hotaks444
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डिंपल कुछ देर तक अपने बेड पर लेटी रहती है और फिर उठ कर बाहर आती है तो खाने की थाली वही ऐसी की ऐसी रखी रहती
है और डिंपल वहाँ से थाली उठा कर वापस किचन मे रख कर धीरे से अपने पापा के रूम मे जाकर झाकति है और अवी
को लेटे हुए देख कर वापस अपने रूम मे आ जाती है,
दोनो अलग-अलग एक दूसरे के बारे मे सोचते हुए सो जाते है, रात को करीब 2 बजे उनके घर की बेल बजती है और अवी उठ कर
दरवाजा खोलता है और अनिल अंदर आ जाता है,
अनिल- क्या बात है बड़ी जल्दी दरवाजा खोल दिया, अभी तक सोया नही था क्या
अवी- बस पापा नींद लगने ही वाली थी कि आप ने बेल बजा दी
अनिल- अच्छा जा एक गिलास पानी ला कर दे दे और जाकर सो जा
अवी अनिल को पानी देकर अपने रूम मे चला जाता है जहा डिंपल लेटी रहती है. अवी डिंपल के पास धीरे से लेटता हुआ उसके
खूबसूरत चेहरे को देखने लगता है और फिर धीरे से डरते हुए उसके गालो को चूम लेता है और वही चुपचाप लेट जाता
है,
सुबह 8 बजे अनिल चाइ पीकर जब जाने लगता है तब
अवी- पापा आज हम लोग घूमने जा रहे है
अनिल- ठीक है लेकिन जल्दी लौट आना और डिंपल का ध्यान रखना ये नही कि आवारा गिर्दी मे लग जाए
अवी- ठीक है पापा और फिर अनिल अपने जेब से कुछ पैसे निकाल कर अवी को देते हुए ले डिंपल को लेजा कर दे दे और कोई बात हो
तो फोन कर देना
अवी- ओके पापा और फिर अनिल बाहर चला जाता है, तभी मोबाइल की घंटी बजती है और अवी के कान खड़े हो जाते है और वह
डिंपल की बाते सुनने लगता है जो कि दूसरे कमरे मे होती है
डिंपल- हाँ ठीक है स्वीटी हम लोग रेडी है तू 9 बजे तक आएगी ना, चल ठीक है ओके
ठीक 9 बजे उनके घर के सामने एक स्कार्पियो आकर रुकती है और उसमे से तीन लोग बाहर निकलते है
अवी जल्दी से बाहर आकर देखता है और
स्वीटी- अरे वाह अवी तुम तो एक दम रेडी हो, डिंपल तैयार हुई कि नही,
अवी- वो भी रेडी है स्वीटी
स्वीटी- अवी इनसे मिलो ये है मेरे भैया नरेन्द्र और ये है मेरी भाभी शालिनी
अवी- नमस्ते भैया, नमस्ते भाभी
नरेन्द्रा- ओह तो तुम हो अवी, भाई तुम्हे पहले कभी देखा नही था जबकि डिंपल तो कई बार हमारे घर आ चुकी है
अवी- पर भैया मैं आपको जानता हू
नरेन्द्रा- अरे वाह तो फिर कभी घर क्यो नही आए
अवी- बस भैया कभी मौका ही नही लगा
शालिनी- अरे अवी वह भी तो तुम्हारा ही घर है जब चाहे आ सकते हो
अवी- मुस्कुराता हुआ अपने मन मे भाभी मुझे क्या पता था कि स्वीटी की भाभी इतनी मस्त है नही तो मैं तो कब का
आपसे मिलने आ चुका होता, आओ भाभी, आइए भैया अंदर आइए, और फिर सभी लोग अंदर आ जाते है
डिंपल उन सभी को देख कर मुस्कुरा देती है और फिर डिंपल जब चाइ बनाने का कहती है तो
नरेन्द्रा- अरे नही डिंपल चाइ वाई रहने दो अब हम रास्ते मे ही चाइ पिएगे, फिलहाल तो हमे चलना चाहिए, वैसे मेरा
गाँव दूर नही है 2 घंटे मे पहुच जाएगे, और फिर स्कार्पीओ की आगे की सीट मे अवी और नरेन्द्रा बैठ जाते है और
पीछे की सीट पर डिंपल, स्वीटी और उसकी भाभी शालिनी बैठ जाती है,
रास्ते मे एक पहाड़ी वाले स्थान पर रुक कर नरेन्द्र उन लोगो के कुछ फोटोग्रॅफ खिचता है और फिर
नरेन्द्रा- यार अवी लो अब मेरे भी फोटो तो खिचो नही तो बाद मे फोटो देख कर लगेगा की बस तुम लोग ही घूमने गये
थे और मैं कही नज़र ही नही आउन्गा, अवी जब फोटो खिचने के लिए उन सभी को देखता है तो उसकी नज़रे डिंपल से मिलती
है और डिंपल अपनी नज़रे नीचे झुका लेती है और अवी स्माइल प्लीज़ कहता है पर उन सभी के अलावा डिंपल अपनी नज़रे
नीचे किए हुए खड़ी रहती है और अवी की बैचैनि बढ़ जाती है, कुछ ही समय मे सभी लोग गाँव मे पहुच जाते है
और
नरेन्द्रा- ये देखो अवी हम लोगो का पुस्तैनि मकान है यहा अब कोई नही रहता है जब मेरे पापा थे तो वह यही रहते
