Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का - SexBaba
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Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का

hotaks444

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साला बहन्चोद कहीं का

अशोक सुबह सुबह जब सो कर उठता है तो उसका लंड एकदम टाइट होता है.....
वो अंगड़ाई लेते हुए अपने लंड को मसलता है ऑर उठ आर जाता है बाथरूम की ओर... वहाँ उसकी बेहन मनीषा झुकी हुई झाड़ू मार रही थी ऑर उसने नाइटी पहनी थी जो कि एक शर्ट ऑर पाजामा था ऑर वो झाड़ू मारती हुई पीछे आ रही थी उसको उसकी बेहन की मोटी गान्ड अपनी तरफ आते देख कर वो अपने लंड को मसल्ने लगा ऑर मन मे कह रहा था आओ दीदी आओ ऑर अपनी इस मदमस्त गान्ड को अपने भाई के लंड पे लगा दो.... फिर वो अपने एक हाथ मे ब्रश पकड़े खड़ा था ऑर दूसरे हाथ से अपने लंड को सहला रहा था... जब उसकी बेहन उसके करीब आती गयी उसने अपना लंबा मोटा लंड पाजामे के बाहर निकाल लिया ऑर उसकी बेहन की अपने पास आती हुई गान्ड की सीध मे जा कर खड़ा हो गया ऑर उतेजना से पूरा भर चुका था अशोक .

उसका मन यही कर रहा था कि आज अपना लंड घुसा दूं दीदी की गान्ड मे... वो पूरे जोश मे अपना लंड बाहर निकाले खड़ा था ऑर उसकी बेहन झाड़ू मारते हुवे उल्टी पीछे पीछे आ रही थी जेसे जेसे उसकी दीदी की गान्ड उसके लंड के पास आ रही थी वैसे वैसे उसका लंड ऑर कड़क हो रहा था बस कुछ ही पॅलो मे उसका लंड अपनी बेहन की गान्ड मे सटने वाला था... अशोक के मन मे मिक्स फीलिंग्स चल रही थी वो डर भी रहा था ऑर उसे मज़ा भी आ रहा था.. अब जेसे ही उसकी दीदी की गान्ड उसके लंड से एक इंच की दूरी पे थी उसने झट से अपना लंड हटा दिया ऑर उसे वापिस पाजामे मे डाल दिया....

अशोक- गुड मॉर्निंग दीदी.

मनीषा- गुड मॉर्निंग अशोक.. चल जल्दी से नहा ले ऑर जा काम पे मुझे भी घर का काम करना है..


अशोक आलसियो की तराहा. हाँ दीदी जाता हूँ इतनी मरी क्यूँ कर रही हो...?


मनीषा- अभी घर का बोहोत काम करना बाकी है ऑर मुझे मेरा टीवी शो मिस नही करना है
 
अशोक वही खड़े खड़े ब्रश करने लगा ऑर उसकी बेहन उसको चिल्ला रही थी कि फटा फट करो पर उसका ध्यान तो उसकी बेहन के निपल पे था जो शर्ट मे से सॉफ सॉफ झलक रहे थे...

उसकी बेहन ने ध्यान नही किया कि वो सचमुच उसके निपल देख रहा है या वो अभी नींद मे है...

वो अपने सर को झुकाए ब्रश कर रहा था ऑर उसकी बेहन के छोटे छोटे निपल को घूर रहा था.. ऑर मंन मे सोच रहा था कि अगर दीदी मेरी गर्लफ्रेंड होती तो मे अभीॉ इसके निपल को शर्ट के उपेर से मसलता ऑर निचोड़ता ऑर फिर अपने दातों के बीच मे दबा कर उसको रगड़ता म्‍म्म्ममममममम... मज़ा आ जाता.

इतने मे उसे होश आता है जब उसकी बेहन उसको चिल्ला कर कहती है.

मनीषा- सुनाई नही दे रहा क्या.? चल जल्दी कर मुझे बोहोत काम करने बाकी है...

अशोक- मन मे ( पाजामा उतारेगी तभी तो मे जल्दी से अपना लंड तुम्हारी चूत मे डाल पाउन्गा )

ऑर फिर वो ब्रश कर के नहाने चला जाता है ऑर मनीषा उसके लिए ब्रेकफास्ट बनाती है...

नहा वहा के कपड़े पहन कर रेडी हो जाता है ऑर ब्रेकफास्ट के लिए मनीषा को आवाज़ देता है मनीषा नाश्ता लेके आती है ऑर उसको देती है. ऑर अशोक जाने से पहले एकबार अच्छे से उसकी बेहन के निपल को देख कर नाश्ता लेता है ऑर जब वो मूड के जाने लगती है तो उसकी मटकती गान्ड पे भी नज़र मार लेता है... मन मे कहता है काश ऐसे ही रोज सुबह दीदी के बूब्स के दर्शन होते रहे ओर ऐसे ही मटकती गांद के रोज दर्शन हो...

फिर ऑफीस जाते जाते उसके मन मे ख़याल आता है कि आज दीदी ने ब्रा क्यूँ नही पहनी थी..?

क्या आज गर्मी ज़्यादा थी या फिर उसके सभी ब्रा धुले हुए नही थे..?

या फिर उसने जानबूज के नही पहनी थी ब्रा...?

मेने ध्यान नही दिया कि दीदी ने पैंटी भी पहनी थी या नही...?

फिर अशोक उस सीन को दुबारा अपने मन मे दोहराता है ऑर याद करने की कोशिश करता है कि उसके पाजामे के साइड मे पैंटी की आउटलाइन थी या नही...

बहुत याद करने की कोशिश करता है पर उससे याद नही आता क्यू कि उस वक्त उसका ध्यान सिर्फ़ उसकी दीदी की गान्ड के बीच मे जो गॅप था वहाँ था वो उस वक्त अपने लंड को उसकी गान्ड के गॅप के सीध मे रखा था... अगर उसकी बेहन नंगी होती थी तो अशोक का लंड सीधा अपनी बेहन की गान्ड के होल मे घुस जाता... ये सब बाते याद कर के उसका लंड फिर खड़ा होने लगता है..

वो इन सब बातो से ध्यान हटा ता है ऑर रोड पे आती जाती औरतो की मटकती गान्ड ऑर उनके उछलते बूब्स को देखने की कोशिश करता है कही कुछ दिख जाए..

फिर शाम को 6 बजे वो ऑफीस से निकलता है ऑर घर पर आते आते 7 बज जाते है ऑर वो अपनी बॅग रख के फ्रेश हो जाता है ऑर कपड़े चेंज कर के पाजामा ऑर टी-शर्ट पहन लेता है ऑर अंदर अंडरवेर नही पहनता ये सोच के कि उसकी बेहन को लंड के उभर के दर्शन कराउन्गा ऑर वो अपने लंड को पाजामे के उपेर से मसल कर सेमी एरेक्ट कर देता है ऑर उसका लंड पाजामे के बाहर से उभर कर दिखाई देता है.. फिर वो हॉल मे जाता है उसकी बेहन नीचे बैठे बैठे सब्जी काट रही थी ऑर उसका ध्यान टीवी मे था... अशोक सोचता है चलो दीदी को पाजामे के उपेर से अपना लंड दिखाया जाए... ऑर वो हॉल मे पहुँचते ही मनीषा के पास खड़ा होकर उससे मम्मी के बारे मे पूछता है...

