन नहु हुआ
'दीदी आप कहा हो मैं आपके पास आ रहा हु ,दीदी बोलो किस दोस्त के पास हो दीदी '
ये सुन नानू और विक्की की हालत ख़राब हो गयी पर परमिन्द्र दे दानादन ठोके जा रहा था और नेहा भी सॉरी भाई कहकर जोरो जोरो से रो रही थी
'दीदी मैं आ रहा हु 'और वो पल आया जब की परमिन्दर ने एक जोरदार पिचकारी से नेहा की योनी को भिगो दिया ,और नेहा के मुह से निकल
'नहीं (नेहा जोर से चिल्लाई की आकाश भी डर गया )नहीं भाई (नेहा ने खुद को सम्हालते हुए कहा )'परमिंदर एक विजयी मुस्कान लेकर खड़ा हुआ और नेहा की योनी से परमिंदर का वीर्य बहार आने लगा ,
एक और पिचकारी और छुटी और जिसका रंग सीधे लेपटोप के स्क्रीन में पड़ा राहुल ने तुरंत विडिओ पौस करके उसे पोछा ना जाने कब उसका हाथ अपने लिंग पर पहुच चूका था ,वो रिलेक्स होकर फिर से विडिओ स्टार्ट किया ,
नेहा थोडा सम्हाल चुकी थी ,वो थोडा सम्हालते हुए बोली
'भाई तू मुझे माफ़ कर दिया ना '
'हां दीदी आप क्यों पागल हो रही हो ,मेरी दीदी कोई गलत काम नहीं कर सकती,आपको क्या हो गया है ऐसे क्यों बोल रही हो दीदी ,'आकाश भी अब रो रहा था उसका रोना सुनकर नेहा को अपनी गलती का अहसास हुआ ,
'माफ़ कर दे भाई मैं खुद को रोक नहीं पायी ,मत र्रो भाई अब मैं ऐसा नहीं करुँगी भाई ,तू और राहुल तो मेरी जान हो राहुल से भी माफ़ी मांगूंगी जब समय आएगा ,भाई माफ़ कर दे एक मीठी सी पप्पी दे मुझे मैं कल आती हु ,'आकाश सम्हला और एक किस नेहा को देता है नेहा भी एक किस उसे देती है और बाय बोल भीगी आँखों से फोन रखती है ,
अब तक दीदी का मेरे लिये और अपने लिए प्यार देखकर राहुल की आँखे भी नाम हो चुकी थी उसे अपने से बहुत ही घृणा होती है ,और वो विडिओ को फ़ास्ट मोड़ में दल देता है ,
फोन रखने के बाद नानू और विक्की नेहा पर टूट पड़ते है थोड़ी देर रोने के बाद नेहा को भी वासना का बुखार चढ़ता है ,और तीनो उसे हर तरह से रात भर कई बार चोदते है ,नेहा का पूरा शारीर वीर्य से भीगा दिया जाता है और कई जगहों में काटने का निशान होता है ,तीनो लड़के भी उत्तेजक दवाई के असर में जानवरों की तरह और बिना थके कई घंटे तक ये खेल खेलते है ,अंत तक सब की हालत मुर्दों जैसी हो जाती है और लगभग 4 बजे सुबह के नानू मुस्किल से उठकर विडिओ बंद करता है ,,,,राहुल ग्लानी से भरा होता है पर नेहा के जिस्म को याद कर उसे बेहद उत्तेजना होने लगती है वो एक अजीब कशमकश में फस चूका था,..., 
 
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