hotaks444
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***** *****फ्लैशबैक
मेरी फ़ितरती हुश्न परस्ती टीचर सबा को देखते ही मुझे इस बात पर मजबूर करती कि मैं हरदम उनके साथ रहूँ। वो 28 साल की एक खूबसूरत खातून थी। और हुश्न का खिराज किस तरह अदा किया जाता है। वो उन्होंने ही मुझे सिखाया। वो ना सिर्फ़ मेरी मेथ्स टीचर थी। बल्की वो मेरी सेक्स टीचर भी थी। स्पोर्ट और खानदानी कद-काठी की वजह से ही मैं अपनी क्लास के तमाम लड़कों से बड़ा ही लगता था। मैंने टीचर का फेव रेट स्टूडेंट बनने के चक्कर में उनका कभी कोई काम मिस नहीं किया, यहाँ तक कि मैंने उनके पास अपना मैथ का ट्यूशन भी फ़िक्स करवा दिया।
अब स्कूल के बाद मैं उनके घर पर भी उनसे मैथ पढ़ने के लिए जाता था और वो 3 से 4 घंटे जो मैं तन्हा उनके साथ उनके रूम में होता था, वो मेरी उस वक्त की लाइफ के अविस्मरणीय क्षण थे। वो एक बड़े से घर में छोटे से परिवार के साथ रहती थी। उनके परिवार में उनके फादर जो कि बैंक में मुलाज़िम थे, उनकी मदर हाउसवाइफ, एक छोटा भाई जो इिंटरमीडियेट का स्टूडेंट था, मगर सारा दिन घर से बाहर ही रहता था, या फ़िर अपने रूम में।
टीचर 5 फीट हाइट की गोरी-चिट्टी, खूबसूरत फ़िगर की मालिक खातून थी। उनकी शादी हो चुकी थी, मगर उनके पति कनाडा में रहते थे, और अब टीचर भी जल्द ही उनके पास जाने की कोशिस कर रही थी। वैसे तो अक्सर ही किसी ना किसी बहाने मुझे टीचर के कभी आधे मम्मे, तो कभी उनकी हिलती हुई बड़ी-बड़ी गाण्ड नजर आ ही जाती थी और मैं इन दो चीजो को पूरी तरह से एंजाय करता था।
कुछ दोस्तों के साथ बातों-बातों के दौरान मैंने सेक्स के बारे में भी तफ़सील से सुना हुआ था। मगर ना कभी सेक्स करने का कोई इत्तेफाक हुआ था, ना ही मैंने कभी कोई पॉर्न मूवी ही देखी थी। आप यह कह सकते हैं कि मैंने कभी अपनी लाइफ में हरकत करती हुई ना तो टीवी पर और ना ही लाइव कोई मुकम्मल तौर पर नंगी खातून देखी थी।
लेकिन यह इत्तेफाक तब हुआ जब मैं एक दिन अपने टाइम से थोड़ा जल्दी ही टीचर के घर पहुँच गया तो, उनकी वालिदा दरवाजे पर खड़ी होकर किसी खातून से बातें कर रही थी। मुझे आता देखकर उन्होंने कहा-“अच्छा हुआ बेटा तुम थोड़ा जल्दी आ गये। तुम चल के बैठो, मैं जरा बाजार से होकर आती हूँ। तुम्हारी टीचर घर में अकेली थी ना तो, इसलिए मुझे अकेला घर छोड़ते हुए कुछ उलझन हो रही थी…”
मैंने जल्दी से कहा-कोई बात नहीं आंटी। मैं यही हूँ आप बेफ़िकर होकर जाइए…”
मेरी बात सुनकर उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा, और बोली-“अच्छा बेटा अंदर से कुण्डी लगा दो दरवाजे पर। मैं आकर बेल दूँगी तो दरवाजा खोलना…”
मैंने उनकी बात सुनकर गर्दन हिला दी।, और वो उस दूसरी आंटी के साथ आगे बढ़ गई। तो मैं दरवाजे को कुण्डी लगाकर रुटीन के मुताबिक ऊपर टीचर के रूम की तरफ बढ़ गया। ऊपर रूम का दरवाजा थोड़ा सा भिड़ा हुआ था, जो मेरे लाक के हैंडल बार दबाने से बहुत मामूली सी आवाज के साथ खुल गया। मैंने अंदर दाखिल होकर देखा तो टीचर मुझे कहीं नजर नहीं आई। लेकिन साइड पर वाशरूम के दरवाजे से पानी गिरने की आवाजें वाजिए तौर पर आ रही थी।
