hotaks444
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अपडेट 17:
काफ़ी देर तक दोनों मा-बेटे एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे ...साना आँखें खोलती है ..देखा तो शाम के करीब 8 बज रहे थे ....वो सॅम को बड़े प्यार से अपने उपर से हटाती है और कहती है ..." सम उठ जा बेटा...तेरी सौज़ी मोम आती ही होगी डिन्नर के लिए बुलाने को .."
अब तक सॅम के अंदर की भडास , दर्द , पीड़ा और मोम के पास और साथ होने की ललक और भूख मिट गयी थी ..वो शांत था ..पर अब उसकी हवस की भूख जाग उठी थी ...आखीर उसकी रगों में भी जवानी का खून था ..अब उसमें उबाल आना शूरू हो गया था....
साना जैसी औरत , जिसके हुस्न , खूबसूरती और बदन की गोलाईयो और उभारों से अच्छे अच्छों के दिल-ओ-दिमाग़ मचल उठ ते ..फिर सॅम तो एक नया खिलाड़ी था ..और उसकी जवानी अभी तो अपनी उफान पर थी ...उसकी नज़र साना के नंगे बदन पर पड़ती है ...
वो बस देखता ही रहता है ...अपनी मोम के खूबसूरत नंगेपन को निहारता जाता है ...
अब उसे साना में सिर्फ़ उसकी मोम ही नही पर एक बहोत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत की झलक दीखती है ....
वो साना से लिपट जाता है ..उसके रसीले होंठों को चूमता है ..उसकी चूचियाँ सहलाता है और बोल उठ ता है " मोम....जब इतना टेस्टी डिन्नर सामने हो.....तो सौज़ी मोम के डिन्नर को कौन पूछता है....उम्म्म्म..मोम प्लीज़ आज डिन्नर कॅन्सल करो ना ...."
साना अपने बेटे के इस रूप को देख चौंक पड़ती है ....और खुश भी होती है के उसमें अभी भी इतनी सेक्स-अपील है के सॅम जैसा जवान -मर्द भी उस पर मर मिटा है ...
वो प्यार से उसके गाल थप थपाती है , उसे चूमती है..और अपने नंगे जिस्म की ओर इशारा करते हुए बोलती है " नही सॅम ...नही ...यह डिन्नर तो तुम्हें सौज़ी मोम के डिन्नर के बाद ही मिलेगा ...चलो उठो ..कपड़े पहनो...हॅव युवर बाथ आंड बी रेडी फॉर डिन्नर..मैं तुम्हारा डाइनिंग टेबल पे इंतेज़ार करूँगी....कम ऑन गेट अप..."
" ओके ओके मोम ...बट प्रॉमिस कीजिए आप का डिन्नर मिलेगा ना ....? "
" ह्म्म्म्म....अरे बाबा पहले किचन वाला डिन्नर तो कर लो ना फिर सोचते हैं ..." साना की आँखों में बड़ी शरारती सी मुस्कान थी ...
" नो सोचना - वोचना मोम .....बस हम आप का डिन्नर करेंगे ....मैं आप को खा जाऊँगा ..आप मना करोगे फिर भी ...देख लेना ...." सॅम प्यारी सी धमकी देता हुआ मोम को फिर से जाकड़ लेता है , चूमता है और उठ जाता है , कपड़े पहेन अपने रूम की ओर चल पड़ता है ...
साना मन ही मन सोचती है सॅम सही में अब जवान हो गया है ..अपने बाप की तरेह ही मुझ से इतना प्यार करता है ... और मुस्कुरा उठ ती है ...सॅम के दिल में उसकी मा ने हलचल मचा दिया था और उसके लौडे में उसकी मा के खूबसूरत , सेक्सी और गदराए बदन ने ...
