hotaks444
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रश्मि को वापस आया देख कर सुमन को जो ख़ुशी मिली थी, वो उसके सामने उसके और मेरे सम्बन्ध के उजागर होने से काफूर हो गई! और रश्मि को ऐसे उखड़े हुए व्यवहार करते देख कर मेरा और सुमन – दोनों का ही दिल टूट गया। यह तो मुझे मालूम था कि रश्मि को आश्चर्य होगा, लेकिन उससे गुस्से की उम्मीद नहीं थी। मुझे लगा था कि वो शायद समझ जाएगी। और बेचारी सुमन को तो रश्मि के अस्तित्व के बारे में ही कुछ नहीं मालूम था। उसको तो थोड़े ही अंतराल में न जाने कितने धक्के लग गए। वो ऐसे ही मुझसे अलग बहुत देर तक नहीं रह पाती, और अब तो उसकी हालत ही खराब हो गई।
जब रश्मि ने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया, तब सुमन के धैर्य का बाँध पूरी तरह से ढह गया – वो दबी घुटी आवाज़ में हिचकियाँ ले ले कर रोने लगी। मैंने सुमन को अपने गले से लगाया और उसको चूमा। साफ़ जाहिर था कि सुमन के मन में सिर्फ और सिर्फ अशांति थी। सुमन ने मुझे कस कर पकड़ कर अपने गले लगाया हुआ था। कुछ ऐसे जैसे की उसने पहले नहीं किया था।
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काफी प्रयास कर के मैंने सुमन को शांत कराया और उसको छोटे बेडरूम में ले गया, जिससे वो भी कुछ आराम कर सके। सुमन इतने दिन मेरे बिना कैसे रही होगी, यह मैं समझ सकता था – मैं खुद भी उसके बिना इतना समय कैसे रहा यह बताना मुश्किल काम है। यह समय उसके लिए अत्यंत ही यातना भरा था। क्या सोचा था, और क्या हो गया!
सुमन को मैंने काफी मना कर बिस्तर पर ही लिटा लिया। उसको इस समय प्रेम की आवश्यकता थी.. तनाव, ग्लानि और क्रोध या ऐसे ही मिले जुले भाव जो उसके मन में उठ रहे थे, उनके निवारण के लिए प्रेम की आवश्यकता थी।
सुमन ने एक शर्ट पहनी हुई थी। वो जब बगल में लेटी तो मैंने उसकी शर्ट का बटन खोलना शुरू कर दिया। उसका मन कहीं और ही लगा हुआ था। उसको अपनी नग्नता का एहसास तब जा कर हुआ, जब उसकी शर्ट पूरी तरह से खुल गई और उसको मैंने अपने आप में समेट लिया। तब जा कर उसने महसूस किया कि मेरी उंगलियाँ लगातार उसके स्तनों के उभारों के उतार-चढ़ाव का अध्य यन करने में लगी हुई थी।
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रश्मि ने मन ही मन खुद को सम्हाला – उसका पति तो अब बँट ही गया था, लेकिन अच्छी बात यह थी कि वो बँटा था तो भी उसकी खुद के बहन के साथ। वो बहन जिसको रश्मि खूब प्यार करती है... वो पति जो उसको खूब प्यार करता है... वो बहन जो रश्मि को खूब प्यार करती है... और वो रूद्र जो सुमन को खूब प्यार करते हैं! जब उन तीनों में ही इतना प्रगाढ़ प्रेम है, तो फिर मन मुटाव का सवाल ही कहाँ से आता है? वो अभी जा कर उन दोनों से बात करेगी और माफ़ी मांगेगी... और विनती करेगी कि वो उसको अपने साथ रहने दें! उसको यकीन है कि वो दोनों मना नहीं कर सकेंगे!
