Chudai Story अजब प्रेम की गजब कहानी - Page 3 - SexBaba
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Chudai Story अजब प्रेम की गजब कहानी

अवी- कुछ चाइ कॉफी

डिंपल- उसको देख कर मुझे कुछ नही खाना पीना अब सीधे घर चल

अवी- मुस्कुरकर दीदी जब से मैने तुमसे यह क्या कह दिया कि तुम गुस्से मे बहुत खूबसूरत लगती हो तब से तुम ज़्यादातर गुस्से मे ही रहने लगी हो,

डिंपल- उसको घूर कर खा जाने वाली नज़रो से देखती है और

अवी- मुस्कुरकर वैसे तुम वाकई गुस्से मे बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो जाती हो, और डिंपल का हाथ पकड़ कर चलो एक-एक

कप कॉफी पीते है

डिंपल- अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई, अवी मुझे नही पीना छ्चोड़ मेरा हाथ

अवी- उसको गुस्से से देखता हुआ, नही छ्चोड़ूँगा, चुप चाप चलो मेरे साथ और उसका हाथ पकड़ कर एक कॉफी सेंटर पर

लेजा कर उसका हाथ छ्चोड़ते हुए चलो चुपचाप बैठ जाओ

डिंपल- उसे घुरती हुई वहाँ बैठ जाती है और अवी दो कॉफी का ऑर्डर कर देता है और अपनी दीदी के सामने बैठ जाता है

अवी मुस्कुराता हुआ डिंपल को देखने लगता है और डिंपल अपने चेहरे पर गुस्सा दिखाते हुए दूसरी ओर देखने लगती है

अवी- अपनी हथेली खोल कर उसे देखने लगता है और डिंपल उसकी ओर तिर्छि नज़रो से देखती है और अवी एक दम से डिंपल की

ओर देखने लगता है और डिंपल झट से अपनी नज़रे दूसरी ओर घुमा लेती है, अवी मुस्कुराता हुआ अपनी हथेली बंद करके

अवी- क्या दीदी कब तक मुझसे नाराज़ रहोगी, प्लीज़ मेरी तरफ देखो ना

डिंपल- उसकी ओर नही देखती है और

अवी- दीदी तुम जानती हो मैने एक बात सोची है, बस कुछ ही समय मे मेरी एग्ज़ॅम हो जाएगे फिर मैं पापा से कह कर एक

बाइक ले लूँगा और फिर मैं तुम्हे अपनी बाइक पर बैठा कर कॉलेज ले जाया करूँगा

डिंपल- उसको देख कर मुझे नही जाना तेरे साथ कॉलेज वल्लेगे

अवी- मुस्कुराता हुआ चलो शुक्र है तुम कुछ बोली तो, अरे मेरे साथ नही जाओगी तो क्या अपनी उस चिपकू, बोर और पकाऊ सहेली के साथ ही जाओगी

डिंपल- हा मैं उसी के साथ जाउन्गि

अवी- मुस्कुराते हुए, चलो कोई बात नही, वैसे तुम्हराई सहेली भी मस्त है, एक दम पटका लगती है

डिंपल- खबरदार जो उसके बारे मे कुछ उल्टा सीधा कहा तो

अवी- तो फिर तुम्हारे बारे मे कहु

डिंपल- तुझे शर्म नही आती अपनी दीदी से उल्टी बाते करते हुए

अवी- अरे यार मैने तो अभी तक तुमसे कुछ भी नही कहा और तुम इतना नाराज़ हो रही हो जब मैं तुमसे अपने दिल की बात कहूँगा तब तुम्हारा क्या होगा

डिंपल- कौन सी बात कहना चाहता है तू मुझसे

अवी- मुस्कुराता हुआ, दीदी तुम इतनी समझदार हो कि मेरे बिना कहे ही मेरी हर बात समझ जाती हो, है ना

डिंपल- अपना नज़रे इधर उधर करती हुई, मुझे नही मालूम

तभी उनकी कॉफी आ जाती है और अवी और डिंपल कॉफी पीने लगते है अवी कॉफी पीते हुए डिंपल को लगातार देखता रहता

है और डिंपल अपनी नज़रे इधर उधर मारती है पर बीच-बीच मे अवी को देख लेती है और जब वह अवी को देखती है अवी

उसको देख कर मुस्कुरा देता है, दोनो कॉफी कुछ इस अंदाज मे पीते है कि अपने दोनो हाथो से कप को पकड़े हुए अपने

होंठो से सिर्फ़ दो इंच की दूरी पर रखते है और इसी बीच उनकी नज़रे एक बार एक दूसरे की आँखो मे देखती हुई ठहर जाती

है और डिंपल उसकी आँखो मे देखती रहती है और अवी डिंपल की आँखो मे देखता हुआ मुस्कुराता रहता है और जैसे ही

डिंपल थोड़ा सा मुस्कुराती है अवी उसकी ओर देख कर मुस्कुराता हुआ अपनी आँख मार देता है और डिंपल मंद-मंद

मुस्कुराते हुए अपने कप को नीचे लेजाते हुए
 
डिंपल- अवी तू बहुत बदमाश हो गया है

अवी- मुस्कुराता हुआ, दीदी तुमने ही मुझ पर जादू किया है

डिंपल- मुस्कुरा कर क्या मैं कोई जादूगर हू जो तुझ पर जादू करूँगी

अवी- दीदी तुम्हे तो बहुत कुछ अपने बारे मे पता नही है

डिंपल- उसको देखती हुई, क्या पता नही है

अवी- यही कि तुम कितनी खूबसूरत हो

डिंपल- अवी मुझे लगता है तू पागल हो गया है

अवी- दीदी तुमसे बेहतर मुझे कौन जान सकता है, मैं सचमुच पागल हो गया हू

डिंपल- मुस्कुराते हुए कही पूरा पागल मत हो जाना और कॉफी का कप रख कर अब उठ यहा से और चल और डिंपल जैसे

ही पलट कर जाने लगती है अवी उसका हाथ पकड़ लेता है और डिंपल उसकी ओर जब घूम कर देखती है तो

अवी- बिल्कुल सीरीयस चेहरा बना कर डिंपल की आँखो मे देखता हुआ, दीदी मैं सचमुच पूरा पागल हो जाना चाहता हू

डिंपल का चेहरा एक दम से उसकी आँखो को देख कर और बातो को सुन कर सीरीयस हो जाता है और वह कुछ नरम पड़ती

