hotaks444
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कुँवारियों का शिकार--13
गतान्क से आगे..............
मैने अरषि की ओर देखा और कहा के बोलो मेरी जान पहले इसको स्वर्ग के झूले पर झूला दें. वो बोली के हां इसका बहुत दिल कर रहा है पहले इसको मज़े दे दो फिर मेरी चुदाई करना पर आज मैं भी चुदवाउन्गि ज़रूर. मैने उसकी एक भरपूर पप्पी ली और कहा के ज़रूर चोदुन्गा मेरी गुड़िया और भरपूर चोदुन्गा और आज तुमको पहले से भी ज़्यादा मज़ा आएगा पर पहले इसको तो तैयार करवा दो. वो बोली के तैयार तो है. मैने हंस कर कहा के ये तो तैयार है इसकी चूत को भी तो बेकरार करना पड़ेगा तभी तो पहली बार लंड का वार झेल सकेगी. वो बोली वो कैसे? तो मैने कहा के इसको उत्तेजित करो. इतना करो के यह खुद बखुद बोले के डाल दो लंड मेरी चूत में अब और नही रुका जाता. अरषि हंस पड़ी और बोली जो अग्या महाराज. मेरी और अदिति की हँसी निकल गयी.
फिर हम दोनो प्यार से टूट पड़े अदिति पर और 5 मिनट में वो आहें भरने लगी. उसकी साँसें भारी हो गयीं और उसका सीना अपने उन्नत टीलों को और ऊपेर उठने लगा, जिससे देखकर मेरा लंड भी उच्छलने लगा. मैने हाथ बढ़ा कर अदिति की चूत पर फेरा. चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. मैने अपने आपको उसकी टाँगों के बीच में लिया और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा. उसकी चूत भट्टी की तरह तप रही थी. मुझे लगा के मेरा लंड इतनी गर्मी को बर्दाश्त भी कर पाएगा के नही. मैने क्रीम की ट्यूब उठाकर उसकी चूत पर लगाई और उंगली से उसकी चूत के अंदर करके क्रीम को अच्छे से लगा दिया. फिर अपने लंड पर भी अच्छी तरह से क्रीम लगाकर लंड को अदिति की चूत के मुहाने पर रखा और कहा के देखो अदिति पहली बार लंड अंदर जाने पर तुम्हें थोड़ी देर के लिए ही सही पर दर्द होगा और तुमको वो सहना पड़ेगा. उसस्के बाद ही तुमको स्वर्ग का झूला झूलने को मिलेगा. वो बोली के ठीक है पर जल्दी करो अब और नही रुका जाता. मैं और अरषि दोनो हंस पड़े.
मैने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर कॅसा और थोड़ा दबाव डालते हुए घुमाया. मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत के मुहाने पर अटक गया. आधा अंदर और आधा बाहर. मैने लंड को हाथ में पकड़े हुए ही एक ज़ोरदार मगर छ्होटा धक्का लगाया. लंड 2 इंच अंदर घुस गया और अदिति की कुंआरी झिल्ली पर जाकर रुक गया. अदिति ने ज़ोर की हुंकार भरी. मैने पूछा के दर्द हुआ क्या? वो बोली के दर्द तो अभी नही हुआ पर बड़ा भारीपन लग रहा है. मैने कहा के कोई बात नही अबके धक्के में दर्द होगा और उसको सह लोगि तो फिर मज़ा ही मज़ा है. अरषि को मैने कहा के अदिति को किस करती रहो और इसके मम्मे भी दबाती रहो ताकि इसकी उत्तेजना में कमी ना आ सके. फिर मैने अपनी पूरी ताक़त इकट्ठी करके एक प्रचंड धक्का लगाया और लंड पूरा का पूरा उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुसा और उसकी बछेदानि के मुँह से जा टकराया.
