Chudai Story लौड़ा साला गरम गच्क्का - Page 3 - SexBaba
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Chudai Story लौड़ा साला गरम गच्क्का

क्यूंकि मन झोंपड़े में चल रहे कामुक खेल से बहुत ही रोमंचित हो गया था !

शादी के इतने सालों बाद उसकी पत्नी का पहली बार उसके सामने किसी दुसरे से चुदते 

हुए देखना एक अलग ही आनद था ! 

और इसी आनंद को पाने के लिए वो अपनी बीवी को दूसरों के सामने चारा बना कर फेंकता था !

हालाँकि इस चारे को आज तक इसने किसी को खाने नहीं दिया था पर शास्त्री की हर बात उसे निराली लग रही थी 

उसका विशाल लौडा , उसका हिंसक व्यवहार जिससे उसकी बीवी का मान मर्दन हो रहा था जिस से उसके मन को 

बड़ी शांति मिल रही थी !

और वो चाहता था की आज इस विशाल लंड से उसकी बीवी की चूत के परखच्चे उड़ते वो यहाँ खड़ा खड़ा देखें !

उसकी बीवी को कोई नोचता तो उसे प्रतिउत्तर में मिलती परम उत्तेजना जो किसी तरीके से मिलना 

नामुमकिन थी !

आज उसे इतनी उत्तेजना मिली की अपने लंड को उसने अपने हाथों से खड़े खड़े शहीद कर लिया था 

अब घर जाने का कोई फायदा नहीं था इसलिए वो अपनी कामुकता शास्त्री की उसकी बीवी पर की गई क्रीडाओं को 

देख कर शांत कर रहा था !

अब तक तनु की ब्रा और चड्डी फाड़ कर शास्त्री नोच चूका था और उसके पुरे गदराये शरीर को जगह जगह से नोच 

और काट चूका था ! तनु की सिसकिया रुकने का नाम नहीं ले रही थी उसे दर्द और आनंद दोनों मिल रहे थे !

"आआआ…. ह्ह्ह्ह्ह .....अरे ...दर्द हो रहा हे ....धीरे .....उह्ह्ह्ह्ह मम्मी .......अरे ....पापा ....आज मर जाउंगी ...


च ..चाचा ...मत करो ...मुझे जाने दो ....अब बस ....ई sssssss " तनु की चीख निकल गई जब उसकी इस बकवास पर 

शास्त्री ने गुस्से से उसके झांघ पर चिकोटी काट ली !

दर्द से बिलबिला कर तनु ने दोनों टांगों को दूर दूर कर लिया !

तनु के गदराये शरीर को किसी कुत्ते की तरह नोचने खसोटने के बाद 

शास्त्री हवस उगलती आँखों से मोक्ष -स्थल पर पहुंचा यानि तनु की योनि के पास !
 
.छोटी सी , प्यारी सी ...चिपकी हुई ... बीच में एक चीरा जिसके बीच छुपा था 

स्वर्गद्वार !

तनु की योनि अभी तक अपने पति के पांच इंच के लंड से ही चुदी थी आज शास्त्री का नो इंच का लंड मानो 

दस इंच का होने की कोशिश कर रहा था उससे चुदना था !

वो सोच रही थी इस मूसल को उसकी छोटी सी चूत में केसे समा पायेगी !

पर उसकी चूत इस हथियार को देख कर ख़ुशी से और डर से खूब पानी छोड़ रही थी !

गदराई हुई टांगों को चीर कर पूरी तरह से अलग कर शास्त्री उनके बीच कुकरासन की मुद्रा में आ बेठा 

और तनु की छोटी सी योनि को फाड़ कर खा जाने वाली निगाहों से घूरने लगा !

" आक्क ..थू ..sssss ."

शास्त्री ने पसेरी भर लार तनु की योनि पर थूक दिया !

थूक से उसकी योनि पूरी सन गई !

तनु घर्णा और उत्तेजना से सनसना उठी !
 
उसकी योनि का छिद्र बार बार खुलता और बंद हो रहा था !

ये सोच कर की अब फटी की तब फटी !

डर के मारे उसका मूत निकलने को हो रहा था !

पर फटना तो था ही ...जो आज उसकी किस्मत में इश्वर ने लिख दिया था !

वो भी आधी रात में ,शास्त्री के झोंपड़े में और उसी के मूत्र से नहा कर गन्दी सी चारपाई पर गंदे से बिस्तर में 

पर उसे इस स्थिति का रोमांच भी हो रहा था !

उसका बदन शास्त्री द्वारा दिए गए जख्मों से टीस रहा था पर उससे उसकी चूत की खुजली बढ़ रही थी !

तनु की मोटी मोटी झांघों को मोड़ कर शास्त्री उस पर लद गया !