रश्मि रूद्र और सुमन को ढूंढते हुए कमरे से बाहर निकली और सीधा बैठक की तरफ गई। वहां कोई भी नहीं था, तो वो वापस अपने कमरे की तरफ आने लगी। तब जा कर उसने देखा कि छोटे वाले कमरे में कोई है। उसने कमरे के अन्दर झाँका, तो अन्दर का दृश्य देख कर चमत्कृत रह गई।
सुमन और रूद्र पूर्णतः नग्न अवस्था में आलिंगनबद्ध होकर सो रहे थे। नग्न तो थे ही, लेकिन रश्मि को समझ आ रहा था कि यह निद्रा कुछ समय पहले ही संपन्न हुई रति-क्रिया के बाद के सुख के कारण प्रेरित हुई है। रूद्र बिस्तर पर कुछ नीचे की तरफ, सुमन की ओर करवट करके लेटे हुए थे। उनका बायाँ पाँव सुमन के ऊपर था, और इस अवस्था में उनका लिंग स्पष्ट दिख रहा था। उस समय उनके लिंग का शिश्नाग्रछ्छद पीछे की तरफ खिसका हुआ था, और इससे उनके लिंग का गुलाबी हिस्सा साफ दिखाई दे रहा था।
सुमन पीठ के बल चित्त लेटी हुई थी। आज पहली बार रश्मि ने सुमन के यौवन रस से भरे अनावृत्त सौंदर्य को पहली बार देखा था। जब छोटी थी, तब वो ऐसी सुन्दर तो बिलकुल ही नहीं दिखती थी! अभी जैसी लगती है, उससे तो कितनी भिन्न! लेकिन अब देखो... कितनी अधिक सुन्दर हो गई है! उसके स्तनों की मादक गोलाईयां – मन करता है कि उनका रस निचोड़ लिया जाए! और कैसा सुन्दर, भोला चेहरा, भरे भरे रसीले होंठ! और ऊपर से ऐसा फिट शरीर! कैसी सुन्दर है ये!
‘हाँ...’
सुमन के पाँव कुछ खुले हुए थे, जिस कारण उसकी योनि भी थोड़ी सी खुली हुई थी। सुमन की योनि के होंठ उसकी खुद की योनि के होंठों के समान ही फूले हुए थे – या संभवतः थोड़े से अधिक ही फूले हुए थे। कुछ कुछ तो अभी हुए घर्षण के कारण हुआ होगा... लेकिन इतना तो तय है कि सुमन की योनि भी पूरी तरह से परिपक्व हो गई थी। वहाँ से अभी कुछ देर पहले ही संपन्न हुए सम्भोग का रस निकल रहा था। रश्मि का संदेह सही था। खैर, कैसा संदेह? पति-पत्नी क्या प्रेम नहीं करेंगे? प्रेम सम्बन्ध नहीं बनाएँगे? दांपत्य जीवन में प्रेम का एक बड़ा रूप रति है। वही तो हो रहा था।
रश्मि ने उन दोनों को वात्सल्य भाव से देखा, ‘कैसा सुन्दर और आकर्षक जोड़ा है दोनों का।‘
रश्मि से रहा नहीं गया। वो दबे पांव आगे बढ़ते हुए सुमन और रूद्र के पास पहुंची और चुपके से सुमन के एक चूचक को हलके से अपनी उंगली और अंगूठे के बीच दबाया। प्रतिक्रिया स्वरुप, लगभग तुरंत ही उसका चूचक खड़ा हो गया। सुमन के होंठों पर हलकी सी मुस्कान भी बन गई।
‘ऐसे मुस्कुराते हुए कितनी प्यारी लगती है..! सोच रही होगी की इन्होने छुआ है...’
रश्मि ने दूसरे स्तन के चूचक के साथ भी वही किया। समान प्रभाव! उत्सुकतावश उसने रूद्र के लिंग को भी हलके से सहलाया – पुष्ट अंग तुरंत ही उत्तेजना प्राप्त कर के आकार में बढ़ने लगा।
‘इन्होने शायद वो जड़ी ले ली..’ रश्मि ने मुस्कुराते हुए सोचा।
लिंग के बढ़ते ही रूद्र कुनमुनाते हुए जागने लगे। रश्मि झट से कमरे से बाहर हो ली।
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“नीलू?”
सुमन चौंकी। दीदी उसको बुला रही थी। उसकी आवाज़ क्षीण थी, लेकिन गुस्से में नहीं लग रही थी। दुःख में भी नहीं लग रही थी। एक तरह से शांत लग रही थी। सुमन बस अभी अभी जगी थी, और अपने कपड़े पहन रही थी। शायद कमरे से आने वाली आवाज़ दीदी को सुनाई दे गई, इसलिए उसने उसको पुकारा है। इसका मतलब दीदी ने सब कुछ देख भी लिया है..
“जी, दीदी!”