मैंने जैसे ही वाशरूम के दरवाजे की तरफ नजर घुमाई तो वाशरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था, और आधे दरवाजे में से सामने शावर के नीचे खड़ी टीचर सबा अपनी तमाम खूबसूरती के साथ बिल्कुल नंगी खड़ी नहा रही थी। उनकी पीठ मेरी तरफ थी, जिसके कारण उनका पिछला हिस्सा वाजेह तौर पर सॉफ मुझे नजर आ रहा था।
जिंदगी में पहली बार अपने सामने एक नंगी औरत देखकर एक लम्हे के लिए तो मैं घबरा गया। मगर मैं चाह कर भी अपनी नजरें वहाँ से ना घुमा सका। बस आँखे फाड़े मिस सबा को नहाते हुए देखने लगा। उनके चूतड़ों की गोलाइया जितनी कपड़ों में से गोल नजर आती थीं, नंगी में वो उनसे बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थीं। टीचर कभी-कभी हाथों को पीछे करते हुए इन गोलाईयों को रगड़ती और सॉफ करती, जिसके कारण वो एक झटके से हिलते तो मेरे दिल की धड़कन खुद-ब-खुद बढ़ जाती।
जब वो अपने दोनों हाथ उठाकर अपने सिर को सॉफ करती तो एक साइड से उनकी बड़ी-बड़ी चुचियों की हल्की सी झलक नजर आ जाती। मैं पूरा हाट हो चुका था और नीचे से मेरा लण्ड जो उस वक्त भी 7” से कम ना होगा, पूरा अकड़ चुका था। जिसके कारण मेरी पैंट वाजेह तौर पर सामने से उभरी हुई थी। मगर मुझे उसका कोई अहसास नहीं था। मेरी आँखों में से आग सी निकल रही थी। मेरे कानों की लौ तप चुकी थी। अब तो मुझे इस बात का भी अहसास ना रहा था कि मैं अपनी ही टीचर के रूम में खड़ा उसे ही नंगी नहाते हुए देख रहा हूँ।
ना जाने कब टीचर ने अपना सिर घुमाया और मुझे इस तरह बाथरूम के बाहर खड़ा देखकर चौंकी, या चिल्लाई मुझे कुछ पता नहीं था। मैं तो तब होश में आया जब टीचर बालों को तौलिए में लपेटे एक बड़े से गाउन में खुद को छुपाए मेरे सामने खड़ी मुझे जोर-जोर से हिला रही थी।
मेरी फ़ितरती हुश्न परस्ती टीचर सबा को देखते ही मुझे इस बात पर मजबूर करती कि मैं हरदम उनके साथ रहूँ। वो 28 साल की एक खूबसूरत खातून थी। और हुश्न का खिराज किस तरह अदा किया जाता है। वो उन्होंने ही मुझे सिखाया। वो ना सिर्फ़ मेरी मेथ्स टीचर थी। बल्की वो मेरी सेक्स टीचर भी थी। स्पोर्ट और खानदानी कद-काठी की वजह से ही मैं अपनी क्लास के तमाम लड़कों से बड़ा ही लगता था। मैंने टीचर का फेव रेट स्टूडेंट बनने के चक्कर में उनका कभी कोई काम मिस नहीं किया, यहाँ तक कि मैंने उनके पास अपना मैथ का ट्यूशन भी फ़िक्स करवा दिया।
अब स्कूल के बाद मैं उनके घर पर भी उनसे मैथ पढ़ने के लिए जाता था और वो 3 से 4 घंटे जो मैं तन्हा उनके साथ उनके रूम में होता था, वो मेरी उस वक्त की लाइफ के अविस्मरणीय क्षण थे। वो एक बड़े से घर में छोटे से परिवार के साथ रहती थी। उनके परिवार में उनके फादर जो कि बैंक में मुलाज़िम थे, उनकी मदर हाउसवाइफ, एक छोटा भाई जो इिंटरमीडियेट का स्टूडेंट था, मगर सारा दिन घर से बाहर ही रहता था, या फ़िर अपने रूम में।
टीचर 5 फीट हाइट की गोरी-चिट्टी, खूबसूरत फ़िगर की मालिक खातून थी। उनकी शादी हो चुकी थी, मगर उनके पति कनाडा में रहते थे, और अब टीचर भी जल्द ही उनके पास जाने की कोशिस कर रही थी। वैसे तो अक्सर ही किसी ना किसी बहाने मुझे टीचर के कभी आधे मम्मे, तो कभी उनकी हिलती हुई बड़ी-बड़ी गाण्ड नजर आ ही जाती थी और मैं इन दो चीजो को पूरी तरह से एंजाय करता था।