सॅम फ्रेश हो कर कपड़े बदल लेता है....शॉर्ट और टॉप में है अब वो...ढीला टॉप और शॉर्ट के अंदर से उसकी कसरती , कसी जंघें , सुडौल पैर की पिंडलियाँ , टॉप की बाहों से निकलती उसकी मस्क्युलर बाहें , चौड़ा सीना .किसी भी औरत का दिल उसकी बाहों में आ जाने , उसके सीने से लिपट जाने को मचल उठेगा ...
वो फिर से मस्ती में था ..कितना हल्का महसूस कर रहा था सॅम .. मानो उस के अंदर का सारा भारीपन , उसका तनाव , उसका इतने सालों से उबल्ति हुई मोम की प्यास, मोम के प्यार की भूख ...सब कुछ बाहर आ गया हो ..अब उसके दिल में कुछ भी भडास नही थी ..बिल्कुल रिलॅक्स्ड था सॅम और जब इंसान रिलॅक्स्ड होता है तभी उसके जिस्म की भूख जागती है ...
तभी सॅम देखता है साना अपने कमरे से बाहर आ रही थी , सीढ़ियों से उतरती हुई ...उस ने नाइटी पहेन रखी थी ...बिल्कुल झीनी पतली सी , पर अंदर ब्रा और पैंटी भी थी , जिस से उसकी चूचियाँ कसी थीं , बड़ा ही ठोस ( कड़क ) आकार लिए , मानो उछलते हुए बाहर आने को मचल रही थी ...नीचे पैंटी ने चूत के उभार को और भी हसीन कर दिया था ..ऐसा लग रहा था मानो साना की जांघों के बीच कोई पाव-रोटी का टूकड़ा बाँधा हो ... और चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट की झलक ...जंघें थीरक रही थी मोम के हर कदम के साथ ...
सॅम एक टक अपनी मोम को देखे जा रहा था ...बिना पालक झपकाए ...उसके पॅंट के अंदर हलचल मच उठी थी ...
साना उसके बगल की कुर्सी पर आ कर बैठ जाती है ..उसके बैठ ते ही उसके बदन की खूशबू का झोंका , अभी अभी नहाए बदन की खूशबू का झोंका सॅम अपनी साँसों के साथ महसूस करता है ... सॅम खो सा जाता है अपनी मोम के इस तरो-ताज़ा रूप में...
तभी म्र्स डी'सूज़ा भी किचन से बड़ा सा ट्रे हाथ में लिए डिन्नर ले आती है , टेबल पर दोनों के सामने रख देती है ..
सॅम की नज़र अभी भी अपनी मोम की ही तरेफ थी ...
साना अपनी उंगलियों से उसके चेहरे के सामने चुटकी बजाती हुई बोलती है ..
" अरे बाबा कब तक मुझे निहारता रहेगा ..अब ज़रा डिन्नर पर भी नज़र डाल बेटा ..देख कितना बढ़िया डिन्नर है ..सब कुछ तेरे पसंद का .."
सॅम अपने सुनहरे सपने से वापस डिन्नर की टेबल पर आ जाता है और बोल के ढक्कन खोल कर देखता है ...अंदर गर्म गर्म भाप निकलती हुई सब्जी भरी थी..मटर -पनीर ...सम की आँखों में चमक आ जाती है अपनी फॅवुरेट सब्जी देख..
" हां मोम ..सौज़ी मोम जानती है अच्छी तरेह मेरी पसंद ...पर मोम आज तो हर चीज़ मेरी पसंद की होती जा रही है ..उफफफफ्फ़ ..मैं किसे लूँ और किसे ना लूं ..समझ ही नही आ रहा .." सॅम यह बोलता हुआ मोम की ओर देखता है ..
" ह्म्म्म... बेटा इसमें ना समझने वाली कौन सी बात है..बस एक एक कर सब का मज़ा लेते जाओ .....रोका किस ने है..?" और यह बोलते हुए जोरों से हंस पड़ती है ...