“ज़रा यहाँ आ मेरी बच्ची।“
दीदी की आवाज़ तो शांत ही लग रही थी। खैर, ऐसा तो नहीं है कि वो कभी भी दीदी के सामने जाने से बच सके। और बचे भी क्यों? दीदी है उसकी। सगी दीदी! और तो और, उसने भी तो रूद्र से पूरी रीति के साथ शादी करी है; जायज़ शादी करी है। वो क्यों डरे? अगर दीदी गुस्सा हुई तो वो उससे माफ़ी मांगेगी। उनके पैर पकड़ेगी। दीदी को उसे माफ़ करना ही पड़ेगा।
सुमन उठी।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया – मेरे दिल में एक अबूझ सा डर बैठा हुआ था। सुमन ने एक प्यार भरी मुस्कान मुझ पर डाली, और कहा,
“जानू, आप चिंता क्यों करते हैं? दीदी हैं मेरी। आज एक काम करिए, आप बाहर घूम आइए। प्लीज! आज अभी यहाँ मत रहिए। मैं दीदी से बात करती हूँ। ओके?”
कह कर सुमन ने मेरे होंठों पर एक चुम्बन दिया और मेरे जाने का इंतज़ार करने लगी। मैं अनिश्चय से कुछ देर तक बिस्तर पर बैठा रहा, लेकिन फिर सुमन का आत्मविश्वास देख कर उठ खड़ा हुआ। मैंने बाहर जाने से पहले एक बार सुमन को देखा – न जाने क्यों लग रहा था कि उसको मैं आखिरी बार देख रहा था – और घर से बाहर निकल गया। दिल बैठ गया।
सुमन अंततः बेडरूम में पहुंची।
सुमन की पदचाप रश्मि ने सुन ली, और उठ कर बिस्तर पर बैठ गई।
“यहाँ आओ.. मेरे पास। मेरे पास बैठो।“
सुमन धीरे धीरे बिस्तर तक पहुंची, और झिझकते हुए एक तरफ बैठ गई। लेकिन उसकी नज़र नीची ही रही।
“नीलू, मेरी बहन, मेरी तरफ देख!”
सुमन ने अंततः रश्मि ने आँख मिलाई। रश्मि के होंठो पर एक मद्धिम मुस्कान थी।
“मेरी बच्ची, मुझे माफ़ कर दे। मेरा मन तुम्हारे और रूद्र के प्रति कुछ देर के लिए मैला हो गया था।“
“नहीं दीदी, आप ये कैसे बोल रही हैं?” सुमन क्या सोच कर आई थी, और क्या हो रहा था।
“बोल लेने दे। तू बाद में बोल लेना। मैंने ने आज तक रूद्र के चरित्र में किसी भी तरह का खोट नहीं देखा। उन्होंने मेरी किसी भी इच्छा को अपूर्ण नहीं रखा। तुम भी उनकी पत्नी हो... तुम भी उनके साथ रही हो, और तुम भी यह बात जानती हो। रूद्र... पति धर्म को निभाने में कहीं भी चूके हैं? जब भी किसी भी प्रकार की समस्या, या कठिनाई आई, तो ढाल बन कर वो मेरे सामने आ गए! मुझे हर कठिनाई से बचाते रहे, और रास्ता दिखाते रहे। उन्होंने मुझे हर तरह से खुश रखने का प्रयास किया। आज तक एक कटु शब्द तक नहीं बोला उन्होंने मुझसे। वह तो इतने अच्छे हैं, कि मेरी हमउम्र स्त्रियां... मेरी सहेलियां मुझसे ईर्ष्या करती हैं।“
कह कर रश्मि ने सुमन पर मुस्कुराते हुए एक गहरी दृष्टि डाली।
“... और आज... जब उनके पास ऐसे कठिन चुनाव का समय आया तो, मैं उनको अकेला छोड़ दूं? नहीं मेरी बहन.. बिलकुल नहीं। तुम उनकी पत्नी हो, और हमेशा रहोगी। मैं वापस हमारे गाँव चली जाऊंगी.. और वहीँ रहूंगी! तुम दोनों कभी कभी मुझसे मिलने आ जाना.. आओगी न बच्चे?”