हुई धीरे से अवी छ्चोड़ मेरा हाथ सब देख रहे है

अवी- पहले कहो मैं पागल हो जाउ ना

डिंपल- इधर उधर देखती हुई मंद-मंद मुस्कुराते हुए, मुझे नही मालूम,

अवी- प्लीज़ दीदी एक बार कह दो कि अवी तू पागल हो जा

डिंपल- अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती हुई अवी यह क्या बच्पना है छ्चोड़ मेरा हाथ सब देख रहे है

अवी- नही पहले कहो अवी तू पागल हो जा

डिंपल- उसे घुरती हुई, मैं नही कहूँगी

अवी- दीदी तुम्हे कहना पड़ेगा

डिंपल- पहले हाथ छ्चोड़

अवी- नही पहले कहो

डिंपल- मुस्कुरकर अच्छा अवी भैया जाओ पागल हो जाओ

अवी- किसके लिए

डिंपल- मुझे नही मालूम

अवी- खड़ा होकर उसके पास आकर, दीदी तुम जानती हो मैं किसके लिए पागल हो जाना चाहता हू

डिंपल- इधर उधर देखती हुई अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने की कोशिश करती हुई, मुझे नही मालूम

अवी- डिंपल की हाथ को अपने हाथ से कस कर दबा लेता है और डिंपल उसकी ओर घूर कर देखने लगती है

अवी- दीदी मैं तुम्हारे लिए पागल हो जाना चाहता हू

डिंपल- उसको गुस्से से देखती हुई, अवी यह सब क्या पागलपन है और अपना हाथ एक झटके से छुड़ाते हुए, अब चल यहा से

और दूसरी ओर चल देती है, उसकी आँखो गुस्से से लाल हो रही थी और अवी जाकर कॉफी के पैसे देकर जल्दी से डिंपल के

पीछे-पीछे चलता हुआ,

अवी-दीदी सुनो तो

डिंपल- रुक कर, अवी बहुत हो गई तेरी बकवास अब अपना मूह बिल्कुल बंद रख और जा रिक्शा ले कर आ

अवी- आगे कुछ ना कह कर सीधे रिक्शे वाले को लेकर आता है और डिंपल उसमे बैठ जाती है और फिर अवी भी बैठ जाता है

और रिक्शा चल देता है, दोनो सारे रास्ते खामोश रहते है और फिर जैसे ही घर आता है डिंपल उतर कर लॉक खोल कर

सीधे अपने बेडरूम मे जाकर पेट के बल धड़म से गिर कर अपने चेहरे पर तकिया रख कर लेट जाती है और अवी चुपचाप

सोफे पर बैठ कर सोचने लगता है, लगता है मैने दीदी को बहुत ज़्यादा नाराज़ कर दिया है, पर मैं क्या करू कहा तक अपने

दिल का हाल उससे छुपा कर रखू, अगर मैं उसे इतना प्यार करता हू तो कौन सा ग़लत करता हू, क्या प्यार करना गुनाह है, और

मैं यह भी जानता हू कि वह भी मुझे चाहती है पर पता नही क्यो डरती है,
 
डिंपल अपने रूम मे लेटी हुई बहुत परेशान थी और समझ नही पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए, अवी से वह कभी

बात नही करना चाहती थी लेकिन कुछ देर पड़े रहने के बाद ना जाने क्यो उसका दिल फिर से अवी के पास जाने के लिए तड़पने

लगा था और वह बार-बार सोच रही थी कि डिंपल अब अवी को ज़्यादा भाव ना देते हुए उसके साथ सख्ती से पेश आना चाहिए

और अब शाम तक मैं उसके सामने ही नही जाउन्गि, लेकिन थोड़ी देर बाद ही वह उठी और फिर से बाहर आकर अवी को पीछे से

देखती है और जो देखती है उसे देख कर डिंपल के होश उड़ जाते है,

अवी डिंपल की तस्वीर को देख-देख कर उसके चेहरे को चूम रहा था और डिंपल उसके पीछे खड़ी हुई उसे आश्चर्या से

देख रही थी, डिंपल जल्दी से पलट कर वापस अपने रूम मे आ जाती है और उसका दिल जोरो से धड़कने लगता है वह बेड

पर लेट कर सोचने लगती है, अवी ऐसा क्यो कर रहा है मैं तो उसकी बहन हू उसके बाद भी वह मेरे बारे मे ऐसा सोच रहा

है, नही-नही यह ग़लत है उसे ऐसा नही करना चाहिए, मैं क्या करू, मुझे कुछ समझ नही आ रहा है किसी से बता

भी नही सकती, कुछ देर तक डिंपल बेड पर पड़ी-पड़ी अवी के बारे मे सोचती रहती है, तभी अवी अंदर आता है और दीदी

क्या कर रही हो

डिंपल- उठ कर बैठते हुए कुछ नही, उसका चेहरा ऐसा लग रहा था जैसे सूजा हुआ हो,

अवी- दीदी मुझसे नाराज़ हो

डिंपल- नही

अवी- दीदी मुझे चाइ पीना है

डिंपल- जाकर बना ले

अवी- नही मुझे तुम्हारे हाथ की पीना है

डिंपल- कुछ सोच कर ठीक है लाती हू और उठ कर जाने लगती है

अवी उसका हाथ पकड़ लेता है और डिंपल उसके चेहरे की ओर देखने लगती है

अवी- दीदी सॉरी

डिंपल- किस बात के लिए

अवी- शायद तुम्हे मेरी किसी बात का बुरा लगा है

डिंपल- मेरा हाथ छ्चोड़ मैं चाइ बना कर लाती हू

अवी- खड़ा होकर मुझे माफ़ नही करोगी

डिंपल- ठीक है कर दिया

अवी- ऐसे नही पहले एक बार मुस्कुरा कर कहो मैने तुझे माफ़ कर दिया

डिंपल- अपना हाथ छुड़ाते हुए अवी हर बात मे बच्चो जैसी ज़िद मत करा कर और फिर डिंपल बाहर निकल जाती है और

अवी उसको देखता रह जाता है

कुछ देर बाद डिंपल चाइ बना कर लाती है और अवी को देते हुए ले तेरी चाइ

अवी- मुझे नही पीना

डिंपल- नही पीना तो बनवाई क्यो है

अवी- अब मेरा मूड नही है पीने का तुम ले जाओ यहा से

डिंपल- उसके सामने चाइ रखती हुई पीना है तो पी ले नही तो फेक दे समझे

अवी- डिंपल की बात सुन कर बहुत गुस्से मे आ जाता है और डिंपल जैसे ही जाने लगती है उसका हाथ पकड़ कर मोदते हुए