कितना फ़र्क था ... सिर्फ़ 12 घंटे पहले का माहौल और अभी का माहौल ..इन 12 घंटों में सॅम और साना की दुनिया ही बदल गयी थी ..सब कुछ बदल गया था ...जहाँ डाइनिंग टेबल पर हमेशा तनाव, घुटन और एक चूप्पी का माहौल छाया रहता ..अभी उसकी जगेह प्यार , मस्ती और कितना खुशियों से भरा माहौल था ...इन 12 घंटों ने उनके वर्षों की घुटन , जलन , गीले-शीकवे , दूख-दर्द सब कुछ मिटा दिया था ...समय ने अपने बलवान होने की बात दोनों मा-बेटे को अच्छी तरेह समझा दिया था .
म्र्स डी' सूज़ा बिल्कुल चूप थी ..सामने की कुर्सी पर बैठी दोनों मा-बेटे को बड़े प्यार से निहारती जा रही थी ... उसका दिल भी आज कितना हल्का था ..अपने दोनों बचों की खुशी से ..हां सम और साना दोनों ही तो उसकी की गोद में पले बढ़े थे ... म्र्स. डी'सूज़ा ने अपनी कोख से इन दोनों बच्चो को जन्म नही दिया था..पर एक मा की गर्मी तो दी थी ना उन्हें अपनी गोद में भर ... उसका मन आज कितना हल्का था ..
वो उठ ती है अपनी कुर्सी से और कहती है .." अच्छा बाबा , तुम दोनों डिन्नर करो ..मैं ज़रा और भी काम काज किचन में निबटाती हूँ , कुछ ज़रूरत पड़े तो आवाज़ देना ...ओके..?? " और दोनों मा-बेटे के गाल पूच्कार्ती हुई किचन की ओर चल पड़ती है..
सॅम और साना एक दूसरे की ओर देखते जा रहे हैं ..दोनों का मन नही भरता एक दूसरे के इस रूप को देख ..सॅम साना की मदमाती , मस्त और सेक्सी बदन की ओर निहारता जाता और साना अपने बेटे की जवानी , बलिष्ठा बाहें , चौड़े सीने और अपने पापा जैसे चेहरे की ओर निहारती फूली नही समा रही थी ..इतने दिनों में आज पहली बार अपने बेटे को इस तरेह देख रही थी...नफ़रत की जगेह नज़रों में प्यार भरी थी , गुस्से की जगेह अब अथाह ममता ने ले ली थी ...
साना अपनी नज़र सम से हटाते है और अपनी ममता से भरी आवाज़ में कहती है." बेटा ..चल अब कुछ खा ले ना..कब से भूखा है .."
पर सम तो कुछ और ही सोच रहा था ...
" मोम ....मैने कहा ना मुझे यह डिन्नर नही चाहिए ,,मुझे तो कुछ और ही खाने का मन है..." उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान थी ..
" ह्म्म्म्म..मैं सब समझती हूँ ... शैतान कहीं का ... अरे भूखा रहेगा तो जो डिन्नर तू चाहता है ना ..तेरे गले से नीचे नही उतरेगी ..उस डिन्नर को चबाने के लिए मुँह में कुछ ताक़त भी तो चाहिए ना मेरे भोले राजा बेटे ..चल खा ले यह डिन्नर ..." साना उसे प्यार से झिड़की लगाते हुए बोलती है..
" ओके ओके मों .खाता हूँ बाबा खाता हूँ..पर ऐसे नही ..तू मुझे खिला ...मैं तो भोला भाला राजा बेटा हूँ ना तेरा ..मुझे तो खाना भी नही आता ...." और जोरों से खिलखिला उठ ता है सॅम ..
" उफफफफ्फ़..यह बच्चा ना ..बहोत बीगाड़ दिया है तेरी सौज़ी मोम ने ... अच्छा चल ले खा ..." और साना रोटी का एक छोटा टूकड़ा तोड़ती है ..सब्जी में डुबोते हुए सॅम के मुँह की ओर ले जाती है ....
