hotaks444
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मैने उसकी तरफ देखा और पूछा के क्या है अब तो दर्द नही हो रहा. हालाँकि मैं जानता था कि अब प्रिया को दर्द नही हो रहा है, पर ऐसा मैने उसको खिजाने के लिए ही पूछा था. वो बोली के अब दर्द नही हो रहा है अब करो ना. मैने अंजान बनते हुए पूछा के और क्या करूँ. उसने जुंझलाते हुए कहा के वही जो करना है. मैने फिर कहा के क्या सॉफ सॉफ बोलो ना मुझे ऐसे नही समझ आ रहा है. यह सब मैं जानबूझ कर मज़े लेने के लिए कर रहा था. प्रिया के मम्मों का मसलना लगातार जारी था ताकि उसकी उत्तेजना में कमी ना होने पाए.
आख़िर प्रिया ने वो शब्द कह ही दिए जिसका मुझे इंतेज़ार था. प्रिया धीरे से बोली जम के चुदाई शुरू करो ना अब तो दर्द भी नही हो रहा है. मैने हंसते हुए कहा जो आग्या मेरी जान मैं तो यही सुनने का वेट कर रहा था.
मैने धीरे से अपने लंड को बाहर खींचा और फिर प्यार से अंदर कर दिया और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाते हुए यही रिपीट करने लगा. प्रिया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. मेरे आनंद की तो कोई सीमा ही नही थी. मुझे अपना लंड प्रिया की चूत के अंदर बाहर करने में जो आनंद आ रहा था वो शब्दों में नही बताया जा सकता. प्रिया की टाइट चूत का घर्षण मेरे जैसा अनुभवी व्यक्ति ही इतनी देर तक बर्दाश्त कर सकता था.
प्रिया अब पूरी तरह से चुदाई का आनंद ले रही थी. उसके चेहरे पर अब दर्द की जगह पूरी तरह मस्ती के भाव थे. अब मैने अपने धक्कों की लंबाई बढ़ा दी और पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर कर रहा था. केवल लंड का सुपरा ही अंदर रह जाता और में लंड को वापिस अंदर धकेल देता. में जब लंड को अंदर डालता तो प्रिया भी नीचे से गांद उठा कर लंड को अंदर लेने में जल्दी दिखा रही थी. प्रिया की साँसे भी तेज़ गति से चल रही थी. उसका मुँह आधा खुला हुआ था और वो आ……..ह, ह…..आ…..आ…..न, ह…..ओ…..ओ…..न की आवाज़ें निकाल रही थी.
इस बीच मेरा उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ जारी था. क्या टाइट मम्मे थे. कभी मैं उसके मम्मों को दोनो हाथों में दबोच लेता, कभी एक को मुँह में लेकर चूसने लगता दूसरे की गोलाई हाथ से नापते हुए और कभी उसके निपल को दाँतों से हल्का हल्का काटने के कोशिश करता. इस सब में प्रिया को भी बहुत आनंद आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.
अचानक उसने अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर लपेट दिए और बोली यह क्या कर दिया है मुझको, मैं जैसे हवा में उड़ रही हूँ, जल्दी जल्दी ज़ोर ज़ोर से करो ना, मेरा दिल कर रहा है कि सारी उमर ऐसे ही चुदवाती रहूं और यह चुदाई ख़तम ही ना हो. मैं दिल ही दिल में बहुत खुश हुआ के वो अब खुल कर बिना किसी शरम के बोल रही थी. मुझे लड़कियों का ऐसे बोलना बहुत अच्छा लगता है. मैने कहा जान दिल तो मेरा भी यही चाहता है पर ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ कम टू आन एंड, इसका भी अंत अभी थोड़ी देर में हो जाएगा. वो बोली तो जल्दी करो ना बातें नही मुझको चोदो, मैं कही मज़ा आने से पहले कहीं मर ही ना जाऊं.
मैने हंसते हुए कहा के मेरी जान चुदवाते हुए कोई नही मरती, अभी तुम्हे मंज़िल पर पहुँचा देता हूँ. इसके बाद मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और इतनी तेज़ी से लंबे-लंबे धक्के मारने शुरू किए के जैसे किसी मशीन का पिस्टन अंदर बाहर होता है. मेरा लंड अब तेज़ी से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. उसकी टाइट चूत का मेरे लंड के साथ घर्षण मुझे और उसको अत्यधिक मज़ा दे रहा था.