अवी- तुम अपने आप को समझती क्या हो, मैं पागलो की तरह तुम्हारे लिए 4 दिन से परेशान हू और तुम हो कि सब कुछ

समझते हुए भी मुझे अवाय्ड कर रही हो

डिंपल- गुस्से से अवी को देखती हुई, अवी मेरा हाथ छ्चोड़

अवी- नही छ्चोड़ूँगा, क्या कर लोगि

डिंपल- कुछ नरम पड़ते हुए अवी प्लीज़ मेरा हाथ छ्चोड़ दे मुझे दर्द हो रहा है

अवी- उसके चेहरे पर दर्द की झलक देख कर थोड़ा शांत हो जाता है और धीरे से उसका हाथ छ्चोड़ देता है

डिंपल- अवी तू अपनी दीदी के साथ ऐसा गुस्सा दिखा रहा है, देख तूने मेरा हाथ कितनी ज़ोर से पकड़ा था तेरी उंगलियो के

निशान तक बन गये
 
अवी- उसको देखता हुआ, उसके हाथ को अपने हाथ मे लेकर सहलाता हुआ, आइ आम सॉरी दीदी, मुझे माफ़ कर दो

डिंपल- उसे देख कर चाइ पिएगा कि नही

अवी- क्यो नही पीऊंगा, तुम मेरे लिए जहर भी लाती तो मैं पी लेता और अवी चाइ उठा कर पीने लगता है और डिंपल उसको देख

कर मुस्कुरा देती है,

दिन बीतते जाते है और अवी का प्यार अपनी दीदी के लिए बढ़ता ही जाता है वह बहुत कोशिश करता है कि डिंपल को अपने दिल की

हर बात साफ-साफ कह दे लेकिन ना जाने क्या सोच कर वह हर बार चुप रह जाता है, उधर डिंपल अच्छी तरह जानती है कि अवी

उसे कुछ अलग नज़र से देखता है पर वह यह नही जानती थी कि अवी उसे किस हद तक चाहता है, और ना वह यह जानती थी कि

उसे भी अवी की आदत सी हो गई है और वह भी अवी की अनुपस्थिति मे उसे मिस करती है,

एक दिन जब अवी की एग्ज़ॅम शुरू होने वाली थी और वह बेड पर पढ़ाई कर रहा था उस वक्त उसके घर मे स्वीटी और डिंपल

बाहर बैठ कर बाते कर रही थी और फिर उसे स्वीटी की ज़ोर से हस्ने की आवाज़ आती है तो वह उत्सुकतावश सोचता है कि

आख़िर दोनो मे क्या बाते हो रही है जो इतना हस रही है और वह दरवाजे के पास जाकर उनकी बाते सुनने की कोशिश करने

लगता है

डिंपल- अरे यार थोड़ा धीरे बोल अवी अंदर ही है

स्वीटी- अरे उसे भी सुन लेने दे कि कैसे मेरे भैया मेरी भाभी को पूरी नंगी करके उसके साथ सॉल्सा कर रहे थे और

मैं मज़े लेकर उन्हे देख रही थी, वाकई डिंपल जब भैया का मोटा लंड भाभी की फूली हुई चूत से टकराता था तो भाभी

एक दम से भैया की गोद मे दोनो पेर उनके आस पास करके बिल्कुल उनके लंड पर चढ़ जाती थी और वह नज़ारा देख कर मेरी

चूत पूरी गीली हो गई थी, सच कितना मोटा लंड है मेरे भैया का काश एक बार मुझे भी उनका लंड पकड़ने का मोका मिला

जाता तो मज़ा आ जाता

डिंपल- उसको मारते हुए चुप कर कमिनि तू बहुत गंदी है तुझे शरम नही आती अपने भैया के बारे मे ऐसा सोचते

हुए,

स्वीटी- अरे तुझे एक बात बताऊ भैया भी कम नही है कुछ दिनो से तो ऐसा लगता है जैसे वह मुझे भी चोदने की फिराक

मे रहने लगे है,

डिंपल- वो कैसे

क्रमशः........
 
अजब प्रेम की गजब कहानी --7

गतान्क से आगे......

स्वीटी- अरे तुझे मालूम नही एक दिन मैं सो रही थी लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी और भाभी भी मेरे पास घोड़े

बेच कर सो रही थी तभी रूम के अंदर भैया आए और पहले तो उन्होने धीरे से भाभी के दूध को उनके ब्लौज के उपर

से धीरे से सहलाया शायद वह भाभी को उठा कर अपने साथ उनके रूम मे ले जाना चाहते थे लेकिन जब भाभी ने कोई

हरकत नही की तो मेरी ओर देखने लगे और मैं सोने का नाटक करने लगी तो उन्होने धीरे से मेरी मोटी गंद को दबा कर

अपना हाथ बड़े प्यार से कुछ देर तक फेरा और फिर अपने लंड को मसल्ते हुए मेरी मोटी-मोटी जाँघो का जयजा लेने लगे

और जब उन्हे मेरी गुदाज जाँघो का एहसास मिला तो मेरे ख्याल से उनका मोटा लंड झटके मारने लगा और उन्होने एक बार

मेरी जाँघो को अपने दोनो हाथो से कस कर दबोचते हुए सहलाया और फिर धीरे से अपना हाथ मेरी गदराई गंद पर

दबा-दबा कर फेरते हुए एक बार मेरी गुदा को सहलाते हुए जल्दी से बाहर निकल गये,

डिंपल- क्या बात कर रही है, तेरे भैया को शर्म नही आई अपनी बहन के जिस्म पर इस तरह हाथ फेरते हुए

स्वीटी- अरे मैं तो उस दिन से कई बार मौके की तलाश मे रहती हू पर भाभी के होने की वजह से मौका ही नही मिलता और

भैया अक्सर मेरे मोटे-मोटे दूध और गदराई गंद को बड़ी हसरत भरी नज़रो से देखते है,

डिंपल- तुम दोनो बही बहन एक जैसे ही हो

स्वीटी- अच्छा, मुझे तो लगता है अवी भी तुझे चोदना चाहता है

डिंपल- उसे गुस्से से देखती हुई बंद कर अपनी बकवास

स्वीटी- मुस्कुराते हुए अच्छा बाबा सॉरी नाराज़ क्यो होती है, पर एक बात है और उसके मोटे-मोटे दूध को पकड़ कर