अशोक- मम्मी कब आएगी..?

मनीषा- मम्मी ने बोला था वो रात को 10-11 बजे तक आ जाएगी..

(मम्मी यानी कि मंजू उसके पति को एक्सपाइर हुए काफ़ी समय हो गया था ऑर उसके सिर्फ़ 2 ही बच्चे थे अशोक ऑर मनीषा.. इस वक्त वो अपने भाई के घर गयी थी क्यू कि उसकी मम्मी की तबीयत ठीक नही थी तो वो अपनी माँ से मिलने गयी थी)

अशोक निराश हो रहा था क्यू कि उसकी बेहन मनीषा का ध्यान टीवी पे ही था वो उसकी तरफ बस एक झलक देखती ऑर फिर अपनी आखे टीवी पे टिका देती... फिर उसने दिमाग़ चलाया कि बाते करते करते मैं उसके सामने खड़ा हो जाता हूँ.. ऑर फिर वो उसके सामने खड़ा हो जाता है ऑर बाते करने लगता है..

रात क 7:45 बज चुके थे ऑर वो सब्जी भी काट चुकी थी ऑर आटा गुंथने के लिए पतीले को अपनी तरफ खिचा ऑर अशोक से बाते करने लगी.. ऑर अशोक अपनी कमर को आगे की ओर कर के अपने लंड का उभार स्पष्ट दिखाने के लिए ऐसा खड़ा हो गया... पर मनीषा तो उसके लंड को नही उसके चेहरे को देख रही थी...

अशोक का जोश ठंडा होने लगा.. ऑर वो मन मे कह रहा था अरे दीदी मैं तुम्हारे लिए इतना मस्त मोटा लंड दिखा रहा हूँ ऑर तुम हो कि मेरा चेहरा देख रही हो...

फिर मनीषा ने अपना आटा गुंथने वाला पतीला को अपने सामने रखा ऑर अपने पैरो को फैला दिया ऑर अपने पैर का एक अंगूठे से एक साइड से थाम लिया ऑर दूसरे अंगूठे से दूसरी साइड से थाम लिया ऑर आटा गुंथने लगी

जब अशोक ने अपनी बेहन को इस पोज़िशन मे देखा तो वो इमॅजिन करने लगा कि जब दीदी ने अपने पैरो को फेलाया होगा तब उसकी चूत के गुलाबी हॉट भी खुल गये होगे... ऑर अशोक वही खड़ा हो कर उसकी बेहन को देखता है उसकी नज़र उसकी बेहन की चूत के यहाँ ही थी ऑर वो यही सोच रहा था कि... काश इस वक्त दीदी नंगी होती ऑर मे उसकी खुली हुई कुवारि चूत के छेद को देख पाता ऑर उनकी रसीली गुलाबी चूत की पलके केसी दिखती होगी...?

यही सोच सोच कर उसका लंड ऑर जोश मे आ जाता है फिर वो मसल्ते हुए वहाँ से हट जाता है क्यू कि अब उसका लंड बिल्कुल खड़ा हो गया था ऑर उसने अंडरवेर भी नही पहना था उसके लंड ने पाजामे मे तंबू बना दिया था...

फिर वो सोफा के साइड मे तिरछा हो कर बैठ जाता है ऑर अपनी बेहन की चूत को कपड़ों के उपेर से देख कर सोचने लगता है कि अगर दीदी ने ये सलवार ऑर पैंटी उतार के ऐसी बैठी होती तो मे उसे झुकाता ऑर अपना मोटा लंड उसकी चूत के उपर पहले रगड़ता ऑर अपने लंड के सुपाडे से उसकी चूत के रसीले होटो पे रगड़ कर फेलाता ऑर फिर अपने लंड को उसकी चूत पे मार कर उसकी चूत के गुलाबी रसीले होटो को लाल कर देता...

ऑर फिर अशोक अपने लंड को मसल्ते हुए साला कब चोदने मिलेगा...? दीदी भी लगता है लंड मे इतना इंटेरेस्ट नही रखती..

फिर उसके मन मे ख़याल आता है कि बी प्रॅक्टिकल अशोक. ऐसा इंपॉसिबल है कि लड़के को चूत मे ऑर लड़की को लंड मे इंटेरेस्ट ही ना हो... ऐसा आजतक कोई माई का लाल पैदा नही हुआ जिसे चूत मे या लड़की को लंड ना पसंद हो... मे उसका भाई हूँ इसलिए शायद वो मुझे हवस की नज़रो से नही देखती वरना मेरा मोटा लंड देख ले तो साला अभी अपने नरम नरम मुलायम हाथो मे पकड़ के अपनी कुवारि चूत की जड़ों तक घुसा ले...

अब साला ऐसा क्या करूँ कि इसको भी मेरी तरह हवस की पुजारन बना दूं..

अपने मन मे सोचता है. इसको अपना मोटा लंड दिखा दूं क्या...?

नही नही साला कुछ गड़बड़ हो गयी तो मेरे लॉवडे लग जाएगे..

तो फिर क्या करूँ...?

अशोक सोच मे पड़ा था ऑर अपना लंड भी मसल रहा था ऑर उसकी बेहन की चूत के यहाँ ही नज़र थी उसकी ऑर उसकी बेहन आटा गुन्थते हुवे टीवी मे नज़र टिकाए हुए थी..

फिर अशोक ने अपना ध्यान टीवी पे लगाया तो वहाँ सास बाहू का वोही पुराना घिसा पिटा नाटक चल रहा था तो उसने चॅनेल चेंज किया ऑर हिन्दी डब्ब्ड हॉलीवुड मूवी देखने लगा उतने मे मनीषा ने कहा.

मनीषा- मेने तुझे सुबह ही बोला था ना मे अपना सीरियल मिस नही करना चाहती.. चला वो चॅनेल अभी 8 बजने वाले है ऑर वो चालू होगा अभी.. चॅनेल लगा मुझे देखना है..

अशोक- मन मे कहता है दीदी मेरा लौडा देख लो फिर तुम्हे ये सब आल्टू फालतू शो देखने का मन नही करेगा. दिन रात मेरा ही लंड देखती रहना... नही दीदी मुझे ये मूवी देखनी है...

इतने मे मनीषा ने उठ कर रिमोट झट से उठा लिया ऑर चॅनेल चेंज कर दिया...