थे अब तो यह घर रामू काका की देख रेख मे रहता है और फिर वहाँ रामू काका आ जाता है और उन लोगो का समान उठा
कर अंदर ले जाता है,
है और डिंपल वहाँ से थाली उठा कर वापस किचन मे रख कर धीरे से अपने पापा के रूम मे जाकर झाकति है और अवी
को लेटे हुए देख कर वापस अपने रूम मे आ जाती है,
दोनो अलग-अलग एक दूसरे के बारे मे सोचते हुए सो जाते है, रात को करीब 2 बजे उनके घर की बेल बजती है और अवी उठ कर
दरवाजा खोलता है और अनिल अंदर आ जाता है,
अनिल- क्या बात है बड़ी जल्दी दरवाजा खोल दिया, अभी तक सोया नही था क्या
अवी- बस पापा नींद लगने ही वाली थी कि आप ने बेल बजा दी
अनिल- अच्छा जा एक गिलास पानी ला कर दे दे और जाकर सो जा
अवी अनिल को पानी देकर अपने रूम मे चला जाता है जहा डिंपल लेटी रहती है. अवी डिंपल के पास धीरे से लेटता हुआ उसके
खूबसूरत चेहरे को देखने लगता है और फिर धीरे से डरते हुए उसके गालो को चूम लेता है और वही चुपचाप लेट जाता
है,
सुबह 8 बजे अनिल चाइ पीकर जब जाने लगता है तब
अवी- पापा आज हम लोग घूमने जा रहे है
अनिल- ठीक है लेकिन जल्दी लौट आना और डिंपल का ध्यान रखना ये नही कि आवारा गिर्दी मे लग जाए
अवी- ठीक है पापा और फिर अनिल अपने जेब से कुछ पैसे निकाल कर अवी को देते हुए ले डिंपल को लेजा कर दे दे और कोई बात हो
तो फोन कर देना
अवी- ओके पापा और फिर अनिल बाहर चला जाता है, तभी मोबाइल की घंटी बजती है और अवी के कान खड़े हो जाते है और वह
डिंपल की बाते सुनने लगता है जो कि दूसरे कमरे मे होती है
डिंपल- हाँ ठीक है स्वीटी हम लोग रेडी है तू 9 बजे तक आएगी ना, चल ठीक है ओके
ठीक 9 बजे उनके घर के सामने एक स्कार्पियो आकर रुकती है और उसमे से तीन लोग बाहर निकलते है
अवी जल्दी से बाहर आकर देखता है और
स्वीटी- अरे वाह अवी तुम तो एक दम रेडी हो, डिंपल तैयार हुई कि नही,
अवी- वो भी रेडी है स्वीटी
स्वीटी- अवी इनसे मिलो ये है मेरे भैया नरेन्द्र और ये है मेरी भाभी शालिनी
अवी- नमस्ते भैया, नमस्ते भाभी
नरेन्द्रा- ओह तो तुम हो अवी, भाई तुम्हे पहले कभी देखा नही था जबकि डिंपल तो कई बार हमारे घर आ चुकी है
अवी- पर भैया मैं आपको जानता हू
नरेन्द्रा- अरे वाह तो फिर कभी घर क्यो नही आए
अवी- बस भैया कभी मौका ही नही लगा
शालिनी- अरे अवी वह भी तो तुम्हारा ही घर है जब चाहे आ सकते हो
अवी- मुस्कुराता हुआ अपने मन मे भाभी मुझे क्या पता था कि स्वीटी की भाभी इतनी मस्त है नही तो मैं तो कब का
आपसे मिलने आ चुका होता, आओ भाभी, आइए भैया अंदर आइए, और फिर सभी लोग अंदर आ जाते है
डिंपल उन सभी को देख कर मुस्कुरा देती है और फिर डिंपल जब चाइ बनाने का कहती है तो
नरेन्द्रा- अरे नही डिंपल चाइ वाई रहने दो अब हम रास्ते मे ही चाइ पिएगे, फिलहाल तो हमे चलना चाहिए, वैसे मेरा
गाँव दूर नही है 2 घंटे मे पहुच जाएगे, और फिर स्कार्पीओ की आगे की सीट मे अवी और नरेन्द्रा बैठ जाते है और
पीछे की सीट पर डिंपल, स्वीटी और उसकी भाभी शालिनी बैठ जाती है,
रास्ते मे एक पहाड़ी वाले स्थान पर रुक कर नरेन्द्र उन लोगो के कुछ फोटोग्रॅफ खिचता है और फिर
नरेन्द्रा- यार अवी लो अब मेरे भी फोटो तो खिचो नही तो बाद मे फोटो देख कर लगेगा की बस तुम लोग ही घूमने गये
थे और मैं कही नज़र ही नही आउन्गा, अवी जब फोटो खिचने के लिए उन सभी को देखता है तो उसकी नज़रे डिंपल से मिलती
है और डिंपल अपनी नज़रे नीचे झुका लेती है और अवी स्माइल प्लीज़ कहता है पर उन सभी के अलावा डिंपल अपनी नज़रे
नीचे किए हुए खड़ी रहती है और अवी की बैचैनि बढ़ जाती है, कुछ ही समय मे सभी लोग गाँव मे पहुच जाते है
और
नरेन्द्रा- ये देखो अवी हम लोगो का पुस्तैनि मकान है यहा अब कोई नही रहता है जब मेरे पापा थे तो वह यही रहते
थे अब तो यह घर रामू काका की देख रेख मे रहता है और फिर वहाँ रामू काका आ जाता है और उन लोगो का समान उठा
कर अंदर ले जाता है,