hotaks444
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कुँवारियों का शिकार--23
गतान्क से आगे..............
मैने मिनी को तसल्ली दी और कहा के घबराओ मत मैं तुम्हारी गांद नही मारूँगा और ना ही मुझे शौक है गांद मारने का. मैं पीछे से तुम्हारी चूत में लंड डाल कर तुम्हें चोदून्गा. उसने डरते डरते अपने हाथ हटाए और मैने उसकी चूत पर लंड रख के ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में घुस गया. वो झटके से आगे हुई पर मेरे हाथों की उसकी गांद पर पकड़ ने उसको आगे नही होने दिया. उसने कहा के आराम से डालो ना पहले कितने प्यार से डाला था. मैने कहा के पहले तुम्हारी चूत बिना चुदी थी और अब चुद चुकी है और थोड़ा ज़ोर काधक्का सह सकती है. फिर मैने धक्के लगाने शुरू कर दिए.
अपने हाथ मैने उसकी गांद से हटाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और उनको दबाने और मसल्ने के साथ साथ उसकी चूत मारनी भी चालू रखी. मिनी को मज़ा आना शुरू हो गया था और वो खुद ही आगे पीछे होने लगी. तेज़ तेज़ और ज़ोर से चोदो मुझे वो बोली तो मैने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. उसकी सिसकारियों का संगीत कमरे में गूंजने लगा. थोड़ी ही देर में वो बोलने लगी के हाए रे यह कैसा मज़ा है मुझसे बर्दाश्त भी नही हो रहा और मैं इसको ख़तम भी नही होने देना चाहती. यह लंड नही कोई जादू का डंडा है जिसने मेरी चूत की प्यास बुझाकर उसमे आग लगा दी है. फाड़ दो मेरी चूत को बहुत सताया है इसने मुझे. हाए और ज़ोर से चोदो. लगा दो जितना ज़ोर है सारा. ऐसे ही बोलते हुए वो माआआआऐं गाआआआआाआआइईईईईई कहते हुए झाड़ गयी और उसके झड़ने पर उसकी चूत के मेरे लंड को जाकड़ लेने से थोड़ी देर में मैं भी झाड़ गया. मेरे लंड से निकला वीर्य की गरम बौच्चारों ने उसकी चूत पर आग में घी का काम किया और वोकाँपते हुए फिर से झाड़ गयी. मैने अपना लंड बाहर निकाला और बेड पर ढेर हो गया. वो भी मेरे बराबर में लेट गयी और अपनी साँसों परकाबू पाने की कोशिश करने लगी. थोड़ा संयत होने पर उसने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और बोली के मैं तो कभी सोच भी नही सकती थी के चुदाई में इतना मज़ा आता है.
मैने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बोला के देखो मिनी अब तुम चुदाई के बारे में सब कुच्छ जान चुकी हो और तसल्ली से चुद भी चुकी हो, इसलिए अब तुम्हारा ध्यान हर वक़्त इसकी तरफ नही रहना चाहिए. अब तुम इसको कुच्छ दिनों के लिए भूल ही जाओ तो अच्छा है और अपना पूरा ध्यान पढ़ाई की ओर लगाओ ताकि तुम्हारे अच्छे नंबर आयें और तुम्हारा और स्कूल का नाम हो. फिर मैने उसको अपनी एक महीने में एक बार चुदाई की थियरी के बारे में बताया और वो समझ भी गयी. हम उठ कर बाथ रूम में गये और अपनी अपनी साफ सफाई करके बाहर आ गये और मिनी जाकर स्टडी से हमारे कपड़े ले आई. हमने कपड़े पहने और मैने उसको एक पेन किल्लर गोली खिला दी और एक आंटी प्रेग्नेन्सी टॅबलेट उस्स्को देकर समझा दिया के क्यो वो इसको कल नाश्ते के बाद खा ले. उसने प्रॉमिस किया के वो अब एक महीने से पहले चुदाई के बारे में सोचेगी भी नही और पूरे ध्यान से अपनी पढ़ाई करेगी. फिर वो चली गयी. मैं वहीं बेड पर लेट गया और सोचने लगा के मेरा तरीका काम कर गया और आगे भी करता रहेगा. लेटे लेटे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला.