अदिति की चीख तो अरषि के मुँह ने दबा दी लेकिन उसकी आँखें फैल गयीं और टॅप-टॅप आँसू गिरने लगे. उसकी टाँगें ज़ोर से काँपति चली गयीं. मैने उसके दोनो मम्मे अपने हाथों में लिए और उनको दबाने और मसल्ने लगा. अरषि को मैने कहा के अदिति को उत्तेजित करने काप्रयास करती रहे. मैने अपने लंड को हिलाने की कोशिश की. यह क्या? मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही रहा. मेरा लंड उसकी चूत में क़ैद हो गया था. अदिति की चूत ने मेरे लंड को इतनी ज़ोर से जकड़ा हुआ था के मैं एक सूत भी अपने लंड को हिला नही सका. मैने ज़ोर लगा के हिलाने की कोशिश भी की पर नतीजा फिर भी वही रहा, ज़ीरो. मैने अरषि को ये बताया और कहा के अदिति को ज़्यादा से ज़्यादा उत्तेजित करो ताकि इसकी चूत में थोड़ा पानी आए और इसकी जकड़न कम हो. अरषि उसको उत्तेजित करने की हर संभव कोशिश करने लगी. मैने भी अपने एक हाथ से उसकी केले के ताने जैसी चिकनी जांघें और दूसरे हाथ से उसके भज्नसे को सहलाना शुरू कर दिया. अदिति की आँखों से अभी भी आँसू बह रहे थे. कुच्छ ही देर में उसकी टाँगों का कांपना रुक गया. अरषि ने एक मम्मे को अपने मुँह में ले रखा था और उसको चूस रही थी और दूसरे को अपने हाथ से दबा रही थी.
5-7 मिनट बाद ही अदिति थोड़ा नॉर्मल होने लगी. उसने अपने हाथ उठाकर मेरी छाती में मुक्के मारने शुरू कर दिए और बोली बहुत ज़ालिम हो बिल्कुल भी परवाह नही करते. पता है कितना दर्द हुआ था. मैने कहा के दर्द तो होना ही था और तुमको बता भी दिया था के होगा. जब पहली बार चूत में लंड जाता है और सील को तोड़ता है तो दर्द तो होता ही है और थोड़ा खून भी निकलता है पर थोड़ी देर में सब ठीक हो जाता है जैसे अब तुम्हारे साथ हुआ. सच बताओ अब तो दर्द नही हो रहा ना? उसने कहा के अभी तो दर्द बिल्कुल ना के बराबर हो रहा है. मैने कहा के अभी थोड़ी देर में वो भी नही रहेगा और उसकी जगह तुमको इतना मज़ा आएगा के तुम खुश हो जाओगी. बातों में ध्यान लगा होने केकारण अदिति की चूत की पकड़ अब मेरे लंड पर पहले जितनी नही रही थी. इस बार कोशिश करने पर लंड बाहर आना शुरू हो गया. मैने बहुत धीरे-धीरे और प्यार से एक इंच लंड बाहर निकाला और उतने ही प्यार से उसकी चूत में वापिस डाल दिया. जब लंड पूरा अंदर जाकर बcचेदानि के मुँह से टकराया तो मैने थोड़ा सा दबाव और डाला. अदिति को अच्छा लगा और वो बोली के हाए ये क्या हो रहा है. मैने कहा के अब अच्छा लग रहा है ना? वो बोली के हां. बहुत हल्का सा दर्द है पर अच्छा भी लग रहा है.
मैने 8-10 बार ऐसे ही किया, एक इंच लंड बाहर निकालकर फिर अंदर घुसा देता और जैसे ही बcचेदानि के मुँह से टकराने लगता थोड़ा सा दबाव बढ़ा देता. फिर मैने थोड़ी-थोड़ी लंबाई बढ़ानी शुरू कर दी. हर दो-तीन धक्कों के बाद मे लंड थोड़ा और ज़्यादा बाहर खींच लेता और फिर अंदर घुसाता पहले की तरह. अब अदिति को मज़ा आना शुरू हो गया था और वो भी नीचे से हिलने लगी थी और मज़ा ले रही थी. मेरा तो मस्ती और आनंद के मारे बुरा हाल था. अदिति की चूत की पकड़ केवल इतनी ही कम हुई थी के मैं अपने लंड को अंदर बाहर कर सकूँ, वरना इतनी ज़ोर से मेरे लंड को उसकी चूत की रगड़ लग रही थी के मुझे लग रह था के आज तो लंड छिल्ल जाएगा. लंड में हल्की-हल्की दर्द भी होने लगी थी पर घर्षण के आनंद की आगे तो यह दर्द कुच्छ भी नही थी. दोनो असीम आनंद में डूबे हुए थे.