मैने अपने दोनो हाथ उसकी गांद के नीचे लगा दिए और कस के पकड़ लिया और पूरी ताक़त और तेज़ी से धक्के मारने लगा. उसकी साँसें उखड़ने लगीं और फिर उसके मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली और वो झार गयी. उसने एक ज़ोर की साँस ली और निढाल होकर अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. उसकी चूत के पानी छोड़ने से मेरा लंड अब उसकी चूत में बहुत आसानी से अंदर बाहर होने लगा. उसके शरीर काकंपन ऐसे महसूस हो रहा था जैसे कोई वाइब्रटर लगा हो. 15-20 ज़ोरदार धक्के मारने के बाद मैं भी झाड़ गया और प्रिया से लिपट कर वहीं बेड पर ढेर हो गया.
प्रिया ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे अपनी तरफ खींचा. मेरे करवट लेते ही उसने मुझे कस्स के पकड़ लिया और बोली के मुझे बाहों में ले लो पता नही मुझे क्या हो रहा है अभी भी मेरा शरीर काँप रहा है. मैने प्रिया को अपनी बाहों में जाकड़ लिया और उसके होंठ अपने होंठों में लेकर किस किया और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. वो अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाने लगी. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में यूँ गढ़ रहे थे जैसे उस मे छेद कर देंगे. मैं प्यार से उसकी पीठ सहलाने लगा और उसको पूछा के कैसा लगा.
प्रिया बोली के आज तो उसको पिच्छली बार से भी डबल मज़ा आया बल्कि और भी ज़्यादा क्योंकि पिच्छली बार 2 बार का मिलाकर भी इतना मज़ा नही आया था जितना आज एक बार में ही आ गया. मैने कहा के हां जानू ऐसा ही होता है जब कोई एक्सपर्ट पूरा ध्यान रखकर प्यार से चुदाई करता है तो मज़ा ज़्यादा ही आता है. वो शोखी से बोली हांजी एक्सपर्ट तो तुम बहुत हो जो मुझको पूरी तरह से फसा भी लिया और चोद भी दिया और सभी कुच्छ मैने अपनी मर्ज़ी से किया. मैं केवल मुस्कुरा दिया क्योंकि कुच्छ कहने की ज़रूरत ही नही थी. सब कुच्छ तो प्रिया ने खुद ही कह दिया था.
आख़िर प्रिया ने वो शब्द कह ही दिए जिसका मुझे इंतेज़ार था. प्रिया धीरे से बोली जम के चुदाई शुरू करो ना अब तो दर्द भी नही हो रहा है. मैने हंसते हुए कहा जो आग्या मेरी जान मैं तो यही सुनने का वेट कर रहा था.
मैने धीरे से अपने लंड को बाहर खींचा और फिर प्यार से अंदर कर दिया और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाते हुए यही रिपीट करने लगा. प्रिया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. मेरे आनंद की तो कोई सीमा ही नही थी. मुझे अपना लंड प्रिया की चूत के अंदर बाहर करने में जो आनंद आ रहा था वो शब्दों में नही बताया जा सकता. प्रिया की टाइट चूत का घर्षण मेरे जैसा अनुभवी व्यक्ति ही इतनी देर तक बर्दाश्त कर सकता था.
प्रिया अब पूरी तरह से चुदाई का आनंद ले रही थी. उसके चेहरे पर अब दर्द की जगह पूरी तरह मस्ती के भाव थे. अब मैने अपने धक्कों की लंबाई बढ़ा दी और पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर कर रहा था. केवल लंड का सुपरा ही अंदर रह जाता और में लंड को वापिस अंदर धकेल देता. में जब लंड को अंदर डालता तो प्रिया भी नीचे से गांद उठा कर लंड को अंदर लेने में जल्दी दिखा रही थी. प्रिया की साँसे भी तेज़ गति से चल रही थी. उसका मुँह आधा खुला हुआ था और वो आ……..ह, ह…..आ…..आ…..न, ह…..ओ…..ओ…..न की आवाज़ें निकाल रही थी.