मेरी नींद खुली 6-30 बजे शाम को जब नौकर ने आकर मुझे उठाया और कहा के तनवी जी आई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं. मैने ऐसे ही नींद में कह दिया के यहीं बुला लो. वो गया और थोड़ी देर में ही मुझे तनवी की आवाज़ सुनाई दी के क्या बात है तबीयत तो ठीक है तुम्हारी जो इतनी देर तक सो रहे हो? मैं चौंक के उठा और बोला के नही ऐसी कोई बात नही है ज़रा सा सर भारी हो रहा था सो अब सोने के बाद ठीक है. आओ बैठो खड़ी क्यो हो, मैने पूछा? वो अंदर आ गयी और एक चेर पर बैठ गयी और बोली के लाओ मैं थोड़ा सर दबा दूं, तुम नही जानते मेरे हाथों में जादू है. अभी दो मिनिट में बिल्कुल ठीक हो जाओगे. मैं बोला के कहा ना ठीक हो गया है बस अब थोड़ा नीचे जिम में एक्सर्साइज़ करूँगा तो बिल्कुल ठीक हो जाएगा. वो चौंक के बोली के नीचे कौनसा जिम है? मैने कहा के नीचे बेसमेंट में मेरा अपना पर्सनल फुल फ्लेड्ज्ड जिम है. वो बोली के पहले क्यों नही बताया, मैं तो सोच ही रही थी के कोई जिम जाय्न कर लूँ ऐसे तो मोटी हो जाऊंगी. चलो मुझे भी दिखाओ.
मैं उठा और तनवी को लेके नीचे बेसमेंट में आ गया. अंदर आते ही तनवी मशीन्स देख कर बहुत खुश हुई और बोली के यहाँ तो सारी अड्वॅन्स्ड मशीन्स लगी हुई हैं जो किसी बहुत अच्छे जिम में भी सारी तो मुश्किल ही होती हैं. मैने कहा के मेरे पास सारी अच्छी मशीन्स ही मिलेंगी. जैसे ही कोई नयी मशीन या किसी मशीन का कोई अड्वॅन्स्ड मॉडेल आता है मैं पुरानी मशीन रीप्लेस कर देता हूँ. वो बोली के मेरा तो बहुत अच्छा वर्काउट हो जाया करेगा जिसके बिना मैं तो अपने आप को अधूरा समझने लगी थी. फिर हम वर्काउट करने लगे. मैं 45 मिनट ही वर्काउट करता था और वो मैने किया बिना तनवी की तरफ ध्यान दिए. उसके बाद मैं एक कुर्सी पर बैठ के उसको देखता रहा. वो तो एक एक्सपर्ट की तरह वर्काउट कर रही थी और पूरा एक घंटा वर्काउट करने के बाद ही वो रुकी. उसके वर्काउट लड़कियों के हिसाब से ही थे यानी लाइट. क्योंकि लड़कियों को कोई बॉडी बिल्डर्स की तरह अपने मसल्स या एबेस तो बनाने नही होते. मैने उसको कॉंप्लिमेंट किया वो तो बहुत अच्छे से वर्काउट करती है बिल्कुल एक्सपर्ट्स की तरह. उसने कहा के हां मैं काई सालों से वर्काउट कर रही हूँ. मैने कहा के तभी उसकी बॉडी वेल टोंड अप है और कहीं पर भी किसी तरह का भी फ्लॅब नही है. वो हंसते हुए बोली के यह कब देख लिया? मैने कहा के देख तो पहले दिन ही लिया था. बड़ी क्ष-रे नज़र है जो ढका हुआ भी सब देख लेती है. मैने कहा के लिफ़ाफ़ा देख के मजमून भाँप लेते हैं, पूरी चिट्ठी खोल के देखना कोई ज़रूरी है? वो हंस पड़ी और बोली के यह बात तो है.
फिर हम ऊपेर आ गये. वो ऊपेर अपने कमरे में जाने लगी तो बोली के आज मेरे साथ खाना खाएँगे? मैने भी पूच्छ लिया के आज ख़ास क्या है? तो उसने कहा के आज उसने अपनी फॅवुरेट डिशस बनाई हैं और उसे पूरी उम्मीद है के मुझे भी पसंद आएँगी. मैने कहा के चलो ठीक है देख लेते हैं की तुम्हारी फेवराइट्स क्या हैं और कैसा खाना बनाती हो. वो बोली के कब तक आएँगे ऊपेर? मैने कहा के मैं तो अभी आ जाता पर वर्काउट के बाद नहाना ज़रूरी होता है, सो अभी नहाने के बाद आता हूँ 20-25 मिनट में. मोस्ट वेलकम कह के वो ऊपेर चली गयी और मैं भी नहाने चला गया.