अशोक सोफा से उठ कर रिमोट लेने के लिए उठा तो मनीषा ने रिमोट अपने दोनो हाथो मे पकड़ के अपने पेट के यहाँ रख के बढ़ा दिया ऑर जेसे ही अशोक उसके पास गया रिमोट लेने के लिए तो मनीषा घूम गयी ऑर अशोक का लंड सीधा मनीषा की गान्ड की साइड से टकरा गया... अशोक इस मोके का भरपूर फ़ायदा उठना चाहता था उसने भी रिमोट छिनने के बहाने अपना लंड बेहन की गान्ड के साइड से रगड़ लिया... ऑर उसका लंड तन के खड़ा हो गया... अशोक तो बस साइड साइड से अपना रगड़ कर मज़े ले रहा था पर उसे नही पता था कि कब उसकी बहना छूटने के चक्कर मे थोड़ा ऑर मूड गयी ऑर उसके लंड का सुपाडा सीधा सलवार के अंदर धस्स कर उसकी गान्ड के छेद तक पहुँचने वाला था... उसके लंड मे तो एक अजीब कशिश दौड़ गयी जब उसका लंड अपनी बेहन की गान्ड की दरार मे धस्स गया तब पर अशोक की हालत खराब हो गयी उसने सोचा मेने जोश जोश मे क्या कर दिया साला कहीं मम्मी को बोल दिया तो वॉट लग जाएगी... ऑर उसने अपनी बेहन के चेहरे को देखा तो महसूस हुवा कि उसके क्वेस्चन मार्क है वो कुछ गुत्थी सुलझा रही थी जो उसने अपनी गान्ड पे महसूस किया वो क्या था...?

क्या सचमुच अशोक का लंड था.? या फिर कुछ ऑर... अशोक को कुछ समझ मे नही आ रहा था कि वो अब क्या करे उसने अपनी बेहन को हल्का सा धक्का दिया ऑर बोला ले मर देख जो तुझे देखना है ऑर फटा फट मूड गया ऑर अपने रूम की ओर चल देता है..

मनीषा झट से पलट कर ये देखने की कोशिश करती है कि वो क्या चीज़ थी जो उसके गान्ड के बीच मे चुभि थी...?
 
वो अपने रूम मे जा कर दरवाजा बंद कर देता है ओर टेन्षन मे आ जाता है कि अब क्या होगा...? अगर मनीषा को पता चल गया कि मेने अपना लंड उसकी गान्ड मे घुसाने की कोशिश की थी तो क्या होगा...?

पर यहाँ मनीषा यही सोच रही थी कि साला वो क्या चीज़ थी... पर उसने जबतक रिक्ट करना चाहा ऑर अपने भाई को रंगे हाथो पकड़ने का मोका भी नही मिला उसको... वो समझ तो गयी थी कि जो उसने अपनी गान्ड पे महसूस किया वो उसकी उंगली तो बिल्कुल नही थी वो तो एक मोटा तगड़ा लंड ही होगा क्यू कि उंगली इतनी मोटी नही होती ऑर उसकी पॉकेट मे ऐसा कोई समान नही था जो गोल ऑर मोटा हो.... मनीषा कोई प्रतिक्रिया नही करना चाहती थी क्यू कि अगर उसका अंदाज़ा ग़लत निकला तो वो बोहोत शर्मिंदा हो जाएगी ओर अपने भाई से कभी आख नही मिला पाएगी...

अशोक अपने रूम मे बैठे बैठे टेन्षन ले रहा था काफ़ी देर तक उसने दिमाग़ लगाया
फिर अशोक को एक आइडिया आया कि क्यू ना मे अपना मोबाइल पाजामे की जेब मे डाल लूँ वो समझेगी कि मेरा मोबाइल ही था जो उसकी गान्ड मे धसा था...

एक घंटे बाद मनीषा ने उसे खाना खाने के लिए बुलाया वो बाहर निकला तो मनीषा की नज़र सबसे पहले उसके पाजामे मे पड़ी ऑर उसे महसूस हुआ कि वो अपने भाई के लिए ग़लत सोच रही थी वो ऐसा बिल्कुल नही है... ओर फिर मनीषा के चेहरे पे फिरसे वोही रोनक आ गयी जो पिछले एक घंटे से टेन्षन मे थी... ये देख कर अशोक को भी थोड़ा रिलीफ हुआ कि चलो टेन्षन दूर हो गयी...

फिर करीब 10:30 डोर बेल बजी मनीषा ने डोर खोला तो माँ आ गयी थी नानी के घर से... फिर कुछ देर बाद हम सब अपने अपने रूम मे चले गये....

मनीषा करवट पे करवट बदल रही थी पर उसे नींद नही आ रही थी... आख बंद कर के सोने की कोशिश करती पर उसे नींद ही नई आ रही थी...

मनीषा- अपने मन मे.. अरे यार क्या हो रहा है साला नींद क्यू नही आ रही....

अपना मोबाइल उठा कर अपने फ्रेंड के मेसेज देखने बैठ जाती है कि किसने क्या मेसेज किया... तब एक लड़के का मेसेज आता है उसको... हेलो डार्लिंग अबतक जाग रही हो आओ मैं तुम्हे अपना लौडा चूसा के सुला देता हूँ.....

मसेज पढ़ के उसे गुस्सा बोहोत आता है वो उस लड़के को ब्लॉक कर के लॉगआउट हो जाती है ऑर फिरसे सोने की कोशिश करती है.. मेसेज की बात से उसे कुछ घंटे पहले की घटना याद आ जाती है ऑर वो फिरसे शर्मिंदा होने लगती है ऑर सोचती है कि मेने बिना वजह अपने भाई पे शक किया...

फिर शर्मिंदगी कब लुस्ट मे बदल जाती है पता ही नही चलता... वो उस घटना के बारे मे सोच ही रही थी तब उसके मन मे हलचल होती है कि अगर वो सचमुच लंड होता तो.....

ये सोचते ही उसका मन मचल जाता है म्‍म्म्ममममममम हाए क्या मोटाई थी उसकी जब गान्ड मे चुभा तब कुछ हुआ नही पर अब मेरी चूत फुदक रही है कि उसे गान्ड मे नही चूत पे टकराना चाहिए था... उस मोबाइल के स्पर्श को लंड की कल्पना कर के वो अपनी चूत को सहलाने लगी ऑर पाजामे के उपेर से ही उसे रगड़ने लगी म्‍म्म्ममममममम आआआआआआहह फिर अपनी चूत मे उंगली डाल कर फिंगरिंग करने लगी ऑर कुछ देर बाद उसकी पेंटी भीग गयी उसके पानी से....