अपने काले कलूटे लंड के लाल सुर्ख पहाड़ी आलू जेसे मोटे विशाल सुपाडे को उसके योनि छिद्र पर टिका कर ...

"हुच्च ssssss "

शास्त्री ने पूरी ताकत से हुमक दिया !

" आई ssssssss ....मम्मी ssssss ....."तनु पूरी ताकत से चीख उठी !

उसकी चीख उस आंवले के सूनसान बाग में गूंज उठी !

मन को उसकी चीख से ना जाने क्यों ख़ुशी हुई जेसे उसकी आत्मा तनु का मान मर्दन होने से तृप्त हुई हो 

और और उसका हाथ अपने लटके हुए लंड को सहलाने लगा !

आधा लंड उसकी बूर में घोंप चूका शास्त्री बिना रहम किये फिर से थोडा बाहर खींच कर वापिस पूरा मूसल 

उसकी चूत में उतार दिया था !

तनु का मानो सांस रुक गया था और लिंग मूंड को वह अपनी पंसलियों में महसूस कर रही थी !

मुह खुल गया था आंसू बह रहे थे दर्द से पूरा बदन थरथरा रहा था !

पर इस सबसे बेखबर शास्त्री उसके दोनों स्तनों को पकडे उसे हुमच हुमच कर पेल रहा था !

अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर दुसरे ही जठ्के में झड तक गुसा रहा था !

और फिर वो उसकी चुचियों को नोचते हुए और धक्के मरते हुए योनि छेदन मंत्र बडबड़ाने लगा -

" लौड़ा साला गरम गच्क्का ......मार सटा -सट सटम सटा "

बूरिया साली ...चेदबा खाली ...मार हचाह्च हच्चम हच्चा .."

" आई मम्मी सीsssssss .....मर जाउंगी ....अरे ....हाय फट गई हे रे मेरी चूत .....च ..चाचा छोड़ दो ..."

पर शास्त्री तो अपनी धुन में चांपे जा रहा था -

"घुंडी किसमिस ...चूची कडियल ....दाब चपाचप चप्पम चप्पा .."

शास्त्री ने उसकी चूची को मुट्ठी में कस कर अपने अजगर को उसके छोटे से चूहे के बिल 

में और कस कर चांप दिया ! उसे ऐसा मह्शूश हो रहा था जैसे किसी कुतिया की चूत में कडीयल गधे का लन्ड ठूंस दिया गया हो !
 
"उईईईई ....मेरी चूची .....मम्मी मर गई में ...सी sssssssss "

मन न न न न न न ....…... बचाओ मुझे ..... कहाँ हो ? .... अरे रररर्रे मम्मी फट गई मेरी चाचा छोड़ दो मुझे "

उस सुने बाग़ में तनु की चीखे सुनने वाला कोई नहीं था जो था वो अपनी लोली को सहला कर उसकी चुदाई देखने के 

मजे ले रहा था !

और तनु की दर्द भरी चीखें शास्त्री को और उत्तेजित कर रही थी वो वेसे ही धक्के मारते मारते अपना मंत्र 

बोल रहा था -

"चुतर चिक्कन चूत बा ठस्सा .....छेद घचाघच घचमघच्चा .."

"चभक के चापे तो निकले बच्चा ...."

आई मम्मी .....मेरे निकल रहा हे री .....अरे में झड जाउंगी ......आआआअ ....ह्ह्ह्ह्ह ....

में झड गई ...सी sssssss बस .....अब मत करो .....जलन हो रही हे ...."

तनु चूत -चोदु मंत्र को सुनकर और उसके मूसल जेसे लंड से चूत का रेशा रेशा खोल देने वाली चुदाई से खुद 

झड़ने से ज्यादा देर रोक नहीं पाई और शास्त्री की कमर में अपने पेरों की केंची मार कर उससे कस के लिपट गई !

योनि से छूटते गरम गरम पानी की बूंदे और योनि का संकुंचन जो की उसके लिंग को पकड़ और छोड़ रहा था 

उसे महसूस कर शास्त्री भी ज्यादा देर नहीं टिका रह सका !

और ...

" चभक चभक के चोद चोदाउल .....मार भोसड़ी छोड़ दे छर्रा ..."

और फिर शास्त्री किसी हांफते हुए कुत्ते की तरह एक चूची को मुह में भर कर उसकी घुंडी को दांतों से चिभलाते 

हुए तनु की योनि में अपना पंद्रह साल का इकठ्ठा किया हुआ वीर्य मूतने लगा !

लिंग को अपनी योनि में फूलता पिचकता महसूस कर तनु और कस कर शास्त्री की चौड़ी नंगी छाती से चिपक गई 

मानो उसका एक एक बूँद वीर्य अपनी योनि में भर लेना चाहती हो !
 