जल्दी से नहा के मैने एक कुर्ता-पाजामा पहना और ऊपेर चला गया. छत पर वन रूम सेट ही बना हुआ था लेकिन उसस्के साथ साथ पूरी लंबाई में शेड था जिसपर फाइबर की शीट्स थीं और नीचे मिट्टी डलवा के घास लगी थी. डाइरेक्षन ऐसी थी की शाम को शेड की छाया करीबन पूरी छत पर आ जाती थी और एक गार्डन का एहसास होता था. मैं जब ऊपेर पहुँचा तो तनवी नहा के आ चुकी थी और इस वक़्त उसने एक पतला सा लूस टॉप और नी लेंग्थ स्प्लिट स्कर्ट जैसा कुच्छ पहना हुआ था जिसमे से उसकी गोरी पिंदलियाँ और आकर्षक घुटने दिख रहे थे और वो अपने बॉल ब्रश करके सुखाने की कोशिश कर रही थी. हाथों के झटकों से टॉप में मचल रही उसकी गोलाइयाँ देख कर मैं समझ गया के उसने ब्रा नही पहनी थी.
मुझे देख कर उसकी आँखों में एक चमक और होंठों पर एक दिलकश मुस्कान उभर आई. छत पर बने उस बगीचे में गार्डेन चेर्स और बेंच रक्खे हुए थे. उन्ही में से एक बेंच की ओर बढ़ते हुए उकी मुझे स्वागतम कहा और बैठ गयी. मैं भी उसकी बगल में बैठ गया. वो बोली की कुर्ते पाजामे में तो बहुत हॅंडसम लग रहे हो. क्यों क्या मैं वैसे हॅंडसम नही हूँ, मैने चुटकी ली. उसने कहा की नही नही ऐसी बात नही है मैं तो यह कह रही हूँ के इसमे ज़्यादा हॅंडसम लग रहे हैं. मैने मुस्कुरा के उसको थॅंक्स कहा. वो खड़ी हो गयी और बोली के आप बैठो मैं कुछ ठंडा लेकर आती हूँ और अंदर चली गयी. मैं पीछे से उसकी भरी हुई गांद का मटकना देखता रहा. पता नही क्यों मुझे लग रहा था के आज कुछ होने वाला है. उसके हाव भाव बता रहे थे के वो कुच्छ कहना चाह रही है पर कह नही पा रही है. मैं अपनी ओर से कोई पहल नही करना चाहता था क्योंकि अभी तक कोई पक्का इशारा मुझे नही मिला था उसकी तरफ से और मैं जल्दबाज़ी के तो बहुत खिलाफ हूँ और दूसरी बात यह भी थी के वो यह ना समझे के मैं उसकी नौकरी की मजबूरी का फयडा उठाने की कोशिश कर रहा हूँ. उसस्के यहाँ आकर रहने के बाद मैं पहली बार ऊपेर आया था और वो भी उसके बुलाने पर.
वो एक ट्रे में दो गिलास और एक जग लेकर आई और बेंच के सामने रखी टेबल पर ट्रे रख दी और दोनो गिलास एक शरबत से भर दिए. मैने एक गिलास उठाया और एक सीप लिया और चौंक गया. बहुत ही टेस्टी शरबत था. कुच्छ मिलाजुला सा जाना पहचाना स्वाद लेकिन मैं समझ नही पाया के यह कौनसा शरबत है. मैने थोड़ा बड़ा घूँट भरा और उसको थोड़ी देर मुँह में रख कर धीरे धीरे पिया. फिर भी मुझे नही समझ आया के यह क्या है. तनवी मेरी ओर देख कर थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली के परेशान मत होइए यह हमारे घर की निजी रेसिपी है इसलिए आप इसको नही पहचान सकेंगे. यह मेरी दादी ने मुझे सिखाया था और खुस और गुलाब का मिला जुला शरबत है जो घर पर ही तैयार किया जाता है. कोई रेडीमेड आर्क़ नही डाला हुआ है इसमे. मैने कहा के बहुत लाजवाब स्वाद है इसका और अंदर तक ठंडक पहुँचा देता है. मैने गिलास खाली करके रखा तो तनवी ने उससे फिर आधा भर दिया और बोली के दादी कहा करती थी के इसको सिर्फ़ एक गिलास ही पीना चाहिए और फिर भी दिल करे तो आधे गिलास से ज़्यादा नही. मैने फिर अपना गिलास उठा लिया और धीरे धीरे पीने लगा. शरबत इतना स्वाद लग रहा था के दिल कर रहा था के यह ख़तम ही ना हो. उसने भी अपना गिलास खाली किया और फिर ट्रे और खाली गिलास उठा कर अंदर ले गयी.