नेक्स्ट डे से कुछ दिन तक अशोक नज़रे बचा बचा कर अपनी बेहन को हवस की निगाहो से देखता था
 
आज मनीषा फुल सेक्सी मूड मे थी कल रात को एक लड़के से सेक्सी बाते कर रही थी नेट पे अपनी फेक प्रोफाइल से उसकी चूत कल रात की बाते याद कर के फिरसे गीली हो गयी थी... ओर वो बाल्कनी मे कपड़े सुखाने को डाल कर वही खड़ी हो कर कल की बाते याद कर रही थी

ऑर यहा अशोक कुछ दिनो तक बर्दाश्त करता
रहा ऑर बस देख देख कर अपनी आखे ठंडी करता रहा फिर एक दिन उसने हिम्मत की क चलो जो होगा देखा जाएगा.... उसे अपने लंड पे दीदी की चूत या गान्ड का स्पर्श महसूस करना था वो बस मोका ढूँढ रहा था फिर एक दिन उसे मोका मिला उसकी बेहन बाल्कनी मे खड़ी थी ऑर मम्मी नहाने गयी थी... उसने पहले अपनी बेहन का पूरा बदन गोर से देखा वो झुकी हुई खड़ी थी बाल्कनी मे ऑर उसकी गान्ड का उभार देख कर उसका लंड खड़ा हो रहा था फिर उसने गोर किया कि उसके पाजामे के उपेर से उसकी पैंटी की लाइन्स नही नज़र आ रही वो समझ गया कि दीदी ने आज पैंटी नही पहनी है.... वो धीरे धीरे उसके करीब गया ऑर अपना लंड पाजामा ऑर अंडरवेर के अंदर हाथ डाल कर अपना लंड बाहर निकाला ऑर जा कर सीधा लंड उसकी बेहन की गान्ड की गॅप मे घुसा डाला ऑर अपने दोनो हाथो से उसकी आखे बंद कर दी... मनीषा पहले तो होश ही खो बैठी जब कोई मोटी चीज़ सीधा उसकी गान्ड मे धसि तो... जेसे तेसे वो हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी ऑर यहाँ अशोक बेफिकर हो कर अपना लंड अपनी बेहन की गान्ड की दरार मे धसाए हुए था क्यूंकी इस बार उसने पहले से ही पॉकेट मे मोबाइल रख दिया था ऑर अपने लंड को मस्ती मे बड़े प्यार से अपनी बेहन की गान्ड की दरार मे रगड़ रहा था मनीषा को इस बार पूरा यकीन हो गया कि ये जो मेरी गान्ड मे धस रहा है वो कोई मोबाइल वॉबाइल नही है ये तो 100% लंड ही है फिर मनीषा को भी हल्की हल्की चूत मे खुजली होने लगी थी वो भी जानती थी कि पीछे उसका भाई अशोक खड़ा है अपना मोटा लंड उसकी गान्ड मे धसाए हुए वो भी जानबूझ के अपनी सहेलियो का नाम लेने लगी कुछ देर तक दोनो भाई बेहन अपने अपने मज़े ले रहे थे अशोक थोड़ा झुका ऑर उसका लंड सरक के मनीषा की चूत पे जा कर रुक गया ऑर फिर अशोक ने अपने लंड को बढ़ाया तो उसके लंड का सुपाडा मनीषा की चूत पे दबाव देता हुआ अंदर घुसने की कोशिश कर रहा था मनीषा भी अपने पैरो को फैलाए उसके लंड के स्पर्श का भरपूर मज़ा ले रही थी... फिर कुछ देर बाद मनीषा ने कहा...

मनीषा- मे हार गयी बताओ तुम कॉन हो...? दिव्या हो....?

अशोक ने एक हाथ उसकी आखो पे रखा ऑर थोड़ा पीछे हो कर अपना लंड वापिस अंदर डाल लिया ऑर हाथ हटाते हुवे कहा
अशोक- मे हूँ दीदी.
मनीषा- मुझे लगा मेरी सहेली दिव्या है वो मुझे सर्प्राइज़ दे रही है...

फिर मनीषा ने पूछा क्या रखा है जेब मे मुझे लग रहा था...?

अशोक- मन मे कहता है मेरा काला मोटा लंड था... मोबाइल है दीदी

मनीषा- मन मे साला बेहन्चोद मोबाइल की आड़ मे अपना लंड रगड़ रहा था मेरी गान्ड ऑर चूत मे तो धसा ही दिया था ये तो साला अच्छा हुआ कि मेने पाजामा पहना था वरना पूरा लंड घुसा देता मेरी चूत मे.... हाए साले का लंड तो मस्त मोटा ऑर तगड़ा है चूत मे घुसेगा तो मज़ा आ जाएगा........


अशोक- क्या सोच रही हो दीदी...

मनीषा- अपने मन मे साले कल रात की वजह से मेरी चूत अबतक गीली है वरना तुझे इतना मज़ा कभी नही मिलता....... कुछ नही रे..
 
कुछ देर भाई बेहन बाल्कनी मे खड़े हो कर बाहर का नज़ारा देख रहे थे फिर कुछ देर बाद मनीषा पानी पीने के लिए किचन मे गयी तो मम्मी को बाथरूम से निकलते हुए देखा तो उसने सोचा चलो मैं भी नहा लेती हूँ ऑर वो अपनी ब्रा पेंटी ऑर कपड़े लेकर बाथरूम मे घुस गयी फिर उसे याद आया कि वो हेर रिमूवल क्रीम लेना तो भूल गयी फिर वो वापिस आती है लेने के लिए तबतक अशोक ने अपनी बेहन को रोक दिया ऑर कहा मुझे ऑफीस के लिए देर हो रही है पहले मे नहा लेता हूँ बाद मे तू नहाना... ऑर वो बाथरूम मे चला जाता है वहाँ उसे दीदी के कपड़े ऑर ब्रा पेंटी नज़र आती है.... उसकी हवस बढ़ जाती है ऑर उसको कमीनपन करने पे मजबूर कर देती है.... फिर वो मूठ मार कर अपना पानी गिरा देता है ऑर फटाफट नहा के नाश्ता वास्ता कर के ऑफीस के लिए निकल जाता है......


तबतक मनीषा भी अपने हाथ पैर ऑर चूत के बाल साफ कर के नहा चुकी होती है... जब वो कपड़े उठती है तो वो गीले थे वो ज़्यादा केर नही करती ऑर पहन लेती है फिर बाहर निकल के किचन मे जाती है अपना नाश्ता ऑर चाइ लेने के लिए पहले उसको कुछ अजीब सा महसूस होता है फिर वो ज़्यादा सोचती नही है क्यू कि उसे बोहुत जोरो की भूक लगी थी वो फटाफट नाश्ता ले कर खाने बैठ जाती है....



खाना हो जाने के बाद वो उठ कर अपनी प्लेट किचन मे रखने जाती है तो उसकी चूत के यहाँ चिप चिपा ( स्टिकी ) सा महसूस होता है फिर वो अपने मन मे कहती है अब समझ आया साला इतने देर से मुझे अजीब क्यूँ फील हो रहा है साले बेहन्चोद अशोक ने मेरी चूत को इमॅजिन कर के मूठ मार कर अपने लंड का पूरा पानी मेरी पैंटी पे ही डाल दिया तभी सोचु कि साला मेरे सब कपड़े सूखे थे पर पैंटी ही सिर्फ़ गीली थी वो भी चूत की ही जगह पे ऑर कही गीला नही था ऑर मेने जहाँ कपड़े रखे थे वहाँ तक पानी का पहुँचना एक तरह से इंपॉसिबल है..... साला मुझे चोद नही सकता तो इसलिए इनडाइरेक्ट्ली मेरी पेंटी पे अपने लंड का पानी डाल कर अपने आपको तसल्ली दे रहा है.....