दबाती हुई अगर मैं तेरा भाई होती तो तेरी इन कसी हुई चुचियो का रस पिए बिना नही रह पाती कितने मोटे और कसे हुए

दूध है तेरे

डिंपल- स्वीटी मार खाएगी तू मुझसे

स्वीटी- अच्छा बता क्या तेरी चूत से कभी पानी नही आता है

डिंपल- मुस्कुराते हुए आता है तो

स्वीटी- क्या कभी तेरा मन चुदने का नही होता है

डिंपल- होता है तो क्या नंगी हो जाउ

स्वीटी- अगर अवी तुझे एक बार नंगी देख ले तो वह तुझे चोदे बिना नही रह पाएगा

डिंपल- अवी ऐसा नही है

स्वीटी- तुझे क्या पता कि जब तू रात को सो जाती हो तो अवी तुझे अपनी बाँहो मे भर कर चूमता हो

डिंपल- वह इतना गंदा नही है कि अपनी बहन के साथ ऐसा करेगा

स्वीटी- अच्छा डिंपल एक बात सच-सच बता तुझे मेरी कसम है, अवी भी तेरे दूध को घूरता है ना

डिंपल- एक दम से सकपकाते हुए, अपनी नज़रे इधर उधर करके मुझे नही पता

स्वीटी- देख मेरी कसम दी है मैने तू मुझसे झूठ नही बोल सकती है और फिर मैं तेरी सबसे खास दोस्त हू, मैने

अपने जिंदगी के हर राज को तुझसे शेर किया है तो क्या तुझे मुझ पर ऐतबार नही

डिंपल- मुझे तुझ पर खुद से ज़्यादा ऐतबार है

स्वीटी- तो फिर सच-सच बता क्या अवी तेरे दूध की ओर देखता है ना

डिंपल- अपनी नज़रे नीचे झुकाए हुए, हाँ

स्वीटी- तो तुझे बुरा नही लगता है

डिंपल- लगता है

स्वीटी- पर कभी-कभी अच्छा भी लगता होगा ना

डिंपल- उसकी बात सुन कर एक दम से उसे देखने लगती है

स्वीटी- देख झूठ मत बोलना, मैं तेरे दिल के हर हाल को जानती हू, बोल अच्छा लगता है ना

डिंपल- यार प्लीज़ ऐसे सवाल मत पूछ, मुझे अच्छा नही लग रहा है

स्वीटी- अच्छा नही पूछूंगी और वैसे भी मैं तेरा जवाब जान चुकी हू

डिंपल- उसको आश्चर्या से देखते हुए क्या जान चुकी है

स्वीटी- मुस्कुराते हुए, यही कि अगर अवी तुझे अपने सीने से लगा लेता है तो तू भी उससे कस कर लिपट जाएगी क्यो कि तू भी

उसकी बाँहो मे जाने के लिए तड़प रही है

डिंपल- मुस्कुराते हुए, ऐसा कुछ नही है मेडम अपनी सोच को अपने पास ही रखो
 
अवी उन दोनो की बतो को सुन कर अंदर ही अंदर खुश हो जाता है और उसका विश्वास और भी पक्का हो जाता है

कुछ दिन बाद अवी की एग्ज़ॅम शुरू हो जाती है और उसकी एग्ज़ॅम के जस्ट बाद डिंपल की भी एग्ज़ॅम शुरू हो जाती है और फिर एक दिन

जब डिंपल और अवी शाम को 4 बजे करीब चाइ की चुस्किया ले रहे थे तभी स्वीटी वहाँ आ जाती है और

स्वीटी- क्या बात है अकेले-अकेले चाइ पी जा रही है

डिंपल- मुस्कुराते हुए आ जा तुझे भी पिलाती हू और डिंपल वापस अंदर चली जाती है और

स्वीटी- और क्या अवी क्या हाल है तुम्हारे एग्ज़ॅम तो अच्छी रही ना

अवी- बस सब ठीक है और एग्ज़ॅम भी अच्छी थी

अवी अपने मन मे फिर आ गई पकाने, अच्छा भला मैं दीदी को देख रहा था और अब इनकी सुनो, फिर अपने मन मे कुछ

सोचते हुए क्यो ना आज दीदी को जलाया जाए, वैसे भी वह मुझे आगे बढ़ने ही नही दे रही है तो कुछ दूसरा ही रास्ता

अपनाया जाए और फिर जैसे ही डिंपल आती है अवी स्वीटी के कसे हुए दूध को घूर कर देखने लगता है और डिंपल अवी

की नज़रो को स्वीटी के मोटे-मोटे तने हुए दूध पर पड़ते देखती है तो मन ही मन अवी को बुरा भला कहते हुए बैठ

जाती है, स्वीटी डिंपल से बात करने लगती है और अवी स्वीटी को घूर-घूर कर देखने लगता है और फिर

स्वीटी- यार मैं यह कहने आई थी कि अब हमारी एग्ज़ॅम तो ख़तम हो गई है क्यो ना हम लोग कही घूमने चले

डिंपल- कहाँ जाएगे

स्वीटी- अरे हमारा गाँव है तू कहे तो वहाँ चलते है चार पाँच दिन वही रहेगे वाहा हमारा पुस्तैनि घर भी बना

हुआ है, बोल क्या बोलती है

डिंपल- नही यार पापा नही जाने देंगे

स्वीटी- यार अपने पापा को बोल ना कि मेरे भैया भाभी भी हमारे साथ जा रहे है वह मान जाएगे और फिर एक हफ्ते की

ही तो बात है, तभी उनके घर के बाहर जीप आकर रुकती है और

अवी- लगता है हिट्लर मेरा मतलब है पापा आ गये

डिंपल- अवी की ओर घूर कर देखती है और स्वीटी दोनो को देख कर मुस्कुराते हुए चलो बिल्कुल सही समय पर आए है

अंकल अब मैं खुद ही उनसे बात कर लेती हू

डिंपल- अरे नही स्वीटी

स्वीटी- अरे चुप कर, आने दे उन्हे मैं अभी पूछ लेती हू

अनिल- अरे क्या बात है आज तो स्वीटी हमारे घर आई हुई है, क्या हाल है बेटा

स्वीटी- बस सब अच्छा है अंकल

अनिल- और तुम्हारे घर पर सब कैसे है

स्वीटी- सब अच्छे है अंकल

अनिल- ओके कॅरी ऑन मैं तो अपनी एक फाइल लेकर वापस जा रहा हू और अनिल अंदर की ओर जाने लगता है