सिर्फ दो मिनिट ही शास्त्री से बेल की तरह चिपके रहने के बाद ही तनु की मानसिकता बदलने लगी !

उसने शास्त्री को धक्का देकर अपने से अलग किया और जल्दी जल्दी अपने कपडे 

पहनने लगी !

शास्त्री चारपाई पर लेटा अभी भी किसी भेंसे की तरह हांफ रहा था !

उसका मोटा लौड़ा अब किसी मरे हुए मोटे चूहे की तरह उसके विशाल आंदों पर पड़ा था 

और अभी भी हल्का हल्का पानी छोड़ रहा था !

तनु ने वितरसना से शास्त्री को उसके मूत्र और उसके वीर्य से भरे बिस्तर को देखा और झोंपड़े का 

दरवाज़ा खोल कर तनु बाहर निकल गई !

शास्त्री किसी कुत्ते की तरह हांफता बिस्तर पर पड़ा रहा !

उसमे जेसे शक्ति ही नहीं रही थी !

वो बेजान सा तनु को जाते हुए देखता रहा !

अब उसे भी फिलहाल उसकी जरुरत नहीं थी उसके टट्टे पूरी तरह से खाली हो गए थे !

इधर कार के भीतर -

"तुम आये क्यूँ नहीं ?..." तनु ने जलती हुई निगाहों से मन को देखा !

पता नहीं ...गाड़ी का दरवाज़ा केसे लोक हो गया था ...खुला ही नहीं .....आई एम् .सोरी ...आई लव यु तनु ..." मन मिमिया रहा था !

"शटअप और ....यहाँ से चलो ..आज के बाद मुझसे दुबारा ये सब करने के लिए मत कहना ...मेरा मरना ही बाकी रहा था आज तो !

तनु का गुस्सा देख कर मन की कुछ भी बोलने की हिम्मत नहीं हुई !

उसने चुपचाप गाड़ी आगे बढ़ा दी ..!
 
लगभग चार दिन के बाद ....

रात के तकरीबन वही बज रहे थे ....

वहीँ झोंपड़ी ....

वहीँ लालटेन की पीली रौशनी ....

सिहरती और कांपती हुई ....

वहीँ कार निश्ब्द्ता में ठहरी हुई ...

पर इस बार मौन इतना मौन भी नहीं था ...


खिड़की की झिर्रियों से कुछ धव्नि बाहर तेर रही थी ....


"लौड़ा साला गरम गच्क्का ....गांड मार फाड़ बिल भोक्का "

" आआह्ह्ह्ह्ह ...उह्ह्ह सी स्स्स्स ...बस ..इतना ही डालो .....'

पर इस बार ये मादा की आवाज़ नहीं थी ...!.......


और ये कार और ये आवाज़े हर दुसरे तीसरे दिन आ जाती थी !
 
लगभग एक महीने के बाद ....

रात के तकरीबन वही बज रहे थे ....

वहीँ झोंपड़ी ....

वहीँ लालटेन की पीली रौशनी ....

सिहरती और कांपती हुई ....

वहीँ कार निश्ब्द्ता में ठहरी हुई ...

पर इस बार मौन इतना मौन भी नहीं था ...

खिड़की की झिर्रियों से कुछ धव्नि बाहर तेर रही थी ....


" लौड़ा साला गरम गच्क्का ......मार सटा -सट सटम सटा "

बूरिया साली ...चेदबा खाली ...मार हचाह्च हच्चम हच्चा .."



आअह्ह्ह ...मजा आ रहा हे ...और हुमच कर पेलो ......

मन देखो केसे सटासट लौड़ा मेरी बूर में जा रहा हे ......तुम भी चिंता मत करो .....


चाचा तुम्हे भी मजा देंगे ...."

चाँद की रौशनी ने झोंपड़े के अन्दर देखा ...


मादा ऊँची टाँगे किये हुए नंगी शास्त्री से चुद रही थी ......और मन 

शास्त्री के मोटे मूसल को ललचाते हुए देख रहा था वो भी बिलकुल नंगा था .....

और अपनी गांड पर ट्यूब से जेली को दो अँगुलियों पर भर भर कर उन्हें अन्दर बाहर कर शास्त्री के लौड़े के लिए 

सुगम आवागमन का रास्ता बना रहा था !

थोड़ी देर बाद अन्दर का गीत बदल गया था -


"लौड़ा साला गरम गच्क्का ....गांड मार फाड़ बिल भोक्का "

" आआह्ह्ह्ह्ह ...उह्ह्ह सी स्स्स्स ...बस ..इतना ही डालो .....'


और मादा मजे से अपने मन की गांड में शास्त्री के लौड़े को घुसता हुआ देख रही थी !



....................समाप्त ...............!



धन्यवाद .........
 
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