वो वापिस आई और मुझसे पूछा के खाना कितनी देर में लेंगे. मैने कहा के कोई जल्दी नही है. वो आकर फिर मेरे पास बैठ गयी. फिर मैने ही बात शुरू की और उसको पूछा के दिल तो लग गया ना उसका नयी जॉब और नयी जगह पर? और कोई तकलीफ़ तो नही है उसको यहाँ रहते? वो बोली के दिल भी लग गया है और आपके होते मुझे कोई तकलीफ़ कैसे हो सकती है? मैने उसको कहा के देखो यह आप-आप कहना मुझे पसंद नही है, ऑफीस में भी ज़्यादा से ज़्यादा राज सर कह सकती हो और यहाँ मुझे केवल राज और आप की जगह तुम कहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा. उसने कहा के ठीक है अब से राज ही कहूँगी पर ऑफीस में तो राज सर के अलावा कुच्छ नही कह सकूँगी. मैने काहा के ठीक है चलेगा.
कुच्छ देर हम चुप रहे और फिर तनवी ही चुप्पी को तोड़ते हुए बोली के राज मैं कुच्छ बात करना चाहती हूँ पर समझ नही आ रहा के कैसे और कहाँ से शुरू करूँ? मैने मुस्कुराते हुए कहा के कोई भी प्राब्लम है तो बेझिझक मुझे बताओ और कोई और बात है तो बिना किसी भी डर के मुझे बताओ और कैसे भी शुरू करो मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता पर पूरी बात ही बताना, आधी अधूरी नही. उसने कहा के प्राब्लम तो कोई भी नही है और कोई बहुत खास बात भी नही है और कुच्छ है भी पर चलो मैं बताती हूँ और मेरे तरीके से मेरी बात पूरी हो जाने पर ही मुझसे कुच्छ पूच्छना और प्लीज़ बीच में मत टोकना, मैं अपनी बात नही कह पाऊँगी. मैने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसकी आँखों में देखते हुए उसे तसल्ली देते हुए कहा के बोलो क्या बात है तुम भी रुकना नही जो कहना है सॉफ सॉफ कहना और डरना बिल्कुल नही. उसने कहा के ठीक है मैं ऐसे ही अपनी सारी बात कह दूँगी.
मैने अपना हाथ उसके कंधे से हटा लिया और उसकी बात सुन-ने के लिए तैयार हो गया. उसने शुरू किया मेरे बारे में बताकर के कैसे उसको मेरे सारे हालात का पता चला है और पहले स्टडी टाइम में मैं कैसा था फिर शादी के बाद कैसा बदल गया था फिर मेरी ट्रॅजिडी और उसके बाद मेरा शादी ना करने का फ़ैसला जिसे वो ग़लत नही मानती. फिर उसने मुझे बताया के वो कुच्छ समझ नही पाई है मेरे आज कल के बिहेवियर के बारे में क्योंकि कुच्छ भी स्पष्ट नही है उसके सामने जिस पर वो पॉइंट आउट कर सके पर उसको लगता है के कुच्छ है जो उसके लिए अभी छुपा हुआ है. इसको मैं उसकी 6थ सेन्स कह लूँ या कुच्छ और पर उसको यह लगता है के मेरे बारे में उसे काफ़ी कुच्छ समझना बाकी है. और वो इसलिए के वो मेरी पर्सनल असिस्टेंट है और मेरे ही घर में रह रही है तो वो यह चाहती है के वो मुझे पूरी तरह से जान ले. अगर मैं चाहूं तो उसके साथ सब कुच्छ शेर कर सकता हूँ. जो भी मैं उसको बताना चाहूं वो उसे समझेगी और वो उस तक ही सीमित रहेगा जैसे दोस्तों में रहता है. उसे बहुत उम्मीद ही नही है यकीन है के वो मेरी दोस्ती के काबिल है.
क्रमशः......
गतान्क से आगे..............
