College Girl Chudai मिनी की कातिल अदाएं - Page 6 - SexBaba
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College Girl Chudai मिनी की कातिल अदाएं

उसका बदन बिलकुल गोरा और चमकदार था। उसके परफेक्ट साइज बूब्स बिलकुल बराबर गोलाई के साथ हलके ब्राउन रंग के निप्पल… कमर बहुत पतली नहीं पर उसके बदन के लिए एक गदराई हुई शेप में थी, उसके चूतड़ 34″ के रहे होंगे, चूत पर एक भी बाल नहीं।
छोटी से चूत थी, ऐसा लग रहा था जैसे शायद ही उसने कभी उंगली की हो।
टाँगें माशाल्लाह कोई देख ले तो ज़िन्दगी भर दूसरी टांगों को नज़र उठा कर न देखे।
भरे पूरे बदन की मेरी बहन शिखा मेरे सामने नंगी खड़ी नाच रही थी।
उसने एक स्टेप ऐसा किया कि वो गोल गोल घूमी और सीधा मेरे ऊपर ऐसे गिरी कि उसके बूब्स मेरे लंड पर जाकर लगे, फिर अपने दोनों बूब्स के बीच मेरी टांगों की मालिश करती हुई नीचे खिसकने लगी।
बहुत ही उत्तेजक थी उसकी छुअन, फिर उसी तरह उसने मेरी दूसरी टांग की मसाज भी अपने बूब्स के बीच फंसा कर की।
फिर मेरी टांगों के बीच खम्बे पर अपने बूब्स से अच्छे से मसाज की।
फिर उसने अपने बूब्स से ही मेरी गांड की मसाज की, फिर मेरे ऊपर 69 में आ गई और बोली- भैया आपका लंड पीने का मन कर रहा है।
मैंने कहा- पी ले शिखा… पी ले मेरा लंड पी ले! इतना चूस मेरे लंड को…
इतना बोलते बोलते ही मैंने शिखा की चूत पर मुंह रख दिया था।
शिखा की कुंवारी छोटी सी चूत अपने आप में नायाब थी। मैंने अब उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ डाल दी थी। चूत धीरे धीरे फूलने लगी और वो इतनी फूल गई जैसे उस पर सूजन आ गई हो।
शिखा भी मस्ती से मेरे लौड़े को चूसे जा रही थी।
शिखा धीरे धीरे अपना काम रस छोड़ने लगी थी, वो मेरे लंड पर से बिना अपना मुंह हटाए अपने हाथ से मेरे मुंह को अपनी चूत से दूर करने की कोशिश कर रही थी।
मैंने थोड़ा सा अपना मुंह उसकी चूत से हटाकर कहा- शिखा !! मेरी जान तुम आराम से अपना पानी छोड़ो, मुझे तुम्हारा पानी अच्छा लग रहा है।
शिखा शायद कुछ सोच में पड़ गई होगी क्योंकि उसकी चुसाई थोड़ी धीमी हुई थी।
मैंने कहा- शिखा सोच मत, बस मजे लो, मेरे मुंह को अपने पानी से भर दो, तुम्हें बहुत संतुष्टि मिलेगी।
शिखा की चुसाई फिर से अपने स्पीड और चटकार के साथ वापिस आ गई।
शिखा की चूत देखकर तो लग रहा था कि उसने आज तक वाकयी कोई लंड नहीं लिया है। पर उसके चूसने की अदा इतनी परफेक्ट थी की विश्वास करने का मन नहीं था।
उसने अब तक एक भी बार अपने दांत मेरे लंड पर महसूस नहीं होने दिए थे और साथ ही मुंह के अंदर मेरे सुपारे पर उसका अपनी जीभ को गोल गोल घूमना मुझे सातवें आसमान की सैर करा रहा था। इस बीच वो अपनी उँगलियों का जादू मेरे लंड के आसपास के किनारे पर सहला का चला रही थी।
मैं भी शिखा को पूरा आनन्द देने के लिए उसकी उसी तरह चटाई कर रहा था।
बीच में अपनी ऊँगली को उसके काम रस से भिगोकर उसकी चूत में अपने लंड के जाने की जगह बना रहा था।
शिखा चुसाई छोड़ कर बोली- भैया, आपका लंड तो जो मैंने सपने में सोचा था उससे भी अच्छा निकला।
मैं बोला- मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि इतनी बढ़िया चूत चोदने का मौका मिलेगा। तुम्हारा पूरा बदन बहुत मादक और नशीला है। मुझे यह नहीं समझ आ रहा कि आज तक मैंने तुम्हें कभी ऐसी नजरों से क्यूँ नहीं देखा।
शिखा बोली- इस बात का गम तो मुझे भी है, पर अभी तो मिल रहा है न तो गम बाद में मन लेंगे।
मैंने शिखा को अपने ऊपर से हटाया और उसकी चूत पर अपना हथियार सेट कर दिया।
शिखा बोली- भैया थोड़ा धीरे करना, आपका लंड इतना मोटा होगा, मैंने नहीं सोचा था। वो मुंह में ही आसानी से नहीं आ रहा था, एक छोटे से छेद का पता नहीं क्या करेगा।
मैंने कहा- चिंता मत कर, तुझे मजा न आये तो पैसे वापस!
हम दोनों बुरी तरह हंस पड़े।
जब हंसी थोड़ी रुकी तो मैंने धीरे से झटका मारा और लंड को चूत के अंदर ठेलने लगा।
शिखा के हँसते हुए चेहरे पर चुदाई की खुमारी मिटाने के भाव आ गये, उसने अपने तकिए को दोनों साइड जोर से पकड़ लिए और अपनी गर्दन को तकिए की तरफ मोड़ लिया, उसकी सुराहीदार गर्दन पर नसें और गले की हड्डी साफ़ साफ़ दिखाई पड़ रही थी।
मैं अपने घुटनों पर बैठा लंड को पेलने की कोशिश करने में लगा था। चूत काफी टाइट होने के कारण मुझे थोड़ा जोर से धक्का लगाना पड़ा।
उसकी चूत ने जो कामरस छोड़ा था, उसके सहारे से लंड एक ही बार में आधा अंदर घुस गया, पर शिखा बुरी तरह तड़प उठी और दर्द के मारे चिल्लाने और रोने लगी।
मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया, मैं साथ साथ उसे चुप कराने की नाकाम कोशिश भी कर रहा था।
मैंने देखा की लंड के ऊपर थोड़ा खून लगा हुआ है। अगर मैंने शिखा को देखने का मौका दिया तो वो चुदवायेगी नहीं इसलिए मैंने उठने नहीं दिया और समझाया कि चूत टाइट होने की वजह से धक्का जोर से लगाना पड़ा।
मैंने एक बार फिर अपने लंड को चूत पर सेट किया और फिर से अंदर डालने की कोशिश करने लगा पर इस बार शिखा ने चूत को पूरी ताकत से भींच रखा था। जैसे जब पॉटी आती है तो आप अपनी गांड के छेद को भींच लेते है।
मैंने सोचा ‘अब रो तो रही ही है’ इधर लंड भी अपनी पूरी औकात में था, मुझे उसका रोना दिखाई ही नहीं दिया और मैंने फिर से जोर का धक्का लगाया और पेल दिया अपना लंड उसकी चूत में।
थोड़ी देर रोई, चिल्लाई पर फिर तो उचक उचक कर मेरे धक्कों के साथ धक्के लगाने लगी। मैंने चोदते हुए ही उसके आँसू पौंछे और पूछा- अब दर्द तो नहीं हो रहा?
वो बोली- आपको कहाँ कुछ फर्क पड़ता है… जब रो रही थी तो थोड़ी देर रुक नहीं सकते थे। बस डाल ही दिया पूरा अंदर, पता है बहुत दर्द होता है। अगर मेरे पास लंड होता तो आपकी गांड में डाल के बताती कितना दर्द होता है।
मैंने कहा- लेकिन अब तो मज़ा आ रहा है न? या निकाल लूँ बाहर?
मुझे पता था कि अब मजा आ रहा है अब तो मना करने से रही।
शिखा बोली- जब दर्द था तब तो निकाला नहीं… अब तो मजा आ रहा है, अब थोड़े ही निकालने दूंगी। चोदो अब जोर जोर से चोदो मुझे।
बस फिर क्या था, अपनी ट्रेन को हरी झंडी मिल चुकी थी, अपन भी फुल स्पीड से चुदाई में मशरूफ हो गए। बिल्कुल भूल गए कि बाहर काफी लोग हैं।
चिल्ला चिल्ली करके सिसकारियों से कमरा ही नहीं पूरा बंगला भर दिया।
मुझे तो टेंशन थी ही नहीं पर शिखा भी अपनी पूरी शिद्दत से चुदाई के मजे लूट रही थी।
हमने अपनी पहली ही चुदाई में 3 पोजीशन में चुदाई का आनन्द लिया, फिर आधे घंटे तक हम एक दूसरे से चिपके ऐसे ही पड़े रहे।
अब वाकई लग रहा था कि AC की ठंडक कम है।
इधर बाहर भी कोमल, मिनी और आरके ने चुदाई कर चुके थे और हमारी आवाज़ों के मजे लेकर अपनी चुदाई में चार चाँद लगा रहे थे। शिखा जब होश में आई तो बोली- भैया अब तो बहुत नाटक हो गया होगा, हम लोगों ने अपनी आवाज़ पर कोई कंट्रोल ही नहीं रखा। बाहर सबको सुनाई दिया होगा, हम तो फंस गए।
मैंने उसका डर निकालने के लिए बोल दिया- यह कमरा साउंड प्रूफ है।
तब कहीं जाकर उसकी जान में जान आई।
मैंने कहा- चल तू कपड़े पहन कर आ जा नीचे, अब भूख लग आई है।
मैं तौलिया लपेट कर जल्दी से नीचे गया।

हमारी आवाज़ जब आना बंद हो गई थी तभी ये लोग समझ गए थे कि चुदाई खत्म हो चुकी है इसलिए कपड़े पहने हुए ही एक दूसरे के बदन से खिलवाड़ कर रहे थे।
मेरे आते ही बोले- क्यों, बड़ी ज़बरदस्त चुदाई मचाई तुमने… इतनी आवाज़ें? इतनी बेचैनी चुदाई में?
मैंने कहा- चल आरके, कुछ खाने को लाते हैं, बड़ी भूख लगी है।
सभी लोग शरारती मुस्कान में बोले- हाँ मेहनत की है तो भूख तो लगेगी ही।
 
मैं और आरके फटाफट गाड़ी में बैठे और चल पड़े करीबी ढाबे की तलाश में।
आरके बोला- कैसी लगी शिखा?