रश्मि की ऐसी बात सुन कर सुमन का दिल टूट गया। आँखों से आंसुओं की अनवरत धरा बहने लगी। दुःख के मारे उसका रोना छूट गया और रोते हुए हिचकियाँ बंध गईं।
“दीदी, ये आप कैसी बाते कर रही हैं? आपको क्या पता नहीं है कि रूद्र का पहला प्यार आप हैं? ... और अगर आज उनके पास ऐसा कठिन समय आया है तो वो इसीलिए है, क्योंकि वो आपसे बहुत प्यार करते हैं। मैं सपने में भी आप दोनों को अलग करने का सोच भी नहीं सकती हूँ। मैं तो यूँ ही अनायास ही आप दोनों के बीच आ गई! दीदी आप ही उनका पहला प्यार हैं, और आप ही का उन पर ज्यादा अधिकार है। आप फिर से उनसे शादी कर लो। मैं उनसे तलाक ले लूंगी।“
कहते कहते सुमन की हिचकियाँ बंध गईं।
“ले पाओगी तलाक? सच में? अरी पगली.. कैसी बातें करती है? तू अनायास हमारे बीच में आ गई? अनायास? अरे मेरी सयानी बहन, अगर तू न होती, तो सच कह रही हूँ, रूद्र भी न होते। मेरा सुहाग न होता। उनको अँधेरे से निकाल कर लाने वाली तू है.. सच कहूँ? उन पर अगर किसी का हक़ है, तो वह सिर्फ तुम्हारा है! लेकिन मुझे यह भी मालूम है, की रूद्र हम दोनों से ही बहुत प्यार करते हैं! ज़रा कुछ देर रुक कर यह सोच, हम दोनों कितने भाग्यशाली हैं कि हम दोनों को ही उनका प्यार मिला, उनका साथ मिला। ख़बरदार तुमने कभी रूद्र से अलग होने की सोची।“
ऐसे भावनात्मक वार्तालाप करते हुए दोनों ही बहने फूट फूट कर रोने लगीं। ऐसे ही रोते रोते रश्मि ने कहा,
“क्या तुम सच्चे दिल से इनसे प्यार करती हो?”
“दीदी यह कोई पूछने वाली बात है? मैं इनसे बहुत प्यार करती हूँ। अगर वो कहे तो मैं तो उनके लिए अपनी जान भी दे सकती हूँ...”
“तो मेरी सयानी बहन, अब मेरी बात सुन... अगर अब से हम तीनों ही एक साथ रहें, तो क्या तुम्हे कोई प्राब्लम है?”
“क्या? क्या? क्या सच में दीदी? मैं इनसे और आपसे अलग नहीं हो पाऊंगी? सच में दीदी, मैं आप दोनों से अलग नहीं हो सकती... अगर आप दोनों के साथ रहने को मिल गया, मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी और आप जो कहोगी, मैं वो सब कुछ करूँगी.. आपकी नौकरानी बनकर रहूंगी.. आप बस मुझे इनसे और अपने आप से अलग मत करना।“
जब रश्मि ने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया, तब सुमन के धैर्य का बाँध पूरी तरह से ढह गया – वो दबी घुटी आवाज़ में हिचकियाँ ले ले कर रोने लगी। मैंने सुमन को अपने गले से लगाया और उसको चूमा। साफ़ जाहिर था कि सुमन के मन में सिर्फ और सिर्फ अशांति थी। सुमन ने मुझे कस कर पकड़ कर अपने गले लगाया हुआ था। कुछ ऐसे जैसे की उसने पहले नहीं किया था।
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काफी प्रयास कर के मैंने सुमन को शांत कराया और उसको छोटे बेडरूम में ले गया, जिससे वो भी कुछ आराम कर सके। सुमन इतने दिन मेरे बिना कैसे रही होगी, यह मैं समझ सकता था – मैं खुद भी उसके बिना इतना समय कैसे रहा यह बताना मुश्किल काम है। यह समय उसके लिए अत्यंत ही यातना भरा था। क्या सोचा था, और क्या हो गया!