इस बीच मेरा उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ जारी था. क्या टाइट मम्मे थे. कभी मैं उसके मम्मों को दोनो हाथों में दबोच लेता, कभी एक को मुँह में लेकर चूसने लगता दूसरे की गोलाई हाथ से नापते हुए और कभी उसके निपल को दाँतों से हल्का हल्का काटने के कोशिश करता. इस सब में प्रिया को भी बहुत आनंद आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.
अचानक उसने अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर लपेट दिए और बोली यह क्या कर दिया है मुझको, मैं जैसे हवा में उड़ रही हूँ, जल्दी जल्दी ज़ोर ज़ोर से करो ना, मेरा दिल कर रहा है कि सारी उमर ऐसे ही चुदवाती रहूं और यह चुदाई ख़तम ही ना हो. मैं दिल ही दिल में बहुत खुश हुआ के वो अब खुल कर बिना किसी शरम के बोल रही थी. मुझे लड़कियों का ऐसे बोलना बहुत अच्छा लगता है. मैने कहा जान दिल तो मेरा भी यही चाहता है पर ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ कम टू आन एंड, इसका भी अंत अभी थोड़ी देर में हो जाएगा. वो बोली तो जल्दी करो ना बातें नही मुझको चोदो, मैं कही मज़ा आने से पहले कहीं मर ही ना जाऊं.
मैने हंसते हुए कहा के मेरी जान चुदवाते हुए कोई नही मरती, अभी तुम्हे मंज़िल पर पहुँचा देता हूँ. इसके बाद मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और इतनी तेज़ी से लंबे-लंबे धक्के मारने शुरू किए के जैसे किसी मशीन का पिस्टन अंदर बाहर होता है. मेरा लंड अब तेज़ी से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. उसकी टाइट चूत का मेरे लंड के साथ घर्षण मुझे और उसको अत्यधिक मज़ा दे रहा था.
मैने अपने दोनो हाथ उसकी गांद के नीचे लगा दिए और कस के पकड़ लिया और पूरी ताक़त और तेज़ी से धक्के मारने लगा. उसकी साँसें उखड़ने लगीं और फिर उसके मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली और वो झार गयी. उसने एक ज़ोर की साँस ली और निढाल होकर अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. उसकी चूत के पानी छोड़ने से मेरा लंड अब उसकी चूत में बहुत आसानी से अंदर बाहर होने लगा. उसके शरीर काकंपन ऐसे महसूस हो रहा था जैसे कोई वाइब्रटर लगा हो. 15-20 ज़ोरदार धक्के मारने के बाद मैं भी झाड़ गया और प्रिया से लिपट कर वहीं बेड पर ढेर हो गया.
प्रिया ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे अपनी तरफ खींचा. मेरे करवट लेते ही उसने मुझे कस्स के पकड़ लिया और बोली के मुझे बाहों में ले लो पता नही मुझे क्या हो रहा है अभी भी मेरा शरीर काँप रहा है. मैने प्रिया को अपनी बाहों में जाकड़ लिया और उसके होंठ अपने होंठों में लेकर किस किया और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. वो अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाने लगी. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में यूँ गढ़ रहे थे जैसे उस मे छेद कर देंगे. मैं प्यार से उसकी पीठ सहलाने लगा और उसको पूछा के कैसा लगा.
प्रिया बोली के आज तो उसको पिच्छली बार से भी डबल मज़ा आया बल्कि और भी ज़्यादा क्योंकि पिच्छली बार 2 बार का मिलाकर भी इतना मज़ा नही आया था जितना आज एक बार में ही आ गया. मैने कहा के हां जानू ऐसा ही होता है जब कोई एक्सपर्ट पूरा ध्यान रखकर प्यार से चुदाई करता है तो मज़ा ज़्यादा ही आता है. वो शोखी से बोली हांजी एक्सपर्ट तो तुम बहुत हो जो मुझको पूरी तरह से फसा भी लिया और चोद भी दिया और सभी कुच्छ मैने अपनी मर्ज़ी से किया. मैं केवल मुस्कुरा दिया क्योंकि कुच्छ कहने की ज़रूरत ही नही थी. सब कुच्छ तो प्रिया ने खुद ही कह दिया था.