मैंने कहा- यार वो तो कमाल ही है। उसकी चुदाई तो बनती है, कुछ नहीं तो कम से कम उसे एक बार नंगी कर के देख, इतनी खूबसूरती अंदर छुपा के रखी है उसने, मस्त एकदम!
आरके बोला- उसका पानी तो होगा अभी तेरे लंड पर?
मैंने कहा- नहीं यार, मुझे लंड धोना पड़ा क्योंकि खून बहुत निकला उसका!
आरके बोला- कोई नहीं, तू कुछ तो सोच ही रहा होगा जिससे ये दोनों ऑलमोस्ट कुंवारी चूत मुझे भी मिल जाएँ।
मैंने कहा- हाँ रे गांडू, तेरे लिए भी सोच रहा हूँ, तू पहले सिगरेट जला!
आरके सिगरेट जलाता रहा और मैं सोच रहा था कि अब ऐसा क्या करूँ कि हम सब एक साथ चुदाई कर सकें। चार लड़कियाँ और दो लड़के, कैसे करूँ क्या करूँ?
तभी मैंने एक ठेके पर गाड़ी रोकी, वहाँ से मैंने सस्ती शराब की एक पूरी क्रेट और अच्छी व्हिस्की की दो बोतल ले ली।
उसी के बाजू में एक ढाबा भी था, वहाँ से खाने के लिए मुर्गा और रोटियाँ चावल पैक करा लिया और वापस फार्म हाउस पर आ गये।
जब हम वापस लौटे तो सभी लेडीज साथ में बैठी हुई गपशप में मशरूफ थी।
अभी शाम के 4 बजे थे, मैंने कहा- चलो सभी लोग आ जाओ, थोड़ा थोड़ा खा लेते हैं।
मैंने आते ही टेबल पर पूरा खाना रख दिया, व्हिस्की की बॉटल्स भी टेबल पर रख दी।
कोई किसी से कुछ नहीं बोला।
सभी ने थोड़ा थोड़ा कुछ खाने के बाद सोचा कि चलो पास के जंगल और गाँव के सैर कर लें।
नेहा बोली- चलो, आस पास जो भी कुछ देखने लायक हो घूम कर आते हैं।
मैंने कहा- चलो सब लोग तैयार हो जाओ, थोड़ा घूम कर आते हैं।
कुछ ही देर में सभी लड़कियाँ तैयार होकर गाड़ी में सवार हो गई। मैं और आरके आगे बैठे और बाकी सभी लड़कियाँ पीछे बैठ गई।
अब लंड की खुमारी कुछ हद तक मिट गई थी इसलिए हम दोनों आगे बैठे थे।
घूमना तो बहाना था, अपने लंड को थोड़ा आराम देना था जिससे अगली चुदाई चाहे किसी की भी हो, मजा लूट सकें।
घूमते हुए हम लोग एक कुएं के पास पहुँचे, उसके ऊपर एक बहुत बड़ा और घना बरगद का पेड़ लगा था। उससे थोड़ी ही दूरी पर दो तालाब दिखाई पड़ रहे थे।
एक तालाब का पानी काफी साफ़ और स्वच्छ था, वहीं दूसरे तालाब का पानी काला और गन्दा दिख रहा था।
दूर दूर तक कोई कुत्ता भी नजर नहीं आ रहा था, सिर्फ हम 6 लोग ही वहाँ पर अपनी अपनी बातों में मशरूफ इधर उधर करके फोटो क्लिक कर रहे थे।
नेहा और शिखा दोनों के चेहरे पर असीम शान्ति का भाव था, वहीं उनकी चाल थोड़ी डगमगा रही थी। जब भी उन्हें लगता कि कोई समझ न जाए कि उनकी चाल गड़बड़ा रही है, वो अपनी ऊँची हील की सेंडल को दोष दे देती और कहती यहाँ काफी गड्डे हैं।
बाकी तो सभी जानते थे कि चाल क्यों ख़राब है इसलिए कोई भी उनकी बातों पर ध्यान नहीं दे रहा था और वो दोनों इस बात से काफी खुश थी।
मैं मौका देखकर चारों ही लड़कियों के साथ थोड़ी बदमाशी कर देता। उसे भी सभी नजरअंदाज कर देते मुझे सिर्फ शिखा के सामने नेहा से और नेहा के सामने शिखा से ही पर्दा रखना था जो आसानी से कर पा रहा था।
शिखा बोली- चलो न उस अच्छे तालाब के करीब चलते हैं।
मैंने और आरके ने यह सुनते ही 15 साल के लड़कों की तरह दौड़ लगाना शुरू कर दी। दौड़ लगाते लगाते हमने अपने टी-शर्ट तो उतार ही फेंकी और सबसे पहले तालाब के करीब पहुँच गए थे।
शिखा और नेहा दौड़ नहीं सकती थी इसलिए आराम आराम से ही आ रही थी और मिनी और कोमल भी उनके साथ धीरे धीरे चलकर आती दिखाई पड़ी।
मैंने सिगरेट जलाई और आरके को दी।
आरके बोला- यार रंगीला, आज रात सोना नहीं है। चार चार लड़कियाँ हैं, इनको बजाएंगे।
मैंने कहा- बात तो तेरी ठीक है, पर साला कोई खुराफात ही नहीं आ रही दिमाग में जिससे ये सारी की सारी लड़कियाँ एक बिस्तर पर नंगी लिटा सकूँ। तेरे दिमाग में कोई झनझनाता विचार हो तो बता?
आरके बोला- यार दिमाग तो तुझे ही चलाना पड़ेगा, तेरी चुदाई की आवाज़ें सुन सुन के मेरा सारा खून टांगों के बीच आ चूका है। अब दिमाग नहीं चल रहा। रात तक अगर तू कुछ कर पाया तो ठीक वर्ना मैं तो बलात्कार कर दूँगा दोनों नई चूतों का।
तब तक सभी लड़कियाँ भी आ गई थी।
आरके ने कोमल को धक्का दिया और पानी में गिरा दिया।
मिनी बोली- अरे आप कैसे करते हो, उसके लग जाती तो?
आरके बोला- सॉरी भाभी!
बोलते बोलते थोड़ा करीब आया और हँसते हुए मिनी को भी पानी के अंदर धक्का दे दिया।
इधर नेहा और शिखा अपने आप ही पानी में उतर गई।
आरके और मैं भी अब पानी में थे।
आरके का भी खून काफी गर्म था इसलिए वो बार बार अपने बदन से सभी लड़कियों को छूने की कोशिश करता रहता।
ठन्डे पानी में डुबकी लगाकर कभी किसी की गांड में ऊँगली कर आता तो कभी किसी की चूत में।
मस्ती करते हुए काफी देर हो गई और अब अँधेरा होने लगा था, हम लोग पानी से बाहर निकले पर बिना तैयारी के आये थे हम लोग तो किसी के भी पास कोई टॉवल या बदलने के लिए कपड़े नहीं थे तो बस अब ठिरठिराते हुए हम लोग वापस जाने लगे।
गाड़ी तक वापस आकर हमने जल्दी ही वापस फार्म हाउस की और रुख कर लिया, हम जल्दी ही फार्म हाउस पहुंच गए।
अंदर जाकर सभी अपने अपने कमरों में चले गए।
सभी लोग शावर लेकर चेंज करके बाहर आ गये। हम सभी लोग बाहर के कमरे में बैठकर टीवी देख रहे थे।
शिखा आई और उसने टीवी बंद कर दिया, इससे पहले कि वो कुछ बोले, मैंने कहा- तू न बचपना बंद कर ले, अभी तुझे बचाने वाला भी कोई नहीं है। बचपन में सभी भाई बहन टीवी और रिमोट के लिए तो लड़ते ही है। बस वही याद आया था मुझे कि शायद वो लड़ने का बहाना ढूंढ रही है।
पर वो बोली- अरे यार, टीवी तो घरों में देखते ही हैं। यहाँ सब लोग हैं तो बातें शातें करते हैं, टीवी घर जाकर देख लेंगे।
सभी को बात ठीक लगी तो मिनी बोली- यार वो सही कह रही है, चलो न सब लोग मिलकर कुछ बातें करें, कुछ गेम्स (आँख मारते हुए) वगैरह खेलें।
कोमल बोली- हाँ चलो आप सब लोग अपने बचपन के किस्से सुनाओ।
मैंने कहा- अच्छा ठीक है चलो बातें करते हैं।
आरके बोला- तो एक काम करते है, अंदर किसी कमरे में चलकर बातें करते हैं, यहाँ तो सब कोई अलग अलग बैठा है। यहाँ तो कोई सोफे पर है तो कोई जमीन पर।
मैंने कहा- चलो तुम्हें एक बेहतरीन कमरे के दर्शन कराता हूँ, हम सब वह आराम से बैठ के बातें कर सकते हैं।
मैंने कहा- आरके तू बोतल उठा, कोमल तुम चखना, मिनी तुम पेप्सी कोक वगैरह।
सबको कुछ न कुछ उठाने को बोलकर में हाथ हिलाता हुआ चल दिया। सीढ़ियों के नीचे एक टेबल पर लैंप था, मैंने कहा थोड़ा झुककर निकलना।
उस लैंप को मैंने घुमाया तो उसके बीचों बीच एक नंबर डायल करने के लिए कैलकुलेटर नुमा चीज़ आ गई मैंने उसमे कोड डाला तो सीढ़ियों के नीचे एक दरवाज़ा खुला।
दरवाज़ा खुलते ही लोग दरवाज़े की ओर न देखते हुए मेरी तरफ देखने लगे।
आरके बोला- साले, तुझे कैसे पता ये सब?
मैंने कहा- तू नीचे तो चल!
मैं सबसे आगे गया और सीढ़ियाँ उतरने लगा।
नीचे की इस जगह को एक कमरा या हाल कहना गलत होगा। ये पूरा कमरा एक जंगल थीम पर तैयार किया गया था, ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे की जंगल की किसी बड़ी सी गुफा में आ गये हों।
सभी लोग मेरे पीछे सामान पकड़े बिना कुछ बोले चुपचाप चल रहे थे और इधर उधर नजर घुमा कर इस जगह का अवलोकन कर रहे थे।
तो इस बड़ी सी जंगल की गुफा में एक कोने पर ऊपर से नुकीले चट्टान दिख रही थी और वहीं से पानी भी आ रहा था जिससे कमरे की बिल्कुल बीचों बीच एक तालाब नुमा छोटा सा पानी का चश्मा दिख रहा था।
गुफा के हर कोने पर और कई जगह पर मशालें जल रही थी जिससे कुछ साफ़ दिखाई तो नहीं पड़ रहा था पर हाँ दिख रहा था।
चश्मे के उस तरफ बैलगाड़ी में लगने वाली बग्गी थी जिस पर सुखी घास बिखरी हुई थी। उसी के बगल में एक और काफी ऊँची घास का ढेर भी लगा हुआ था।
ऐसी जगह को देखकर शिखा और नेहा बोली- आप तो टीवी ही देखो, हमें कहाँ यहाँ जंगल में ले आये। हमें डर लग रहा है।
पर आरके की ठरक ने तेजी से काम किया और वो बोला- अरे तुमने देखा नहीं, हम लोग घर के अंदर ही है। इस कमरे को कितने अच्छे से बनाया गया है कि जंगल लगे।
और वैसे भी घरों पर नार्मल सोफे पर तो रोज़ बैठकर बातें करते हैं। जब घूमने आये है तो चलो क्यूँ न जंगल का मज़ा लिया जाए।
और यह सेफ भी है क्योंकि है तो घर के अंदर।
उन लोगों को जवाब देने से पहले ही मेरी तरफ मुड़ा और बोला- अब तो बता दे तुझे कैसे पता कि इस घर में कहाँ क्या है और उसका कोड क्या है?
मैंने कहा- तू आम खा… गुठलियाँ तो मेरे लिए छोड़ दे।
आरके जिद करने लगा तो मैंने कहा- चलो ठीक है, आज का गेम यह है कि कोई किसी से भी किसी भी तरह का सवाल कर सकता है और उसे सच सच जवाब देना होगा।
कोमल बोली- तो आप ही से शुरू करते हैं? बताओ आपको कैसे पता…
मैं उसकी बात पूरी होने से पहले ही बीच में बोला- सबसे पहले चश्मे के उस तरफ चलो और चलकर सब अपनी तशरीफ़ उस घास पर रखो!
सभी लोग उस तरफ जाने लगे।
‘और दूसरी बात यह है कि गेम मैंने शुरू किया है तो सबसे लास्ट में ही होऊँगा जो जवाब देगा। तो सबसे पहले कौन है जो मैदान में आना चाहता है।’
कोई कुछ नहीं बोला पर हम सब घास तक पहुँच चुके थे।
मैं जाकर बैलगाड़ी वाले गाड़ी पर बिछी घास पर लेट गया।
कोमल बोली- ओके मैं तैयार हूँ, आप मुझसे कुछ भी पूछ सकते हो।
मैंने कहा- मैं नहीं, सभी लोग मिलकर निर्णय लेंगे कि आखिर सवाल पूछेगा कौन? और हाँ आपको सवाल तब तक पूछा जायेगा जब तक सभी आपके जवाब से संतुष्ट नहीं हो जाते।
पिछले तीनों खिलाड़ी तो चेहरे से संतुष्ट दिखाई पड़ रहे थे, उन्हें तो पता ही था कि खेल चाहे जो हो, यहाँ चुदाई तो होगी ही और मज़ा आएगा।
पर बेचारी नई कलियाँ नेहा और शिखा आने वाले खेल का न ही अंजाम जानती था, साथ ही थोड़ी घबराहट भी चेहरे पर साफ़ दिखाई पड़ रही थी।
 
इसी बीच मैंने कहा- सवाल पूछने के लिए मैं मिनी को नियुक्त करता हूँ जो कोमल से सवाल करेगी और कोमल के जवाब से अगर कोई असंतुष्ट होता है तो वो उसके आगे के सवाल कर सकता है।
नेहा और शिखा भी जिज्ञासु दिखाई दिए कि आखिर खेल समझने का मौका तो उन्हें मिलेगा ही और साथ ही यह भी देखना है कि सवाल किस तरह के होते हैं।
इधर आरके ने बोतल खोल ली थी और अब तक दो पेग बना चुका था, बाकी चखने का आइटम भी खुल गया था।
मिनी- कोमल, यह बताओ कि किसी सेलिब्रिटी के साथ रात गुजरने को मिले तो तुम ख़ुशी ख़ुशी उसके साथ सोने के तैयार हो जाओगी? और थोड़ा खुल कर बताओ कि वो दिन और रात तुम कैसे गुज़ारना पसंद करोगी?
मिनी के मुंह से ऐसे सवाल को सुनकर नेहा और शिखा के कान गर्म हो गए, वो दोनों एक दूसरे को देख रही थी।
कोमल थोड़ा सोचकर- मैं क्रिस गेल के साथ अपनी एक शाम गुज़ार सकती हूँ। और मेरी दिन और रात से कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। वो मैं अपने सेलिब्रिटी के हाथ में छोड़ती हूँ, वो मुझसे जैसे चाहे व्यवहार कर सकता है।
आरके- तुम्हारी पसंद क्रिस गेल !! क्यूँ है? उसमें तुम्हें क्या अच्छा लगा?
कोमल द्वि अर्थी अंदाज़ में- उसका साइज…
फिर थोड़ा मुस्कुराकर- मतलब उसकी कद काठी।
नेहा और शिखा थोड़ा सा हल्का महसूस कर रही थी और इस तरह की वार्तालाप के कारण शायद अब वो थोड़ी गर्म होना शुरू हो गई थी।
नेहा थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए- पर भाभी आपको नहीं लगता कि वो राक्षस आपको मसल डालेगा?
कोमल सवाल खत्म होने से पहले ही- यही तो असल बात है, मैं चाहती हूँ कि मुझे कोई ताकतवर आदमी मसल डाले… फिर चाहे मैं जिन्दा भी न बचूँ तो भी चलेगा।
और हंसने लगी।
सभी एक दूसरे की शक्ल देखने लगे कि कोई और सवाल पूछने वाला है क्या।
तब मैं बोला- कोमल ने सभी को अपने जवाब से संतुष्ट कर दिया और बहुत अच्छी पारी खेली। अब अगले शख्स का नाम कोमल बोलेगी।
कोमल बोली- भाभी…
मैंने कहा- यहाँ कोई भाभी नहीं है। नाम बोलो कौन?
कोमल बोली- मिनी!
मिनी- मुझे पता था तुम मेरा ही नाम लोगी, पूछो क्या पूछना चाहती हो?
कोमल- हाँ तो भाभी, ओह्ह सॉरी सॉरी हाँ मिनी, तुम बताओ कि तुमने कभी बाहर खुले में सेक्स किया है? यदि हाँ तो कितनी बार?
थोड़ा शरारती मुस्कान के साथ- कितनों के साथ?
मिनी बेशर्मी से- मैंने तो कई बार खुले में शारीरिक सम्बन्ध बनाए हैं। मतलब मैं गिन नहीं सकती… इतनी बार! पर हाँ यह बताना आसान होगा कि मैं कितनों के साथ सम्बन्ध बना चुकी हूँ।
फिर अपने हाथ की उँगलियों पर गिनते हुए हवा में ऊपर देखकर याद करते हुए गिनती रही।