जब लंड आधे से थोड़ा अधिक अंदर बाहर होना शुरू हुआ तो अदिति ने नीचे से उच्छालना शुरू कर दिया. मेरे हर धक्के का जवाब वो अपनी गांद उठाकर दे रही थी. जब लंड बाहर आता तो वो भी अपनी गांद को नीच कर लेती और जब लंड अंदर जात तो वो गांद उठाकर उसकास्वागत करती, जैसे के वो चाहती हो के जल्दी से पूरा अंदर घुस जाए. नतीजा यह हुआ के लंड के अंदर बाहर होने की रफ़्तार तेज़ हो गयी. अदिति की आवाज़ें भी निकलनी शुरू हो गयीं के हां…….. हां……., ऐसे ही करो, और तेज़ करो, हाए राम ये क्या हो रहा है, साची दीदी बहुत मज़ा आ रहा है, तुम ठीक कहती थी के बहुत मज़ा आता है.
इसके साथ ही मैने रफ़्तार तेज़ करदी और लंबी चोट लगाने लगा और साथ ही साथ ज़ोर भी लगाना शुरू कर दिया. अदिति की साँसें फूलने लगीं और आँखें मस्ती में डूब कर आधी खुली रह गयीं. मेरे हर बार लंड अंदर घुसाने पर वो अपनी गांद उठाती पर धक्के के ज़ोर में वापिस बेड से जा टकराती और लंड उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराकर उसको गुदगुदा जाता. उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी और यह सब देख कर मेरी उत्तेजना में भी वृद्धि हो रही थी. मैने उत्तेजनवश करारे धक्के मारने शुरू कर दिया और अदिति भी इतनी उत्तेजित हो गयी के वो भी अपनी गांद उठा-उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब पूरी ताक़त से देने लगी. यही सब करते-करते 20-25 करारे शॉट लगा कर मैं झड़ने की कगार तक पहुँच गया. अदिति के मुँह से कोई आवाज़ नही निकल रही थी सिवाए ह…..उ…..न, ह…..उ…..न के. फिर उसने बड़ी ज़ोर से अपनी गंद उठाई और उसका शरीर जूडी के मरीज़ की तरह से काँपने लगा और वो झाड़ गयी और निढाल होकर बेड पर ढेर हो गयी. उसकी चूत से निकले पानी से उसकी जंघें तक गीली हो गयीं. मेरे धक्के लगातार जारी थे. उसके शरीर के कंपन से मुझे भी उत्तेंजाना की तेज़ लहर अपने शरीर में दौड़ती महसूस हुई और 8-10 धक्के और लगा कर मैं भी स्खलित हो गया. मैने अपने लंड अदिति की चूत में पूरा अंदर डाल कर, उसकी मुलायम गंद को अपने दोनो हाथों में जाकड़ कर उसकी चूत को अपने लंड की जड़ पर चिपका लिया और रगड़ने की कोशिश करने लगा. मेरे लंड से वीर्य की तेज़ 3-4 बौच्चरें निकल कर अदिति की बच्चेदानी के मुँह से टकराईं तो वो फिर से कांप उठी और दोबारा झाड़ गयी.
मैं अदिति को अपने साथ चिपकाए हुए ही बेड पर लूड़क गया और अदिति को अपने ऊपर ले लिया. अदिति ने मुझे अपनी बाहों में भर के मेरे मुँह, गाल और माथा चूमना शुरू कर दिया और बोलने लगी, थॅंक यू, थॅंक यू, थॅंक यू, थॅंक यू. मैने उसको पूछा के अब बोलो मज़ा आया के नही? वो बोली के इतना मज़ा आया के बता नही सकती. मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गयी थी, ऐसा लग रहा था के मैं मर के स्वर्ग में आ गयी हूँ और वहाँ मुझे आनंद के सागर में डुबो दिया है. मैने कहा के ना ऐसा मत बोलो मेरी जान, मरें तुम्हारे दुश्मन और उसको ज़ोर से भींच लिया अपने साथ.