स्वीटी- अंकल एक बात पूछना थी आपसे

अनिल- रुकते हुए हाँ बेटे बोलो क्या बात है

स्वीटी- अंकल बात ये है कि मैं और मेरे भैया भाभी 5-6 दिन के लिए अपने गाँव घूमने जा रहे है अगर आप इजाज़त दे

तो मैं अवी और डिंपल को भी अपने साथ ले जाउ, हमारी खुद की गाड़ी से जा रहे है,

अनिल- मुस्कुराता हुआ, अरे क्यो नही बेटे ज़रूर ले जाओ वैसे भी मेरे दोनो बच्चे घर मे रह-रह कर बोर हो जाते होंगे

यह तो बहुत अच्छा आइडिया है जाओ और एंजाय करो, मेरा क्या है मैं तो वैसे भी अपनी डूटी मे ही बिज़ी रहता हू इसलिए इन

दोनो को कही घुमाने भी नही ले जा सकता, कब जाना है

स्वीटी- कल सुबह अंकल

अनिल- डिंपल की ओर देखते हुए बेटे जाओ कुछ दिन घूम फिर कर अपना मूड फ्रेश कर आओ और अवी अपनी दीदी का ख्याल

रखना बेटे और कभी कोई प्राब्लम हो तो कॉल करना, ओके स्वीटी हॅपी

स्वीटी- मुस्कुराते हुए, ओह थॅंक यू वेरी मच अंकल और फिर अनिल अपनी फाइल लेकर निकल जाता है और

डिंपल- मुस्कुराते हुए मुझे यकीन नही था कि पापा इतनी जल्दी हाँ कह देंगे और जैसे ही अवी की ओर देखती है अवी अपनी

नज़रो से स्वीटी की उठी हुई चुचियो को पिए जा रहा था और डिंपल उसको देख कर एक दम से जल जाती है,

स्वीटी- अच्छा डिंपल मैं चलती हू कल सुबह 9 बजे हम अपनी गाड़ी से तुम्हे लेने यहा आ जाएगे ओके

डिंपल-ठीक है स्वीटी बाइ
 
स्वीटी के जाने के बाद डिंपल अवी को गुस्से से घूर कर देखती हुई अंदर जाने लगती है और

अवी- अरे दीदी तुम कहाँ चली

डिंपल- पलट कर गुस्से से देखती हुई मरने जा रही हू तू भी आएगा मेरे साथ

अवी-मुस्कुराते हुए, क्यो नही दीदी, मैं तो कब से तुम्हारे साथ मरने को तड़प रहा हू और अवी भी उसके पीछे उठ कर

चल देता है

डिंपल बेड पर जाकर लेट जाती है और अवी उसके पास आकर खड़ा हो जाता है और उसे देखता हुआ, क्या बात है तुम तो बेड पर

आकर मरना चाहती हो, अब मैं किस तरफ मरु तुम्हारे इस तरफ या उस तरफ और फिर मुस्कुराता हुआ या फिर तुम्हारे

डिंपल- क्यो घूर रहा था तू स्वीटी को

अवी- मुस्कुराता हुआ, तुम्हे घूरता हू तो तकलीफ़ उसे घूरता हू तो तकलीफ़

डिंपल- मूह बनाते हुए मुझे क्या तू चाहे जो कर

डिंपल बेड पर लेटी हुई थी और उसके मोटे-मोटे दूध बिल्कुल तने हुए थे और अवी

अवी- वैसे दीदी एक बात कहु तुम्हारे मुक़ाबले स्वीटी कुछ भी नही है

डिंपल- उसे देख कर, मतलब

अवी- डिंपल के मोटे-मोटे दूध को देखता हुआ, मतलब तुम उससे बहुत जयदा खूबसूरत और सेक्सी हो

डिंपल- उसको घूर कर देखती हुई अवी तमीज़ से बात कर मैं तेरी दीदी हू

अवी- उसके पास बैठ जाता है और उसको खा जाने वाली नज़रो से देखता हुआ, हाँ तुम मेरी दीदी हो लेकिन मैं क्या करू तुम

मुझे बहुत अच्छी लगती हो और मैं तुम्हे अपनी बाँहो मे भर कर तुम्हे जी भर कर चूमना चाहता हू

डिंपल- उठ कर बैठते हुए गुस्से से उसे देख कर अवी तू यह क्या बकवास कर रहा है

अवी- दीदी अब बहुत हो गया और मुझसे अब बर्दास्त नही होता इसलिए आज मैं तुम्हे अपने दिल की हर बात बता देना चाहता हू

डिंपल- घबराते हुए, कौन सी बात

अवी- उसका हाथ पकड़ कर उसके गालो को छुता हुआ दीदी तुम्हारी इस खूबसूरती ने मुझे तुम्हारा दीवाना बना दिया है मैं

तुम्हे इतना चाहने लगा हू कि तुम्हे इस बात का अंदाज़ा भी नही हो सकता है

डिंपल- उसका हाथ झटकते हुए गुस्से से अवी यह सब क्या बकवास कर रहा है तू, कही तू पागल तो नही हो गया

अवी- उसका हाथ फिर से पकड़ कर दीदी मैं तुम्हे अपने सीने से लगाने के लिए तड़प रहा हू प्लीज़ एक बार मेरी बाँहो मे

आ जाओ,

डिंपल- उसका हाथ झटक कर बेड से उतरते हुए, मुझे शर्म आती है तुझे अपना भाई कहते हुए,

पर अगले पल वह होता है जिसका शायद डिंपल को अंदाज़ा नही था और अवी डिंपल को अपनी ओर खींच कर उसे कस कर अपने

सीने से लगाता हुआ उसके रसीले होंठो को अपने मूह मे भर कर उसका रस पागलो की तरह पीने लगता है और डिंपल गु गु

करती हुई उसकी मजबूत बाँहो मे केवल तड़प कर रह जाती है और अवी अपनी दीदी के मोटे-मोटे दूध को कस कर अपने सीने से

दबाए हुए उसके सर के पीछे एक हाथ लगा कर जी भर कर अपनी दीदी के रसीले होंठो का रस पीता रहता है, उसका लंड

अपनी दीदी को बाँहो मे भरने से एक दम कठोर हो जाता है और फिर जब वह डिंपल को छ्चोड़ता है तो वह ज़ोर-ज़ोर से सांस