मिनी को गिनती गिनते देख नेहा और शिखा के होश फाख्ता हो गए थे।
फिर हँसते हुए बोली- एक के साथ! तुम्हारे और हम सबके प्रिय रंगीला के साथ।
आरके- चलो कोई नहीं, आपने बड़े मजे से बताया कि एक के साथ… पर अगर मौका मिले तो किसके साथ कर सकती हैं?
मिनी- यह तो वही सवाल नहीं है? यह तो बिल्कुल अलग सवाल है। आप अगली चाल का इंतज़ार करो।
शिखा- अच्छा ठीक है, इतनी बार आप बाहर खुले में सम्बन्ध बना चुकी हो आपको डर नहीं लगा कि कोई देख लेगा?
मिनी- देख ले तो देख ले, अपनी पति के साथ ही तो कर रही हूँ, उसमें मुझे क्या शर्म। वैसे उसे भी शर्माने की ज़रूरत नहीं है, देख ले आराम से मैं अपने पति से कैसे प्यार करती हूँ।
नेहा- अच्छा तो आप अपनी बाहर की ऐसे पांच जगह के नाम बताओ जहाँ आपने रंगीला के साथ सम्बन्ध बनाए और आपको बहुत मज़ा आया?
मिनी- मुझे मेरे पति के साथ हर जगह आनन्द की अनुभूति होती है। पर हाँ कुछ यादगार लम्हें बन जाते हैं, ऐसी 10 जगह हैं, पहला नेहरू पार्क, वो मेरा पहला खुले में सम्बन्ध बनाने का अनुभव था। दूसरा अतुल भैया की शादी में धर्मशाला में जहाँ हमारे बगल में पचासों बाराती सोये हुए थे। तीसरा इन्होंने मुझे झूले में भी नहीं छोड़ा था। चौथा ट्रेन में॥
फिर हंसने लगी- पांचवा अभी कुछ दिन पहले आपके यहाँ छत पर!
फिर और जोर से हंसने लगी।
सभी लोग बेबाकी से दिए हुए जवाब से स्तब्ध थे।
और साथ ही नेहा और शिखा जो आज ही जवान हुई थी, उनमें फिर से चुदने की ललक साफ दिखाई पड़ने लगी।
तभी मैंने कहा- हाँ मिनी, अब कौन से पूछे सवाल?
मिनी बोली- नेहा! और सवाल आरके भैया पूछेंगे।
नेहा- ओए आरके, मुझसे अच्छे और आसान सवाल पूछना।
आरके- तो बताओ तुम्हारी ब्रा का साइज क्या है?
नेहा- अरे यार, ये कोई सवाल हुआ?
कोमल- अरे आपसे वाकई कितना आसान सवाल किया है।
नेहा- 34 डी 
मैं रंगीला- हमें भरोसा नहीं है, ब्रा खोल कर दिखाओ।
नेहा मुझे घूरते हुए- ये कोई बात नहीं हुई।
आरके- यार रंगीला, इनके कच्चे चावल कर दो, ये लोग न सिर्फ खेल बिगड़ेंगी।
नेहा गुस्से में उबलते हुए अपना हाथ पीठ के पीछे डाला और ब्रा खोल कर बिना कोई और कपड़ा निकाले, निकाल कर हमारी ओर फेंक दी।
नेहा- ये लो देख लो।
आरके ने ब्रा कैच की और उस पर नंबर पढ़ के उसे अपने पास ही साइड में रख दिया।
मैंने कहा- अच्छा अब तुम बताओ, किससे सवाल करें और सवाल कौन करेगा।
नेहा बोली- अब बारी आरके की और सवाल में ही पूछूंगी।
आरके मुस्कुराता हुआ अपना चेहरा नीचे करके सवाल का इंतज़ार कर रहा था।
नेहा- आपकी बीवी ने खुलकर बताया कि वो क्रिस गेल के साथ एक रात गुज़ार सकती है? पहली बात क्या अगर क्रिस गेल तैयार हो जाता है तो आप उन्हें ऐसा करने देंगे? दूसरा अगर वो भी आपको छूट देती है तो आप किस सेलिब्रिटी के साथ अपनी शाम रंगीन करना पसंद करेंगे?
आरके- हाँ बिल्कुल, मुझे इसमें कोई एतराज़ नहीं है अगर वो क्रिस गेल के साथ बिस्तर गर्म करना चाहे तो कर सकती है।
कोमल की तरफ देखते हुए- एक ही ख्वाहिश रहेगी कि वो ये सब कुछ मेरे सामने करे। और दूसरे सवाल का जवाब है कि मैं अपनी एक शाम पूनम पांडे के साथ गुज़रना चाहूंगा।
शिखा- तुझे बुरा नहीं लगेगा तेरी बीवी किसी और के साथ तेरे ही सामने?
एक लम्बे रुकावट के बाद- ऐसा सिर्फ तुम बोल रहे हो, मैं इस बात से असंतुष्ट हूँ।
मैं रंगीला- तो शिखा तुम ही बताओ कि वो कैसे इस बात को साबित करे कि तुम इस बात से संतुष्ट हो जाओ।
शिखा- अब अभी तो कुछ भी साबित नहीं हो सकता न, क्रिस गेल तो यहाँ है नहीं।
फिर आरके की तरफ देखते हुए-) इसका मतलब तेरी बीवी को कोई भी हाथ लगाए तो तुझे बुरा नहीं लगेगा?
आरके- यार शिखा, देख कोई मेरी बीवी को हाथ लगाए और मेरी बीवी को भी अच्छा लगे तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है। मैं अपनी बीवी की ख़ुशी से खुश हूँ।
शिखा कोमल की तरफ देखकर- अगर रंगीला तुम्हें हाथ लगाए तो तुम्हें अच्छा लगेगा या बुरा? बोलो?
मिनी- इस समय सवाल केवल आरके से किया जा सकता है?
कोमल- कोई नहीं मिनी, मैं भी देखना चाहती हूँ कि मेरा पति कितना सच बोल रहा है।
शिखा आरके की तरफ देखकर- अब बोल तेरी बीवी ही तेरी बात से संतुष्ट नहीं है।
आरके मेरी तरफ देखकर- भाई मेरी बीवी ही मेरी बात से संतुष्ट नहीं है, अब मैं क्या करूँ?
मैं रंगीला- शिखा तुम क्या चाहती हो? आरके तो अपनी बात से मुकर नहीं रहा और कम से कम दो लोग इस बात से अंसतुष्ट है। और कोई है जो आरके की बात से सहमत नहीं है? हाथ खड़ा करो।
शायद मिनी भी समझ गई थी कि यही तरीका है जिससे ये दो नई लड़कियों को लपेटे में लिया जा सकता है। तो शिखा, नेहा, मिनी और कोमल सभी ने हाथ खड़ा कर दिया।
आरके- भाई तू तो मानता है न कि मैं सही बोल रहा हूँ।
मैं रंगीला- मेरे अकेले के मानने से कुछ नहीं होगा यार!
मिनी- शिखा एक काम करो, आरके भैया को बोलो कि रंगीला सबके सामने कोमल को छुएँगे जिसके लिए कोमल भी राज़ी है। अगर आरके भैया ख़ुशी ख़ुशी ये सब देख पाये तो हम विश्वास कर लेंगे कि ये जो कह रहे हैं वो सही है। क्यूँ ठीक है न कोमल?
कोमल ने भी हाँ में सर हिला दिया।
शिखा- तो आरके। तू तैयार है कि रंगीला कोमल भाभी को हम सबके सामने छुएँगे और तुझे कोई परेशानी नहीं है?
आरके कोमल की तरफ देखकर- कोमल, तुम्हें सच में बुरा नहीं लगेगा अगर तुम्हें रंगीला टच करे तो?
मैं मन ही मन सोच रहा था कि एक्टिंग तो देखो… साला इन लोगों को तो ऑस्कर मिल जाना चाहिए।
 