फिर मैने अरषि को भी खींच लिया और उसको प्यार करते हुए बोला के अभी बस थोड़ी देर में तुम्हारा नंबर लगाता हूँ, तुम ने बहुत देर इंतेज़ार कर लिया है और मेरा इतना साथ दिया है उसका इनाम तो बनता ही है. बस अदिति की थोड़ी सी सेवा और कर लें ताकि इसको कोई परेशानी ना हो. मैने चिपके हुए ही अदिति को गोद में उठाया और अरषि से कहा के बड़े टब में आधा टब गरम पानी डाले. अरषि बाथरूम में गयी और गरम पानी से आधा भर दिया. फिर मैने कहा कि अब इसमे ठंडा पानी मिलाओ और केवल इतना ही मिलाना के अदिति की चूत की सिकाई हो सके और इतना गरम भी ना हो के सहा ना जाए.
मैने अदिति को टब में बिठा दिया और उसकी चूत को अपने हाथ से हल्के हल्के दबाने लगा. उसकी दोनो टाँगें खोल कर टब के बाहर लटका दीं ताकि गरम पानी से उसकी चूत की सिकाई अंदर तक हो जाए. अदिति को कहा के वो अच्छी तरह से सिकाई कर ले ताकि उसकी चूत को आराम मिले और दर्द ना हो. उसने पूछा के कब तक सिकाई करनी है तो मैने कहा के जब तक यह पानी ठंडा नही हो जाता तब तक इसी टब में बैठी रहो फिर बाहर हमारे पास आ जाना. वो बोली की ठीक है. मैने अपने लंड को सॉफ किया और अरषि को लेकर बाहर बेडरूम में आ गया. अब अरषि की बारी थी.
क्रमशः......
गतान्क से आगे..............
मैने अरषि की ओर देखा और कहा के बोलो मेरी जान पहले इसको स्वर्ग के झूले पर झूला दें. वो बोली के हां इसका बहुत दिल कर रहा है पहले इसको मज़े दे दो फिर मेरी चुदाई करना पर आज मैं भी चुदवाउन्गि ज़रूर. मैने उसकी एक भरपूर पप्पी ली और कहा के ज़रूर चोदुन्गा मेरी गुड़िया और भरपूर चोदुन्गा और आज तुमको पहले से भी ज़्यादा मज़ा आएगा पर पहले इसको तो तैयार करवा दो. वो बोली के तैयार तो है. मैने हंस कर कहा के ये तो तैयार है इसकी चूत को भी तो बेकरार करना पड़ेगा तभी तो पहली बार लंड का वार झेल सकेगी. वो बोली वो कैसे? तो मैने कहा के इसको उत्तेजित करो. इतना करो के यह खुद बखुद बोले के डाल दो लंड मेरी चूत में अब और नही रुका जाता. अरषि हंस पड़ी और बोली जो अग्या महाराज. मेरी और अदिति की हँसी निकल गयी.
फिर हम दोनो प्यार से टूट पड़े अदिति पर और 5 मिनट में वो आहें भरने लगी. उसकी साँसें भारी हो गयीं और उसका सीना अपने उन्नत टीलों को और ऊपेर उठने लगा, जिससे देखकर मेरा लंड भी उच्छलने लगा. मैने हाथ बढ़ा कर अदिति की चूत पर फेरा. चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. मैने अपने आपको उसकी टाँगों के बीच में लिया और उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा. उसकी चूत भट्टी की तरह तप रही थी. मुझे लगा के मेरा लंड इतनी गर्मी को बर्दाश्त भी कर पाएगा के नही. मैने क्रीम की ट्यूब उठाकर उसकी चूत पर लगाई और उंगली से उसकी चूत के अंदर करके क्रीम को अच्छे से लगा दिया. फिर अपने लंड पर भी अच्छी तरह से क्रीम लगाकर लंड को अदिति की चूत के मुहाने पर रखा और कहा के देखो अदिति पहली बार लंड अंदर जाने पर तुम्हें थोड़ी देर के लिए ही सही पर दर्द होगा और तुमको वो सहना पड़ेगा. उसस्के बाद ही तुमको स्वर्ग का झूला झूलने को मिलेगा. वो बोली के ठीक है पर जल्दी करो अब और नही रुका जाता. मैं और अरषि दोनो हंस पड़े.