लेती हुई अपने सीने पर हाथ लगा कर हाफने लगती है और अवी मंद-मंद मुस्कुराता हुआ उसे देखता रहता है, डिंपल उसकी

और गुस्से से देखती है और कस कर एक तमाचा उसके मूह पर मार देती है,

अवी शायद इस पल के इंतजार मे पहले से ही था और वह थप्पड़ खाने के बाद दुबारा डिंपल के दोनो हाथो को उसके पीछे

लेजा कर अपने एक हाथ से उसके दोनो हाथो को कस कर पकड़ते हुए उसी हाथ से उसकी कमर को अपनी ओर कस कर दबाता है

और अपने दूसरे हाथ से उसका सर पीछे से पकड़ कर

अवी- दीदी तुमने ग़लती कर दी जो मुझे गुस्से से देखा, मैं आज अपना वह वाक्य पूरा करूँगा जो हमेशा मैं तुमसे आधा

ही कहता आया हू, तो सुनो, मैने तो तुमसे पहले ही कहा था कि जब तुम गुस्से मे होती हो तो और भी खूबसूरत और सेक्सी

लगती हो और मेरा दिल करता है कि तुम्हे कस कर अपनी बाँहो मे भर लू और तुम्हारे रसीले होंठो का सारा रस पी जाउ और

फिर अवी डिंपल के रस भरे होंठो को कुछ इस तरह से चूस्ता है कि दुनिया की किसी भी लड़की की चूत से पानी बहने लग

जाए,
 
अवी डिंपल के हाथो को अपने एक हाथ से थामे हुए दूसरे हाथ से उसके सर को थाम कर उसके रसीले होंठो को

अपने मूह मे भर कर चूस्ता है और फिर छ्चोड़ता है और उसकी आँखो मे देख कर फिर चूस्ता है और फिर उसके

होंठो को छ्चोड़ता है इस तरह अवी कम से कम 10 बार उसके होंठो को कभी अपने मूह मे भर कर चूस्ता है कभी

छ्चोड़ कर फिर से उन्हे अपने हाथो से दबोच लेता है और कभी फिर से चूसने लगता है, उसके इस तरह से चूसने से

वाकई डिंपल सिहर जाती है और उसकी साँसे बहुत तेज हो जाती है, लेकिन यह सब इतनी तेज़ी से होता है कि जैसे ही अवी उसको

छ्चोड़ता है वह सांस लेती हुई अवी को ज़ोर से धक्का देती है और अपना मूह अपने दोनो हाथो से च्छूपा कर वही ज़मीन

पर बैठ कर फफक-फफक कर ज़ोर-ज़ोर से रोने लगती है और अवी उसकी इस हरकत को देख कर एक दम से बहुत दुखी हो जाता है

और अपना हाथ बढ़ा कर डिंपल को छूना चाहता है पर पता नही क्या सोच कर वह अपने हाथ को वापस अपनी ओर खींच

लेता है और रूम के बाहर चला जाता है,

रघु- अरे आओ अवी भैया, आओ

अवी- रघु भाई लाओ एक सिगरेट पिलाओ

रघु- अरे क्या बात है तुम तो सिगरेट पीते नही फिर आज ये अचानक सिगरेट पीने का मूड कैसे बन गया

अवी- बस यार आज कुछ मूड ठीक नही है

रघु- कुछ प्राब्लम वाली बात है का

अवी- हा यार ये ही समझ लो

रघु- अरे तो हमे भी कुछ बताओ शायद हम तुम्हारी समस्या का समाधान कर दे

अवी- नही रघु भैया तुम वह समस्या नही सुलझा पाओगे उसके लिए तो मुझे ही कोशिश करना पड़ेगी

रघु- अरे अब पहेलिया ही बुझाते रहोगे या कुछ बताओगे भी, ये ना सोचो को रघु ज़्यादा पढ़ा लिखा नही है तो कुछ

कर नही सकता, कई बार गवार ही ज़्यादा होशियार साबित हो जाते है

अवी- यार रघु भैया मैने तुम्हे एक लड़की के बारे मे बताया था ना

रघु- हाँ तो

अवी- यार आज मैने उसके साथ ज़बरदस्ती चूमा चाती कर दी और वह मुझसे नाराज़ हो गई

रघु- अरे थोड़ा खुल कर बताओ आख़िर हुआ क्या था

अवी रघु को सारी बात बता देता है और फिर रघु हस्ते हुए

रघु- अरे अवी भैया इसमे तो तुम्हे खुश होना चाहिए, लड़की अगर दुबारा तुम्हारे चूमने पर कुछ नही कहती और

रोने लगती है इसका मतलब यही है कि उसके दिल मे कही ना कही तुम्हारे लिए प्यार है नही तो वह रोती नही और तुम्हे

दूसरा थप्पड़ मार कर तुम्हारा मूह भी नोच सकती थी, या तो लड़की बहुत शरीफ है या फिर उसके दिल मे तुम्हारे लिए भी

कुछ है,

अवी- खुश होते हुए हाँ बात तो तुम कुछ-कुछ ठीक कह रहे हो

रघु- अरे अवी भैया कुछ-कुछ नही हम बिल्कुल सही कह रहे है अब मैं तुम्हे अपना ही उदाहरण बता देता हू, मेरी

चाची सो रही थी और मैने उसे सोया जान कर उसके मोटे-मोटे दूध दबा दिए तो वह एक दम से जाग गई और उसने मुझे

एक तमाचा खींच कर मार दिया और मैं मूह बना कर वहाँ से चला आया और अगले दिन से पूरी कोशिश करता था कि चाची

को नज़र ना आऊ लेकिन जो हुआ उसका मुझे यकीन नही था उनके यहाँ शादी थी और बहुत मेहमान कुल मिला कर बराती

घराती सभी की लंबी चौड़ी भीड़ थी और जब रात को 1 बज गये तो मैं इधर उधर सोने के लिए जगह ढूँढ रहा था

लेकिन मुझे कही कोई जगह नज़र नही आ रही थी उस समय मैं 18 के लगभग था तभी मैं सीढ़ियो से उपर वाले रूम

मे गया तो वहाँ भी औरते ही औरते सोई हुई थी तभी मेरी नज़र चाची पर पड़ी और उन्होने एक दम से मुझे देखते हुए

अरे रघु सोना है क्या, तब मैने हाँ मे गर्दन हिला दी तो उन्होने अपने पास ही थोड़ी जगह बना कर मुझे अपने पास