कोमल- हाँ, मुझे ख़ुशी होगी और शायद क्रिस गेल से ज्यादा ख़ुशी होगी अगर रंगीला भैया मुझे छुएँ तो!
मैं थोड़ा माहौल हल्का करने के लिए हँसते हुए बोला- अबे!!! कोई मुझसे भी पूछ लो। मेरा भी तो मन होना चाहिए या नहीं? मैंने सोचा इतनी नौटंकी ये कर रहे हैं तो थोड़ी तो मेरी भी बनती है।
कोमल बड़ी अदा से- रंगीला भाई, क्या मैं इतनी बुरी दिखती हूँ कि आप मुझे छू भी नहीं सकते। प्लीज देखिये न मुझे?
मैं उठकर कोमल के करीब गया।
मेरी पूरी नजर दोनों लड़कियों पर ही थी।
कोमल का हाथ पकड़ कर उसे खड़ा किया और उसकी कमर में हाथ डाल दिया और बॉलीवुड का रोमांटिक का डांस करने लगे।
नेहा ने मोबाइल पर सालसा का म्यूजिक भी लगा दिया।
मैं धीरे धीरे कोमल की पीठ सहलाने लगा, मैंने कोमल के गले पर चुम्मा लिया और थोड़ा सा काट लिया।
सभी लोग हम दोनों को बड़े ध्यान से देख रहे थे।
आरके ने अपनी बात को साबित करने के लिए जोर से बोला- क्या यार रंगीला इतना ठण्डा बर्ताव? कोमल को अपनी बीवी समझो… मान लो कुछ देर के लिए वही मिनी है… अब करो डांस!
नेहा और शिखा दोनों स्तब्ध होकर आरके की ओर देखने लगी।
मैंने कोमल के कूल्हे दबा दिए और दूसरे हाथ से कोमल के उभारों को मसल दिया।
कोमल ने भी मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल के मेरी पीठ को सहलाना शुरू किया।
नेहा धीरे से मिनी से बोली- उनकी तो शर्त लगी थी तो बेचारे साबित कर रहे हैं पर आपके सामने आपके पति गैर औरत से गले लगे हुए हैं और देखो उनको कहाँ कहाँ हाथ लगा रहे हैं। आपको भी बुरा नहीं लग रहा, आप कितने आराम से देख रही हो?
मिनी बोली- मैं भी अपने पति की ख़ुशी में खुश हूँ… और तुमने देखा नहीं वो तब जाकर हाथ लगा पाये जब उन्हें महसूस कराया गया कि वो मिनी है।
मैंने कोमल की टी-शर्ट निकाल कर हवा में उछाल दी, वो जाकर गिरी मिनी के पास फिर उसको वहीं घास पर लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया और अपने होंठों से कोमल के बदन पर हर जगह चुम्मी लेने लगा।
शिखा की कांपती हुई आवाज़ आई- भैया, इनकी ब्रा भी निकाल दो! और फिर देखो आरके भाई कुछ करते हैं या नहीं।
इधर से आरके बोला- भाई, पहले ब्रा नहीं इसकी जीन्स उतार, फिर देख क्या जांघें हैं साली की।
इस पर आँखें बंद करके सबके सामने अधनंगी हालत में पड़ी हुई कोमल ने आँख खोल कर गुस्से में आरके की ओर देखा और मुझे अपने ऊपर से हटा कर लेटे लेटे अपनी जीन्स उतार फेंकी।
और फिर मुझे पकड़ के अपने ऊपर खींच लिया।
अब कोमल सिर्फ अपनी ब्रा पैंटी में थी और मैं अभी तक कपड़ों में ही उसके बदन के साथ खेल रहा था।
मिनी बोली- अरे आप भी तो कपड़े उतारो… सिर्फ कोमल के कपड़े उतरे हैं।
मैंने भी जल्दी ही अपनी टीशर्ट जीन्स और बनियान उतार फेंकी।
अब तो गुफ़ानुमा कमरे में सन्नाटा छा गया था।
उनके सामने दो बदन एक दूसरे से इतनी करीब और चिपके हुए थे जैसे लाइव ब्लू फिल्म देख रहे हों।
मिनी उठकर आरके के पास गई, उसके कान में कुछ कहा और वापस जाकर अपनी जगह पर बैठ गई।
मैंने कोमल के ब्रा के स्ट्रिप्स को भी उसके कंधे से उतार दिया और उसके कंधे और गले तक उसे बेतहाशा प्यार और चुम्मियाँ करने लगा।
मैंने पीठ के पीछे हाथ डाला और ब्रा के हुक भी खोल डाले।
जैसे ही ब्रा ढीली हुई और कोमल ने उसे उतार कर फेंका।
आरके मायूस हो गया और दुखी दिखने लगा।
शिखा तुरंत बोली- रंगीला भैया, रुको… आरके भैया रोने वाला है।
फिर आरके की तरफ देखकर बोली- देखो तुम चाहो तो अपनी बात अभी भी वापस ले सकते हो और अपनी बीवी को रंगीला से बचा सकते हो।
आरके बोला- मैं दुखी नहीं हूँ!
इतनी गजब की एक्टिंग की आरके ने जिसमें उसके चेहरे पर दुखी होने के भाव साफ़ दिखाई पड़ रहे थे, वहीं उसके चेहरे पर रोती हुई मुस्कराहट।
शिखा बोली- रंगीला भैया, ये ऐसे नहीं मानेगा… आप लगे रहो। अगले 2-3 मिनट में ही ये अपने शब्द वापस ले लेगा। अगली बार आपको कोई भी रोके तो मत रुकना बस आरके कहे तो ही रुकना।
मैं फिर से कोमल के ऊपर लेट गया और अपने हाथों से कोमल के बूब्स भी मसलने लगा।
अब मेरे लिए भी कंट्रोल करना मुश्किल था, मैंने अपने होंठ कोमल के होंठों पर रख दिए और उसके होंठों से टपकती शराब को पीने लगा। उसके होंठों में नशा ही इतना था कि शराब में क्या होगा।
मुझे पर कामदेव प्रसन्न होने लगे थे, मैं अपने होंठों को उसकी गर्दन से होते हुए उसके बूब्स पर ले आया और उसके निप्पल को अपने होंठों के बीच दबा लिया और अपनी जीभ से छेड़ते हुए चूसने लगा और दूसरे निप्पल को अपनी उंगली से सहला रहा था।
आरके की शक्ल पर बारह बजे हुए थे जिसको देख नेहा और शिखा बोली- अरे कितना इंतज़ार कराओगे? कर दो भाभी को नंगी… हम भी तो लाइव ब्लू फिल्म देखेंगे। आज तक जो टीवी और मोबाइल पर देखने को तरसते थे वो आज लाइव देखने का मौका मिल रहा है। क्यूँ है न आरके भैया… आपकी बीवी की चुदाई आपके सामने हो रही है और आप कुछ नहीं कर सकते।
ये दोनों ही लड़कियाँ आरके को भड़का रही थी, जिससे आरके हार जाए। पर यही तो हमारे खेल की और उनकी एक्टिंग की साजिश थी। आरके चुप रहा और डबडबाती आँखों से तमाशा देखने लगा।
मैं अपनी जीभ को कोमल के बदन पर सरकता हुआ उसके बूब्स के उसकी नाभि तक आ गया। नाभि पर कोमल को चूमा और अपने दोनों हाथ से कोमल के बूब्स पकड़ कर धीरे धीरे मसल रहा था।
मैं सरकता हुआ थोड़ा और नीचे आया तो कोमल की जालीदार पैंटी के करीब थे मेरे होंठ।
उसकी पेंटी के ऊपरी भाग को दांत से पकड़ा और नीचे सरक कर उसकी पेंटी उतारने की कोशिश करने लगा।
पेंटी को दांत से पकड़ने की कोशिश में कोमल के बदन के उस हिस्से पर भी थोड़े दांत लग गए थे।
कोमल आँखें बंद करी हुई अपने हाथों को पूरा सीधा सर के ऊपर किये हुए अपने धीरे धीरे पाँव चला रही थी और अपने पूरे बदन को लहरा रही थी।
कामाग्नि में तड़पती हुई कोमल की हालात इस समय पानी से निकाली हुई मछली की भाँति थी, वो हिल रही थी, वो मटक रही थी पर बेचारी बोल कुछ नहीं पा रही थी। उसे डर था कि हम लोगों का राज़ कहीं खुल न जाए।
मेरी कोशिश थी कि कोमल की पेंटी को उतार फेंकूँ पर दांतों से उसे निकाल पाना थोड़ा मुश्किल था, मैंने अपने दोनों हाथ से उसकी पेंटी नीचे की तो कोमल ने भी अपने चूतड़ उठा कर उसमे मेरा साथ दिया।
ताज़ी ताज़ी वैक्स की हुई चिकनी टांगों से सरकाते हुए मैंने कोमल की पेंटी को कोमल से अलग कर दिया।
कोमल अब पूरी तरह नंगी और कामवासना से तड़पती हुई मेरे सामने हिचकोले खा रही थी।
शिखा ने मवालियों वाली सीटी बजाई और बोली वाह जी वाह, क्या नजारा है। अब ज़रा आपके उस्ताद के भी दर्शन हो जाते तो बस मजा आ जाता।

बोलते के साथ ही उसे महसूस हुआ कि उसने कुछ ऐसा बोल दिया है जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की थी।
आरके बोला- लगता है तुझे कोमल को मेरे सामने चुदवाने की इतनी तमन्ना नहीं जितनी खुद चुदने की इच्छा हो रही है। मेरे सामने मेरी बीवी तो क्या अगर बहन भी चुद जाये तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। बस मैं इतना ही कहना चाहता हूँ।
शिखा अपनी कामवासना के आगे बेबस और उसके ऊपर होने वाले हमले से निराश होकर झुंझला कर बोली- तुम्हारी बीवी तुम्हारे भाई की बाँहों में हम सबके सामने नंगी पड़ी है और तुम अपनी जगह से हिले नहीं हो, यह बात प्रूव करती है कि तुम अपनी बीवी की इच्छा के लिए कुछ भी कर सकते हो…
पर क्या तुम सच में खुश हो? तुम्हारे चेहरे पर तो मातम छाया हुआ है।
तुम मेरी बात करते हो? मुझे अगर सिर्फ अधनंगी हालत में भी अगर किसी और मर्द ही बाँहों में देख लिया तो तुम्हारी जान निकल जाएगी।
इधर इन बातों में दिमाग न लगाते हुए मैं भी अब तक पूरी तरह नंगा होकर कोमल की चिकनी टांगो पर अपने लंड से रगड़ कर रहा था। कोमल के मुंह से सिसकारियाँ फुट रही थी।
तभी गुस्से में शिखा हमारी तरफ आई और बोली- भैया आप मेरे बदन के साथ खेल सकते हो या नहीं?
मैंने कहा- खड़े लंड पर अगर कोई भी लड़की आकर खुद पूछे कि मेरे बदन से खेलना चाहोगे तो कौन चूतिया है जो मना करेगा।
यहाँ के इतने गरम माहौल को देख नेहा भी अपने आप को न रोक सकी और उसने अपनी पेंटी में हाथ डाल कर अपनी चूत को सहलाना शुरू कर दिया था।
तभी जैसे एकदम सब कुछ बदल गया जब कोमल बोली- हाँ मैं मान गई कि मेरा पति मेरे लिए कुछ भी कर सकता है। आई लव यू आरके!
बोल कर उठी और आरके की बाहों में चली गई।
आरके ने किसी फ़िल्मी हीरो की तरह कोमल को अपनी बाहों में भरा हुआ था।
मैं भी उठा और जल्दी से अपनी अंडरवियर पहन ली और ऐसे ही जाकर अपनी जगह पर बैठ गया।
नेहा ने भी अपनी पेंटी से अपने हाथ बाहर निकाल लिए और शिखा भी अपनी जगह पर जा बैठी।
मैंने सिगरेट जलाई और अपने पेग को एक घूंट में खत्म करके पूछा- हाँ तो अब किसी बारी है?
आरके बोला- अब मेरी बारी है, जबाब देना है तुझे और सवाल पूछूँगा मैं!
मैंने कहा- हाँ भाई पूछ, तेरा सवाल मुझे पता है और जवाब भी तैयार ही है।
 