सुमन को मैंने काफी मना कर बिस्तर पर ही लिटा लिया। उसको इस समय प्रेम की आवश्यकता थी.. तनाव, ग्लानि और क्रोध या ऐसे ही मिले जुले भाव जो उसके मन में उठ रहे थे, उनके निवारण के लिए प्रेम की आवश्यकता थी।
सुमन ने एक शर्ट पहनी हुई थी। वो जब बगल में लेटी तो मैंने उसकी शर्ट का बटन खोलना शुरू कर दिया। उसका मन कहीं और ही लगा हुआ था। उसको अपनी नग्नता का एहसास तब जा कर हुआ, जब उसकी शर्ट पूरी तरह से खुल गई और उसको मैंने अपने आप में समेट लिया। तब जा कर उसने महसूस किया कि मेरी उंगलियाँ लगातार उसके स्तनों के उभारों के उतार-चढ़ाव का अध्य यन करने में लगी हुई थी।
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रश्मि ने मन ही मन खुद को सम्हाला – उसका पति तो अब बँट ही गया था, लेकिन अच्छी बात यह थी कि वो बँटा था तो भी उसकी खुद के बहन के साथ। वो बहन जिसको रश्मि खूब प्यार करती है... वो पति जो उसको खूब प्यार करता है... वो बहन जो रश्मि को खूब प्यार करती है... और वो रूद्र जो सुमन को खूब प्यार करते हैं! जब उन तीनों में ही इतना प्रगाढ़ प्रेम है, तो फिर मन मुटाव का सवाल ही कहाँ से आता है? वो अभी जा कर उन दोनों से बात करेगी और माफ़ी मांगेगी... और विनती करेगी कि वो उसको अपने साथ रहने दें! उसको यकीन है कि वो दोनों मना नहीं कर सकेंगे!
रश्मि रूद्र और सुमन को ढूंढते हुए कमरे से बाहर निकली और सीधा बैठक की तरफ गई। वहां कोई भी नहीं था, तो वो वापस अपने कमरे की तरफ आने लगी। तब जा कर उसने देखा कि छोटे वाले कमरे में कोई है। उसने कमरे के अन्दर झाँका, तो अन्दर का दृश्य देख कर चमत्कृत रह गई।
सुमन और रूद्र पूर्णतः नग्न अवस्था में आलिंगनबद्ध होकर सो रहे थे। नग्न तो थे ही, लेकिन रश्मि को समझ आ रहा था कि यह निद्रा कुछ समय पहले ही संपन्न हुई रति-क्रिया के बाद के सुख के कारण प्रेरित हुई है। रूद्र बिस्तर पर कुछ नीचे की तरफ, सुमन की ओर करवट करके लेटे हुए थे। उनका बायाँ पाँव सुमन के ऊपर था, और इस अवस्था में उनका लिंग स्पष्ट दिख रहा था। उस समय उनके लिंग का शिश्नाग्रछ्छद पीछे की तरफ खिसका हुआ था, और इससे उनके लिंग का गुलाबी हिस्सा साफ दिखाई दे रहा था।
सुमन पीठ के बल चित्त लेटी हुई थी। आज पहली बार रश्मि ने सुमन के यौवन रस से भरे अनावृत्त सौंदर्य को पहली बार देखा था। जब छोटी थी, तब वो ऐसी सुन्दर तो बिलकुल ही नहीं दिखती थी! अभी जैसी लगती है, उससे तो कितनी भिन्न! लेकिन अब देखो... कितनी अधिक सुन्दर हो गई है! उसके स्तनों की मादक गोलाईयां – मन करता है कि उनका रस निचोड़ लिया जाए! और कैसा सुन्दर, भोला चेहरा, भरे भरे रसीले होंठ! और ऊपर से ऐसा फिट शरीर! कैसी सुन्दर है ये!
‘हाँ...’
सुमन के पाँव कुछ खुले हुए थे, जिस कारण उसकी योनि भी थोड़ी सी खुली हुई थी। सुमन की योनि के होंठ उसकी खुद की योनि के होंठों के समान ही फूले हुए थे – या संभवतः थोड़े से अधिक ही फूले हुए थे। कुछ कुछ तो अभी हुए घर्षण के कारण हुआ होगा... लेकिन इतना तो तय है कि सुमन की योनि भी पूरी तरह से परिपक्व हो गई थी। वहाँ से अभी कुछ देर पहले ही संपन्न हुए सम्भोग का रस निकल रहा था। रश्मि का संदेह सही था। खैर, कैसा संदेह? पति-पत्नी क्या प्रेम नहीं करेंगे? प्रेम सम्बन्ध नहीं बनाएँगे? दांपत्य जीवन में प्रेम का एक बड़ा रूप रति है। वही तो हो रहा था।
रश्मि ने उन दोनों को वात्सल्य भाव से देखा, ‘कैसा सुन्दर और आकर्षक जोड़ा है दोनों का।‘
रश्मि से रहा नहीं गया। वो दबे पांव आगे बढ़ते हुए सुमन और रूद्र के पास पहुंची और चुपके से सुमन के एक चूचक को हलके से अपनी उंगली और अंगूठे के बीच दबाया। प्रतिक्रिया स्वरुप, लगभग तुरंत ही उसका चूचक खड़ा हो गया। सुमन के होंठों पर हलकी सी मुस्कान भी बन गई।
‘ऐसे मुस्कुराते हुए कितनी प्यारी लगती है..! सोच रही होगी की इन्होने छुआ है...’