लेटने को कहा और मैं चुपचाप लेट गया तो उन्होने कहा लाइट बंद कर दे और फिर जब मैं लेट गया तो चाची ने मेरे

उपर हाथ रख लिया और अपनी साडी थोड़ी चढ़ा कर अपनी नंगी टाँगे मेरे पेर पर लड़ा कर धीरे-धीरे अपनी गोरी-गोरी

पिंदलियो से मेरे पेर को सहलाने लगी, मैं डर भी रहा था और मज़ा भी आ रहा था,

अवी- फिर क्या हुआ रघु भाई

रघु- अरे फिर होना क्या था कुछ देर चाची ऐसे ही करती रही फिर उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर अपने मोटे-मोटे

दूध के उपर रख दिया और अपने हाथो को मेरे हाथो पर रख कर दबाने लगी, क्या बताऊ इतना मज़ा आ रहा था की

मेरा तो लंड खड़ा हो गया,

अवी- फिर क्या हुआ रघु भाई

रघु- बस फिर क्या था कुछ देर मे चाची एक दम से मेरे सीने से कस कर चिपक गई और मेरे गले होंठो को चूमने

लगी, पूरे कमरे मे अंधेरा था लेकिन और भी औरते वहाँ सोई हुई थी और मुझे बहुत डर लग रहा था, जबकि चाची

बिंदास मुझे अपने दूध से दबाते हुए कस-कस कर मेरे होंठ चूमने लगी मुझसे भी रहा नही गया और मैने भी

उसके पीछे हाथ ले जाकर उसके भारी-भारी गुदाज चुतडो को कस-कस कर दबाने लगा, मेरे ऐसा करते ही चाची एक दम से

पागल हो गई और झट से मेरे लंड को पेंट के उपर से ही दबोच लिया

अवी- फिर

रघु- फिर अवी भैया मेरी चाची धीरे से मेरे कान मे कहती है, रघु मुझे चोदेगा

क्रमशः........
 
अजब प्रेम की गजब कहानी --8

गतान्क से आगे......

चाची की ऐसी बात सुन कर ऐसा लगा जैसे मेरे लंड से पानी निकल जाएगा और मैने अपना मूह उसके दूध मे घुसा दिया

तो चाची ने मेरे कान मे धीरे से कहा, रघु चुपचाप मेरे पीछे-पीछे आजा और चाची वहाँ से उठी और चल दी,

अवी- फिर तुम गये कि नही

रघु - यार डर तो बहुत लग रहा था लेकिन फिर भी ना जाने कैसे हिम्मत आ गई और मैं भी उसके पीछे-पीछे जाने लगा तो

नीचे जाकर मैने देखा वह बाथरूम के गेट पर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी पूरे घर मे सन्नाटा था और हमारा

मकान कुछ ऐसा बना था कि आसपास उची इमारत और बीच मे आँगन बना हुआ था और आँगन के एक कोने मे बाथरूम

था मैं चुपचाप अपना सर नीचे झुकाए हुए चाची की ओर बढ़ने लगा और चाची बाथरूम के अंदर घुस गई और फिर

जैसे ही मैं बाथरूम के पास पहुचा चाची ने झट से मेरा हाथ खींच कर मुझे अंदर कर लिया और बाथरूम की कुण्डी

लगा दी

अवी- फिर क्या हुआ

रघु- अरे क्या बताऊ मेरी तो डर के मारे जान निकली जा रही थी चाची की उमर भी उस समय करीब 28 साल की रही होगी, मैं

बेकार मे ही डर रहा था जबकि चाची ने मुझे चूमते हुए कहा, रघु ले जल्दी से मुझे अपने मोटे लंड से चोद दे,

और फिर चाची वही अपनी साडी उठा कर झुक गई और अपनी मोटी गोरी गंद को मेरी तरफ कर दिया, मैं थोड़ा घबराते हुए

लेकिन खुश होते हुए चाची की मोटी गंद और उसकी गुदा और चूत को पीछे से सहलाने लगा, चाची अरे रघु इतना समय

नही है हमारे पास यह सब तू चोद्ते हुए कर लेना पहले अपना लंड अंदर डाल दे, चूत छूकर देख कितना पानी छोड़ रही

है, चल जल्दी से मार दे धक्का, मैने देर करना उचित नही समझा और अपने पेंट को खोल कर घुटनो तक सरका कर अपने

लंड का निशाना चाची की चूत मे लगा कर एक कस के धक्का मार दिया और मेरा मोटा लंड सॅट से चाची की चूत को

फाड़ते हुए अंदर घुस गया और चाची आह करती हुई मेरे लंड को अपनी चूत मे अड्जस्ट करने लगी और फिर मैने

धीरे-धीरे उसे चोदना शुरू कर दिया कुछ देर बाद चाची अपनी मोटी गंद का धक्का मेरे लंड पर मारने लगी और कहने

लगी, रघु थोडा कस-कस कर चोद और ज़ोर से चोद आह, आह और मैं चाची की बात सुन कर उनकी कमर पकड़ कर धक्के

मारने लगा, चुकी यह मेरी पहली चुदाई थी और जो कुछ भी देखा था वह सब पिक्चर मे देख कर ही सीखा था इसलिए मैं

जल्दी ही झाड़ गया पर शायद चाची को उतनी चुदाई से भी मज़ा आ चुका था और जब मेरा पानी निकल गया तब कुछ देर

बाद चाची ने वही बैठ कर मेरे सामने ही पेशाब किया और अपनी चूत को पानी से धोकर अपने पेटी कोट से पोछते हुए

मुझसे बोली मैं जा रही हू तू थोडा रुक कर आना और फिर चाची चली गई,

अवी- फिर क्या हुआ रघु भैया

रघु- बस कुछ देर तक मैं इंतजार करता रहा फिर मैं भी वहाँ से चल दिया और जब उपर पहुचा तो मैने देखा मेरी

जगह पर चाची ने किसी बच्चे को सुला दिया था और उस बच्चे की जगह खाली थी सो मैं वहाँ जाकर सो गया, पर मुझे

रात भर नींद नही आई

अवी- मुस्कुराते हुए यार रघु भैया तुम्हारी चाची तो बहुत मस्त माल है क्या गदराई हुई मोटी गंद है उसकी, तुम तो

मतलब आज भी उसे कस कर चोद्ते होंगे और तुमने आज तक मुझे बताया भी नही, वैसे मैं तुम्हारी निगाहो से समझ