खेर साले के इस कामीनेपन ने मेरी चूत को भी ललचा दिया... चलो भैया का लंड ना सही उसके लंड का पानी तो मिला मेरी चूत को....


ऑर ये सोचते सोचते वो किचन मे अपनी चूत को दबोच रही थी कपड़ों के उपेर से...
 
अशोक के इस कामीनेपन से मनीषा के मन मे भी कमीनपन जाग जाता है वो अपनी अलमारी खोलती है ऑर कुछ पुराने कपड़े निकालती है ऑर उसे वो मिल जाता है जो वो ढूँढ रही थी.... ऑर वो खुश हो कर अपने मन मे कहती है....
मनीषा- बेटा आज तो तूने मेरी चूत को ललचा दिया अब देख मे तेरे लंड को केसे मचलने पे मजबूर करती हू... तेरा लंड तड़पने लगेगा मेरी चूत मे घुसने के लिए पर तू कुछ नही कर पाएगा बस बैठे बैठे अपने लंड को तड़पते हुवे देखेगा......



शाम को जब अशोक वापिस आता है तो दीदी को सुबह वाले कपड़ों मे देख कर वो मन मे सोचता है कि आज तो मेरे लंड के पानी ने उसकी चूत को पूरा भीगा दिया होगा काश मे सचमुच मे दीदी को चोद कर अपने लंड का पानी उसकी चूत की पॅल्को के उपेर डाल पाता....



अशोक- अपने मन मे.... ना ऐसे मज़ा नही आएगा दीदी को चोद चोद कर अपना लंड पूरा जड़ तक घुसा कर फिर पानी अंदर छोड़ देने का ऑर फिर दीदी को खड़ा कर के उसके पैरो को थोड़ा फेला कर फिर अपनी उंगलियो से उसकी चूत के लिप्स को खोल कर उसके छेद से अपने लंड का पानी टपकते हुवे देखने मे मज़ा आ जाएगा


ये सब बाते सोच सोच क उसका लंड तन्नाए जा रहा था ऑर वो बैठे बैठे अपने ख़यालो मे अपने लंड को मसल रहा था.... इतने मे मनीषा भी हॉल मे 2-3 बार आ के जा चुकी थी ऑर अपने भाई को अपना लौडा मसल्ते हुए देख चुकी थी..



वो भी समझ चुकी थी कि उसका भाई कितना बड़ा बेहन्चोद है...
 
अशोक सोफे पे बैठा बैठा टीवी देख रहा था ऑर मनीषा किचन मे माँ के साथ खाना बना रही थी... मंजू रोटी बना रही थी ऑर मनीषा सब्जी... मनीषा ने तड़का लगा दिया था मसाले का ऑर वो कटी हुई सब्जी लेने हॉल मे आने के लिए किचन से निकलती है ऑर आते आते पीछे से अपनी कमीज़ को थोड़ा तिरछा कर के अपनी सलवार के उपेर इलास्टिक मे फसा देती है यानी कि उसकी गान्ड का आधा हिस्सा वाइट कलर की सलवार मे से दिख रहा था ऑर उसकी पैंटी भी नज़र आ रही थी... वो उसके पास जा कर झुक जाती है ऑर अशोक जब उसकी बेहन की उभरी हुई गान्ड देखता है तो उसका कमीनपन जाग जाता है वो अपनी जीब ( टंग ) निकाल कर अपनी बीच की उंगली को गीली कर के उसकी गान्ड से थोड़ा दूर घुसाने की आक्टिंग करता है ऑर चेहरे पे मज़े आने वाले एक्सप्रेशन लाता है....


मनीषा लेफ्ट मे पड़े शोकेस की तरफ देखती है तो उसे अपने भाई को उसकी गान्ड मे उंगली करने की आक्टिंग करते हुए देख लेती है... फिर वो भी अपने भाई की हरकत का सपोर्ट करती है मतलब वो भी अपने भाई के मज़ाक को थोड़ा रियलिस्टिक बनाते हुवे अपने पैरो को साइड बाइ साइड कर के अपनी गान्ड को थोड़ा फेला देती है.... अशोक के शरीर से ल़हेर उठ कर उसके लंड तक दौड़ जाती है जब वो देखता है कि उसकी बेहन ने अपनी गान्ड को फेला दिया....


उसे महसूस होता है कि जेसे उसकी दीदी को पता था कि मे उसकी गान्ड मे उंगली करने का नाटक कर रहा हूँ ऑर वो भी अपनी गान्ड चौड़ी कर के उंगली गान्ड मे लेने का नाटक कर रही है.....


जब उसने उसके पैरो के अगल बगल देखा तो उसकी बेहन का फेस नही दिखा ऑर जब उसके पैरो के बीच मे देखा तो उसकी आगे की कमीज़ की वजह से वो अपने भाई को नही देख सकती थी... तो अशोक के मन हुआ कि शायद इतफाक था उसकी बेहन ने उसी वक्त अपनी गान्ड फेला दी होगी जब वो उसकी गान्ड मे उंगली डालने का मज़ाक कर रहा था
 
खाना बन जाने के बाद सब लोग खा पीके भी गये ऑर मंजू सोने चली गयी अशोक ऑर मनीषा दोनो ने मंजू को गुडनाइट बोला ऑर उनकी मम्मी गुडनाइट बोल कर अपने रूम मे चली गयी फिर मनीषा अपने रूम मे गयी ऑर अपनी पुरानी लेग्गी जो उसने दुपहर को अलमारी से ढूँढ के निकाली थी वो पहन कर ऑर टी-शर्ट पहन कर मिरर के सामने खड़ी हो कर अपने मन मे कहने लगी...

मनीषा- साले सुबह तो तूने मेरी चूत पे अपना लंड दबा कर मेरी चूत को तड़पा दिया था अब देख मे तेरा लौडा केसे तड़पाती हूँ....

ऑर फिर वो हॉल मे जाती है जहाँ उसका भाई टीवी देख रहा था...

तब वो उसके साइड मे खड़ी हो कर उससे पूछती है मेने क्या क्या मिस किया....


अशोक मूवी देखने मे खोया हुआ था क्यू कि उसे लगा कि दीदी तो सलवार कमीज़ मे है तो कुछ दिखने वाला तो है नही इसलिए वो अपनी नज़र टीवी मे गढ़ाए हुवे था....

अशोक- ज़्यादा कुछ नही मिस किया ऑर वैसे भी कुछ खास नही था असली ऐक्शन तो अब सुरू होगा....


मनीषा- मन मे साले मे यहाँ अबतक इसलिए जाग रही हूँ ताकि तूने जो आज सुबह मेरी चूत का हाल किया उसका बदला मे तेरा लंड तड़पा कर लेना चाहती हूँ... साले एक झलक तो देखा मुझे......