मैने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत के मुहाने पर कॅसा और थोड़ा दबाव डालते हुए घुमाया. मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत के मुहाने पर अटक गया. आधा अंदर और आधा बाहर. मैने लंड को हाथ में पकड़े हुए ही एक ज़ोरदार मगर छ्होटा धक्का लगाया. लंड 2 इंच अंदर घुस गया और अदिति की कुंआरी झिल्ली पर जाकर रुक गया. अदिति ने ज़ोर की हुंकार भरी. मैने पूछा के दर्द हुआ क्या? वो बोली के दर्द तो अभी नही हुआ पर बड़ा भारीपन लग रहा है. मैने कहा के कोई बात नही अबके धक्के में दर्द होगा और उसको सह लोगि तो फिर मज़ा ही मज़ा है. अरषि को मैने कहा के अदिति को किस करती रहो और इसके मम्मे भी दबाती रहो ताकि इसकी उत्तेजना में कमी ना आ सके. फिर मैने अपनी पूरी ताक़त इकट्ठी करके एक प्रचंड धक्का लगाया और लंड पूरा का पूरा उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुसा और उसकी बछेदानि के मुँह से जा टकराया.
अदिति की चीख तो अरषि के मुँह ने दबा दी लेकिन उसकी आँखें फैल गयीं और टॅप-टॅप आँसू गिरने लगे. उसकी टाँगें ज़ोर से काँपति चली गयीं. मैने उसके दोनो मम्मे अपने हाथों में लिए और उनको दबाने और मसल्ने लगा. अरषि को मैने कहा के अदिति को उत्तेजित करने काप्रयास करती रहे. मैने अपने लंड को हिलाने की कोशिश की. यह क्या? मेरे आश्चर्य का ठिकाना नही रहा. मेरा लंड उसकी चूत में क़ैद हो गया था. अदिति की चूत ने मेरे लंड को इतनी ज़ोर से जकड़ा हुआ था के मैं एक सूत भी अपने लंड को हिला नही सका. मैने ज़ोर लगा के हिलाने की कोशिश भी की पर नतीजा फिर भी वही रहा, ज़ीरो. मैने अरषि को ये बताया और कहा के अदिति को ज़्यादा से ज़्यादा उत्तेजित करो ताकि इसकी चूत में थोड़ा पानी आए और इसकी जकड़न कम हो. अरषि उसको उत्तेजित करने की हर संभव कोशिश करने लगी. मैने भी अपने एक हाथ से उसकी केले के ताने जैसी चिकनी जांघें और दूसरे हाथ से उसके भज्नसे को सहलाना शुरू कर दिया. अदिति की आँखों से अभी भी आँसू बह रहे थे. कुच्छ ही देर में उसकी टाँगों का कांपना रुक गया. अरषि ने एक मम्मे को अपने मुँह में ले रखा था और उसको चूस रही थी और दूसरे को अपने हाथ से दबा रही थी.