मैने मिनी को तसल्ली दी और कहा के घबराओ मत मैं तुम्हारी गांद नही मारूँगा और ना ही मुझे शौक है गांद मारने का. मैं पीछे से तुम्हारी चूत में लंड डाल कर तुम्हें चोदून्गा. उसने डरते डरते अपने हाथ हटाए और मैने उसकी चूत पर लंड रख के ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में घुस गया. वो झटके से आगे हुई पर मेरे हाथों की उसकी गांद पर पकड़ ने उसको आगे नही होने दिया. उसने कहा के आराम से डालो ना पहले कितने प्यार से डाला था. मैने कहा के पहले तुम्हारी चूत बिना चुदी थी और अब चुद चुकी है और थोड़ा ज़ोर काधक्का सह सकती है. फिर मैने धक्के लगाने शुरू कर दिए.
अपने हाथ मैने उसकी गांद से हटाकर उसके मम्मे पकड़ लिए और उनको दबाने और मसल्ने के साथ साथ उसकी चूत मारनी भी चालू रखी. मिनी को मज़ा आना शुरू हो गया था और वो खुद ही आगे पीछे होने लगी. तेज़ तेज़ और ज़ोर से चोदो मुझे वो बोली तो मैने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा. उसकी सिसकारियों का संगीत कमरे में गूंजने लगा. थोड़ी ही देर में वो बोलने लगी के हाए रे यह कैसा मज़ा है मुझसे बर्दाश्त भी नही हो रहा और मैं इसको ख़तम भी नही होने देना चाहती. यह लंड नही कोई जादू का डंडा है जिसने मेरी चूत की प्यास बुझाकर उसमे आग लगा दी है. फाड़ दो मेरी चूत को बहुत सताया है इसने मुझे. हाए और ज़ोर से चोदो. लगा दो जितना ज़ोर है सारा. ऐसे ही बोलते हुए वो माआआआऐं गाआआआआाआआइईईईईई कहते हुए झाड़ गयी और उसके झड़ने पर उसकी चूत के मेरे लंड को जाकड़ लेने से थोड़ी देर में मैं भी झाड़ गया. मेरे लंड से निकला वीर्य की गरम बौच्चारों ने उसकी चूत पर आग में घी का काम किया और वोकाँपते हुए फिर से झाड़ गयी. मैने अपना लंड बाहर निकाला और बेड पर ढेर हो गया. वो भी मेरे बराबर में लेट गयी और अपनी साँसों परकाबू पाने की कोशिश करने लगी. थोड़ा संयत होने पर उसने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और बोली के मैं तो कभी सोच भी नही सकती थी के चुदाई में इतना मज़ा आता है.
मैने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और बोला के देखो मिनी अब तुम चुदाई के बारे में सब कुच्छ जान चुकी हो और तसल्ली से चुद भी चुकी हो, इसलिए अब तुम्हारा ध्यान हर वक़्त इसकी तरफ नही रहना चाहिए. अब तुम इसको कुच्छ दिनों के लिए भूल ही जाओ तो अच्छा है और अपना पूरा ध्यान पढ़ाई की ओर लगाओ ताकि तुम्हारे अच्छे नंबर आयें और तुम्हारा और स्कूल का नाम हो. फिर मैने उसको अपनी एक महीने में एक बार चुदाई की थियरी के बारे में बताया और वो समझ भी गयी. हम उठ कर बाथ रूम में गये और अपनी अपनी साफ सफाई करके बाहर आ गये और मिनी जाकर स्टडी से हमारे कपड़े ले आई. हमने कपड़े पहने और मैने उसको एक पेन किल्लर गोली खिला दी और एक आंटी प्रेग्नेन्सी टॅबलेट उस्स्को देकर समझा दिया के क्यो वो इसको कल नाश्ते के बाद खा ले. उसने प्रॉमिस किया के वो अब एक महीने से पहले चुदाई के बारे में सोचेगी भी नही और पूरे ध्यान से अपनी पढ़ाई करेगी. फिर वो चली गयी. मैं वहीं बेड पर लेट गया और सोचने लगा के मेरा तरीका काम कर गया और आगे भी करता रहेगा. लेटे लेटे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला.
