hotaks444
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मौसी ने मेरी चुदासी बुझाने की बिलकुल कोशिश नहीं की और मुझे कहने लगी कि दोपहर तक सब्र करूँ मैं उसकी घनी ज़ुल्फों में पीछे से मुँह छुपाकर बोला "मौसी, दोपहर को तो ललिता आ जाएगी, फिर क्या करेंगे?"
वह शैतानी से बोली कि ललिता आएगी इसीलिए तो रुकना है मैं कुछ कुछ समझा और बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी उत्तेजना दबाई खाना खाकर मौसी ने पानी पिया और फिर मेरी प्यास बुझाने को मुझे बाथरूम में ले गयी, जहाँ उसने मन लगाकर मेरे मुँह में मूता बाहर आकर एक दूसरे के शरीर से खेलते हुए हम फिर ललिता का इंतजार करने लगे
घंटी बाजी और मौसी ने बड़ी अधीरता से दरवाजा खोला ललिता पान चबाती हुई अंदर आई उसने एक नीली साड़ी और चोली पहन रखी थी साड़ी उसने घुटनों के उपर बाँध रखी थी जैसे अक्सर काम करते समय नौकरानियाँ करती हैं; इससे उसकी चिकनी गठी पिंडलियाँ सॉफ दिख रही थीं
मौसी ने दरवाजा लगाकर अंदर से सिटकनी लगाई और फिर वापस आकर सोफे पर बैठते हुई अधीर होकर पूछा "ललिता, पान लाई है ना? भूली तो नहीं? ला जल्दी मुझे दे"
शन्नो ने हँसकर सिर दुलाकर हाँ कहा और पान चबाती रही उसके होंठ पान के रस से लाल हो गये थे और पान की सौंधी खुशबू पूरे कमरे में फैल गयी थी मेरी ओर उसने देखा और फिर मौसी की ओर देखकर आँखों आँखों में कुछ पूछा मौसी मुस्करा दी और ललिता समझ गयी कि मेरे वहाँ होने की वह परवाह ना करे, ऐसा मौसी कह रही है
मुझे अब तक उसके हाथ में कुछ भी नहीं दिख रहा था इसलिए मैं यह सोच रहा था कि उसने मौसी का पान कहाँ रखा है मुझे लगा कि पुडिया शायद उसने अपनी साड़ी में खोस रखी होगी पर अगले ही पल मुझे समझ में आ गया कि वह रसिया नौकरानी अपनी मालकिन के लिए पान कैसे लाई है
ललिता चल कर मौसी के पास आई और अपनी बाँहें मौसी के गले में डालकर उसने अपने लाल लाल होंठ मौसी के होंठों पर रख दिए मौसी ने भी उसकी कमर में बाँहें डालकर उसे पास खींच लिया और दोनों एक गहरे चुंबन में बँध गयीं मौसी ने अपना मुँह खोला और चूमने चूमने में ही ललिता ने अपने मुँह का चबाया हुआ पान और रस मौसी के मुँह में दे दिया
मौसी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और एक दूसरे का मुँह चूसती हुई वे आपस में लिपट कर बेतहाशा चूमा चाटी करने लगीं आख़िर जब उनका चुंबन बंद हुआ तो मैंने देखा कि मौसी के होंठ भी अब लाल हो गये थे दोनों औरतें एक दूसरे की आँखों में बड़ी वासना से झाँक रही थीं
वह शैतानी से बोली कि ललिता आएगी इसीलिए तो रुकना है मैं कुछ कुछ समझा और बड़ी मुश्किल से मैंने अपनी उत्तेजना दबाई खाना खाकर मौसी ने पानी पिया और फिर मेरी प्यास बुझाने को मुझे बाथरूम में ले गयी, जहाँ उसने मन लगाकर मेरे मुँह में मूता बाहर आकर एक दूसरे के शरीर से खेलते हुए हम फिर ललिता का इंतजार करने लगे
घंटी बाजी और मौसी ने बड़ी अधीरता से दरवाजा खोला ललिता पान चबाती हुई अंदर आई उसने एक नीली साड़ी और चोली पहन रखी थी साड़ी उसने घुटनों के उपर बाँध रखी थी जैसे अक्सर काम करते समय नौकरानियाँ करती हैं; इससे उसकी चिकनी गठी पिंडलियाँ सॉफ दिख रही थीं
मौसी ने दरवाजा लगाकर अंदर से सिटकनी लगाई और फिर वापस आकर सोफे पर बैठते हुई अधीर होकर पूछा "ललिता, पान लाई है ना? भूली तो नहीं? ला जल्दी मुझे दे"
शन्नो ने हँसकर सिर दुलाकर हाँ कहा और पान चबाती रही उसके होंठ पान के रस से लाल हो गये थे और पान की सौंधी खुशबू पूरे कमरे में फैल गयी थी मेरी ओर उसने देखा और फिर मौसी की ओर देखकर आँखों आँखों में कुछ पूछा मौसी मुस्करा दी और ललिता समझ गयी कि मेरे वहाँ होने की वह परवाह ना करे, ऐसा मौसी कह रही है
मुझे अब तक उसके हाथ में कुछ भी नहीं दिख रहा था इसलिए मैं यह सोच रहा था कि उसने मौसी का पान कहाँ रखा है मुझे लगा कि पुडिया शायद उसने अपनी साड़ी में खोस रखी होगी पर अगले ही पल मुझे समझ में आ गया कि वह रसिया नौकरानी अपनी मालकिन के लिए पान कैसे लाई है
ललिता चल कर मौसी के पास आई और अपनी बाँहें मौसी के गले में डालकर उसने अपने लाल लाल होंठ मौसी के होंठों पर रख दिए मौसी ने भी उसकी कमर में बाँहें डालकर उसे पास खींच लिया और दोनों एक गहरे चुंबन में बँध गयीं मौसी ने अपना मुँह खोला और चूमने चूमने में ही ललिता ने अपने मुँह का चबाया हुआ पान और रस मौसी के मुँह में दे दिया
मौसी ने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और एक दूसरे का मुँह चूसती हुई वे आपस में लिपट कर बेतहाशा चूमा चाटी करने लगीं आख़िर जब उनका चुंबन बंद हुआ तो मैंने देखा कि मौसी के होंठ भी अब लाल हो गये थे दोनों औरतें एक दूसरे की आँखों में बड़ी वासना से झाँक रही थीं