आरके बोला- तुझे इस बंगले के बारे में इतना सब कैसे पता है? क्या तू पहले भी यहाँ आ चुका है? आखिर सीन क्या है बॉस?
मैंने कहा- मुझे पता था कि तेरा सवाल तो यही होगा। हाँ, मैं पहले भी यहाँ आ चुका हूँ। यह बंगला किसी और का नहीं, मेरा ही है। इसलिए मुझे इसके बारे में सब पता है।
आरके बोला- बहनचोद कमीने, इतनी बड़ी बात तूने साले मुझे आज तक नहीं बताई? तू तो लोड़ू करोड़पति आदमी है।
मैंने कहा- इसीलिए नहीं बताई थी क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि तुम मेरे बारे में इस तरह सोचो। मैं चाहता था कि तुम मुझसे जैसे पहले मिलते थे वैसे ही मिलो। लो बहनचोद एक सवाल से तो मैंने अपने आप को बचा लिया, अब सवाल करूँगा मैं और जवाब देना है शिखा को।
शिखा बोली- हाँ भैया पूछो बिंदास जो पूछना चाहो।
मैं- जब मैं तेरी भाभी पर नंगा पड़ा हुआ था तो तूने आकर कहा कि क्या आप मेरे बदन से खेल सकते हो? क्या तुम अपने भाई भाभी और फ्रेंड जैसी बहन के सामने मेरे साथ ऐसा खेल खेल सकती थी?
शिखा- शायद हाँ!
आरके गुस्से में- शायद नहीं !! हाँ या ना?
शिखा आँखें तरेरते हुए- हाँ…
नेहा- तुझे भी प्रूव करना पड़ेगा कि तू ऐसा कर सकती है।
शिखा- मैं तैयार हूँ।
मैं- तो फिर देर किस बात की है आजा मेरी बाँहों में… तेरी भाभी ने मुझे गर्म कर दिया, तेरे बदन से अपनी गर्मी शांत कर लूंगा।
मैं काम वासना में इतना बह चुका था कि मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि मैं किसके सामने क्या बोल रहा हूँ। लंड पूरी तरह अकड़ चुका था और उसे केवल एक चूत की दरकार थी।
नेहा- आप तो ऐसे बोल रहे हो जैसे आप अपनी बहन को सबके सामने प्यार कर सकोगे?
मैं- मैं ये सब कुछ नहीं मानता, अगर मेरी बहन को मेरी ज़रूरत है और मैं उसे पूरा कर सकता हूँ तो बस कर दूंगा। सारे रिश्ते हम लोगो ने यही धरती पर आकर अपनी सुविधा के लिए बना लिए है। बाकी एक लड़की और एक लड़का एक दूसरे की ज़रूरतों को शांत कर लेना चाहिए।
शिखा शरारती मुस्कान के साथ- नेहा अगर तुझे भी कोई ज़रूरत हो तो तुम मुझे ज्वाइन कर सकती हो।
इतना बोलते हुए शिखा मेरी तरफ बढ़ी और आकर मेरी टांगों के बीच बैठ गयी। उसने आते ही मेरे लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया था, फिर उसने जल्दी ही मेरी अंडरवियर को उठाकर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और अपनी हथेली के बीच रखकर मेरे लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगी।
नेहा हमारी तरफ बड़ी गौर से देख रही थी, मैंने अपनी गांड उठा रखी थी जिससे मेरे जांघिए को उतारा जा सके।
पर अभी शिखा की चुदाई का उतना अनुभव नहीं था इसलिए वो सिर्फ मेरे लंड को हिलाने का काम कर रही थी, मैंने अपने ही हाथ से अपने कच्छे को उतार लिया अब मैं सबके सामने पूरा नंगा था।
मैंने नेहा को भी अपने पास आने का इशारा किया। नेहा सब लोगों की तरफ देखकर मेरे पास धीमे कदमों से बढ़ने लगी।
शिखा ने अब मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया था, मेरी आँखें बंद हो रही थी और मैं कोशिश कर रहा था कि मेरी आँखें खुली रहे क्योंकि नेहा को भी तो अपने पास बुला लिया था।
नेहा जैसे ही मेरे करीब आई मैंने उसे अपने बगल में बैठाया और उसके कान को अपने करीब लाया और कहा- तुम भी हमारे साथ आ जाओ और अपनी चूत की आग को बुझा लो।
नेहा बोली- हाँ, मेरी चूत में बहुत आग लगी है पर इतने लोगों के सामने हिम्मत नहीं पड़ रही।
मैंने उसके टॉप के अंदर हाथ डाला तो अंदर कुछ नहीं था। मैंने उसके चूचे दबा दिए और पूछा- तुमने अंदर कुछ नहीं पहना?
नेहा बोली- पहले सवाल में ही मेरी ब्रा उतरवा ली गयी थी और मुझे वापस दी ही नहीं।
मैंने कहा- तुम भी नंगी हो जाओ और आ जाओ, चुदवा लो।
नेहा के टॉप को ऊपर करके उसे नंगा करने की कोशिश करने लगा।
नेहा ने अपनी नजरें नीचे करके अपने हाथ उठा दिए जिससे टॉप उतारना आसन हो जाये।
शिखा लंड को मुंह से बाहर निकाल कर बोली- अरे वाह भैया, आज तो आपकी किस्मत बहुत जोरों पर है। कोमल भाभी के बदन से खेले, मेरे से लंड चुसवा रहे हो, नेहा को भी लगभग नंगी कर ही दिया है, और मिनी भाभी तो आपकी जागीर ही है, उनके साथ तो ये सब आपका हक़ ही नहीं कर्तव्य भी है। आज तो चार चार चूत के मजे कर लिए आपने।
मैंने कहा- कोमल तू भी आ जा तूने मुझे उकसा कर छोड़ दिया, यह अच्छी बात नहीं है। मिनी तू क्यूँ कोने में कपड़े पहने बैठी है। तू भी आ जा तेरे बदन से खेलने दे। मेरी तमन्ना है कि मेरे आस पास चार चार चूतें हो और मैं सबकी जी भर के चुदाई करूँ।
कोमल भी करीब आते आते फिर से नंगी हो गई।
मिनी भी उठी और कपड़े उतार कर मेरे करीब आ गई, मिनी ने आते ही बोला- शिखा हटो और कपड़े उतारो… तब तक रंगीला का लौड़ा में चूस लेती हूँ।
इधर बेचारा आरके अभी तक कपड़ों में ही था और बैठा बैठा हम सबको चुदाई के लिए तैयार होते देख रहा था।
शिखा तीन लड़कियों को पूरी तरह नंगा देखकर अपनी शर्म हया भुला कर बोली- हाँ भाभी। आप चूसो, मैं कपड़े उतार लूँ, अब तो ये कपड़े मुझे काट रहे हैं। मुझे भी आपकी तरह आज़ाद और नंगी होना है।
शिखा खड़े होकर अपने कपड़े निकालने लगी और मिनी मेरे लौड़े को चूसने लगी।
नेहा बोली- यार रंगीला ऊपर ही चलते हैं न… यहाँ घास में मजा नहीं आएगा। आप तो हम सबके ऊपर रहोगे और हम लोगों को घास मे अपनी कमर छिलवानी पड़ेगी।
मैंने कहा- चलो ऊपर चलते हैं, सब साथ में चलते है और नंगे ही चलेंगे बाद में आकर कपड़े उठा लेंगे।
मैं सभी को उसी रूम में ले गया जहाँ आज सुबह मैंने नेहा की चुदाई का उद्घाटन किया था।
आरके ने पेग बोतल सिगरेट और चखना पकड़ा हुआ था और हम लोगों के पाँच जोड़ी चूतड़, जिनमें दो उसकी बहनों के थे, देखते हुए पीछे पीछे चल रहा था।
जैसे ही उस कमरे में हम लोग दाखिल हुए, मैंने रिमोट से लाइट्स डिम कर दी और धीमी आवाज़ में म्यूजिक भी ऑन कर दिया।
अब सिर्फ आरके को नंगा करना बाकी था, मैंने कहा- आरके यार, हम सब नंगे और तू अकेला कपड़े पहना अच्छा नहीं लग रहा। तू भी कपड़े उतार और आ जा, यहाँ कोमल तो है जो तेरे बदन से खेल लेगी और तू चाहे तो मिनी को भी छू सकता है। जब मैंने तेरी बीवी को छुआ तो तू भी मेरी बीवी को छू सकता है।
आरके तो जैसे इंतज़ार में ही था, आरके भी नंगा होकर मेरे बिल्कुल बगल में लेट गया।
मैंने मिनी से कहा- मिनी ज़रा मेरे भाई आरके के लंड को चूस लो।
मिनी इतराते हुए बोली- जो हुकुम मेरे आका!
मैंने कोमल को आदेश दिया- कोमल जाओ अपने पति के मुंह पर बैठ जाओ और अपनी चूत गीली करा के आओ।
मेरी ऐसी बातें नेहा और शिखा को अच्छी भी लग रही थी और उन्हें मेरी हर बात पर दांतों तले ऊँगली दबा लेने जैसा लग रहा था। वो यही सोच रही थी कि ये आदमी किसी से कुछ भी बोलता है वो सब मान जाते हैं बिना सवाल जवाब के!
खैर शिखा फिर से मेरे लंड को चूसने लगी और नेहा को मैंने अपने मुंह पर बैठा लिया और उसकी चूत चाटने लगा।
थोड़ी देर बाद मेने नेहा को अपने मुंह से हटाकर बोला- नेहा अब तुम लंड चूसो और शिखा तुम मेरे मुंह पर बैठ जाओ।
दोनों तुरंत अपनी अपनी जगह चली गई।
आरके ने भी मिनी को अपने मुंह पर बैठने के लिए बुला लिया और कोमल को लंड चूसने भेज दिया।
अब मैंने देखा कि दोनों ही लड़कियाँ चूत चटवाने के बाद कामाग्नि में लपटों में जल रही थी। इसी का फायदा उठकर मैंने कहा- कोमल तुम मेरा लंड चूसो और नेहा तुम आरके का!
नेहा की आँखें बड़ी हुई पर कोमल ने आँख मार के शायद उसे इशारा किया कि ‘मजे मार यार… ज्यादा सोच मत!’
अब नेहा आरके का लौड़ा चूसने लगी और कोमल मेरा।
मैंने फिर से कहा- मिनी आ जा मेरे मुंह पर बैठ जा और शिखा तू आरके के मुंह पर बैठ जा।
नेहा की देखा देखी उसने सोचा कि जब नेहा चली गई तो वो क्यूँ नहीं जा सकती, शिखा आरके के मुंह पर बैठकर सिसकारियाँ मारने लगी।
अब जब कलई खुल ही गई थी तो मैंने कहा- शिखा अब तुम लेट जाओ और नेहा तुम भी, कोमल तुम नेहा के बूब्स दबाना और चूमना, और मिनी तुम शिखा के।
शिखा के नीचे लेटते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड शिखा की चूत पर सेट कर दिया।
कोमल नेहा के सर की तरफ बैठ गई और नेहा के बोबे और होंठों को निचोड़ने लगी।
वहीं नेहा के ऊपर आरके चढ़ गया और मिनी नेहा के करीब और बगल में लेट गई और नेहा के बदन से खिलवाड़ करने लगी।
मुझे तो बिलकुल डायरेक्टर वाली फीलिंग आ रही थी।
आरके पूरे दिल से भूखे शेर के तरह नेहा की चूत पर बरस पड़ा और झटके से अपना लंड नेहा की चूत में फिसला दिया।
मैंने भी शिखा की चूत में अपना लंड घुसा दिया था, मैंने धक्के लगाते हुए बोला- क्या यार, तुम लोग रोबोट की तरह सिर्फ मेरे अनुदेश का पालन कर रहे हो? दोस्तो, एन्जॉय करो यार… मजे लो… आनन्द उठाओ। नेहा तुम कोमल की चूत में उंगली करो, और शिखा तुम मिनी के जिस्म से खेलो। क्या सब बात मुझे ही बोलनी पड़ेंगी?
आरके बोला- रंगीला यार, जब से मैंने शिखा के नंगे बदन को देखा है तब से ऐसी आग लगी है कि बता नहीं सकता। मुझे उसकी चूत में लंड डालना है।
आरके काफी देर से कुछ नहीं बोला था।
शिखा बोली- आ जा भाई, आ जा… मैंने काफी देर से तेरी आँखों में मेरे बदन के लिए हवस देखी है… तू आजा मेरे ऊपर और नोच डाल अपनी सगी बहन के बदन को!

मैं शिखा की चूत से लंड बाहर निकाल चुका था।
इधर नेहा के चूत में मैंने लंड डाला उधर शिखा आरके के लंड को अपनी चूत में डलवा कर चुदाई के आनन्द के परम सुख को प्राप्त करने की कोशिश में सिसकारियाँ भरती हुई कह रही थी- आरके भाई, तेरा लंड कितना अच्छा है। तू अपनी बहन को शादी तक रोज़ चोदना, अपनी बीवी के बगल में सुला लेना मुझे फिर रात भर अपनी बीवी कोमल और मेरी चुदाई करना।
शिखा की मदमस्त बातों में सभी मस्त हो गए थे और चुदाई का आनन्द लेने लगे।
सभी को बारी बारी से चोदा सब साथ में नंगे ही सोये।
फिर मैं जो सस्ती व्हिस्की लाया था उसको एक टब में निकाल कर सभी को बारी बारी से उस टब में बैठाया जिससे चौड़ी हो गई चूत वापस से सिकुड़ जाये और व्हिस्की से इन्फेक्शन वगैरह का भी डर खत्म हो जाता है।
फिर वापस जाते वक़्त गाड़ी में भी हम लोगों ने बहुत मस्ती की।
अब भी हम सब जब मिलते हैं तो मस्ती मारते हैं।
 
कोमल-; मिस्टर वी मज़ा आ गया कहानी सुन कर ..................काश मैं उस टाइम आपके साथ होती .

जय -; वाकई यार तुमने और मिनी भाभी ने आरके के साथ बहुत मस्ती की 


मिनी-; जय हमने तो अपनी कहानी सुना दी कि कैसे हम पहली बार ग्रूपसेक्स के मज़े कर पाए अब तुम दोनो की बारी है 

सुनीता -; क्या मतलब ? किस चीज़ की बारी ? 

रंगीला--; अरे सुनीता डार्लिंग तुम घबरा गईं ऐसी कोई बात नही मिनी के कहने का मतलब था कि तुम्हे और जय को ये चस्का कैसे लगा ये हमें भी तो पता चले .

सुनीता--; ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं समझी पता नही किस चीज़ की बारी है तो आप हमारी कहानी भी जानना चाहते हैं कि हमें ग्रूपसेक्स का चस्का कैसे लगा .

रंगीला-; हाँ 

जय--; ये कहानी शुरू करने से पहले मैं बता दूं मुझे काफ़ी समय पहले से ही राज शर्मा की कहानियाँ पढ़ने का शौक रहा है
उन्ही की कहानियाँ पढ़ कर मुझे मुझे ग्रूपसेक्स करने का मन हुआ था 

मिनी-जय मुझे लगता है आप दोनो की कहानी बहुत मज़े दार होगी प्लीज़ जल्दी से बताओ ना जानू

रंगीला--; हाँ जय अब शुरू हो जाओ यार


जय--; इस किस्से की शुरुआत तब हुई जब मैं चौबीस साल का छह फीट का एक बांका नौजवान था, मेरी शादी हुए एक साल हो चुका था, पर व्यापार के कारण मैं अपनी पत्नी से अलग गाजियाबाद में रहता था। यहाँ मेरी गैस एजेंसी थी, कमाई बढ़िया थी।
पत्नी के ज्यादा नजदीक मुझे घरवालों ने जान बूझकर नहीं जाने दिया था मगर कुदरत की दी हुई चीज से मैं हाथ से खेलकर खुश हो जाया करता था।
फ़िर भी एक अनबुझी आग अन्दर ही अन्दर भड़क रही थी, रोज रात को अश्लील किताबें पढ़ना और मोबाइल पर की कहानी पढ़ना या मोबाइल पर ही इन्डियन पोर्न वीडियो देखना और मुठ मार कर सो जाना ही जिन्दगी बन गया था।
उधर मेरी बीवी जो मुझसे ज्यादा कामातुर थी, वो परेशान रहती थी और मुझे रोज वहाँ लाने की जिद करती थी पर घरवालों के डर से न तो मैं कभी कुछ कह पाया न वो कुछ बोली।

पंद्रह दिन में एक बार पत्नी के पास जा पाता था, उस दिन रात भर चुदाई होती। यह हम दोनों की इच्छा थी कि जब तक साथ नहीं रहेंगे, तब तक बच्चा नहीं करेंगे।
अगले दिन अगले पंद्रह दिनों के बाद मिलने की आस में मुझे गाजियाबाद वापस आना पड़ता!
मेरे पड़ोस में एक पंजाबी परिवार रहता था, पूरा परिवार था, उनका होलसेल कपड़ों का व्यापार था, उस परिवार की सबसे छोटी बहू पूजा लगभग तीस साल की होगी, मगर लगती उम्र मुझसे छोटी थी और बला की खूबसूरत थी।
उसका पति रोहित बतीस साल का सेक्स में बहुत रूचि रखने वाला व्यक्ति था। यह बात अक्सर उसकी बातों से मालूम पड़ती थी जब वो सेक्स और रोमांच की बात खुलेआम करता था।
उनके दो जुड़वाँ बच्चे हुए थे और वो अपने बाबा दादी के साथ उनके कमरे में रहते, सोते थे।
इस कारण रोहित पूजा को अपने लिए पूरा वक़्त मिल जाता था।
उनकी और मेरे मकान की छत मिली हुई थी इसलिए रात को हम लोग अपनी अपनी छत पर से गप्पें मार लेते थे। जब मैं घर से वापस आता था तो रोहित पूजा बड़ी बेबाकी से पूछ लेते थे कि खाट तोड़ी या नहीं?
और मैं बस हंस कर रह जाता!
एक रात को वो दोनों ऊपर खाना खा रहे थे, मुझे देख कर मुझे जबरदस्ती बुला लिया, मैं छत कूदकर ही चला गया।
उन्होंने मुझे अपने साथ खाने पर बिठा लिया।
हालाँकि मुझे बहुत संकोच हो रहा था क्योंकि भाभी केवल एक फ्रॉक पहने थी और रोहित लुंगी में था जिसे उसे घुटने के ऊपर बंधा था। भाभी के गोल गोल मम्मे साफ दिखाई दे रहे थे।
मैं भी टी शर्ट और लोअर में था।
भाभी ने मुझे अपने पास बिठाया था, मेरी हालत ख़राब हो रही थी और लोअर में तम्बू बन चुका था।
रोहित ने हंस कर कहा- कब तक मुठ मारता रहेगा, एक लोकल इंतजाम भी कर ले।
मैं शर्मा गया भाभी के सामने।
अब वो मेरे लोअर की ओर इशारा करके रोहित से बोली- जय वाकयी बहुत परेशान है, कुछ तो तुम्हें इसके लिए करना चाहिए। इसका मन भी कैसे लगता होगा?