5-7 मिनट बाद ही अदिति थोड़ा नॉर्मल होने लगी. उसने अपने हाथ उठाकर मेरी छाती में मुक्के मारने शुरू कर दिए और बोली बहुत ज़ालिम हो बिल्कुल भी परवाह नही करते. पता है कितना दर्द हुआ था. मैने कहा के दर्द तो होना ही था और तुमको बता भी दिया था के होगा. जब पहली बार चूत में लंड जाता है और सील को तोड़ता है तो दर्द तो होता ही है और थोड़ा खून भी निकलता है पर थोड़ी देर में सब ठीक हो जाता है जैसे अब तुम्हारे साथ हुआ. सच बताओ अब तो दर्द नही हो रहा ना? उसने कहा के अभी तो दर्द बिल्कुल ना के बराबर हो रहा है. मैने कहा के अभी थोड़ी देर में वो भी नही रहेगा और उसकी जगह तुमको इतना मज़ा आएगा के तुम खुश हो जाओगी. बातों में ध्यान लगा होने केकारण अदिति की चूत की पकड़ अब मेरे लंड पर पहले जितनी नही रही थी. इस बार कोशिश करने पर लंड बाहर आना शुरू हो गया. मैने बहुत धीरे-धीरे और प्यार से एक इंच लंड बाहर निकाला और उतने ही प्यार से उसकी चूत में वापिस डाल दिया. जब लंड पूरा अंदर जाकर बcचेदानि के मुँह से टकराया तो मैने थोड़ा सा दबाव और डाला. अदिति को अच्छा लगा और वो बोली के हाए ये क्या हो रहा है. मैने कहा के अब अच्छा लग रहा है ना? वो बोली के हां. बहुत हल्का सा दर्द है पर अच्छा भी लग रहा है.
मैने 8-10 बार ऐसे ही किया, एक इंच लंड बाहर निकालकर फिर अंदर घुसा देता और जैसे ही बcचेदानि के मुँह से टकराने लगता थोड़ा सा दबाव बढ़ा देता. फिर मैने थोड़ी-थोड़ी लंबाई बढ़ानी शुरू कर दी. हर दो-तीन धक्कों के बाद मे लंड थोड़ा और ज़्यादा बाहर खींच लेता और फिर अंदर घुसाता पहले की तरह. अब अदिति को मज़ा आना शुरू हो गया था और वो भी नीचे से हिलने लगी थी और मज़ा ले रही थी. मेरा तो मस्ती और आनंद के मारे बुरा हाल था. अदिति की चूत की पकड़ केवल इतनी ही कम हुई थी के मैं अपने लंड को अंदर बाहर कर सकूँ, वरना इतनी ज़ोर से मेरे लंड को उसकी चूत की रगड़ लग रही थी के मुझे लग रह था के आज तो लंड छिल्ल जाएगा. लंड में हल्की-हल्की दर्द भी होने लगी थी पर घर्षण के आनंद की आगे तो यह दर्द कुच्छ भी नही थी. दोनो असीम आनंद में डूबे हुए थे.
जब लंड आधे से थोड़ा अधिक अंदर बाहर होना शुरू हुआ तो अदिति ने नीचे से उच्छालना शुरू कर दिया. मेरे हर धक्के का जवाब वो अपनी गांद उठाकर दे रही थी. जब लंड बाहर आता तो वो भी अपनी गांद को नीच कर लेती और जब लंड अंदर जात तो वो गांद उठाकर उसकास्वागत करती, जैसे के वो चाहती हो के जल्दी से पूरा अंदर घुस जाए. नतीजा यह हुआ के लंड के अंदर बाहर होने की रफ़्तार तेज़ हो गयी. अदिति की आवाज़ें भी निकलनी शुरू हो गयीं के हां…….. हां……., ऐसे ही करो, और तेज़ करो, हाए राम ये क्या हो रहा है, साची दीदी बहुत मज़ा आ रहा है, तुम ठीक कहती थी के बहुत मज़ा आता है.