कुछ देर वही खड़ी हो कर उसको आइडिया आता है कि वो शोकेस के यहाँ जाए ऑर वहाँ ड्रॉयर से नेल कटर निकले.... ऑर वो शोकेस के यहाँ जाती है ऑर टीवी के नीचे वाले ड्रॉ मे से झुक के नाइल कटर ढूंढी है....

अपनी बेहन को ऐसी झुकी हुई पा कर उसका मन कहता है
अशोक- हाँ दीदी ऐसे ही झुकी रहो ऑर अपना पाजामा उतारो ऑर मे अपना मोटा लंड तुम्हारी चूत की जड़ों तक घुसाता हूँ... ऑर ज़ोर ज़ोर से लंड घुसाउन्गा तुम्हारी चूत मे थप थप की आवाज़ पूरे हॉल मे गूँजे गी.....


फिर अशोक अपना लंड को मसल्ते हुए जब गौर करता है तो उसे पता चलता है कि दीदी ने आज पाजामा नही बल्कि उसकी पुरानी वाली लेग्गी पहनी है

ऑर फिर जब मनीषा मुड़ती है तो अशोक के होश उड़ जाते है....


मनीषा अपने भाई का यही रिक्षन एक्सपेक्ट कर रही थी क्यू कि उसका कमीनपन देख देख के वो भी कमीनपन पे उतर आई थी उसने जानबूज के वो लेगी पहनी थी ऑर आज उसने पहले से ही तैयारी कर के रखी थी अपने भैया के लंड को तड़पाने की....

वो जब नाइटी पहनने गयी थी तब वह अपनी पैंटी वही छोड़ आई थी ऑर लेग्गी को पूरा उपेर तक पहन के रखा था इस वजह से उसकी चूत के लिप्स लेग्गी के उपेर से ही झलक रहे थे... ये देख कर तो अशोक क्या किसी भी भाई का लंड खड़ा हो जाए जब उसकी बेहन की चूत लेग्गी के उपेर से सॉफ सॉफ झलकने लगे तो...





उसका लंड पाजामे के अंदर उछलने लगा ऑर चूत मे घुसने के लिए तड़प रहा था.....


मनीषा ने उसका रिक्षन देखने के बाद उसको इग्नोर कर के साइड मे पड़ी प्लास्टिक की चेयर पर अपने पैरो को फेला कर बैठ गयी ऑर टीवी देखते देखते अपने नखुनो को भी काटने लगी.... ऑर अशोक अपने लंड को मसल कर उसकी चूत को देख रहा था...
 
अशोक अपनी दीदी की चूत लेग्गी के उपेर देख के लंड को अपने हाथ मे पकड़ के रगड़ रहा था... वो इतना जोश मे आ गया था कि उसको इस बात की चिंता ही नही थी कि अगर उसकी बेहन ने उसको लंड को रगड़ते हुए देखा तो वो क्या सोचेगी उसके बारे मे.....


वो तो उल्टा चाहता था कि उसकी बेहन उसको देखे लंड मसल्ते हुए ऑर कपड़ों के उपेर से उसके लंड का उभार देखे... पर वो तो अपनी नज़रें पूरी टीवी मे गढ़ाए हुए थी.... 


फिर अशोक ने अपनी नज़रें उसकी चूत पर डाल दी ऑर नज़ारे का मज़ा ले रहा था जब उसकी दीदी ने उसको अपनी चूत की तरफ देखते हुए देखा ऑर फिर उसके लंड की तरफ देखा तो उसके मन मे कमीनपन जागने लगा उसने अपने मन मे कहा....

मनीषा- रुक बेटा अब एक ऑर छोटा सा झटका देना बाकी है तेरे लंड पे....


ऑर फिर मनीषा ने टीवी की तरफ देख कर हल्की आवाज़ मे अपना मुँह बिगाड़ के अपनी चूत को 2 उंगलियो से आइ मीन चुटकी मे पकड़ के खुजाने लगी ये देख कर अशोक मन मे कहने लगा..

अशोक- अरे दीदी तुम्हारा भाई यही बैठा है मुझसे कह देती मे अपना मोटा काला लंड तुम्हारी चूत मे डाल के बड़े प्यार से तुम्हारी खुजली मिटा देता......

खुजली करते करते उसको महसूस हुआ कि उसने जो प्लान बनाया था अपने भाई के लंड को तड़पाने का वो कामयाब तो हो गया था साथ ही साथ उसकी चूत गीली होने की वजह से उसका रस लेग्गी पे भी लग गया था... वो थोड़ा घबरा गयी क्यू कि वो नही चाहती थी कि उसका भाई ये समझ जाए कि आज इसने ये हरकत उसके लंड को तड़पाने की लिए की थी.....


वो वहाँ से उठ कर अपने रूम मे जाने लगती है...


मनीषा- गुड नाइट भैया

अशोक- मन मे ( लौडा का गुड नाइट साली लंड खड़ा कर दिया कम्से कम झड़ने तक तो अपनी चूत के दर्शन करने देती ) गुड नाइट दी....


अशोक उसके जाने के कुछ देर वेट करने के बाद अपना लंड बाहर निकाल के देखने लगा अपने लंड को ऑर सोचने लगा क्यू ना दीदी को एक फेक आइडी से उसे मेसेज करूँ ऑर अपने लंड की पिक्स दिखाऊ... ऑर फिर वो हिलाने लगा अपने लंड को....

हिलाते हिलाते उसके मन मे ख़याल आया कि आजकल लड़किया गूगल पे नीग्रो लोगो के बड़े बड़े लंड देख कर अपनी चूत लेने का इमॅजिन कर के फिंगरिंग्स करती है तो मेरा लंड उन नीग्रो लोगो के सामने बच्चा है दीदी को घंटा मेरे लंड की पिक्स मे उतना इंटेरेस्ट लेगी.... उसको अब नेट पे बड़े बड़े लौडे देखने की आदत पड़ गयी होगी मेरा लंड देख के उसकी चूत मे कोई भी हलचल नही होगी.... उसको अब रियल मे ही देख के चूत गीली होगी चाहे फिर वो लंड छोटा ही क्यूँ ना हो मेरा तो फिर भी तगड़ा ऑर मोटा है... उसने आइ गेस अबतक रियल लंड नही देखा होगा 


ये सब बाते सोच सोच के आराम से अपना लंड सोफा पे बैठ के हिला रहा था ऑर कोई तरकीब ढूँढ रहा था अपनी बेहन को उसका लंड ओपन दिखाने के चक्कर मे... 

अशोक- चलो सो जाते है कल सनडे है पूरा दिन छुट्टी होगी कोई ना कोई तो मोका मिलेगा अपना लंड दिखाने का.... 


ऑर फिर अशोक अपने रूम मे चला जाता है सोने.... 



(बॅक टू दा मनीषा व्हेन शी लेफ्ट दा हॉल ) 

मनीषा गुड नाइट बोलने के बाद अपनी रूम की तरफ जाती हुई...