रोहित मस्ती में बोला- चल तेरा कुछ जुगाड़ करता हूँ… शाम को तू यहाँ आ जाया कर, एक एक पैग साथ लगाया करेंगे और तुझे मस्त वीडियो दिखाया करूँगा।
मैं समझ नहीं पा रहा था कि आज कामदेव मुझ पर मेहरबान क्यों हो रहे हैं।
खाना खाकर रोहित ने लुंगी उठा कर मुँह पौंछा तो मैंने देखा कि उसका औजार बहुत बड़ा नहीं है।
मुझे झांकते देखकर भाभी बोली , - यह क्या जय आदमी का क्या देखना, देखना है तो लड़की का देखो!
अब मेरी भी शर्म खुल चुकी थी, मैंने भी हंस कर कह दिया- कभी दिखवा दो।
रोहित मस्ती के मूड में था, ये सुनते ही उसने कहा- ये कौन सी बड़ी बात है!
और पूजा की फ्रॉक पर झपट्टा मारकर उसे उठाने की कोशिश की।
उसकी नीयत भांप कर पूजा हँसते हुए वहीं खाट पर गुल्टी खाकर मुड़ गई मगर इस कोशिश में उसकी फ्रॉक ऊपर उठ गई और जन्नत का नजारा मैंने कर लिया।
इस बात को रोहित ने नहीं देखा पर पूजा जान गई कि उसने मेरी चाहत पूरी कर दी है।
अब मेरा पूजा को और उसका मुझे देखने का नजरिया बदल गया था।
मैं भी हँसते हुए उनसे गुडनाइट बोल कर आ गया और दो बार पूजा की चूत का ख्याल करके मुठ मार कर सो गया। 
सुबह उठा तो सीधे छत पर गया पर पूजा कहीं दिखाई नहीं दी।
नहा कर दुकान गया, मगर काम में मन नहीं लग रहा था।
तभी मोबाइल बजा, दूसरी ओर पूजा थी, मेरी तो बज गई, आवाज नहीं निकल रही थी।
पूजा बोली- क्यों नाराज हो, अब तो तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई।
मेरी तो जैसे जान में जान आई, मैंने विश करके थैंक्स बोला।
वो हंस कर बोली- बस इतना ध्यान रखना कि रोहित को कुछ पता नहीं।
वो बोली- वैसे तो रोहित बहुत खुले दिमाग का है, वो तो हरदम मुझसे कहता है कि बिना ब्रा के टॉप पहन कर घूमने चलो या रात को लॉन्ग फ्रॉक पहन लो जिसमें वो जब चाहे हाथ घुसा सके।
मैंने पूजा से यह वादा किया कि मैं रोहित को कुछ नहीं बताऊँगा।
इसके बाद मेरी और पूजा की रोज तीन चार बार बातें होने लगी, हम बातों में खुलने भी लगे।
एक दिन वो मुझे बाजार में मिली। उसने अभी ख़रीदा ऑरेंज कलर का सूट दिखाया। वो गोरी थी, उस पर ये रंग फबेगा, ऐसा मैंने उससे कहा।
बाद में लेडीज शॉप से मैंने ऑरेंज कलर का अंडरगारमेंट्स सेट ख़रीदा। साइज़ पसंद करने में सेल्सगर्ल ने मेरी हेल्प की। इसके बाद मैंने कलर मैचिंग की नेलपालिश भी ली।
शाम को पूजा को फ़ोन किया कि तुम्हारे लिए एक रिटर्न गिफ्ट है।
वो बड़ी बेशर्मी से हंस कर बोली- क्या अपना दिखाओगे रिटर्न में?
मैंने कहा- वो तो कभी भी देख लेना, आज तो भाभी कुछ खास लाया हूँ तुम्हारे लिए!
वो इतरा कर बोली- मुझे भाभी मत बोला करो, नाम लिया करो।
मैंने कहा- रोहित भैया बुरा मान गए तो?
वो बोली- उन्हें किसी चीज का बुरा नहीं लगता, जब तक मैं खुश हूँ।
मैंने भी बेशर्म होकर पूछ ही लिया- अच्छा और किस चीज का उन्हें बुरा नहीं लगेगा जिसमें आप खुश हो?
वो मेरा मतलब समझ गई, हंस कर बोली- पहले मुझे खुश तो करो!
मैंने उससे पूछा- गिफ्ट कैसे दूँ आपको?
वो अब तक मजाक समझ रही थी।
जब मैंने कहा- कुछ लिया है तुम्हारे लिए!
तो वो बोली- छत पर रख दो।
मैं दुकान नौकर पर छोड़ कर घर गया और उसकी छत पर पैकेट रख आया।
उतरते समय मैंने देख लिया कि वो छत पर आ गई थी।
मैं दुकान पर धड़कते दिल से आकर बैठ गया, इंतज़ार करने लगा उसके फ़ोन का मगर उसका कोई फ़ोन नहीं आया।
मेरे को घबराहट होने लगी कि मैंने कितनी बड़ी गलती कर ली!
रात को घर पहुँचा तो उसके मकान की तरफ देखने की भी हिम्मत नहीं हुई।
नहा कर खाना खाने होटल भी नहीं गया, डर रहा था कि रोहित के घर आने पर वो उससे शिकायत करेगी।
पता नहीं रोहित क्या करेगा।
मैं सोच ही रहा था कि रोहित की ऊपर से आवाज आई- अबे सो गया क्या? ऊपर आ!
मैं लुंगी टी शर्ट में ऊपर डरते डरते गया।
ऊपर रोहित अकेला था, बोला- पैग लगाएगा?
मेरी तो गांड फटी पड़ी थी, मैं खिसियाते हुए बोला- हाँ क्यों नहीं।
रोहित ने बोतल खोल कर दो पैग बनाये।
अपना ज्यादा बनाया।
मेरे यह पूछने की हिम्मत नहीं हुई कि भाभी कहाँ है।
पैग मुझे देते हुए उसने नीचे देखकर सीटी मारी।
मैंने पूछा- सीटी क्यों?
वो बोला- यह हमारा पासवर्ड है, ग्रीन सिग्नल का!
मैंने पूछा- ग्रीन सिग्नल किस चीज का?
वो बोला- भोसड़ी के, देख सब समझ में आ जायेगा।
अगले ही पल पूजा एक प्लेट में पनीर और काजू लेकर ऊपर आई।
क्या स्वर्ग की हूर लग रही थी।
उसने एक शार्ट टॉप और शार्ट स्कर्ट पहनी थी।
मैं तो बिना पलक झपकाये उसे देखने लगा।
रोहित बोला-, देखी जा… छेड़ीं ना…
पूजा भी बनावटी गुस्सा दिखाते हुए रोहित से बोली- जब जय यहाँ था तो मुझे ये कपड़े क्यों पहन कर आने को कहा?
रोहित ने शायद पहले से भी पी रखी थी, वो सुरूर में बोला- पहन कर आने को ही तो बोला है, कोई उतारने को तो बोला नहीं है जय के सामने।
 
पूजा हमारे पास आकर बैठ गयी, वो आज मुझसे दूर रोहित की बगल में बैठी थी।
रोहित ने अपना पैग उसके होठों से लगा दिया।
पहले तो पूजा ने मना किया फिर एक सिप ले लिया।
हम दोनों बातें करते पीने लगे। बातें धीरे धीरे साथ साथ नहाने पर आ गई।
रोहित बोला कि वो दोनों हमेशा साथ साथ नहाते हैं।
मैंने कहा कि ज्वाइंट फैमिली में रहने के कारण मैं ऐसे सुख से दूर हूँ।
पूजा जो अब तक चुप थी, वो हंस कर रोहित से बोली- चलो आज तुम और जय साथ साथ नहा लो।
तभी रोहित को नीचे से उसके भाई ने आवाज दी और कोई चाभी मांगी।
पूजा बोली- मैं तो इन कपड़ों में नीचे नहीं जाऊंगी।
मजबूरी में रोहित को ही जाना पड़ा।
उसके जीने से नीचे उतरते ही पूजा पागलों की तरह मुझसे लिपट गयी और चुम्बनों की बरसात करने के बाद बोली- थैंक्स। इतना सुंदर गिफ्ट तो आज तक रोहित ने भी कभी नहीं दिया।
उसके जलते हुए होठों से अलग होने का मन नहीं कर रहा था, पर जीने पर आहट सुन कर हमने अपने को संभाला।
आते ही रोहित ने हंस कर पूछा- कमीने चख कर देखी या नहीं?
पूजा ने झूटे को उसकी छाती पर मुक्का मारते हुए कहा- कुछ तो देख कर बोला करो?
रोहित नशे के सुरूर में तो था ही, उसने पूजा की टॉप में हाथ डाल कर उसके मम्मे रगड़ दिये।
पूजा को भी मस्ती छा रही थी, उसने भी रोहित की लुंगी खींच दी।
बेशर्म रोहित ने लुंगी खोल कर अलग रख दी और बोला- ले रात को उतारता, अभी उतार देता हूँ।
मैंने उसे लुंगी दी- भाई ठण्ड लग जाएगी, अभी तो पहन ले।
पूजा रोहित से चिपक कर बैठ गई और एक सिप और मार लिया।
कुछ पलों बाद मैंने महसूस किया कि पूजा ने अपना हाथ रोहित की लुंगी में डाला हुआ है और उसके औज़ार को मस्ती से हिला रही है।
मुझे लगा कि ये वो मुझे दिखाने को कर रही है।
मैंने भी हंस कर कहा- भाभी का हाथ कहाँ है?
रोहित तुरंत बोला- भाभी तो आज अपना हाथ तेरी लुंगी में डालना चाह रही है।
मुझे नहीं मालूम था कि क्या होने वाला है, यह सुन कर मैं तो बस यही बोला- भाभी की ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ, बशर्ते तुम्हें कोई एतराज न हो।
पूजा ने फिर झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा- आप भी न कभी भी कुछ भी बोल देते हो।
रोहित ने पूजा को हाथ से धकेलते हुए मेरी ओर किया।
पूजा इठलाते हुए मेरे पास आई और बोली- अब घर जाओ।
मैं उठने को हुआ रोहित ने मेरी लुंगी पकड़ कर बिठा लिया, बोला- साली अब नखरे कर रही है। रात को चुदाई करते वक़्त कह रही थी कि एक बार जय का दिखवा दो। अब पकड़वा रहा हूँ तो ड्रामा कर रही है।
रोहित ने उसका हाथ मेरी लुंगी के अन्दर कर दिया। बाकी का काम तो मेरे खड़े 6″ के लौड़े ने और कामाग्नि में जलती पूजा के मचलते जज्बातों ने कर दिया।
उसने मेरा लंड कस कर पकड़ लिया और लम्बी लंबी सांसें लेने लगी।
मुझे लगा वो और नजदीकी चाहती है, मैंने उसके लबों पर अपने होंठ रख दिये। वो मेरा लंड जोर जोर से हिलाने लगी, शायद उसकी चूत में आग लग गई थी।
यह बात रोहित की समझ में आ गई थी। उसे शायद यह भी लगा कि अगर अपनी बीवी की चूत को उसने नहीं संभाला तो वो मेरा लंड अंदर कर लेगी।
रोहित ने उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल कर उसकी चूत में तेजी से उंगली करनी शुरू कर दी।
पूजा की हालत ख़राब हो चुकी थी, उसकी चूत फव्वारा छोड़ चुकी थी, मेरा लंड माल छोड़ने को तैयार था।
मैंने उसके हाथ से अपना लंड छुड़ाया और तेजी से छत कूद कर अपने घर आ गया।
आते ही मैंने मुठ मार कर अपने को शांत किया और जिन्दगी का एक अनोखा अनुभव पाकर निढाल हो सो गया।
 