काफ़ी देर तक दोनों मा-बेटे एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे ...साना आँखें खोलती है ..देखा तो शाम के करीब 8 बज रहे थे ....वो सॅम को बड़े प्यार से अपने उपर से हटाती है और कहती है ..." सम उठ जा बेटा...तेरी सौज़ी मोम आती ही होगी डिन्नर के लिए बुलाने को .."
अब तक सॅम के अंदर की भडास , दर्द , पीड़ा और मोम के पास और साथ होने की ललक और भूख मिट गयी थी ..वो शांत था ..पर अब उसकी हवस की भूख जाग उठी थी ...आखीर उसकी रगों में भी जवानी का खून था ..अब उसमें उबाल आना शूरू हो गया था....
साना जैसी औरत , जिसके हुस्न , खूबसूरती और बदन की गोलाईयो और उभारों से अच्छे अच्छों के दिल-ओ-दिमाग़ मचल उठ ते ..फिर सॅम तो एक नया खिलाड़ी था ..और उसकी जवानी अभी तो अपनी उफान पर थी ...उसकी नज़र साना के नंगे बदन पर पड़ती है ...
वो बस देखता ही रहता है ...अपनी मोम के खूबसूरत नंगेपन को निहारता जाता है ...
अब उसे साना में सिर्फ़ उसकी मोम ही नही पर एक बहोत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत की झलक दीखती है ....
वो साना से लिपट जाता है ..उसके रसीले होंठों को चूमता है ..उसकी चूचियाँ सहलाता है और बोल उठ ता है " मोम....जब इतना टेस्टी डिन्नर सामने हो.....तो सौज़ी मोम के डिन्नर को कौन पूछता है....उम्म्म्म..मोम प्लीज़ आज डिन्नर कॅन्सल करो ना ...."
साना अपने बेटे के इस रूप को देख चौंक पड़ती है ....और खुश भी होती है के उसमें अभी भी इतनी सेक्स-अपील है के सॅम जैसा जवान -मर्द भी उस पर मर मिटा है ...
वो प्यार से उसके गाल थप थपाती है , उसे चूमती है..और अपने नंगे जिस्म की ओर इशारा करते हुए बोलती है " नही सॅम ...नही ...यह डिन्नर तो तुम्हें सौज़ी मोम के डिन्नर के बाद ही मिलेगा ...चलो उठो ..कपड़े पहनो...हॅव युवर बाथ आंड बी रेडी फॉर डिन्नर..मैं तुम्हारा डाइनिंग टेबल पे इंतेज़ार करूँगी....कम ऑन गेट अप..."
" ओके ओके मोम ...बट प्रॉमिस कीजिए आप का डिन्नर मिलेगा ना ....? "
" ह्म्म्म्म....अरे बाबा पहले किचन वाला डिन्नर तो कर लो ना फिर सोचते हैं ..." साना की आँखों में बड़ी शरारती सी मुस्कान थी ...
" नो सोचना - वोचना मोम .....बस हम आप का डिन्नर करेंगे ....मैं आप को खा जाऊँगा ..आप मना करोगे फिर भी ...देख लेना ...." सॅम प्यारी सी धमकी देता हुआ मोम को फिर से जाकड़ लेता है , चूमता है और उठ जाता है , कपड़े पहेन अपने रूम की ओर चल पड़ता है ...
साना मन ही मन सोचती है सॅम सही में अब जवान हो गया है ..अपने बाप की तरेह ही मुझ से इतना प्यार करता है ... और मुस्कुरा उठ ती है ...सॅम के दिल में उसकी मा ने हलचल मचा दिया था और उसके लौडे में उसकी मा के खूबसूरत , सेक्सी और गदराए बदन ने ...