मेरी नींद खुली 6-30 बजे शाम को जब नौकर ने आकर मुझे उठाया और कहा के तनवी जी आई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं. मैने ऐसे ही नींद में कह दिया के यहीं बुला लो. वो गया और थोड़ी देर में ही मुझे तनवी की आवाज़ सुनाई दी के क्या बात है तबीयत तो ठीक है तुम्हारी जो इतनी देर तक सो रहे हो? मैं चौंक के उठा और बोला के नही ऐसी कोई बात नही है ज़रा सा सर भारी हो रहा था सो अब सोने के बाद ठीक है. आओ बैठो खड़ी क्यो हो, मैने पूछा? वो अंदर आ गयी और एक चेर पर बैठ गयी और बोली के लाओ मैं थोड़ा सर दबा दूं, तुम नही जानते मेरे हाथों में जादू है. अभी दो मिनिट में बिल्कुल ठीक हो जाओगे. मैं बोला के कहा ना ठीक हो गया है बस अब थोड़ा नीचे जिम में एक्सर्साइज़ करूँगा तो बिल्कुल ठीक हो जाएगा. वो चौंक के बोली के नीचे कौनसा जिम है? मैने कहा के नीचे बेसमेंट में मेरा अपना पर्सनल फुल फ्लेड्ज्ड जिम है. वो बोली के पहले क्यों नही बताया, मैं तो सोच ही रही थी के कोई जिम जाय्न कर लूँ ऐसे तो मोटी हो जाऊंगी. चलो मुझे भी दिखाओ.
मैं उठा और तनवी को लेके नीचे बेसमेंट में आ गया. अंदर आते ही तनवी मशीन्स देख कर बहुत खुश हुई और बोली के यहाँ तो सारी अड्वॅन्स्ड मशीन्स लगी हुई हैं जो किसी बहुत अच्छे जिम में भी सारी तो मुश्किल ही होती हैं. मैने कहा के मेरे पास सारी अच्छी मशीन्स ही मिलेंगी. जैसे ही कोई नयी मशीन या किसी मशीन का कोई अड्वॅन्स्ड मॉडेल आता है मैं पुरानी मशीन रीप्लेस कर देता हूँ. वो बोली के मेरा तो बहुत अच्छा वर्काउट हो जाया करेगा जिसके बिना मैं तो अपने आप को अधूरा समझने लगी थी. फिर हम वर्काउट करने लगे. मैं 45 मिनट ही वर्काउट करता था और वो मैने किया बिना तनवी की तरफ ध्यान दिए. उसके बाद मैं एक कुर्सी पर बैठ के उसको देखता रहा. वो तो एक एक्सपर्ट की तरह वर्काउट कर रही थी और पूरा एक घंटा वर्काउट करने के बाद ही वो रुकी. उसके वर्काउट लड़कियों के हिसाब से ही थे यानी लाइट. क्योंकि लड़कियों को कोई बॉडी बिल्डर्स की तरह अपने मसल्स या एबेस तो बनाने नही होते. मैने उसको कॉंप्लिमेंट किया वो तो बहुत अच्छे से वर्काउट करती है बिल्कुल एक्सपर्ट्स की तरह. उसने कहा के हां मैं काई सालों से वर्काउट कर रही हूँ. मैने कहा के तभी उसकी बॉडी वेल टोंड अप है और कहीं पर भी किसी तरह का भी फ्लॅब नही है. वो हंसते हुए बोली के यह कब देख लिया? मैने कहा के देख तो पहले दिन ही लिया था. बड़ी क्ष-रे नज़र है जो ढका हुआ भी सब देख लेती है. मैने कहा के लिफ़ाफ़ा देख के मजमून भाँप लेते हैं, पूरी चिट्ठी खोल के देखना कोई ज़रूरी है? वो हंस पड़ी और बोली के यह बात तो है.
फिर हम ऊपेर आ गये. वो ऊपेर अपने कमरे में जाने लगी तो बोली के आज मेरे साथ खाना खाएँगे? मैने भी पूच्छ लिया के आज ख़ास क्या है? तो उसने कहा के आज उसने अपनी फॅवुरेट डिशस बनाई हैं और उसे पूरी उम्मीद है के मुझे भी पसंद आएँगी. मैने कहा के चलो ठीक है देख लेते हैं की तुम्हारी फेवराइट्स क्या हैं और कैसा खाना बनाती हो. वो बोली के कब तक आएँगे ऊपेर? मैने कहा के मैं तो अभी आ जाता पर वर्काउट के बाद नहाना ज़रूरी होता है, सो अभी नहाने के बाद आता हूँ 20-25 मिनट में. मोस्ट वेलकम कह के वो ऊपेर चली गयी और मैं भी नहाने चला गया.