कुछ दोस्तों के साथ बातों-बातों के दौरान मैंने सेक्स के बारे में भी तफ़सील से सुना हुआ था। मगर ना कभी सेक्स करने का कोई इत्तेफाक हुआ था, ना ही मैंने कभी कोई पॉर्न मूवी ही देखी थी। आप यह कह सकते हैं कि मैंने कभी अपनी लाइफ में हरकत करती हुई ना तो टीवी पर और ना ही लाइव कोई मुकम्मल तौर पर नंगी खातून देखी थी।
लेकिन यह इत्तेफाक तब हुआ जब मैं एक दिन अपने टाइम से थोड़ा जल्दी ही टीचर के घर पहुँच गया तो, उनकी वालिदा दरवाजे पर खड़ी होकर किसी खातून से बातें कर रही थी। मुझे आता देखकर उन्होंने कहा-“अच्छा हुआ बेटा तुम थोड़ा जल्दी आ गये। तुम चल के बैठो, मैं जरा बाजार से होकर आती हूँ। तुम्हारी टीचर घर में अकेली थी ना तो, इसलिए मुझे अकेला घर छोड़ते हुए कुछ उलझन हो रही थी…”
मैंने जल्दी से कहा-कोई बात नहीं आंटी। मैं यही हूँ आप बेफ़िकर होकर जाइए…”
मेरी बात सुनकर उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा, और बोली-“अच्छा बेटा अंदर से कुण्डी लगा दो दरवाजे पर। मैं आकर बेल दूँगी तो दरवाजा खोलना…”
मैंने उनकी बात सुनकर गर्दन हिला दी।, और वो उस दूसरी आंटी के साथ आगे बढ़ गई। तो मैं दरवाजे को कुण्डी लगाकर रुटीन के मुताबिक ऊपर टीचर के रूम की तरफ बढ़ गया। ऊपर रूम का दरवाजा थोड़ा सा भिड़ा हुआ था, जो मेरे लाक के हैंडल बार दबाने से बहुत मामूली सी आवाज के साथ खुल गया। मैंने अंदर दाखिल होकर देखा तो टीचर मुझे कहीं नजर नहीं आई। लेकिन साइड पर वाशरूम के दरवाजे से पानी गिरने की आवाजें वाजिए तौर पर आ रही थी।
मैंने जैसे ही वाशरूम के दरवाजे की तरफ नजर घुमाई तो वाशरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था, और आधे दरवाजे में से सामने शावर के नीचे खड़ी टीचर सबा अपनी तमाम खूबसूरती के साथ बिल्कुल नंगी खड़ी नहा रही थी। उनकी पीठ मेरी तरफ थी, जिसके कारण उनका पिछला हिस्सा वाजेह तौर पर सॉफ मुझे नजर आ रहा था।
जिंदगी में पहली बार अपने सामने एक नंगी औरत देखकर एक लम्हे के लिए तो मैं घबरा गया। मगर मैं चाह कर भी अपनी नजरें वहाँ से ना घुमा सका। बस आँखे फाड़े मिस सबा को नहाते हुए देखने लगा। उनके चूतड़ों की गोलाइया जितनी कपड़ों में से गोल नजर आती थीं, नंगी में वो उनसे बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थीं। टीचर कभी-कभी हाथों को पीछे करते हुए इन गोलाईयों को रगड़ती और सॉफ करती, जिसके कारण वो एक झटके से हिलते तो मेरे दिल की धड़कन खुद-ब-खुद बढ़ जाती।
जब वो अपने दोनों हाथ उठाकर अपने सिर को सॉफ करती तो एक साइड से उनकी बड़ी-बड़ी चुचियों की हल्की सी झलक नजर आ जाती। मैं पूरा हाट हो चुका था और नीचे से मेरा लण्ड जो उस वक्त भी 7” से कम ना होगा, पूरा अकड़ चुका था। जिसके कारण मेरी पैंट वाजेह तौर पर सामने से उभरी हुई थी। मगर मुझे उसका कोई अहसास नहीं था। मेरी आँखों में से आग सी निकल रही थी। मेरे कानों की लौ तप चुकी थी। अब तो मुझे इस बात का भी अहसास ना रहा था कि मैं अपनी ही टीचर के रूम में खड़ा उसे ही नंगी नहाते हुए देख रहा हूँ।
ना जाने कब टीचर ने अपना सिर घुमाया और मुझे इस तरह बाथरूम के बाहर खड़ा देखकर चौंकी, या चिल्लाई मुझे कुछ पता नहीं था। मैं तो तब होश में आया जब टीचर बालों को तौलिए में लपेटे एक बड़े से गाउन में खुद को छुपाए मेरे सामने खड़ी मुझे जोर-जोर से हिला रही थी।