सॅम फ्रेश हो कर कपड़े बदल लेता है....शॉर्ट और टॉप में है अब वो...ढीला टॉप और शॉर्ट के अंदर से उसकी कसरती , कसी जंघें , सुडौल पैर की पिंडलियाँ , टॉप की बाहों से निकलती उसकी मस्क्युलर बाहें , चौड़ा सीना .किसी भी औरत का दिल उसकी बाहों में आ जाने , उसके सीने से लिपट जाने को मचल उठेगा ...
वो फिर से मस्ती में था ..कितना हल्का महसूस कर रहा था सॅम .. मानो उस के अंदर का सारा भारीपन , उसका तनाव , उसका इतने सालों से उबल्ति हुई मोम की प्यास, मोम के प्यार की भूख ...सब कुछ बाहर आ गया हो ..अब उसके दिल में कुछ भी भडास नही थी ..बिल्कुल रिलॅक्स्ड था सॅम और जब इंसान रिलॅक्स्ड होता है तभी उसके जिस्म की भूख जागती है ...
तभी सॅम देखता है साना अपने कमरे से बाहर आ रही थी , सीढ़ियों से उतरती हुई ...उस ने नाइटी पहेन रखी थी ...बिल्कुल झीनी पतली सी , पर अंदर ब्रा और पैंटी भी थी , जिस से उसकी चूचियाँ कसी थीं , बड़ा ही ठोस ( कड़क ) आकार लिए , मानो उछलते हुए बाहर आने को मचल रही थी ...नीचे पैंटी ने चूत के उभार को और भी हसीन कर दिया था ..ऐसा लग रहा था मानो साना की जांघों के बीच कोई पाव-रोटी का टूकड़ा बाँधा हो ... और चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट की झलक ...जंघें थीरक रही थी मोम के हर कदम के साथ ...
सॅम एक टक अपनी मोम को देखे जा रहा था ...बिना पालक झपकाए ...उसके पॅंट के अंदर हलचल मच उठी थी ...
साना उसके बगल की कुर्सी पर आ कर बैठ जाती है ..उसके बैठ ते ही उसके बदन की खूशबू का झोंका , अभी अभी नहाए बदन की खूशबू का झोंका सॅम अपनी साँसों के साथ महसूस करता है ... सॅम खो सा जाता है अपनी मोम के इस तरो-ताज़ा रूप में...
तभी म्र्स डी'सूज़ा भी किचन से बड़ा सा ट्रे हाथ में लिए डिन्नर ले आती है , टेबल पर दोनों के सामने रख देती है ..
सॅम की नज़र अभी भी अपनी मोम की ही तरेफ थी ...
साना अपनी उंगलियों से उसके चेहरे के सामने चुटकी बजाती हुई बोलती है ..
" अरे बाबा कब तक मुझे निहारता रहेगा ..अब ज़रा डिन्नर पर भी नज़र डाल बेटा ..देख कितना बढ़िया डिन्नर है ..सब कुछ तेरे पसंद का .."
सॅम अपने सुनहरे सपने से वापस डिन्नर की टेबल पर आ जाता है और बोल के ढक्कन खोल कर देखता है ...अंदर गर्म गर्म भाप निकलती हुई सब्जी भरी थी..मटर -पनीर ...सम की आँखों में चमक आ जाती है अपनी फॅवुरेट सब्जी देख..
" हां मोम ..सौज़ी मोम जानती है अच्छी तरेह मेरी पसंद ...पर मोम आज तो हर चीज़ मेरी पसंद की होती जा रही है ..उफफफफ्फ़ ..मैं किसे लूँ और किसे ना लूं ..समझ ही नही आ रहा .." सॅम यह बोलता हुआ मोम की ओर देखता है ..
" ह्म्म्म... बेटा इसमें ना समझने वाली कौन सी बात है..बस एक एक कर सब का मज़ा लेते जाओ .....रोका किस ने है..?" और यह बोलते हुए जोरों से हंस पड़ती है ...