जल्दी से नहा के मैने एक कुर्ता-पाजामा पहना और ऊपेर चला गया. छत पर वन रूम सेट ही बना हुआ था लेकिन उसस्के साथ साथ पूरी लंबाई में शेड था जिसपर फाइबर की शीट्स थीं और नीचे मिट्टी डलवा के घास लगी थी. डाइरेक्षन ऐसी थी की शाम को शेड की छाया करीबन पूरी छत पर आ जाती थी और एक गार्डन का एहसास होता था. मैं जब ऊपेर पहुँचा तो तनवी नहा के आ चुकी थी और इस वक़्त उसने एक पतला सा लूस टॉप और नी लेंग्थ स्प्लिट स्कर्ट जैसा कुच्छ पहना हुआ था जिसमे से उसकी गोरी पिंदलियाँ और आकर्षक घुटने दिख रहे थे और वो अपने बॉल ब्रश करके सुखाने की कोशिश कर रही थी. हाथों के झटकों से टॉप में मचल रही उसकी गोलाइयाँ देख कर मैं समझ गया के उसने ब्रा नही पहनी थी.
मुझे देख कर उसकी आँखों में एक चमक और होंठों पर एक दिलकश मुस्कान उभर आई. छत पर बने उस बगीचे में गार्डेन चेर्स और बेंच रक्खे हुए थे. उन्ही में से एक बेंच की ओर बढ़ते हुए उकी मुझे स्वागतम कहा और बैठ गयी. मैं भी उसकी बगल में बैठ गया. वो बोली की कुर्ते पाजामे में तो बहुत हॅंडसम लग रहे हो. क्यों क्या मैं वैसे हॅंडसम नही हूँ, मैने चुटकी ली. उसने कहा की नही नही ऐसी बात नही है मैं तो यह कह रही हूँ के इसमे ज़्यादा हॅंडसम लग रहे हैं. मैने मुस्कुरा के उसको थॅंक्स कहा. वो खड़ी हो गयी और बोली के आप बैठो मैं कुछ ठंडा लेकर आती हूँ और अंदर चली गयी. मैं पीछे से उसकी भरी हुई गांद का मटकना देखता रहा. पता नही क्यों मुझे लग रहा था के आज कुछ होने वाला है. उसके हाव भाव बता रहे थे के वो कुच्छ कहना चाह रही है पर कह नही पा रही है. मैं अपनी ओर से कोई पहल नही करना चाहता था क्योंकि अभी तक कोई पक्का इशारा मुझे नही मिला था उसकी तरफ से और मैं जल्दबाज़ी के तो बहुत खिलाफ हूँ और दूसरी बात यह भी थी के वो यह ना समझे के मैं उसकी नौकरी की मजबूरी का फयडा उठाने की कोशिश कर रहा हूँ. उसस्के यहाँ आकर रहने के बाद मैं पहली बार ऊपेर आया था और वो भी उसके बुलाने पर.
वो एक ट्रे में दो गिलास और एक जग लेकर आई और बेंच के सामने रखी टेबल पर ट्रे रख दी और दोनो गिलास एक शरबत से भर दिए. मैने एक गिलास उठाया और एक सीप लिया और चौंक गया. बहुत ही टेस्टी शरबत था. कुच्छ मिलाजुला सा जाना पहचाना स्वाद लेकिन मैं समझ नही पाया के यह कौनसा शरबत है. मैने थोड़ा बड़ा घूँट भरा और उसको थोड़ी देर मुँह में रख कर धीरे धीरे पिया. फिर भी मुझे नही समझ आया के यह क्या है. तनवी मेरी ओर देख कर थोड़ा मुस्कुराते हुए बोली के परेशान मत होइए यह हमारे घर की निजी रेसिपी है इसलिए आप इसको नही पहचान सकेंगे. यह मेरी दादी ने मुझे सिखाया था और खुस और गुलाब का मिला जुला शरबत है जो घर पर ही तैयार किया जाता है. कोई रेडीमेड आर्क़ नही डाला हुआ है इसमे. मैने कहा के बहुत लाजवाब स्वाद है इसका और अंदर तक ठंडक पहुँचा देता है. मैने गिलास खाली करके रखा तो तनवी ने उससे फिर आधा भर दिया और बोली के दादी कहा करती थी के इसको सिर्फ़ एक गिलास ही पीना चाहिए और फिर भी दिल करे तो आधे गिलास से ज़्यादा नही. मैने फिर अपना गिलास उठा लिया और धीरे धीरे पीने लगा. शरबत इतना स्वाद लग रहा था के दिल कर रहा था के यह ख़तम ही ना हो. उसने भी अपना गिलास खाली किया और फिर ट्रे और खाली गिलास उठा कर अंदर ले गयी.