रात 11 बजे पत्नी का फ़ोन आया, वो रोते हुए बोली कि अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा, उसकी चूत को लंड रोज चाहिए।
वो बोली कि या तो मैं उसे अपने पास ले आऊँ या वो मायके चली जायेगी।
अगले दिन मंगलवार था, दुकान की छुट्टी थी, मैंने मोटरसाइकिल उठाई और घर के लिए चल दिया।
घर पहुँचा तो घर वाले मुझे देख कर घबरा गए क्योंकि मैं बिना बताये पहुँचा था।
पत्नी तो खिल गई मुझे देख कर…
माँ ने पूछा- क्या खायेगा?
मैंने कहा- मुझे आप लोगों से पहले बात करनी है।
सब बैठक में इकट्ठे हुए, मैंने हाथ जोड़ कर कहा कि मैं अपनी पत्नी को साथ ले जाना चाहता हूँ।
पता नहीं क्या हुआ, मेरे बाबा बोले- ठीक है, अगले महीने श्राद्ध हैं, उसके बाद ले जाना।
मैं और मेरी पत्नी बहुत खुश हुए। हमने सबके पैर छुए और उन्हें धन्यवाद दिया।
फिर मैं चाय पीकर अपने कमरे मैं गया। पत्नी को भींचकर उसकी साड़ी उठानी चाही, तभी माँ ने मेरी बीवी को आवाज दी, वो भुनभुनाते हुए बहार चली गई।
वक़्त की बात थी, तभी दूकान के मुनीम का फ़ोन आ गया कि पास में आग लग गई है, हालाँकि अब आग बुझ चुकी है पर फायर ब्रिगेड वाले एक बार हमारा गोदाम चेक करना चाहते हैं।
चाभी मेरे पास थी, मैं तुरंत वापस लौट पड़ा।
दूकान पर और मित्र और रोहित भी थे, गोदाम का ताला तोड़कर फायर वालों ने चेकिंग कर ली थी, सब ठीक था, सब लोग चले गए। 
रोहित और मैं दूकान पर अकेले रह गए, मैंने दोनों के लिए खाने को मंगाया और रोहित से कल के लिए संकोच के साथ माफ़ी मांगी।
रोहित ने हँसते हुए कहा- जो कुछ हुआ, वो पूजा की मर्जी से हुआ! और हम दोनों ने उसे एन्जॉय किया।
रोहित ने मुझसे कहा- आज उनके घर पर कोई नहीं है, इसलिए आज शाम को मैं सीधे दूकान से उनके घर आ जाऊँ, खाना वहीं खाना है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं शाम को नहा कर आ जाऊँगा।
इस पर रोहित बोला- नहीं, तुम सीधे घर आना।
मैं कुछ समझा नहीं पर मैंने कहा- ठीक है।
शाम को आठ बजे मैं रोहित के घर पहुँचा, पूजा ने ही दरवाजा खोला।
उस दिन लिए ऑरेंज सूट में वो परी सी लग रही थी, नेलपेंट भी उसने ऑरेंज ही लगाया था।
दरवाजा बंद करते हुए उसने मुझे धीरे से किस कर लिया, उसके होठों की गर्मी कल से भी ज्यादा थी। लगता था उसकी प्यास और बढ़ गई है।

मैं अन्दर घुसा, रोहित बेड पर बैठा था, बोला- बहुत देर कर दी, कब से तेरा इंतजार कर रहे हैं। नहाने भी नहीं गए तेरे इंतजार में!
मैंने हंस कर कहा- क्यों, क्या मेरे साथ नहाना है?
रोहित बोला- चलो आज सब साथ नहायेंगे।
पूजा बोली- मुझे नहीं नहाना सबके साथ, आप दोनों नहा लो, मैं बाद मैं नहाऊँगी।
रोहित ने मुझे आँख मार कर कहा- चल हम दोनों नहाते हैं।
मुझे भी क्या मस्ती सूझी मैं भी कपड़े कर चड्डी में चल दिया।
बाथरूम में रोहित नंगा खड़ा था, मुझे चड्डी में देखकर बोला- क्यों बे, घर में भी चड्डी में नहाता होगा।
कहकर उसने मेरी चड्डी उतार दी, हम दोनों नंगे शावर के नीचे खडे होकर नहाने लगे।
मैंने साबुन लगाने के लिए साबुन उठाया ही था कि रोहित ने पूजा को आवाज़ दी।
पूजा दरवाजे पर आकर बोली- क्या चाहिए?
रोहित बोला- चलो तुम नहाओ मत, पर साबुन तो लगा दो हमारी पीठ पर!
पूजा बोली- तुम दोनों बदमाशी करोगे, मैं नहीं आऊँगी।
मैंने कहा- तुम रोहित के लिए मत आओ पर मेरी पीठ पर तो आज तक किसी ने साबुन नहीं लगाया, प्लीज एक बार लगा दो।
पूजा बोली- चलो तुम दोनों तौलिया लपेट लो, मैं तभी आऊँगी।
रोहित बहुत बदमाश है, उसने पूजा को बोला- तुम्हारा नया सूट भीग जायेगा, तुम भी तौलिया लपेट कर आ जाओ और मैं तो तुम्हें कुछ भी नहीं कहूँगा।
पूजा को भी मस्ती चढ़ी थी, वो सूट उतार कर ब्रा पैंटी के ऊपर ही तौलिया लपेट कर अंदर आ गई।
उसे ऐसे देखकर मेरा लंड तो तौलिया खोलकर बाहर आने की सलामी दे रहा था। पूजा ने हम दोनों के लंडों को मुस्कुराते हुए देखा और मेरी पीठ पर साबुन लगाने लगी।
रोहित ने अचानक शॉवर खोल दिया।
अचानक बौछार से हम तीनों भीग गए, बचने की कोशिश में मेरा तो तौलिया खुल गया, मैं नंग धड़ंग खड़ा था।
मुझे देख पूजा ने रोहित का भी टॉवल खोल दिया, रोहित ने पूजा का तौलिया हटा दिया।
वो मेरी दी हुई ब्रा पैन्टी में हूर की परी लग रही थी।
वो बोली- ये तो बेइमानी है।
मगर अब उसकी कौन सुन रहा था, रोहित ने उसको कस कर पकड़ कर शावर के नीचे ले लिया और उसके मम्मे चूसने लगा।
उसने मुझे नीचे झुकने को कहा।
मैं जैसे ही नीचे झुका उसने पूजा की पैंटी उतार कर उसकी चूत मेरे मुँह के सामने कर दी।
मैंने जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
पूजा तड़फ रही थी, उन्ह आह की आवाज बढ़ती जा रही थी।
अचानक पूजा ने मेरे मुँह में अपना योनि रस छोड़ दिया, वो हाँफती हुई रोहित से बोली- चलो बेड पर चलो।

हम लोग नंगे ही बाहर आये।
पूजा बोली- पहले खाना खा लो, फिर..
रोहित बोला- फिर क्या?
पूजा हंसते हुए बोली- फिर चुदाई..
पूजा मुझसे बोली- बुरा नहीं मानना, रोहित को यही भाषा पसंद है।
हमने तौलिया लपेट कर खाना खाया।
खाना खाते समय रोहित ने दो बार पूजा की तौलिया खोलकर उसके मम्मे चूस लिए।
पूजा भी टेबल के नीचे से पैर से मेरा लंड हिलाने की कोशिश कर रही थी
खाना खाकर हम बेडरूम में आये।
पूजा ने पूछा- कुछ मीठा?
रोहित ने उसके मम्मे चूसते हुए कहा- जय, इन आमों से मीठा और क्या?
अब उसका एक मम्मा मैं चूस रहा था और एक रोहित।
पूजा ने मेरा हाथ अपनी चूत पर रख दिया, मैंने अपनी दो उँगलियाँ उसकी चूत में कर दी और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगा। वो भी तड़फ कर बोल रही थी- जय, और जोर से करो न प्लीज, आज फाड़ दो दोनों मिलकर मिलकर मेरी चूत को।
रोहित ने यह सुनकर उसे बिस्तर पर गिराया और चढ़ गया उसके ऊपर…
उसका लंड छोटा था, उसने अपने लंड को उसकी चूत में डाल दिया पर पूजा की तड़फ शांत नहीं हुई थी, उसकी चूत में तो आग लगी हुई थी।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में कर दिया, अब वो जोर जोर से हिल हिल कर मेरा लंड चूस रही थी।
रोहित का हो गया था, पर पूजा की आग तो भड़की हुई थी, वो रोहित को गाली देते हुए बोली- जब मेरी आग बुझा नहीं पाते तो लगाते क्यों हो?
रोहित बोला- तेरी आग बुझाने को ही तो जय को बुलाया है। आज वो तेरी चूत फाड़ेगा।
पूजा बोली- हाँ मेरे राजा जय… आ देखूँ तेरे लंड की ताक़त!
मैं यह सुन कर उसकी ओर लपका और एक झटके में ही उसकी चूत में लंड घुसेड दिया।
पूजा एक बार तो चीखी- फाड़ देगा हरामी… चल अब धक्का मार जोर जोर से!

और फिर शुरू हुआ चुदाई का घमासान जो उस कमरे की दीवारों ने कभी देखा न था।
रोहित भी पूजा के मम्मे मसल रहा था, पूजा उसका लंड पकड़ कर उसे दोबारा खड़ा कर चुकी थी।
 
मेरा लंड पूजा की चूत से दोस्ती के नए आयाम स्थापित कर रहा था, पूरा कमरा ‘फच्च फच्च… उह आह…’ की आवाज से गूँज रहा था।
चूँकि पूजा की चूत में पहले से ही रोहित का वीर्य पड़ा था इसलिए मेरे लंड की स्पीड उसकी कसी हुई चूत में खूब बढ़ी हुई थी।
मैंने भी कभी इतने खुले माहौल में चुदाई नहीं की थी जहाँ शोर या आवाज का कोई डर नहीं था।
और यह हूर जैसा मखमली नंगा बदन मुझसे चिपका पड़ा था, सब कुछ एक सपने की तरह हो रहा था।
मेरा लंड और पूजा की चिकनी चूत एसे भिड़े हुए थे जैसे बरसों के प्यासे हों।
न पूजा को इस बात की परवाह थी कि वो अपने पति के सामने एक पराये मर्द से चुद रही है, न मुझे इस बात का डर था कि मैं एक पराये आदमी की बीवी को उसी के सामने उसी के बिस्तर पर चोद रहा हूँ।
तभी मुझे लगा कि पूजा ने एक बार फिर अपना योनि रस छोड़ दिया है..
ठीक उसी समय मुझे भी लगा कि मैं आने वाला हूँ, मैंने पूजा से कहा- मेरी जान, मैं छुटने वाला हूँ, कहाँ निकालूँ?
पूजा बोली- मेरे अंदर ही डाल दो मेरे राजा, आज मेरी चूत की दूसरी सुहागरात है।
उसे और मुझे यह शर्म ही नहीं थी कि उसका पति भी हमारी बात सुन रहा है।
मैं अपना सारा माल उसके अंदर डाल कर निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।
वो भी मुझे ऐसे भींच कर बुदबुदा रही थी- अब मुझे छोड़ कर मत जाना जानू…
कुछ मिनट ऐसे पड़े रहने के बाद मुझे ख्याल आया कि घर भी तो जाना है। मैंने पूजा को अलग करते हुए रोहित से कहा- मुझे घर जाना है।
पूजा बोली- कॉफ़ी बनाती हूँ, पीकर जाना।
वो नंगी ही किचन में गई, रोहित उसके पीछे पीछे किचन में गया, मैं बाथरूम में एक बार फिर शावर लेने चला गया।
किचन से फिर ‘उह आह…’ की आवाज आने पर मैं समझ गया कि रोहित फिर चालू हो गया है।
मैं वहाँ झांकने गया तो देखा कि रोहित पूजा को कुतिया बना कर चोद रहा है।
मुझे देखते ही बोला- तू भी आ जा, दे दे इसके मुँह में।
पूजा ने खुद हाथ बढ़ा कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसना शुरू कर दिया।
रोहित तो बहुत जल्दी झड़ गया और पूजा की प्यास फिर अधूरी रह गई।
मैंने कहा- अब फिर कभी!
काफी पीकर मैं घर आ गया।
आते ही मेरी बीवी का फ़ोन आया।