रश्मि ने दूसरे स्तन के चूचक के साथ भी वही किया। समान प्रभाव! उत्सुकतावश उसने रूद्र के लिंग को भी हलके से सहलाया – पुष्ट अंग तुरंत ही उत्तेजना प्राप्त कर के आकार में बढ़ने लगा।
‘इन्होने शायद वो जड़ी ले ली..’ रश्मि ने मुस्कुराते हुए सोचा।
लिंग के बढ़ते ही रूद्र कुनमुनाते हुए जागने लगे। रश्मि झट से कमरे से बाहर हो ली।
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“नीलू?”
सुमन चौंकी। दीदी उसको बुला रही थी। उसकी आवाज़ क्षीण थी, लेकिन गुस्से में नहीं लग रही थी। दुःख में भी नहीं लग रही थी। एक तरह से शांत लग रही थी। सुमन बस अभी अभी जगी थी, और अपने कपड़े पहन रही थी। शायद कमरे से आने वाली आवाज़ दीदी को सुनाई दे गई, इसलिए उसने उसको पुकारा है। इसका मतलब दीदी ने सब कुछ देख भी लिया है..
“जी, दीदी!”
“ज़रा यहाँ आ मेरी बच्ची।“
दीदी की आवाज़ तो शांत ही लग रही थी। खैर, ऐसा तो नहीं है कि वो कभी भी दीदी के सामने जाने से बच सके। और बचे भी क्यों? दीदी है उसकी। सगी दीदी! और तो और, उसने भी तो रूद्र से पूरी रीति के साथ शादी करी है; जायज़ शादी करी है। वो क्यों डरे? अगर दीदी गुस्सा हुई तो वो उससे माफ़ी मांगेगी। उनके पैर पकड़ेगी। दीदी को उसे माफ़ करना ही पड़ेगा।
सुमन उठी।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया – मेरे दिल में एक अबूझ सा डर बैठा हुआ था। सुमन ने एक प्यार भरी मुस्कान मुझ पर डाली, और कहा,
“जानू, आप चिंता क्यों करते हैं? दीदी हैं मेरी। आज एक काम करिए, आप बाहर घूम आइए। प्लीज! आज अभी यहाँ मत रहिए। मैं दीदी से बात करती हूँ। ओके?”
कह कर सुमन ने मेरे होंठों पर एक चुम्बन दिया और मेरे जाने का इंतज़ार करने लगी। मैं अनिश्चय से कुछ देर तक बिस्तर पर बैठा रहा, लेकिन फिर सुमन का आत्मविश्वास देख कर उठ खड़ा हुआ। मैंने बाहर जाने से पहले एक बार सुमन को देखा – न जाने क्यों लग रहा था कि उसको मैं आखिरी बार देख रहा था – और घर से बाहर निकल गया। दिल बैठ गया।
सुमन अंततः बेडरूम में पहुंची।
सुमन की पदचाप रश्मि ने सुन ली, और उठ कर बिस्तर पर बैठ गई।
“यहाँ आओ.. मेरे पास। मेरे पास बैठो।“
सुमन धीरे धीरे बिस्तर तक पहुंची, और झिझकते हुए एक तरफ बैठ गई। लेकिन उसकी नज़र नीची ही रही।
“नीलू, मेरी बहन, मेरी तरफ देख!”