मनीषा-अपने मन मे... लगता है मेरी चूत का असर इतना खास नही था आज... मुझे लगा था वो कुछ ऐसी हरकत करेगा जिससे मुझे एहसास हो कि वो मुझे चोदना चाहता है... पर उस साले ने इतना इंटेरेस्ट नही दिखाया... पता नही क्यू...? 

उस दिन तो मेरी गान्ड का उभार देख कर अपना लंड धसा दिया था मेरी गान्ड मे... आज तो मेने उसे अपनी चूत के लिप्स का पूरा उभार दिखा दिया था फिर भी साले ने कुछ नही किया
मनीषा अपने रूम मे पहुँच गयी थी ऑर उसने डोर भी बंद कर दिया था ऑर बेड पर लेट भी गयी थी.... 

मनीषा अपने मन मे कहती है....

मनीषा- मुझे लगा वो मेरे पास आएगा मुझे कहेगा लाओ दीदी मे तुम्हारे नाख़ून काट देता हूँ तुम अपने लेफ्ट हॅंड से नही काट पाओगी तुम्हे दिक्कत होगी... 

फिर कुछ सोच के कहती है 

मनीषा- घंटा उस साले बेहन्चोद को मेरी चूत देखने के अलावा कुछ सूझा ही नही होगा... चूतिया साला..

साला मे यहाँ मैं अपनी चूत फैलाए हुए बैठी थी मुझे लगा ये कोई बहाना कर के आएगा मेरे पास...






मनीषा अपने भाई को गालियाँ देती हुए अपनी चूत को अपनी उंगली से बड़े प्यार से सहला भी रही थी अपनी चूत के दोनो लिप्स के बीच मे धीरे धीरे वो अपनी उंगली को रगड़ते हुए नीचे ला रही थी ऑर कभी उपर....



ऑर फिर वो अपनी लेग्गी मे हाथ डाल के सोचने लगी कि काश भैया मेरे पास आ कर कहते लाओ दीदी मे तुम्हारे नाख़ून काट देता हूँ ऑर फिर मे उसके साथ सोफे पे बैठ जाती ऑर अपना हाथ उसकी थाइस पर रख देती उसके तने हुए लंड के पास

मैं उसकी लेफ्ट मे बैठ कर अपना राइट हॅंड उसकी थाइस पे रखती ऑर वो अपना लेफ्ट आर्म'स मेरे शोल्डर पे रख के मेरे लेफ्ट हाथ को पकड़ के अपने राइट हॅंड से मेरा नाख़ून काट ता ऑर मे अपना राइट हॅंड धीरे धीरे उसके तने हुए लौडे की तरफ ले जाती ऑर फिर अपना हाथ उसके लंड पे रख देती..... ऑर फिर उसका लंड ज़ोर से दबा देती ऑर कहती भैया ध्यान से मेरी उंगली मत काटो.... ऑर उसके लंड को वैसे ही कुछ देर तक जकड़े रहती अपनी मुट्ठी मे.... 


ये सब बाते इमॅजिन कर कर के वो ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत मे उंगली घुसा रही थी फिर कुछ देर बाद वो झड गयी....


झड़ने के बाद उसका मन शांत हुआ तो वो अपने मन मे कहने लगी... 
साला मेने उसकी रात तो रंगीन कर दी थी पर उस साले का भी तो कोई फ़र्ज़ बनता था ना मेरी रात रंगीन बनाने का....?

अगर साले ने थोड़ा बहुत ही कुछ किया होता या कोई बहाना कर के मुझे छुआ होता तो मेरी चूत ऑर पानी पानी हो जाती थी मुझे इमॅजिन कर के अपनी चूत मे उंगली डालने की ज़रूरत नही पड़ती....
मनीषा अपने आप से बाते करती हुई.... 
मनीषा- मुझसे ग़लती हो गयी मुझे अभी ऐसे उठ के चले नही आना था उल्टा मुझे भी उसके लंड पे नज़र डाल डाल कर अपनी चूत को ऑर गीली करना चाहिए था जब वो मेरे लेग्गी को चूत की जगह से भीगी हुई देखता था तो उसे महसूस हो जाता था कि उसकी दीदी भी उसका लंड लेना चाहती है.... चलो कोई बात नई... कल सनडे है ऑर वो कहीं नही जाएगा क्यू कि मेरी चूत ने उसके लंड पे ऐसा नशा चढ़ा दिया है कि उसका लंड मेरी चूत से दूर रह ही नही पाएगा...... ऑर मनीषा बेफिकर हो के सो जाती है...
 
( बॅक टू दा अशोक) 

अशोक सोने की कोशिश करता है पर उसे नींद नही आती 
ऑर अशोक अपने मोबाइल पे बैठ के देर रात तक पॉर्न देखता रहता है... क्यू कि कल उसकी छुट्टी थी... 


नेक्स्ट डे सनडे था मनीषा ने सुबह उठ कर अपनी लेग्गी को थोड़ा नीचे कर दिया ताकि उसकी उभरी हुई चूत को मम्मी ने देख लिया तो उसकी वॉट लग जाएगी.... सुबह से वो कोई ना कोई तरकीब लगा रही थी ताकि उसको लौडा खाने को मिले....

कल की तरह बाल्कनी मे कपड़े सूखा रही थी तब उसे अहसास हुआ कि कोई उसकी तरफ आ रहा है तो उसने जानबूझ के अपने हाथ से कपड़े ज़मीन पर गिरा दिए ऑर झुक के एक एक कर के उठाने लगी.... ऑर जैसे जैसे उसको महसूस हो रहा था कि अशोक उसके नज़दीक आ रहा है वो वैसे वैसे अपनी गान्ड को ऑर चौड़ी करती गयी ऑर साथ साथ अपनी गान्ड को फेला भी दिया.... वो थोड़ा ज़्यादा ही झुक गयी थी... अब वो इस तराहा से झुकी थी कि अगर अशोक अपना तना हुआ लंड उसकी गान्ड मे घुसाने की कोशिश करता तो लंड सीधा उसकी चूत मे घुस जाता.... 



वो झुकी हुई खड़ी ही थी कि उसको अहसास हुआ कि अब कुछ ही पॅलो मे मेरी चूत मे लंड धसने वाला है... ये सोच कर उसकी चूत मे एक लहर सी दौड़ जाती है जैसे किसीने उसकी चूत मे बिजली का झटका दिया हो.... 



ऑर फिर अचानक दो हाथ उसकी कमर पे आते है ऑर उसकी कमर को थाम लेते है ऑर मनीषा अब जो होने वाला था उसका भर पूर आनंद लेने के लिए अपनी आखे बंद कर देती है ऑर एक लंबी सास लेती है..................





कुछ सेकेंड बीत गये पर लंड अब तक उसकी चूत मे क्यू नही धसा तो उसने मन मे अपने भाई को गालियाँ देने लगी...