कितना फ़र्क था ... सिर्फ़ 12 घंटे पहले का माहौल और अभी का माहौल ..इन 12 घंटों में सॅम और साना की दुनिया ही बदल गयी थी ..सब कुछ बदल गया था ...जहाँ डाइनिंग टेबल पर हमेशा तनाव, घुटन और एक चूप्पी का माहौल छाया रहता ..अभी उसकी जगेह प्यार , मस्ती और कितना खुशियों से भरा माहौल था ...इन 12 घंटों ने उनके वर्षों की घुटन , जलन , गीले-शीकवे , दूख-दर्द सब कुछ मिटा दिया था ...समय ने अपने बलवान होने की बात दोनों मा-बेटे को अच्छी तरेह समझा दिया था .
म्र्स डी' सूज़ा बिल्कुल चूप थी ..सामने की कुर्सी पर बैठी दोनों मा-बेटे को बड़े प्यार से निहारती जा रही थी ... उसका दिल भी आज कितना हल्का था ..अपने दोनों बचों की खुशी से ..हां सम और साना दोनों ही तो उसकी की गोद में पले बढ़े थे ... म्र्स. डी'सूज़ा ने अपनी कोख से इन दोनों बच्चो को जन्म नही दिया था..पर एक मा की गर्मी तो दी थी ना उन्हें अपनी गोद में भर ... उसका मन आज कितना हल्का था ..
वो उठ ती है अपनी कुर्सी से और कहती है .." अच्छा बाबा , तुम दोनों डिन्नर करो ..मैं ज़रा और भी काम काज किचन में निबटाती हूँ , कुछ ज़रूरत पड़े तो आवाज़ देना ...ओके..?? " और दोनों मा-बेटे के गाल पूच्कार्ती हुई किचन की ओर चल पड़ती है..
सॅम और साना एक दूसरे की ओर देखते जा रहे हैं ..दोनों का मन नही भरता एक दूसरे के इस रूप को देख ..सॅम साना की मदमाती , मस्त और सेक्सी बदन की ओर निहारता जाता और साना अपने बेटे की जवानी , बलिष्ठा बाहें , चौड़े सीने और अपने पापा जैसे चेहरे की ओर निहारती फूली नही समा रही थी ..इतने दिनों में आज पहली बार अपने बेटे को इस तरेह देख रही थी...नफ़रत की जगेह नज़रों में प्यार भरी थी , गुस्से की जगेह अब अथाह ममता ने ले ली थी ...
साना अपनी नज़र सम से हटाते है और अपनी ममता से भरी आवाज़ में कहती है." बेटा ..चल अब कुछ खा ले ना..कब से भूखा है .."
पर सम तो कुछ और ही सोच रहा था ...
" मोम ....मैने कहा ना मुझे यह डिन्नर नही चाहिए ,,मुझे तो कुछ और ही खाने का मन है..." उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान थी ..
" ह्म्म्म्म..मैं सब समझती हूँ ... शैतान कहीं का ... अरे भूखा रहेगा तो जो डिन्नर तू चाहता है ना ..तेरे गले से नीचे नही उतरेगी ..उस डिन्नर को चबाने के लिए मुँह में कुछ ताक़त भी तो चाहिए ना मेरे भोले राजा बेटे ..चल खा ले यह डिन्नर ..." साना उसे प्यार से झिड़की लगाते हुए बोलती है..
" ओके ओके मों .खाता हूँ बाबा खाता हूँ..पर ऐसे नही ..तू मुझे खिला ...मैं तो भोला भाला राजा बेटा हूँ ना तेरा ..मुझे तो खाना भी नही आता ...." और जोरों से खिलखिला उठ ता है सॅम ..
" उफफफफ्फ़..यह बच्चा ना ..बहोत बीगाड़ दिया है तेरी सौज़ी मोम ने ... अच्छा चल ले खा ..." और साना रोटी का एक छोटा टूकड़ा तोड़ती है ..सब्जी में डुबोते हुए सॅम के मुँह की ओर ले जाती है ....