hotaks444
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कर रहा था. ऐसा जबरदस्त हमला चूत कब तक झेलती! वहीदा का शरीर अकड़ा और एक लम्बी ‘आऽऽऽऽह!’ के साथ उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया. उसका जिस्म बुरी तरह कांप रहा था. मुझे लगा कि
बिजलियाँ कड़क रही हैं और बरसात होने वाली है पर अपनी पूरी विल पॉवर लगा कर मैंने किसी तरह अपने आप को झड़ने से रोक लिया.
जब वहीदा का होश लौटा तो उसने मुझे बार-बार चूम कर मुझे मूक धन्यवाद दिया. मुझे फख्र महसूस हुआ कि मैं उसे इतना मजा दे पाया. इससे भी ज्यादा फख्र मुझे इस बात पर था कि मैं अभी तक नहीं झड़ा था. वहीदा जरूर मेरी मर्दानगी की
कायल हो गई होगी. मैं यही चाहता था. उसे और खुश करने के लिए मैंने कहा, “वहीदा, तुम्हारे हुस्न की तरह तुम्हारी चूत भी लाजवाब है. मुझे ख़ुशी है कि मैं उसकी थोड़ी इबादत कर पाया.”
मेरी बात सुन कर उसके चेहरे पर हया की लाली छा गई. उसने नज़रें झुका कर कहा, “लाजवाब तो आप हैं! मुझे अफ़सोस है कि मैं आपको मंजिल तक नहीं पहुंचा सकी. काश मैं भी आपकी खिदमत कर पाती.”
“मुझे कौन सी जल्दी पड़ी है,” मैंने कहा. “हाँ, तुम्हे जल्दी हो तो और बात है.”
“जल्दी कैसी, मैं तो सिर्फ आपको खुश करना चाहती हूँ,” वहीदा ने कहा. “आप जो करना चाहें, कीजिये और मुझ से कुछ करवाना हो तो हुक्म दीजिये.”
मेरा मन तो कर रहा था कि मैं वहीदा को अपना लंड चूसने को कहूं पर इसमें जल्दी झड़ने का जोखिम था. बहरहाल मैं वहीदा में आये बदलाव से बहुत खुश था. अब वो पूरी तरह मेरे काबू में लग रही थी. मैंने उसके ऊपर से उतरते हुए कहा,
“क्या तुम घोड़ी बन सकती हो?”
वहीदा समझ गई कि मैं उसे पीछे से चोदना चाहता हूँ. वो फ़ौरन पलट कर घोड़ी बन गई. उसके मांसल और सुडौल चूतड़ मेरी आंखों के सामने नुमाया हो गये. मेरी सहूलियत के लिए उसने अपनी टांगों को थोडा फैला दिया. अब जो मंज़र मेरी नज़रों
के सामने था वो बहुत ही दिलकश था. एक तरफ वहीदा की चुस्त गुलाबी गांड मेरे लंड को दावत दे रही थी तो दूसरी तरफ उसकी फड़कती हुई चूत कह रही थी कि आओ और मेरे अन्दर समा जाओ. लेकिन मुझे अपने बेकरार लंड को थोडा आराम
देना था ताकि वो जल्दी निपट कर मुझे शर्मिंदा न कर दे.
मैंने आगे झुक कर अपना मुंह वहीदा के चूतड़ों के बीच रख दिया. जैसे ही मेरी जीभ का स्पर्श उसकी गांड से हुआ, वहीदा चिहुंक उठी. लेकिन वो मेरे मुंह से दूर होती उससे पहले ही मैंने उसकी रानों को पकड़ लिया. मैं अपनी जीभ कभी उसके एक
चूतड़ पर फिराता तो कभी दूसरे पर. बीच-बीच में मेरी जीभ उसकी गांड और चूत का जायजा भी ले लेती. वहीदा एक बार फिर मस्ती से सराबोर होने लगी. उसका जिस्म मचलने लगा. मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी और अपनी जीभ
उसकी गांड पर जमा दी. जब ऊँगली और जीभ का दोहरा हमला हुआ तो वहीदा बेसाख्ता बोल उठी, “बस एहसान साहब, अब आ जाइए!”
अब वहीदा को और मुन्तजिर रखना बे-अदबी होती. इसलिए मैं एक बार फिर पोजीशन में आ गया, इस दफा उसके चूतड़ों के पीछे. उसकी गांड और चूत दोनों मेरी पहुँच में थीं. गांड के आकर्षण पर काबू पाना आसान न था पर मुझे इल्म था कि गांड मारने में जल्दबाजी मुझे उसकी चूत से भी महरूम कर सकती थी. इसलिए फ़िलहाल मैंने उसकी चूत को ही अपना निशाना बनाया. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रख कर उसे आगे धकेला. उसने अपनी चूत को ढीला छोड़ दिया था
इसलिए लंड चूत के अंदर धंसने लगा. चूत में काफी चिकनाई भी थी इसलिये मेरे लंड को उसके अंदर दाखिल होने में कोई मुश्किल पेश नहीं आई. मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और उनकी चूत में धक्के मारने लगा. मुझे अपना लंड उसके हसीन चूतड़ों के बीच चूत के अंदर-बाहर होता नज़र आ रहा था. यह एक बहुत ही दिलकश नज़ारा था! मैं उसकी चूत में मुसलसल धक्के मार रहा था और वो अपनी कमर को पीछे धकेल कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं. उसके मुंह से बेसाख्ता आहें निकल रही थीं, “आह! आsssह! ओह! ओsssह! उंह…! हाय अल्लाह!”