मनीषा- अबे ओह बेहन्चोद कबतक मे ऐसे ही झुकी रहूगी जल्दी से अपना लंड घुसेड दे ऑर फिर मैं अपनी फेली हुई टाँगो को बढ़ा दूँगी ऑर तेरे लंड को अपनी गान्ड से जाकड़ के उसको अपनी चूत के यहाँ दबा कर रखुगी........




पर उसके लंड घुसाने की बजाए अशोक उसकी गान्ड को साइड मे कर रहा था... ये हरकत देख के मनीषा क़ी झान्टे जल गयी उसको लगा कि आटिट्यूड दिखा रहा है अशोक ऑर भाव खा रहा है वो.......

मनीषा बोहोत गुस्से मे होती है वो ऑर झट से साइड मे हो जाती है ऑर मन मे सोच लेती है कि अब इस मादरचोद को अपने आस पास भी भटकने नही दुगी.... 


कपड़े सुखाने के लिए जब वो रस्सी पे डालती है तो उसे पता चलता है कि ये तो अशोक नही उसकी माँ है मंजू वो कुछ लेने आई थी बाल्कनी मे... तब जा के उसका गुस्सा ठंडा हुआ.... 



अशोक तो रात भर पॉर्न देख रहा था... अबतक वो उठा ही नही था नींद से 



दुपेहर के 12 बजे अशोक नींद से उठा ऑर आराम से नहा वहा के 1:30 बजे टी-शर्ट ऑर शॉर्ट पहन के थोड़ी देर वेट किया ऑर खाना वाना खा के बाहर चला गया....


मनीषा को थोड़ा अजीब लगा वो सोच मे पड़ गयी कि कही उसके भाई को गिल्टी तो फील नही हो रही कि वो जो कर रहा है वो ग़लत है... साले के अंदर का जमीर तो नही जाग गया ना....?
अबे साले मेरी चूत मे आग लगा कर अब शरीफ बॅन रहा है...?

मनीषा उसको कोस रही थी तभी डोर बेल बजती है ऑर वो उठ के डोर खोलती है तो सामने अशोक होता है वो बिना कुछ बोले अंदर घुस जाता है ऑर सोफा पे बैठ के प्लास्टिक की कॅरी बॅग साइड मे रख के अपने माथे का पसीना पोछता है ऑर मनीषा उसको सवालिया नज़रो से देख रही थी ऑर सोच रही थी कि साला लंड लेने का मोका गया हाथ से....
ओर फिर वो साइड मे पड़ी चेयर पे बैठ जाती है.... 


तब अशोक उसको पूछता है..


अशोक- मम्मी तो सो रही होगी खाना वाना खा के...?

मनीषा- हाँ सो रही है.. कुछ काम था क्या माँ से....?

अशोक- नही बस ऐसे ही पूछा.... अच्छा छोड़ो ये बताओ तुम्हे चूसना ज़्यादा पसंद है या चाटना....?


ये बात सुन के मनीषा की उदास चूत फिर से खिल जाती है

मनीषा- मे कुछ समझी नही...?


अशोक- अरे बताओ ना दीदी......


मनीषा डाइरेक्ट्ली तो बोल नही सकती थी कि हाँ मुझे लंड चुसाओ... मुझे लंड चूसना अच्छा लगता है.....


मनीषा- मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि मे क्या बोलू....?


अशोक- तुम बस इतना बताओ कि तुम्हे चूसना ज़्यादा अच्छा लगता है या चाटना...?


मनीषा मन मे सोचती है कि चलो बोलके देखती हूँ कि मुझे चूसना अच्छा लगता है फिर देखते है ये क्या करता है


मनीषा- अगर कोई चीज़ अच्छी हो ऑर चूसने लायक हो तो ऑफ कोर्स... 

अशोक- व्हाट यू मीन बाइ ऑफ कोर्स....?

मनीषा- आइ मीन यॅ आइ लव टू सक इफ़ इट्स वर्त इट देन आइ लव सकिंग.... मेरा मतलब मुझे चाटने से ज़्यादा चूसना पसंद है.....


अशोक- तो फिर यहाँ आओ ऑर चूसो....

मनीषा के तो होश ही उड़ जाते है ये बात सुन के उसको लगता है आज पक्का मुझे लंड चूसने को मिलेगा ऑर खुश होते हुए वो पूछती है क्या चुसू....?

अशोक- मावा कुलफी.... गर्मी लग रही थी तो मे एक मावा कुलफी ऑर दूसरी चॉको बार लाया था.....



मनीषा के तो जैसे अरमानो पे पानी फिर गया था... मुँह बिगाड़ के अपने मन मे कहती है साले ने मूड खराब कर दिया मे यहाँ लंड लेने के लिए बैठी हूँ ओर ये मुझे कुलफी खिला रहा है.....

मनीषा- चॉको बार तो कुलफी ही होती है ना.....? तू क्या चाट के ख़ाता है चॉको बार....?


अशोक- अरे दीदी कुलफी ऑर चॉको बार का शेप तो देखो.... कुलफी तुम पूरी अपने मुँह मे ले कर चूस सकती हो पर चॉको बार नही.... 


अशोक- यहाँ आओ मे तुम्हे मुँह मे देता हूँ....

मनीषा भी समझ रही थी उसके डबल मीनिंग बातो को उसने भी कहा 


मनीषा- हाँ चल डाल दे मेरी मुँह मे कब्से तड़प रही हूँ गर्मी के मारे.... तबीयत मे थोड़ी जान आए....


अशोक- फिर तो दीदी तुम्हे रोज एक केला खाना चाहिए... तुम्हारी तबीयत भी खिल जाएगी ऑर तुम भी......

मनीषा- अच्छा....? तो फिर तुम ही रोज खिलाया करो ना केला.... मे भी तो देखु केला खा के मे केसे खिलती हूँ....?



अशोक- अरे दीदी तुम्हारी दोस्त दिव्या को देखा ना शादी के बाद केसे खिल गयी है....? उसका पति उसको रोज केला खिलाता है ( अपने मन मे तुम्हे भी रोज मे अपना लंड दूँगा तो तुम भी वेसी ही खिल जाओगी ) 



मनीषा- वो मेरी दोस्त है या तेरी...? तुझे केसे पता उसका पति उसको रोज केला खिलाता है...?



अशोक- (अपने मन मे... साली एमोशन पे ध्यान दे मैं क्या कह रहा हूँ तू साली डाइलॉग मे घुसी पड़ी है.... ) अरे दीदी मेने उसके पति को केला लेते हुए देखा था.....


मनीषा- अच्छा ठीक है कल खिला देना... मे भी तो देखु तेरे केले मे कितना दम है....


अशोक- ( अपने मन मे दम की तो बात मत करो दीदी अभी अपना लंड तुम्हारी चूत मे घुसा कर तुम्हे उपेर उठा सकता हूँ अपने लंड के दम पे...... जोश मे आ कर मे कुछ ज़्यादा बोल गया.....? लंड से वैसे भी कॉन्सा वो सुन रही है :-* )
 
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