वो इस बात से बहुत खुश थी कि अगले महीने से उसकी चूत रोज चुदेगी, मगर इस बात से उदास थी कि आज कुछ नहीं हो पाया।
मेरा लंड तो फिर टाइट था, मैंने उससे कहा- अपनी उंगली चूत में डालो और जोर जोर से अन्दर बाहर करो… उसके लिए यह नया रोमांच था।इधर मैं अपना लंड जोर जोर से हिला रहा था, उधर वो चूत में उंगली अन्दर बाहर कर रही थी.. फ़ोन पर ही ‘उह आह…’ की आवाज आr अही थी।कुछ ही पलों में हम दोनों ही झड़ गए।
इस तरह का यह पहला अनुभव था हम दोनों का…
फ़ोन पर ही एक जोर का चुम्बन करके हम दोनों सो गए।
अगले दिन सुबह 11 बजे पूजा का फ़ोन आया। फ़ोन पर पहले तो उसने जोरदार चुम्बन किया, फिर बोली- जानू, शादी के इतनी साल बाद पहली बार मेरी चूत की आग शांत हुई है।
उसने मुझे बताया कि अब वो रोजाना 11 बजे मुझे फ़ोन करेगी क्योंकि इस समय रोहित रोज बैंक जाता है।
हम लोग आधा घंटा फ़ोन पर बात करते रहे। उसने मुझे बताया कि रोहित करता तो रोज है मगर उसका छोटा होने से पूजा को बड़े लंड की चाहत थी जो मुझसे मिल कर पूरी हुई।
पूजा बोली- वैसे मैं और रोहित सेक्स को बहुत एन्जॉय करते हैं और लगभग दो महीने से रोहित इस फिराक में था कि मुझे एक नया लंड कैसे मिले। मगर मैं हर किसी के लिए तैयार नहीं थी, तुम में पता नहीं मुझे क्या दिखा कि मैं तुरंत मान गई।
शाम को रोहित का फ़ोन आया- आज रात को छत पर आ जाना।
मैं रात को नौ बजे करीब छत पर गया तो देखा पूजा रोहित की गोदी में बैठी है, उसने नाइटी पहनी हुई थी जो रोहित ने उसके पेट तक उठा रखी थी और उसकी चूत उंगली से चोद रहा था।
मैंने उन्हें ऐसे देख कर कहा- आप मौज करो, मैं चलता हूँ…
पूजा बोली- मौज तो हम रोज ही करते हैं, आप आये हो तो कुछ देर बैठो।
मैंने कहा- कहाँ बैठूँ?
तो रोहित ने पूजा को नीचे सरका दिया, बोला- ले हरामी बैठ ले इसके ऊपर!
पूजा ने हंसकर अपने हाथ में रोहित का लंड ले लिया और उसे मसलने लगी।
मेरे सामने मखमली चूत खुली पड़ी थी, मैं झुक कर उसे चाटने लगा।
धीरे धीरे स्पीड बढती गई और बढ़ गई पूजा की सीत्कारें… वो बोली- जय अब और मत तड़फाओ, आ जाओ अन्दर!
मैंने भी अपना लंड घुसेड़ दिया और दे दी पूरी स्पीड।
पांच मिनट के घमासान के बाद मैंने अपना माल पूजा के कहने पर उसके मुँह में छोड़।
वो सारा माल गटक नकार पी गई और मेरा लंड चाट कर साफ कर दिया।
रोहित ने बताया कि जिन्दगी में पहली बार पूजा ने वीर्य पिया है, उसने रोहित का कभी इसलिए नहीं पिया कि फिर चूत क्या पीयेगी। अब बिस्तर पर वो अपना माल पूजा की चूत में डालेगा।

मैं पूजा को चूम कर वापिस आ गया, क्योंकि 11 बजे बीवी का फ़ोन आना था।
आज पूजा ने थका दिया था, इसलिए बीवी को फ़ोन करके मैंने बहाना बना दिया कि मैं कहीं बाहर हूँ और आज वो कल की तरह अपनी चूत को मजा दे।
मेरी बीवी ने मुझे कहा कि वो आज एक भुट्टा लेकर आई है और दिन में उसने एक बार अपनी चूत को उससे रगड़ा है।
मैं बहुत खुश हुआ कि अब मेरी बीवी भी चुदाई में एक्सपर्ट हो रही है।
मैं और पूजा रोज फ़ोन पर बात करते बिना रोहित को बताये..
एक दिन पूजा ने मुझे कहा- आज रात को दस बजे छत पर आ जाना और रोहित को मत बताना।
शाम को रोहित मुझे कहीं शादी में जाते मिला और बोला- आज नहीं मिलेंगे क्योंकि मैं रात को लेट लौटूंगा।
मैं लुंगी और टी शर्ट में रात को छत पर पहुँच गया, वहाँ पूजा पहले से खड़ी थी, आज उसने नाइटी पहने थी।
मैं गुस्सा हुआ- यह क्या पहना है?
उसने हंस कर मुझे गले लगा लिया और बोली- नीचे सब जाग रहे हैं और रोहित भी जब आएगा तो उसे शक नहीं होगा।
पंद्रह मिनट तक चूमा चाटी के बाद वो एकदम से नीचे झुकी और मेरी लुंगी के अंदर मुँह करके मेरे तनतनाये लौड़े को पागलों की तरह चूसने लगी।
ऐसा लग रहा था वो आज इसे खा जाएगी।
मैंने भी उसकी नाइटी ऊपर की और उसके मम्मे दबाने लगा।
पाता नहीं क्या माहौल था, मैं भी खूब ताक़त से दबा रहा था वो भी जोर जोर से चूस रही थी, दर्द दोनों को हो रहा था मगर खुमारी ऐसी थी कि होश नहीं था।
उसकी चूत ने बगावत कर दी वो खड़ी हुई और खड़े खड़े मेरा लंड अपनी चूत में कर लिया।
मैंने उसको घुटनों से उठा लिया, उसने अपने घुटने मेरी कमर पर लपेट लिए।
अब मैं उसे उछाल उछाल कर चोदने लगा।
हम दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में थी और एक दूसरे को लोलीपॉप की तरह चूस रही थी।
यह उसके और मेरे दोनों के लिए एक नया अनुभव था।
मैंने ऐसा ब्लू फिल्म में देखा था।
 
कुछ देर बाद वो झड़ गई, मैंने उसे नीचे उतारा और कुतिया बना कर चोदना शुरू किया।
मैंने उसकी गांड में लंड डालना चाहा तो वो बोली- दर्द होगा।
पांच मिनट की धक्का मुक्की के बाद मैंने उसकी चूत अपने माल से भर दी।
अब एक नई समस्या थी, उसे पोंछने को कोई टॉवल नहीं था।
उसने मेरी लुंगी से ही अपनी चूत साफ़ की और कुछ पल चूमा चाटी करके नीचे चली गई।
अगले दिन किसी कारण मार्केट में हड़ताल हो गई तो मैंने अपनी बीवी से बात की और घर चल दिया।
मैंने अपने साथ कई अश्लील किताबें ली।
आज दिन अच्छा था, घर पर पत्नी के अलावा कोई नहीं था, माँ और पिताजी मामा के घर उसी शहर में गये हुए थे और शाम तक वापिस आने वाले थे।
घर पहुँचते ही बीवी जिसका नाम सुनीता है ने मुझसे चाय को पूछा।
मैंने सुनीता से कहा- चाय वाय बाद में, पहले नहा लूँ।
मैं बाथरूम में जाकर नहाने लगा और वहीं से सुनीता को आवाज दी।
वो आई तो उसे मैंने अंदर खींच लिया और उसके कपड़े उतार दिए।
इससे पहले हम कभी साथ नहीं नहाये थे।
वो मुझसे चिपक गई।
शावर के नीचे मैंने उसके मम्मे चूसने शुरू किये। वो नीचे झुकी और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया।
अब हम दोनों से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, हम फटाफट बदन पौंछ कर नंगे ही कमरे में आ गए और बिस्तर पर शुरू हुई हमारी रास लीला।
मैंने वो सब कुछ किया जो पिछले पंद्रह दिनों में मैंने पूजा के साथ किया था।
मैंने चुदाई के वक़्त उससे पूछा- भुट्टे से करते कैसा लगा?
तो वो शर्मा कर बोली- अब तो रोज भुट्टे या करेले से करती हूँ और ऐसा लगता है जैसे कोई दूसरा उसे चोद रहा है।
मैंने चुदाई पूरी करके उसे किताबें दी और छुपा कर रखने को कहा।
खाना खाकर मैं बाबाजी से मिलने दूकान की ओर चला गया।
चार बजे जब घर लौटा तो देखा एक करेला बिस्तर के नीचे पड़ा है।
सुनीता को लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई।
पूछने पर उसने बताया पूरी दोपहर वो किताबें पढ़ती रही, ज्यादा गर्म होने पर उसे करेले से अपनी चूत को शांत करना पड़ा।
रात को बिस्तर पर हम खुसुर पुसुर बात कर रहे थे।
उसने मुझसे पूछा- क्या शहर में लोग एक दूसरे की बीवी को चोदते हैं?
मैं डर गया कि मेरी चोरी पकड़ी गई, मैंने उससे पूछा- क्यों ऐसा पूछ रही हो?
उसने बताया कि हर किताब में दो-तीन कहानी इसी विषय पर हैं।
मैंने उससे कह दिया- मकसद तो मजा लेने से है चाहे कैसे भी आये।
आज पहली बार उसने मुझे बताया कि शादी से पहले एक बार वो अपनी चचेरी बहन के साथ नंगी नहाई थी और उस रात उन दोनों ने एक दूसरे की चूत में उंगली भी की थी।
यह सुनकर मेरा तो लंड तम्बू बन गया, मैंने उससे कहा- जब हम शहर रहेंगे तो अपनी चचेरी बहन को बुला लेना और एक बार फिर नंगी नहा लेना!
वो बोली- धत्त.. अब तो तुम हो साथ नहाने के लिए!
मैंने भी कह दिया- ठीक है, हम तीनों नहा लेंगे।
ऐसा सुनकर वो भी गर्म हो गई और मेरा लंड टटोलकर अपनी चूत में कर लिया।
सुबह मैं वापिस आ गया, मोटरसाइकिल खड़ी ही की थी कि रोहित का फ़ोन आ गया, पूछ रहा था कि बिना बताये क्यों चला गया था।मैंने हंस कर कहा- किसी की प्यास बुझानी थी।
अब मैं और रोहित सेक्स पर खुल कर बात कर लेते थे, दो दिन काम ज्यादा होने से मैं पूजा से ज्यादा फ़ोन पर बात नहीं कर पाया।
पंद्रह दिन बाद सुनीता को लाना था इसलिए घर में पेंट कराना और फरनीचर लेना था।
डबल बेड लेने के लिए मैं रोहित को साथ ले गया।
वहाँ रोहित ने हँसते हुए कहा- बड़ा और मजबूत लेना।
मैंने कहा- मजबूत तो ठीक है पर बड़ा किसलिए?
वो बेशर्मी से बोला- हम चारों के लिए!
आज उसने मुझे एक नया सपना दिखा दिया।
मैंने उससे कहा कि आज शाम को वो और पूजा मेरे घर आयें और मुझे बताएँ कि मुझे क्या क्या करवाना चाहिए।
खाना भी मैं होटल से मंगा लूँगा, सब साथ खायेंगे।
रोहित ने पूजा को बोल दिया कि रात को चुदाई जय के घर पे होगी।
मैंने रोहित को बोला- तू तो हर समय यही सोचता है।
अब मैं रोहित को तू तड़ाक से बोल लेता था।
शाम को रोहित पूजा आये, रोहित तो टीशर्ट और बरमूडा पहने था, पूजा ने सूट पहना था।
हम लोगों ने होने वाले कामों की एक लिस्ट बनाई। हर कमरे का रंग फाईनल किया, पर्दों के साइज़ लिखे और रसोई का सामान की लिस्ट भी फाईनल की।
हालाँकि रसोई का काफी सामान तो माँ ने घर से ही भेजने को कह दिया था।
मैंने रोहित को बोला कि खरीददारी में वो मेरी मदद करे!
वो बोला कि वो तो नहीं जा पायेगा पर पूजा मेरे साथ जा सकती है।
मैं तो यही चाहता था।
मैंने अपने लैपटॉप पर म्यूजिक लगा रखा था, रोहित बोला- क्या बजा रहा है, कुछ सेक्सी दिखा ना!
मैंने एक पोर्न फिल्म लगा दी जिसमे एक लड़की एक साथ दो लंड ले रही थी।
रोहित ने पूजा को आँख मारी, वो समझ गई, बोली- नहीं एक साथ दोनों नहीं।
मगर उसकी सुननी किसे थी।
रोहित ने उसके होंठ अपने होंठों से मिला लिए और उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
मैं उसकी पेंटी नीचे करके उसकी चूत चूसने लगा।
रोहित ने उसके और अपने पूरे कपड़े निकाल दिये।
पूजा ने बेशर्मी से पूछा- क्यों क्या अपना सुनीता के पास छोड़ आये जो उतार नहीं रहे हो?
मैं भी फटाफट नंगा हो गया।
मेरे कमरे ने पहली बार मेरे अलावा किसी को नंगा देखा होगा।
रोहित बेड पर नीचे लेट गया और पूजा को ऊपर लिटा कर अपना लंड नीचे से उसकी चूत में कर दिया और मुझे इशारा किया कि मैं ऊपर से आ जाऊँ।पूजा चीखी- मेरी चूत फट जाएगी।
मैंने अपने लंड पर वैसलीन लगाई और धीरे से रोहित के पैरों के बीच आ गया।
ऊपर पूजा अपनी चूत में एक लंड घुसाए दूसरे का इंतज़ार कर रही थी। उसको डर भी लग रहा था, पर उसकी आँखों को पढ़कर मैंने यह अनुमान लगा लिया कि वो दोनों सेक्स की इस क्रिया के लिए पहले से बात किये हुए हैं और आतुर हैं।
मैंने अपने हाथों से अपना लंड रोहित के लंड से सट कर निशाने पर जमाया और अपने होठों को पूजा के होठों पर जड़कर धीरे धीरे लंड घुसाना शुरू किया।
पूजा मिसमिसाई और अपनी बाहें मेरे गले में डालकर मुझे अपनी ओर खींचा… तभी उसकी चीख निकल गई।
मेरा लंड रोहित के लंड के साथ उसकी चूत में पूरा घुस चुका था।
मैंने धक्के धीरे धीरे देने शुरू किये क्योंकि मुझे डर था कि कही पूजा को चोट न लग जाये और कहीं मेरा लंड बाहर न निकल आये। पूजा ने मुझे और रोहित ने पूजा को जोर से अपने से भींच रखा था, हम बिना हिले ऐसे ही पड़े रहे।
 
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