सुमन ने अंततः रश्मि ने आँख मिलाई। रश्मि के होंठो पर एक मद्धिम मुस्कान थी।
“मेरी बच्ची, मुझे माफ़ कर दे। मेरा मन तुम्हारे और रूद्र के प्रति कुछ देर के लिए मैला हो गया था।“
“नहीं दीदी, आप ये कैसे बोल रही हैं?” सुमन क्या सोच कर आई थी, और क्या हो रहा था।
“बोल लेने दे। तू बाद में बोल लेना। मैंने ने आज तक रूद्र के चरित्र में किसी भी तरह का खोट नहीं देखा। उन्होंने मेरी किसी भी इच्छा को अपूर्ण नहीं रखा। तुम भी उनकी पत्नी हो... तुम भी उनके साथ रही हो, और तुम भी यह बात जानती हो। रूद्र... पति धर्म को निभाने में कहीं भी चूके हैं? जब भी किसी भी प्रकार की समस्या, या कठिनाई आई, तो ढाल बन कर वो मेरे सामने आ गए! मुझे हर कठिनाई से बचाते रहे, और रास्ता दिखाते रहे। उन्होंने मुझे हर तरह से खुश रखने का प्रयास किया। आज तक एक कटु शब्द तक नहीं बोला उन्होंने मुझसे। वह तो इतने अच्छे हैं, कि मेरी हमउम्र स्त्रियां... मेरी सहेलियां मुझसे ईर्ष्या करती हैं।“
कह कर रश्मि ने सुमन पर मुस्कुराते हुए एक गहरी दृष्टि डाली।
“... और आज... जब उनके पास ऐसे कठिन चुनाव का समय आया तो, मैं उनको अकेला छोड़ दूं? नहीं मेरी बहन.. बिलकुल नहीं। तुम उनकी पत्नी हो, और हमेशा रहोगी। मैं वापस हमारे गाँव चली जाऊंगी.. और वहीँ रहूंगी! तुम दोनों कभी कभी मुझसे मिलने आ जाना.. आओगी न बच्चे?”
रश्मि की ऐसी बात सुन कर सुमन का दिल टूट गया। आँखों से आंसुओं की अनवरत धरा बहने लगी। दुःख के मारे उसका रोना छूट गया और रोते हुए हिचकियाँ बंध गईं।
“दीदी, ये आप कैसी बाते कर रही हैं? आपको क्या पता नहीं है कि रूद्र का पहला प्यार आप हैं? ... और अगर आज उनके पास ऐसा कठिन समय आया है तो वो इसीलिए है, क्योंकि वो आपसे बहुत प्यार करते हैं। मैं सपने में भी आप दोनों को अलग करने का सोच भी नहीं सकती हूँ। मैं तो यूँ ही अनायास ही आप दोनों के बीच आ गई! दीदी आप ही उनका पहला प्यार हैं, और आप ही का उन पर ज्यादा अधिकार है। आप फिर से उनसे शादी कर लो। मैं उनसे तलाक ले लूंगी।“
कहते कहते सुमन की हिचकियाँ बंध गईं।
“ले पाओगी तलाक? सच में? अरी पगली.. कैसी बातें करती है? तू अनायास हमारे बीच में आ गई? अनायास? अरे मेरी सयानी बहन, अगर तू न होती, तो सच कह रही हूँ, रूद्र भी न होते। मेरा सुहाग न होता। उनको अँधेरे से निकाल कर लाने वाली तू है.. सच कहूँ? उन पर अगर किसी का हक़ है, तो वह सिर्फ तुम्हारा है! लेकिन मुझे यह भी मालूम है, की रूद्र हम दोनों से ही बहुत प्यार करते हैं! ज़रा कुछ देर रुक कर यह सोच, हम दोनों कितने भाग्यशाली हैं कि हम दोनों को ही उनका प्यार मिला, उनका साथ मिला। ख़बरदार तुमने कभी रूद्र से अलग होने की सोची।“
ऐसे भावनात्मक वार्तालाप करते हुए दोनों ही बहने फूट फूट कर रोने लगीं। ऐसे ही रोते रोते रश्मि ने कहा,
“क्या तुम सच्चे दिल से इनसे प्यार करती हो?”
“दीदी यह कोई पूछने वाली बात है? मैं इनसे बहुत प्यार करती हूँ। अगर वो कहे तो मैं तो उनके लिए अपनी जान भी दे सकती हूँ...”
“तो मेरी सयानी बहन, अब मेरी बात सुन... अगर अब से हम तीनों ही एक साथ रहें, तो क्या तुम्हे कोई प्राब्लम है?”
“क्या? क्या? क्या सच में दीदी? मैं इनसे और आपसे अलग नहीं हो पाऊंगी? सच में दीदी, मैं आप दोनों से अलग नहीं हो सकती... अगर आप दोनों के साथ रहने को मिल गया, मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी और आप जो कहोगी, मैं वो सब कुछ करूँगी.. आपकी नौकरानी बनकर रहूंगी.. आप बस मुझे इनसे और अपने आप से अलग मत करना।“