वो वापिस आई और मुझसे पूछा के खाना कितनी देर में लेंगे. मैने कहा के कोई जल्दी नही है. वो आकर फिर मेरे पास बैठ गयी. फिर मैने ही बात शुरू की और उसको पूछा के दिल तो लग गया ना उसका नयी जॉब और नयी जगह पर? और कोई तकलीफ़ तो नही है उसको यहाँ रहते? वो बोली के दिल भी लग गया है और आपके होते मुझे कोई तकलीफ़ कैसे हो सकती है? मैने उसको कहा के देखो यह आप-आप कहना मुझे पसंद नही है, ऑफीस में भी ज़्यादा से ज़्यादा राज सर कह सकती हो और यहाँ मुझे केवल राज और आप की जगह तुम कहोगी तो मुझे अच्छा लगेगा. उसने कहा के ठीक है अब से राज ही कहूँगी पर ऑफीस में तो राज सर के अलावा कुच्छ नही कह सकूँगी. मैने काहा के ठीक है चलेगा.
कुच्छ देर हम चुप रहे और फिर तनवी ही चुप्पी को तोड़ते हुए बोली के राज मैं कुच्छ बात करना चाहती हूँ पर समझ नही आ रहा के कैसे और कहाँ से शुरू करूँ? मैने मुस्कुराते हुए कहा के कोई भी प्राब्लम है तो बेझिझक मुझे बताओ और कोई और बात है तो बिना किसी भी डर के मुझे बताओ और कैसे भी शुरू करो मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता पर पूरी बात ही बताना, आधी अधूरी नही. उसने कहा के प्राब्लम तो कोई भी नही है और कोई बहुत खास बात भी नही है और कुच्छ है भी पर चलो मैं बताती हूँ और मेरे तरीके से मेरी बात पूरी हो जाने पर ही मुझसे कुच्छ पूच्छना और प्लीज़ बीच में मत टोकना, मैं अपनी बात नही कह पाऊँगी. मैने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और उसकी आँखों में देखते हुए उसे तसल्ली देते हुए कहा के बोलो क्या बात है तुम भी रुकना नही जो कहना है सॉफ सॉफ कहना और डरना बिल्कुल नही. उसने कहा के ठीक है मैं ऐसे ही अपनी सारी बात कह दूँगी.
मैने अपना हाथ उसके कंधे से हटा लिया और उसकी बात सुन-ने के लिए तैयार हो गया. उसने शुरू किया मेरे बारे में बताकर के कैसे उसको मेरे सारे हालात का पता चला है और पहले स्टडी टाइम में मैं कैसा था फिर शादी के बाद कैसा बदल गया था फिर मेरी ट्रॅजिडी और उसके बाद मेरा शादी ना करने का फ़ैसला जिसे वो ग़लत नही मानती. फिर उसने मुझे बताया के वो कुच्छ समझ नही पाई है मेरे आज कल के बिहेवियर के बारे में क्योंकि कुच्छ भी स्पष्ट नही है उसके सामने जिस पर वो पॉइंट आउट कर सके पर उसको लगता है के कुच्छ है जो उसके लिए अभी छुपा हुआ है. इसको मैं उसकी 6थ सेन्स कह लूँ या कुच्छ और पर उसको यह लगता है के मेरे बारे में उसे काफ़ी कुच्छ समझना बाकी है. और वो इसलिए के वो मेरी पर्सनल असिस्टेंट है और मेरे ही घर में रह रही है तो वो यह चाहती है के वो मुझे पूरी तरह से जान ले. अगर मैं चाहूं तो उसके साथ सब कुच्छ शेर कर सकता हूँ. जो भी मैं उसको बताना चाहूं वो उसे समझेगी और वो उस तक ही सीमित रहेगा जैसे दोस्तों में रहता है. उसे बहुत उम्मीद ही नही है यकीन है के वो मेरी दोस्ती के काबिल है.
क्रमशः......