hotaks444
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समाज सेविका (भाग-1)
(लेखक – गुलफाम ख़ान)
मेरी पत्नी चूँकि पेशे से एक वकील है, इसलिए उसे
काफ़ी लोगों से मिलना जुलना है पड़ता है. खास तौर
से उन लोगों से जो समाज सेवी संस्थाओं से संबंध
रखते है. कयि लोग तो घर पर भी आ जाते है और
मेरी पत्नी धैर्य के साथ उनकी बाते, उनकी
समस्याए सुनती है. ऐसे ही लोगों मे एक है उर्मिला.
उर्मिला एक समाज सेविका है.
जब भी उर्मिला हमारे घर पर आती, मेरे मूह मे पानी
आ जाता. मैं अख़बार या कोई पत्रिका पढ़ने के
बहाने उसे चोर नज़रों से देखता. वो मेरी पत्नी से
काफ़ी बाते करती और कभी कभी नज़रे बचा कर मेरी
तरफ भी देख लेती. उसकी उमर लगभग 24 या 25 साल
होगी. उसकी आँखे मे अजीब सा नशा था. या यू कहिए
सेक्स की चाहत थी. ये मुझे क्यूँ महसूस हुआ, वो मैं
बता नही सकता, मगर मुझे हमेशा ऐसे ही लगता कि
वो मुझे देख कर नजरो ही नजरो मे सेक्स की दावत दे
रही है. मेरी उससे कम ही बातचीत होती थी. मगर
जब भी वो बात करती, उसके शब्दों मे दोहरा अर्थ
होता. मिसाल के तौर पर एक दिन जब वो आई तो मेरी
पत्नी बाथरूम मे थी. वो उसका इंतेजार करते सोफे मे
बैठ गयी. मैने निगाहों ही निगाहों मे उसे खा जाने
वाले भाव से देखा तो वो मुस्कुरा उठी. उसने बातों
का सिलसिला शुरू करने की गरज से पूछा... "मेडम
कहाँ है.. बेडरूम मे है क्या?"
मैने कहा...'नही बाथरूम मे'.
'अकेले ही!' उसने शरारती महजे मे कहा और हंस पड़ी.
मैं बोला, 'बाथरूम मे तो सभी अकेले होते है.'
वो फिर हंस पड़ी और बोली...'कमाल करते है आप,
बाथरूम और बेडरूम ही तो वो जगहे है, जहाँ किसी को
अकेला नही होना चाहिए.'
मैं कोई जवाब नही दे सका. वो भी चुप चुप हो गयी.
कुछ पल बाद मैने उससे पूछा...'आप करती क्या है?'
वो दो तीन सेकेंड तो मेरी तरफ देखती रही, फिर
बोली...'समाज सेवा.'
'कभी हमारी भी सेवा करदो...' मेरे मूह से निकल गया.
वो हल्के से मुस्कुराइ और बोली...'आपको क्या प्राब्लम
है?'
'बहुत ही खास प्राब्लम है...' मैने कहा
'तो बताइए'
'बताउन्गा...फिर कभी...'
'अकेले मे??' वो मेरी आँखे मे आँखे डालती हुई बोली.
मैं समझ गया कि इस औरत को पटाना कोई मुश्किल काम
नही. लगता है उसे भी मुझमे दिलचस्पी है. मगर
समाज सेवा के बहाने कयि लोगों के बिस्तर गर्म कर चुकी
होगी...ऐसी औरत से संबंध रखना ठीक भी होगा या
नही. मैं सोचने लगा. इतने मे मेरी पत्नी आ गयी और
वो दोनों घर से ही संग संग ऑफीस मे चले गये.
(लेखक – गुलफाम ख़ान)
मेरी पत्नी चूँकि पेशे से एक वकील है, इसलिए उसे
काफ़ी लोगों से मिलना जुलना है पड़ता है. खास तौर
से उन लोगों से जो समाज सेवी संस्थाओं से संबंध
रखते है. कयि लोग तो घर पर भी आ जाते है और
मेरी पत्नी धैर्य के साथ उनकी बाते, उनकी
समस्याए सुनती है. ऐसे ही लोगों मे एक है उर्मिला.
उर्मिला एक समाज सेविका है.
जब भी उर्मिला हमारे घर पर आती, मेरे मूह मे पानी
आ जाता. मैं अख़बार या कोई पत्रिका पढ़ने के
बहाने उसे चोर नज़रों से देखता. वो मेरी पत्नी से
काफ़ी बाते करती और कभी कभी नज़रे बचा कर मेरी
तरफ भी देख लेती. उसकी उमर लगभग 24 या 25 साल
होगी. उसकी आँखे मे अजीब सा नशा था. या यू कहिए
सेक्स की चाहत थी. ये मुझे क्यूँ महसूस हुआ, वो मैं
बता नही सकता, मगर मुझे हमेशा ऐसे ही लगता कि
वो मुझे देख कर नजरो ही नजरो मे सेक्स की दावत दे
रही है. मेरी उससे कम ही बातचीत होती थी. मगर
जब भी वो बात करती, उसके शब्दों मे दोहरा अर्थ
होता. मिसाल के तौर पर एक दिन जब वो आई तो मेरी
पत्नी बाथरूम मे थी. वो उसका इंतेजार करते सोफे मे
बैठ गयी. मैने निगाहों ही निगाहों मे उसे खा जाने
वाले भाव से देखा तो वो मुस्कुरा उठी. उसने बातों
का सिलसिला शुरू करने की गरज से पूछा... "मेडम
कहाँ है.. बेडरूम मे है क्या?"
मैने कहा...'नही बाथरूम मे'.
'अकेले ही!' उसने शरारती महजे मे कहा और हंस पड़ी.
मैं बोला, 'बाथरूम मे तो सभी अकेले होते है.'
वो फिर हंस पड़ी और बोली...'कमाल करते है आप,
बाथरूम और बेडरूम ही तो वो जगहे है, जहाँ किसी को
अकेला नही होना चाहिए.'
मैं कोई जवाब नही दे सका. वो भी चुप चुप हो गयी.
कुछ पल बाद मैने उससे पूछा...'आप करती क्या है?'
वो दो तीन सेकेंड तो मेरी तरफ देखती रही, फिर
बोली...'समाज सेवा.'
'कभी हमारी भी सेवा करदो...' मेरे मूह से निकल गया.
वो हल्के से मुस्कुराइ और बोली...'आपको क्या प्राब्लम
है?'
'बहुत ही खास प्राब्लम है...' मैने कहा
'तो बताइए'
'बताउन्गा...फिर कभी...'
'अकेले मे??' वो मेरी आँखे मे आँखे डालती हुई बोली.
मैं समझ गया कि इस औरत को पटाना कोई मुश्किल काम
नही. लगता है उसे भी मुझमे दिलचस्पी है. मगर
समाज सेवा के बहाने कयि लोगों के बिस्तर गर्म कर चुकी
होगी...ऐसी औरत से संबंध रखना ठीक भी होगा या
नही. मैं सोचने लगा. इतने मे मेरी पत्नी आ गयी और
वो दोनों घर से ही संग संग ऑफीस मे चले गये.