इसके साथ ही मैने रफ़्तार तेज़ करदी और लंबी चोट लगाने लगा और साथ ही साथ ज़ोर भी लगाना शुरू कर दिया. अदिति की साँसें फूलने लगीं और आँखें मस्ती में डूब कर आधी खुली रह गयीं. मेरे हर बार लंड अंदर घुसाने पर वो अपनी गांद उठाती पर धक्के के ज़ोर में वापिस बेड से जा टकराती और लंड उसकी बच्चेदानी के मुँह से टकराकर उसको गुदगुदा जाता. उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी और यह सब देख कर मेरी उत्तेजना में भी वृद्धि हो रही थी. मैने उत्तेजनवश करारे धक्के मारने शुरू कर दिया और अदिति भी इतनी उत्तेजित हो गयी के वो भी अपनी गांद उठा-उठा कर मेरे हर धक्के का जवाब पूरी ताक़त से देने लगी. यही सब करते-करते 20-25 करारे शॉट लगा कर मैं झड़ने की कगार तक पहुँच गया. अदिति के मुँह से कोई आवाज़ नही निकल रही थी सिवाए ह…..उ…..न, ह…..उ…..न के. फिर उसने बड़ी ज़ोर से अपनी गंद उठाई और उसका शरीर जूडी के मरीज़ की तरह से काँपने लगा और वो झाड़ गयी और निढाल होकर बेड पर ढेर हो गयी. उसकी चूत से निकले पानी से उसकी जंघें तक गीली हो गयीं. मेरे धक्के लगातार जारी थे. उसके शरीर के कंपन से मुझे भी उत्तेंजाना की तेज़ लहर अपने शरीर में दौड़ती महसूस हुई और 8-10 धक्के और लगा कर मैं भी स्खलित हो गया. मैने अपने लंड अदिति की चूत में पूरा अंदर डाल कर, उसकी मुलायम गंद को अपने दोनो हाथों में जाकड़ कर उसकी चूत को अपने लंड की जड़ पर चिपका लिया और रगड़ने की कोशिश करने लगा. मेरे लंड से वीर्य की तेज़ 3-4 बौच्चरें निकल कर अदिति की बच्चेदानी के मुँह से टकराईं तो वो फिर से कांप उठी और दोबारा झाड़ गयी.
मैं अदिति को अपने साथ चिपकाए हुए ही बेड पर लूड़क गया और अदिति को अपने ऊपर ले लिया. अदिति ने मुझे अपनी बाहों में भर के मेरे मुँह, गाल और माथा चूमना शुरू कर दिया और बोलने लगी, थॅंक यू, थॅंक यू, थॅंक यू, थॅंक यू. मैने उसको पूछा के अब बोलो मज़ा आया के नही? वो बोली के इतना मज़ा आया के बता नही सकती. मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गयी थी, ऐसा लग रहा था के मैं मर के स्वर्ग में आ गयी हूँ और वहाँ मुझे आनंद के सागर में डुबो दिया है. मैने कहा के ना ऐसा मत बोलो मेरी जान, मरें तुम्हारे दुश्मन और उसको ज़ोर से भींच लिया अपने साथ.
फिर मैने अरषि को भी खींच लिया और उसको प्यार करते हुए बोला के अभी बस थोड़ी देर में तुम्हारा नंबर लगाता हूँ, तुम ने बहुत देर इंतेज़ार कर लिया है और मेरा इतना साथ दिया है उसका इनाम तो बनता ही है. बस अदिति की थोड़ी सी सेवा और कर लें ताकि इसको कोई परेशानी ना हो. मैने चिपके हुए ही अदिति को गोद में उठाया और अरषि से कहा के बड़े टब में आधा टब गरम पानी डाले. अरषि बाथरूम में गयी और गरम पानी से आधा भर दिया. फिर मैने कहा कि अब इसमे ठंडा पानी मिलाओ और केवल इतना ही मिलाना के अदिति की चूत की सिकाई हो सके और इतना गरम भी ना हो के सहा ना जाए.
मैने अदिति को टब में बिठा दिया और उसकी चूत को अपने हाथ से हल्के हल्के दबाने लगा. उसकी दोनो टाँगें खोल कर टब के बाहर लटका दीं ताकि गरम पानी से उसकी चूत की सिकाई अंदर तक हो जाए. अदिति को कहा के वो अच्छी तरह से सिकाई कर ले ताकि उसकी चूत को आराम मिले और दर्द ना हो. उसने पूछा के कब तक सिकाई करनी है तो मैने कहा के जब तक यह पानी ठंडा नही हो जाता तब तक इसी टब में बैठी रहो फिर बाहर हमारे पास आ जाना. वो बोली की ठीक है. मैने अपने लंड को सॉफ किया और अरषि को लेकर बाहर बेडरूम में आ गया. अब अरषि की बारी थी.
क्रमशः......