तो गया था जब तुम्हारी चाची इधर से गुजरती है तो तुम उसकी मोटी गंद को बहुत प्यार से घूरते हो

रघु- अरे अवी भैया यही तो तुम जानते नही, तुम जैसा सोच रहे हो वैसा नही है, वो दिन था और आज का दिन है उसके बाद

मेरी चाची ने कभी मुझे भाव नही दिया और एक बार मैने कोशिश की तो उसने मुझे झटकते हुए कह दिया जो हुआ सो

हुआ, अब मेरी ओर ध्यान भी मत देना नही तो मुझे तेरे बाप से यह कहते देर नही लगेगी कि इसने सोते हुए मेरे दूध

पकड़ लिए थे, बस तब से अवी भैया मैं उस छीनाल चाची का कोई भरोशा नही करता हू, पता चला कब भोसड़ी की जूते

खिलवा दे,
 
अवी- अरे यार रघु भैया तुम्हे उसे ऐसे ही नही छोड़ना चाहिए था

रघु- अरे अवी भैया वह बहुत छीनाल किस्म की औरत है उससे दूर रहने मे ही भलाई है, खेर छोड़ो उस बात को और अब

यह सोचो कि तुम अपनी गर्लफ्रेंड के बारे मे क्या करने वाले हो

अवी- रघु भैया मैं तो उसे सच मुच बहुत चाहता हू और वह मुझसे ज़्यादा दिन तक नाराज़ नही रह पाएगी ऐसा मेरा

विश्वास है, मैं उसे जल्दी ही मना लूँगा, बस मुझे थोड़ी टेन्षन हिटलर की रहती है

रघु- कौन हिट्लर अवी भैया

अवी- मुस्कुराते हुए, अरे कोई नही यार मैं तो उस लड़की के बाप की बात कर रहा था, अच्छा रघु भैया मैं अब चलता हू

तुमसे बाद मैं मिलूँगा

रघु- अवी भैया एक बात कहना थी

अवी- हाँ बोलो ना

रघु- अवी भैया हमारे बीच जो भी बाते होती है वह मैं चाहता हू कि हम दोनो के बीच ही रहे

अवी- अरे यार रघु भाई यह भी कोई कहने की बात है, तुम अवी से विश्वासघात की उम्मीद कभी मत करना

रघु- मुस्कुराते हुए नही अवी भैया, ऐसा नही है मैं तुम पर विश्वास ना करता तो इतनी बड़ी बात कहता ही क्यो

अवी- अच्छा मैं चलता हू फिर मिलेंगे

रघु- अच्छा भैया

अवी टहलता हुआ अपने घर की ओर चल देता है पर उसका दिल बहुत घबरा रहा था और वह अपनी दीदी का सामना करने के

ख्याल से काफ़ी नेरवास महसूस कर रहा था, जब वह घर पहुचता है तो उसके घर के बाहर पोलीस की गाड़ी खड़ी रहती है

और वह समझ जाता है कि हिट्लर घर मे ही है और उसका दिल और भी घबराने लगता है, और उसके कदम वही रुक जाते है

और वह खड़ा होकर सोचने लगता है कि कही पापा ने दीदी को रोते हुए देख लिया होगा तो कारण भी पूंच्छा होगा और कही

दीदी ने कुछ बता दिया होगा तो आज हिटलर उसकी चमड़ी उधेड़ कर रख देगा,

फिर अवी अपने मन मे सोचता है, नही-नही दीदी कभी ऐसा नही करेगी वह मुझसे इतना प्यार जो करती है, पर मैने भी

तो आज उसके साथ बहुत बड़ी हरकत की है, हो सकता है उसके गुस्से मे दीदी ने हिट्लर को बता दिया हो, फिर कुछ सोच कर

चलो चलते है जो होगा देखा जाएगा और फिर अवी अपने घर की ओर चल देता है,

अवी जैसे ही घर के अंदर घुसता है सामने उसका बाप और दो पोलीस वाले और बैठे-बैठे चाइ पी रहे थे और

अवी- नमस्ते अंकल

पोलीस्मॅन- नमस्ते अवी, कहो क्या हाल है

अवी- सब ठीक है अंकल

अनिल- अवी जा डिंपल से कह दे मेरा खाना ना बनाए मैं रात को देर से आउन्गा

अवी- अच्छा पापा

अवी चुपचाप पहले किचन मे जाता है जब डिंपल वहाँ नज़र नही आती है तो वह अपने रूम की ओर जाता है और डिंपल

बेड पर लेटी हुई कोई बुक पढ़ रही थी अवी गेट पर खड़ा होकर ही

अवी-दीदी पापा का खाना मत बनाना वह कह रहे है वह रात को देर से आएगे और अवी वापस बाहर आ जाता है

कुछ देर बाद अनिल उन पोलीस वालो के साथ वापस चला जाता है और अवी बैठ कर सोचने लगता है कि दीदी से कैसे बात करू,

लेकिन उसकी हिम्मत नही होती है और वह अपने पापा के रूम मे जाकर लेट जाता है,

शाम को डिंपल खाना बनाती रहती है और अवी किचन मे जाकर

अवी- दीदी नाराज़ हो मुझसे

डिंपल- उसकी बात का कोई जवाब नही देती है और अपने काम मे बिज़ी रहती है लेकिन उसका चेहरा बहुत गंभीर नज़र आता

है,

अवी- दीदी आइ आम सॉरी

डिंपल- उसकी ओर कोई ध्यान नही देती है और अवी वापस बाहर जाकर बैठ जाता है, अवी का मन किसी काम मे नही लगता है

और वह बार-बार टीवी के चॅनेल बदलता रहता है, तभी डिंपल उसके लिए खाना लेकर आती है और खाना रख कर सीधे

अपने कमरे मे चली जाती है,

अवी- वहाँ से उठ कर डिंपल के कमरे मे जाता है, डिंपल बेड पर उल्टी लेटी रहती है और अवी उसके पास खड़ा होकर

दीदी- तुम भी खाना खा लो ना

डिंपल- उसकी बात का कोई जवाब नही देती है

अवी- अब माफ़ भी कर दो कब तक ऐसे ही नाराज़ रहोगी

डिंपल जब कोई रिप्लाइ नही देती है तो

अवी- ठीक है तुम नही खओगि तो मैं भी नही खाउन्गा और फिर से बाहर आकर अपने पापा के रूम मे जाकर लेट जाता है
 
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