बिजलियाँ कड़क रही हैं और बरसात होने वाली है पर अपनी पूरी विल पॉवर लगा कर मैंने किसी तरह अपने आप को झड़ने से रोक लिया.
जब वहीदा का होश लौटा तो उसने मुझे बार-बार चूम कर मुझे मूक धन्यवाद दिया. मुझे फख्र महसूस हुआ कि मैं उसे इतना मजा दे पाया. इससे भी ज्यादा फख्र मुझे इस बात पर था कि मैं अभी तक नहीं झड़ा था. वहीदा जरूर मेरी मर्दानगी की
कायल हो गई होगी. मैं यही चाहता था. उसे और खुश करने के लिए मैंने कहा, “वहीदा, तुम्हारे हुस्न की तरह तुम्हारी चूत भी लाजवाब है. मुझे ख़ुशी है कि मैं उसकी थोड़ी इबादत कर पाया.”
मेरी बात सुन कर उसके चेहरे पर हया की लाली छा गई. उसने नज़रें झुका कर कहा, “लाजवाब तो आप हैं! मुझे अफ़सोस है कि मैं आपको मंजिल तक नहीं पहुंचा सकी. काश मैं भी आपकी खिदमत कर पाती.”
“मुझे कौन सी जल्दी पड़ी है,” मैंने कहा. “हाँ, तुम्हे जल्दी हो तो और बात है.”
“जल्दी कैसी, मैं तो सिर्फ आपको खुश करना चाहती हूँ,” वहीदा ने कहा. “आप जो करना चाहें, कीजिये और मुझ से कुछ करवाना हो तो हुक्म दीजिये.”
मेरा मन तो कर रहा था कि मैं वहीदा को अपना लंड चूसने को कहूं पर इसमें जल्दी झड़ने का जोखिम था. बहरहाल मैं वहीदा में आये बदलाव से बहुत खुश था. अब वो पूरी तरह मेरे काबू में लग रही थी. मैंने उसके ऊपर से उतरते हुए कहा,
“क्या तुम घोड़ी बन सकती हो?”
वहीदा समझ गई कि मैं उसे पीछे से चोदना चाहता हूँ. वो फ़ौरन पलट कर घोड़ी बन गई. उसके मांसल और सुडौल चूतड़ मेरी आंखों के सामने नुमाया हो गये. मेरी सहूलियत के लिए उसने अपनी टांगों को थोडा फैला दिया. अब जो मंज़र मेरी नज़रों
के सामने था वो बहुत ही दिलकश था. एक तरफ वहीदा की चुस्त गुलाबी गांड मेरे लंड को दावत दे रही थी तो दूसरी तरफ उसकी फड़कती हुई चूत कह रही थी कि आओ और मेरे अन्दर समा जाओ. लेकिन मुझे अपने बेकरार लंड को थोडा आराम
देना था ताकि वो जल्दी निपट कर मुझे शर्मिंदा न कर दे.
मैंने आगे झुक कर अपना मुंह वहीदा के चूतड़ों के बीच रख दिया. जैसे ही मेरी जीभ का स्पर्श उसकी गांड से हुआ, वहीदा चिहुंक उठी. लेकिन वो मेरे मुंह से दूर होती उससे पहले ही मैंने उसकी रानों को पकड़ लिया. मैं अपनी जीभ कभी उसके एक
चूतड़ पर फिराता तो कभी दूसरे पर. बीच-बीच में मेरी जीभ उसकी गांड और चूत का जायजा भी ले लेती. वहीदा एक बार फिर मस्ती से सराबोर होने लगी. उसका जिस्म मचलने लगा. मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी और अपनी जीभ
उसकी गांड पर जमा दी. जब ऊँगली और जीभ का दोहरा हमला हुआ तो वहीदा बेसाख्ता बोल उठी, “बस एहसान साहब, अब आ जाइए!”
अब वहीदा को और मुन्तजिर रखना बे-अदबी होती. इसलिए मैं एक बार फिर पोजीशन में आ गया, इस दफा उसके चूतड़ों के पीछे. उसकी गांड और चूत दोनों मेरी पहुँच में थीं. गांड के आकर्षण पर काबू पाना आसान न था पर मुझे इल्म था कि गांड मारने में जल्दबाजी मुझे उसकी चूत से भी महरूम कर सकती थी. इसलिए फ़िलहाल मैंने उसकी चूत को ही अपना निशाना बनाया. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रख कर उसे आगे धकेला. उसने अपनी चूत को ढीला छोड़ दिया था
इसलिए लंड चूत के अंदर धंसने लगा. चूत में काफी चिकनाई भी थी इसलिये मेरे लंड को उसके अंदर दाखिल होने में कोई मुश्किल पेश नहीं आई. मैंने उसकी कमर को पकड़ लिया और उनकी चूत में धक्के मारने लगा. मुझे अपना लंड उसके हसीन चूतड़ों के बीच चूत के अंदर-बाहर होता नज़र आ रहा था. यह एक बहुत ही दिलकश नज़ारा था! मैं उसकी चूत में मुसलसल धक्के मार रहा था और वो अपनी कमर को पीछे धकेल कर मेरा पूरा साथ दे रही थीं. उसके मुंह से बेसाख्ता आहें निकल रही थीं, “आह! आsssह! ओह! ओsssह! उंह…! हाय अल्लाह!”